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19 September 2024विशेष
दुनियाभर में शादी को लेकर अलग-अलग रस्में निभाई जाती हैं. इनमें से कुछ रस्में ऐसी होती हैं जो सुनने में भी अजीब लगती हैं तो वहीं कुछ रस्में वाकई में बेहद अजीब होती हैं. ऐसे में क्या आप जानते हैं कि एक जगह ऐसी भी है जहां शादी के तीन दिन बाद तक दुल्हन बाथरूम नहीं जा सकती. जी हां, आप सही पढ़ रहे हैं. दरअसल शादी का एक अनोखा रिवाज एक देश में मनाया जाता है. चलिए रस्म और ये कहां होती है इस बारे में जानते हैं. इस देश में शादी के बाद तीन दिन तक टॉयलेट नहीं जा सकती दुल्हन दरअसल ये अनोखा रिवाज इंडोनेशिया में होता है. यह अजीबोगरीब रिवाज इंडोनेशिया के टीडॉन्ग समुदाय में निभाया जाता है. इस समुदाय में शादी के बाद नवविवाहित जोड़े को अगले तीन दिनों तक टॉयलेट जाने की मनाही होती है. इस रस्म के पीछे का कारण जानकर आप हैरान रह जाएंगे. क्या है रस्म के पीछे की मान्यताएं इस रस्म के पीछे कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं. कुछ लोगों का मानना है कि शादी एक पवित्र बंधन है और शादी के बाद वर-वधू शुद्ध होते हैं. अगर वो टॉयलेट जाते हैं तो उनकी पवित्रता भंग हो जाती है और वो अशुद्ध हो जाते हैं. यही कारण है कि इस समुदाय में शादी के बाद तीन दिन तक टॉयलेट जाने पर रोक लगाई जाती है. वहीं कुछ अन्य लोगों का मानना है कि इस रस्म के पीछे का कारण नवविवाहित जोड़े को बुरी नजर से बचाना है. इस बिरादरी के लोगों की मान्यताओं के मुताबिक जहां पर मल त्याग किया जाता है वहां गंदगी होती है, जिसके कारण वहां पर नकारात्मक शक्तियां का प्रभाव बढ़ता है. इससे उनके दांपत्य जीवन में परेशानियां आ सकती हैं. रस्म को निभाने के तरीके ये रस्म बड़े ही सख्त नियमों के तहत पूरी की जाती है. इस दौरान शादी के तीन दिनों तक दूल्हा-दुल्हन को कोई परेशानी न हो और वो इस रस्म को बिना किसी दिक्कत के निभा सकें इसके लिए उन्हें खाना-पानी कम दिया जाता है. इस दौरान इसका खास ध्यान रखा जाता है कि वे शौचालय न जाएं. आज के समय में जब लोग स्वच्छता के प्रति जागरूक हो रहे हैं, वहां ऐसी रस्में लोगों के लिए परेशानी का कारण बन सकती हैं. कई बार तो इस तरह की रस्में स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक साबित हो सकती है.
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19 September 2024अंतिम संस्कार दुनिया भर में निभाई जाने वाली एक ऐसी प्रथा है जिसमें किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसे आखिरी विदाई दी जाती है. हालांकि ये अंतिम विदाई कुछ जगहों पर इतनी भयानक होती है कि जिन्हें सुनकर ही आपको रोंगटे खड़े हो जाएंगे. ऐसे में चलिए आज कुछ ऐसे विचित्र और इतिहास के सबसे अजीबोगरीब अंतिम संस्कारों पर नजर डालते हैं. यहा अंतिम संस्कार के समय शरीर को काटकर खा जाते हैं लोग ये सुनने में ही काफी अजीब लग रहा होगा कि कभी ऐसा भी हो सकता है? दरअसल अंतिम संस्कार के नाम शव को ही खा जाना, लेकिन ये बिल्कुल सच है. आज से 8 लाख साल पुरानी ये प्रथा इंडो-यूरोपीय इलाकों में आज भी चली आ रही है. इस प्रथा में मरने के बाद लोग शवों को ही काटकर खा जाते हैं. हैरान कर देने वाली बात ये है कि कुछ लोग तो पहले इन शवों को सड़ाते हैं और फिर उस समय तक सड़ाते हैं जब तक इस शरीर से पानी जैसा तरल पदार्थ ना निकलने लगे. इतिहासकरों का कहना है कि ऐसा लोग इसलिए करते हैं ताकि इस तरल पदार्थ से शराब बनाई जा सके और फिर इसे अपने स्वजनों की याद के स्वरूप इसका पिया जा सके. यहां अंतिम संस्कार के समय शव को मोतियों में बदल देते हैं लोग गौरतलब है कि ऐसी भी एक जगह है जहां मरने वाले लोगों के अंतिम संस्कार के तौर पर उनके शवों को रंग-बिरंगे मोतियों-माणकों में बदल दिया जाता है यानी व्यक्ति के अवशेषों (राख) को रत्नों में संरक्षित कर लिया जाता है. ये उनके प्रियजनों की याद बनकर उनके घरों में रहता है. दरअसल ये प्रथा आज भी दक्षिण कोरियाई इलाकों में चली आ रही है. गिद्धों के सामने डाल दिया जाता है मृतकों का शव तिब्बत में अंतिम संस्कार का ये अनोखा तरीका अभी भी अपनाया जाता है. यहां के बौद्ध धर्म से जुड़े लोग अपने स्वजनों के अंतिम संस्कार के लिए इसे अपनाते हैं. यहां शव को पहले छोटे-छोटे टुकडो़ं में काटा जाता है. फिर उन टुकडो़ं को अंतिम संस्कार वाली जगह पर ले जाया जाता है इसके बाद बौद्ध भिक्षु धार्मिक अनुष्ठान करते हैं. इसके बाद इन टुकड़ों को किसी भी अनाज के आटे के घोल में डुबो दिया जाता है. इसके बाद इन टुकड़ों को बाज और गिद्ध जैसे पक्षियों के लिए फेंक दिया जाता है. इसके पीछे इस समुदाय की मान्यता है कि इस तरह आत्म बलिदान की अनुभूति होती है क्योंकि दफनाने के बाद भी इन शवों को कीड़े-मकौड़े ही खाते हैं और तिब्बत में ऊंची-ऊंची पहाड़ियां हैं जिससे वहां पेड़ों की ज्यादा पैदावार नहीं है, जिससे लकड़ियों की कमी है और दूसरा वहां की जमीन ज्यादा पथरीली है ऐसे में कब्र खोदने में भी काफी दिक्कतों को सामना करना पड़ता है. यहां अंतिम संस्कार में उंगली काट लेते हैं लोग एक जगह ऐसी भी है जहां किसी अपने के मरने पर लोग अपने हाथों की उंगलियां काट लेते थे. दरअसल पपुआ न्यू गिनी जैसे देशों में ये प्रथा कई अर्से से चली आ रही थी लेकिन अब इस पर बैन लगा दिया है क्योंकि इस प्रथा में शव की उंगलियां नहीं बल्कि मरने वाले शख्स के परिजनों में से किसी की एक की उंगली काटी जाती थी. आश्चर्य की बात है कि इस प्रथा में एक उंगली नहीं बल्कि एक हाथ की पांचों उंगली काट दी जाती थी. इस प्रथा को लेकर इस समुदाय का मानना था कि ऐसा करने से आत्मा उन्हें परेशान नहीं करती है और उसे मुक्ति मिल जाती है.
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19 September 2024एक समय हवाई जहाज से सफर करना हर किसी के बस की बात नहीं हुआ करती थी, लेकिन वक्त के साथ अब लोगों के लिए हवाई जहाज से सफर करना आसान हो गया है. हवाई जहाज से जुड़े कई ऐसे सवाल होते हैं जो लोगों के मन में होते हैं. ऐसा ही एक सवाल ये भी है कि आखिर हवाई जहाज कितनी ऊंचाई पर उड़ता है? ऐसे में चलिए इसका जवाब जान लेते हैं. कितना ऊंचाई तक उड़ सकता है हवाई जहाज? वैसे हवाई जहाज की उड़ान इस बात पर निर्भर करती है कि एयरक्राफ्ट कौन सा है. आमतौर पर एक पैसेंजर एयरक्राफ्ट 10-20 हज़ार फीट नहीं बल्कि 30-35 हज़ार फीट की ऊंचाई पर उड़ता है. वहीं aviex.goflexair.com के अनुसार, बोइंग से लेकर एयरबस के विभिन्न मॉडल्स के पास सर्विस सीलिंग 41,000 से 43,000 फीट तक की होती है. हालांकि ये हवा में 30,000 से 35,000 फीट तक की ऊंचाई पर उड़ान भरते हैं. वहीं प्राइवेट जेट की बात करें तो ज्यादातर एयरक्राफ्ट की सर्विस सीलिंग 51,000 फीट तक होती है और वो 45,000 फीट तक की ऊंचाई पर उड़ सकते हैं. किस चीज पर निर्भर होती है हवाई जहाज की उड़ान? एक प्लेन की उड़ान आमतौर पर एक खास चीज पर निर्भर करती है. जो कि उसका रूट है. बता दें शॉर्ट हॉल फ्लाइट्स 25-35,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ते हैं जबकि लॉन्ग हॉल वाली फ्लाइट्स 35-40,000 फीट तक उड़ते हैं. दरअसल इसकी वजह ये है कि विमान जितना ऊंचा उड़ेगा हवा उतनी ही पतली होगी और हल्के होने पर विमान का ईंधन की खपत कम होगी. एविएशन अथॉरिटीज़ द्वारा हर प्लेन को स्पेसिफिक ऑल्टीट्यूड रेंज के लिए सर्टिफिकेट दिया जाता है. इसके अलावा मिलिट्री एयरक्राफ्ट की बात की जाए तो ये 50,000 से 70,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ सकते हैं, जो उनके मिशन पर निर्भर करता है.
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19 September 2024राजधानी दिल्ली की सियासत में बड़ा फेरबदल हुआ है. दिल्ली में अब अरविंद केजरीवाल की जगह आतिशी सीएम पद की जिम्मेदारी संभालने जा रही हैं. विधायक दल की बैठक में उन्हें सीएम बनाने का फैसला लिया गया है. यानी अगले विधानसभा चुनावों तक दिल्ली में महिला मुख्यमंत्री के हाथों में ही कमान रहेगी. ऐसे में हम आपको दिल्ली की नई सीएम आतिशी के नाम का मतलब बताएंगे. क्या आप जानते हैं कि आतिशी किस भाषा का शब्द है, आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे. दिल्ली सीएम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. वह शाम साढ़े 4 बजे राजनिवास पहुंचे और उपराज्यपाल वीके सक्सेना को इस्तीफा सौंपा है. इस दौरान उनके साथ दिल्ली की होने वाली नई मुख्यमंत्री आतिशी और उनकी पूरी कैबिनेट भी मौजूद थी. वहीं इस्तीफा सौंपने के बाद अरविंद केजरीवाल ने एलजी को विधायक दल की चुनी गई नेता आतिशी का मुख्यमंत्री पद के लिए नाम का प्रस्ताव भी दे दिया है. कैबिनेट मंत्री में गोपाल राय, कैलाश गहलोत, इमरान हुसैन, सौरभ भारद्वाज भी साथ में थे. नई मुख्यमंत्री राजधानी दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी होंगी. विधायक दल की बैठक में उन्हें सीएम बनाने का फैसला लिया गया है. आतिशी के सीएम बनते ही इंटरनेट पर उनसे जुड़ी कई जानकारियां ढूंढी जा रही हैं. गूगल पर आतिशी से जुड़ा बहुत कुछ खोजा जा रहा है. लेकिन एक सवाल आपके भी मन में भी आया होगा कि आखिर आतिशी का मतलब क्या होता है. सवाल ये है कि आतिशी उर्दू शब्द है या हिंदी का है. आज हम आपको बताएंगे कि आतिशी का मतलब क्या होता है. आतिशी नाम का अर्थ बता दें कि आतिशी एक यूनीक नाम है. अक्सर लोग आतिशी का संबंध ‘आतिशबाजी’ से जोड़कर लगाते हैं. हालांकि कई लोग ये सोचते हैं कि आतिशी हिंदी का शब्द है. लेकिन आपको बता दें कि ‘आतिशी’ असल में एक फारसी शब्द है. शाब्दिक तौर पर इसका अर्थ ‘जो आग में तपाने पर भी न टूटने या तड़कने वाला हो’ होता है. असल में आतिशी शीशा एक ऐसी चीज होती है, जिसपर सूर्य की किरण टकराती है, तो उससे आग पैदा होती है. आतिशी का संबंध ‘आतश’ यानी आग से होता है. इसका नाम के तौर पर इस्तेमाल करें तो आतिशी का मतलब ‘उग्र’, ‘तेजस्वी’, ‘प्रज्वलित होने वाला’ या अंगारे जैसा लाल होता है.
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18 September 2024हाल ही में एक उल्कापिंड पृथ्वी के इतने नजदीक से गुजरा कि उसने धरती वासियों के मन में डर पैदा कर दिया. ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल उठना लाजमी है कि अगर कभी चांद का कोई टुकड़ा टूट कर पृथ्वी की ओर बढ़ा तो धरती पर गिरने में उसे कितना समय लगेगा. चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं. पृथ्वी से चांद की दूरी समझिए चांद का कोई हिस्सा अगर टूट कर पृथ्वी पर गिरता है, तो यह एक बेहद दुर्लभ और विनाशकारी घटना होगी. इस तरह की घटनाओं की संभावना कम है, लेकिन विज्ञान के आधार पर इसका विश्लेषण जरूर किया जा सकता है. दरअसल, चांद पृथ्वी से लगभग 384,400 किलोमीटर दूर है. ऐसे में अगर चांद का कोई टुकड़ा टूट कर पृथ्वी की ओर आने लगता है, तो उस टुकड़े की गति और यात्रा का समय मुख्य रूप से कई कारकों पर निर्भर करेगा. गुरुत्वाकर्षण और वेग में भी है इसका जवाब दरअसल, चंद्रमा की कक्षा में कोई भी वस्तु तब तक स्थिर रहती है, जब तक कि कोई बाहरी बल उस पर प्रभाव नहीं डालता. हालांकि, अगर चांद का कोई टुकड़ा टूटता है और पृथ्वी की ओर बढ़ने लगता है, तो यह पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण के कारण तेजी से आकर्षित होने लगेगा. इस प्रक्रिया को और आसान भाषा में समझने के लिए, हमें यह जानना होगा कि चंद्रमा की कक्षा में कोई भी वस्तु जब पृथ्वी की ओर गिरती है, तो वह लगातार गति प्राप्त करती है. इसे ऐसे समझिए कि पृथ्वी की ओर बढ़ते समय वह टुकड़ा 9.8 मीटर/सेकंड² की दर से गति पकड़ता है, जो कि गुरुत्वाकर्षण बल है. लेकिन, यह दर तब और बढ़ जाती है जब वह पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करता है, क्योंकि उस समय वायुगतिकीय बल भी उस पर काम करने लगता है. नासा से समझिए नासा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरिक्ष से गिरने वाली वस्तुएं आमतौर पर 11 किलोमीटर प्रति सेकंड यानी लगभग 40,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गिरती हैं. चूंकि, चांद की कक्षा पृथ्वी से दूर है तो चंद्रमा के टूटे हुए टुकड़े को पृथ्वी की सतह तक पहुंचने में अधिकतम कुछ घंटों का ही समय लगेगा. इसे और आसान भाषा में समझें तोअगर चांद का टुकड़ा 40,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से पृथ्वी की ओर बढ़ता है, तो उसे 384,400 किलोमीटर की दूरी तय करने में लगभग 9.5 घंटे लगेंगे.
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18 September 2024कल यानी 17 सितंबर को मिडल ईस्ट के लेबनान और सीरीया में एक साथ कई धमाके हुए. यह धमाके अपने आप में बेहद अलग थे. क्योंकि इनके लिए न मिसाइल का इस्तेमाल किया गया था. ना ही ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था. यह सभी अटैक हुए थे पेजर के जरिए. पेजर कोई बम या बिस्फोटक नहीं बम बल्कि एक डिवाइस है जो रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए मैसेज भेजता है और प्राप्त करता है. यह काफी पुरानी टेक्नोलॉजी है. नॉर्मली अब इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर नहीं होता. इसमें इंटरनेट और कॉलिंग की सुविधा नहीं होती. इसीलिए यह वहां भी काम करता है. जहां मोबाइल के नेटवर्क नहीं आते. लेबनान में हिज्बुल्लाह जिसे अमेरिका समेत कई देश आतंकी संगठन घोषित कर चुके हैं. उसके मेंबर्स के पेजर में धमाके हुए हैं. पेजर में PETN के जरिए हुआ धमाका. क्या है यह PETN? क्या RDX से भी ज्यादा खतरनाक होता है? कैसे करते हैं दोनों काम चलिए आपको बताते हैं इन सवालों के जवाब. PETN के जरिए हुए ऐसे हुए धमाके PETN जिसका मतलब pentaerythritol tetranitrate होता है. यह एक केमिकल सब्सटेंस होता है. यह प्लास्टिसाइजर के साथ मिलकर प्लास्टिक एक्सप्लोजन तैयार करता है. दुनिया के सभी प्लास्टिक बम में इसे बेहद खतरनाक कहा जाता है. इसका पता लगाना काफी मुश्किल होता है. इसके आइटम्स बेहद ऑर्गेनाइज्ड होते हैं. इसी वजह से सेंसर भी से पकड़ नहीं पाते. इसका इस्तेमाल अमोनियम नाइट्रेट और पोटेशियम नाइट्रेट के साथ में करते हैं. जिससे विस्फोट और भी भयंकर होता है. लेबनान में हिजबुल्ला के पेजर में हुआ अटैक भी PETN के जरिए किया गया था. न्यूज़ अरबिया की रिपोर्ट के अनुसार इजरायल की सीक्रेट एजेंसी मोसाद ने यह अटैक करवाया था. उसके लिए मोसाद ने पेजर के अंदर बैटरी के ऊपर PETN फिट किया था. जो बैटरी गर्म होने के बाद विस्फोट हुआ. PETN को RDX से भी ज्यादा खतरनाक माना जाता है. RDX ऐसे करता है काम आरडीएक्स एक हाई ग्रेड पावर विस्फोटक होता है. इसे रॉयल डिमोलिशन एक्सप्लोसिव भी कहा जाता है. आपको पुलवामा हमला याद होगा.14 फरवरी साल 2019 को हुए पुलवामा हमले में 40 सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गए थे. इस हमले में आतंकवादियों ने आरडीएक्स का इस्तेमाल किया था. आप इसी बात से आरडीएक्स कितना खतरनाक है इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं. आरडीएक्स में स्मेल नहीं आती है. यानी अगर कोई आपके पास से भी आरडीएक्स ले जाता है. तो आप पहचान नहीं पाएंगे. यह एक सिंथेटिक केमिकल होता है. इसे C4 प्लास्टिक एक्सप्लोसिव और सिमटैक्स में इस्तेमाल किया जाता है. वर्ल्ड वॉर 2 में इसका पहली बार इस्तेमाल किया गया था, आरडीएक्स इतना खतरनाक होता है कि यह लोहे और कंक्रीट को भी पिघला देता है. इसे इस्तेमाल करने के लिए डेटोनेटर की जरूरत होती है. इसके प्रभाव की बात की जाए तो काफी ज्यादा होता है. लेकिन PETN इसके मुकाबले ज्यादा खतरानाक माना जाता है.
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18 September 2024स्वतंत्र भारत में जन्मे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज 74वां जन्मदिन है. गरीबी में पले-बढ़े नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद भी अपने बचपन के दिनों और खासकर हीरा बा को यादकर भावुक हुए हैं. महज 8 साल की उम्र में वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए. चाय बेचकर अपने परिवार की मदद करने से लेकर अध्यात्म की खोज में खुद को तपाया.फिर देश की सेवा में ऐसा जुटे कि देश के शीर्ष पद पर लगातार तीसरी बार विराजमान हुए. नरेंद्र मोदी को पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक जनता का प्यार मिला. उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भाजपा ने ओडिशा से लेकर असम तक पहली बार सरकार बनाई. 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।.पिछले दो कार्यकाल के 10 साल के शासन में पीएम नरेंद्र मोदी ने कई ऐतिहासिक फैसले लेकर दूरदर्शी प्रधानमंत्री की छवि बनाई. ग्लोबल लीडर के रूप में खुद को साबित किया. पीएम मोदी के ये हैं वो 10 फैसले जो भारत के इतिहास में हमेशा याद किए जाएंगे... नरेंद्र मोदी के 10 साल के प्रधानमंत्री कार्यकाल के साथ ही उनके द्वारा लाए गए जन धन योजना के भी 10 साल पूरे हुए. इस योजना की देश के बाहर भी तारीफ की जाती है. इसके अंतर्गत देश में बिना किसी न्यूनतम राशि के अकाउंट खोले गए, जिसमें महिलाओं ने बढ़चढ़ कर भाग लिया. सरकार की पीएमजेडीवाई वेबसाइट के अनुसार अब तक इस योजना के अंतर्गत 53 करोड़ से अधिक बैंक अकाउंट खोले गए हैं, जीरो बैंक बैलेंस सुविधा के बावजूद इसमें अब तक करीब 2,30,000 रुपये जमा हैं. इस एक फैसले ने गरीब से गरीब आदमी के लिए बैंकों के दरवाजे खोल दिए. जनधन योजना के अलावा नमामि गंगे और स्वच्छ भारत अभियान योजनाएं भी काफी सुर्खियां बटोरी, जिसने सफाई अभियान को युद्धस्तर पर लाने का काम किया. नोटबंदी आठ नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था. देश में 500 और 1,000 रुपये के नोट के प्रचलन को बाहर कर दिया गया. इसका मुख्य मकसद काले धन पर अंकुश लगाना, बाजार में चल रहे जाली नोटों से छुटकारा पाना और टेरर फंडिंग को रोकना था. हालांकि, सरकार को इस फैसले के बाद काफी आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा, लेकिन इससे आतंकवाद की कमर टूटी. साथ ही देश डिजिटल हुआ. अब भारत के दूरदूराज के गांवों तक में लोग डिजिटल पेमेंट कर रहे हैं. पूरी दुनिया इस उपलब्धि से हैरान है. मेक इन इंडिया PM मोदी का 74वां जन्मदिन: जानिए भारत को बुलंद बनाने वाले उनके 10 साहसिक फैसलेNarendra Modi Birthday: प्रधानमंत्री मोदी का 74वां जन्मदिन है. इस मौके पर जानिए उनके वो 10 फैसले, जिसने भारत की तस्वीर बदल दी.... PM मोदी का 74वां जन्मदिन: जानिए भारत को बुलंद बनाने वाले उनके 10 साहसिक फैसले पीएम मोदी ने अपने फैसलों से न सिर्फ आम लोगों की बल्कि देश की स्थिति को भी मजबूत किया. PM Modi Birthday: स्वतंत्र भारत में जन्मे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज 74वां जन्मदिन है. गरीबी में पले-बढ़े नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद भी अपने बचपन के दिनों और खासकर हीरा बा को यादकर भावुक हुए हैं. महज 8 साल की उम्र में वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए. चाय बेचकर अपने परिवार की मदद करने से लेकर अध्यात्म की खोज में खुद को तपाया.फिर देश की सेवा में ऐसा जुटे कि देश के शीर्ष पद पर लगातार तीसरी बार विराजमान हुए. नरेंद्र मोदी को पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक जनता का प्यार मिला. उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भाजपा ने ओडिशा से लेकर असम तक पहली बार सरकार बनाई. 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।.पिछले दो कार्यकाल के 10 साल के शासन में पीएम नरेंद्र मोदी ने कई ऐतिहासिक फैसले लेकर दूरदर्शी प्रधानमंत्री की छवि बनाई. ग्लोबल लीडर के रूप में खुद को साबित किया. पीएम मोदी के ये हैं वो 10 फैसले जो भारत के इतिहास में हमेशा याद किए जाएंगे... जनधन योजना नरेंद्र मोदी के 10 साल के प्रधानमंत्री कार्यकाल के साथ ही उनके द्वारा लाए गए जन धन योजना के भी 10 साल पूरे हुए. इस योजना की देश के बाहर भी तारीफ की जाती है. इसके अंतर्गत देश में बिना किसी न्यूनतम राशि के अकाउंट खोले गए, जिसमें महिलाओं ने बढ़चढ़ कर भाग लिया. सरकार की पीएमजेडीवाई वेबसाइट के अनुसार अब तक इस योजना के अंतर्गत 53 करोड़ से अधिक बैंक अकाउंट खोले गए हैं, जीरो बैंक बैलेंस सुविधा के बावजूद इसमें अब तक करीब 2,30,000 रुपये जमा हैं. इस एक फैसले ने गरीब से गरीब आदमी के लिए बैंकों के दरवाजे खोल दिए. जनधन योजना के अलावा नमामि गंगे और स्वच्छ भारत अभियान योजनाएं भी काफी सुर्खियां बटोरी, जिसने सफाई अभियान को युद्धस्तर पर लाने का काम किया. नोटबंदी आठ नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था. देश में 500 और 1,000 रुपये के नोट के प्रचलन को बाहर कर दिया गया. इसका मुख्य मकसद काले धन पर अंकुश लगाना, बाजार में चल रहे जाली नोटों से छुटकारा पाना और टेरर फंडिंग को रोकना था. हालांकि, सरकार को इस फैसले के बाद काफी आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा, लेकिन इससे आतंकवाद की कमर टूटी. साथ ही देश डिजिटल हुआ. अब भारत के दूरदूराज के गांवों तक में लोग डिजिटल पेमेंट कर रहे हैं. पूरी दुनिया इस उपलब्धि से हैरान है. मेक इन इंडिया मेक इन इंडिया मोदी सरकार का एक महत्वपूर्ण क्रांतिकारी विचार रहा है. इसका मकसद भारत को विनिर्माण का केंद्र बनाना और विदेशी कंपनियों द्वारा भारत में निवेश की राहों को आसान बनाना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मई 2014 को मेक इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की. इसके तहत सेना के हथियारों से लेकर खिलौने तक निर्माण भारत में शुरू हुआ. डिजिटल इंडिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया की शुरुआत की. इसका उद्देश्य देश को डिजिटल क्षेत्र में सशक्त बनाना है. इसमें ऑनलाइन बुनियादी ढांचे में सुधार, इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ाना, ग्रामीण इलाकों को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़ना शामिल है। आधार एक्ट मोदी सरकार 2016 में आधार एक्ट लाई. इसके तहत भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) की स्थापना की गई. अगर, इससे जुड़े लाभों की बात करें तो यूआईडीएआई 12 अंकों की आधार संख्या जारी करके नागरिकों को सब्सिडी, लाभ और सेवाएं दी जाती हैं. इससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगी और आम लोगों को सरकार से मिलने वाली मदद के लिए किसी को अब रिश्वत नहीं देना पड़ता. उज्ज्वला योजना पीएम मोदी एक मई 2016 को बलिया से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत की थी. इसका मुख्य उद्देश्य बीपीएल परिवारों को एलपीजी कनेक्शन मुहैया कराना है. योजना के अंतर्गत पात्र परिवारों को गैस कनेक्शन के लिए पैसे नहीं दिए जाते, बल्कि सरकार गैस कंपनी को 1,600 रुपए देती है. इसके तहत लाभार्थियों को सिलेंडर, रेगुलेटर, सुरक्षा नली और डीजीसीसी पुस्तिका दी जाती है. सर्जिकल स्ट्राइक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वपूर्ण फैसलों में 2016 का सर्जिकल स्ट्राइक शामिल है. इसके तहत भारतीय सेना ने 28-29 सितंबर, 2016 में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी. ये 18 सितंबर, 2016 में कश्मीर के उरी में हुए आतंकी हमले के जवाबी कार्रवाई थी, जिसमें हमारे 19 जवान शहीद हुए थे. सर्जिकल स्ट्राइक की सफलता का आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि भारतीय सेना ने बिना केजुअल्टी 38 से अधिक आतंकियों को मार गिराया था. पीएम मोदी सरकार इस दिन 'सर्जिकल स्ट्राइक दिवस' के रूप में नामित किया है. इस फैसले से आतंकवादियों में यह डर बना कि भारत घर में घुसकर भी मार सकता है. जीएसटी मोदी सरकार के प्रमुख फैसलों में जीएसटी को लागू करना शामिल है. मोदी कैबिनेट के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक जुलाई, 2017 को जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) लागू किया. इसके अंतर्गत चार जीएसटी स्लैब 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत को इंट्रोड्यूस किया गया. पीएम की एक और महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत योजना भी उनके महत्वपूर्ण फैसलों में शामिल है. इसके अंतर्गत लाभार्थियों को पांच लाख रुपये तक सालाना मुफ्त इलाज की सुविधा मिलती है. हाल ही में इस क्षेत्र में 70 वर्ष से अधिक आयु वाले सभी लोगों को शामिल किया गया है. आर्टिकल 370 और 35 ए मेक इन इंडिया मोदी सरकार का एक महत्वपूर्ण क्रांतिकारी विचार रहा है. इसका मकसद भारत को विनिर्माण का केंद्र बनाना और विदेशी कंपनियों द्वारा भारत में निवेश की राहों को आसान बनाना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मई 2014 को मेक इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की. इसके तहत सेना के हथियारों से लेकर खिलौने तक निर्माण भारत में शुरू हुआ. डिजिटल इंडिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया की शुरुआत की. इसका उद्देश्य देश को डिजिटल क्षेत्र में सशक्त बनाना है. इसमें ऑनलाइन बुनियादी ढांचे में सुधार, इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ाना, ग्रामीण इलाकों को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़ना शामिल है। आधार एक्ट PM मोदी का 74वां जन्मदिन: जानिए भारत को बुलंद बनाने वाले उनके 10 साहसिक फैसलेNarendra Modi Birthday: प्रधानमंत्री मोदी का 74वां जन्मदिन है. इस मौके पर जानिए उनके वो 10 फैसले, जिसने भारत की तस्वीर बदल दी.... PM मोदी का 74वां जन्मदिन: जानिए भारत को बुलंद बनाने वाले उनके 10 साहसिक फैसले पीएम मोदी ने अपने फैसलों से न सिर्फ आम लोगों की बल्कि देश की स्थिति को भी मजबूत किया. PM Modi Birthday: स्वतंत्र भारत में जन्मे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज 74वां जन्मदिन है. गरीबी में पले-बढ़े नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद भी अपने बचपन के दिनों और खासकर हीरा बा को यादकर भावुक हुए हैं. महज 8 साल की उम्र में वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए. चाय बेचकर अपने परिवार की मदद करने से लेकर अध्यात्म की खोज में खुद को तपाया.फिर देश की सेवा में ऐसा जुटे कि देश के शीर्ष पद पर लगातार तीसरी बार विराजमान हुए. नरेंद्र मोदी को पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक जनता का प्यार मिला. उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भाजपा ने ओडिशा से लेकर असम तक पहली बार सरकार बनाई. 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।.पिछले दो कार्यकाल के 10 साल के शासन में पीएम नरेंद्र मोदी ने कई ऐतिहासिक फैसले लेकर दूरदर्शी प्रधानमंत्री की छवि बनाई. ग्लोबल लीडर के रूप में खुद को साबित किया. पीएम मोदी के ये हैं वो 10 फैसले जो भारत के इतिहास में हमेशा याद किए जाएंगे... जनधन योजना नरेंद्र मोदी के 10 साल के प्रधानमंत्री कार्यकाल के साथ ही उनके द्वारा लाए गए जन धन योजना के भी 10 साल पूरे हुए. इस योजना की देश के बाहर भी तारीफ की जाती है. इसके अंतर्गत देश में बिना किसी न्यूनतम राशि के अकाउंट खोले गए, जिसमें महिलाओं ने बढ़चढ़ कर भाग लिया. सरकार की पीएमजेडीवाई वेबसाइट के अनुसार अब तक इस योजना के अंतर्गत 53 करोड़ से अधिक बैंक अकाउंट खोले गए हैं, जीरो बैंक बैलेंस सुविधा के बावजूद इसमें अब तक करीब 2,30,000 रुपये जमा हैं. इस एक फैसले ने गरीब से गरीब आदमी के लिए बैंकों के दरवाजे खोल दिए. जनधन योजना के अलावा नमामि गंगे और स्वच्छ भारत अभियान योजनाएं भी काफी सुर्खियां बटोरी, जिसने सफाई अभियान को युद्धस्तर पर लाने का काम किया. नोटबंदी आठ नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था. देश में 500 और 1,000 रुपये के नोट के प्रचलन को बाहर कर दिया गया. इसका मुख्य मकसद काले धन पर अंकुश लगाना, बाजार में चल रहे जाली नोटों से छुटकारा पाना और टेरर फंडिंग को रोकना था. हालांकि, सरकार को इस फैसले के बाद काफी आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा, लेकिन इससे आतंकवाद की कमर टूटी. साथ ही देश डिजिटल हुआ. अब भारत के दूरदूराज के गांवों तक में लोग डिजिटल पेमेंट कर रहे हैं. पूरी दुनिया इस उपलब्धि से हैरान है. मेक इन इंडिया मेक इन इंडिया मोदी सरकार का एक महत्वपूर्ण क्रांतिकारी विचार रहा है. इसका मकसद भारत को विनिर्माण का केंद्र बनाना और विदेशी कंपनियों द्वारा भारत में निवेश की राहों को आसान बनाना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मई 2014 को मेक इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की. इसके तहत सेना के हथियारों से लेकर खिलौने तक निर्माण भारत में शुरू हुआ. डिजिटल इंडिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया की शुरुआत की. इसका उद्देश्य देश को डिजिटल क्षेत्र में सशक्त बनाना है. इसमें ऑनलाइन बुनियादी ढांचे में सुधार, इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ाना, ग्रामीण इलाकों को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़ना शामिल है। आधार एक्ट मोदी सरकार 2016 में आधार एक्ट लाई. इसके तहत भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) की स्थापना की गई. अगर, इससे जुड़े लाभों की बात करें तो यूआईडीएआई 12 अंकों की आधार संख्या जारी करके नागरिकों को सब्सिडी, लाभ और सेवाएं दी जाती हैं. इससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगी और आम लोगों को सरकार से मिलने वाली मदद के लिए किसी को अब रिश्वत नहीं देना पड़ता. उज्ज्वला योजना पीएम मोदी एक मई 2016 को बलिया से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत की थी. इसका मुख्य उद्देश्य बीपीएल परिवारों को एलपीजी कनेक्शन मुहैया कराना है. योजना के अंतर्गत पात्र परिवारों को गैस कनेक्शन के लिए पैसे नहीं दिए जाते, बल्कि सरकार गैस कंपनी को 1,600 रुपए देती है. इसके तहत लाभार्थियों को सिलेंडर, रेगुलेटर, सुरक्षा नली और डीजीसीसी पुस्तिका दी जाती है. सर्जिकल स्ट्राइक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वपूर्ण फैसलों में 2016 का सर्जिकल स्ट्राइक शामिल है. इसके तहत भारतीय सेना ने 28-29 सितंबर, 2016 में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी. ये 18 सितंबर, 2016 में कश्मीर के उरी में हुए आतंकी हमले के जवाबी कार्रवाई थी, जिसमें हमारे 19 जवान शहीद हुए थे. सर्जिकल स्ट्राइक की सफलता का आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि भारतीय सेना ने बिना केजुअल्टी 38 से अधिक आतंकियों को मार गिराया था. पीएम मोदी सरकार इस दिन 'सर्जिकल स्ट्राइक दिवस' के रूप में नामित किया है. इस फैसले से आतंकवादियों में यह डर बना कि भारत घर में घुसकर भी मार सकता है. जीएसटी मोदी सरकार के प्रमुख फैसलों में जीएसटी को लागू करना शामिल है. मोदी कैबिनेट के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक जुलाई, 2017 को जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) लागू किया. इसके अंतर्गत चार जीएसटी स्लैब 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत को इंट्रोड्यूस किया गया. पीएम की एक और महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत योजना भी उनके महत्वपूर्ण फैसलों में शामिल है. इसके अंतर्गत लाभार्थियों को पांच लाख रुपये तक सालाना मुफ्त इलाज की सुविधा मिलती है. हाल ही में इस क्षेत्र में 70 वर्ष से अधिक आयु वाले सभी लोगों को शामिल किया गया है. आर्टिकल 370 और 35 ए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के शुरुआत में साहसिक फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35ए द्वारा राज्य को दिए विशेष दर्जे को हटा दिया. पांच अगस्त 2019 को किए इस फैसले लेने के बाद भाजपा सरकार ने इसको ऐतिहासिक भूल को ठीक करने वाला ऐतिहासिक कदम बताया था. इस कदम से जम्मू कश्मीर के लोगों को भेदभाव से छूटकारा मिला और एक देश, एक संविधान लागू हुआ. सीएए कई वर्षों से भाजपा के एजेंडे में लगे सीएए को लेकर मोदी सरकार नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 लाई. इसका मुख्य मकसद पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम धर्मों के लोगों भारतीय नागरिकता देना है. नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने के लिए एक विशेष प्रावधान मौजूद है. यह विशेष रूप से उन कुछ व्यक्तियों के लिए है, जो 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं और हिंदू या सिख या बौद्ध या जैन या पारसी या ईसाई समुदाय से हैं.
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17 September 20247 सितंबर को गणेश चतुर्थी से शुरू हुआ गणेश उत्सव अब समापन की ओर है. 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर बप्पा की विदाई होगी, गणेश विसर्जन किया जाएगा. इस दिन गणपति जी (Ganesh ji) अपने लोक लौट जाते हैं. गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है. इनकी कृपा से जीवन में सुख समृद्धि और करियर में अच्छी तरक्की मिलती है. अगर आपने भी घर में गणपति जी की स्थापना की है तो अनंत चतुर्थी पर विधि अनुसार और शुभ मुहूर्त में बप्पा को विदा करें. जानें अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन का मुहूर्त. अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन के 4 शुभ मुहूर्त प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - सुबह 09:11 - दोपहर 01:47 अपराह्न मुहूर्त (शुभ) - दोपहर 03:19 - शाम 04:51 सायाह्न मुहूर्त (लाभ) - रात 07:51 - रात 09:19 रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) - रात 10:47 - सुबह 03:12, सितम्बर 18 घर में गणेश विसर्जन कैसे करें जिस तरह हम घर से अपने परिवार के सदस्य को यात्रा पर जाने से पहले खुशी-खुशी विदा करते हैं वैसे ही गणपति जी की विदाई में भी बिल्कुल ऐसा ही व्यवहार करें. आदरपूर्वक, विनम्र भाव से पूजा के दौरान जाने-अनजाने में हुई गलती की माफी मांगे और फिर उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें. बप्पा की विदाई नदी, झील, तालाब में विसर्जित करने की जगह घर पर ही विसर्जन कर सकते हैं. गणेश विसर्जन वाले दिन बप्पा की विधिवत पूजा करें, कुमकुम हल्दी, मेहंदी, मोदक, पुष्प आदि चढ़ाएं. आरती करें. गणपति के साइज को ध्यान में रखते हुए एक बाल्टी या टब लें. इसे अच्छे से साफ कर लें. बाल्टी में इतना पानी डालें कि गणपति विसर्जित हो जाएं. बप्पा की मूर्ति पूरी तरह से पानी में घुल जाने के बाद इस पानी को गमले में डाल दें. बप्पा की मूर्ति की मिट्टी में पौधे का बीज लगा सकते हैं. जब गणपति को विसर्जन के लिए ले जाएं, तब उन सारी चीजों को पोटली में बांध दें और गणेश जी के साथ ही विसर्जित कर दें. ध्यान गणेश जी की मूर्ति हो या प्रतिमा, इन्हें पानी में धीरे-धीरे विसर्जित करें. एकदम से छोड़ें या पटकें नहीं.
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17 September 2024दुनियाभर में शादी की अलग-अलग परंपराएं होती हैं. जिनमें से कुछ परंपराएं तो ऐसी होती हैं कि लोगों को सोचने पर मजबूर कर देती हैं. ऐसे में हम आपको शादी की एक ऐसी परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे जानकर ही आप हैरान रह जाएंगे. दरअसल इस देश में शादी के लिए दुल्हन को अनोखी परंपरा से गुजरना पड़ता है. इस दिलचस्प परंपरा में दुल्हन पर लोग टमाटर और अंडे फेंकते हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर ये किस देश में ये परंपरा होती है. यहां दुल्हन पर फेंके जाते हैं टमाटर और अंडे यदि आपसे कहा जाए कि शादी से पहले आपके ऊपर सड़े अंडें और टमाटर बरसाए जाएंगे तो आपको बहुत अजीब लगेगा. आप कहेंगे कि ऐसा करने से पार्लर में खर्च किए सारे पैसे वेस्ट हो जाएंगे. लेकिन एक देश ऐसा भी है जहां पर शादी से पहले हल्दी-चंदन की बजाए दूल्हा-दुल्हन पर सड़े टमाटर, सड़े अंडे और मछली जैसी गंदी चीजें फेंकी जाती हैं. जी हां, स्कॉटलैंड में शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन को एक पेड़ से बांध दिया जाता है और फिर उनके ऊपर चॉकलेट सीरप, दूध, आटा, सड़े अंडे, सड़े टमाटर और सड़ी हुई मछलियां डाली जाती हैं. क्या है इसकी पीछे की मान्यता? बता दें इस रस्म को निभाने के पीछे लोगों की मान्यता है कि इससे दूल्हा- दुल्हन को बुरी ताकतों से बचाया जाता है. यदि शादी से पहले वो इन सभी चीजों का सामना करते हुए खुद को संभाल लेते हैं, तो जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना भी आसानी से कर लेंगे. हालांकि ये रस्म पूरे स्कॉटलैंड में नहीं निभाई जाती है बल्कि यहां के कुछ ही हिस्सों में इस पंरपरा को निभाया जाता है. यह परंपरा कई संस्कृतियों में देखने को मिलती है, लेकिन इसकी व्याख्या और महत्व अलग-अलग हो सकता है. ग्रीक संस्कृति में ये परंपरा बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए की जाती है. कुछ अन्य संस्कृतियों में इसे दुल्हन की सुंदरता और स्वास्थ्य की रक्षा के रूप में देखा जाता है.
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17 September 2024हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी पर्व का विशेष महत्व है. इसमें सृष्टि के संचालक भगवान श्रीहरि विष्णु (Lord Vishnu) के अनंत रूप की पूजा होती है. इसलिए इसे अनंत चौदस भी कहते हैं. साथ ही अनंत चतुर्दशी के दिन ही 10 दिवसीय गणेशोत्सव (Ganeshotsav) की समाप्ति होती है और गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन (Ganesh Visarjan 2024) किया जाता है. अनंत चतुर्दशी 2024 कब (Anant Chaturdashi 2024 Date) पंचांग (Panchang) के मुताबिक अनंत चतुर्दशी का पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. इस साल यह तिथि मंगलवार 17 सितंबर 2024 को पड़ रही है. चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 16 सितंबर दोपहर 03:10 से शुरू हो जाएगी, जिसका समापन 17 सितंबर को सुबह 11:44 पर होगा. ऐसे में 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी की पूजा होगी. मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने वाले जातकों के जीवन में खुशियों का आगमन होता है और समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है. लेकिन क्या आप जानते हैं अनंत चतुर्दशी के पर्व का खास महत्व 14 गांठ वाले अनंत सूत्र (Ananta Sutra), महाभारत काल (Mahabharat) और प्रसिद्ध नीम करोली बाबा (Baba Neem Karoli) से जुड़ा हुआ है. आइये जानते हैं इसके बारे में- महाभारत काल से अनंत चतुर्दशी का संबंध (Anant Chaturdashi Mahabhart Katha in Hindi) अनंत चतुर्दशी का महाभारत (Mahabharat) से खास संबंध है, क्योंकि इसकी शुरुआत महाभारत काल से ही मानी जाती है. कथा के अनुसार, जब पांडव जुए में कौरवों से हार गए थे तो इसके बाद उन्हें अपने राजपाट का त्याग कर बहुत कष्ट झेलना पड़ा. एक दिन युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण (Shri Krishna) ने इस कष्ट से मुक्ति पाने और राजपाट वापस पाने का उपाय पूछा. श्रीकृष्ण ने कहा, हे युधिष्ठिर! तुम सभी जन विधिपूर्वक अनंत भगवान का व्रत रखकर पूजा करो. इससे तुम्हारा सारे कष्ट दूर हो जाएंगे और खोया राजपाट भी फिर से प्राप्त हो जाएगा. तब युधिष्ठिर ने कृष्ण से पूछा कि, अनंत भगवान कौन हैं? श्रीकृष्ण ने कहा- अनंत भगवान श्रीविष्णु के ही रूप हैं. चातुर्मास (Chaturmas 2024) की अवधि में भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर अनंत शयन में रहते हैं. श्रीकृष्ण के कहने पर युधिष्ठिर ने सपरिवार अनंत चतुर्दशी का व्रत किया और अनंत देव की पूजा की. व्रत के प्रभाव से उन्हें न सिर्फ खोया हुआ राजपाट फिर से प्राप्त हुआ बल्कि पांडव महाभारत युद्ध (Mahabharat War) में भी विजयी हुए. अनंत चतुर्दशी पर क्यों बांधते हैं 14 गांठ वाला सूत्र (Why do we tie 14 knotted sutra on Anant Chaturdashi) अनंत चतुर्दशी की पूजा में 14 गांठ वाला एक सूत्र बांधने का महत्व है. यह रेशम या कपास का बना होता है, जिसे बाजू में बांधा जाता है. इस 14 गांठ वाले सूत्र को विष्णु जी के 14 रूप (अनंत, ऋषिकेश, पद्मनाभ, माधव, वैकुण्ठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर और गोविन्द) का प्रतीक माना जात है. 14 लोक की रचना के बाद इसके पालन और संरक्षण के लिए भगवान विष्णु इन्हीं 14 रूपों में प्रकट हुए थे. वहीं शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि अनंत रक्षासूत्र के 14 गांठ इन 14 लोकों ( भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक, ब्रह्मलोक, अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल, महातल और पाताल लोक) का प्रतिनिधित्व करते हैं. नीम करोली बाबा और अनंत चतुर्दशी पर्व का संबंध (Neem Karoli Baba and Anant Chaturdashi Connection) दिव्य पुरुष, महान योगीराज और भगवान हनुमान (Hanuman Ji) के परम भक्त नीम करोली बाबा (Neem Karoli Bapa) को शायद ही कोई ऐसा होगा, जो नहीं जानता होगा. उत्तराखंड स्थित कैंची धाम (Kainchi Dham) में बाबा नीम करोली का आश्रम है. अनंत चतुर्दशी के दिन से बाबा नीम करोली का भी खास संबंध है. वैसे तो नीम करोली महाराज की मृत्यु 11 सितंबर 1973 में हुई थी. लेकिन कहा जाता है कि, जिस दिन बाबा ने अपने प्राण त्यागे थे उस दिन अनंत चतुर्दशी थी.
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16 September 20247 सितंबर को गणेश चतुर्थी (Ganesh chaturthi) से शुरू हुआ गणेश उत्सव अब समापन की ओर है. 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी (Anant chaturdashi) पर बप्पा की विदाई होगी, गणेश विसर्जन किया जाएगा. इस दिन गणपति जी (Ganesh ji) अपने लोक लौट जाते हैं. गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है. इनकी कृपा से जीवन में सुख समृद्धि और करियर में अच्छी तरक्की मिलती है. अगर आपने भी घर में गणपति जी की स्थापना की है तो अनंत चतुर्थी पर विधि अनुसार और शुभ मुहूर्त में बप्पा को विदा करें. जानें अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन का मुहूर्त. अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन के 4 शुभ मुहूर्त (Ganesh Visarjan 2024 Auspicious Time) प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - सुबह 09:11 - दोपहर 01:47 अपराह्न मुहूर्त (शुभ) - दोपहर 03:19 - शाम 04:51 सायाह्न मुहूर्त (लाभ) - रात 07:51 - रात 09:19 रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) - रात 10:47 - सुबह 03:12, सितम्बर 18 घर में गणेश विसर्जन कैसे करें जिस तरह हम घर से अपने परिवार के सदस्य को यात्रा पर जाने से पहले खुशी-खुशी विदा करते हैं वैसे ही गणपति जी की विदाई में भी बिल्कुल ऐसा ही व्यवहार करें. आदरपूर्वक, विनम्र भाव से पूजा के दौरान जाने-अनजाने में हुई गलती की माफी मांगे और फिर उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें. बप्पा की विदाई नदी, झील, तालाब में विसर्जित करने की जगह घर पर ही विसर्जन कर सकते हैं. गणेश विसर्जन वाले दिन बप्पा की विधिवत पूजा करें, कुमकुम हल्दी, मेहंदी, मोदक, पुष्प आदि चढ़ाएं. आरती करें. गणपति के साइज को ध्यान में रखते हुए एक बाल्टी या टब लें. इसे अच्छे से साफ कर लें. बाल्टी में इतना पानी डालें कि गणपति विसर्जित हो जाएं. बप्पा की मूर्ति पूरी तरह से पानी में घुल जाने के बाद इस पानी को गमले में डाल दें. बप्पा की मूर्ति की मिट्टी में पौधे का बीज लगा सकते हैं. जब गणपति को विसर्जन के लिए ले जाएं, तब उन सारी चीजों को पोटली में बांध दें और गणेश जी के साथ ही विसर्जित कर दें. ध्यान गणेश जी की मूर्ति हो या प्रतिमा, इन्हें पानी में धीरे-धीरे विसर्जित करें. एकदम से छोड़ें या पटकें नहीं.
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16 September 2024भारत के सभी राज्यों की अपनी खासियत और संस्कृति है. इनमें से कुछ राज्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओँ पर हैं, जिस कारण यहां पर सुरक्षाबल ज्यादा चौकन्नें रहते हैं. लेकिन आज हम आपको उत्तर प्रदेश के एक ऐसे जिला के बारे में बताएंगे, जिस जिले का बॉर्डर चार राज्यों से लगता है. जी हां, हम आज जिस जिले के बारे में बात करने वाले हैं, इसके 4 चारों तरफ 4 अलग-अलग राज्यों का बॉर्डर लगता है. भारत भारत में अच्छे सड़क मार्ग और ट्रेन कनेक्टिविटी के कारण कोई भी इंसान बहुत आसानी से एक राज्य से दूसरे राज्य सड़क और ट्रेन/वायु मार्ग से जा सकता है. हालांकि सभी राज्यों की अपनी सरकार और उनका नियम होता है. जिस कारण राज्यों के बॉर्डर पर चेंकिंग की जाती है. वहीं कुछ राज्यों में शराब पर पाबंदी लगा हुआ है, जिसके कारण भी बॉर्डर पर सख्त जांच होता है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे जिला के बारे में बताने वाले हैं, जिस जिले के चारों तरफ कहीं पर भी निकलने पर आप किसी दूसरे राज्य में प्रवेश कर सकते हैं. क्योंकि इस जिले के चारों तरफ 4 अलग-अलग राज्य हैं. किस राज्य में ये जिला अब सवाल यह है कि भारत में यह अनोखा जिला किस राज्य में स्थित है. बता दें कि भारत का यह जिला उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है. उत्तर प्रदेश राज्य भारत में इकलौता राज्य है, जिसमें सबसे अधिक यानि 75 जिले हैं. उत्तर प्रदेश को भारत का सबसे अधिक जिलों वाला राज्य कहा जाता है. यहां हर जिले की अपनी कहानी और इतिहास है. लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि उत्तर प्रदेश का कौन सा जिला 4 राज्यों के साथ बॉर्डर साझा करता है. बता दें कि उत्तर प्रदेश राज्य में सोनभद्र जिला एक ऐसा जिला है, जो कि 4 राज्यों के साथ सीमा साझा करता है. यह जिला उत्तर प्रदेश राज्य में ही दक्षिणपूर्व में पड़ता है, जो कि उत्तर-पश्चिम में मिर्जापुर, उत्तर में चंदौली, बिहार के कैमूर और रोहतास जिला, झारखंड में गढ़वा,कोरिया और सर्गुजा जिले से सीमा साझा करता है. वहीं दक्षिण में छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले से सीमा साझा करता है. यह एक औद्योगिक क्षेत्र भी है, जहां पर आपको बॉक्साइट, चूना पत्थर, सोना और कोयला जैसे खनिज मिलते हैं. कहां पूछा गया ये सवाल बता दें कि इस तरह के प्रश्न परीक्षाओं में भी पूछे जाते हैं. लेकिन ये प्रश्न कुछ समय पहले देश के लोकप्रिय शो कौन बनेगा करोड़पति में भी पूछा गया था. दरअसल सवाल में पूछा गया था कि भारत का कौन-सा जिला चार राज्यों के साथ सीमा साझा करता है. वहीं इस सवाल की पुरस्कार राशि 50 लाख रुपये रखी गई थी. बता दें कि सोनभद्र जिला भारत का दूसरा सबसे बड़ा जिला भी है.
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16 September 2024दिल्ली में लोक कल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री आवास में एक गाय ने बछिया को जन्म दिया है। पीएम मोदी ने शनिवार (14 सितंबर) को X पर इसकी जानकारी दी। उन्होंने बछिया को दुलार करते हुए अपना एक वीडियो भी शेयर किया है। कैप्शन में उन्होंने लिखा, 'हमारे शास्त्रों में कहा गया है- गाव: सर्वसुख प्रदा:। लोक कल्याण मार्ग पर प्रधानमंत्री आवास परिवार में एक नए सदस्य का शुभ आगमन हुआ है। प्रधानमंत्री आवास में गौ माता ने एक नव वत्सा को जन्म दिया है, जिसके मस्तक पर ज्योति का चिह्न है। इसलिए, मैंने इसका नाम दीपज्योति रखा है।' राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास का लॉन। मकर संक्रांति पर खिली धूप में PM मोदी कुछ गायों से घिरे हुए हैं। उनके हाथ में तिल-गुड़ और हरा चारा है। वो गायों को खिला रहे हैं और उन्हें दुलार रहे हैं। जिसने भी ये वीडियो देखा उसका ध्यान छोटी-छोटी गायों की तरफ जरूर गया। ये आंध्र प्रदेश की पुंगनूर गायें हैं। संकटग्रस्त नस्ल की कैटेगरी में आने वाली इन गायों की कीमत 3 से 20 लाख रुपए के बीच है। इनके दूध में कई औषधीय गुण होते हैं। इन गायों का जिक्र पुराणों में भी मिलता है। लगभग खत्म हो चुकी इन गायों को 2019 में नया जीवन मिला।
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14 September 2024दुनिया में ऐसी कई जगहे हैं जो या अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती हैं या फिर अजीब स्थिति के लिए, लेकिन क्या आप एक ऐसे देश के बारे में जानते हैं जिसे सुनसान होने के लिए जाना जाता है. जी हां, सुनने में ये थोड़ा अजीब लग रहा होगा, लेकिन ये सच है. मंगोलिया एक ऐसा देश है जो इसलिए जाना जाता है कि वो सुनसान देश है. दरअसल इस देश की जनसंख्या काफी कम है, ऐसे में इस देश में दो व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर (छह व्यक्ति प्रति वर्ग मील) है. उत्तर-मध्य एशिया में स्थित ये विशाल और खूबसूरत देश अपने विशाल भूमि क्षेत्र की अपेक्षा कम जनसंख्या घनत्व के कारण 99.7 प्रतिशत खाली है. मंगोलिया में ये है खास मंगोलिया का भौगोलिक क्षेत्र बहुत बड़ा और अलग-अलग तरह का है, जो लगभग 1.56 मिलियन वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. ये देश चीन और रूस के बीच स्थित है. इसके उत्तरी सीमा पर रूस और दक्षिणी सीमा पर चीन से जुड़ा है. इसकी भौगोलिक स्थिति इसे एक जरुरी क्षेत्रीय दृष्टिकोण देती है, लेकिन इसके साथ ही ये देश दूसरे देशों की तुलना में काफी सुनसान है. दरअसल इसके पीछे का खास कारण मंगोलिया की जलवायु भी है. यह देश एक शुष्क और ठंडी जलवायु का सामना करता है, जिसमें सर्दी की बहुत ज्यादा होती है. यहां सर्दियों में तापमान -40 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है, जबकि गर्मियों में तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है. मंगोलिया का मौसम खासतौर पर दो मौसमों में बंटा होता है गर्मी और सर्दी, और यहां बारिश की मात्रा भी काफी कम होती है. कितनी है देश की जनसंख्या? मंगोलिया की जनसंख्या घनत्व बहुत कम है. देश की कुल जनसंख्या लगभग 3 मिलियन के आसपास है और इसकी जनसंख्या घनत्व सिर्फ 2 लोगों प्रति वर्ग किलोमीटर है. इसका बड़ा हिस्सा काउबॉय संस्कृति और खानाबदोश जीवनशैली से जुड़ा हुआ है. इस देश में बहुत सारे लोगों की जीवनशैली पारंपरिक है और वो खासतौर पर घुमंतू पशुपालकों के रूप में रहते हैं. वहीं दूसरी ओर मंगोलिया की अर्थव्यवस्था खासतौर पर खनन, पशुपालन, और कृषि पर आधारित है. देश में तांबा, कोयला और सोना जैसे खनिज संसाधनों का प्रचुर मात्रा में भंडार है. हालांकि देश की अपेक्षाकृत कम जनसंख्या और विशाल क्षेत्रफल के कारण, इसकी अर्थव्यवस्था दूसरे देशों की तुलना में कम विकसित है. मंगोलिया के दूरदराज क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की कमी और निर्जनता इसे एक बहुत ही परेशानी भरी जगह बनाते है.
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14 September 2024शनि देव सदैव अपनी दृष्टि झुकाए रहते हैं, वे किसी पर सीधी दृष्टि नहीं डालते हैं. इसी कारण शनि की दृष्टि की सबसे अधिक बात होती है. कई पौराणिक कथाओं में शनि की दृष्टि को अनिष्टकारी बताया गया है. कहते हैं कि शनि (Shani Dev) की नजर जिस पर पड़ जाती है, उसका बुरा समय निकट आ जाता है. भगवान शिव पर पड़ी तो उन्हें देवता के पशु बनना पड़ गया. भगवान राम पर पड़ी तो 14 वर्ष का वनवास झेलना पड़ा. रावण पर जब शनि की दृष्टि पड़ी तो उसकी बुद्धि खराब कर दी. सत्यवादी राजा हरिशचंद्र पर पड़ी तो पूरा राजपाट चला गया पत्नी बच्चे सब बिछड़ गए. यही कारण है कि शनि के नाम मात्र से ही लोग कांपने लगते हैं. पसीने छूटने लगते हैं. लेकिन शनि हमेशा खराब फल देते हैं? ऐसा कतई नहीं है. शनि किन लोगों को माफ नहीं करते हैं. इसे जानना बहुत आवश्यक है. शनि देव कहते हैं 'दुर्बल को न सताइये' कबीर का एक दोहा है- दुर्बल को न सताइये, जाकी मोटी हाय। मरी खाल की सांस से, लोह भसम हो जाय. इस दोहे का अर्थ है कि कभी भी कमजोर का नहीं सताना चाहिए. जो लोग दुर्बल को सताते हैं वे इनकी हाय लेते हैं, दुर्बल की बदुआ से लोहा भी भस्म हो जाता है. इंसान की तो बिसात ही क्या है. सत्ता, शक्ति और अहंकार में जो लोग डूब जाते हैं और कमजोरों को सताने लगाते हैं. उन पर अत्याचार करने लगते हैं. उनके परिश्रम का फल हड़प लेते हैं. मांगने पर परेशान करते हैं. उन्हें यातनाएं देते हैं. कलियुग के न्यायाधीश शनि देव उन्हें कभी माफ नहीं करते हैं. शनि महाराज ऐसे लोगों को कठोर से कठोर दंड देते हैं. इसलिए किसी भी परिस्थिति में निर्बल को नहीं सताना चाहिए. अक्सर सोशल मीडिया और न्यूज में अक्सर खबरें आती है कि किसी ने ऑटो या रिक्शे वाले के साथ मारपीट कर दी. किसी ने मजदूर के साथ गलत कर दिया. जो लोग ऐसा कृत्य करते हैं, शनि देव (Shani Dev) उन्हें माफ नहीं करते हैं और उसे दंड देते हैं. इसलिए कभी गरीब, मजदूर और कमजोर वर्ग के लोगों को नहीं सताना चाहिए क्योंकि ये सभी शनि के प्रिय हैं. अत:इस बात को कभी नहीं भूलना चाहिए- दुखिया को न सताइए, दुखिया देगा रोय जब दुखिया के मुखिया सुने तो तेरी गति क्या होय।।
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14 September 2024भारत की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी में हाल ही में अमेरिका दौरे पर भारत में आरक्षण को लेकर वक्तव्य दिया. बीजेपी के नेताओं ने राहुल गांधी के इस वक्तव्य की आलोचना की. अगर भारत में आरक्षण बात की जाए तो इसकी कहानी 100 साल से भी ज्यादा पुरानी है. तब से लेकर अबतक आरक्षण के प्रारूप बदले आरक्षण के नियम बदले. आप आए दिन देखते होंगे आरक्षण को लेकर कई जगह आंदोलन भी होते रहते हैं. ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल आता है. क्या सिर्फ भारत में ही आरक्षण को लेकर व्यवस्था है या दुनिया के और भी देश अपने राज्य के नागरिकों के लिए आरक्षण की व्यवस्था करते हैं. क्या अमेरिका में भी लोगों को आरक्षण दिया जाता है. क्या है अमेरिका में नौकरी देने का आधार. पर आपके मन में भी यह सब सवाल आते हैं तो आज हम आपको इन सवालों के जवाब देंगे. अमेरिका में भी दिया जाता है आरक्षण अमेरिका दुनिया के विकसित देशों में से एक है. कहना गलत नहीं होगा कि अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर और सबसे संपन्न देश है. भारत में आरक्षण को लेकर आए दिन सुर्खियां बनती रहती हैं. हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी जब अमेरिका गए तो उन्होंने आरक्षण को लेकर के भी बात कही. बता दें आरक्षण सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के और देशों में भी है. जिसमें अमेरिका का भी नाम शामिल हैं. हांलाकि अमेरिका में आरक्षण का प्रारूप थोड़ा अलग है. अमेरिका में आरक्षण को एफर्मेटिव एक्शन कहा जाता है. यह जातीय स्तर पर नहीं होता. बल्कि नस्लीय रूप से भेदभाव झेलने वाले अश्वेत लोगों को बराबर के मौके देने के लिए कई जगहों पर एक्स्ट्रा नंबर्स दिए जाते हैं. अमेरिका के मीडिया क्षेत्र में और फिल्मी क्षेत्र में काम कर रहे अश्वेत कलाकारों भी आरक्षण दिया जाता है. नौकरियों को लेकर नहीं है अलग से आरक्षण जैसा कि हमने आपको बताया अमेरिका में आरक्षण को एफर्मेटिव एक्शन कहा जाता है. और यह नस्लीय भेदभाव झेल चुके अश्वेत लोगों को अलग-अलग जगहों पर समाज में बराबर की भागीदारी के लिए आरक्षण दिया जाता है. लेकिन वही अगर बाकी अन्य नौकरियों की बात की जाए. तो वहां इस तरह के आरक्षण को लेकर अलग से कोई प्रावधान नहीं है. यानी अमेरिका में मेरिट बेस्ड सिलेक्शन होता है. जो लोग किसी नौकरी को पाने के लिए अप्लाई करते हैं. उसका टेस्ट देते हैं. और बाकी के ड्यू प्रोसेस को फॉलो करने के बाद लोगों को नौकरियां मिलती हैं.
