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11 October 2024विशेष
गुरुकुल अकादमी के छात्र राजकुमार ने राज्य स्तरीय वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता मे स्वर्ण पदक जीत लिया. सीहोर में आयोजित शालेय राज्य स्तरीय वेट लिफ्टिंग प्रतियोगिता में गुरुकुल एकेडमी हायर सेकेण्डरी स्कूल अमरपाटन के छात्र राजकुमार प्रजापति ने स्वर्ण पदक जीत लिया. इस जीत के साथ राजकुमार का चयन राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए होने पर उसे बधाई का ताता लगा हुआ है. नगर में रैली निकालकर इस युवा खिलाड़ी का उत्साहवर्धन किया गया. बालक की इस उपलब्धि के लिए जिला क्रीड़ा अधिकारी, जनपद सदस्य नंदकिशोर सिंह नंदू, विकासखंड क्रीड़ा प्रभारी नरेंद्र सोनी ने राजकुमार को बधाई दी .
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11 October 2024Ma Durga's Tallest Statue in the World: भारत में चारों ओर इस समय दुर्गा पूजा की धूम मची है। मां दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित इस त्योहार में जगह-जगह देवी के पंडाल लगे होते हैं, जिनमें माता की बेहद खूबसूरत प्रतिमा को विराजित किया जाता है। इस दौरान लोग कई मंदिरों में भी जाते हैं, जहां दुर्गा मां की पूजा अरचना की जाती है। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि मां दुर्गा की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा कहां है। अगर आप सोच रहे हैं, भारत की कोई जगह, तो ये जवाब बिल्कुल गलत है।
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11 October 2024जापानी संगठन निहोन हिदानक्यो को साल 2024 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला है। यह हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु बम से बचे लोगों का एक जमीनी आंदोलन है। इसे हिबाकुशा के नाम से भी जाना जाता है। जापानी संगठन को क्यों मिला पुरस्कार? नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने अपने प्रशस्ति पत्र में कहा, "हिबाकुशा को परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया बनाने के अपने प्रयासों और गवाहों के बयान के माध्यम से यह प्रदर्शित करने के लिए शांति पुरस्कार मिल रहा है कि परमाणु हथियारों का फिर कभी इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।" समिति ने कहा, "हिबाकुशा हमें अवर्णनीय का वर्णन करने, अकल्पनीय के बारे में सोचने और परमाणु हथियारों के कारण होने वाले अकल्पनीय दर्द और पीड़ा को समझने में मदद करता है।"
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11 October 2024सिद्धि गंज के बावड़ी चौक पर भव्य महा आरती आयोजित की गई। जिसमें आष्टा विधायक गोपाल सिंह ने भाग लिया. इस आयोजन का उद्देश्य धार्मिक आस्था को प्रगाढ़ करना और सामूहिक रूप से देवी माँ की पूजा अर्चना करना था. नवरात्रि के इस पावन पर्व पर सिद्धि गंज के बावड़ी चौक पर एक भव्य महा आरती का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विधायक गोपाल सिंह सबसे पहले माँ बगवाई माता मंदिर पहुंचे, जहां उन्होंने माता का आशीर्वाद लिया. विधायक ने आशीर्वाद लेने के बाद, मंदिर से पूजा का सिलसिला शुरू किया, और फिर साथ में मौजूद समिति के सभी सदस्यों के साथ ढोल-नगाड़ों की धुन में नगर भ्रमण किया।"नगर भ्रमण के दौरान विधायक के साथ समूचा वातावरण भक्तिमय हो गया। इस आयोजन में भारी संख्या में भक्त शामिल हुए. "फिर बारी आई, बावड़ी चौक पर महा आरती की। विधायक गोपाल सिंह ने मां अंबे की पूजा की और भक्तों के साथ आरती की. "इस दौरान विधायक ने समिति की 5 लाख 51 हजार रुपये दान की घोषणा की। इसके साथ ही, 5,000 रुपये कन्या भोज के लिए दिए गए।" "इसके बाद विधायक गोपाल सिंह ने वहां मौजूद जनता से संवाद किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की लाडली बहना योजना और किसान सम्मान निधि के लाभार्थियों के पंजीकरण के लिए जल्द ही कदम उठाए जाएंगे।"
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10 October 2024दशहरे पर इस बार भी जगह जगह रावण वध और रावण के पुतले को जलाया जाएगा. ग्वालियर के शताब्दीपुरम में 65 फ़ीट के रावण का दहन किया जाएगा. चेतना मंच ग्वालियर के शताब्दीपुरम दशहरा मैदान में विशाल दशहरा समारोह का आयोजन कर रहा है, जिसमें शहर के सबसे बड़े 65 फ़ीट के रावण का दहन किया जाएगा, साथ ही मेघनाथ और कुंभकरण के पुतलों का भी दहन होगा होगा. कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रामायण पर आधारित नृत्य नाटक कथा श्री राम की होगी. इस दौरान प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रधुम्न सिंह तोमर और ग्वालियर सांसद भारत सिंह कुशवाहा भी मौजूद रहेंगे, चेतना मंच के अध्यक्ष दीपक तोमर ने जानकारी देते हुए बताया कि 20 वर्षों से शताब्दी पुरम में इस दशहरा समारोह का आयोजन किया जा रहा है जिसमें देश के जाने-माने नाटक निर्देशक पंडित बृज किशोर दीक्षित के निर्देशन में कथा श्रीराम का आयोजन होता है.
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10 October 2024देश के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा ने 86 वर्ष की आयु में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उम्र से जुड़ी बीमारी के चलते उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनकी मृत्यु से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। बॉलीवुड के सितारों ने दी श्रद्धांजलि सुष्मिता सेन ने रतन टाटा के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर लिखा, "कितने सम्मानित व्यक्ति थे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।" तारा सुतारिया और अनन्या पांडे** ने भी अपनी स्टोरी पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। अनुष्का शर्मा ने साझा की गई स्टोरी में लिखा, "रतन टाटा जी के बारे में दुखद खबर सुनकर बहुत दुखी हूं।" करण जौहर ने इंस्टाग्राम पर लिखा, "आज दुनिया ने एक दूरदृष्टि और अतुलनीय विजन रखने वाले दिग्गज को खो दिया।" वहीं, संजय दत्त ने कहा, "भारत ने आज सच्चा दूरदर्शी खो दिया, जिनका योगदान अनगिनत जिंदगियों तक था। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।" प्रियंका चोपड़ा ने भी अपने आधिकारिक अकाउंट पर रतन टाटा को नमन किया। अजय देवगन ने लिखा, "दुनिया एक दूरदर्शी व्यक्ति के निधन पर शोक मना रही है। रतन टाटा की विरासत हमेशा पीढ़ियों को प्रेरित करेगी।" रणवीर सिंह ने इंस्टाग्राम पर रतन टाटा की फोटो साझा की और उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। सलमान खान और रितेश देशमुखने भी अपने-अपने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त किया। नयनतारा ने भी श्रद्धांजलि देते हुए कहा, "आपने हम सभी को प्रेरित किया है।" निष्कर्ष:रतन टाटा का निधन केवल एक उद्योगपति की नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी और इंसानियत के प्रतीक की हानि है। उनकी विरासत हमेशा लोगों को प्रेरित करती रहेगी।
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10 October 2024देवास जिले के हाटपिपल्या में एक कार अनियंत्रित होकर पलट गई. घटना में कार सवार कार के अंदर फंस गया वहीं मौके से गुजर रहे विधायक मनोज चौधरी ने कार का गेट तोड़कर घायल को बाहर निकाला और अस्पताल पहुंचाया. हाटपिपल्या और देवास के बीच एक कार अनियंत्रित होकर पलट गई. हादसे में कार के परखच्चे उड़ गए. कार चालक कपिल पाटीदार कार में फंस कर रह गया. इसकी जानकारी विधायक मनोज चौधरी को मिली तो उन्होंने तत्परता दिखाते हुए तुरंत लोहे की राड अपने हाथो में लेकर कार के गेट को खोलने का प्रयास किया. कड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार उन्हें गेट तोड़ने में कामयाबी मिली. इसके बाद कार चालक को निकालकर खुद एंबुलेंस के माध्यम से अस्पताल तक ले गए और घायल का इलाज कराया. इस घटना क्रम का वीडियो भी सामने आया है, जो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. मामले में मनोज चौधरी ने बताया कि जब देखा तो कपिल पाटीदार जो गाड़ी चला रहा था वह स्टेयरिंग व सीट के बीच में फसा हुआ था .दरवाजा भी लॉक हो चुका था. फिर दरवाजे को टॉमी से खोलने का प्रयास किया .इस दौरान पीछे का दरवाजा खुल गया. साथियों के मदद से उसे बाहर निकाला और एबुलेंस से उसे हाटपीपल्या के अस्पताल पहुंचाया फिलहाल उसकी हालत ठीक है.
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9 October 2024छतरपुर में रेप, ह्त्या और ह्त्या के प्रयास के आरोपी भोला अहिरवार के साथ पुलिस की मुठभेड़ हुई. पुलिस से घिर जाने के बाद आरोपी ने खुद को गोली मार लिए. इस घटना का वीडियो भी सामने आया है. आरोपी ने खुद एसपी को अपनी लोकेशन बताई थी. छतरपुर में रेप पीड़िता और उसके परिवार के तीन लोगों को गोली मारने के आरोपी भोला अहिरवार ने पुलिस से घिर जाने के बाद खुद के सिर में गोली मार ली. इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया है जिस में पुच्छी पहाड़ी पर खड़ा आरोपी खुद को गोली मार रहा रहा है. उसने सुसाइड से पहले सोशल मीडिया पर पोस्ट कर एसपी को अपनी लोकेशन बताई थी. इस घटना से पहले भोला ने एक नाबालिग लड़की से रेप किया था और उस मामले में समझौता करने के लिए पीड़ित लड़की और उसके परिजनों पर दबाव बना रहा था. पिछले दो महीने में पुलिस आरोपी तक नहीं पहुँच पाई. इस एनकाउंटर से दो रोज पहले वह पीड़ित लड़की के घर पहुंचा और पीड़ित लड़की और उसके दो रिश्तेदारों को गोली मार दी. इस घटना में एक शख्स की मौके मौत हो गई. जबकि पीड़िता और उसके चाचा की हालात अभी गंभीर है. मौत के पहले आरोपी ने एफबी पर समर्पण करने की पोस्ट डाली थी और पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए थे. घटना के दिन ही डीआईजी ने आरोपी की गिरफ्तारी हेतु SIT गठित कर 20 हजार का ईनाम घोषित किया था. सागर आईजी का कहना है कि आरोपी की पुलिस की घेराबंदी पर भोला ने पुलिस पर दो राउंड गोली चलाई. जिस पर पुलिस ने चार राउंड गोली चलाई ,उसके बाद आरोपी ने गोली मारकर खुदकुशी कर ली.
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9 October 2024प्रदेश में हो रहे महिला अपराधों को लेकर कांग्रेस जगह जगह विरोध प्रदर्शन कर रही है. खातेगाँव मे महिला कांग्रेस ने महिला अपराधों के खिलाफ कैंडल मार्च निकाला और प्रदेश सरकार की आलोचना की. मध्य प्रदेश में महिला अपराधों के खिलाफ कांग्रेस सड़क पर आ गई है. देवास जिला महिला कांग्रेस अध्यक्ष संगीता सुनील यादव के नेतृत्व में कैंडल मार्च निकालकर बेटियों एवं बहनों पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध बेटी बचाओ अभियान की शुरुआत की गई. कैंडल मार्च की शुरुआत जवाहर चौक स्थित माताजी के पंडाल से हुई. कैंडल मार्च के जरिए कांग्रेस ने प्रदेश में महिला सुरक्षा के मुद्दे को उठाया. महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष संगीता सुनील यादव ने कहा पूरे प्रदेश में सरकार के खिलाफ जमकर आक्रोश है. मध्यप्रदेश में बढ़ते महिला अपराध और रेप-बलात्कार की घटनाएं अब आम हो चुकी हैं ऐसे में प्रदेश की सरकार कुम्भकरणी निद्रा में सोई हुई है .
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9 October 2024उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी नया भू कानून लाने जा रहे हैं ... इससे पहले धामी ने बाहरी व्यक्तियों द्वारा खरीदी गई जमीनों की जांच भी दिए हैं ... उन्होंने कहा जिन परियोजनाओं के लिए उत्तराखंड में भूमि खरीदी गई थी ... कई जगह उन परियोजनाओं में नियमों का उल्लंघन हो रहा है इसके जरिये उस पर भी नजर रखी जाएगी ... मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हल्द्वानी के लामाचौड पहुंचे .... जहां भाजपा कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का स्वागत किया ... इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार उत्तराखंड में में सशक्त भू कानून लाने वाली है ... वर्तमान में सरकार ने बाहरी व्यक्तियों द्वारा खरीदी गई जमीनों के जांच के निर्देश दिए हैं ... उन्होंने कहा कि उनके संज्ञान में यह भी आया है कि जिन परियोजनाओं के लिए उत्तराखंड में भूमि खरीदी गई थी कई जगह उन परियोजनाओं के नाम पर नियम कानूनों का उल्लंघन हो रहा है ... ऐसे में उनके द्वारा यह निर्देश दिए गए हैं कि ऐसी सभी भूमि जो नियम संगत नही है और नियम कानून का उल्लंघन कर रही है उन जमीनों को राज्य सरकार में निहित किया जाए ...
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8 October 2024शिवपुरी । केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सोमवार देर शाम अपने शिवपुरी जिले के प्रवास के दौरान कोलारस कस्बे की एक मिठाई की दुकान पर पहुंचे। यहां उन्होंने दुकानदार को बुलाया और कहा कि धर्मपत्नी को कौन सी मिठाई खिला दी थी, उस मिठाई को लेने के लिए उन्हें भेजा गया है। दरअसल, लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान ज्योतिरादित्य सिधिंया की धर्मपत्नी प्रियदर्शनी सिंधिया कोलारस में विनोद रिजाले की मिठाई की दुकान पर रुकी थीं। यहां उन्हें कूमड़ापाक से बनी मिठाई बेहद ही पसंद आई थी। प्रियदर्शनी सिंधिया मिठाई पैक करके अपने साथ भी ले गई थीं। सोमवार को जब सिंधिया मिठाई की दुकान पर पहुंचे तो खुद मिठाई खाने से अपने को रोक नहीं पाए। उन्होंने अपने आप को पत्निव्रता बताते हुए आदेश मानने की बात कहते हुए पहले मिठाई खाई और फिर पैक कराई। सिधिंया ने कहा दुकानदार विनोद से कहा कि तुमने क्या करिश्मा कर दिया कि महारानी ने आदेश दिया हैं कि जो मिठाई खिलाई थी, वह साथ लानी हैं। इस दौरान सिंधिया ने मिठाई के बारे में दुकानदार विनोद से जानकारी भी ली। उन्होंने कहा कि मैं पत्नीव्रता हूं, मुझे लाने का आदेश मिला हैं, मैं मिठाई लेने आया हूं। उन्होंने दुकानदार विनोद से कहा कि मेरी हाजरी लगा देना। अगर फोन आये तो बता देना कि मैं खुद मिठाई लेने आया हूं। मैंने किसी को मिठाई लेने नहीं भेजा है।
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8 October 2024जबलपुर । फिल्म अभिनेत्री और भाजपा सांसद कंगना रनौत को जबलपुर की विशेष न्यायालय ने देश को आजादी भीख में मिलने के बयान को लेकर नोटिस जारी किया है। दरअसल, कंगना ने नवंबर 2021 में एक कार्यक्रम में कहा था कि 'असली आजादी हमें 2014 में मिली, 1947 में तो भीख मिली थी।' इस बयान के खिलाफ 2021 में ही जबलपुर जिला न्यायालय में अधिवक्ता अमित साहू ने कम्प्लेंट फाइल की थी। उन्होंने कोर्ट को बताया कि एक सेलिब्रेटी होने के बाद भी कंगना का यह बयान शर्मसार करने वाला है। न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी विश्वेश्वरी मिश्रा की विशेष न्यायालय में सोमवार को मामले की सुनवाई हुई। परिवादी जबलपुर निवासी अधिवक्ता अमित कुमार साहू ने अपना पक्ष स्वयं रखा। उन्होंने दलील दी कि यह परिवाद 2021 में दायर किया गया था। इससे पूर्व अधारताल थाने में लिखित शिकायत दी गई थी। कोई कार्रवाई नहीं हुई तो पुलिस अधीक्षक को पत्र सौंपा गया। इसका भी नतीजा न निकलने पर परिवाद दायर कर दिया गया। कोर्ट ने माना है कि कंगना का बयान सही नहीं है। कोर्ट ने कंगना को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 05 नवंबर 2024 को होगी। अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ दर्ज हो मामला याचिकाकर्ता अधिवक्ता अमित साहू ने बताया कि आपत्ति का मुख्य बिंदु यह है कि देश को आजादी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान से मिली थी। उसके बावजूद अभिनेत्री कंगना रनौत ने अपने बयान में कहा था कि 1947 में आजादी भीख में दी गई थी। हमको असली आजादी 2014 में मिली है। इस तरह के अनुचित बयान को गंभीरता से लेकर मामला दर्ज करने का आदेश जारी किया जाए। इसी मांग के साथ अदालत की शरण ली है। हालांकि, कंगना अपने इस बयान को लेकर पहले ही माफी मांग चुकी हैं। उन्होंने कहा था कि यदि मेरे अपने बयान से किसी को निराशा हुई है तो मैं अपने शब्द वापस लेती हूं।
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8 October 2024डेहरी । बिहार में रोहतास जिले के रोहतास थाना क्षेत्र के तुम्बा गांव के निकट सोन नदी ने स्नान करने के क्रम में एक ही परिवार और रिश्तेदार के 6 किशोर और एक किशोरी डूब गए। सूचना पाते ही सोन तट पर जनप्रतिनिधि और प्रशासन के लोग तत्काल पहुंचे।दो लोगो का स्वास चल रहा था।तत्काल प्रखंड विकाश पदाधिकारी बबलू कुमार व अंचलाधिकारी सिबू के पहल पर एंबुलेश से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रोहतास भेजा गया।जहा चिकित्सको ने दोनो को मृत घोषित कर दिया।डूबे किशोर में अभय कुमार उम्र 10 वर्ष पिता केदार गौड़,विवेक कुमार उम्र 12 वर्ष पिता हीरालाल गौड़ उर्फ टुन्नू गौड़,राजू कुमार उम्र 12 वर्ष पिता कृष्णा गौड़ सभी तुम्बा निवासी है।जबकि इनके रिश्तेदार रांची झारखंड निवासी नंद किशोर गौड़ के पुत्र पवन कुमार उम्र सात वर्ष,पुत्री नाव्या कुमारी उम्र 13 वर्ष निधि कुमारी उम्र 12 वर्ष,गुनगुन कुमारी उम्र 8 वर्ष शामिल है।सभी अपने परिजन और कुछ अन्य बच्चो के साथ सोन नदी में स्थान करने गए थे।एक का पैर फिसला और उसे बचाने में धीरे धीरे सभी नदी के गहरे पानी में चले गए। तीन किशोर किसी प्रकार अपना जान बचाने में सफल रहे।जो बाहर निकल गए।शेष सात पानी में डूब गए।जिसमे से रांची निवासी नंदकिशोर के सभी दो लड़का और दो लड़की और अभय समेत पांच का शव नदी किनारे से बरामद कर लिया गया है।शेष दो की खोज जारी है।घटना स्थल पर अनुमंडल पदाधिकारी सूर्य प्रताप सिंह व थानाध्यक्ष निकुंज भूषण कैंप किए हुए है।अनुमंडल पदाधिकारी ने बताया कि एक अन्य किशोर का शव मिल गया है जिसकी पहचान की जा रही है।प्रयास है कि सभी का शव खोज लिया जाए।पूर्व विधायक ललन पासवान ने जिला पदाधिकारी को सूचना कर सभी के परिजनों को उचित मुवावजा देने की मांग किया है।घटना स्थल पर कई जन प्रतिनिधि भी मौजूद होकर शव खोजने में गोताखोर को मदद कर रहे है।
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6 October 2024इन दिनों राहुल गाँधी के जलेबी की फैक्ट्री वाले बयान की खूब चर्चा है ... इस चर्चा पर तंज करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि राहुल गांधी कहीं किसी दिन आदमी बनाने की फैक्ट्री ना डाल दें... राहुल गांधी कुछ भी कर सकते हैं ... भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने राहुल गांधी पर तंज करते हुए कहा है कि... राहुल गांधी कुछ भी कर सकते हैं पहले वह आलू की फैक्ट्री खोल रहे थे....अब वह जलेबी की फैक्ट्री खोलने की बात कर रहे है...देखना किसी दिन राहुल गांधी कहीं आदमी बनाने की फैक्ट्री ना खोलने की बात ना कहे ...क्योंकि वह राहुल गांधी है वह कुछ भी कर सकते हैं...
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6 October 2024मध्यप्रदेश की चर्चित शख़्सियतों में से एक प्रवीण कक्कड़ की बहुप्रचारित और बहुप्रतिक्षित पुस्तक ‘दंड से न्याय तक’ का विमोचन आज दिनांक 6 अक्टूबर को मध्यप्रदेश पुलिस के पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री एस के दास, सीबीआई के स्पेशल प्रॉसिक्यूटर श्री मनोज द्विवेदी जी एवं साहित्यकार पंकज सुबीर के हाथों संपन्न हुआ। विमाचन समारोह में पुलिस, पत्रकार, साहित्यकार और इंदौर समेत मध्यप्रदेश के कई गणमान्य नागरिक शामिल हुए। इंदौर की होटल श्रीमाया रेज़िडेंसी में संपन्न आयोजन में पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री दास ने कहा कि समाज को यह जानना जरूरी है कि कानून क्या है उनके अधिकार क्या है और अपने अधिकारों का उपयोग व कैसे कर सकते हैं। यह पुस्तक बहुत ही सही अवसर पर आई है। आज कानून में परिवर्तन को समझने की पूरे समाज को जरूरत है। अंग्रेजों के जमाने में जैसा आमजन को पुलिस से डर लगता था वह काफी हद तक खत्म हुआ है। पूरी तरह खत्म होने की दिशा में यह पुस्तक सार्थक कड़ी होने का कार्य करेगी। विशेष अतिथि श्री मनोज द्विवेदी ने कहा कि कानून आमजन को सोशल जस्टिस दिलाने के लिए है। इसी पहल को लेकर नया कानून आया है। व्यक्ति कानून का जानकार रहेगा तो अपराध कम होंगे। इस विषय पर अब तक कोई पुस्तक नहीं आई है। ऐसे में कानून को समझने के लिए और धाराओं की जानकारी लेने के लिए यह पुस्तक उपयोगी साबित होगी। उन्होंने प्रवीण जी के टाइम मैनेजमेंट की तारीफ करते हुए कहां की इन्हें हम पुलिस सेवा में भी समय प्रबंधन के लिए जानते थे, मंत्रालय और सचिवालय में भी इसी की चर्चा थी। शिवना प्रकाशन के पंकज सुबीर ने पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पुस्तक सिर्फ पुलिस अधिकारियों के लिए ही नहीं बल्कि हर आमजन के लिए महत्वपूर्ण है। यह पुस्तक बताती है कि कानून में कौन-कौन सी धाराएं बदल गई हैं। सोशल मीडिया के तूफान के बीच इस पुस्तक का आना एक सार्थक पहल है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रवीण जी को लोग एक पूर्व पुलिस अधिकारी और पूर्व ओएसडी के रूप में तो जानते ही हैं लेकिन एक लेखक के रूप में अब उनकी यह नई पहचान बनेगी। पुस्तक के लेखक श्री प्रवीण कक्कड़ ने पुस्तक को अपनी मां स्वर्गीय विद्यादेवी कक्कड़ को समर्पित करते हुए कहा कि मेरा जीवन पुस्तकालय से शुरू हुआ था कॉलेज में मैं काफी किताबें पढ़ता था। फिर पुलिस मुख्यालय, सचिवालय और मंत्रालय से होता हुआ फिर पुस्तकालय तक पहुंच गया है। जीवन में काफी उतार चढ़ाव आते हैं लेकिन जब भी आपको आगे बढ़ना हो तो आपको वह सीढ़ी छोड़ना पड़ेगी जिस पर आप मजबूती से खड़े हैं, अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलेंगे, तभी आप ऊपर की ओर बढ़ पाएंगे। उन्होंने पुस्तक के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस के नये कानून ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता’ (बीएनएसएस) और पुराने क़ानून ‘भारतीय दंड संहिता’ (आईपीसी) के बीच के बदलाव को मैने बेहद सरल भाषा में अंकित किया है। यह पुस्तक पुलिस, प्रशासन, क़ानून के विद्यार्थियों और वकीलों के साथ साथ आम जनता के लिये भी बेहद उपयोगी साबित होने वाली है। इस पुस्तक में पुराने और नए कानून में धाराओं के परिवर्तन, ऑनलाइन शिकायत सहित अन्य महत्वपूर्ण बदलाव की जानकारी है। इसके साथ ही दुनिया की बेस्ट पुलिसिंग सिस्टम और पुलिस सुधार के विभिन्न प्रयासों का भी उल्लेख है। कार्यक्रम में स्वागत भाषण श्रीमती ज्योति जैन ने दिया। उन्होंने शिवना प्रकाशन परिवार की ओर से सभी का स्वागत किया। कार्यक्रम के सूत्रधार संजय पटेल थे।
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6 October 2024नई दिल्ली । राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए.) ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की गतिविधियों से जुड़े मामले में शनिवार को दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश सहित छह राज्यों में 22 जगहों पर छापेमारी की। एनआईए के मुताबिक दिल्ली में उत्तर पूर्वी दिल्ली के पुराने मुस्तफाबाद इलाके में एक घर पर छापेमारी की है। यह कार्रवाई देश में आतंकी नेटवर्क को निशाना बनाने वाले व्यापक अभियान के हिस्से के रूप में की जा रही है। एनआईए की टीम ने महाराष्ट्र के मालेगांव में एक होमियोपैथी क्लीनिक में छापेमारी की। एनआईए की यह छापेमारी दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, असम, जम्मू-कश्मीर और असम में जारी है। विस्तृत विवरण की प्रतीक्षा है।
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5 October 2024कोलकाता । आरजी कर मेडिकल कॉलेज आैर अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों ने शुक्रवार रात से ही अपनी दूसरी पूर्ण हड़ताल समाप्त कर काम पर वापसी कर ली है। शनिवार सुबह से उन्होंने आउटडोर विभाग में भी मरीजों का इलाज शुरू कर दिया है। आरजी कर सहित अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी शनिवार को यही स्थिति देखी गई, जहां डॉक्टर मरीजों को देखकर आवश्यक चिकित्सा परामर्श दे रहे थे। जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि इतने दिनों से चले आ रहे आंदोलन के दौरान आम जनता ने उनका समर्थन किया है। अब वे जनता के साथ खड़े होकर पूरी तरह से चिकित्सा सेवाओं को सामान्य कर रहे हैं। उन्होंने आंदोलन के दौरान साथ खड़े रहने वाले वरिष्ठ डॉक्टरों के प्रति भी आभार प्रकट किया। आरजी कर मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर आरिफ अहमद लस्कर ने कहा, "वेस्ट बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट की आधिकारिक घोषणा के बाद हड़ताल पूरी तरह समाप्त कर दी गई है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज सहित अन्य सभी मेडिकल कॉलेजों में जूनियर डॉक्टर अब काम पर लौट चुके हैं। हमने आउटडोर विभाग के साथ-साथ अस्पताल में भर्ती मरीजों और इमरजेंसी सेवाओं में भी काम शुरू कर दिया है।" शुक्रवार रात से ही आरजी कर अस्पताल की इमरजेंसी और इंडोर सेवाओं में जूनियर डॉक्टरों ने काम पर वापसी कर ली थी। शनिवार सुबह से आउटडोर सेवाएं भी पूरी तरह से सामान्य हो गईं। आंदोलन के दौरान वरिष्ठ डॉक्टरों ने हमेशा जूनियर डॉक्टरों का समर्थन किया और अतिरिक्त काम करके मरीजों की देखभाल जारी रखी। अब भी वे जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन के साथ खड़े हैं। हालांकि, वरिष्ठ डॉक्टरों ने हाल के दिनों में सुझाव दिया था कि पूर्ण हड़ताल के बजाय किसी और तरीके से आंदोलन को आगे बढ़ाया जा सकता है। इस सुझाव को स्वीकार करते हुए जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म करने का निर्णय लिया। कोलकाता मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर अनिकेत कर ने भी बताया कि शुक्रवार रात से इमरजेंसी सेवाओं, सर्जरी विभाग सहित विभिन्न विभागों में डॉक्टरों ने काम शुरू कर दिया है। शनिवार सुबह से ही कोलकाता मेडिकल कॉलेज के आउटडोर विभाग में भी मरीजों को देखा जा रहा है। इसके साथ ही, डॉक्टरों ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक रोटेशन शेड्यूल तैयार किया है ताकि वे विरोध स्थल पर भी अपनी उपस्थिति बनाए रख सकें।
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5 October 2024नई दिल्ली । गलत सूचना, सनसनीखेज और राष्ट्र-विरोधी नेरेटिव से उत्पन्न खतरों पर चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मीडिया से इन खतरों का मुकाबला करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि झूठे नेरेटिव और सनसनीखेज बातें भले ही दिलचस्प हों, लेकिन वे देश के ताने-बाने को नुकसान पहुंचाती हैं। मीडिया को इन ताकतों को बेअसर करना चाहिए और हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करनी चाहिए। उपराष्ट्रपति ने शनिवार को नई दिल्ली में प्रतिदिन मीडिया नेटवर्क द्वारा आयोजित ‘कॉन्क्लेव 2024’ में राष्ट्र निर्माण में मीडिया की भूमिका पर जोर दिया। धनखड़ ने सरकार की “एक्ट ईस्ट पॉलिसी” के परिवर्तनकारी प्रभाव और राष्ट्रीय नेरेटिव को आकार देने में मीडिया के महत्व पर भी प्रकाश डाला। धनखड़ ने मीडिया से पूर्वोत्तर के लिए राजदूत के रूप में काम करने और इसकी पर्यटन क्षमता और विकासात्मक प्रगति को बढ़ावा देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, "मीडिया जनता को सूचित करने और दिमाग को प्रज्वलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आपकी कहानियां विकास के लिए शक्तिशाली उपकरण के रूप में काम कर सकती हैं, जो हमारे विविध क्षेत्रों में मौजूद अद्वितीय अवसरों पर प्रकाश डालती हैं।" उपराष्ट्रपति ने तेजी से बढ़ते तकनीकी व्यवधान के दौर में जिम्मेदार मीडिया की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने सार्वजनिक संवाद की अखंडता को बनाए रखने के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, "संपादकीय क्षेत्र को जनता को सूचित और संवेदनशील बनाना चाहिए ताकि मीडिया लोकतंत्र का प्रहरी बना रहे।" उन्होंने आपातकाल के दौरान समाचार पत्रों के साहसी रुख को भी याद किया, जब कुछ ने अपने संपादकीय स्थान को खाली छोड़कर सेंसरशिप का विरोध किया था। उन्होंने कहा, "मीडिया को हमेशा लोकतंत्र के स्तंभ के रूप में खड़ा रहना चाहिए।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रेस की स्वतंत्रता उसकी जिम्मेदारी से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा, "मैं मीडिया से आग्रह करता हूं कि वह भारत के अभूतपूर्व विकास पथ पर ध्यान केंद्रित करे और एक सूचित और संतुलित संवाद को बढ़ावा दे जो हमारे लोकतंत्र को मजबूत करे।" उपराष्ट्रपति धनखड़ ने बंगाली, मराठी, पाली, प्राकृत और असमिया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "इस पदनाम का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो हमारे देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता को दर्शाता है।" उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि एक्ट ईस्ट नीति देश की सीमाओं तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि भारत से आगे जाकर दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ गहरे संबंधों को बढ़ावा देगी। उन्होंने बढ़ती कनेक्टिविटी की ओर इशारा किया जो जल्द ही पूर्वोत्तर से कंबोडिया तक यात्रा को सक्षम बनाएगी, जहां भारत सरकार के प्रयासों से प्रतिष्ठित अंकोरवाट मंदिर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "यह नीति एक गेम चेंजर साबित होगी, जो इस क्षेत्र के साथ गहरे सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देगी।"
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5 October 2024नई दिल्ली । केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ड्रग्स की बहुत बड़ी खेप पकड़े जाने पर शुक्रवार को कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस युवाओं को ड्रग्स की अंधेरी दुनिया में ले जाना चाहती है। अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा कि एक ओर जहां मोदी सरकार 'नशामुक्त भारत' के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है, वहीं उत्तर भारत से पकड़ी गई ड्रग्स की 5,600 करोड़ रुपये की खेप में कांग्रेस के एक प्रमुख व्यक्ति की संलिप्तता बेहद खतरनाक और शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन में ड्रग्स से पंजाब, हरियाणा और समग्र उत्तर भारत में युवाओं का जो हाल हुआ, वह सभी ने देखा है। मोदी सरकार युवाओं को खेल, शिक्षा और इनोवेशन की ओर ले जा रही है, तो वहीं कांग्रेस उन्हें ड्रग्स की अंधेरी दुनिया में ले जाना चाहती है। गृहमंत्री शाह ने कहा कि कांग्रेस नेता द्वारा अपने राजनीतिक रसूख से युवाओं को ड्रग्स के दलदल में झोंकने का जो पाप किया जाना था, उन इरादों को मोदी सरकार कभी पूरा नहीं होने देगी। हमारी सरकार ड्रग्स के कारोबारियों का राजनीतिक पद या कद देखे बिना, ड्रग्स के पूरे तंत्र का विनाश कर 'नशामुक्त भारत' बनाने के लिए संकल्पित है।
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4 October 2024नई दिल्ली । सोशल मीडिया कंपनी मेटा (फेसबुक) के को-फाउंडर और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) मार्क जुकरबर्ग दुनिया के दूसरे सबसे अमीर शख्स बन गए हैं। उन्होंने यह उपलब्धि अमेजन के अध्यक्ष और पूर्व सीईओ जेफ बेजोस को पछाड़ कर हासिल की है। ऐसा मेटा प्लेटफॉर्म्स के शेयरों में लगातार बढ़ोतरी के कारण हुआ है। ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स की ओर से शुक्रवार को जारी सूची के मुताबिक जुकरबर्ग की कुल संपत्ति 3 अक्टूबर को 206.2 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। इस वृद्धि के कारण जुकरबर्ग संपत्ति के मामले में जेफ बेजोस से 1.1 अरब डॉलर आगे निकल गए, जिनकी कुल संपति 205.1 अरब डॉलर से ऊपर है। हालांकि, जुकरबर्ग दुनिया के सबसे अमीर शख्स टेस्ला के प्रमुख एलन मस्क से करीब 50 अरब डॉलर पीछे हैं। इस सूची में पहले नंबर पर एलन मस्क, दूसरे नंबर पर मार्क जुकरबर्ग और तीसरे नंबर पर जेफ बेजोस का नाम है। वहीं, टॉप 10 सबसे अमीर लोगों की सूची में बर्नार्ड अर्नाल्ट, लैरी इल्लीजन, बिल गेट्स, लैरी पेज, स्टीव बॉलमर, वॉरेन बफे और सर्गी ब्रिन शामिल हैं। भारत की बात करें तो मुकेश अंबानी 107 अरब डॉलर की कुल संपत्ति के साथ 14वें नंबर पर हैं। गौतम अडानी उनसे कुछ पायदान नीचे 17वें स्थान पर इस सूची में अपनी जगह बनाए हुए हैं। मौजूदा समय में उनकी कुल संपत्ति 100 अरब डॉलर है।
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4 October 2024नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति प्रसादम में मिलावट के आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है। एसआईटी टीम की मॉनिटरिंग सीबीआई डायरेक्टर करेंगे। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया है। एसआईटी में सीबीआई डायरेक्टर की ओर से मनोनीत दो सीबीआई अधिकारी, दो राज्य पुलिस के अधिकारी और एक एफएसएसएआई के अधिकारी शामिल होंगे। अब राज्य सरकार की ओर से गठित एसआईटी की बजाय ये नई एसआईटी जांच करेगी। कोर्ट ने कहा कि वो नहीं चाहता है कि ये मामला सियासी ड्रामा में तब्दील हो। मामला करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ा है। इसलिए वो इस मामले में स्वतंत्र एसआईटी की जांच का आदेश दे रहा है। उल्लेखनीय है कि 30 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा था कि भगवान को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जो रिपोर्ट सार्वजनिक हुई है वो जुलाई की है लेकिन मुख्यमंत्री इसको लेकर सितंबर में बयान दे रहे हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि इस रिपोर्ट को देखकर ये स्पष्ट नहीं है कि कथित मिलावट वाला घी लड्डू प्रसाद में इस्तेमाल हुआ कि नहीं। कोर्ट ने मंदिर प्रशासन से पूछा कि जिस सैंपल में मिलावट मिला था, क्या उसका इस्तेमाल प्रसादम बनाने में हुआ था। तब मंदिर प्रशासन के वकील ने कहा था कि इसकी जांच करनी होगी। इस पर कोर्ट ने कहा कि जब जांच चल रही थी, फिर ये सबूत कहां है कि प्रसादम का लड्डू बनाने में मिलावटी घी का प्रयोग हुआ था। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी समेत दूसरे याचिकाकर्ताओं ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें मामले की जांच की मांग की गई थी।याचिका में भगवान श्री वेंकटेश्वर के निवास स्थान तिरुपति तिरुमाला में लड्डुओं में घटिया सामग्री और पशु चर्बी वाले घी के कथित आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कमेटी गठित करने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि मंदिर में प्रसाद की गुणवत्ता की आंतरिक रूप से जांच करने की जानी चाहिए।
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4 October 2024नई दिल्ली । कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बिहार में बाढ़ से हुए जान माल के नुकसान पर दुख जताते हुए केंद्र व राज्य सरकार से राहत एवं बचाव कार्यों में तेजी लाने की मांग की है। खरगे ने कहा कि बिहार के बाढ़ पीड़िताें को पीएम केयर फंड से मुआवजा मिलनी चाहिए। कांग्रेस कार्यकर्ताओं से भी अपेक्षा कि है कि वे पीड़ितों की सेवा के लिए तत्पर रहें। खरगे ने गुरुवार काे एक्स पोस्ट में यह बात कही। खरगे ने कहा कि बिहार में बाढ़ का मंज़र भयंकर होता जा रहा है। 17 ज़िलों में क़रीब 15 लाख़ लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। पिछले कुछ दिनों में कई लोगों की मृत्यु का समाचार बेहद पीड़ादायक है। पुल टूटे हैं और ख़ासकर उत्तरी बिहार में आपदा के चलते नागरिकों के घर उजड़े हैं। केंद्र और राज्य सरकार से हमारी मांग है कि राहत एवं बचाव कार्यों में तेज़ी लाई जाए ताकि पीड़ितों को त्वरित मदद मिल सके। कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कहा कि विषम परिस्थितियों में भारतीय वायुसेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें जो मदद कर रही हैं, उनका हम तहे दिल से धन्यवाद करते हैं पर अभी भी राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा हर संभव मदद की बेहद ज़रूरत है। जिन किसानों की फ़सल बर्बाद हुई है उन्हें भी मुआवज़ा मिलना चाहिए।
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3 October 2024नवाचार के क्षेत्र में ग्वालियर में नया अध्याय जुड़ गया है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ग्वालियर की आदर्श गौशाला लाल टिपारा में बायो सीएनजी प्लांट का वर्चुअल शुभारंभ किया ... केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल एवं केन्द्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर भी वर्चुअल इस कार्यक्र शामिल हुए ... इस समारोह में लाल टिपारा गौशाला में केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर शामिल हुए ... लाल टिपारा गौशाला में 2 बायो सीएनजी प्लांट के शुभारंभ के साथ-साथ स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा के समापन हुआ ... इस प्लान का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया ... जहाँ गाय के गोबर से बायो सीएनजी बनेगी ... लाल टिपारा गौशाला को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इंडियन ऑयल कार्पोरेशन के सहयोग से 2 हेक्टेयर क्षेत्र में बायो सी.एन.जी. प्लांट स्थापित किया गया है ... इस प्लांट के संचालन के लिए 100 टन गोबर का उपयोग कर प्रतिदिन 3 टन तक सीएनजी और सर्वोत्तम गुणवत्ता का 20 तन जैविक खाद तैयार करेगा ... लाल टिपारा गौशाला कार्बन उत्सर्जन रोकने में वैश्विक आदर्श बनेगी ...
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3 October 2024नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन की जांच के लिए मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने गुरुवार काे यह आदेश दिया। मद्रास हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया था कि वो ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों का ब्योरा पेश करे। दरअसल, आज वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष मामले को मेंशन करते हुए मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की। रोहतगी ने कहा कि ये धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे हैं। यह ईशा फाउंडेशन के बारे में बहुत जरूरी और गंभीर मामला है। सद्गुरु के लाखों अनुयायी हैं। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट मौखिक बयानों पर ऐसी जांच शुरू नहीं कर सकता।
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3 October 2024वाराणसी । जमैका के प्रधानमंत्री एंड्रयू होलनेस ने बुधवार को सारनाथ में भ्रमण किया और ऐतिहासिक जगहों पर फोटो भी खिंचवाई । इस दौरान उनके साथ प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, प्रदेश के संसदीय कार्य एवं जिले के प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना भी मौजूद रहे। मेहमान प्रधानमंत्री ने सारनाथ में पुरातात्विक खंडहर, संग्रहालय और स्तूप का अवलोकन किया। इस दौरान मेहमान प्रधानमंत्री ने भगवान बुद्ध को नमन भी किया। संग्रहालय में मौजूद राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ को देखकर प्रधानमंत्री एंड्रयू होलनेस ने इसके बारे में उत्सुकता दिखाई और जानकारी हासिल की। धमेख स्तूप के ऐतिहासिक तथ्य को भी जाना। अधीक्षक पुरातत्वविद् ने इस दौरान महत्वपूर्ण तथ्यों को बताया। अशोक स्तंभ, मूलगंध कुटी बिहार, पवित्र धमेख स्तूप को देख जमैका के प्रधानमंत्री प्रभावित दिखे। इस दौरान पूरे परिसर में सुरक्षा का व्यापक प्रबंध रहा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारी भी सजग रहे। इससे पहले जमैका के प्रधानमंत्री बाबतपुर स्थित लाल बहादुर शास्त्री अन्तरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर पहुंचे। एयरपोर्ट के एप्रन पर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, प्रदेश के संसदीय कार्य एवं जिले के प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना और जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्या ने प्रधानमंत्री एंड्रयू होलनेस का गर्मजोशी से स्वागत किया। एयरपोर्ट से बाहर निकलने पर सांस्कृतिक ग्रुप के कलाकारों ने मनोहारी नृत्य से स्वागत किया। मेहमान प्रधानमंत्री ने भी लोगों का अभिवादन नमस्ते कर स्वीकार किया। एयरपोर्ट से कड़ी सुरक्षा के बीच वाहनों के काफिले में प्रधानमंत्री एंड्रयू होलनेस सारनाथ पहुंचे। सारनाथ भ्रमण के बाद वह नदेसर स्थित होटल पहुंचे, जहां उन्होंने लंच किया। शाम चार बजे वे बड़ालालपुर स्थित टीएफसी जाएंगे। यहां से नमो घाट जाएंगे। नमोघाट से क्रूज पर बैठकर दशाश्वमेध घाट की विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती देखेंगे। गंगा आरती देखने के बाद बाबतपुर एयरपोर्ट लौटकर वे रात आठ बजे राजधानी दिल्ली के लिए उड़ान भरेंगे।
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2 October 2024रांची । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बुधवार को फिर से झारखंड दौरे पर आए हैं। दोपहर 1:10 बजे विशेष विमान से वे रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पहुंचे। इसके बाद वे हेलीकॉप्टर से हजारीबाग पहुंचे। वहां प्रधानमंत्री मोदी हजारीबाग के विनोबा भावे विश्वविद्यालय के मटवारी गांधी मैदान में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। माैके पर प्रधानमंत्री ने जोहार कहकर संबोधित किया। उन्हाेंने कहा कि हमारा आदिवासी समाज तभी आगे बढ़ेगा जब आदिवासी युवाओं को अच्छी शिक्षा का अवसर मिलेगा। आज हमारी सरकार आदिवासी इलाकों में 40 एकलव्य स्कूल का शिलान्यास करने जा रही है, ताकि हमारे जनजातीय समाज को बेहतर शिक्षा मिले। उन्होंने कहा कि एक बार फिर मुझे यहां आने का सौभाग्य मिला। कुछ दिन पहले मैं झारखंड आया था। वहां से मैंने बड़ी संख्या में लोगों को आवास दिया। आज मैं यहां से फिर जनजातीय ग्राम योजना की शुरुआत करने जा रहा हूं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का मानना था कि भारत का विकास तभी हो सकता है कि जब आदिवासियों का विकास होगा।
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2 October 2024रोहतक । डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को बीस दिन की पैरोल मिलने पर बुधवार अल सुबह उन्हें रोहतक की सुनारियां जेल से रिहा कर दिया गया। पैरोल पर रिहाई के दौरान वह यूपी के बरनावा आश्रम में रहेंगे। राम रहीम की पैरोल को लेकर कांग्रेस ने एतराज जताया था और इस बारे में चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर कहा था कि राम रहीम को इस वक्त पैरोल देना ठीक नहीं है, इससे मतदान प्रभावित हो सकता है। सुरक्षा के बीच राम रहीम जेल से यूपी के लिए रवाना हुए है। बुधवार सुबह करीब पांच बजे सुनारियां जेल के बाहर हलचल शुरु हो गई थी और जेल परिसर की भी सुरक्षा बढ़ा दी गई। करीब साढे़ छह बजे सुबह की हाजिरी के बाद राम रहीम को कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच जेल से रिहा किया गया। अभी हाल में ही राम रहीम 4 सिंतबर को 21 दिन की फरलो काटकर जेल लौटे थे। राम रहीम की पैरोल पर निर्वाचन आयोग ने कुछ शर्तें भी लगाई हैं। वह पैरोल अवधि के दौरान हरियाणा में नहीं रहेंगे और न ही सोशल मीडिया पर एक्टिव होंगे और चुनावी गतिविधयों से दूर रहेंगे, अगर शर्तो का उल्लघंन हुआ तो उसी वक्त पैरोल को रद्द कर दिया जाएगा। राम रहीम की रिहाई को लेकर मंगलवार को कांग्रेस ने भी एतराज जताया था और चुनाव आयोग को शिकायत की थी, लेकिन देर रात सरकार ने राम रहीम की रिहाई के आदेश जारी किये और सुबह प्रशासन ने उन्हें रिहा कर दिया। प्रशासन ने तर्क दिया है कि जेल मैन्वअल के अनुसार राम रहीम की नियमों के तहत ही पैरोल दी गई है और इस वर्ष की 20 दिन की पैरोल राम रहीम की बाकि थी। एक कैदी की भांति अब उन्हें अगले साल में पैरोल मिलेगी।
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2 October 2024भारत समेत दुनिया के अधिकांश देशों में खान-पान का तरीका बिल्कुल अलग है. खान पान के मामले में कुछ लोग वेज खाना पसंद करते हैं, वहीं कुछ लोग नॉनवेज खाना पसंद करते हैं. अब तो कुछ लोग वेगन को भी अपना रहे हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दुनियाभर में सबसे अधिक वेज किस देश के लोग खाते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि किस देश में वेज खाने वाले लोगों की संख्या सबसे अधिक है. वेज फूड खाने के शौकीन लोग अच्छे खाने की तलाश में कई किलोमीटर दूर तक का सफर करते हैं. खाने की सबसे बड़ी विशेषता ये होती है कि सभी शहरों, राज्यों और देशों का खान-पान बिल्कुल अलग होता है. वहीं खाने के शौकीन लोग सभी तरह के खान-पान को पसंद करते हैं. इसमें कुछ लोग वेज खाना पसंद करते हैं, वहीं कुछ लोग नॉनवेज खाना पसंद करते हैं. हालांकि दुनियाभर में सबसे अधिक लोग नॉनवेज खाते हैं. लेकिन आज हम आपको उन देशों के बारे में बताएंगे, जहां पर सबसे अधिक लोग वेज खाना खाते हैं. यहां खाते हैं लोग वेज बता दें कि वेज खाने वालों की सूची में पहले नंबर पर भारत आता है. यहां 38 फीसदी से ज्यादा लोग शाकाहारी खाना खाते हैं. वहीं हरियाणा और राजस्थान ऐसे राज्य हैं, जहां सबसे ज्यादा शाकाहारी रहते लोग हैं. इसके बाद शाकाहारी खाने वालों में दूसरे नंबर पर इजरायल है. यहां रहने वाले 13 फीसदी लोग शाकाहार का सेवन करते हैं. यहां के लोगों का मानना है कि भूख मिटाने के लिए जानवर की कत्ल करना जायज नहीं है. इन देशों में भी लोग खाते हैं वेज वहीं तीसरे नंबर पर ताइवान है, जहां 12 फीसदी से ज्यादा लोग वेज खाना पसंद करते हैं. यहां तमाम शाकाहारी रेस्तरां हैं. वहीं शाकाहारी खाने वालों की सूची में चौथे नंबर पर इटली है, जहां 10 फीसदी लोग वेज खाते हैं. हालांकि इटली तो नानवेज के लिए फेमस है, लेकिन पीयू रिसर्च के रिपोर्ट के मुताबिक वहां वेज खाने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. वहीं पांचवें नंबर पर छोटा सा देश ऑस्ट्रिया है. यहां के 9 फीसदी लोग वेज खाना पसंद करते हैं. ऑस्ट्रिया का शाकाहारी भोजन अधिक मीठा होता है. इसमें कई सामग्रियां शामिल होती हैं. वहीं वेज खाने वाले देशों की सूची में 6वें नंबर पर यूरोपीय देश जर्मनी है. हालांकि यहां के लोग मांसाहार पसंद करते हैं, लेकिन 9 फीसदी लोग अभी भी पूर्ण शाकाहारी खाने पर ही निर्भर हैं.
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29 September 2024भारत और नेपाल के बीच जिस सुस्ता गांव को लेकर बीते 60 सालों से विवाद चल रहा है, वहां नेपाल का हैंगिंग ब्रिज तैयार हो चुका है। लोगों ने आना-जाना भी शुरू कर दिया। बीते 9 सालों से इस ब्रिज का कंस्ट्रक्शन चल रहा था। 1571 मीटर लंबे हैंगिंग ब्रिज पर नेपाल ने 2500 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। सुस्ता बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में आने वाले चकदहवा से एक कदम की दूरी पर है। 26 सितंबर को नेपाल के प्रेसीडेंट रामचंद्र पौडेल ने इसका इनॉगरेशन किया। ब्रिज के शुरू होने से सुस्ता में रहने वाले लोगों को अब बोट के जरिए गंडक नदी क्रॉस नहीं करनी पड़ रही है, बल्कि वो ब्रिज से पैदल और बाइक से नेपाल पहुंचने लगे हैं। गांव में ट्रांसफॉर्मर ग्रिड के जरिए बिजली भी पहुंचाई जा चुकी है। नेपाल की सरकार गांव के लोगों को एक साल तक बिजली फ्री देगी। नेपाल सुस्ता को अपने लुम्बिनी प्रदेश में बताता है। यहां की नवल परासी सीट से सांसद विनोद चौधरी ने ब्रिज के इनॉगरेशन के वक्त कहा कि, अभी सुस्ता में 350 लोग रहते हैं, इनकी संख्या एक हजार तक की जाएगी। सांसद ने राष्ट्रपति से सुस्ता में चीनी मिल शुरू करने की डिमांड भी की। सुस्ता में नेपाल की ही सेना तैनात है। वहीं, सुस्ता से करीब 50 मीटर पहले भारत का सीमा सुरक्षा बल तैनात है। सुस्ता पर दावे को लेकर भारत और नेपाल में विवाद चल रहा है। फिलहाल सुस्ता नेपाल के कब्जे में हैं। नए ब्रिज बनने के बाद सुस्ता के क्या हालात हैं, वहां रहने वाले क्या बोल रहे हैं और बिहार सरकार इस मामले में क्या कर रही है, ये सब जानने भास्कर रिपोर्टर आदित्य उपाध्याय सुस्ता पहुंचे। चकदहवा से एक कदम की दूरी पर सुस्ता पश्चिम चंपारण जिले के बगहा सब डिविजन में बगहा-2 प्रखंड है, इसी में चकदहवा गांव आता है, जिसकी नेपाल से दूरी महज एक कदम की है। चकदहवा से ही लगा हुआ सुस्ता है, जिसे लेकर दोनों देशों में विवाद चल रहा है। बगहा-2 प्रखंड में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व यानी VTR तक आने-जाने के लिए पक्की सड़क है। VTR के बीच में से ही एक रास्ता सुस्ता की तरफ जाता है। VTR से सुस्ता की दूरी करीब 7 किमी की है। इस रास्ते से दोपहिया वाहन भी आते-जाते हैं। हम इसी के जरिए बाइक से सुस्ता पहुंचे। चकदहवा में हमें SSB जवानों ने जांच के लिए रोका। पूछा, सुस्ता क्यों जा रहे हैं? हमने कहा, झूला पुल देखने जा रहे हैं। उन्होंने नाम और गाड़ी का नंबर पूछकर छोड़ दिया। करीब 40 मिनट में हम सुस्ता पहुंच गए। हम सीधे नए हैंगिंग ब्रिज को देखने पहुंचे। वहां ब्रिज देखने आए लोगों की भीड़ लगी थी। अधिकतर भारतीय मूल के नेपाली लोग थे। जमीन भारत की है, नदी ने कटाव किया तो यहां आए सुस्ता में हमारी मुलाकात बुधई से हुई। वे गांव में ही हैंगिंग ब्रिज के पास एक किराना दुकान चलाते हैं। खेतीबाड़ी भी करते हैं। सुस्ता के बारे में पूछने पर बोले, ‘सुस्ता पहले गंडक नदी के पूर्वी हिस्से में था, लेकिन नदी के पूर्वी हिस्से में कटाव के चलते हम लोग पश्चिम की तरफ आकर बस गए। अब ये जमीन तो भारत की है, लेकिन लोगों के विस्थापित होने के कारण कब्जा नेपाल का है।’ उन्होंने बताया कि, ‘हैंगिंग ब्रिज बनने से नेपाल आना-जाना बहुत आसान हो गया है। पहले हमें बोट के जरिए गंडक नदी पार करके नेपाल जाना पड़ता था, इसलिए लोग अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए नेपाल के बजाए भारत आते थे। लेकिन अब भारत आना-जाना कम हो जाएगा।’
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29 September 2024चंद्र मिशन और सैटलाइट्स की तस्वीरों का विश्लेषण करने वाले वैज्ञानिकों ने अनुमान जताया है कि चंद्रयान-3 चंद्रमा के सबसे पुराने क्रेटर्स में से एक मेंउतरा। वैज्ञानिकों की टीम में अहमदाबाद के फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी एंड इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) के रिसर्चर्स भी शामिल हैं। फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी के प्लैनेटरी साइंस डिवीजन में एसोसिएट प्रोफेसर एस विजयन ने बताया कि यह क्रेटर 3.85 अरब साल पहले नेक्टेरियन काल के दौरान बना था। नेक्टेरियन काल चंद्रमा के इतिहास में सबसे पुराने समय काल में से एक है। एस विजयन ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया कि चंद्रयान-3 लैंडिंग साइट एक यूनिक जियोलॉजिकल सेटिंग है। वहां इससे पहले कोई दूसरा मिशन नहीं गया है। चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर की तस्वीरें इस लैटिट्यूड पर चंद्रमा की पहली तस्वीरें हैं। तस्वीरें से पता चलता है कि चंद्रमा समय के साथ कैसे बदला है। भारत ने चंद्रयान-3 को 14 जुलाई, 2023 को 3 बजकर 35 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। 22 दिन बाद 5 अगस्त को यह चंद्रमा के ऑर्बिट में पहुंचा था। चंद्रयान-3 ने लॉन्च होने के 41वें 23 अगस्त को चंद्रमा पर लैंडिंग की। इसी के साथ भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन गया। क्रेटर क्या है और कैसे बनता है किसी भी ग्रह, उपग्रह या अन्य खगोलीय वस्तु पर बड़े गड्ढे को क्रेटर कहा जाता है। ये क्रेटर ज्वालामुखी विस्फोट से बनते हैं। इसके अलावा किसी उल्का पिंड के किसी अन्य पिंड से टकराने से भी क्रेटर बनते हैं। गड्ढे से बाहर निकले सामान को इजेक्टा कहते हैं। एस विजयन ने कहा कि इजेक्टा का बनना उसी तरह है जब आप एक गेंद को रेत पर फेंकते हैं और उसमें से कुछ रेत वहां से खाली हो जाता है। वह रेत बाहर की ओर एक छोटे ढेर में बदल जाता है। चंद्रयान-3 से भेजी तस्वीरों से पता चला कि क्रेटर का आधा हिस्सा चंद्रमा पर सबसे बड़े और सबसे नामी बेसिन साउथ पोल-एटकेन बेसिन से बाहर फेंकी गई या निकली सामग्री के नीचे दबा हुआ था।
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29 September 2024लता मंगेशकर की 28 सितंबर को 95वीं बर्थ एनिवर्सरी है। 6 फरवरी, 2022 को उनका निधन हो गया था। लता भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज आज भी अमर है। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए लता की जिंदगी कई उतार-चढ़ाव से होकर गुजरी थी। उनकी जिंदगी के कुछ अनसुने किस्से हैं जो उन्होंने खुद बायोग्राफी लता सुरगाथा में बताए थे... चैप्टर- 1: बचपन टीचर की बात सुनकर आया गुस्सा, छोड़ दिया स्कूल ये बात गलत थी कि मैं कभी स्कूल नहीं गईं। मैं एक बार स्कूल गई थी। घर के नजदीक एक मराठी मीडियम का स्कूल था जहां मेरी फुफेरी बहन बसंती पढ़ती थी। एक दिन मैं उसके साथ स्कूल गई तो टीचर ने पूछा- तुम कौन हो? मैंने जवाब दिया- मैं दीनानाथ मंगेशकर की बेटी हूं। ये बात सुनकर वो बोले कि वो तो बड़े महान गायक हैं। तुम्हें कुछ गाना आता है? मैंने उन्हें गाना सुनाया जिसके बाद उन्होंने मुझे स्कूल में दाखिला दे दिया। मैं स्कूल के पहले दिन अपनी छोटी बहन आशा को लेकर गई, जो केवल दस महीने की थी। टीचर ने कहा कि स्कूल में इतने छोटे बच्चों को लाने की इजाजत नहीं। यह बात सुनकर मुझे गुस्सा आ गया और मैं क्लास बीच में छोड़कर घर आ गई।' उसके बाद मैंने स्कूल का मुंह कभी नहीं देखा। मैंने घर पर ही आसपास के लोगों की मदद से पढ़ाई की। मराठी, हिंदी, इंग्लिश, संस्कृत और उर्दू भी सीखी। चैप्टर- 2 : जिम्मेदारी 13 साल की उम्र में घर चलाने के लिए फिल्मों में आईं 'ये 1942 की बात है। उस समय मेरे पिता दीनानाथ मंगेशकर का निधन हो गया था। 13 साल की उम्र में पूरे परिवार की जिम्मेदारी मेरे कंधों पर आ गई थी। ऐसे में न चाहते हुए भी मुझे फिल्मों में काम करना पड़ा। घर में मां के अलावा चार भाई-बहनों की परवरिश एक चुनौती थी, जिसके लिए फिल्मों में काम करने का रास्ता ही मुझे ठीक लगा। मास्टर विनायक ने मुझे अपनी पहली फिल्म मंगलागौर में अभिनेत्री की छोटी बहन का रोल दिया। शूटिंग के दौरान मास्टर विनायक का स्टूडियो के साथ झगड़ा हो गया और उन्होंने फिल्म छोड़ दी। इस फिल्म को फिर डायरेक्टर आर.एस. जुन्नारदेव ने पूरा किया था। 1942 से 1947 तक मैंने पांच फिल्मों में काम किया। इनमें माझे झोल (1943), गजाभाऊ (1944), बड़ी मां (1945), जीवन यात्रा (1946), सुभद्रा (1946) और मंदिर (1948) शामिल थीं।' चैप्टर- 3: संघर्ष गरीबी में लता ने पहनी थी 12 रुपए की साड़ी ये बात किसी को मालूम नहीं होगी कि 1947-48 के दौरान राशन की दुकान पर साड़ियां मिलती थीं। जब मैंने काम करना शुरू किया तो मेरे हालात अच्छे नहीं थे। ऐसे में राशन की दुकान में जो साड़ियां मिलती थीं, मैं उन्हें पहना करती थी। 'ये साड़ियां कॉटन की होती थीं, जिनके किनारों पर एक पतला सा लाल बॉर्डर होता था। उस समय वे साड़ियां 12 रुपए में मिलती थीं। मैं उन्हें खरीदकर लाती और अपने हाथ से खुद धोती और सूखने के बाद उन्हें सिरहाने रखकर सोती थी। सिरहाने दबे होने से साड़ियां सुबह ऐसी हो जाती थीं कि जैसे उन पर इस्त्री की हो। मेरे पास तब इतने पैसे भी नहीं थे कि साड़ियों को इस्त्री करवाकर उन्हें पहन सकूं।' चैप्टर- 4: परिवार चाचा ने कहा- परिवार का नाम खराब कर देगी ये लड़की '14 साल की उम्र में मैं कोल्हापुर से मुंबई एक शो में गाने के लिए अपनी मौसी के साथ गई थी। यहां मैं अपने चाचा कमलनाथ मंगेशकर के घर रुकी थी। घर पहुंचते ही मैं रियाज करने लग गई। मेरी यही कोशिश थी कि पिताजी के नाम पर कोई सवाल ना उठाए। मगर चाचाजी मुझसे नाराज थे। उन्होंने मुझे देखकर कहा, ये लड़की भाई दीनानाथ मंगेशकर का नाम खराब कर देगी। कहां वो एक सुधी गायक और कहां ये लड़की। ये लड़की ठीक से गा नहीं पाएगी और पूरे खानदान का नाम मिट्टी में मिल जाएगा। चाचा के जैसी ही सोच मेरी बुआ विजय की भी थी। उन लोगों की ये बात सुन मैं बहुत आहत हुई और रोने लगी। तब मौसी ने मुझे समझाया कि किसी की बिना सुने बस मैं अपनी गायकी पर ध्यान दूं। अगले दिन मैंने अपनी परफॉर्मेंस दी। उस शो में दर्शक के तौर पर एक्ट्रेस ललिता पवार भी मौजूद थीं। उन्हें मेरा गाना बहुत पसंद आया। ललिता पवार ने मुझे इनाम में सोने की बालियां भेंट कीं।' चैप्टर- 5: कामयाबी जब जवाहर लाल नेहरु बोले-इस लड़की ने रुला दिया '1962 में चीन के आक्रमण के दौरान पं. प्रदीप (कवि प्रदीप) ने देशभक्ति गीत 'ए मेरे वतन के लोगो' लिखा। उन्होंने मुझसे गुजारिश की थी कि मैं 26 जनवरी, 1963 को गणतंत्र दिवस के मौके पर इस गीत को गाऊं। जब मैंने ये गाना वहां गाया तो जवाहरलाल नेहरु अपने आंसू रोक नहीं पाए। गाने के बाद मैं स्टेज के पीछे कॉफी पी रही थी तभी निर्देशक महबूब खान ने मुझसे आकर कहा कि तुम्हें पंडितजी बुला रहे हैं। नेहरू के सामने उन्होंने ले जाकर कहा, ‘ये रही हमारी लता। आपको कैसा लगा इसका गाना?’ नेहरू ने कहा, बहुत अच्छा। इस लड़की ने मेरी आंखों में पानी ला दिया। इतना कहकर उन्होंने मुझे गले लगा लिया। चैप्टर- 6: विवाद रफी के बारे में कहा- उन्हें गलतफहमी हो गई थी 'रॉयल्टी को लेकर मोहम्मद रफी से झगड़े पर लता ने कहा था- मैं इसे विवाद या झगड़े से ज्यादा सिद्धांत की लड़ाई के तौर पर देखती हूं। जब मैंने यह मुद्दा उठाया था तो मुझे अपने भविष्य की चिंता होने लगी थी।लगता था अभी तो गला चल रहा है तो काम मिल रहा है मगर कल का क्या? इसी वजह से मैंने म्यूजिक कंपनियों से कहा कि उन्हें सिंगर्स को गानों के एवज में रिकॉर्ड की बिक्री पर प्रॉफिट का कुछ अंश देना चाहिए। इस पर विवाद होने लगा। रफी साहब ने कहा कि जब हमने एक बार गाने के पैसे ले लिए तो फिर और पैसे मांगने का क्या मलतब है? मैंने तर्क दिया कि एक बार हमने गाना गा लिया, लेकिन उन फिल्मों के रिकॉर्ड तो सालों बनते और बिकते रहते हैं, जिनका मुनाफा रिकॉर्ड कंपनियों और फिल्म प्रोड्यूसर्स को जाता रहेगा, जबकि पीछे की मेहनत तो हमारी है। कंपनियां मुनाफा कमाती रहेंगी और सिंगर्स बदहाली की जिंदगी जीने को मजबूर रहते हैं। मुकेश, मन्ना डे, तलत महमूद और किशोर कुमार तो इस बात के समर्थन में थे, लेकिन रफी साहब, आशा जी और कुछ सिंगर्स को ये बात नहीं जमी। मुझे लगता था कि रफी साहब को मुद्दे की पूरी जानकारी नहीं थी और उन्हें गलतफहमी हो गई थी। इसका नतीजा ये रहा कि मैंने और रफी साहब ने सालों तक साथ में गाना नहीं गाया।' वर्कप्लेस पर उठाई आवाज, छोड़ दी रिकॉर्डिंग 'किस्सा 1949 का है। मैं फिल्म चांदनी रात के गाने 'हे छोरे की जात बड़ी बेवफा' की रिकॉर्डिंग कर रही थी। नौशाद इस फिल्म के म्यूजिक डायरेक्टर थे। मेल प्लेबैक सिंगर जीएम दुर्रानी थे। अपनी लाइन गाने के बाद दुर्रानी शरारत करने लगते। नौशाद जी ने उन्हें समझाया कि इससे रिकॉर्डिंग में अड़चन आ रही है, ऐसा न करें। एक ब्रेक के बाद गाने की रिकॉर्डिंग शुरू हुई तो दुर्रानी की हरकतें बढ़ गईं। उन्होंने मेरी सफेद साड़ी पहनने का मजाक उड़ाते हुए कहा, तुम सफेद चादर लपेटकर क्यों आती हो, रंगीन कपड़े क्यों नहीं पहनती हो? इसके अलावा उन्होंने मेरी ज्वेलरी पर भी सवाल उठाए। मैंने रिकॉर्डिंग बीच में बंद कर दी। मैं सोचती थी कि जीएम दुर्रानी मेरे कपड़ों और ज्वेलरी से ज्यादा मेरी गायकी पर फोकस करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद मैंने तय कर लिया कि मैं उनके साथ कभी काम नहीं करूंगी।'
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28 September 2024बोरिंग, जो कि आमतौर पर निर्माण और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का एक खास हिस्सा होती है, अलग-अलग देशों में अलग-अलग तरीकों से की जाती है. विदेशों में बोरिंग की तकनीकें और तरीके भारत से काफी अलग हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं कि भारत के मुकाबले विदेशों में बोरिंग कैसे की जाती है. विदेशों में इस मशीन से होती है बोरिंग विदेशों में बोरिंग की प्रक्रिया को नई तरह की मशीनों और तकनीकों के माध्यम से किया जाता है. टनल बोरिंग मशीन (TBM) का उपयोग करना बहुत आम है, जो कि जमीन के नीचे बड़े टनल बनाने में सक्षम होती हैं. TBM की मदद से बोरिंग करना न केवल समय की बचत करता है, बल्कि ये पर्यावरण पर भी कम प्रभाव डालता है. भारत में क्या है स्थिति? भारत में बोरिंग तकनीक में सुधार हो रहा है, लेकिन अभी भी हमारे देश में बोरिंग के लिए पारंपरिक तरीकों का उपयोग किया जाता है. यहां के कई प्रोजेक्ट्स में मैन्युअल बोरिंग तकनीकें देखी जाती हैं, जो कि कई बार बहुत समय लेने वाली होती हैं. हालांकि, पिछले कुछ सालों में भारत ने भी TBM तकनीक को अपनाना शुरू किया है, खासकर मेट्रो परियोजनाओं में. विदेशों से कितना अलग हो भारत में बोरिंग करने का तरीका? विदेशों में बोरिंग के लिए उच्च तकनीकी मशीनों का उपयोग किया जाता है, जबकि भारत में अभी भी कई परियोजनाएं पारंपरिक मशीनों पर निर्भर हैं. वहीं विदेशी देशों में बोरिंग प्रोजेक्ट्स के लिए अधिक कुशल प्रणाली होती है, जिससे समय और संसाधनों का बेहतर उपयोग होता है. इसके अलावा डिजिटलाइजेशन और स्मार्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग विदेशों में बोरिंग करने के तरीके को ज्यादा सहूलियत भरा बनाता है, जबकि भारत में इसे लेकर विकास चल ही रहा है. गौरतलब है कि दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट में TBM का सफल प्रयोग देखने को मिला था. इस परियोजना के दौरान बोरिंग तकनीक को बहुत ही कुशलता से लागू किया गया, जिससे समय और लागत दोनों में कमी आई. यह घटना भारत में आधुनिक बोरिंग को करने के तरीके का विकास है. क्या है खास? विदेशों में बोरिंग करने के तरीके में पर्यावरण संरक्षण पर खास ध्यान दिया जाता है. जर्मनी और स्वीडन जैसे देशों में बोरिंग का काम करने के दौरान पर्यावरणीय मानकों का पालन करना जरुरी है. वहीं भारत में भी पिछले कुछ सालों में पर्यावरणीय नियमों को लागू करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन इसे लागू करना बहुत ही परेशानी भरा है.