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13 September 2024खराब खानपान और लाइफस्टाइल की वजह से डायबिटीज का खतरा बढ़ रहा है. बहुत से लोगों को लगता है कि ज्यादा मीठा खाने से डायबिटीज की बीमारी होती है लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि डायबिटीज का संबंध मीठा खाने से है ही नहीं. कई लोग जो बहुत ज्यादा मीठा खाते हैं, उन्हें डायबिटीज (Diabetes) नहीं होती, जबकि कुछ लोग जो बिल्कुल मीठा नहीं खाते डायबिटीज की चपेट में आ जाते हैं. दरअसल, डायबिटीज इन्सुलिन की कमी या इन्सुलिन रेजिस्टेंस के कारण होती है, न की मीठा खाने से लेकिन इसका मतलब बिल्कुल भी नहीं कि ढेर सारा शुगर ही खा लिया जाए. डायबिटीज के मरीजों को तो इसका खास ख्याल रखना चाहिए. डायबिटिक लोगों को मीठा के अलावा कुछ अन्य फूड्स से भी परहेज करना चाहिए, वरना उनके लिए खतरनाक हो सकता है. डायबिटीज मरीज न खाएं ये चीज 1. बहुत ज्यादा नमक नमक ज्यादा खाने से हाई ब्लड प्रेशर काफी ज्यादा बढ़ सकता है और डायबिटीज की बीमारी खतरनाक रूप ले सकती है. डायबिटीज हो या नहीं लेकिन डेली लाइफ में सोडियम यानी नमक का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए. स्नैक्स जैसे आलू के चिप्स, फ्रेंच फ्राइज में ज्यादा नमक नुकसानदायक होता है. 2. मैदा शुगर के मरीजों को रिफाइंड आटे से भी बचना चाहिए, क्योंकि शरीर के अंदर यह आटा जाकर तेजी से ग्लूकोज में बदल जाता है और ब्लड शुगर लेवल को काफी अधिक बढ़ा देता है. रिफाइंड आटा यानी मैदा से बनी कोई चीज नहीं खानी चाहिए. 3. फ्राईड फूड्स डायबिटीज के मरीजों को फ्राईड फूड्स से भी दूरी बनानी चाहिए. इनमें फैट की मात्रा ज्यादा होती है, जब फैट धीरे-धीरे पचता है तो ब्लड शुगर को बढ़ा सकता है. इससे डायबिटिक लोगों को कई समस्याएं हो सकती हैं. 4. शराब डायबिटीज में शराब को हाथ भी नहीं लगानी चाहिए. यह डायबिटीज रोगियों के लिए सबसे खराब फूड्स में से एक है. खाली पेट शराब पीने से ग्लूकोज का लेवल कम होने का खतरा रहता है. अगर ऐसा होता है तो यह स्थिति खतरनाक हो सकती है. 5. ट्रांस फैट डायबिटीज के मरीजों को कभी भी फैट और तेल का सेवन बेफिक्र होकर नहीं करना चाहिए, वरना उनका शुगर लेवल अनकंट्रोल हो सकता है और हार्ट की बीमारी का खतरा भी बढ़ सकता है. ट्रांस फैट दो तरह के होते हैं. पहला- जानवरों में पाया जाता है, जो इंसानों के लिए जहर से कम नहीं है. दूसरा हाइड्रोजनीकृत वनस्पति तेल में, जो ज्यादा खतरनाक है. डायबिटीज पेशेंट को दोनों ही तरह के ट्रांस फैट से दूरी बनानी चाहिए. 6. हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फ्रूट्स डायबिटीज में हमेशा लो ग्लाइसेमिक वैल्यू वाले फ्रूट्स ही खाना फायदेमंद होता है. हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) वाले फल कार्ब्स को बढ़ा सकते हैं, इससे शरीर में शुगर लेवल तेजी से बढ़ सकता है. बेरीज, ग्रेपफ्रूट, नाशपाती, संतरा जैसे फलों को जीआई कम होता है, जबकि तरबूज और अनानास का जीआई काफी ज्यादा होता है.
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13 September 2024सूर्य का राशि परिवर्तन बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, ग्रहों के राजा सूर्य (Surya) जिस दिन एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उस दिन संक्रांत मनाई जाती है. सूर्य अभी सिंह राशि (Singh rashi) में गोचर हैं, इसके बाद सितंबर में सूर्य ग्रहों के राजकुमार बुध (Budh) की राशि कन्या (Kanya) में प्रवेश करने वाले हैं. इस दिन कन्या संक्रांति होगी. कन्या संक्रांति पर स्नान-दान और सूर्य देव की पूजा करने से खोया सम्मान, धन वापस मिलता है. अच्छे स्वास्थ और सफलता की प्राप्ति होती है. कन्या संक्रांति 2024 में कब है यहां जानें डेट, स्नान-दान मुहूर्त. कन्या संक्रांति 2024 डेट कन्या संक्रांति 16 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी. इस दिन विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma puja) भी है. कन्या संक्रांति पर पर नदी में स्नान और पितरों का तर्पण करने से जीवन में खुशहाली आती है. पूर्वजों को श्रृद्धांजलि दी जाती है. कन्या संक्रांति 2024 मुहूर्त कन्या संक्रान्ति पुण्य काल - दोपहर 12:16 - शाम 06:25 कन्या संक्रान्ति महा पुण्य काल - शाम 04:22 - शाम 06:25 कन्या संक्रांति पर गंगा स्नान का महत्व कन्या संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा के साथ गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है. कहते हैं संक्रांति पर पवित्र नदी में स्नान करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है. व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. ग्रहों के राजा सूर्य मान-सम्मान, प्रतिष्ठा, प्रशासनिक सेवा, सरकारी नौकरी आदि के कारक ग्रह माने जाते हैं. इस दिन सूर्य देव की उपासना से व्यक्ति को इस क्षेत्र में लाभ होता है. कन्या संक्रांति पर पूजा विधि संक्रांति पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद तांबे के लोटे से सूर्य को अर्घ्य अर्पित दें. सूर्य को जल चढ़ाने के लिए लोटे में पानी के साथ लाल फूल,चावल भी डाल लें. इसके बाद ‘ऊँ सूर्याय नम:’ मंत्र का जप करते हुए अर्घ्य अर्पित करें. सूर्य देव का आशीर्वाद पाने के लिए गुड़ का और तांबे के बर्तन का दान करना चाहिए.
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12 September 2024हाल ही में मलाइका अरोड़ा के पिता अनिल अरोड़ा की आत्महत्या की खबर ने सभी को चौंका कर रख दिया है. अनिल अरोड़ा ने बांद्रा में अपने घर की छठी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली. उनकी आत्महत्या की वजह का अबतक खुलासा नहीं हो सका है. इस बीच चलिए जानते हैं कि भारत में किस धर्म और जाति के लोग सबसे ज्यादा सुसाइड करते हैं. भारत में किस जाति और धर्म के लोग करते हैं सबसे ज्यादा आत्महत्या? गृह मंत्रालय के आंकड़ो की मानें तो एक हिन्दू के मुकाबले किसी ईसाई के आत्महत्या करने की संभावना डेढ़ गुना ज्यादा है. जबकि देश की विभिन्न जातियों में से आदिवासी और दलित सबसे ज्यादा आत्महत्या करते हैं. एक आरटीआई के जवाब में इस बात का खुलासा हुआ है कि गृह मंत्रालय ने आत्महत्याओं की जाति और धर्म के आधार पर अलग से गणना करवाई थी. साल 2014 में नेशनल क्राइम ब्यूरो (NCRB) ने पहली बार आत्महत्याओं का डाटा धर्म और जाति के आधार पर तैयार किया था. इसे 2015 में सार्वजनिक किया जाना था. इसे 2015 में सार्वजनिक किया जाना था लेकिन गृह मंत्रालय ने कभी डाटा रिलीज ही नहीं किया. ईसाइयों में सबसे ज्यादा है आत्महत्या की दर द इंडियन एक्सप्रेस की आरटीआई पर सामने आए डाटा के मुताबिक, ईसाइयों में आत्महत्या की दर 17.4 फीसदी है. जबकि हिन्दुओं में यही दर 11.3 फीसदी, मुस्लिमों में आत्महत्या की दर 7 फीसदी और सिख में ये 4.1 फीसदी है. आत्महत्या की राष्ट्रीय दर 10.6 फीसदी है. आत्महत्या की दर प्रति एक लाख की जनसंख्या पर किए गए सुसाइड पर आधारित है. किस आधार पर दी गई आत्महत्या की दर? ईसाइयों में आत्महत्या की दर उनकी जनसंख्या के अनुपात में नहीं है. 2011 की जनसंख्या के मुताबिक देश की जनसंख्या में 2.3 प्रतिशत लोग ईसाई धर्म मानने वाले हैं, लेकिन आत्महत्याओं में उनका प्रतिशत 3.7 है. क्या हो सकते हैं आत्महत्या के कारण? कोई व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली परेशानियों का सामना न कर पाने पर आत्महत्या जैसा घातक कदम उठाता है. ये समस्या आर्थिक कठिनाइयां, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, सामाजिक और पारिवारिक दबाव, शिक्षा और करियर के मुद्दे या फिर स्वास्थ्या समस्याएं हो सकती हैं.
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12 September 2024अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में एक बहुत खास और रोमांचक घटना होने जा रही है. यह घटना एक सुपरनोवा, यानी एक तारे के विस्फोट की है, जो न केवल खगोलशास्त्रियों के लिए बल्कि सभी लोगों के लिए एक बहुत ही खास मौौका है. इस लेख में हम इस महत्वपूर्ण घटना के बारे में विस्तार से जानेंगे और ये समझने की कोशिश करेंगे कि इसका पृथ्वी और इंसानों पर क्या असर पड़ सकता है. क्या है सुपरनोवा? बता दें सुपरनोवा एक तारे की जिंदगी का आखिरी चरण होता है जब वो अपने अंदर मौजूद ऊर्जा के ज्यादा से ज्यादा दबाव और तापमान से विस्फोट करता है. इस विस्फोट के दौरान, तारा अपने पूरे जीवनकाल में जमा किए गए तत्वों को अंतरिक्ष में छोड़ देता है. ये विस्फोट इतनी ऊर्जा पैदा करता है कि तारा एक असाधारण चमक पैदा करता है, जिसे कई दिनों से लेकर हफ्तों तक देखा जा सकता है. सुपरनोवा की घटनाएं तारे के जीवन चक्र का एक खास हिस्सा होती हैं और नए तारे, ग्रहों और बाकि खगोलीय संरचनाओं को बनाने के लिए जिम्मेदार होती हैं. इसी साल हो सकती है ये घटना एक खास तारे जिसे "IK Pegasi" (IK Pegasi) कहा जाता है, के सुपरनोवा के रूप में विस्फोट करने की संभावना है. IK Pegasi एक डबल स्टार सिस्टम है, जिसमें एक नीला सुपरजायंट तारा और एक दूसरा तारा शामिल है. वैज्ञानिकों का मानना है कि नीला सुपरजायंट तारा अपने जीवन के आखिरी चरण में पहुंच चुका है और उसके विस्फोट की संभावना बहुत ज्यादा है. यदि ये तारा सुपरनोवा के रूप में विस्फोट करता है, तो ये पृथ्वी पर भी प्रभाव डाल सकता है, खासकर यदि विस्फोट की दिशा हमारे सौरमंडल की ओर हो. यह भी पढ़ें: अगर कोई चलती ट्रेन पर पत्थर मारता है तो उसे कानूनन कितने साल की सजा हो सकती है? क्या हो सकते हैं प्रभाव? सुपरनोवा के विस्फोट से उत्पन्न प्रकाश को पृथ्वी पर भी देखा जा सकता है. ये रोशनी इतनी शक्तिशाली होती है कि इसे आसमान में कई हफ्तों तक देखा जा सकता है. यदि IK Pegasi विस्फोट करता है, तो ये पृथ्वी पर भी एक शानदार नजारा होगा, जो खगोलविदों और सामान्य जनता दोनों के लिए एक बहुत ही खास अनुभव होगा. सुपरनोवा से पैदा हुए विकिरण, जैसे कि गामा-रे बर्स्ट, पृथ्वी की ओर यात्रा कर सकता है. हालांकि, हमारे आसपास और ओजोन परत इन विकिरणों को काफी हद तक अवशोषित कर लेती है, लेकिन ज्यादा विकिरण कभी-कभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और उपग्रहों को प्रभावित कर सकते हैं. वैज्ञानिक इस संभावित विकिरण के प्रभावों का विश्लेषण कर रहे हैं और इसके लिए सुरक्षा उपायों पर विचार कर रहे हैं. IK Pegasi का सुपरनोवा खगोलशास्त्रियों के लिए एक खास अध्ययन का विषय होगा. इस विस्फोट से मिले डेटा तारे के जीवन चक्र, सुपरनोवा के अलग-अलग प्रकारों और आकाशगंगा के विकास के बारे में खास जानकारी प्रदान करेंगे. ये डेटा तारे के अंदर की प्रक्रियाओं को समझने में मदद करेगा और भविष्य में अन्य सुपरनोवा की घटनाओं को पूर्वानुमानित करने के लिए उपयोगी हो सकता है. वैज्ञानिकों ने की तैयारी इस संभावित सुपरनोवा की घटना की तैयारी के लिए खगोलविद और वैज्ञानिक पहले से ही तैयार हैं. आधुनिक टेलीस्कोप और अंतरिक्ष मिशन इस विस्फोट की निगरानी कर रहे हैं और इसके संभावित प्रभावों को समझने के लिए अनुसंधान कर रहे हैं. वो इस घटना के लिए विभिन्न सुरक्षा उपायों और निगरानी प्रणालियों पर काम कर रहे हैं ताकि किसी भी संभावित खतरे का पूर्वानुमान और तैयरियां की जा सके.
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12 September 2024आज 11 सितंबर 2024 को राधा अष्टमी है. साथ ही आज से महालक्ष्मी व्रत भी शुरू हो रहे हैं जो 16 दिन तक चलते हैं.मान्यता है कि महालक्ष्मी व्रत में देवी लक्ष्मी को कौड़ी, श्रृंगार की सामग्री, खीर अर्पित करें. मान्यता है इससे धन में बरकत होती है. व्यक्ति समस्त सुखों को प्राप्त करता है और तरक्की के रास्ते खुलते हैं. वहीं राधाष्टमी पर राधा कृष्ण का गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करने पर व्यक्ति को अत्यधिक पुण्य प्राप्त होता है.जीवन से सभी दुख-संकट दूर होने लगते हैं आइए जानते हैं आज का शुभ-अशुभ मुहूर्त राहुकाल शुभ योग, ग्रह परिवर्तन, व्रत-त्योहार, तिथि आज का पंचांग 11 सितंबर 2024 अशुभ मुहूर्त यमगण्ड - सुबह 07.37 - सुबह 09.11 आडल योग - रात 09.22 - सुबह 06.05, 22 सितंबर गुलिक काल- सुबह 10.44 - दोपहर 12.17 भद्रा काल - सुबह 06.04 - रात 11.35 आज का उपाय राधा अष्टमी पर श्री राधा कवचम् का पाठ पढ़ने से विवाह में आ रही अड़चने दूर होती है. साथ ही जो लोग शादीशुदा हैं उनके जीवन में खुशियों की बहार आती है.
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11 September 2024मणिपुर में जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. बल्कि हर दिन ये हिंसा बढ़ती ही जा रही है. इस हिंसा में अब आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल भी शुरू हो गया है. साथ ही उपद्रवी ड्रोन का इस्तेमाल भी कर रहे हैं. ऐसे में मणिपुर में इन हमलों से निपटने की तैयारी कर ली गई है. इसके लिए मणिपुर में सुरक्षा बलों को एंटी ड्रोन सिस्टम उपलब्ध करवाया गया है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर ये एंटी ड्रोन सिस्टम होता क्या है और ये कैसे काम करता है. क्या होता है एंटी ड्रोन सिस्टम? बता दें एंटी ड्रोन सिस्टम को काउंटर UAV (Unmanned Aerial Vehicle) तकनीक से नाम से भी जाना जाता है. पिछले कुछ समय में आपने रूस-यूक्रेन युद्ध और गाजा युद्ध में एयर डिफेंस, आयरन डोम आदी जैसे नाम सुने होंगे. ये तकनीक किसी भी क्षेत्र की तरफ आने वाले मिसाइल, रॉकेट, तेज रफ्तार वाले बड़े ड्रोन आदि को डिटेक्ट कर हवा में खत्म करने की क्षमता रखती है. ये सिस्टम तेज और बड़े टारगेट को खत्म करने में कारगर है, लेकिन छोटे, नीचे उड़ने वाले और हलके चलने ड्रोनों को नहीं पकड़ पाता है. इसी तरह के ड्रोनों से निपटने के लिए एंटी ड्रोन सिस्टम वजूद में आया है. इन्हें खासकर छोटे ड्रोनों को डिटेक्ट करने और उनको नष्ट करने के लिए बनाया गया है. हाल ही में CRPF ने जानकारी दी कि सुरक्षाबलों को एंटी ड्रोन सिस्टम उपलब्ध कराया गया है. कैसे काम करता है एंटी ड्रोन सिस्टम? एंटी ड्रोन सिस्टम जिस क्षेत्र में तैनात किया जाता है, उस जगह यदि कोई ड्रोन घुसपैठ कर लेता हो तो ये कुछ ही सैकंडों में उससे जुड़ी जानकारी इकट्ठा करता है कि ड्रोन कहां जा रहा है, कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है और उसके अदर बम या कोई खतरे वाली चीज है या नहीं. ये सभी जानकारी मिलने के बाद एंटी ड्रोन सिस्टम या एंटी ड्रोन गन को ऑपरेट करने वाला शख्स फैसला करता है कि ड्रोन को नष्ट किया जाए या उड़ने दिया है. ऑपरेटर के एक बटन दबाते ही ये सिस्टम ड्रोन को हवा में ही मार गिरा सकता है. इसके अलावा कई आधुनिक एंटी ड्रोन सिस्टम ड्रोन को निष्क्रिय कर नीचे भी उतार सकते हैं.
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11 September 2024देश में जातिगत जनगणना को लेकर बहस जारी है. केंद्रीय स्तर पर भाजपा इसका विरोध कर रही है, लेकिन सरकार ने अभी तक कुछ साफ नहीं किया है. इस बीच खबरें ये भी है कि जनगणना सितंबर से शुरू हो सकती है. हालांकि सरकार ने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है. जनगणना में देरी होने के चलते सरकारी योजनाएं और नीतियां साल 2011 में हुई जनगणना के आंकड़ों के हिसाब से बन रही हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं कि देश में कितनी जातियां हैं और किस जाति के कितने लोग हैं. देश में हैं कितनी जातियां? भारत की जाति व्यवस्था प्राचीन काल से अस्तित्व में है और इसमें विभिन्न जातीय समूहों की पहचान की जाती है. जातियां पारंपरिक रूप से हिंदू धर्म की जाति व्यवस्था पर आधारित हैं, जिसमें चार प्रमुख वर्ग होते हैं – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, और शूद्र. लेकिन, आधुनिक समय में जातियों की यह व्यवस्था और भी कठिन हो गई है और इसमें अनगिनत उपजातियां और जातीय समूह शामिल हैं. भारत में जातियों की संपूर्ण संख्या का सटीक आंकड़ा मिलना कठिन है, क्योंकि जनगणना में जातियों की पहचान की प्रक्रिया और विधियां समय-समय पर बदलती रहती हैं. हालांकि भारतीय जनगणना और विभिन्न सामाजिक अध्ययन हमें कुछ जरुरी आंकड़े प्रदान करते हैं. 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) की कुल संख्या 16.6% और 8.6% थी. कुल जनसंख्या के प्रतिशत के आधार पर अनुसूचित जातियों की संख्या लगभग 20 करोड़ और अनुसूचित जनजातियों की संख्या लगभग 10 करोड़ के आस-पास थी. भारत में जातियों की संख्या और विविधता बहुत ज्यादा है. विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में जातियों की संख्या अलग-अलग हो सकती है. उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश, बिहार, और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों में जातियों और उपजातियों की संख्या बहुत ज्यादा है. भारत में कुल जातियों की संख्या की बात करें तो सरकारी और शोध संगठनों के आंकड़े बताते हैं कि देश में जातियों की कुल संख्या हजारों में हो सकती है. उदाहरण के लिए, राज्य स्तर पर जाति आधारित डेटा में हजारों जातियों और उपजातियों की पहचान की जाती है. 2011 की जनगणना के अनुसार, मार्च 2023 तक 1,270 एससी, 748 एसटी जातियां हैं.
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11 September 2024जीवित्पुत्रिका को जिउतिया या जितिया व्रत भी कहा जाता है. विशेषकर यह व्रत बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में रखा जाता है. माताएं जिउतिया व्रत संतान की लंबी आयु और उत्तम सेहत के लिए रखती हैं. इस व्रत को बिना अन्न-जल ग्रहण किए निर्जला रखना होता है. इसलिए इसे कठिन व्रतों में एक माना जाता है. पंचांग के अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. इस साल जितिया का व्रत बुधवार 25 सितंबर 2024 को रखा जाएगा और अगले दिन यानी 26 सितंबर 2024 को व्रत का पारण किया जाएगा. जीवित्पुत्रिका व्रत में होती है जीमूतवाहन की पूजा जीमूतवाहन गंधर्व राजकुमार थे. लेकिन सारा राजपाट छोड़ वे वन चले गए. एक दिन वन में जीमूतवाहन की मुलाकात एक वृद्ध महिला से हुई, जिसका संबंध नागवंश से था. वह महिला बहुत रो रही थी. जीमूतवाहन ने उनसे रोने का कारण पूछा तो उसने कहा कि पक्षीराज गरुड़ को नागों ने वचन दिया है कि हर रोज उसे आहार के रूप में एक नाग दिया जाएगा. वृद्ध महिला ने कहा कि आज उसके बेटे शंखचूड़ की बारी है. जीमूतवाहन ने वृद्ध महिला से कहा कि आपके बेटे को कुछ नहीं होगा और वह आज पक्षीराज गरुड़ का आहार नहीं बनेगा, क्योंकि आपके बेटे के बदले आज मैं जाऊंगा. यह कहकर जीमूतवाहन गरुड़ के पास चले गए. लाल कपड़े में लिपटे जीमूतवाहन को गरुड़ पंजे में दबोच कर उड़ गए. दर्द से जीमूतवाहन रोने और कराहने लगे. उसकी आवाज सुन गरुड़ एक शिखर पर रुक गए, तब जीमूतवाहन ने गरुड़ को सारी बातें बताई, जिससे गरुड़ जीमूतवाहन की दया भावना और साहस देखकर बहुत प्रसन्न हुए. उन्होंने जीमूतवाहन को जीवनदान दे दिया और साथ ही वचन दिया कि आज से वह किसी भी नाग को अपना आहार नहीं बनाएंगे. इस तरह से जीमूतवाहन के प्रयासों के कारण नागवंश की रक्षा हुई. मान्यता है कि इसके बाद से ही जीवित्पुत्रिका व्रत में जीमूतवाहन की पूजा होती जाती है. ऐसा माना जाता है कि, जिस तरह जीमूतवाहन ने वृद्ध महिला से संतान शंखचूड़ के जीवन की रक्षा की, उसी प्रकार वे सभी माताओं के संतानों की रक्षा करेंगे और उनकी गोद कभी सूनी नहीं होने देंगे. संतान के लिए रक्षा कवच है जीवित्पुत्रिका व्रत जीवित्पुत्रिका व्रत को लेकर ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान को कभी किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता है. साथ ही संतान को दीर्घायु और उत्तम सेहत का वरदान प्राप्त होता है. महाभारत में ऐसा वर्णन मिलता है कि,अश्वत्थामा ने द्रौपदी के पांच संतानों को मार डाला था. इसके बाद अर्जुन ने उसे बंदी बनाकर कारावास में डाल दिया और अश्वत्थामा से उसकी दिव्यमणि छीन ली. इसके बाद अश्वत्थामा ने क्रोधित होकर बदले की भावना से अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे शिशु को गर्भ में ही नष्ट कर दिया. लेकिन श्रीकृष्ण ने उत्तरा के गर्भ में पल रहे अजन्मे संतान को फिर से जीवित कर दिया. इस तरह के मृत्यु के बाद पुन: जीवित होने के कारण उसका नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया. इसलिए जीवित्पुत्रिका व्रत को संतान के लिए रक्षा कवच से समान माना जाता है.
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10 September 2024भारत में वीआईपी नंबरों का क्रेज काफी पुराना है. लेकिन सोशल मीडिया आने के साथ ही अब लोग वीआईपी नंबर पाने के लिए हजारों-लाखों रुपये खर्च कर रहे हैं. जी हां, आज के वक्त अपनी मनपसंद गाड़ी खरीदने के बाद लोग वीआईपी नंबर भी खरीद रहे हैं. कुछ वीआईपी नंबर तो इतने महंगे बिके हैं कि आप सुनकर कहेंगे कि इतने में तो एक नई कार ही आती है. आज हम आपको बताएंगे कि किन नंबरों का क्रेज सबसे अधिक होता है. गाड़ी नंबर आज के वक्त हर इंसान अपनी मन पसंद कार खरीदने का सपना देखता है. लेकिन अब मनपसंद कार के बाद लोग लाखों रुपये नंबर पर भी खर्च कर रहे हैं. बता दें कि राजधानी दिल्ली में दिल्ली परिवहन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 0001 कार लाइसेंस प्लेट नंबर की मार्च में बोली लगाई गई थी और इसकी बोली 23.4 लाख रुपये तक पहुंची थी. अब आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि गाड़ियों के नंबरों का कितना क्रेज है. इतने रुपये में तो एक प्रीमियम SUV आ जाती है. इन नंबरों की लगी सबसे महंगी बोली बता दें कि 0009 और 0007 नंबर भी लाखों में बिके है. सबसे अधिक कीमत वाले अन्य कार नंबरों की बात करें तो 0009 नंबर इस सूची में दूसरे स्थान पर रहा है. वहीं बीते जून में इसकी 11 लाख रुपये में बोली लगी है. 0009 नंबर को फिल्मी जासूस जेम्स बांड की वजह से जाना जाता है. इसी तरह 0007 नंबर भी जनवरी में 5.1 लाख रुपये में बिका था. इसके इतने अधिक रुपये में बिकने का कारण यह रहा है कि पूर्व क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी की जर्सी का नंबर भी 7 था. क्रिकेटर लवर इस नंबरे क दिवाने हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 0001 नंबर की शुरुआती कीमत 5 लाख रुपये रखी गई थी, जो ई-नीलामी के दौरान 23.4 लाख रुपये तक पहुंच गई थी क्योंकि 0001 नंबर सबसे अधिक मांग वाला नंबर था. रिपोर्ट के मुताबिक 1 लाख रुपये से अधिक शुरुआती कीमत वाले नंबर प्लेट की हर महीने के पहले हफ्ते में ई-नीलामी की जाती है. इन नबंरों की लगी है बोली बता दें कि 0002 से 0009 लाइसेंस प्लेट नंबरों की न्यूनतम शुरुआती कीमत 3 लाख रुपये होती है. इसी तरह 0010 से 0099 तक, 0786, 1,000, 1111, 7777 और 9999 नंबरों की न्यूनतम कीमत 2 लाख रुपये और 0100, 0111, 0300, 0333 जैसे नंबरों की न्यूनतम 1 लाख रुपये होती है. हालांकि इन नबरों की कीमत डिमांड को देखते हुए बढ़ाया भी जा सकता है.
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10 September 2024दुनिया में ऐसी कई चीजें हैं जिनके रहस्य सभी को चौंका कर रख देते हैं. ऐसा ही है केरल का एक गांव. इस गांव की एक ऐसी खासियत है जिसका रहस्य वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए हैं. दरअसल इस गांव के हर घर में जुड़वां बच्चों का ही जन्म होता है. हम बात कर रहे हैं केरल के मल्लपुरम जिले में एक कोडिन्ही गांव की. इस गांव के हर घर में जुड़वां बच्चे ही पैदा होते हैं. इस गांव में बड़ी संख्या में जुड़वां लोग हैं यही वजह है कि इस गांव को जुड़वों का गांव भी कहा जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव में नवजात शिशु से लेकर 65 वर्ष के लोग भी जुड़वां मिल जाएंगे. तो चलिए आज हम इस रहस्यमयी गांव के बारे में जानते हैं. गांव में हैं 550 जुड़वां बच्चे मल्लपुरम जिले का कोडिन्ही गांव देश का एक मात्र ऐसा गांव है जहां पर महज जुड़वा लोग ही रहते हैं. हैरानी की बात ये है कि यहां आपको हर घर में हमशक्ल मिल जाएंगे. एक रिपोर्ट के मुताबिक, यहां पर 2000 परिवार में 550 जुड़वा लोग हैं. इस गांव में नवजात शिशु से लेकर 65 साल के बुजुर्ग तक हमशक्ल मिल जाएंगे. आधिकारिक आंकड़ों की बात करें तो साल 2008 के अनुमान के अनुसार, यहां पर 280 जुड़वा थे. गांव में ज्यादातर बच्चों की उम्र 15 साल से कम है. एक स्कूल में तो 80 जुड़वां बच्चे हैं. इतने सालों में इस डेटा में काफी इजाफा हुआ है. इस गांव में चाहे स्कूल हो या फिर बाजार, हर जगह जुड़वा बच्चे नजर आते हैं.
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10 September 2024धरती पर लाखों प्रजाति के जानवर पाए जाते हैं. सभी जानवरों के अंदर अलग-अलग खूबी होती है. इनमें कौवा भी एक ऐसा पक्षी है, जिसका दिमाग काफी तेज होता है. जी हां, घरों के आस-पास कौवा बहुत आसानी से दिख जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कौवा का दिमाग कितना तेज होता है. आज हम आपको कौवा के दिमाग के बारे में बताएंगे. कौवा कौवा एक ऐसा पक्षी है, जो आम इंसानों को बहुत आसानी से घरों, ऑफिस और बाहर आराम से दिख जाते हैं. ये कभी घर की छत पर बैठे, तो कभी पेड़ की डाल में शोर करते हैं. लेकिन का दिमाग कंप्यूटर की तरह तेज होता है? जी हां, एक शोध में ये खुलासा हुआ है. बता दें कि फ्रांस और स्वीडन जैसे देशों में लोगों ने कौवों के ऊपर कुछ रिसर्च किया है. इस दौरान उन लोगों ने कौवों को ऐसी ट्रेनिंग दी है, जिससे वो पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं. दरअसल रिसर्च में इनको ऐसी ट्रेनिंग दी गई थी, जिसमें ये कौवे सिगरेट के टुकड़े उठाने लगे और उसके बदले में खाने का सौदा करने लगे थे. कौवो का दिमाग यूरो न्यूज वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में कौवों के साथ एक एक्सपेरिमेंट किया था. फ्रांस के पश्चिम में मौजूद पुय डू फो थीम पार्क ने कौवों को पार्क में पड़े सिगरेट के बट्स को उठाना सिखा दिया था. इसके साथ ही यहां-वहां पड़ी अन्य छोटी चीजों को भी उन्हें उठाना सिखाया गया था. इन टुकड़ों को उठाकर वो खाते नहीं थे, बल्कि उसे उठाकर एक मशीन तक लाते थे और उसमें डाल देते थे. उस मशीन से फिर उनके लिए खाना निकलता था, जिसे वो खा लेते थे. रिसर्च के दौरान इस तरीके से पक्षियों के दिमाग पर भी शोध किया गया था. उन्हें पर्यावरण की रखवाली के लिए भी तैयार किया गया था. बता दें कि 2022 में भी ऐसा ही इनिशिएटिव स्वीडन में भी लिया गया था. वहां पर भी वो इधर-उधर पड़े सिगरेट के बट्स को उठाते हैं और उसके बदले में उन्हें खाना दिया जाता है. कितना तेज दिमाग कौवे का मस्तिष्क मनुष्य के मस्तिष्क की तुलना में छोटा लग सकता है, लेकिन काफी तेज होता है. वाशिंगटन विश्वविद्यालय के एविएशन कंजर्वेश
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9 September 2024दुनियाभर में लाखों प्रजाति के जानवर पाए जाते हैं. इन जानवरों में शेर-चीता जैसे जानवरों को सबसे खतरनाक जानवर माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में कई ऐसे देश हैं, जहां पर शेर और चीता जैसे खतरनाक जानवर को लोग घरों में पालते हैं. जी हां, जैसे भारत में लोग कुत्ता-बिल्ली पालते हैं, वैसे ही कुछ देशों में लोग शेर और चीता पालते हैं. शेर बचपन से किताबों में हमने पढ़ा है कि शेर जंगल का राजा है. क्योंकि शेर जैसे जानवरों को सबसे खतरनाक माना जाता है. ये देखते ही देखते इंसान को खत्म कर देते हैं. बता दें कि पहले यूएई में लोग अपनी अमीरी को दिखान के लिए घरों शेर और चीता पालते थे. लेकिन साल 2017 की शुरुआत में यूएई में हर तरह के जंगली जानवरों को घरों में रखने पर रोक लगा दी ग थी. इन जानवरों को चिड़ियाघर नेशनल पार्क्स, सर्कस या फिर रिसर्च सेंटर में रखने की इजाजत थी. वन जीव संरक्षण अधिनियम के तहत घर में इन जानवरों को रखने पर एक करोड़ से ज्यादा का जुर्माना या 6 महीने की जेल या फिर दोनों हो सकती है. पाकिस्तान पाकिस्तान में पहले के समय शेर और चीते पालने का बड़ा चलन था. राजनेता और बड़ी-बड़ी हस्तियां अक्सर शेर चीतों के साथ अपनी फोटो सोशल मीडिया पर डाला करते थे. लेकिन साल 2009 में नवाज शरीफ के भांजे सलमान शाहबाज ने सरकार से इजाजत मांगी थी, जिसके बाद देशभर में बवाल मचा था और शेर पालने पर रोक लग गई थी. इतना ही नहीं कन्वेंशन ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड इन एंडेजर्ड स्पीशीज ने भी इस मामले में दखल दी थी. जिसके बाद सभी लोगों को अपने घरों में रखे पालतू जानवरों को चिड़ियाघर भेजना पड़ा था. थाईलैंड थाइलैंड से भी कई बार जंगली जानवरों को घर पर पालतू बनाकर रखने का मुद्दा उठ चुका है. वहां पर एग्जॉटिक एनिमल कैफे हैं. जहां लोमड़ी, ऊदबिलाव जैसे बड़े-बड़े जंगली जानवर को रखा जाता है. वहां पर आने वाले लोग उन्हें छू सकते हैं और तस्वीर खिंचवा सकते हैं, लेकिन इससे पहले उन्हें कम से कम इतनी कीमत की डिस खरीदनी पड़ेगी. एनिमल एक्टिविटीज इस तरह के कैफे को कई बार बंद भी कर चुका है. अमेरिका अमेरिका के कई राज्यों में जंगली शेर कम मगर पालतू शेर बहुत है. इसमें चीते से लेकर सल्वाडोर तक शामिल है. बिजनेस इंसाइडर की एक रिपोर्ट बताती है कि वहां के लगभग 12 स्टेट में 5000 से ज्यादा चीतें घरों में रखे हुए हैं. वहीं वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड के मुताबिक जंगलों में रहने वाले बाघों की संख्या घटकर 4000 से कम हो चुकी है. भारत भारत में बाघ और शेर को बिना कानूनी मंजूरी के नहीं पाला जा सकता है. वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत इन जानवरों को निजी तौर पर पालने की मंजूरी नहीं दी गई है.
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9 September 2024एवरेस्ट की चढ़ाई दुनियाभर में कई लोगों ने की है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि समंदर की गहराई अब तक किन-किन लोगों ने नापी है. जी हां, आपने एवरेस्ट पर चढ़ने वालों का नाम तो खूब सुना होगा, लेकिन समंदर की गहराई नापने वालों के बारे में आपने कम ही सुना होगा. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर अब तक समुंदर की गहराई कितने लोगों ने नापी है. माउंट एवरेस्ट अब सवाल ये है क कितने लोग माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचे हैं? हिमालयन डेटाबेस के मुताबिक लगभग 7,000 लोगों ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की है. वहीं माउंट एवरेस्ट पर 12,000 से ज़्यादा बार चढ़ाई की जा चुकी है, जिसमें से 6,000 बार नेपाली लोगों ने चढ़ाई की है. एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पहले भारतीय बता दें कि माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना इतना आसान नहीं है, लेकिन भारतीयों ने 1960 के दशक में इस पर्वत पर विजय प्राप्त की थी. 1965 में कैप्टन एमएस कोहली इस पर चढ़ने वाले पहले भारतीय थे. माउंट एवरेस्ट पर्वत की चोटी नेपाल और चीन सीमा पर स्थित है और इस पर्वत श्रृंखला पर चढ़ने वाले पहले व्यक्ति एडमंड हिलेरी थे, जो 29 मई, 1953 को इस पर्वत पर चढ़े थे. तब से कई लोगों ने शिखर पर विजय प्राप्त करने का प्रयास किया है, जिसमें स्वयं भारतीयों द्वारा 460 से अधिक प्रयास किए गए हैं. समुद्र की गहराई बता दें कि समुद्र की गहराई अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग होती है. समुद्र की औसत गहराई करीब 12,080 फ़ीट (3,682 मीटर) है. हालांकि, दुनिया का सबसे गहरा समुद्री बिंदु, प्रशांत महासागर में स्थित मारियाना ट्रेंच में है. मारियाना ट्रेंच के दक्षिणी छोर पर स्थित चैलेंजर डीप की गहराई करीब 10,935 मीटर (35,876 फ़ीट) है. चैलेंजर डीप, माउंट एवरेस्ट से भी ज़्यादा गहरा है. वहीं समुद्र की गहराई नापने के लिए डीप्थ साउंडर नाम के उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है. यह उपकरण ऊपर से नीचे तक सिंचाई शोर भेजता है और फिर समय की दूरी का अंदाजा लगाता है. इस तरह समुद्र की गहराई का पता चलता है. समुद्र के नीचे जाकर गहराई का लगाया पता मशहूर हॉलीवुड निर्देशक जेम्स कैमरन अपने असल जिंदगी में कई कारनामे किया है. वो 2012 में समुद्र के उस हिस्से में जाकर वापस आए हैं, जहां पिछले 50 साल से कोई नहीं गया है. उन्होंने पश्चीमी पेस्फ़िक में सबसे गहरे स्थल मरियाना ट्रेंच में 11 किलोमीटर गहराई तक गोता लगाया था. जानकारी के मुताबिक नीचे पहुँचने में उन्हें दो घंटे से ज्यादा का समय लगा था. वे डीप सी चैंलेजर नाम की पनडुब्बी में गए थे जिसे ऑस्ट्रेलिया में बनाया गया था. उन्होंने समुद्र तल पर तीन से ज्यादा घंटे बिताए थे. अंतरिक्षयात्री बता दें कि पूर्व अंतरिक्षयात्री कैथी सुलिवान ने अपने नाम एक नया रिकार्ड किया है. समुद्र की सबसे गहरी सतह पर पहुंचकर उन्होंने ये रिकार्ड अपने नाम किया था. कैथी 2020 में निचली सतह मारियाना ट्रेंच के पास गई थी. 68 साल की कैथी दुनिया की आंठवी इंसान हैं, जो इस स्थान पर पहुंच पाई थी. वहीं ऐसी पहली महिला हैं, जिन्होंने ये कारनामा कर दिखाया है. बता दें कि ये स्थान माउंट एवरेस्ट ऊंचाई से एक मील ज्यादा गहरा है.
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9 September 2024पौराणिक कथाओं में ऐसा वर्णन मिलता है कि भगवान गणेश माता पार्वती की मैल से उत्पन हुए थे. लेकिन क्या ये सच है, क्या सच में भगवान गणेश की उत्पत्ति मैल से हुई है. इसके लिए शास्त्रों को पढ़ना आवश्यक है जोकि कुछ ओर ही कहते हैं- महाभागवत उपपुराण अध्याय क्रमांक 35 अनुसार:– एतस्मिन्नन्तरे गौरी गात्रं लिप्त्वा हरिद्रया। स्नानप्रयाण उद्युक्ता बभूव मुनिपुङ्गव ॥5॥ तदा हि साभिरक्षार्थ मन्दिरस्य महेश्वरी। विन्तयामास विश्वेषामपि रक्षणकारिणी ॥6॥ अर्थ– भगवती गौरी अपने शरीर में हल्दी का उबटन लगाकर स्नान के लिए जाने को उद्यत हुईं. उस समय सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की भी रक्षा करने वाली जगदम्बा अपने निवासस्थान की रक्षा के लिए विचार करने लगीं. इस बीच भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूर्व-प्रार्थना का स्मरण करके अपने शरीर पर लगे हरिद्रा (हल्दी) का उबटन का कुछ अंश लेकर उन्होंने एक पुत्र (गणेश) का निर्माण किया. यहां पूर्व प्रार्थना से एक कथा जुड़ी है जहां भगवान विष्णु ने देवी के पुत्र होने का वरदान मांगते हैं पिछले अध्याय में इसका वर्णन है:– तथाहमपि चैतस्याः पुत्रतां प्राप्य वै ध्रुवम् । अङ्कमारुह्य प्राश्नामि स्तन्यं परमभावतः ॥11॥ एवं विचिन्त्य भगवान् विष्णुः परमपूरुषः । आध्यायन् चेतसा देवीं प्रणिपत्य ययौ यदा ॥12॥ तदा तस्याभिलाषं तु विज्ञाय परमेश्वरी। तस्मै ददौ वरं विष्णो मत्पुत्रस्त्वं भविष्यसि ॥13॥ (महाभागवत उप–पुराण अध्याय 34.11–13) अर्थ – परमात्मा भगवान विष्णु के मन में ऐसा विचार आया कि मैं भी इन भगवती का पुत्र होकर कभी इनकी गोद में खेलू (कार्तिकेय को गोद में देखकर). ऐसा सोचकर उन्होंने मन-ही-मन देवी का ध्यान कर उन्हें प्रणाम किया और वे वहां से जब चल पड़े तब उनकी अभिलाषा को जानकर परमेश्वरी जगदम्बा ने उन्हें वरदान दिया कि विष्णो! तुम मेरे पुत्र बनोगे. भगवान विष्णु ही गणपति के रुप में प्रकट हुए और तब गौरी माता ने भगवान विष्णु का ध्यान किया जोकि धन्वन्तरि के रुप में आयुर्वेद के संस्थापना की थी स्वामी अंजनी नंदन दास अनुसार, आयुर्वेदिक हल्दी उबटन लगाकर भगवान विष्णु जोकि धनवंतरी रूप में आयुर्वेद के प्रणेता हैं उन्हें याद किया ताकि वह उन्हें माता के रुप में स्वीकार करें. हल्दी लगाकर माता पार्वती आयुर्वेद को प्रोत्साहन देना चाहती थीं, क्योंकि आयुर्वेद में हल्दी को बहुत बड़ा स्थान दिया गया है. भगवान हल्दी और योनि से परे हैं किंतु आयुर्वेद चिकित्सा को प्रोत्साहन देने के लिए उन्होने ये लीला की.
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7 September 2024इस साल दुनियाभर में गर्मी ने लोगों को परेशान किया है. कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले कुछ सालों की तुलना में एशिया समेत बाकी देशों में इस साल सबसे अधिक गर्मी पड़ी है. यूरोप की जलवायु एजेंसी कॉपरनिकस ने दावा किया है कि इस साल की गर्मियों के दौरान धरती का तापमान सबसे ज्यादा रहा है. आज हम आपको बताएंगे कि रिसर्च में क्या सामने आया है. सबसे गर्म साल बता दें कि एजेंसी के मुताबिक ये साल मानवता के इतिहास में सबसे गर्म साल रहा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि रिकॉर्ड तोड़ गर्मी की वजह मानव जनित कारणों के अलावा, जलवायु परिवर्तन, अल नीनो प्रभाव और मौसम संबंधी बदलाव हैं. दुनियाभर में अत्यधिक गर्मी पड़ने के कारण लोग काफी परेशान हुए हैं और इसकी मुख्य वजह ग्लोबल वार्मिंग है. पिछले साल से ज्यादा तापमान कॉपरनिकस के मुताबिक जून, जुलाई और अगस्त में औसत तापमान 16.8 डिग्री सेल्सियस (62.24 डिग्री फ़ारेनहाइट) था. यह 2023 के पुराने रिकॉर्ड से 0.03 डिग्री सेल्सियस (0.05 डिग्री फ़ारेनहाइट) ज्यादा गर्म है. कोपरनिकस के रिकॉर्ड 1940 से ही मौजूद हैं, लेकिन अमेरिकी, ब्रिटिश और जापानी रिकॉर्ड, जो 19वीं सदी के मध्य से शुरू होते हैं, बताते हैं कि पिछले दशक में औसत तापमान सबसे ज्यादा गर्म रहा है. वैज्ञानिकों का मानना है कि बीते 1,20,000 वर्षों में यह सबसे ज्यादा तापमान है. तापमान में बदलाव कॉपरनिकस के निदेशक कार्लो बुओंटेम्पो ने बताया कि साल 2024 और 2023 में अगस्त महीने के दौरान औसत तापमान 16.82 डिग्री सेल्सियस रहा है, जो वैश्विक तापमान के बराबर है. वैज्ञानिकों का कहना है कि आंकड़ों के मुताबिक इससे पहले पिछला साल यानी कि 2023 भी औसत तौर पर काफी गर्म रहा था और ऐसी चर्चा थी कि क्या 2023 धरती का सबसे गर्म साल रहा है. लेकिन अब 2024 के आंकड़े सामने आने के बाद साफ हो गया है कि ये साल धरती का सबसे गर्म साल रहा है. कुछ एक्सपर्ट के मुताबिक आने वाले सालों में गर्मी और बढ़ेगी और इसका सबसे बड़ा कारण ग्लोबल वार्मिंग है. जिसके कारण तापमान में भारी बदलाव देखने को मिल रहा है. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक जलवायु विज्ञानी जोनाथन ओवरपैक का कहना है कि अमेरिका के एरिजोना में इस साल 100 से भी ज्यादा दिनों तक तापमान 37.8 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रहा है. वहीं साथ ही हीट वेव, भारी बारिश, बाढ़ जैसी घटनाएं भी ज्यादा हुई है. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है.
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7 September 2024इतिहास में जब भी तीव्र बुद्धिमान, अर्थशास्त्री, कूटनीतिज्ञ और कुशल राजनीतिज्ञ की बात होगी, तब सबसे पहले चाणक्य का नाम आएगा. चाणक्य की नीतियां जीवन में बहुत काम आती है. इन नीतियों का पालन कर आप न सिर्फ सफल हो सकते हैं बल्कि समाज में आपका पद और कद भी बढ़ता है. जीवन में धन (Money) कमाने के साथ ही मान-सम्मान कमाना भी जरूरी होता है. धन कमाने के बाद वह खर्च हो जाता है, लेकिन मान-सम्मान ऐसी पूंजी है जो कभी खत्म नहीं होता. लेकिन मान-सम्मान की कमाई करना कोई आसान काम नहीं है, बल्कि यह पूरी तरह आपके कार्य और व्यवहार पर निर्भर करता है. कभी-कभी लोग जाने-अनजाने में ऐसे कार्य कर देते हैं जिससे बना बनाया मान-सम्मान भी चला जाता है. अगर आप अपनी इज्जत बनाए रखना चाहते हैं तो चाणक्य की इन नीतियों का पालन करें. विन्रम रहें: व्यक्ति को विन्रम स्वभाव रखना चाहिए. विन्रम रहना ऐसी कला है, जिससे आपके स्वभाव और आचरण का सकारात्मक प्रभाव अन्य लोगों पर भी पड़ता है. विन्रम रहने वाले व्यक्ति वाद-विवाद से दूर रहते हैं, ऐसे लोगों के शत्रु कम होते हैं, दूसरों से सम्मान मिलता है और चहुंओर इनकी तारीख होती है. बिन बुलाए किसी के घर न जाएं: चाणक्य की नीति कहती है कि जब तक आपको आदरपूर्वक निमंत्रण न मिले, किसी के घर न जाएं. बिना बुलाए किसी के घर जाने या बिना काम के किसी के घर जाने पर इज्जत कम हो जाती है. वहीं जबतक कोई आपको रुकने के लिए न बोले तो किसी के घर पर रुकना भी नहीं चाहिए. दूसरों को सम्मान दें: अगर आप चाहते हैं कि आपको मान-सम्मान मिले तो सबसे पहले आपको दूसरों को सम्मान देना होगा. अगर आप यह आदत को अपनाते हैं तो आपके मान-सम्मान में जरूर बढ़ोतरी होगी.
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7 September 2024कई लोग इसे हड़तालिका/हरतालिका व्रत भी बोलते हैं अपनी–अपनी भाषा में लेकिन शास्त्रों में इस पर्व को हरितालिका अथवा हर–काली व्रत बोलते हैं. माता पार्वती के व्रत में भाषा से अधिक भाव की प्रधानता होती है, इसलिए इस पर्व को निश्चल भाव से मनाएं. चलिए जानते हैं शास्त्र क्या कहते हैं इस पर्व के बारे में. नारद पुराण पूर्व भाग अध्याय क्रमांक 112 अनुसार, भाद्रपद की शुक्ल पक्ष तृतीया को सौभाग्यवती स्त्री विधि–पूर्वक पाद्य-अर्घ्य आदि के द्वारा भक्ति भाव से पूजा करती हुई 'हरतालिका व्रत' का पालन करना चहिए. सोने, चांदी, तांबे, बांस अथवा मिट्टी के पात्र में दक्षिणासहित पकवान रखकर फल और वस्त्रके साथ उसे दान करे. इस प्रकार व्रत का पालन करनेवाली नारी मनोरम भोगों का उपभोग करके इस व्रत के प्रभाव से गौरी देवी की सहचरी होती हैं. भविष्य पुराण उत्तर पर्व अध्याय क्रमांक 20 अनुसार, इस दिवस भगवती गौरी उत्पन्न हुई थी और फिर शिव जी के वामंग में निवास किया. इसी दिवस से गौरी जी हरकाली नाम से प्रसिद्ध हुईं (‘हर’ अथवा महादेव और ’काली’ माता का एक स्वरुप हैं). भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को सब प्रकार के नये धान्य एकत्रकर उनपर अंकुरित हरी घास से निर्मित भगवती हरकाली की मूर्ति स्थापित करे और गन्ध, पुष्प, धूप, दीप, मोदक आदि नैवेद्य तथा भाँति-भाँति के उपचारों से देवी का पूजन करे. रात्रि में गीत-नृत्य आदि उत्सवकर जागरण करे और देवी हरकालीको इस मन्त्र से प्रणाम करे- हरकर्मसमुत्पन्ने हरकाये हरप्रिये. मां त्राहीशस्य मूर्तिस्थे प्रणतोऽस्मि नमो नमः ॥ (भविष्य पुराण उत्तरपर्व 20.20) अर्थ–"भगवान शंकर के कृत्य से उत्पन्न हे शंकरप्रिये ! आप भगवान शंकर के शरीर में निवास करनेवाली हैं, भगवान् शंकर की मूर्ति में स्थित रहनेवाली हैं, मैं आपकी शरण हूँ, आप मेरी रक्षा करें. आपको बार-बार प्रणाम है." इस प्रकार देवी का पूजन कर प्रातःकाल सुवासिनी स्त्रियाँ बड़े उत्सव से गीत-नृत्यादि करते हुए प्रतिमा को पवित्र जलाशयके समीप ले जायें और इस मन्त्रको पढ़ते हुए विसर्जित करें "अर्चितासि मया भक्त्या गच्छ देवि सुरालयम् . हरकाले शिवे गौरि पुनरागमनाय च ॥" (भविष्य पुराण उत्तरपर्व 2022) अर्थ– "हे हरकाली देवि! मैंने भक्तिपूर्वक आप की पूजा की है, हे गौरि! आप पुनः आगमन के लिये इस समय देवलोक को प्रस्थान करें." इस विधि से प्रतिवर्ष, जो कोई करता है, वह आरोग्य, दीर्घायुष्य, सौभाग्य, धन, बल, ऐश्वर्य आदि प्राप्त करता हैं.
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6 September 2024कचरा पूरी दुनिया के लिए एक वैश्विक समस्या है. हर देश कचरा कम करने के लिए अलग-अलग तकनीक और रणनीति पर काम कर रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत दुनिया में प्लास्टिक कचरे का सबसे अधिक उत्पादन करता है. जी हां यहां एक साल में 1.02 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है, जो दूसरे सबसे बड़े प्लास्टिक कचरा उत्पादक के मुकाबले दो गुना से भी अधिक है. आज हम आपको बताएंगे कि किन देशों में कितना प्लास्टिक कचरा तैयार हो रहा है. कचरा कचरा से हर देश परेशान है. लेकिन कचरा में प्लास्टिक सबसे खतरनाक माना जाता है. एक शोध में दावा किया गया है कि भारत में सबसे अधिक प्लास्टिक कचरा निकलता है. दरअसल ब्रिटेन के लीड्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के मुताबिक दुनिया हर साल 5.7 करोड़ टन प्लास्टिक प्रदूषण पैदा करती है. ये कचरना सबसे गहरे महासागरों से लेकर सबसे ऊंचे पर्वत शिखर और लोगों के शरीर के अंदर तक फैलाती है. इस अध्ययन के मुताबिक इस 5.7 करोड़ टन प्लास्टिक कचरे का दो-तिहाई से अधिक हिस्सा वैश्विक दक्षिण से आता है. बता दें कि प्लास्टिक कचरा से पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुंचता है. भारत में सबसे अधिक प्लास्टिक कचरा रिसर्च के लेखक कोस्टास वेलिस के मुताबिक दुनिया में हर साल इतना प्लास्टिक कचरा पैदा होता है, जो न्यूयॉर्क शहर के सेंट्रल पार्क में एम्पायर स्टेट बिल्डिंग जितनी ऊंचाई तक पहुंच सकता है. शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए दुनिया भर के 50 हजार से अधिक शहरों और कस्बों में स्थानीय स्तर पर उत्पादित कचरे की जांच की है. इस अध्ययन के दौरान ऐसे प्लास्टिक की जांच की गई जो खुले वातावरण में जाता है. दुनिया की 15 प्रतिशत आबादी से सरकार प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करने और निपटाने में विफल रहती है. वहीं इस 15 फीसदी आबादी में भारत के 25.5 करोड़ लोग शामिल हैं. इन शहरों में सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचरा बता दें कि लागोस दुनिया में किसी भी शहर के मुकाबले सबसे ज्यादा प्लास्टिक प्रदूषण उत्सर्जित करते हैं. इसके अलावा नई दिल्ली, लुआंडा, अंगोला, कराची, और मिस्र का काहिरा भी शीर्ष प्लास्टिक प्रदूषणकर्ताओं में शामिल है. भारत के बाद सबसे अधिक प्लास्टिक प्रदूषण नाइजीरिया और इंडोनेशिया फैलता है. इस मामले में चीन चौथे स्थान पर है, हालांकि वह कचरे को कम करने में सफलता हासिल कर रहा है. प्लास्टिक प्रदूषक के मामले में पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश के अलावा रूस और ब्राजील भी जिम्मेदार है. रिसर्च के मुताबिक अमेरिका 52,500 टन से अधिक प्लास्टिक प्रदूषण के साथ सूची में 90 और जबकि ब्रिटेन लगभग 5,100 टन के साथ 135वें स्थान पर है.
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6 September 2024भारत ने पेरिस पैरालिंपिक में बुधवार रात 24वां मेडल जीता। 2 बजे तक चले क्लब थ्रो के फाइनल मुकाबले में धरमबीर सिंह ने गोल्ड और प्रणव सूरमा ने सिल्वर मेडल दिलाया। इससे पहले तीरंदाज हरविंदर सिंह ने गोल्ड और शॉट पुटर सचिन सरजेराव ने सिल्वर जीते थे। गेम्स के 7वें दिन भारतीय खिलाड़ियों ने 2 गोल्ड और 2 सिल्वर मेडल दिलाए। इसी के साथ पेरिस गेम्स में भारत के कुल मेडल की संख्या 24 पहुंच गई है। इनमें 5 गोल्ड, 9 सिल्वर और 10 ब्रॉन्ज शामिल है। फिलहाल, भारत मेडल टैली में 13वें नंबर पर है। यह भारतीय पैरा खिलाड़ियों का पैरालिंपिक इतिहास में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। इंडिया ने टोक्यो गेम्स में 19 मेडल जीते थे। भारत ने क्लब थ्रो में गोल्ड और सिल्वर जीते, फिर भी क्लीन स्वीप से चूका भारत ने मेंस F-51 कैटेगरी के क्लब थ्रो इवेंट में गोल्ड और सिल्वर मेडल जीते। फिर भी क्लीन स्वीप करने से चूक गया। देर रात धरमबीर सिंह ने 34.92 मीटर के बेस्ट थ्रो के साथ गोल्ड और प्रणव सूरमा ने 34.59 मीटर के बेस्ट थ्रो के साथ सिल्वर मेडल जीता। सर्बिया के जेलिको डिमित्रिजेविक ने 34.18 मीटर के बेस्ट थ्रो के साथ ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। क्लब थ्रो इवेंट में भारत क्लीन स्वीप कर तीनों मेडल जीत सकता था, लेकिन अमित कुमार 6 अटेम्प्ट में 4 थ्रो फाउल कर बैठे। उनके 2 थ्रो सही रहे, जिसमें बेस्ट 23.96 मीटर दूर ही जा सका। जिस कारण अमित 10वें नंबर पर रहे। F-51 कैटेगरी में वे एथलीट्स आते हैं, जिनके अंगों में कमी, पैर की लंबाई में अंतर, मांसपेशियों की शक्ति में कमी या गति की सीमा में कमी होती है। आर्चरी गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय बने हरविंदर पैरालिंपिक गेम्स में आर्चरी का गोल्ड मेडल जीतने वाले हरविंदर सिंह पहले ही भारतीय बने। हरविंदर मेंस इंडिविजुअल रिकर्व ओपन के रैंकिंग राउंड में 9वें नंबर पर रहे थे। राउंड ऑफ 32 में उन्होंने चीनी ताइपे के लुंग-हुई सेंग को 7-3 से हराया। हरविंदर ने प्री-क्वार्टर फाइनल में सेतियावान को 6-2 से हराया। हरविंदर ने कोलंबिया के जुलियो हेक्टर रमिरेज के खिलाफ क्वार्टर फाइनल 6-2 से जीता। सेमीफाइल में हरविंदर ने ईरान के मोहम्मद रेजा को 7-3 से हराया। उन्होंने फिर पोलैंड के लुकास सीजेक को 6-0 से फाइनल हराया और गोल्ड मेडल जीत लिया। PM नरेंद्र मोदी ने X पर हरविंदर को बधाई दी। उन्होंने लिखा- 'पैरा आर्चरी में स्पेशल गोल्ड। मेंस इंडिविजुअल के रिकर्व ओपन में गोल्ड जीतने पर हरविंदर सिंह को बधाई। उनका फोकस, टारगेट और स्पिरिट कमाल की रही। भारत आपकी जीत से बहुत खुश है।' सिमरन ने सेमीफाइनल में जगह बनाई विमेंस की टी-12 कैटेगरी में भारत की सिमरन ने 100 मीटर रेस के सेमीफाइनल में जगह बना ली है। उन्होंने राउंड-1 की हीट-1 में 12.17 सेकेंड टाइम के साथ पहला स्थान हासिल किया। सिमरन का सेमीफाइनल कल दोपहर 3.21 बजे होगा। सचिन ने दिलाया आज का पहला मेडल पैरालिंपिक के 7वें दिन का पहला मेडल सचिन सरजेराव ने शॉटपुट में दिलाया। उन्होंने 16.32 के एशियन रिकॉर्ड के साथ मेंस F-46 कैटेगरी में सिल्वर जीता। F46 कैटेगिरी उन एथलीट्स के लिए हैं, जिनके हाथ में कमजोरी, कमजोर मसल्स या हाथों के मूवमेंट में कमी होती है। जैवलिन थ्रो में गोल्ड जीतने से चूके मेंस F-46 कैटेगरी में भारत के सुंदर सिंह गुर्जर के नाम 68.60 मीटर दूर जैवलिन फेंकने का वर्ल्ड रिकॉर्ड है। वह 64.96 मीटर दूर ही भाला फेंक सके, जिस कारण उन्हें ब्रॉन्ज मेडल मिला। जबकि अजीत सिंह ने 65.62 मीटर दूर जैवलिन फेंक कर सिल्वर अपने नाम किया। क्यूबा के गुलेर्मो गोन्जालेज ने दूसरे अटेम्प्ट में 66.14 मीटर का थ्रो फेंककर गोल्ड मेडल जीता। भारत के ही रिंकू आखिरी अटेम्प्ट में 61.58 मीटर का बेस्ट थ्रो फेंक कर पांचवें नंबर पर रहे। F-46 कैटेगरी में वे एथलीट्स आते हैं, जिनका एक हाथ नहीं होता या जिनका एक हाथ काम नहीं कर रहा होता। हाई जंप में 2 मेडल जीते टी-42 और 63 कैटेगरी के हाई जंप में शरद कुमार ने 1.88 मीटर जंप कर सिल्वर मेडल जीता। जबकि मरियप्पन थांगावेलु ने 1.85 मीटर का जंप कर तीसरा स्थान हासिल किया। अमेरिका के ईजरा फ्रेच 1.94 मीटर जंप कर पहले नंबर पर रहे। इवेंट में भारत के ही शैलेश कुमार 1.85 मीटर के बेस्ट जंप के साथ चौथे नंबर पर रहे। भारत के तीनों एथलीट्स टी-42 कैटेगरी के हैं। इनमें वे एथलीट्स आते हैं, जिनका एक पैर टूटा हुआ रहता है या वे जिन्हें एक पैर से चलने या दौड़ने में दिक्कत होती है दीप्ति जीवांजी ने दिलाया ब्रॉन्ज मेडल विमेंस टी-20 कैटेगरी की 400 मीटर रेस में दीप्ति जीवांजी ने ब्रॉन्ज मेडल जीता। उन्होंने 55.82 सेकेंड में रेस पूरी की। यूक्रेन की यूलिया शुलियार ने 55.16 सेकेंड टाइम के साथ गोल्ड जीता। जबकि तुर्किये की ऐसल ओन्डेर ने 55.23 सेकेंड में रेस पूरी कर सिल्वर मेडल अपने नाम किया। दीप्ति पैरालिंपिक गेम्स के ट्रैक इवेंट में मेडल जीतने वाली भारत की दूसरी ही एथलीट बनीं। उनसे पहले प्रीति पाल ने टी-35 कैटेगरी की 100 मीटर और 200 मीटर रेस में इसी पैरालिंपिक में 2 ब्रॉन्ज मेडल दिलाए थे। आज अवनी लेखरा 50 मीटर शूटिंग में मेडल जीतने से चूक गईं।
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5 September 2024इंदौर के विश्व प्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर में गणेशोत्सव के पर्व पर इस वर्ष करीब 15 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। इसे लेकर मंदिर प्रशासन ने व्यवस्थाएं चाक चौबंद करनी शुरू कर दी है। दस दिनों तक चलने वाले उत्सव में पहले दिन भगवान का करीब 3 करोड़ के स्वर्ण मुकुट से श्रृंगार किया जाएगा। इसके साथ ही सवा लाख मोदक का भोग लगाया जाएगा। मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उज्जैन के महाकाल मंदिर जैसी जिगजैग रेलिंग की व्यवस्था की है। जिससे एक बार में करीब 5 हजार भक्त मात्र 20 मिनट में बप्पा के दर्शन कर सकेंगे। इस बार हरितालिका तीज से गणेश चतुर्थी तक मंदिर भी रातभर भक्तों के दर्शन के लिए खुला रहेगा। पूरा उत्सव जीरो वेस्ट इवेंट के रूप में मनाया जाएगा। पहले दिन करीब 3 लाख लोगों के पहुंचने की संभावना 10 दिनों (07 से 17 सितंबर) तक चलने वाले गणेश उत्सव में पहले दिन करीब 3 लाख भक्तों के पहुंचने की संभावना है। वहीं भगवान गणेश के खास दिन बुधवार और रविवार को करीब 2 लाख भक्तों के लिए व्यवस्थाएं की गई है। अन्य दिनों में रोजाना करीब 1 लाख भक्तों के पहुंचने की संभावना है। ध्वजा पूजन से होगी शुरुआत, सवा लाख मोदक का भोग लगेगा 7 सितंबर को मंदिर प्रशासन और पं. अशोक भट्ट के साथ अन्य ब्राह्मणों द्वारा सुबह 9.30 बजे ध्वजा पूजन किया जाएगा। इस दौरान करीब 3 करोड़ रुपए की लागत से बने नए स्वर्ण मुकुट से भगवान गणेश का श्रृंगार किया जाएगा। यह स्वर्ण मुकुट भगवान के खजाने से साल में केवल दो बार मकर संक्रांति और गणेश चतुर्थी पर ही निकाला जाता है। इस दौरान गणेशजी को तिल-गुड़ के लड्डू के साथ सवा लाख मोदक का भोग भी लगाया जाएगा। इसके बाद इन्हें प्रसाद के रूप में बांटा जाएगा। भगवान गणेश का रोजाना अलग-अलग प्रकार के फूलों और मोतियों की माला से श्रृंगार किया जाएगा। हर दिन सुबह मंदिर का मनोहारी पुष्प श्रृंगार भी होगा। पहले दिन पुष्प बंगला सजेगा। इस दौरान रात की आरती के बाद हर दिन 11 हजार लड्डुओं का भोग लगेगा। गणेश चतुर्थी पर सवा लाख मोदक का भोग लगने के बाद अगले 9 दिनों तक भगवान को अलग-अलग लड्डुओं का भोग लगेगा। इनमें गोंद के लड्डू, अजवाइन-सोंठ के लड्डू, बेसन के लड्डू, मोतीचूर के लड्डू, उड़द के लड्डू, मूंग के लड्डू, चावल के लड्डू, बड़ी बूंदी के लड्डू, तिल्ली के लड्डू और ग्यारस के दिन फरियाली लड्डुओं का भोग लगाया जाएगा। सभी दिन 11-11 हजार लड्डूओं का भोग लगेगा। सुबह 5 बजे से रात 12 बजे तक होगें दर्शन पंडित अशोक भट्ट के मुताबिक गणेश चतुर्थी के पर्व पर रोजाना सुबह 5 बजे से रात 12 बजे तक मंदिर के पट खुले रहेंगे। इस दौरान प्रात: सुबह और रात को 8 बजे आरती होगी। 7 तारिख को चतुर्थी के दिन दोपहर 12 बजे भगवान के जन्म की आरती होगी। श्रद्धालुओं को दर्शन सुलभ सुचारु रूप से हो सकें, इसलिए जिगजैग व स्टेपिंग की व्यवस्था की गई है। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के लिए भगवान गणेश की दर्शन व्यवस्था को देखते हुए महाकाल मंदिर के तर्ज पर जिगजैग रेलिंग लगाई गई। बारिश के संभावना को देखते हुए रेलिंग को शेड से कवर किया गया है। जिगजैग रेलिंग में एक बार में करीब 5 हजार लोग खड़े हो सकेंगे। इससे फायदा यह होगा कि पांच कतारें एक साथ चलेंगी। गर्भगृह के ठीक सामने 5 स्टैप लगाई गई हैं, जिसमें एक बार में करीब 200 भक्त आसानी से दर्शन पा सकेंगे। मंदिर में प्रवेश और दर्शन में करीब 20 मिनट का समय लगेगा।
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5 September 2024हिंदू धर्म में भगवान शिव प्रमुख देवताओं में से एक माने जाते हैं. ऐसे कई भक्त हैं जो भगवान शिव की पूजा में लीन रहते हैं. भक्तों के लिए भगवान शिव काफी पूजनीय माने गए हैं. ऐसे में अधिकतर लोग भगवान शिव के मंदिर और बड़े-बड़े शिवालयों का दर्शन करने जाते हैं. अगर आप भी भारत में मौजूद भगवान शिव के विशाल प्रतिमाओं का दर्शन करना चाहते हैं, तो यह खबर आपके लिए है. आज हम आपको उन सभी जगह के बारे में बताएंगे, जहां पर भगवान शिव की बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं मौजूद है. आइए जानते हैं उन जगहों के बारे में. ॉ भगवान शिव की बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं अगर आप भी दुनिया भर में मौजूद विशाल शिव प्रतिमाओं का दर्शन करना चाहते हैं, तो भारत के राजस्थान राज्य के नाथद्वारा में 'विश्वास स्वरूपम' दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमाओं में से एक है. इस प्रतिमा का दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं. जानकारी के मुताबिक यह प्रतिमा 369 फीट ऊंची और 51 बीघा की पहाड़ी पर मौजूद है. आदियोगी शिव प्रतिमा इसके अलावा तमिलनाडु के कोयंबटूर में स्थित आदियोगी शिव प्रतिमा सभी विशाल शिव प्रतिमाओं में से एक है. जानकारी के मुताबिक इस सतगुरु जग्गी वासुदेव ने डिजाइन किया है और इसकी ऊंचाई 112 फिट है. यही नहीं कुछ लोगों का मानना है कि यह प्रतिमा स्टील की बनाई हुई है. आदियोगी कि इस शिव प्रतिमा का दर्शन करने लोग दूर-दूर से यहां आते हैं. कर्नाटक में विशाल शिव प्रतिमा दुनिया भर की विशाल शिव प्रतिमाओं में से एक शिव प्रतिमा कर्नाटक के मुरुंदेश्वर क्षेत्र में बनी हुई है. इस शिव प्रतिमा की ऊंचाई 123 फिट है. यह प्रतिमा कंडुक गिरी पर्वत पर बनी हुई है. यही नहीं अरब सागर के तट पर बनी यह शिव प्रतिमा वाकई में देखने लायक है. यहां विदेश से भी लोग भगवान के दर्शन करने आते हैं. हर की पौड़ी पर शिव प्रतिमा उत्तराखंड के हरिद्वार में हर की पौड़ी पर स्थित एक विशाल शिव प्रतिमा बनी हुई है. यह प्रतिमा खड़ी मुद्रा में है, जिसकी ऊंचाई 100 फीट के करीब है. गंगा किनारे पर बनी इस शिव प्रतिमा का दर्शन करने यहां कई भक्त रोजाना आते हैं. गुजरात में मौजुद है शिव प्रतिमा इसके अलावा भारत के गुजरात राज्य के वडोदरा शहर में 111 फीट ऊंचाई पर बनी शिव प्रतिमा पर सोने का लेप चढ़ाया गया है. जानकारी के मुताबिक यह एक खूबसूरत शिव प्रतिमा है, जिसे बनाने में 12 करोड़ के लगभग पैसे लगे हैं. भारत में मौजूद इन सभी विशाल प्रतिमाओं का दर्शन आप कर सकते हैं.
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4 September 2024गणेश चतुर्थी का पर्व आने वाला है, लेकिन उससे पहले 4 सितंबर यानि बुधवार को भी गणेश जी का आशीर्वाद पाने का शुभ संयोग बना है. विशेष बात ये है कि इसी दिन बुध ग्रह का राशि परिवर्तन यानि गोचर सिंह राशि में हो रहा है. हिंदू धर्म में हर दिन किसी न किसी देवी- देवता को समर्पित किया गया है. ज्योतिष अनुसार बुधवार का दिन भगवान गणेश का दिन माना जाता है. बुधवार का दिन बुद्धि प्राप्ति का दिन होता है. सनातन धर्म मे ऐसी मान्यता है कि किसी भी शुभ काम की शुरुआत गणेश जी की पूजा से ही करनी चाहिए. गणेश जी को बुध ग्रह का कारक देव माना गया है, इसलिए बुधवार को भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है. बुधवार के दिन भगवान गणेश जी की पूजा करने से व्यक्ति को गणपति का आशीर्वाद मिलता है और इससे कुंडली में बुध की स्थिति भी मजबूत होती है. पुराणों में माना गया है कि गणेशजी की पूजा शनि ग्रह दोष को दूर करने में और शत्रुओं से बचाव के लिए भी लाभदायक होती है. इसीलिए गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. बुधवार के दिन ही गणेश जी की पूजा क्यों की जाती है? पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने जब भगवान गणेश का निर्माण किया था तो वह बुधवार का दिन था. उस समय कैलाश पर्वत पर बुध देव भी वहां उपस्थित थे, इसलिए बुधवार के दिन को भगवान गणेश की पूजा करने का नियम बन गया। एक दूसरी मान्यता यह भी है कि जब भगवान शिव त्रिपुरासुर का वध करने में विफल हो गए थे, तो उनकी परास्त का कारण यह माना गया कि भगवान शिव ने गणेश जी की पूजा किए बिना ही लड़ाई शुरू कर दी थी. तब पूरे विधि विधान के अनुसार गणेश जी की पूजा की गई और उन्हें लड्डुओं का भोग लगाया गया. इसके बाद जब युद्ध हुआ तो त्रिपुरासुर की हार हुई. यही वजह है कि हर काम से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है, ताकि कार्य में किसी प्रकार का विघ्न न आए. बुधवार के दिन इन उपायों से बनते हैं बिगड़े काम बुधवार को गणेश जी की उपासना करने से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं. इस दिन मंदिर में जाकर या घर पर गणपति विराजमान करने के बाद उन्हें सिंदूर अर्पित करना चाहिए और मोदक का भोग भी लगाना चाहिए . बुधवार के दिन गणेश स्तोत्र का 11 बार पाठ करने से जातक के परिवार में सुख शांति बनी रहती है. इस दिन घर से निकलते समय सिंदूर का तिलक लगाने से नौकरी व व्यवसाय में सफलता मिल सकती है. कार्यक्षेत्र में आ रही परेशानियों को दूर करने के लिए गणेश रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए. बुधवार के दिन गणेश जी को घी और गुड़ का भोग लगाएं और गाय को खिला दे। ये उपाय करने से धन संबंधित समस्याओं से मुक्ति मिलती है. भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बुधवार के दिन उन्हें 21 दूर्वा चढ़ाएं. इस दिन गणेश चालीसा का पाठ करने से मनुष्य के भाग्य में बढ़ोतरी होती है.
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4 September 2024नाक का काम यूं तो स्मेल करना, सांस लेना, सांस छोड़ना है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि छोटी सी नाक हमें कई तरह के संकेत देती है, जिन्हें हमें नजर अंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि नाक में कई ऐसी बीमारियां छुपी होती हैं. ये आगे जाकर कई गंभीर रोगों को जन्म दे सकती हैं. ऐसे में अगर आपकी नाक पर इनमें से कुछ भी चीजें नजर आती है, तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए और अपना टेस्ट करना चाहिए, क्योंकि यह गंभीर बीमारियों की ओर इशारा करता है. एक्ने वुल्गैरिस एक्ने वुल्गैरिस सबसे कॉमन एक्ने प्रॉब्लम में से एक होती हैं, जो सबसे पहले नाक को ही प्रभावित करती हैं. इसमें स्किन पोर्स बंद हो जाते हैं, शुरुआत में यह ब्लैकहेड्स होते हैं, उसके बाद बड़ी-बड़ी गांठ में कन्वर्ट हो जाते हैं, इससे संक्रमण, सूजन और यहां तक की मवाद भी भर जाता है, जिससे त्वचा में घाव हो सकते हैं. एक्ने रोसैसिया एक्ने रोसैसिया एक सूजन वाली स्किन डिजीज है, जिसमें त्वचा पर लाल रंग के उभार बन जाते हैं. इससे राइनोफिमा भी हो सकता है, यह वह स्थित है जब नाक की स्किन बढ़ने लगती है और मोटी हो जाती है और इसमें बहुत ज्यादा दर्द होता है. सारकॉइडोसिस सारकॉइडोसिस को भेड़िया की नाक के रूप में भी जाना जाता है. इसमें नाक में सूजन वाली बीमारी हो जाती है और यह फेफड़ों और लिम्फ नोड्स सहित शरीर के किसी भी ऊतक को प्रभावित कर सकती है. इस स्थिति में नाक, कान, उंगलियों, पैरों की उंगली पर नीले और बैगनी रंग के धब्बे नजर आने लगते हैं. नाक पर सारकॉइडोसिस को ल्यूपस पेर्नियो कहा जाता है. ट्राइजेमिनल ट्रॉफिक सिंड्रोम ट्राइजेमिनल ट्रॉफिक सिंड्रोम यानी कि TTS एक ऐसी बीमारी है, जो ट्राइजेमिनल तंत्रिका को नुकसान पहुंचा सकती है. इसमें नाक के आसपास अल्सर हो सकते हैं, जो बिना सूजन के होते हैं. इसके अलावा एनेस्थीसिया और पैरेस्थीसिया जैसे लक्षण भी नजर आते हैं.
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4 September 2024फिल्मों में जब आप देश की सीमा पर सैनिकों को तैनात देखते हैं, तो ज्यादातर आपको भारतीय सेना यानी इंडियन आर्मी के जवान दिखाई देते हैं. लेकिन देश की सीमा पर इंडियन आर्मी की तैनाती नहीं होती. बल्कि, उनकी तैनाती सीमा से थोड़ी दूरी पर होती है. चलिए आज आपको इस आर्टिकल में बताते हैं कि देश की अलग-अलग सीमाओं पर किन-किन फौजों की तैनाती होती है. भारत-चीन सीमा पर किसकी तैनाती होती है भारत-चीन सीमा पर, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के जवानों की तैनाती होती है. ITBP के जवानों का काम मुख्य रूप से भारत-चीन सीमा की सुरक्षा करना होता है. यह फोर्स सबसे टफ मानी जाती है, इसीलिए हिमालयी क्षेत्रों में तैनात रहती है और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में मुस्तैदी से काम करती है. ITBP की स्थापना 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद हुआ था. ITBP के जवानों की तैनाती खासतौर से लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम में होती है. इन जगहों पर भारत की सीमा चीन से लगती है. भारत-पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमा पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगी भारतीय सीमा की सुरक्षा बीएसएफ करती है. इसकी स्थापना 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद किया गया था. मौजूदा समय में BSF के जवानों की तैनाती जम्मू और कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा, मिजोरम, और मेघालय में है. इन जगहों पर भारत की सीमा पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगती है. BSF के जवानों का काम होता है पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगी सीमा पर घुसपैठ को रोकना, सीमा पार से होने वाली आतंकी गतिविधियों को रोकना और सीमा पर शांति व्यवस्था बनाए रखना है. म्यांमार सीमा पर इस फोर्स की तैनाती होती है भारत म्यांमार सीमा पर असम राइफल तैनात रहती है. यह फोर्स भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में उन जगहों पर सुरक्षा बनाए रखने के लिए तैनात है जहां भारत की सीमा म्यांमार से लगती है. आपको बता दें, असम राइफल्स (Assam Rifles) भारतीय अर्धसैनिक बलों में सबसे पुरानी पैरामिलिट्री फोर्स है. इसका इतिहास 1835 तक जाता है. दरअसल, उस वक्त ब्रिटिश सरकार ने भारत के उत्तर-पूर्वी सीमा क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए असम राइफल्स की स्थापना की थी. हालांकि, उस वक्त इस फौज को मूल रूप से "Cachar Levy" के नाम से जाना जाता था.
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3 September 2024अंतरिक्ष को रहस्यों से भरी दुनिया कहा जाता है. लेकिन आज तकनीक और वैज्ञानिकों के कारण स्पेस और चांद तक इंसान पहुंच चुका है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अब स्पेस में आम इंसान भी जा रहे हैं. जी हां, आज हम आपको बताएंगे कि भारत का वो पहला शख्स कौन है, जो अपने खर्च पर स्पेस टूरिस्ट की तरह स्पेस में गया था. स्पेस टूरिस्ट बता दें कि अमेजन के फाउंडर और स्पेस टूर कराने वाली कंपनी ब्लू ओरिजिन के मालिक जेफ बेजोस हैं. इनकी कंपनी ब्लू ओरिजिन आम इंसानों को स्पेस टूर कराती है. अब सवाल है कि भारत के पहले स्पेस टूरिस्ट कौन हैं? बता दें कि गोपीचंद थोटाकुरा खुद के खर्च पर अंतरिक्ष जाने वाले पहले स्पेस टूरिस्ट हैं. उन्होंने ब्लू ओरिजिन की NS-25 स्पेसफ्लाइट में स्पेस का सफर किया है. जानकारी के मुताबिक अभी हाल ही में वो भारत लौटे हैं. जानकारी के मुताबिक थोटाकुरा ब्लू ओरिजिन के न्यू शेपर्ड-25 (NS-25) मिशन की क्रू टीम का हिस्सा थे, जो स्पेस टूरिज्म के तहत अंतरिक्ष के सफर पर गया था. गोपीचंद थोटाकुरा की अंतरिक्ष यात्रा एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जिससे वे पृथ्वी के वायुमंडल से परे यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय नागरिक बन गए हैं. इससे पहले विंग कमांडर राकेश शर्मा थे, जो इंडियन एयर फोर्स के पूर्व पायलट थे. उन्होंने 1984 में अंतरिक्ष में कदम रखा था. थोटाकुरा की यह यात्रा भविष्य के स्पेस टूरिज्म की संभावनाओं को बढ़ा रहा है. कौन हैं थोटाकुरा एंटरप्रेन्योर और पायलट गोपीचंद थोटाकुरा एक बिजनेसमैन और उत्साही ट्रैवलर थोटाकुरा हैं, उन्होंने एम्ब्री-रिडल एयरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है. बता दें कि 19 मई 2024 को एक टूरिस्ट के तौर पर ब्लू ओरिजिन के न्यू शेपर्ड-25 मिशन के तहत अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी थी. कुछ देर स्पेस में रहने के बाद मिशन सुरक्षित रूप से वापस पृथ्वी पर आ गया था. ब्लू ओरिजिन कंपनी बता दें कि ब्लू ओरिजिन कंपनी स्पेस टूरिज्म को बढ़ावा दे रही है, ये कंपनी आम इंसानों को स्पेस की सैर करने का मौका देती है. गौरतलब है कि ब्लू ओरिजिन एक प्राइवेट एयरोस्पेस कंपनी है. इसके मालिक मशहूर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस हैं. उन्होंने 2000 में इस कंपनी को बनाया था. यह कंपनी न्यू शेपर्ड रॉकेट के जरिए लोगों को अंतरिक्ष का सफर करने की सर्विस देती है. ब्लू ओरिजिन ने 20 जुलाई 2021 को न्यू शेपर्ड से पहली बार इंसानों को अंतरिक्ष में सफर कराया था. इस मिशन का नाम ब्लू ओरिजिन NS-16 था, जिसके तहत चार लोग स्पेस गए थे. इनमें खुद जेफ बेजोस के अलावा मार्क बेजोस, वैली फंक और ओलिवर डेमन शामिल थे स्पेस जाने का किराया? ब्लू ओरिजिन ने अभी तक आधिकारिक रूप से यह नहीं बताया है कि वह सबऑर्बिटल मिशन में एक सीट के लिए कितना किराया लेती है. जानकारी के मुताबिक सीट बुक करने के लिए इसकी ऑफिशियल वेबसाइट पर संपर्क किया जा सकता है.
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3 September 2024हिमाचल प्रदेश में लड़कियों की शादी की उम्र अब 21 साल कर दी गई है. ये बिव विधानसभा में पास हो गया है और अब इसे राज्यपाल के पास भेजा गया है. यदि राज्यपाल के पास इस बिल को मंजूरी मिल जाती है तो हिमाचल प्रदेश में लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल हो जाएगी. हालांकि फिलहाल पूरे देश में लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल और लड़कों की शादी की उम्र 21 साल है. अलग-अलग देशों में लड़कों और लड़कियों की शादी की उम्र अलग-अलग तय की गई है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर किस देश में शादी की उम्र क्या है? चलिए जान लेते हैं. पाकिस्तान पाकिस्तान में भी शादी की न्यूनतम कानूनी उम्र लड़कियों के लिए 16 साल है, लेकिन लड़कों के लिए ये 21 साल तय की गई है. हालांकि, सामाजिक और कानूनी तौर पर यह मान्यता प्राप्त है कि 21 साल की उम्र में शादी करना एक समझदार निर्णय के रूप में देखा जाता है. पाकिस्तान में विवाह की उम्र को लेकर सामाजिक और धार्मिक मान्यताएं भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और 21 साल की उम्र में शादी करना अक्सर एक आदर्श मानक माना जाता है. बांग्लादेश बांग्लादेश में कानूनी तौर पर लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 साल है, लेकिन 21 साल की उम्र में शादी करने की स्वतंत्रता भी प्राप्त होती है. इस उम्र में शादी करना लड़कियों को एक बड़ी जिम्मेदारी और जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों के लिए अधिक परिपक्वता का संकेत देता है. बांग्लादेश में विवाह की उम्र को लेकर कई सामाजिक और पारंपरिक दृष्टिकोण हैं और 21 साल की उम्र अक्सर एक सुरक्षित और समझदारी भरा निर्णय माना जाता है. मलेशिया मलेशिया में शादी की न्यूनतम कानूनी उम्र लड़कियों के लिए 16 साल है, लेकिन 21 साल की उम्र में शादी करना अधिक सामान्य और पसंदीदा विकल्प माना जाता है. मलेशिया में विवाह की उम्र को लेकर धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं जरुरी होती हैं, और 21 साल की उम्र में शादी करने से युवाओं को जीवन के फैसलों में अधिक समझदारी और परिपक्वता प्राप्त होती है. थाईलैंड थाईलैंड में कानूनी तौर पर लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 17 साल है, लेकिन वहां 21 साल की उम्र में शादी करने का चलन काफी सामान्य है. यहां के लोग मानते हैं कि 21 साल की उम्र में शादी करने से व्यक्ति जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए ज्यादा अच्छेसे तैयार होता है. थाईलैंड में सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से 21 साल की उम्र में शादी को एक उचित और परिपक्व विकल्प माना जाता है. फिलीपींस फिलीपींस में विवाह की कानूनी उम्र लड़कियों के लिए 18 साल है, लेकिन इस देश में भी 21 साल की उम्र में शादी करना एक आदर्श माना जाता है. ये उम्र युवाओं को जीवन की जिम्मेदारियों को समझने और उन्हें पूरी तरह से निभाने के लिए अधिक जिम्मेदारी देती है. यहां पर विवाह के लिए 21 साल की उम्र को लेकर भी सामाजिक और पारंपरिक दृष्टिकोण सकारात्मक होते हैं. श्रीलंका श्रीलंका में कानूनी विवाह की उम्र लड़कियों के लिए 18 साल है. हालांकि इस देश में भी 21 साल की उम्र में शादी करना सामान्य समझा जाता है. ये उम्र युवाओं को मानसिक और भावनात्मक परिपक्वता प्रदान करती है, जिससे वे शादी के निर्णय को पूरी समझदारी के साथ ले सकते हैं. श्रीलंका में शादी की उम्र को लेकर सामाजिक और सांस्कृतिक मान्यताएं भी जरुरी होती हैं.
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3 September 2024श्रवण- भादो में कल दो सितंबर को बाबा महाकाल की शाही सवारी निकलेगी. शाही सवारी में भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेने श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या उमड़ेगी. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कल उज्जैन आ सकते हैं. महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने मिनट टू मिनट कार्यक्रम की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि भाद्रपद माह की दूसरी और अंतिम सवारी दो सितम्बर को शाही ठाठ-बाट के साथ निकलेगी. भक्तों को बाबा महाकाल सात अलग-अलग रूपों में दर्शन देंगे. श्री गणेश कुमार धाकड़ के मुताबिक रजत पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा-महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद, श्री घटाटोप मुखोटा स्वरूप और सप्तम सवारी में श्री सप्तधान का मुखारविंद शामिल रहेगा. कल महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर की पूजा अर्चना होगी. पूजा के बाद रजत पालकी में सवार होकर भगवान महाकाल प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलेंगे. उन्होंने बताया कि मंदिर के मुख्य द्वार पर पालकी में विराजित भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर को सशस्त्र सलामी दी जाएगी. कल निकलेगी बाबा महाकाल की शाही सवारी श्री चन्द्रमोलेश्वर की पालकी निर्धारित समय शाम 4 बजे शुरू होकर कोट मोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्षीबाजार चौराहा, कहार वाड़ी, हरसिद्धीपाल से रामघाट पहुंचेगी. गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि भगवान महाकाल की पालकी का द्वारकाधीश गोपाल मंदिर पर सिंधिया परिवार हर साल पूजन करता है. पालकी के गोपाल मंदिर पहुंचने पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पूजन करेंगे. उसके बाद शाही सवारी पटनी बाज़ार, गुदरी चौराहा, कोट मोहल्ला, महाकाल चौराहा होते हुए मंदिर परिसर में पहुंचेगी. महाकालेश्वर भगवान की प्रमुख सवारी के चल समारोह में सबसे आगे मंदिर का प्रचार वाहन चलेगा. प्रचार वाहन के पीछे यातायात पुलिस, तोपची, भगवान महाकालेश्वर का रजत ध्वज, घुड़सवार, विशेष सशस्त्र बल, सलामी गार्ड, स्काउट गाइड सदस्य, कांग्रेस सेवा दल, सेवा समिति बैंड, विभिन्न शहरों की 70 भजन मंडलियां चल समारोह में प्रभु का गुणगान करते हुए चलेंगी. उसके बाद साधु-संत और आम लोग, पुलिस बैंड, नगर सेना सलामी गार्ड की टुकड़ी, श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी और पुरोहितगण शाही सवारी के साथ रहेंगे.
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2 September 2024'लैंसेट ग्लोबल हेल्थ' के मुताबिक भारतीयों के शरीर में कई सारे पोषक तत्वों की कमी है. खासकर आयरन, कैल्शियम और फोलेट की सबसे ज्यादा कमी है. इस रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया है कि यह कमी हर उम्र के लोगों में देखी गई है. यह रिसर्च दुनिया के 185 देशों में किया गया है. इसमें पाया कि 15 ऐसे पोषक तत्व हैं जो लोगों के शरीर में कम मात्रा में है. पूरी दुनिया में 70 प्रतिशत लोग आयोनडिन नहीं खाते हैं यह रिसर्च डाइट संबंधी चार्ट पर आधारित है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी यूएसए के रिसर्चर की एक इंटरनेशनल टीम ने कहा है कि यह रिसर्च से ऐसे संकेत मिले हैं कि वैश्विक आबादी का लगभग 70 प्रतिशत जो कि पांच अरब से अधिक लोगों के बराबर है. यह लोग आयोडीन, विटामिन ई और कैल्शियम बिल्कुल भी नहीं खाते हैं. रिसर्च में यह भी पाया कि एक ही देश और आयु वर्ग में, पुरुषों की तुलना में महिलाओं का एक बड़ा हिस्सा आयोडीन, विटामिन बी12 और आयरन सही मात्रा में नहीं ले रही हैं. वहीं महिलाओं की तुलना में अधिक पुरुष मैग्नीशियम, विटामिन बी6, जिंक और विटामिन सी की अपर्याप्त मात्रा में खाते हैं. भारत की स्थिति भारतीयों यह देखा गया कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की एक बड़ी संख्या में आयोडीन की कमी पाई गई है . जबकि महिलाओं की तुलना में पुरुषों की एक बड़ी संख्या में जिंक और मैग्नीशियम का अपर्याप्त लेवल था. 10-30 साल की कमी रिसर्च में पाया गया कि 10-30 साल की आयु के व्यक्ति खासकर साउथ एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में कम कैल्शियम सेवन के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं. लेखकों का सुझाव है कि ये निष्कर्ष सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों को उन आबादी की पहचान करने में मदद कर सकते हैं जिन्हें आहार हस्तक्षेप की आवश्यकता है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि चूंकि अध्ययन में फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों या सप्लीमेंट्स की खपत पर विचार नहीं किया गया था, इसलिए परिणाम कुछ प्रमुख पोषक तत्वों की कमी को बढ़ा-चढ़ाकर बता सकते हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ और सप्लीमेंट्स का आमतौर पर सेवन किया जाता है. वैज्ञानिक ने देखा कि ये कमियां चावल और गेहूं जैसे मुख्य अनाजों के आहार में निहित हैं, जिनमें इन महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी है. उन्होंने कहा कि इन पोषक तत्वों की ऑर्गेनिक या अवशोषण, अक्सर फाइटेट्स और ऑक्सालेट द्वारा कम हो जाता है, जो आमतौर पर भारत में प्रचलित शाकाहारी आहार में पाए जाते हैं.
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2 September 2024पेरिस पैरालंपिक में भारत को 8वां मेडल मिल गया है. योगेश कथुनिया ने डिस्कस थ्रो में सिल्वर मेडल जीता. उन्होंने मेन्स डिस्कस थ्रो F56 इवेंट में सिल्वर मेडल अपने नाम किया. योगेश कथुनिया का पहला थ्रो 42.22 मीटर का फेंका. इसके बाद दूसरा, तीसरा, चौथा और पांचवां क्रमश 41.50 मीटर, 41.55 मीटर, 40.33 मीटर और 40.89 मीटर का रहा. बहरहाल, इस तरह भारत को 8वां मेडल मिला. वहीं, इस वक्त भारत मेडल टेली में 30वें नंबर पर काबिज है. अब तक भारतीय खिलाड़ियों ने 1 गोल्ड मेडल के अलावा 3 सिल्वर मेडल और 4 ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं. योगेश कथुनिया ने लगातार दूसरे पैरालंपिक में जीता सिल्वर मेडल आज पेरिस पैरालंपिक गेम्स के पांचवें दिन योगेश कथुनिया ने सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया. दरअसल, योगेश कथुनिया ने इससे पहले टोक्यो ओलंपिक 2020 में सिल्वर मेडल अपने नाम किया था. इस तरह उन्होंने लगातार दूसरे पैरालंपिक गेम्स में सिल्वर मेडल जीतकर बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है. अब भारत के पदकों की संख्या 8 हो गई है. भारतीय शूटर अवनि लेखरा ने R2 वीमेंस 10 मीटर एयर राइफल (SH1) में गोल्ड मेडल जीता था. इसके बाद मोना अग्रवाल ने इस इवेंट का ब्रॉन्ज मेडल जीता. अब तक पेरिस पैरालंपिक में इन भारतीय खिलाड़ियों ने जीते हैं मेडल... अवनि लेखरा और मोना अग्रवाल के बाद प्रीति पाल ने भारत को तीसरा मेडल दिलाया. मोना अग्रवाल ने वीमेंस 100 मीटर रेस (T35) ने मेडल जीता. वहीं, भारत की झोली में चौथा मेडल मनीष नरवाल ने डाला. मनीष नरवाल ने 10 मीटर एयर पिस्टल (SH1) में सिल्वर मेडल हासिल किया. जबकि रूबनी फ्रांसिस ने पांचवां, प्रीती पाल ने छठा, निषाद कुमार ने सातवां और योगेश कथुनिया ने आठवां मेडल जीता
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2 September 2024जन्माष्टमी के बाद राधा अष्टमी का त्योहार बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. कहते हैं राधा के बिना श्याम की पूजा सफल नहीं होती. हिन्दू धर्म में राधा-कृष्ण की उपासना का विशेष महत्व है. ऐसे में राधा अष्टमी के शुभ अवसर पर राधा रानी का पूजन करने से वैवाहिकी जीवन में सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. साथ ही मनचाहा जीवनसाथी मिलता है. 2024 में राधा अष्टमी कब है, सही तारीख और पूजा मुहूर्त यहां जानें. राधा अष्टमी 2024 डेट जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधा जी का जन्मदिन मनाया जाता है. इस साल राधा अष्टमी 11 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी. मथुरा, वृंदावन, बरसाना और नंदगांव में राधा अष्टमी की खास रौनक रहती है. राधा अष्टमी 2024 मुहूर्त पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी 10 सितंबर 2024 को रात 11 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 11 सितंबर 2024 को रात 11 बजकर 26 मिनट पर होगा. इस दिन राधा जी की पूजा सुबह 11.03 से दोपहर 01.32 मिनट के बीच करना शुभ फलदायी होगा. पूजा के लिए साधक को 2 घंटे 29 मिनट का समय मिलेगा. राधा रानी की पूजा से मिलते अनेक सुख धार्मिक मान्यता है कि जिन लोगों ने जन्माष्टमी पर व्रत-पूजन किया है उन्हें राधा अष्टमी पर राधा रानी की पूजा अवश्य करनी चाहिए. इसके बिना कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा का फल नहीं मिलता. कहा जाता है कि राधा जी प्रेम और भक्ति का प्रतीक हैं. इनकी उपासना से जीवन में स्थिरता, प्रेम, रिश्तों में मिठास बढ़ती है. राधाष्टमी पूजा विधि राधा अष्टमी के दिन पर सुबह-सवेरे उठकर स्नानादि करके निवृत्त हो जाएं. इस दिन राधा जी और भगवान कृष्ण की पूजा करें. पूरे दिन व्रत करना चाहिए और सिर्फ एक समय फलाहार करना चाहिए. राधा अष्टमी पर पूजन के लिए पांच रंग के चूर्ण से मंडप का निर्माण करें और इस मंडप के भीतर षोडश दल के आकार का कमल यंत्र बनाएं. अब इस कमल के बीचों बीच सुन्दर आसन पर श्री राधा-कृष्ण की युगल मूर्ति को स्थापित करें. राधा-कृष्ण जी की प्रतिमा को पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और गंगा जल) से स्नान कराएं और फिर मूर्ति का श्रृंगार करें. भोग धूप, दीप, फूल आदि अर्पित करें. फिर आरती करें और राधा चालीसा का पाठ करें.
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28 August 2024दुनिया में कई ऐसी बीमारियां हैं जो इंसान के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं. इन बीमारियों के कारण जान भी जा सकती है. इनका कोई इलाज उपलब्ध नहीं है. ये बीमारियां जिसे हो जाएं, उसे जीते जी ही मार डालती है. ये इतनी खतरनाक होती हैं कि इंसान खुद ही मौत मांगने लगता है. वह जीना ही नहीं चाहता है. इनमें से ज्यादातर का तो नाम ही बहुत ही कम लोगों ने सुना है. आइए जानते हैं दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारियों के बारे में... 1. मोटर न्यूरॉन यह एक बेहद गंभीर औकघातक बीमारी है. इसमें मरीज की मांसपेशिया बर्बाद हो जाती हैं. शरीर के कई अंग काम करना बंद कर देते हैं. खाना निगलने से लेकर सांस लेने तक में दिक्कतें होने लगती हैं. एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस बीमारी का शिकार बनने वाले सिर्फ 5 परसेंट लोग ही जिंदा बच पाते हैं. 2. स्टोनमैन सिंड्रोम स्टोनमैन सिंड्रोम या मुंचमेयर बीमारी, जिसे फाइब्रोडिस्प्लासिया ऑसिफिकन्स प्रोग्रेसिवा (FOP) भी कहते हैं. यह एक रेयर बीमारी है, जिसका कोई इलाज नहीं है. इस बीमारी में मरीज की हड्डी टूट जाती है और फिर जुड़ नहीं पाती है. कई बार तो हड्डी टूटने के बाद दूसरी जगह जुड़ जाती है, जो बेहद दर्दनाक स्थिती होती है. इसका इलाज अभी ढूंढा जा रहा है. 3. एक्सरोडरमा पिग्मेंटोसम स्किन से जुड़ी ये बीमारी बेहद दुर्लभ और घातक है. इसमें मरीज को सूरज की रोशनी से ही एलर्जी होती है. अगर उसकी स्किन पर जरा सी भी धूप पड़ जाए तो खुजली और जलन होने लगती है. इससे कई बार छाले भी पड़ जाते हैं. इसका कोई इलाज नहीं है. 4. चगास बीमारी चगास बीमारी को अमेरिकन ट्रिपैनोसोमियासिस भी कहते हैं. एक परजीवी बीमारी है, जो ट्रिपैनोसोमा क्रूजी की वजह से होती है. इसमें इंसान सोते समय 'किसिंग बग' की चपेट में आ जाता है,जिससे मुंह के पास गंभीर घाव हो जाता है. इसमें तंत्रिका तंत्र भी बुरी तरह प्रभावित होती है. इसकी वजह से ब्लड सर्कुलेशन सही तरह नहीं हो पाता है. इससे कई अन्य समस्याएं भी हो सकती है। यह एक लाइलाज बीमारी है, हालांकि, अगर शुरुआत में इसका पता चल जाए तो कुछ दवाईयों से जान बच सकती है. 5. एपीडर्मोडीस्प्लासिया वेरूसीफॉर्मिस यह एक दुर्लभ आनुवांशिकी बीमारी है. इस बीमारी को ट्री मैन सिंड्रोम नाम से भी जानते हैं. इसमें इंसानों में पेड़ों की छाल की तरह संचरना निकलने लगती है. खासकर हाथ और पैर में इसका असर ज्यादा देखने को मिलता है. इस बीमारी से दुनिया में कुछ लोग ही पीड़िता होते हैं लेकिन ये जीते जी मार डालती है. हालांकि, सर्जरी से इस संचरना को हटाकर चलने लायक बनाया जा सकता है.
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28 August 2024दुनिया भर के अलग-अलग देश में अलग-अलग तरह की मान्यताएं हैं. इंसान जाति और धर्म पर आधारित त्योहारों को मानता है और उनके अपने-अपने कैलेंडर भी होते हैं. सारे कैलेंडर में 12 महीने ही होते हैं, लेकिन हमारी धरती पर एक ऐसा देश है जहां पर 12 नहीं बल्कि कुल 13 महीने होते हैं. सोच में पड़ गए न आप... 13 महीने होने की वजह से यह देश पूरी दुनिया से 7 साल पीछे चल रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह देश अफ्रीका में है, जिसका नाम है इथियोपिया. इस देश में एक साल में 13 महीने होते हैं और 13वें महीने में कुल मिलाकर 5 दिन होते हैं. यहां पर एक हफ्ते में मात्र 5 दिन होते हैं. यही नहीं लीप ईयर के साल इथियोपिया के कैलेंडर में 6 दिन होते हैं. इससे भी बड़ी बात जानकर आपको हैरानी होगी कि हम सब 2024 का नया साल मना चुके हैं, लेकिन इथियोपिया में अब तक 2024 का नया साल नहीं आया है. यहां के लोग 11 सितंबर 2024 को नया साल मनाएंगे. कौन सा कैलेंडर फॉलो करता है ये देश दुनिया भर में ज्यादातर देश वेस्टर्न ग्रेगोरियन कैलेंडर को मानते हैं, लेकिन कुछ ऐसे हैं जो पुराने कैलेंडर को मानते हैं, लेकिन इन सब के बावजूद भी सभी कैलेंडर में मात्र 12 महीने ही होते हैं. इन सब से हटकर इथियोपिया आज भी उस कैलेंडर को फॉलो करता है जो रोमन चर्च ने 525 एडी में बनाया था. यही कारण है कि इस देश की नई सदी की शुरुआत 11 सितंबर 2007 से हुई थी. कभी नहीं हुआ गुलाम इथियोपिया एक ऐसा अफ्रीकी देश है, जो कभी भी ब्रिटेन का गुलाम नहीं बना. हालांकि, इस पर इटली का कब्जा हुआ करता था, लेकिन कब्जे के 6 साल बाद ही वे लोग भी वापस चले गए. उपलब्ध आंकड़ों की बात करें तो इस देश में कॉफी की उत्पत्ति हुई थी. सोशल मीडिया पर जब इसका वीडियो वायरल हुआ तो लोगों ने जमकर पोस्ट को शेयर किया. अब जब की इथियोपिया में 13 महीनों का साल होता है तो इन महीनों के नाम भी जान लेते हैं. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार महीनों के नाम जनवरी, फरवरी, मार्च आदि होते हैं, लेकिन इथियोपिया के कैलेंडर यानी कि गीज कैलेंडर के अनुसार महीनों के नाम बहुत अलग है. इथियोपिया के कैलेंडर के अनुसार महीनों के नाम मेस्केरम (Meskerem) टिकिम्त (Tikimt) हिदार (Hidar) तहसास (Tahsas) तिर (Tir) याकातित (Yakatit) मग्गाबित (Maggabit) मियाजिया (Miyaziya) गिनबोत (Ginbot) सेंसे (Sene) हामले (Hamle) नेहासा (Nehasa) पागुमे (Pagume)
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28 August 2024जन्माष्टमी के चार दिन बाद यानि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि का विशेष महत्व है, इस दिन बछ बारस का त्योहार मनाया जाता है. बछ बारस 30 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा. इस दिन गौमाता की बछड़े सहित पूजा की जाती है. माताएं अपने पुत्रों को तिलक लगाकर तलाई फोड़ने के बाद लड्डू का प्रसाद देती है यानि पुत्रवान महिलाये अपने संतान की मंगल कामना के लिए व्रत रखती है और पूजा करती है. कैसे की जाती बछ बारस की पूजा ? इस दिन गेंहू से बने हुए पकवान और चाकू से कटी हुई सब्जी नही खाये जाते हैं. बाजरे या ज्वार का सोगरा और अंकुरित अनाज की कढ़ी व सूखी सब्जी बनाई जाती है. महिलाओं द्वारा सुबह गौमाता की विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद घरों या सामूहिक रूप से बनी मिट्टी व गोबर से बनी तलैया को अच्छी तरह सजाकर उसमें कच्चा दूध और पानी भरकर उसकी कुमकुम, मौली, धूप दीप प्रज्वलित कर पूजा करते हैं और बछबारस की कहानी सुनी जाती है. क्यों मनाई जाती है बछ बारस ? बछ बारस हर साल जन्माष्टमी के चार दिन पश्चात भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की द्वादशी के दिन 30 अगस्त को मनाया जाता है इसलिए इस गोवत्स द्वादशी भी कहते है. भगवान कृष्ण के गाय और बछड़ो से बड़ा प्रेम था इसलिए इस त्यौहार को मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है की बछ बारस के दिन गाय और बछड़ो की पूजा करने से भगवान कृष्ण सहित गाय में निवास करने वाले सैकड़ो देवताओ का आशीर्वाद मिलता है जिससे घर में खुशहाली और सम्पन्नता आती है. बछबारस का पर्व राजस्थानी महिलाओं में ज्यादा लोकप्रिय है. बछ बारस पूजन की सामग्री और पूजा विधि पूजा के लिए भैंस का दूध और दही , भीगा हुआ चना और मोठ लें. मोठ-बाजरे में घी और चीनी मिलाये. गाय के रोली का टीका लगाकर चावल के स्थान पर बाजरा लगाये. बायने के लिए एक कटोरी में भीगा हुआ चना , मोठ ,बाजरा और रुपया रखे. इस दिन बछड़े वाले गाय की पूजा की जाती है यदि गाय की पूजा नहीं कर सकते तो एक पाटे पर मिटटी से बछबारस बनाते है और उसके बीच में एक गोल मिटटी की बावडी बनाते है. फिर उसको थोड़ा दूध दही से भर देते है. फिर सब चीजे चढ़ाकर पूजा करते है. इसके बाद रोली, दक्षिण चढ़ाते है. स्वंय को तिलक निकालते है. हाथ में मोठ और बाजरे के दाने को लेकर कहानी सुनाते है. बछ बारस के चित्र की पूजा भी की जा सकती है. बायना सांस को पाँव छुकर देवें बछ बारस की कहानी बहुत समय पहले की बात है एक गाँव में एक साहूकार अपने सात बेटो और पोतो के साथ रहता था. उस साहूकार ने गाँव में एक तालाब बनवाया था लेकिन बारह सालो तक वो तालाब नही भरा था. तालाब नही भरने का कारण पूछने के लिए उसने पंडितो को बुलाया. पंडितो ने कहा कि इसमें पानी तभी भरेगा जब तुम या तो अपने बड़े बेटे या अपने बड़े पोते की बलि दोगे. तब साहूकार ने अपने बड़ी बहु को तो पीहर भेज दिया और पीछे से अपने बड़े पोते की बलि दे दी. इतने में गरजते बरसते बादल आये और तालाब पूरा भर गया. इसके बाद बछबारस आयी और सभी ने कहा की “अपना तालाब पूरा भर गया है इसकी पूजा करने चलो”. साहूकार अपने परिवार के साथ तालाब की पूजा करने गया. वह दासी से बोल गया था की गेहुला को पका लेना. गेहुला से तात्पर्य गेहू के धान से है. दासी समझ नही पाई. दरअसल गेहुला गाय के बछड़े का नाम था. उसने गेहुला को ही पका लिया. बड़े बेटे की पत्नी भी पीहर से तालाब पूजने आ गयी थी. तालाब पूजने के बाद वह अपने बच्चो से प्यार करने लगी तभी उसने बड़े बेटे के बारे में पुछा. तभी तालाब में से मिटटी में लिपटा हुआ उसका बड़ा बेटा निकला और बोला की माँ मुझे भी तो प्यार करो. तब सास बहु एक दुसरे को देखने लगी. सास ने बहु को बलि देने वाली सारी बात बता दी. फिर सास ने कहा की बछबारस माता ने हमारी लाज रख ली और हमारा बच्चा वापस दे दिया. तालाब की पूजा करने के बाद जब वह वापस घर लौटे तो उन्होंने देखा बछड़ा नही था. साहूकार ने दासी से पूछा की बछड़ा कहा है तो दासी ने कहा कि “आपने ही तो उसे पकाने को कहा था”. साहूकार ने कहा की “एक पाप तो अभी उतरा ही है तुमने दूसरा पाप कर दिया “ साहूकार ने पका हुआ बछड़ा मिटटी में दबा दिया. शाम को गाय वापस लौटी तो वह अपने बछड़े को ढूंढने लगी और फिर मिटटी खोदने लगी. तभी मिटटी में से बछड़ा निकल गया. साहूकार को पता चला तो वह भी बछड़े को देखने गया. उसने देखा कि बछडा गाय का दूध पीने में व्यस्त था. तब साहूकार ने पुरे गाँव में यह बात फैलाई कि हर बेटे की माँ को बछबारस का व्रत करना चाहिए और तालाब पूजना चाहिए. हे बछबारस माता ! जैसा साहूकार की बहु को दिया वैसा हमे भी देना. कहानी कहते सुनते ही सभी की मनोकामना पूर्ण करना. इसके बाद गणेश जी की कहानी कहे. उद्यापन जिस साल लड़का हो या जिस साल लड़के की शादी हो उस साल बछबारस का उद्यापन किया जाता है. सारी पूजा हर वर्ष की तरह करें. सिर्फ थाली में सवा सेर भीगे मोठ बाजरा की तरह कुद्दी करें. दो दो मुट्ठी मोई का (बाजरे की आटे में घी ,चीनी मिलाकर पानी में गूँथ ले ) और दो दो टुकड़े खीरे के तेरह कुडी पर रखे. इसके उपर एक तीयल (दो साडीया और ब्लाउज पीस ) और रुपया रखकर हाथ फेरकर सास को छुकर दे. इस तरह बछबारस का उद्यापन पूरा होता है. गौमाता की पूजा का महत्व भारतीय धार्मिक पुराणों में गौमाता में समस्त तीर्थ होने की बात कहीं गई है. पूज्यनीय गौमाता हमारी ऐसी मां है, जिसकी बराबरी न कोई देवी-देवता कर सकता है और न कोई तीर्थ. गौमाता के दर्शन मात्र से ऐसा पुण्य प्राप्त होता है, जो बड़े-बड़े यज्ञ, दान आदि कर्मों से भी नहीं प्राप्त हो सकता. ऐसी मान्यता है कि सभी देवी-देवताओं एवं पितरों को एक साथ खुश करना है तो गौभक्ति-गौसेवा से बढ़कर कोई अनुष्ठान नहीं है. गौ माता को बस एक ग्रास खिला दो, तो वह सभी देवी-देवताओं तक अपने आप ही पहुंच जाता है. भविष्य पुराण के अनुसार गौमाता कि पृष्ठदेश में ब्रह्म का वास है, गले में विष्णु का, मुख में रुद्र का, मध्य में समस्त देवताओं और रोमकूपों में महर्षिगण, पूंछ में अनंत नाग, खूरों में समस्त पर्वत, गौमूत्र में गंगादि नदियां, गौमय में लक्ष्मी और नेत्रों में सूर्य-चन्द्र विराजित हैं इसीलिए बछ बारस या गोवत्स द्वादशी के दिन महिलाएं अपनी संतान की सलामती, लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए यह पर्व मनाती है. इस दिन घरों में विशेष कर बाजरे की रोटी जिसे सोगरा भी कहा जाता है और अंकुरित अनाज की सब्जी बनाई जाती है. इस दिन गाय की दूध की जगह भैंस या बकरी के दूध का उपयोग किया जाता है.
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27 August 2024भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में करीब सौ वर्ष से अधिक समय से चली आ रही परंपरा निभाई जाती है। यहां पर जन्माष्टमी पर रात्रि 12 बजे आरती होने के बाद फिर शयन आरती नहीं की जाती है। कारण है कि जन्म के बाद कन्हैया के सोने - उठने का समय निर्धारित नहीं होता है। चार दिन तक सेवा पूजा के बाद 30 अगस्त को बछ बारस पर दोपहर 12 बजे शयन आरती होगी। वर्ष में एक बार दोपहर में यहां शयन आरती की जाती है। शहर के प्राचीन सिंधिया देव स्थान ट्रस्ट के गोपाल मंदिर में राजवंश परंपरा के अनुसार सोमवार को जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई गई। मध्यरात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर आरती के बाद देर रात दो बजे तक दर्शन हुए। रात्रि में ही सीएम डॉ. मोहन यादव ने भी मंदिर पहुंचकर भगवान के दर्शन किए। मंदिर के पुजारी मधुर शर्मा ने बताया कि जन्माष्टमी पर रात्रि में जन्म आरती के बाद अब चार दिन भगवान की शयन आरती नहीं होगी। 30 अगस्त को बछ बारस पर दोपहर में मंदिर के द्वार पर माखन मटकी फूटने के बाद भगवान की आरती होगी। इसके बाद शयन आरती का क्रम शुरू होगा। मंदिर की यह परंपरा 100 साल से अधिक समय से चली आ रही है। भगवान गोपाल कृष्ण का जन्म होने के बाद उनके सोने और उठने का समय निर्धारित नहीं होने से शयन आरती नहीं होती है। इन दिनों में बाल गोपाल को दूध, माखन आदि का नियमित भोग लगाया जाता है। मान्यता के अनुसार, बछ बारस पर भगवान बड़े हो जाते हैं। इस दिन सुबह अभिषेक पूजन के बाद उन्हें चांदी की पादुका पहनाई जाती है। इसके बाद भगवान मंदिर के मुख्य द्वार पर बांधी गई माखन मटकी फोड़ते हैं। इसके पश्चात दोपहर में शयन आरती होती है। साल में एक बार यह अवसर आता है, जब दिन में भगवान की शयन आरती की जाती है।
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27 August 2024जन्माष्टमी पर सोमवार-मंगलवार की दरमियानी रात को द्वारकाधीश गोपाल मंदिर का आंगन रोशन हो उठा। रंग-बिरंगी रोशनी के बीच हजारों की संख्या में भक्त द्वारकाधीश गोपाल मंदिर से छत्री चौक तक बस कान्हा के जन्म के इंतजार में खड़े रहे। इसी बीच बीएसएफ के बैंड ने भजनों के साथ राष्ट्रभक्ति की धुन सुनाई, जिससे श्रद्धालुओं का उत्साह और बढ़ गया। पुजारी पावन गिरिश शर्मा ने बताया कि रात 10 बजे चांदी का द्वार बंद कर दो घंटे अभिषेक पूजन किया गया। ठीक रात 12 बजे जन्म आरती की गई। सबसे पहले आरती कुंज बिहारी की, गोविंद गोकुल आयो की स्वर लहरियां गूंजी, जिससे माहौल धर्ममय हो गया। करीब दो घंटे से एक ही स्थान पर खड़े श्रद्धालुओं की थकान कान्हा की एक झलक पाने से जैसे उतर सी गई थी। वे समूह में नाचते-गाते नजर आए। विशेष तौर पर तैयार की 25 धुन: बीएसएफ के बैंड में शामिल 25 लोगों के समू ह ने द्वारकाधीश के आंगन में प्रस्तुति देने के लिए विशेष तौर पर 25 धुन तैयार की थी, जिसकी उन्होंने रिहर्सल भी की थी। समूह प्रमुख रामबाबू के अनुसार उन्हें गोपालजी के आंगन में प्रस्तुति देने से आत्मिक सुख की प्राप्ति हुई है। नाथद्वारा, राजकोट, बनारस से मंगवाई पोशाक पहनाई: द्वारकाधीश गोपाल को राजकोट से मंगवाए आभूषण धारण करवाए गए थे। रुक्मिणी की साड़ी बनारस से मंगवाई गई थी। इसी तरह भगवान के शंख, चक्र, गदा, पद्म का निर्माण नाथद्वारा से मंगवाए थे। रात 2 बजे तक भगवान के दर्शन के लिए मंदिर के पट खुले रहे।
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27 August 2024जन्माष्टमी का पर्व साल 2024 में 26 अगस्त के दिन मनाया जा रहा है. जन्माष्टमी के पर्व का इंतजार भक्त पूरे सालभर करते हैं. साल 2024 में भगवान श्री कृष्ण का यह 5251वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा. भगवान श्री कृष्ण को विष्णु जी का आठवां अवतार माना जाता है. श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल के बाल स्वरुप की आराधना की जाती है. श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है. इस दिन भक्त पूरे दिन उपवास करते हैं और रात्रि में यानि निशिता काल में श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाकर पूजा-अर्चना कर उन्हें 56 भोग लगाते हैं. इसके बाद व्रत का पारण उनके भोग को प्रसाद के रुप में ग्रहण करके किया जाता है. जानते हैं साल 2024 यानि 26 अगस्त के दिन पड़ने वाली कृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त नोट करें निशिता पूजा (रात के समय) का समय है- 27 अगस्त को रात 12.01 मिनट से 12.45 मिनट तक आप इस दौरान 45 मिनट के शुभ मुहूर्त में कान्हा जी की आराधना कर सकते हैं और उनका जन्मोत्सव मना सकते हैं. इस दिन पारण का समय 27 अगस्त को रात 12.45 मिनट पर रहेगा. भारत में कई जगाहों पर पारण निशिता यानी हिंदू मध्यरात्रि के बाद किया जाता है. जन्माष्टमी 2024 तिथि कृष्ण जन्माष्टमी के दिन अष्टमी तिथि कब से कब तक- इस दिन अष्टमी तिथि 26 अगस्त, 2024 को सुबह 03:39 बजे लग जाएगी अष्टमी तिथि की समाप्ती 27 अगस्त, 2024 को 02:19 बजे होगी. इस खास दिन की तैयारी लोग बहुत पहले से करना शुरु कर देते है. तो आप भी इस खास दिन पर नंद गोपाल भगवान श्री कृष्ण की पूजा की तैयारी कर लें. इस दिन का इंतजार श्री कृष्ण के भक्तों को पूरे साल रहता है.
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26 August 2024दुनिया में आए दिन नए-नए फैशनेबल कपड़े देखने को मिलते हैं. खूबसूरत दिखने के लिए लोग अलग-अलग डिजाइन वाले कपड़े पहनते हैं. लेकिन कितने भी कपड़े क्यों ना आ जाए, लोग जींस पहनना बंद नहीं करते हैं, जींस आजकल की दुनिया में बच्चों से लेकर बड़े तक हर किसी की फेवरेट बन गई है. ऐसे में अधिकतर लोग आपको हमेशा जींस में दिखेंगे. जींस पहनने पर सख्त मना यही नहीं आज कल बाजार में जींस के कई पैटर्न आपको देखने को मिल जाएंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं एक ऐसा देश है, जहां पर जींस पहनना सख्त मना है. यह सुनकर आप हैरान हो गए होंगे, लेकिन यह एक सच्चाई है कि दुनिया में एक देश ऐसा है जहां जींस पहनने पर पाबंदी है. इस देश में है जींस पहनने पर रोक अगर आप भी इस देश के बारे में नहीं जानते हैं, तो यह खबर आपके लिए है. आइए जानते हैं ऐसा कौन सा देश है, जहां पर जींस पहनना मना है. दुनिया में एक देश ऐसा है, जहां जींस पहनना साफ मना है. हम बात कर रहे हैं उत्तर कोरिया की. यहां एक अजीब सा कानून लागू हुआ है, जिसे सुनकर आप हैरान हो जाएंगे. जींस नहीं पहनने का कारण बता दें कि उत्तर कोरिया में कोई भी जींस नहीं पहन सकता है. अगर वहां पर किसी ने जींस पहनी, तो उसे सजा मिल सकती है. इस देश में जींस अमेरिकी साम्राज्यवाद का प्रतीक मानी जाती है और अमेरिका और उत्तर कोरिया दोनों ही देश एक दूसरे के कट्टर दुश्मन माने जाते हैं. इसी वजह से उत्तर कोरिया में जींस पहनने पर रोक-टोक लगाई गई है. फैशन पुलिस लगाती है गश्त मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उत्तर कोरिया में इस कानून का सख्ती से पालन किया जाता है. यहां आपको कोई भी जींस पहनते हुए नहीं नजर आएगा. उत्तर कोरिया की सड़कों पर आपको फैशन पुलिस गश्त लगाती नजर आएगी. अगर फैशन पुलिस ने किसी को जींस पहने देख लिया, तो उस पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी और उसे जेल भी जाना पड़ सकता है.
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26 August 2024जन्माष्टमी का पर्व साल 2024 में 26 अगस्त, सोमवार के दिन मनाया जाएगा. इस दिन का इंतजार श्री कृष्ण (Shri Krishna) के भक्तों को पूरे साल रहता है. भगवान श्री कृष्ण को विष्णु जी का आठवां अवतार माना जाता है. इस दिन को बाल गोपाल या कान्हा जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. कान्हा के जन्मोत्सव के मौके पर उनको उनके प्रिय भोग लगाएं जाते हैं. जन्माष्टमी पर धनिया पंजीरी का भोग जन्माष्टमी के दिन कान्हा जी को विशेष रुप से धनिया पंजीरी का भोग लगाया जाता है. इस भोग का विशेष महत्व है. धनिया पंजीरी का भोग कान्हा जी को अति प्रिय है, इसीलिए इस दिन उनको प्रसाद के रूप में धनिया पंजीरी का भोग लगाया जाता है. यह भोग केवल घर में ही नहीं बल्कि भगवान श्री कृष्ण के सभी मंदिरों में धनिया पंजीरी का भोग लगाया जाता है. भोग लगाने के बाद इस प्रसाद (Prasad) को लोगों में बांटा जाता है. माना जाता है कि इस प्रसाद को ग्रहण करने से श्री कृष्ण की कृपा अपने भक्तों पर बनी रहती है. इस भोग को ग्रहण कर भक्त इस दिन अपने व्रत का पारण भी करते हैं. जन्माष्टमी पर इन चीजों का भोग लगाते हैं धनिया पंजीरी के साथ श्री कृष्ण को माखन का भोग भी जरुर लगाया है. माखन और मिश्री कान्हा जी को अति प्रिय हैं. इस मौके पर श्री कृष्ण को छप्पन भोग लगाएं जाते हैं. धनिया पंजीरी को बारिश के मौसम के अनुसार बहुत फलदायी माना जाता है, सेहत के लिहाज से बहुत अच्छी होती है. कान्हा जी का जन्मोत्सव अपने आप में एक एक बड़ा उत्सव है जिसकी धूम भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में रहती है.