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28 September 2024पितृपक्ष का समय पितरों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. मृत पितरों के निमित्त श्राद्ध करना प्रचीन हिंदू परंपरा है. श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा संतुष्ट होती है. पितरों के निमित्त श्राद्ध. पिंडदान (Pind Daan) या तर्पण (Tarpan) करने के लिए पितृपक्ष के समय को सबसे उत्तम माना जाता है. पितृपक्ष की शुरुआत होते ही लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए और उन्हें तृप्त करने के लिए तीर्थस्थलों जैसे गया जी, हरिद्वार, काशी, ऋषिकेश और प्रयादराज आदि जैसे जगहों पर पहुंचने लगते हैं. मान्यता है कि तीर्थस्थलों में किए गए श्राद्ध से पितृ तृप्त और प्रसन्न होते हैं. लेकिन अगर आप किसी तीर्थस्थल जाने के लिए आर्थिक रूप से समर्थ नहीं हैं तो चिंता न करें. आप कुछ विशेष विधि का पालन कर घर पर भी पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म कर सकते हैं. हमारे सनातन धर्म की यही खूबसूरती है कि इसमें प्रत्येक वर्ग की हर परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए नियम और व्यवस्थाओं का निर्धारण किया गया है. ज्योतिषाचार्य और भविष्यवक्ता अनीष व्यास से जानते हैं, धन के अभाव या विपन्नता पर कैसे करें पितृरों का श्राद्धकर्म- “तस्माच्छ्राद्धं नरो भक्त्या शाकैरपि यथाविधि।” शास्त्रों के अनुसार, अन्न-वस्त्र के लिए धन का अभाव होने पर शाक यानी हरी सब्जियों से भी श्राद्ध किया जा सकता है. लेकिन सब्जियों द्वारा भी श्राद्ध करने में असमर्थ हों तो दक्षिणामुखी होकर दोनों भुजाओं को ऊपर ऊठाकर ये प्रार्थना कर लें... प्रार्थना- “न मेस्ति वित्तं धनं च नान्यच्छ्राद्धोपयोग्यं स्वपितृन्न्तो स्मि। तृप्यन्तु भक्त्या पितरो मयैतौ कृतौ भुजौ वत्र्मनि मारुतस्य।।” (विष्णु पुराण) अर्थ है:- हे मेरे पितृरों! मेरे पास श्राद्ध कर्म के लिए न हो उपयुक्त धन है और न धान्य. लेकिन मेरे पास आपके लिए अपार श्रद्धा-भक्ति है. इसलिए मैं इन्हीं के द्वारा आपको तृप्त करना चाहता हूं. मैंने शास्त्रानुसार दोनों भुजाओं को आकाश में उठा रखा है.
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27 September 2024चुकंदर और आंवले का जूस बेहद फायदेमंद होता है. इससे शरीर की कई परेशानियां छूमंतर हो सकती हैं. दरअसल, चुकंदर और आंवला दोनों ही कई पोषक तत्वों से भरपूर हैं. चुकंदर (Beetroot) में विटामिन B9, विटामिन C, फाइबर, पोटेशियम, आयरन पाया जाता है, जबकि आंवला (Amla) विटामिन C, कैल्शियम, आयरन, फाइबर, एंटी-ऑक्सीडेंट का खजाना होता है. ये सभी पोषक तत्व स्किन के अलावा ओवरऑल हेल्थ को बेहतर बनाने का काम करते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं चुकंदर और आंवले का जूस मिलाकर पीने से क्या-क्या फायदे मिल सकते हैं... 1. त्वचा होगी जवां चुकंदर और आंवला में विटामिन सी भरपूर पाया जाता है, जो सबसे पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट में से एक माना जाता है. इसके सेवन से चेहरा जवां होता है.चुकंदर में बीटालेंस नाम का पिगमेंट पाया जाता है, जो चेहरे के सूजन को कम कर दाग-धब्बों को मिटाता है. इसके अलावा विटामिन सी हाइपरपिग्मेंटेशन को कम कर डैमेज स्किन को बचाता है और चेहरे पर निखार, खूबसूरती लाता है. 2. इम्यूनिटी करे बूस्ट शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का मजबूत रहने से बीमारियां दूर रहती हैं. सर्दी-जुकाम और खांसी से बचने के लिए ठंडे मौसम में चुकंदर और आंवला के जूस में गाजर मिलाकर खाली पेट पिएं. इनमें मौजूद विटामिन सी शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत कर मौसमी बीमारियों से बचाने का काम करेगी. 3. ब्लड प्रेशर कंट्रोल करे, कमजोरी भगाए आंवला और चुकंदर दोनों में ही ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के गुण पाए जाते हैं. रोजाना इनका जूस पीने से ब्लड प्रेशर की समस्याएं दूर होती हैं. इससे शरीर की एनर्जी भी बढ़ती है, जिससे कमजोरी औऱ थकान दूर होती है. 4. पाचन बेहतर बनाए पाचन से जुड़ी समस्याएं जैसे-अपच, कब्ज और गैस की समस्याओं से परेशान हो गए हैं तो चुकंदर-आंवले का मिक्स जूस फायदेमंद हो सकता है. इसमें गाजर मिलाकर पीने से दोगुना फायदा मिल सकता है. इससे पाचन शक्ति मजबूत होती है. 5. वजन घटाए फास्ट फूड और जंक फूड खाने से आजकल मोटापा आम समस्या बनती जा रही है. ऐसे में वजन कंट्रोल करने के लिए सुबह खाली पेट चुकंदर, आंवले के जूस में गाजर मिलाकर पी सकते हैं. इस जूस की कैलोरी कम होती है, जो वेट कंट्रोल में मदद करती है.
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27 September 2024भारत और बांग्लादेश के बीच दो मैचों की टेस्ट सीरीज का आखिरी मुकाबला खेला जा रहा है. यह मैच कानपुर के ग्रीन पार्क क्रिकेट स्टेडियम में चल रहा है, जिसमें फैंस विराट कोहली के बल्ले से शतक की उम्मीद कर रहे हैं. ऐसे में विराट कोहली का एक नन्हा फैन सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जो 58 किलोमीटर साइकिल चलाकर कोहली को देखने ग्रीन पार्क क्रिकेट स्टेडियम पहुंचा है. साइकिल से पहुंचा कोहली का नन्हा फैन क्रिकेट के प्रति भारत में दीवानगी जगजाहिर है, और यही जुनून 15 साल के कार्तिकेय ने दिखाया, जो विराट कोहली को अपना आदर्श मानता है. उत्तर प्रदेश के उन्नाव से ताल्लुक रखने वाले कार्तिकेय ने विराट कोहली की एक झलक पाने के लिए 58 किलोमीटर साइकिल से कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम का सफर तय किया. कार्तिकेय ने सुबह 4 बजे अपनी खस्ताहाल साइकिल से यात्रा शुरू की और समय पर स्टेडियम पहुंच गए. उनके माता-पिता ने उनके इस फैसले पर सहमति जताई थी क्योंकि वह कोहली को देखने जा रहे थे. हालांकि बारिश ने भारत-बांग्लादेश टेस्ट के पहले सत्र में खलल डाला, लेकिन कार्तिकेय समय पर स्टेडियम पहुंच गए. मौसम डाल सकता है मैच में खलल? एक्यूवेदर के अनुसार, शुक्रवार को कानपुर में बारिश की 96% संभावना है, साथ ही आंधी-तूफान की भी 58% संभावना है. ऐसे में पहले दिन का खेल प्रभावित होने की पूरी संभावना है. हर घंटे के मौसम पूर्वानुमान के अनुसार, सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक बारिश की संभावना 40% से 74% के बीच रहने की उम्मीद है. पहले दिन पिच पर टिके बांग्लादेशी बल्लेबाज खबर लिखे जाने तक बांग्लादेशी बल्लेबाज भारतीय गेंदबाजों पर हावी साबित हो रहे हैं. भारतीय गेंदबाजों ने 28 ओवर फेंके हैं. लेकिन अभी तक बांग्लादेश के सिर्फ तीन विकेट गिरे हैं. बांग्लादेश के कप्तान 57 गेंदों में 31 रन बनाकर आउट हुए.
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27 September 2024पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में एक ऐसी रोटी बनाई जाती है जिसका नाम सुनकर ही लोग हैरान रह जाते हैं. दरअसल इसका नाम है 'पत्थर की रोटी’. जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा. यह रोटी पत्थर पर पकाई जाती है और इसका स्वाद बेहद अनोखा होता है. ऐसे में चलिए इस अनोखी रोटी के बारे में जानते हैं और ये बनाता कौन है ये भी जानेंगे. कैसे बनती है पत्थर की रोटी? पत्थर की रोटी, जिसे स्थानीय भाषा में 'سنگ روٹی' कहा जाता है, एक खास तरह की रोटी है जो पाकिस्तान के अलग-अलग क्षेत्रों में बनाई जाती है. इसे बनाने की विधि भई बेहद दिलचस्प है. दरअसल इस रोटी को पत्थर पर बनाया जाता है, जो इसकी खासियत है. इसे बनाने के लिए एक ठोस पत्थर की सतह का उपयोग किया जाता है. दरअसल पत्थर की रोटी बनाने के लिए गेहूं का आटा, पानी और थोड़ा सा नमक मिलाकर एक सख्त आटा गूंथा जाता है. इस आटे को छोटी-छोटी लोइयों में बांटकर चकले पर बेल लिया जाता है. फिर इन लोइयों को गर्म पत्थर पर रखकर पकाया जाता है. पत्थर की गर्मी से रोटी पक जाती है और इसका स्वाद बेहद क्रिस्पी हो जाता है. यह रोटी आमतौर पर मोटी होती है और इसमें एक अलग ही स्वाद होता है. यह खाने में कुरकुरी होती है और इसे कई तरह की चटनियों या सब्जियों के साथ परोसा जाता है. क्यों खाई जाती है पत्थर की रोटी? बलूचिस्तान में अधिकतर लोग खानाबदोश जीवन जीते हैं. ऐसे में उनके पास रसोई बनाने की सुविधा नहीं होती है. इसलिए वो पत्थर पर रोटी बनाकर खाते हैं. वहीं इस तरह की रोटी में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है जो पाचन के लिए बहुत फायदेमंद होता है. साथ ही पत्थर की रोटी का स्वाद बहुत ही अनोखा और स्वादिष्ट होता है. इसे दही, चटनी या सब्जी के साथ खाया जाता है.
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26 September 2024जब भी धरती के सबसे बड़े जीव की बारे में बात की जाती है तो सबसे पहला नाम लोगों के जहन में ब्लू व्हेल का आता है. हालांकि, ये जीव पानी में रहता है. चलिए आज आपको बताते हैं कि जमीन पर रहने वाला दुनिया का सबसे बड़ा जीव कौन सा है. इसके साथ ही आपको इस जीव की खासियत और इसके बारे में कई और बाते भी बताते हैं. कौन सा है वो जीव जमीन पर रहने वाला दुनिया का सबसे बड़ा जीव अफ्रीकी जंगली हाथी है. इसे African Bush Elephant भी कहा जाता है. वहीं इसका वैज्ञानिक नाम Loxodonta africana है. इन हाथियों का औसत वजन 4,500 से 6,800 किलोग्राम तक हो सकता है और ऊंचाई लगभग 3 से 4 मीटर यानी 10 से 13 फीट तक हो सकती है. इन हाथियों के कान आम हाथियों से काफी बड़े होते हैं जो उनके शरीर की गर्मी को नियंत्रित करने में मदद करते हैं. वहीं इसकी लंबी सूंड और बड़े दांत खाना और पानी की खोज में सहायक होते हैं. कहां रहते हैं अफ्रीकी बुश हाथी अफ्रीकी बुश हाथी मुख्य रूप से अफ्रीका के सवाना, जंगल और घास के मैदानों में पाए जाते हैं. ये जीव अक्सर झुंड में रहते हैं, जिसमें मादा हाथी और उनके बच्चे भी शामिल होते हैं, जबकि नर हाथी आमतौर पर वयस्क होने के बाद अकेले रहना पसंद करते हैं या छोटे समूहों में पाए जाते हैं. आपको बता दें, हाथियों की सामाजिक संरचना बहुत मजबूत होती है, जिसमें मादा हाथी नेतृत्व करती हैं और समूह के सदस्यों का ध्यान रखती हैं. क्या खाते हैं ये अफ्रीकी बुश हाथी शाकाहारी होते हैं और इनका आहार- घास, पत्तियां, पेड़ों की छाल और फल होता है. ये हाथी एक दिन में लगभग 150 किलो भोजन कर सकते हैं. इनकी खास बात ये है कि खाने की तलाश में ये लंबी दूरी तक यात्रा कर सकते हैं. हालांकि अफ्रीकी बुश हाथी का जीवन अब खतरे में है. शिकार, वनों की कटाई और इनके आवास का नुकसान उनके अस्तित्व के लिए गंभीर खतरे पैदा कर रहे हैं. दरअसल, इनके दांतों के लिए इनका अवैध शिकार एक प्रमुख समस्या है, जिससे इनकी जनसंख्या में अब गिरावट आ रही है.
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26 September 2024देश की राजधानी दिल्ली हर साल अक्टूबर और नवंबर में भयंकर प्रदूषण का सामना करती है, जिसके चलते कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जैसे फ्लाइट्स में देरी या फिर कैंसिल हो जाना और लोगों की स्वास्थ्य की समस्या या सांस लेने में दिक्कत. ऐसे में दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए फिर ऑड-ईवन सिस्टम लागू होगा. भारत में बढ़ते वाहनों के चलते कई जगहों पर ऑड-ईवन सिस्टम लागू किया जाता रहा है. ऐसे में चलिए आज जानते हैं कि दुनिया के कितने देशों में ये सिस्टम लागू किया गया है. क्या है ऑड ईवन? सबसे पहले ये जान लेते हैं कि आखिर ऑड ईवन होता क्या है? तो बता दें कि ऑड-ईवन सिस्टम वाहनों के आवागमन को नियंत्रित करने का एक तरीका है, जिसमें वाहनों को उनके पंजीकरण नंबर के आखिरी अंक के आधार पर सड़क पर चलने की अनुमति दी जाती है. इसका उद्देश्य वायु प्रदूषण को कम करना, यातायात की भीड़ को कम करना और सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा देना होता है. कौन से देशों में लागू है ऑड-ईवन सिस्टम? ऑड-ईवन सिस्टम को दुनिया के कई शहरों और देशों में अपनाया गया है. हालांकि, यह एक व्यापक रूप से लागू किया जाने वाला नियम नहीं है और इसे अलग-अलग देशों में अलग-अलग तरीकों से लागू किया जाता है. तो चलिए जानते हैं कि वो कौन से देश हैं जहां ये सिस्टम लागू किया गया है. भारत: भारत में ऑड-ईवन सिस्टम को सबसे पहले दिल्ली में लागू किया गया था. दिल्ली में वायु प्रदूषण के गंभीर स्तर के कारण, सरकार ने वाहनों के आवागमन को नियंत्रित करने के लिए यह कदम उठाया था. इसके बाद, भारत के कई अन्य शहरों में भी ऑड-ईवन सिस्टम को लागू किया गया. चीन: चीन के कई शहरों में भी ऑड-ईवन सिस्टम को लागू किया गया है. बीजिंग, शंघाई और गुआंगज़ौ जैसे बड़े शहरों में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए यह सिस्टम अक्सर लागू किया जाता है. मेक्सिको सिटी: मेक्सिको सिटी में भी वायु प्रदूषण को कम करने के लिए ऑड-ईवन सिस्टम को लागू किया गया है. पेरिस: पेरिस में भी वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए ऑड-ईवन सिस्टम को लागू किया जाता है अन्य देश: इसके अलावा, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, और कई अन्य देशों में भी कुछ शहरों में ऑड-ईवन सिस्टम को लागू किया गया है. ऑड-ईवन सिस्टम के फायदे ऑड-ईवन के कई फायदे होते हैं. जैसे इससे सड़कों पर वाहनों की संख्या कम हो जाती है, जिससे वायु प्रदूषण में कमी आती है. साथ ही ऑड-ईवन सिस्टम से सड़कों पर यातायात की भीड़ कम होती है, जिससे आवागमन का समय कम हो जाता है. इसके अलावा ऑड-ईवन सिस्टम से लोग सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने के लिए प्रेरित होते हैं.
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26 September 2024बोहरा मुस्लिम, मुस्लिमों की ही एक जाति है, जो शिया संप्रदाय के आदर्शों का पालन करती है. इस समुदाय के लोग मुख्य तौर पर व्यापार जैसे कामों में लगे रहते हैं. बात की जाए भारत की तो भारत देश में बोहरा मुस्लिमों की आबादी 20 लाख से ज्यादा है. जिनमें 15 लाख दाऊदी बोहरा है. भारत में बोहरा जाति का आगमन 11वीं शताब्दी में मुस्ताली मत ने धर्म प्रचारकों के माध्यम से भारत में अपनी जगह बनाई. 1539 के बाद जब भारत में इसका समुदाय बड़ा हो गया तो, इस मत का मुख्यालय यमन से भारत के सिद्धपुर में स्थानांतरित किया गया. इसके बाद साल 1588 को वो दौर आया जब दाऊद बिन कुतुब शाह और सुलेमान के अनुयायियों की वजह से बोहरा समुदाय आपस में बंट गया. हालांकि इनके धार्मिक सिद्धांतों में कुछ खास अंतर नहीं था. दाऊदी बोहरा शियाओं के आदर्शों को मानता है. जो मुख्य तौर पर गुजरात के सूरत, जामनगर, राजकोट, अहमदाबाद, दाहोद और महाराष्ट्र के मुंबई, पुणे, नागपुर, राजस्थान के उदयपुर, भीलवाड़ा और मध्य प्रदेश के उज्जैन, इंदौर, शाजापुर जैसे शहरों में रहते हैं. दाऊदी बोहरा सबसे पहले मुंबई आए थे. वही यमन और सऊदी अरब में बोहरा मुस्लिम समुदायों की संख्या काफी अधिक है. बोहरा समुदाय की अनोखी परंपरा दाऊदी बोहरा समुदाय के ज्यादातर लोगों के घर में एक समय का खाना कॉमन किचन से आता है. बोहरा समुदाय जहां-जहां भी रहते हैं, वहां ये समुदाय मिलकर कॉमन किचन (सांझा चूल्हा) चलाता है. वहां बनने वाले खाने को उन्हीं के समुदाय के लोगों द्वारा घर-घर तक पहुंचाया जाता है. बोहरा मुसलमान पर्यावरण और साफ-सफाई को लेकर काफी गंभीर होते हैं. मुसलमानों का ये समुदाय काफी समृद्ध और पढ़ा-लिखा होता है. बोहरा समुदाय में ज्यादातर लोग व्यापार करते हैं, तो कुछ लोग किसानी का काम. दाऊदी बोहरा बेहद शांत और सौम्य प्रवृति के होते हैं. दाऊदी बोहरा की विरासत दाऊदी बोहरा मुसलमानों की विरासत फातिमी इमामों से संबंध रखती है, जिन्हें पैगंबर मोहम्मद का प्रत्यक्ष वंशज भी कहा जाता है. 10वीं से 12वीं शताब्दी के दौर में इस्लाम ने दुनिया पर शासन के दौरान ज्ञान, विज्ञान, वास्तुकला, कला साहित्य और ढेरों उपलब्धियां हासिल कर इस्लाम धर्म को समृद्ध बनाया. जो आज मानव सभ्यता की बहुमूल्य पूंजी है. दाऊदी बोहरा इमामों के आदेशों को मानते हैं. बोहरा समुदाय के 21वें और अंतिम इमाम तैयब अबुल क़ासिम थे. उनके बाद 1132 से आध्यात्मिक गुरूओं की परंपरा की शुरुआत होती है. बोहरा समुदाय के लोग सूफियों और मजारों पर अटूट विश्वास रखते हैं. दाऊदी बोहरा समुदाय इस्माइली शिया (Shia) समुदाय का उप समुदाय है.
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25 September 2024अगर आप भी इस बरसात के मौसम में अपने बच्चे और फैमिली वालों के साथ बाघों को देखने के लिए राष्ट्रीय उद्यान जाना चाहते हैं, तो यह खबर आपके लिए है. आज हम आपको भारत के ऐसे फेमस नेशनल पार्कों के बारे में बताएंगे, जहां आप खूब एंजॉय कर सकते हैं. इन नेशनल पार्क में आपको सिर्फ बाघ ही नहीं बल्कि कई दूसरे जीव जंतु देखने को मिलेंगे. भारत के फेमस नेशनल पार्क फैमिली के साथ किसी अच्छे नेशनल पार्क जाने की सोच रहे हैं, तो मध्य प्रदेश का कान्हा नेशनल पार्क बाघों के लिए सबसे ज्यादा फेमस माना गया है. यहां पर बाघों की संख्या बहुत ज्यादा है साथ ही दूसरे जंगली जानवर भी यहां आपको देखने को मिलेंगे. जंगल सफारी के दौरान आप बड़ी आसानी से सभी बाघों को कान्हा नेशनल पार्क में अपनी आंखों से देख सकते हैं. मध्य प्रदेश का पेंच नेशनल पार्क इसके अलावा मध्य प्रदेश में पेंच नेशनल पार्क भी है, जो कान्हा नेशनल पार्क के पास ही मौजूद है. यहां पर भी बाघों की संख्या बहुत ज्यादा है और यहां का नजारा भी काफी खूबसूरत है. इसके अलावा आप बांधवगढ़ नेशनल पार्क भी घूम सकते हैं. यह पार्क भी मध्य प्रदेश में स्थित है, जहां आपको कई सारे बाघ एक साथ देखने को मिलेंगे. कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ सेंचुरी अगर आप उत्तराखंड या उत्तराखंड के आसपास के रहने वाले हैं, तो कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ सेंचुरी घूमने जा सकते हैं. यहां आपको कई सारे बाघ देखने को मिलेंगे साथ ही बाकी दूसरे वन्य जीव भी आपको आसानी से यहां दिख जाएंगे. रणथंभौर नेशनल पार्क, राजस्थान रणथंभौर नेशनल पार्क भी बाघों के लिए काफी फेमस माना गया है. राजस्थान में स्थित इस नेशनल पार्क में आपको बाघ खुले मैदान में घूमते दिखाई देंगे. आप बड़ी आसानी से और अपने करीब से बाघ को देख सकते हैं. सुंदरबन नेशनल पार्क यही नहीं पश्चिम बंगाल में स्थित सुंदरबन नेशनल पार्क दुनिया का सबसे बड़ा डेल्टा है. यहां पर आपको कई सारे बाघों की प्रजातियां देखने को मिलेगी. इस नेशनल पार्क में आप नाव सफारी कर बाघों को करीब से देख सकते हैं. पेरियार टाइगर रिजर्व इसके अलावा आप अपने पूरे परिवार के साथ पेरियार टाइगर रिजर्व में बाघों को देखने जा सकते हैं. केरल में स्थित यह पार्क खासकर बाघों के लिए काफी जाना जाता है. यहां आप दोनों तरीके से बाघ को देख सकते हैं. यहां पर जंगल सफारी और नाव सफारी दोनों ही बेस्ट मानी जाती है. आप इन सभी नेशनल पार्क में जाकर बाघों की तस्वीर क्लिक कर सकते हैं और अपनी इस ट्रिप को यादगार बना सकते हैं.
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25 September 2024गजलक्ष्मी व्रत हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. इस दिन चांदी का हाथी, सोना और विवाह से जुड़ी खरीदारी करने का विशेष महत्व होता है. गजलक्ष्मी व्रत के दिन आपको हाथी पर सवार माता लक्ष्मी या फिर हाथी की पूजा करनी चाहिए. इससे आपके घर में धन-दौलत बढ़ता है. गजलक्ष्मी व्रत के दिन आप चांदी और सोने की खरीदारी करते हैं तो उसमें निरंतर वृद्धि होती है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं गजलक्ष्मी व्रत के पूजा मुहूर्त के बारे में. गजलक्ष्मी व्रत तिथि 2022 पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 17 सितंबर दिन शनिवार को दोपहर 02 बजकर 14 मिनट पर हो रहा है और इस तिथि का समापन 18 सितंबर दिन रविवार को शाम 04 बजकर 32 मिनट पर होगा. उदयातिथि के आधार पर गजलक्ष्मी व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा. इस दिन सिद्ध योग प्रातः काल में 06 बजकर 34 मिनट पर खत्म हो जा रही है. इस दिन का शुभ समय या अभिजित मुहूर्त 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 40 मिनट तक है. गजलक्ष्मी व्रत पूजा मुहूर्त 2022 18 सितंबर को गजलक्ष्मी व्रत के लिए सुबह में पूजा का समय 09 बजकर 11 मिनट से 10 बजकर 43 मिनट तक और आगे दोपहर 12 बजकर 15 मिनट तक है. शाम को पूजा का शुभ समय 06 बजकर 23 मिनट से रात 09 बजकर 19 मिनट तक है. सोना-चांदी खरीदारी समय गजलक्ष्मी व्रत के दिन सोना और चांदी खरीदने का शुभ समय दिन में 09:11 बजे से 10:43 बजे तक है. इस मुहूर्त में खरीदा गया सोना और चांदी उन्नति कारक और लाभ प्रदान करने वाला होगा. इसके अलावा आप सुबह 10:43 बजे से दोपहर 12:15 बजे तक, शाम को 06:23 बजे से रात 09:19 बजे तक भी खरीदारी कर सकते हैं. गजलक्ष्मी व्रत की पूजा व्रत वाले दिन आपको लाल रंग की एक चैाकी पर हल्दी से कमल बनाना है और उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति को स्थापित करना चाहिए. उसके पास ही श्री यंत्र और कलश भी स्थापित करें. अब चांदी के हाथी को रखें या मिट्टी की हाथी को सोने चांदी से सजाकर रखें. इसके बाद माता लक्ष्मी की पूजा करें. उनको कमल, लाल गुलाब, कमलगट्टा, अक्षत्, मिठाई, फल आदि चढ़ाएं. धूप, दीप आदि अर्पित करें. महालक्ष्मी मंत्र, श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें. अंत में माता लक्ष्मी की आरती करें.
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24 September 2024भागदौड़ वाली जिंदगी में आजकल लोग इतने बिजी हो गए हैं कि अपनी सेहत का ही ध्यान ही रख पा रहे हैं. इसकी वजह से वजन बढ़ता जाता है और कई बीमारियों को जन्म दे सकती है. परेशान लोग न जाने क्या-क्या करने लगते हैं. कई बार मनमानी चीजें करने से नई परेशानियां खड़ी हो रही हैं. इसलिए अगर महीनेभर में वेट लॉस करना चाहते हैं तो तीन चीजों को अपने वेट लॉस प्लान का हिस्सा बनाना चाहिए. इसमें डाइट, एक्सरसाइज और आराम हैं. जानिए ये तीनों चीजों वजन कम करने में कैसे मदद करती हैं. वजन कम करने के लिए डाइट हेल्थ लाइन पत्रिका में पब्लिश एक रिपोर्ट के अनुसार, वजन कम करने में डाइट का अहम रोल है. आप रोज के खाने में जितनी भी कैलोरी ले रहे हैं, उसमें से 500 कैलोरी कम कर दें. एक हफ्ते तक जारी रखने से करीब 400 ग्राम वजन कम कर सकते हैं. पबमेड सेंट्रल में पब्लिश रिसर्च में बताया गया है कि प्रोटीन मेटाबॉलिक रेट बढ़ाने के साथ भूख को भी कम करने में मदद करता है. दरअसल हमारा ब्रेन लिक्विड वाली कैलोरी को आसानी से पहचान नहीं पाता है. सोडा, जूस, चॉकलेट मिल्क और दूसरे ज्यादा शुगर वाले ड्रिंक्स से शरीर में एक्स्ट्रा कैलोरी पहुंचती है, इसलिए इससे बचना चाहिए. ब्रेकफास्ट में अंकुरित अनाज, खाने में मौसमी हरी सब्जियों शामिल करें. इसके अलावा ज्यादा फैट वाला दूध, बटर और पनीर न लें. इस तरह की डाइट से वजन कम कर सकते हैं. 30 मिनट एक्सरसाइज ही फायदेमंद एक्सपर्ट्स के मुताबिक, वजन कम करने में एक्सरसाइज सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. सिर्फ 30 मिनट की हल्की-फुल्की एक्सरसाइज ही हेल्दी बना सकता है. यह वजन कम करने के साथ एक्सरसाइज दिल की सेहत और ओवरऑल हेल्थ के लिए फायदेमंद है. एक्सरसाइज में तेज वॉकिंग, साइक्लिंग और स्विमिंग जैसी एक्सरसाइज करने से शरीर पर लोड भी नहीं पड़ता है और पर्याप्त मात्रा में कैलोरी बर्न भी हो जाती हैं. लो इंटेसिटी से की गई एक्सरसाइज से शरीर को नुकसान भी नहीं होता है. इससे वजन तेजी से कम हो सकता है. वजन कम करना है तो लें फुल रेस्ट सिर्फ कुछ एक्टिविटीज या शारीरिक तौर पर काम करने से ही वजन नहीं घटता है बल्कि फुल रेस्ट लेना भी जरूरी है. यूरोपियन हार्ट जरनल में छपी एक रिसर्च के मुताबिक, दिन में 30 मिनट बैठकर काम करने की बजाय अगर सो लिया जाए तो बॉडी मास यानी वेट लॉस हो सकता है. 5 देशों के करीब 15 हजार लोगों पर की गई इस रिसर्च में लोगों के सोने, जागने, बैठकर काम करने और एक्सरसाइज के पैटर्न पर नजर रखी गई. मतलब साफ है कि अगर किसी को वेट लॉस करना है तो उसे डाइट, एक्सरसाइज के अलावा जमकर रेस्ट भी लेना होगा.
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24 September 2024बॉडीबिल्डिंग के दौरान शरीर में कुछ जरूरी पोषक तत्व की जरूरत होती है जिसे आप नॉर्मल डाइट के जरिए पूरी नहीं कर सकते हैं. इन पोषक तत्व की पूर्ति के लिए हर बॉडीबिल्डर कुछ न कुछ सप्लीमेंट्स जरूर लेते हैं. आजकल मार्केट में कई तरह के सप्लीमेंट मौजूद है. जिसका इस्तेमाल करके आप एकदम शानदार से शानदार बॉडी बना सकते हैं.यह हम नहीं कह रहे हैं सप्लीमेंट्स बनाने वाली कंपनी भी इस बात का दावा कर रही है. ऐसे दावे के कारण आजकल लोगों की ऐसी मानसिकता बन गई है कि बिना सप्लीमेंट्स के कारण बॉडी नहीं बनती है. सप्लीमेंट्स सभी तरह के शरीर के लिए फायदेमंद नहीं हो सकता है हालांकि, अगर आप इस धारणा की बात करें तो यह पूरी तरह से गलत है. बैलेंस्ड डाइट के जरिए भी आसानी से बॉडी बना सकते हैं. लेकिन आजकल लोग खानपान से ज्यादा बाकी दूसरी चीजों पर ज्यादा ध्यान देते हैं. आजकल लोग खाने के जरिए पोषण लेने के बजाय सप्लीमेंट्स का सहारा लेते हैं. सप्लीमेंट्स लेने में कोई बुराई नहीं है लेकिन यह हर बॉडी के लिए फायदेमंद है और भरपूर मात्रा में पोषण मिले. बॉडीबिल्डिंग के दौरान फिश ऑयल ओमेगा-3 कैप्सूल का इस्तेमाल करना चाहिए. यह बॉडीबिल्डर्स के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होता है. बॉडीबिल्डिंग के लिए ओमेगा-3 लेना क्यों है फायदे मांसपेशियों में होने वाले दर्द को ऐसे कर सकते हैं कम इंटेंस वर्कआउट के कारण मांसपेशियों में थकान, दर्द और ऐंठन से जुड़ी समस्याओं के कारण बन सकता है. इसके कारण मांसपेशियों में सूजन और कठोरता भी हो सकती है. ओमेगा-3 सप्लीमेंट्स लेने से मांसपेशियां जल्द रिकवर हो जाती है. जिम में परफॉर्मेंस कैसे बढाएं ओमेगा-3 फैटी एसिड स्पलीमेंट्स से भरपूर होता है. इसमें डीएचए और ईपी मौजूद होता है. एक्सरसाइज के दौरान परफॉर्मेंस में सुधार ला सकते हैं. यह शरीर को एनर्जी देने के साथ-साथ थकान से भी बचाता है. वजन रखे कंट्रोल जब आप एक सही बैलेंस्ड डाइट लेते हैं. उसमें ओमेगा-3 फैटी सप्लीमेंट्स लेते हैं. इससे शरीर में जमा अनहेल्दी फैट को कम करने में मदद मिलती है. यह वजन भी कंट्रोल में रखता है.
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24 September 2024नवरात्रि का त्योहार साल में चार बार मनाया जाता है, जिसमें दो प्रत्यक्ष और दो अप्रत्यक्ष नवरात्र होते हैं. आश्विन माह में पड़ने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है. शारदीय नवरात्रि प्रत्यक्ष नवरात्रि होती है, जिसे देशभर में उत्सव की तरह धूमधाम के साथ मनाया जाता है. साथ ही शारदीय नवरात्रि अन्य तीनों नवरात्रि में सबसे अधिक प्रचलित और लोकप्रिय भी है. शारदीय नवरात्रि 2024 कब पंचांग के मुताबिक नौ दिवसीय नवरात्रि का पर्व आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक होता है. तिथि अनुसार इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार 03 अक्टूबर से हो रही है, जिसका समापन 12 अक्टूबर 2024 को होगा. नवरात्रि के इन नौ दिनों में जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा ने अलग-अलग नौ रूपों की पूजा की जाती है. माता रानी का वाहन नवरात्रि में मां दुर्गा का आगमन और विदाई खास वाहन में होता है, जिसका ज्योतिष (Astrology) में अलग-अलग अर्थ बताया गया है. मां दुर्गा के आगमन और विदाई के वाहन से देश-दुनिया, प्रकृति, फसल और मानव जीवन में पड़ने वाले अच्छे-बुरे प्रभाव का अनुमान लगाया जाता है. इसलिए नवरात्रि में मां दुर्गा की सवारी को महत्वपूर्ण माना जाता है. पालकी पर आ रही हैं माता रानी माता रानी के आगमन या विदाई का वाहन क्या होगा यह वार के अनुसार तय होता है. इसलिए हर बार माता रानी की सवारी (Mata Rani ki Sawari) बदल जाती है. इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार के दिन से होगी. ऐसे में माता रानी का वाहन पालकी रहेगा. कहा जाता है कि नवरात्रि की शुरुआत जब गुरुवार के दिन होती है तो मां की सवारी डोली या पालकी होती है. मां दुर्गा का पालकी पर आना शुभ या अशुभ? ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार, नवरात्रि में मां दुर्गा जब धरती पर डोली या पालकी में आती हैं तो इसे बहुत अच्छा संकेत नहीं माना जाता है. दरअसल माता रानी का पालकी में आना चिंता का विषय बन सकता है. इससे अर्थव्यवस्था में गिरावट,व्यापार में मंदी, हिंसा, देश-दुनिया में महामारी के बढ़ने और अप्राकृति घटना के संकेत मिलते हैं. वार के अनुसार माता रानी का वाहन वैसे तो माता रानी का वाहन सिंह है, इसलिए मां दुर्गा को शेरावाली कहा जाता है. लेकिन नवरात्र के दिनों में जब मां दुर्गा पृथ्वीलोक पर आती हैं तो वार के अनुसार उनकी सवारी बदल जाती है. शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥ (देवीभाग्वत पुराण) इस श्लोक के अनुसार- सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी के आगमन का अलग-अलग वाहन बताया गया है. इसके अनुसार, नवरात्रि का आरंभ सोमवार या रविवार से हो तो मां हाथी पर आती हैं. शनिवार और मंगलवार से हो तो मां अश्व यानी घोड़े पर आती है. गुरुवार और शुक्रवार के दिन से नवरात्रि की शुरुआत होने पर माता रानी डोली या पालकी पर आती हैं. वहीं बुधवार के दिन से नवरात्रि की शुरुआत होने पर मां दुर्गा का वाहन नाव होता है. अलग-अलग वाहन का क्या है संकेत पालकी पर आना: शुभ संकेत नहीं घोड़े पर आना: शुभ संकेत नहीं हाथी पर आना: बहुत शुभ नाव पर आना: बहुत शुभ
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23 September 2024साइंस का मानना है कि सुबह-शाम कुछ देर टहलने से कई तरह की समस्याएं दूर हो सकती हैं. हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की साल 2023 की एक स्टडी के अनुसार, डेली सिर्फ 20 मिनट वॉक करने से स्ट्रेस और एंग्जाइटी 14% तक कम हो सकता है. कई अन्य रिसर्च से भी पता चलता है कि वॉकिंग फिजिकल और मेंटल हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद है. अगर इसे अपनी डेली रुटीन में शामिल कर लें तो कई बीमारियों का खतरा कम हो सकता है. हालांकि, क्या आप जानते हैं कि आपके चलने का तरीका आपकी सेहत के बारें में बहुत कुछ कहता भी है. अगर नहीं तो चलिए आज आपको बताते हैं कि आपकी वॉकिंग स्पीड से आपकी सेहत का अंदाजा कैसे लगाया जा सकता है... 1. तेज चलना तेज वॉक करने वालों की कार्डियोवैस्कुल हेल्थ स्लो चलने वालों से ज्यादा मजबूत होता है. इसका मतलब है कि ऐसे लोगों को हार्ट डिजीज का रिस्क कम होता है. इनका लंग्स फंक्शन भी काफी अच्छा होता है. उसमें ज्यादा ताकत होती है. 2. स्लो चलना एसोसिएशन ऑफ न्यूरोकॉगनिटिव एंड फिजिकल फंक्शन की स्टडी के अनुसार, धीमी गति से चलने वालों में बुढ़ापा जल्दी आने की आशंका होती है. स्लो वॉकिंग इंटेलीजेंसी पर भी असर डालती है. इससे मसल्स की ताकत भी कमजोर होती है. यह फिजिकल फिटनेस के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है. 3. गलत पॉश्चर में बैठना अगर कोई गलत तरीके से बैठता है तो भी उसके सेहत के बारें में पता लगाया जा सकता है. जब भी कोई चेयर पर गर्दन बहुत ज्यादा झुकाकर बैठता है और उसकी पीठ आगे की ओर होती है तो ऐसे लोगों में अक्सर एंग्जाइटी और डिप्रेशन की समस्या हो सकती है. उन्हें अपना पॉश्चर सुधारना चाहिए. वॉक करने का सही तरीका क्या है फ्रंटियर पब्लिक हेल्थ की रिपोर्ट बताती है कि पैदल चलने से उम्र का असर कम होता है. यह उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को ही धीमा कर देता है. अगर कोई डेली स्पीड से वॉक कररता है तो वह 50 साल की उम्र में 40 साल का ही लगेगा. इस तरह वॉक करने से दिल और फेफड़े भी मजबूत होते हैं, इनका फंक्शन बेहतर होता है. इसके कई अन्य फायदे भी होते हैं.
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23 September 2024हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के एक बयान ने उत्तराखंड को फिर से चर्चा में ला दिया है. एक इंटरव्यू में नितिन गडकरी ने कहा कि उत्तराखंड के हिल स्टेशन के रूप में मशहूर औली की सड़कों को स्विट्जरलैंड की बतखों के जैसा बना दिया जाएगा. आपको बता दें कि औली उत्तराखंड का बहुत ही खूबसूरत हिल स्टेशन है. यहां की प्राकृतिक खूबसूरती, हरियाली और पहाड़ लोगों का मन मोह लेते हैं. ऐसे में औली के विकास के लिए और वहां जाने के लिए पर्यटन को बेहतर बनाने का नितिन गडकरी का बयान वाकई मायने रखता है. चलिए जानते हैं कि औली क्यों मशहूर है, औली में देखने लायक जगहें कौन सी हैं और वहां कैसे जाया जा सकता है. कहां बसा है औली औली की बात करें तो ये हिल स्टेशन उत्तराखंड के चमोली जिले में बसा है. हिमालय की पहाड़ियों के बीच बसे औली को घूमने फिरने के साथ साथ स्कीइंग के लिए भी जाना जाता है. गढ़वाली भाषा में घास के मैदान को औली बुग्याल कहा जाता है. औली के आस पास हरे भरे घास के मैदान है और इसलिए ये इलाका औली के नाम से मशहूर हो गया. यहां आपको हरी भरी वादियों के साथ साथ बर्फ से ढके हिमालय के पहाड़ दिखेंगे. औली में घूमने लायक जगहें औली की खासियत ये है कि यहां से नंदा देवी पर्वत, नागा पर्वत, हाथी पर्वत और गौरी पर्वत जैसी दुर्लभ जगहों को साफ देखा जा सकता है. यहां सर्दियों के मौसम में पहाड़ पूरी तरह बर्फ से घिर जाते हैं. पहाड़ों पर स्कीइंग के लिए ये पूरे भारत में सबसे मशहूर हिल स्टेशन है. जो लोग ट्रेकिंग का शौक रखते हैं, उनके लिए भी औली जन्नत समान है क्योंकि यहां से जोशीमठ के लिए शानदार ट्रेकिंग का रास्ता जाता है जो काफी पॉपुलर है. औली की दूसरी सबसे बड़ी खासियत है चतर कुंड झील. इंसान द्वारा बनाई गई यह दुनिया की सबसे ऊंची झील है. यहां का घोसो बुग्याल भी काफी खूबसूरत और हरी भरी जगह है.इसके साथ साथ नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान, जोशीमठ जाने वाला रोपवे भी शानदार एक्सपीरिएंस करवाता है. आप औली के खूबसूरत नजारों को देखने के लिए केबल कार में भी सवार हो सकते हैं. औली जाना बहुत ही आसान है. अगर दिल्ली की बात करें तो औली दिल्ली से 504 किलोमीटर दूर है. देहरादून के जॉली ग्रांट हवाई अड्डे से औली की दूरी 180 किलोमीटर दूर है. यहां से कार से आराम से पहुंच सकते हैं.
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23 September 2024हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के एक बयान ने उत्तराखंड को फिर से चर्चा में ला दिया है. एक इंटरव्यू में नितिन गडकरी ने कहा कि उत्तराखंड के हिल स्टेशन के रूप में मशहूर औली की सड़कों को स्विट्जरलैंड की बतखों के जैसा बना दिया जाएगा. आपको बता दें कि औली उत्तराखंड का बहुत ही खूबसूरत हिल स्टेशन है. यहां की प्राकृतिक खूबसूरती, हरियाली और पहाड़ लोगों का मन मोह लेते हैं. ऐसे में औली के विकास के लिए और वहां जाने के लिए पर्यटन को बेहतर बनाने का नितिन गडकरी का बयान वाकई मायने रखता है. चलिए जानते हैं कि औली क्यों मशहूर है, औली में देखने लायक जगहें कौन सी हैं और वहां कैसे जाया जा सकता है. कहां बसा है औली औली की बात करें तो ये हिल स्टेशन उत्तराखंड के चमोली जिले में बसा है. हिमालय की पहाड़ियों के बीच बसे औली को घूमने फिरने के साथ साथ स्कीइंग के लिए भी जाना जाता है. गढ़वाली भाषा में घास के मैदान को औली बुग्याल कहा जाता है. औली के आस पास हरे भरे घास के मैदान है और इसलिए ये इलाका औली के नाम से मशहूर हो गया. यहां आपको हरी भरी वादियों के साथ साथ बर्फ से ढके हिमालय के पहाड़ दिखेंगे. औली में घूमने लायक जगहें औली की खासियत ये है कि यहां से नंदा देवी पर्वत, नागा पर्वत, हाथी पर्वत और गौरी पर्वत जैसी दुर्लभ जगहों को साफ देखा जा सकता है. यहां सर्दियों के मौसम में पहाड़ पूरी तरह बर्फ से घिर जाते हैं. पहाड़ों पर स्कीइंग के लिए ये पूरे भारत में सबसे मशहूर हिल स्टेशन है. जो लोग ट्रेकिंग का शौक रखते हैं, उनके लिए भी औली जन्नत समान है क्योंकि यहां से जोशीमठ के लिए शानदार ट्रेकिंग का रास्ता जाता है जो काफी पॉपुलर है. औली की दूसरी सबसे बड़ी खासियत है चतर कुंड झील. इंसान द्वारा बनाई गई यह दुनिया की सबसे ऊंची झील है. यहां का घोसो बुग्याल भी काफी खूबसूरत और हरी भरी जगह है.इसके साथ साथ नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान, जोशीमठ जाने वाला रोपवे भी शानदार एक्सपीरिएंस करवाता है. आप औली के खूबसूरत नजारों को देखने के लिए केबल कार में भी सवार हो सकते हैं. औली जाना बहुत ही आसान है. अगर दिल्ली की बात करें तो औली दिल्ली से 504 किलोमीटर दूर है. देहरादून के जॉली ग्रांट हवाई अड्डे से औली की दूरी 180 किलोमीटर दूर है. यहां से कार से आराम से पहुंच सकते हैं.
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23 September 2024पितृपक्ष का समय पितरों को श्रद्धांजलि देने का होता है. पितृपक्ष के 15 दिनों में लोग अपने मृत पूर्वजों या पितरों के निमित्त श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण जैसे अनुष्ठान करते हैं. मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष में किए इन कार्यों से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है. बता दें कि पितृपक्ष की शुरुआत 18 सितंबर 2024 से हो चुकी है जो 2 अक्टूबर 2024 तक चलेंगे. वैसे तो पितरों की आत्मा की शांति के लिए कई तरह के कर्मकांड किए जाते हैं, जिनमें पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध सबसे महत्वपूर्ण हैं. अपने वंश द्वारा किए इन कर्मकांडों से पितृ प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं. अमूमन लोग पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण को एक ही मान लेते हैं, क्योंकि ये तीनों पितृपक्ष के समय किए जाते हैं. लेकिन ये तीनों एक नहीं है और साथ ही इनकी विधियां भी अलग-अलग है. इसलिए यह जान लीजिए कि तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध में क्या अंतर है और कैसे ये तीनों भिन्न हैं- तर्पण क्या है भविष्यवक्ता और ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार, तर्पण का अर्थ जल का अर्पण है. तर्पण करते समय पितरों को जल, दूध, तिल और कुश अर्पित करते हैं. मान्यता है कि इससे पितृ संतुष्ट होते हैं. पितृपक्ष के दौरान आप इसे किसी भी दिन कर सकते हैं. तर्पण विधि में तिल मिश्रित जल अर्पित कर पितरों, देवताओं और ऋषियों को तृप्त किया जाता है. पिंडदान क्या है पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान को सबसे सहज और सरल मार्ग माना जाता है. पिंडदान का अर्थ होता है पितरों को भोजन प्रदान करना. यह पितरों के आत्मा को श्रद्धांजलि देने का अनुष्ठान है. पिंडदान इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि पितरों की मोह माया छूट सके और वे अपनी आगे की यात्रा शुरू करें. वैसे तो देशभर में पिंडदान करने के लिए कई पवित्र स्थल हैं, लेकिन बिहार स्थित गया जी को पूर्वजों के पिंडदान के लिए सबसे श्रेष्ठ माना जाता है. गया जी समेत हरिद्वार, जगन्नाथपुरी, कुरुक्षेत्र, चित्रकूट, पुष्कर आदि जगहों पर लोग ब्राह्मण से विधि-विधान से पिंडदान कराते हैं. श्राद्ध क्या है पितृपक्ष में किया जाने वाला श्राद्धकर्म विस्तृत कर्मकांड है. इसे पितरों के लिए मुक्ति का मार्ग कहा जाता है. इसमें ब्राह्मण पिंडदान, हवन, भोजन और दान जैसे अनुष्ठान कराते हैं. श्राद्ध के दौरान श्राद्धकर्ता को विधिवत नियनों का पालन करना पड़ता है. इसमें पंचबली होती है, जिसमें गाय, कौआ, कुत्ता, देवता और चींटियों को भोजन अर्पित किए जाते हैं.
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21 September 2024ज्योतिष शास्त्र (Jyotish Shastra) में शनि देव (Shani Dec) को क्रूर ग्रह माना जाता है. इसका कारण यह है कि शनि देव व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार ही अच्छा या बुरा फल देते हैं. अगर आपने जाने-अनजाने में बुरा काम किया है तो आप शनि देव की दृष्टि से नहीं बच सकते और इसका दंड जरूर मिलता है. साथ ही शनि देव की नाराजगी से भी जीवन में परेशानियों का अंबार लग जाता है. शनि देव जब किसी से नाराज हो जाते हैं तो उसे परिश्रम का फल नहीं मिलता, संबंधों में खटास आती है, रिश्ते-नाते टूट जाते हैं, आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां शुरू हो जाती है. इसलिए ऐसा कोई काम न करें, जिससे आपको शनि देव की नाराजगी का सामना करना पड़े. साथ ही जिन लोगों की कुंडली में शनि कमजोर स्थिति में हो, शनि की साढ़ेसाती (Shani Sadesati) या ढैय्या (Shani Dhaiya) चल रही हो तो ऐसे लोगों को भी शनि महाराज कई मुश्किलों में डाल देते हैं.प्रसिद्ध भविष्यवक्ता और ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास कुछ ऐसे ज्योतिषी उपाय (Astrological Remedies) बताते हैं, जिनसे शनि देव प्रसन्न होते हैं. साथ ही इन उपायों को करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रतिकूल प्रभाव भी कम होता है. शनि देव को प्रसन्न करने के उपाय ज्योतिष के अनुसार शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करने से वे खूब प्रसन्न होते हैं. साथ ही इस दिन हनुमान जी का भी पूजन करें. इससे सभी कष्टों से मुक्ति मिलेगी. शनिवार के दिन शनि महाराज के साथ ही पीपल वृक्ष की भी पूजा करें. पीपल वृक्ष के जल में जल डालें और सरसों तेल का दीप जलाएं. यदि आपसे जाने-अनजाने में कोई भूल हुई है तो शनि देव के अपनी गलतियों के लिए माफी मांगें. सही कर्म करने का प्रण लें और गलतियों का पश्चापात करें, इससे शनि देव आपका जरूर कल्याण करेंगे. शनि देव की कृपा पाना चाहते हैं तो भूलकर भी बेजुबान पशुओं,मजदूर वर्ग, असहाय और बुजुर्गों को न सताएं.