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26 August 2024शास्त्र की मानें तो श्रीमद्धागवत गीता (Shrimad Bhagwat Gita) को घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का एहसास होता है. रोजाना गीता का पाठ करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है. जीवन (Life) की सभी उलझनों का उत्तर गीता में प्रमाण के साथ दिया गया है. वही जिन घरों में नियम के साथ गीता की पूजा पाठ की जाती हैं उन घरों में मां लक्ष्मी और भगवान कृष्ण की कृपा बनी रहती है. किंतु गीता को घर में रखने के कुछ नियम होते हैं जिनकों नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. गीता को रखने के नियम (How to read Bhagavad Gita)- घर में गीता रखने से पहले कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बेहद जरुरी है, तभी इसका फल प्राप्त होता है. गीता पवित्र ग्रंथों में से एक है इस वजह से इसे साफ जगह पर रखनी चाहिए. अगर आप गीता को बिना नहाए या अशुद्धता के साथ पाठ करते हैं, तो आप पाप के भागीदारी होते हैं, साथ ही साथ आप पर मानसिक और आर्थिक तनाव जैसी स्थिति बनी रहती है. श्रीमद्धागवत गीता (Bhagwat Gita)को पढ़ते वक्त सदैव पूजा की चौकी या फिर काठ का प्रयोग करना चाहिए. इसे भूमि पर रखकर पढ़ना नहीं चाहिए. गीता को पढ़ते वक्त हमेशा अपने ही आसन का प्रयोग करना चाहिए. दूसरों का आसन ग्रहण करने से पूजा पाठ का असर कम हो जाता है. साथ ही पाठ शुरु करने से पहले भगवान श्री कृष्ण का और गणेश जी का स्मरण करना चाहिए. गीता को पढ़ने का कोई निश्चित समय नहीं हैं. किंतु जिस भी अध्याय को अपने शुरु किया है तो उसे बीच में छोड़ने की जगह पूरा करना चाहिए. गीता का जीवन में महत्व गीता जीवन का सार है. यही कारण है कि ये आज भी प्रासंगिक है. गीता जीवन को जीने की कला सीखाती है. जो लोग गीता के वचनों पर चलते हैं, उसके विचारों को जीवन में आत्मसात करके चलते हैं, उन पर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा बनी रहती है, ऐसे लोग जीवन में अधिक तरक्की प्राप्त करते हैं और समाज को भी जागरूक बनाने में सहयोग प्रदान करते हैं. गीता व्यक्ति को श्रेष्ठ कर्म करने के लिए प्रेरित करती है.
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25 August 2024शास्त्र की मानें तो श्रीमद्धागवत गीता (Shrimad Bhagwat Gita) को घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का एहसास होता है. रोजाना गीता का पाठ करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है. जीवन (Life) की सभी उलझनों का उत्तर गीता में प्रमाण के साथ दिया गया है. वही जिन घरों में नियम के साथ गीता की पूजा पाठ की जाती हैं उन घरों में मां लक्ष्मी और भगवान कृष्ण की कृपा बनी रहती है. किंतु गीता को घर में रखने के कुछ नियम होते हैं जिनकों नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. गीता को रखने के नियम (How to read Bhagavad Gita)- घर में गीता रखने से पहले कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बेहद जरुरी है, तभी इसका फल प्राप्त होता है. गीता पवित्र ग्रंथों में से एक है इस वजह से इसे साफ जगह पर रखनी चाहिए. अगर आप गीता को बिना नहाए या अशुद्धता के साथ पाठ करते हैं, तो आप पाप के भागीदारी होते हैं, साथ ही साथ आप पर मानसिक और आर्थिक तनाव जैसी स्थिति बनी रहती है. श्रीमद्धागवत गीता (Bhagwat Gita)को पढ़ते वक्त सदैव पूजा की चौकी या फिर काठ का प्रयोग करना चाहिए. इसे भूमि पर रखकर पढ़ना नहीं चाहिए. गीता को पढ़ते वक्त हमेशा अपने ही आसन का प्रयोग करना चाहिए. दूसरों का आसन ग्रहण करने से पूजा पाठ का असर कम हो जाता है. साथ ही पाठ शुरु करने से पहले भगवान श्री कृष्ण का और गणेश जी का स्मरण करना चाहिए. गीता को पढ़ने का कोई निश्चित समय नहीं हैं. किंतु जिस भी अध्याय को अपने शुरु किया है तो उसे बीच में छोड़ने की जगह पूरा करना चाहिए. गीता का जीवन में महत्व गीता जीवन का सार है. यही कारण है कि ये आज भी प्रासंगिक है. गीता जीवन को जीने की कला सीखाती है. जो लोग गीता के वचनों पर चलते हैं, उसके विचारों को जीवन में आत्मसात करके चलते हैं, उन पर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा बनी रहती है, ऐसे लोग जीवन में अधिक तरक्की प्राप्त करते हैं और समाज को भी जागरूक बनाने में सहयोग प्रदान करते हैं. गीता व्यक्ति को श्रेष्ठ कर्म करने के लिए प्रेरित करती है.
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25 August 2024शास्त्र की मानें तो श्रीमद्धागवत गीता (Shrimad Bhagwat Gita) को घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का एहसास होता है. रोजाना गीता का पाठ करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है. जीवन (Life) की सभी उलझनों का उत्तर गीता में प्रमाण के साथ दिया गया है. वही जिन घरों में नियम के साथ गीता की पूजा पाठ की जाती हैं उन घरों में मां लक्ष्मी और भगवान कृष्ण की कृपा बनी रहती है. किंतु गीता को घर में रखने के कुछ नियम होते हैं जिनकों नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. गीता को रखने के नियम (How to read Bhagavad Gita)- घर में गीता रखने से पहले कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बेहद जरुरी है, तभी इसका फल प्राप्त होता है. गीता पवित्र ग्रंथों में से एक है इस वजह से इसे साफ जगह पर रखनी चाहिए. अगर आप गीता को बिना नहाए या अशुद्धता के साथ पाठ करते हैं, तो आप पाप के भागीदारी होते हैं, साथ ही साथ आप पर मानसिक और आर्थिक तनाव जैसी स्थिति बनी रहती है. श्रीमद्धागवत गीता (Bhagwat Gita)को पढ़ते वक्त सदैव पूजा की चौकी या फिर काठ का प्रयोग करना चाहिए. इसे भूमि पर रखकर पढ़ना नहीं चाहिए. गीता को पढ़ते वक्त हमेशा अपने ही आसन का प्रयोग करना चाहिए. दूसरों का आसन ग्रहण करने से पूजा पाठ का असर कम हो जाता है. साथ ही पाठ शुरु करने से पहले भगवान श्री कृष्ण का और गणेश जी का स्मरण करना चाहिए. गीता को पढ़ने का कोई निश्चित समय नहीं हैं. किंतु जिस भी अध्याय को अपने शुरु किया है तो उसे बीच में छोड़ने की जगह पूरा करना चाहिए. गीता का जीवन में महत्व गीता जीवन का सार है. यही कारण है कि ये आज भी प्रासंगिक है. गीता जीवन को जीने की कला सीखाती है. जो लोग गीता के वचनों पर चलते हैं, उसके विचारों को जीवन में आत्मसात करके चलते हैं, उन पर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा बनी रहती है, ऐसे लोग जीवन में अधिक तरक्की प्राप्त करते हैं और समाज को भी जागरूक बनाने में सहयोग प्रदान करते हैं. गीता व्यक्ति को श्रेष्ठ कर्म करने के लिए प्रेरित करती है.
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25 August 2024बरसात के मौसम में ट्रिप पर जाने का मजा ही अलग होता है. घूमने का प्लान चाहे दोस्तों के साथ हो या परिवार वालों के साथ मानसून में हरी भरी दुनिया देखने की बात ही कुछ और होती है. ऐसे में अगर आप भी हरियाणा घूमने जा रहे हैं, तो यहां मौजूद आसपास की कई खूबसूरत जगहों का दीदार कर सकते हैं. हरियाणा में घुमने की जगहें हरियाणा एक ऐसा राज्य है, जो संस्कृति, ऐतिहासिक स्थलों और प्रकृति के खूबसूरत नजारे से भरा हुआ है. बरसात के मौसम में घूमने के लिए हरियाणा एकदम परफेक्ट जगह है. आइए जानते हैं हरियाणा की कुछ ऐसी जगहों के बारे में, जहां जाने के बाद आपका वापस आने का दिल नहीं करेगा. हरियाणा का कुरुक्षेत्र अगर आप हरियाणा जाने का प्लान कर रहे हैं, तो यहां पर स्थित कुरुक्षेत्र जाना ना भूले. यह महाभारत के युद्ध का मैदान है, जो अब तीर्थ स्थल और धार्मिक स्थल के लिए जाना जाता है. इसके अलावा आपको यहां ब्रह्म सरोवर, भद्रकाली का मंदिर और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय देखने को मिलेगा. महम की बावड़ी हरियाणा की फेमस जगहों में से एक है पानीपत, जो तीन खास युद्ध के लिए जाना जाता है. यहां पर शाहाबाद मकबरा भी है, जो नसीरुद्दीन मोहम्मद के बेटे मोहम्मद शाह ने बनाया था. हरियाणा में मौजूद महम की बावड़ी भी घूमने लायक जगह में से एक है. इसे मुगल काल की विरासत माना जाता है. इस बावड़ी में जाने के लिए करीब 108 सीढ़ियां बनी हुई है. बता दें कि इसकी लंबाई लगभग 200 फीट और चौड़ाई 90 फिट है. करनाल झील इसके अलावा आप हरियाणा में मौजूद करनाल झील की सैर कर सकते हैं. यह एक खूबसूरत जगह है, जहां हरियाणा के रहने वाले लोग वनडे ट्रिप के लिए आते हैं. जानकारी के मुताबिक महाभारत के अंगराज कर्ण ने इस झील को बनवाया था. बीरबल का छत्ता हरियाणा के नारनौल में बना बीरबल का छत्ता भी देखने लायक जगह है. हरियाणा के सभी ऐतिहासिक स्मारकों में यह स्मारक सबसे बड़ा है. इसके अलावा आप हरियाणा की कोर्स मीनार भी विजिट कर सकते हैं. यह करनाल में मौजूद है. हरियाणा का जल महल हरियाणा के नारनौल जिले में जल महल बना हुआ है, जहां आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ घूमने जा सकते हैं. यह एक खूबसूरत जगह है, जहां जाने के बाद आपका आने का मन नहीं करेगा. अगर आप किसी हिल स्टेशन का दीदार करना चाहते हैं, तो हरियाणा का एकमात्र हिल स्टेशन मोरनी हिल्स पहुंच सकते हैं. यह एक खूबसूरत और लोकप्रिय पर्यटक स्थल है, जो पंचकूला से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. अधिकतर लोग यहां वीकेंड मनाने के लिए पहुंचते हैं.
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25 August 2024बरसात के मौसम में ट्रिप पर जाने का मजा ही अलग होता है. घूमने का प्लान चाहे दोस्तों के साथ हो या परिवार वालों के साथ मानसून में हरी भरी दुनिया देखने की बात ही कुछ और होती है. ऐसे में अगर आप भी हरियाणा घूमने जा रहे हैं, तो यहां मौजूद आसपास की कई खूबसूरत जगहों का दीदार कर सकते हैं. हरियाणा में घुमने की जगहें हरियाणा एक ऐसा राज्य है, जो संस्कृति, ऐतिहासिक स्थलों और प्रकृति के खूबसूरत नजारे से भरा हुआ है. बरसात के मौसम में घूमने के लिए हरियाणा एकदम परफेक्ट जगह है. आइए जानते हैं हरियाणा की कुछ ऐसी जगहों के बारे में, जहां जाने के बाद आपका वापस आने का दिल नहीं करेगा. हरियाणा का कुरुक्षेत्र अगर आप हरियाणा जाने का प्लान कर रहे हैं, तो यहां पर स्थित कुरुक्षेत्र जाना ना भूले. यह महाभारत के युद्ध का मैदान है, जो अब तीर्थ स्थल और धार्मिक स्थल के लिए जाना जाता है. इसके अलावा आपको यहां ब्रह्म सरोवर, भद्रकाली का मंदिर और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय देखने को मिलेगा. महम की बावड़ी हरियाणा की फेमस जगहों में से एक है पानीपत, जो तीन खास युद्ध के लिए जाना जाता है. यहां पर शाहाबाद मकबरा भी है, जो नसीरुद्दीन मोहम्मद के बेटे मोहम्मद शाह ने बनाया था. हरियाणा में मौजूद महम की बावड़ी भी घूमने लायक जगह में से एक है. इसे मुगल काल की विरासत माना जाता है. इस बावड़ी में जाने के लिए करीब 108 सीढ़ियां बनी हुई है. बता दें कि इसकी लंबाई लगभग 200 फीट और चौड़ाई 90 फिट है. करनाल झील इसके अलावा आप हरियाणा में मौजूद करनाल झील की सैर कर सकते हैं. यह एक खूबसूरत जगह है, जहां हरियाणा के रहने वाले लोग वनडे ट्रिप के लिए आते हैं. जानकारी के मुताबिक महाभारत के अंगराज कर्ण ने इस झील को बनवाया था. बीरबल का छत्ता हरियाणा के नारनौल में बना बीरबल का छत्ता भी देखने लायक जगह है. हरियाणा के सभी ऐतिहासिक स्मारकों में यह स्मारक सबसे बड़ा है. इसके अलावा आप हरियाणा की कोर्स मीनार भी विजिट कर सकते हैं. यह करनाल में मौजूद है. हरियाणा का जल महल हरियाणा के नारनौल जिले में जल महल बना हुआ है, जहां आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ घूमने जा सकते हैं. यह एक खूबसूरत जगह है, जहां जाने के बाद आपका आने का मन नहीं करेगा. अगर आप किसी हिल स्टेशन का दीदार करना चाहते हैं, तो हरियाणा का एकमात्र हिल स्टेशन मोरनी हिल्स पहुंच सकते हैं. यह एक खूबसूरत और लोकप्रिय पर्यटक स्थल है, जो पंचकूला से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. अधिकतर लोग यहां वीकेंड मनाने के लिए पहुंचते हैं.
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25 August 2024बरसात के मौसम में ट्रिप पर जाने का मजा ही अलग होता है. घूमने का प्लान चाहे दोस्तों के साथ हो या परिवार वालों के साथ मानसून में हरी भरी दुनिया देखने की बात ही कुछ और होती है. ऐसे में अगर आप भी हरियाणा घूमने जा रहे हैं, तो यहां मौजूद आसपास की कई खूबसूरत जगहों का दीदार कर सकते हैं. हरियाणा में घुमने की जगहें हरियाणा एक ऐसा राज्य है, जो संस्कृति, ऐतिहासिक स्थलों और प्रकृति के खूबसूरत नजारे से भरा हुआ है. बरसात के मौसम में घूमने के लिए हरियाणा एकदम परफेक्ट जगह है. आइए जानते हैं हरियाणा की कुछ ऐसी जगहों के बारे में, जहां जाने के बाद आपका वापस आने का दिल नहीं करेगा. हरियाणा का कुरुक्षेत्र अगर आप हरियाणा जाने का प्लान कर रहे हैं, तो यहां पर स्थित कुरुक्षेत्र जाना ना भूले. यह महाभारत के युद्ध का मैदान है, जो अब तीर्थ स्थल और धार्मिक स्थल के लिए जाना जाता है. इसके अलावा आपको यहां ब्रह्म सरोवर, भद्रकाली का मंदिर और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय देखने को मिलेगा. महम की बावड़ी हरियाणा की फेमस जगहों में से एक है पानीपत, जो तीन खास युद्ध के लिए जाना जाता है. यहां पर शाहाबाद मकबरा भी है, जो नसीरुद्दीन मोहम्मद के बेटे मोहम्मद शाह ने बनाया था. हरियाणा में मौजूद महम की बावड़ी भी घूमने लायक जगह में से एक है. इसे मुगल काल की विरासत माना जाता है. इस बावड़ी में जाने के लिए करीब 108 सीढ़ियां बनी हुई है. बता दें कि इसकी लंबाई लगभग 200 फीट और चौड़ाई 90 फिट है. करनाल झील इसके अलावा आप हरियाणा में मौजूद करनाल झील की सैर कर सकते हैं. यह एक खूबसूरत जगह है, जहां हरियाणा के रहने वाले लोग वनडे ट्रिप के लिए आते हैं. जानकारी के मुताबिक महाभारत के अंगराज कर्ण ने इस झील को बनवाया था. बीरबल का छत्ता हरियाणा के नारनौल में बना बीरबल का छत्ता भी देखने लायक जगह है. हरियाणा के सभी ऐतिहासिक स्मारकों में यह स्मारक सबसे बड़ा है. इसके अलावा आप हरियाणा की कोर्स मीनार भी विजिट कर सकते हैं. यह करनाल में मौजूद है. हरियाणा का जल महल हरियाणा के नारनौल जिले में जल महल बना हुआ है, जहां आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ घूमने जा सकते हैं. यह एक खूबसूरत जगह है, जहां जाने के बाद आपका आने का मन नहीं करेगा. अगर आप किसी हिल स्टेशन का दीदार करना चाहते हैं, तो हरियाणा का एकमात्र हिल स्टेशन मोरनी हिल्स पहुंच सकते हैं. यह एक खूबसूरत और लोकप्रिय पर्यटक स्थल है, जो पंचकूला से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. अधिकतर लोग यहां वीकेंड मनाने के लिए पहुंचते हैं.
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25 August 2024बांग्लादेश ने पाकिस्तान को टेस्ट सीरीज के पहले मैच में 10 विकेट से हरा दिया है. बांग्लादेश के लिए यह ऐतिहासिक जीत रही. उसकी जीत में मुशफिकुर रहीम की अहम भूमिका रही. उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया. मुशफिकुर ने प्लेयर ऑफ द मैच चुने जाने के बाद एक बड़ी घोषणा की. मुशफिकुर ने मैच के बाद बताया कि वे अपनी प्राइज मनी बांग्लादेश में बाढ़ पीड़ित लोगों के लिए दान करेंगे. मुशफिकुर ने पाकिस्तान के खिलाफ 191 रनों की पारी खेली थी. मुशफिकुर रहीम ने मैच के बाद अपनी पारी पर प्रतिक्रिया दी. इसके साथ ही प्राइज मनी को डोनेट करने की घोषणा भी की. मुशफिकुर ने कहा, ''यह मेरी अब तक सबसे अच्छी पारियों में से एक है. सभी खिलाड़ियों ने अच्छी तैयारी की थी. मैं कोचिंग स्टाफ और मैनेजमेंट का शुक्रगुजार हूं. मैं एक घोषणा करना चाहता हूं. मैं अपनी प्राइज मनी को बांग्लादेश में बाढ़ से पीड़ित लोगों के लिए दान करूंगा.'' मुशफिकुर ने बांग्लादेश की पहली पारी के दौरान दमदार बैटिंग की. उन्होंने 341 गेंदों का सामना करते हुए 191 रन बनाए. इस दौरान 22 चौके और 1 छक्का लगाया. बांग्लादेश ने पहली पारी में 565 रन बनाए थे. इससे पहले पाकिस्तान ने पहली पारी में 448 रन बनाए थे. टीम ने इसके बाद पारी घोषित कर दी थी. वहीं दूसरी पारी में 146 रन बनाकर पूरी टीम ऑल आउट हो गई. बांग्लादेश ने इसके जवाब में दूसरी पारी में महज 30 रन बनाकर मैच जीत लिया. बता दें कि पाकिस्तान को इस हार से नुकसान हुआ है. टीम वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप की पॉइंट्स टेबल में आठवें नंबर पर आ गई है. बांग्लादेश ने उसके खिलाफ जीत दर्ज करके सीरीज में 1-0 की बढ़त भी बना ली है. पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच दो मैचों की टेस्ट सीरीज खेली जा रही है. अब दूसरा मुकाबला 30 अगस्त से खेला जाएगा. यह मैच भी रावलपिंडी में आयोजित होगा.
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25 August 2024श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व एक दिन बाद है, लेकिन इस बार मध्य प्रदेश में इसकी शुरुआत पर्व से दो दिन पहले ही हो गई है. प्रदेश सरकार के जरिये अलग-अलग जिलों में 14 स्थानों पर श्री कृष्ण जन्माष्टमी कार्यक्रम आयोजित कराए जा रहे हैं. यह आयोजन 26 अगस्त तक चलेंगे. श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव से इन दिनों मध्य प्रदेश 'मोहन' के रंग में रंगा हुआ नजर आ रहा है. मध्य प्रदेश शासन संस्कृति विभाग के जरिये श्री कृष्णा जन्माष्टमी के पवित्र अवसर पर भोपाल सहित 14 स्थानों पर श्री कृष्णा पर्व का आयोजन किया जा रहा है. संचालक संस्कृति विभाग के एनपी नामदेव ने बताया कि मुख्यमंत्री की मंशानुसार श्रीकृष्ण पर्व इतने भव्य और दिव्य रूपरूप में मनाया जा रहा है, जिससे हमारे गौरवशाली इतिहास के प्रसंगों, कथानकों, आख्यानों से सभी वर्गों को अवगत कराया जा सके. इस कार्यक्रम में देश के मशहूर कलाकारों के जरिये जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण से सम्बन्धित लीलाओं और प्रसंगों को सांस्कृतिक स्वरूप में प्रस्तुत किया जा रहा है. भोपाल में तीन दिवसीय आयोजन भोपाल स्थित जनजातीय संग्रहालय में शुक्रवार से 23 अगस्त से 25 अगस्त को शाम 7 बजे से श्रीकृष्ण पर्व का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें पहले दिन 23 अगस्त को श्रीकृष्ण गायन, श्री ऋषि विश्वकर्मा और साथी, सागर द्वारा एवं सुश्री वंदना श्री एवं साथी, मथुरा द्वारा रासलीला की प्रस्तुति दी गई. आज शनिवार (24 अगस्त) को वंदनाश्री एवं साथी, मथुरा द्वारा रासलीला एवं लोकप्रिय माधवास रॉक बैण्ड द्वारा भजन गायन की प्रस्तुति दी जाएगी. अंतिम दिन 25 अगस्त को श्रीकृष्ण गायन शुभम यादव एवं साथी, भोपाल एवं रासलीला की प्रस्तुति सुश्री वंदनाश्री एवं साथी, मथुरा द्वारा दी जाएगी. कब-कहां होंगे कार्यक्रम? - अमझेरा धार में 25 और 26 अगस्त को श्रीकृष्ण पर्व का आयोजन किया जाएगा. यहां पहले दिन 25 अगस्त को लक्ष्मी दुबे और साथी, जबलपुर द्वारा भक्ति संगीत और आनंदीलाल भावेल और साथी, धार द्वारा भक्ति संगीत की प्रस्तुति दोपहर 12 बजे दी जाएगी. 26 अगस्त को शाम 7 बजे से आनंदीलाल भावेल, धार द्वारा भक्ति संगीत और जया सक्सेना और साथी, वृन्दावन द्वारा रासलीला की प्रस्तुति दी जाएगी. - परशुराम जन्म स्थली जानापाव महू में 26 अगस्त को एक दिवसीय श्रीकृष्ण पर्व का आयोजन किया जाएगा, जिसमें नितिन अग्रवाल और साथी, दमोह द्वारा भक्ति संगीत और मुरालीलाल तिवारी और साथी, वृन्दावन द्वारा रासलीला की प्रस्तुति दी जाएगी. कार्यक्रम का आयोजन शाम 4 बजे से किया जाएगा - लालीपुर मंडला में तीन दिवसीय श्रीकृष्ण पर्व का आयोजन किया जाएगा, जो 24 से 26 अगस्त तक आयोजित होगा, इसमें 24 अगस्त को संजो बघेल और साथी, जबलपुर द्वारा भक्ति संगीत, शैली धोपे और साथी, जबलपुर द्वारा श्रीकृष्ण केन्द्रित नृत्य नाटिका की प्रस्तुति दी जाएगी. 25 अगस्त को अखिलेश तिवारी और साथी, भोपाल द्वारा भक्ति संगीत और सुश्री पूर्णिमा चतुर्वेदी और साथी, भोपाल द्वारा लोक गायन की प्रस्तुति दी जाएगी. तीसरे और अंतिम दिन 26 अगस्त को चरणजीत सिंह सौंधी और साथी, मुम्बई द्वारा भक्ति संगीत और स्वर म्यूजिक फाउंडेशन, ग्वालियर द्वारा रासलीला की प्रस्तुति दी जाएगी. कार्यक्रम शाम 7 बजे प्रारंभ होगा. - पाली उमरिया में तीन दिवसीय श्रीकृष्ण पर्व का आयोजन किया जाएगा, जो 24 से 26 तक होगा, इसमें पहले दिन 24 अगस्त को आकृति मेहरा और साथी, भोपाल द्वारा भक्ति संगीत और श्री मुनीन्द्र मिश्रा और साथी, शहडोल द्वारा श्रीकृष्ण केन्द्रित लोक गायन होगा. दूसरे दिन लामूलाल धुर्वे और साथी, अनूपपुर द्वारा गोण्ड जनजातीय गुदुमबाजा नृत्य और स्वर म्यूजिक फाउंडेशन ग्वालियर द्वारा रासलीला की प्रस्तुति दी जाएगी. तीसरे दिन 26 अगस्त को ईशान मिनोचा और साथी जबलपुर द्वारा भक्ति संगीत और वैशाली गुप्ता और साथी भोपाल द्वारा श्रीकृष्ण केन्द्रित नृत्य नाटिका की प्रस्तुति दी जाएगी. कार्यक्रम सायं 7 बजे प्रारम्भ होगा. - मानस भवन सभागार शहडोल में भी तीन दिवसीय श्रीकृष्ण पर्व का आयोजन किया जाएगा, जो 24 से 26 अगस्त तक आयोजित होगा. यहां पहले दिन मनीष अग्रवाल और साथी जबलपुर द्वारा भक्ति संगीत और स्वर म्यूजिक फाउंडेशन ग्वालियर द्वारा रासलीला की प्रस्तुति दी जाएगी. दूसरे दिन 25 अगस्त को कल्याणी मिश्रा और साथी उज्जैन द्वारा श्रीकृष्ण केन्द्रित लोक गायन और मुस्कान चौरसिया और साथी बालाघाट द्वारा भक्ति संगीत की प्रस्तुति दी जाएगी. तीसरे दिन 26 अगस्त को रूद्रकांत ठाकुर और साथी सिवनी द्वारा भक्ति संगीत और धनीराम बगदरिया और साथी डिंडौरी द्वारा बैगा जनजातीय करमा नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी. कार्यक्रम शाम 7 बजे प्रारम्भ होगा. - प्राचीन जुगल किशोर मंदिर पन्ना में दो दिवसीय श्रीकृष्ण पर्व का आयोजन किया जा रहा है, जो 25 से 26 अगस्त तक आयोजित होगा. यहां पहले दिन रवि त्रिपाठी और साथी, भोपाल द्वारा भक्ति संगीत, गायत्री द्विवेदी और साथी पन्ना द्वारा लोक गायन और गणेश रजक और साथी खजुराहो द्वारा देवारी बुन्देली नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी. 26 अगस्त को हेमन्त बृजवासी और साथी मथुरा द्वारा भक्ति संगीत, लता सिंह मुंशी और साथी भोपाल द्वारा श्रीकृष्ण केन्द्रित नृत्य नाटिका और नदीम राईन और साथी सागर द्वारा बधाई बुन्देली लोक नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी. कार्यक्रम शाम 7 बजे प्रारम्भ होगा. - मानस भवन सभागार दमोह में एक दिवसीय श्रीकृष्ण पर्व के अंतर्गत ममता रानी जोशी और साथी दिल्ली द्वारा भक्ति संगीत, शालिनी खरे और साथी जबलपुर द्वारा श्रीकृष्ण केन्द्रित नृत्य नाटिका, भूपत सिंह लोधी और साथी दमोह द्वारा लोक गायन और भागवती बाई और साथी दमोह द्वारा बुन्देली लोक नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी. कार्यक्रम शाम 7 बजे प्रारम्भ होगा. - रीवा में श्रीकृष्ण पर्व के तहत सुबह और संध्याकालीन दो आयोजन होंगे, जिसमें पहला आयोजन 26 अगस्त को सुबह 11 बजे से बसामन मामा गौवंश वन्य विबार, सेमरिया में राजेश प्रसाद मिश्रा और साथी मुम्बई द्वारा भक्ति संगीत और बुन्देली बरेदी लोकनृत्य की प्रस्तुतियां दी जाएंगी. शाम 7 बजे से कृष्णा राजकपूर सभागार रीवा में राजेश प्रसाद मिश्रा और साथी मुम्बई द्वारा भक्ति संगीत और हरीश शर्मा और साथी भोपाल द्वारा श्रीकृष्ण केन्द्रित नृत्य नाटिका की प्रस्तुति दी जाएगी. - कुशाभाऊ ठाकरे सभागार मंदसौर में एक दिवसीय श्रीकृष्ण पर्व के अंतर्गत 26 अगस्त को शाम 7 बजे से आयोजन प्रारम्भ होगा, जिसमें संजो बघेल और साथी जबलपुर द्वारा भक्ति संगीत और अर्जुन वाघमारे और साथी बैतूल द्वारा गोण्ड जनजातीय ठाठ्या नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी. कार्यक्रम शाम 7 बजे प्रारम्भ होगा. - त्रिवेणी कला संग्रहालय उज्जैन में तीन दिवसीय श्रीकृष्ण पर्व की शुरुआत 23 अगस्त से हो गई, 27 अगस्त तक जारी रहेगी. शुक्रवार को तालवाद्य कचहरी और पं. गोविन्द तिवारी गोवर्धन मथुरा द्वारा रासलीला की प्रस्तुति दी गई. जबकि आज 24 अगस्त को जिला प्रशासन उज्जैन द्वारा सांस्कृतिक आयोजन और पं. गोविन्द तिवारी गोवर्धन मथुरा द्वारा रासलीला की प्रस्तुति दी जाएगी. 25 अगस्त को पं. गोविन्द तिवारी गोवर्धन मथुरा द्वारा रासलीला और माधवास बैण्ड द्वारा भक्ति संगीत की प्रस्तुति दी जाएगी. 26 अगस्त को रामचंद्र गांगोलिया और साथी उज्जैन द्वारा भक्ति संगीत और पलक पटवद्र्धन और साथी उज्जैन द्वारा श्रीकृष्ण केन्द्रित नृत्य नाटिका की प्रस्तुति दी जाएगी. 27 अगस्त को शीला त्रिपाठी और साथी द्वारा श्रीकृष्ण गायन और पं. गोविंद तिवारी गोवर्धन मथुरा द्वारा रासलीला की प्रस्तुति दी जाएगी. कार्यक्रम का समय प्रतिदिन शाम 7 बजे से होगा. - सांदीपनि आश्रम उज्जैन में एक दिवसीय श्रीकृष्ण पर्व का आयोजन होगा, जो 26 अगस्त को रात्रि 10 बजे से होगा. इसमें पं. गोविंद तिवारी गोवर्धन मथुरा द्वारा रासलीला, इशिता विश्वकर्मा और साथी मुम्बई का भक्ति गायन और श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का आयोजन होगा. - नारायणा धाम मंदिर प्रांगण उज्जैन में श्रीकृष्ण पर्व तीन दिवसीय होगा, जो 25 से 27 अगस्त तक होगा. यहां पहले दिन कालिदास अकादमी द्वारा श्रीकृष्ण रूप सज्जा, पवन तिवारी और साथी टीकमगढ़ द्वारा भक्ति संगीत और सोनू गोवर्धन, मथुरा द्वारा रासलीला की प्रस्तुति होगी. 26 अगस्त को श्वेता गुंजन जोशी धार द्वारा भक्ति संगीत और सोनू गोवर्धन मथुरा द्वारा रासलीला की प्रस्तुति होगी. 27 अगस्त को इशिता विश्वकर्मा और साथी मुम्बई द्वारा भक्ति संगीत और सोनू गोवर्धन मथुरा द्वारा रासलीला की प्रस्तुति दी जाएगी. कार्यक्रम शाम 7 बजे प्रारम्भ होगा. - गोपाल मंदिर उज्जैन में 26 अगस्त को श्रीकृष्ण पर्व के अंतर्गत शर्मा बंधु और साथी उज्जैन द्वारा भक्ति संगीत की प्रस्तुति दी जाएगी. कार्यक्रम शाम 7 बजे प्रारम्भ होगा.
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24 August 2024साल 2024 के पहले छह महीनों में भारत में आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या में मामूली बढ़ोतरी हुई है, लेकिन यह अब भी 2019 के स्तर से कम है. 2023 की तुलना में 9.1% की वृद्धि के बावजूद, 2019 के मुकाबले लगभग 10% की कमी देखी गई है. आइए यहां देखते हैं पूरे आंकडें .. साल 2024 के पहले छह महीनों में भारत में आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या 47,78,374 तक पहुंच गई. यह संख्या 2023 के मुकाबले 9.1% अधिक है, जो इस बात का संकेत है कि कोविड महामारी के बाद पर्यटन उद्योग धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है. हालांकि, 2019 के जनवरी-जून की तुलना में यह संख्या अभी भी लगभग 10% कम है. 2019 में, भारत में 52,96,025 विदेशी पर्यटक आए थे, जो कि कोविड से पहले का एक सुनहरा दौर था. इसका मतलब यह है कि अभी भी विदेशी पर्यटकों की संख्या उस स्तर तक नहीं पहुंच पाई है. विदेशी पर्यटक संख्या में कमी दूसरी ओर, भारतीय हवाई अड्डों पर अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या में भी इस साल तेजी देखी गई है. 2024 की पहली तिमाही में 9.9% की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो कि यात्रियों की बढ़ती रुचि और हवाई यात्रा के प्रति उनके आत्मविश्वास का संकेत है. इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की संख्या में भी तेजी आई है. 2024 में भारत से अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर 674 नई साप्ताहिक उड़ानें शुरू हुईं और 1,40,435 अतिरिक्त सीटें जोड़ी गईं. भारतीय यात्रियों की विदेश यात्रा में उछाल साल 2024 में भारतीय यात्रियों की विदेश यात्रा में भी 12.28% की वृद्धि देखी गई. जनवरी से जून 2024 के बीच 1,50,22,731 भारतीयों ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भरीं, जबकि 2019 में यह संख्या 1,33,80,079 थी. भारतीय यात्रियों के लिए यूएई, सऊदी अरब, अमेरिका, थाईलैंड और सिंगापुर जैसे देश सबसे लोकप्रिय रहे. इसका एक प्रमुख कारण हो सकता है कि कोविड के बाद भारतीयों में यात्रा करने का उत्साह और ‘रिवेंज टूरिज्म’ का चलन बढ़ा है. विदेशी मुद्रा आय में वृद्धि विदेशी मुद्रा आय में भी 2019 की तुलना में 2024 में 5.54% की वृद्धि दर्ज की गई है. इस साल जनवरी से जून तक विदेशी मुद्रा आय 15.339 बिलियन अमेरिकी डॉलर रही, जबकि 2019 में यह 14.524 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी. हालांकि, इस वृद्धि का एक बड़ा कारण रुपये की कमजोरी भी है, जिसके चलते रुपये में आय में 25.4% की वृद्धि देखी गई है. बावजूद इसके, पर्यटकों की संख्या में गिरावट आने से यह स्पष्ट होता है कि भारत को और अधिक विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कुछ कदम उठाने की जरूरत है. भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने की जरूरत भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार को एक बड़े और प्रभावी अभियान की जरूरत है. पहले चलाए गए अभियानों जैसे ‘अतुल्य भारत’ या ‘अतिथि देवो भव’ की तर्ज पर एक नया अभियान जरूरी है। गोवा जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों के बावजूद, पड़ोसी देशों जैसे वियतनाम, थाईलैंड, और श्रीलंका की सस्ती यात्रा और बेहतर सुविधाओं के कारण विदेशी पर्यटक भारत के बजाय वहाँ जाना पसंद कर रहे हैं। बेहतर बुनियादी ढांचे की आवश्यकता भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्वच्छता, ट्रैफिक मैनेजमेंट और पर्यटक सुरक्षा जैसे बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता है. यदि भारत को विदेशी पर्यटकों की संख्या में वृद्धि करनी है और पर्यटन से मिलने वाली विदेशी मुद्रा को बढ़ाना है, तो इन चुनौतियों का समाधान करना जरूरी है. साथ ही, पर्यटन हेल्पलाइन और पर्यटक पुलिस जैसी सेवाओं की भी शुरुआत की जानी चाहिए ताकि पर्यटकों को बेहतर अनुभव मिल सके.
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24 August 2024जन्माष्टमी का त्योहार 26 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा. ग्रंथों में कहा गया है कि जब भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर आधी रात में रोहिणी नक्षत्र हो, तब कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस बार जन्माष्टमी बेहद शुभ और दुर्लभ संयोग में मनाई जाएगी.जन्माष्टमी पर कई राजयोग बन रहे हैं, जिससे कई राशियों का सोया भाग्य जाग उठेगा, श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से व्यापार, नौकरी और धन में वृद्धि होगी. जानें जन्माष्टमी पर किन राशियों को होगा लाभ. जन्माष्टमी 2024 पर शुभ संयोग 26 अगस्त को जन्माष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग, गजकेसरी योग, शश राजयोग बनेंगे. साथ ही बुध का कर्क राशि में उदय होगा. गजकेसरी योग - चंद्रमा और गुरु एक साथ होने पर गजकेसरी योग का निर्माण होता है, जन्माष्टमी पर गुरु-चंद्रमा वृषभ राशि में होंगे. इस योग का प्रभाव व्यक्ति को गज के समान प्रभावशाली बनाता है. आर्थिक लाभ मिलता है, भाग्य का साथ मिलता है, हर काम सफल होते हैं. शश राजयोग - पंचमहापुरुषों में से एक है शश राजयोग. जन्माष्टमी पर शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में होंगे, जिससे ये योग बनेगा. सर्वार्थ सिद्धि योग - जन्माष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर 03.55 से अगले दिन 27 अगस्त को सुबह 06.08 तक रहेगा. जन्माष्टमी 2024 इन राशियों को होगा लाभ वृषभ राशि - जन्माष्टमी पर बन रहे दुर्लभ संयोग का लाभ वृषभ राशि वालों को अधिक होगा. नौकरी-बिजनेस की स्थिति पहले से काफी बेहतर रहेगी. चुनौतियां कम होंगीं. पुरानी संपत्ति से धन लाभ होगा, आर्थिक वृद्धि होगी. प्रेम संबंधों में मिठास बढ़ेगी. कुंभ राशि - जन्माष्टमी का त्योहार कुंभ राशि वालों के लिए लकी साबित होगा. बच्चों को कोई बड़ी उपलब्धि इस समय मिल सकती है. धन की समस्या खत्म होगी, आय के सोर्स बढ़ेंगे. पुराने निवेश से लाभ मिलेगा. सिंह राशि - सिंह राशि वालों के लिए जन्माष्टमी खुशियों की सौगात लेकर आ रहा है. व्यापार में विस्तार होगा, धन वृद्धि योग के कारण पैसों में बढ़ोत्तरी होगी. करियर में शुभ फल प्राप्त होगा. कमाई अच्छी होगी. स्वास्थ लाभ भी मिलेगा.
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24 August 2024सावन महीने में उज्जैन के भगवान महाकाल के मंदिर में शिव भक्तों ने दिल खोल कर चढ़ावा चढ़ाया है. एक महीने में महाकालेश्वर मंदिर में 15 करोड़ 64 लाख 53 हजार से ज्यादा की इनकम हुई है. इस बीच महाकालेश्वर मंदिर समिति भादो मास में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए और भी बेहतर इंतजाम कर रही है, जिसे लेकर तैयारी शुरू कर दी गई है.महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर में 22 जुलाई से 19 अगस्त 2024 के बीच 15 करोड़ 64 लाख 53,137 रुपये की इनकम हुई है. उन्होंने कहा कि महाकाल लोक निर्माण के बाद महाकालेश्वर मंदिर की इनकम लगातार बढ़ती जा रही है. महाकालेश्वर मंदिर समिति श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए आवश्यक इंतजाम भी कर रही है. इससे भक्तों की संख्या में और भी इजाफा हो रहा है.महाकालेश्वर मंदिर समिति के अध्यक्ष और कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर शिव भक्तों के आकर्षण का विशेष केंद्र है. यहां पर प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और भगवान महाकाल का प्रसाद ले जाते हैं. महाकालेश्वर मंदिर को होने वाली आमदनी का बड़ा हिस्सा प्रसाद से आता है. सावन के एक महीने में महाकालेश्वर मंदिर समिति ने 7 करोड़ 8 लाख 82 हजार रुपये से ज्यादा का प्रसाद सेल गया है. जानिए किससे कितनी हुई आय? महाकालेश्वर मंदिर में सावन के एक महीने में काउंटर से 26 लाख 928 हजार 66 रुपये की आमदनी हुई. इसके अलावा विशेष दर्शन से 4 करोड़ 63 लाख 12 हजार रुपये की आमदनी हुई है. उज्जैन दर्शन बस का किराया 77 हजार142 रुपये आया है, जबकि सवारी से 5 हजार 505 रुपये की इनकम हुई है. महाकालेश्वर मंदिर के पंडित सूर्य नारायण धर्मशाला से 3,95,000 रुपये की इनकम हुई है, जबकि अन्य दर्शन व्यवस्था से 19 लाख 60 हजार रुपये से ज्यादा की आमदनी हुई है. वहीं अन्न क्षेत्र में 10 लाख 21 हजार रुपये का डोनेशन आया है. जबकि महाकालेश्वर मंदिर में 11 लाख 68 हजार का ऑनलाइन और गर्भ ग्रह की पेटी में 19 लाख 22 हजार रुपये दान आया है. मंदिर के अन्य पेटियों में 2 करोड़ 95 लाख 21 हजार रुपये की धनराशि दान के रूप में आई है.
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23 August 2024मध्यप्रदेश में भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े चार जगहों को तीर्थस्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इनमें उज्जैन का सांदीपनी आश्रम, नारायण धाम, धार जिले का अमझेरा मंदिर और इंदौर के जानापाव शामिल हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को वीडियो जारी किया। इसमें उन्होंने कहा कि सरकार इस पर जन्माष्टमी के पर्व को विशेष तौर पर मनाने जा रही है। सीएम ने कहा कि मध्य प्रदेश भगवान श्रीकृष्ण और भगवान श्रीराम से प्रेरित और पावन भूमि है। जानते हैं इन तीर्थस्थलों का महत्व क्या है। इन चार स्थानों को कृष्ण तीर्थ के रूप में किया जाएगा डेवलप सांदीपनि आश्रम, उज्जैन: श्री कृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की पूजा करते थे। आश्रम में गोमती कुंड नामक तालाब भी है, जिसमें भगवान कृष्ण ने पवित्र केंद्रों से सभी पवित्र जल इकट्ठा किया था, ताकि गुरु सांदीपनि को पवित्र जल प्राप्त करने में आसानी हो। इस तालाब का पानी पवित्र माना जाता है। यहां आने वाले भक्त तालाब का पानी घर ले जाते हैं। नारायण धाम, महिदपुर: श्रीकृष्ण की सुदामा से मित्रता हुई उज्जैन जिले की महिदपुर तहसील से करीब 9 किमी दूर है। वैसे तो यहां श्री कृष्ण का मंदिर है। यहां दुनिया का एकमात्र मंदिर है, जिसमें श्री कृष्ण अपने मित्र सुदामा के साथ में विराजते हैं। नारायण धाम मंदिर में कृष्ण-सुदामा की अटूट मित्रता को पेड़ों के प्रमाण के तौर में भी देख सकते हैं। कहा जाता है कि नारायण धाम ये पेड़ उन्हीं लकड़ियों से फले-फूले हैं, जो श्रीकृष्ण व सुदामा ने एकत्रित की थीं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा- यह मध्य प्रदेश का सौभाग्य है, जहां नारायण धाम है। ये वो स्थान है, जहां भगवान कृष्ण की सुदामा से मित्रता हुई। यानी गरीबी और अमीरी की मित्रता का सबसे श्रेष्ठ स्थान है। अमझेरा धाम, धार- कृष्ण ने रुक्मिणी का हरण किया द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने जिस स्थान से माता रुक्मिणी का हरण किया था, वो अमका-झमका मंदिर धार जिले के अमझेरा में स्थित है। यह मंदिर 7000 साल पुराना है। स्थानीय लोगों के मुताबिक यह मंदिर रुक्मिणी जी की कुलदेवी का था। वो यहां पूजा करने आया करती थी। सन् 1720- 40 में इस मंदिर का राजा लाल सिंह ने जीर्णोद्धार करवाया था। पौराणिक युग में इस स्थान को कुन्दनपुर के नाम से जाना जाता था। रुक्मिणि वहीं के राजा की पुत्री थीं। उसके बाद मंदिर के नाम से जगह को अमझेरा नाम दिया गया। जानापाव, इंदौर- परशुराम ने कृष्ण को सुदर्शन चक्र दिया सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि इंदौर के पास जानापाव नामक स्थान है, जहां विनम्रता और श्रद्धा से परशुराम जी से सुदर्शन चक्र भगवान श्री कृष्ण ने प्राप्त किया था। जानापाव वो स्थान है, जहां कहा जाता है कि जब भगवान श्री कृष्ण 12-13 साल थे, तब परशुराम से मिलने उनकी जन्मस्थली जानापाव (इंदौर) गए थे। वहां परशुराम ने कृष्ण को उपहार में सुदर्शन चक्र दिया। शिव ने यह चक्र त्रिपुरासुर वध के लिए बनाया था और विष्णुजी को दे दिया था। कृष्ण के पास आने के बाद यह उनके पास ही रहा। जन्माष्टमी पर होंगे विशेष कार्यक्रम सीएम ने कहा कि जन्माष्टमी पर हर जिले में मंदिरों की साफ-सफाई व सांस्कृतिक कार्यकम होंगे। भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा, मित्रता के प्रसंग और जीवन दर्शन के साथ भारतीय सांस्कृतिक परम्पराओं, योग आदि पर आधारित विभिन्न विषयों पर विद्वानों के व्याख्यान व सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। सरकारी, निजी स्कूल, कॉलेज में भी कार्यक्रम होंगे।
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23 August 2024प्रौद्योगिकी कंपनी ‘माइक्रोसॉफ्ट’ के सह-संस्थापक और अरबपति परोपकारी बिल गेट्स ने सिएटल क्षेत्र में पहले भारत दिवस समारोह को हरी झंडी दिखाते हुए कहा कि सुरक्षित टीकों के निर्माण से लेकर डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे तक हर क्षेत्र में भारत की कुशलता न केवल भारतीयों, बल्कि पूरे विश्व की मदद कर रही है. ‘गेट्स फाउंडेशन’ के अध्यक्ष गेट्स ने भारत के 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सिएटल स्थित भारतीय महावाणिज्य दूतावास के मुख्य अतिथि के रूप में ग्रेटर सिएटल क्षेत्र में प्रथम भारत दिवस समारोह का उद्घाटन किया. सिएटल वाणिज्य दूतावास द्वारा शुक्रवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि गेट्स ने समारोह में भारतीय-अमेरिकी समुदाय के 2,000 से अधिक सदस्यों को संबोधित करते हुए भारत को ‘‘प्रौद्योगिकी, कृषि और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में अभूतपूर्व नवोन्मेष करने वाला एक वैश्विक नेता’’ बताया. पूरी दुनिया की मदद कर रही है भारत की कुशलता गेट्स ने इस बात पर जोर दिया कि ‘‘कम लागत का सुरक्षित टीका बनाने और प्रवासी भारतीयों द्वारा दिखाए गए उल्लेखनीय नेतृत्व से लेकर भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी (डीपीआई) ढांचे तक-भारत की कुशलता न केवल भारतीयों, बल्कि पूरी दुनिया की मदद कर रही है. ‘ग्लोबल साउथ’ के देश अपनी डीपीआई प्रणाली बनाने के लिए भारत के अनुभव का लाभ उठा रहे हैं.’’ भारत दिवस समारोह में भाग लेना सम्मान की बात- बिल गेट्स ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर आर्थिक रूप से अल्पविकसित देशों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है. ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द आम तौर पर लातिन अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ओशेनिया के क्षेत्रों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसका मतलब यूरोप और उत्तरी अमेरिका के बाहर दक्षिणी गोलार्द्ध और भूमध्यरेखीय क्षेत्र में स्थित खासकर ऐसे देशों से है, जो कम आय वाले हैं. सोशल मीडिया मंच इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में गेट्स ने कहा कि वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और भारतीय प्रवासियों के साथ मिलकर सिएटल वाणिज्य दूतावास में पहले भारत दिवस समारोह में भाग लेना ‘‘सम्मान’’ की बात है. सभी भारतीयों को दी स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर को ‘टैग’ करते हुए पोस्ट में लिखा, ‘‘भारत प्रौद्योगिकी, कृषि और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में ऐसे अभूतपूर्व नवोन्मेष करने वाला वैश्विक नेता है, जो जीवन की रक्षा कर रहे हैं और उसे सुधार रहे हैं. भारत सरकार, परोपकारी लोगों, निजी क्षेत्र, गैर-लाभकारी संस्थाओं और भारतीय-अमेरिकी समुदाय के साथ सहयोग करना सम्मान की बात है. सभी भारतीयों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं.’’ बिल गेट्स ने पहना तिरंगे का स्कार्फ गेट्स ने इंस्टाग्राम पर इस समारोह की तस्वीरें भी साझा की. भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रंगों का स्कार्फ पहने गेट्स के साथ सिएटल में भारत के महावाणिज्य दूत प्रकाश गुप्ता और अन्य अधिकारी समारोह में शामिल हुए. वाणिज्य दूतावास ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट साझा कर ग्रेटर सिएटल क्षेत्र में प्रथम भारतीय दिवस समारोह को हरी झंडी दिखाने के लिए गेट्स को धन्यवाद दिया. वाणिज्य दूतावास ने एक विज्ञप्ति में बताया कि ग्रेटर सिएटल क्षेत्र में पहली बार स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाया गया, जिसमें भारत के सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों की झांकियों और सांस्कृतिक प्रस्तुति के माध्यम से ‘विविधता में एकता’ दर्शाई गई. बड़ी हस्तियां समारोह में हुई शामिल विज्ञप्ति के अनुसार, प्रत्येक झांकी को भारतीय-अमेरिकी समुदाय के प्रमुख नेताओं ने तैयार था और इसमें भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाया गया था. भारत दिवस समारोह में हिस्सा लेने वाली अन्य प्रतिष्ठित हस्तियों में सांसद सुजान डेलबेने, किम श्रियर एवं एडम स्मिथ, प्रशांत उत्तर पश्चिम में अमेरिका की प्रथम कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जेवियर ब्रूनसन, उत्तर पश्चिम नौसेना क्षेत्र के कमांडर रियर एडमिरल मार्क सुकाटो, वाशिंगटन के लेफ्टिनेंट गवर्नर डेनी हेक और डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता स्टीव हॉब्स तथा वाशिंगटन उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश स्टीव गोंजालेज शामिल थे.
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17 August 202419 अगस्त, दिन सोमवार को देश में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा, इस दिन एक बड़ी खगोलीय घटना घटने की खबर है. इस दिन शाम को आसमान में सबसे बड़ा और चमकीला चंद्रमा, जिसे सुपर ब्लूमून भी कहा जा रहा है, निकलेगा. यह कोई साधारण पूर्णिमा नहीं है. यह एक सुपरमून, एक ब्लू मून है और इसके साथ कई अन्य नाम और सांस्कृतिक महत्व जुड़े हैं जो इसे एक अद्भुत खगोलीय घटना बनाते हैं. सबसे पहले तो ये जानते हैं कि ये सुपरमून क्यों है? इस शब्द का सबसे पहली बार ज्योतिषी रिचर्ड नोले ने 1979 में एक नए या पूर्ण चंद्रमा का वर्णन करने के लिए किया था, जो तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब यानि 90 प्रतिशत तक पास होता है. इसका एक अजीब नाम भी है जिसे स्टरजियॉन मून भी कहा जाता है. ब्लू मून है एक खगोलीय घटना ये एक खगोलीय घटना है जो तब होती है जब एक ही महीने में दो पूर्णिमा होती हैं या फिर मौसम की चार पूर्णिमा होती हैं. इसमें से तीसरी पूर्णिमा को ब्लू मून कहा जाता है. जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है तो इसे सुपरमून कहा जाता है. इस सिचुएशन में मून सामान्य पूर्णिमा की तुलना में 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत अधिक चमकदार दिखाई देता है. क्या वाकई में नीला दिखेगा चांद? ब्लू मून शब्द का इतिहास 1528 तक फैला हुआ है और इसकी उत्पत्ति कुछ हद तक रहस्यमय है. कुछ लोगों का मानना है कि यह एक पुराने अंग्रेजी वाक्यांश से आया है जिसका अर्थ है "विश्वासघात करने वाला चांद", जबकि अन्य लोगों का मानना है कि यह उन दुर्लभ समयों को संदर्भित कर सकता है जब वातावरण में धूल चांद को नीला रंग देती है. हाल के दिनों में इस शब्द का इस्तेमाल उस महीने में दूसरी पूर्णिमा का वर्णन करने के लिए भी किया जाता है जिसमें दो पूर्णिमाएं होती हैं. इस घटना में चांद का रंग नीला नहीं होता है. वो अपने प्राकृतिक रंग में ही होता है लेकिन इस दिन मून बड़े आकार में और ज्यादा चमकीला दिखाई देता है. आमतौर पर हर 2-3 साल में ब्लू मून एक बार होता है.
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17 August 2024भारत देश में हर साल जन्माष्टमी का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है यह त्यौहार भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है. इस पावन अवसर पर अगर आप भी भगवान श्री कृष्ण के कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में जाकर दर्शन करना चाहते हैं, तो यह खबर आपके लिए है. आज हम आपको कुछ ऐसे फेमस मंदिरों के बारे में बताएंगे, जहां आप इस जन्माष्टमी के मौके पर जाकर श्री कृष्ण के दर्शन कर सकते हैं. आइए जानते हैं उन पांच प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में. श्री कृष्ण जन्मस्थल जन्माष्टमी के मौके पर आप श्री कृष्ण की नगरी या श्री कृष्ण के जन्म स्थान पर दर्शन करने के लिए जा सकते हैं. हम बात कर रहे हैं मथुरा की. यहां पर भगवान श्री कृष्ण का बेहद भव्य और खूबसूरत मंदिर बना हुआ है. जन्माष्टमी के दिन यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं और बड़े धूमधाम से श्री कृष्ण का जन्मदिन मनाते हैं. जगन्नाथ पुरी मथुरा के अलावा आप जगन्नाथ पुरी जा सकते हैं. यहां पर भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा तीनों एक साथ विराजमान है. इस मंदिर में जाने के बाद आपका वापस आने का मन नहीं करेगा. यहां हर साल बड़े ही भव्य तरीके से रथयात्रा निकाली जाती है, जो भारत की सबसे बड़ी धार्मिक यात्राओं में से एक है. द्वारकाधीश मंदिर, द्वारका इस जन्माष्टमी पर आप द्वारकाधीश मंदिर जा सकते हैं. यहां श्री कृष्णा का अद्भुत और आकर्षक मंदिर बना हुआ है, जो समुद्र के किनारे स्थित है. यहां का नजारा वाकई में देखने लायक होता है. मंदिर के आसपास आपको समुद्र की लहरें दिखाई देगी, जो आपका दिल जीत लेगी. बता दें कि यहां पर भगवान श्री कृष्ण की 7 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित है. प्राणनाथ मंदिर, दिल्ली अगर आप दिल्ली में रहते हैं और जन्माष्टमी के इस शुभ अवसर पर भगवान के दर्शन करना चाहते हैं, तो दिल्ली में स्थित प्राणनाथ मंदिर जा सकते हैं. इसके अलावा आप इस्कॉन टेंपल भी विजिट कर सकते हैं. यहां आपको कई भगवान के दर्शन करने को मिलेंगे. इस्कॉन टेंपल, वृंदावन इसके अलावा आप भगवान श्री कृष्ण के दर्शन के लिए वृंदावन में स्थित इस्कॉन टेंपल जा सकते हैं. यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी को समर्पित है. यहां का वातावरण इतना शांत है कि मानो आप स्वर्ग में आ गए हैं. इन सभी मंदिरों के दर्शन कर आप जन्माष्टमी के इस पावन अवसर को यादगार बना सकते हैं.
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17 August 2024सनातन धर्म राष्ट्र प्रेम, देश सेवा, क्रांतिकारी और राष्ट्र की सुरक्षा की प्रेरणा देता है. तभी तो इतने स्वतंत्र सैनिकों ने देश के लिए अंग्रजों के खिलाफ लड़कर बलिदान दिया, जिसके स्वरुप हम हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं. वेदों में राष्ट्रियता की उदात्त भावना का भरपूर समावेश है. ऋग्वेद 10.191.2 में परमात्मा से प्रार्थना की गई है- "सं गच्छध्वं सं वदध्वं सं वो मनांसि जानताम्। देवा भागं यथा पूर्वे संजानाना उपासते।।" अर्थात्– "हे परमात्मा! आप हमें ऐसी बुद्धि दें कि हम सब परस्पर हिलमिल कर एक साथ चलें. एक-समान मीठी वाणी बोलें और एक-समान हृदय वाले होकर स्वराष्ट्र में उत्पन्न धन-धान्य और सम्पत्ति को परस्पर समानरूप से बांटकर भोगें. हमारी हर प्रवृत्ति राग-द्वेष रहित परस्पर प्रीति बढ़ाने वाली हो." ऋग्वेद के 'इन्द्र-सूक्त' (10.47.2) में परमात्मा से स्वराष्ट्र के लिए धन-धान्य, पुत्रों से समृद्ध होने की कामना की गई है- "स्वायुधं स्ववसं सुनीथं चतुः समुद्रं धरुणं रयीणाम्। चकृत्यं शंस्यं भूरिवारमस्मभ्यं चित्रं वृषणं रयिं दाः॥" तात्पर्य यह कि "हे परमैश्वर्यवान् परमात्मन्! आप हमें धन-धान्य से सम्पन्न ऐसी संतान प्रदान कीजिए, जो उत्तम एवं अमोघ शस्त्रधारी हो, अपनी और अपने राष्ट्र की रक्षा करने में समर्थ हो तथा न्याय, दया दाक्षिण्य और सदाचार के साथ जन-समूह का नेतृत्व करने वाली हो, साथ ही नाना प्रकार के धनों को धारण कर परोपकार में रत एवं प्रशंसनीय हो तथा लोकप्रिय एवं अद्भुत गुणों से सम्पन्न होकर जन-समाज पर कल्याणकारी गुणों की वर्षा करनेवाली हो." राष्ट्र की रक्षा में और उसकी महत्ता में ऐसी ही अनेक ऋचाएं पर्यवसित हैं, जिनमें से यहां कुछ का उल्लेख किया जा रहा है, जैसे- उप सर्प मातरं भूमिम्। (ऋग्वेद 10.18.10) "निम्न मंत्र से मातृभूमि को नमन करते हुए कहा गया है- मातृभूमि की सेवा करो।" "नमो मात्रे पृथिव्यै नमो मात्रे पृथिव्या।" (यजुर्वेद 9.22) अर्थात्– "मातृभूमि को नमस्कार है". यहां 'पृथ्वी' का अर्थ मातृभूमि या स्वदेश ही उपयुक्त है. अतः हमें अपने राष्ट्र में सजग होकर नेतृत्व करने हेतु एक ऋचा यह उद्घोष करती है- वयःराष्ट्र जागृयाम पुरोहिताः॥(यजुर्वेद 9.23) अर्थात्– "हम अपने राष्ट्र में सावधान होकर नेता बने." क्रान्तदर्शी (क्रांतिकारी), शत्रुघातक अग्निकी उपासना-हेतु निम्न मन्त्रमें प्रेरित किया गया है- कविमग्निमुप स्तुहि सत्यधर्माणमध्वरे। देवममीवचातनम्।। (सामवेद 1.1.32) "हे स्तोताओ। यज्ञमें सत्यधर्मा, क्रान्तदर्शी, मेधावी, तेजस्वी और रोगों का शमन करने वाले शत्रुघातक अग्निकी स्तुति करो." अथर्ववेद के 'भूमि-सूक्त' में ईश्वर ने यह उपदेश दिया है कि अपनी मातृभूमि के प्रति मनुष्यों को किस प्रकार के भाव रखने चाहिए. वहां अपने देश को माता समझने और उसके प्रति नमस्कार करने का स्पष्ट शब्दों में उल्लेख किया गया है- "सा नो भूमिर्वि सृजतां माता पुत्राय मे पयः।।" (अथर्व वेद 12.1.10) "पृथ्वी माता अर्थात् मातृभूमि, मुझ पुत्र के लिए दूध आदि पुष्टिकारक पदार्थ प्रदान करें." माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः। (अथर्व वेद 12.1.12) "भूमि (स्वदेश) मेरी माता है और मैं उसका पुत्र हूं." भूमे मातर्नि धेहि मा भद्रया सुप्रतिष्ठितम्। (अथर्व वेद 12.1.63) "हे मातृभूमि! तू मुझे अच्छी तरह प्रतिष्ठित करके रख." सहृदयं सांमनस्यमविद्वेषं कृणोमि वः। अन्यो अन्यमभि हर्यंत वत्सं जातमिवाध्या।। (अथर्व वेद 3.30.1) "परस्पर हृदय खोलकर एकमना होकर कर्मशील बने रहो. तुरंत जन्मे बछड़े को छेड़ने पर गौ जैसे सिंहिनी बनकर आक्रमण करने को दौड़ती है, ऐसे तुम लोग सहृदयजनों की आपत्ति में रक्षा के लिए कमर कसे रहो." इसलि हमें चाहिए कि अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए आत्म बलिदान करने के लिए हम सदा तत्पर रहें. "उपस्थास्ते अनमीवा अयक्ष्मा अस्मभ्यं सन्तु पृथिवि प्रसूताः। दीर्घ न आयुः प्रतिबुध्यमाना वयं तुभ्यं बलिहृतः स्याम॥" (अथर्व० 12.1.62) "हे मातृभूमि! तेरी सेवा करने वाले हम निरोग और आरोग्यपूर्ण हों. तुमसे उत्पन्न हुए समस्त भोग हमें प्राप्त हों, हम ज्ञानी बनकर दीर्घायु हों तथा तेरी सुरक्षा-हेतु अपना आत्मोत्सर्ग करने के लिये भी सदा संनद्ध रहें." इस प्रकार वेद ज्ञान के महासागर है तथा विश्व-वाङ्मय की अमूल्यनिधि एवं भारतीय आर्य संस्कृति के मूल आधार है. उनमें राष्ट्रियता की उदात्त भावनाका भरपूर समावेश है. अतः हम सभी राष्ट्र वासियों को चाहिओ कि हम राष्ट्र रक्षा में समर्थ हो सकें, इसके लिए वेद की शिक्षाओं को समग्र रूप से ग्रहण करें.