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21 September 2024शीशमहल, गोल्डन थीम, दीवारों में चांदी और पीतल का काम। ये फाइव स्टार होटल नहीं, राजस्थान की शाही ट्रेन 'पैलेस ऑन व्हील्स' है। जो 25 सितंबर से फिर पटरियों से दौड़ेगी। इस ट्रेन में इस बार कई बदलाव किए गए हैं। सबसे बड़ा बदलाव महाराजा रेस्टोरेंट में किया गया है। इसे शीश महल के रूप में तैयार किया गया है। खास बात है कि इसे उन्हीं कारीगरों ने तैयार किया, जिनके पूर्वजों ने आमेर का शीश महल बनाया था। वहीं, महारानी रेस्टोरेंट को गोल्डन थीम पर सजाया गया है। जिम को बदलकर प्रेसिडेंशियल सुइट तैयार किया गया है। इसका 7 दिन का किराया 39 लाख रुपए है। हर डिब्बे में स्मोक डिटेक्टर लगाए गए। राजस्थान पर्यटन विकास निगम (RTDC) की ओर से ट्रेन की पहली ट्रिप दिल्ली के सफदरगंज स्टेशन से शुरू (फ्लैग ऑफ) की जाएगी। इस बार शाही ट्रेन से लगभग 30 विदेशी सैलानी राजस्थान की अलग-अलग विरासत को देख सकेंगे। शुक्रवार को पांच महीने बाद ट्रैक पर उतरी ट्रेन का ट्रायल हुआ। 25 सितंबर को दिल्ली से शुरू होगी जर्नी पर्यटन निगम की प्रबंध निदेशक आईएएस सुषमा अरोड़ा ने बताया- 'पैलेस ऑन व्हील्स' को 25 सितंबर को दिल्ली से फ्लैग ऑफ किया जाएगा। यह ट्रेन वन वीक तक राजस्थान के प्रमुख हेरिटेज सिटी को कवर करते हुए आगरा तक जाएगी। ट्रेन का हर साल रेनोवेशन किया जाता है। ट्रेन के शाही अंदाज और लुक को और भव्यता देने के लिए इसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए है। ट्रेन में फायर सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए पूरे किचन को गैस की जगह इलेक्ट्रिफाइड किया गया है। अब गैस चूल्हे की जगह इलेक्ट्रिक चूल्हे पर खाना तैयार होगा। इस सीजन में 32 फेरे करेगी ट्रेन दिल्ली से रवाना होकर जयपुर आएगी। नेक्स्ट डे जयपुर से रवाना होकर सुबह सवाई माधोपुर जाएगी। यहां दिनभर रुकने के बाद इसी दिन ट्रेन चित्तौड़गढ़ के लिए रवाना हो जाएगी। यहां से उदयपुर, अजमेर, जैसलमेर, जोधपुर, भरतपुर होते हुए आगरा के ताजमहल जाकर यात्रा का समापन होगा। यह ट्रेन इस सीजन में 32 फेरे करेगी। सुषमा अरोड़ा ने बताया- इस ट्रेन में गेस्ट के लिए 5 स्टार फैसिलिटी मिलेगी। रॉयल फैमिली जैसे रूम डिजाइन किए गए हैं। इसमें 39 रूम डीलक्स कैटेगरी के हैं। वहीं, 2 रूम सुपर डीलक्स हैं। एक प्रेसिडेंशियल सुइट है। टूर में गेस्ट को राजस्थान के अलग-अलग शहरों में घूमने के लिए वॉल्वो कोच के साथ गाइड की सुविधा भी मिलेगी। सबसे सस्ता पैकेज 12 लाख रुपए ट्रेन का संचालन करने वाली निजी कंपनी के डायरेक्टर भगत सिंह ने बताया कि पहले ट्रिप में हमारे साथ 30 विदेशी मेहमान जाएंगे। ट्रेन में एक रूम (केबिन) का सबसे सस्ता पैकेज 12 लाख रूपए है। इसकी खासियत है की हम इस ट्रेन के जरिए सात दिन में आठ शहरों को कवर करेंगे। आउटसाइड विजिट का पूरा खर्चा भी पैकेज में शामिल है। 20 दिन का टूर 7 दिन में पूरा होता है पूरे राजस्थान और आगरा के ताजमहल का सड़क के जरिए टूर किया जाए तो 20 दिन का समय लगेगा। इस ट्रेन के माध्यम से यह पूरा टूर सात दिन में पूरा होता है। ऐसे टूरिस्ट प्लेस जहां ज्यादा भीड़ रहती है। उन जगहों पर भी हम 'पैलेस ऑन व्हील्स' के गेस्ट को स्पेशल कैटेगरी में विजिट कराते हैं। उन्होंने बताया कि इस ट्रेन से RTDC को डेढ़ से दो करोड़ का रेवेन्यू होता था। निजी कंपनी जब से ऑपरेट कर रही है तब से करीब 5 करोड़ रेवेन्यू सरकारको मिलने का दावा है। सिंह ने बताया कि इसमें रेवेन्यू और बढ़ता है तो सरकार को हम 18.5 प्रतिशत और देंगे। दीवारों में चांदी और पीतल का वर्क किया गया भगत सिंह ने बताया- हमारा कॉम्पिटिशन वर्ल्ड की दूसरी लग्जरी ट्रेनों से है। ट्रेन का कई बार एक्सीडेंट हो जाता है। ट्रेन में आग लगने की घटनाएं हो जाती हैं। इन्हें देखते हुए सेफ्टी के तौर पर उन एलिमेंट को यूज किया है, जो फायर फ्रेंडली नहीं है। हमने फ्लोर में इनले का मार्बल लगाया है। हमने दीवारों में मेटल का यूज किया है, जिनमें पीतल, जर्मन सिल्वर के वर्क शामिल है। हमने कुछ रूम्स में ठीकरी ग्लास का वर्क किया है। इन सब का इस्तेमाल हमने वर्ल्ड के लग्जरी ट्रेनों को कॉम्पिटिशन में हराने के लिए किया है। ये वर्क न केवल सेफ्टी के तौर पर है बल्कि इससे रॉयल फील भी आता है। आमेर के शीश महल के तर्ज पर तैयार हुआ महाराजा रेस्टोरेंट भगत सिंह ने बताया- पिछली बार हमने ट्रेन का रेनोवेशन किया था। लेकिन उसमें कुछ रूम और महाराजा रेस्टोरेंट था। इनका रेनोवेशन नहीं हो पाया था। इस बार महाराजा रेस्टोरेंट को पूरी तरीके से रेनोवेट किया है। हमने इसे राजसी लुक देने के लिए आमेर के शीशमहल के तर्ज पर तैयार किया है। इसकी खासियत है कि इसे उन्हीं कारीगरों ने तैयार किया है, जिनके पूर्वजों ने कभी आमेर का प्रसिद्ध शीशमहल बनाया था। इस पूरे रेस्टोरेंट में ठीकरी वर्क कराया गया है। इसे तैयार करने में दो महीने से ज्यादा का समय लगा है। राजघरानों और शहर की आर्ट पर केबिन डिजाइन किए गए उन्होंने बताया कि ट्रेन में राजस्थान के पर्यटन से जुड़े हर शहर की थीम पर वर्क किया गया है। जयपुर के आर्किटेक्ट और इंटीरियर डिजाइनर सौरभ यादव और मैने मिलकर राजस्थान के अलग-अलग शहरों के आर्ट पर रिसर्च कर उसी तर्ज पर रॉयल लुक दिया है। ट्रेन के 14 सैलून 14 राजघरानों के नाम पर हैं।जो अलवर स्टेट्स, भरतपुर स्टेट्स, बीकानेर स्टेट्स, धौलपुर स्टेट्स, डूंगरपुर स्टेट्स, बूंदी स्टेट्स, कोटा स्टेट्स, जयपुर स्टेट्स, जोधपुर स्टेट्स, जैसलमेर स्टेट्स, झालावाड़ स्टेट्स, किशनगढ़ स्टेट्स, सिरोही स्टेट्स, उदयपुर स्टेट्स के नाम से हैं। इन्हीं की आर्ट के अनुसार सैलून को सजाया गया है। राजघरानों और शहरों के आर्ट को ध्यान में रखते हुए इसके कोच में वर्क किया गया है। बूंदी शहर के आर्ट पर बूंदी केबिन का डिजाइन, भरतपुर के आर्ट पर भरतपुर केबिन को तैयार किया गया है। इसी तरह से हर जिले के आर्ट को लेकर थीम बेस्ड रूम तैयार किए हैं। इसका मकसद है कि विदेशी मेहमान हमारी संस्कृति के साथ-साथ प्रसिद्ध शहरों के आर्ट से भी रुबरू हो सके। वॉशरूम में भी प्लास्टिक मटेरियल हटाकर कारपेट शीट लगाई गई गेस्ट के लिए ट्रेन में दो बार, दो रेस्टोरेंट और स्पा की सुविधा भी दी गई है। हर रूम के साथ में बटलर है। हमने इस ट्रेन के रूम में 10 स्टार फैसिलिटी प्रोवाइड की है। ट्रेन में पहले से ज्यादा लग्जरी फील देने के लिए विनियर लकड़ी का वर्क किया है। साथ ही कोरिडोर, अलमारी और बेड वर्क पर मैक्सिकन और बॉम्बे डाइंग फैब्रिक का इस्तेमाल किया है। इन दोनों बदलावों से सफर करने वालों को अंदर या बाहर से किसी भी तरह का शोर सुनाई नहीं देगा। इसमें बेड वर्क एरिया में सिरहाने का एरिया बढ़ाया है। ताकि आराम करने वाले को पूरा स्पेस मिले। वॉशरूम एरिया में पीवीसी प्लास्टिक मटेरियल को हटाकर कारपेट शीट लगाई गई है। वॉशरूम का एरिया बड़ा नजर आए इसके लिए इसमें बड़े मिरर लगाए गए हैं। जिम को हटाकर प्रेसिडेंशियल सुइट बनाया गया ट्रेन में जिम एरिया वाले कोच में भी बदलाव किया गया है। यहां से जिम को हटाकर एक प्रेसिडेंशियल सुइट तैयार किया गया है। इसमें दो बेड लगे हैं। एक मास्टर बेड और एक सोफा कम बेड रहेगा। बाथरूम में बाथ टब की फैसिलिटी है। इसमें डाइनिंग स्पेस भी बनाया गया है। इसके सात दिन का किराया लगभग 39 लाख है। इस बार ट्रेन में नो टिप पॉलिसी लागू की गई डायरेक्टर भगत सिंह ने बताया- इस बार हमने इस ट्रेन के सफर में एक और महत्वपूर्ण बदलाव किया है। पहले 'पैलेस ऑन व्हील्स' काफी बदनाम थी की इसके गेस्ट को शोरूम पर ले जाया जाता है। गेस्ट से टिप के तौर पर पैसे लिए जाते है। हमने इस बार नो टिप पॉलिसी का कॉन्सेप्ट रखा है। इसके साथ ही हम गेस्ट को किसी भी शोरूम पर लेकर नहीं जाएंगे। राजस्थानी पोशाक में बाउंसर रहेंगे इस बार हमने गेस्ट के लिए दो टीम बनाई है। एक टीम गेस्ट को साइट विजिट के लिए ले जाती है। उनकी सुरक्षा के लिए राजस्थानी पोशाक में बाउंसर रहेंगे। जो गेस्ट को रॉयल फील देंगे। दूसरी पांच लोगों की टीम पहले से उन प्लेस पर तैनात रहेगी जहां गेस्ट जाएंगे। जैसे जयपुर के सिटी पैलेस, जोधपुर के मेहरानगढ़ फोर्ट हो या भरतपुर के कैला देवी वहां पर गेस्ट को किसी तरीके की गंदगी फैली नजर न आए इसका ध्यान रखेंगे। 86 तरीके के लजीज व्यंजन सर्व होंगे ट्रेन के रेस्टोरेंट में शेफ कई प्रसिद्ध डिश सर्व करेंगे। साथ ही पैसेंजर्स को दाल बाटी चूरमे के साथ इंडियन, यूरोपियन और चाइनीज के लगभग 86 तरीके के लजीज व्यंजन सर्व किए जाएंगे। रेस्त्रां में इस बार मटन कोरमा, लाल मास, गिरिल्ड मोरलो पोटेटो, शाही लीची की सब्जी, वेजिटेबल चाउचाउ, ब्रेड सरप्राइज, रोस्टेड लेमन बार्बेक्यू सॉस, पालक छुपा रूस्तम, सहित बहुत से व्यंजन एड किए हैं। इसके साथ स्पा, शाही फूड के लिए रेस्टोरेंट की सुविधा मिलेगी।
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21 September 2024पितृ पक्ष में 2 अक्टूबर तक तर्पण, पिंडदान और दान पुण्य कर पितरों को संतुष्ट किया जाएगा. श्राद्ध पक्ष पूर्वजों के ऋण चुकाने का समय होता है. मान्यता है इस अवधि में पूर्वजों की मृत्यु तिथि पर श्राद्ध किया जाए तो सालभर सुख-समृद्धि बनी रहती है. ग्रंथों में श्राद्ध में कौए का विशेष महत्व बताया गया है. पितरों के लिए बनाया गए भोजन में से पंचबली भोग (कौए, गाय, कुत्ते, चींटि और देवों का भोग) निकाला जरुरी है, लेकिन क्या आप श्राद्ध का भोजन कौए को ही क्यों खिलाया जाता है, क्या है इसके पीछे रहस्य आइए जानें. कौए को ही क्यों खिलाते श्राद्ध का भोजन ? गरुड़ पुराण के अनुसार कौए को यमराज का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि कौआ श्राद्ध को भोजन ग्रहण कर लें तो पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. इससे यमराज प्रसन्न होते हैं और पितरों की आत्मा तृप्त हो जाती है. कौए को यम से मिला है वरदान गरुड़ पुराण में बताया गया है कि कौवे को यमराज ने वरदान दिया था कि कौए को खिलाया गया भोजन पितरों की आत्मा को शांति देगा. उन्हें अन्न प्रदान करेगा, इससे पूर्वजों की आत्मा को सद्गति प्राप्त होगी. शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि श्राद्ध के बाद जितना जरुरी ब्राह्मण भोज होता है उतना ही जरुरी कौए को भोजन कराना भी होता हैं. कौवा देता है संकेत पितृ पक्ष के दौरान अगर घर के आंगन कौवा आकर बैठ जाए तो यह अच्छा संकेत माना जाता है. कौवा अगर आपका दिया हुआ भोजन कर ले तो यह बहुत शुभ होता है. यह संकेत देता है कि आपके पितृ आपसे बेहद प्रसन्न हैं.
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20 September 2024पीएम नरेंद्र मोदी पहली बार पोलैंड की यात्रा पर गए हैं. 45 साल में पहली बार ऐसा हुआ है जब भारत के किसी प्रधानमंत्री ने पौलेंड का दौरा किया. हालांकि, भारत की आजादी के बाद से ही पौलेंड के साथ भारत के रिश्ते हमेशा प्रगाढ़ रहे हैं. आपको बता दें, पोलैंड मध्य यूरोप का एक छोटा सा देश है. ये देश कला-संस्कृति, महलों की खूबसूरती सहित कई ऐतिहासिक धरोहर, पहाड़, झरनों की विरासत को अपने में समेटे हुए है. आज भी पोलैंड के गांवों से लेकर अलग-अलग शहरों में इसकी झलक देखने को मिल जाती है. अगर आप पोलैंड घूमने का प्लान बना रहे हैं तो हम आपको इस खबर के माध्यम से बताने जा रहे हैं कि पोलैंड में घूमने के लिए मशहूर टूरिस्ट प्लेस कौन-कौन से हैं. सबसे पहले कहां जाएं अगर आप टूरिस्ट हैं और घूमने के लिए पोलैंड जा रहे हैं तो सबसे पहले पोलैंड की राजधानी वारसॉ जा सकते हैं. पोलैंड के कई बड़े शहरों में से एक वारसॉ में घूमने के लिए कई जगहें हैं. यहां कई ऐतिहासिक स्मारकों के अलावा बेहद सुंदर महल भी हैं. विज्ञान पर आधारित कई शानदार म्यूजियम भी हैं. यहां पर चित्रकार जोज़ेफ़ मेहोफ़र द्वारा बनाया गया स्ट्रेंज गार्डन है, जिसे वारसॉ में नेशनल म्यूजियम के संग्रह की सबसे लोकप्रिय पेंटिंग्स में से एक माना जाता है. यह पेंटिंग पोलिश ग्रामीण इलाकों में घने, मध्य जुलाई के मौसम को पूरी तरह से दर्शाता है. यहां भी जा सकते हैं टूरिस्ट पोलैंड के अलावा दूसरा शहर क्राको है. घूमने के लिहाज से ये दुनियाभर के टूरिस्टों की पहली पसंद है. यहां पर टूरिस्टों को पोलैंड के इतिहास को समझने केलिए काफी मसाला मिल जाता है. यहां विल्लिज़्का साल्ट माइन, वावेल रॉयल कैसल, द क्लॉथ हॉल और सेंट मैरी बेसिलिका हैं. इसके अलावा यूनेस्को के धरोहर में शामिल पोलैंड के खूबसूरत शहरों में से एक है माल्बोर्क. यह शहर अपने यहां के महलों, चर्चों के लिए जाना जाता है. इस शहर में आप माल्बोर्क कैसल म्यूजियम, डायनासोर पार्क, जम्पी पार्क का आंनद परिवार संग उठा सकते हैं. घूमने के बाद जब आपको भूख लगे तो इसके लिए आप ग्दान्स्क कोस्ट काफी हाउस जा सकते हैं. यहां आपको लजीज व्यंजन खाने को मिलेंगे. भारत से बहुत पुराना रिश्ता कहा जाता है कि 16वीं सदी में पोलैंड के व्यापारी समुद्री रास्ते की खोज में पहली बार भारत आए थे. भारत आने के दौरान यहां की कला-संस्कृति से इन्हें प्यार हो गया. यही वजह है कि पोलैंड में आज भी कला-संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर की झलक गांव से लेकर शहरों तक दिखाई दे जाती है.
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20 September 2024लैंसेट की एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें एयर पॉल्यूशन के कारण ब्रेन स्ट्रोक पड़ने की संभावना बताई गई है. एयर पॉल्यूशन में पाई जाने वाली सबराचोनोइड दिमाग के अंदर ब्लीडिंग का कारण बनती है. जिसके कारण ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है. भारत, अमेरिका, न्यूजीलैंड, ब्राजील और यूएई के रिसर्चर ने एक इंटरनेशनल टीम के साथ रिसर्च किया है. जिसमें पता चला है कि एयर पॉल्यूशन के कारण ब्रेन स्ट्रोक का खतरा 14 प्रतिशत तक बढ़ गया है. इसके कारण मृत्यु के साथ-साथ विकलांगता भी हो सकती है. ब्रेन स्ट्रोक का खतरा पहले से 25 प्रतिशत तक बढ गया है भारत के युवाओं में आए दिन ब्रेन स्ट्रोक के मामले दिन पर दिन बढ़ रहे हैं. इस मामले में पिछले 5 सालों में 25 प्रतिशत तक वृद्धि देखने को मिली है. सबसे ज्यादा मामले 25-40 साल की उम्र वाले लोगों में दिखाई देती है. दरअसल, इसके पीछे का कारण खराब लाइफस्टाइल, खानपान, खराब आदतें, धूम्रपान और मॉर्जन लाइफस्टाल के चक्कर में खानपान का ध्यान नहीं रखना जिसके कार कई सारी बीमारियों का शिकार होना जैसे-हाई बीपी,डायबिटीज आदि. सिर्फ ब्रेन स्ट्रोक ही नहीं बल्कि शुगर और हाई बीपी की ओर भी इशारा करती है. इसके अलावा जेनेटिक बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है. जैसे- स्लीपिंग डिसऑर्डर, दिल से जुड़ी बीमारियां, हाई बीपी, स्ट्रेस और तनाव के कारण कई सारी बीमारियां आजकल लोगों को हो रही है. इन सब के अलावा एयर पॉल्यूशन भी उसमें से एक कारक है. आजकल के युवाओं की लाइफस्टाइल काफी बदल गई है. जो वर्किंग लोग है वह ऑफिस में घंटों एक ही जगह बैठकर काम करते हैं. जो घर से काम करते हैं वह घर में लगातार बैठ रहते हैं. जिसके कारण हार्ट और दिमाग पर काफी ज्यादा बुरा असर पड़ता है. भारत में कुल बीमारियों में न्यूरोलॉजिकल दिक्कत 10 प्रतिशत से भी ज्यादा है. बढ़ती उम्र बढने से देश में बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है. ब्रेन स्ट्रोक के मामले में भारत की स्थिति दरअसल, आपको सिर में चोट लगने से बचना होगा. आपको अपनी डाइट का खास ख्याल रखना होगा. धूम्रपान और तनाव से दूरी बना लें. रेगुलर एक्सरसाइज करते रहें. एक्सरसाइज, सैर पर निकलना,डायबिटीज, मोटापा, हाई बीपी, डिस्लिपिडेमिया जैसी बीमारियों से बचे रहेंगे. अगर आप खुद का ध्यान रखेंगे तो न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से बचा जा सकता है. भारत में हर साल 1 लाख 85 हजार से भी ज्यादा मामले आते हैं. जिसमें हर 40 सेकेंड में एक ब्रेन स्ट्रोक का मामला आता है. वहीं हर मिनट में एक ब्रेन स्ट्रोक से मौत हो जाती है.
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20 September 2024दुनियाभर में शादी को लेकर अलग-अलग रस्में निभाई जाती हैं. इनमें से कुछ रस्में ऐसी होती हैं जो सुनने में भी अजीब लगती हैं तो वहीं कुछ रस्में वाकई में बेहद अजीब होती हैं. ऐसे में क्या आप जानते हैं कि एक जगह ऐसी भी है जहां शादी के तीन दिन बाद तक दुल्हन बाथरूम नहीं जा सकती. जी हां, आप सही पढ़ रहे हैं. दरअसल शादी का एक अनोखा रिवाज एक देश में मनाया जाता है. चलिए रस्म और ये कहां होती है इस बारे में जानते हैं. इस देश में शादी के बाद तीन दिन तक टॉयलेट नहीं जा सकती दुल्हन दरअसल ये अनोखा रिवाज इंडोनेशिया में होता है. यह अजीबोगरीब रिवाज इंडोनेशिया के टीडॉन्ग समुदाय में निभाया जाता है. इस समुदाय में शादी के बाद नवविवाहित जोड़े को अगले तीन दिनों तक टॉयलेट जाने की मनाही होती है. इस रस्म के पीछे का कारण जानकर आप हैरान रह जाएंगे. क्या है रस्म के पीछे की मान्यताएं इस रस्म के पीछे कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं. कुछ लोगों का मानना है कि शादी एक पवित्र बंधन है और शादी के बाद वर-वधू शुद्ध होते हैं. अगर वो टॉयलेट जाते हैं तो उनकी पवित्रता भंग हो जाती है और वो अशुद्ध हो जाते हैं. यही कारण है कि इस समुदाय में शादी के बाद तीन दिन तक टॉयलेट जाने पर रोक लगाई जाती है. वहीं कुछ अन्य लोगों का मानना है कि इस रस्म के पीछे का कारण नवविवाहित जोड़े को बुरी नजर से बचाना है. इस बिरादरी के लोगों की मान्यताओं के मुताबिक जहां पर मल त्याग किया जाता है वहां गंदगी होती है, जिसके कारण वहां पर नकारात्मक शक्तियां का प्रभाव बढ़ता है. इससे उनके दांपत्य जीवन में परेशानियां आ सकती हैं. रस्म को निभाने के तरीके ये रस्म बड़े ही सख्त नियमों के तहत पूरी की जाती है. इस दौरान शादी के तीन दिनों तक दूल्हा-दुल्हन को कोई परेशानी न हो और वो इस रस्म को बिना किसी दिक्कत के निभा सकें इसके लिए उन्हें खाना-पानी कम दिया जाता है. इस दौरान इसका खास ध्यान रखा जाता है कि वे शौचालय न जाएं. आज के समय में जब लोग स्वच्छता के प्रति जागरूक हो रहे हैं, वहां ऐसी रस्में लोगों के लिए परेशानी का कारण बन सकती हैं. कई बार तो इस तरह की रस्में स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक साबित हो सकती है.
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19 September 2024अंतिम संस्कार दुनिया भर में निभाई जाने वाली एक ऐसी प्रथा है जिसमें किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसे आखिरी विदाई दी जाती है. हालांकि ये अंतिम विदाई कुछ जगहों पर इतनी भयानक होती है कि जिन्हें सुनकर ही आपको रोंगटे खड़े हो जाएंगे. ऐसे में चलिए आज कुछ ऐसे विचित्र और इतिहास के सबसे अजीबोगरीब अंतिम संस्कारों पर नजर डालते हैं. यहा अंतिम संस्कार के समय शरीर को काटकर खा जाते हैं लोग ये सुनने में ही काफी अजीब लग रहा होगा कि कभी ऐसा भी हो सकता है? दरअसल अंतिम संस्कार के नाम शव को ही खा जाना, लेकिन ये बिल्कुल सच है. आज से 8 लाख साल पुरानी ये प्रथा इंडो-यूरोपीय इलाकों में आज भी चली आ रही है. इस प्रथा में मरने के बाद लोग शवों को ही काटकर खा जाते हैं. हैरान कर देने वाली बात ये है कि कुछ लोग तो पहले इन शवों को सड़ाते हैं और फिर उस समय तक सड़ाते हैं जब तक इस शरीर से पानी जैसा तरल पदार्थ ना निकलने लगे. इतिहासकरों का कहना है कि ऐसा लोग इसलिए करते हैं ताकि इस तरल पदार्थ से शराब बनाई जा सके और फिर इसे अपने स्वजनों की याद के स्वरूप इसका पिया जा सके. यहां अंतिम संस्कार के समय शव को मोतियों में बदल देते हैं लोग गौरतलब है कि ऐसी भी एक जगह है जहां मरने वाले लोगों के अंतिम संस्कार के तौर पर उनके शवों को रंग-बिरंगे मोतियों-माणकों में बदल दिया जाता है यानी व्यक्ति के अवशेषों (राख) को रत्नों में संरक्षित कर लिया जाता है. ये उनके प्रियजनों की याद बनकर उनके घरों में रहता है. दरअसल ये प्रथा आज भी दक्षिण कोरियाई इलाकों में चली आ रही है. गिद्धों के सामने डाल दिया जाता है मृतकों का शव तिब्बत में अंतिम संस्कार का ये अनोखा तरीका अभी भी अपनाया जाता है. यहां के बौद्ध धर्म से जुड़े लोग अपने स्वजनों के अंतिम संस्कार के लिए इसे अपनाते हैं. यहां शव को पहले छोटे-छोटे टुकडो़ं में काटा जाता है. फिर उन टुकडो़ं को अंतिम संस्कार वाली जगह पर ले जाया जाता है इसके बाद बौद्ध भिक्षु धार्मिक अनुष्ठान करते हैं. इसके बाद इन टुकड़ों को किसी भी अनाज के आटे के घोल में डुबो दिया जाता है. इसके बाद इन टुकड़ों को बाज और गिद्ध जैसे पक्षियों के लिए फेंक दिया जाता है. इसके पीछे इस समुदाय की मान्यता है कि इस तरह आत्म बलिदान की अनुभूति होती है क्योंकि दफनाने के बाद भी इन शवों को कीड़े-मकौड़े ही खाते हैं और तिब्बत में ऊंची-ऊंची पहाड़ियां हैं जिससे वहां पेड़ों की ज्यादा पैदावार नहीं है, जिससे लकड़ियों की कमी है और दूसरा वहां की जमीन ज्यादा पथरीली है ऐसे में कब्र खोदने में भी काफी दिक्कतों को सामना करना पड़ता है. यहां अंतिम संस्कार में उंगली काट लेते हैं लोग एक जगह ऐसी भी है जहां किसी अपने के मरने पर लोग अपने हाथों की उंगलियां काट लेते थे. दरअसल पपुआ न्यू गिनी जैसे देशों में ये प्रथा कई अर्से से चली आ रही थी लेकिन अब इस पर बैन लगा दिया है क्योंकि इस प्रथा में शव की उंगलियां नहीं बल्कि मरने वाले शख्स के परिजनों में से किसी की एक की उंगली काटी जाती थी. आश्चर्य की बात है कि इस प्रथा में एक उंगली नहीं बल्कि एक हाथ की पांचों उंगली काट दी जाती थी. इस प्रथा को लेकर इस समुदाय का मानना था कि ऐसा करने से आत्मा उन्हें परेशान नहीं करती है और उसे मुक्ति मिल जाती है.
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19 September 2024एक समय हवाई जहाज से सफर करना हर किसी के बस की बात नहीं हुआ करती थी, लेकिन वक्त के साथ अब लोगों के लिए हवाई जहाज से सफर करना आसान हो गया है. हवाई जहाज से जुड़े कई ऐसे सवाल होते हैं जो लोगों के मन में होते हैं. ऐसा ही एक सवाल ये भी है कि आखिर हवाई जहाज कितनी ऊंचाई पर उड़ता है? ऐसे में चलिए इसका जवाब जान लेते हैं. कितना ऊंचाई तक उड़ सकता है हवाई जहाज? वैसे हवाई जहाज की उड़ान इस बात पर निर्भर करती है कि एयरक्राफ्ट कौन सा है. आमतौर पर एक पैसेंजर एयरक्राफ्ट 10-20 हज़ार फीट नहीं बल्कि 30-35 हज़ार फीट की ऊंचाई पर उड़ता है. वहीं aviex.goflexair.com के अनुसार, बोइंग से लेकर एयरबस के विभिन्न मॉडल्स के पास सर्विस सीलिंग 41,000 से 43,000 फीट तक की होती है. हालांकि ये हवा में 30,000 से 35,000 फीट तक की ऊंचाई पर उड़ान भरते हैं. वहीं प्राइवेट जेट की बात करें तो ज्यादातर एयरक्राफ्ट की सर्विस सीलिंग 51,000 फीट तक होती है और वो 45,000 फीट तक की ऊंचाई पर उड़ सकते हैं. किस चीज पर निर्भर होती है हवाई जहाज की उड़ान? एक प्लेन की उड़ान आमतौर पर एक खास चीज पर निर्भर करती है. जो कि उसका रूट है. बता दें शॉर्ट हॉल फ्लाइट्स 25-35,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ते हैं जबकि लॉन्ग हॉल वाली फ्लाइट्स 35-40,000 फीट तक उड़ते हैं. दरअसल इसकी वजह ये है कि विमान जितना ऊंचा उड़ेगा हवा उतनी ही पतली होगी और हल्के होने पर विमान का ईंधन की खपत कम होगी. एविएशन अथॉरिटीज़ द्वारा हर प्लेन को स्पेसिफिक ऑल्टीट्यूड रेंज के लिए सर्टिफिकेट दिया जाता है. इसके अलावा मिलिट्री एयरक्राफ्ट की बात की जाए तो ये 50,000 से 70,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ सकते हैं, जो उनके मिशन पर निर्भर करता है.
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19 September 2024राजधानी दिल्ली की सियासत में बड़ा फेरबदल हुआ है. दिल्ली में अब अरविंद केजरीवाल की जगह आतिशी सीएम पद की जिम्मेदारी संभालने जा रही हैं. विधायक दल की बैठक में उन्हें सीएम बनाने का फैसला लिया गया है. यानी अगले विधानसभा चुनावों तक दिल्ली में महिला मुख्यमंत्री के हाथों में ही कमान रहेगी. ऐसे में हम आपको दिल्ली की नई सीएम आतिशी के नाम का मतलब बताएंगे. क्या आप जानते हैं कि आतिशी किस भाषा का शब्द है, आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे. दिल्ली सीएम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. वह शाम साढ़े 4 बजे राजनिवास पहुंचे और उपराज्यपाल वीके सक्सेना को इस्तीफा सौंपा है. इस दौरान उनके साथ दिल्ली की होने वाली नई मुख्यमंत्री आतिशी और उनकी पूरी कैबिनेट भी मौजूद थी. वहीं इस्तीफा सौंपने के बाद अरविंद केजरीवाल ने एलजी को विधायक दल की चुनी गई नेता आतिशी का मुख्यमंत्री पद के लिए नाम का प्रस्ताव भी दे दिया है. कैबिनेट मंत्री में गोपाल राय, कैलाश गहलोत, इमरान हुसैन, सौरभ भारद्वाज भी साथ में थे. नई मुख्यमंत्री राजधानी दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी होंगी. विधायक दल की बैठक में उन्हें सीएम बनाने का फैसला लिया गया है. आतिशी के सीएम बनते ही इंटरनेट पर उनसे जुड़ी कई जानकारियां ढूंढी जा रही हैं. गूगल पर आतिशी से जुड़ा बहुत कुछ खोजा जा रहा है. लेकिन एक सवाल आपके भी मन में भी आया होगा कि आखिर आतिशी का मतलब क्या होता है. सवाल ये है कि आतिशी उर्दू शब्द है या हिंदी का है. आज हम आपको बताएंगे कि आतिशी का मतलब क्या होता है. आतिशी नाम का अर्थ बता दें कि आतिशी एक यूनीक नाम है. अक्सर लोग आतिशी का संबंध ‘आतिशबाजी’ से जोड़कर लगाते हैं. हालांकि कई लोग ये सोचते हैं कि आतिशी हिंदी का शब्द है. लेकिन आपको बता दें कि ‘आतिशी’ असल में एक फारसी शब्द है. शाब्दिक तौर पर इसका अर्थ ‘जो आग में तपाने पर भी न टूटने या तड़कने वाला हो’ होता है. असल में आतिशी शीशा एक ऐसी चीज होती है, जिसपर सूर्य की किरण टकराती है, तो उससे आग पैदा होती है. आतिशी का संबंध ‘आतश’ यानी आग से होता है. इसका नाम के तौर पर इस्तेमाल करें तो आतिशी का मतलब ‘उग्र’, ‘तेजस्वी’, ‘प्रज्वलित होने वाला’ या अंगारे जैसा लाल होता है.
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18 September 2024हाल ही में एक उल्कापिंड पृथ्वी के इतने नजदीक से गुजरा कि उसने धरती वासियों के मन में डर पैदा कर दिया. ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल उठना लाजमी है कि अगर कभी चांद का कोई टुकड़ा टूट कर पृथ्वी की ओर बढ़ा तो धरती पर गिरने में उसे कितना समय लगेगा. चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं. पृथ्वी से चांद की दूरी समझिए चांद का कोई हिस्सा अगर टूट कर पृथ्वी पर गिरता है, तो यह एक बेहद दुर्लभ और विनाशकारी घटना होगी. इस तरह की घटनाओं की संभावना कम है, लेकिन विज्ञान के आधार पर इसका विश्लेषण जरूर किया जा सकता है. दरअसल, चांद पृथ्वी से लगभग 384,400 किलोमीटर दूर है. ऐसे में अगर चांद का कोई टुकड़ा टूट कर पृथ्वी की ओर आने लगता है, तो उस टुकड़े की गति और यात्रा का समय मुख्य रूप से कई कारकों पर निर्भर करेगा. गुरुत्वाकर्षण और वेग में भी है इसका जवाब दरअसल, चंद्रमा की कक्षा में कोई भी वस्तु तब तक स्थिर रहती है, जब तक कि कोई बाहरी बल उस पर प्रभाव नहीं डालता. हालांकि, अगर चांद का कोई टुकड़ा टूटता है और पृथ्वी की ओर बढ़ने लगता है, तो यह पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण के कारण तेजी से आकर्षित होने लगेगा. इस प्रक्रिया को और आसान भाषा में समझने के लिए, हमें यह जानना होगा कि चंद्रमा की कक्षा में कोई भी वस्तु जब पृथ्वी की ओर गिरती है, तो वह लगातार गति प्राप्त करती है. इसे ऐसे समझिए कि पृथ्वी की ओर बढ़ते समय वह टुकड़ा 9.8 मीटर/सेकंड² की दर से गति पकड़ता है, जो कि गुरुत्वाकर्षण बल है. लेकिन, यह दर तब और बढ़ जाती है जब वह पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करता है, क्योंकि उस समय वायुगतिकीय बल भी उस पर काम करने लगता है. नासा से समझिए नासा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरिक्ष से गिरने वाली वस्तुएं आमतौर पर 11 किलोमीटर प्रति सेकंड यानी लगभग 40,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गिरती हैं. चूंकि, चांद की कक्षा पृथ्वी से दूर है तो चंद्रमा के टूटे हुए टुकड़े को पृथ्वी की सतह तक पहुंचने में अधिकतम कुछ घंटों का ही समय लगेगा. इसे और आसान भाषा में समझें तोअगर चांद का टुकड़ा 40,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से पृथ्वी की ओर बढ़ता है, तो उसे 384,400 किलोमीटर की दूरी तय करने में लगभग 9.5 घंटे लगेंगे.
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18 September 2024कल यानी 17 सितंबर को मिडल ईस्ट के लेबनान और सीरीया में एक साथ कई धमाके हुए. यह धमाके अपने आप में बेहद अलग थे. क्योंकि इनके लिए न मिसाइल का इस्तेमाल किया गया था. ना ही ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था. यह सभी अटैक हुए थे पेजर के जरिए. पेजर कोई बम या बिस्फोटक नहीं बम बल्कि एक डिवाइस है जो रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए मैसेज भेजता है और प्राप्त करता है. यह काफी पुरानी टेक्नोलॉजी है. नॉर्मली अब इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर नहीं होता. इसमें इंटरनेट और कॉलिंग की सुविधा नहीं होती. इसीलिए यह वहां भी काम करता है. जहां मोबाइल के नेटवर्क नहीं आते. लेबनान में हिज्बुल्लाह जिसे अमेरिका समेत कई देश आतंकी संगठन घोषित कर चुके हैं. उसके मेंबर्स के पेजर में धमाके हुए हैं. पेजर में PETN के जरिए हुआ धमाका. क्या है यह PETN? क्या RDX से भी ज्यादा खतरनाक होता है? कैसे करते हैं दोनों काम चलिए आपको बताते हैं इन सवालों के जवाब. PETN के जरिए हुए ऐसे हुए धमाके PETN जिसका मतलब pentaerythritol tetranitrate होता है. यह एक केमिकल सब्सटेंस होता है. यह प्लास्टिसाइजर के साथ मिलकर प्लास्टिक एक्सप्लोजन तैयार करता है. दुनिया के सभी प्लास्टिक बम में इसे बेहद खतरनाक कहा जाता है. इसका पता लगाना काफी मुश्किल होता है. इसके आइटम्स बेहद ऑर्गेनाइज्ड होते हैं. इसी वजह से सेंसर भी से पकड़ नहीं पाते. इसका इस्तेमाल अमोनियम नाइट्रेट और पोटेशियम नाइट्रेट के साथ में करते हैं. जिससे विस्फोट और भी भयंकर होता है. लेबनान में हिजबुल्ला के पेजर में हुआ अटैक भी PETN के जरिए किया गया था. न्यूज़ अरबिया की रिपोर्ट के अनुसार इजरायल की सीक्रेट एजेंसी मोसाद ने यह अटैक करवाया था. उसके लिए मोसाद ने पेजर के अंदर बैटरी के ऊपर PETN फिट किया था. जो बैटरी गर्म होने के बाद विस्फोट हुआ. PETN को RDX से भी ज्यादा खतरनाक माना जाता है. RDX ऐसे करता है काम आरडीएक्स एक हाई ग्रेड पावर विस्फोटक होता है. इसे रॉयल डिमोलिशन एक्सप्लोसिव भी कहा जाता है. आपको पुलवामा हमला याद होगा.14 फरवरी साल 2019 को हुए पुलवामा हमले में 40 सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गए थे. इस हमले में आतंकवादियों ने आरडीएक्स का इस्तेमाल किया था. आप इसी बात से आरडीएक्स कितना खतरनाक है इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं. आरडीएक्स में स्मेल नहीं आती है. यानी अगर कोई आपके पास से भी आरडीएक्स ले जाता है. तो आप पहचान नहीं पाएंगे. यह एक सिंथेटिक केमिकल होता है. इसे C4 प्लास्टिक एक्सप्लोसिव और सिमटैक्स में इस्तेमाल किया जाता है. वर्ल्ड वॉर 2 में इसका पहली बार इस्तेमाल किया गया था, आरडीएक्स इतना खतरनाक होता है कि यह लोहे और कंक्रीट को भी पिघला देता है. इसे इस्तेमाल करने के लिए डेटोनेटर की जरूरत होती है. इसके प्रभाव की बात की जाए तो काफी ज्यादा होता है. लेकिन PETN इसके मुकाबले ज्यादा खतरानाक माना जाता है.
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18 September 2024स्वतंत्र भारत में जन्मे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज 74वां जन्मदिन है. गरीबी में पले-बढ़े नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद भी अपने बचपन के दिनों और खासकर हीरा बा को यादकर भावुक हुए हैं. महज 8 साल की उम्र में वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए. चाय बेचकर अपने परिवार की मदद करने से लेकर अध्यात्म की खोज में खुद को तपाया.फिर देश की सेवा में ऐसा जुटे कि देश के शीर्ष पद पर लगातार तीसरी बार विराजमान हुए. नरेंद्र मोदी को पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक जनता का प्यार मिला. उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भाजपा ने ओडिशा से लेकर असम तक पहली बार सरकार बनाई. 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।.पिछले दो कार्यकाल के 10 साल के शासन में पीएम नरेंद्र मोदी ने कई ऐतिहासिक फैसले लेकर दूरदर्शी प्रधानमंत्री की छवि बनाई. ग्लोबल लीडर के रूप में खुद को साबित किया. पीएम मोदी के ये हैं वो 10 फैसले जो भारत के इतिहास में हमेशा याद किए जाएंगे... नरेंद्र मोदी के 10 साल के प्रधानमंत्री कार्यकाल के साथ ही उनके द्वारा लाए गए जन धन योजना के भी 10 साल पूरे हुए. इस योजना की देश के बाहर भी तारीफ की जाती है. इसके अंतर्गत देश में बिना किसी न्यूनतम राशि के अकाउंट खोले गए, जिसमें महिलाओं ने बढ़चढ़ कर भाग लिया. सरकार की पीएमजेडीवाई वेबसाइट के अनुसार अब तक इस योजना के अंतर्गत 53 करोड़ से अधिक बैंक अकाउंट खोले गए हैं, जीरो बैंक बैलेंस सुविधा के बावजूद इसमें अब तक करीब 2,30,000 रुपये जमा हैं. इस एक फैसले ने गरीब से गरीब आदमी के लिए बैंकों के दरवाजे खोल दिए. जनधन योजना के अलावा नमामि गंगे और स्वच्छ भारत अभियान योजनाएं भी काफी सुर्खियां बटोरी, जिसने सफाई अभियान को युद्धस्तर पर लाने का काम किया. नोटबंदी आठ नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था. देश में 500 और 1,000 रुपये के नोट के प्रचलन को बाहर कर दिया गया. इसका मुख्य मकसद काले धन पर अंकुश लगाना, बाजार में चल रहे जाली नोटों से छुटकारा पाना और टेरर फंडिंग को रोकना था. हालांकि, सरकार को इस फैसले के बाद काफी आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा, लेकिन इससे आतंकवाद की कमर टूटी. साथ ही देश डिजिटल हुआ. अब भारत के दूरदूराज के गांवों तक में लोग डिजिटल पेमेंट कर रहे हैं. पूरी दुनिया इस उपलब्धि से हैरान है. मेक इन इंडिया PM मोदी का 74वां जन्मदिन: जानिए भारत को बुलंद बनाने वाले उनके 10 साहसिक फैसलेNarendra Modi Birthday: प्रधानमंत्री मोदी का 74वां जन्मदिन है. इस मौके पर जानिए उनके वो 10 फैसले, जिसने भारत की तस्वीर बदल दी.... PM मोदी का 74वां जन्मदिन: जानिए भारत को बुलंद बनाने वाले उनके 10 साहसिक फैसले पीएम मोदी ने अपने फैसलों से न सिर्फ आम लोगों की बल्कि देश की स्थिति को भी मजबूत किया. PM Modi Birthday: स्वतंत्र भारत में जन्मे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज 74वां जन्मदिन है. गरीबी में पले-बढ़े नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद भी अपने बचपन के दिनों और खासकर हीरा बा को यादकर भावुक हुए हैं. महज 8 साल की उम्र में वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए. चाय बेचकर अपने परिवार की मदद करने से लेकर अध्यात्म की खोज में खुद को तपाया.फिर देश की सेवा में ऐसा जुटे कि देश के शीर्ष पद पर लगातार तीसरी बार विराजमान हुए. नरेंद्र मोदी को पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक जनता का प्यार मिला. उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भाजपा ने ओडिशा से लेकर असम तक पहली बार सरकार बनाई. 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।.पिछले दो कार्यकाल के 10 साल के शासन में पीएम नरेंद्र मोदी ने कई ऐतिहासिक फैसले लेकर दूरदर्शी प्रधानमंत्री की छवि बनाई. ग्लोबल लीडर के रूप में खुद को साबित किया. पीएम मोदी के ये हैं वो 10 फैसले जो भारत के इतिहास में हमेशा याद किए जाएंगे... जनधन योजना नरेंद्र मोदी के 10 साल के प्रधानमंत्री कार्यकाल के साथ ही उनके द्वारा लाए गए जन धन योजना के भी 10 साल पूरे हुए. इस योजना की देश के बाहर भी तारीफ की जाती है. इसके अंतर्गत देश में बिना किसी न्यूनतम राशि के अकाउंट खोले गए, जिसमें महिलाओं ने बढ़चढ़ कर भाग लिया. सरकार की पीएमजेडीवाई वेबसाइट के अनुसार अब तक इस योजना के अंतर्गत 53 करोड़ से अधिक बैंक अकाउंट खोले गए हैं, जीरो बैंक बैलेंस सुविधा के बावजूद इसमें अब तक करीब 2,30,000 रुपये जमा हैं. इस एक फैसले ने गरीब से गरीब आदमी के लिए बैंकों के दरवाजे खोल दिए. जनधन योजना के अलावा नमामि गंगे और स्वच्छ भारत अभियान योजनाएं भी काफी सुर्खियां बटोरी, जिसने सफाई अभियान को युद्धस्तर पर लाने का काम किया. नोटबंदी आठ नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था. देश में 500 और 1,000 रुपये के नोट के प्रचलन को बाहर कर दिया गया. इसका मुख्य मकसद काले धन पर अंकुश लगाना, बाजार में चल रहे जाली नोटों से छुटकारा पाना और टेरर फंडिंग को रोकना था. हालांकि, सरकार को इस फैसले के बाद काफी आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा, लेकिन इससे आतंकवाद की कमर टूटी. साथ ही देश डिजिटल हुआ. अब भारत के दूरदूराज के गांवों तक में लोग डिजिटल पेमेंट कर रहे हैं. पूरी दुनिया इस उपलब्धि से हैरान है. मेक इन इंडिया मेक इन इंडिया मोदी सरकार का एक महत्वपूर्ण क्रांतिकारी विचार रहा है. इसका मकसद भारत को विनिर्माण का केंद्र बनाना और विदेशी कंपनियों द्वारा भारत में निवेश की राहों को आसान बनाना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मई 2014 को मेक इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की. इसके तहत सेना के हथियारों से लेकर खिलौने तक निर्माण भारत में शुरू हुआ. डिजिटल इंडिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया की शुरुआत की. इसका उद्देश्य देश को डिजिटल क्षेत्र में सशक्त बनाना है. इसमें ऑनलाइन बुनियादी ढांचे में सुधार, इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ाना, ग्रामीण इलाकों को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़ना शामिल है। आधार एक्ट मोदी सरकार 2016 में आधार एक्ट लाई. इसके तहत भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) की स्थापना की गई. अगर, इससे जुड़े लाभों की बात करें तो यूआईडीएआई 12 अंकों की आधार संख्या जारी करके नागरिकों को सब्सिडी, लाभ और सेवाएं दी जाती हैं. इससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगी और आम लोगों को सरकार से मिलने वाली मदद के लिए किसी को अब रिश्वत नहीं देना पड़ता. उज्ज्वला योजना पीएम मोदी एक मई 2016 को बलिया से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत की थी. इसका मुख्य उद्देश्य बीपीएल परिवारों को एलपीजी कनेक्शन मुहैया कराना है. योजना के अंतर्गत पात्र परिवारों को गैस कनेक्शन के लिए पैसे नहीं दिए जाते, बल्कि सरकार गैस कंपनी को 1,600 रुपए देती है. इसके तहत लाभार्थियों को सिलेंडर, रेगुलेटर, सुरक्षा नली और डीजीसीसी पुस्तिका दी जाती है. सर्जिकल स्ट्राइक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वपूर्ण फैसलों में 2016 का सर्जिकल स्ट्राइक शामिल है. इसके तहत भारतीय सेना ने 28-29 सितंबर, 2016 में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी. ये 18 सितंबर, 2016 में कश्मीर के उरी में हुए आतंकी हमले के जवाबी कार्रवाई थी, जिसमें हमारे 19 जवान शहीद हुए थे. सर्जिकल स्ट्राइक की सफलता का आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि भारतीय सेना ने बिना केजुअल्टी 38 से अधिक आतंकियों को मार गिराया था. पीएम मोदी सरकार इस दिन 'सर्जिकल स्ट्राइक दिवस' के रूप में नामित किया है. इस फैसले से आतंकवादियों में यह डर बना कि भारत घर में घुसकर भी मार सकता है. जीएसटी मोदी सरकार के प्रमुख फैसलों में जीएसटी को लागू करना शामिल है. मोदी कैबिनेट के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक जुलाई, 2017 को जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) लागू किया. इसके अंतर्गत चार जीएसटी स्लैब 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत को इंट्रोड्यूस किया गया. पीएम की एक और महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत योजना भी उनके महत्वपूर्ण फैसलों में शामिल है. इसके अंतर्गत लाभार्थियों को पांच लाख रुपये तक सालाना मुफ्त इलाज की सुविधा मिलती है. हाल ही में इस क्षेत्र में 70 वर्ष से अधिक आयु वाले सभी लोगों को शामिल किया गया है. आर्टिकल 370 और 35 ए मेक इन इंडिया मोदी सरकार का एक महत्वपूर्ण क्रांतिकारी विचार रहा है. इसका मकसद भारत को विनिर्माण का केंद्र बनाना और विदेशी कंपनियों द्वारा भारत में निवेश की राहों को आसान बनाना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मई 2014 को मेक इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की. इसके तहत सेना के हथियारों से लेकर खिलौने तक निर्माण भारत में शुरू हुआ. डिजिटल इंडिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया की शुरुआत की. इसका उद्देश्य देश को डिजिटल क्षेत्र में सशक्त बनाना है. इसमें ऑनलाइन बुनियादी ढांचे में सुधार, इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ाना, ग्रामीण इलाकों को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़ना शामिल है। आधार एक्ट PM मोदी का 74वां जन्मदिन: जानिए भारत को बुलंद बनाने वाले उनके 10 साहसिक फैसलेNarendra Modi Birthday: प्रधानमंत्री मोदी का 74वां जन्मदिन है. इस मौके पर जानिए उनके वो 10 फैसले, जिसने भारत की तस्वीर बदल दी.... PM मोदी का 74वां जन्मदिन: जानिए भारत को बुलंद बनाने वाले उनके 10 साहसिक फैसले पीएम मोदी ने अपने फैसलों से न सिर्फ आम लोगों की बल्कि देश की स्थिति को भी मजबूत किया. PM Modi Birthday: स्वतंत्र भारत में जन्मे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज 74वां जन्मदिन है. गरीबी में पले-बढ़े नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद भी अपने बचपन के दिनों और खासकर हीरा बा को यादकर भावुक हुए हैं. महज 8 साल की उम्र में वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए. चाय बेचकर अपने परिवार की मदद करने से लेकर अध्यात्म की खोज में खुद को तपाया.फिर देश की सेवा में ऐसा जुटे कि देश के शीर्ष पद पर लगातार तीसरी बार विराजमान हुए. नरेंद्र मोदी को पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक जनता का प्यार मिला. उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भाजपा ने ओडिशा से लेकर असम तक पहली बार सरकार बनाई. 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।.पिछले दो कार्यकाल के 10 साल के शासन में पीएम नरेंद्र मोदी ने कई ऐतिहासिक फैसले लेकर दूरदर्शी प्रधानमंत्री की छवि बनाई. ग्लोबल लीडर के रूप में खुद को साबित किया. पीएम मोदी के ये हैं वो 10 फैसले जो भारत के इतिहास में हमेशा याद किए जाएंगे... जनधन योजना नरेंद्र मोदी के 10 साल के प्रधानमंत्री कार्यकाल के साथ ही उनके द्वारा लाए गए जन धन योजना के भी 10 साल पूरे हुए. इस योजना की देश के बाहर भी तारीफ की जाती है. इसके अंतर्गत देश में बिना किसी न्यूनतम राशि के अकाउंट खोले गए, जिसमें महिलाओं ने बढ़चढ़ कर भाग लिया. सरकार की पीएमजेडीवाई वेबसाइट के अनुसार अब तक इस योजना के अंतर्गत 53 करोड़ से अधिक बैंक अकाउंट खोले गए हैं, जीरो बैंक बैलेंस सुविधा के बावजूद इसमें अब तक करीब 2,30,000 रुपये जमा हैं. इस एक फैसले ने गरीब से गरीब आदमी के लिए बैंकों के दरवाजे खोल दिए. जनधन योजना के अलावा नमामि गंगे और स्वच्छ भारत अभियान योजनाएं भी काफी सुर्खियां बटोरी, जिसने सफाई अभियान को युद्धस्तर पर लाने का काम किया. नोटबंदी आठ नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था. देश में 500 और 1,000 रुपये के नोट के प्रचलन को बाहर कर दिया गया. इसका मुख्य मकसद काले धन पर अंकुश लगाना, बाजार में चल रहे जाली नोटों से छुटकारा पाना और टेरर फंडिंग को रोकना था. हालांकि, सरकार को इस फैसले के बाद काफी आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा, लेकिन इससे आतंकवाद की कमर टूटी. साथ ही देश डिजिटल हुआ. अब भारत के दूरदूराज के गांवों तक में लोग डिजिटल पेमेंट कर रहे हैं. पूरी दुनिया इस उपलब्धि से हैरान है. मेक इन इंडिया मेक इन इंडिया मोदी सरकार का एक महत्वपूर्ण क्रांतिकारी विचार रहा है. इसका मकसद भारत को विनिर्माण का केंद्र बनाना और विदेशी कंपनियों द्वारा भारत में निवेश की राहों को आसान बनाना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मई 2014 को मेक इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की. इसके तहत सेना के हथियारों से लेकर खिलौने तक निर्माण भारत में शुरू हुआ. डिजिटल इंडिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया की शुरुआत की. इसका उद्देश्य देश को डिजिटल क्षेत्र में सशक्त बनाना है. इसमें ऑनलाइन बुनियादी ढांचे में सुधार, इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ाना, ग्रामीण इलाकों को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़ना शामिल है। आधार एक्ट मोदी सरकार 2016 में आधार एक्ट लाई. इसके तहत भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) की स्थापना की गई. अगर, इससे जुड़े लाभों की बात करें तो यूआईडीएआई 12 अंकों की आधार संख्या जारी करके नागरिकों को सब्सिडी, लाभ और सेवाएं दी जाती हैं. इससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगी और आम लोगों को सरकार से मिलने वाली मदद के लिए किसी को अब रिश्वत नहीं देना पड़ता. उज्ज्वला योजना पीएम मोदी एक मई 2016 को बलिया से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत की थी. इसका मुख्य उद्देश्य बीपीएल परिवारों को एलपीजी कनेक्शन मुहैया कराना है. योजना के अंतर्गत पात्र परिवारों को गैस कनेक्शन के लिए पैसे नहीं दिए जाते, बल्कि सरकार गैस कंपनी को 1,600 रुपए देती है. इसके तहत लाभार्थियों को सिलेंडर, रेगुलेटर, सुरक्षा नली और डीजीसीसी पुस्तिका दी जाती है. सर्जिकल स्ट्राइक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वपूर्ण फैसलों में 2016 का सर्जिकल स्ट्राइक शामिल है. इसके तहत भारतीय सेना ने 28-29 सितंबर, 2016 में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी. ये 18 सितंबर, 2016 में कश्मीर के उरी में हुए आतंकी हमले के जवाबी कार्रवाई थी, जिसमें हमारे 19 जवान शहीद हुए थे. सर्जिकल स्ट्राइक की सफलता का आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि भारतीय सेना ने बिना केजुअल्टी 38 से अधिक आतंकियों को मार गिराया था. पीएम मोदी सरकार इस दिन 'सर्जिकल स्ट्राइक दिवस' के रूप में नामित किया है. इस फैसले से आतंकवादियों में यह डर बना कि भारत घर में घुसकर भी मार सकता है. जीएसटी मोदी सरकार के प्रमुख फैसलों में जीएसटी को लागू करना शामिल है. मोदी कैबिनेट के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक जुलाई, 2017 को जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) लागू किया. इसके अंतर्गत चार जीएसटी स्लैब 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत को इंट्रोड्यूस किया गया. पीएम की एक और महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत योजना भी उनके महत्वपूर्ण फैसलों में शामिल है. इसके अंतर्गत लाभार्थियों को पांच लाख रुपये तक सालाना मुफ्त इलाज की सुविधा मिलती है. हाल ही में इस क्षेत्र में 70 वर्ष से अधिक आयु वाले सभी लोगों को शामिल किया गया है. आर्टिकल 370 और 35 ए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के शुरुआत में साहसिक फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35ए द्वारा राज्य को दिए विशेष दर्जे को हटा दिया. पांच अगस्त 2019 को किए इस फैसले लेने के बाद भाजपा सरकार ने इसको ऐतिहासिक भूल को ठीक करने वाला ऐतिहासिक कदम बताया था. इस कदम से जम्मू कश्मीर के लोगों को भेदभाव से छूटकारा मिला और एक देश, एक संविधान लागू हुआ. सीएए कई वर्षों से भाजपा के एजेंडे में लगे सीएए को लेकर मोदी सरकार नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 लाई. इसका मुख्य मकसद पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम धर्मों के लोगों भारतीय नागरिकता देना है. नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने के लिए एक विशेष प्रावधान मौजूद है. यह विशेष रूप से उन कुछ व्यक्तियों के लिए है, जो 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं और हिंदू या सिख या बौद्ध या जैन या पारसी या ईसाई समुदाय से हैं.
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17 September 20247 सितंबर को गणेश चतुर्थी से शुरू हुआ गणेश उत्सव अब समापन की ओर है. 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर बप्पा की विदाई होगी, गणेश विसर्जन किया जाएगा. इस दिन गणपति जी (Ganesh ji) अपने लोक लौट जाते हैं. गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है. इनकी कृपा से जीवन में सुख समृद्धि और करियर में अच्छी तरक्की मिलती है. अगर आपने भी घर में गणपति जी की स्थापना की है तो अनंत चतुर्थी पर विधि अनुसार और शुभ मुहूर्त में बप्पा को विदा करें. जानें अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन का मुहूर्त. अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन के 4 शुभ मुहूर्त प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - सुबह 09:11 - दोपहर 01:47 अपराह्न मुहूर्त (शुभ) - दोपहर 03:19 - शाम 04:51 सायाह्न मुहूर्त (लाभ) - रात 07:51 - रात 09:19 रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) - रात 10:47 - सुबह 03:12, सितम्बर 18 घर में गणेश विसर्जन कैसे करें जिस तरह हम घर से अपने परिवार के सदस्य को यात्रा पर जाने से पहले खुशी-खुशी विदा करते हैं वैसे ही गणपति जी की विदाई में भी बिल्कुल ऐसा ही व्यवहार करें. आदरपूर्वक, विनम्र भाव से पूजा के दौरान जाने-अनजाने में हुई गलती की माफी मांगे और फिर उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें. बप्पा की विदाई नदी, झील, तालाब में विसर्जित करने की जगह घर पर ही विसर्जन कर सकते हैं. गणेश विसर्जन वाले दिन बप्पा की विधिवत पूजा करें, कुमकुम हल्दी, मेहंदी, मोदक, पुष्प आदि चढ़ाएं. आरती करें. गणपति के साइज को ध्यान में रखते हुए एक बाल्टी या टब लें. इसे अच्छे से साफ कर लें. बाल्टी में इतना पानी डालें कि गणपति विसर्जित हो जाएं. बप्पा की मूर्ति पूरी तरह से पानी में घुल जाने के बाद इस पानी को गमले में डाल दें. बप्पा की मूर्ति की मिट्टी में पौधे का बीज लगा सकते हैं. जब गणपति को विसर्जन के लिए ले जाएं, तब उन सारी चीजों को पोटली में बांध दें और गणेश जी के साथ ही विसर्जित कर दें. ध्यान गणेश जी की मूर्ति हो या प्रतिमा, इन्हें पानी में धीरे-धीरे विसर्जित करें. एकदम से छोड़ें या पटकें नहीं.
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17 September 2024दुनियाभर में शादी की अलग-अलग परंपराएं होती हैं. जिनमें से कुछ परंपराएं तो ऐसी होती हैं कि लोगों को सोचने पर मजबूर कर देती हैं. ऐसे में हम आपको शादी की एक ऐसी परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे जानकर ही आप हैरान रह जाएंगे. दरअसल इस देश में शादी के लिए दुल्हन को अनोखी परंपरा से गुजरना पड़ता है. इस दिलचस्प परंपरा में दुल्हन पर लोग टमाटर और अंडे फेंकते हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर ये किस देश में ये परंपरा होती है. यहां दुल्हन पर फेंके जाते हैं टमाटर और अंडे यदि आपसे कहा जाए कि शादी से पहले आपके ऊपर सड़े अंडें और टमाटर बरसाए जाएंगे तो आपको बहुत अजीब लगेगा. आप कहेंगे कि ऐसा करने से पार्लर में खर्च किए सारे पैसे वेस्ट हो जाएंगे. लेकिन एक देश ऐसा भी है जहां पर शादी से पहले हल्दी-चंदन की बजाए दूल्हा-दुल्हन पर सड़े टमाटर, सड़े अंडे और मछली जैसी गंदी चीजें फेंकी जाती हैं. जी हां, स्कॉटलैंड में शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन को एक पेड़ से बांध दिया जाता है और फिर उनके ऊपर चॉकलेट सीरप, दूध, आटा, सड़े अंडे, सड़े टमाटर और सड़ी हुई मछलियां डाली जाती हैं. क्या है इसकी पीछे की मान्यता? बता दें इस रस्म को निभाने के पीछे लोगों की मान्यता है कि इससे दूल्हा- दुल्हन को बुरी ताकतों से बचाया जाता है. यदि शादी से पहले वो इन सभी चीजों का सामना करते हुए खुद को संभाल लेते हैं, तो जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना भी आसानी से कर लेंगे. हालांकि ये रस्म पूरे स्कॉटलैंड में नहीं निभाई जाती है बल्कि यहां के कुछ ही हिस्सों में इस पंरपरा को निभाया जाता है. यह परंपरा कई संस्कृतियों में देखने को मिलती है, लेकिन इसकी व्याख्या और महत्व अलग-अलग हो सकता है. ग्रीक संस्कृति में ये परंपरा बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए की जाती है. कुछ अन्य संस्कृतियों में इसे दुल्हन की सुंदरता और स्वास्थ्य की रक्षा के रूप में देखा जाता है.
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17 September 2024हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी पर्व का विशेष महत्व है. इसमें सृष्टि के संचालक भगवान श्रीहरि विष्णु (Lord Vishnu) के अनंत रूप की पूजा होती है. इसलिए इसे अनंत चौदस भी कहते हैं. साथ ही अनंत चतुर्दशी के दिन ही 10 दिवसीय गणेशोत्सव (Ganeshotsav) की समाप्ति होती है और गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन (Ganesh Visarjan 2024) किया जाता है. अनंत चतुर्दशी 2024 कब (Anant Chaturdashi 2024 Date) पंचांग (Panchang) के मुताबिक अनंत चतुर्दशी का पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. इस साल यह तिथि मंगलवार 17 सितंबर 2024 को पड़ रही है. चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 16 सितंबर दोपहर 03:10 से शुरू हो जाएगी, जिसका समापन 17 सितंबर को सुबह 11:44 पर होगा. ऐसे में 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी की पूजा होगी. मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने वाले जातकों के जीवन में खुशियों का आगमन होता है और समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है. लेकिन क्या आप जानते हैं अनंत चतुर्दशी के पर्व का खास महत्व 14 गांठ वाले अनंत सूत्र (Ananta Sutra), महाभारत काल (Mahabharat) और प्रसिद्ध नीम करोली बाबा (Baba Neem Karoli) से जुड़ा हुआ है. आइये जानते हैं इसके बारे में- महाभारत काल से अनंत चतुर्दशी का संबंध (Anant Chaturdashi Mahabhart Katha in Hindi) अनंत चतुर्दशी का महाभारत (Mahabharat) से खास संबंध है, क्योंकि इसकी शुरुआत महाभारत काल से ही मानी जाती है. कथा के अनुसार, जब पांडव जुए में कौरवों से हार गए थे तो इसके बाद उन्हें अपने राजपाट का त्याग कर बहुत कष्ट झेलना पड़ा. एक दिन युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण (Shri Krishna) ने इस कष्ट से मुक्ति पाने और राजपाट वापस पाने का उपाय पूछा. श्रीकृष्ण ने कहा, हे युधिष्ठिर! तुम सभी जन विधिपूर्वक अनंत भगवान का व्रत रखकर पूजा करो. इससे तुम्हारा सारे कष्ट दूर हो जाएंगे और खोया राजपाट भी फिर से प्राप्त हो जाएगा. तब युधिष्ठिर ने कृष्ण से पूछा कि, अनंत भगवान कौन हैं? श्रीकृष्ण ने कहा- अनंत भगवान श्रीविष्णु के ही रूप हैं. चातुर्मास (Chaturmas 2024) की अवधि में भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर अनंत शयन में रहते हैं. श्रीकृष्ण के कहने पर युधिष्ठिर ने सपरिवार अनंत चतुर्दशी का व्रत किया और अनंत देव की पूजा की. व्रत के प्रभाव से उन्हें न सिर्फ खोया हुआ राजपाट फिर से प्राप्त हुआ बल्कि पांडव महाभारत युद्ध (Mahabharat War) में भी विजयी हुए. अनंत चतुर्दशी पर क्यों बांधते हैं 14 गांठ वाला सूत्र (Why do we tie 14 knotted sutra on Anant Chaturdashi) अनंत चतुर्दशी की पूजा में 14 गांठ वाला एक सूत्र बांधने का महत्व है. यह रेशम या कपास का बना होता है, जिसे बाजू में बांधा जाता है. इस 14 गांठ वाले सूत्र को विष्णु जी के 14 रूप (अनंत, ऋषिकेश, पद्मनाभ, माधव, वैकुण्ठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर और गोविन्द) का प्रतीक माना जात है. 14 लोक की रचना के बाद इसके पालन और संरक्षण के लिए भगवान विष्णु इन्हीं 14 रूपों में प्रकट हुए थे. वहीं शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि अनंत रक्षासूत्र के 14 गांठ इन 14 लोकों ( भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक, ब्रह्मलोक, अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल, महातल और पाताल लोक) का प्रतिनिधित्व करते हैं. नीम करोली बाबा और अनंत चतुर्दशी पर्व का संबंध (Neem Karoli Baba and Anant Chaturdashi Connection) दिव्य पुरुष, महान योगीराज और भगवान हनुमान (Hanuman Ji) के परम भक्त नीम करोली बाबा (Neem Karoli Bapa) को शायद ही कोई ऐसा होगा, जो नहीं जानता होगा. उत्तराखंड स्थित कैंची धाम (Kainchi Dham) में बाबा नीम करोली का आश्रम है. अनंत चतुर्दशी के दिन से बाबा नीम करोली का भी खास संबंध है. वैसे तो नीम करोली महाराज की मृत्यु 11 सितंबर 1973 में हुई थी. लेकिन कहा जाता है कि, जिस दिन बाबा ने अपने प्राण त्यागे थे उस दिन अनंत चतुर्दशी थी.
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16 September 20247 सितंबर को गणेश चतुर्थी (Ganesh chaturthi) से शुरू हुआ गणेश उत्सव अब समापन की ओर है. 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी (Anant chaturdashi) पर बप्पा की विदाई होगी, गणेश विसर्जन किया जाएगा. इस दिन गणपति जी (Ganesh ji) अपने लोक लौट जाते हैं. गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है. इनकी कृपा से जीवन में सुख समृद्धि और करियर में अच्छी तरक्की मिलती है. अगर आपने भी घर में गणपति जी की स्थापना की है तो अनंत चतुर्थी पर विधि अनुसार और शुभ मुहूर्त में बप्पा को विदा करें. जानें अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन का मुहूर्त. अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन के 4 शुभ मुहूर्त (Ganesh Visarjan 2024 Auspicious Time) प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - सुबह 09:11 - दोपहर 01:47 अपराह्न मुहूर्त (शुभ) - दोपहर 03:19 - शाम 04:51 सायाह्न मुहूर्त (लाभ) - रात 07:51 - रात 09:19 रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) - रात 10:47 - सुबह 03:12, सितम्बर 18 घर में गणेश विसर्जन कैसे करें जिस तरह हम घर से अपने परिवार के सदस्य को यात्रा पर जाने से पहले खुशी-खुशी विदा करते हैं वैसे ही गणपति जी की विदाई में भी बिल्कुल ऐसा ही व्यवहार करें. आदरपूर्वक, विनम्र भाव से पूजा के दौरान जाने-अनजाने में हुई गलती की माफी मांगे और फिर उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें. बप्पा की विदाई नदी, झील, तालाब में विसर्जित करने की जगह घर पर ही विसर्जन कर सकते हैं. गणेश विसर्जन वाले दिन बप्पा की विधिवत पूजा करें, कुमकुम हल्दी, मेहंदी, मोदक, पुष्प आदि चढ़ाएं. आरती करें. गणपति के साइज को ध्यान में रखते हुए एक बाल्टी या टब लें. इसे अच्छे से साफ कर लें. बाल्टी में इतना पानी डालें कि गणपति विसर्जित हो जाएं. बप्पा की मूर्ति पूरी तरह से पानी में घुल जाने के बाद इस पानी को गमले में डाल दें. बप्पा की मूर्ति की मिट्टी में पौधे का बीज लगा सकते हैं. जब गणपति को विसर्जन के लिए ले जाएं, तब उन सारी चीजों को पोटली में बांध दें और गणेश जी के साथ ही विसर्जित कर दें. ध्यान गणेश जी की मूर्ति हो या प्रतिमा, इन्हें पानी में धीरे-धीरे विसर्जित करें. एकदम से छोड़ें या पटकें नहीं.
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16 September 2024भारत के सभी राज्यों की अपनी खासियत और संस्कृति है. इनमें से कुछ राज्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओँ पर हैं, जिस कारण यहां पर सुरक्षाबल ज्यादा चौकन्नें रहते हैं. लेकिन आज हम आपको उत्तर प्रदेश के एक ऐसे जिला के बारे में बताएंगे, जिस जिले का बॉर्डर चार राज्यों से लगता है. जी हां, हम आज जिस जिले के बारे में बात करने वाले हैं, इसके 4 चारों तरफ 4 अलग-अलग राज्यों का बॉर्डर लगता है. भारत भारत में अच्छे सड़क मार्ग और ट्रेन कनेक्टिविटी के कारण कोई भी इंसान बहुत आसानी से एक राज्य से दूसरे राज्य सड़क और ट्रेन/वायु मार्ग से जा सकता है. हालांकि सभी राज्यों की अपनी सरकार और उनका नियम होता है. जिस कारण राज्यों के बॉर्डर पर चेंकिंग की जाती है. वहीं कुछ राज्यों में शराब पर पाबंदी लगा हुआ है, जिसके कारण भी बॉर्डर पर सख्त जांच होता है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे जिला के बारे में बताने वाले हैं, जिस जिले के चारों तरफ कहीं पर भी निकलने पर आप किसी दूसरे राज्य में प्रवेश कर सकते हैं. क्योंकि इस जिले के चारों तरफ 4 अलग-अलग राज्य हैं. किस राज्य में ये जिला अब सवाल यह है कि भारत में यह अनोखा जिला किस राज्य में स्थित है. बता दें कि भारत का यह जिला उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है. उत्तर प्रदेश राज्य भारत में इकलौता राज्य है, जिसमें सबसे अधिक यानि 75 जिले हैं. उत्तर प्रदेश को भारत का सबसे अधिक जिलों वाला राज्य कहा जाता है. यहां हर जिले की अपनी कहानी और इतिहास है. लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि उत्तर प्रदेश का कौन सा जिला 4 राज्यों के साथ बॉर्डर साझा करता है. बता दें कि उत्तर प्रदेश राज्य में सोनभद्र जिला एक ऐसा जिला है, जो कि 4 राज्यों के साथ सीमा साझा करता है. यह जिला उत्तर प्रदेश राज्य में ही दक्षिणपूर्व में पड़ता है, जो कि उत्तर-पश्चिम में मिर्जापुर, उत्तर में चंदौली, बिहार के कैमूर और रोहतास जिला, झारखंड में गढ़वा,कोरिया और सर्गुजा जिले से सीमा साझा करता है. वहीं दक्षिण में छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले से सीमा साझा करता है. यह एक औद्योगिक क्षेत्र भी है, जहां पर आपको बॉक्साइट, चूना पत्थर, सोना और कोयला जैसे खनिज मिलते हैं. कहां पूछा गया ये सवाल बता दें कि इस तरह के प्रश्न परीक्षाओं में भी पूछे जाते हैं. लेकिन ये प्रश्न कुछ समय पहले देश के लोकप्रिय शो कौन बनेगा करोड़पति में भी पूछा गया था. दरअसल सवाल में पूछा गया था कि भारत का कौन-सा जिला चार राज्यों के साथ सीमा साझा करता है. वहीं इस सवाल की पुरस्कार राशि 50 लाख रुपये रखी गई थी. बता दें कि सोनभद्र जिला भारत का दूसरा सबसे बड़ा जिला भी है.
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16 September 2024दिल्ली में लोक कल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री आवास में एक गाय ने बछिया को जन्म दिया है। पीएम मोदी ने शनिवार (14 सितंबर) को X पर इसकी जानकारी दी। उन्होंने बछिया को दुलार करते हुए अपना एक वीडियो भी शेयर किया है। कैप्शन में उन्होंने लिखा, 'हमारे शास्त्रों में कहा गया है- गाव: सर्वसुख प्रदा:। लोक कल्याण मार्ग पर प्रधानमंत्री आवास परिवार में एक नए सदस्य का शुभ आगमन हुआ है। प्रधानमंत्री आवास में गौ माता ने एक नव वत्सा को जन्म दिया है, जिसके मस्तक पर ज्योति का चिह्न है। इसलिए, मैंने इसका नाम दीपज्योति रखा है।' राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास का लॉन। मकर संक्रांति पर खिली धूप में PM मोदी कुछ गायों से घिरे हुए हैं। उनके हाथ में तिल-गुड़ और हरा चारा है। वो गायों को खिला रहे हैं और उन्हें दुलार रहे हैं। जिसने भी ये वीडियो देखा उसका ध्यान छोटी-छोटी गायों की तरफ जरूर गया। ये आंध्र प्रदेश की पुंगनूर गायें हैं। संकटग्रस्त नस्ल की कैटेगरी में आने वाली इन गायों की कीमत 3 से 20 लाख रुपए के बीच है। इनके दूध में कई औषधीय गुण होते हैं। इन गायों का जिक्र पुराणों में भी मिलता है। लगभग खत्म हो चुकी इन गायों को 2019 में नया जीवन मिला।
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14 September 2024दुनिया में ऐसी कई जगहे हैं जो या अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती हैं या फिर अजीब स्थिति के लिए, लेकिन क्या आप एक ऐसे देश के बारे में जानते हैं जिसे सुनसान होने के लिए जाना जाता है. जी हां, सुनने में ये थोड़ा अजीब लग रहा होगा, लेकिन ये सच है. मंगोलिया एक ऐसा देश है जो इसलिए जाना जाता है कि वो सुनसान देश है. दरअसल इस देश की जनसंख्या काफी कम है, ऐसे में इस देश में दो व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर (छह व्यक्ति प्रति वर्ग मील) है. उत्तर-मध्य एशिया में स्थित ये विशाल और खूबसूरत देश अपने विशाल भूमि क्षेत्र की अपेक्षा कम जनसंख्या घनत्व के कारण 99.7 प्रतिशत खाली है. मंगोलिया में ये है खास मंगोलिया का भौगोलिक क्षेत्र बहुत बड़ा और अलग-अलग तरह का है, जो लगभग 1.56 मिलियन वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. ये देश चीन और रूस के बीच स्थित है. इसके उत्तरी सीमा पर रूस और दक्षिणी सीमा पर चीन से जुड़ा है. इसकी भौगोलिक स्थिति इसे एक जरुरी क्षेत्रीय दृष्टिकोण देती है, लेकिन इसके साथ ही ये देश दूसरे देशों की तुलना में काफी सुनसान है. दरअसल इसके पीछे का खास कारण मंगोलिया की जलवायु भी है. यह देश एक शुष्क और ठंडी जलवायु का सामना करता है, जिसमें सर्दी की बहुत ज्यादा होती है. यहां सर्दियों में तापमान -40 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है, जबकि गर्मियों में तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है. मंगोलिया का मौसम खासतौर पर दो मौसमों में बंटा होता है गर्मी और सर्दी, और यहां बारिश की मात्रा भी काफी कम होती है. कितनी है देश की जनसंख्या? मंगोलिया की जनसंख्या घनत्व बहुत कम है. देश की कुल जनसंख्या लगभग 3 मिलियन के आसपास है और इसकी जनसंख्या घनत्व सिर्फ 2 लोगों प्रति वर्ग किलोमीटर है. इसका बड़ा हिस्सा काउबॉय संस्कृति और खानाबदोश जीवनशैली से जुड़ा हुआ है. इस देश में बहुत सारे लोगों की जीवनशैली पारंपरिक है और वो खासतौर पर घुमंतू पशुपालकों के रूप में रहते हैं. वहीं दूसरी ओर मंगोलिया की अर्थव्यवस्था खासतौर पर खनन, पशुपालन, और कृषि पर आधारित है. देश में तांबा, कोयला और सोना जैसे खनिज संसाधनों का प्रचुर मात्रा में भंडार है. हालांकि देश की अपेक्षाकृत कम जनसंख्या और विशाल क्षेत्रफल के कारण, इसकी अर्थव्यवस्था दूसरे देशों की तुलना में कम विकसित है. मंगोलिया के दूरदराज क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की कमी और निर्जनता इसे एक बहुत ही परेशानी भरी जगह बनाते है.
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14 September 2024शनि देव सदैव अपनी दृष्टि झुकाए रहते हैं, वे किसी पर सीधी दृष्टि नहीं डालते हैं. इसी कारण शनि की दृष्टि की सबसे अधिक बात होती है. कई पौराणिक कथाओं में शनि की दृष्टि को अनिष्टकारी बताया गया है. कहते हैं कि शनि (Shani Dev) की नजर जिस पर पड़ जाती है, उसका बुरा समय निकट आ जाता है. भगवान शिव पर पड़ी तो उन्हें देवता के पशु बनना पड़ गया. भगवान राम पर पड़ी तो 14 वर्ष का वनवास झेलना पड़ा. रावण पर जब शनि की दृष्टि पड़ी तो उसकी बुद्धि खराब कर दी. सत्यवादी राजा हरिशचंद्र पर पड़ी तो पूरा राजपाट चला गया पत्नी बच्चे सब बिछड़ गए. यही कारण है कि शनि के नाम मात्र से ही लोग कांपने लगते हैं. पसीने छूटने लगते हैं. लेकिन शनि हमेशा खराब फल देते हैं? ऐसा कतई नहीं है. शनि किन लोगों को माफ नहीं करते हैं. इसे जानना बहुत आवश्यक है. शनि देव कहते हैं 'दुर्बल को न सताइये' कबीर का एक दोहा है- दुर्बल को न सताइये, जाकी मोटी हाय। मरी खाल की सांस से, लोह भसम हो जाय. इस दोहे का अर्थ है कि कभी भी कमजोर का नहीं सताना चाहिए. जो लोग दुर्बल को सताते हैं वे इनकी हाय लेते हैं, दुर्बल की बदुआ से लोहा भी भस्म हो जाता है. इंसान की तो बिसात ही क्या है. सत्ता, शक्ति और अहंकार में जो लोग डूब जाते हैं और कमजोरों को सताने लगाते हैं. उन पर अत्याचार करने लगते हैं. उनके परिश्रम का फल हड़प लेते हैं. मांगने पर परेशान करते हैं. उन्हें यातनाएं देते हैं. कलियुग के न्यायाधीश शनि देव उन्हें कभी माफ नहीं करते हैं. शनि महाराज ऐसे लोगों को कठोर से कठोर दंड देते हैं. इसलिए किसी भी परिस्थिति में निर्बल को नहीं सताना चाहिए. अक्सर सोशल मीडिया और न्यूज में अक्सर खबरें आती है कि किसी ने ऑटो या रिक्शे वाले के साथ मारपीट कर दी. किसी ने मजदूर के साथ गलत कर दिया. जो लोग ऐसा कृत्य करते हैं, शनि देव (Shani Dev) उन्हें माफ नहीं करते हैं और उसे दंड देते हैं. इसलिए कभी गरीब, मजदूर और कमजोर वर्ग के लोगों को नहीं सताना चाहिए क्योंकि ये सभी शनि के प्रिय हैं. अत:इस बात को कभी नहीं भूलना चाहिए- दुखिया को न सताइए, दुखिया देगा रोय जब दुखिया के मुखिया सुने तो तेरी गति क्या होय।।
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14 September 2024भारत की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी में हाल ही में अमेरिका दौरे पर भारत में आरक्षण को लेकर वक्तव्य दिया. बीजेपी के नेताओं ने राहुल गांधी के इस वक्तव्य की आलोचना की. अगर भारत में आरक्षण बात की जाए तो इसकी कहानी 100 साल से भी ज्यादा पुरानी है. तब से लेकर अबतक आरक्षण के प्रारूप बदले आरक्षण के नियम बदले. आप आए दिन देखते होंगे आरक्षण को लेकर कई जगह आंदोलन भी होते रहते हैं. ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल आता है. क्या सिर्फ भारत में ही आरक्षण को लेकर व्यवस्था है या दुनिया के और भी देश अपने राज्य के नागरिकों के लिए आरक्षण की व्यवस्था करते हैं. क्या अमेरिका में भी लोगों को आरक्षण दिया जाता है. क्या है अमेरिका में नौकरी देने का आधार. पर आपके मन में भी यह सब सवाल आते हैं तो आज हम आपको इन सवालों के जवाब देंगे. अमेरिका में भी दिया जाता है आरक्षण अमेरिका दुनिया के विकसित देशों में से एक है. कहना गलत नहीं होगा कि अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर और सबसे संपन्न देश है. भारत में आरक्षण को लेकर आए दिन सुर्खियां बनती रहती हैं. हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी जब अमेरिका गए तो उन्होंने आरक्षण को लेकर के भी बात कही. बता दें आरक्षण सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के और देशों में भी है. जिसमें अमेरिका का भी नाम शामिल हैं. हांलाकि अमेरिका में आरक्षण का प्रारूप थोड़ा अलग है. अमेरिका में आरक्षण को एफर्मेटिव एक्शन कहा जाता है. यह जातीय स्तर पर नहीं होता. बल्कि नस्लीय रूप से भेदभाव झेलने वाले अश्वेत लोगों को बराबर के मौके देने के लिए कई जगहों पर एक्स्ट्रा नंबर्स दिए जाते हैं. अमेरिका के मीडिया क्षेत्र में और फिल्मी क्षेत्र में काम कर रहे अश्वेत कलाकारों भी आरक्षण दिया जाता है. नौकरियों को लेकर नहीं है अलग से आरक्षण जैसा कि हमने आपको बताया अमेरिका में आरक्षण को एफर्मेटिव एक्शन कहा जाता है. और यह नस्लीय भेदभाव झेल चुके अश्वेत लोगों को अलग-अलग जगहों पर समाज में बराबर की भागीदारी के लिए आरक्षण दिया जाता है. लेकिन वही अगर बाकी अन्य नौकरियों की बात की जाए. तो वहां इस तरह के आरक्षण को लेकर अलग से कोई प्रावधान नहीं है. यानी अमेरिका में मेरिट बेस्ड सिलेक्शन होता है. जो लोग किसी नौकरी को पाने के लिए अप्लाई करते हैं. उसका टेस्ट देते हैं. और बाकी के ड्यू प्रोसेस को फॉलो करने के बाद लोगों को नौकरियां मिलती हैं.
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13 September 2024खराब खानपान और लाइफस्टाइल की वजह से डायबिटीज का खतरा बढ़ रहा है. बहुत से लोगों को लगता है कि ज्यादा मीठा खाने से डायबिटीज की बीमारी होती है लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि डायबिटीज का संबंध मीठा खाने से है ही नहीं. कई लोग जो बहुत ज्यादा मीठा खाते हैं, उन्हें डायबिटीज (Diabetes) नहीं होती, जबकि कुछ लोग जो बिल्कुल मीठा नहीं खाते डायबिटीज की चपेट में आ जाते हैं. दरअसल, डायबिटीज इन्सुलिन की कमी या इन्सुलिन रेजिस्टेंस के कारण होती है, न की मीठा खाने से लेकिन इसका मतलब बिल्कुल भी नहीं कि ढेर सारा शुगर ही खा लिया जाए. डायबिटीज के मरीजों को तो इसका खास ख्याल रखना चाहिए. डायबिटिक लोगों को मीठा के अलावा कुछ अन्य फूड्स से भी परहेज करना चाहिए, वरना उनके लिए खतरनाक हो सकता है. डायबिटीज मरीज न खाएं ये चीज 1. बहुत ज्यादा नमक नमक ज्यादा खाने से हाई ब्लड प्रेशर काफी ज्यादा बढ़ सकता है और डायबिटीज की बीमारी खतरनाक रूप ले सकती है. डायबिटीज हो या नहीं लेकिन डेली लाइफ में सोडियम यानी नमक का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए. स्नैक्स जैसे आलू के चिप्स, फ्रेंच फ्राइज में ज्यादा नमक नुकसानदायक होता है. 2. मैदा शुगर के मरीजों को रिफाइंड आटे से भी बचना चाहिए, क्योंकि शरीर के अंदर यह आटा जाकर तेजी से ग्लूकोज में बदल जाता है और ब्लड शुगर लेवल को काफी अधिक बढ़ा देता है. रिफाइंड आटा यानी मैदा से बनी कोई चीज नहीं खानी चाहिए. 3. फ्राईड फूड्स डायबिटीज के मरीजों को फ्राईड फूड्स से भी दूरी बनानी चाहिए. इनमें फैट की मात्रा ज्यादा होती है, जब फैट धीरे-धीरे पचता है तो ब्लड शुगर को बढ़ा सकता है. इससे डायबिटिक लोगों को कई समस्याएं हो सकती हैं. 4. शराब डायबिटीज में शराब को हाथ भी नहीं लगानी चाहिए. यह डायबिटीज रोगियों के लिए सबसे खराब फूड्स में से एक है. खाली पेट शराब पीने से ग्लूकोज का लेवल कम होने का खतरा रहता है. अगर ऐसा होता है तो यह स्थिति खतरनाक हो सकती है. 5. ट्रांस फैट डायबिटीज के मरीजों को कभी भी फैट और तेल का सेवन बेफिक्र होकर नहीं करना चाहिए, वरना उनका शुगर लेवल अनकंट्रोल हो सकता है और हार्ट की बीमारी का खतरा भी बढ़ सकता है. ट्रांस फैट दो तरह के होते हैं. पहला- जानवरों में पाया जाता है, जो इंसानों के लिए जहर से कम नहीं है. दूसरा हाइड्रोजनीकृत वनस्पति तेल में, जो ज्यादा खतरनाक है. डायबिटीज पेशेंट को दोनों ही तरह के ट्रांस फैट से दूरी बनानी चाहिए. 6. हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फ्रूट्स डायबिटीज में हमेशा लो ग्लाइसेमिक वैल्यू वाले फ्रूट्स ही खाना फायदेमंद होता है. हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) वाले फल कार्ब्स को बढ़ा सकते हैं, इससे शरीर में शुगर लेवल तेजी से बढ़ सकता है. बेरीज, ग्रेपफ्रूट, नाशपाती, संतरा जैसे फलों को जीआई कम होता है, जबकि तरबूज और अनानास का जीआई काफी ज्यादा होता है.
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13 September 2024सूर्य का राशि परिवर्तन बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, ग्रहों के राजा सूर्य (Surya) जिस दिन एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उस दिन संक्रांत मनाई जाती है. सूर्य अभी सिंह राशि (Singh rashi) में गोचर हैं, इसके बाद सितंबर में सूर्य ग्रहों के राजकुमार बुध (Budh) की राशि कन्या (Kanya) में प्रवेश करने वाले हैं. इस दिन कन्या संक्रांति होगी. कन्या संक्रांति पर स्नान-दान और सूर्य देव की पूजा करने से खोया सम्मान, धन वापस मिलता है. अच्छे स्वास्थ और सफलता की प्राप्ति होती है. कन्या संक्रांति 2024 में कब है यहां जानें डेट, स्नान-दान मुहूर्त. कन्या संक्रांति 2024 डेट कन्या संक्रांति 16 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी. इस दिन विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma puja) भी है. कन्या संक्रांति पर पर नदी में स्नान और पितरों का तर्पण करने से जीवन में खुशहाली आती है. पूर्वजों को श्रृद्धांजलि दी जाती है. कन्या संक्रांति 2024 मुहूर्त कन्या संक्रान्ति पुण्य काल - दोपहर 12:16 - शाम 06:25 कन्या संक्रान्ति महा पुण्य काल - शाम 04:22 - शाम 06:25 कन्या संक्रांति पर गंगा स्नान का महत्व कन्या संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा के साथ गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है. कहते हैं संक्रांति पर पवित्र नदी में स्नान करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है. व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. ग्रहों के राजा सूर्य मान-सम्मान, प्रतिष्ठा, प्रशासनिक सेवा, सरकारी नौकरी आदि के कारक ग्रह माने जाते हैं. इस दिन सूर्य देव की उपासना से व्यक्ति को इस क्षेत्र में लाभ होता है. कन्या संक्रांति पर पूजा विधि संक्रांति पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद तांबे के लोटे से सूर्य को अर्घ्य अर्पित दें. सूर्य को जल चढ़ाने के लिए लोटे में पानी के साथ लाल फूल,चावल भी डाल लें. इसके बाद ‘ऊँ सूर्याय नम:’ मंत्र का जप करते हुए अर्घ्य अर्पित करें. सूर्य देव का आशीर्वाद पाने के लिए गुड़ का और तांबे के बर्तन का दान करना चाहिए.
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12 September 2024हाल ही में मलाइका अरोड़ा के पिता अनिल अरोड़ा की आत्महत्या की खबर ने सभी को चौंका कर रख दिया है. अनिल अरोड़ा ने बांद्रा में अपने घर की छठी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली. उनकी आत्महत्या की वजह का अबतक खुलासा नहीं हो सका है. इस बीच चलिए जानते हैं कि भारत में किस धर्म और जाति के लोग सबसे ज्यादा सुसाइड करते हैं. भारत में किस जाति और धर्म के लोग करते हैं सबसे ज्यादा आत्महत्या? गृह मंत्रालय के आंकड़ो की मानें तो एक हिन्दू के मुकाबले किसी ईसाई के आत्महत्या करने की संभावना डेढ़ गुना ज्यादा है. जबकि देश की विभिन्न जातियों में से आदिवासी और दलित सबसे ज्यादा आत्महत्या करते हैं. एक आरटीआई के जवाब में इस बात का खुलासा हुआ है कि गृह मंत्रालय ने आत्महत्याओं की जाति और धर्म के आधार पर अलग से गणना करवाई थी. साल 2014 में नेशनल क्राइम ब्यूरो (NCRB) ने पहली बार आत्महत्याओं का डाटा धर्म और जाति के आधार पर तैयार किया था. इसे 2015 में सार्वजनिक किया जाना था. इसे 2015 में सार्वजनिक किया जाना था लेकिन गृह मंत्रालय ने कभी डाटा रिलीज ही नहीं किया. ईसाइयों में सबसे ज्यादा है आत्महत्या की दर द इंडियन एक्सप्रेस की आरटीआई पर सामने आए डाटा के मुताबिक, ईसाइयों में आत्महत्या की दर 17.4 फीसदी है. जबकि हिन्दुओं में यही दर 11.3 फीसदी, मुस्लिमों में आत्महत्या की दर 7 फीसदी और सिख में ये 4.1 फीसदी है. आत्महत्या की राष्ट्रीय दर 10.6 फीसदी है. आत्महत्या की दर प्रति एक लाख की जनसंख्या पर किए गए सुसाइड पर आधारित है. किस आधार पर दी गई आत्महत्या की दर? ईसाइयों में आत्महत्या की दर उनकी जनसंख्या के अनुपात में नहीं है. 2011 की जनसंख्या के मुताबिक देश की जनसंख्या में 2.3 प्रतिशत लोग ईसाई धर्म मानने वाले हैं, लेकिन आत्महत्याओं में उनका प्रतिशत 3.7 है. क्या हो सकते हैं आत्महत्या के कारण? कोई व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली परेशानियों का सामना न कर पाने पर आत्महत्या जैसा घातक कदम उठाता है. ये समस्या आर्थिक कठिनाइयां, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, सामाजिक और पारिवारिक दबाव, शिक्षा और करियर के मुद्दे या फिर स्वास्थ्या समस्याएं हो सकती हैं.
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12 September 2024अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में एक बहुत खास और रोमांचक घटना होने जा रही है. यह घटना एक सुपरनोवा, यानी एक तारे के विस्फोट की है, जो न केवल खगोलशास्त्रियों के लिए बल्कि सभी लोगों के लिए एक बहुत ही खास मौौका है. इस लेख में हम इस महत्वपूर्ण घटना के बारे में विस्तार से जानेंगे और ये समझने की कोशिश करेंगे कि इसका पृथ्वी और इंसानों पर क्या असर पड़ सकता है. क्या है सुपरनोवा? बता दें सुपरनोवा एक तारे की जिंदगी का आखिरी चरण होता है जब वो अपने अंदर मौजूद ऊर्जा के ज्यादा से ज्यादा दबाव और तापमान से विस्फोट करता है. इस विस्फोट के दौरान, तारा अपने पूरे जीवनकाल में जमा किए गए तत्वों को अंतरिक्ष में छोड़ देता है. ये विस्फोट इतनी ऊर्जा पैदा करता है कि तारा एक असाधारण चमक पैदा करता है, जिसे कई दिनों से लेकर हफ्तों तक देखा जा सकता है. सुपरनोवा की घटनाएं तारे के जीवन चक्र का एक खास हिस्सा होती हैं और नए तारे, ग्रहों और बाकि खगोलीय संरचनाओं को बनाने के लिए जिम्मेदार होती हैं. इसी साल हो सकती है ये घटना एक खास तारे जिसे "IK Pegasi" (IK Pegasi) कहा जाता है, के सुपरनोवा के रूप में विस्फोट करने की संभावना है. IK Pegasi एक डबल स्टार सिस्टम है, जिसमें एक नीला सुपरजायंट तारा और एक दूसरा तारा शामिल है. वैज्ञानिकों का मानना है कि नीला सुपरजायंट तारा अपने जीवन के आखिरी चरण में पहुंच चुका है और उसके विस्फोट की संभावना बहुत ज्यादा है. यदि ये तारा सुपरनोवा के रूप में विस्फोट करता है, तो ये पृथ्वी पर भी प्रभाव डाल सकता है, खासकर यदि विस्फोट की दिशा हमारे सौरमंडल की ओर हो. यह भी पढ़ें: अगर कोई चलती ट्रेन पर पत्थर मारता है तो उसे कानूनन कितने साल की सजा हो सकती है? क्या हो सकते हैं प्रभाव? सुपरनोवा के विस्फोट से उत्पन्न प्रकाश को पृथ्वी पर भी देखा जा सकता है. ये रोशनी इतनी शक्तिशाली होती है कि इसे आसमान में कई हफ्तों तक देखा जा सकता है. यदि IK Pegasi विस्फोट करता है, तो ये पृथ्वी पर भी एक शानदार नजारा होगा, जो खगोलविदों और सामान्य जनता दोनों के लिए एक बहुत ही खास अनुभव होगा. सुपरनोवा से पैदा हुए विकिरण, जैसे कि गामा-रे बर्स्ट, पृथ्वी की ओर यात्रा कर सकता है. हालांकि, हमारे आसपास और ओजोन परत इन विकिरणों को काफी हद तक अवशोषित कर लेती है, लेकिन ज्यादा विकिरण कभी-कभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और उपग्रहों को प्रभावित कर सकते हैं. वैज्ञानिक इस संभावित विकिरण के प्रभावों का विश्लेषण कर रहे हैं और इसके लिए सुरक्षा उपायों पर विचार कर रहे हैं. IK Pegasi का सुपरनोवा खगोलशास्त्रियों के लिए एक खास अध्ययन का विषय होगा. इस विस्फोट से मिले डेटा तारे के जीवन चक्र, सुपरनोवा के अलग-अलग प्रकारों और आकाशगंगा के विकास के बारे में खास जानकारी प्रदान करेंगे. ये डेटा तारे के अंदर की प्रक्रियाओं को समझने में मदद करेगा और भविष्य में अन्य सुपरनोवा की घटनाओं को पूर्वानुमानित करने के लिए उपयोगी हो सकता है. वैज्ञानिकों ने की तैयारी इस संभावित सुपरनोवा की घटना की तैयारी के लिए खगोलविद और वैज्ञानिक पहले से ही तैयार हैं. आधुनिक टेलीस्कोप और अंतरिक्ष मिशन इस विस्फोट की निगरानी कर रहे हैं और इसके संभावित प्रभावों को समझने के लिए अनुसंधान कर रहे हैं. वो इस घटना के लिए विभिन्न सुरक्षा उपायों और निगरानी प्रणालियों पर काम कर रहे हैं ताकि किसी भी संभावित खतरे का पूर्वानुमान और तैयरियां की जा सके.
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12 September 2024आज 11 सितंबर 2024 को राधा अष्टमी है. साथ ही आज से महालक्ष्मी व्रत भी शुरू हो रहे हैं जो 16 दिन तक चलते हैं.मान्यता है कि महालक्ष्मी व्रत में देवी लक्ष्मी को कौड़ी, श्रृंगार की सामग्री, खीर अर्पित करें. मान्यता है इससे धन में बरकत होती है. व्यक्ति समस्त सुखों को प्राप्त करता है और तरक्की के रास्ते खुलते हैं. वहीं राधाष्टमी पर राधा कृष्ण का गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करने पर व्यक्ति को अत्यधिक पुण्य प्राप्त होता है.जीवन से सभी दुख-संकट दूर होने लगते हैं आइए जानते हैं आज का शुभ-अशुभ मुहूर्त राहुकाल शुभ योग, ग्रह परिवर्तन, व्रत-त्योहार, तिथि आज का पंचांग 11 सितंबर 2024 अशुभ मुहूर्त यमगण्ड - सुबह 07.37 - सुबह 09.11 आडल योग - रात 09.22 - सुबह 06.05, 22 सितंबर गुलिक काल- सुबह 10.44 - दोपहर 12.17 भद्रा काल - सुबह 06.04 - रात 11.35 आज का उपाय राधा अष्टमी पर श्री राधा कवचम् का पाठ पढ़ने से विवाह में आ रही अड़चने दूर होती है. साथ ही जो लोग शादीशुदा हैं उनके जीवन में खुशियों की बहार आती है.
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11 September 2024मणिपुर में जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. बल्कि हर दिन ये हिंसा बढ़ती ही जा रही है. इस हिंसा में अब आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल भी शुरू हो गया है. साथ ही उपद्रवी ड्रोन का इस्तेमाल भी कर रहे हैं. ऐसे में मणिपुर में इन हमलों से निपटने की तैयारी कर ली गई है. इसके लिए मणिपुर में सुरक्षा बलों को एंटी ड्रोन सिस्टम उपलब्ध करवाया गया है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर ये एंटी ड्रोन सिस्टम होता क्या है और ये कैसे काम करता है. क्या होता है एंटी ड्रोन सिस्टम? बता दें एंटी ड्रोन सिस्टम को काउंटर UAV (Unmanned Aerial Vehicle) तकनीक से नाम से भी जाना जाता है. पिछले कुछ समय में आपने रूस-यूक्रेन युद्ध और गाजा युद्ध में एयर डिफेंस, आयरन डोम आदी जैसे नाम सुने होंगे. ये तकनीक किसी भी क्षेत्र की तरफ आने वाले मिसाइल, रॉकेट, तेज रफ्तार वाले बड़े ड्रोन आदि को डिटेक्ट कर हवा में खत्म करने की क्षमता रखती है. ये सिस्टम तेज और बड़े टारगेट को खत्म करने में कारगर है, लेकिन छोटे, नीचे उड़ने वाले और हलके चलने ड्रोनों को नहीं पकड़ पाता है. इसी तरह के ड्रोनों से निपटने के लिए एंटी ड्रोन सिस्टम वजूद में आया है. इन्हें खासकर छोटे ड्रोनों को डिटेक्ट करने और उनको नष्ट करने के लिए बनाया गया है. हाल ही में CRPF ने जानकारी दी कि सुरक्षाबलों को एंटी ड्रोन सिस्टम उपलब्ध कराया गया है. कैसे काम करता है एंटी ड्रोन सिस्टम? एंटी ड्रोन सिस्टम जिस क्षेत्र में तैनात किया जाता है, उस जगह यदि कोई ड्रोन घुसपैठ कर लेता हो तो ये कुछ ही सैकंडों में उससे जुड़ी जानकारी इकट्ठा करता है कि ड्रोन कहां जा रहा है, कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है और उसके अदर बम या कोई खतरे वाली चीज है या नहीं. ये सभी जानकारी मिलने के बाद एंटी ड्रोन सिस्टम या एंटी ड्रोन गन को ऑपरेट करने वाला शख्स फैसला करता है कि ड्रोन को नष्ट किया जाए या उड़ने दिया है. ऑपरेटर के एक बटन दबाते ही ये सिस्टम ड्रोन को हवा में ही मार गिरा सकता है. इसके अलावा कई आधुनिक एंटी ड्रोन सिस्टम ड्रोन को निष्क्रिय कर नीचे भी उतार सकते हैं.
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11 September 2024देश में जातिगत जनगणना को लेकर बहस जारी है. केंद्रीय स्तर पर भाजपा इसका विरोध कर रही है, लेकिन सरकार ने अभी तक कुछ साफ नहीं किया है. इस बीच खबरें ये भी है कि जनगणना सितंबर से शुरू हो सकती है. हालांकि सरकार ने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है. जनगणना में देरी होने के चलते सरकारी योजनाएं और नीतियां साल 2011 में हुई जनगणना के आंकड़ों के हिसाब से बन रही हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं कि देश में कितनी जातियां हैं और किस जाति के कितने लोग हैं. देश में हैं कितनी जातियां? भारत की जाति व्यवस्था प्राचीन काल से अस्तित्व में है और इसमें विभिन्न जातीय समूहों की पहचान की जाती है. जातियां पारंपरिक रूप से हिंदू धर्म की जाति व्यवस्था पर आधारित हैं, जिसमें चार प्रमुख वर्ग होते हैं – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, और शूद्र. लेकिन, आधुनिक समय में जातियों की यह व्यवस्था और भी कठिन हो गई है और इसमें अनगिनत उपजातियां और जातीय समूह शामिल हैं. भारत में जातियों की संपूर्ण संख्या का सटीक आंकड़ा मिलना कठिन है, क्योंकि जनगणना में जातियों की पहचान की प्रक्रिया और विधियां समय-समय पर बदलती रहती हैं. हालांकि भारतीय जनगणना और विभिन्न सामाजिक अध्ययन हमें कुछ जरुरी आंकड़े प्रदान करते हैं. 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) की कुल संख्या 16.6% और 8.6% थी. कुल जनसंख्या के प्रतिशत के आधार पर अनुसूचित जातियों की संख्या लगभग 20 करोड़ और अनुसूचित जनजातियों की संख्या लगभग 10 करोड़ के आस-पास थी. भारत में जातियों की संख्या और विविधता बहुत ज्यादा है. विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में जातियों की संख्या अलग-अलग हो सकती है. उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश, बिहार, और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों में जातियों और उपजातियों की संख्या बहुत ज्यादा है. भारत में कुल जातियों की संख्या की बात करें तो सरकारी और शोध संगठनों के आंकड़े बताते हैं कि देश में जातियों की कुल संख्या हजारों में हो सकती है. उदाहरण के लिए, राज्य स्तर पर जाति आधारित डेटा में हजारों जातियों और उपजातियों की पहचान की जाती है. 2011 की जनगणना के अनुसार, मार्च 2023 तक 1,270 एससी, 748 एसटी जातियां हैं.
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11 September 2024जीवित्पुत्रिका को जिउतिया या जितिया व्रत भी कहा जाता है. विशेषकर यह व्रत बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में रखा जाता है. माताएं जिउतिया व्रत संतान की लंबी आयु और उत्तम सेहत के लिए रखती हैं. इस व्रत को बिना अन्न-जल ग्रहण किए निर्जला रखना होता है. इसलिए इसे कठिन व्रतों में एक माना जाता है. पंचांग के अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. इस साल जितिया का व्रत बुधवार 25 सितंबर 2024 को रखा जाएगा और अगले दिन यानी 26 सितंबर 2024 को व्रत का पारण किया जाएगा. जीवित्पुत्रिका व्रत में होती है जीमूतवाहन की पूजा जीमूतवाहन गंधर्व राजकुमार थे. लेकिन सारा राजपाट छोड़ वे वन चले गए. एक दिन वन में जीमूतवाहन की मुलाकात एक वृद्ध महिला से हुई, जिसका संबंध नागवंश से था. वह महिला बहुत रो रही थी. जीमूतवाहन ने उनसे रोने का कारण पूछा तो उसने कहा कि पक्षीराज गरुड़ को नागों ने वचन दिया है कि हर रोज उसे आहार के रूप में एक नाग दिया जाएगा. वृद्ध महिला ने कहा कि आज उसके बेटे शंखचूड़ की बारी है. जीमूतवाहन ने वृद्ध महिला से कहा कि आपके बेटे को कुछ नहीं होगा और वह आज पक्षीराज गरुड़ का आहार नहीं बनेगा, क्योंकि आपके बेटे के बदले आज मैं जाऊंगा. यह कहकर जीमूतवाहन गरुड़ के पास चले गए. लाल कपड़े में लिपटे जीमूतवाहन को गरुड़ पंजे में दबोच कर उड़ गए. दर्द से जीमूतवाहन रोने और कराहने लगे. उसकी आवाज सुन गरुड़ एक शिखर पर रुक गए, तब जीमूतवाहन ने गरुड़ को सारी बातें बताई, जिससे गरुड़ जीमूतवाहन की दया भावना और साहस देखकर बहुत प्रसन्न हुए. उन्होंने जीमूतवाहन को जीवनदान दे दिया और साथ ही वचन दिया कि आज से वह किसी भी नाग को अपना आहार नहीं बनाएंगे. इस तरह से जीमूतवाहन के प्रयासों के कारण नागवंश की रक्षा हुई. मान्यता है कि इसके बाद से ही जीवित्पुत्रिका व्रत में जीमूतवाहन की पूजा होती जाती है. ऐसा माना जाता है कि, जिस तरह जीमूतवाहन ने वृद्ध महिला से संतान शंखचूड़ के जीवन की रक्षा की, उसी प्रकार वे सभी माताओं के संतानों की रक्षा करेंगे और उनकी गोद कभी सूनी नहीं होने देंगे. संतान के लिए रक्षा कवच है जीवित्पुत्रिका व्रत जीवित्पुत्रिका व्रत को लेकर ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान को कभी किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता है. साथ ही संतान को दीर्घायु और उत्तम सेहत का वरदान प्राप्त होता है. महाभारत में ऐसा वर्णन मिलता है कि,अश्वत्थामा ने द्रौपदी के पांच संतानों को मार डाला था. इसके बाद अर्जुन ने उसे बंदी बनाकर कारावास में डाल दिया और अश्वत्थामा से उसकी दिव्यमणि छीन ली. इसके बाद अश्वत्थामा ने क्रोधित होकर बदले की भावना से अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे शिशु को गर्भ में ही नष्ट कर दिया. लेकिन श्रीकृष्ण ने उत्तरा के गर्भ में पल रहे अजन्मे संतान को फिर से जीवित कर दिया. इस तरह के मृत्यु के बाद पुन: जीवित होने के कारण उसका नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया. इसलिए जीवित्पुत्रिका व्रत को संतान के लिए रक्षा कवच से समान माना जाता है.
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10 September 2024भारत में वीआईपी नंबरों का क्रेज काफी पुराना है. लेकिन सोशल मीडिया आने के साथ ही अब लोग वीआईपी नंबर पाने के लिए हजारों-लाखों रुपये खर्च कर रहे हैं. जी हां, आज के वक्त अपनी मनपसंद गाड़ी खरीदने के बाद लोग वीआईपी नंबर भी खरीद रहे हैं. कुछ वीआईपी नंबर तो इतने महंगे बिके हैं कि आप सुनकर कहेंगे कि इतने में तो एक नई कार ही आती है. आज हम आपको बताएंगे कि किन नंबरों का क्रेज सबसे अधिक होता है. गाड़ी नंबर आज के वक्त हर इंसान अपनी मन पसंद कार खरीदने का सपना देखता है. लेकिन अब मनपसंद कार के बाद लोग लाखों रुपये नंबर पर भी खर्च कर रहे हैं. बता दें कि राजधानी दिल्ली में दिल्ली परिवहन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 0001 कार लाइसेंस प्लेट नंबर की मार्च में बोली लगाई गई थी और इसकी बोली 23.4 लाख रुपये तक पहुंची थी. अब आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि गाड़ियों के नंबरों का कितना क्रेज है. इतने रुपये में तो एक प्रीमियम SUV आ जाती है. इन नंबरों की लगी सबसे महंगी बोली बता दें कि 0009 और 0007 नंबर भी लाखों में बिके है. सबसे अधिक कीमत वाले अन्य कार नंबरों की बात करें तो 0009 नंबर इस सूची में दूसरे स्थान पर रहा है. वहीं बीते जून में इसकी 11 लाख रुपये में बोली लगी है. 0009 नंबर को फिल्मी जासूस जेम्स बांड की वजह से जाना जाता है. इसी तरह 0007 नंबर भी जनवरी में 5.1 लाख रुपये में बिका था. इसके इतने अधिक रुपये में बिकने का कारण यह रहा है कि पूर्व क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी की जर्सी का नंबर भी 7 था. क्रिकेटर लवर इस नंबरे क दिवाने हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 0001 नंबर की शुरुआती कीमत 5 लाख रुपये रखी गई थी, जो ई-नीलामी के दौरान 23.4 लाख रुपये तक पहुंच गई थी क्योंकि 0001 नंबर सबसे अधिक मांग वाला नंबर था. रिपोर्ट के मुताबिक 1 लाख रुपये से अधिक शुरुआती कीमत वाले नंबर प्लेट की हर महीने के पहले हफ्ते में ई-नीलामी की जाती है. इन नबंरों की लगी है बोली बता दें कि 0002 से 0009 लाइसेंस प्लेट नंबरों की न्यूनतम शुरुआती कीमत 3 लाख रुपये होती है. इसी तरह 0010 से 0099 तक, 0786, 1,000, 1111, 7777 और 9999 नंबरों की न्यूनतम कीमत 2 लाख रुपये और 0100, 0111, 0300, 0333 जैसे नंबरों की न्यूनतम 1 लाख रुपये होती है. हालांकि इन नबरों की कीमत डिमांड को देखते हुए बढ़ाया भी जा सकता है.
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10 September 2024दुनिया में ऐसी कई चीजें हैं जिनके रहस्य सभी को चौंका कर रख देते हैं. ऐसा ही है केरल का एक गांव. इस गांव की एक ऐसी खासियत है जिसका रहस्य वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए हैं. दरअसल इस गांव के हर घर में जुड़वां बच्चों का ही जन्म होता है. हम बात कर रहे हैं केरल के मल्लपुरम जिले में एक कोडिन्ही गांव की. इस गांव के हर घर में जुड़वां बच्चे ही पैदा होते हैं. इस गांव में बड़ी संख्या में जुड़वां लोग हैं यही वजह है कि इस गांव को जुड़वों का गांव भी कहा जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव में नवजात शिशु से लेकर 65 वर्ष के लोग भी जुड़वां मिल जाएंगे. तो चलिए आज हम इस रहस्यमयी गांव के बारे में जानते हैं. गांव में हैं 550 जुड़वां बच्चे मल्लपुरम जिले का कोडिन्ही गांव देश का एक मात्र ऐसा गांव है जहां पर महज जुड़वा लोग ही रहते हैं. हैरानी की बात ये है कि यहां आपको हर घर में हमशक्ल मिल जाएंगे. एक रिपोर्ट के मुताबिक, यहां पर 2000 परिवार में 550 जुड़वा लोग हैं. इस गांव में नवजात शिशु से लेकर 65 साल के बुजुर्ग तक हमशक्ल मिल जाएंगे. आधिकारिक आंकड़ों की बात करें तो साल 2008 के अनुमान के अनुसार, यहां पर 280 जुड़वा थे. गांव में ज्यादातर बच्चों की उम्र 15 साल से कम है. एक स्कूल में तो 80 जुड़वां बच्चे हैं. इतने सालों में इस डेटा में काफी इजाफा हुआ है. इस गांव में चाहे स्कूल हो या फिर बाजार, हर जगह जुड़वा बच्चे नजर आते हैं.
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10 September 2024धरती पर लाखों प्रजाति के जानवर पाए जाते हैं. सभी जानवरों के अंदर अलग-अलग खूबी होती है. इनमें कौवा भी एक ऐसा पक्षी है, जिसका दिमाग काफी तेज होता है. जी हां, घरों के आस-पास कौवा बहुत आसानी से दिख जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कौवा का दिमाग कितना तेज होता है. आज हम आपको कौवा के दिमाग के बारे में बताएंगे. कौवा कौवा एक ऐसा पक्षी है, जो आम इंसानों को बहुत आसानी से घरों, ऑफिस और बाहर आराम से दिख जाते हैं. ये कभी घर की छत पर बैठे, तो कभी पेड़ की डाल में शोर करते हैं. लेकिन का दिमाग कंप्यूटर की तरह तेज होता है? जी हां, एक शोध में ये खुलासा हुआ है. बता दें कि फ्रांस और स्वीडन जैसे देशों में लोगों ने कौवों के ऊपर कुछ रिसर्च किया है. इस दौरान उन लोगों ने कौवों को ऐसी ट्रेनिंग दी है, जिससे वो पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं. दरअसल रिसर्च में इनको ऐसी ट्रेनिंग दी गई थी, जिसमें ये कौवे सिगरेट के टुकड़े उठाने लगे और उसके बदले में खाने का सौदा करने लगे थे. कौवो का दिमाग यूरो न्यूज वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में कौवों के साथ एक एक्सपेरिमेंट किया था. फ्रांस के पश्चिम में मौजूद पुय डू फो थीम पार्क ने कौवों को पार्क में पड़े सिगरेट के बट्स को उठाना सिखा दिया था. इसके साथ ही यहां-वहां पड़ी अन्य छोटी चीजों को भी उन्हें उठाना सिखाया गया था. इन टुकड़ों को उठाकर वो खाते नहीं थे, बल्कि उसे उठाकर एक मशीन तक लाते थे और उसमें डाल देते थे. उस मशीन से फिर उनके लिए खाना निकलता था, जिसे वो खा लेते थे. रिसर्च के दौरान इस तरीके से पक्षियों के दिमाग पर भी शोध किया गया था. उन्हें पर्यावरण की रखवाली के लिए भी तैयार किया गया था. बता दें कि 2022 में भी ऐसा ही इनिशिएटिव स्वीडन में भी लिया गया था. वहां पर भी वो इधर-उधर पड़े सिगरेट के बट्स को उठाते हैं और उसके बदले में उन्हें खाना दिया जाता है. कितना तेज दिमाग कौवे का मस्तिष्क मनुष्य के मस्तिष्क की तुलना में छोटा लग सकता है, लेकिन काफी तेज होता है. वाशिंगटन विश्वविद्यालय के एविएशन कंजर्वेश
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9 September 2024दुनियाभर में लाखों प्रजाति के जानवर पाए जाते हैं. इन जानवरों में शेर-चीता जैसे जानवरों को सबसे खतरनाक जानवर माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में कई ऐसे देश हैं, जहां पर शेर और चीता जैसे खतरनाक जानवर को लोग घरों में पालते हैं. जी हां, जैसे भारत में लोग कुत्ता-बिल्ली पालते हैं, वैसे ही कुछ देशों में लोग शेर और चीता पालते हैं. शेर बचपन से किताबों में हमने पढ़ा है कि शेर जंगल का राजा है. क्योंकि शेर जैसे जानवरों को सबसे खतरनाक माना जाता है. ये देखते ही देखते इंसान को खत्म कर देते हैं. बता दें कि पहले यूएई में लोग अपनी अमीरी को दिखान के लिए घरों शेर और चीता पालते थे. लेकिन साल 2017 की शुरुआत में यूएई में हर तरह के जंगली जानवरों को घरों में रखने पर रोक लगा दी ग थी. इन जानवरों को चिड़ियाघर नेशनल पार्क्स, सर्कस या फिर रिसर्च सेंटर में रखने की इजाजत थी. वन जीव संरक्षण अधिनियम के तहत घर में इन जानवरों को रखने पर एक करोड़ से ज्यादा का जुर्माना या 6 महीने की जेल या फिर दोनों हो सकती है. पाकिस्तान पाकिस्तान में पहले के समय शेर और चीते पालने का बड़ा चलन था. राजनेता और बड़ी-बड़ी हस्तियां अक्सर शेर चीतों के साथ अपनी फोटो सोशल मीडिया पर डाला करते थे. लेकिन साल 2009 में नवाज शरीफ के भांजे सलमान शाहबाज ने सरकार से इजाजत मांगी थी, जिसके बाद देशभर में बवाल मचा था और शेर पालने पर रोक लग गई थी. इतना ही नहीं कन्वेंशन ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड इन एंडेजर्ड स्पीशीज ने भी इस मामले में दखल दी थी. जिसके बाद सभी लोगों को अपने घरों में रखे पालतू जानवरों को चिड़ियाघर भेजना पड़ा था. थाईलैंड थाइलैंड से भी कई बार जंगली जानवरों को घर पर पालतू बनाकर रखने का मुद्दा उठ चुका है. वहां पर एग्जॉटिक एनिमल कैफे हैं. जहां लोमड़ी, ऊदबिलाव जैसे बड़े-बड़े जंगली जानवर को रखा जाता है. वहां पर आने वाले लोग उन्हें छू सकते हैं और तस्वीर खिंचवा सकते हैं, लेकिन इससे पहले उन्हें कम से कम इतनी कीमत की डिस खरीदनी पड़ेगी. एनिमल एक्टिविटीज इस तरह के कैफे को कई बार बंद भी कर चुका है. अमेरिका अमेरिका के कई राज्यों में जंगली शेर कम मगर पालतू शेर बहुत है. इसमें चीते से लेकर सल्वाडोर तक शामिल है. बिजनेस इंसाइडर की एक रिपोर्ट बताती है कि वहां के लगभग 12 स्टेट में 5000 से ज्यादा चीतें घरों में रखे हुए हैं. वहीं वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड के मुताबिक जंगलों में रहने वाले बाघों की संख्या घटकर 4000 से कम हो चुकी है. भारत भारत में बाघ और शेर को बिना कानूनी मंजूरी के नहीं पाला जा सकता है. वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत इन जानवरों को निजी तौर पर पालने की मंजूरी नहीं दी गई है.