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16 August 2024पेरिस ओलंपिक्स कई कारणों से चर्चा का केंद्र बना रहा था. कुछ विवाद हुए तो काफी लोग ओलंपिक खेलों के दौरान अपनाए गए इको सिस्टम के कारण निराश दिखे. ऐसे कई वीडियो सामने आए जब गत्ते से बने बेड, एथलीटों को पसंद नहीं आ रहे थे. इस बीच बढ़ती गर्मी भी एथलीटों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई थी और कमरों में एसी सुविधा को लेकर भी सवाल खड़े किए गए थे. इस संबंध में पीएम मोदी ने ओलंपिक एथलीटों के साथ मीटिंग में मज़ाक भी किया और उनकी यह वार्ता खूब चर्चा का विषय बनी हुई है. ऐसे में बढ़ती गर्मी के कारण भारत से खेल मंत्रालय ने 40 पोर्टेबल एसी पेरिस भेजे थे. पीएम मोदी ने एथलीटों से मजाक करते हुए पूछा, "वहां कोई एसी नहीं था और गर्मी भी काफी हो रही थी. इसलिए मैं पूछना चाहता हूं कि आप सबमें सबसे पहले ये ख्याल किसके मन में आया कि, 'मोदी बातें बहुत बड़ी-बड़ी करता है, लेकिन कमरों में एसी तक नहीं है. अब हम क्या करें." प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि जो भी लोग वहां मौजूद थे, सबसे अधिक परेशानी उन्हें ही झेलनी पड़ी. फिर कुछ ही घंटों में काम को अंजाम दे दिया गया. प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार अपने एथलीटों को बढ़िया से बढ़िया सुविधा उपलब्ध करवाने का प्रयास करती है. आवाल पूछे जाने पर कमरे में मौजूद सभी एथलीट चुप रहे. 2036 ओलंपिक्स की मेजबानी का है सपना पीएम मोदी ने 15 अगस्त के दिन लाल किले पर स्पीच देते हुए बताया था कि वो 2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी भारत में होते हुए देखना चाहते हैं. इसके अलावा उन्होंने ओलंपिक एथलीटों से मुलाकात के समय भी 2036 ओलंपिक खेलों के आयोजन की बात कही. प्रधानमंत्री ने कहा कि खेलो इंडिया गेम्स ने भारत में एक माहौल तैयार करने में बहुत बड़ा योगदान दिया है.
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16 August 2024पेरिस ओलंपिक्स कई कारणों से चर्चा का केंद्र बना रहा था. कुछ विवाद हुए तो काफी लोग ओलंपिक खेलों के दौरान अपनाए गए इको सिस्टम के कारण निराश दिखे. ऐसे कई वीडियो सामने आए जब गत्ते से बने बेड, एथलीटों को पसंद नहीं आ रहे थे. इस बीच बढ़ती गर्मी भी एथलीटों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई थी और कमरों में एसी सुविधा को लेकर भी सवाल खड़े किए गए थे. इस संबंध में पीएम मोदी ने ओलंपिक एथलीटों के साथ मीटिंग में मज़ाक भी किया और उनकी यह वार्ता खूब चर्चा का विषय बनी हुई है. ऐसे में बढ़ती गर्मी के कारण भारत से खेल मंत्रालय ने 40 पोर्टेबल एसी पेरिस भेजे थे. पीएम मोदी ने एथलीटों से मजाक करते हुए पूछा, "वहां कोई एसी नहीं था और गर्मी भी काफी हो रही थी. इसलिए मैं पूछना चाहता हूं कि आप सबमें सबसे पहले ये ख्याल किसके मन में आया कि, 'मोदी बातें बहुत बड़ी-बड़ी करता है, लेकिन कमरों में एसी तक नहीं है. अब हम क्या करें." प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि जो भी लोग वहां मौजूद थे, सबसे अधिक परेशानी उन्हें ही झेलनी पड़ी. फिर कुछ ही घंटों में काम को अंजाम दे दिया गया. प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार अपने एथलीटों को बढ़िया से बढ़िया सुविधा उपलब्ध करवाने का प्रयास करती है. आवाल पूछे जाने पर कमरे में मौजूद सभी एथलीट चुप रहे. 2036 ओलंपिक्स की मेजबानी का है सपना पीएम मोदी ने 15 अगस्त के दिन लाल किले पर स्पीच देते हुए बताया था कि वो 2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी भारत में होते हुए देखना चाहते हैं. इसके अलावा उन्होंने ओलंपिक एथलीटों से मुलाकात के समय भी 2036 ओलंपिक खेलों के आयोजन की बात कही. प्रधानमंत्री ने कहा कि खेलो इंडिया गेम्स ने भारत में एक माहौल तैयार करने में बहुत बड़ा योगदान दिया है.
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16 August 2024गाना सुनने, बात करने के लिए आजकल हेडफोन-ईयरफोन का इस्तेमाल बढ़ गया है. एक स्टडी में बताया गया है कि बहुत से लोग हर दिन 3-4 घंटे तक ईयरफोन लगाते हैं. क्या आप जानते हैं कि ज्यादा देर तक ईयरफोन लगाए रहने से कानों को गंभीर नुकसान हो सकता है. इससे आपकी सुनने की क्षमता भी कम हो सकती है. ईयर स्पेशलिस्ट का कहा है कि ईयरफोन की 100 डीबी तक आवाज भी कानों को डैमेज कर सकती है. ऐसे में अगर आप भी ज्यादा ईयरफोन यूज करते हैं और कुछ लक्षण नजर आए तो नजरअंदाज करने की बजाय डॉक्टर के पास जाना चाहिए, वरना बहरेपन की समस्या हो सकती है. ईयरफोन के क्या-क्या नुकसान हेडफोन या ईयरफोन लगातार लगाने से कानों में हीट पैदा होती है, जिससे ईयर इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है. ज्यादा समय तक ईयरफोन लगाने से कानों की नसों पर भी दबाव पड़ता है. उनमें सूजन भी आ सकती है. कानों में वाइब्रेशन से हियरिंग सेल्स भी प्रभावित होती है. ईयरफोन सुनने की क्षमता ही नहीं सिरदर्द को भी बढ़ा सकता है. ईयरफोन के साइड इफेक्ट्स के लक्षण ई एंड टी एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब ईयरफोन से कान खराब (Earphone Side Effects) होने लगते हैं तो कान में लगातार साउंड, भिनभिनाहट या फुसफुसाहट जैसी आवाजें सुनाई पड़ती रहती है. इससे कान गर्म हो जाते हैं और उनमें दर्द भी होने लगता है. इस तरह के लक्षण दिखते ही भागकर डॉक्टर के पास जाना चाहिए और उसकी जांच करवानी चाहिए. ऑडियोलॉजिस्ट से भी कानों को लेकर जरूर सलाह लेनी चाहिए. हेडफोन-ईयरफोन यूज करने का सेफ तरीका 1. ज्यादा देर तक हेडफोन या ईयरफोन न लगाएं. 2. गाने सुनते या बात करने वॉल्यूम नॉर्मल रखें. 3. अपना हेडफोन-ईयरफोन दूसरों को या उनका खुद इस्तेमाल करने से बचें. 4. अच्छी क्वालिटी वाले ईयरफोन ही इस्तेमला करें. 5. 1 घंटे से ज्यादा ईयरफोन या हेडफोन का इस्तेमाल करने से बचें. 6. किसी भी तरह की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से जाकर मिलें
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16 August 2024देश आज 15 अगस्त को अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11वीं बार लाल किले पर तिरंगा फहराया। अपने 103 मिनट के भाषण में मोदी ने कहा- आजादी के दीवानों ने आज हमें स्वतंत्रता की सांस लेने का सौभाग्य दिया है। ये देश महापुरुषों का ऋणी है। आजादी के बाद देशवासियों को माई-बाप कल्चर से गुजरना पड़ा था। हमने गर्वनेंस के इस मॉडल को बदला। आज सरकार खुद जनता की जरूरतें पूरी कर रही है। देश में 75 सालों से कम्युनल सिविल कोड है। अब देश को सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत है। हमारे देश के बच्चों को जाने कैसे-कैसे देशों में मेडिकल की पढ़ाई के लिए जाना पड़ता है। अगले पांच साल में 75 हजार नई मेडिकल सीटें बढ़ाई जाएंगी। कोलकाता रेप-मर्डर पर उन्होंने कहा- ऐसे राक्षसों को फांसी पर लटकाया जाए। इससे पहले PM मोदी ने सुबह राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। 78वें स्वतंत्रता दिवस की थीम विकसित भारत है। इसके तहत स्वतंत्रता के 100वें साल 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा गया है। सरकारी नीतियों पर PM मोदी विकसित भारत: PM ने कहा- 2047 विकसित भारत हमारी प्रतीक्षा कर रहा है। ये देश चलने के लिए प्रतिबद्ध है। मैं तीसरे टर्म में तीन गुना काम करूंगा। ताकि देश के सपनों को पूरा कर सकूं। अब दुनिया के लिए डिजाइनिंग इंडिया पर बल देना है, अब इंडियन स्टैंडर्ड, इंटरनेशनल स्टैंडर्ड बनने चाहिए। डिजाइन के क्षेत्र में हम दुनिया को बहुत कुछ दे सकते हैं। नई शिक्षा नीति: एजुकेशन सिस्टम में नई शिक्षा नीति आने से मातृ भाषा को बल मिला। भाषा टैलेंट के रास्ते नहीं आनी चाहिए। जीवन में मातृ भाषा को बल देना होगा। आज दुनिया में जैसा बदलाव हो रहा है, अब जाकर स्किल का महत्व बढ़ गया है। न्याय संहिता: हमने 1500 से ज्यादा कानूनों को खत्म कर दिया। छोटी गलती के चलते जेल जाने वाले कानूनों को खत्म कर दिया। आज हमने जो आजादी की विरासत की गर्व की बात करते हैं। सदियों से जो पुराने क्रिमिनल लॉ थे, उन्हें खत्म किया है। हमने दंड नहीं न्याय पर फोकस रखा। आत्मनिर्भर भारत: डिफेंस सेक्टर में हमारी आदत हो गई थी कि बजट का पैसा कहां जाता है, विदेश से इंपोर्ट करते थे। आज इसमें आत्मनिर्भर बने हैं। आज डिफेंस मैनयूफैक्चरिंग का हब बने हैं। दुनिया में हथियार एक्सपोर्ट कर रहे हैं। बैकिंग सेक्टर: बैंकिग क्षेत्र में हमने रिफॉर्म किया तो दुनिया की मजबूत बैकों में हमारी बैंकों ने स्थान बनाया। बैंकिंग सेक्टर मजबूत हो तो विकास भी होता है, हमारे नौजवानों को पढ़ाई, विदेश जाने के लिए लोन चाहिए। किसानों को लोन चाहिए, रेहड़ी पटरी वाले भी लोन ले रहे और विकास में भागीदार बन रहे हैं। कृषि रिफॉर्मिंग: हम किसानों की मदद कर रहे हैं, आसान लोन दे रहे हैं, उसे टेक्नोलॉजी दे रहे हैं। उसे एंड टु एंड होल्डिंग मिले उस दिशा में काम रहे हैं। आज दुनिया के लिए ऑर्गेनिक फूड बनाने वाला फूड बॉस्केट हमारे देश का किसान बना सकता है। मोदी बोले- 2047 तक विकसित भारत का संकल्प पूरा करेंगे मोदी ने कहा- हमारे पूर्वज सिर्फ 40 करोड़ थे, उन्होंने गुलामी जंजीरों को तोड़ दिया था। हमारे पूर्वजों का खून हमारी रगों में है। अगर 40 करोड़ गुलामी की बेड़ियाों को तोड़ सकते हैं, तो 140 करोड़ नागरिक अगर संकल्प लेकर चल पड़ें, तो चुनौतियां कितनी बड़ी क्यों न हो, हर चुनौती को पार करते हुए हम समृद्ध भारत बना सकते हैं। हम 2047 विकसित भारत का संकल्प प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि देशवासियों ने अपने अनुभव से हमें विकसित भारत बनाने के सुझाव दिए हैं। आपदाओं में जिन्होंने अपनों को खोया, उनके साथ देश खड़ा है इस साल और पिछले कुछ सालों से प्राकृतिक आपदा के कारण हमारी चिंता बढ़ती जा रही है। इसमें अनेक लोगों ने अपने परिवारजन खोए हैं, अपनी संपत्ति खोई है। राष्ट्र को भी नुकसान हुआ है मैं आज उन सब के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं, उन्हें विश्वास दिलाता हूं ये देश संकट की घड़ी में उनके साथ खड़ा है। स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले से PM मोदी का सबसे लंबा भाषण पीएम मोदी ने बतौर प्रधानमंत्री 11वें स्वतंत्रता दिवस पर 103 मिनट का सबसे लंबा भाषण दिया। पहली बार उन्होंने लालकिले से 100 मिनट से ज्यादा की स्पीच दी है। चार बार (2016, 2019, 2022, 2023) 90 मिनट से ज्यादा का भाषण दिया है। सबसे छोटा भाषण साल 2014 का है, जब मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने थे। तब उन्होंने 65 मिनट की स्पीच दी थी।
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15 August 202415 अगस्त के मौके पर आज पूरा भारतवर्ष भारत का 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। आज ही के दिन 78 साल पहले भारत ने पहली बार लाल किले पर तिरंगा लहराया था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद राष्ट्र को संबोधित किया। यह देश के नाम उनका लगातार 11वां संबोधन था और लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने के बाद उनका पहला संबोधन। स्वतंत्रता दिवस समारोह के मद्देनजर दिल्ली में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। इस बार खास बात यह है कि पेरिस ओलंपिक 2024 में हिस्सा लेने वाले भारतीय खिलाड़ियों को भी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बतौर अतिथि आमंत्रित किया गया।
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15 August 2024आजादी से पहले भारत की करेंसी छापने का काम इकलौते नासिक प्रेस में होता था। 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों ने देश की आजादी के साथ उसे दो हिस्सों में बांट दिया। अब नए मुल्क पाकिस्तान के सामने समस्या थी कि क्या वहां भारत के नोट चलाए जाएं? कुछ पाकिस्तानी नेताओं ने नासिक प्रिंटिंग प्रेस बांटने की मांग की, लेकिन यह प्रैक्टिकली संभव नहीं था। आखिर पाकिस्तान ने करेंसी पर क्या फैसला किया? आजादी और बंटवारे से जुड़े ऐसे कई सवाल आम लोगों के जेहन में अक्सर आते हैं। जैसे- आजादी के लिए 15 अगस्त ही क्यों चुना, अंग्रेज गए तो सरकारी खजाने में कितना पैसा छोड़ गए, जेल में बंद कैदियों का क्या हुआ; आजादी की 78वीं सालगिरह पर ऐसे ही 10 रोचक सवालों के जवाब जानेंगे... सवाल-1: भारत की आजादी के लिए 15 अगस्त ही क्यों चुना गया? जवाब: सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद 1945 में ब्रिटेन में चुनाव हुए। लेबर पार्टी सत्ता में आई और क्लेमेंट एटली प्रधानमंत्री बने। PM एटली ने फरवरी 1947 में ऐलान किया कि 30 जून 1948 तक ब्रिटेन भारत को आजाद कर देगा। इसके लिए लॉर्ड माउंटबेटन को आखिरी वायसराय चुना गया। भारत के पहले गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी के मुताबिक अगर माउंटबेटन जून 1948 तक इंतजार करते तो ट्रांसफर करने के लिए उनके पास कोई पॉवर ही नहीं बचती। पूरे देश में हिंसा और उथल-पुथल मची थी। माउंटबेटन ने भारत की आजादी और बंटवारे के प्लान में तेजी दिखाई। माउंटबेटन के सुझावों पर ब्रिटेन की संसद ने 4 जुलाई, 1947 को इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट पारित किया। इसमें 15 अगस्त 1947 को भारत से ब्रिटिश शासन खत्म करने का प्रावधान था। अब सवाल उठता है कि 15 अगस्त ही क्यों? सवाल-2: भारत और पाकिस्तान अलग-अलग दिन आजादी क्यों मनाते हैं? जवाब: ब्रिटिश संसद में भारत की आजादी का दिन 15 अगस्त ही तय किया गया था। इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट में भी साफ-साफ इसी तारीख का जिक्र है। पाकिस्तान ने जो पहला डाक टिकट जारी किया है, उसमें भी आजादी की तारीख 15 अगस्त ही है। पाकिस्तान में दिए अपने पहले भाषण में जिन्ना ने कहा था कि 15 अगस्त स्वतंत्र और संप्रभु पाकिस्तान का जन्मदिन है। यह उस मुस्लिम राष्ट्र की नियति की पूर्ति का प्रतीक है, जिसने अपनी जमीन पाने के लिए बहुत कुर्बानियां दी हैं। फिर पाकिस्तान में 14 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाया जाने लगा, इसकी कोई स्पष्ट वजह नहीं मिलती। एक थ्योरी है… पाकिस्तान के जाने-माने इतिहासकार के.के. अजीज अपनी किताब मर्डर ऑफ हिस्ट्री में लिखते हैं, 'वायसराय माउंटबेटन ब्रिटिश राज के इकलौते प्रतिनिधि थे। उन्हें व्यक्तिगत रूप से दोनों नए देशों को सत्ता हस्तांतरित करना था। हालांकि, माउंटबेटन एक ही समय नई दिल्ली और कराची में मौजूद नहीं हो सकते थे। ऐसा भी संभव नहीं था कि वो 15 अगस्त की सुबह भारत को सत्ता सौंपे और शाम तक कराची आ जाएं, क्योंकि उस समय तक वे भारत के गवर्नर जनरल बन चुके होते।' के. के. अजीज लिखते हैं, 'प्रैक्टिकल विकल्प यही था कि माउंटबेटन 14 अगस्त को वायसराय के तौर पर पाकिस्तान को सत्ता हस्तांतरित करें और फिर 15 अगस्त को भारत चले जाएं। उन्होंने ऐसा ही किया और तभी से पाकिस्तान 14 अगस्त को अपनी आजादी का दिन मनाने लगा।' लेखक लैरी कोलिन्स और डोमिनिक लैपियर की किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में लॉर्ड माउंटबेटन के हवाले से लिखा गया है, ‘मैंने जो तारीख चुनी, वह अचानक से मेरे दिमाग में आई। जब मुझसे पूछा गया कि क्या हमने कोई तारीख तय की है, तो उस समय मैंने ठीक से नहीं सोचा था। मुझे इतना अंदाजा था कि इसे अगस्त या सितंबर के आसपास रखना चाहिए। अचानक मेरे दिमाग में 15 अगस्त की तारीख आई, क्योंकि यह द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी वर्षगांठ थी। इसी दिन जापान के राजा हिरोहितो ने आत्मसमर्पण का ऐलान किया था।’ सवाल-3: ये बात कितनी सच है कि 15 अगस्त 1947 को भारत को लीज पर आजादी मिली, भारत संप्रभु देश नहीं था? जवाब: भारत को आजादी लीज यानी पट्टे पर नहीं मिली है। ये कोरी अफवाह है। जब भारत आजाद हुआ तब भी संप्रभु था और आज भी है। ये बात सच है कि भारत को आजादी ब्रिटेन की संसद में पेश इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 के तहत ही मिली थी। इसके बाद भारत का संविधान बना। 26 जनवरी 1950 को इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 को निरस्त करके ही भारत में संविधान लागू किया गया था। संविधान लागू करते समय भारत को पूरी तरह से स्वतंत्र एवं संप्रभु देश घोषित किया गया था। UK की संसद की वेबसाइट पर जाएंगे तो वहां साफ-साफ भारत की आजादी से जुड़े कानून का जिक्र और दस्तावेज उपलब्ध हैं। उसमें लिखा है कि ब्रिटेन ने इस एक्ट के तहत दो नए स्वतंत्र प्रभुत्व राष्ट्र भारत और पाकिस्तान बनाए हैं। इस एक्ट के तहत ब्रिटिश राजशाही को 'भारत के सम्राट' के पद से भी हटा दिया गया है। ब्रिटिश राजघराने ने रियासतों के साथ सभी मौजूदा संधियों को समाप्त कर दिया है। लॉर्ड माउंटबेटन गवर्नर-जनरल के रूप में काम करते रहेंगे। जवाहरलाल नेहरू को भारत का पहला प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान के गवर्नर जनरल और लियाकत अली खान इसके प्रधानमंत्री बने हैं। सवाल-4: जब पाकिस्तान बना तो वहां कौन सी करेंसी चलाई गई, क्योंकि तब तक पाकिस्तान अपने नोट तो छापता नहीं था? जवाब: विभाजन से पहले करेंसी नोट नासिक प्रेस में छपते थे। जब बंटवारा हुआ तो पाक बनाने की मांग करने वाले कुछ नेताओं ने कहा कि नासिक प्रिंटिंग प्रेस का भी विभाजन होना चाहिए, लेकिन यह प्रैक्टिकली पॉसिबल नहीं था। बंटवारे में 70 दिन बाकी थे। पाकिस्तान को करेंसी नोटों की जरूरत थी। जब भारत-पाक के नेताओं ने चर्चा की तो पाकिस्तान के सामने तीन विकल्प रखे गए… 1. नासिक प्रेस से ही प्रिंटिंग जारी रखी जाए। 2. बंटवारे के बाद 15 अगस्त से पाक सरकार अपनी व्यवस्था खुद कर ले। 3. पाक सरकार किसी प्राइवेट प्रिंटिंग प्रेस से अपनी करेंसी छपवा ले। पाकिस्तान पक्ष की एक कमेटी ने नासिक प्रेस का निरीक्षण किया और उसकी क्षमता का आकलन किया। उन्होंने तय किया कि नोट यहीं नासिक में छपना चाहिए। इसके लिए पाक का एक प्रतिनिधि यहां तैनात होगा, जो प्रोसेस पर नजर रखेगा। समस्या ये थी कि बंटवारे के बाद दूसरे देश का आदमी नोट प्रेस जैसी गोपनीय जगह पर कैसे रह सकता है। इसके लिए बंटवारा कमेटी ने 19 जुलाई 1947 को वित्त विभाग के सामने रिपोर्ट पेश कर अनुमति मांगी तब जाकर उसे यहां रहने की सहमति मिली। समस्या नोट छापने की नहीं थी, बल्कि डिजाइन की थी। नासिक प्रेस में पाकिस्तान या भारत के लिए नए नोटों का डिजाइन तैयार किया जाता तो इसमें कम से कम डेढ़ साल का समय लगता। इसके बाद ये नोट मार्केट में उतारने में भी समय लगता। ऐसे में तय किया गया कि भारतीय रिजर्व बैंक भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए नोट छापेगा। हिंदुस्तानी हुकूमत को आजादी के बाद भी समझौता करना पड़ा। उनके करेंसी नोटों पर इंग्लैंड के राजा की तस्वीर को उन्हें स्वीकार करना पड़ा, जिस पर RBI के तत्कालीन गवर्नर सीडी देशमुख के हस्ताक्षर थे। पाकिस्तान को तो और भी समझौता करना पड़ा। उसे 'रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया' के जारी किए गए करेंसी नोटों को स्वीकार करना पड़ा। नासिक प्रेस ने पाकिस्तान के नोटों के सफेद हिस्से पर ऊपर अंग्रेजी में 'गवर्नमेंट ऑफ पाकिस्तान' और नीचे उर्दू में 'हुकुमते पाकिस्तान' उकेर दिया था। इससे पता चलता था कि ये करेंसी पाक की है। पाकिस्तान के लिए करेंसी नोटों की पहली खेप RBI ने 1 अप्रैल, 1948 को जारी की थी। इस कारण माना जाता है कि तब तक पाकिस्तान में पुरानी 'भारतीय' करेंसी चलती थी। 1949 में पाकिस्तान ने अपनी करेंसी अपने देश में छापनी शुरू की थी। सवाल-5: क्या 15 अगस्त की रात को ही सभी गोरे सिपाही चले गए थे? जवाब: भारत और पाकिस्तान की सैन्य व्यवस्था संभालने के लिए कई ब्रिटिश अफसर और सैनिक अगले एक साल तक भारत में ही रुके थे। जब वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत की आजादी की तारीख 15 अगस्त 1947 का ऐलान किया तो तुरंत ब्रिटिश सैनिकों को उनकी बैरकों में बुला लिया गया। कई ब्रिटिश अधिकारी बंटवारे में सहायता के लिए भारत में रुक गए, जिनमें भारत के प्रथम सेनाध्यक्ष जनरल सर रॉबर्ट लॉकहार्ट और पाकिस्तान के प्रथम सेनाध्यक्ष जनरल सर फ्रैंक मेसेर्वी शामिल थे। भारत छोड़ने वाली आखिरी यूनिट फर्स्ट बटालियन, समरसेट लाइट इन्फैंट्री (प्रिंस अल्बर्ट) थी, जो 28 फरवरी 1948 को बम्बई (अब मुंबई) से इंग्लैंड के लिए रवाना हुई थी। 15 अगस्त से कुछ सप्ताह पहले कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी भारतीय सेना को सौंपी गई थी, क्योंकि आगे भी उसे यही करना था। सवाल-6: भारत-पाक बंटवारे में जेल में बंद कैदियों का क्या हुआ? जवाब: कैदियों की पुख्ता संख्या के बारे में तो कोई जानकारी नहीं है, लेकिन राजनीतिक कैदियों को आजादी का ऐलान होते ही तुरंत रिहा कर दिया गया था। आम कैदियों के मामले में अलग-अलग प्रक्रिया अपनाई गई थी। जब दंगे बढ़ने लगे तो कई जेलों से आम कैदियों को कानून और व्यवस्था भंग होने के कारण रिहा कर दिया गया था। कुछ जगह पर जहां संभव था, कैदियों को रखा गया और उन्होंने अपनी सजा पूरी की। इसके बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। सवाल-7: बैंकों का बंटवारा कैसे हुआ? जवाब: पाकिस्तान की जनसंख्या कुल जनसंख्या का लगभग 20% थी। भारत और पाक दोनों में गैर सरकारी बैंकों की संख्या ज्यादा थी। ज्यादातर बैंकों के हेड ऑफिस भारत में थे। वहीं ब्रांच ऑफिसेस पाकिस्तान में ज्यादा थे। उस समय इनकी पूंजी और रिजर्व डेढ़ लाख करोड़ रुपए से अधिक थे। इनमें से लगभग 25% बैंक पाकिस्तान में थे। वेस्ट पाकिस्तान यानी आज के बांग्लादेश में बैंकिंग सुविधाएं ईस्ट पाकिस्तान की तुलना में बेहतर थीं। 13 में से 10 सरकारी बैंक वहीं थे। वहीं 157 गैर सरकारी बैंकों में से 123 वेस्ट पाकिस्तान में थे। इसका कारण ये था कि अंग्रेजों की राजधानी कलकत्ता (कोलकाता) व्यापार और बैंकिंग लेन-देन का हब थी। जब बंटवारा हुआ तो कुल 3146 सरकारी बैंक और उनकी ब्रांच थीं। इनमें से पाकिस्तान को 633 और 2513 भारत के हिस्से में आई थीं। वहीं गैर सरकारी बैंक में से कुल 2205 में से पाकिस्तान के हिस्से में 568 और भारत के हिस्से में 1637 बैंक आए थे। सवाल-8: अंग्रेज भारत के सरकारी कोष में कुल कितना पैसा छोड़ गए थे? जवाब: 1 मार्च 1947 को अविभाजित भारत के पास कैश और सिक्योरिटी 514 करोड़ रुपए थे, जबकि 15 अगस्त 1947 को 400 करोड़ रुपए बचा था। बंटवारे के एग्रीमेंट में इसे इतना ही लिखा गया था। 325 करोड़ रुपए भारत को और 75 करोड़ रुपए पाकिस्तान के हिस्से में आए। 20 करोड़ रुपए पाकिस्तान को एडवांस दिए गए थे। आजादी के बाद भारत और पाकिस्तान ने सालभर सितंबर 1948 तक एक ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की सेवा ली थी। सवाल-9: माउंटबेटन ने राष्ट्रपति भवन कब खाली किया, भारत के पहले गवर्नर जनरल कब दाखिल हुए? जवाब: लॉर्ड माउंटबेटन 14-15 अगस्त 1947 की आधी रात को पाकिस्तान और भारत को आजादी मिलने के बाद से 10 महीने तक नई दिल्ली में रहे। उन्होंने जून 1948 तक स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल के रूप में काम किया। इन दस महीनों में उन्होंने कई राजाओं को भारत में विलय के लिए मनाया। माउंबेटन के कार्यकाल के दौरान ही सी राजगोपालाचारी वायसराय भवन अब राष्ट्रपति भवन में रह चुके थे। दरअसल, 10 से 24 नवंबर 1947 तक माउंटबेटन अपने भतीजे प्रिंस फिलिप और राजकुमारी एलिजाबेथ की शादी में शामिल होने के लिए इंग्लैंड छुट्टी पर गए थे। इस दौरान सी राजगोपालाचारी को लॉर्ड माउंटबेटन की गैरहाजिरी में कार्यवाहक गवर्नर जनरल बनाया गया था। सी राजगोपालाचारी ने वायसराय के महल में बेहद सिंपल जीवन बिताया था। वे अपने कपड़े खुद धोते थे और जूते भी खुद ही पॉलिश करते थे। माउंटबेटन ने सरदार वल्लभ भाई पटेल के बाद अपने पद का उत्तराधिकारी राजगोपालाचारी को ही बताया था। आखिरकार उन्हें ही चुना गया। उन्होंने 21 जून 1948 को वायसराय महल में कदम रखा और संविधान लागू होने तक 26 जनवरी 1950 तक इस पद पर रहे। सवाल-10: क्या महात्मा गांधी आजादी के जश्न में शामिल नहीं हुए? जवाबः महात्मा गांधी आजादी के जश्न में शामिल नहीं हुए थे। वे बंगाल में थे जहां हिन्दू-मुस्लिम के बीच सांप्रदायिक हिंसा हो रही थी। आजादी के दिन उन्होंने 24 घंटे का व्रत रखा था। उन्होंने नेहरू का भाषण भी नहीं सुना था, क्योंकि उस रात वे जल्दी सोने चले गए थे।
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15 August 2024विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस साल 2021 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि 14 अगस्त को भारत में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाएगा। 1947 में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन द्वारा भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान को एक मुस्लिम देश के रूप में बनाया गया था। जब देश में बंटवारा हुआ तो बड़े पैमाने पर दंगे भड़कने के कारण लाखों लोग विस्थापित हुए और उनमें से कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी। इस दिन को यादगार बनाने की घोषणा करते हुए पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर कहा था कि विभाजन के दर्द को कभी नहीं भुलाया जा सकता। हमारे लाखों बहन-भाई विस्थापित हुए और कई लोगों ने नासमझ नफरत और हिंसा के कारण अपनी जान गंवाई। हमारे लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में, 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाएगा। पाकिस्तान स्वतंत्रता दिवस साल 1947 में भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम ने भारत और पाकिस्तान के रूप में दो संप्रभु राष्ट्र-राज्यों का निर्माण किया। पाकिस्तान के संस्थापक पिता और पहले राष्ट्रपति मोहम्मद अली जिन्ना ने अपने ऐतिहासिक रेडियो संबोधन में कहा था कि 15 अगस्त स्वतंत्र और संप्रभु राज्य पाकिस्तान का जन्मदिन है। यह उस मुस्लिम राष्ट्र की नियति की पूर्ति का प्रतीक है जिसने पिछले कुछ वर्षों में अपनी मातृभूमि पाने के लिए बहुत त्याग किए हैं। वहीं, पाकिस्तान 14 अगस्त को इसलिए अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है क्योंकि कई लोगों का आज भी मानना है कि 14 अगस्त 1947 में रमजान का आखिरी शुक्रवार था। देश दुनिया के इतिहास में 14 अगस्त की महत्वपूर्ण घटनाएं- 1862 : बंबई उच्च न्यायालय की स्थापना। 1908 : इंग्लैंड के फोकेस्टोन में पहली सौंदर्य प्रतियोगिता का आयोजन। 1917 : चीन ने जर्मनी और आस्ट्रिया के खिलाफ युद्ध की घोषणा की। 1924 : प्रसिद्ध लेखक एवं पत्रकार कुलदीप नैयर का जन्म। 1938 : बीबीसी की पहली फीचर फिल्म (स्टूडेंट ऑफ प्राग) टेलीविजन पर प्रसारित। 1947 : भारत का विभाजन हुआ और पाकिस्तान पृथक राष्ट्र बना। 1968 : मोरारजी देसाई पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित। 1971 : बहरीन को 110 वर्ष के बाद ब्रिटिश शासन से आजादी मिली। 2003 : पूर्वी अमेरिका और कनाडा में लंबे समय तक बिजली आपूर्ति ठप, जिसका असर न्यूयॉर्क और ओटावा जैसे बड़े शहरों पर भी पड़ा। 2006 : संयुक्त राष्ट्र की पहल पर इजराइल और दक्षिणी लेबनान में पांच सप्ताह से जारी संघर्ष थमा। 2006 : इराक के कहतानिया में बमबारी में 400 लोग मारे गये। 2013 : मिस्र में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प में 638 लोग मारे गये।
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14 August 2024प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्त, 2024 को 78वें स्वतंत्रता दिवस समारोह का लाल किले पर तिरंगा फहराएंगे. इस बार स्वतंत्रता दिवस के भव्य समारोह में 6,000 अतिथियों को आमंत्रित किया गया है. स्वतंत्रता दिवस समारोह में पीएम मोदी राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे और राष्ट्र को संबोधित भी करेंगे. इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस की थीम ‘विकसित भारत @2047’ रखी गई है. बता दें कि केंद्र सरकार का लक्ष्य वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाने का है. दरअसल, 2047 में भारत अपनी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ मनाएगा. केंद्र सरकार ने इससे पहले केंद्रीय बजट पेश करते हुए कहा था कि बजट का उद्देश्य 2047 तक विकसित भारत की नींव रखना है. कैसा होगा समारोह? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किले पर पहुंचने पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने स्वागत करेंगे. रक्षा सचिव दिल्ली क्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) लेफ्टिनेंट जनरल भवनीश कुमार का प्रधानमंत्री से परिचय कराएंगे. पीएम को सलामी स्थल तक कौन ले जाएगा? दिल्ली क्षेत्र के जीओसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सलामी स्थल तक ले जाएंगे, जहां संयुक्त अंतर-सेवा और दिल्ली पुलिस गार्ड उन्हें सलामी देंगे. बताया गया कि इसके बाद पीएम मोदी गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण करेंगे. पीएम के लिए गार्ड ऑफ ऑनर दल में सेना, नौसेना, वायु सेना और दिल्ली पुलिस से एक-एक अधिकारी और 24 कर्मी शामिल रहेंगे. राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए प्राचीर तक जाएंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण करने के बाद लाल किले की प्राचीर की ओर बढ़ेंगे जहां उनका स्वागत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी करेंगे. बताया गया कि दिल्ली क्षेत्र के जीओसी पीएम मोदी को राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए प्राचीर पर मंच तक लेकर जाएंगे. ध्वज फहराने में कौन करेगा सहायता? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रीय ध्वज फहराने में सहायता लेफ्टिनेंट संजीत सैनी करेंगे. ध्वज फहराने के बाद 1721 फील्ड बैटरी (सेरेमोनियल) के बहादुर गनर्स द्वारा 21 तोपों की सलामी दी जाएगी. राष्ट्रीय ध्वज गार्ड में सेना, नौसेना और वायु सेना से एक-एक अधिकारी और 32 अन्य रैंक के जवान और दिल्ली पुलिस के 128 जवान भी शामिल रहेंगे. हेलीकॉप्टर करेंगे पुष्प वर्षा राष्ट्रीय ध्वज फहराए जाने का बाद उसे राष्ट्रीय सलामी दी जाएगी. सलामी के दौरान पंजाब रेजिमेंट मिलिट्री बैंड, जिसमें एक जेसीओ और 25 अन्य रैंक शामिल हैं, राष्ट्रगान बजाएंगे. इस बैंड का नेतृत्व सूबेदार मेंजर राजिंदर सिंह करने वाले हैं. ध्वज फहराए जाने के बाद भारतीय वायुसेना के दो एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर कार्यक्रम स्थल पर पुष्प वर्षा करेंगे. पीएम मोदी पुष्प वर्षा के बाद राष्ट्र को संबोधित करेंगे. पीएम के भाषण के समापन पर राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के कैडेट राष्ट्रगान गाएंगे. बता दें कि देश भर के विभिन्न स्कूलों से कुल 2,000 लड़के और लड़कियां कैडेट (सेना, नौसेना और वायु सेना) समारोह में भाग ले रहे हैं. अतिथियों में कौन लोग हैं शामिल? विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे युवा, आदिवासी समुदाय, किसान और महिलाओं को भी बतौर अतिथि आमंत्रित किया गया है. वहीं अटल इनोवेशन मिशन और पीएम (प्रधानमंत्री के उभरते भारत के लिए स्कूल) योजना से लाभान्वित छात्र और ‘मेरी माटी मेरा देश’ के तहत मेरा युवा भारत (MY भारत) और राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक भी कार्यकर्म में शिरकत करेंगे. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लाभार्थी और किसान उत्पादक संगठनों के प्रतिनिधि भी समारोह में शामिल होंगे. मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा), सहायक नर्स मिडवाइफ (एएनएम) और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, लखपति दीदी और ड्रोन दीदी पहल और सखी केंद्र योजना के लाभार्थी भी कार्यक्रम में शामिल होंगे. पेरिस ओलंपिक के भारतीय एथलीट्स भी रहेंगे शामिल मिली जानकारी के मुताबिक पेरिस ओलंपिक्स 2024 में हिस्सा लेने वाले भारतीय खिलाड़ियों को भी बतौर अतिथि आमंत्रित किया गया है. वहीं रक्षा मंत्रालय द्वारा MyGov और आकाशवाणी के सहयोग से आयोजित विभिन्न ऑनलाइन प्रतियोगिताओं के तीन हजार (3,000) विजेता भी समारोह में शामिल होंगे.
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14 August 2024भारत कुछ ही दिनों में अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है. इस दिन भारत में छुट्टी होती है, लेकिन भारतीय क्रिकेट टीम एक या दो नहीं बल्कि कई बार 15 दिन के मौके पर भी देश सेवा करने निकल पड़ी थी. हालांकि 15 अगस्त के दिन टीम इंडिया ने ज्यादातर टेस्ट मैच ही खेले हैं, जिनमें आइए जानते हैं उसका प्रदर्शन कैसा रहा है? 15 अगस्त के दिन भारत ने कितने मैच खेले? भारत को 15 अगस्त, 1947 के दिन ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी मिली थी. आजादी के बाद भारत स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पहला मैच 1952 में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था. दरअसल वो टेस्ट मैच 14 अगस्त को शुरू हुआ था, जो ड्रॉ के रूप में समाप्त हुआ था. उसके बाद स्वतंत्रता दिवस पर टीम इंडिया ने 2001 में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट मैच खेला, जिसमें भारत को 10 विकेट से करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी. वहीं जब टीम इंडिया 2014 में इंग्लैंड दौरे पर गई तब 15 अगस्त के दिन टेस्ट मुकाबला शुरू हुआ था, जिसमें भारत पारी और 244 रनों के विशाल अंतर से हार गया था. वहीं 2015 में इस खास मौके पर भारत को श्रीलंका, वहीं 2021 में भारतीय टीम 151 रन से विजयी रही थी. 1952 - भारत बनाम इंग्लैंड (टेस्ट मैच - ड्रॉ) 2001 - भारत बनाम श्रीलंका (टेस्ट मैच - भारत हारा) 2014 - भारत बनाम इंग्लैंड (टेस्ट मैच - भारत हारा) 2015 - भारत बनाम श्रीलंका (टेस्ट - भारत हारा) 2021 - भारत बनाम इंग्लैंड (टेस्ट मैच - भारत जीता) वनडे मैच 14 अगस्त को शुरू 15 अगस्त को खत्म दरअसल भारतीय टीम ने 15 अगस्त के दिन एक वनडे मैच भी खेला है. टीम इंडिया 2019 में वेस्टइंडीज का दौरा कर रही थी और उस समय तीसरे वनडे मैच को भारत ने डकवर्थ लुईस नियम के आधार पर 6 विकेट से जीता था. यह मैच वेस्टइंडीज में 14 अगस्त को शुरू हुआ और मुकाबला शाम के समय समाप्त हुआ, लेकिन भारतीय समयानुसार देखा जाए तो यह 15 अगस्त के दिन समाप्त हुआ था.
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13 August 2024डीआरडीओ (DRDO) ने भारत में निर्मित मैन-पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (Man-Portable Anti Tank Guided Missile) का मंगलवार (13 अगस्त) को सफलतापूर्वक परीक्षण किया. राजस्थान के जैसलमेर में फील्ड फायरिंग रेंज में ये परीक्षण किया गया. मैन-पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल में लॉन्चर, टारगेट एक्विजिशन सिस्टम और फायर कंट्रोल यूनिट भी शामिल है. डीआरडीओ के अधिकारियों ने मिसाइल के प्रदर्शन की जमकर तारीफ की और इसे उल्लेखनीय बताया. इस एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल सिस्टम में ऐसे कई फीचर हैं जो इसे दुश्मन के लिए बेहद घातक बनाते हैं. क्या है इसकी खासियत? मैन-पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल या एटीजीएम, दिन और रात दोनों के लिए ही डिजाइन की गई है. ये टॉप अटैक क्षमता से लैस है जो दुश्मनों के ठिकानों को पलक झपकते ही तबाह करने का दमखम रखती है. बताया गया कि इसे भविष्य में युद्ध टैंकों में भी लगाया जा सकेगा. दुश्मन के टैंक होंगे तबाह मैन-पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का भार 15 किलोग्राम से भी कम है और इसे कंधे से भी दुश्मन के ठिकानों पर दागा जा सकेगा. इसका खौफ हमेशा, दुश्मन के टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों को चलाने वालों को रहेगा. इसकी मदद से दुश्मन के टैंक भी तबाह हो जाएंगे. क्या बोले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह? मिसाइल के सफलतापूर्व परीक्षण के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ और भारतीय सेना की सराहना की है. एनडीटीवी की रिपोर्ट्स के मुताबिक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मैन-पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल को रक्षा प्रणाली में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में एक अहम कदम बताया है. कई हथियारों का किया प्रदर्शन रिपोर्ट्स के मुताबिक डीआरडीओ ने मंगलवार (13 अगस्त) को तमिलनाडु के सुलूर में जारी तरंग शक्ति अभ्यास में भारत में तैयार किए गए कई हथियारों का प्रदर्शन किया.डीआरडीओ के अध्यक्ष समीर वी कामत ने इस दौरान कहा कि तरंग शक्ति अभ्यास भारत के घरेलू हथियारों के प्रदर्शन का एक शानदार अवसर है.
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13 August 2024उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में सावन माह के चौथे सोमवार को देशभर से श्रद्धालु दर्शन करने पहुंच रहे है. उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में सावन माह के चौथे सोमवार को श्रद्धालु की भारी भीड़ देखी गई. सावन के हर सोमवार को लाखों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं. महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. मंदिर के पुजारी आशीष गुरु ने बताया कि रात 2:30 बजे मंदिर के पट खुले गए. इसके बाद भगवान का पंचामृत पूजन हुआ और फिर भव्य भस्म आरती की गई. महा निर्माणी अखाड़े के महंत ने भगवान महाकाल को भस्मी से स्नान कराया. इस दौरान बड़ी संख्या में देशभर से श्रद्धालु भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेने पहुंचे थे.महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती में शामिल होने के लिए अनुमति की आवश्यकता होती है मगर सावन के महीने में भस्म आरती बिना अनुमति के चल रही है. भस्म आरती के माध्यम से हजारों की संख्या में शिव भक्त भस्म आरती में शामिल हो रहे हैं.उज्जैन एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर और सवारी व्यवस्था में लगभग 1200 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं. उत्तराखंड से आए श्रद्धालु हिमांशु ने बताया कि वह 2 घंटे से कतारबद्ध होकर खड़े थे. भस्म आरती के कारण देरी से दर्शन का सिलसिला शुरू हुआ. महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं को सुबह 2 घंटे में भगवान महाकाल के दर्शन हुए जबकि बाद में धीरे-धीरे समय का अंतर कम होता चला गया. अब दिन भर भगवान महाकाल के दरबार में शिव भक्तों को 1 घंटे से भी कम समय में दर्शन हो रहे हैं.
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12 August 2024बरसात के मौसम में लोग अपने दोस्तों, परिवार वालों या फिर अपने पार्टनर के साथ खूबसूरत वादियों का दीदार करने का मन बनाते हैं. लेकिन कई बार डेस्टिनेशन के चक्कर में प्लान कैंसिल कर देते हैं. लेकिन अगर आपने पूरा मन बना लिया है, तो यह खबर आपके लिए है. आज हम आपको ऐसी जगह के बारे में बताएंगे, जो किसी स्वर्ग से कम नहीं है. यही नहीं बरसात के मौसम में आपको ऐसा लगेगा, मानो आप किसी जन्नत का दीदार कर रहे हैं. सिक्किम की खेचोपलरी झील सिक्किम की खूबसूरत वादियों में बसा खेचोपलरी झील अपनी रहस्यमयी और मनमोहक सुंदरता के लिए पूरे देश में फेमस है. इस झील को wish fulfilling lake भी कहा जाता है. जानकारी के मुताबिक अगर आप इस झील में अपनी किसी भी विश को मांगते हैं या कोई मनोकामना करते हैं, तो वह पूरी होती है. पुरी होगी हर विश यही कारण है कि इसे 'wish fulfilling lake' कहा जाता है. इस झील में अपनी विश मांगने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं. इसे भारत के सबसे फेमस लेक में से एक माना जाता है. खेचोपलरी गांव में जाते ही आपको झील नजर आ जाएगी. दुपुकनी गुफा इसे देखने के लिए आपको जंगल जैसे रास्ते से गुजरना होगा. जहां की प्राकृतिक सुंदरता आपका दिल जीत लेगी. इस झील के आसपास टहलने के लिए कई जगह है. यही नहीं इस झील के पास दुपुकनी नामक एक गुफा भी है. मान्यता है कि इस गुफा में भगवान शिव ने तपस्या की थी. गंगटोक के स्थानीय बाजार आप यहां की कई नजदीकी जगहों का दीदार कर सकते हैं. इस झील का दीदार करने के बाद आप गंगटोक पहुंच सकते हैं. यहां पर आप पहले दिन किसी होटल में ठहरकर आसपास मौजूद स्थानीय बाजारों में जाकर वहा की चीजें खरीद सकते हैं. ऐसे पहुंचे खेचोपलरी इसके अलावा मनान मंदिर या नामग्यांग स्तूप भी विजिट कर सकते हैं. यहां पहुंचने के लिए आप अपने घर के नजदीकी हवाई अड्डे से गंगटोक हवाई अड्डे तक आ सकते हैं. इसके अलावा आप नजदीकी रेलवे स्टेशन से नया बाजार रेलवे स्टेशन गंगटोक पहुंच सकते हैं. इन जगहों का करें दीदार यहां पहुंचकर आप आसानी से टैक्सी, रिक्शा या बस से खेचोपलरी पहुंच सकते हैं. यहां आने का सबसे अच्छा समय मानसून के महीने का होता है. यहां आने के बाद आप गंगटोक रॉयल पैलेस, बाबा मंगू भवन, त्सो ला झील जैसी जगहों पर घूम सकते हैं.
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12 August 2024मेक्सिको में एक प्राचीन जनजाति द्वारा मानव बलि के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले दो पिरामिड ढह गए हैं. इसके ढहने के बाद माना जा रहा है कि प्रकृति नई करवट ले सकती है और इसे 'महाविनाश का अलौकिक संकेत' बताया जा रहा है.न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, इसे बनाने वाले स्वदेशी जनजाति के वंशजों को डर है कि विनाशकारी तूफानों के कारण दो जुड़वां पिरामिडों में से एक के नष्ट हो जाने के बाद कोई बड़ी प्राकृतिक आपदा आने वाली है. पिरामिड ढहने के पीछे का विज्ञान मैक्सिकन नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एंथ्रोपोलॉजी एंड हिस्ट्री ने बुधवार, 7 अगस्त को एक बयान जारी किया. संस्था ने लिखा, "मंगलवार, 6 अगस्त की रात को इहुआत्ज़ियो पुरातत्व क्षेत्र के पिरामिड आधारों में से एक के दक्षिणी मुहाने के मध्य भाग का एक हिस्सा ढह गया." बयान में आगे कहा गया, "यह प्योरपेचा झील के बेसिन में भारी वर्षा की वजह से हुआ, जिसमें अपेक्षित औसत वर्षा से ज्यादा पानी जमा हो गया. इस क्षेत्र में पहले दर्ज किए गए उच्च तापमान और उसके परिणामस्वरूप सूखे के कारण दरारें पड़ गईं, जिससे प्री-हिस्पैनिक इमारत के अंदरूनी हिस्से में पानी के भर गया." मानव बलि वाला पिरामिड मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, 30 जुलाई को भारी बारिश के बाद पिरामिड की संरचना आंशिक रूप से ढह गई. पिरामिड का निर्माण आधुनिक पुरेपेचा लोगों के पूर्वजों द्वारा किया गया था, जो एक जनजाति थी जिसने एज़्टेक को हराया था. एज़्टेक एक प्राचीन सभ्यता का नाम है. पुरेपेचा जनजाति ने एज़्टेक को हराया और 1519 में स्पेनिश आक्रमण से पहले 400 सालों तक शासन किया. इहुआत्ज़ियो पुरातात्विक क्षेत्र पर 900 ई. से पहले एज़्टेक और फिर स्पेनिश आक्रमणकारियों के आगमन तक पुरेपेचा जनजाति का कब्जा रहा है. इतिहासकारों का कहना है कि प्राचीन पुरेपेचा जनजाति ने अपने सबसे अहम देवता कुरिकवेरी को मानव बलि देने के लिए याकाटा पिरामिड का इस्तेमाल किया था. याकाटा पिरामिड मिचोआकन राज्य के इहुआत्ज़ियो के पुरातात्विक स्थल में पाए जाते हैं.
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12 August 2024पेरिस ओलंपिक 2024 का 13वां दिन काफी शानदार रहा. एक तरफ जहां शाम को भारतीय हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता, वहीं देशवासी बेसब्री से रात 11:45 बजे का इंतजार कर रहे थे, जहां भारत के गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) भाला फेंककर देश को एक और पदक दिलाने वाले थे. यह इंतजार देर रात 01:22 बजे खत्म हुआ, जब नीरज चोपड़ा भारत को एक और पदक दिलाने में सफल रहे. देर रात पूरा देश जश्न में डूबा हुआ था क्योंकि गोल्डन बॉय ने भारत के लिए रजत पदक जीता था. नीरज चोपड़ा जेवलिन थ्रो फाइनल हाइलाइट्स पहले तीन राउंड में 12 एथलीटों ने भाला फेंका. भाला फेंकने के लिए नीरज चोपड़ा आठवें नंबर पर आए. उनका पहला राउंड फाउल रहा. इसके बाद दूसरे राउंड में पाकिस्तानी एथलीट अरशद नदीम ने 92.97 मीटर भाला फेंककर ओलंपिक रिकॉर्ड बनाया और पहले स्थान पर आए. दूसरे राउंड में नीरज चोपड़ा ने भी 89.45 मीटर भाला फेंककर अपने सीजन का सर्वश्रेष्ठ थ्रो किया और दूसरे स्थान पर आए. इसके बाद नीरज ने अगले तीन राउंड फाउल घोषित करवाए, जिसके बाद उन्होंने मेडल के लिए अपनी दावेदारी पक्की की और देश के लिए सिल्वर मेडल जीतने में सफल रहे. नीरज मतलब मेडल की गारंटी टोक्यो 2020 में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचने वाले नीरज चोपड़ा इस बार सिल्वर मेडल के साथ स्वदेश लौटेंगे. इसके साथ ही वह ओलंपिक खेलों में दो बार पदक जीतने वाले चुनिंदा भारतीय खिलाड़ियों में शामिल हो गए हैं. नीरज से पहले यह उपलब्धि नॉर्मन प्रिचर्ड, सुशील कुमार, पीवी सिंधु और मनु भाकर को ही हासिल हुई थी. खास बात यह है कि मनु भाकर ने पेरिस 2024 ओलंपिक में दो कांस्य पदक जीतकर भी देश का गौरव बढ़ाया है. उनकी मां से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक सभी ने नीरज को दी बधाई हर रात पूरा देश चैन की नींद सोता है, लेकिन ओलंपिक 2024 का 13वां दिन ऐसा नहीं था. पूरा देश स्क्रीन पर नीरज चोपड़ा का मैच गौर से देख रहा था. रात 01:22 बजे जैसे ही नीरज ने देश के लिए सिल्वर मेडल जीता, हर तरफ से उन्हें बधाई संदेश आने लगे. इसमें उनकी मां, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीसीसीआई सचिव जय शाह समेत कई लोग शामिल थे. उनकी मां ने कहा- "हम बहुत खुश हैं, हमारे लिए रजत भी सोने के बराबर है...वह चोटिल हो गया था, इसलिए हम उसके प्रदर्शन से खुश हैं..." प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- "भारत को खुशी है कि वह एक बार फिर ओलंपिक में सफलता के साथ लौटे हैं. रजत पदक जीतने पर उन्हें बधाई..."
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9 August 2024सर्प प्रजाति का हिंदू धर्म में बहुत महत्त्व होता है. शिव जी के कंठ अभूषण नागराज वासुकि है तो वहीं विष्णु भगवान की शैय्या नागराज शेषनाग है. हमारे यहां नागों की पूजा की जाती है और गलती से भी आपसे सर्प की हत्या हो जाए आप पर काल सर्प दोष लग जाता है, जिसका निवारण सहज नहीं है लोग अच्छा दिखने के लिए कंठ में महंगे अभूषण धारण करते हैं लेकिन शिव जी ने अपना आभूषण एक सर्प (सांप) को चुना. जोकि समाज में निंदित और उपेक्षित भी. सभी लोग सर्प से डरते हैं और यही डर भगवान शिव जी दूर कर रहे हैं वासुकि को अपना कंठ हार बनाकर. शिवजी अपने सभी भक्तों को यह सीखा रहे है कि जब मैं हूं तो भय किस बात की, कोई भी पशु या पशु–तुल्य व्यक्ति अपको कोई हानि नहीं पहुंचा सकता. नागपंचमी के पर्व में नागों को दूध पिलाने की प्रथा है ताकि हमारा भय दूर हो और हम जीव-जंतु और पशुओं की सेवा करें. नागपंचमी के बारे शास्त्र क्या कहते हैं? वराह पुराण अध्याय क्रमांक 24 के अनुसार, भगवान वाराह अपने मुख से नागपंचमी की कथा बताते हैं. एक समय की बात है, मरीचि ब्रह्माजी के प्रथम मानस पुत्र हुए. उनके पुत्र कश्यप जी हुए. मन्द मुसकान वाली दक्ष की पुत्री कद्रू उनकी भार्या हुई. उससे कश्यपजी के अनन्त, वासुकि, महाबली कम्बल, कर्कोटक, पद्म, महापद्म, शङ्ख, कुलिक और पापराजिल आदि नामों से विख्यात अनेक सर्प–पुत्र हुए. ये प्रधान सर्प कश्यप जी के पुत्र हैं बाद में इन सर्पों की संतानों से यह सारा संसार ही भर गया. वे बड़े कुटिल और नीच कर्म में रत थे. उनके मुंह में अत्यन्त तीखा विष भरा था. वे मनुष्यों को अपनी दृष्टिमात्र से या काटकर भी भस्म कर सकते थे. उनका दंश शब्द की ही तरह तीव्रगामी था. उससे भी मनुष्यों की मृत्यु हो जाती. इस प्रकार प्रजा का प्रतिदिन दारुण संहार होने लगा, यों अपना भीषण संहार देखकर प्रजा वर्ग एकत्र होकर सबको शरण देने में समर्थ परम प्रभु भगवान ब्रह्मा जी की शरण में गये इसी उद्देश्य को सामने रखकर प्रजाओं ने कमलपर प्रकट होने वाले ब्रह्मा जी से कहा- "प्रभू! आपमें असीम शक्ति है, इन तीखे दांतों वाले सर्पों से आप हमारी रक्षा करें. इनकी दृष्टि पड़ते ही मनुष्य तथा पशुसमूह भस्म हो जाते हैं- यह प्रति दिन की बात हो गयी है. इन सर्पों द्वारा आपकी सृष्टि का संहार हो रहा है. आप इसकी जानकारी प्राप्त कर ऐसा प्रयत्न करें कि यह दुःखद परिस्थिति शीघ्र दूर हो जाए." ब्रह्माजी बोले- "प्रजापालो! तुम भय से घबड़ा गए हो. मैं तुम्हारी रक्षा अवश्य करूंगा. पर अब तुम सभी अपने-अपने स्थानपर लौट जाओ. अव्यक्त मूर्ति ब्रह्मा जी के इस प्रकार कहने पर वे प्रजाएं वापस आ गईं. उस समय ब्रह्मा जी के मन में असीम क्रोध उत्पन्न हो गया. उन्होंने वासुकि समेत सभी प्रमुख सर्पों को बुलाया और उन्हें शाप दे दिया. ब्रह्माजीने कहा- "नागो ! तुम मेरे द्वारा उत्पन्न किए हुए मनुष्यों की मृत्यु के कारण बन गए हो. अतः आगे स्वायम्भुव मन्वन्तर में तुम्हारा अपनी ही माता के शापद्वारा घोर संहार होगा, इसमें कोई संदेह नहीं है." जब ब्रह्माजी ने इस प्रकार उन श्रेष्ठ सर्पों से कहा तब सर्पों के शरीर में भय से कंपकंपी मच गयी. वे उन प्रभु के पैरों पर गिर पड़े और ये वचन कहे. नाग बोले- "भगवन् ! आपने ही तो कुटिल जाति में हमारा जन्म दिया है. विष उगलना, दुष्टता करना, किसी वस्तु को देखकर उसे नष्ट कर देना यह हमारा अमिट स्वभाव आपके द्वारा ही निर्मित है. अब आप ही उसे शान्त करने की कृपा करें." ब्रह्मा जी ने कहा- मैं मानता हूं, तुम्हें मैंने उत्पन्न किया है और तुममे कुटिलता भी भर दी है, पर इसका अभिप्राय यह नहीं है कि तुम निर्दय होकर नित्य मनुष्यों को खाया करो." सर्पों ने कहा- "भगवन् ! आप हमें अलग-अलग रहने के लिए कोई सुनिश्चित स्थान की व्यवस्था कर दीजिए और एवं नियम भी बता दें." नागों की यह बात सुनकर ब्रह्मा जी ने कहा- सर्पों! तुम लोग मनुष्यों के साथ भी रह सको इसके लिए मैं स्थान का निर्णय कर देता हूं. तुम सब लोग मन को एकाग्रकर मेरी आज्ञा सुनो- सुतल, वितल और पाताल- ये तीन लोक कहे गये हैं. तुम्हें रहने की इच्छा हो तो वहीं निवास करो. वहां मेरी आज्ञा तथा व्यवस्था से अनेक प्रकार के भोग तुम्हें भोगने के लिए प्राप्त होंगे. रात के सातवें पहर तक तुम्हें वहां रहना है. फिर वैवस्वत मन्वन्तर के आरम्भ में कश्यप जी के यहां तुम्हारा जन्म होगा. देवता लोग तुम्हारे बन्धु- बान्धव होंगे. बुद्धिमान् गरुड (Garuda) से तुम्हारा भाईपने का सम्बन्ध होगा. उस समय कारण वश तुम्हारी सारी संतान (जनमेजय के यज्ञ में) अग्नि के द्वारा जलकर स्वाहा हो जाएगी. इसमें निश्चय ही तुम्हारा कोई दोष न होगा. जो सर्प अत्यन्त दुष्ट और उच्छृङ्खल होंगे, उन्हीं की उस शाप से जीवन लीला समाप्त होगी. जो ऐसे न होंगे, वे जीवित रहेंगे. हां, परेशान करने पर या जिनका काल ही आ गया हो, उन मनुष्यों को समयानुसार निगलने या काटने के लिए तुम स्वतन्त्र हो. गरुड सम्बन्धी मंत्र, औषध और बद्ध गारुडमण्डल द्वारा दांत कुण्ठित करने की कलाएं जिन्हें ज्ञात होंगी, उनसे निश्चय ही तुम्हें डर कर रहना चाहिए, अन्यथा तुम लोगों का विनाश निश्चित है. ब्रह्माजी के ऐसा कहने पर वे सम्पूर्ण सर्प पृथ्वी के नीचे पाताल लोक में चले गए। इस प्रकार ब्रह्मा जी से शाप एवं वरदान पाकर वे पाताल में आनन्द पूर्वक निवास करने लए. ये सारी बातें उन नाग महानुभावों के साथ पंचमी तिथि के दिन ही घटित हुई थीं. अतः यह तिथि धन्य, प्रिय, पवित्र और सम्पूर्ण पापों का संहारक सिद्ध हो गयी. इस तिथि में जो खट्टे पदार्थ के भोजन का परित्याग करेगा और दूध से नागों को स्नान करायेगा, सर्प उसके मित्र बन जाएंगे. नगपंचमी की पूजा का विधान स्कंद पुराण श्रावण माहात्म्य अध्याय क्रमांक 14 में वर्णित हैं– सीचतुर्थ्यामेकभुक्तं तु नक्तं स्यात्पञ्चमीदिने। कृत्वा स्वर्णमयं नागमथवा रौप्यसम्भवम् ॥ २॥ कृत्वा दारुमयं वापि अथवा मृण्मयं शुभम्। पञ्चम्यामर्चयेद्भक्त्या नागं पञ्चफणान्वितम् ॥ ३॥ द्वारस्योभयतो लेख्या गोमयेन विषोल्बणाः। पूजयेद् विधिवच्चैव दधिदूर्वाङ्करैः शुभैः॥ ४॥" अर्थ- "स्वर्ण, चांदी, काष्ठ अथवा मिट्टी का पांच फणों वाला सुन्दर नाग बनाकर पंचमी के दिन उस नाग की भक्ति पूर्वक पूजा करनी चाहिए. द्वार के दोनों ओर गोबर से बड़े-बड़े नाग बनाए और दधि, शुभ दूर्वांकुरों, कनेर-मालती-चमेली-चम्पाके पुष्पों, गन्धों, अक्षतों, धूपों तथा मनोहर दीपों से उनकी विधिवत् पूजा करे." आगे के श्लोकों में लिखा है "प्रत्यक्ष नागों का पूजन करे और उन्हें दूध पिलाएं; घृत तथा शर्करामिश्रित पर्याप्त दुग्ध उन्हें अर्पण करें (वल्मीके पूजयेन्नागान्दुग्धं चैव तु पाययेत् । घृतयुक्तं शर्कराढ्यं यथेष्टं चार्पयेद् बुधः ॥9॥)।" नागपंचमी में नागों की पूजा करके स्वयं नाग आपकी प्रार्थना की अनुशंसा शिव जी या विष्णु जी तक ले जाते हैं :– स्कंद पुराण श्रावण माहात्म्य अध्याय क्रमांक 14 में वर्णित हैं– बद्धाञ्जलिः प्रार्थयते वासुकिश्च सदाशिवम् । शेषवासुकिविज्ञप्त्या शिवविष्णू प्रसादितौ ॥ 31 ॥ मनोरथांस्तस्य सर्वान्कुरुतः परमेश्वरौ । नागलोके तु तान्भोगान्भुक्त्वा तु विविधान्बहून् ॥ 32 ॥ ततो वैकुण्ठमासाद्य कैलासं वापि शोभनम् । शिवविष्णुगणो भूत्वा लभते परमं सुखम् ॥ 33॥ अर्थ- यदि कोई मनुष्य वित्तशाठ्य से रहित होकर नागपंचमी का व्रत करता है, तो उसके कल्याण के लिए सभी नागों के अधिपति शेषनाग तथा वासुकि हाथ जोड़कर प्रभु श्रीहरि से तथा सदाशिव से प्रार्थना करते हैं. तब शेष और वासुकि की प्रार्थना से प्रसन्न हुए परमेश्वर शिव तथा विष्णु उस व्यक्ति के सभी मनोरथ पूर्ण कर देते हैं. वह नागलोक में अनेक प्रकार के विपुल सुखों का उपभोग करके बाद में उत्तम वैकुण्ठ अथवा कैलास में जाकर शिव तथा विष्णु का गण बनकर परम सुख प्राप्त करता है.
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9 August 2024बांग्लादेश में हिंसा, विरोध प्रदर्शन और अजारकता से हालात अस्थिर है. हालात बेकाबू होकर इतने बिगड़ गए कि देश की कमान संभालने वाली शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा. बांग्लादेश सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहरों से समृद्ध वाला देश है. भले ही यहां कि अधिकांश आबादी मुस्लिम है लेकिन यहां कई हिंदू और हिंदू मंदिर भी हैं, जो सांस्कृतिक विधिवधताओं का अहम हिस्सा है. बांग्लादेश के हिंदू मंदिर कालात्मक उत्कृष्टता, धार्मिक भक्ति और सद्भावना के रूप में उभरकर सामने आते हैं. बंगाल की खाड़ी के शांत द्वीप से लेकर ढाका की चहल-पहल वाली सड़कों तक.. यह मौजूद सभी मंदिरों की एक अनूठी कहानी और इतिहास है. यहां मौजूद मंदिरों की जटिल बनावटें पूर्वजों के अविश्वसनीय कला-कौशल का प्रमाण देते हैं.आइये जानते हैं बांग्लादेश के कुछ ऐसे ही प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों के बारे में जिनकी खूबसूरत रचनाओं के पीछे छिपी है अनोखी कहानी और गहरा इतिहास.बांग्लादेश का प्राचीन इतिहास हिंदू धर्म से जुड़ा है. यहां पाल वंश और सेन वंश जैसे हिंदू शासकों का शासन हुआ करता था, जिन्होंने कई हिंदू मंदिरों के निर्माण बांग्लादेश में करवाए थे. ये मंदिर आज भी प्रसिद्ध धार्मिक धरोहर के रूप में जाने जाते हैं. आइये जानते हैं यहां के हिंदू मंदिरों के बारे में कांताजी मंदिर कांताजी या कांतानगर मंदिर बांग्लादेश के दिनाजपुर शहर से केवल 12 किमी की दूरी पर स्थित है. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी के अंत में दिनाजपुर के महाराजा प्राणनाथ के संरक्षण में करवाया गया था. कांताजी मंदिर अपने उत्कृष्ट वास्तुशिल्प कला के लिए जानी जाती है यह मंदिर भगवान कृष्ण और रुक्मिणी को समर्पित है. कांताजी मंदिर एक ऊंचे मंच पर खड़ा था. लेकिन दुर्भाग्य से 1897 में आए भूकंप से मंदिर के शिखर नष्ट हो गए. लेकिन फिर भी मंदिर में महाभारत और रामायण जैसे हिंदू पुराणों के दृश्य को बयां करने वाले टेरोकोटा कला अंकित हैं.
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9 August 2024नागपंचमी पर विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के शिखर पर स्थित नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर के पट गुरुवार रात 12 बजे खुलेंगे। परंपरा अनुसार सबसे पहले श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से महंत विनीत गिरी महाराज नागचंद्रेश्वर का त्रिकाल पूजन करेंगे। ये पूजन करीब एक घंटे चलेगा। आरती और भोग के बाद रात करीब एक बजे आम लोगों के लिए मंदिर के पट खोल दिए जाएंगे। दर्शन का सिलसिला अगले 24 घंटे गुरुवार रात 12 बजे तक चलता रहेगा। भगवान नागचंद्रेश्वर को शुक्रवार दोपहर में दाल बाटी का भोग लगाया जाएगा। पंचांग तिथि अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन ही मंदिर के पट खुलने की परंपरा चली आ रही है। नागचंद्रेश्वर भगवान की होगी त्रिकाल पूजा नागपंचमी पर्व पर भगवान श्री नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा होगी। गुरुवार 8 अगस्त की मध्यरात्रि 12 बजे पट खुलने के बाद श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी महाराज एवं श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति कलेक्टर एवं अध्यक्ष नीरज कुमार सिंह द्वारा प्रथम पूजन व अभिषेक किया जाएगा। शुक्रवार 9 अगस्त को दोपहर 12 बजे अखाड़े द्वारा पूजन होगा। महाकालेश्वर भगवान की सायं आरती के बाद श्री नागचन्द्रेश्वर की पूजन-आरती श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी और पुरोहितों द्वारा की जाएगी नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए यहां से प्रवेश करें दर्शनार्थी चारधाम मंदिर की ओर लाइन में लगाकर बैरिकेटिंग से हरिसिद्धि माता मंदिर पहुंचेगे। यहां से बड़े गणेश मंदिर होते विश्रामधाम और फिर ब्रिज पर से होते हुए नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुचेंगे। मंदिर प्रशासन ने नागचंद्रेश्वर मंदिर तक जाने के लिए भक्तों को पानी और बारिश से बचने के लिए शेड की व्यवस्था की है। चारधाम से लाइन में लगने के बाद करीब एक घंटे में आम लोगों को दर्शन का दावा मंदिर समिति ने किया है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मन्नत गार्डन से बसें 50 भी संचालित की जाएंगी। कर्कराज स्थल और नृसिंह घाट के समीप भील ठाकुर धर्मशाला के परिसर में जूता स्टैंड भी बनाया गया। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जगह-जगह साइन बोर्ड लगाए गए है। महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए यहां से एंट्री महाकाल मंदिर के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु अपने वाहन महाकाल लोक त्रिवेणी के सामने पार्किंग में पार्क कर सकेंगे। यहां से वे नंदी द्वार से एंट्री लेकर महाकाल लोक मान सराेवर फिर टनल होते हुए कार्तिकेय मंडपम और फिर नीचे गणेश मंडपम से भगवान महाकाल के दर्शन कर सकेंगे।
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8 August 2024नागपंचमी पर विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के शिखर पर स्थित नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर के पट गुरुवार रात 12 बजे खुलेंगे। परंपरा अनुसार सबसे पहले श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से महंत विनीत गिरी महाराज नागचंद्रेश्वर का त्रिकाल पूजन करेंगे। ये पूजन करीब एक घंटे चलेगा। आरती और भोग के बाद रात करीब एक बजे आम लोगों के लिए मंदिर के पट खोल दिए जाएंगे। दर्शन का सिलसिला अगले 24 घंटे गुरुवार रात 12 बजे तक चलता रहेगा। भगवान नागचंद्रेश्वर को शुक्रवार दोपहर में दाल बाटी का भोग लगाया जाएगा। पंचांग तिथि अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन ही मंदिर के पट खुलने की परंपरा चली आ रही है। नागचंद्रेश्वर भगवान की होगी त्रिकाल पूजा नागपंचमी पर्व पर भगवान श्री नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा होगी। गुरुवार 8 अगस्त की मध्यरात्रि 12 बजे पट खुलने के बाद श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी महाराज एवं श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति कलेक्टर एवं अध्यक्ष नीरज कुमार सिंह द्वारा प्रथम पूजन व अभिषेक किया जाएगा। शुक्रवार 9 अगस्त को दोपहर 12 बजे अखाड़े द्वारा पूजन होगा। महाकालेश्वर भगवान की सायं आरती के बाद श्री नागचन्द्रेश्वर की पूजन-आरती श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी और पुरोहितों द्वारा की जाएगी नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए यहां से प्रवेश करें दर्शनार्थी चारधाम मंदिर की ओर लाइन में लगाकर बैरिकेटिंग से हरिसिद्धि माता मंदिर पहुंचेगे। यहां से बड़े गणेश मंदिर होते विश्रामधाम और फिर ब्रिज पर से होते हुए नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुचेंगे। मंदिर प्रशासन ने नागचंद्रेश्वर मंदिर तक जाने के लिए भक्तों को पानी और बारिश से बचने के लिए शेड की व्यवस्था की है। चारधाम से लाइन में लगने के बाद करीब एक घंटे में आम लोगों को दर्शन का दावा मंदिर समिति ने किया है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मन्नत गार्डन से बसें 50 भी संचालित की जाएंगी। कर्कराज स्थल और नृसिंह घाट के समीप भील ठाकुर धर्मशाला के परिसर में जूता स्टैंड भी बनाया गया। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जगह-जगह साइन बोर्ड लगाए गए है। महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए यहां से एंट्री महाकाल मंदिर के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु अपने वाहन महाकाल लोक त्रिवेणी के सामने पार्किंग में पार्क कर सकेंगे। यहां से वे नंदी द्वार से एंट्री लेकर महाकाल लोक मान सराेवर फिर टनल होते हुए कार्तिकेय मंडपम और फिर नीचे गणेश मंडपम से भगवान महाकाल के दर्शन कर सकेंगे।
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8 August 2024नाग पंचमी का त्योहार समस्त सर्पों को समर्पित है. हिंदू धर्म (Hindu Dharam) में नागों को देवता का स्थान दिया गया है. सावन माह (Sawan panchami 2024) के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी मनाई जाती है. इस साल नाग पंचमी के दिन कई तरह के दुर्लभ योग बन रहे हैं. ऐसे में इस दिन का महत्व कई गुना बढ़ गया है. नाग पंचमी की पूजा का मुहूर्त, तिथि और महत्व. नाग पंचमी 2024 सावन माह में नाग पंचमी 9 अगस्त 2024 को है. इस दिन सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि प्रात: 12.36 से शुरू होकर अगले दिन 10 अगस्त 2024 को प्रात: 03.14 पर समाप्त होगी. नाग पंचमी पर पूजा का मुहूर्त नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा के लिए ढाई घंटे का शुभ मुहूर्त बन रहा है. 9 अगस्त को सुबह 06.01 से सुबह 08.38 मिनट में नाग देवता (Nag Devta) की पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा. नाग पंचमी पर दुर्लभ संयोग लक्ष्मी नारायण योग - 9 अगस्त 2024 नाग पंचमी के दिन सिंह राशि में शुक्र और बुध युति से लक्ष्मी नारायण योग बनेगा. इस योग के प्रभाव से कभी भी धन की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है. बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है. शश राजयोग - इस दिन शनि देव अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में रहते हुए शश राजयोग का निर्माण करेंगे. सिद्ध योग - 8 अगस्त, दोपहर 12:39 - 9 अगस्त 2024, दोपहर 01:46, अगस्त 09 नाग देवता की पूजा क्यों होती है ? सनातन धर्म में देवी-देवताओं का नागों के साथ संबंध काफ़ी पुराना रहा है जिसकी झलक हमें देवी-देवताओं के चित्रों में देखने को मिलती है. भगवान श्रीहरि विष्णु की शैय्या शेषनाग हैं और नाग देवता को ही शिव जी ने अपने गले में धारण किया है. ऐसे में नाग पंचमी का दिन नाग देवताओं को समर्पित है. इनकी आराधना से शिव, विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. नाग पंचमी का महत्व नाग पंचमी का दिन बेहद शुभ है. जिन जातकों की कुंडली में काल सर्प दोष होता है, उनके लिए नाग पंचमी पर नाग पूजा करना फलदायी होता है और राहु-केतु से जुड़े दोषों के निवारण के लिए भी इस दिन को श्रेष्ठ माना जाता है.
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8 August 2024ओलंपियन विनेश फोगाट की ओलंपिक फाइनल मैच से पहले ओवरवेट होने की वजह से अयोग्य घोषित किए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय ओलम्पिक संघ (IOA) की अध्यक्ष पीटी उषा से बातचीत की है. समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि पीएम ने पीटी उषा से इस मुद्दे और विनेश की हार के बाद भारत के पास मौजूद विकल्पों के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी मांगी है.उन्होंने उनसे विनेश के मामले में मदद के लिए सभी विकल्पों का पता लगाने के लिए कहा. उन्होंने पीटी उषा से यह भी आग्रह किया कि अगर इससे विनेश को मदद मिलती है तो वह अपनी अयोग्यता के संबंध में कड़ा विरोध दर्ज कराएं. चुनौतियों से मुकाबला करना आपका स्वभाव: पीएम पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में विनेश फोगाट की अयोग्ता को लेकर चिंता जाहिर की है. पीएम ने लिखा, विनेश, आप चैंपियनों में चैंपियन हैं! आप भारत का गौरव हैं और प्रत्येक भारतीय के लिए प्रेरणा हैं. आज का झटका दुख देता है. काश शब्द उस निराशा की भावना को व्यक्त कर पाते जो मैं अनुभव कर रहा हूं."पीएम मोदी ने आगे लिखा, "मैं जानता हूं कि आप दृढ़ता का प्रतीक हैं. चुनौतियों का डटकर मुकाबला करना हमेशा से आपका स्वभाव रहा है. मजबूत होकर वापस आइए! हम सब आपके साथ हैं." इस झटके को हजम कर पाना मुश्किल: किरेन रिजिजू संसदीय कार्य मंत्री और अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने एक्स पर विनेश के अयोग्य होने के बाद प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने लिखा, "आप हमेशा भारत के लिए आशा और गौरव की किरण रही हैं. आज जो झटका हमें मिला है वह हजम कर पाना मुश्किल है, लेकिन ऐसे ही वक्त पर तो आपकी असली ताकत उभर कर सामने आती है." केंद्रीय मंत्री लिखते हैं, "आपकी दृढ़ता हमेशा आपका सबसे बड़ा सहयोगी रहा है. मुझे आपकी अटूट समर्पण से भरी यात्रा देखना याद है. हमें आप पर विश्वास है, विनेश. भारत आपके साथ खड़ा है, हर कदम पर आपका उत्साहवर्धन कर रहा है."
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7 August 2024बेंगलुरू में रहने वाले लोगों के लिए गुड न्यूज है. अब यहां पर बार, होटल और क्लब रात के 1 बजे तक खुले रहेंगे. ऐसे में युवाओं को फुलऑन पार्टी करने का भरपूर मौका मिलेगा. कर्नाटक सरकार ने इस फैसले को लिया है. बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) सीमा के अंतर्गत स्थित सभी बार, क्लब देर रात तक चल सकेंगे. पिछले साल बजट में नाइटलाइफ घंटों के विस्तार की बात कही थी, जिसे अब शहरी विकास विभाग ने मंजूरी दे दी है. इसके बाद अब सिलिकॉन सिटी में बार-रेस्टोरेंट राज्य सरकार की तरफ से निर्धारित समय तक खुले रहेंगे. जानें क्लब, होटल का समय राज्य सरकार के अनुसार, बार अब से सुबह 10 बजे से 1 बजे तक खुल सकते हैं. इसके अलावा क्लब (सीएल4 लाइसेंस), स्टार होटल (सीएल6 लाइसेंस), साथ ही सीएल7 और सीएल7डी लाइसेंस वाले होटल और लॉज सुबह 9 बजे से 1 बजे तक खुले रहेगे. सीएल9 लाइसेंस वाले जलपान कक्ष (बार) सुबह 10 बजे से 1 बजे तक संचालित हो सकते हैं. बजट में भी हुई थी चर्चा पिछले साल फरवरी में सीएम ने राज्य के बजट में बेंगलुरु की नाइटलाइफ के समय को बढ़ाने के बारे में भी बोला था. इस दौरान उन्होंने घोषणा की थी कि अब से सभी बार-होटल रात एक बजे तक खुले रहेंगे. पहले शराब देने वाले होटल रात में 11 बजे तक बंद हो जाते थे. बृहथ बैंगलोर होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कही ये बात इसको लेकर बृहथ बैंगलोर होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष पीसी राव ने कहा, 'कमिश्नरेट की सीमा के भीतर अभी तक सिर्फ बार और रेस्तरां को ही रात 1 बजे तक खुले रहने की अनुमति थी, लेकिन अब बीबीएमपी सीमा में सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठान रात 1 बजे तक संचालित होंगे.
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7 August 2024देश में इस साल अच्छी बारिश हो रही है. इससे किसानों की फसल अच्छी होगी और देश में अनाज का उत्पादन बढ़ेगा. विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल कृषि उत्पादन में 5% की बढ़ोतरी हो सकती है. नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने कहा है कि इस वर्ष अभी तक सामान्य से 2% अधिक बारिश होने से इस वित्तीय वर्ष में कृषि उत्पादन में करीब 5 फीसदी की वृद्धि होगी, जो पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1.4% थी. इससे दालों सहित कई वस्तुओं की कीमतों में कमी आने की उम्मीद है, जो पिछले कई महीनों से उच्च स्तर पर बनी हुई हैं. मिंट की रिपोर्ट के अनुसार रमेश चंद ने कहा कि कृषि उत्पादन में मजबूत वृद्धि के लिए सरकार को हस्तक्षेप करने की जरूरत है. जिससे दालों की खुले बाजार में कीमत समर्थन मूल्य से नीचे ना आएं. जो किसानों को सहारा देने के लिए निर्धारित की जाती हैं. दालों की अधिक मूल्यों के चलते बीते दिनों में स्थानीय कीमतों को कम करने के लिए कई प्रशासनिक कदम उठाए गए हैं. सकारात्मक संकेत एक्सपर्ट रमेश चंद ने कहा कि साल 2023-24 में कृषि उत्पादन में 1.4% की वृद्धि हुई, जो सात साल से अधिक 5% की औसत वृद्धि के बाद हुई है. उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत एक प्रमुख संस्थान, राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्र और नीति अनुसंधान संस्थान (एनआईएपी) के निदेशक के रूप में भी कार्य किया है. उन्होंने कहा कि उनके अनुसार वित्तीय वर्ष 2024-25 में कृषि उत्पादन में 5% से अधिक की वृद्धि होनी चाहिए. अब तक खरीफ सीजन के संकेत सकारात्मक हैं. ये हैं जरूरी बातें रमेश चंद ने अपने इंटरव्यू में कहा कि आने वाले 10 सालों के लिए कृषि में वृद्धि दर को अच्छी आर्थिक बढ़ोतरी के लिए सालाना 5% पर बनाए रखने की जरूरत है. कुछ सालों में वृद्धि दर करीब 4 फीसदी या उससे भी नीचे आ सकती है. खरीफ सीजन जून-जुलाई में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होता है और सितंबर-अक्टूबर में समाप्त होता है. ये किसानों की आय, खपत और समग्र आर्थिक वृद्धि को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ला नीना अगस्त में सक्रिय 1 जून से 26 जुलाई के बीच भारत में सामान्य से 2% अधिक बारिश हुई है. कुछ हिस्सों में थोड़ी कमी है, लेकिन अगस्त में पूरी होने की उम्मीद है. रमेश चंद ने मिंट से कहा कि सामान्य से अधिक बारिश को 96% से 104% तक की बारिश माना जाता है. ला नीना अगस्त में सक्रिय रहेगी, जिससे सामान्य से अधिक बारिश होगी. इससे उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी राज्यों में बारिश की किसी भी कमी की भरपाई होनी चाहिए.
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6 August 2024देश में इस साल अच्छी बारिश हो रही है. इससे किसानों की फसल अच्छी होगी और देश में अनाज का उत्पादन बढ़ेगा. विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल कृषि उत्पादन में 5% की बढ़ोतरी हो सकती है. नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने कहा है कि इस वर्ष अभी तक सामान्य से 2% अधिक बारिश होने से इस वित्तीय वर्ष में कृषि उत्पादन में करीब 5 फीसदी की वृद्धि होगी, जो पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1.4% थी. इससे दालों सहित कई वस्तुओं की कीमतों में कमी आने की उम्मीद है, जो पिछले कई महीनों से उच्च स्तर पर बनी हुई हैं. मिंट की रिपोर्ट के अनुसार रमेश चंद ने कहा कि कृषि उत्पादन में मजबूत वृद्धि के लिए सरकार को हस्तक्षेप करने की जरूरत है. जिससे दालों की खुले बाजार में कीमत समर्थन मूल्य से नीचे ना आएं. जो किसानों को सहारा देने के लिए निर्धारित की जाती हैं. दालों की अधिक मूल्यों के चलते बीते दिनों में स्थानीय कीमतों को कम करने के लिए कई प्रशासनिक कदम उठाए गए हैं. सकारात्मक संकेत एक्सपर्ट रमेश चंद ने कहा कि साल 2023-24 में कृषि उत्पादन में 1.4% की वृद्धि हुई, जो सात साल से अधिक 5% की औसत वृद्धि के बाद हुई है. उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत एक प्रमुख संस्थान, राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्र और नीति अनुसंधान संस्थान (एनआईएपी) के निदेशक के रूप में भी कार्य किया है. उन्होंने कहा कि उनके अनुसार वित्तीय वर्ष 2024-25 में कृषि उत्पादन में 5% से अधिक की वृद्धि होनी चाहिए. अब तक खरीफ सीजन के संकेत सकारात्मक हैं. ये हैं जरूरी बातें रमेश चंद ने अपने इंटरव्यू में कहा कि आने वाले 10 सालों के लिए कृषि में वृद्धि दर को अच्छी आर्थिक बढ़ोतरी के लिए सालाना 5% पर बनाए रखने की जरूरत है. कुछ सालों में वृद्धि दर करीब 4 फीसदी या उससे भी नीचे आ सकती है. खरीफ सीजन जून-जुलाई में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होता है और सितंबर-अक्टूबर में समाप्त होता है. ये किसानों की आय, खपत और समग्र आर्थिक वृद्धि को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ला नीना अगस्त में सक्रिय 1 जून से 26 जुलाई के बीच भारत में सामान्य से 2% अधिक बारिश हुई है. कुछ हिस्सों में थोड़ी कमी है, लेकिन अगस्त में पूरी होने की उम्मीद है. रमेश चंद ने मिंट से कहा कि सामान्य से अधिक बारिश को 96% से 104% तक की बारिश माना जाता है. ला नीना अगस्त में सक्रिय रहेगी, जिससे सामान्य से अधिक बारिश होगी. इससे उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी राज्यों में बारिश की किसी भी कमी की भरपाई होनी चाहिए.
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6 August 2024कैंसर सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक है जिसका इलाज काफी कठिन होता है. हालांकि, इसे रोकने के लिए लगातार रिसर्च और नए-नए तरीके खोजे जा रहे हैं. हाल ही में एक रिसर्च में सामने आया है कि उपवास (फास्ट) रखने से कैंसर का रिस्क कम हो सकता है. मेमोरियल स्लोअन केटरिंग कैंसर सेंटर के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि व्रत रखने से कैंसर कोशिकाओं पर असर पड़ता है. आइए जानते हैं इसके बारे में.. उपवास और कैंसर का रिश्ता चूहों पर किए गए इस शोध में पाया गया कि उपवास रखने से शरीर का नेचुरल डिफेंस सिस्टम मजबूत होता है. इससे नेचुरल किलर सेल्स की कार्यक्षमता बढ़ती है, जो कैंसर सेल्स पर अटैक करती हैं. उपवास के दौरान ये सेल्स शुगर की बजाय फैट का इस्तेमाल करती हैं, जिससे वे कैंसर सेल्स को नष्ट करने में सक्षम होती हैं. इस शोध से यह भी पता चला कि उपवास की वजह से ट्यूमर के वातावरण में भी ये सेल्स पैदा हो सकती हैं और कैंसर से लड़ने की उनकी क्षमता बढ़ जाती है. पहले के शोध और फायदे 2012 में चूहों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि शॉर्ट-टर्म फास्टिंग हेल्दी सेल्स को कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स से बचा सकती है. 2016 के एक अन्य शोध में भी यही पाया गया कि कीमोथेरेपी से पहले शॉर्ट-टर्म फास्टिंग टॉक्सिसिटी को कम कर सकती है. जर्मन कैंसर रिसर्च सेंटर के एक अध्ययन में पाया गया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग फैटी लीवर, लीवर की सूजन और लीवर के कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है. इंसानों पर प्रभाव कई डॉक्टरों का मानना है कि उपवास कैंसर का खतरा कम करने में मददगार हो सकता है, लेकिन इसका प्रभाव इंसुलिन लेवल और सेलुलर रिएक्शन पर निर्भर करता है. उपवास इंसुलिन लेवल को कम कर कैंसर सेल्स के लिए अनुकूल वातावरण को रोक सकता है. उपवास उन प्रक्रियाओं को भी सक्रिय कर सकता है, जो प्री-कैंसरस सेल्स को बढ़ने से पहले ही खत्म कर सकती हैं. उपवास के अन्य फायदे उपवास करने से शरीर में नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट बढ़ते हैं, जो कोशिकाओं को कैंसर से होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं. हालांकि, हर मरीज में ऐसा नहीं होता, इसलिए इस पर और शोध की जरूरत है. खासकर उन मरीजों के लिए जिनका वजन पहले से ही कम हो.
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6 August 2024जगन्नाथ पुरी एक ऐसी जगह है, जहां पर हर कोई जाना चाहता है. लेकिन कई लोगों का ये सपना पूरा नहीं हो पता है, क्योंकि उनका बजट कम होता है और वह इस बात को लेकर हमेशा परेशान रहते हैं. अगर आप अपने बजट के अंदर जगन्नाथ पुरी की यात्रा करना चाहते हैं, तो IRCTC का यह टूर पैकेज आपके लिए एकदम परफेक्ट साबित हो सकता है. परिवार वालों के साथ जाएं जगन्नाथ पुरी अगर आप परिवार या दोस्तों के साथ जगन्नाथ पुरी जाने की सोच रहे हैं, तो IRCTC आपके लिए 4 रात और 5 दिन का टूर पैकेज लेकर आया है. ओडिशा के इस पैकेज की शुरुआत 26 सितंबर से होगी, जो 30 सितंबर को खत्म होगी. इस टूर की शुरुआत चंडीगढ़ से होगी, जो पटना होते हुए इंडिगो एयरलाइंस की फ्लाइट से आपको भुवनेश्वर पहुंचाएगी. चिल्का, कोणार्क और पूरी यह टूर पैकेज चिल्का, कोणार्क और पूरी जैसे डेस्टिनेशन कवर करेगा. इस टूर पैकेज में आपका आना जाना, खाना पीना और रहना सब कुछ शामिल है. इस टूर पैकेज के जरिए आप पुरी, भुवनेश्वर सहित कई जगह के सुंदर-सुंदर दृश्य देख पाएंगे. इस पैकेज में कुल 30 सीटों की संख्या है. ऑनलाइन और ऑफलाइन करें बुकिंग ऐसे में अगर आप पूरे परिवार के साथ जाना चाहते हैं, तो जल्दी से बुकिंग कर सकते हैं. यही नहीं इस पैकेज के साथ यात्रियों को ट्रैवल इंश्योरेंस भी मिलेगा. अगर आप भी आईआरसीटीसी के इस टूर पैकेज के साथ जगन्नाथ पुरी की यात्रा करना चाहते हैं, तो आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से अपनी बुकिंग करवा सकते हैं. पैकेज में शामिल हैं हर चीज ऑनलाइन बुकिंग करने के लिए आपको की ऑफिशल वेबसाइट पर जाना होगा, तो वही ऑफलाइन बुकिंग के लिए आप अपने नजदीकी IRCTC के ऑफिस जा सकते हैं. बात करें किराए की, तो इस ओडिशा पैकेज को बुक करने के लिए एक व्यक्ति का 34, 520 रुपये है. अगर आप इस टूर पैकेज के जरिए जगन्नाथ पुरी जाते हैं, तो आपको ठहरने और खाने की कोई व्यवस्था नहीं करनी पड़ेगी, यह सारी चीजें इसमें शामिल है. इस नंबर पर करें कॉल आप अपने रिश्तेदारों या परिवार वालों के साथ आईआरसीटीसी के इस टूर पैकेज के जरिए जगन्नाथ पुरी की यात्रा कर सकते हैं. इसमें आपको एक बार पैसे जमा करने के बाद खान और रहने का भी नहीं सोचना पड़ेगा और 5 दिनों में अपनी यात्रा पूरी कर आप वापस घर आ जाएंगे. अगर आपको इस टूर पैकेज से जुड़ी और जानकारी चाहिए, तो आप व्हाट्सएप पर मैसेज या इस नंबर पर कॉल कर सकते हैं. 85959 30980 इसके अलावा आप 85959 30962 पर भी संपर्क कर सकते हैं.
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6 August 2024आज सावन का तीसरा सोमवार है, इस बीच महाकाल की नगरी उज्जैन ने एक नया कीर्तिमान रच दिया है। उज्जैन में 1500 डमरू एक साथ बजाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया। बता दें कि महाकाल लोक स्थित शक्तिपथ पर 1500 डमरू वादकों ने प्रस्तुति देकर यह रिकॉर्ड बनाया है। भगवान भोलेनाथ को डमरू बहुत प्रिय है, जिससे आज उनकी नगरी गूंज उठी।डमरू वादन के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज हो गया है। इस उपलब्धि पर एमपी के सीएम मोहन यादव ने बधाई भी दी है। जानकारी के लिए बता दें कि इसके पहले फेडरेशन ऑफ इंडियन एसोसिएशन न्यूयॉर्क ने 488 डमरू एक साथ बजाकर रिकॉर्ड बनाया था। इसके साथ आज उज्जैन में 1500 डमरू बजाकर तोड़ दिया गया है। 25 दलों में 1500 वादक ने बनाया रिकॉर्ड डमरू वादकों के 25 दलों में 1500 वादक इस रिकॉर्ड को बनाने में शामिल हुए। इसमें उन्होंने डमरू बजाकर महाकाल की स्तुति की है। महाकाल की भस्म आरती की धुन पर डमरू वादन किया गया है। बता दें कि महाकाल की पहली सवारी में जनजातीय कलाकारों ने लोकनृत्य की प्रस्तुति दी थी। इसके बाद दूसरी सवारी में 350 सदस्यीय पुलिस बैंड की प्रस्तुति दी गई थी। सवारी में किया जा रहा डमरू का वादन अब आज तीसरे सावन सोमवार को निकाली जाने वाली सवारी में डमरू का वादन किया जा रहा है। इसके साथ ही बाबा महाकाल की नगरी को डमरू की नाद से गुंजायमान करने की एक इच्छा आज पूरी हो गई।
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5 August 2024आज सावन का तीसरा सोमवार है। उज्जैन में महाकाल की सवारी निकाली जा रही है। सवारी में महाकाल चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, तो हाथी पर मनमहेश के स्वरूप में विराजित हैं। इसके पहले वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया। महाकाल लोक के पास शक्ति पथ पर 1500 लोगों ने एक साथ 10 मिनट तक डमरू बजाया। उज्जैन का नाम सबसे अधिक लोगों के डमरू बजाने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया। गिनीज बुक से आए ऋषिनाथ ने इसका सर्टिफिकेट सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक सतीश मालवीय और संतों को सौंपा। डेढ़ लाख लोग कर चुके दर्शन महाकाल मंदिर में सुबह 11 बजे तक करीब डेढ़ लाख श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। खंडवा के ओंकारेश्वर में भी रात से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। छिंदवाड़ा के पातालेश्वर मंदिर में तड़के 3 बजे भगवान शिव का तीर्थ जल से अभिषेक हुआ। भोपाल के भोजपुर, बड़ वाले महादेव और गुफा मंदिर में भी पूजा-अर्चना की जा रही है। भोजपुर में 7 क्विंटल फूलों से शिवलिंग को सजाया गया है। महाकाल की भस्म आरती के लिए रविवार-सोमवार की दरमियानी रात 2.30 बजे मंदिर के पट खोले गए। भस्म आरती के दौरान भांग, चंदन, सूखे मेवों और आभूषणों से बाबा महाकाल का राजा स्वरूप दिव्य श्रृंगार किया गया। भस्म आरती के 15 हजार से अधिक श्रद्धालु ने दर्शन किए। मंदिर में बाबा के दर्शन का सिलसिला रात 10.30 बजे तक चलेगा। मंदिर प्रशासन को उम्मीद है कि 3 लाख से ज्यादा भक्त आज महाकाल के दर्शन करने आ सकते हैं।
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5 August 2024अगर आप भी चॉकलेट (Chocolate) खाने के शौकीन हैं तो सावधान हो जाइए. आपके लिए बुरी खबर है. अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च में कई चॉकलेट प्रोडक्ट्स में टॉक्सिक हैवी मेटल्स (Heavy Metals) पाए हैं, जो सेहत के लिए बेहद हानिकारक और खतरनाक हो सकते हैं. न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट में बताया गया है कि वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में चॉकलेट से बने कई प्रोडक्ट में टॉक्सिक हैवी मेटल्स लेड (Lead) और कैडमियम (Cadmium) जरूरत से ज्यादा मिली है, जो सेहत को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं. आइए जानते हैं इस स्टडी में क्या मिला चॉकलेट में कई हैवी मेटल्स इस स्टडी में कोको से बनने वाले डार्क चॉकलेट समेत 72 प्रोडक्ट्स का वैज्ञानिकों ने 8 सालों तक एनालिसिस किया. जिसके बाद उन्होंने पाया कि चॉकलेट से बने 43% प्रोडक्ट्स में सीसा (लेड) की काफी ज्यादा मात्रा थी. 35% प्रोडक्ट्स में कैडमियम पाए गए. वहीं, ऑर्गनिक प्रोडक्ट में टॉक्सिक मेटल्स काफी ज्यादा मिले हैं, जो चिंता बढ़ाने वाले हैं चॉकलेट में लेड, सेहत के लिए खतरनाक शोधकर्ताओं ने बताया कि चॉकलेट प्रोडक्ट्स में ये मेटल्स कंटामिनेशन मिट्टी या मैन्यूफैक्चरिंग के वक्त हो सकता है. यह स्टडी चॉकलेट के अलग-अलग ब्रांड्स और वैरायटी पर बेस्ड था. इसमें कई में टॉक्सिक मेटल्स का लेवल काफी ज्यादा पाया गया. लेड काफी टॉक्सिक एलीमेंट है जो अगर शरीर में जमा हो जाए तो नर्वस सिस्टम, किडनी और हार्ट हेल्थ को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है. बच्चों के शरीर में पहुंचकर यह मानसिक ग्रोथ पर बुरा असर डाल सकता है. डार्क चॉकलेट में हैवी मेटल का हाई लेवल जोखिम पैदा कर सकता है, खासकर अगर इसे कुछ समुद्री भोजन, चाय और मसालों जैसे हैवी मेटल वाले अन्य उत्पादों के साथ खाया जाए. कैडियम का सेहत पर असर चॉकलेट में पाया जाना वाला दूसरा टॉक्सिक मेटल कैडमियम किडनी और हड्डियों के लिए हानिकारक होता है. अगर लंबे समय तक इसके संपर्क में शरीर रहे तो हड्डियां कमजोर हो सकती हैं. इसके अलावा किडनी की कई बीमारियां हो सकती हैं. शोधकर्ताओं ने बताया कि कोको प्लांट जमीन से हैवी मेटल्स अवशोषित कर सकते हैं, इसलिए ज्यादा चॉकलेट खाने से बचना चाहिए. बच्चों को भी इसके नुकसान बताने चाहिए.
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5 August 2024पेरिस ओलंपिक खेल, इस साल यानी 2024 में 26 जुलाई से शुरू होने वाला है, जो 11 अगस्त 2024 तक चलेगा. हर किसी की नजर अब पेरिस ओलंपिक खेलों पर टिकी रहेगी. ऐसे में कई लोग पेरिस ओलंपिक के लिए निकल गए हैं, तो वहीं कुछ लोग अब जाने वाले हैं.अगर आप भी पेरिस ओलंपिक के लिए पेरिस की यात्रा कर रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए है. आज हम आपको फ्रांसीसी राजधानी की ऐसी शानदार जगहों के बारे में बताएंगे, जहां जाने के बाद आपका वापस आने का मन नहीं करेगा. पेरिस का एफिल टॉवर रोशनी का शहर पेरिस अपनी खूबसूरती के लिए काफी जाना जाता है. आप यहां की खूबसूरती देखने के साथ कई एक्टिविटी भी कर सकते हैं. आप पेरिस में एफिल टॉवर जा सकते हैं, यह पेरिस का सबसे आईकॉनिक स्मारक है, जहां का नजारा आपका दिल जीत लेगा और ऊपर से ऐसा लगेगा मानों पूरा शहर आपके पैरों में है. ल्यूव्रे संग्रहालय पेरिस पहुंचने के बाद आप अगर दुनिया के सबसे बड़े संग्रहालय को देखने नहीं गए, मतलब आप पूरी ट्रिप इंजॉय नहीं कर पाए हैं. जानकारी के मुताबिक यह म्यूजियम 300 साल से भी ज्यादा पुराना है. यहां पर आप मोना लिसा, वीनस डी मिलो जैसे कई मशहूर कलाकृतियां को देख सकते हैं. नोट्रे डेम कैथेड्रल इसके अलावा आप पेरिस में नोट्रे डेम कैथेड्रल जरूर जाएं. यह फ्रांस का बहुत पुराना और खूबसूरत चर्च है. यह चर्च अपनी सुंदरता के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. यहां की खिड़कियों में रंगीन शीशे लगे हुए हैं, जो आपका दिल जीत लेंगे. यही नहीं इस चर्च के अंदर और बाहर कई तरह की मूर्तियां है, जो लोगों का ध्यान खींचती है. पेरिस ओपेरा पेरिस ओपेरा एक बहुत खूबसूरत और ऐतिहासिक ओपेरा हाउस है. यह दुनिया के फेमस ओपेरा हाउस में से एक है. बता दें कि यहां हर साल कई तरह के ओपेरा, बैले और संगीत जैसे प्रोग्राम ऑर्गेनाइज होते हैं. सैक्रे कोएर बेसिलिका सैक्रे कोएर बेसिलिका पेरिस की सबसे ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है. यह एक कैथोलिक चर्च है. इसे पेरिस के सबसे फेमस लैंडमार्क में से एक बताया गया है. यहां से आप पेरिस का शानदार नजारा देख सकते हैं. एक बार यहां जाने के बाद आपका वापस आने का मन नहीं करेगा. मार्स फील्ड एफिल टावर के ठीक सामने बना मार्स फील्ड एक खूबसूरत पार्क है. जहां की खूबसूरती आपको वहां से जाने नहीं देगी. यहां से एफिल टावर का नजारा देखने लायक होता है. यहां पर हर साल कुछ न कुछ प्रोग्राम होते रहते हैं. सेन नदी सेन नदी को पेरिस शहर का दिल भी कहा जाता है. यह नदी शहर की सुंदरता में चार चांद लगा देती है. अगर आप पेरिस आए और इस जगह पर नहीं घूमे, तो आपका पेरिस आना बेकार है. इन सभी जगह पर आप घूम कर अपनी ट्रिप को यादगार बना सकते हैं और फैमिली और फ्रेंड्स के साथ एंजॉय कर सकते हैं.
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3 August 2024सावन माह की शिवरात्रि बेहद खास मानी गई है. इस दिन शिव जी का जलाभिषेक करने का महत्व है. शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का दिन होता है. शिवरात्रि का शिवभक्त इंतजार करते हैं. ऐसे में सुयोग्य वर और सुखी दांपत्य जीवन की कामना के लिए इस दिन महादेव का रात्रि काल में पूजन करना चाहिए, मान्यता है इससे जल्द मनोकामनाएं सिद्ध हो जाती है. इस साल सावन शिवरात्रि की 1 या 2 अगस्त 2024 में कब है? यहां जान लें सही तारीख, पूजा मुहूर्त. सावन शिवरात्रि 1 या 2 अगस्त 2024 कब ? सावन शिवरात्रि 2 अगस्त 2024 को है. मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि के दिन व्रत करके शिवजी की पूजा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है. सावन शिवरात्रि पूजा मुहूर्त रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - रात 07:11 - रात 09:49 रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - रात 09:49 - प्रात: 12:27, 3 अगस्त रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - प्रात: 12:27 - प्रात: 03:06, 3 अगस्त रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - प्रात: 03:06 - सुबह 05:44, 3 अगस्त निशिता काल मुहूर्त - 3 अगस्त 2024, प्रात: 12.06 मिनट - सुबह 12.49 मिनट पारण समय - सुबह 05.44 - दोपहर 03.49 (3 अगस्त) सावन शिवरात्रि के उपाय सावन शिवरात्रि के दिन व्रत रखकर शिव शंकर की पूजा करते हैं, मंत्र जाप, जलाभिषेक, रुद्राभिषेक आदि करते हैं, ताकि महादेव की कृपा से संकट दूर हों और पाप से मुक्ति मिले. जीवन में सुख और समृद्धि के साथ सफलता मिलती है.वैवाहिक जीवन में सुख शांति और संतान पक्ष में खुशहाली आती है
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2 August 2024हफ्ते के आखिरी कारोबारी सत्र में खराब ग्लोबल संकेतों के चलते भारतीय शेयर बाजार जोरदार गिरावट के साथ बंद हुआ है. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 25000 के आंकड़े से नीचे जा फिसला. आईटी और ऑटो स्टॉक्स में भारी बिकवाली के चलते बाजार में ये गिरावट देखने को मिली है. मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स की भी जमकर धुलाई हुई है. बाजार बंद होने पर बीएसई सेंसेक्स 886 अंकों की गिरावट के साथ 81000 के आंकड़े के नीचे 80,982 अंकों पर क्लोज हुआ है. जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 311 अंकों की गिरावट के साथ 24,699.50 अंकों पर क्लोज हुआ है. निवेशकों को हुआ भारी नुकसान शेयर बाजार में बिकवाली के चलते निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा रहा है. बीएसई पर लिस्टेड स्टॉक्स का मार्केट कैप गिरकर 457.23 लाख करोड़ रुपये पर क्योज हुआ है जो पिछले सत्र में 461.62 लाख करोड़ रुपये रहा था. यानि आज के सत्र में निवेशकों को 4.39 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
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2 August 2024हफ्ते के आखिरी कारोबारी सत्र में खराब ग्लोबल संकेतों के चलते भारतीय शेयर बाजार जोरदार गिरावट के साथ बंद हुआ है. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 25000 के आंकड़े से नीचे जा फिसला. आईटी और ऑटो स्टॉक्स में भारी बिकवाली के चलते बाजार में ये गिरावट देखने को मिली है. मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स की भी जमकर धुलाई हुई है. बाजार बंद होने पर बीएसई सेंसेक्स 886 अंकों की गिरावट के साथ 81000 के आंकड़े के नीचे 80,982 अंकों पर क्लोज हुआ है. जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 311 अंकों की गिरावट के साथ 24,699.50 अंकों पर क्लोज हुआ है. निवेशकों को हुआ भारी नुकसान शेयर बाजार में बिकवाली के चलते निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा रहा है. बीएसई पर लिस्टेड स्टॉक्स का मार्केट कैप गिरकर 457.23 लाख करोड़ रुपये पर क्योज हुआ है जो पिछले सत्र में 461.62 लाख करोड़ रुपये रहा था. यानि आज के सत्र में निवेशकों को 4.39 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
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2 August 2024हफ्ते के आखिरी कारोबारी सत्र में खराब ग्लोबल संकेतों के चलते भारतीय शेयर बाजार जोरदार गिरावट के साथ बंद हुआ है. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 25000 के आंकड़े से नीचे जा फिसला. आईटी और ऑटो स्टॉक्स में भारी बिकवाली के चलते बाजार में ये गिरावट देखने को मिली है. मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स की भी जमकर धुलाई हुई है. बाजार बंद होने पर बीएसई सेंसेक्स 886 अंकों की गिरावट के साथ 81000 के आंकड़े के नीचे 80,982 अंकों पर क्लोज हुआ है. जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 311 अंकों की गिरावट के साथ 24,699.50 अंकों पर क्लोज हुआ है. निवेशकों को हुआ भारी नुकसान शेयर बाजार में बिकवाली के चलते निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा रहा है. बीएसई पर लिस्टेड स्टॉक्स का मार्केट कैप गिरकर 457.23 लाख करोड़ रुपये पर क्योज हुआ है जो पिछले सत्र में 461.62 लाख करोड़ रुपये रहा था. यानि आज के सत्र में निवेशकों को 4.39 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
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2 August 2024सावन माह की शुरुआत 22 जुलाई से हो चुकी है, जो कि 19 अगस्त तक चलेगा. जिस दिन सावन महीना खत्म होगा. उसी दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा. इस बार रक्षाबंधन और सावन का आखिरी सोमवार एक ही दिन पड़ रहा है. ऐसे भाई-बहनों को शिव जी का विशेष आशीर्वाद भी प्राप्त होगा, हालांकि रक्षाबंधन पर भद्रा का साया भी रहेगा. ऐसे में अभी से जान लें रक्षाबंधन पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त, भद्रा का समय. सावन पूर्णिमा 2024 तिथि इस साल सावन के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त सोमवार को रात 3:04 से शुरू हो रही है. यह 19 अगस्त को ही रात 11:55 पर समाप्त हो रही हैं. रक्षाबंधन पर कई दुर्लभ संयोग इस बार राखी पर सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा. रक्षाबंधन पर तीन शुभ योग भी बन रहे हैं. शोभन योग पूरे दिन रहेगा. वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5:53 से 8:10 तक रहेगा और रवि योग भी सुबह 5:53 से 8:10 तक रहेगा. सोमवार के दिन श्रवण नक्षत्र की साक्षी भी इस शुभ दिन को खास बना रही है. राखी बांधने का शुभ मुहूर्त रक्षाबन्धन पर्व श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को भद्रा रहित तीन मुहूर्त या उससे अधिक व्यापिनी पूर्णिमा को अपराह्न काल व प्रदोष काल में मनाया जाता है. यथा पूर्णिमायां भद्रारहितायां त्रिमुहूत्र्ताधिकोदय व्यापिन्यामपराले प्रदोषे वा कार्यम् चर-लाभ-अमृत-चर - दोपहर 02:07 से रात्रि 08:20 तक रहेगा. दोपहर 01:48 से अपराह्न 04:22 तक राखी बांधने का विशेष मुहूर्त रहेगा. प्रदोष काल - सायं 06:57 से रात्रि 09:10 के बीच भी राखी बांधने का शुभ मुहूर्त बन रहा है. सावन पूर्णिमा होगी खास भारतीय ज्योतिष शास्त्र में वार, तिथि, योग, नक्षत्र व करण का अपना विशेष प्रभाव होता है. पंचांग के इन्हीं पांच अंगों से किसी भी त्यौहार की श्रेष्ठ स्थित तथा पर्व को खास बनाने वाले योगों का निर्धारण होता है.इस बार श्रावणी पूर्णिमा 19 अगस्त को सोमवार के दिन श्रवण उपरांत धनिष्ठा नक्षत्र तथा शोभन योग की साक्षी में आ रही है. सोमवार के दिन श्रवण नक्षत्र के होने से सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. इस साल भी रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा. रक्षाबंधन का महत्व हिंदू पंचांग के मुताबिक रक्षाबंधन सावन महीने की पूर्णिमा का हर साल मनाया जाता है.भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का यह त्योहार पूरे भारत वर्ष में उत्साह के साथ मनाया जाता है और बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर भाई की लंबी उम्र की कामना करती है, वहीं भाई भी बहन की रक्षा करने का संकल्प लेता है. धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक रक्षाबंधन का पर्व भद्रा काल में नहीं मनाना चाहिए. धार्मिक मान्यता है कि भद्रा काल के दौरान राखी बांधना शुभ नहीं होता है. पौराणिक कथा के अनुसार लंकापति रावण को उसकी बहन ने भद्रा काल में राखी बांधी थी और उसी साल प्रभु राम के हाथों रावण का वध हुआ था. इस कारण से भद्रा काल में कभी भी राखी नहीं बांधी जाती है. पूजा विधि रक्षाबंधन पर सबसे पहले राखी की थाली सजाएं. इस थाली में रोली कुमकुम अक्षत पीली सरसों के बीज दीपक और राखी रखें. भाई को तिलक लगाकर उसके दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र यानी कि राखी बांधें. राखी बांधने के बाद भाई की आरती उतारें, फिर भाई को मिठाई खिलाएं. अगर भाई आपसे बड़ा है तो चरण स्पर्श कर उसका आशीर्वाद लें. अगर बहन बड़ी हो तो भाई को चरण स्पर्श करना चाहिए. राखी बांधने के बाद भाइयों को इच्छा और सामर्थ्य के अनुसार बहनों को भेंट देनी चाहिए. ब्राह्मण या पंडित जी भी अपने यजमान की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधते हैं. ऐसा करते वक्त इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।। भद्रा में नहीं बांधनी चाहिए राखी भद्रा को शनि देव की बहन और क्रूर स्वभाव वाली है. ज्योतिष में भद्रा को एक विशेष काल कहते हैं. भद्रा काल में शुभ कर्म शुरू न करने की सलाह सभी ज्योतिषी देते हैं. शुभ कर्म जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, रक्षा बंधन पर रक्षासूत्र बांधना आदि. सरल शब्दों में भद्रा काल को अशुभ माना जाता है.मान्यता है कि सूर्य देव और छाया की पुत्री भद्रा का स्वरूप बहुत डरावना है. इस कारण सूर्य देव भद्रा के विवाह के लिए बहुत चिंतित रहते थे. भद्रा शुभ कर्मों में बाधा डालती थीं, यज्ञों को नहीं होने देती थी. भद्रा के ऐसे स्वभाव से चिंतित होकर सूर्य देव ने ब्रह्मा जी से मार्गदर्शन मांगा था.उस समय ब्रह्मा जी ने भद्रा से कहा था कि अगर कोई व्यक्ति तुम्हारे काल यानी समय में कोई शुभ काम करता है तो तुम उसमें बाधा डाल सकती हो, लेकिन जो लोग तुम्हारा काल छोड़कर शुभ काम करते हैं, तुम्हारा सम्मान करते हैं. तुम उनके कामों में बाधा नहीं डालोगी. इसी कथा की वजह से भद्रा काल में शुभ कर्म वर्जित माने गए हैं. भद्रा काल में पूजा-पाठ, जप, ध्यान आदि किए जा सकते हैं.
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1 August 2024वैसे तो प्यार करने का कोई दिन या समय नहीं होता है, प्यार किसी भी समय कभी भी जताया जा सकता है, लेकिन अगर गर्लफ्रेंड के प्रति प्यार जताने का कोई खास दिन निर्धारित हो तो इसमें प्यार का इजहार करने में क्या हर्ज है. हर साल 1 अगस्त को National Girlfriend Day मनाया जाता है. इन दिन लड़के अपनी प्रमिकाओं से अपने प्यार का इजहार अलग-अलग तरह से करते हैं. कोई उन्हें फूलों का गुलदस्ता देकर खुश करता है तो कोई उन्हें बाहर घुमाने लेकर जाता है, लेकिन अगर आप इन्हीं घिसे-पिटे आइडियाज से परेशान हो गए हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आप अपनी गर्लफ्रेंड को इंप्रेस करने के नए तरीके. आज हम आपको अपनी गर्लफ्रेंड को देने के लिए कुछ ऐसे गिफ्ट्स बताएंगे जो इस पल को यादगार बना देंगे तो चलिए जानते हैं इनके बारे में. सेंनटेडेट कैंडल्स- एक अच्छी खुशबू आपके मूड को तुरंत बदलने का काम करती है. इन्हीं में से एक है सेंनटेडेट कैंडल्स. इनकी सुगंध कमरे में फैलती है और मूड को तुरंत खुश कर देती है. एक अच्छी खुशबू चिंता को कम करती है और आपको शांत बनाती है. इन सुगंधित कैंडल्स से घर पुरानी यादों और शांति से भर जाता है. ऐसे में इस गर्लफ्रेंड डे पर आप अपनी प्रेमिका को कुछ अच्छी सेंनटेडेट कैंडल्स गिफ्ट कर सकते हैं. पर्सनालिस्ड ज्वेलरी- चाहे लड़का हो या लड़की हर किसी को अच्छा लगता है जब कोई उसके हिसाब से या उसकी पसंद के अनुसार चीजों को डिजाइन कराता है. ऐसे में गर्लफ्रेंड को देने के लिए पर्सनालिस्ड ज्वेलरी से अच्छा कुछ नहीं हो सकता है. इस National Girlfriend Day पर आप अपनी गर्लफ्रेंड को पर्सनालिस्ड ज्वेलरी गिफ्ट करें. इसपर अपने नाम का पहला अक्षर और उसके नाम का पहला अक्षर उकरवाएं. आप ब्रेसलेट पर भी विचार कर सकते हैं, इसपर आप जिस दिन मिले थे उसकी तारीख लिखवा सकते हैं. वह इसे हर दिन भी पहन सकती है, जिससे उसे लगातार आपकी याद आती रहे. अग आपकी गर्लफ्रेंड को कॉफी पसंद है तो नॉन-स्पिलेबल इंसुलेटेड कॉफी मग से अच्छा गिफ्ट और कुछ नहीं हो सकता है. अगर आपकी गर्लफ्रेंड सुबह जल्दी जल्दी में कॉफी पीना भूल जाती हैं तो उन्हें नॉन-स्पिलेबल इंसुलेटेड कॉफी मग गिफ्ट करें. ये उनके प्रति आपके प्यार और केयर को दर्शाएगा. कस्टम फोटो एलबम- आपके साथ बिताए समय की यादों से भरा एक कस्टम फोटो एलबम भी इस अवसर के लिए अच्छा गिफ्ट हो सकता है. ऐसे में आपने अब तक जितने अच्छे पर बिताएं हैं उनकी तस्वीरों को इकट्ठा करें. इसे और भी अधिक व्यक्तिगत और इमोशनल बनाने के लिए कैप्शन या उसपर छोटे नोट्स लिखें. किताबों का गुलदस्ता- अगर आपकी गर्लफ्रेंड को किताबे पढ़ने का शौक है और वो किताबी कीड़ा हैं तो इससे अच्छा गिफ्ट उनके लिए कुछ नहीं हो सकता है. ऐसे में इस Girlfriend Day पर उन्हें किताबों का एक गुलदस्ता गिफ्ट करें. सबसे पहले उनके टेस्ट के हिसाब से किताबें खरीदें और फिर किसी फूलवाले के पास जाएं और उनसे किताबों को पारंपरिक फूलों के गुलदस्ते की तरह व्यवस्थित करने को कहें. किताबों का गुलदस्ता एक यादगार और व्यक्तिगत उपहार है. स्पा डे पैकेज इस National Girlfriend Day पर आप स्पा डे पैकेज के साथ अपनी प्रेमिका को आराम और लाड़-प्यार दिखा सकते हैं. ध्यान रहे कि वो स्पा पैकेज लें, जिनमें मालिश, फेशियल, मैनीक्योर और पेडीक्योर शामिल हो. आप या तो उसके लिए अकेले एक सेशन बुक कर सकते हैं या आप दोनों के लिए एक साथ कपल सेशन ले सकते हैं. इससे आप दोनों साथ में समय भी बिता सकेंगे और एक दूसरे के प्रति प्यार को दर्शा सकेंगे.
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1 August 2024दुनिया के देशों पर कर्ज का बोझ बढ़ गया है. इसमें अमेरिका और जापान आगे हैं. दुनिया के देशों पर इस समय कर्ज का कुल बोझ 315 ट्रिलियन डॉलर हो गया है. दुनिया पर कर्ज का बोझ बढ़ाने वालों में भारत भी टॉप-3 में है.कोविड के दौर में पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था ही चरमरा गई थी. इसके बाद से ये लगातार उबरने की कोशिश कर रही है, लेकिन एक के बाद एक ग्लोबल लेवल पर घटती घटनाओं के चलते हालात जस के तस बने हुए हैं. अब एक रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि दुनिया के देशों पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है, जो 315 ट्रिलियन डॉलर के पार जा चुका है.साल 2024 की ही पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में ग्लोबल डेट (Global Debt) रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच चुका है. इस बारे में इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल फाइनेंस (IIF) ने एक स्टडी ‘ग्लोबल डेट मॉनिटर रिपोर्ट’ जारी की है. भारत भी टॉप-3 देशों में शामिल रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के देशों पर लदे कुल कर्ज के बोझ में सबसे बड़ी हिस्सेदारी अमेरिका और जापान की है. जबकि उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भी कर्ज का बोझ बढ़ रहा है. दुनिया के कर्ज को बढ़ाने में मुख्य तौर पर उभरती अर्थव्यवस्थाओं का हाथ है.इसमें क्रमश: चीन, भारत और मेक्सिको का प्रमुख योगदान है. जबकि दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और ब्राजील उन देशों में शामिल हैं, जिनकी वजह से ओवरऑल डेट में डॉलर की वैल्यू सबसे कम हुई है. आईआईएफ के डेटा के मुताबिक उभरती अर्थव्यवस्थाओं का कर्ज का बोझ 105 ट्रिलियन डॉलर को पार कर चुका है. बीते एक दशक से तुलना करने पर देखें, तो इसमें दोगुने का इजाफा हुआ है. तिमाही आधार पर इतना बढ़ा कर्ज का बोझ रिपोर्ट के मुताबिक डॉलर की वैल्यू में तिमाही आधार पर ग्लोबल डेट में करीब 1.3 ट्रिलियन डॉलर की बढ़ोतरी आई है. वहीं ग्लोबल डेट 2 आउटपुट रेशियो भी 333 प्रतिशत बढ़ा है. जबकि जनवरी-मार्च से पहले की तीन तिमाहियों में ये गिरा था. डेट 2 आउटपुट रेशियो से पता चलता है कि कर्ज लेने वाले कर्जदार की उसे चुकाने की क्षमता कितनी है. सरकारों का बजट अब भी घाटे में रॉयटर्स ने आईआईएफ की रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि दुनिया की कई सरकारों का बजट घाटा कोविड के पहले के दौर से ज्यादा है. इस साल ये ग्लोबल डेट में कुल 5.3 ट्रिलियन डॉलर की हिस्सेदारी रख सकता है. दुनिया के सामने बढ़ता भू-राजनैतिक तनाव और व्यापार को लेकर बिगड़ते माहौल की समस्या अब भी बनी हुई है और ये ग्लोबल डेट को और बढ़ा सकती है.
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1 August 2024हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकसभा में संविधान की कॉपी को लेकर भाषण दिया था, जोकि खूब चर्चा में रहा. अब एक बार फिर से राहुल गांधी का भाषण सुर्खियों में है. बीते सोमवार राहुल गांधी ने एक बार फिर केंद्र सरकार को घेरते हुए कई मुद्दों पर बात की. लेकिन भाषण में उनका ‘चक्रव्यूह’ शब्द चर्चा में रहा. उन्होंने कहा कि, अभिमन्यु की तरह केंद्र सरकार ने हिंदुस्तान के युवाओं, किसानों और गरीब वर्गों को चक्रव्यूह में फंसा दिया है. राहुल गांधी ने कहा- ‘हजारों साल पहले अभिमन्यु को चक्रव्यूह में छह लोगों ने फंसा कर मार डाला था. चक्रव्यूह का दूसरा नाम पद्मव्यूह है जोकि कमल (Lotus) के फूल के जैसा होता है. इसके भीतर डर और हिंसा होती है.' चक्रव्यूह क्या है, कैसे हुई इसकी रचना जिस चक्रव्यूह की चर्चा हो रही है, वो वास्तव में क्या था और शास्त्रों में इसे लेकर क्या बताया गया है आइए जानते हैं- पुरातन काल में युद्ध लड़ने के लिए पक्ष-विपक्ष अपने अनुकूल व्यूह की रचना करते थे. व्यूह की रचना करने का अर्थ है, सैनिकों को सामने खड़ा किया जाना.ऊपर से देखने पर यह व्यूह रचना की तरह प्रतीत होता है. ठीक ऐसे ही चक्रव्यूह को भी ऊपर से देखने पर यह एक घूमते हुए चक्र के जैसा दिखता है, जिसमें सैन्य रचना होती है. चक्रव्यूह में भीतर जाने का रास्ता तो नजर आता है, लेकिन बाहर निकलने का रास्ता नहीं दिखता. इसमें सात द्वार का निर्माण किया जाता था. हर द्वार पर युद्ध कला में निपुण एक व्यक्ति को तैनात किया जाता था. जिसके साथ हाथी, घोडे़ सवार और पैदल सैनिक हुआ करते थे. कहा जाता है कि, हजारों साल पहले चक्रव्यूह की रचना द्रोणाचार्य ने की थी. उन्होंने इसे एक घूमते हुए चक्के के जैसा बनाया था. महाभारत में कौरवों के प्रधान सेनापति द्रोणाचार्य ने इसका प्रयोग धर्मराज युधिष्ठिर को बंदी बनाने के लिए किया था. महाभारत में चक्रव्यूह कौन-कौन भेद सकता था? चक्रव्यूह भेदन का ज्ञान केवल श्रीकृष्ण अर्जुन, प्रद्युम्न और अभिमन्यु को था. अभिमन्यु को लेकर कहा जाता है कि, वह मां सुभद्रा के गर्भ से ही चक्रव्यूह भेदना जानते थे, लेकिन उससे बाहर निकलने का ज्ञान उन्हें नहीं था और ना ही जन्म लेने के बाद उन्होंने चक्रव्यूह से बाहर निकलने की शिक्षा ली. युद्ध के दौरान जब अभिमन्यु चक्रव्यूह में गए तो उन्हें चारों ओर से घेरकर मार दिया गया.