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9 September 2024एवरेस्ट की चढ़ाई दुनियाभर में कई लोगों ने की है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि समंदर की गहराई अब तक किन-किन लोगों ने नापी है. जी हां, आपने एवरेस्ट पर चढ़ने वालों का नाम तो खूब सुना होगा, लेकिन समंदर की गहराई नापने वालों के बारे में आपने कम ही सुना होगा. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर अब तक समुंदर की गहराई कितने लोगों ने नापी है. माउंट एवरेस्ट अब सवाल ये है क कितने लोग माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचे हैं? हिमालयन डेटाबेस के मुताबिक लगभग 7,000 लोगों ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की है. वहीं माउंट एवरेस्ट पर 12,000 से ज़्यादा बार चढ़ाई की जा चुकी है, जिसमें से 6,000 बार नेपाली लोगों ने चढ़ाई की है. एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पहले भारतीय बता दें कि माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना इतना आसान नहीं है, लेकिन भारतीयों ने 1960 के दशक में इस पर्वत पर विजय प्राप्त की थी. 1965 में कैप्टन एमएस कोहली इस पर चढ़ने वाले पहले भारतीय थे. माउंट एवरेस्ट पर्वत की चोटी नेपाल और चीन सीमा पर स्थित है और इस पर्वत श्रृंखला पर चढ़ने वाले पहले व्यक्ति एडमंड हिलेरी थे, जो 29 मई, 1953 को इस पर्वत पर चढ़े थे. तब से कई लोगों ने शिखर पर विजय प्राप्त करने का प्रयास किया है, जिसमें स्वयं भारतीयों द्वारा 460 से अधिक प्रयास किए गए हैं. समुद्र की गहराई बता दें कि समुद्र की गहराई अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग होती है. समुद्र की औसत गहराई करीब 12,080 फ़ीट (3,682 मीटर) है. हालांकि, दुनिया का सबसे गहरा समुद्री बिंदु, प्रशांत महासागर में स्थित मारियाना ट्रेंच में है. मारियाना ट्रेंच के दक्षिणी छोर पर स्थित चैलेंजर डीप की गहराई करीब 10,935 मीटर (35,876 फ़ीट) है. चैलेंजर डीप, माउंट एवरेस्ट से भी ज़्यादा गहरा है. वहीं समुद्र की गहराई नापने के लिए डीप्थ साउंडर नाम के उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है. यह उपकरण ऊपर से नीचे तक सिंचाई शोर भेजता है और फिर समय की दूरी का अंदाजा लगाता है. इस तरह समुद्र की गहराई का पता चलता है. समुद्र के नीचे जाकर गहराई का लगाया पता मशहूर हॉलीवुड निर्देशक जेम्स कैमरन अपने असल जिंदगी में कई कारनामे किया है. वो 2012 में समुद्र के उस हिस्से में जाकर वापस आए हैं, जहां पिछले 50 साल से कोई नहीं गया है. उन्होंने पश्चीमी पेस्फ़िक में सबसे गहरे स्थल मरियाना ट्रेंच में 11 किलोमीटर गहराई तक गोता लगाया था. जानकारी के मुताबिक नीचे पहुँचने में उन्हें दो घंटे से ज्यादा का समय लगा था. वे डीप सी चैंलेजर नाम की पनडुब्बी में गए थे जिसे ऑस्ट्रेलिया में बनाया गया था. उन्होंने समुद्र तल पर तीन से ज्यादा घंटे बिताए थे. अंतरिक्षयात्री बता दें कि पूर्व अंतरिक्षयात्री कैथी सुलिवान ने अपने नाम एक नया रिकार्ड किया है. समुद्र की सबसे गहरी सतह पर पहुंचकर उन्होंने ये रिकार्ड अपने नाम किया था. कैथी 2020 में निचली सतह मारियाना ट्रेंच के पास गई थी. 68 साल की कैथी दुनिया की आंठवी इंसान हैं, जो इस स्थान पर पहुंच पाई थी. वहीं ऐसी पहली महिला हैं, जिन्होंने ये कारनामा कर दिखाया है. बता दें कि ये स्थान माउंट एवरेस्ट ऊंचाई से एक मील ज्यादा गहरा है.
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9 September 2024पौराणिक कथाओं में ऐसा वर्णन मिलता है कि भगवान गणेश माता पार्वती की मैल से उत्पन हुए थे. लेकिन क्या ये सच है, क्या सच में भगवान गणेश की उत्पत्ति मैल से हुई है. इसके लिए शास्त्रों को पढ़ना आवश्यक है जोकि कुछ ओर ही कहते हैं- महाभागवत उपपुराण अध्याय क्रमांक 35 अनुसार:– एतस्मिन्नन्तरे गौरी गात्रं लिप्त्वा हरिद्रया। स्नानप्रयाण उद्युक्ता बभूव मुनिपुङ्गव ॥5॥ तदा हि साभिरक्षार्थ मन्दिरस्य महेश्वरी। विन्तयामास विश्वेषामपि रक्षणकारिणी ॥6॥ अर्थ– भगवती गौरी अपने शरीर में हल्दी का उबटन लगाकर स्नान के लिए जाने को उद्यत हुईं. उस समय सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की भी रक्षा करने वाली जगदम्बा अपने निवासस्थान की रक्षा के लिए विचार करने लगीं. इस बीच भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूर्व-प्रार्थना का स्मरण करके अपने शरीर पर लगे हरिद्रा (हल्दी) का उबटन का कुछ अंश लेकर उन्होंने एक पुत्र (गणेश) का निर्माण किया. यहां पूर्व प्रार्थना से एक कथा जुड़ी है जहां भगवान विष्णु ने देवी के पुत्र होने का वरदान मांगते हैं पिछले अध्याय में इसका वर्णन है:– तथाहमपि चैतस्याः पुत्रतां प्राप्य वै ध्रुवम् । अङ्कमारुह्य प्राश्नामि स्तन्यं परमभावतः ॥11॥ एवं विचिन्त्य भगवान् विष्णुः परमपूरुषः । आध्यायन् चेतसा देवीं प्रणिपत्य ययौ यदा ॥12॥ तदा तस्याभिलाषं तु विज्ञाय परमेश्वरी। तस्मै ददौ वरं विष्णो मत्पुत्रस्त्वं भविष्यसि ॥13॥ (महाभागवत उप–पुराण अध्याय 34.11–13) अर्थ – परमात्मा भगवान विष्णु के मन में ऐसा विचार आया कि मैं भी इन भगवती का पुत्र होकर कभी इनकी गोद में खेलू (कार्तिकेय को गोद में देखकर). ऐसा सोचकर उन्होंने मन-ही-मन देवी का ध्यान कर उन्हें प्रणाम किया और वे वहां से जब चल पड़े तब उनकी अभिलाषा को जानकर परमेश्वरी जगदम्बा ने उन्हें वरदान दिया कि विष्णो! तुम मेरे पुत्र बनोगे. भगवान विष्णु ही गणपति के रुप में प्रकट हुए और तब गौरी माता ने भगवान विष्णु का ध्यान किया जोकि धन्वन्तरि के रुप में आयुर्वेद के संस्थापना की थी स्वामी अंजनी नंदन दास अनुसार, आयुर्वेदिक हल्दी उबटन लगाकर भगवान विष्णु जोकि धनवंतरी रूप में आयुर्वेद के प्रणेता हैं उन्हें याद किया ताकि वह उन्हें माता के रुप में स्वीकार करें. हल्दी लगाकर माता पार्वती आयुर्वेद को प्रोत्साहन देना चाहती थीं, क्योंकि आयुर्वेद में हल्दी को बहुत बड़ा स्थान दिया गया है. भगवान हल्दी और योनि से परे हैं किंतु आयुर्वेद चिकित्सा को प्रोत्साहन देने के लिए उन्होने ये लीला की.
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7 September 2024इस साल दुनियाभर में गर्मी ने लोगों को परेशान किया है. कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले कुछ सालों की तुलना में एशिया समेत बाकी देशों में इस साल सबसे अधिक गर्मी पड़ी है. यूरोप की जलवायु एजेंसी कॉपरनिकस ने दावा किया है कि इस साल की गर्मियों के दौरान धरती का तापमान सबसे ज्यादा रहा है. आज हम आपको बताएंगे कि रिसर्च में क्या सामने आया है. सबसे गर्म साल बता दें कि एजेंसी के मुताबिक ये साल मानवता के इतिहास में सबसे गर्म साल रहा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि रिकॉर्ड तोड़ गर्मी की वजह मानव जनित कारणों के अलावा, जलवायु परिवर्तन, अल नीनो प्रभाव और मौसम संबंधी बदलाव हैं. दुनियाभर में अत्यधिक गर्मी पड़ने के कारण लोग काफी परेशान हुए हैं और इसकी मुख्य वजह ग्लोबल वार्मिंग है. पिछले साल से ज्यादा तापमान कॉपरनिकस के मुताबिक जून, जुलाई और अगस्त में औसत तापमान 16.8 डिग्री सेल्सियस (62.24 डिग्री फ़ारेनहाइट) था. यह 2023 के पुराने रिकॉर्ड से 0.03 डिग्री सेल्सियस (0.05 डिग्री फ़ारेनहाइट) ज्यादा गर्म है. कोपरनिकस के रिकॉर्ड 1940 से ही मौजूद हैं, लेकिन अमेरिकी, ब्रिटिश और जापानी रिकॉर्ड, जो 19वीं सदी के मध्य से शुरू होते हैं, बताते हैं कि पिछले दशक में औसत तापमान सबसे ज्यादा गर्म रहा है. वैज्ञानिकों का मानना है कि बीते 1,20,000 वर्षों में यह सबसे ज्यादा तापमान है. तापमान में बदलाव कॉपरनिकस के निदेशक कार्लो बुओंटेम्पो ने बताया कि साल 2024 और 2023 में अगस्त महीने के दौरान औसत तापमान 16.82 डिग्री सेल्सियस रहा है, जो वैश्विक तापमान के बराबर है. वैज्ञानिकों का कहना है कि आंकड़ों के मुताबिक इससे पहले पिछला साल यानी कि 2023 भी औसत तौर पर काफी गर्म रहा था और ऐसी चर्चा थी कि क्या 2023 धरती का सबसे गर्म साल रहा है. लेकिन अब 2024 के आंकड़े सामने आने के बाद साफ हो गया है कि ये साल धरती का सबसे गर्म साल रहा है. कुछ एक्सपर्ट के मुताबिक आने वाले सालों में गर्मी और बढ़ेगी और इसका सबसे बड़ा कारण ग्लोबल वार्मिंग है. जिसके कारण तापमान में भारी बदलाव देखने को मिल रहा है. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक जलवायु विज्ञानी जोनाथन ओवरपैक का कहना है कि अमेरिका के एरिजोना में इस साल 100 से भी ज्यादा दिनों तक तापमान 37.8 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रहा है. वहीं साथ ही हीट वेव, भारी बारिश, बाढ़ जैसी घटनाएं भी ज्यादा हुई है. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है.
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7 September 2024इतिहास में जब भी तीव्र बुद्धिमान, अर्थशास्त्री, कूटनीतिज्ञ और कुशल राजनीतिज्ञ की बात होगी, तब सबसे पहले चाणक्य का नाम आएगा. चाणक्य की नीतियां जीवन में बहुत काम आती है. इन नीतियों का पालन कर आप न सिर्फ सफल हो सकते हैं बल्कि समाज में आपका पद और कद भी बढ़ता है. जीवन में धन (Money) कमाने के साथ ही मान-सम्मान कमाना भी जरूरी होता है. धन कमाने के बाद वह खर्च हो जाता है, लेकिन मान-सम्मान ऐसी पूंजी है जो कभी खत्म नहीं होता. लेकिन मान-सम्मान की कमाई करना कोई आसान काम नहीं है, बल्कि यह पूरी तरह आपके कार्य और व्यवहार पर निर्भर करता है. कभी-कभी लोग जाने-अनजाने में ऐसे कार्य कर देते हैं जिससे बना बनाया मान-सम्मान भी चला जाता है. अगर आप अपनी इज्जत बनाए रखना चाहते हैं तो चाणक्य की इन नीतियों का पालन करें. विन्रम रहें: व्यक्ति को विन्रम स्वभाव रखना चाहिए. विन्रम रहना ऐसी कला है, जिससे आपके स्वभाव और आचरण का सकारात्मक प्रभाव अन्य लोगों पर भी पड़ता है. विन्रम रहने वाले व्यक्ति वाद-विवाद से दूर रहते हैं, ऐसे लोगों के शत्रु कम होते हैं, दूसरों से सम्मान मिलता है और चहुंओर इनकी तारीख होती है. बिन बुलाए किसी के घर न जाएं: चाणक्य की नीति कहती है कि जब तक आपको आदरपूर्वक निमंत्रण न मिले, किसी के घर न जाएं. बिना बुलाए किसी के घर जाने या बिना काम के किसी के घर जाने पर इज्जत कम हो जाती है. वहीं जबतक कोई आपको रुकने के लिए न बोले तो किसी के घर पर रुकना भी नहीं चाहिए. दूसरों को सम्मान दें: अगर आप चाहते हैं कि आपको मान-सम्मान मिले तो सबसे पहले आपको दूसरों को सम्मान देना होगा. अगर आप यह आदत को अपनाते हैं तो आपके मान-सम्मान में जरूर बढ़ोतरी होगी.
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7 September 2024कई लोग इसे हड़तालिका/हरतालिका व्रत भी बोलते हैं अपनी–अपनी भाषा में लेकिन शास्त्रों में इस पर्व को हरितालिका अथवा हर–काली व्रत बोलते हैं. माता पार्वती के व्रत में भाषा से अधिक भाव की प्रधानता होती है, इसलिए इस पर्व को निश्चल भाव से मनाएं. चलिए जानते हैं शास्त्र क्या कहते हैं इस पर्व के बारे में. नारद पुराण पूर्व भाग अध्याय क्रमांक 112 अनुसार, भाद्रपद की शुक्ल पक्ष तृतीया को सौभाग्यवती स्त्री विधि–पूर्वक पाद्य-अर्घ्य आदि के द्वारा भक्ति भाव से पूजा करती हुई 'हरतालिका व्रत' का पालन करना चहिए. सोने, चांदी, तांबे, बांस अथवा मिट्टी के पात्र में दक्षिणासहित पकवान रखकर फल और वस्त्रके साथ उसे दान करे. इस प्रकार व्रत का पालन करनेवाली नारी मनोरम भोगों का उपभोग करके इस व्रत के प्रभाव से गौरी देवी की सहचरी होती हैं. भविष्य पुराण उत्तर पर्व अध्याय क्रमांक 20 अनुसार, इस दिवस भगवती गौरी उत्पन्न हुई थी और फिर शिव जी के वामंग में निवास किया. इसी दिवस से गौरी जी हरकाली नाम से प्रसिद्ध हुईं (‘हर’ अथवा महादेव और ’काली’ माता का एक स्वरुप हैं). भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को सब प्रकार के नये धान्य एकत्रकर उनपर अंकुरित हरी घास से निर्मित भगवती हरकाली की मूर्ति स्थापित करे और गन्ध, पुष्प, धूप, दीप, मोदक आदि नैवेद्य तथा भाँति-भाँति के उपचारों से देवी का पूजन करे. रात्रि में गीत-नृत्य आदि उत्सवकर जागरण करे और देवी हरकालीको इस मन्त्र से प्रणाम करे- हरकर्मसमुत्पन्ने हरकाये हरप्रिये. मां त्राहीशस्य मूर्तिस्थे प्रणतोऽस्मि नमो नमः ॥ (भविष्य पुराण उत्तरपर्व 20.20) अर्थ–"भगवान शंकर के कृत्य से उत्पन्न हे शंकरप्रिये ! आप भगवान शंकर के शरीर में निवास करनेवाली हैं, भगवान् शंकर की मूर्ति में स्थित रहनेवाली हैं, मैं आपकी शरण हूँ, आप मेरी रक्षा करें. आपको बार-बार प्रणाम है." इस प्रकार देवी का पूजन कर प्रातःकाल सुवासिनी स्त्रियाँ बड़े उत्सव से गीत-नृत्यादि करते हुए प्रतिमा को पवित्र जलाशयके समीप ले जायें और इस मन्त्रको पढ़ते हुए विसर्जित करें "अर्चितासि मया भक्त्या गच्छ देवि सुरालयम् . हरकाले शिवे गौरि पुनरागमनाय च ॥" (भविष्य पुराण उत्तरपर्व 2022) अर्थ– "हे हरकाली देवि! मैंने भक्तिपूर्वक आप की पूजा की है, हे गौरि! आप पुनः आगमन के लिये इस समय देवलोक को प्रस्थान करें." इस विधि से प्रतिवर्ष, जो कोई करता है, वह आरोग्य, दीर्घायुष्य, सौभाग्य, धन, बल, ऐश्वर्य आदि प्राप्त करता हैं.
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6 September 2024कचरा पूरी दुनिया के लिए एक वैश्विक समस्या है. हर देश कचरा कम करने के लिए अलग-अलग तकनीक और रणनीति पर काम कर रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत दुनिया में प्लास्टिक कचरे का सबसे अधिक उत्पादन करता है. जी हां यहां एक साल में 1.02 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है, जो दूसरे सबसे बड़े प्लास्टिक कचरा उत्पादक के मुकाबले दो गुना से भी अधिक है. आज हम आपको बताएंगे कि किन देशों में कितना प्लास्टिक कचरा तैयार हो रहा है. कचरा कचरा से हर देश परेशान है. लेकिन कचरा में प्लास्टिक सबसे खतरनाक माना जाता है. एक शोध में दावा किया गया है कि भारत में सबसे अधिक प्लास्टिक कचरा निकलता है. दरअसल ब्रिटेन के लीड्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के मुताबिक दुनिया हर साल 5.7 करोड़ टन प्लास्टिक प्रदूषण पैदा करती है. ये कचरना सबसे गहरे महासागरों से लेकर सबसे ऊंचे पर्वत शिखर और लोगों के शरीर के अंदर तक फैलाती है. इस अध्ययन के मुताबिक इस 5.7 करोड़ टन प्लास्टिक कचरे का दो-तिहाई से अधिक हिस्सा वैश्विक दक्षिण से आता है. बता दें कि प्लास्टिक कचरा से पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुंचता है. भारत में सबसे अधिक प्लास्टिक कचरा रिसर्च के लेखक कोस्टास वेलिस के मुताबिक दुनिया में हर साल इतना प्लास्टिक कचरा पैदा होता है, जो न्यूयॉर्क शहर के सेंट्रल पार्क में एम्पायर स्टेट बिल्डिंग जितनी ऊंचाई तक पहुंच सकता है. शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए दुनिया भर के 50 हजार से अधिक शहरों और कस्बों में स्थानीय स्तर पर उत्पादित कचरे की जांच की है. इस अध्ययन के दौरान ऐसे प्लास्टिक की जांच की गई जो खुले वातावरण में जाता है. दुनिया की 15 प्रतिशत आबादी से सरकार प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करने और निपटाने में विफल रहती है. वहीं इस 15 फीसदी आबादी में भारत के 25.5 करोड़ लोग शामिल हैं. इन शहरों में सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचरा बता दें कि लागोस दुनिया में किसी भी शहर के मुकाबले सबसे ज्यादा प्लास्टिक प्रदूषण उत्सर्जित करते हैं. इसके अलावा नई दिल्ली, लुआंडा, अंगोला, कराची, और मिस्र का काहिरा भी शीर्ष प्लास्टिक प्रदूषणकर्ताओं में शामिल है. भारत के बाद सबसे अधिक प्लास्टिक प्रदूषण नाइजीरिया और इंडोनेशिया फैलता है. इस मामले में चीन चौथे स्थान पर है, हालांकि वह कचरे को कम करने में सफलता हासिल कर रहा है. प्लास्टिक प्रदूषक के मामले में पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश के अलावा रूस और ब्राजील भी जिम्मेदार है. रिसर्च के मुताबिक अमेरिका 52,500 टन से अधिक प्लास्टिक प्रदूषण के साथ सूची में 90 और जबकि ब्रिटेन लगभग 5,100 टन के साथ 135वें स्थान पर है.
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6 September 2024भारत ने पेरिस पैरालिंपिक में बुधवार रात 24वां मेडल जीता। 2 बजे तक चले क्लब थ्रो के फाइनल मुकाबले में धरमबीर सिंह ने गोल्ड और प्रणव सूरमा ने सिल्वर मेडल दिलाया। इससे पहले तीरंदाज हरविंदर सिंह ने गोल्ड और शॉट पुटर सचिन सरजेराव ने सिल्वर जीते थे। गेम्स के 7वें दिन भारतीय खिलाड़ियों ने 2 गोल्ड और 2 सिल्वर मेडल दिलाए। इसी के साथ पेरिस गेम्स में भारत के कुल मेडल की संख्या 24 पहुंच गई है। इनमें 5 गोल्ड, 9 सिल्वर और 10 ब्रॉन्ज शामिल है। फिलहाल, भारत मेडल टैली में 13वें नंबर पर है। यह भारतीय पैरा खिलाड़ियों का पैरालिंपिक इतिहास में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। इंडिया ने टोक्यो गेम्स में 19 मेडल जीते थे। भारत ने क्लब थ्रो में गोल्ड और सिल्वर जीते, फिर भी क्लीन स्वीप से चूका भारत ने मेंस F-51 कैटेगरी के क्लब थ्रो इवेंट में गोल्ड और सिल्वर मेडल जीते। फिर भी क्लीन स्वीप करने से चूक गया। देर रात धरमबीर सिंह ने 34.92 मीटर के बेस्ट थ्रो के साथ गोल्ड और प्रणव सूरमा ने 34.59 मीटर के बेस्ट थ्रो के साथ सिल्वर मेडल जीता। सर्बिया के जेलिको डिमित्रिजेविक ने 34.18 मीटर के बेस्ट थ्रो के साथ ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। क्लब थ्रो इवेंट में भारत क्लीन स्वीप कर तीनों मेडल जीत सकता था, लेकिन अमित कुमार 6 अटेम्प्ट में 4 थ्रो फाउल कर बैठे। उनके 2 थ्रो सही रहे, जिसमें बेस्ट 23.96 मीटर दूर ही जा सका। जिस कारण अमित 10वें नंबर पर रहे। F-51 कैटेगरी में वे एथलीट्स आते हैं, जिनके अंगों में कमी, पैर की लंबाई में अंतर, मांसपेशियों की शक्ति में कमी या गति की सीमा में कमी होती है। आर्चरी गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय बने हरविंदर पैरालिंपिक गेम्स में आर्चरी का गोल्ड मेडल जीतने वाले हरविंदर सिंह पहले ही भारतीय बने। हरविंदर मेंस इंडिविजुअल रिकर्व ओपन के रैंकिंग राउंड में 9वें नंबर पर रहे थे। राउंड ऑफ 32 में उन्होंने चीनी ताइपे के लुंग-हुई सेंग को 7-3 से हराया। हरविंदर ने प्री-क्वार्टर फाइनल में सेतियावान को 6-2 से हराया। हरविंदर ने कोलंबिया के जुलियो हेक्टर रमिरेज के खिलाफ क्वार्टर फाइनल 6-2 से जीता। सेमीफाइल में हरविंदर ने ईरान के मोहम्मद रेजा को 7-3 से हराया। उन्होंने फिर पोलैंड के लुकास सीजेक को 6-0 से फाइनल हराया और गोल्ड मेडल जीत लिया। PM नरेंद्र मोदी ने X पर हरविंदर को बधाई दी। उन्होंने लिखा- 'पैरा आर्चरी में स्पेशल गोल्ड। मेंस इंडिविजुअल के रिकर्व ओपन में गोल्ड जीतने पर हरविंदर सिंह को बधाई। उनका फोकस, टारगेट और स्पिरिट कमाल की रही। भारत आपकी जीत से बहुत खुश है।' सिमरन ने सेमीफाइनल में जगह बनाई विमेंस की टी-12 कैटेगरी में भारत की सिमरन ने 100 मीटर रेस के सेमीफाइनल में जगह बना ली है। उन्होंने राउंड-1 की हीट-1 में 12.17 सेकेंड टाइम के साथ पहला स्थान हासिल किया। सिमरन का सेमीफाइनल कल दोपहर 3.21 बजे होगा। सचिन ने दिलाया आज का पहला मेडल पैरालिंपिक के 7वें दिन का पहला मेडल सचिन सरजेराव ने शॉटपुट में दिलाया। उन्होंने 16.32 के एशियन रिकॉर्ड के साथ मेंस F-46 कैटेगरी में सिल्वर जीता। F46 कैटेगिरी उन एथलीट्स के लिए हैं, जिनके हाथ में कमजोरी, कमजोर मसल्स या हाथों के मूवमेंट में कमी होती है। जैवलिन थ्रो में गोल्ड जीतने से चूके मेंस F-46 कैटेगरी में भारत के सुंदर सिंह गुर्जर के नाम 68.60 मीटर दूर जैवलिन फेंकने का वर्ल्ड रिकॉर्ड है। वह 64.96 मीटर दूर ही भाला फेंक सके, जिस कारण उन्हें ब्रॉन्ज मेडल मिला। जबकि अजीत सिंह ने 65.62 मीटर दूर जैवलिन फेंक कर सिल्वर अपने नाम किया। क्यूबा के गुलेर्मो गोन्जालेज ने दूसरे अटेम्प्ट में 66.14 मीटर का थ्रो फेंककर गोल्ड मेडल जीता। भारत के ही रिंकू आखिरी अटेम्प्ट में 61.58 मीटर का बेस्ट थ्रो फेंक कर पांचवें नंबर पर रहे। F-46 कैटेगरी में वे एथलीट्स आते हैं, जिनका एक हाथ नहीं होता या जिनका एक हाथ काम नहीं कर रहा होता। हाई जंप में 2 मेडल जीते टी-42 और 63 कैटेगरी के हाई जंप में शरद कुमार ने 1.88 मीटर जंप कर सिल्वर मेडल जीता। जबकि मरियप्पन थांगावेलु ने 1.85 मीटर का जंप कर तीसरा स्थान हासिल किया। अमेरिका के ईजरा फ्रेच 1.94 मीटर जंप कर पहले नंबर पर रहे। इवेंट में भारत के ही शैलेश कुमार 1.85 मीटर के बेस्ट जंप के साथ चौथे नंबर पर रहे। भारत के तीनों एथलीट्स टी-42 कैटेगरी के हैं। इनमें वे एथलीट्स आते हैं, जिनका एक पैर टूटा हुआ रहता है या वे जिन्हें एक पैर से चलने या दौड़ने में दिक्कत होती है दीप्ति जीवांजी ने दिलाया ब्रॉन्ज मेडल विमेंस टी-20 कैटेगरी की 400 मीटर रेस में दीप्ति जीवांजी ने ब्रॉन्ज मेडल जीता। उन्होंने 55.82 सेकेंड में रेस पूरी की। यूक्रेन की यूलिया शुलियार ने 55.16 सेकेंड टाइम के साथ गोल्ड जीता। जबकि तुर्किये की ऐसल ओन्डेर ने 55.23 सेकेंड में रेस पूरी कर सिल्वर मेडल अपने नाम किया। दीप्ति पैरालिंपिक गेम्स के ट्रैक इवेंट में मेडल जीतने वाली भारत की दूसरी ही एथलीट बनीं। उनसे पहले प्रीति पाल ने टी-35 कैटेगरी की 100 मीटर और 200 मीटर रेस में इसी पैरालिंपिक में 2 ब्रॉन्ज मेडल दिलाए थे। आज अवनी लेखरा 50 मीटर शूटिंग में मेडल जीतने से चूक गईं।
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5 September 2024इंदौर के विश्व प्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर में गणेशोत्सव के पर्व पर इस वर्ष करीब 15 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। इसे लेकर मंदिर प्रशासन ने व्यवस्थाएं चाक चौबंद करनी शुरू कर दी है। दस दिनों तक चलने वाले उत्सव में पहले दिन भगवान का करीब 3 करोड़ के स्वर्ण मुकुट से श्रृंगार किया जाएगा। इसके साथ ही सवा लाख मोदक का भोग लगाया जाएगा। मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उज्जैन के महाकाल मंदिर जैसी जिगजैग रेलिंग की व्यवस्था की है। जिससे एक बार में करीब 5 हजार भक्त मात्र 20 मिनट में बप्पा के दर्शन कर सकेंगे। इस बार हरितालिका तीज से गणेश चतुर्थी तक मंदिर भी रातभर भक्तों के दर्शन के लिए खुला रहेगा। पूरा उत्सव जीरो वेस्ट इवेंट के रूप में मनाया जाएगा। पहले दिन करीब 3 लाख लोगों के पहुंचने की संभावना 10 दिनों (07 से 17 सितंबर) तक चलने वाले गणेश उत्सव में पहले दिन करीब 3 लाख भक्तों के पहुंचने की संभावना है। वहीं भगवान गणेश के खास दिन बुधवार और रविवार को करीब 2 लाख भक्तों के लिए व्यवस्थाएं की गई है। अन्य दिनों में रोजाना करीब 1 लाख भक्तों के पहुंचने की संभावना है। ध्वजा पूजन से होगी शुरुआत, सवा लाख मोदक का भोग लगेगा 7 सितंबर को मंदिर प्रशासन और पं. अशोक भट्ट के साथ अन्य ब्राह्मणों द्वारा सुबह 9.30 बजे ध्वजा पूजन किया जाएगा। इस दौरान करीब 3 करोड़ रुपए की लागत से बने नए स्वर्ण मुकुट से भगवान गणेश का श्रृंगार किया जाएगा। यह स्वर्ण मुकुट भगवान के खजाने से साल में केवल दो बार मकर संक्रांति और गणेश चतुर्थी पर ही निकाला जाता है। इस दौरान गणेशजी को तिल-गुड़ के लड्डू के साथ सवा लाख मोदक का भोग भी लगाया जाएगा। इसके बाद इन्हें प्रसाद के रूप में बांटा जाएगा। भगवान गणेश का रोजाना अलग-अलग प्रकार के फूलों और मोतियों की माला से श्रृंगार किया जाएगा। हर दिन सुबह मंदिर का मनोहारी पुष्प श्रृंगार भी होगा। पहले दिन पुष्प बंगला सजेगा। इस दौरान रात की आरती के बाद हर दिन 11 हजार लड्डुओं का भोग लगेगा। गणेश चतुर्थी पर सवा लाख मोदक का भोग लगने के बाद अगले 9 दिनों तक भगवान को अलग-अलग लड्डुओं का भोग लगेगा। इनमें गोंद के लड्डू, अजवाइन-सोंठ के लड्डू, बेसन के लड्डू, मोतीचूर के लड्डू, उड़द के लड्डू, मूंग के लड्डू, चावल के लड्डू, बड़ी बूंदी के लड्डू, तिल्ली के लड्डू और ग्यारस के दिन फरियाली लड्डुओं का भोग लगाया जाएगा। सभी दिन 11-11 हजार लड्डूओं का भोग लगेगा। सुबह 5 बजे से रात 12 बजे तक होगें दर्शन पंडित अशोक भट्ट के मुताबिक गणेश चतुर्थी के पर्व पर रोजाना सुबह 5 बजे से रात 12 बजे तक मंदिर के पट खुले रहेंगे। इस दौरान प्रात: सुबह और रात को 8 बजे आरती होगी। 7 तारिख को चतुर्थी के दिन दोपहर 12 बजे भगवान के जन्म की आरती होगी। श्रद्धालुओं को दर्शन सुलभ सुचारु रूप से हो सकें, इसलिए जिगजैग व स्टेपिंग की व्यवस्था की गई है। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के लिए भगवान गणेश की दर्शन व्यवस्था को देखते हुए महाकाल मंदिर के तर्ज पर जिगजैग रेलिंग लगाई गई। बारिश के संभावना को देखते हुए रेलिंग को शेड से कवर किया गया है। जिगजैग रेलिंग में एक बार में करीब 5 हजार लोग खड़े हो सकेंगे। इससे फायदा यह होगा कि पांच कतारें एक साथ चलेंगी। गर्भगृह के ठीक सामने 5 स्टैप लगाई गई हैं, जिसमें एक बार में करीब 200 भक्त आसानी से दर्शन पा सकेंगे। मंदिर में प्रवेश और दर्शन में करीब 20 मिनट का समय लगेगा।
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5 September 2024हिंदू धर्म में भगवान शिव प्रमुख देवताओं में से एक माने जाते हैं. ऐसे कई भक्त हैं जो भगवान शिव की पूजा में लीन रहते हैं. भक्तों के लिए भगवान शिव काफी पूजनीय माने गए हैं. ऐसे में अधिकतर लोग भगवान शिव के मंदिर और बड़े-बड़े शिवालयों का दर्शन करने जाते हैं. अगर आप भी भारत में मौजूद भगवान शिव के विशाल प्रतिमाओं का दर्शन करना चाहते हैं, तो यह खबर आपके लिए है. आज हम आपको उन सभी जगह के बारे में बताएंगे, जहां पर भगवान शिव की बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं मौजूद है. आइए जानते हैं उन जगहों के बारे में. ॉ भगवान शिव की बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं अगर आप भी दुनिया भर में मौजूद विशाल शिव प्रतिमाओं का दर्शन करना चाहते हैं, तो भारत के राजस्थान राज्य के नाथद्वारा में 'विश्वास स्वरूपम' दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमाओं में से एक है. इस प्रतिमा का दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं. जानकारी के मुताबिक यह प्रतिमा 369 फीट ऊंची और 51 बीघा की पहाड़ी पर मौजूद है. आदियोगी शिव प्रतिमा इसके अलावा तमिलनाडु के कोयंबटूर में स्थित आदियोगी शिव प्रतिमा सभी विशाल शिव प्रतिमाओं में से एक है. जानकारी के मुताबिक इस सतगुरु जग्गी वासुदेव ने डिजाइन किया है और इसकी ऊंचाई 112 फिट है. यही नहीं कुछ लोगों का मानना है कि यह प्रतिमा स्टील की बनाई हुई है. आदियोगी कि इस शिव प्रतिमा का दर्शन करने लोग दूर-दूर से यहां आते हैं. कर्नाटक में विशाल शिव प्रतिमा दुनिया भर की विशाल शिव प्रतिमाओं में से एक शिव प्रतिमा कर्नाटक के मुरुंदेश्वर क्षेत्र में बनी हुई है. इस शिव प्रतिमा की ऊंचाई 123 फिट है. यह प्रतिमा कंडुक गिरी पर्वत पर बनी हुई है. यही नहीं अरब सागर के तट पर बनी यह शिव प्रतिमा वाकई में देखने लायक है. यहां विदेश से भी लोग भगवान के दर्शन करने आते हैं. हर की पौड़ी पर शिव प्रतिमा उत्तराखंड के हरिद्वार में हर की पौड़ी पर स्थित एक विशाल शिव प्रतिमा बनी हुई है. यह प्रतिमा खड़ी मुद्रा में है, जिसकी ऊंचाई 100 फीट के करीब है. गंगा किनारे पर बनी इस शिव प्रतिमा का दर्शन करने यहां कई भक्त रोजाना आते हैं. गुजरात में मौजुद है शिव प्रतिमा इसके अलावा भारत के गुजरात राज्य के वडोदरा शहर में 111 फीट ऊंचाई पर बनी शिव प्रतिमा पर सोने का लेप चढ़ाया गया है. जानकारी के मुताबिक यह एक खूबसूरत शिव प्रतिमा है, जिसे बनाने में 12 करोड़ के लगभग पैसे लगे हैं. भारत में मौजूद इन सभी विशाल प्रतिमाओं का दर्शन आप कर सकते हैं.
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4 September 2024गणेश चतुर्थी का पर्व आने वाला है, लेकिन उससे पहले 4 सितंबर यानि बुधवार को भी गणेश जी का आशीर्वाद पाने का शुभ संयोग बना है. विशेष बात ये है कि इसी दिन बुध ग्रह का राशि परिवर्तन यानि गोचर सिंह राशि में हो रहा है. हिंदू धर्म में हर दिन किसी न किसी देवी- देवता को समर्पित किया गया है. ज्योतिष अनुसार बुधवार का दिन भगवान गणेश का दिन माना जाता है. बुधवार का दिन बुद्धि प्राप्ति का दिन होता है. सनातन धर्म मे ऐसी मान्यता है कि किसी भी शुभ काम की शुरुआत गणेश जी की पूजा से ही करनी चाहिए. गणेश जी को बुध ग्रह का कारक देव माना गया है, इसलिए बुधवार को भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है. बुधवार के दिन भगवान गणेश जी की पूजा करने से व्यक्ति को गणपति का आशीर्वाद मिलता है और इससे कुंडली में बुध की स्थिति भी मजबूत होती है. पुराणों में माना गया है कि गणेशजी की पूजा शनि ग्रह दोष को दूर करने में और शत्रुओं से बचाव के लिए भी लाभदायक होती है. इसीलिए गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. बुधवार के दिन ही गणेश जी की पूजा क्यों की जाती है? पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने जब भगवान गणेश का निर्माण किया था तो वह बुधवार का दिन था. उस समय कैलाश पर्वत पर बुध देव भी वहां उपस्थित थे, इसलिए बुधवार के दिन को भगवान गणेश की पूजा करने का नियम बन गया। एक दूसरी मान्यता यह भी है कि जब भगवान शिव त्रिपुरासुर का वध करने में विफल हो गए थे, तो उनकी परास्त का कारण यह माना गया कि भगवान शिव ने गणेश जी की पूजा किए बिना ही लड़ाई शुरू कर दी थी. तब पूरे विधि विधान के अनुसार गणेश जी की पूजा की गई और उन्हें लड्डुओं का भोग लगाया गया. इसके बाद जब युद्ध हुआ तो त्रिपुरासुर की हार हुई. यही वजह है कि हर काम से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है, ताकि कार्य में किसी प्रकार का विघ्न न आए. बुधवार के दिन इन उपायों से बनते हैं बिगड़े काम बुधवार को गणेश जी की उपासना करने से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं. इस दिन मंदिर में जाकर या घर पर गणपति विराजमान करने के बाद उन्हें सिंदूर अर्पित करना चाहिए और मोदक का भोग भी लगाना चाहिए . बुधवार के दिन गणेश स्तोत्र का 11 बार पाठ करने से जातक के परिवार में सुख शांति बनी रहती है. इस दिन घर से निकलते समय सिंदूर का तिलक लगाने से नौकरी व व्यवसाय में सफलता मिल सकती है. कार्यक्षेत्र में आ रही परेशानियों को दूर करने के लिए गणेश रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए. बुधवार के दिन गणेश जी को घी और गुड़ का भोग लगाएं और गाय को खिला दे। ये उपाय करने से धन संबंधित समस्याओं से मुक्ति मिलती है. भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बुधवार के दिन उन्हें 21 दूर्वा चढ़ाएं. इस दिन गणेश चालीसा का पाठ करने से मनुष्य के भाग्य में बढ़ोतरी होती है.
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4 September 2024नाक का काम यूं तो स्मेल करना, सांस लेना, सांस छोड़ना है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि छोटी सी नाक हमें कई तरह के संकेत देती है, जिन्हें हमें नजर अंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि नाक में कई ऐसी बीमारियां छुपी होती हैं. ये आगे जाकर कई गंभीर रोगों को जन्म दे सकती हैं. ऐसे में अगर आपकी नाक पर इनमें से कुछ भी चीजें नजर आती है, तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए और अपना टेस्ट करना चाहिए, क्योंकि यह गंभीर बीमारियों की ओर इशारा करता है. एक्ने वुल्गैरिस एक्ने वुल्गैरिस सबसे कॉमन एक्ने प्रॉब्लम में से एक होती हैं, जो सबसे पहले नाक को ही प्रभावित करती हैं. इसमें स्किन पोर्स बंद हो जाते हैं, शुरुआत में यह ब्लैकहेड्स होते हैं, उसके बाद बड़ी-बड़ी गांठ में कन्वर्ट हो जाते हैं, इससे संक्रमण, सूजन और यहां तक की मवाद भी भर जाता है, जिससे त्वचा में घाव हो सकते हैं. एक्ने रोसैसिया एक्ने रोसैसिया एक सूजन वाली स्किन डिजीज है, जिसमें त्वचा पर लाल रंग के उभार बन जाते हैं. इससे राइनोफिमा भी हो सकता है, यह वह स्थित है जब नाक की स्किन बढ़ने लगती है और मोटी हो जाती है और इसमें बहुत ज्यादा दर्द होता है. सारकॉइडोसिस सारकॉइडोसिस को भेड़िया की नाक के रूप में भी जाना जाता है. इसमें नाक में सूजन वाली बीमारी हो जाती है और यह फेफड़ों और लिम्फ नोड्स सहित शरीर के किसी भी ऊतक को प्रभावित कर सकती है. इस स्थिति में नाक, कान, उंगलियों, पैरों की उंगली पर नीले और बैगनी रंग के धब्बे नजर आने लगते हैं. नाक पर सारकॉइडोसिस को ल्यूपस पेर्नियो कहा जाता है. ट्राइजेमिनल ट्रॉफिक सिंड्रोम ट्राइजेमिनल ट्रॉफिक सिंड्रोम यानी कि TTS एक ऐसी बीमारी है, जो ट्राइजेमिनल तंत्रिका को नुकसान पहुंचा सकती है. इसमें नाक के आसपास अल्सर हो सकते हैं, जो बिना सूजन के होते हैं. इसके अलावा एनेस्थीसिया और पैरेस्थीसिया जैसे लक्षण भी नजर आते हैं.
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4 September 2024फिल्मों में जब आप देश की सीमा पर सैनिकों को तैनात देखते हैं, तो ज्यादातर आपको भारतीय सेना यानी इंडियन आर्मी के जवान दिखाई देते हैं. लेकिन देश की सीमा पर इंडियन आर्मी की तैनाती नहीं होती. बल्कि, उनकी तैनाती सीमा से थोड़ी दूरी पर होती है. चलिए आज आपको इस आर्टिकल में बताते हैं कि देश की अलग-अलग सीमाओं पर किन-किन फौजों की तैनाती होती है. भारत-चीन सीमा पर किसकी तैनाती होती है भारत-चीन सीमा पर, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के जवानों की तैनाती होती है. ITBP के जवानों का काम मुख्य रूप से भारत-चीन सीमा की सुरक्षा करना होता है. यह फोर्स सबसे टफ मानी जाती है, इसीलिए हिमालयी क्षेत्रों में तैनात रहती है और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में मुस्तैदी से काम करती है. ITBP की स्थापना 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद हुआ था. ITBP के जवानों की तैनाती खासतौर से लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम में होती है. इन जगहों पर भारत की सीमा चीन से लगती है. भारत-पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमा पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगी भारतीय सीमा की सुरक्षा बीएसएफ करती है. इसकी स्थापना 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद किया गया था. मौजूदा समय में BSF के जवानों की तैनाती जम्मू और कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा, मिजोरम, और मेघालय में है. इन जगहों पर भारत की सीमा पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगती है. BSF के जवानों का काम होता है पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगी सीमा पर घुसपैठ को रोकना, सीमा पार से होने वाली आतंकी गतिविधियों को रोकना और सीमा पर शांति व्यवस्था बनाए रखना है. म्यांमार सीमा पर इस फोर्स की तैनाती होती है भारत म्यांमार सीमा पर असम राइफल तैनात रहती है. यह फोर्स भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में उन जगहों पर सुरक्षा बनाए रखने के लिए तैनात है जहां भारत की सीमा म्यांमार से लगती है. आपको बता दें, असम राइफल्स (Assam Rifles) भारतीय अर्धसैनिक बलों में सबसे पुरानी पैरामिलिट्री फोर्स है. इसका इतिहास 1835 तक जाता है. दरअसल, उस वक्त ब्रिटिश सरकार ने भारत के उत्तर-पूर्वी सीमा क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए असम राइफल्स की स्थापना की थी. हालांकि, उस वक्त इस फौज को मूल रूप से "Cachar Levy" के नाम से जाना जाता था.
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3 September 2024अंतरिक्ष को रहस्यों से भरी दुनिया कहा जाता है. लेकिन आज तकनीक और वैज्ञानिकों के कारण स्पेस और चांद तक इंसान पहुंच चुका है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अब स्पेस में आम इंसान भी जा रहे हैं. जी हां, आज हम आपको बताएंगे कि भारत का वो पहला शख्स कौन है, जो अपने खर्च पर स्पेस टूरिस्ट की तरह स्पेस में गया था. स्पेस टूरिस्ट बता दें कि अमेजन के फाउंडर और स्पेस टूर कराने वाली कंपनी ब्लू ओरिजिन के मालिक जेफ बेजोस हैं. इनकी कंपनी ब्लू ओरिजिन आम इंसानों को स्पेस टूर कराती है. अब सवाल है कि भारत के पहले स्पेस टूरिस्ट कौन हैं? बता दें कि गोपीचंद थोटाकुरा खुद के खर्च पर अंतरिक्ष जाने वाले पहले स्पेस टूरिस्ट हैं. उन्होंने ब्लू ओरिजिन की NS-25 स्पेसफ्लाइट में स्पेस का सफर किया है. जानकारी के मुताबिक अभी हाल ही में वो भारत लौटे हैं. जानकारी के मुताबिक थोटाकुरा ब्लू ओरिजिन के न्यू शेपर्ड-25 (NS-25) मिशन की क्रू टीम का हिस्सा थे, जो स्पेस टूरिज्म के तहत अंतरिक्ष के सफर पर गया था. गोपीचंद थोटाकुरा की अंतरिक्ष यात्रा एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जिससे वे पृथ्वी के वायुमंडल से परे यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय नागरिक बन गए हैं. इससे पहले विंग कमांडर राकेश शर्मा थे, जो इंडियन एयर फोर्स के पूर्व पायलट थे. उन्होंने 1984 में अंतरिक्ष में कदम रखा था. थोटाकुरा की यह यात्रा भविष्य के स्पेस टूरिज्म की संभावनाओं को बढ़ा रहा है. कौन हैं थोटाकुरा एंटरप्रेन्योर और पायलट गोपीचंद थोटाकुरा एक बिजनेसमैन और उत्साही ट्रैवलर थोटाकुरा हैं, उन्होंने एम्ब्री-रिडल एयरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है. बता दें कि 19 मई 2024 को एक टूरिस्ट के तौर पर ब्लू ओरिजिन के न्यू शेपर्ड-25 मिशन के तहत अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी थी. कुछ देर स्पेस में रहने के बाद मिशन सुरक्षित रूप से वापस पृथ्वी पर आ गया था. ब्लू ओरिजिन कंपनी बता दें कि ब्लू ओरिजिन कंपनी स्पेस टूरिज्म को बढ़ावा दे रही है, ये कंपनी आम इंसानों को स्पेस की सैर करने का मौका देती है. गौरतलब है कि ब्लू ओरिजिन एक प्राइवेट एयरोस्पेस कंपनी है. इसके मालिक मशहूर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस हैं. उन्होंने 2000 में इस कंपनी को बनाया था. यह कंपनी न्यू शेपर्ड रॉकेट के जरिए लोगों को अंतरिक्ष का सफर करने की सर्विस देती है. ब्लू ओरिजिन ने 20 जुलाई 2021 को न्यू शेपर्ड से पहली बार इंसानों को अंतरिक्ष में सफर कराया था. इस मिशन का नाम ब्लू ओरिजिन NS-16 था, जिसके तहत चार लोग स्पेस गए थे. इनमें खुद जेफ बेजोस के अलावा मार्क बेजोस, वैली फंक और ओलिवर डेमन शामिल थे स्पेस जाने का किराया? ब्लू ओरिजिन ने अभी तक आधिकारिक रूप से यह नहीं बताया है कि वह सबऑर्बिटल मिशन में एक सीट के लिए कितना किराया लेती है. जानकारी के मुताबिक सीट बुक करने के लिए इसकी ऑफिशियल वेबसाइट पर संपर्क किया जा सकता है.
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3 September 2024हिमाचल प्रदेश में लड़कियों की शादी की उम्र अब 21 साल कर दी गई है. ये बिव विधानसभा में पास हो गया है और अब इसे राज्यपाल के पास भेजा गया है. यदि राज्यपाल के पास इस बिल को मंजूरी मिल जाती है तो हिमाचल प्रदेश में लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल हो जाएगी. हालांकि फिलहाल पूरे देश में लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल और लड़कों की शादी की उम्र 21 साल है. अलग-अलग देशों में लड़कों और लड़कियों की शादी की उम्र अलग-अलग तय की गई है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर किस देश में शादी की उम्र क्या है? चलिए जान लेते हैं. पाकिस्तान पाकिस्तान में भी शादी की न्यूनतम कानूनी उम्र लड़कियों के लिए 16 साल है, लेकिन लड़कों के लिए ये 21 साल तय की गई है. हालांकि, सामाजिक और कानूनी तौर पर यह मान्यता प्राप्त है कि 21 साल की उम्र में शादी करना एक समझदार निर्णय के रूप में देखा जाता है. पाकिस्तान में विवाह की उम्र को लेकर सामाजिक और धार्मिक मान्यताएं भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और 21 साल की उम्र में शादी करना अक्सर एक आदर्श मानक माना जाता है. बांग्लादेश बांग्लादेश में कानूनी तौर पर लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 साल है, लेकिन 21 साल की उम्र में शादी करने की स्वतंत्रता भी प्राप्त होती है. इस उम्र में शादी करना लड़कियों को एक बड़ी जिम्मेदारी और जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों के लिए अधिक परिपक्वता का संकेत देता है. बांग्लादेश में विवाह की उम्र को लेकर कई सामाजिक और पारंपरिक दृष्टिकोण हैं और 21 साल की उम्र अक्सर एक सुरक्षित और समझदारी भरा निर्णय माना जाता है. मलेशिया मलेशिया में शादी की न्यूनतम कानूनी उम्र लड़कियों के लिए 16 साल है, लेकिन 21 साल की उम्र में शादी करना अधिक सामान्य और पसंदीदा विकल्प माना जाता है. मलेशिया में विवाह की उम्र को लेकर धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं जरुरी होती हैं, और 21 साल की उम्र में शादी करने से युवाओं को जीवन के फैसलों में अधिक समझदारी और परिपक्वता प्राप्त होती है. थाईलैंड थाईलैंड में कानूनी तौर पर लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 17 साल है, लेकिन वहां 21 साल की उम्र में शादी करने का चलन काफी सामान्य है. यहां के लोग मानते हैं कि 21 साल की उम्र में शादी करने से व्यक्ति जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए ज्यादा अच्छेसे तैयार होता है. थाईलैंड में सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से 21 साल की उम्र में शादी को एक उचित और परिपक्व विकल्प माना जाता है. फिलीपींस फिलीपींस में विवाह की कानूनी उम्र लड़कियों के लिए 18 साल है, लेकिन इस देश में भी 21 साल की उम्र में शादी करना एक आदर्श माना जाता है. ये उम्र युवाओं को जीवन की जिम्मेदारियों को समझने और उन्हें पूरी तरह से निभाने के लिए अधिक जिम्मेदारी देती है. यहां पर विवाह के लिए 21 साल की उम्र को लेकर भी सामाजिक और पारंपरिक दृष्टिकोण सकारात्मक होते हैं. श्रीलंका श्रीलंका में कानूनी विवाह की उम्र लड़कियों के लिए 18 साल है. हालांकि इस देश में भी 21 साल की उम्र में शादी करना सामान्य समझा जाता है. ये उम्र युवाओं को मानसिक और भावनात्मक परिपक्वता प्रदान करती है, जिससे वे शादी के निर्णय को पूरी समझदारी के साथ ले सकते हैं. श्रीलंका में शादी की उम्र को लेकर सामाजिक और सांस्कृतिक मान्यताएं भी जरुरी होती हैं.
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3 September 2024श्रवण- भादो में कल दो सितंबर को बाबा महाकाल की शाही सवारी निकलेगी. शाही सवारी में भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेने श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या उमड़ेगी. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कल उज्जैन आ सकते हैं. महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने मिनट टू मिनट कार्यक्रम की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि भाद्रपद माह की दूसरी और अंतिम सवारी दो सितम्बर को शाही ठाठ-बाट के साथ निकलेगी. भक्तों को बाबा महाकाल सात अलग-अलग रूपों में दर्शन देंगे. श्री गणेश कुमार धाकड़ के मुताबिक रजत पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा-महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद, श्री घटाटोप मुखोटा स्वरूप और सप्तम सवारी में श्री सप्तधान का मुखारविंद शामिल रहेगा. कल महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर की पूजा अर्चना होगी. पूजा के बाद रजत पालकी में सवार होकर भगवान महाकाल प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलेंगे. उन्होंने बताया कि मंदिर के मुख्य द्वार पर पालकी में विराजित भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर को सशस्त्र सलामी दी जाएगी. कल निकलेगी बाबा महाकाल की शाही सवारी श्री चन्द्रमोलेश्वर की पालकी निर्धारित समय शाम 4 बजे शुरू होकर कोट मोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्षीबाजार चौराहा, कहार वाड़ी, हरसिद्धीपाल से रामघाट पहुंचेगी. गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि भगवान महाकाल की पालकी का द्वारकाधीश गोपाल मंदिर पर सिंधिया परिवार हर साल पूजन करता है. पालकी के गोपाल मंदिर पहुंचने पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पूजन करेंगे. उसके बाद शाही सवारी पटनी बाज़ार, गुदरी चौराहा, कोट मोहल्ला, महाकाल चौराहा होते हुए मंदिर परिसर में पहुंचेगी. महाकालेश्वर भगवान की प्रमुख सवारी के चल समारोह में सबसे आगे मंदिर का प्रचार वाहन चलेगा. प्रचार वाहन के पीछे यातायात पुलिस, तोपची, भगवान महाकालेश्वर का रजत ध्वज, घुड़सवार, विशेष सशस्त्र बल, सलामी गार्ड, स्काउट गाइड सदस्य, कांग्रेस सेवा दल, सेवा समिति बैंड, विभिन्न शहरों की 70 भजन मंडलियां चल समारोह में प्रभु का गुणगान करते हुए चलेंगी. उसके बाद साधु-संत और आम लोग, पुलिस बैंड, नगर सेना सलामी गार्ड की टुकड़ी, श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी और पुरोहितगण शाही सवारी के साथ रहेंगे.
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2 September 2024'लैंसेट ग्लोबल हेल्थ' के मुताबिक भारतीयों के शरीर में कई सारे पोषक तत्वों की कमी है. खासकर आयरन, कैल्शियम और फोलेट की सबसे ज्यादा कमी है. इस रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया है कि यह कमी हर उम्र के लोगों में देखी गई है. यह रिसर्च दुनिया के 185 देशों में किया गया है. इसमें पाया कि 15 ऐसे पोषक तत्व हैं जो लोगों के शरीर में कम मात्रा में है. पूरी दुनिया में 70 प्रतिशत लोग आयोनडिन नहीं खाते हैं यह रिसर्च डाइट संबंधी चार्ट पर आधारित है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी यूएसए के रिसर्चर की एक इंटरनेशनल टीम ने कहा है कि यह रिसर्च से ऐसे संकेत मिले हैं कि वैश्विक आबादी का लगभग 70 प्रतिशत जो कि पांच अरब से अधिक लोगों के बराबर है. यह लोग आयोडीन, विटामिन ई और कैल्शियम बिल्कुल भी नहीं खाते हैं. रिसर्च में यह भी पाया कि एक ही देश और आयु वर्ग में, पुरुषों की तुलना में महिलाओं का एक बड़ा हिस्सा आयोडीन, विटामिन बी12 और आयरन सही मात्रा में नहीं ले रही हैं. वहीं महिलाओं की तुलना में अधिक पुरुष मैग्नीशियम, विटामिन बी6, जिंक और विटामिन सी की अपर्याप्त मात्रा में खाते हैं. भारत की स्थिति भारतीयों यह देखा गया कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की एक बड़ी संख्या में आयोडीन की कमी पाई गई है . जबकि महिलाओं की तुलना में पुरुषों की एक बड़ी संख्या में जिंक और मैग्नीशियम का अपर्याप्त लेवल था. 10-30 साल की कमी रिसर्च में पाया गया कि 10-30 साल की आयु के व्यक्ति खासकर साउथ एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में कम कैल्शियम सेवन के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं. लेखकों का सुझाव है कि ये निष्कर्ष सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों को उन आबादी की पहचान करने में मदद कर सकते हैं जिन्हें आहार हस्तक्षेप की आवश्यकता है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि चूंकि अध्ययन में फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों या सप्लीमेंट्स की खपत पर विचार नहीं किया गया था, इसलिए परिणाम कुछ प्रमुख पोषक तत्वों की कमी को बढ़ा-चढ़ाकर बता सकते हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ और सप्लीमेंट्स का आमतौर पर सेवन किया जाता है. वैज्ञानिक ने देखा कि ये कमियां चावल और गेहूं जैसे मुख्य अनाजों के आहार में निहित हैं, जिनमें इन महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी है. उन्होंने कहा कि इन पोषक तत्वों की ऑर्गेनिक या अवशोषण, अक्सर फाइटेट्स और ऑक्सालेट द्वारा कम हो जाता है, जो आमतौर पर भारत में प्रचलित शाकाहारी आहार में पाए जाते हैं.
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2 September 2024पेरिस पैरालंपिक में भारत को 8वां मेडल मिल गया है. योगेश कथुनिया ने डिस्कस थ्रो में सिल्वर मेडल जीता. उन्होंने मेन्स डिस्कस थ्रो F56 इवेंट में सिल्वर मेडल अपने नाम किया. योगेश कथुनिया का पहला थ्रो 42.22 मीटर का फेंका. इसके बाद दूसरा, तीसरा, चौथा और पांचवां क्रमश 41.50 मीटर, 41.55 मीटर, 40.33 मीटर और 40.89 मीटर का रहा. बहरहाल, इस तरह भारत को 8वां मेडल मिला. वहीं, इस वक्त भारत मेडल टेली में 30वें नंबर पर काबिज है. अब तक भारतीय खिलाड़ियों ने 1 गोल्ड मेडल के अलावा 3 सिल्वर मेडल और 4 ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं. योगेश कथुनिया ने लगातार दूसरे पैरालंपिक में जीता सिल्वर मेडल आज पेरिस पैरालंपिक गेम्स के पांचवें दिन योगेश कथुनिया ने सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया. दरअसल, योगेश कथुनिया ने इससे पहले टोक्यो ओलंपिक 2020 में सिल्वर मेडल अपने नाम किया था. इस तरह उन्होंने लगातार दूसरे पैरालंपिक गेम्स में सिल्वर मेडल जीतकर बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है. अब भारत के पदकों की संख्या 8 हो गई है. भारतीय शूटर अवनि लेखरा ने R2 वीमेंस 10 मीटर एयर राइफल (SH1) में गोल्ड मेडल जीता था. इसके बाद मोना अग्रवाल ने इस इवेंट का ब्रॉन्ज मेडल जीता. अब तक पेरिस पैरालंपिक में इन भारतीय खिलाड़ियों ने जीते हैं मेडल... अवनि लेखरा और मोना अग्रवाल के बाद प्रीति पाल ने भारत को तीसरा मेडल दिलाया. मोना अग्रवाल ने वीमेंस 100 मीटर रेस (T35) ने मेडल जीता. वहीं, भारत की झोली में चौथा मेडल मनीष नरवाल ने डाला. मनीष नरवाल ने 10 मीटर एयर पिस्टल (SH1) में सिल्वर मेडल हासिल किया. जबकि रूबनी फ्रांसिस ने पांचवां, प्रीती पाल ने छठा, निषाद कुमार ने सातवां और योगेश कथुनिया ने आठवां मेडल जीता
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2 September 2024जन्माष्टमी के बाद राधा अष्टमी का त्योहार बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. कहते हैं राधा के बिना श्याम की पूजा सफल नहीं होती. हिन्दू धर्म में राधा-कृष्ण की उपासना का विशेष महत्व है. ऐसे में राधा अष्टमी के शुभ अवसर पर राधा रानी का पूजन करने से वैवाहिकी जीवन में सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. साथ ही मनचाहा जीवनसाथी मिलता है. 2024 में राधा अष्टमी कब है, सही तारीख और पूजा मुहूर्त यहां जानें. राधा अष्टमी 2024 डेट जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधा जी का जन्मदिन मनाया जाता है. इस साल राधा अष्टमी 11 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी. मथुरा, वृंदावन, बरसाना और नंदगांव में राधा अष्टमी की खास रौनक रहती है. राधा अष्टमी 2024 मुहूर्त पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी 10 सितंबर 2024 को रात 11 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 11 सितंबर 2024 को रात 11 बजकर 26 मिनट पर होगा. इस दिन राधा जी की पूजा सुबह 11.03 से दोपहर 01.32 मिनट के बीच करना शुभ फलदायी होगा. पूजा के लिए साधक को 2 घंटे 29 मिनट का समय मिलेगा. राधा रानी की पूजा से मिलते अनेक सुख धार्मिक मान्यता है कि जिन लोगों ने जन्माष्टमी पर व्रत-पूजन किया है उन्हें राधा अष्टमी पर राधा रानी की पूजा अवश्य करनी चाहिए. इसके बिना कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा का फल नहीं मिलता. कहा जाता है कि राधा जी प्रेम और भक्ति का प्रतीक हैं. इनकी उपासना से जीवन में स्थिरता, प्रेम, रिश्तों में मिठास बढ़ती है. राधाष्टमी पूजा विधि राधा अष्टमी के दिन पर सुबह-सवेरे उठकर स्नानादि करके निवृत्त हो जाएं. इस दिन राधा जी और भगवान कृष्ण की पूजा करें. पूरे दिन व्रत करना चाहिए और सिर्फ एक समय फलाहार करना चाहिए. राधा अष्टमी पर पूजन के लिए पांच रंग के चूर्ण से मंडप का निर्माण करें और इस मंडप के भीतर षोडश दल के आकार का कमल यंत्र बनाएं. अब इस कमल के बीचों बीच सुन्दर आसन पर श्री राधा-कृष्ण की युगल मूर्ति को स्थापित करें. राधा-कृष्ण जी की प्रतिमा को पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और गंगा जल) से स्नान कराएं और फिर मूर्ति का श्रृंगार करें. भोग धूप, दीप, फूल आदि अर्पित करें. फिर आरती करें और राधा चालीसा का पाठ करें.
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28 August 2024दुनिया में कई ऐसी बीमारियां हैं जो इंसान के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं. इन बीमारियों के कारण जान भी जा सकती है. इनका कोई इलाज उपलब्ध नहीं है. ये बीमारियां जिसे हो जाएं, उसे जीते जी ही मार डालती है. ये इतनी खतरनाक होती हैं कि इंसान खुद ही मौत मांगने लगता है. वह जीना ही नहीं चाहता है. इनमें से ज्यादातर का तो नाम ही बहुत ही कम लोगों ने सुना है. आइए जानते हैं दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारियों के बारे में... 1. मोटर न्यूरॉन यह एक बेहद गंभीर औकघातक बीमारी है. इसमें मरीज की मांसपेशिया बर्बाद हो जाती हैं. शरीर के कई अंग काम करना बंद कर देते हैं. खाना निगलने से लेकर सांस लेने तक में दिक्कतें होने लगती हैं. एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस बीमारी का शिकार बनने वाले सिर्फ 5 परसेंट लोग ही जिंदा बच पाते हैं. 2. स्टोनमैन सिंड्रोम स्टोनमैन सिंड्रोम या मुंचमेयर बीमारी, जिसे फाइब्रोडिस्प्लासिया ऑसिफिकन्स प्रोग्रेसिवा (FOP) भी कहते हैं. यह एक रेयर बीमारी है, जिसका कोई इलाज नहीं है. इस बीमारी में मरीज की हड्डी टूट जाती है और फिर जुड़ नहीं पाती है. कई बार तो हड्डी टूटने के बाद दूसरी जगह जुड़ जाती है, जो बेहद दर्दनाक स्थिती होती है. इसका इलाज अभी ढूंढा जा रहा है. 3. एक्सरोडरमा पिग्मेंटोसम स्किन से जुड़ी ये बीमारी बेहद दुर्लभ और घातक है. इसमें मरीज को सूरज की रोशनी से ही एलर्जी होती है. अगर उसकी स्किन पर जरा सी भी धूप पड़ जाए तो खुजली और जलन होने लगती है. इससे कई बार छाले भी पड़ जाते हैं. इसका कोई इलाज नहीं है. 4. चगास बीमारी चगास बीमारी को अमेरिकन ट्रिपैनोसोमियासिस भी कहते हैं. एक परजीवी बीमारी है, जो ट्रिपैनोसोमा क्रूजी की वजह से होती है. इसमें इंसान सोते समय 'किसिंग बग' की चपेट में आ जाता है,जिससे मुंह के पास गंभीर घाव हो जाता है. इसमें तंत्रिका तंत्र भी बुरी तरह प्रभावित होती है. इसकी वजह से ब्लड सर्कुलेशन सही तरह नहीं हो पाता है. इससे कई अन्य समस्याएं भी हो सकती है। यह एक लाइलाज बीमारी है, हालांकि, अगर शुरुआत में इसका पता चल जाए तो कुछ दवाईयों से जान बच सकती है. 5. एपीडर्मोडीस्प्लासिया वेरूसीफॉर्मिस यह एक दुर्लभ आनुवांशिकी बीमारी है. इस बीमारी को ट्री मैन सिंड्रोम नाम से भी जानते हैं. इसमें इंसानों में पेड़ों की छाल की तरह संचरना निकलने लगती है. खासकर हाथ और पैर में इसका असर ज्यादा देखने को मिलता है. इस बीमारी से दुनिया में कुछ लोग ही पीड़िता होते हैं लेकिन ये जीते जी मार डालती है. हालांकि, सर्जरी से इस संचरना को हटाकर चलने लायक बनाया जा सकता है.
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28 August 2024दुनिया भर के अलग-अलग देश में अलग-अलग तरह की मान्यताएं हैं. इंसान जाति और धर्म पर आधारित त्योहारों को मानता है और उनके अपने-अपने कैलेंडर भी होते हैं. सारे कैलेंडर में 12 महीने ही होते हैं, लेकिन हमारी धरती पर एक ऐसा देश है जहां पर 12 नहीं बल्कि कुल 13 महीने होते हैं. सोच में पड़ गए न आप... 13 महीने होने की वजह से यह देश पूरी दुनिया से 7 साल पीछे चल रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह देश अफ्रीका में है, जिसका नाम है इथियोपिया. इस देश में एक साल में 13 महीने होते हैं और 13वें महीने में कुल मिलाकर 5 दिन होते हैं. यहां पर एक हफ्ते में मात्र 5 दिन होते हैं. यही नहीं लीप ईयर के साल इथियोपिया के कैलेंडर में 6 दिन होते हैं. इससे भी बड़ी बात जानकर आपको हैरानी होगी कि हम सब 2024 का नया साल मना चुके हैं, लेकिन इथियोपिया में अब तक 2024 का नया साल नहीं आया है. यहां के लोग 11 सितंबर 2024 को नया साल मनाएंगे. कौन सा कैलेंडर फॉलो करता है ये देश दुनिया भर में ज्यादातर देश वेस्टर्न ग्रेगोरियन कैलेंडर को मानते हैं, लेकिन कुछ ऐसे हैं जो पुराने कैलेंडर को मानते हैं, लेकिन इन सब के बावजूद भी सभी कैलेंडर में मात्र 12 महीने ही होते हैं. इन सब से हटकर इथियोपिया आज भी उस कैलेंडर को फॉलो करता है जो रोमन चर्च ने 525 एडी में बनाया था. यही कारण है कि इस देश की नई सदी की शुरुआत 11 सितंबर 2007 से हुई थी. कभी नहीं हुआ गुलाम इथियोपिया एक ऐसा अफ्रीकी देश है, जो कभी भी ब्रिटेन का गुलाम नहीं बना. हालांकि, इस पर इटली का कब्जा हुआ करता था, लेकिन कब्जे के 6 साल बाद ही वे लोग भी वापस चले गए. उपलब्ध आंकड़ों की बात करें तो इस देश में कॉफी की उत्पत्ति हुई थी. सोशल मीडिया पर जब इसका वीडियो वायरल हुआ तो लोगों ने जमकर पोस्ट को शेयर किया. अब जब की इथियोपिया में 13 महीनों का साल होता है तो इन महीनों के नाम भी जान लेते हैं. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार महीनों के नाम जनवरी, फरवरी, मार्च आदि होते हैं, लेकिन इथियोपिया के कैलेंडर यानी कि गीज कैलेंडर के अनुसार महीनों के नाम बहुत अलग है. इथियोपिया के कैलेंडर के अनुसार महीनों के नाम मेस्केरम (Meskerem) टिकिम्त (Tikimt) हिदार (Hidar) तहसास (Tahsas) तिर (Tir) याकातित (Yakatit) मग्गाबित (Maggabit) मियाजिया (Miyaziya) गिनबोत (Ginbot) सेंसे (Sene) हामले (Hamle) नेहासा (Nehasa) पागुमे (Pagume)
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28 August 2024जन्माष्टमी के चार दिन बाद यानि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि का विशेष महत्व है, इस दिन बछ बारस का त्योहार मनाया जाता है. बछ बारस 30 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा. इस दिन गौमाता की बछड़े सहित पूजा की जाती है. माताएं अपने पुत्रों को तिलक लगाकर तलाई फोड़ने के बाद लड्डू का प्रसाद देती है यानि पुत्रवान महिलाये अपने संतान की मंगल कामना के लिए व्रत रखती है और पूजा करती है. कैसे की जाती बछ बारस की पूजा ? इस दिन गेंहू से बने हुए पकवान और चाकू से कटी हुई सब्जी नही खाये जाते हैं. बाजरे या ज्वार का सोगरा और अंकुरित अनाज की कढ़ी व सूखी सब्जी बनाई जाती है. महिलाओं द्वारा सुबह गौमाता की विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद घरों या सामूहिक रूप से बनी मिट्टी व गोबर से बनी तलैया को अच्छी तरह सजाकर उसमें कच्चा दूध और पानी भरकर उसकी कुमकुम, मौली, धूप दीप प्रज्वलित कर पूजा करते हैं और बछबारस की कहानी सुनी जाती है. क्यों मनाई जाती है बछ बारस ? बछ बारस हर साल जन्माष्टमी के चार दिन पश्चात भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की द्वादशी के दिन 30 अगस्त को मनाया जाता है इसलिए इस गोवत्स द्वादशी भी कहते है. भगवान कृष्ण के गाय और बछड़ो से बड़ा प्रेम था इसलिए इस त्यौहार को मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है की बछ बारस के दिन गाय और बछड़ो की पूजा करने से भगवान कृष्ण सहित गाय में निवास करने वाले सैकड़ो देवताओ का आशीर्वाद मिलता है जिससे घर में खुशहाली और सम्पन्नता आती है. बछबारस का पर्व राजस्थानी महिलाओं में ज्यादा लोकप्रिय है. बछ बारस पूजन की सामग्री और पूजा विधि पूजा के लिए भैंस का दूध और दही , भीगा हुआ चना और मोठ लें. मोठ-बाजरे में घी और चीनी मिलाये. गाय के रोली का टीका लगाकर चावल के स्थान पर बाजरा लगाये. बायने के लिए एक कटोरी में भीगा हुआ चना , मोठ ,बाजरा और रुपया रखे. इस दिन बछड़े वाले गाय की पूजा की जाती है यदि गाय की पूजा नहीं कर सकते तो एक पाटे पर मिटटी से बछबारस बनाते है और उसके बीच में एक गोल मिटटी की बावडी बनाते है. फिर उसको थोड़ा दूध दही से भर देते है. फिर सब चीजे चढ़ाकर पूजा करते है. इसके बाद रोली, दक्षिण चढ़ाते है. स्वंय को तिलक निकालते है. हाथ में मोठ और बाजरे के दाने को लेकर कहानी सुनाते है. बछ बारस के चित्र की पूजा भी की जा सकती है. बायना सांस को पाँव छुकर देवें बछ बारस की कहानी बहुत समय पहले की बात है एक गाँव में एक साहूकार अपने सात बेटो और पोतो के साथ रहता था. उस साहूकार ने गाँव में एक तालाब बनवाया था लेकिन बारह सालो तक वो तालाब नही भरा था. तालाब नही भरने का कारण पूछने के लिए उसने पंडितो को बुलाया. पंडितो ने कहा कि इसमें पानी तभी भरेगा जब तुम या तो अपने बड़े बेटे या अपने बड़े पोते की बलि दोगे. तब साहूकार ने अपने बड़ी बहु को तो पीहर भेज दिया और पीछे से अपने बड़े पोते की बलि दे दी. इतने में गरजते बरसते बादल आये और तालाब पूरा भर गया. इसके बाद बछबारस आयी और सभी ने कहा की “अपना तालाब पूरा भर गया है इसकी पूजा करने चलो”. साहूकार अपने परिवार के साथ तालाब की पूजा करने गया. वह दासी से बोल गया था की गेहुला को पका लेना. गेहुला से तात्पर्य गेहू के धान से है. दासी समझ नही पाई. दरअसल गेहुला गाय के बछड़े का नाम था. उसने गेहुला को ही पका लिया. बड़े बेटे की पत्नी भी पीहर से तालाब पूजने आ गयी थी. तालाब पूजने के बाद वह अपने बच्चो से प्यार करने लगी तभी उसने बड़े बेटे के बारे में पुछा. तभी तालाब में से मिटटी में लिपटा हुआ उसका बड़ा बेटा निकला और बोला की माँ मुझे भी तो प्यार करो. तब सास बहु एक दुसरे को देखने लगी. सास ने बहु को बलि देने वाली सारी बात बता दी. फिर सास ने कहा की बछबारस माता ने हमारी लाज रख ली और हमारा बच्चा वापस दे दिया. तालाब की पूजा करने के बाद जब वह वापस घर लौटे तो उन्होंने देखा बछड़ा नही था. साहूकार ने दासी से पूछा की बछड़ा कहा है तो दासी ने कहा कि “आपने ही तो उसे पकाने को कहा था”. साहूकार ने कहा की “एक पाप तो अभी उतरा ही है तुमने दूसरा पाप कर दिया “ साहूकार ने पका हुआ बछड़ा मिटटी में दबा दिया. शाम को गाय वापस लौटी तो वह अपने बछड़े को ढूंढने लगी और फिर मिटटी खोदने लगी. तभी मिटटी में से बछड़ा निकल गया. साहूकार को पता चला तो वह भी बछड़े को देखने गया. उसने देखा कि बछडा गाय का दूध पीने में व्यस्त था. तब साहूकार ने पुरे गाँव में यह बात फैलाई कि हर बेटे की माँ को बछबारस का व्रत करना चाहिए और तालाब पूजना चाहिए. हे बछबारस माता ! जैसा साहूकार की बहु को दिया वैसा हमे भी देना. कहानी कहते सुनते ही सभी की मनोकामना पूर्ण करना. इसके बाद गणेश जी की कहानी कहे. उद्यापन जिस साल लड़का हो या जिस साल लड़के की शादी हो उस साल बछबारस का उद्यापन किया जाता है. सारी पूजा हर वर्ष की तरह करें. सिर्फ थाली में सवा सेर भीगे मोठ बाजरा की तरह कुद्दी करें. दो दो मुट्ठी मोई का (बाजरे की आटे में घी ,चीनी मिलाकर पानी में गूँथ ले ) और दो दो टुकड़े खीरे के तेरह कुडी पर रखे. इसके उपर एक तीयल (दो साडीया और ब्लाउज पीस ) और रुपया रखकर हाथ फेरकर सास को छुकर दे. इस तरह बछबारस का उद्यापन पूरा होता है. गौमाता की पूजा का महत्व भारतीय धार्मिक पुराणों में गौमाता में समस्त तीर्थ होने की बात कहीं गई है. पूज्यनीय गौमाता हमारी ऐसी मां है, जिसकी बराबरी न कोई देवी-देवता कर सकता है और न कोई तीर्थ. गौमाता के दर्शन मात्र से ऐसा पुण्य प्राप्त होता है, जो बड़े-बड़े यज्ञ, दान आदि कर्मों से भी नहीं प्राप्त हो सकता. ऐसी मान्यता है कि सभी देवी-देवताओं एवं पितरों को एक साथ खुश करना है तो गौभक्ति-गौसेवा से बढ़कर कोई अनुष्ठान नहीं है. गौ माता को बस एक ग्रास खिला दो, तो वह सभी देवी-देवताओं तक अपने आप ही पहुंच जाता है. भविष्य पुराण के अनुसार गौमाता कि पृष्ठदेश में ब्रह्म का वास है, गले में विष्णु का, मुख में रुद्र का, मध्य में समस्त देवताओं और रोमकूपों में महर्षिगण, पूंछ में अनंत नाग, खूरों में समस्त पर्वत, गौमूत्र में गंगादि नदियां, गौमय में लक्ष्मी और नेत्रों में सूर्य-चन्द्र विराजित हैं इसीलिए बछ बारस या गोवत्स द्वादशी के दिन महिलाएं अपनी संतान की सलामती, लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए यह पर्व मनाती है. इस दिन घरों में विशेष कर बाजरे की रोटी जिसे सोगरा भी कहा जाता है और अंकुरित अनाज की सब्जी बनाई जाती है. इस दिन गाय की दूध की जगह भैंस या बकरी के दूध का उपयोग किया जाता है.
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27 August 2024भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में करीब सौ वर्ष से अधिक समय से चली आ रही परंपरा निभाई जाती है। यहां पर जन्माष्टमी पर रात्रि 12 बजे आरती होने के बाद फिर शयन आरती नहीं की जाती है। कारण है कि जन्म के बाद कन्हैया के सोने - उठने का समय निर्धारित नहीं होता है। चार दिन तक सेवा पूजा के बाद 30 अगस्त को बछ बारस पर दोपहर 12 बजे शयन आरती होगी। वर्ष में एक बार दोपहर में यहां शयन आरती की जाती है। शहर के प्राचीन सिंधिया देव स्थान ट्रस्ट के गोपाल मंदिर में राजवंश परंपरा के अनुसार सोमवार को जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई गई। मध्यरात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर आरती के बाद देर रात दो बजे तक दर्शन हुए। रात्रि में ही सीएम डॉ. मोहन यादव ने भी मंदिर पहुंचकर भगवान के दर्शन किए। मंदिर के पुजारी मधुर शर्मा ने बताया कि जन्माष्टमी पर रात्रि में जन्म आरती के बाद अब चार दिन भगवान की शयन आरती नहीं होगी। 30 अगस्त को बछ बारस पर दोपहर में मंदिर के द्वार पर माखन मटकी फूटने के बाद भगवान की आरती होगी। इसके बाद शयन आरती का क्रम शुरू होगा। मंदिर की यह परंपरा 100 साल से अधिक समय से चली आ रही है। भगवान गोपाल कृष्ण का जन्म होने के बाद उनके सोने और उठने का समय निर्धारित नहीं होने से शयन आरती नहीं होती है। इन दिनों में बाल गोपाल को दूध, माखन आदि का नियमित भोग लगाया जाता है। मान्यता के अनुसार, बछ बारस पर भगवान बड़े हो जाते हैं। इस दिन सुबह अभिषेक पूजन के बाद उन्हें चांदी की पादुका पहनाई जाती है। इसके बाद भगवान मंदिर के मुख्य द्वार पर बांधी गई माखन मटकी फोड़ते हैं। इसके पश्चात दोपहर में शयन आरती होती है। साल में एक बार यह अवसर आता है, जब दिन में भगवान की शयन आरती की जाती है।
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27 August 2024जन्माष्टमी पर सोमवार-मंगलवार की दरमियानी रात को द्वारकाधीश गोपाल मंदिर का आंगन रोशन हो उठा। रंग-बिरंगी रोशनी के बीच हजारों की संख्या में भक्त द्वारकाधीश गोपाल मंदिर से छत्री चौक तक बस कान्हा के जन्म के इंतजार में खड़े रहे। इसी बीच बीएसएफ के बैंड ने भजनों के साथ राष्ट्रभक्ति की धुन सुनाई, जिससे श्रद्धालुओं का उत्साह और बढ़ गया। पुजारी पावन गिरिश शर्मा ने बताया कि रात 10 बजे चांदी का द्वार बंद कर दो घंटे अभिषेक पूजन किया गया। ठीक रात 12 बजे जन्म आरती की गई। सबसे पहले आरती कुंज बिहारी की, गोविंद गोकुल आयो की स्वर लहरियां गूंजी, जिससे माहौल धर्ममय हो गया। करीब दो घंटे से एक ही स्थान पर खड़े श्रद्धालुओं की थकान कान्हा की एक झलक पाने से जैसे उतर सी गई थी। वे समूह में नाचते-गाते नजर आए। विशेष तौर पर तैयार की 25 धुन: बीएसएफ के बैंड में शामिल 25 लोगों के समू ह ने द्वारकाधीश के आंगन में प्रस्तुति देने के लिए विशेष तौर पर 25 धुन तैयार की थी, जिसकी उन्होंने रिहर्सल भी की थी। समूह प्रमुख रामबाबू के अनुसार उन्हें गोपालजी के आंगन में प्रस्तुति देने से आत्मिक सुख की प्राप्ति हुई है। नाथद्वारा, राजकोट, बनारस से मंगवाई पोशाक पहनाई: द्वारकाधीश गोपाल को राजकोट से मंगवाए आभूषण धारण करवाए गए थे। रुक्मिणी की साड़ी बनारस से मंगवाई गई थी। इसी तरह भगवान के शंख, चक्र, गदा, पद्म का निर्माण नाथद्वारा से मंगवाए थे। रात 2 बजे तक भगवान के दर्शन के लिए मंदिर के पट खुले रहे।
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27 August 2024जन्माष्टमी का पर्व साल 2024 में 26 अगस्त के दिन मनाया जा रहा है. जन्माष्टमी के पर्व का इंतजार भक्त पूरे सालभर करते हैं. साल 2024 में भगवान श्री कृष्ण का यह 5251वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा. भगवान श्री कृष्ण को विष्णु जी का आठवां अवतार माना जाता है. श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल के बाल स्वरुप की आराधना की जाती है. श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है. इस दिन भक्त पूरे दिन उपवास करते हैं और रात्रि में यानि निशिता काल में श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाकर पूजा-अर्चना कर उन्हें 56 भोग लगाते हैं. इसके बाद व्रत का पारण उनके भोग को प्रसाद के रुप में ग्रहण करके किया जाता है. जानते हैं साल 2024 यानि 26 अगस्त के दिन पड़ने वाली कृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त नोट करें निशिता पूजा (रात के समय) का समय है- 27 अगस्त को रात 12.01 मिनट से 12.45 मिनट तक आप इस दौरान 45 मिनट के शुभ मुहूर्त में कान्हा जी की आराधना कर सकते हैं और उनका जन्मोत्सव मना सकते हैं. इस दिन पारण का समय 27 अगस्त को रात 12.45 मिनट पर रहेगा. भारत में कई जगाहों पर पारण निशिता यानी हिंदू मध्यरात्रि के बाद किया जाता है. जन्माष्टमी 2024 तिथि कृष्ण जन्माष्टमी के दिन अष्टमी तिथि कब से कब तक- इस दिन अष्टमी तिथि 26 अगस्त, 2024 को सुबह 03:39 बजे लग जाएगी अष्टमी तिथि की समाप्ती 27 अगस्त, 2024 को 02:19 बजे होगी. इस खास दिन की तैयारी लोग बहुत पहले से करना शुरु कर देते है. तो आप भी इस खास दिन पर नंद गोपाल भगवान श्री कृष्ण की पूजा की तैयारी कर लें. इस दिन का इंतजार श्री कृष्ण के भक्तों को पूरे साल रहता है.
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26 August 2024दुनिया में आए दिन नए-नए फैशनेबल कपड़े देखने को मिलते हैं. खूबसूरत दिखने के लिए लोग अलग-अलग डिजाइन वाले कपड़े पहनते हैं. लेकिन कितने भी कपड़े क्यों ना आ जाए, लोग जींस पहनना बंद नहीं करते हैं, जींस आजकल की दुनिया में बच्चों से लेकर बड़े तक हर किसी की फेवरेट बन गई है. ऐसे में अधिकतर लोग आपको हमेशा जींस में दिखेंगे. जींस पहनने पर सख्त मना यही नहीं आज कल बाजार में जींस के कई पैटर्न आपको देखने को मिल जाएंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं एक ऐसा देश है, जहां पर जींस पहनना सख्त मना है. यह सुनकर आप हैरान हो गए होंगे, लेकिन यह एक सच्चाई है कि दुनिया में एक देश ऐसा है जहां जींस पहनने पर पाबंदी है. इस देश में है जींस पहनने पर रोक अगर आप भी इस देश के बारे में नहीं जानते हैं, तो यह खबर आपके लिए है. आइए जानते हैं ऐसा कौन सा देश है, जहां पर जींस पहनना मना है. दुनिया में एक देश ऐसा है, जहां जींस पहनना साफ मना है. हम बात कर रहे हैं उत्तर कोरिया की. यहां एक अजीब सा कानून लागू हुआ है, जिसे सुनकर आप हैरान हो जाएंगे. जींस नहीं पहनने का कारण बता दें कि उत्तर कोरिया में कोई भी जींस नहीं पहन सकता है. अगर वहां पर किसी ने जींस पहनी, तो उसे सजा मिल सकती है. इस देश में जींस अमेरिकी साम्राज्यवाद का प्रतीक मानी जाती है और अमेरिका और उत्तर कोरिया दोनों ही देश एक दूसरे के कट्टर दुश्मन माने जाते हैं. इसी वजह से उत्तर कोरिया में जींस पहनने पर रोक-टोक लगाई गई है. फैशन पुलिस लगाती है गश्त मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उत्तर कोरिया में इस कानून का सख्ती से पालन किया जाता है. यहां आपको कोई भी जींस पहनते हुए नहीं नजर आएगा. उत्तर कोरिया की सड़कों पर आपको फैशन पुलिस गश्त लगाती नजर आएगी. अगर फैशन पुलिस ने किसी को जींस पहने देख लिया, तो उस पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी और उसे जेल भी जाना पड़ सकता है.
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26 August 2024जन्माष्टमी का पर्व साल 2024 में 26 अगस्त, सोमवार के दिन मनाया जाएगा. इस दिन का इंतजार श्री कृष्ण (Shri Krishna) के भक्तों को पूरे साल रहता है. भगवान श्री कृष्ण को विष्णु जी का आठवां अवतार माना जाता है. इस दिन को बाल गोपाल या कान्हा जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. कान्हा के जन्मोत्सव के मौके पर उनको उनके प्रिय भोग लगाएं जाते हैं. जन्माष्टमी पर धनिया पंजीरी का भोग जन्माष्टमी के दिन कान्हा जी को विशेष रुप से धनिया पंजीरी का भोग लगाया जाता है. इस भोग का विशेष महत्व है. धनिया पंजीरी का भोग कान्हा जी को अति प्रिय है, इसीलिए इस दिन उनको प्रसाद के रूप में धनिया पंजीरी का भोग लगाया जाता है. यह भोग केवल घर में ही नहीं बल्कि भगवान श्री कृष्ण के सभी मंदिरों में धनिया पंजीरी का भोग लगाया जाता है. भोग लगाने के बाद इस प्रसाद (Prasad) को लोगों में बांटा जाता है. माना जाता है कि इस प्रसाद को ग्रहण करने से श्री कृष्ण की कृपा अपने भक्तों पर बनी रहती है. इस भोग को ग्रहण कर भक्त इस दिन अपने व्रत का पारण भी करते हैं. जन्माष्टमी पर इन चीजों का भोग लगाते हैं धनिया पंजीरी के साथ श्री कृष्ण को माखन का भोग भी जरुर लगाया है. माखन और मिश्री कान्हा जी को अति प्रिय हैं. इस मौके पर श्री कृष्ण को छप्पन भोग लगाएं जाते हैं. धनिया पंजीरी को बारिश के मौसम के अनुसार बहुत फलदायी माना जाता है, सेहत के लिहाज से बहुत अच्छी होती है. कान्हा जी का जन्मोत्सव अपने आप में एक एक बड़ा उत्सव है जिसकी धूम भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में रहती है.
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26 August 2024शास्त्र की मानें तो श्रीमद्धागवत गीता (Shrimad Bhagwat Gita) को घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का एहसास होता है. रोजाना गीता का पाठ करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है. जीवन (Life) की सभी उलझनों का उत्तर गीता में प्रमाण के साथ दिया गया है. वही जिन घरों में नियम के साथ गीता की पूजा पाठ की जाती हैं उन घरों में मां लक्ष्मी और भगवान कृष्ण की कृपा बनी रहती है. किंतु गीता को घर में रखने के कुछ नियम होते हैं जिनकों नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. गीता को रखने के नियम (How to read Bhagavad Gita)- घर में गीता रखने से पहले कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बेहद जरुरी है, तभी इसका फल प्राप्त होता है. गीता पवित्र ग्रंथों में से एक है इस वजह से इसे साफ जगह पर रखनी चाहिए. अगर आप गीता को बिना नहाए या अशुद्धता के साथ पाठ करते हैं, तो आप पाप के भागीदारी होते हैं, साथ ही साथ आप पर मानसिक और आर्थिक तनाव जैसी स्थिति बनी रहती है. श्रीमद्धागवत गीता (Bhagwat Gita)को पढ़ते वक्त सदैव पूजा की चौकी या फिर काठ का प्रयोग करना चाहिए. इसे भूमि पर रखकर पढ़ना नहीं चाहिए. गीता को पढ़ते वक्त हमेशा अपने ही आसन का प्रयोग करना चाहिए. दूसरों का आसन ग्रहण करने से पूजा पाठ का असर कम हो जाता है. साथ ही पाठ शुरु करने से पहले भगवान श्री कृष्ण का और गणेश जी का स्मरण करना चाहिए. गीता को पढ़ने का कोई निश्चित समय नहीं हैं. किंतु जिस भी अध्याय को अपने शुरु किया है तो उसे बीच में छोड़ने की जगह पूरा करना चाहिए. गीता का जीवन में महत्व गीता जीवन का सार है. यही कारण है कि ये आज भी प्रासंगिक है. गीता जीवन को जीने की कला सीखाती है. जो लोग गीता के वचनों पर चलते हैं, उसके विचारों को जीवन में आत्मसात करके चलते हैं, उन पर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा बनी रहती है, ऐसे लोग जीवन में अधिक तरक्की प्राप्त करते हैं और समाज को भी जागरूक बनाने में सहयोग प्रदान करते हैं. गीता व्यक्ति को श्रेष्ठ कर्म करने के लिए प्रेरित करती है.
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25 August 2024शास्त्र की मानें तो श्रीमद्धागवत गीता (Shrimad Bhagwat Gita) को घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का एहसास होता है. रोजाना गीता का पाठ करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है. जीवन (Life) की सभी उलझनों का उत्तर गीता में प्रमाण के साथ दिया गया है. वही जिन घरों में नियम के साथ गीता की पूजा पाठ की जाती हैं उन घरों में मां लक्ष्मी और भगवान कृष्ण की कृपा बनी रहती है. किंतु गीता को घर में रखने के कुछ नियम होते हैं जिनकों नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. गीता को रखने के नियम (How to read Bhagavad Gita)- घर में गीता रखने से पहले कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बेहद जरुरी है, तभी इसका फल प्राप्त होता है. गीता पवित्र ग्रंथों में से एक है इस वजह से इसे साफ जगह पर रखनी चाहिए. अगर आप गीता को बिना नहाए या अशुद्धता के साथ पाठ करते हैं, तो आप पाप के भागीदारी होते हैं, साथ ही साथ आप पर मानसिक और आर्थिक तनाव जैसी स्थिति बनी रहती है. श्रीमद्धागवत गीता (Bhagwat Gita)को पढ़ते वक्त सदैव पूजा की चौकी या फिर काठ का प्रयोग करना चाहिए. इसे भूमि पर रखकर पढ़ना नहीं चाहिए. गीता को पढ़ते वक्त हमेशा अपने ही आसन का प्रयोग करना चाहिए. दूसरों का आसन ग्रहण करने से पूजा पाठ का असर कम हो जाता है. साथ ही पाठ शुरु करने से पहले भगवान श्री कृष्ण का और गणेश जी का स्मरण करना चाहिए. गीता को पढ़ने का कोई निश्चित समय नहीं हैं. किंतु जिस भी अध्याय को अपने शुरु किया है तो उसे बीच में छोड़ने की जगह पूरा करना चाहिए. गीता का जीवन में महत्व गीता जीवन का सार है. यही कारण है कि ये आज भी प्रासंगिक है. गीता जीवन को जीने की कला सीखाती है. जो लोग गीता के वचनों पर चलते हैं, उसके विचारों को जीवन में आत्मसात करके चलते हैं, उन पर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा बनी रहती है, ऐसे लोग जीवन में अधिक तरक्की प्राप्त करते हैं और समाज को भी जागरूक बनाने में सहयोग प्रदान करते हैं. गीता व्यक्ति को श्रेष्ठ कर्म करने के लिए प्रेरित करती है.
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25 August 2024शास्त्र की मानें तो श्रीमद्धागवत गीता (Shrimad Bhagwat Gita) को घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का एहसास होता है. रोजाना गीता का पाठ करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है. जीवन (Life) की सभी उलझनों का उत्तर गीता में प्रमाण के साथ दिया गया है. वही जिन घरों में नियम के साथ गीता की पूजा पाठ की जाती हैं उन घरों में मां लक्ष्मी और भगवान कृष्ण की कृपा बनी रहती है. किंतु गीता को घर में रखने के कुछ नियम होते हैं जिनकों नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. गीता को रखने के नियम (How to read Bhagavad Gita)- घर में गीता रखने से पहले कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बेहद जरुरी है, तभी इसका फल प्राप्त होता है. गीता पवित्र ग्रंथों में से एक है इस वजह से इसे साफ जगह पर रखनी चाहिए. अगर आप गीता को बिना नहाए या अशुद्धता के साथ पाठ करते हैं, तो आप पाप के भागीदारी होते हैं, साथ ही साथ आप पर मानसिक और आर्थिक तनाव जैसी स्थिति बनी रहती है. श्रीमद्धागवत गीता (Bhagwat Gita)को पढ़ते वक्त सदैव पूजा की चौकी या फिर काठ का प्रयोग करना चाहिए. इसे भूमि पर रखकर पढ़ना नहीं चाहिए. गीता को पढ़ते वक्त हमेशा अपने ही आसन का प्रयोग करना चाहिए. दूसरों का आसन ग्रहण करने से पूजा पाठ का असर कम हो जाता है. साथ ही पाठ शुरु करने से पहले भगवान श्री कृष्ण का और गणेश जी का स्मरण करना चाहिए. गीता को पढ़ने का कोई निश्चित समय नहीं हैं. किंतु जिस भी अध्याय को अपने शुरु किया है तो उसे बीच में छोड़ने की जगह पूरा करना चाहिए. गीता का जीवन में महत्व गीता जीवन का सार है. यही कारण है कि ये आज भी प्रासंगिक है. गीता जीवन को जीने की कला सीखाती है. जो लोग गीता के वचनों पर चलते हैं, उसके विचारों को जीवन में आत्मसात करके चलते हैं, उन पर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा बनी रहती है, ऐसे लोग जीवन में अधिक तरक्की प्राप्त करते हैं और समाज को भी जागरूक बनाने में सहयोग प्रदान करते हैं. गीता व्यक्ति को श्रेष्ठ कर्म करने के लिए प्रेरित करती है.
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25 August 2024बरसात के मौसम में ट्रिप पर जाने का मजा ही अलग होता है. घूमने का प्लान चाहे दोस्तों के साथ हो या परिवार वालों के साथ मानसून में हरी भरी दुनिया देखने की बात ही कुछ और होती है. ऐसे में अगर आप भी हरियाणा घूमने जा रहे हैं, तो यहां मौजूद आसपास की कई खूबसूरत जगहों का दीदार कर सकते हैं. हरियाणा में घुमने की जगहें हरियाणा एक ऐसा राज्य है, जो संस्कृति, ऐतिहासिक स्थलों और प्रकृति के खूबसूरत नजारे से भरा हुआ है. बरसात के मौसम में घूमने के लिए हरियाणा एकदम परफेक्ट जगह है. आइए जानते हैं हरियाणा की कुछ ऐसी जगहों के बारे में, जहां जाने के बाद आपका वापस आने का दिल नहीं करेगा. हरियाणा का कुरुक्षेत्र अगर आप हरियाणा जाने का प्लान कर रहे हैं, तो यहां पर स्थित कुरुक्षेत्र जाना ना भूले. यह महाभारत के युद्ध का मैदान है, जो अब तीर्थ स्थल और धार्मिक स्थल के लिए जाना जाता है. इसके अलावा आपको यहां ब्रह्म सरोवर, भद्रकाली का मंदिर और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय देखने को मिलेगा. महम की बावड़ी हरियाणा की फेमस जगहों में से एक है पानीपत, जो तीन खास युद्ध के लिए जाना जाता है. यहां पर शाहाबाद मकबरा भी है, जो नसीरुद्दीन मोहम्मद के बेटे मोहम्मद शाह ने बनाया था. हरियाणा में मौजूद महम की बावड़ी भी घूमने लायक जगह में से एक है. इसे मुगल काल की विरासत माना जाता है. इस बावड़ी में जाने के लिए करीब 108 सीढ़ियां बनी हुई है. बता दें कि इसकी लंबाई लगभग 200 फीट और चौड़ाई 90 फिट है. करनाल झील इसके अलावा आप हरियाणा में मौजूद करनाल झील की सैर कर सकते हैं. यह एक खूबसूरत जगह है, जहां हरियाणा के रहने वाले लोग वनडे ट्रिप के लिए आते हैं. जानकारी के मुताबिक महाभारत के अंगराज कर्ण ने इस झील को बनवाया था. बीरबल का छत्ता हरियाणा के नारनौल में बना बीरबल का छत्ता भी देखने लायक जगह है. हरियाणा के सभी ऐतिहासिक स्मारकों में यह स्मारक सबसे बड़ा है. इसके अलावा आप हरियाणा की कोर्स मीनार भी विजिट कर सकते हैं. यह करनाल में मौजूद है. हरियाणा का जल महल हरियाणा के नारनौल जिले में जल महल बना हुआ है, जहां आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ घूमने जा सकते हैं. यह एक खूबसूरत जगह है, जहां जाने के बाद आपका आने का मन नहीं करेगा. अगर आप किसी हिल स्टेशन का दीदार करना चाहते हैं, तो हरियाणा का एकमात्र हिल स्टेशन मोरनी हिल्स पहुंच सकते हैं. यह एक खूबसूरत और लोकप्रिय पर्यटक स्थल है, जो पंचकूला से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. अधिकतर लोग यहां वीकेंड मनाने के लिए पहुंचते हैं.
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25 August 2024बरसात के मौसम में ट्रिप पर जाने का मजा ही अलग होता है. घूमने का प्लान चाहे दोस्तों के साथ हो या परिवार वालों के साथ मानसून में हरी भरी दुनिया देखने की बात ही कुछ और होती है. ऐसे में अगर आप भी हरियाणा घूमने जा रहे हैं, तो यहां मौजूद आसपास की कई खूबसूरत जगहों का दीदार कर सकते हैं. हरियाणा में घुमने की जगहें हरियाणा एक ऐसा राज्य है, जो संस्कृति, ऐतिहासिक स्थलों और प्रकृति के खूबसूरत नजारे से भरा हुआ है. बरसात के मौसम में घूमने के लिए हरियाणा एकदम परफेक्ट जगह है. आइए जानते हैं हरियाणा की कुछ ऐसी जगहों के बारे में, जहां जाने के बाद आपका वापस आने का दिल नहीं करेगा. हरियाणा का कुरुक्षेत्र अगर आप हरियाणा जाने का प्लान कर रहे हैं, तो यहां पर स्थित कुरुक्षेत्र जाना ना भूले. यह महाभारत के युद्ध का मैदान है, जो अब तीर्थ स्थल और धार्मिक स्थल के लिए जाना जाता है. इसके अलावा आपको यहां ब्रह्म सरोवर, भद्रकाली का मंदिर और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय देखने को मिलेगा. महम की बावड़ी हरियाणा की फेमस जगहों में से एक है पानीपत, जो तीन खास युद्ध के लिए जाना जाता है. यहां पर शाहाबाद मकबरा भी है, जो नसीरुद्दीन मोहम्मद के बेटे मोहम्मद शाह ने बनाया था. हरियाणा में मौजूद महम की बावड़ी भी घूमने लायक जगह में से एक है. इसे मुगल काल की विरासत माना जाता है. इस बावड़ी में जाने के लिए करीब 108 सीढ़ियां बनी हुई है. बता दें कि इसकी लंबाई लगभग 200 फीट और चौड़ाई 90 फिट है. करनाल झील इसके अलावा आप हरियाणा में मौजूद करनाल झील की सैर कर सकते हैं. यह एक खूबसूरत जगह है, जहां हरियाणा के रहने वाले लोग वनडे ट्रिप के लिए आते हैं. जानकारी के मुताबिक महाभारत के अंगराज कर्ण ने इस झील को बनवाया था. बीरबल का छत्ता हरियाणा के नारनौल में बना बीरबल का छत्ता भी देखने लायक जगह है. हरियाणा के सभी ऐतिहासिक स्मारकों में यह स्मारक सबसे बड़ा है. इसके अलावा आप हरियाणा की कोर्स मीनार भी विजिट कर सकते हैं. यह करनाल में मौजूद है. हरियाणा का जल महल हरियाणा के नारनौल जिले में जल महल बना हुआ है, जहां आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ घूमने जा सकते हैं. यह एक खूबसूरत जगह है, जहां जाने के बाद आपका आने का मन नहीं करेगा. अगर आप किसी हिल स्टेशन का दीदार करना चाहते हैं, तो हरियाणा का एकमात्र हिल स्टेशन मोरनी हिल्स पहुंच सकते हैं. यह एक खूबसूरत और लोकप्रिय पर्यटक स्थल है, जो पंचकूला से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. अधिकतर लोग यहां वीकेंड मनाने के लिए पहुंचते हैं.
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25 August 2024बरसात के मौसम में ट्रिप पर जाने का मजा ही अलग होता है. घूमने का प्लान चाहे दोस्तों के साथ हो या परिवार वालों के साथ मानसून में हरी भरी दुनिया देखने की बात ही कुछ और होती है. ऐसे में अगर आप भी हरियाणा घूमने जा रहे हैं, तो यहां मौजूद आसपास की कई खूबसूरत जगहों का दीदार कर सकते हैं. हरियाणा में घुमने की जगहें हरियाणा एक ऐसा राज्य है, जो संस्कृति, ऐतिहासिक स्थलों और प्रकृति के खूबसूरत नजारे से भरा हुआ है. बरसात के मौसम में घूमने के लिए हरियाणा एकदम परफेक्ट जगह है. आइए जानते हैं हरियाणा की कुछ ऐसी जगहों के बारे में, जहां जाने के बाद आपका वापस आने का दिल नहीं करेगा. हरियाणा का कुरुक्षेत्र अगर आप हरियाणा जाने का प्लान कर रहे हैं, तो यहां पर स्थित कुरुक्षेत्र जाना ना भूले. यह महाभारत के युद्ध का मैदान है, जो अब तीर्थ स्थल और धार्मिक स्थल के लिए जाना जाता है. इसके अलावा आपको यहां ब्रह्म सरोवर, भद्रकाली का मंदिर और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय देखने को मिलेगा. महम की बावड़ी हरियाणा की फेमस जगहों में से एक है पानीपत, जो तीन खास युद्ध के लिए जाना जाता है. यहां पर शाहाबाद मकबरा भी है, जो नसीरुद्दीन मोहम्मद के बेटे मोहम्मद शाह ने बनाया था. हरियाणा में मौजूद महम की बावड़ी भी घूमने लायक जगह में से एक है. इसे मुगल काल की विरासत माना जाता है. इस बावड़ी में जाने के लिए करीब 108 सीढ़ियां बनी हुई है. बता दें कि इसकी लंबाई लगभग 200 फीट और चौड़ाई 90 फिट है. करनाल झील इसके अलावा आप हरियाणा में मौजूद करनाल झील की सैर कर सकते हैं. यह एक खूबसूरत जगह है, जहां हरियाणा के रहने वाले लोग वनडे ट्रिप के लिए आते हैं. जानकारी के मुताबिक महाभारत के अंगराज कर्ण ने इस झील को बनवाया था. बीरबल का छत्ता हरियाणा के नारनौल में बना बीरबल का छत्ता भी देखने लायक जगह है. हरियाणा के सभी ऐतिहासिक स्मारकों में यह स्मारक सबसे बड़ा है. इसके अलावा आप हरियाणा की कोर्स मीनार भी विजिट कर सकते हैं. यह करनाल में मौजूद है. हरियाणा का जल महल हरियाणा के नारनौल जिले में जल महल बना हुआ है, जहां आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ घूमने जा सकते हैं. यह एक खूबसूरत जगह है, जहां जाने के बाद आपका आने का मन नहीं करेगा. अगर आप किसी हिल स्टेशन का दीदार करना चाहते हैं, तो हरियाणा का एकमात्र हिल स्टेशन मोरनी हिल्स पहुंच सकते हैं. यह एक खूबसूरत और लोकप्रिय पर्यटक स्थल है, जो पंचकूला से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. अधिकतर लोग यहां वीकेंड मनाने के लिए पहुंचते हैं.
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25 August 2024बांग्लादेश ने पाकिस्तान को टेस्ट सीरीज के पहले मैच में 10 विकेट से हरा दिया है. बांग्लादेश के लिए यह ऐतिहासिक जीत रही. उसकी जीत में मुशफिकुर रहीम की अहम भूमिका रही. उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया. मुशफिकुर ने प्लेयर ऑफ द मैच चुने जाने के बाद एक बड़ी घोषणा की. मुशफिकुर ने मैच के बाद बताया कि वे अपनी प्राइज मनी बांग्लादेश में बाढ़ पीड़ित लोगों के लिए दान करेंगे. मुशफिकुर ने पाकिस्तान के खिलाफ 191 रनों की पारी खेली थी. मुशफिकुर रहीम ने मैच के बाद अपनी पारी पर प्रतिक्रिया दी. इसके साथ ही प्राइज मनी को डोनेट करने की घोषणा भी की. मुशफिकुर ने कहा, ''यह मेरी अब तक सबसे अच्छी पारियों में से एक है. सभी खिलाड़ियों ने अच्छी तैयारी की थी. मैं कोचिंग स्टाफ और मैनेजमेंट का शुक्रगुजार हूं. मैं एक घोषणा करना चाहता हूं. मैं अपनी प्राइज मनी को बांग्लादेश में बाढ़ से पीड़ित लोगों के लिए दान करूंगा.'' मुशफिकुर ने बांग्लादेश की पहली पारी के दौरान दमदार बैटिंग की. उन्होंने 341 गेंदों का सामना करते हुए 191 रन बनाए. इस दौरान 22 चौके और 1 छक्का लगाया. बांग्लादेश ने पहली पारी में 565 रन बनाए थे. इससे पहले पाकिस्तान ने पहली पारी में 448 रन बनाए थे. टीम ने इसके बाद पारी घोषित कर दी थी. वहीं दूसरी पारी में 146 रन बनाकर पूरी टीम ऑल आउट हो गई. बांग्लादेश ने इसके जवाब में दूसरी पारी में महज 30 रन बनाकर मैच जीत लिया. बता दें कि पाकिस्तान को इस हार से नुकसान हुआ है. टीम वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप की पॉइंट्स टेबल में आठवें नंबर पर आ गई है. बांग्लादेश ने उसके खिलाफ जीत दर्ज करके सीरीज में 1-0 की बढ़त भी बना ली है. पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच दो मैचों की टेस्ट सीरीज खेली जा रही है. अब दूसरा मुकाबला 30 अगस्त से खेला जाएगा. यह मैच भी रावलपिंडी में आयोजित होगा.
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25 August 2024श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व एक दिन बाद है, लेकिन इस बार मध्य प्रदेश में इसकी शुरुआत पर्व से दो दिन पहले ही हो गई है. प्रदेश सरकार के जरिये अलग-अलग जिलों में 14 स्थानों पर श्री कृष्ण जन्माष्टमी कार्यक्रम आयोजित कराए जा रहे हैं. यह आयोजन 26 अगस्त तक चलेंगे. श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव से इन दिनों मध्य प्रदेश 'मोहन' के रंग में रंगा हुआ नजर आ रहा है. मध्य प्रदेश शासन संस्कृति विभाग के जरिये श्री कृष्णा जन्माष्टमी के पवित्र अवसर पर भोपाल सहित 14 स्थानों पर श्री कृष्णा पर्व का आयोजन किया जा रहा है. संचालक संस्कृति विभाग के एनपी नामदेव ने बताया कि मुख्यमंत्री की मंशानुसार श्रीकृष्ण पर्व इतने भव्य और दिव्य रूपरूप में मनाया जा रहा है, जिससे हमारे गौरवशाली इतिहास के प्रसंगों, कथानकों, आख्यानों से सभी वर्गों को अवगत कराया जा सके. इस कार्यक्रम में देश के मशहूर कलाकारों के जरिये जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण से सम्बन्धित लीलाओं और प्रसंगों को सांस्कृतिक स्वरूप में प्रस्तुत किया जा रहा है. भोपाल में तीन दिवसीय आयोजन भोपाल स्थित जनजातीय संग्रहालय में शुक्रवार से 23 अगस्त से 25 अगस्त को शाम 7 बजे से श्रीकृष्ण पर्व का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें पहले दिन 23 अगस्त को श्रीकृष्ण गायन, श्री ऋषि विश्वकर्मा और साथी, सागर द्वारा एवं सुश्री वंदना श्री एवं साथी, मथुरा द्वारा रासलीला की प्रस्तुति दी गई. आज शनिवार (24 अगस्त) को वंदनाश्री एवं साथी, मथुरा द्वारा रासलीला एवं लोकप्रिय माधवास रॉक बैण्ड द्वारा भजन गायन की प्रस्तुति दी जाएगी. अंतिम दिन 25 अगस्त को श्रीकृष्ण गायन शुभम यादव एवं साथी, भोपाल एवं रासलीला की प्रस्तुति सुश्री वंदनाश्री एवं साथी, मथुरा द्वारा दी जाएगी. कब-कहां होंगे कार्यक्रम? - अमझेरा धार में 25 और 26 अगस्त को श्रीकृष्ण पर्व का आयोजन किया जाएगा. यहां पहले दिन 25 अगस्त को लक्ष्मी दुबे और साथी, जबलपुर द्वारा भक्ति संगीत और आनंदीलाल भावेल और साथी, धार द्वारा भक्ति संगीत की प्रस्तुति दोपहर 12 बजे दी जाएगी. 26 अगस्त को शाम 7 बजे से आनंदीलाल भावेल, धार द्वारा भक्ति संगीत और जया सक्सेना और साथी, वृन्दावन द्वारा रासलीला की प्रस्तुति दी जाएगी. - परशुराम जन्म स्थली जानापाव महू में 26 अगस्त को एक दिवसीय श्रीकृष्ण पर्व का आयोजन किया जाएगा, जिसमें नितिन अग्रवाल और साथी, दमोह द्वारा भक्ति संगीत और मुरालीलाल तिवारी और साथी, वृन्दावन द्वारा रासलीला की प्रस्तुति दी जाएगी. कार्यक्रम का आयोजन शाम 4 बजे से किया जाएगा - लालीपुर मंडला में तीन दिवसीय श्रीकृष्ण पर्व का आयोजन किया जाएगा, जो 24 से 26 अगस्त तक आयोजित होगा, इसमें 24 अगस्त को संजो बघेल और साथी, जबलपुर द्वारा भक्ति संगीत, शैली धोपे और साथी, जबलपुर द्वारा श्रीकृष्ण केन्द्रित नृत्य नाटिका की प्रस्तुति दी जाएगी. 25 अगस्त को अखिलेश तिवारी और साथी, भोपाल द्वारा भक्ति संगीत और सुश्री पूर्णिमा चतुर्वेदी और साथी, भोपाल द्वारा लोक गायन की प्रस्तुति दी जाएगी. तीसरे और अंतिम दिन 26 अगस्त को चरणजीत सिंह सौंधी और साथी, मुम्बई द्वारा भक्ति संगीत और स्वर म्यूजिक फाउंडेशन, ग्वालियर द्वारा रासलीला की प्रस्तुति दी जाएगी. कार्यक्रम शाम 7 बजे प्रारंभ होगा. - पाली उमरिया में तीन दिवसीय श्रीकृष्ण पर्व का आयोजन किया जाएगा, जो 24 से 26 तक होगा, इसमें पहले दिन 24 अगस्त को आकृति मेहरा और साथी, भोपाल द्वारा भक्ति संगीत और श्री मुनीन्द्र मिश्रा और साथी, शहडोल द्वारा श्रीकृष्ण केन्द्रित लोक गायन होगा. दूसरे दिन लामूलाल धुर्वे और साथी, अनूपपुर द्वारा गोण्ड जनजातीय गुदुमबाजा नृत्य और स्वर म्यूजिक फाउंडेशन ग्वालियर द्वारा रासलीला की प्रस्तुति दी जाएगी. तीसरे दिन 26 अगस्त को ईशान मिनोचा और साथी जबलपुर द्वारा भक्ति संगीत और वैशाली गुप्ता और साथी भोपाल द्वारा श्रीकृष्ण केन्द्रित नृत्य नाटिका की प्रस्तुति दी जाएगी. कार्यक्रम सायं 7 बजे प्रारम्भ होगा. - मानस भवन सभागार शहडोल में भी तीन दिवसीय श्रीकृष्ण पर्व का आयोजन किया जाएगा, जो 24 से 26 अगस्त तक आयोजित होगा. यहां पहले दिन मनीष अग्रवाल और साथी जबलपुर द्वारा भक्ति संगीत और स्वर म्यूजिक फाउंडेशन ग्वालियर द्वारा रासलीला की प्रस्तुति दी जाएगी. दूसरे दिन 25 अगस्त को कल्याणी मिश्रा और साथी उज्जैन द्वारा श्रीकृष्ण केन्द्रित लोक गायन और मुस्कान चौरसिया और साथी बालाघाट द्वारा भक्ति संगीत की प्रस्तुति दी जाएगी. तीसरे दिन 26 अगस्त को रूद्रकांत ठाकुर और साथी सिवनी द्वारा भक्ति संगीत और धनीराम बगदरिया और साथी डिंडौरी द्वारा बैगा जनजातीय करमा नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी. कार्यक्रम शाम 7 बजे प्रारम्भ होगा. - प्राचीन जुगल किशोर मंदिर पन्ना में दो दिवसीय श्रीकृष्ण पर्व का आयोजन किया जा रहा है, जो 25 से 26 अगस्त तक आयोजित होगा. यहां पहले दिन रवि त्रिपाठी और साथी, भोपाल द्वारा भक्ति संगीत, गायत्री द्विवेदी और साथी पन्ना द्वारा लोक गायन और गणेश रजक और साथी खजुराहो द्वारा देवारी बुन्देली नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी. 26 अगस्त को हेमन्त बृजवासी और साथी मथुरा द्वारा भक्ति संगीत, लता सिंह मुंशी और साथी भोपाल द्वारा श्रीकृष्ण केन्द्रित नृत्य नाटिका और नदीम राईन और साथी सागर द्वारा बधाई बुन्देली लोक नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी. कार्यक्रम शाम 7 बजे प्रारम्भ होगा. - मानस भवन सभागार दमोह में एक दिवसीय श्रीकृष्ण पर्व के अंतर्गत ममता रानी जोशी और साथी दिल्ली द्वारा भक्ति संगीत, शालिनी खरे और साथी जबलपुर द्वारा श्रीकृष्ण केन्द्रित नृत्य नाटिका, भूपत सिंह लोधी और साथी दमोह द्वारा लोक गायन और भागवती बाई और साथी दमोह द्वारा बुन्देली लोक नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी. कार्यक्रम शाम 7 बजे प्रारम्भ होगा. - रीवा में श्रीकृष्ण पर्व के तहत सुबह और संध्याकालीन दो आयोजन होंगे, जिसमें पहला आयोजन 26 अगस्त को सुबह 11 बजे से बसामन मामा गौवंश वन्य विबार, सेमरिया में राजेश प्रसाद मिश्रा और साथी मुम्बई द्वारा भक्ति संगीत और बुन्देली बरेदी लोकनृत्य की प्रस्तुतियां दी जाएंगी. शाम 7 बजे से कृष्णा राजकपूर सभागार रीवा में राजेश प्रसाद मिश्रा और साथी मुम्बई द्वारा भक्ति संगीत और हरीश शर्मा और साथी भोपाल द्वारा श्रीकृष्ण केन्द्रित नृत्य नाटिका की प्रस्तुति दी जाएगी. - कुशाभाऊ ठाकरे सभागार मंदसौर में एक दिवसीय श्रीकृष्ण पर्व के अंतर्गत 26 अगस्त को शाम 7 बजे से आयोजन प्रारम्भ होगा, जिसमें संजो बघेल और साथी जबलपुर द्वारा भक्ति संगीत और अर्जुन वाघमारे और साथी बैतूल द्वारा गोण्ड जनजातीय ठाठ्या नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी. कार्यक्रम शाम 7 बजे प्रारम्भ होगा. - त्रिवेणी कला संग्रहालय उज्जैन में तीन दिवसीय श्रीकृष्ण पर्व की शुरुआत 23 अगस्त से हो गई, 27 अगस्त तक जारी रहेगी. शुक्रवार को तालवाद्य कचहरी और पं. गोविन्द तिवारी गोवर्धन मथुरा द्वारा रासलीला की प्रस्तुति दी गई. जबकि आज 24 अगस्त को जिला प्रशासन उज्जैन द्वारा सांस्कृतिक आयोजन और पं. गोविन्द तिवारी गोवर्धन मथुरा द्वारा रासलीला की प्रस्तुति दी जाएगी. 25 अगस्त को पं. गोविन्द तिवारी गोवर्धन मथुरा द्वारा रासलीला और माधवास बैण्ड द्वारा भक्ति संगीत की प्रस्तुति दी जाएगी. 26 अगस्त को रामचंद्र गांगोलिया और साथी उज्जैन द्वारा भक्ति संगीत और पलक पटवद्र्धन और साथी उज्जैन द्वारा श्रीकृष्ण केन्द्रित नृत्य नाटिका की प्रस्तुति दी जाएगी. 27 अगस्त को शीला त्रिपाठी और साथी द्वारा श्रीकृष्ण गायन और पं. गोविंद तिवारी गोवर्धन मथुरा द्वारा रासलीला की प्रस्तुति दी जाएगी. कार्यक्रम का समय प्रतिदिन शाम 7 बजे से होगा. - सांदीपनि आश्रम उज्जैन में एक दिवसीय श्रीकृष्ण पर्व का आयोजन होगा, जो 26 अगस्त को रात्रि 10 बजे से होगा. इसमें पं. गोविंद तिवारी गोवर्धन मथुरा द्वारा रासलीला, इशिता विश्वकर्मा और साथी मुम्बई का भक्ति गायन और श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का आयोजन होगा. - नारायणा धाम मंदिर प्रांगण उज्जैन में श्रीकृष्ण पर्व तीन दिवसीय होगा, जो 25 से 27 अगस्त तक होगा. यहां पहले दिन कालिदास अकादमी द्वारा श्रीकृष्ण रूप सज्जा, पवन तिवारी और साथी टीकमगढ़ द्वारा भक्ति संगीत और सोनू गोवर्धन, मथुरा द्वारा रासलीला की प्रस्तुति होगी. 26 अगस्त को श्वेता गुंजन जोशी धार द्वारा भक्ति संगीत और सोनू गोवर्धन मथुरा द्वारा रासलीला की प्रस्तुति होगी. 27 अगस्त को इशिता विश्वकर्मा और साथी मुम्बई द्वारा भक्ति संगीत और सोनू गोवर्धन मथुरा द्वारा रासलीला की प्रस्तुति दी जाएगी. कार्यक्रम शाम 7 बजे प्रारम्भ होगा. - गोपाल मंदिर उज्जैन में 26 अगस्त को श्रीकृष्ण पर्व के अंतर्गत शर्मा बंधु और साथी उज्जैन द्वारा भक्ति संगीत की प्रस्तुति दी जाएगी. कार्यक्रम शाम 7 बजे प्रारम्भ होगा.
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24 August 2024साल 2024 के पहले छह महीनों में भारत में आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या में मामूली बढ़ोतरी हुई है, लेकिन यह अब भी 2019 के स्तर से कम है. 2023 की तुलना में 9.1% की वृद्धि के बावजूद, 2019 के मुकाबले लगभग 10% की कमी देखी गई है. आइए यहां देखते हैं पूरे आंकडें .. साल 2024 के पहले छह महीनों में भारत में आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या 47,78,374 तक पहुंच गई. यह संख्या 2023 के मुकाबले 9.1% अधिक है, जो इस बात का संकेत है कि कोविड महामारी के बाद पर्यटन उद्योग धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है. हालांकि, 2019 के जनवरी-जून की तुलना में यह संख्या अभी भी लगभग 10% कम है. 2019 में, भारत में 52,96,025 विदेशी पर्यटक आए थे, जो कि कोविड से पहले का एक सुनहरा दौर था. इसका मतलब यह है कि अभी भी विदेशी पर्यटकों की संख्या उस स्तर तक नहीं पहुंच पाई है. विदेशी पर्यटक संख्या में कमी दूसरी ओर, भारतीय हवाई अड्डों पर अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या में भी इस साल तेजी देखी गई है. 2024 की पहली तिमाही में 9.9% की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो कि यात्रियों की बढ़ती रुचि और हवाई यात्रा के प्रति उनके आत्मविश्वास का संकेत है. इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की संख्या में भी तेजी आई है. 2024 में भारत से अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर 674 नई साप्ताहिक उड़ानें शुरू हुईं और 1,40,435 अतिरिक्त सीटें जोड़ी गईं. भारतीय यात्रियों की विदेश यात्रा में उछाल साल 2024 में भारतीय यात्रियों की विदेश यात्रा में भी 12.28% की वृद्धि देखी गई. जनवरी से जून 2024 के बीच 1,50,22,731 भारतीयों ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भरीं, जबकि 2019 में यह संख्या 1,33,80,079 थी. भारतीय यात्रियों के लिए यूएई, सऊदी अरब, अमेरिका, थाईलैंड और सिंगापुर जैसे देश सबसे लोकप्रिय रहे. इसका एक प्रमुख कारण हो सकता है कि कोविड के बाद भारतीयों में यात्रा करने का उत्साह और ‘रिवेंज टूरिज्म’ का चलन बढ़ा है. विदेशी मुद्रा आय में वृद्धि विदेशी मुद्रा आय में भी 2019 की तुलना में 2024 में 5.54% की वृद्धि दर्ज की गई है. इस साल जनवरी से जून तक विदेशी मुद्रा आय 15.339 बिलियन अमेरिकी डॉलर रही, जबकि 2019 में यह 14.524 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी. हालांकि, इस वृद्धि का एक बड़ा कारण रुपये की कमजोरी भी है, जिसके चलते रुपये में आय में 25.4% की वृद्धि देखी गई है. बावजूद इसके, पर्यटकों की संख्या में गिरावट आने से यह स्पष्ट होता है कि भारत को और अधिक विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कुछ कदम उठाने की जरूरत है. भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने की जरूरत भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार को एक बड़े और प्रभावी अभियान की जरूरत है. पहले चलाए गए अभियानों जैसे ‘अतुल्य भारत’ या ‘अतिथि देवो भव’ की तर्ज पर एक नया अभियान जरूरी है। गोवा जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों के बावजूद, पड़ोसी देशों जैसे वियतनाम, थाईलैंड, और श्रीलंका की सस्ती यात्रा और बेहतर सुविधाओं के कारण विदेशी पर्यटक भारत के बजाय वहाँ जाना पसंद कर रहे हैं। बेहतर बुनियादी ढांचे की आवश्यकता भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्वच्छता, ट्रैफिक मैनेजमेंट और पर्यटक सुरक्षा जैसे बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता है. यदि भारत को विदेशी पर्यटकों की संख्या में वृद्धि करनी है और पर्यटन से मिलने वाली विदेशी मुद्रा को बढ़ाना है, तो इन चुनौतियों का समाधान करना जरूरी है. साथ ही, पर्यटन हेल्पलाइन और पर्यटक पुलिस जैसी सेवाओं की भी शुरुआत की जानी चाहिए ताकि पर्यटकों को बेहतर अनुभव मिल सके.