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30 July 2024टूरिज्म का क्रेज बीते कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है. लोग अब अपने घरों में बैठे रहना पसंद नहीं करते, बल्कि वो बाहर निकल कर दुनिया देखना पसंद करते हैं. आज आपको ऐसे कई लोग मिल जाएंगे जो ट्रैवेल कर के ही अपनी रोजी रोटी भी चला रहे हैं. लेकिन ट्रैवलिंग इतना आसान भी नहीं है जितना आप समझ रहे हैं. चलिए इसी कड़ी में हम आपको आज उन 10 शहरों के बारे में बताएंगे, जहां टूरिस्ट बिल्कुल भी सेफ नहीं हैं. इसके साथ ही हम हम उन 10 शहरों के बारे में बताएंगे जहां आप बेधड़क हो कर आराम से घूम सकते हैं. 10 सबसे असुरक्षित शहर इस संबंध में फोर्ब्स एडवाइजर ने एक रिपोर्ट निकाली है. इसी रिपोर्ट के आधार पर हम आज आपको घूमने के लिए 10 सबसे सेफ और 10 सबसे अनसेफ शहरों के बारे में बताएंगे. चलिए पहले आपको 10 सबसे अनसेफ शहरों के बारे में बताते हैं.इसमें पहले नंबर पर वेनेजुएला का कारकास शहर है. इसे लुटेरों का शहर भी कहा जाता है. यहां आए दिन अपराध होते हैं. खासतौर से अगर आप टूरिस्ट हैं तो यहां आसानी से आपको लूटा जा सकता है. दूसरे नंबर पर भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान है.पाकिस्तान का कराची शहर दुनिया की सबसे अनसेफ जगहों में दूसरे नंबर पर है. यहां भी अपराध चरम पर है. अगर आप पाकिस्तान घूमना चाहते हैं तो इस शहर से बच कर रहें. तीसरे नंबर पर बर्मा का यांगून शहर है. यहां भी टूरिस्टों के साथ अपराध के मामले बीते कुछ वर्षों में बढ़े हैं. नाइजीरिया का शहर लागोस भी इसी लिस्ट में आता है. इस शहर में लूट, स्नैचिंग और धोखाधड़ी आम बात है.यह शहर टूरिस्टों के लिए बिल्कुल भी सेफ नहीं है. खासतौर से अगर आप सोलो ट्रेवेलिंग कर रहे हैं तो इन शहरों से बिल्कुल बच कर रहें. इसके बाद नंबर आता है मनीला, ढाका, बोगोटा, काहिरा, मैक्सिको सिटी और इक्वाडोर के क्विटो शहर का. इन शहरों में अगर आप घूमने जा रहे हैं तो आपको 24 घंटे सतर्क रहना पड़ेगा. ये शहर टूरिस्टों के लिए बिल्कुल सेफ नहीं हैं. सबसे सेफ शहर कौन से हैं टूरिस्टों के लिए सबसे सेफ शहरों की बात की जाए तो इनमें पहला नाम आता है सिंगापुर का . वहीं दूसरा नाम है जापान के टोक्यो का. जबकि, तीसरा नाम है कनाडा के टोरंटो का. इसके बाद नंबर आता है ऑस्ट्रेलिया के सिडनी का, फिर स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख का. इसके बाद डेनमार्क का कोपेनहेगन, दक्षिण कोरिया का सियोल, जापान का ओसाका, ऑस्ट्रेलिया का मेलबर्न और नीदरलैंड का एम्स्टर्डम. ये शहर किसी भी ट्रेवेलर के लिए सेफ हैं. यहां आप आसानी से घूम सकते हैं और चाहें तो सोलो ट्रैवलिंग कर सकते हैं.
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30 July 2024पेरिस ओलिंपिक में मंगलवार को भारत को दूसरा मेडल मिला। शूटर मनु भाकर और सरबजोत ने 10 मीटर पिस्टल मिक्स्ड इवेंट का ब्रॉन्ज जीत लिया है। दोनों की जोड़ी ने कोरिया की टीम को 16-10 से हराया। मनु भाकर ने 2 दिन पहले पहले (28 जुलाई) को 10 मीटर विमेंस पिस्टल इवेंट में भी ब्रॉन्ज जीता था। इसके साथ ही वे एक ओलिंपिक में दो मेडल जीतने पहली भारतीय महिला बन गई हैं। भारत को शूटिंग में 12 साल बाद डबल मेडल ओलिंपिक गेम्स की शूटिंग इवेंट में भारत को 12 साल के बाद डबल मेडल मिले हैं। इससे पहले 2012 के लंदन ओलिंपिक में गगन नारंग और विजय कुमार ने शूटिंग में मेडल दिलाए थे। नॉर्मन प्रिचर्ड ने 1900 के ओलिंपिक में 2 मेडल जीते थे मनु से पहले एक अंग्रेज एथलीट नॉर्मन प्रिचर्ड ने एक ओलिंपिक गेम्स में 2 मेडल जीते थे। उन्होंने 1900 के पेरिस ओलिंपिक में 200 मीटर हर्डल्स और 200 मीटर रेस में सिल्वर जीते थे। यह ओलिंपिक में भारत का पहला ओलिंपिक मेडल था। यह कॉन्ट्रोवर्शियल भी रहा, क्योंकि इसे एक अंग्रेज एथलीट नॉर्मन प्रिचर्ड ने जीता था। इसलिए इंग्लैंड भी इस पर दावा करता है। मेडल टेली में 25वें नंबर पर भारत इस मेडल के साथ भारत मेडल टैली में 25वें स्थान पर है, जबकि जापान की टीम नंबर-1 है। मनु-सरबजोत की जोड़ी ने ब्रॉन्ज दिलाया, पेरिस ओलिंपिक में भारत को दूसरा मेडल भारत ने पेरिस ओलिंपिक में दूसरा मेडल जीत लिया है। मनु और सरबजोत की भारतीय जोड़ी ने 10 मीटर पिस्टल मिक्स्ड टीम इवेंट के ब्रॉन्ज मेडल मैच में कोरिया को 16-10 से हराया। पेरिस गेम्स का पहला मेडल भी मनु भाकर ने ही दिलाया था। वे एक ही ओलिंपिक गेम्स में दो मेडल जीतने पहली भारतीय महिला बनी हैं
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30 July 2024छत्तीसगढ़ के बस्तर में मौजूद भगवान शिव के मंदिर दूरदराज से श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए आते हैं. यह मंदिर श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इसकी वजह ये है कि मंदिर में करीब 200 साल पुरानी घंटी लगी हुई है, इस घंटी पर 1806 लंदन लिखा हुआ है. जानकार बताते हैं कि तत्कालीन ब्रिटिश हुकुमत के राज्यपाल ने यह घंटी मंदिर में चढ़ाई थी. तब से यह घंटी मंदिर के प्रांगण में लगी हुई है और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. घंटी की क्या है विशेषता? इस घंटी का वजन करीब 15 किलो है और यह विशुद्ध लोहे के धातु से बना है. इस घंटी की खास बात यह है कि इसमें कभी जंग नहीं लगता. दरअसल, मंदिर की खुदाई के दौरान शिवलिंग के साथ ग्रामवासियों को यह घंटी मिली थी. जिसके बाद मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया.मंदिर बनने के बाद आज भी लंदन की यह घंटी इसकी शोभा बढ़ा रही है. करीब 200 साल पुरानी घंटी को देखने के लिए हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं. साथ ही सावन के सोमवार के मौके पर रामपाल के इस भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिर में मेला लगता है. शिव के उपासक हैं बस्तर के आदिवासी छत्तीसगढ़ के बस्तर को आदिकाल से ही शिवधाम कहा जाता है. यहां के ग्रामीण भगवान शिव और भगवान राम की सैकड़ों सालों से उपासना करते आ रहे हैं. यही वजह है कि बस्तर में हजारों की संख्या में भगवान शिव के मंदिर हैं और सभी मंदिरों की अपनी अलग-अलग विशेषताएं हैं.जगदलपुर शहर से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रामपाल का शिव मंदिर भी कापी प्रसिद्ध है और यह सैकड़ों साल पुराना है. इंद्रावती नदी के पास मौजूद मंदिर में खुदाई के दौरान शिवलिंग मिला था. इस शिवलिंग की गोलाई लगभग 3 से 4 फीट है और कुछ साल पहले की जांच में लगभग 30 फीट से अधिक गहराई पाई गई. रामवनगमन पथ से जोड़ा गया है रामपाल गांव ग्रामीण इस शिवलिंग को अटल शिवलिंग कहते हैं, जो कि जमीन की नाभि से मिलता है. इस पुरातात्विक मंदिर की कहानी प्रभु श्री राम से जुड़ी है. कहा जाता है कि अपने 14 साल के वनवास के दौरान जब भगवान राम दंडकारण्य से गुजर रहे थे, तब उन्होंने यहां मौजूद शिवलिंग में पूजा अर्चना की थी. इसलिए बस्तर के प्रसिद्ध शिवधाम में से एक रामपाल गांव को रामवनगमन पथ से भी जोड़ा गया है. मंदिर के आसपास खुदाई के दौरान ग्रामीणों को जो ईंट मिली है, वह पांचवीं सदी की है. ऐसा पुरातत्व के जानकार कहते हैं. इस ईंट के अवशेष आज भी मंदिर में मौजूद हैं. मान्यता है कि शिवलिंग प्रभु श्री राम के जरिये स्थापित किया गया है. दिल्ली के श्रीराम सांस्कृतिक संस्थान के विशेषज्ञों ने इस पर शोध किया था और 50 साल से श्रीराम के वनवास पर शोध कर रहे हैं. इस शोध मुताबिक, यहां मौजूद शिवलिंग को लिंगेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है. यहां के ग्रामीण और उनके पूर्वज करीब 150 सालों से इस शिव मंदिर में पूजा करते आ रहे हैं. लिंगेश्वर स्वामी के नाम से है प्रसिद्ध मंदिर रामपाल गांव के सरपंच महादेव नाग का कहना है कि उनके पूर्वजों के समय से उनका परिवार और गांव के सभी लोग लिंगेश्वर स्वामी की उपासना करते आ रहे हैं. यहां खुदाई के दौरान मिले बड़ी-बड़ी ईंटों से यह प्रमाणित होता है कि भगवान श्री राम ने भोलेनाथ की उपासना की थी.महादेव नाग ने बताया कि इसके बाद इस शिवलिंग को बस्तर के तत्कालीन राजा महाराजाओं ने संजोकर रखा था और यहां मंदिर का निर्माण कराया. यह पूरा जंगल क्षेत्र था, धीरे-धीरे ग्रामीण परिवेश के बाद खुदाई की गई तो शिवलिंग के दर्शन हुए. सरपंच महादेव नाग इसी दौरान से यहां के ग्रामीणों से चंदा इकट्ठा कर शिवरात्रि पर सावन सोमवार में मेला का आयोजन कर बाबा लिंगेश्वर की पूजा अर्चना करते हैं. प्रसिद्ध मंदिर को पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया जा रहा है, जिससे बस्तर घूमने आने वाले पर्यटक इस प्रसिद्ध मंदिर को देखकर भगवान लिंगेश्वर स्वामी के दर्शन कर सकें.
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29 July 2024मनु भाकर ने रविवार 28 जुलाई को पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। हरियाणा की 22 साल की इस निशानेबाज ने चेटरौक्स शूटिंग सेंटर में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल फाइनल में तीसरा स्थान हासिल करने के बाद इन खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला निशानेबाज बनीं। टोक्यो में दिल टूटने के तीन साल बाद भारत की इस सबसे प्रसिद्ध और प्रतिभाशाली निशानेबाजों में से एक ने अपने सपनों को पूरा किया और देश को गौरवान्वित किया। उन्होंने जबरदस्त वापसी की और कांस्य पदक अपने नाम किया। महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा का स्वर्ण और रजत पदक दक्षिण कोरिया की दो खिलाड़ियों ने जीता। ओह ये जिन 243.2 के स्कोर के साथ स्वर्ण पदक और किम येजी ने 241.3 के स्कोर के साथ रजत पदक अपने नाम किया।मनु भाकर क्वालिफिकेशन राउंड में भी तीसरे स्थान पर रही थीं। इसके साथ ही उन्होंने शूटिंग में भारत के पदक के 12 साल के सूखे को भी खत्म किया। 2012 लंदन ओलंपिक में गगन नारंग और विजय कुमार ने शूटिंग में पदक जीता था। यह शूटिंग में भारत का पांचवां पदक है। मनु से पहले चारों एथलीट्स पुरुष थे। वह राज्यवर्धन सिंह राठौड़, अभिनव बिंद्रा, गगन नारंग और विजय कुमार के क्लब में शामिल हो गईं। एशियाई खेलों की टीम में नहीं थीं मनु महज नौ माह पहले तक मनु भाकर 10 मीटर एयर पिस्टल की भारतीय टीम में भी शामिल नहीं थीं। बीते वर्ष वह हांगझोऊ एशियाई खेलों में खेलीं, लेकिन इस इवेंट की टीम में नहीं थीं। यह वह इवेंट है जो उनके दिल के सबसे करीब है। एशियाड से पहले मनु भाकर ने पिछले सारे विवादों को भुलाकर कोच जसपाल राणा का हाथा थामा तो इसकी एक वजह 10 मीटर एयर पिस्टल में वापस प्रभुत्व स्थापित करना था। एशियाड के बाद मनु का समर्पण और जसपाल का साथ काम आया। मनु ने न सिर्फ 10 मीटर एयर पिस्टल की ओलंपिक टीम में जगह बनाई बल्कि शनिवार को क्वालिफाइंग दौर में 580 का विश्वस्तरीय स्कोर कर तीसरे स्थान पर रहते हुए इस इवेंट के फाइनल में भी जगह बनाई। आइए जानते हैं उनके बारे में... मनु 50 से अधिक अंतरराष्ट्रीय और 70 से अधिक राष्ट्रीय पदक जीत चुकी हैं। 2021 में हुए ओलंपिक में वह सातवें स्थान पर रहीं। 2023 में मनु ने एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीता था। वह पेरिस ओलंपिक में 21 सदस्यीय भारतीय शूटिंग टीम से कई व्यक्तिगत स्पर्धाओं में हिस्सा लेने वाली एकमात्र एथलीट हैं। हरियाणा के झज्जर में जन्मीं मनु भाकर ने स्कूल के दिनों में टेनिस, स्केटिंग और मुक्केबाजी समेत कई खेलों में हिस्सा लिया। मुक्केबाजी खेलते वक्त मनु के आंख पर चोट लग गई थी। इसी के बाद उनका बॉक्सिंग में सफर खत्म गया। हालांकि, मनु के अंदर खेलों को लेकर एक अलग जुनून था, जिसके चलते वह एक बेहतरीन निशानेबाज बनने में कामयाब रहीं। अब उन्होंने देश को गौरवान्वित किया है। 2018 में मनु ने किया कमाल मनु कभी कबड्डी के मैदान में उतरीं तो कभी कराटे में हाथ आजमाया। शूटिंग को प्राथमिक रूप से चुनने से पहले मनु ने स्केटिंग, मार्शल आर्ट्स, कराटे, कबड्डी सब खेला। 16 साल की उम्र में मनु ने 2018 में आईएसएसएफ विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व किया और दो स्वर्ण पदक जीते। उसी साल मनु ने राष्ट्रमंडल खेलों और यूथ ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया। दोनों प्रतियोगिताओं में मनु ने स्वर्ण पदक हासिल किया। नौवीं तक था डॉक्टर बनने का सपना मनु के पिता राम किशन भाकर ने उनका हमेशा साथ दिया। पिता ने मनु को पूरा समर्थन दिया। जिस खेल में उन्हें आगे बढ़ने का मन था उसी में बढ़ने दिया। बहुत से विद्यार्थियों की तरह मनु भी नौवीं कक्षा तक डॉक्टर बनना चाहती थीं। वह खेल में शुरू से अच्छी रही लेकिन पढ़ाई पर मुख्य ध्यान रहा। 10वीं में मनु के जीवन का अलग मोड़ आया, जब कक्षा में टॉप करने के साथ उनका चयन शूटिंग के लिए राष्ट्रीय टीम में हुआ। उनके कोच अनिल जाखड़ के कहने पर मनु ने शूटिंग को एक मौका दिया और 11वीं में जब वह 16 साल की थी तब आईएसएसएफ विश्व कप, राष्ट्रमंडल खेल और यूथ ओलंपिक खेल में स्वर्ण पदक जीतकर अपना नाम बनाया।
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29 July 2024हर वर्ष सावन माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन कामिका एकादशी मनाई जाती है. यह पर्व भगवान विष्णु (Vishnu ji) को समर्पित होता है. इस दिन भगवान विष्णु एवं धन की देवी मां लक्ष्मी (Laxmi ji) की विशेष पूजा की जाती है. 31 जुलाई को सावन महीने की एकादशी का व्रत किया जाएगा, जिसका नाम कामिका एकादशी है.पुराणों में कहा गया है कि इस तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. सावन महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली इस एकादशी पर भगवान विष्णु को तुलसी पत्र चढ़ाने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं. इस दिन तीर्थ स्नान और दान से कई गुना पुण्य फल मिलता है. कामिका एकादशी की तिथि पंचांग के अनुसार सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 30 जुलाई को संध्याकाल 4:44 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 31 जुलाई को संध्याकाल 3:55 मिनट पर समाप्त होगी. सनातन धर्म में व्रत-त्योहार के लिए सूर्योदय के बाद से तिथि की गणना की जाती है, ऐसे 31 जुलाई को कामिका एकादशी मनाई जाएगी. कामिका एकादशी क्यों किया जाता है? कामिका एकादशी व्रत की कथा सुनना यज्ञ करने के समान है. इस व्रत के बारे में ब्रह्माजी ने देवर्षि नारद को बताया कि पाप से भयभीत मनुष्यों को कामिका एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए. एकादशी व्रत से बढ़कर पापों के नाशों का कोई उपाय नहीं है. स्वयं प्रभु ने कहा है कि कामिका व्रत से कोई भी जीव कुयोनि में जन्म नहीं लेता. जो इस एकादशी पर श्रद्धा-भक्ति से भगवान विष्णु को तुलसी पत्र अर्पण करते हैं, वे इस समस्त पापों से दूर रहते हैं. कामिका एकादशी का महत्व कामिका एकादशी पर शंख, चक्र, गदाधारी भगवान विष्णु का पूजन होता है. भीष्म पितामह ने नारदजी को इस एकादशी का महत्व बताया है. उन्होंने कहा कि जो मनुष्य इस एकादशी को धूप, दीप, नैवेद्य आदि से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उन्हें गंगा स्नान के फल से भी उत्तम फल की प्राप्ति होती है. इस एकादशी की कथा सुनने से ही वाजपेय यज्ञ का फल मिल जाता है. भीष्म कहते हैं कि व्यतिपात योग में गंडकी नदी में और सूर्य-चन्द्र ग्रहण के दौरान स्नान करने से जितना पुण्य मिलता है. उतना ही महापुण्य सावन महीने में आने वाली कामिका एकादशी पर व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से मिल जाता है.इस दिन तुलसी पत्र से भगवान विष्णु की पूजा करने का भी विधान बताया गया है. कामिका एकादशी का शुभ योग कामिका एकादशी पर ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है. इस योग का संयोग दोपहर 02:14 मिनट तक है. ज्योतिष ध्रुव योग को बेहद शुभ मानते हैं. इस योग में भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी. साथ ही शुभ कार्यों में सिद्धि मिलेगी. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग दिन भर है. शिववास योगकामिका एकादशी पर देवों के देव महादेव कैलाश पर्वत पर विराजमान रहेंगे. इस समय में भगवान शिव का अभिषेक करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी. भगवान शिव दोपहर 03:55 मिनट तक कैलाश पर रहेंगे. इसके बाद नंदी पर सवार होंगे. दोनों समय अभिषेक के लिए अनुकूल है. इस समय में भगवान नारायण की भी पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में बढ़ोतरी होगी. व्रत का संकल्प स्कंद पुराण में बताया गया है कि सावन महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी पर व्रत, पूजा और दान से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं लेकिन, जानबूझकर दोबारा कोई पाप या अधर्म नहीं होगा, ऐसा संकल्प भगवान विष्णु के सामने लेने पर ही इसका फल मिलता है. ये व्रत साल की 24 एकादशियों में खास माना गया है. सावन में विष्णु पूजा का महत्व महाभारत और भविष्य पुराण में बताया गया है कि सावन महीने के दौरान भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. इनके अलावा विष्णुधर्मोत्तर पुराण में भी जिक्र है कि सावन महीने में भगवान विष्णु की पूजा और व्रत-उपवास से मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होता है. पंचामृत और शंख में दूध भरकर भगवान विष्णु का अभिषेक करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं. निर्जल व्रत सावन महीने में आने वाली एकादशियों को पर्व भी कहा जाता है. सावन मास में भगवान नारायण की पूजा करने वालों से देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सब पूजित हो जाते हैं. एकादशी के दिन स्नानादि से पवित्र होने के बाद पूजा का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति की पूजा करना चाहिए. भगवान विष्णु को फूल, फल, तिल, दूध, पंचामृत और अन्य सामग्री चढ़ाकर आठों प्रहर निर्जल रहना चाहिए यानी पूरे दिन बिना पानी पीए विष्णु जी के नाम का स्मरण करना चाहिए. एकादशी व्रत में ब्राह्मण भोजन एवं दक्षिणा का भी बहुत महत्व है. इस प्रकार जो यह व्रत रखता है उसकी कामनाएं पूरी होती हैं. गौ दान का पुण्य पितामह ने बताया कि पूरे साल भगवान विष्णु की पूजा न कर सकें तो कामिका एकादशी का उपवास करना चाहिए. इससे बछड़े सहित गौदान करने जितना पुण्य मिल जाता है. सावन महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा और उपवास करने से सभी देवता, नाग, किन्नर और पितरों की पूजा हो जाती है. जिससे हर तरह के रोग, शोक, दोष और पाप खत्म हो जाते हैं. मिलता है स्वर्ग कामिका एकादशी के व्रत के बारे में खुद भगवान ने कहा है कि मनुष्यों को अध्यात्म विद्या से जो फायदा मिलता है उससे ज्यादा फल कामिका एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है. इस दिन व्रत करने से मनुष्य को यमराज के दर्शन नहीं होते हैं. बल्कि स्वर्ग मिलता है. जिससे नरक के कष्ट नहीं भोगने पड़ते. दीपदान भीष्म ने नारदजी को बताया कि कामिका एकादशी की रात में जागरण और दीप-दान करने से जो पुण्य मिलता है. उसको लिखने में चित्रगुप्त भी असमर्थ हैं. एकादशी भगवान विष्णु के सामने घी या तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए। जो ऐसे दीपक लगाता है उसे सूर्य लोक में भी हजारों दीपकों का प्रकाश मिलता है. ऐसे लोगों के पितरों को स्वर्ग में अमृत मिलता है.
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29 July 2024मध्य प्रदेश के रतलाम शहर में देवी कालिका मंदिर में अब कुछ प्रकार के पहनावे पर रोक लगा दी गई है. नए नियमों के अनुसार 'पश्चिमी और तंग' पोशाक या शॉर्ट्स पहन कर आने वाले श्रद्धालुओं को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी. मंदिर के पुजारी ने यह जानकारी दी है समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, कालिका मंदिर के पुजारी राजेंद्र शर्मा ने कहा, ‘‘मंदिर की पवित्रता की रक्षा के लिए पश्चिमी और तंग पोशाक तथा शॉर्ट्स (हाफ पैंट) पहने हुए भक्तों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी.’’ करीब 400 साल पुराने इस मंदिर के चारों ओर प्रतिबंधित कपड़ों के प्रकार का उल्लेख करने वाली कई पट्टिकाएं लगी हुई हैं. मंदिर के बाहर खड़े रह कर करने होंगे दर्शन मंदिर के पुजारी ने कहा, ‘‘अभद्र पोशाक पहने किसी भी भक्त को मंदिर या गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी.’’ उन्होंने कहा कि ऐसे भक्त मंदिर के बाहर से भी दर्शन कर सकते हैं. मंदिर की देखभाल कोर्ट ऑफ वार्ड्स एक्ट के तहत रतलाम जिला प्रशासन द्वारा की जाती है. तहसीलदार ऋषभ ठाकुर ने कहा, ‘‘मुझे मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा पश्चिमी परिधानों पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय के बारे में पता चला है.’’ 'पश्चिमी पोशाक सनातन धर्म पर हमला' पुजारी का दावा है कि रतलाम को बसाने वाले राजा रतन सिंह ने 400 साल पहले इस मंदिर का निर्माण कराया था और कुल देवी की प्रतिष्ठा की थी. इस फैसले का स्वागत करते हुए एक भक्त ने कहा कि पश्चिमी पोशाक भारत की समृद्ध संस्कृति और सनातन धर्म पर हमला है. मंदिर में मुख्य देवी के अलावा मां चामुंडा और मां अन्नपूर्णा की मूर्तियां भी स्थापित हैं, जहां रतलाम और अन्य जगहों से बड़ी संख्या में भक्त आते हैं. नवरात्रि के दौरान मंदिर परिसर में गरबा महोत्सव का आयोजन किया जाता है.
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29 July 2024बरसात का मौसम शुरू होते ही लोग घूमने के लिए निकल जाते हैं. लेकिन यात्रा करने से पहले हर किसी को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए. अधिकतर लोग यात्रा के दौरान कई तरह की मुश्किलों का सामना करते हैं. जैसे चोट लगना, सामान खो जाना, मेडिकल इमरजेंसी, फ्लाइट कैंसिल होना आदि. ट्रैवल इंश्योरेंस अगर यात्रा ज्यादा लंबी हो या फिर एक देश से दूसरे देश में जाना हो, तो परेशानियां और ज्यादा बढ़ जाती है. ऐसे में लोगों को कई मुसीबत का सामना करना पड़ता है. इन सब चीजों से बचने के लिए ट्रैवल इंश्योरेंस बहुत जरूरी होता है. मुसीबत के समय ट्रैवल इंश्योरेंस मुसीबत के समय ट्रैवल इंश्योरेंस आपके काफी काम आएगा. इसलिए एक देश से दूसरे देश में यात्रा करते वक्त या फिर किसी लंबे सफर पर निकलने से पहले ट्रैवल इंश्योरेंस लेने के बारे में जरूर विचार करना चाहिए. ट्रैवल इंश्योरेंस की मदद से आप बिना किसी चिंता के अपनी यात्रा का पूरा आनंद ले सकते हैं. ऐसे खरीदें ट्रैवल इंश्योरेंस आप अपनी यात्रा शुरू करने से पहले किसी भी यात्रा बीमा कंपनी से यात्रा बीमा खरीद सकते हैं. यही नहीं आप ऑनलाइन भी ट्रैवल इंश्योरेंस खरीद सकते हैं. इंश्योरेंस खरीदते समय ट्रैवल इंश्योरेंस से जुड़ी हर शर्त नियम को ध्यान से पढ़ें और समझे अलग-अलग बीमा कंपनियों के कोट इकट्ठा करें और सबसे अच्छी डील को चुने. यह जरूर ध्यान रखें कि आपका बीमा पॉलिसी आपकी यात्रा के दौरान होने वाली हर घटनाओं को कवर करता है या नहीं. मौसम के बारे में जानकारी इसके अलावा यात्रा करने से पहले आपको जिस जगह जा रहे हैं, उस जगह के मौसम के बारे में जानना बहुत जरूरी होता है. ताकि आप मौसम के अनुसार अपने सामान की पैकिंग कर सकें. अगर आपको पता चल जाता है कि जिस जगह आप जा रहे हैं. वहां का मौसम अक्सर खराब रहता है, तो आप अपनी यात्रा योजना में बदलाव कर सकते हैं.कई बार एक जगह से दूसरी जगह बदलने पर मौसम में बदलाव होता है. इस वजह से स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ऐसे में आप यात्रा के दौरान अपने साथ कई तरह की दवाई गोली और बाकी सुविधाजनक सामान भी रख सकते हैं.
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27 July 2024कई बीमारियां ऐसी होती हैं जो आनुवांशिक होने के कारण परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी चलती हैं. जैसे डायबिटीज के बारे में कहा जाता है कि ये बीमारी जेनेटिक होने के कारण परिवार के कई सदस्यों को अपनी चपेट में लेती है. ठीक इसी तरह कैंसर को लेकर भी कहा जाता है कि अगर परिवार में किसी सदस्य को कैंसर हो चुका है तो काफी चांस है कि बाकी सदस्य भी इसका शिकार हो सकते हैं. इसके चलते लोगों में एक तरह का डर बैठ जाता है और कई मरीज इलाज से पहले ही उससे लड़ने की हिम्मत खो देते हैं. चलिए आज इस मिथ की बात करते हैं और मानते हैं कि सच्चाई क्या है. Myth: क्या वाकई जेनेटिक है कैंसर जैसी बीमारी? Facts: कैंसर को लेकर मिथ बन गया है कि ये फैमिली हिस्ट्री से जुड़ा है. यानी अगर आपके परिवार में किसी को कैंसर हो चुका है तो इसकी ज्यादा संभावना होगी कि वो परिवार के दूसरे लोगों को भी होगा. देखा जाए तो ऐसा दावा कोई रिसर्च नहीं कर पाई है कि अगर परिवार में किसी को कैंसर हो चुका है तो दूसरे सदस्यों को कैंसर जरूर होगा. एक्सपर्ट कहते हैं कि कैंसर से जुड़े सभी मामलों में केवल 10 फीसदी मामले ऐसे होते हैं जिसमें परिवार के एक सदस्य के बाद दूसरे सदस्य को कैंसर हुआ है. कैंसर फैमिली हिस्ट्री में हो सकता है लेकिन इसकी संभावना बहुत ही कम होती है. अगर किसी परिवार में एक सदस्य के बाद दूसरे सदस्य को कैंसर हुआ है तो इसका कारण कैंसर का जेनेटिक होना नहीं बल्कि परिवार के सदस्यों लाइफस्टाइल और एनवायरमेंट जीन्स एक जैसे होना हो सकता है.जैसे किसी परिवार के सदस्य ज्यादा धूप वाले इलाके में रहते आए हों. किसी परिवार के सदस्य स्मोकिंग ज्यादा करते हैं. इसलिए कैंसर को जेनेटिक मानने की बजाय परिवार के जीवन जीने के तरीके को जेनेटिक माना जा सकता है, जिससे कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है. Myth: क्या शरीर की गांठ कैंसर होती है? Fact: कैंसर को लेकर एक और मिथक लोगों को डराता है. कहा जाता है कि अगर शरीर में कहीं कोई गांठ दिख रही हो तो वो जरूर कैंसर होगा. इसमें कोई सच्चाई नहीं है. दरअसल शरीर की हर गांठ कैंसर नहीं होती है. कई बार ब्रेस्ट पर आई कोई गांठ औरतों को डरा देती है. एक्सपर्ट कहते हैं कि शरीर पर आई गांठों में करीब 10 20 फीसदी गांठ कैंसर हो सकती हैं. ऐसे में डरने की बजाय इसकी जांच करवानी चाहिए. जांच करवाने के साथ साथ व्यक्ति को उम्र, शारीरिक स्थिति, हार्मोनल चेंज पर भी फोकस करना चाहिए.
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27 July 2024शनि देव का क्रोध सभी जानते हैं. भगवान शिव भी उनकी दृष्टि से नहीं बच पाए थे. कहते हैं शनि ही एक मात्र देवता हैं जिनकी नजर से कोई नहीं बच सकता है, फिर चाहें वो भगवान, इसांन या प्रेत आत्माएं ही क्यों न हों. इसीलिए शनि के गुस्से से सभी खौफ खाते हैं और बचने के उपाय करते हैं.अगस्त 2024 का महीना कुछ दिनों बाद ही आरंभ होने जा रहा है. शनि की कुछ राशियों पर विशेष दृष्टि है, ये राशियां कौन- कौन सी हैं, आइए जानते हैं मासिक राशिफल सिंह राशि अगस्त के महीने में आपको विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है, क्योकि शनि पाप ग्रह राहु के साथ 2-12 का संबंध बना रहे हैं.जिस कारण परिवार में कुछ दिक्कतें आ सकती हैं. जीवनसाथी से भी मतभेद और दूरी बनने के योग बन सकते हैं शनि यहां आपको मानसिक तनाव और भ्रम जैसी स्थितियों का निर्माण कर रहे हैं. जिस सही फैसले लेने में कुछ दिक्कत आ सकती है. 21 अगस्त के बाद कुछ स्थितियां बदलेंगी बुध और शुक्र से लक्ष्मीनारायण योग बन रहा है, जिससे कई तरह की परेशानियों पर विजय प्राप्त करने में सफल रहेंगे. इस दौरान आय में वृद्धि हो सकती है. बैंक लोन और मंथली ईएमआई को कम हो सकती हैं. किसी से भी अपशब्द न बोलें नहीं तो शनि देव कठोर दंड दे सकते हैं. मकर राशि शनि देव आपके छछे भाव व दशम भाव से नवम-पंचम राजयोग बना रहे हैं. लेकिन इस राजयोग का लाभ लठाने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा अगस्त के महीने में राहु का पंचम दृष्टि भी पड़ रही है, अगर आप अपने पार्टनर को धोखा देते हैं और अपमान करते हैं तो शनि दंड देने में तनिक भी देर नहीं करेंगे. वहीं शनि की सातवीं दृष्टि भी आप पर है, इसलिए जीवनसाथी और बिजनेस पार्टनर से सही तरह से पेश आना है. नहीं तो बनती बात भी बिगड़ सकती है. कुंभ राशि शनि आपकी ही राशि में गोचर कर रहे हैं. अगस्त 2024 का महीना आपके लिए विशेष है. शनि आपके षष्ठ भाव से षडाष्टक दोष बनाकर बैठे हैं, इसलिए क्रोध करने से बचें नहीं तो बड़ी मुसीबत में फंस सकते हैं अगस्त में धन संबंधी परेशानियां खड़ी हो सकती हैं. लव पार्टनर का साथ मिलेगा और लाइफ में रोमांस की कमी नहीं रहेगी. जॉब करने वालों को अपने कामों को समय पर पूरा करने में दिक्कत आ सकती है अपने सहयोगियों का ध्यान रखें नहीं तो शनि नाराज होकर काम बिगाड़ सकते हैं. गलत लोगों की संगत को तुरंत छोड़ दें नहीं तो शनि माफ नहीं करेंगे. दूसरों का आदर और सम्मान करें. जो लोग राजनीति व प्रशासन से जुड़े हैं वे कमजोर लोगों की सहायता करें, इससे शनि महाराज प्रसन्न होंगे और अच्छे परिणाम देंगे.
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27 July 2024प्रत्येक वर्ष श्रावण माह में पड़ने वाली अमावस्या तिथि को हरियाली अमावस्या या श्रावणी अमावस्या कहा जाता है. धार्मिक शास्त्रों में सावन माह की अमावस्या तिथि को विशेष तिथि के रूप में देखा जाता है.सावन माह की अमावस्या 04 अगस्त को हरियाली अमावस्या के रूप में मनाई जाएगी. ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार हरियाली अमावस्या पर सिद्धि योग और पुष्य नक्षत्र रहेंगे शास्त्रों में इस अमावस्या पर पूजा-पाठ, स्नान-दान करना उत्तम माना गया है. साथ ही पर्यावरण की दृष्टि से भी हरियाली अमावस्या का बहुत महत्व है. इस दिन अपने पूर्वजों की याद में पौधे लगाना शुभ रहता है वहीं हरियाली अमावस्या पर कुछ विशेष वृक्षों की पूजा करने से ग्रह दोष भी दूर होते हैं. सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है इस दिन पवित्र नदी में स्नान करके पितरों को पिंडदान, श्राद्ध कर्म करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके अलावा हरियाली अमावस्या पर्व जीवन में पर्यावरण के महत्व को भी बताता है इस दिन नए पौधे लगाए जाते हैं. मान्यता है कि श्रावणी अमावस्या के दिन वृक्षारोपण करने से जीवन के सारे कष्ट दोष दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि का आगमन होता है इसके अलावा ये तिथि किसानों के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन किसान अपने खेती में उपयोग होने वाले उपकरणों की पूजा करते हैं और ईश्वर से अच्छी फसल होने की कामना करते हैं. हरियाली अमावस्या शुभ मुहूर्त 2024 इस साल श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 4 अगस्त 2024 को है. ऐसे में इसी दिन हरियाली अमावस्या मनाई जाएगी हरियाली अमावस्या का प्रारंभ- 3 अगस्त को दोपहर 3:50 मिनट से अमावस्या का समापन- 4 अगस्त को शाम 4:42 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार 4 अगस्त को ही हरियाली अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा. इस साल सिद्धि योग और पुष्य नक्षत्र में हरियाली अमावस्या मनाई जाएगी हरियाली अमावस्या का महत्व सावन के महीने में कृष्ण पक्ष की शिवरात्रि के अगले दिन हरियाली अमावस्या होती है. इस दिन पेड़-पौधों की विशेष रूप से पूजा की जाती है. इस दिन पीपल और तुलसी के पौधे की पूजन का विशेष महत्व है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पीपल के पेड़ में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है. इस दिन पौधे लगाने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. पितरों की शांति के लिए करें उपाय हरियाली अमावस्या के दिन किसी योग्य ब्राह्मण को घर बुलाकर भोजन करवाएं. इस दिन किसी नदी किनारे श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करें. साथ ही गाय को चारा भी खिलाएं. हरियाली अमावस्या के दिन मछलियों के लिए नदी में आटे की गोलियां डालें. नदी में काले तिल प्रवाहित करें. पीपल और तुलसी पूजन का महत्व इस दिन वृक्ष पूजा की प्रथा अनुसार पीपल और तुलसी के पेड़ की पूजा की जाएगी. वृक्षों में देवताओं का वास माना जाता है. इस दिन पितृ तर्पण भी किया जाता है. इससे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है. शांति और समृद्धि सावन माह में पड़ने वाली इस हरियाली अमावस्या पर विशेष तरह का भोजन भी बनाया जाता है, जो कि ब्राम्हणों को खिलाया जाता है खास बात यह है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा भी की पूजा की जाती है. हरियाली अमावस के दिन भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा की जाती है. मान्यता है कि श्रावण अमावस्या के दिन शिव भगवान की पूजा करने से घर में सुख और शांति के साथ समृद्धि भी आती है.
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26 July 2024बरसात का मौसम आ गया है. ऐसे में घर बैठकर बोर होने से अच्छा है, कि आप मध्य प्रदेश की इस खूबसूरत जगह पर घूमने चले जाए. यकीन मानिए आज जो हम आपको जगह बताने वाले हैं, पूरे मध्य प्रदेश में ऐसी जगह आपको कहीं देखने को नहीं मिलेगी यहां आप अपने दोस्तों के साथ जमकर मस्ती कर सकते हैं, फोटोशूट कर सकते हैं और रात भर गाना, बजाना और नाचना भी कर सकते हैं. यानी कुल मिलाकर यह जगह स्ट्रेस फ्री होकर मौज मस्ती करने की है. मध्य प्रदेश का पचमढ़ी हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के पचमढ़ी की. यह एक ऐसा हिल स्टेशन है, जो अपनी खूबसूरती और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है. इसे अक्सर लोग "सतपुड़ा की रानी" कहते हैं. इस बात की तो पूरी गारंटी है कि यहां आने के बाद आपको पछताना नहीं पड़ेगा. क्योंकि यहां पर एक नहीं कई सारी जगह है, जहां आप दोस्तों के साथ इंजॉय कर सकते हैं. पहाड़ों से घिरी हुई जगहें पचमढ़ी पूरा पहाड़ों से घिरा हुआ है और यहां की घाटियां, झरने और जंगल देख कर आपको लगेगा कि आप किसी स्वर्ग में आ गए हैं. भागदौड़, ऑफिस की कच कच से दूर शांत माहौल में आप सुख के दो पल बिता सकते हैं. यहां पर रुकने के लिए आपको कई सारे होटल और रिसॉर्ट भी मिल जाएंगे. तो अब भैया उठाइए अपनी गाड़ी और निकल पड़िए पचमढ़ी की ओर. चौरागढ़ मंदिर पचमढ़ी में कई पिकनिक स्पॉट हैं, जहां आप परिवार और दोस्तों के साथ समय बिता सकते हैं. यहां पर आप पहाड़ों में ट्रेकिंग करने का भी लुत्फ उठा सकते हैं. यही नहीं आपको यहां के हरे भरे जंगलों में कई तरह के पशु पक्षी देखने को मिलेंगे. यहां पर आपको महादेव मंदिर और चौरागढ़ मंदिर भी देखने को मिलेगा. पचमढ़ी का अप्सरा झरना पचमढ़ी में कई झरने भी हैं, जैसे कि रजत प्रपात और अप्सरा विहार आदि. यानी कुल मिलाकर आपको एक ही जगह पर कई सारी चीजों का नजारा देखने को मिलेगा. पचमढ़ी आने का सबसे अच्छा समय होता है ठंड और बरसात का मौसम. तो अब देर किस बात की है आ जाइए अपने दोस्तों के साथ मध्य प्रदेश के पचमढ़ी. ऐसे पहुंचे पचमढ़ी अब आप सोच रहे होंगे कि पचमढ़ी तक कैसे पहुंचा जाए, तो आप अपने घर से नजदीकी एयरपोर्ट से जबलपुर हवाई अड्डा तक की फ्लाइट देख लें. इसके अलावा पचमढ़ी का निकटतम रेलवे स्टेशन पिपरिया है. आप रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट से टैक्सी और बस की मदद से यहां पहुंच सकते हैं.
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26 July 2024महिलाओं की तरह पुरुषों में भी कई तरह के हार्मोनल चेंजेज होते हैं. पुरुषों में भी कई तरह के हार्मोनल चेंजेज होते हैं. सबसे बड़ा चेंज होता है पुरुषों की रिप्रोडक्टिव हेल्थ में होने वाले बदलाव जिसे टेस्टोसटिरोन के नाम से जाना जाता है. टेस्टोस्टेरोन एक जरूरी एंड्रोजेन हार्मोन है. जो स्पर्म बनने में अहम रोल निभाता है 'क्लीवलैंड क्लीनिक' के मुताबिक, टेस्टोस्टेरोन हार्मोन मर्दानी ताकत के लिए बहुत जरूरी होती है, मसल मास, रेड ब्लड सेल्स, बोन डेंसिटी और रिप्रोडक्टिव फंक्शन्स के लिए भी बेहद जरूरी होता है. इसलिए पुरुषों में इस हार्मोन का लेवल कंट्रोल में रहता है. अच्छी सेहत के लिए पुरुषों में इस हार्मोन का होना बेहद जरूरी होता है. एक्सरसाइज करने से टेस्टोस्टेरोन के लेवल पर कैसा असर होता है? रोजाना एक्सरसाइज करने से कई सारी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है. दिल और दिमाग से जुड़ी कई सारी स्वास्थ्य समस्याएं एक्सरसाइज करने से कंट्रोल में रहती है. सिर्फ इतना ही नहीं एक्सरसाइज करने से शरीर में टेस्टोस्टेरोन का लेवल भी मेंटेन रहता है. आइए जानें शरीर में यह कैसे फंक्शन करता है? शिकागो में रश यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में यूरोलॉजी के अध्यक्ष एडवर्ड चेरुलो, एम.डी. कहते हैं. एक्सरसाइज करने से टेस्टोस्टेरोन का लेवल काफी ज्यादा प्रभावित होता है. यह समझने के लिए रोजाना एक्सरसाइज करना बेहद जरूरी है उम्र के साथ-साथ टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का लेवल कम होने लगता है. अक्सर पुरुषों में 40 के बाद टेस्टोस्टेरोन का लेवल कम होने लगता है. लेकिन पुरुषों में कई बार कई दूसरे कारण से भी ये कम होने लगता है. जिसके कारण कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है आइए जानें टेस्टोस्टेरोन कम होने के लक्षण हॉट फ्लैश इरेक्टाइल डिसफंक्शन स्पर्म काउंट कम होना इनफर्टिलिटी बॉडी फैट बढ़ना डिप्रेशन मांसपेशियां कमजोर होना टेस्टिकल्स का सिकुड़ना प्युबिक हेयर कम होना ब्रेस्ट साइज बढ़ना प्रोटीन से भरपूर फूड्स खाने से टेस्टोस्टेरोन लेवल शरीर में बढ़ाने में मदद मिलती है. इसलिए आपको अपनी डाइट में मीट, चिकन, मछली और अंडे जैसे फूड्स जरूर शामिल करने चाहिए. इसके अलावा दूध, पनीर, टोफू, नट्स और बीज भी स्पर्म काउंट को बढ़ाने में मदद मिलती है.शरीर में टेस्टोस्टेरोन का लेवल बढ़ाना है तो 7-8 घंटे की नींद जरूर लें. अगर आप 4-5 घंटे सोते हैं तो यह आपकी सेहत के लिए बहुत अच्छा है. रोजाना 30 मिनट पैदल चलें या एक्सरसाइज जरूर करें. इससे भी टेस्टोस्टेरोन लेवल में काफी ज्यादा सुधार होता है. बॉडी बिल्डर के लिए टेस्टोस्टेरोन क्यों है जरूरी? टेस्टोस्टेरोन मांसपेशियों मजबूत प्रदान करती है. दुबला शरीर वजन को नियंत्रित करने और एनर्जी बढ़ाने में मदद करता है. कम टेस्टोस्टेरोन वाले पुरुषों को अंदर से कमजोरी हो सकती है. बॉडी बिल्डर वाले लोगों को लिए टेस्टोस्टेरोन इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यह मांसपेशियों में ताकत और आकार बढ़ाती है.
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26 July 2024रिवर राफ्टिंग करने का एक अलग ही मजा है. इसका आनंद उठाने के लिए लोग दूर-दूर से ऋषिकेश या मनाली जाते हैं. इसके लिए लोगों को काफी लंबा सफर करना पड़ता है और उन्हें थकान भी होने लगती है. लेकिन अगर आप उत्तर प्रदेश से हैं या फिर यूपी राज्य के आसपास के रहने वाले हैं, तो अब आपको रिवर राफ्टिंग के लिए कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं है. क्योंकि अब आप यूपी के एक जिले में रिवर राफ्टिंग का मजा उठा सकते हैं. इससे न सिर्फ यूपी वालों को फायदा होगा, बल्कि आसपास के राज्य के लोगों को भी उत्तर प्रदेश आना पास पड़ेगा और वह कम समय में ट्रेवल कर यहां राफ्टिंग करने आ सकते हैं. उत्तर प्रदेश के बिजनौर में राफ्टिंग बता दें कि उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में कालागढ़ रामगंगा नदी में रिवर राफ्टिंग शुरू हो गई है. इससे यूपी के लोग और आसपास के रहने वाले लोगों को काफी फायदा मिलेगा. अब आपको रिवर राफ्टिंग के लिए कहीं दूर जाना नहीं पड़ेगा और आप बिना किसी परेशानी के राफ्टिंग का मजा ले सकते हैं. पार्टनर के साथ करें इंजॉय यही नहीं अगर आप अयोध्या, इलाहाबाद या लखनऊ जैसी जगहों पर घूमने जा रहे हैं, तो आप फीवर राफ्टिंग के लिए बिजनौर जा सकते हैं. यहां आप परिवार वालों के साथ या दोस्तों के साथ इंजॉय कर सकते हैं. यही नहीं अगर आपकी अभी अभी शादी हुई है, तो भी आप अपने पार्टनर के साथ यहा इंजॉय करने के लिए आ सकते हैं अगर आप अपना बर्थडे या एनिवर्सरी या फिर कोई ऐसा खास दिन कहीं अच्छी जगह बनाना चाहते हैं तो बिजनौर आपके लिए बेस्ट ऑप्शन है यहां आप अपने दिन को यादगार बना सकते हैं और अपने दोस्तों या परिवार वालों के साथ इंजॉय कर सकते हैं. सेफ्टी का रखें ध्यान रिवर राफ्टिंग के दौरान एक बार में केवल आठ लोग ही राफ्टिंग का मजा ले सकते हैं. यही नहीं आपके साथ एक गाइड मौजूद रहेगा, जो आपको सारे इंस्ट्रक्शन के बारे में बताएगा और राफ्टिंग करने से पहले जैकेट हेलमेट पहनाएगा. यही नहीं गाइड आपकी सिक्योरिटी के लिए तैनात रहेगा. इसके अलावा आपको खुद भी अपनी सेफ्टी का ध्यान रखना होगा. जानें कीमत जानकारी के मुताबिक अगर आप 4 किलोमीटर तक राफ्टिंग करते हैं, तो इसके लिए आपको 300 रुपये तक चार्ज देना होगा. वहीं अगर आप 9 किलोमीटर की राफ्टिंग करते हैं, तो इसके लिए आपको 500 रुपये चार्ज देना होगा. राफ्टिंग के लिए यहां 9 टीम लगाई गई है. यहां पहुंचने के लिए आप ट्रेन, प्राइवेट बस, टैक्सी या फिर खुद की कार से भी जा सकते हैं.
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25 July 2024जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारे शरीर के साथ-साथ दिमाग की हेल्ख का ख्याल रखना भी जरूरी हो जाता है. बढ़ती उम्र में दिमाग ठीक से काम करता रहे, इसके लिए सही पोषण बहुत जरूरी है. एक नई रिसर्च में पता चला है कि विटामिन B12, फोलिक एसिड और कोलीन दिमाग के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. इन विटामिन्स को सही मात्रा में खाने से उम्र बढ़ने पर भी हमारा दिमाग हेल्दी रहता है. इसीलिए, हमें अपने खाने में इन पोषक तत्वों को जरूर शामिल करना चाहिए. विटामिन B12 का महत्व विटामिन B12 हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है. यह ऊर्जा बनाने, रक्त कोशिकाओं के निर्माण और नर्वस सिस्टम को सही तरीके से काम करने में मदद करता है. विटामिन B12 दिमाग की कोशिकाओं को हेल्दी रखने में अहम भूमिका निभाता है और मेमोरी को मजबूत बनाता है. बढ़ती उम्र में विटामिन B12 की कमी से दिमागी कमजोरी और याददाश्त की समस्याएं हो सकती हैं. फोलिक एसिड (विटामिन B9) का रोल फोलिक एसिड, जिसे विटामिन B9 भी कहा जाता है, दिमाग की कोशिकाओं की वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण है. यह याददाश्त को बढ़ावा देता है और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है. फोलिक एसिड दिमागी तनाव और डिप्रेशन को भी कम करने में मदद करता है. कोलीन की जरूरत कोलीन एक जरूरी पोषक तत्व है जो दिमाग के सही काम करने में मदद करता है. यह दिमाग की नसों के बीच संदेश भेजने और पाने की प्रक्रिया को मजबूत बनाता है. कोलीन दिमाग की सोचने और समझने की क्षमता को बढ़ाता है और हमें ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है. कोलीन की सही मात्रा से हमारा दिमाग बेहतर तरीके से काम करता है और हम चीजें जल्दी और अच्छे से समझ पाते हैं. इसलिए, कोलीन का लेने से हमारी दिमागी हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद है. इन विटामिन्स के स्रोत विटामिन B12: अंडे, मछली, दूध, और चिकन में पाया जाता है. यह दिमाग और शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है, इसलिए इन सभी फूड्स को खाना जरूरी है. फोलिक एसिड : हरी पत्तेदार सब्जियों, फलों, और नट्स में मिलता है. यह दिमाग और शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है, इसलिए इन्हें अपने डाइट में शामिल करना चाहिए. कोलीन: अंडे की जर्दी, मछली, और नट्स में पाया जाता है. यह दिमाग की हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद है, इसलिए इसको आपनी डाइट में जरूरी शामिल करें है.
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25 July 2024रकिंग एक आसान व्यायाम है जिसमें लोग अपने कंधे पर भारी बैग (रकसैक) रखकर चलते हैं. यह व्यायाम वजन कम करने, दिल को हेल्दी रखने, मांसपेशियों को मजबूत बनाने और मानसिक हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद है. महिलाएं इसे इसलिए अपना रही हैं क्योंकि यह करना सरल है, ज्यादा खर्चीला नहीं है और बहुत ज्यादा फायदेमंद है इसे कहीं भी और किसी भी समय किया जा सकता है. रकिंग के इतने फायदे जानकर आप भी इसे आजमाना चाहेंगे. रकिंग करते कैसे हैं जानें रकिंग करना बहुत ही आसान है. सबसे पहले, एक मजबूत रकसैक लें और उसमें 2-3 किलो वजन डालें. फिर, आरामदायक और मजबूत जूते पहनें. रकिंग शुरू करने से पहले 5-10 मिनट तक हल्का वार्म-अप करें. चलते समय सीधे खड़े रहें, कंधे पीछे और नजरें आगे रखें. शुरुआत में 20-30 मिनट तक रकिंग करें और धीरे-धीरे समय बढ़ाएं. रकिंग के दौरान और बाद में पानी पीते रहें ताकि शरीर में पानी की कमी न ह.। अगर कोई दर्द या थकान महसूस हो तो तुरंत आराम करें. दोस्तों या परिवार के साथ इसे आराम से एक साथ कर सकते हैं. वजन घटाना: रकिंग से कैलोरी जलती है जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है. यह व्यायाम वजन घटाने का एक सही तरीका है क्योंकि इसमें लगातार चलने के कारण शरीर की ऊर्जा खपत बढ़ती है. दिल की सेहत: रकिंग दिल को स्वस्थ रखता है और हृदय रोगों के जोखिम को कम करता है. रोजाना रकिंग से हृदय की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और रक्तचाप नियंत्रित रहता है, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है. मांसपेशियों की मजबूती: रकिंग से पैरों और कंधों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं. यह व्यायाम न केवल पैरों बल्कि पूरे शरीर की मांसपेशियों को टोन करता है, जिससे शारीरिक शक्ति बढ़ती है. हड्डियों की मजबूती: रकिंग हड्डियों को मजबूत बनाता है और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम करता है. इससे हड्डियों की घनत्व बढ़ती है और वे अधिक मजबूत और हेल्दी बनती हैं. मेंटल हेल्थ: रकिंग से तनाव कम होता है और मेंटल हेल्थ बेहतर होता है. यह व्यायाम मानसिक तनाव को कम करने और मूड को बेहतर करने में मदद करता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है. स्टैमिना बढ़ाना: रकिंग से सहनशक्ति और ऊर्जा का स्तर बढ़ता है. यह व्यायाम शारीरिक सहनशक्ति को बढ़ाता है और दैनिक गतिविधियों के लिए अधिक ऊर्जा प्रदान करता है. सस्ती एक्सरसाइज: रकिंग को करने के लिए किसी महंगे उपकरण या जिम की आवश्यकता नहीं होती. यह व्यायाम सस्ता और सुलभ है, जिससे हर कोई इसे आसानी से कर सकता है. फ्लेक्सिबल टाइमिंग: आप रकिंग को किसी भी समय और कहीं भी कर सकते हैं. यह व्यायाम आपके समय के अनुसार किया जा सकता है, जिससे इसे रोजाना कभी भी कर सकते हैं पूर्ण शरीर कसरत: रकिंग एक पूरी शरीर की कसरत है जो पूरे शरीर को टोन करता है. यह व्यायाम शरीर के सभी प्रमुख हिस्सों को शामिल करता है, जिससे शारीरिक फिटनेस में सुधार होता है.
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25 July 2024सावन के महीने का इंतजार हर शिव भक्तों को पूरे साल रहता है. मंदिरों में भी सावन का महीना शुरू होने से पहले ही पूरी व्यवस्था कर ली जाती हैं, ताकि भक्तों को परेशानी का सामना न करना पड़े. ऐसे में हर भक्त शिवालय दर्शन करने के लिए जाते हैं अगर आप दिल्ली में रहते हैं और किसी अच्छे शिवालय में दर्शन करने के लिए जाना चाहते हैं, तो ये खबर आपके लिए है. आज हम आपको दिल्ली के खास शिव मंदिरों के बारे में बताएंगे, जहां आप इस सावन के महीने में जाकर भगवान शिव के दर्शन कर सकते हैं. आइए जानते हैं उस जगह के बारे में. झंडेवालान मंदिर इस सावन के महीने में आप दिल्ली के करोल बाग में स्थित झंडेवालान मंदिर जा सकते हैं. बता दें कि इस मंदिर के ऊपर वाले हिस्से में भक्त जलाभिषेक करेंगे, तो वहीं अगर किसी को रुद्राभिषेक कराना है, तो वह मंदिर के नीचे परिसर में स्थित शिवालय में होगा. रुद्राभिषेक के लिए आप कुछ दिनों पहले मंदिर में संपर्क कर सकते हैं. हालांकि जलाभिषेक से संबंधित कुछ बदलाव भीड़ को देखते हुए हो सकते हैं. छतरपुर मंदिर दक्षिण दिल्ली में देवी आद्या कात्यायनी का मंदिर मौजूद है. इस मंदिर को छतरपुर मंदिर भी कहा जाता है. यहां सावन के महीने में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखी जाती है. वैसे तो जलाभिषेक के लिए मंदिर प्रशासन सभी सामग्री देगा. इसके अलावा आप मंदिर के बाहर लगी दुकानों से भी भगवान को चढ़ाने के लिए फूल, बेलपत्र, धतूरा आदि चीजें खरीद सकते हैं. अगर आप भी यहां पर जलाभिषेक के लिए बुकिंग करना चाहते हैं. तो इसकी सभी जानकारी आपको मंदिर प्रांगण में मिल जाएगी. गौरी शंकर मंदिर इसके अलावा दिल्ली के चांदनी चौक में गौरी शंकर मंदिर है. जिसे सावन के महीने में लाइट और फूलों से सजाया गया है. इस मंदिर में दो मशीनों की मदद से भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाएगा. जानकारी के मुताबिक यहां पर 50 से ज्यादा पुलिसकर्मी व्यवस्था संभालेंगे. आप यहां भगवान शिव का रोजाना अलग-अलग अद्भुत रूप देख सकते हैं. इस सावन के महीने में आप भोलेनाथ का अभिषेक भी करवा सकते हैं. इसके लिए आप मंदिर में मौजूद पंडितों से संपर्क कर सकते हैं. गुफा वाला शिव मंदिर दिल्ली की प्रीत विहार में स्थित गुफा वाला शिव मंदिर सावन के महीने में श्रद्धालुओं से भरा रहता है यहां पर भी आप भगवान शिव के दर्शन करने के लिए जा सकते हैं बता दे कि इस मंदिर में भक्ति द्वादश ज्योतिर्लिंग और 111 शिवलिंग पर जलाभिषेक कर सकेंगे. इन सभी शिव मंदिर में जाकर आप भगवान शिव के रूपों का दर्शन कर सकते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक अंदाजा लगाया गया है कि इस साल लगभग 20 लाख से ज्यादा कांवड़ियां दिल्ली आएंगे.
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24 July 2024बैचलर पार्टी करनी हो तो गोवा से खूबसूरत कोई ठिकाना नहीं होता. बात नेचर की हो तो यहां के नजारे दिल लूट लेते हैं. वहीं, जाम छलकाने और दोस्तों के साथ मस्ती करने के लिए यहां के ठिकाने दुनिया के हर डेस्टिनेशन को मात दे देते हैं. अगर आप भी गोवा में बैचलर पार्टी करने जा रहे हैं और अपने ट्रिप में जान फूंकना चाहते हैं तो ये मजेदार एडवेंचर एक्टिविटीज आपकी बैचलर पार्टी में चार चांद लगा देंगी. गोवा में एडवेंचर एक्टिविटीज का मजा गोवा में आप अपने दोस्तों के साथ कई तरह की एडवेंचर एक्टिविटीज कर सकते हैं. यह जगह दोस्तों के लिए बेहद परफेक्ट मानी जाती है. यहां आप स्कूबा डाइविंग, पैराग्लाइडिंग, रिवर राफ्टिंग, हॉट एयर बैलून, पैरासेलिंग जैसी कई एडवेंचर एक्टिविटीज का मजा ले सकते हैं. यूं उठाएं स्कूबा डाइविंग का लुत्फ बैचलर पार्टी के दौरान आप दोस्तों के साथ गोवा में रहकर स्कूबा डाइविंग का लुत्फ उठा सकते हैं. स्कूबा डाइविंग के लिए यहां कई कंपनियां हैं, जो कई तरह के स्कूबा सर्टिफिकेट कोर्स भी ऑफर करती हैं. ऐसे में आप यहां ट्रायल डाइव ले सकते हैं, जिसमें आपके साथ ट्रेनर्स भी मौजूद होते हैं. इस एक्टिविटी को करने से पहले आपको बॉडी गियर और सांस लेने के सभी इक्विपमेंट्स दिए जाते हैं. यहां 40 मिनट की डाइव के लिए करीब 6000 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. पैरासेलिंग के लिए परफेक्ट लोकेशन पैरासेलिंग के लिए गोवा परफेक्ट लोकेशन है. यहां आप अपने दोस्तों के साथ जमकर इंजॉय कर सकते हैं. इसमें स्पीड वोट की मदद से पैराशूट को उड़ाया जाता है, जिसमें काफी मजा आता है. इस एक्टिविटी के जरिए आप करीब 300 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकते हैं. गोवा में कई पैरासेलिंग कंपनियां हैं, जो 1550 रुपये में पैरासेलिंग का मौका देती हैं. ऐसे में आप थ्रिल करना चाहते हैं तो पैरासेलिंग जरूर ट्राई करें. हॉट एयर बैलून भी बेहद शानदार गोवा में आप अपने दोस्तों के साथ हॉट एयर बैलून का भी लुत्फ उठा सकते हैं. यहां आप ऊंचाई से हरी-भरी पहाड़ियां, घने जंगल और समुद्र के खूबसूरत नजारे देख सकते हैं. गोवा पर्यटन विकास निगम ने हॉट एयर बैलून की सुविधा दी है. ये उड़ानें साउथ गोवा के चंदोर के असोल्डा फुटबॉल ग्राउंड में सुबह से शुरू हो जाती हैं. राफ्टिंग का भी ले सकते हैं मजा राफ्टिंग की बात हो तो हर किसी को ऋषिकेश याद आता है, लेकिन आप गोवा में भी अपने दोस्तों के साथ राफ्टिंग कर सकते हैं. यहां महादेई नदी में राफ्टिंग का आनंद ले सकते हैं, जिसके लिए 1800 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. यहां पर सुबह 9:30 बजे से राफ्टिंग शुरू हो जाती है. इसकी दूरी करीब 10 किलोमीटर तक होती है. बंजी जंपिंग के लिए भी बेस्ट प्लेस बंजी जंपिंग के लिए भी गोवा सबसे बेहतरीन जगह है. आप बिचोलिम तालुका में मायेम झील पर बंजी जंपिंग का मजा ले सकते हैं. आप यहां 55 मीटर की ऊंचाई से कूदकर खूबसूरत नजारा देख सकते हैं. बंजी जंपिंग के लिए आपको 4110 रुपये खर्च करने होंगे. इस ट्रिप में आपकी जंप की वीडियो रिकॉर्डिंग भी शामिल होगी.