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24 August 2024जन्माष्टमी का त्योहार 26 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा. ग्रंथों में कहा गया है कि जब भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर आधी रात में रोहिणी नक्षत्र हो, तब कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस बार जन्माष्टमी बेहद शुभ और दुर्लभ संयोग में मनाई जाएगी.जन्माष्टमी पर कई राजयोग बन रहे हैं, जिससे कई राशियों का सोया भाग्य जाग उठेगा, श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से व्यापार, नौकरी और धन में वृद्धि होगी. जानें जन्माष्टमी पर किन राशियों को होगा लाभ. जन्माष्टमी 2024 पर शुभ संयोग 26 अगस्त को जन्माष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग, गजकेसरी योग, शश राजयोग बनेंगे. साथ ही बुध का कर्क राशि में उदय होगा. गजकेसरी योग - चंद्रमा और गुरु एक साथ होने पर गजकेसरी योग का निर्माण होता है, जन्माष्टमी पर गुरु-चंद्रमा वृषभ राशि में होंगे. इस योग का प्रभाव व्यक्ति को गज के समान प्रभावशाली बनाता है. आर्थिक लाभ मिलता है, भाग्य का साथ मिलता है, हर काम सफल होते हैं. शश राजयोग - पंचमहापुरुषों में से एक है शश राजयोग. जन्माष्टमी पर शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में होंगे, जिससे ये योग बनेगा. सर्वार्थ सिद्धि योग - जन्माष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर 03.55 से अगले दिन 27 अगस्त को सुबह 06.08 तक रहेगा. जन्माष्टमी 2024 इन राशियों को होगा लाभ वृषभ राशि - जन्माष्टमी पर बन रहे दुर्लभ संयोग का लाभ वृषभ राशि वालों को अधिक होगा. नौकरी-बिजनेस की स्थिति पहले से काफी बेहतर रहेगी. चुनौतियां कम होंगीं. पुरानी संपत्ति से धन लाभ होगा, आर्थिक वृद्धि होगी. प्रेम संबंधों में मिठास बढ़ेगी. कुंभ राशि - जन्माष्टमी का त्योहार कुंभ राशि वालों के लिए लकी साबित होगा. बच्चों को कोई बड़ी उपलब्धि इस समय मिल सकती है. धन की समस्या खत्म होगी, आय के सोर्स बढ़ेंगे. पुराने निवेश से लाभ मिलेगा. सिंह राशि - सिंह राशि वालों के लिए जन्माष्टमी खुशियों की सौगात लेकर आ रहा है. व्यापार में विस्तार होगा, धन वृद्धि योग के कारण पैसों में बढ़ोत्तरी होगी. करियर में शुभ फल प्राप्त होगा. कमाई अच्छी होगी. स्वास्थ लाभ भी मिलेगा.
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24 August 2024सावन महीने में उज्जैन के भगवान महाकाल के मंदिर में शिव भक्तों ने दिल खोल कर चढ़ावा चढ़ाया है. एक महीने में महाकालेश्वर मंदिर में 15 करोड़ 64 लाख 53 हजार से ज्यादा की इनकम हुई है. इस बीच महाकालेश्वर मंदिर समिति भादो मास में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए और भी बेहतर इंतजाम कर रही है, जिसे लेकर तैयारी शुरू कर दी गई है.महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर में 22 जुलाई से 19 अगस्त 2024 के बीच 15 करोड़ 64 लाख 53,137 रुपये की इनकम हुई है. उन्होंने कहा कि महाकाल लोक निर्माण के बाद महाकालेश्वर मंदिर की इनकम लगातार बढ़ती जा रही है. महाकालेश्वर मंदिर समिति श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए आवश्यक इंतजाम भी कर रही है. इससे भक्तों की संख्या में और भी इजाफा हो रहा है.महाकालेश्वर मंदिर समिति के अध्यक्ष और कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर शिव भक्तों के आकर्षण का विशेष केंद्र है. यहां पर प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और भगवान महाकाल का प्रसाद ले जाते हैं. महाकालेश्वर मंदिर को होने वाली आमदनी का बड़ा हिस्सा प्रसाद से आता है. सावन के एक महीने में महाकालेश्वर मंदिर समिति ने 7 करोड़ 8 लाख 82 हजार रुपये से ज्यादा का प्रसाद सेल गया है. जानिए किससे कितनी हुई आय? महाकालेश्वर मंदिर में सावन के एक महीने में काउंटर से 26 लाख 928 हजार 66 रुपये की आमदनी हुई. इसके अलावा विशेष दर्शन से 4 करोड़ 63 लाख 12 हजार रुपये की आमदनी हुई है. उज्जैन दर्शन बस का किराया 77 हजार142 रुपये आया है, जबकि सवारी से 5 हजार 505 रुपये की इनकम हुई है. महाकालेश्वर मंदिर के पंडित सूर्य नारायण धर्मशाला से 3,95,000 रुपये की इनकम हुई है, जबकि अन्य दर्शन व्यवस्था से 19 लाख 60 हजार रुपये से ज्यादा की आमदनी हुई है. वहीं अन्न क्षेत्र में 10 लाख 21 हजार रुपये का डोनेशन आया है. जबकि महाकालेश्वर मंदिर में 11 लाख 68 हजार का ऑनलाइन और गर्भ ग्रह की पेटी में 19 लाख 22 हजार रुपये दान आया है. मंदिर के अन्य पेटियों में 2 करोड़ 95 लाख 21 हजार रुपये की धनराशि दान के रूप में आई है.
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23 August 2024मध्यप्रदेश में भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े चार जगहों को तीर्थस्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इनमें उज्जैन का सांदीपनी आश्रम, नारायण धाम, धार जिले का अमझेरा मंदिर और इंदौर के जानापाव शामिल हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को वीडियो जारी किया। इसमें उन्होंने कहा कि सरकार इस पर जन्माष्टमी के पर्व को विशेष तौर पर मनाने जा रही है। सीएम ने कहा कि मध्य प्रदेश भगवान श्रीकृष्ण और भगवान श्रीराम से प्रेरित और पावन भूमि है। जानते हैं इन तीर्थस्थलों का महत्व क्या है। इन चार स्थानों को कृष्ण तीर्थ के रूप में किया जाएगा डेवलप सांदीपनि आश्रम, उज्जैन: श्री कृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की पूजा करते थे। आश्रम में गोमती कुंड नामक तालाब भी है, जिसमें भगवान कृष्ण ने पवित्र केंद्रों से सभी पवित्र जल इकट्ठा किया था, ताकि गुरु सांदीपनि को पवित्र जल प्राप्त करने में आसानी हो। इस तालाब का पानी पवित्र माना जाता है। यहां आने वाले भक्त तालाब का पानी घर ले जाते हैं। नारायण धाम, महिदपुर: श्रीकृष्ण की सुदामा से मित्रता हुई उज्जैन जिले की महिदपुर तहसील से करीब 9 किमी दूर है। वैसे तो यहां श्री कृष्ण का मंदिर है। यहां दुनिया का एकमात्र मंदिर है, जिसमें श्री कृष्ण अपने मित्र सुदामा के साथ में विराजते हैं। नारायण धाम मंदिर में कृष्ण-सुदामा की अटूट मित्रता को पेड़ों के प्रमाण के तौर में भी देख सकते हैं। कहा जाता है कि नारायण धाम ये पेड़ उन्हीं लकड़ियों से फले-फूले हैं, जो श्रीकृष्ण व सुदामा ने एकत्रित की थीं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा- यह मध्य प्रदेश का सौभाग्य है, जहां नारायण धाम है। ये वो स्थान है, जहां भगवान कृष्ण की सुदामा से मित्रता हुई। यानी गरीबी और अमीरी की मित्रता का सबसे श्रेष्ठ स्थान है। अमझेरा धाम, धार- कृष्ण ने रुक्मिणी का हरण किया द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने जिस स्थान से माता रुक्मिणी का हरण किया था, वो अमका-झमका मंदिर धार जिले के अमझेरा में स्थित है। यह मंदिर 7000 साल पुराना है। स्थानीय लोगों के मुताबिक यह मंदिर रुक्मिणी जी की कुलदेवी का था। वो यहां पूजा करने आया करती थी। सन् 1720- 40 में इस मंदिर का राजा लाल सिंह ने जीर्णोद्धार करवाया था। पौराणिक युग में इस स्थान को कुन्दनपुर के नाम से जाना जाता था। रुक्मिणि वहीं के राजा की पुत्री थीं। उसके बाद मंदिर के नाम से जगह को अमझेरा नाम दिया गया। जानापाव, इंदौर- परशुराम ने कृष्ण को सुदर्शन चक्र दिया सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि इंदौर के पास जानापाव नामक स्थान है, जहां विनम्रता और श्रद्धा से परशुराम जी से सुदर्शन चक्र भगवान श्री कृष्ण ने प्राप्त किया था। जानापाव वो स्थान है, जहां कहा जाता है कि जब भगवान श्री कृष्ण 12-13 साल थे, तब परशुराम से मिलने उनकी जन्मस्थली जानापाव (इंदौर) गए थे। वहां परशुराम ने कृष्ण को उपहार में सुदर्शन चक्र दिया। शिव ने यह चक्र त्रिपुरासुर वध के लिए बनाया था और विष्णुजी को दे दिया था। कृष्ण के पास आने के बाद यह उनके पास ही रहा। जन्माष्टमी पर होंगे विशेष कार्यक्रम सीएम ने कहा कि जन्माष्टमी पर हर जिले में मंदिरों की साफ-सफाई व सांस्कृतिक कार्यकम होंगे। भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा, मित्रता के प्रसंग और जीवन दर्शन के साथ भारतीय सांस्कृतिक परम्पराओं, योग आदि पर आधारित विभिन्न विषयों पर विद्वानों के व्याख्यान व सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। सरकारी, निजी स्कूल, कॉलेज में भी कार्यक्रम होंगे।
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23 August 2024प्रौद्योगिकी कंपनी ‘माइक्रोसॉफ्ट’ के सह-संस्थापक और अरबपति परोपकारी बिल गेट्स ने सिएटल क्षेत्र में पहले भारत दिवस समारोह को हरी झंडी दिखाते हुए कहा कि सुरक्षित टीकों के निर्माण से लेकर डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे तक हर क्षेत्र में भारत की कुशलता न केवल भारतीयों, बल्कि पूरे विश्व की मदद कर रही है. ‘गेट्स फाउंडेशन’ के अध्यक्ष गेट्स ने भारत के 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सिएटल स्थित भारतीय महावाणिज्य दूतावास के मुख्य अतिथि के रूप में ग्रेटर सिएटल क्षेत्र में प्रथम भारत दिवस समारोह का उद्घाटन किया. सिएटल वाणिज्य दूतावास द्वारा शुक्रवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि गेट्स ने समारोह में भारतीय-अमेरिकी समुदाय के 2,000 से अधिक सदस्यों को संबोधित करते हुए भारत को ‘‘प्रौद्योगिकी, कृषि और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में अभूतपूर्व नवोन्मेष करने वाला एक वैश्विक नेता’’ बताया. पूरी दुनिया की मदद कर रही है भारत की कुशलता गेट्स ने इस बात पर जोर दिया कि ‘‘कम लागत का सुरक्षित टीका बनाने और प्रवासी भारतीयों द्वारा दिखाए गए उल्लेखनीय नेतृत्व से लेकर भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी (डीपीआई) ढांचे तक-भारत की कुशलता न केवल भारतीयों, बल्कि पूरी दुनिया की मदद कर रही है. ‘ग्लोबल साउथ’ के देश अपनी डीपीआई प्रणाली बनाने के लिए भारत के अनुभव का लाभ उठा रहे हैं.’’ भारत दिवस समारोह में भाग लेना सम्मान की बात- बिल गेट्स ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर आर्थिक रूप से अल्पविकसित देशों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है. ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द आम तौर पर लातिन अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ओशेनिया के क्षेत्रों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसका मतलब यूरोप और उत्तरी अमेरिका के बाहर दक्षिणी गोलार्द्ध और भूमध्यरेखीय क्षेत्र में स्थित खासकर ऐसे देशों से है, जो कम आय वाले हैं. सोशल मीडिया मंच इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में गेट्स ने कहा कि वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और भारतीय प्रवासियों के साथ मिलकर सिएटल वाणिज्य दूतावास में पहले भारत दिवस समारोह में भाग लेना ‘‘सम्मान’’ की बात है. सभी भारतीयों को दी स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर को ‘टैग’ करते हुए पोस्ट में लिखा, ‘‘भारत प्रौद्योगिकी, कृषि और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में ऐसे अभूतपूर्व नवोन्मेष करने वाला वैश्विक नेता है, जो जीवन की रक्षा कर रहे हैं और उसे सुधार रहे हैं. भारत सरकार, परोपकारी लोगों, निजी क्षेत्र, गैर-लाभकारी संस्थाओं और भारतीय-अमेरिकी समुदाय के साथ सहयोग करना सम्मान की बात है. सभी भारतीयों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं.’’ बिल गेट्स ने पहना तिरंगे का स्कार्फ गेट्स ने इंस्टाग्राम पर इस समारोह की तस्वीरें भी साझा की. भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रंगों का स्कार्फ पहने गेट्स के साथ सिएटल में भारत के महावाणिज्य दूत प्रकाश गुप्ता और अन्य अधिकारी समारोह में शामिल हुए. वाणिज्य दूतावास ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट साझा कर ग्रेटर सिएटल क्षेत्र में प्रथम भारतीय दिवस समारोह को हरी झंडी दिखाने के लिए गेट्स को धन्यवाद दिया. वाणिज्य दूतावास ने एक विज्ञप्ति में बताया कि ग्रेटर सिएटल क्षेत्र में पहली बार स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाया गया, जिसमें भारत के सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों की झांकियों और सांस्कृतिक प्रस्तुति के माध्यम से ‘विविधता में एकता’ दर्शाई गई. बड़ी हस्तियां समारोह में हुई शामिल विज्ञप्ति के अनुसार, प्रत्येक झांकी को भारतीय-अमेरिकी समुदाय के प्रमुख नेताओं ने तैयार था और इसमें भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाया गया था. भारत दिवस समारोह में हिस्सा लेने वाली अन्य प्रतिष्ठित हस्तियों में सांसद सुजान डेलबेने, किम श्रियर एवं एडम स्मिथ, प्रशांत उत्तर पश्चिम में अमेरिका की प्रथम कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जेवियर ब्रूनसन, उत्तर पश्चिम नौसेना क्षेत्र के कमांडर रियर एडमिरल मार्क सुकाटो, वाशिंगटन के लेफ्टिनेंट गवर्नर डेनी हेक और डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता स्टीव हॉब्स तथा वाशिंगटन उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश स्टीव गोंजालेज शामिल थे.
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17 August 202419 अगस्त, दिन सोमवार को देश में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा, इस दिन एक बड़ी खगोलीय घटना घटने की खबर है. इस दिन शाम को आसमान में सबसे बड़ा और चमकीला चंद्रमा, जिसे सुपर ब्लूमून भी कहा जा रहा है, निकलेगा. यह कोई साधारण पूर्णिमा नहीं है. यह एक सुपरमून, एक ब्लू मून है और इसके साथ कई अन्य नाम और सांस्कृतिक महत्व जुड़े हैं जो इसे एक अद्भुत खगोलीय घटना बनाते हैं. सबसे पहले तो ये जानते हैं कि ये सुपरमून क्यों है? इस शब्द का सबसे पहली बार ज्योतिषी रिचर्ड नोले ने 1979 में एक नए या पूर्ण चंद्रमा का वर्णन करने के लिए किया था, जो तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब यानि 90 प्रतिशत तक पास होता है. इसका एक अजीब नाम भी है जिसे स्टरजियॉन मून भी कहा जाता है. ब्लू मून है एक खगोलीय घटना ये एक खगोलीय घटना है जो तब होती है जब एक ही महीने में दो पूर्णिमा होती हैं या फिर मौसम की चार पूर्णिमा होती हैं. इसमें से तीसरी पूर्णिमा को ब्लू मून कहा जाता है. जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है तो इसे सुपरमून कहा जाता है. इस सिचुएशन में मून सामान्य पूर्णिमा की तुलना में 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत अधिक चमकदार दिखाई देता है. क्या वाकई में नीला दिखेगा चांद? ब्लू मून शब्द का इतिहास 1528 तक फैला हुआ है और इसकी उत्पत्ति कुछ हद तक रहस्यमय है. कुछ लोगों का मानना है कि यह एक पुराने अंग्रेजी वाक्यांश से आया है जिसका अर्थ है "विश्वासघात करने वाला चांद", जबकि अन्य लोगों का मानना है कि यह उन दुर्लभ समयों को संदर्भित कर सकता है जब वातावरण में धूल चांद को नीला रंग देती है. हाल के दिनों में इस शब्द का इस्तेमाल उस महीने में दूसरी पूर्णिमा का वर्णन करने के लिए भी किया जाता है जिसमें दो पूर्णिमाएं होती हैं. इस घटना में चांद का रंग नीला नहीं होता है. वो अपने प्राकृतिक रंग में ही होता है लेकिन इस दिन मून बड़े आकार में और ज्यादा चमकीला दिखाई देता है. आमतौर पर हर 2-3 साल में ब्लू मून एक बार होता है.
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17 August 2024भारत देश में हर साल जन्माष्टमी का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है यह त्यौहार भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है. इस पावन अवसर पर अगर आप भी भगवान श्री कृष्ण के कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में जाकर दर्शन करना चाहते हैं, तो यह खबर आपके लिए है. आज हम आपको कुछ ऐसे फेमस मंदिरों के बारे में बताएंगे, जहां आप इस जन्माष्टमी के मौके पर जाकर श्री कृष्ण के दर्शन कर सकते हैं. आइए जानते हैं उन पांच प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में. श्री कृष्ण जन्मस्थल जन्माष्टमी के मौके पर आप श्री कृष्ण की नगरी या श्री कृष्ण के जन्म स्थान पर दर्शन करने के लिए जा सकते हैं. हम बात कर रहे हैं मथुरा की. यहां पर भगवान श्री कृष्ण का बेहद भव्य और खूबसूरत मंदिर बना हुआ है. जन्माष्टमी के दिन यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं और बड़े धूमधाम से श्री कृष्ण का जन्मदिन मनाते हैं. जगन्नाथ पुरी मथुरा के अलावा आप जगन्नाथ पुरी जा सकते हैं. यहां पर भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा तीनों एक साथ विराजमान है. इस मंदिर में जाने के बाद आपका वापस आने का मन नहीं करेगा. यहां हर साल बड़े ही भव्य तरीके से रथयात्रा निकाली जाती है, जो भारत की सबसे बड़ी धार्मिक यात्राओं में से एक है. द्वारकाधीश मंदिर, द्वारका इस जन्माष्टमी पर आप द्वारकाधीश मंदिर जा सकते हैं. यहां श्री कृष्णा का अद्भुत और आकर्षक मंदिर बना हुआ है, जो समुद्र के किनारे स्थित है. यहां का नजारा वाकई में देखने लायक होता है. मंदिर के आसपास आपको समुद्र की लहरें दिखाई देगी, जो आपका दिल जीत लेगी. बता दें कि यहां पर भगवान श्री कृष्ण की 7 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित है. प्राणनाथ मंदिर, दिल्ली अगर आप दिल्ली में रहते हैं और जन्माष्टमी के इस शुभ अवसर पर भगवान के दर्शन करना चाहते हैं, तो दिल्ली में स्थित प्राणनाथ मंदिर जा सकते हैं. इसके अलावा आप इस्कॉन टेंपल भी विजिट कर सकते हैं. यहां आपको कई भगवान के दर्शन करने को मिलेंगे. इस्कॉन टेंपल, वृंदावन इसके अलावा आप भगवान श्री कृष्ण के दर्शन के लिए वृंदावन में स्थित इस्कॉन टेंपल जा सकते हैं. यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी को समर्पित है. यहां का वातावरण इतना शांत है कि मानो आप स्वर्ग में आ गए हैं. इन सभी मंदिरों के दर्शन कर आप जन्माष्टमी के इस पावन अवसर को यादगार बना सकते हैं.
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17 August 2024सनातन धर्म राष्ट्र प्रेम, देश सेवा, क्रांतिकारी और राष्ट्र की सुरक्षा की प्रेरणा देता है. तभी तो इतने स्वतंत्र सैनिकों ने देश के लिए अंग्रजों के खिलाफ लड़कर बलिदान दिया, जिसके स्वरुप हम हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं. वेदों में राष्ट्रियता की उदात्त भावना का भरपूर समावेश है. ऋग्वेद 10.191.2 में परमात्मा से प्रार्थना की गई है- "सं गच्छध्वं सं वदध्वं सं वो मनांसि जानताम्। देवा भागं यथा पूर्वे संजानाना उपासते।।" अर्थात्– "हे परमात्मा! आप हमें ऐसी बुद्धि दें कि हम सब परस्पर हिलमिल कर एक साथ चलें. एक-समान मीठी वाणी बोलें और एक-समान हृदय वाले होकर स्वराष्ट्र में उत्पन्न धन-धान्य और सम्पत्ति को परस्पर समानरूप से बांटकर भोगें. हमारी हर प्रवृत्ति राग-द्वेष रहित परस्पर प्रीति बढ़ाने वाली हो." ऋग्वेद के 'इन्द्र-सूक्त' (10.47.2) में परमात्मा से स्वराष्ट्र के लिए धन-धान्य, पुत्रों से समृद्ध होने की कामना की गई है- "स्वायुधं स्ववसं सुनीथं चतुः समुद्रं धरुणं रयीणाम्। चकृत्यं शंस्यं भूरिवारमस्मभ्यं चित्रं वृषणं रयिं दाः॥" तात्पर्य यह कि "हे परमैश्वर्यवान् परमात्मन्! आप हमें धन-धान्य से सम्पन्न ऐसी संतान प्रदान कीजिए, जो उत्तम एवं अमोघ शस्त्रधारी हो, अपनी और अपने राष्ट्र की रक्षा करने में समर्थ हो तथा न्याय, दया दाक्षिण्य और सदाचार के साथ जन-समूह का नेतृत्व करने वाली हो, साथ ही नाना प्रकार के धनों को धारण कर परोपकार में रत एवं प्रशंसनीय हो तथा लोकप्रिय एवं अद्भुत गुणों से सम्पन्न होकर जन-समाज पर कल्याणकारी गुणों की वर्षा करनेवाली हो." राष्ट्र की रक्षा में और उसकी महत्ता में ऐसी ही अनेक ऋचाएं पर्यवसित हैं, जिनमें से यहां कुछ का उल्लेख किया जा रहा है, जैसे- उप सर्प मातरं भूमिम्। (ऋग्वेद 10.18.10) "निम्न मंत्र से मातृभूमि को नमन करते हुए कहा गया है- मातृभूमि की सेवा करो।" "नमो मात्रे पृथिव्यै नमो मात्रे पृथिव्या।" (यजुर्वेद 9.22) अर्थात्– "मातृभूमि को नमस्कार है". यहां 'पृथ्वी' का अर्थ मातृभूमि या स्वदेश ही उपयुक्त है. अतः हमें अपने राष्ट्र में सजग होकर नेतृत्व करने हेतु एक ऋचा यह उद्घोष करती है- वयःराष्ट्र जागृयाम पुरोहिताः॥(यजुर्वेद 9.23) अर्थात्– "हम अपने राष्ट्र में सावधान होकर नेता बने." क्रान्तदर्शी (क्रांतिकारी), शत्रुघातक अग्निकी उपासना-हेतु निम्न मन्त्रमें प्रेरित किया गया है- कविमग्निमुप स्तुहि सत्यधर्माणमध्वरे। देवममीवचातनम्।। (सामवेद 1.1.32) "हे स्तोताओ। यज्ञमें सत्यधर्मा, क्रान्तदर्शी, मेधावी, तेजस्वी और रोगों का शमन करने वाले शत्रुघातक अग्निकी स्तुति करो." अथर्ववेद के 'भूमि-सूक्त' में ईश्वर ने यह उपदेश दिया है कि अपनी मातृभूमि के प्रति मनुष्यों को किस प्रकार के भाव रखने चाहिए. वहां अपने देश को माता समझने और उसके प्रति नमस्कार करने का स्पष्ट शब्दों में उल्लेख किया गया है- "सा नो भूमिर्वि सृजतां माता पुत्राय मे पयः।।" (अथर्व वेद 12.1.10) "पृथ्वी माता अर्थात् मातृभूमि, मुझ पुत्र के लिए दूध आदि पुष्टिकारक पदार्थ प्रदान करें." माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः। (अथर्व वेद 12.1.12) "भूमि (स्वदेश) मेरी माता है और मैं उसका पुत्र हूं." भूमे मातर्नि धेहि मा भद्रया सुप्रतिष्ठितम्। (अथर्व वेद 12.1.63) "हे मातृभूमि! तू मुझे अच्छी तरह प्रतिष्ठित करके रख." सहृदयं सांमनस्यमविद्वेषं कृणोमि वः। अन्यो अन्यमभि हर्यंत वत्सं जातमिवाध्या।। (अथर्व वेद 3.30.1) "परस्पर हृदय खोलकर एकमना होकर कर्मशील बने रहो. तुरंत जन्मे बछड़े को छेड़ने पर गौ जैसे सिंहिनी बनकर आक्रमण करने को दौड़ती है, ऐसे तुम लोग सहृदयजनों की आपत्ति में रक्षा के लिए कमर कसे रहो." इसलि हमें चाहिए कि अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए आत्म बलिदान करने के लिए हम सदा तत्पर रहें. "उपस्थास्ते अनमीवा अयक्ष्मा अस्मभ्यं सन्तु पृथिवि प्रसूताः। दीर्घ न आयुः प्रतिबुध्यमाना वयं तुभ्यं बलिहृतः स्याम॥" (अथर्व० 12.1.62) "हे मातृभूमि! तेरी सेवा करने वाले हम निरोग और आरोग्यपूर्ण हों. तुमसे उत्पन्न हुए समस्त भोग हमें प्राप्त हों, हम ज्ञानी बनकर दीर्घायु हों तथा तेरी सुरक्षा-हेतु अपना आत्मोत्सर्ग करने के लिये भी सदा संनद्ध रहें." इस प्रकार वेद ज्ञान के महासागर है तथा विश्व-वाङ्मय की अमूल्यनिधि एवं भारतीय आर्य संस्कृति के मूल आधार है. उनमें राष्ट्रियता की उदात्त भावनाका भरपूर समावेश है. अतः हम सभी राष्ट्र वासियों को चाहिओ कि हम राष्ट्र रक्षा में समर्थ हो सकें, इसके लिए वेद की शिक्षाओं को समग्र रूप से ग्रहण करें.
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16 August 2024पेरिस ओलंपिक्स कई कारणों से चर्चा का केंद्र बना रहा था. कुछ विवाद हुए तो काफी लोग ओलंपिक खेलों के दौरान अपनाए गए इको सिस्टम के कारण निराश दिखे. ऐसे कई वीडियो सामने आए जब गत्ते से बने बेड, एथलीटों को पसंद नहीं आ रहे थे. इस बीच बढ़ती गर्मी भी एथलीटों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई थी और कमरों में एसी सुविधा को लेकर भी सवाल खड़े किए गए थे. इस संबंध में पीएम मोदी ने ओलंपिक एथलीटों के साथ मीटिंग में मज़ाक भी किया और उनकी यह वार्ता खूब चर्चा का विषय बनी हुई है. ऐसे में बढ़ती गर्मी के कारण भारत से खेल मंत्रालय ने 40 पोर्टेबल एसी पेरिस भेजे थे. पीएम मोदी ने एथलीटों से मजाक करते हुए पूछा, "वहां कोई एसी नहीं था और गर्मी भी काफी हो रही थी. इसलिए मैं पूछना चाहता हूं कि आप सबमें सबसे पहले ये ख्याल किसके मन में आया कि, 'मोदी बातें बहुत बड़ी-बड़ी करता है, लेकिन कमरों में एसी तक नहीं है. अब हम क्या करें." प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि जो भी लोग वहां मौजूद थे, सबसे अधिक परेशानी उन्हें ही झेलनी पड़ी. फिर कुछ ही घंटों में काम को अंजाम दे दिया गया. प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार अपने एथलीटों को बढ़िया से बढ़िया सुविधा उपलब्ध करवाने का प्रयास करती है. आवाल पूछे जाने पर कमरे में मौजूद सभी एथलीट चुप रहे. 2036 ओलंपिक्स की मेजबानी का है सपना पीएम मोदी ने 15 अगस्त के दिन लाल किले पर स्पीच देते हुए बताया था कि वो 2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी भारत में होते हुए देखना चाहते हैं. इसके अलावा उन्होंने ओलंपिक एथलीटों से मुलाकात के समय भी 2036 ओलंपिक खेलों के आयोजन की बात कही. प्रधानमंत्री ने कहा कि खेलो इंडिया गेम्स ने भारत में एक माहौल तैयार करने में बहुत बड़ा योगदान दिया है.
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16 August 2024पेरिस ओलंपिक्स कई कारणों से चर्चा का केंद्र बना रहा था. कुछ विवाद हुए तो काफी लोग ओलंपिक खेलों के दौरान अपनाए गए इको सिस्टम के कारण निराश दिखे. ऐसे कई वीडियो सामने आए जब गत्ते से बने बेड, एथलीटों को पसंद नहीं आ रहे थे. इस बीच बढ़ती गर्मी भी एथलीटों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई थी और कमरों में एसी सुविधा को लेकर भी सवाल खड़े किए गए थे. इस संबंध में पीएम मोदी ने ओलंपिक एथलीटों के साथ मीटिंग में मज़ाक भी किया और उनकी यह वार्ता खूब चर्चा का विषय बनी हुई है. ऐसे में बढ़ती गर्मी के कारण भारत से खेल मंत्रालय ने 40 पोर्टेबल एसी पेरिस भेजे थे. पीएम मोदी ने एथलीटों से मजाक करते हुए पूछा, "वहां कोई एसी नहीं था और गर्मी भी काफी हो रही थी. इसलिए मैं पूछना चाहता हूं कि आप सबमें सबसे पहले ये ख्याल किसके मन में आया कि, 'मोदी बातें बहुत बड़ी-बड़ी करता है, लेकिन कमरों में एसी तक नहीं है. अब हम क्या करें." प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि जो भी लोग वहां मौजूद थे, सबसे अधिक परेशानी उन्हें ही झेलनी पड़ी. फिर कुछ ही घंटों में काम को अंजाम दे दिया गया. प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार अपने एथलीटों को बढ़िया से बढ़िया सुविधा उपलब्ध करवाने का प्रयास करती है. आवाल पूछे जाने पर कमरे में मौजूद सभी एथलीट चुप रहे. 2036 ओलंपिक्स की मेजबानी का है सपना पीएम मोदी ने 15 अगस्त के दिन लाल किले पर स्पीच देते हुए बताया था कि वो 2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी भारत में होते हुए देखना चाहते हैं. इसके अलावा उन्होंने ओलंपिक एथलीटों से मुलाकात के समय भी 2036 ओलंपिक खेलों के आयोजन की बात कही. प्रधानमंत्री ने कहा कि खेलो इंडिया गेम्स ने भारत में एक माहौल तैयार करने में बहुत बड़ा योगदान दिया है.
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16 August 2024गाना सुनने, बात करने के लिए आजकल हेडफोन-ईयरफोन का इस्तेमाल बढ़ गया है. एक स्टडी में बताया गया है कि बहुत से लोग हर दिन 3-4 घंटे तक ईयरफोन लगाते हैं. क्या आप जानते हैं कि ज्यादा देर तक ईयरफोन लगाए रहने से कानों को गंभीर नुकसान हो सकता है. इससे आपकी सुनने की क्षमता भी कम हो सकती है. ईयर स्पेशलिस्ट का कहा है कि ईयरफोन की 100 डीबी तक आवाज भी कानों को डैमेज कर सकती है. ऐसे में अगर आप भी ज्यादा ईयरफोन यूज करते हैं और कुछ लक्षण नजर आए तो नजरअंदाज करने की बजाय डॉक्टर के पास जाना चाहिए, वरना बहरेपन की समस्या हो सकती है. ईयरफोन के क्या-क्या नुकसान हेडफोन या ईयरफोन लगातार लगाने से कानों में हीट पैदा होती है, जिससे ईयर इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है. ज्यादा समय तक ईयरफोन लगाने से कानों की नसों पर भी दबाव पड़ता है. उनमें सूजन भी आ सकती है. कानों में वाइब्रेशन से हियरिंग सेल्स भी प्रभावित होती है. ईयरफोन सुनने की क्षमता ही नहीं सिरदर्द को भी बढ़ा सकता है. ईयरफोन के साइड इफेक्ट्स के लक्षण ई एंड टी एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब ईयरफोन से कान खराब (Earphone Side Effects) होने लगते हैं तो कान में लगातार साउंड, भिनभिनाहट या फुसफुसाहट जैसी आवाजें सुनाई पड़ती रहती है. इससे कान गर्म हो जाते हैं और उनमें दर्द भी होने लगता है. इस तरह के लक्षण दिखते ही भागकर डॉक्टर के पास जाना चाहिए और उसकी जांच करवानी चाहिए. ऑडियोलॉजिस्ट से भी कानों को लेकर जरूर सलाह लेनी चाहिए. हेडफोन-ईयरफोन यूज करने का सेफ तरीका 1. ज्यादा देर तक हेडफोन या ईयरफोन न लगाएं. 2. गाने सुनते या बात करने वॉल्यूम नॉर्मल रखें. 3. अपना हेडफोन-ईयरफोन दूसरों को या उनका खुद इस्तेमाल करने से बचें. 4. अच्छी क्वालिटी वाले ईयरफोन ही इस्तेमला करें. 5. 1 घंटे से ज्यादा ईयरफोन या हेडफोन का इस्तेमाल करने से बचें. 6. किसी भी तरह की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से जाकर मिलें
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16 August 2024देश आज 15 अगस्त को अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11वीं बार लाल किले पर तिरंगा फहराया। अपने 103 मिनट के भाषण में मोदी ने कहा- आजादी के दीवानों ने आज हमें स्वतंत्रता की सांस लेने का सौभाग्य दिया है। ये देश महापुरुषों का ऋणी है। आजादी के बाद देशवासियों को माई-बाप कल्चर से गुजरना पड़ा था। हमने गर्वनेंस के इस मॉडल को बदला। आज सरकार खुद जनता की जरूरतें पूरी कर रही है। देश में 75 सालों से कम्युनल सिविल कोड है। अब देश को सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत है। हमारे देश के बच्चों को जाने कैसे-कैसे देशों में मेडिकल की पढ़ाई के लिए जाना पड़ता है। अगले पांच साल में 75 हजार नई मेडिकल सीटें बढ़ाई जाएंगी। कोलकाता रेप-मर्डर पर उन्होंने कहा- ऐसे राक्षसों को फांसी पर लटकाया जाए। इससे पहले PM मोदी ने सुबह राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। 78वें स्वतंत्रता दिवस की थीम विकसित भारत है। इसके तहत स्वतंत्रता के 100वें साल 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा गया है। सरकारी नीतियों पर PM मोदी विकसित भारत: PM ने कहा- 2047 विकसित भारत हमारी प्रतीक्षा कर रहा है। ये देश चलने के लिए प्रतिबद्ध है। मैं तीसरे टर्म में तीन गुना काम करूंगा। ताकि देश के सपनों को पूरा कर सकूं। अब दुनिया के लिए डिजाइनिंग इंडिया पर बल देना है, अब इंडियन स्टैंडर्ड, इंटरनेशनल स्टैंडर्ड बनने चाहिए। डिजाइन के क्षेत्र में हम दुनिया को बहुत कुछ दे सकते हैं। नई शिक्षा नीति: एजुकेशन सिस्टम में नई शिक्षा नीति आने से मातृ भाषा को बल मिला। भाषा टैलेंट के रास्ते नहीं आनी चाहिए। जीवन में मातृ भाषा को बल देना होगा। आज दुनिया में जैसा बदलाव हो रहा है, अब जाकर स्किल का महत्व बढ़ गया है। न्याय संहिता: हमने 1500 से ज्यादा कानूनों को खत्म कर दिया। छोटी गलती के चलते जेल जाने वाले कानूनों को खत्म कर दिया। आज हमने जो आजादी की विरासत की गर्व की बात करते हैं। सदियों से जो पुराने क्रिमिनल लॉ थे, उन्हें खत्म किया है। हमने दंड नहीं न्याय पर फोकस रखा। आत्मनिर्भर भारत: डिफेंस सेक्टर में हमारी आदत हो गई थी कि बजट का पैसा कहां जाता है, विदेश से इंपोर्ट करते थे। आज इसमें आत्मनिर्भर बने हैं। आज डिफेंस मैनयूफैक्चरिंग का हब बने हैं। दुनिया में हथियार एक्सपोर्ट कर रहे हैं। बैकिंग सेक्टर: बैंकिग क्षेत्र में हमने रिफॉर्म किया तो दुनिया की मजबूत बैकों में हमारी बैंकों ने स्थान बनाया। बैंकिंग सेक्टर मजबूत हो तो विकास भी होता है, हमारे नौजवानों को पढ़ाई, विदेश जाने के लिए लोन चाहिए। किसानों को लोन चाहिए, रेहड़ी पटरी वाले भी लोन ले रहे और विकास में भागीदार बन रहे हैं। कृषि रिफॉर्मिंग: हम किसानों की मदद कर रहे हैं, आसान लोन दे रहे हैं, उसे टेक्नोलॉजी दे रहे हैं। उसे एंड टु एंड होल्डिंग मिले उस दिशा में काम रहे हैं। आज दुनिया के लिए ऑर्गेनिक फूड बनाने वाला फूड बॉस्केट हमारे देश का किसान बना सकता है। मोदी बोले- 2047 तक विकसित भारत का संकल्प पूरा करेंगे मोदी ने कहा- हमारे पूर्वज सिर्फ 40 करोड़ थे, उन्होंने गुलामी जंजीरों को तोड़ दिया था। हमारे पूर्वजों का खून हमारी रगों में है। अगर 40 करोड़ गुलामी की बेड़ियाों को तोड़ सकते हैं, तो 140 करोड़ नागरिक अगर संकल्प लेकर चल पड़ें, तो चुनौतियां कितनी बड़ी क्यों न हो, हर चुनौती को पार करते हुए हम समृद्ध भारत बना सकते हैं। हम 2047 विकसित भारत का संकल्प प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि देशवासियों ने अपने अनुभव से हमें विकसित भारत बनाने के सुझाव दिए हैं। आपदाओं में जिन्होंने अपनों को खोया, उनके साथ देश खड़ा है इस साल और पिछले कुछ सालों से प्राकृतिक आपदा के कारण हमारी चिंता बढ़ती जा रही है। इसमें अनेक लोगों ने अपने परिवारजन खोए हैं, अपनी संपत्ति खोई है। राष्ट्र को भी नुकसान हुआ है मैं आज उन सब के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं, उन्हें विश्वास दिलाता हूं ये देश संकट की घड़ी में उनके साथ खड़ा है। स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले से PM मोदी का सबसे लंबा भाषण पीएम मोदी ने बतौर प्रधानमंत्री 11वें स्वतंत्रता दिवस पर 103 मिनट का सबसे लंबा भाषण दिया। पहली बार उन्होंने लालकिले से 100 मिनट से ज्यादा की स्पीच दी है। चार बार (2016, 2019, 2022, 2023) 90 मिनट से ज्यादा का भाषण दिया है। सबसे छोटा भाषण साल 2014 का है, जब मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने थे। तब उन्होंने 65 मिनट की स्पीच दी थी।
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15 August 202415 अगस्त के मौके पर आज पूरा भारतवर्ष भारत का 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। आज ही के दिन 78 साल पहले भारत ने पहली बार लाल किले पर तिरंगा लहराया था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद राष्ट्र को संबोधित किया। यह देश के नाम उनका लगातार 11वां संबोधन था और लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने के बाद उनका पहला संबोधन। स्वतंत्रता दिवस समारोह के मद्देनजर दिल्ली में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। इस बार खास बात यह है कि पेरिस ओलंपिक 2024 में हिस्सा लेने वाले भारतीय खिलाड़ियों को भी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बतौर अतिथि आमंत्रित किया गया।
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15 August 2024आजादी से पहले भारत की करेंसी छापने का काम इकलौते नासिक प्रेस में होता था। 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों ने देश की आजादी के साथ उसे दो हिस्सों में बांट दिया। अब नए मुल्क पाकिस्तान के सामने समस्या थी कि क्या वहां भारत के नोट चलाए जाएं? कुछ पाकिस्तानी नेताओं ने नासिक प्रिंटिंग प्रेस बांटने की मांग की, लेकिन यह प्रैक्टिकली संभव नहीं था। आखिर पाकिस्तान ने करेंसी पर क्या फैसला किया? आजादी और बंटवारे से जुड़े ऐसे कई सवाल आम लोगों के जेहन में अक्सर आते हैं। जैसे- आजादी के लिए 15 अगस्त ही क्यों चुना, अंग्रेज गए तो सरकारी खजाने में कितना पैसा छोड़ गए, जेल में बंद कैदियों का क्या हुआ; आजादी की 78वीं सालगिरह पर ऐसे ही 10 रोचक सवालों के जवाब जानेंगे... सवाल-1: भारत की आजादी के लिए 15 अगस्त ही क्यों चुना गया? जवाब: सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद 1945 में ब्रिटेन में चुनाव हुए। लेबर पार्टी सत्ता में आई और क्लेमेंट एटली प्रधानमंत्री बने। PM एटली ने फरवरी 1947 में ऐलान किया कि 30 जून 1948 तक ब्रिटेन भारत को आजाद कर देगा। इसके लिए लॉर्ड माउंटबेटन को आखिरी वायसराय चुना गया। भारत के पहले गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी के मुताबिक अगर माउंटबेटन जून 1948 तक इंतजार करते तो ट्रांसफर करने के लिए उनके पास कोई पॉवर ही नहीं बचती। पूरे देश में हिंसा और उथल-पुथल मची थी। माउंटबेटन ने भारत की आजादी और बंटवारे के प्लान में तेजी दिखाई। माउंटबेटन के सुझावों पर ब्रिटेन की संसद ने 4 जुलाई, 1947 को इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट पारित किया। इसमें 15 अगस्त 1947 को भारत से ब्रिटिश शासन खत्म करने का प्रावधान था। अब सवाल उठता है कि 15 अगस्त ही क्यों? सवाल-2: भारत और पाकिस्तान अलग-अलग दिन आजादी क्यों मनाते हैं? जवाब: ब्रिटिश संसद में भारत की आजादी का दिन 15 अगस्त ही तय किया गया था। इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट में भी साफ-साफ इसी तारीख का जिक्र है। पाकिस्तान ने जो पहला डाक टिकट जारी किया है, उसमें भी आजादी की तारीख 15 अगस्त ही है। पाकिस्तान में दिए अपने पहले भाषण में जिन्ना ने कहा था कि 15 अगस्त स्वतंत्र और संप्रभु पाकिस्तान का जन्मदिन है। यह उस मुस्लिम राष्ट्र की नियति की पूर्ति का प्रतीक है, जिसने अपनी जमीन पाने के लिए बहुत कुर्बानियां दी हैं। फिर पाकिस्तान में 14 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाया जाने लगा, इसकी कोई स्पष्ट वजह नहीं मिलती। एक थ्योरी है… पाकिस्तान के जाने-माने इतिहासकार के.के. अजीज अपनी किताब मर्डर ऑफ हिस्ट्री में लिखते हैं, 'वायसराय माउंटबेटन ब्रिटिश राज के इकलौते प्रतिनिधि थे। उन्हें व्यक्तिगत रूप से दोनों नए देशों को सत्ता हस्तांतरित करना था। हालांकि, माउंटबेटन एक ही समय नई दिल्ली और कराची में मौजूद नहीं हो सकते थे। ऐसा भी संभव नहीं था कि वो 15 अगस्त की सुबह भारत को सत्ता सौंपे और शाम तक कराची आ जाएं, क्योंकि उस समय तक वे भारत के गवर्नर जनरल बन चुके होते।' के. के. अजीज लिखते हैं, 'प्रैक्टिकल विकल्प यही था कि माउंटबेटन 14 अगस्त को वायसराय के तौर पर पाकिस्तान को सत्ता हस्तांतरित करें और फिर 15 अगस्त को भारत चले जाएं। उन्होंने ऐसा ही किया और तभी से पाकिस्तान 14 अगस्त को अपनी आजादी का दिन मनाने लगा।' लेखक लैरी कोलिन्स और डोमिनिक लैपियर की किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में लॉर्ड माउंटबेटन के हवाले से लिखा गया है, ‘मैंने जो तारीख चुनी, वह अचानक से मेरे दिमाग में आई। जब मुझसे पूछा गया कि क्या हमने कोई तारीख तय की है, तो उस समय मैंने ठीक से नहीं सोचा था। मुझे इतना अंदाजा था कि इसे अगस्त या सितंबर के आसपास रखना चाहिए। अचानक मेरे दिमाग में 15 अगस्त की तारीख आई, क्योंकि यह द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी वर्षगांठ थी। इसी दिन जापान के राजा हिरोहितो ने आत्मसमर्पण का ऐलान किया था।’ सवाल-3: ये बात कितनी सच है कि 15 अगस्त 1947 को भारत को लीज पर आजादी मिली, भारत संप्रभु देश नहीं था? जवाब: भारत को आजादी लीज यानी पट्टे पर नहीं मिली है। ये कोरी अफवाह है। जब भारत आजाद हुआ तब भी संप्रभु था और आज भी है। ये बात सच है कि भारत को आजादी ब्रिटेन की संसद में पेश इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 के तहत ही मिली थी। इसके बाद भारत का संविधान बना। 26 जनवरी 1950 को इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 को निरस्त करके ही भारत में संविधान लागू किया गया था। संविधान लागू करते समय भारत को पूरी तरह से स्वतंत्र एवं संप्रभु देश घोषित किया गया था। UK की संसद की वेबसाइट पर जाएंगे तो वहां साफ-साफ भारत की आजादी से जुड़े कानून का जिक्र और दस्तावेज उपलब्ध हैं। उसमें लिखा है कि ब्रिटेन ने इस एक्ट के तहत दो नए स्वतंत्र प्रभुत्व राष्ट्र भारत और पाकिस्तान बनाए हैं। इस एक्ट के तहत ब्रिटिश राजशाही को 'भारत के सम्राट' के पद से भी हटा दिया गया है। ब्रिटिश राजघराने ने रियासतों के साथ सभी मौजूदा संधियों को समाप्त कर दिया है। लॉर्ड माउंटबेटन गवर्नर-जनरल के रूप में काम करते रहेंगे। जवाहरलाल नेहरू को भारत का पहला प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान के गवर्नर जनरल और लियाकत अली खान इसके प्रधानमंत्री बने हैं। सवाल-4: जब पाकिस्तान बना तो वहां कौन सी करेंसी चलाई गई, क्योंकि तब तक पाकिस्तान अपने नोट तो छापता नहीं था? जवाब: विभाजन से पहले करेंसी नोट नासिक प्रेस में छपते थे। जब बंटवारा हुआ तो पाक बनाने की मांग करने वाले कुछ नेताओं ने कहा कि नासिक प्रिंटिंग प्रेस का भी विभाजन होना चाहिए, लेकिन यह प्रैक्टिकली पॉसिबल नहीं था। बंटवारे में 70 दिन बाकी थे। पाकिस्तान को करेंसी नोटों की जरूरत थी। जब भारत-पाक के नेताओं ने चर्चा की तो पाकिस्तान के सामने तीन विकल्प रखे गए… 1. नासिक प्रेस से ही प्रिंटिंग जारी रखी जाए। 2. बंटवारे के बाद 15 अगस्त से पाक सरकार अपनी व्यवस्था खुद कर ले। 3. पाक सरकार किसी प्राइवेट प्रिंटिंग प्रेस से अपनी करेंसी छपवा ले। पाकिस्तान पक्ष की एक कमेटी ने नासिक प्रेस का निरीक्षण किया और उसकी क्षमता का आकलन किया। उन्होंने तय किया कि नोट यहीं नासिक में छपना चाहिए। इसके लिए पाक का एक प्रतिनिधि यहां तैनात होगा, जो प्रोसेस पर नजर रखेगा। समस्या ये थी कि बंटवारे के बाद दूसरे देश का आदमी नोट प्रेस जैसी गोपनीय जगह पर कैसे रह सकता है। इसके लिए बंटवारा कमेटी ने 19 जुलाई 1947 को वित्त विभाग के सामने रिपोर्ट पेश कर अनुमति मांगी तब जाकर उसे यहां रहने की सहमति मिली। समस्या नोट छापने की नहीं थी, बल्कि डिजाइन की थी। नासिक प्रेस में पाकिस्तान या भारत के लिए नए नोटों का डिजाइन तैयार किया जाता तो इसमें कम से कम डेढ़ साल का समय लगता। इसके बाद ये नोट मार्केट में उतारने में भी समय लगता। ऐसे में तय किया गया कि भारतीय रिजर्व बैंक भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए नोट छापेगा। हिंदुस्तानी हुकूमत को आजादी के बाद भी समझौता करना पड़ा। उनके करेंसी नोटों पर इंग्लैंड के राजा की तस्वीर को उन्हें स्वीकार करना पड़ा, जिस पर RBI के तत्कालीन गवर्नर सीडी देशमुख के हस्ताक्षर थे। पाकिस्तान को तो और भी समझौता करना पड़ा। उसे 'रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया' के जारी किए गए करेंसी नोटों को स्वीकार करना पड़ा। नासिक प्रेस ने पाकिस्तान के नोटों के सफेद हिस्से पर ऊपर अंग्रेजी में 'गवर्नमेंट ऑफ पाकिस्तान' और नीचे उर्दू में 'हुकुमते पाकिस्तान' उकेर दिया था। इससे पता चलता था कि ये करेंसी पाक की है। पाकिस्तान के लिए करेंसी नोटों की पहली खेप RBI ने 1 अप्रैल, 1948 को जारी की थी। इस कारण माना जाता है कि तब तक पाकिस्तान में पुरानी 'भारतीय' करेंसी चलती थी। 1949 में पाकिस्तान ने अपनी करेंसी अपने देश में छापनी शुरू की थी। सवाल-5: क्या 15 अगस्त की रात को ही सभी गोरे सिपाही चले गए थे? जवाब: भारत और पाकिस्तान की सैन्य व्यवस्था संभालने के लिए कई ब्रिटिश अफसर और सैनिक अगले एक साल तक भारत में ही रुके थे। जब वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत की आजादी की तारीख 15 अगस्त 1947 का ऐलान किया तो तुरंत ब्रिटिश सैनिकों को उनकी बैरकों में बुला लिया गया। कई ब्रिटिश अधिकारी बंटवारे में सहायता के लिए भारत में रुक गए, जिनमें भारत के प्रथम सेनाध्यक्ष जनरल सर रॉबर्ट लॉकहार्ट और पाकिस्तान के प्रथम सेनाध्यक्ष जनरल सर फ्रैंक मेसेर्वी शामिल थे। भारत छोड़ने वाली आखिरी यूनिट फर्स्ट बटालियन, समरसेट लाइट इन्फैंट्री (प्रिंस अल्बर्ट) थी, जो 28 फरवरी 1948 को बम्बई (अब मुंबई) से इंग्लैंड के लिए रवाना हुई थी। 15 अगस्त से कुछ सप्ताह पहले कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी भारतीय सेना को सौंपी गई थी, क्योंकि आगे भी उसे यही करना था। सवाल-6: भारत-पाक बंटवारे में जेल में बंद कैदियों का क्या हुआ? जवाब: कैदियों की पुख्ता संख्या के बारे में तो कोई जानकारी नहीं है, लेकिन राजनीतिक कैदियों को आजादी का ऐलान होते ही तुरंत रिहा कर दिया गया था। आम कैदियों के मामले में अलग-अलग प्रक्रिया अपनाई गई थी। जब दंगे बढ़ने लगे तो कई जेलों से आम कैदियों को कानून और व्यवस्था भंग होने के कारण रिहा कर दिया गया था। कुछ जगह पर जहां संभव था, कैदियों को रखा गया और उन्होंने अपनी सजा पूरी की। इसके बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। सवाल-7: बैंकों का बंटवारा कैसे हुआ? जवाब: पाकिस्तान की जनसंख्या कुल जनसंख्या का लगभग 20% थी। भारत और पाक दोनों में गैर सरकारी बैंकों की संख्या ज्यादा थी। ज्यादातर बैंकों के हेड ऑफिस भारत में थे। वहीं ब्रांच ऑफिसेस पाकिस्तान में ज्यादा थे। उस समय इनकी पूंजी और रिजर्व डेढ़ लाख करोड़ रुपए से अधिक थे। इनमें से लगभग 25% बैंक पाकिस्तान में थे। वेस्ट पाकिस्तान यानी आज के बांग्लादेश में बैंकिंग सुविधाएं ईस्ट पाकिस्तान की तुलना में बेहतर थीं। 13 में से 10 सरकारी बैंक वहीं थे। वहीं 157 गैर सरकारी बैंकों में से 123 वेस्ट पाकिस्तान में थे। इसका कारण ये था कि अंग्रेजों की राजधानी कलकत्ता (कोलकाता) व्यापार और बैंकिंग लेन-देन का हब थी। जब बंटवारा हुआ तो कुल 3146 सरकारी बैंक और उनकी ब्रांच थीं। इनमें से पाकिस्तान को 633 और 2513 भारत के हिस्से में आई थीं। वहीं गैर सरकारी बैंक में से कुल 2205 में से पाकिस्तान के हिस्से में 568 और भारत के हिस्से में 1637 बैंक आए थे। सवाल-8: अंग्रेज भारत के सरकारी कोष में कुल कितना पैसा छोड़ गए थे? जवाब: 1 मार्च 1947 को अविभाजित भारत के पास कैश और सिक्योरिटी 514 करोड़ रुपए थे, जबकि 15 अगस्त 1947 को 400 करोड़ रुपए बचा था। बंटवारे के एग्रीमेंट में इसे इतना ही लिखा गया था। 325 करोड़ रुपए भारत को और 75 करोड़ रुपए पाकिस्तान के हिस्से में आए। 20 करोड़ रुपए पाकिस्तान को एडवांस दिए गए थे। आजादी के बाद भारत और पाकिस्तान ने सालभर सितंबर 1948 तक एक ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की सेवा ली थी। सवाल-9: माउंटबेटन ने राष्ट्रपति भवन कब खाली किया, भारत के पहले गवर्नर जनरल कब दाखिल हुए? जवाब: लॉर्ड माउंटबेटन 14-15 अगस्त 1947 की आधी रात को पाकिस्तान और भारत को आजादी मिलने के बाद से 10 महीने तक नई दिल्ली में रहे। उन्होंने जून 1948 तक स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल के रूप में काम किया। इन दस महीनों में उन्होंने कई राजाओं को भारत में विलय के लिए मनाया। माउंबेटन के कार्यकाल के दौरान ही सी राजगोपालाचारी वायसराय भवन अब राष्ट्रपति भवन में रह चुके थे। दरअसल, 10 से 24 नवंबर 1947 तक माउंटबेटन अपने भतीजे प्रिंस फिलिप और राजकुमारी एलिजाबेथ की शादी में शामिल होने के लिए इंग्लैंड छुट्टी पर गए थे। इस दौरान सी राजगोपालाचारी को लॉर्ड माउंटबेटन की गैरहाजिरी में कार्यवाहक गवर्नर जनरल बनाया गया था। सी राजगोपालाचारी ने वायसराय के महल में बेहद सिंपल जीवन बिताया था। वे अपने कपड़े खुद धोते थे और जूते भी खुद ही पॉलिश करते थे। माउंटबेटन ने सरदार वल्लभ भाई पटेल के बाद अपने पद का उत्तराधिकारी राजगोपालाचारी को ही बताया था। आखिरकार उन्हें ही चुना गया। उन्होंने 21 जून 1948 को वायसराय महल में कदम रखा और संविधान लागू होने तक 26 जनवरी 1950 तक इस पद पर रहे। सवाल-10: क्या महात्मा गांधी आजादी के जश्न में शामिल नहीं हुए? जवाबः महात्मा गांधी आजादी के जश्न में शामिल नहीं हुए थे। वे बंगाल में थे जहां हिन्दू-मुस्लिम के बीच सांप्रदायिक हिंसा हो रही थी। आजादी के दिन उन्होंने 24 घंटे का व्रत रखा था। उन्होंने नेहरू का भाषण भी नहीं सुना था, क्योंकि उस रात वे जल्दी सोने चले गए थे।
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15 August 2024विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस साल 2021 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि 14 अगस्त को भारत में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाएगा। 1947 में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन द्वारा भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान को एक मुस्लिम देश के रूप में बनाया गया था। जब देश में बंटवारा हुआ तो बड़े पैमाने पर दंगे भड़कने के कारण लाखों लोग विस्थापित हुए और उनमें से कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी। इस दिन को यादगार बनाने की घोषणा करते हुए पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर कहा था कि विभाजन के दर्द को कभी नहीं भुलाया जा सकता। हमारे लाखों बहन-भाई विस्थापित हुए और कई लोगों ने नासमझ नफरत और हिंसा के कारण अपनी जान गंवाई। हमारे लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में, 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाएगा। पाकिस्तान स्वतंत्रता दिवस साल 1947 में भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम ने भारत और पाकिस्तान के रूप में दो संप्रभु राष्ट्र-राज्यों का निर्माण किया। पाकिस्तान के संस्थापक पिता और पहले राष्ट्रपति मोहम्मद अली जिन्ना ने अपने ऐतिहासिक रेडियो संबोधन में कहा था कि 15 अगस्त स्वतंत्र और संप्रभु राज्य पाकिस्तान का जन्मदिन है। यह उस मुस्लिम राष्ट्र की नियति की पूर्ति का प्रतीक है जिसने पिछले कुछ वर्षों में अपनी मातृभूमि पाने के लिए बहुत त्याग किए हैं। वहीं, पाकिस्तान 14 अगस्त को इसलिए अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है क्योंकि कई लोगों का आज भी मानना है कि 14 अगस्त 1947 में रमजान का आखिरी शुक्रवार था। देश दुनिया के इतिहास में 14 अगस्त की महत्वपूर्ण घटनाएं- 1862 : बंबई उच्च न्यायालय की स्थापना। 1908 : इंग्लैंड के फोकेस्टोन में पहली सौंदर्य प्रतियोगिता का आयोजन। 1917 : चीन ने जर्मनी और आस्ट्रिया के खिलाफ युद्ध की घोषणा की। 1924 : प्रसिद्ध लेखक एवं पत्रकार कुलदीप नैयर का जन्म। 1938 : बीबीसी की पहली फीचर फिल्म (स्टूडेंट ऑफ प्राग) टेलीविजन पर प्रसारित। 1947 : भारत का विभाजन हुआ और पाकिस्तान पृथक राष्ट्र बना। 1968 : मोरारजी देसाई पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित। 1971 : बहरीन को 110 वर्ष के बाद ब्रिटिश शासन से आजादी मिली। 2003 : पूर्वी अमेरिका और कनाडा में लंबे समय तक बिजली आपूर्ति ठप, जिसका असर न्यूयॉर्क और ओटावा जैसे बड़े शहरों पर भी पड़ा। 2006 : संयुक्त राष्ट्र की पहल पर इजराइल और दक्षिणी लेबनान में पांच सप्ताह से जारी संघर्ष थमा। 2006 : इराक के कहतानिया में बमबारी में 400 लोग मारे गये। 2013 : मिस्र में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प में 638 लोग मारे गये।
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14 August 2024प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्त, 2024 को 78वें स्वतंत्रता दिवस समारोह का लाल किले पर तिरंगा फहराएंगे. इस बार स्वतंत्रता दिवस के भव्य समारोह में 6,000 अतिथियों को आमंत्रित किया गया है. स्वतंत्रता दिवस समारोह में पीएम मोदी राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे और राष्ट्र को संबोधित भी करेंगे. इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस की थीम ‘विकसित भारत @2047’ रखी गई है. बता दें कि केंद्र सरकार का लक्ष्य वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाने का है. दरअसल, 2047 में भारत अपनी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ मनाएगा. केंद्र सरकार ने इससे पहले केंद्रीय बजट पेश करते हुए कहा था कि बजट का उद्देश्य 2047 तक विकसित भारत की नींव रखना है. कैसा होगा समारोह? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किले पर पहुंचने पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने स्वागत करेंगे. रक्षा सचिव दिल्ली क्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) लेफ्टिनेंट जनरल भवनीश कुमार का प्रधानमंत्री से परिचय कराएंगे. पीएम को सलामी स्थल तक कौन ले जाएगा? दिल्ली क्षेत्र के जीओसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सलामी स्थल तक ले जाएंगे, जहां संयुक्त अंतर-सेवा और दिल्ली पुलिस गार्ड उन्हें सलामी देंगे. बताया गया कि इसके बाद पीएम मोदी गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण करेंगे. पीएम के लिए गार्ड ऑफ ऑनर दल में सेना, नौसेना, वायु सेना और दिल्ली पुलिस से एक-एक अधिकारी और 24 कर्मी शामिल रहेंगे. राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए प्राचीर तक जाएंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण करने के बाद लाल किले की प्राचीर की ओर बढ़ेंगे जहां उनका स्वागत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी करेंगे. बताया गया कि दिल्ली क्षेत्र के जीओसी पीएम मोदी को राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए प्राचीर पर मंच तक लेकर जाएंगे. ध्वज फहराने में कौन करेगा सहायता? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रीय ध्वज फहराने में सहायता लेफ्टिनेंट संजीत सैनी करेंगे. ध्वज फहराने के बाद 1721 फील्ड बैटरी (सेरेमोनियल) के बहादुर गनर्स द्वारा 21 तोपों की सलामी दी जाएगी. राष्ट्रीय ध्वज गार्ड में सेना, नौसेना और वायु सेना से एक-एक अधिकारी और 32 अन्य रैंक के जवान और दिल्ली पुलिस के 128 जवान भी शामिल रहेंगे. हेलीकॉप्टर करेंगे पुष्प वर्षा राष्ट्रीय ध्वज फहराए जाने का बाद उसे राष्ट्रीय सलामी दी जाएगी. सलामी के दौरान पंजाब रेजिमेंट मिलिट्री बैंड, जिसमें एक जेसीओ और 25 अन्य रैंक शामिल हैं, राष्ट्रगान बजाएंगे. इस बैंड का नेतृत्व सूबेदार मेंजर राजिंदर सिंह करने वाले हैं. ध्वज फहराए जाने के बाद भारतीय वायुसेना के दो एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर कार्यक्रम स्थल पर पुष्प वर्षा करेंगे. पीएम मोदी पुष्प वर्षा के बाद राष्ट्र को संबोधित करेंगे. पीएम के भाषण के समापन पर राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के कैडेट राष्ट्रगान गाएंगे. बता दें कि देश भर के विभिन्न स्कूलों से कुल 2,000 लड़के और लड़कियां कैडेट (सेना, नौसेना और वायु सेना) समारोह में भाग ले रहे हैं. अतिथियों में कौन लोग हैं शामिल? विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे युवा, आदिवासी समुदाय, किसान और महिलाओं को भी बतौर अतिथि आमंत्रित किया गया है. वहीं अटल इनोवेशन मिशन और पीएम (प्रधानमंत्री के उभरते भारत के लिए स्कूल) योजना से लाभान्वित छात्र और ‘मेरी माटी मेरा देश’ के तहत मेरा युवा भारत (MY भारत) और राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक भी कार्यकर्म में शिरकत करेंगे. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लाभार्थी और किसान उत्पादक संगठनों के प्रतिनिधि भी समारोह में शामिल होंगे. मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा), सहायक नर्स मिडवाइफ (एएनएम) और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, लखपति दीदी और ड्रोन दीदी पहल और सखी केंद्र योजना के लाभार्थी भी कार्यक्रम में शामिल होंगे. पेरिस ओलंपिक के भारतीय एथलीट्स भी रहेंगे शामिल मिली जानकारी के मुताबिक पेरिस ओलंपिक्स 2024 में हिस्सा लेने वाले भारतीय खिलाड़ियों को भी बतौर अतिथि आमंत्रित किया गया है. वहीं रक्षा मंत्रालय द्वारा MyGov और आकाशवाणी के सहयोग से आयोजित विभिन्न ऑनलाइन प्रतियोगिताओं के तीन हजार (3,000) विजेता भी समारोह में शामिल होंगे.