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24 July 2024वहीं 85 प्रतिशत मौतें दिल का दौरा और स्ट्रोक के कारण हुई दिल का दौरा पड़ने के कई कारक जिम्मेदार है. जिनमें से एक है वायु प्रदूषण. आजकल वायु प्रदूषण के कारण दौरे, स्ट्रोक और इर्रेगुलर हार्ट रिथम की बीमारी बढ़ने का खतरा होता है. वायु प्रदूषण का सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ता है. हार्ट एक तरह से शरीर का पंप है यानि वह ब्लड को पूरे शरीर में पंप करने का काम करता है. अगर उसमें किसी भी तरह की दिक्कत होती है तो फिर इसका नुकसान पूरे शरीर को भुगतना पड़ता है. किन लोगों को हार्ट अटैक का खतरा सबसे ज्यादा होता है? आज कल तो सभी उम्र के लोगों को हार्ट अटैक का खतरा रहता है. इसके अलावा दिल का दौरा, एनजाइना, बाईपास सर्जरी, स्टेंट के साथ उसके बिना एंजियोप्लास्टी, स्ट्रोक, गर्दन या पैर की आर्टरीज में रुकावट, हार्ट फेलियर, डायबिटीज या क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज का खतरा काफी ज्यादा होताहै जिन पुरुषों की उम्र 45 साल की है और महिला जिनकी उम्र 55 साल की है ऐसे उम्र वाले लोगों को दिल की बीमारी का खतरा काफी ज्यादा होता है. अगर किसी व्यक्ति की फैमिली हिस्ट्री हार्ट या स्ट्रोक की रही है तो उसके आने वाले जेनरेशन में भी हाई ब्लड प्रेशर या हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या होगी. हार्ट अटैक से बचना है तो करें ये काम हार्ट अटैक से बचना है तो आपको रोजाना आधे घंटे के लिए भी एक्सरसाइज जरूर करना चाहिए. दिल को हेल्दी रखने के लिए डाइट का खास ख्याल रखें. ऐसा करने से आप हार्ट अटैक से बचे रहेंगे.
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24 July 2024विदेश यात्रा का नाम सुनते ही लोग खुशी से झूम उठते हैं. क्योंकि हर किसी का सपना होता है कि वह विदेश में घूमने जाएं. लेकिन कई बार एक्साइटमेंट के चक्कर में लोग कुछ गलतियां कर बैठते हैं, जिन्हें भूलकर भी नहीं करनी चाहिए छोटी-छोटी गलतियां आपके लिए बड़ी परेशानी बन सकती है. ऐसे में अगर आप भी पहली बार विदेश यात्रा के लिए जा रहे हैं, तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. आइए जानते हैं, ऐसी कौन सी बातें हैं, जिनका ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है. इन बातों का जरूर रखें ध्यान विदेश यात्रा के दौरान लोग पैकिंग करने में कमी नहीं रखते हैं. नए-नए कपड़े, फोटोग्राफी के लिए कैमरे, स्किन केयर बॉक्स सारी चीजें रखते हैं. लेकिन ऐसे में कुछ लोग जरूरी दस्तावेज रखना भूल जाते हैं. लेकिन आपको यह गलती भूलकर भी नहीं करना चाहिए. जब भी आप विदेश ट्रिप पर जाएं, तो सबसे पहले आपको सभी दस्तावेज को अपने पास रख लेना चाहिए. एक हफ्ते पहले करें ये काम यात्रा पर जाने के एक हफ्ते पहले आप अपनी फ्लाइट की टिकट, वहां रुकने की व्यवस्था और बाकी चीजों को दोबारा चेक कर लें, क्योंकि वहां पहुंचने के बाद आपके लिए कहीं ये परेशानी की वजह न बन जाए. अगर आप कंपनी के काम से विदेश जा रहे हैं, तो लैपटॉप, चार्जर, डॉक्यूमेंट जैसी चीजों को सबसे पहले अपने बैग में रख लें, ताकि आपका कुछ छूट न जाए. इसके अलावा जगह चेंज होने से कुछ लोग बीमार हो जाते हैं. इसलिए आप मेडिकल बॉक्स भी अपने साथ याद से रख लें. विदेश सेटल होने जा रहे हैं, तो करे ये काम अगर आप घर बदलने के उद्देश्य से विदेश जा रहे हैं, तो आपको पासपोर्ट की वैधता चेक कर लेना चाहिए. इसके अलावा जरूरी वीजा और परमिट भी बनवा लें. यही नहीं घर बदलने से पहले आप अपने बैंक के पैसे दूसरे देश में भेजने की पूरी व्यवस्था दो से तीन महीने पहले ही करवा ले. आप अपना स्वास्थ्य बीमा, घर का बीमा और गाड़ी का बीमा इन सभी को नई जगह के हिसाब से बदलने. ताकि आगे चलकर आपको परेशानियों का सामना न करना पड़े. पैसों से जुड़ा काम जरूर करें आप अपने सारे बिल, लोन, क्रेडिट कार्ड भी समय रहते चेक कर लें. इन सभी के अलावा आप अपने स्थानीय काउंसिल या मतदाता सूची में अपना नाम पता बदलने की सूचना दे दें. इसके अलावा आप जाने से पहले थोड़ा कैश निकालकर अपने पास रख ले. हर जगह पैसे की जरूरत पड़ती है, ऐसे में विदेश जाने से पहले आप करेंसी का बदलाव जरूर कर लें.
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23 July 2024भारत एक कृषि प्रधान देश है. आज भी देश की 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी खेती के जरिए ही अपना जीवन यापन करती है. भारत सरकार भी किसानों के हितों का काफी ध्यान रखती है. सरकार द्वारा किसानों के लिए बहुत सी योजनाएं चलाई जाती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल के बजट में किसानों के लिए खासतौर पर एक ऐलान किया जिसमें उन्होंने प्राकृतिक खेती को लेकर अगले तीन सालों में एक करोड़ किसानों को लाभान्वित करने की बात कही. इसके लिए वित्त मंत्री ने करीब 10,000 बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर खोलने का भी ऐलान किया. चलिए आपको बताते हैं आखिर क्या है यह प्राकृतिक खेती सरकार क्यों इसपर दे रही है इतना जोर. क्या होती है प्राकृतिक खेती? प्राकृतिक खेती के बारे में बात की जाए तो जिस भी खेती को करने के लिए किसी भी प्रकार के रसायनों का प्रयोग न किया जाए.जो पूरी तरह प्राकृति से प्राप्त चीजों के द्वारा की जाए. उसे ही प्राकृतिक खेती कहा जाता है. यह खेती करने का बेहद पुराना तरीका है. जब किसी भी तरह के केमिकल खेती में इस्तेमाल नहीं किए जाते थे. जब किसान सिर्फ प्राकृतिक संसाधनों और प्राकृति से मिलने वाली चीजों के आधार पर खेती किया करते थ इसे एक तरह से कीटनाशक मुक्त खेती भी कहा जा सकता है. प्राकृतिक खेती करने से जमीन को भी लाभ होता है. क्योंकि केमिकल खेती की जमीन को धीमे-धीमे कम उपजाऊ बना देते हैं. लेकिन प्राकृतिक खेती से एक ही जमीन पर लंबे समय तक खेती की जा सकती है. ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को खत्म करने की दिशा में भी यह एक अहम कदम है. भारत के कई राज्यों में प्राकृतिक खेती की जा रही है सरकार भी दे रही जोर प्राकृतिक खेती करते हैं तो जमीन भी अच्छी स्थिति में रहती है. सबसे बड़ी बात इससे पर्यावरण को जरा भी नुकसान नहीं पहुंचता. और इसके साथ ही प्राकृतिक खेती करने से किसानों पर ज्यादा आर्थिक बोझ भी नहीं आता. इस तरह की खेती के लिए सरकार द्वारा भी खूब बढ़ावा दिया जा रहा है. प्राकृतिक खेती में प्राकृतिक खाद, पौधों और पत्तों से बनी खाद, गाय के गोबर से बनी खाद का ही उपयोग किया जाता है. क्या हैं प्राकृतिक खेती के फायदे? प्राकृतिक खेती करने से किसान का केमिकल और फर्टिलाइजर पर होने वाला खर्च बच जाता है. तो वहीं इस तरीके से खेती करने पर जो फसल पैदा होती है. मंडियों में उसके अच्छे दाम भी मिलते हैं. किसान को कम कीमत पर ज्यादा लाभ मिलता है.
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23 July 2024सावन में भगवान शिव की आराधना उत्तम मानी गई है. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यह श्रेष्ठ माह माना जाता है. पूरे माह भक्त पूरी श्रद्धा से भगवान शिव और उनके परिवार की पूजा की जाती है. सावन के सभी सोमवार का अपना महत्व होता है. मान्यता है कि सावन मास में भोलेनाथ की अराधना करने से सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है.शिव पुराण के अनुसार भस्म सभी प्रकार के मंगलों को देने वाला है. यह दो प्रकार का होता है- महाभस्म स्वल्पभस्म महाभस्म के तीन प्रकार श्रौत, स्मार्त और लौकिक हैं. श्रौत और स्मार्त द्विजों के लिए और लौकिक भस्म सभी लोगों के उपयोग के लिए होता है. द्विजों को वैदिक मंत्र के उच्चारण से भस्म धारण करना चाहिए. दूसरे लोग बिना मंत्र के ही इसे धारण कर सकते हैं. शिव पुराण में बताया गया है कि जले हुए गोबर से बनने वाला भस्म आग्नेय कहलाता है. वह भी त्रिपुंड का द्रव्य है. त्रिपुंड क्या है ललाट आदि सभी स्थानों में जो भस्म से तीन तिरछी रेखाएं बनायी जाती हैं, उनको त्रिपुंड कहा जाता है. भौहों के मध्य भाग से लेकर जहां तक भौहों का अंत है, उतना बड़ा त्रिपुंड ललाट पर धारण करना चाहिए. त्रिपुंड कैसे लगाते हैं मध्यमा और अनामिका अंगुली से दो रेखाएं करके बीच में अंगुठे से की गई रेखा त्रिपुंड कहलाती है. या बीच की तीन अंगुलियों से भस्म लेकर भक्ति भाव से ललाट में त्रिपुंड धारण करें. त्रिपुंड की हर रेखा में 9 देवता शिव पुराण में बताया गया है कि त्रिपुंड की तीनों रेखाओं में से प्रत्येक के नौ नौ देवता हैं, जो सभी अंगों में स्थित हैं. त्रिपुंड की पहली रेखा में प्रथम अक्षर अकार, गार्हपत्य अग्नि, पृथ्वी, धर्म, रजोगुण, ऋृग्वेद, क्रियाशक्ति, प्रात:सवन तथा महादेव 9 देवता होते हैं. दूसरी रेखा में प्रणव का दूसरा अक्षर उकार, दक्षिणाग्नि, आकाश, सत्वगुण, यजुर्वेद, मध्यंदिनसवन, इच्छाशक्ति, अंतरात्मा तथा महेश्वर ये 9 देवता हैं. तीसरी रेखा के 9 देवता प्रणव का तीसरा अक्षर मकार, आहवनीय अग्नि, परमात्मा, तमोगुण, द्युलोक, ज्ञानशक्ति, सामवेद, तृतीय सवन तथा शिव हैं. त्रिपुंड कहां धारण करें? शरीर के 32, 16, 8 या 5 स्थानों पर त्रिपुंड लगाना चाहिए. मस्तक, ललाट, दोनों कान, दोनों नेत्र, दोनों नासिका, मुख, कंठ, दोनों हाथ, दोनों कोहनी, दोनों कलाई, हृदय, दोनों पाश्र्वभाग, नाभि, दोनों अंडकोष, दोनों उरु, दोनों गुल्फ, दोनों घुटने, दोनों पिंडली और दोनों पैर ये 32 उत्तम स्थान हैं. समयाभाव के कारण इतने स्थानों पर त्रिपुंड नहीं लगा सकते हैं तो पांच स्थानों मस्तक, दोनों भुजाओं, हृदय और नाभि पर इसे धारण कर सकते हैं.
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23 July 2024उज्जैन में बाबा महाकाल की पहली शाही सवारी निकल रही है। महाकाल ने श्रद्धालुओं को मनमहेश स्वरूप में दर्शन दिए हैं। मान्यता है कि वर्षा काल में सृष्टि का संचालन करने वाले सभी देवता शयन काल में चले जाते हैं। जबकि बाबा महाकाल सृष्टि का संचालन करते हैं। ऐसे में सावन मास में महाकाल प्रजा का हाल जानने निकलते हैं। आज सावन का पहला सोमवार है, और खास बात यह है कि इस पवित्र माह की शुरुआत भी सोमवार से हुई है। इससे पहले महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें लगी रहीं। मंदिर प्रशासन ने दावा है कि कतार में लगे भक्त को गर्भगृह तक आने और यहां से आगे जाने में 1 घंटे से कम समय लगा। भगवान महाकाल की भस्म आरती के लिए रविवार रात 2.30 बजे ही महाकाल मंदिर के पट खोल दिए गए। भस्म आरती में 17 हजार भक्तों ने भस्म आरती में दर्शन किए हैं। जबकि दोपहर 3 बजे तक 2.15 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। दिनभर में 3 लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। इधर, रायसेन के भोजपुर मंदिर में भगवान का 3 क्विंटल गुलाब, गेंदे, बिल्व पत्र, धतुरा और आम के पत्तों से श्रृंगार किया गया। ओंकारेश्वर में विशेष पूजा-अर्चना की गई। मंदसौर में भगवान पशुपतिनाथ का विशेष श्रृंगार किया गया। सीहोर के कुबेरेश्वर धाम में शिव अभिषेक हुआ। आगर मालवा स्थित बाबा बैजनाथ का अर्धनारीश्वर स्वरूप में श्रृंगार किया गया।महाकाल मंदिर के सभा मंडप से शाम 4 बजे बाबा महाकाल की पहली सवारी निकलेगी। मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवान सलामी देंगे। इसके बाद सवारी गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी से होते हुए रामघाट शिप्रा तट पहुंचेगी। यहां से रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती समाज मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार होती हुई श्री महाकालेश्वर मंदिर में वापस आएगी। इस दौरान 2 बड़ी एलईडी से श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन कर सकेंगे। साथ ही, पहली सवारी में जनजातीय नृत्य समूह भी शामिल होंगे। महाकाल की सवारी के स्वागत के लिए रंगोली बनाई गई। वहीं, सवारी के लिए पुलिस बल तैनात भी तैनात किया गया है। महाकाल की प्रथम सवारी में जनजातीय कलाकारों का दल भी शामिल हुआ है। पारंपरिक वेशभूषा में कलाकार नाचते गाते हुए देखे जा रहे हैंमहाकाल मंदिर की सवारी में शामिल होने आए श्रद्धालु एक झलक पाने को आतुर दिखाई दिए। इस दौरान जिसे जहां जगह मिली, वह वहां महाकाल की सवारी के लिए ठहर गया प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने महाकाल के दर्शन किए और पालकी पूजन किया। इस दौरान पर भाजपा संगठन महामंत्री हीतानंद शर्मा, विधायक मुकेश पंड्या, महेश परमार, महापौर मुकेश टटवाल, नगर निगम सभापति कलावती यादव, कलेक्टर नीरज कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा सहित अन्य मौजूद रहें।उज्जैन में आज बाबा महाकाल की पहली सवारी निकाली जा रही है। इस दौरान सड़कों पर सवारी के दर्शन का इंतजार कर रहे श्रद्धालु भजनों की धुन पर झूमते दिखाई दिए।मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा- सावन का महीना और सोमवार का दिन बाबा महाकाल अपने धाम से नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं। मां क्षिप्रा के किनारे से लेकर धूम-धाम से पूरे नगर में जब सवारी निकलती है तो उस सवारी का उत्साह और उमंग देखने लायक होता है। मैं प्रथम सवारी पर आप सभी को बाबा महाकाल की ओर से मंगल कामना करता हूं।उज्जैन में शाम करीब 4 बजे बाबा महाकाल की पहली सवारी निकली। बाबा महाकाल ने श्रद्धालुओं को मनमहेश स्वरूप में दर्शन दिए।
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22 July 2024बरसात का मौसम शुरू होते ही लोग बाहर घूमने जाने का प्लान करते हैं. कुछ लोग फैमिली के साथ जाते हैं, तो वहीं कुछ कपल्स इस मौसम में मजेदार ट्रिप करने की सोचते हैं. फिलहाल कुछ ही दिनों में सावन का महीना शुरू होने वाला है. आईआरसीटीसी टूर पैकेज ऐसे में अगर आप भी किसी ज्योतिर्लिंग का दर्शन करना चाहते हैं, तो यह खबर आपके लिए है. बता दें कि आईआरसीटीसी एक स्पेशल और सबसे सस्ता टूर पैकेज लेकर आया है. इस टूर पैकेज में आप दो ज्योतिर्लिंग के दर्शन तो करेंगे ही साथ ही आपको दक्षिण भारत में कई सारी जगह भी घूमने को मिलेगी. आइए जानते हैं इस आईआरसीटीसी टूर पैकेज के बारे में. दिव्य दक्षिण यात्रा विद ज्योतिर्लिंग आईआरसीटीसी हमेशा कुछ न कुछ अच्छा और यूनिक टूर पैकेज लेकर आता है. ऐसे में एक टूरिस्ट पैकेज आईआरसीटीसी इस बार लेकर आया है, जिसमें आप कन्याकुमारी, तंजावुर, त्रिवेंद्रम, रामेश्वरम, मदुरई, तिरुवन्नामलाई, जैसी जगह पर घूम सकेंगे. यही नहीं बाकी जगह घूमने के साथ-साथ आप दो ज्योतिर्लिंग को भी पूरा कर लेंगे. कितने दिन का सफर भारत गौरव टूरिस्ट ट्रेन के जरिए इस पूरे पैकेज की यात्रा की जाएगी. जिसकी शुरुआत हैदराबाद के सिकंदराबाद नगर से होगी. आईआरसीटीसी के इस दिव्य दक्षिण यात्रा विद ज्योतिर्लिंग के जरिए आप 8 रात और 9 दिन का सफर पूरा करेंगे. बता दे कि यह स्पेशल टूर 4 अगस्त 2024 से शुरू होने वाला है. इतना सस्ता टूर पैकेज इसलिए आप जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी अपनी बुकिंग करवा ले. इस टूर पैकेज का अमाउंट इतना सस्ता है, कि आप जानकर हैरान हो जाएंगे. अगर आप इकोनॉमिक क्लास की टिकट बुक करते हैं, तो आपको सिर्फ 14,250 एक व्यक्ति को देना होगा. खाना, रहना सब फ्री इस पूरे टूर में आपका खाना, रहना, ब्रेकफास्ट सब कुछ इसी पैसे के अंदर आ जाएगा. अगर आप इस टूर पैकेज के साथ दक्षिण यात्रा का सफर करते हैं, तो इससे आपको कई फायदे होंगे. आप सावन के महीने में दो ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर लेंगे. साथ ही दक्षिण तरफ की कई जगहों को एक्सप्लोर करने का मौका भी आपको मिलेगा. यही नहीं इतने कम पैसे में आप खाना, रहना और घूमने सब कुछ इंजॉय कर सकते हैं. इस टूर पैकेज के जरिए जहां से आप बैठे हैं यह ट्रेन 9 दिनों का सफर पूरा करने के बाद वापस आपको उसी स्टेशन पर छोड़ देगी. ऐसे करें बुकिंग अगर आपको भी यह टूर पैकेज पसंद आया है और आप भी दक्षिण यात्रा के लिए जाना चाहते हैं, तो 9281495845 या फिर 9701360701 इस नंबर पर संपर्क कर सकते हैं. आप अगर चाहे तो आईआरसीटीसी की आधिकारिक वेबसाइट www.irctctourism.com पर जाकर इस टूर पैकेज के बारे में जानकारी ले सकते हैं.
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22 July 2024श्रावण मास की शुरुआत आज से सोमवार (22 जुलाई) से हो रही है. यह महीना भगवान शिव की आराधना करने का महीना माना जाता है. इस सोमवार को यानी 22 जुलाई 2024 को महादेव के जलाभिषेक के लिए भव्य नंदीश्वर कावड़ यात्रा इंदौर से शनिवार 20 जुलाई को रवाना हुई.इंदौर से रवाना होने वाली इस कांवड़ा यात्रा में हजारों की संख्या में बाबा महाकाल के भक्त शामिल हुए. यात्रा शनिवार 20 जुलाई को इच्छापुर महादेव मंदिर के सामने, महिंद्रा शोरूम के पास वाली गली से परंपरा अनुसार भगवान शिव की पूजा-अर्चना के बाद शुरू हुई.कावड़ यात्रा शनिवार (20 जुलाई) रात सांवेर में रात्रि विश्राम किया. इसके बाद रविवार सुबह सांवेर से उज्जैन के लिए रवाना हुई और श्रावण मास के पहले सोमवार को बाबा महाकाल का नर्मदा के पावन जल से अभिषेक करेगी.यात्रा में घोड़े- ऊंट और ढोल-ताशों के साथ अयोध्या स्थित राम लला की भव्य और दिव्य झांकियों को शामिल किया गया है. जिसने सभी को अपनी ओर आकर्षित किया. यात्रा में कावड़िये भगवा रंग की पोशाक में शामिल हुए नंदीश्वर कावड़ यात्रा के आयोजक और बीजेपी युवा मोर्चा प्रभारी धनंजय अनीत जैन ने बताया कि यह नंदीश्वर कावड यात्रा का तीसरा वर्ष है. इस बार यात्रा में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुई.उन्होंने बताया कि इंदौर स्किम नं 78 से उज्जैन महांकाल मंदिर तक लगभग 60 किलोमीटर तक पैदल कावड़ ले कर चले हैं. पूरी यात्रा के दौरान जगह- जगह पर आम जनता के जरिये कांवड़ियों का स्वागत किया गया.कावड़ियों के प्रति आम लोगों का प्रेम और श्रद्धाभाव देखकर वह भी उत्साह से भरपूर नजर आए. इस बार यात्रा की थीम इंदौर को ग्रीन इंदौर बनाने की रखी गई हैं. इस दौरान बम भोले के जयकारों के साथ माहौल भक्तिमय हो गया.बीजेपी युवा मोर्चा प्रभारी धनंजय अनीत जैन ने बताया कि इंदौर को स्वच्छ इंदौर बनाने के साथ, ग्रीन इंदौर बनाने के संकल्प के साथ हमने यात्रा प्रारंभ की. उन्होंने कहा कि इस दौरान यात्रा मार्ग पर लोगों को पौधे भेंट किए जाएंगे.
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22 July 2024शिव की नगरी उज्जैन में श्रावण मास का प्रारंभ 22 जुलाई से हो रहा है। इस दिन सोमवार भी है और शाम 4 बजे भगवान महाकाल नगर भ्रमण यात्रा पर निकलेंगे। सवारी के चार दिन पहले से ही भगवान की प्रतिमा पर श्रृंगार का दौर शुरू हो गया है। प्रतिमा को विभिन्न से स्वरूप निखारने के बाद पुजारी-पुरोहितों द्वारा सवारी के लिए भगवान को शृंगारित करना शुरू कर दिया है श्री महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल की सवारी के लिए तैयारी जोर-शोर से प्रारंभ हो गई है। बाबा महाकाल चांदी की पालकी में विराजित होकर निकलेगें उस स्वरूप को सजाने, संवारने का काम गुरूवार से प्रारंभ हुआ है। इस दौरान भगवान के चांदी के मुखौटे मनमहेश और चंद्रमोलेश्वर की प्रतिमा पर पालिश करने के बाद आंख, मुंह, तिलक आदि को पेंट के माध्यम से उकेरा गया प्रतिमा पर रंग-रोगन होने के बाद पुजारी व पुरोहितों द्वारा भगवान को साफा, वस्त्र, आभूषण से श्रृंगार करने का क्रम भी शुरू हो गया है। श्रावण महीने की पहली सवारी में भगवान मनमहेश स्वरूप चांदी की पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे। तीन पीढ़ी से पाठक परिवार संवार रहा मुखौटे भगवान महाकाल की चांदी की प्रतिमाओं का रंगों के माध्यम से श्रृंगार करने वाले मंदिर के कलाकार राजेंद्र पाठक ने बताया कि भगवान का श्रृंगार करने का कार्य तीन पीढ़ियों से कर रहे हैं। पिता स्व. चंद्रकात पाठक के निधन के बाद उन्होंने यह कार्य संभाला है। सवारी के पहले चांदी के मुखौटे को खजाने से निकालकर कोटितीर्थ कुंड में स्नान कराने के बाद पॉलिश की जाती है पॉलिश का कार्य पूर्ण होने के बाद आइल पेंट के माध्यम से प्रतिमा की साज-सज्जा होती है। वहीं, भगवान जिस चांदी की पालकी में विराजित होकर निकलेंगे, उस पालकी को भी पॉलिश कर साज-सज्जा की गई है। प्रतिमाओं के अलावा सवारी में शामिल होने वाले रथ और नंदी, गरुड़ की प्रतिमाओं को भी रंग रोगन कर सजाया जाता है। वर्ष में पांच बार मुखौटों के होते हैं दर्शन श्री महाकालेश्वर मंदिर के खजाने में चंद्रमौलेश्वर, मनमहेश, उमा-महेश, शिवतांडव, सप्तधान्य, जटाशंकर मुखौटे के सवारी और अन्य पर्व व त्यौहार के अवसरों पर दर्शन होते हैं। भगवान के इन स्वरूपों को श्रावण-भादौ, कार्तिक, दशहरा पर्व, वैकुंठ चतुर्दशी पर्व की सवारियों के दौरान तथा उमा-सांझी उत्सव व शिवरात्रि पर्व पर दर्शन होते हैं।
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20 July 2024बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री शुक्रवार को पन्ना जिले के सिमरिया पुहंचे. उनकी एक झलक पाने को बड़ी संख्या में लोग उमड़े. धीरेंद्र शास्त्री यहां भक्तमाल कथा में शामिल होने पहुंचे हैं. जैसे धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपनी कार से उतरे तो चारों ओर उनके भक्त 'जय श्री राम' के जयकारे लगाने लगे. भक्तों में इस बात की होड़ देखी गई कि बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की एक झलक मिल जाए. बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री शुक्रवार को पन्ना जिले के सिमरिया पुहंचे. उनकी एक झलक पाने को बड़ी संख्या में लोग उमड़े. धीरेंद्र शास्त्री यहां भक्तमाल कथा में शामिल होने पहुंचे हैं. जैसे धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपनी कार से उतरे तो चारों ओर उनके भक्त 'जय श्री राम' के जयकारे लगाने लगे. भक्तों में इस बात की होड़ देखी गई कि बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की एक झलक मिल जाए.बता दें कि पन्ना जिले के सिमरिया में श्री श्री 1008 श्री किशोरदास जू महाराज वृंदावन धाम द्वारा भक्तमाल कथा आयोजित की जा रही है. इस धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए शुक्रवार को बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री यहां पहुंचे. वह यहां करीब दो घंटे तक कार्यक्रम में शामिल रहे. बागेश्वर धाम सरकार के सिमरिया आने की जानकारी पूरे क्षेत्र में फैल गई और हजारों की संख्या में भक्तगण उनके दर्शन के लिए उमड़ पड़े. सुरक्षा व्यवस्था के लिये स्थानीय प्रशासन व पुलिस प्रशासन मौजूद रहा. पन्ना जिला बहुत पिछड़ा, पलायन बड़ी समस्या बागेश्वर धाम सरकार ने कहा "पन्ना जिला बहुत ही पिछड़ा जिला है. यहां पलायन बहुत है. जबकि पन्ना जिले में बहुत ही कीमती वस्तुएं पाई जाती हैं. इसके बाद भी पन्ना जिला बहुत पिछड़ा है. खासकर गांवों में हालात बहुत चिंतानजक हैं. यहां रोजगार के कोई साधन नहीं हैं. इसलिए लोग यहां से परिवारों के साथ पलायन करने पर मजबूर हैं. यहां के नेताओं को लोगों के लिए काम करना चाहिए. जनता को केवल वोट बैंक न समझें नेता. यहां के लोग बहुत सीधे-सादे हैं. बेरोजगारी से परेशान हैं."
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20 July 2024टूरिस्टों के लिए दूधसागर झरना फिर से खुल गया है. यह फेमस वाटरफॉल गोवा में है. काफी लंबे वक्त बाद इसे टूरिस्टों के लिए खोला गया है. टूरिस्ट यहां जीप सफारी भी कर सकते हैं. इसकी बुकिंग शुरू हो गई है. गोवा टूरिज्म डिपार्टमेंट ने जीप सफारी की बुकिंग शुरू कर दी है. दरअसल, मानसून सीजन में सिक्योरिटी के लिए दूधसागर वाटरफॉल को बंद कर दिया जाता है, जिसे अब फिर से खोल दिया गया है दूधसागर में जीप सफारी सीजन की शुरुआत आमतौर पर हर साल 2 अक्टूबर को होती है. इस बार अब शुरू हुई है. यहां अभयारण्य में जाने वाले जीपों की संख्या के लिए टूरिज्म डिपार्टमेंट ने कोटा प्रणाली स्थापित की है. वीकएंड पर जीपों की संख्या को बढ़ा दिया जाता है ताकि टूरिस्टों को जीप सफारी में कोई दिक्कत न हो. वैसे यहां हफ्ते में 170 जीपों का आवंटन है लेकिन वीकएंड में जीपों की संख्या को 225 कर दिया जाता है. टूरिस्ट यहां 14 किलोमीटर में जीप सफारी कर सकते हैं. यह यात्रा टूरिस्टों के लिए चुनौतीपूर्ण होती है. इस पूरे इलाके के ग्रामीणों के लिए टूरिज्म ही आय का मुख्य सोर्स है. जिन स्थानीय जीप ऑपरेटर की जीपें वन विभाग के साथ रजिस्टर्ड हैं वे अपनी जीप में सात लोगों को ले जाते हैं और जीप सफारी कराते हैं. जिसके लिए ये जीप सफारी ऑपरेटर 500 रुपये प्रति व्यक्ति वेते हैं. एक बार के फेरे के लिए पूरी जीप का किराया 3500 रुपये होता है इस झरने में 320 मीटर की ऊंचाई से पानी गिरता है. दूधसागर वाटरफॉल गोवा और कर्नाटक की सीमा पर है. दूधसागर झरना पणजी से 60 किलोमीटर की दूरी पर है. इस झरने को देखने के लिए दूर-दूर से टूरिस्ट आते है़. जब इस झरने का पानी ऊंचाई से नीचे गिरता है, तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे पानी की जगह ऊंचाई से दूध नीचे गिर रहा हो, तभी इस वाटरफॉल का नाम दूधसागर झरना रखा गया. यह भारत के सबसे ऊंचे झरनों में शामिल हैं. मांडोवी नदी पर बना यह झरना जब ऊंचाई से गिरता है तो सैलानियों को मंत्रमुग्ध कर देता है. इस झरने का आकर्षण ऐसा है कि एक बार करीब से देखने पर इसे बार-बार देखने की इच्छा होती है. इस झरने के आसपास का पूरा क्षेत्र संरक्षित है. इस क्षेत्र में आप अपने दोस्तों के साथ लंबी ट्रैकिंग भी कर सकते हैं. टूरिस्ट यहां कैंपिंग भी कर सकते हैं.
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20 July 2024हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का दिन बहुत खास होता है. पंचांग के अनुसार यह तिथि आषाढ़ पूर्णिमा होती है. मान्यता है कि इस दिन हिंदू धर्मग्रंथ महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास का भी जन्म हुआ था. वेद व्यास जी ने चारों वेदों का ज्ञान भी दिया और पुराणों की रचना की. इसलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है इस वर्ष गुरु पूर्णिमा का पर्व रविवार, 21 जुलाई 2024 को मनाया जाएगा. वैसे तो गुरु की महिमा का वर्णन करना संभव नहीं है, क्योंकि गुरु सूर्य के प्रकाश के समान है और गुरु की महिमा का वर्णन करना सूर्य के समक्ष दीप दिखाने जैसा होगा. गुरु ही हमारे शिक्षा, ज्ञान और जीवन का आधार है. गुरु के बिना सफल जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है शास्त्रों में गुरु शब्द का अर्थ बताया गया है. गुरु दो अक्षरों से मिलकर बना है. 'गु' का अर्थ 'अंधकार' से है और 'रु' का अर्थ उसे हटाने वाले से. यानी अंधकार के अज्ञानता से हटाकर जो ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाए वही सच्चा गुरु हैसंत कबीर दास भी अपने कई दोहे में गुरु की महिमा का बखान करते हैं. गुरुओं पर आधारित कबीर दास से ये दोहे खूब प्रचलित हैं. अपने दोहे में कबीर गुरु को ईश्वर और माता-पिता से भी श्रेष्ठ बताते हैं. गुरु पूर्णिमा पर जानते हैं गुरुओं पर आधारित संत कबीर दास के प्रसिद्ध दोहे सब धरती कागज करूँ, लिखनी सब बनराय सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाय अर्थ: सब पृथ्वी को कागज, सब जंगल को कलम और सातों समुद्रों को यदि स्याही बनाकर लिखा जाए तो गुरु के गुण नहीं लिखना संभव नहीं है. गुरु पारस को अन्तरो, जानत हैं सब सन्त। वह लोहा कंचन करे, ये करि लये महन्त॥ अर्थ: गुरु और पारस पत्थर में अन्तर है, ये बात सभी जानते हैं. पारस लोहे को सोना बनाता है. लेकिन गुरु अपने शिष्य को महान बना देता है.
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19 July 2024दोस्तों बारिश का मौसम आ गया है और ऐसे में हर कोई प्राकृतिक सौंदर्य के बीच समय गुजारना चाहता है, इंदौर के आसपास भी कई सारे प्राकृतिक स्थल हैं जहां पर लोग घूमने जाते हैं, इंदौर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए रेलवे ने हेरिटेज ट्रेन की शुरुआत की है यह ट्रेन पिछले कुछ सालों से वर्षा काल में पर्यटकों को लेकर पातालपानी से कला कुंड तक जाती है. इस साल यह ट्रेन 20 जुलाई से शुरू हो रही है जिसकी ऑनलाइन बुकिंग आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर जाकर की जा सकती है. आईए जानते हैं इस ट्रेन के बारे में इसकी क्या है खासियत और यह ट्रेन कितने बजे कौन से स्टेशन से चलेगी? पातालपानी स्टेशन तक का रास्ता है अधूरा पातालपानी और कालाकुंड के बीच हेरिटेज ट्रेन इस शनिवार से शुरू होने वाली है. वहीं हेरिटेज ट्रेन मीटर गेज लाइन पर चलती है, लेकिन महू और पातालपानी स्टेशनों के बीच ऐसा कोई ट्रैक कनेक्शन नहीं है, जो यहां तक लोगों को आसानी से ले जा सके. इससे हेरिटेज ट्रेन तक पहुंचने में थोड़ी परेशानी जरूर होगीयहां उत्करण बाबा मंदिर से पातालपानी स्टेशन तक का रास्ता अधूरा है. दोपहिया वाहनों सहित वाहन स्टेशन तक नहीं पहुंच सकते हैं, जिससे सड़क मार्ग से आने वाले पर्यटकों के लिए बड़ी असुविधा होती है. हर शनिवार और रविवार को चलेगी ट्रेन पातालपानी से कालाकुंड तक हेरिटेज ट्रेन शनिवार से शुरू होगी. ट्रेन का किराया एक तरफ के लिए 265 रुपए प्रति व्यक्ति और नॉन एसी के लिए 20 रुपए है. रतलाम रेलवे डिवीजन के अनुसार, ट्रेन नंबर 52965 पातालपानी-कालाकुंड हेरिटेज ट्रेन पातालपानी से सुबह 11:05 बजे रवाना होगी और दोपहर 1:05 बजे कालाकुंड पहुंचेगी वापसी यात्रा पर, ट्रेन नंबर 52966 कालाकुंड-पातालपानी हेरिटेज ट्रेन कालाकुंड से दोपहर 3:34 बजे रवाना होगी और शाम 4:30 बजे पातालपानी पहुंचेगी. रेलवे के सूत्रों ने कहा है कि एक ब्रॉड गेज ट्रेन पर्यटकों को महू से पातालपानी ले जाएगी, जहां वे फिर हेरिटेज ट्रेन में सवार हो सकते हैं.
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19 July 2024सावन और भादो मास में निकलने वाली भगवान महाकाल की सवारी को लेकर अभी से भजन मंडलियों को स्पष्ट निर्देश दे दिए गए हैं. इस बार सवारी में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव सहित कैबिनेट के मंत्री शामिल होने वाले हैं, इसलिए जिला प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं छोड़ी जा रही है. इस बार भजन मंडलियों को भी पास जारी किए जाएंगे श्रावण-भादौ मास में आयोजित होने वाली बाबा महाकाल की सवारियों के संबंध में कलेक्टर नीरज कुमार सिंह की उपस्थिति में भजन मंडलियों की बैठक आयोजित की गई. बैठक में अधिकारियों द्वारा भजन मंडलियों के साथ बाबा महाकाल की सवारी के सुव्यवस्थित संचालन और श्रद्धालुओं को सुगमतापूर्वक दर्शन के संबंध में विस्तार से चर्चा की गई महाकालेश्वर मंदिर प्रशासक मृणाल मीणा ने बताया कि भजन मंडलियों के सुचारू संचालन और अनधिकृत प्रवेश पर अंकुश लगाने के लिए प्रत्येक भजन मंडली को अलग-अलग कलर के पास दिए जायेंगे. कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि इस बार भगवान महाकाल का स्वरूप सवारी का स्वरूप और भी भव्य रहेगा प्रशासक श्री मीना ने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ यादव की मंशानुरूप इस बार संस्कृति विभाग के माध्यम से जनजातीय कलाकारों का दल भी बाबा महाकाल की सवारी में अपनी प्रस्तुति देगा. बैठक में भजन मंडलियों द्वारा भी व्यवस्थित आयोजन के संबंध में सुझाव दिए गए बैठक में जय महाकाल भक्त मंडली, भस्म आरती मंडली, भस्म रमैया भक्त मंडली, महाकाल शयन मंडली, काल भैरव संस्कृति मंडली, वीर तेजाजी मंडली ,भस्म रमैया मंडली, जय महाकाल रामायण मंडली, नागचंद्रेश्वर भक्त मंडली के प्रतिनिधि शामिल हुए
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19 July 2024बिजनेसमैन मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत और राधिका मर्चेंट की शादी में इंदौरी व्यंजन भी परोसे गए थे। 14 जुलाई को मुंबई के BKC स्थित जियो वर्ल्ड सेंटर में हुए रिसेप्शन में दुनियाभर से आए मेहमानों ने इंदौरी चाट, भुट्टे का कीस, पानी पुरी, दाल मुरादाबादी और छोले टिकिया खूब स्वाद लेकर खाए। मुकेश अंबानी और ईशा ने पानी पुरी खायी। इंदौर की जेएमबी केटरिंग सर्विस के 60 सदस्यों ने 10 जुलाई से ही अंबानी हाउस 'एंटीलिया' में भोजन व्यवस्था संभाल ली थी। केटरिंग सर्विस के अजय जैन ने बताया, 'हम इंदौर से ही कच्ची सामग्री तैयार कर मुंबई ले गए थे। रिसेप्शन में चाट आइटम्स के 6 से ज्यादा काउंटर लगाए थे। गराड़ू, शकरकंदी चाट, भुट्टे का कीस, पानी पुरी, छोले-टिकिया, मूंगलेट, सेफरॉन क्रीम बड़ा जैसी डिशेस मेहमानों को खूब भाए।'अजय जैन ने बताया, '2019 में ईशा अंबानी के रोका प्रोग्राम में भी हमने मुंबई में अपनी सर्विस दी थी। उस वक्त अंबानी परिवार की तरफ से एक टीम इंदौर आई थी। सर्राफा बाजार में व्यापारियों ने उन्हें हमारे नाम का सुझाव दिया। टीम ने हमसे बात की। सर्वे के बाद लगातार कम्युनिकेशन चलता रहा। बजट और अन्य बातें फाइनल होने के बाद अंबानी परिवार का ये पहला काम हमें मिला। ईशा की सगाई इटली में हुई थी लेकिन उसके पहले रोका का एक प्रोग्राम मुंबई में भी हुआ था। इसी में हमें केटरिंग सर्विस का मौका मिला था।' प्री वेडिंग सेलिब्रेशन में भी इंदौर से ही गए थे शेफ अनंत और राधिका मर्चेंट का प्री वेडिंग सेलिब्रेशन गुजरात के जामनगर में हुआ था। इसमें भी इंदौर के 65 शेफ 135 लोगों की टीम के साथ शामिल हुए थे। जिन्होंने तीन दिन तक 2500 खास व्यंजन मेहमानों के लिए तैयार किए थे।
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18 July 2024इंदौर में 14 लोगों ने हिन्दू धर्म अपनाया है। साथ ही 4 लोगों ने घर वापसी की है। गुरुवार को इन सभी ने खजराना गणेश मंदिर में दर्शन और पूजा अर्चना की। फिर मुस्लिम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया। हिंदू धर्म अपनाने वालों में अधिकांश खजराना इलाके के हैं, जबकि 2 लोग मंदसौर के रहने वाले हैं। पिछले दिनों हिंदू धर्म अपना चुके हरिनारायण (पुराना नाम हैदर) का परिवार भी अब हिंदू बन गया है। महिलाओं ने बताया कि कुरीतियों से परेशान होकर उन्होंने परिवार ही नहीं पति को भी छोड़ दिया। विश्व हिंदू परिषद के संतोष शर्मा ने बताया कि सभी 18 लोगों का खजराना गणेश मंदिर में शुद्धिकरण किया गया। इन सभी लोगों ने सनातन और हिंदू धर्म के प्रति आस्था जताई। सभी लोगों ने कलेक्टर कार्यालय में शपथ पत्र देकर सूचना दे दी है। शाजिया से सपना बनी युवती ने कहा- मुझे हिंदू धर्म अच्छा लगता है। एक महिला ने बताया कि उसे बचपन से ही मंदिर जाना अच्छा लगता था। मैंने बिना किसी के दबाव के हिंदू धर्म अपनाया है। महिला ने बताया- मंदिरों में महिलाओं को भी पूजा करते देख अच्छा लगता था। लेकिन मुस्लिम धर्म में महिलाओं के मस्जिद जाने पर प्रतिबंध है, यह हमें बड़ा बुरा लगता था। हिंदुओं के घर में होने वाले पूजा-पाठ देखकर हमें भी अपने घर में ऐसे ही पूजा पाठ कराने की इच्छा होती थी। मरियम से आश्रिता बनी महिला ने बताया कि मेरे पति ने भी हिंदू धर्म अपनाया है, इसलिए मैंने पति के साथ हिंदू धर्म अपनाया है।
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18 July 2024एक शख्स ने यह कहकर लोगों को चौंका दिया कि वो अपनी ही बहन के बच्चे का पिता भी है और मामा भी. लेकिन जब इस अजब रिश्ते की गजब कहानी के बारे में लोगों को पता चला, तो उन्होंने भी शख्स की जमकर प्रशंसा की. जाहिर है, आप सोच में पड़ गए होंगे कि भई तारीफ किस बात की. दरअसल, शख्स ने अपनी बहन को उसकी फैमिली बढ़ाने में मदद की है. बच्चा सरोगेसी के जरिए पैदा हुआ है. लेकिन इस कहानी में एक और ट्विस्ट है.दरअसल, लंदन के 25 वर्षीय एडम ने इस विचित्र रिश्ते के पीछे की अपनी मजबूरी भी बताई. उन्होंने बताया कि उनकी बहन जेड लेस्बियन हैं. उसने एफजे नाम की एक महिला से शादी की है. चूंकि, दोनों महिलाएं हैं, ऐसे में इनका प्रेग्नेंट होना असंभव था. इसलिए उन्होंने बहन को फैमिली बढ़ाने के लिए उनकी पत्नी एफजी को स्पर्म डोनेट किया. द सन की रिपोर्ट के अनुसार, एडम ने बताया कि 2018 से ही उनकी बहन जेड बच्चे के लिए ट्राय कर रही थीं, लेकिन उन्हें कोई डोनर नहीं मिल रहा था. एडम ने कहा, मैं जब भी उनसे मिलता तो उनके चेहरे पर उदासी साफ झलकती थी. लेकिन जेड और एफजे की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, जब एडम ने उनकी बात मान ली और स्पर्म डोनर बनने के लिए हामी भर दी.शख्स ने कहा, छह महीने की कोशिश के बाद एफजे प्रेग्नेंट हुईं और उन्होंने 18 मार्च 2023 को बेटे को जन्म दिया, जो अब 16 महीने का है. एडम सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हैं. उन्होंने कहा, मैं अपनी बहन और एफजे के लिए बेहद खुश हूं. पेशे से रिसर्चर और डेवलपर जेड अपनी पत्नी एफजे जो पशुचिकित्सक हैं, के साथ एम्सडर्म में रहती हैं एडम की इस मदद से उनका परिवार और भी करीब आ गया और अब वे एक खुशहाल जीवन जी रहे हैं. जेड और एफजे अपने नए परिवार के साथ बहुत खुश हैं और एडम इस बात से संतुष्ट हैं कि उन्होंने अपने परिवार की इस तरह मदद की. यह कहानी न केवल परिवार के प्यार और समर्थन का उदाहरण है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे कठिनाइयों का सामना करते हुए एक-दूसरे की मदद की जा सकती है.
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18 July 2024ओमान के तट पर पलटे तेल टैंकर की मदद के लिए भारतीय नौसेना ने अपना युद्धपोत INS तेग और एक सर्विलांस विमान P-8 आई को तैनात किया है. दरअसल, भारतीय नौसेना, ओमान की नौसेना के साथ मिलकर समुद्र में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है. बता दें कि, जिस जगह तेल टैंकर पलटा, भारतीय युद्धपोत उसी क्षेत्र में परिचालन कर रहा था. जिसके बाद भारतीय युद्धपोत को बचाव अभियान चलाने के लिए भेजा गया था युद्धपोत ने 16 जुलाई की सुबह पलटते हुए तेल टैंकर का पता लगा लिया था. समुद्र में पलटे जहाज की पहचान प्रेस्टीज फाल्कन के तौर पर हुई है. ये जहाज दुबई के हमरिया बंदरगाह से यमन के अदन बंदरगाह जा रहा था. वहीं, कोमोरोस के झंडे वाला ये जहाज ओमान के तट पर रास मद्रकाह इलाके से समुद्र में करीब 46 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में पलट गया. इसके 16 सदस्यीय चालक दल में 13 भारतीय और 3 श्रीलंकाई नागरिक शामिल हैं ओमान में भारतीय दूतावास ओमानी अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में है. वहीं, नाविकों के लिए खोज और बचाव अभियान चलाया जा रहा है. हालांकि, अब तक ये सामने नहीं आया है कि जहाज से तेल लीक हुआ है या नहीं. जिसकी जांच ओमान समुद्री सुरक्षा केंद्र (ओएमएससी) द्वारा की जा रही है. फिलहाल, भारतीय नौसेना भी खोज और बचाव अभियान में शामिल हो गई है.
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17 July 2024हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सीएम सैनी ने ऐलान किया कि अग्निवीरों को सरकारी नौकरी में 10 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा. ग्रुप सी में 5 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा. बिना ब्याज के 5 लाख तक कर्ज भी मिलेगा. सीएम के ऐलान के मुख्य बिंदू हरियाणा में अग्निवीरों को 10 फीसदी आरक्षण पुलिस और माइनिंग गार्ड की भर्ती में आरक्षण ग्रुप सी और ग्रुप डी की भर्तियों में उम्र की सीमा में 3 साल की छूट बिना ब्याज के 5 लाख तक का ऋण मिलेगा हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा, ''अग्निपथ योजना 14 जून 2022 को पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा लागू की गई थी. इस योजना के तहत अग्निवीरों को 4 साल के लिए भारतीय सेना में तैनात किया जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की लोकहित की ये योजना है. इस योजना के माध्यम से हमारे पास स्किल्ड युवा, एक्टिव युवा तैयार होते हैं.
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17 July 2024ऐसा कहा जाता है कि बिल्लियों के 9 जीवन होते हैं. ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि इसमें कितनी सच्चाई है? चलिए जान लेते हैं. बिल्लियों के नौ जीवन होते हैं, ऐसा वर्षों से कहा जा रहा है, लेकिन क्या कभी सोचा है कि क्या वाकई में एक बिल्ली मरने के बाद 8 बार और जन्म लेती है? दरअसल शेर की मौसी कही जाने वाली बिल्ली के बारे में कई कहावतें हैं. कहा जाता है कि बिल्ली कहीं से निकल जाए तो उस जगह से निकलना नहीं चाहिए. ऐसे में कहा ये भी जाता है कि बिल्ली एक बार मर जाती है तो उसकी मौत नहीं होती, बल्कि वो 9 बार दोबारा जन्म लेती है.तो बता दें कि इसमें कोई सच्चाई नहीं है कि बिल्लियों के 9 जीवन होते हैं. असल में वो हमारी ही तरह नश्वर होती हैं.कुछ लोगों का मानना है कि यह सीधे तौर पर बिल्ली की गिरने की क्षमता और मौत से बाल-बाल बचने की क्षमता से ये विचार आता है कि उनके 9 जीवन होते हैं.बिल्लियां आम तौर पर बहुत ही फुर्तीली होती हैं और पेड़ों पर रहने और शिकार पर झपटने के लिए खुद को ढाल लेती हैं.
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17 July 2024रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने 346 आईटम्स का पांचवीं पॉजिटिव स्वदेसीकरण सूची जारी कर दिया है. इस सूची के जारी किए जाने के बाद डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स (DPSU), डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस प्रोडक्शन (DDP) नोटिफाई किए गए 346 आईटम्स को केवल भारतीय कंपनियों से ही खरीद पाएंगी. रक्षा मंत्रालय के इस फैसले के चलते 1048 करोड़ रुपये के इंपोर्ट को खत्म करने में मदद मिलेगी तो देश में डिफेंस प्रोडक्शन को बढ़ावा मिलेगा इन आईटम्स की खरीद के लिए स्वदेसीकरण की टाइमलाइन की शुरुआत के बाद भारतीय कंपनियों से खरीदारी की जा सकेगी. ये सभी लिस्ट श्रीजन पोर्टल पर उपलब्ध हैं जिसे रक्षा मंत्रालय ने 2020 में लॉन्च किया था. इस पोर्टल पर डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स, सर्विस हेडक्वाटर्स (SHQs) स्वेदसी निर्माण के लिए घरेलू कंपनियों को डिफेंस आईटम्स ऑफर करते हैं जिसमें एमएसएमई और स्टार्टअप भी शामिल है. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा से डिफेंस आईटम्स के स्वदेसीकरण के बड़े शानदार परिणाम सामने आए हैं जबकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह डिफेंस प्रोडक्शन में आत्मनिर्भरता के विजन को साकार करने में जुटे हुए हैं डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स इन आईटम्स के देश में निर्माण के लिए अलग अलग रूट अपनायेंगी जिसके मेक प्रोसीजर या एमएसएमई को शामिल कर इंडस्ट्री के साथ इन-हाउस डेवलपमेंट शामिल है. इससे अर्थव्यवस्था को फायदा होगा, डिफेंस के क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा साथ ही इंपोर्ट पर निर्भरता को कम करने में मदद मिलेगी. इससे घरेलू डिफेंस इंडस्ट्री की डिजाइन क्षमता का विकास होगा हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, भारत डायनामिक्स लिमिटेड, बीईएमएल, इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड, मझगांव डॉक शिपयार्ड, गोवा शिपयार्ड, ग्रार्डन रिच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स और हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड जैसे डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स पांचवीं पॉजिटिव स्वदेसीकरण सूची में शामिल डिफेंस आईटम्स की लिस्ट में भाग लेंगे इससे पहले डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स के लिए 4666 आईटम्स की जो चार पॉजिटिव स्वदेसीकरण सूची जारी की गई थी उसमें से 2972 के इंपोर्ट बंद होने से 3400 करोड़ रुपये के डिफेंस आईटम्स के स्वदेसीकरण करने में मदद मिली है. जून 2024 तक डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स और सर्विसेज हेडक्वाटर्स द्वारा स्वदेस में निर्माण के लिए 36000 डिफेंस आईटम्स को ऑफर किया गया जिसमें से 12,300 आईटम्स का स्वेदसीकरण तीन सालों में पूरा किया जा चुका है. इससे डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स ने घरेलू वेंडर्स को 7572 करोड़ रुपये का आर्डर जारी किया है
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16 July 2024आज पंचांग अनुसार यानि 16 जुलाई 2024 को एकादशी की तिथि प्रारंभ होगी. यानि कुछ ही देर में आषाढ़ एकादशीकी तिथि प्रारंभ हो जाएगी हिंदू कैलेंडर के अनुसार अभी आषाढ़ का महीना चल रहा है. जो हिंदू पंचांग के मुताबिक चौथा महीना है आषाढ़ का महीना बीते 23 जून 2024 से आरंभ हुआ था जो अब 21 जुलाई 2024 को समाप्त होगा आषाढ़ मास में पड़ने वाली इस एकादशी को आषाढ़ी एकादशी भी कहते हैं.इसके साथ ही इसे देवशयनी एकादशी भी कहा जाता है. देवशयनी एकादशी को अति महत्वपूर्ण बताया गया है. इसी तिथि से चातुर्मास भी शुरू होता है. जो कि सावन भादौ, अश्विन और कार्तिक महीने के आखिरी दिनों तक रहता है पौराणिक मान्यता के अनुसार इन चार महीनों में यानि देवशयनी एकादशी से देवप्रबोधनी एकादशी तक जगत के पालनहार विष्णु जी पाताल लोक में योग निद्रा में रहते हैं यही कारण है कि इन 4 महीने में कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. देवशयनी एकादशी व्रत का पारण 18 जुलाई 2024 को प्रात: 5 बजकर 35 मिनट से प्रात: 8 बजकर 20 मिनट तक रहेगा.
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16 July 2024केंद्र सरकार अयोध्या में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) का हब बनाने की तैयारी में है. इसके बाद यहां एनएसजी की टुकड़ी स्थायी रूप से तैनात की जाएगी. इसी को लेकर 17 जुलाई को एनएसजी की एक टुकड़ी अयोध्या आ रही है. यह टीम चार दिन तक अयोध्या में रहेगी. इस दौरान वो राम जन्मभूमि व आस-पास की सुरक्षा परखेंगे. एनएसजी की टुकड़ी अयोध्या में 20 जुलाई तक रहेगी राममंदिर के निर्माण होने के बाद से अयोध्या में आतंकी खतरे की आशंका लगातार बढ़ रही है. इसी वजह से केंद्र सरकार इस खतरे से निपटने की योजना पर लगातार काम कर रही है 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी. इसके बाद से ही यहां श्रद्धालुओं की संख्या में भारी इजाफा हुआ है. हर दिन लगभग एक लाख से ज्यादा लोग यहां दर्शन करने के लिए आते हैं. इसी वजह से यहां पर सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने पर जोर दिया जा रहा है. केंद्र सरकार अयोध्या में एनएसजी का हब बनाने की तैयारी कर रही है. जानकारी के अनुसार, एनएसजी हब में ब्लैक कैट कमांडो की तैनाती हो सकती है इसी को लेकर एनएसजी की टीम 17 अप्रैल को अयोध्या आ रही है. इस दौरान वो राम जन्मभूमि परिसर की सुरक्षा की समीक्षा करेंगे. अगर यहां पर आतंकी हमला होता है तो इस हालात में इससे कैसे निपटा जा सके, इसको लेकर अधिकारियों के साथ टीम चर्चा करेगी. अयोध्या के आस-पास की सुरक्षा की भी समीक्षा होगी फिलहाल रामनवमी, सावन, कार्तिक परिक्रमा मेले में यहां पर एटीएस की तैनाती की जाती है. अभी राममंदिर की सुरक्षा की जिम्मेदारी एसएसएफ के पास है. यहां पर सीआरपीएफ व पीएसी को भी तैनात किया गया है. एनएसजी की ओर से एसएसएफ के जवानों को ट्रेनिंग दे गई है. अयोध्या में स्पेशल फोर्स के 200 कमांडो भी तैनात हैं
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15 July 2024मोहित की आस्था और इरादा देखकर लोग उनकी प्रशंसा कर रहे हैं। नारसन में उनके साथ सेल्फी लेने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी। हरियाणा के सोनीपत निवासी मोहित एक पैर न होने के बावजूद हरिद्वार से सोनीपत कलश में गंगा जल भरकर कंधे पर कांवड़ लेकर निकले हैं। मन में सच्ची आस्था और मजबूत इरादा हो तो पहाड़ जैसी चुनौती भी आसानी से पार हो जाती है। ऐसी आस्था और मजबूत इरादों के साथ एक पैर से दिव्यांग मोहित गंगा जल लेकर अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहे हैं।मोहित की आस्था और इरादा देखकर लोग उनकी प्रशंसा कर रहे हैं। नारसन में उनके साथ सेल्फी लेने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी। हरियाणा के सोनीपत निवासी मोहित एक पैर न होने के बावजूद हरिद्वार से सोनीपत कलश में गंगा जल भरकर कंधे पर कांवड़ लेकर निकले हैं।मोहित के साथ दो और साथी भी उनके हर कदम पर साथ दे रहे हैं। शुक्रवार को मोहित और दो दोस्त कांवड़ लेकर नारसन कस्बे से गुजरे तो लोगों ने उन्हें रोक लिया और मोबाइल से उनके साथ सेल्फी ली।मोहित ने बताया कि जब वह 11 साल के थे उन्हें बोन कैंसर हुआ था। इसकी वजह से उनका एक पैर काटना पड़ा था। मोहित ने बताया कि उन्हें बचपन से ही बॉडी बिल्डिंग का शौक था। बचपन में पैर कट जाने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और बॉडी बिल्डिंग का फैसला लिया।उन्होंने बताया कि बॉडी बनाकर उन्होंने कई बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेकर कई पुरस्कार भी जीते हैं। साथ ही वह 10 बार मिस्टर इंडिया रह चुके हैं। मोहित का मन था कि वह हरिद्वार से कांवड़ लेकर आएंगे। इसके लिए परिवार ने भी उनका साहस बढ़ाया था। दो दोस्तों ने भी उनका हौसला बढ़ाया और वह उनका सहारा बनकर कांवड़ लेकर निकल पड़े हैं।
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15 July 2024मुख्यमंत्री-माझी लाडकी बहिण योजना' के तहत महिलाओं द्वारा बड़ी संख्या में आवेदन किए जा रहे हैं. आवेदन प्रक्रिया के दौरान महिलाओं को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिन्हें कम करने के लिए राज्य सरकार लगातार प्रयासरत है. 13 जुलाई को हुई कैबिनेट बैठक में इस योजना का दायरा बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं, जिनमें लाइव फोटो से संबंधित बड़े बदलाव शामिल हैं इस योजना के प्रभावी और सरल कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए नई शर्तें और संशोधन किए गए हैं. अब महिलाओं को विभिन्न तरीकों से फॉर्म भरने की सुविधा प्रदान की जा रही है. महिलाएं नारी शक्ति जैसे विभिन्न पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकती हैं. पहले महिलाओं को आवेदन के समय अपनी लाइव फोटो देनी होती थी, लेकिन अब नए निर्णय के अनुसार ऐसी कोई आवश्यकता नहीं होगी.फोटो को लेकर किया गया बड़ा बदलाव सरकार के नए निर्णय से 'मुख्यमंत्री-माझी लाडकी बहिण योजना' के तहत आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाने का महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है. अब ऑफलाइन आवेदन पर लाभार्थी महिला की फोटो को ऑनलाइन आवेदन के लिए मान्य किया जाएगा, जिससे महिलाओं को फॉर्म भरते समय लाइव फोटो देने की आवश्यकता नहीं होगी महिलाएं इस योजना के लिए 31 अगस्त तक आवेदन कर सकती हैं. राज्य सरकार ने अपील की है कि अधिक से अधिक महिलाएं इस योजना का लाभ उठाएं. इस योजना के तहत पात्र महिलाओं को 1500 रुपये प्रति माह प्रदान किए जाएंगे. विपक्ष का दावा है कि यह योजना सिर्फ आगामी चुनावों के लिए लागू की जा रही है,
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13 July 2024भगवान शंकर का सबसे बड़ा धाम काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी में स्थित है. साल भर यहां पर शिव भक्तों का ताँता लगा रहता है. विशेष तौर पर सावन और महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ शिव की नगरी में देखी जाती है. इस बार सावन की अवधि 22 जुलाई से लेकर 19 अगस्त तक रहेगी. इस दौरान स्कूल एसोसिएशन की तरफ से निर्णय लिया गया है कि सावन माह के दौरान सोमवार के दिन सभी स्कूल बंद रहेंगे जबकि इस माह में रविवार के दिन सभी स्कूल अपने निर्धारित समय से खुले रहेंगे पूर्वांचल स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष राहुल सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि काशी में भगवान काशी विश्वनाथ मंदिर के साथ-साथ अलग-अलग शिवलिंग है, जिनकी प्राचीन परंपराएं और मान्यताएं हैं. सावन के महीने में भारी संख्या में श्रद्धालु शहर के साथ-साथ दूसरे राज्यों से भी दर्शन पूजन के लिए पहुंचते हैं. खासतौर पर सोमवार के दिन भारी भीड़ देखी जाती है. इस दौरान हमन