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14 August 2024भारत कुछ ही दिनों में अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है. इस दिन भारत में छुट्टी होती है, लेकिन भारतीय क्रिकेट टीम एक या दो नहीं बल्कि कई बार 15 दिन के मौके पर भी देश सेवा करने निकल पड़ी थी. हालांकि 15 अगस्त के दिन टीम इंडिया ने ज्यादातर टेस्ट मैच ही खेले हैं, जिनमें आइए जानते हैं उसका प्रदर्शन कैसा रहा है? 15 अगस्त के दिन भारत ने कितने मैच खेले? भारत को 15 अगस्त, 1947 के दिन ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी मिली थी. आजादी के बाद भारत स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पहला मैच 1952 में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था. दरअसल वो टेस्ट मैच 14 अगस्त को शुरू हुआ था, जो ड्रॉ के रूप में समाप्त हुआ था. उसके बाद स्वतंत्रता दिवस पर टीम इंडिया ने 2001 में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट मैच खेला, जिसमें भारत को 10 विकेट से करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी. वहीं जब टीम इंडिया 2014 में इंग्लैंड दौरे पर गई तब 15 अगस्त के दिन टेस्ट मुकाबला शुरू हुआ था, जिसमें भारत पारी और 244 रनों के विशाल अंतर से हार गया था. वहीं 2015 में इस खास मौके पर भारत को श्रीलंका, वहीं 2021 में भारतीय टीम 151 रन से विजयी रही थी. 1952 - भारत बनाम इंग्लैंड (टेस्ट मैच - ड्रॉ) 2001 - भारत बनाम श्रीलंका (टेस्ट मैच - भारत हारा) 2014 - भारत बनाम इंग्लैंड (टेस्ट मैच - भारत हारा) 2015 - भारत बनाम श्रीलंका (टेस्ट - भारत हारा) 2021 - भारत बनाम इंग्लैंड (टेस्ट मैच - भारत जीता) वनडे मैच 14 अगस्त को शुरू 15 अगस्त को खत्म दरअसल भारतीय टीम ने 15 अगस्त के दिन एक वनडे मैच भी खेला है. टीम इंडिया 2019 में वेस्टइंडीज का दौरा कर रही थी और उस समय तीसरे वनडे मैच को भारत ने डकवर्थ लुईस नियम के आधार पर 6 विकेट से जीता था. यह मैच वेस्टइंडीज में 14 अगस्त को शुरू हुआ और मुकाबला शाम के समय समाप्त हुआ, लेकिन भारतीय समयानुसार देखा जाए तो यह 15 अगस्त के दिन समाप्त हुआ था.
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13 August 2024डीआरडीओ (DRDO) ने भारत में निर्मित मैन-पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (Man-Portable Anti Tank Guided Missile) का मंगलवार (13 अगस्त) को सफलतापूर्वक परीक्षण किया. राजस्थान के जैसलमेर में फील्ड फायरिंग रेंज में ये परीक्षण किया गया. मैन-पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल में लॉन्चर, टारगेट एक्विजिशन सिस्टम और फायर कंट्रोल यूनिट भी शामिल है. डीआरडीओ के अधिकारियों ने मिसाइल के प्रदर्शन की जमकर तारीफ की और इसे उल्लेखनीय बताया. इस एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल सिस्टम में ऐसे कई फीचर हैं जो इसे दुश्मन के लिए बेहद घातक बनाते हैं. क्या है इसकी खासियत? मैन-पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल या एटीजीएम, दिन और रात दोनों के लिए ही डिजाइन की गई है. ये टॉप अटैक क्षमता से लैस है जो दुश्मनों के ठिकानों को पलक झपकते ही तबाह करने का दमखम रखती है. बताया गया कि इसे भविष्य में युद्ध टैंकों में भी लगाया जा सकेगा. दुश्मन के टैंक होंगे तबाह मैन-पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का भार 15 किलोग्राम से भी कम है और इसे कंधे से भी दुश्मन के ठिकानों पर दागा जा सकेगा. इसका खौफ हमेशा, दुश्मन के टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों को चलाने वालों को रहेगा. इसकी मदद से दुश्मन के टैंक भी तबाह हो जाएंगे. क्या बोले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह? मिसाइल के सफलतापूर्व परीक्षण के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ और भारतीय सेना की सराहना की है. एनडीटीवी की रिपोर्ट्स के मुताबिक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मैन-पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल को रक्षा प्रणाली में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में एक अहम कदम बताया है. कई हथियारों का किया प्रदर्शन रिपोर्ट्स के मुताबिक डीआरडीओ ने मंगलवार (13 अगस्त) को तमिलनाडु के सुलूर में जारी तरंग शक्ति अभ्यास में भारत में तैयार किए गए कई हथियारों का प्रदर्शन किया.डीआरडीओ के अध्यक्ष समीर वी कामत ने इस दौरान कहा कि तरंग शक्ति अभ्यास भारत के घरेलू हथियारों के प्रदर्शन का एक शानदार अवसर है.
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13 August 2024उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में सावन माह के चौथे सोमवार को देशभर से श्रद्धालु दर्शन करने पहुंच रहे है. उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में सावन माह के चौथे सोमवार को श्रद्धालु की भारी भीड़ देखी गई. सावन के हर सोमवार को लाखों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं. महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. मंदिर के पुजारी आशीष गुरु ने बताया कि रात 2:30 बजे मंदिर के पट खुले गए. इसके बाद भगवान का पंचामृत पूजन हुआ और फिर भव्य भस्म आरती की गई. महा निर्माणी अखाड़े के महंत ने भगवान महाकाल को भस्मी से स्नान कराया. इस दौरान बड़ी संख्या में देशभर से श्रद्धालु भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेने पहुंचे थे.महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती में शामिल होने के लिए अनुमति की आवश्यकता होती है मगर सावन के महीने में भस्म आरती बिना अनुमति के चल रही है. भस्म आरती के माध्यम से हजारों की संख्या में शिव भक्त भस्म आरती में शामिल हो रहे हैं.उज्जैन एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर और सवारी व्यवस्था में लगभग 1200 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं. उत्तराखंड से आए श्रद्धालु हिमांशु ने बताया कि वह 2 घंटे से कतारबद्ध होकर खड़े थे. भस्म आरती के कारण देरी से दर्शन का सिलसिला शुरू हुआ. महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं को सुबह 2 घंटे में भगवान महाकाल के दर्शन हुए जबकि बाद में धीरे-धीरे समय का अंतर कम होता चला गया. अब दिन भर भगवान महाकाल के दरबार में शिव भक्तों को 1 घंटे से भी कम समय में दर्शन हो रहे हैं.
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12 August 2024बरसात के मौसम में लोग अपने दोस्तों, परिवार वालों या फिर अपने पार्टनर के साथ खूबसूरत वादियों का दीदार करने का मन बनाते हैं. लेकिन कई बार डेस्टिनेशन के चक्कर में प्लान कैंसिल कर देते हैं. लेकिन अगर आपने पूरा मन बना लिया है, तो यह खबर आपके लिए है. आज हम आपको ऐसी जगह के बारे में बताएंगे, जो किसी स्वर्ग से कम नहीं है. यही नहीं बरसात के मौसम में आपको ऐसा लगेगा, मानो आप किसी जन्नत का दीदार कर रहे हैं. सिक्किम की खेचोपलरी झील सिक्किम की खूबसूरत वादियों में बसा खेचोपलरी झील अपनी रहस्यमयी और मनमोहक सुंदरता के लिए पूरे देश में फेमस है. इस झील को wish fulfilling lake भी कहा जाता है. जानकारी के मुताबिक अगर आप इस झील में अपनी किसी भी विश को मांगते हैं या कोई मनोकामना करते हैं, तो वह पूरी होती है. पुरी होगी हर विश यही कारण है कि इसे 'wish fulfilling lake' कहा जाता है. इस झील में अपनी विश मांगने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं. इसे भारत के सबसे फेमस लेक में से एक माना जाता है. खेचोपलरी गांव में जाते ही आपको झील नजर आ जाएगी. दुपुकनी गुफा इसे देखने के लिए आपको जंगल जैसे रास्ते से गुजरना होगा. जहां की प्राकृतिक सुंदरता आपका दिल जीत लेगी. इस झील के आसपास टहलने के लिए कई जगह है. यही नहीं इस झील के पास दुपुकनी नामक एक गुफा भी है. मान्यता है कि इस गुफा में भगवान शिव ने तपस्या की थी. गंगटोक के स्थानीय बाजार आप यहां की कई नजदीकी जगहों का दीदार कर सकते हैं. इस झील का दीदार करने के बाद आप गंगटोक पहुंच सकते हैं. यहां पर आप पहले दिन किसी होटल में ठहरकर आसपास मौजूद स्थानीय बाजारों में जाकर वहा की चीजें खरीद सकते हैं. ऐसे पहुंचे खेचोपलरी इसके अलावा मनान मंदिर या नामग्यांग स्तूप भी विजिट कर सकते हैं. यहां पहुंचने के लिए आप अपने घर के नजदीकी हवाई अड्डे से गंगटोक हवाई अड्डे तक आ सकते हैं. इसके अलावा आप नजदीकी रेलवे स्टेशन से नया बाजार रेलवे स्टेशन गंगटोक पहुंच सकते हैं. इन जगहों का करें दीदार यहां पहुंचकर आप आसानी से टैक्सी, रिक्शा या बस से खेचोपलरी पहुंच सकते हैं. यहां आने का सबसे अच्छा समय मानसून के महीने का होता है. यहां आने के बाद आप गंगटोक रॉयल पैलेस, बाबा मंगू भवन, त्सो ला झील जैसी जगहों पर घूम सकते हैं.
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12 August 2024मेक्सिको में एक प्राचीन जनजाति द्वारा मानव बलि के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले दो पिरामिड ढह गए हैं. इसके ढहने के बाद माना जा रहा है कि प्रकृति नई करवट ले सकती है और इसे 'महाविनाश का अलौकिक संकेत' बताया जा रहा है.न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, इसे बनाने वाले स्वदेशी जनजाति के वंशजों को डर है कि विनाशकारी तूफानों के कारण दो जुड़वां पिरामिडों में से एक के नष्ट हो जाने के बाद कोई बड़ी प्राकृतिक आपदा आने वाली है. पिरामिड ढहने के पीछे का विज्ञान मैक्सिकन नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एंथ्रोपोलॉजी एंड हिस्ट्री ने बुधवार, 7 अगस्त को एक बयान जारी किया. संस्था ने लिखा, "मंगलवार, 6 अगस्त की रात को इहुआत्ज़ियो पुरातत्व क्षेत्र के पिरामिड आधारों में से एक के दक्षिणी मुहाने के मध्य भाग का एक हिस्सा ढह गया." बयान में आगे कहा गया, "यह प्योरपेचा झील के बेसिन में भारी वर्षा की वजह से हुआ, जिसमें अपेक्षित औसत वर्षा से ज्यादा पानी जमा हो गया. इस क्षेत्र में पहले दर्ज किए गए उच्च तापमान और उसके परिणामस्वरूप सूखे के कारण दरारें पड़ गईं, जिससे प्री-हिस्पैनिक इमारत के अंदरूनी हिस्से में पानी के भर गया." मानव बलि वाला पिरामिड मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, 30 जुलाई को भारी बारिश के बाद पिरामिड की संरचना आंशिक रूप से ढह गई. पिरामिड का निर्माण आधुनिक पुरेपेचा लोगों के पूर्वजों द्वारा किया गया था, जो एक जनजाति थी जिसने एज़्टेक को हराया था. एज़्टेक एक प्राचीन सभ्यता का नाम है. पुरेपेचा जनजाति ने एज़्टेक को हराया और 1519 में स्पेनिश आक्रमण से पहले 400 सालों तक शासन किया. इहुआत्ज़ियो पुरातात्विक क्षेत्र पर 900 ई. से पहले एज़्टेक और फिर स्पेनिश आक्रमणकारियों के आगमन तक पुरेपेचा जनजाति का कब्जा रहा है. इतिहासकारों का कहना है कि प्राचीन पुरेपेचा जनजाति ने अपने सबसे अहम देवता कुरिकवेरी को मानव बलि देने के लिए याकाटा पिरामिड का इस्तेमाल किया था. याकाटा पिरामिड मिचोआकन राज्य के इहुआत्ज़ियो के पुरातात्विक स्थल में पाए जाते हैं.
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12 August 2024पेरिस ओलंपिक 2024 का 13वां दिन काफी शानदार रहा. एक तरफ जहां शाम को भारतीय हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता, वहीं देशवासी बेसब्री से रात 11:45 बजे का इंतजार कर रहे थे, जहां भारत के गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) भाला फेंककर देश को एक और पदक दिलाने वाले थे. यह इंतजार देर रात 01:22 बजे खत्म हुआ, जब नीरज चोपड़ा भारत को एक और पदक दिलाने में सफल रहे. देर रात पूरा देश जश्न में डूबा हुआ था क्योंकि गोल्डन बॉय ने भारत के लिए रजत पदक जीता था. नीरज चोपड़ा जेवलिन थ्रो फाइनल हाइलाइट्स पहले तीन राउंड में 12 एथलीटों ने भाला फेंका. भाला फेंकने के लिए नीरज चोपड़ा आठवें नंबर पर आए. उनका पहला राउंड फाउल रहा. इसके बाद दूसरे राउंड में पाकिस्तानी एथलीट अरशद नदीम ने 92.97 मीटर भाला फेंककर ओलंपिक रिकॉर्ड बनाया और पहले स्थान पर आए. दूसरे राउंड में नीरज चोपड़ा ने भी 89.45 मीटर भाला फेंककर अपने सीजन का सर्वश्रेष्ठ थ्रो किया और दूसरे स्थान पर आए. इसके बाद नीरज ने अगले तीन राउंड फाउल घोषित करवाए, जिसके बाद उन्होंने मेडल के लिए अपनी दावेदारी पक्की की और देश के लिए सिल्वर मेडल जीतने में सफल रहे. नीरज मतलब मेडल की गारंटी टोक्यो 2020 में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचने वाले नीरज चोपड़ा इस बार सिल्वर मेडल के साथ स्वदेश लौटेंगे. इसके साथ ही वह ओलंपिक खेलों में दो बार पदक जीतने वाले चुनिंदा भारतीय खिलाड़ियों में शामिल हो गए हैं. नीरज से पहले यह उपलब्धि नॉर्मन प्रिचर्ड, सुशील कुमार, पीवी सिंधु और मनु भाकर को ही हासिल हुई थी. खास बात यह है कि मनु भाकर ने पेरिस 2024 ओलंपिक में दो कांस्य पदक जीतकर भी देश का गौरव बढ़ाया है. उनकी मां से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक सभी ने नीरज को दी बधाई हर रात पूरा देश चैन की नींद सोता है, लेकिन ओलंपिक 2024 का 13वां दिन ऐसा नहीं था. पूरा देश स्क्रीन पर नीरज चोपड़ा का मैच गौर से देख रहा था. रात 01:22 बजे जैसे ही नीरज ने देश के लिए सिल्वर मेडल जीता, हर तरफ से उन्हें बधाई संदेश आने लगे. इसमें उनकी मां, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीसीसीआई सचिव जय शाह समेत कई लोग शामिल थे. उनकी मां ने कहा- "हम बहुत खुश हैं, हमारे लिए रजत भी सोने के बराबर है...वह चोटिल हो गया था, इसलिए हम उसके प्रदर्शन से खुश हैं..." प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- "भारत को खुशी है कि वह एक बार फिर ओलंपिक में सफलता के साथ लौटे हैं. रजत पदक जीतने पर उन्हें बधाई..."
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9 August 2024सर्प प्रजाति का हिंदू धर्म में बहुत महत्त्व होता है. शिव जी के कंठ अभूषण नागराज वासुकि है तो वहीं विष्णु भगवान की शैय्या नागराज शेषनाग है. हमारे यहां नागों की पूजा की जाती है और गलती से भी आपसे सर्प की हत्या हो जाए आप पर काल सर्प दोष लग जाता है, जिसका निवारण सहज नहीं है लोग अच्छा दिखने के लिए कंठ में महंगे अभूषण धारण करते हैं लेकिन शिव जी ने अपना आभूषण एक सर्प (सांप) को चुना. जोकि समाज में निंदित और उपेक्षित भी. सभी लोग सर्प से डरते हैं और यही डर भगवान शिव जी दूर कर रहे हैं वासुकि को अपना कंठ हार बनाकर. शिवजी अपने सभी भक्तों को यह सीखा रहे है कि जब मैं हूं तो भय किस बात की, कोई भी पशु या पशु–तुल्य व्यक्ति अपको कोई हानि नहीं पहुंचा सकता. नागपंचमी के पर्व में नागों को दूध पिलाने की प्रथा है ताकि हमारा भय दूर हो और हम जीव-जंतु और पशुओं की सेवा करें. नागपंचमी के बारे शास्त्र क्या कहते हैं? वराह पुराण अध्याय क्रमांक 24 के अनुसार, भगवान वाराह अपने मुख से नागपंचमी की कथा बताते हैं. एक समय की बात है, मरीचि ब्रह्माजी के प्रथम मानस पुत्र हुए. उनके पुत्र कश्यप जी हुए. मन्द मुसकान वाली दक्ष की पुत्री कद्रू उनकी भार्या हुई. उससे कश्यपजी के अनन्त, वासुकि, महाबली कम्बल, कर्कोटक, पद्म, महापद्म, शङ्ख, कुलिक और पापराजिल आदि नामों से विख्यात अनेक सर्प–पुत्र हुए. ये प्रधान सर्प कश्यप जी के पुत्र हैं बाद में इन सर्पों की संतानों से यह सारा संसार ही भर गया. वे बड़े कुटिल और नीच कर्म में रत थे. उनके मुंह में अत्यन्त तीखा विष भरा था. वे मनुष्यों को अपनी दृष्टिमात्र से या काटकर भी भस्म कर सकते थे. उनका दंश शब्द की ही तरह तीव्रगामी था. उससे भी मनुष्यों की मृत्यु हो जाती. इस प्रकार प्रजा का प्रतिदिन दारुण संहार होने लगा, यों अपना भीषण संहार देखकर प्रजा वर्ग एकत्र होकर सबको शरण देने में समर्थ परम प्रभु भगवान ब्रह्मा जी की शरण में गये इसी उद्देश्य को सामने रखकर प्रजाओं ने कमलपर प्रकट होने वाले ब्रह्मा जी से कहा- "प्रभू! आपमें असीम शक्ति है, इन तीखे दांतों वाले सर्पों से आप हमारी रक्षा करें. इनकी दृष्टि पड़ते ही मनुष्य तथा पशुसमूह भस्म हो जाते हैं- यह प्रति दिन की बात हो गयी है. इन सर्पों द्वारा आपकी सृष्टि का संहार हो रहा है. आप इसकी जानकारी प्राप्त कर ऐसा प्रयत्न करें कि यह दुःखद परिस्थिति शीघ्र दूर हो जाए." ब्रह्माजी बोले- "प्रजापालो! तुम भय से घबड़ा गए हो. मैं तुम्हारी रक्षा अवश्य करूंगा. पर अब तुम सभी अपने-अपने स्थानपर लौट जाओ. अव्यक्त मूर्ति ब्रह्मा जी के इस प्रकार कहने पर वे प्रजाएं वापस आ गईं. उस समय ब्रह्मा जी के मन में असीम क्रोध उत्पन्न हो गया. उन्होंने वासुकि समेत सभी प्रमुख सर्पों को बुलाया और उन्हें शाप दे दिया. ब्रह्माजीने कहा- "नागो ! तुम मेरे द्वारा उत्पन्न किए हुए मनुष्यों की मृत्यु के कारण बन गए हो. अतः आगे स्वायम्भुव मन्वन्तर में तुम्हारा अपनी ही माता के शापद्वारा घोर संहार होगा, इसमें कोई संदेह नहीं है." जब ब्रह्माजी ने इस प्रकार उन श्रेष्ठ सर्पों से कहा तब सर्पों के शरीर में भय से कंपकंपी मच गयी. वे उन प्रभु के पैरों पर गिर पड़े और ये वचन कहे. नाग बोले- "भगवन् ! आपने ही तो कुटिल जाति में हमारा जन्म दिया है. विष उगलना, दुष्टता करना, किसी वस्तु को देखकर उसे नष्ट कर देना यह हमारा अमिट स्वभाव आपके द्वारा ही निर्मित है. अब आप ही उसे शान्त करने की कृपा करें." ब्रह्मा जी ने कहा- मैं मानता हूं, तुम्हें मैंने उत्पन्न किया है और तुममे कुटिलता भी भर दी है, पर इसका अभिप्राय यह नहीं है कि तुम निर्दय होकर नित्य मनुष्यों को खाया करो." सर्पों ने कहा- "भगवन् ! आप हमें अलग-अलग रहने के लिए कोई सुनिश्चित स्थान की व्यवस्था कर दीजिए और एवं नियम भी बता दें." नागों की यह बात सुनकर ब्रह्मा जी ने कहा- सर्पों! तुम लोग मनुष्यों के साथ भी रह सको इसके लिए मैं स्थान का निर्णय कर देता हूं. तुम सब लोग मन को एकाग्रकर मेरी आज्ञा सुनो- सुतल, वितल और पाताल- ये तीन लोक कहे गये हैं. तुम्हें रहने की इच्छा हो तो वहीं निवास करो. वहां मेरी आज्ञा तथा व्यवस्था से अनेक प्रकार के भोग तुम्हें भोगने के लिए प्राप्त होंगे. रात के सातवें पहर तक तुम्हें वहां रहना है. फिर वैवस्वत मन्वन्तर के आरम्भ में कश्यप जी के यहां तुम्हारा जन्म होगा. देवता लोग तुम्हारे बन्धु- बान्धव होंगे. बुद्धिमान् गरुड (Garuda) से तुम्हारा भाईपने का सम्बन्ध होगा. उस समय कारण वश तुम्हारी सारी संतान (जनमेजय के यज्ञ में) अग्नि के द्वारा जलकर स्वाहा हो जाएगी. इसमें निश्चय ही तुम्हारा कोई दोष न होगा. जो सर्प अत्यन्त दुष्ट और उच्छृङ्खल होंगे, उन्हीं की उस शाप से जीवन लीला समाप्त होगी. जो ऐसे न होंगे, वे जीवित रहेंगे. हां, परेशान करने पर या जिनका काल ही आ गया हो, उन मनुष्यों को समयानुसार निगलने या काटने के लिए तुम स्वतन्त्र हो. गरुड सम्बन्धी मंत्र, औषध और बद्ध गारुडमण्डल द्वारा दांत कुण्ठित करने की कलाएं जिन्हें ज्ञात होंगी, उनसे निश्चय ही तुम्हें डर कर रहना चाहिए, अन्यथा तुम लोगों का विनाश निश्चित है. ब्रह्माजी के ऐसा कहने पर वे सम्पूर्ण सर्प पृथ्वी के नीचे पाताल लोक में चले गए। इस प्रकार ब्रह्मा जी से शाप एवं वरदान पाकर वे पाताल में आनन्द पूर्वक निवास करने लए. ये सारी बातें उन नाग महानुभावों के साथ पंचमी तिथि के दिन ही घटित हुई थीं. अतः यह तिथि धन्य, प्रिय, पवित्र और सम्पूर्ण पापों का संहारक सिद्ध हो गयी. इस तिथि में जो खट्टे पदार्थ के भोजन का परित्याग करेगा और दूध से नागों को स्नान करायेगा, सर्प उसके मित्र बन जाएंगे. नगपंचमी की पूजा का विधान स्कंद पुराण श्रावण माहात्म्य अध्याय क्रमांक 14 में वर्णित हैं– सीचतुर्थ्यामेकभुक्तं तु नक्तं स्यात्पञ्चमीदिने। कृत्वा स्वर्णमयं नागमथवा रौप्यसम्भवम् ॥ २॥ कृत्वा दारुमयं वापि अथवा मृण्मयं शुभम्। पञ्चम्यामर्चयेद्भक्त्या नागं पञ्चफणान्वितम् ॥ ३॥ द्वारस्योभयतो लेख्या गोमयेन विषोल्बणाः। पूजयेद् विधिवच्चैव दधिदूर्वाङ्करैः शुभैः॥ ४॥" अर्थ- "स्वर्ण, चांदी, काष्ठ अथवा मिट्टी का पांच फणों वाला सुन्दर नाग बनाकर पंचमी के दिन उस नाग की भक्ति पूर्वक पूजा करनी चाहिए. द्वार के दोनों ओर गोबर से बड़े-बड़े नाग बनाए और दधि, शुभ दूर्वांकुरों, कनेर-मालती-चमेली-चम्पाके पुष्पों, गन्धों, अक्षतों, धूपों तथा मनोहर दीपों से उनकी विधिवत् पूजा करे." आगे के श्लोकों में लिखा है "प्रत्यक्ष नागों का पूजन करे और उन्हें दूध पिलाएं; घृत तथा शर्करामिश्रित पर्याप्त दुग्ध उन्हें अर्पण करें (वल्मीके पूजयेन्नागान्दुग्धं चैव तु पाययेत् । घृतयुक्तं शर्कराढ्यं यथेष्टं चार्पयेद् बुधः ॥9॥)।" नागपंचमी में नागों की पूजा करके स्वयं नाग आपकी प्रार्थना की अनुशंसा शिव जी या विष्णु जी तक ले जाते हैं :– स्कंद पुराण श्रावण माहात्म्य अध्याय क्रमांक 14 में वर्णित हैं– बद्धाञ्जलिः प्रार्थयते वासुकिश्च सदाशिवम् । शेषवासुकिविज्ञप्त्या शिवविष्णू प्रसादितौ ॥ 31 ॥ मनोरथांस्तस्य सर्वान्कुरुतः परमेश्वरौ । नागलोके तु तान्भोगान्भुक्त्वा तु विविधान्बहून् ॥ 32 ॥ ततो वैकुण्ठमासाद्य कैलासं वापि शोभनम् । शिवविष्णुगणो भूत्वा लभते परमं सुखम् ॥ 33॥ अर्थ- यदि कोई मनुष्य वित्तशाठ्य से रहित होकर नागपंचमी का व्रत करता है, तो उसके कल्याण के लिए सभी नागों के अधिपति शेषनाग तथा वासुकि हाथ जोड़कर प्रभु श्रीहरि से तथा सदाशिव से प्रार्थना करते हैं. तब शेष और वासुकि की प्रार्थना से प्रसन्न हुए परमेश्वर शिव तथा विष्णु उस व्यक्ति के सभी मनोरथ पूर्ण कर देते हैं. वह नागलोक में अनेक प्रकार के विपुल सुखों का उपभोग करके बाद में उत्तम वैकुण्ठ अथवा कैलास में जाकर शिव तथा विष्णु का गण बनकर परम सुख प्राप्त करता है.
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9 August 2024बांग्लादेश में हिंसा, विरोध प्रदर्शन और अजारकता से हालात अस्थिर है. हालात बेकाबू होकर इतने बिगड़ गए कि देश की कमान संभालने वाली शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा. बांग्लादेश सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहरों से समृद्ध वाला देश है. भले ही यहां कि अधिकांश आबादी मुस्लिम है लेकिन यहां कई हिंदू और हिंदू मंदिर भी हैं, जो सांस्कृतिक विधिवधताओं का अहम हिस्सा है. बांग्लादेश के हिंदू मंदिर कालात्मक उत्कृष्टता, धार्मिक भक्ति और सद्भावना के रूप में उभरकर सामने आते हैं. बंगाल की खाड़ी के शांत द्वीप से लेकर ढाका की चहल-पहल वाली सड़कों तक.. यह मौजूद सभी मंदिरों की एक अनूठी कहानी और इतिहास है. यहां मौजूद मंदिरों की जटिल बनावटें पूर्वजों के अविश्वसनीय कला-कौशल का प्रमाण देते हैं.आइये जानते हैं बांग्लादेश के कुछ ऐसे ही प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों के बारे में जिनकी खूबसूरत रचनाओं के पीछे छिपी है अनोखी कहानी और गहरा इतिहास.बांग्लादेश का प्राचीन इतिहास हिंदू धर्म से जुड़ा है. यहां पाल वंश और सेन वंश जैसे हिंदू शासकों का शासन हुआ करता था, जिन्होंने कई हिंदू मंदिरों के निर्माण बांग्लादेश में करवाए थे. ये मंदिर आज भी प्रसिद्ध धार्मिक धरोहर के रूप में जाने जाते हैं. आइये जानते हैं यहां के हिंदू मंदिरों के बारे में कांताजी मंदिर कांताजी या कांतानगर मंदिर बांग्लादेश के दिनाजपुर शहर से केवल 12 किमी की दूरी पर स्थित है. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी के अंत में दिनाजपुर के महाराजा प्राणनाथ के संरक्षण में करवाया गया था. कांताजी मंदिर अपने उत्कृष्ट वास्तुशिल्प कला के लिए जानी जाती है यह मंदिर भगवान कृष्ण और रुक्मिणी को समर्पित है. कांताजी मंदिर एक ऊंचे मंच पर खड़ा था. लेकिन दुर्भाग्य से 1897 में आए भूकंप से मंदिर के शिखर नष्ट हो गए. लेकिन फिर भी मंदिर में महाभारत और रामायण जैसे हिंदू पुराणों के दृश्य को बयां करने वाले टेरोकोटा कला अंकित हैं.
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9 August 2024नागपंचमी पर विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के शिखर पर स्थित नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर के पट गुरुवार रात 12 बजे खुलेंगे। परंपरा अनुसार सबसे पहले श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से महंत विनीत गिरी महाराज नागचंद्रेश्वर का त्रिकाल पूजन करेंगे। ये पूजन करीब एक घंटे चलेगा। आरती और भोग के बाद रात करीब एक बजे आम लोगों के लिए मंदिर के पट खोल दिए जाएंगे। दर्शन का सिलसिला अगले 24 घंटे गुरुवार रात 12 बजे तक चलता रहेगा। भगवान नागचंद्रेश्वर को शुक्रवार दोपहर में दाल बाटी का भोग लगाया जाएगा। पंचांग तिथि अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन ही मंदिर के पट खुलने की परंपरा चली आ रही है। नागचंद्रेश्वर भगवान की होगी त्रिकाल पूजा नागपंचमी पर्व पर भगवान श्री नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा होगी। गुरुवार 8 अगस्त की मध्यरात्रि 12 बजे पट खुलने के बाद श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी महाराज एवं श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति कलेक्टर एवं अध्यक्ष नीरज कुमार सिंह द्वारा प्रथम पूजन व अभिषेक किया जाएगा। शुक्रवार 9 अगस्त को दोपहर 12 बजे अखाड़े द्वारा पूजन होगा। महाकालेश्वर भगवान की सायं आरती के बाद श्री नागचन्द्रेश्वर की पूजन-आरती श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी और पुरोहितों द्वारा की जाएगी नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए यहां से प्रवेश करें दर्शनार्थी चारधाम मंदिर की ओर लाइन में लगाकर बैरिकेटिंग से हरिसिद्धि माता मंदिर पहुंचेगे। यहां से बड़े गणेश मंदिर होते विश्रामधाम और फिर ब्रिज पर से होते हुए नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुचेंगे। मंदिर प्रशासन ने नागचंद्रेश्वर मंदिर तक जाने के लिए भक्तों को पानी और बारिश से बचने के लिए शेड की व्यवस्था की है। चारधाम से लाइन में लगने के बाद करीब एक घंटे में आम लोगों को दर्शन का दावा मंदिर समिति ने किया है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मन्नत गार्डन से बसें 50 भी संचालित की जाएंगी। कर्कराज स्थल और नृसिंह घाट के समीप भील ठाकुर धर्मशाला के परिसर में जूता स्टैंड भी बनाया गया। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जगह-जगह साइन बोर्ड लगाए गए है। महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए यहां से एंट्री महाकाल मंदिर के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु अपने वाहन महाकाल लोक त्रिवेणी के सामने पार्किंग में पार्क कर सकेंगे। यहां से वे नंदी द्वार से एंट्री लेकर महाकाल लोक मान सराेवर फिर टनल होते हुए कार्तिकेय मंडपम और फिर नीचे गणेश मंडपम से भगवान महाकाल के दर्शन कर सकेंगे।
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8 August 2024नागपंचमी पर विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के शिखर पर स्थित नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर के पट गुरुवार रात 12 बजे खुलेंगे। परंपरा अनुसार सबसे पहले श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से महंत विनीत गिरी महाराज नागचंद्रेश्वर का त्रिकाल पूजन करेंगे। ये पूजन करीब एक घंटे चलेगा। आरती और भोग के बाद रात करीब एक बजे आम लोगों के लिए मंदिर के पट खोल दिए जाएंगे। दर्शन का सिलसिला अगले 24 घंटे गुरुवार रात 12 बजे तक चलता रहेगा। भगवान नागचंद्रेश्वर को शुक्रवार दोपहर में दाल बाटी का भोग लगाया जाएगा। पंचांग तिथि अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन ही मंदिर के पट खुलने की परंपरा चली आ रही है। नागचंद्रेश्वर भगवान की होगी त्रिकाल पूजा नागपंचमी पर्व पर भगवान श्री नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा होगी। गुरुवार 8 अगस्त की मध्यरात्रि 12 बजे पट खुलने के बाद श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी महाराज एवं श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति कलेक्टर एवं अध्यक्ष नीरज कुमार सिंह द्वारा प्रथम पूजन व अभिषेक किया जाएगा। शुक्रवार 9 अगस्त को दोपहर 12 बजे अखाड़े द्वारा पूजन होगा। महाकालेश्वर भगवान की सायं आरती के बाद श्री नागचन्द्रेश्वर की पूजन-आरती श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी और पुरोहितों द्वारा की जाएगी नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए यहां से प्रवेश करें दर्शनार्थी चारधाम मंदिर की ओर लाइन में लगाकर बैरिकेटिंग से हरिसिद्धि माता मंदिर पहुंचेगे। यहां से बड़े गणेश मंदिर होते विश्रामधाम और फिर ब्रिज पर से होते हुए नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुचेंगे। मंदिर प्रशासन ने नागचंद्रेश्वर मंदिर तक जाने के लिए भक्तों को पानी और बारिश से बचने के लिए शेड की व्यवस्था की है। चारधाम से लाइन में लगने के बाद करीब एक घंटे में आम लोगों को दर्शन का दावा मंदिर समिति ने किया है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मन्नत गार्डन से बसें 50 भी संचालित की जाएंगी। कर्कराज स्थल और नृसिंह घाट के समीप भील ठाकुर धर्मशाला के परिसर में जूता स्टैंड भी बनाया गया। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जगह-जगह साइन बोर्ड लगाए गए है। महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए यहां से एंट्री महाकाल मंदिर के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु अपने वाहन महाकाल लोक त्रिवेणी के सामने पार्किंग में पार्क कर सकेंगे। यहां से वे नंदी द्वार से एंट्री लेकर महाकाल लोक मान सराेवर फिर टनल होते हुए कार्तिकेय मंडपम और फिर नीचे गणेश मंडपम से भगवान महाकाल के दर्शन कर सकेंगे।
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8 August 2024नाग पंचमी का त्योहार समस्त सर्पों को समर्पित है. हिंदू धर्म (Hindu Dharam) में नागों को देवता का स्थान दिया गया है. सावन माह (Sawan panchami 2024) के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी मनाई जाती है. इस साल नाग पंचमी के दिन कई तरह के दुर्लभ योग बन रहे हैं. ऐसे में इस दिन का महत्व कई गुना बढ़ गया है. नाग पंचमी की पूजा का मुहूर्त, तिथि और महत्व. नाग पंचमी 2024 सावन माह में नाग पंचमी 9 अगस्त 2024 को है. इस दिन सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि प्रात: 12.36 से शुरू होकर अगले दिन 10 अगस्त 2024 को प्रात: 03.14 पर समाप्त होगी. नाग पंचमी पर पूजा का मुहूर्त नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा के लिए ढाई घंटे का शुभ मुहूर्त बन रहा है. 9 अगस्त को सुबह 06.01 से सुबह 08.38 मिनट में नाग देवता (Nag Devta) की पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा. नाग पंचमी पर दुर्लभ संयोग लक्ष्मी नारायण योग - 9 अगस्त 2024 नाग पंचमी के दिन सिंह राशि में शुक्र और बुध युति से लक्ष्मी नारायण योग बनेगा. इस योग के प्रभाव से कभी भी धन की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है. बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है. शश राजयोग - इस दिन शनि देव अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में रहते हुए शश राजयोग का निर्माण करेंगे. सिद्ध योग - 8 अगस्त, दोपहर 12:39 - 9 अगस्त 2024, दोपहर 01:46, अगस्त 09 नाग देवता की पूजा क्यों होती है ? सनातन धर्म में देवी-देवताओं का नागों के साथ संबंध काफ़ी पुराना रहा है जिसकी झलक हमें देवी-देवताओं के चित्रों में देखने को मिलती है. भगवान श्रीहरि विष्णु की शैय्या शेषनाग हैं और नाग देवता को ही शिव जी ने अपने गले में धारण किया है. ऐसे में नाग पंचमी का दिन नाग देवताओं को समर्पित है. इनकी आराधना से शिव, विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. नाग पंचमी का महत्व नाग पंचमी का दिन बेहद शुभ है. जिन जातकों की कुंडली में काल सर्प दोष होता है, उनके लिए नाग पंचमी पर नाग पूजा करना फलदायी होता है और राहु-केतु से जुड़े दोषों के निवारण के लिए भी इस दिन को श्रेष्ठ माना जाता है.
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8 August 2024ओलंपियन विनेश फोगाट की ओलंपिक फाइनल मैच से पहले ओवरवेट होने की वजह से अयोग्य घोषित किए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय ओलम्पिक संघ (IOA) की अध्यक्ष पीटी उषा से बातचीत की है. समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि पीएम ने पीटी उषा से इस मुद्दे और विनेश की हार के बाद भारत के पास मौजूद विकल्पों के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी मांगी है.उन्होंने उनसे विनेश के मामले में मदद के लिए सभी विकल्पों का पता लगाने के लिए कहा. उन्होंने पीटी उषा से यह भी आग्रह किया कि अगर इससे विनेश को मदद मिलती है तो वह अपनी अयोग्यता के संबंध में कड़ा विरोध दर्ज कराएं. चुनौतियों से मुकाबला करना आपका स्वभाव: पीएम पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में विनेश फोगाट की अयोग्ता को लेकर चिंता जाहिर की है. पीएम ने लिखा, विनेश, आप चैंपियनों में चैंपियन हैं! आप भारत का गौरव हैं और प्रत्येक भारतीय के लिए प्रेरणा हैं. आज का झटका दुख देता है. काश शब्द उस निराशा की भावना को व्यक्त कर पाते जो मैं अनुभव कर रहा हूं."पीएम मोदी ने आगे लिखा, "मैं जानता हूं कि आप दृढ़ता का प्रतीक हैं. चुनौतियों का डटकर मुकाबला करना हमेशा से आपका स्वभाव रहा है. मजबूत होकर वापस आइए! हम सब आपके साथ हैं." इस झटके को हजम कर पाना मुश्किल: किरेन रिजिजू संसदीय कार्य मंत्री और अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने एक्स पर विनेश के अयोग्य होने के बाद प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने लिखा, "आप हमेशा भारत के लिए आशा और गौरव की किरण रही हैं. आज जो झटका हमें मिला है वह हजम कर पाना मुश्किल है, लेकिन ऐसे ही वक्त पर तो आपकी असली ताकत उभर कर सामने आती है." केंद्रीय मंत्री लिखते हैं, "आपकी दृढ़ता हमेशा आपका सबसे बड़ा सहयोगी रहा है. मुझे आपकी अटूट समर्पण से भरी यात्रा देखना याद है. हमें आप पर विश्वास है, विनेश. भारत आपके साथ खड़ा है, हर कदम पर आपका उत्साहवर्धन कर रहा है."
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7 August 2024बेंगलुरू में रहने वाले लोगों के लिए गुड न्यूज है. अब यहां पर बार, होटल और क्लब रात के 1 बजे तक खुले रहेंगे. ऐसे में युवाओं को फुलऑन पार्टी करने का भरपूर मौका मिलेगा. कर्नाटक सरकार ने इस फैसले को लिया है. बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) सीमा के अंतर्गत स्थित सभी बार, क्लब देर रात तक चल सकेंगे. पिछले साल बजट में नाइटलाइफ घंटों के विस्तार की बात कही थी, जिसे अब शहरी विकास विभाग ने मंजूरी दे दी है. इसके बाद अब सिलिकॉन सिटी में बार-रेस्टोरेंट राज्य सरकार की तरफ से निर्धारित समय तक खुले रहेंगे. जानें क्लब, होटल का समय राज्य सरकार के अनुसार, बार अब से सुबह 10 बजे से 1 बजे तक खुल सकते हैं. इसके अलावा क्लब (सीएल4 लाइसेंस), स्टार होटल (सीएल6 लाइसेंस), साथ ही सीएल7 और सीएल7डी लाइसेंस वाले होटल और लॉज सुबह 9 बजे से 1 बजे तक खुले रहेगे. सीएल9 लाइसेंस वाले जलपान कक्ष (बार) सुबह 10 बजे से 1 बजे तक संचालित हो सकते हैं. बजट में भी हुई थी चर्चा पिछले साल फरवरी में सीएम ने राज्य के बजट में बेंगलुरु की नाइटलाइफ के समय को बढ़ाने के बारे में भी बोला था. इस दौरान उन्होंने घोषणा की थी कि अब से सभी बार-होटल रात एक बजे तक खुले रहेंगे. पहले शराब देने वाले होटल रात में 11 बजे तक बंद हो जाते थे. बृहथ बैंगलोर होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कही ये बात इसको लेकर बृहथ बैंगलोर होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष पीसी राव ने कहा, 'कमिश्नरेट की सीमा के भीतर अभी तक सिर्फ बार और रेस्तरां को ही रात 1 बजे तक खुले रहने की अनुमति थी, लेकिन अब बीबीएमपी सीमा में सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठान रात 1 बजे तक संचालित होंगे.
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7 August 2024देश में इस साल अच्छी बारिश हो रही है. इससे किसानों की फसल अच्छी होगी और देश में अनाज का उत्पादन बढ़ेगा. विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल कृषि उत्पादन में 5% की बढ़ोतरी हो सकती है. नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने कहा है कि इस वर्ष अभी तक सामान्य से 2% अधिक बारिश होने से इस वित्तीय वर्ष में कृषि उत्पादन में करीब 5 फीसदी की वृद्धि होगी, जो पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1.4% थी. इससे दालों सहित कई वस्तुओं की कीमतों में कमी आने की उम्मीद है, जो पिछले कई महीनों से उच्च स्तर पर बनी हुई हैं. मिंट की रिपोर्ट के अनुसार रमेश चंद ने कहा कि कृषि उत्पादन में मजबूत वृद्धि के लिए सरकार को हस्तक्षेप करने की जरूरत है. जिससे दालों की खुले बाजार में कीमत समर्थन मूल्य से नीचे ना आएं. जो किसानों को सहारा देने के लिए निर्धारित की जाती हैं. दालों की अधिक मूल्यों के चलते बीते दिनों में स्थानीय कीमतों को कम करने के लिए कई प्रशासनिक कदम उठाए गए हैं. सकारात्मक संकेत एक्सपर्ट रमेश चंद ने कहा कि साल 2023-24 में कृषि उत्पादन में 1.4% की वृद्धि हुई, जो सात साल से अधिक 5% की औसत वृद्धि के बाद हुई है. उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत एक प्रमुख संस्थान, राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्र और नीति अनुसंधान संस्थान (एनआईएपी) के निदेशक के रूप में भी कार्य किया है. उन्होंने कहा कि उनके अनुसार वित्तीय वर्ष 2024-25 में कृषि उत्पादन में 5% से अधिक की वृद्धि होनी चाहिए. अब तक खरीफ सीजन के संकेत सकारात्मक हैं. ये हैं जरूरी बातें रमेश चंद ने अपने इंटरव्यू में कहा कि आने वाले 10 सालों के लिए कृषि में वृद्धि दर को अच्छी आर्थिक बढ़ोतरी के लिए सालाना 5% पर बनाए रखने की जरूरत है. कुछ सालों में वृद्धि दर करीब 4 फीसदी या उससे भी नीचे आ सकती है. खरीफ सीजन जून-जुलाई में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होता है और सितंबर-अक्टूबर में समाप्त होता है. ये किसानों की आय, खपत और समग्र आर्थिक वृद्धि को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ला नीना अगस्त में सक्रिय 1 जून से 26 जुलाई के बीच भारत में सामान्य से 2% अधिक बारिश हुई है. कुछ हिस्सों में थोड़ी कमी है, लेकिन अगस्त में पूरी होने की उम्मीद है. रमेश चंद ने मिंट से कहा कि सामान्य से अधिक बारिश को 96% से 104% तक की बारिश माना जाता है. ला नीना अगस्त में सक्रिय रहेगी, जिससे सामान्य से अधिक बारिश होगी. इससे उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी राज्यों में बारिश की किसी भी कमी की भरपाई होनी चाहिए.
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6 August 2024देश में इस साल अच्छी बारिश हो रही है. इससे किसानों की फसल अच्छी होगी और देश में अनाज का उत्पादन बढ़ेगा. विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल कृषि उत्पादन में 5% की बढ़ोतरी हो सकती है. नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने कहा है कि इस वर्ष अभी तक सामान्य से 2% अधिक बारिश होने से इस वित्तीय वर्ष में कृषि उत्पादन में करीब 5 फीसदी की वृद्धि होगी, जो पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1.4% थी. इससे दालों सहित कई वस्तुओं की कीमतों में कमी आने की उम्मीद है, जो पिछले कई महीनों से उच्च स्तर पर बनी हुई हैं. मिंट की रिपोर्ट के अनुसार रमेश चंद ने कहा कि कृषि उत्पादन में मजबूत वृद्धि के लिए सरकार को हस्तक्षेप करने की जरूरत है. जिससे दालों की खुले बाजार में कीमत समर्थन मूल्य से नीचे ना आएं. जो किसानों को सहारा देने के लिए निर्धारित की जाती हैं. दालों की अधिक मूल्यों के चलते बीते दिनों में स्थानीय कीमतों को कम करने के लिए कई प्रशासनिक कदम उठाए गए हैं. सकारात्मक संकेत एक्सपर्ट रमेश चंद ने कहा कि साल 2023-24 में कृषि उत्पादन में 1.4% की वृद्धि हुई, जो सात साल से अधिक 5% की औसत वृद्धि के बाद हुई है. उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत एक प्रमुख संस्थान, राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्र और नीति अनुसंधान संस्थान (एनआईएपी) के निदेशक के रूप में भी कार्य किया है. उन्होंने कहा कि उनके अनुसार वित्तीय वर्ष 2024-25 में कृषि उत्पादन में 5% से अधिक की वृद्धि होनी चाहिए. अब तक खरीफ सीजन के संकेत सकारात्मक हैं. ये हैं जरूरी बातें रमेश चंद ने अपने इंटरव्यू में कहा कि आने वाले 10 सालों के लिए कृषि में वृद्धि दर को अच्छी आर्थिक बढ़ोतरी के लिए सालाना 5% पर बनाए रखने की जरूरत है. कुछ सालों में वृद्धि दर करीब 4 फीसदी या उससे भी नीचे आ सकती है. खरीफ सीजन जून-जुलाई में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होता है और सितंबर-अक्टूबर में समाप्त होता है. ये किसानों की आय, खपत और समग्र आर्थिक वृद्धि को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ला नीना अगस्त में सक्रिय 1 जून से 26 जुलाई के बीच भारत में सामान्य से 2% अधिक बारिश हुई है. कुछ हिस्सों में थोड़ी कमी है, लेकिन अगस्त में पूरी होने की उम्मीद है. रमेश चंद ने मिंट से कहा कि सामान्य से अधिक बारिश को 96% से 104% तक की बारिश माना जाता है. ला नीना अगस्त में सक्रिय रहेगी, जिससे सामान्य से अधिक बारिश होगी. इससे उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी राज्यों में बारिश की किसी भी कमी की भरपाई होनी चाहिए.
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6 August 2024कैंसर सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक है जिसका इलाज काफी कठिन होता है. हालांकि, इसे रोकने के लिए लगातार रिसर्च और नए-नए तरीके खोजे जा रहे हैं. हाल ही में एक रिसर्च में सामने आया है कि उपवास (फास्ट) रखने से कैंसर का रिस्क कम हो सकता है. मेमोरियल स्लोअन केटरिंग कैंसर सेंटर के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि व्रत रखने से कैंसर कोशिकाओं पर असर पड़ता है. आइए जानते हैं इसके बारे में.. उपवास और कैंसर का रिश्ता चूहों पर किए गए इस शोध में पाया गया कि उपवास रखने से शरीर का नेचुरल डिफेंस सिस्टम मजबूत होता है. इससे नेचुरल किलर सेल्स की कार्यक्षमता बढ़ती है, जो कैंसर सेल्स पर अटैक करती हैं. उपवास के दौरान ये सेल्स शुगर की बजाय फैट का इस्तेमाल करती हैं, जिससे वे कैंसर सेल्स को नष्ट करने में सक्षम होती हैं. इस शोध से यह भी पता चला कि उपवास की वजह से ट्यूमर के वातावरण में भी ये सेल्स पैदा हो सकती हैं और कैंसर से लड़ने की उनकी क्षमता बढ़ जाती है. पहले के शोध और फायदे 2012 में चूहों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि शॉर्ट-टर्म फास्टिंग हेल्दी सेल्स को कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स से बचा सकती है. 2016 के एक अन्य शोध में भी यही पाया गया कि कीमोथेरेपी से पहले शॉर्ट-टर्म फास्टिंग टॉक्सिसिटी को कम कर सकती है. जर्मन कैंसर रिसर्च सेंटर के एक अध्ययन में पाया गया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग फैटी लीवर, लीवर की सूजन और लीवर के कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है. इंसानों पर प्रभाव कई डॉक्टरों का मानना है कि उपवास कैंसर का खतरा कम करने में मददगार हो सकता है, लेकिन इसका प्रभाव इंसुलिन लेवल और सेलुलर रिएक्शन पर निर्भर करता है. उपवास इंसुलिन लेवल को कम कर कैंसर सेल्स के लिए अनुकूल वातावरण को रोक सकता है. उपवास उन प्रक्रियाओं को भी सक्रिय कर सकता है, जो प्री-कैंसरस सेल्स को बढ़ने से पहले ही खत्म कर सकती हैं. उपवास के अन्य फायदे उपवास करने से शरीर में नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट बढ़ते हैं, जो कोशिकाओं को कैंसर से होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं. हालांकि, हर मरीज में ऐसा नहीं होता, इसलिए इस पर और शोध की जरूरत है. खासकर उन मरीजों के लिए जिनका वजन पहले से ही कम हो.
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6 August 2024जगन्नाथ पुरी एक ऐसी जगह है, जहां पर हर कोई जाना चाहता है. लेकिन कई लोगों का ये सपना पूरा नहीं हो पता है, क्योंकि उनका बजट कम होता है और वह इस बात को लेकर हमेशा परेशान रहते हैं. अगर आप अपने बजट के अंदर जगन्नाथ पुरी की यात्रा करना चाहते हैं, तो IRCTC का यह टूर पैकेज आपके लिए एकदम परफेक्ट साबित हो सकता है. परिवार वालों के साथ जाएं जगन्नाथ पुरी अगर आप परिवार या दोस्तों के साथ जगन्नाथ पुरी जाने की सोच रहे हैं, तो IRCTC आपके लिए 4 रात और 5 दिन का टूर पैकेज लेकर आया है. ओडिशा के इस पैकेज की शुरुआत 26 सितंबर से होगी, जो 30 सितंबर को खत्म होगी. इस टूर की शुरुआत चंडीगढ़ से होगी, जो पटना होते हुए इंडिगो एयरलाइंस की फ्लाइट से आपको भुवनेश्वर पहुंचाएगी. चिल्का, कोणार्क और पूरी यह टूर पैकेज चिल्का, कोणार्क और पूरी जैसे डेस्टिनेशन कवर करेगा. इस टूर पैकेज में आपका आना जाना, खाना पीना और रहना सब कुछ शामिल है. इस टूर पैकेज के जरिए आप पुरी, भुवनेश्वर सहित कई जगह के सुंदर-सुंदर दृश्य देख पाएंगे. इस पैकेज में कुल 30 सीटों की संख्या है. ऑनलाइन और ऑफलाइन करें बुकिंग ऐसे में अगर आप पूरे परिवार के साथ जाना चाहते हैं, तो जल्दी से बुकिंग कर सकते हैं. यही नहीं इस पैकेज के साथ यात्रियों को ट्रैवल इंश्योरेंस भी मिलेगा. अगर आप भी आईआरसीटीसी के इस टूर पैकेज के साथ जगन्नाथ पुरी की यात्रा करना चाहते हैं, तो आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से अपनी बुकिंग करवा सकते हैं. पैकेज में शामिल हैं हर चीज ऑनलाइन बुकिंग करने के लिए आपको की ऑफिशल वेबसाइट पर जाना होगा, तो वही ऑफलाइन बुकिंग के लिए आप अपने नजदीकी IRCTC के ऑफिस जा सकते हैं. बात करें किराए की, तो इस ओडिशा पैकेज को बुक करने के लिए एक व्यक्ति का 34, 520 रुपये है. अगर आप इस टूर पैकेज के जरिए जगन्नाथ पुरी जाते हैं, तो आपको ठहरने और खाने की कोई व्यवस्था नहीं करनी पड़ेगी, यह सारी चीजें इसमें शामिल है. इस नंबर पर करें कॉल आप अपने रिश्तेदारों या परिवार वालों के साथ आईआरसीटीसी के इस टूर पैकेज के जरिए जगन्नाथ पुरी की यात्रा कर सकते हैं. इसमें आपको एक बार पैसे जमा करने के बाद खान और रहने का भी नहीं सोचना पड़ेगा और 5 दिनों में अपनी यात्रा पूरी कर आप वापस घर आ जाएंगे. अगर आपको इस टूर पैकेज से जुड़ी और जानकारी चाहिए, तो आप व्हाट्सएप पर मैसेज या इस नंबर पर कॉल कर सकते हैं. 85959 30980 इसके अलावा आप 85959 30962 पर भी संपर्क कर सकते हैं.
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6 August 2024आज सावन का तीसरा सोमवार है, इस बीच महाकाल की नगरी उज्जैन ने एक नया कीर्तिमान रच दिया है। उज्जैन में 1500 डमरू एक साथ बजाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया। बता दें कि महाकाल लोक स्थित शक्तिपथ पर 1500 डमरू वादकों ने प्रस्तुति देकर यह रिकॉर्ड बनाया है। भगवान भोलेनाथ को डमरू बहुत प्रिय है, जिससे आज उनकी नगरी गूंज उठी।डमरू वादन के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज हो गया है। इस उपलब्धि पर एमपी के सीएम मोहन यादव ने बधाई भी दी है। जानकारी के लिए बता दें कि इसके पहले फेडरेशन ऑफ इंडियन एसोसिएशन न्यूयॉर्क ने 488 डमरू एक साथ बजाकर रिकॉर्ड बनाया था। इसके साथ आज उज्जैन में 1500 डमरू बजाकर तोड़ दिया गया है। 25 दलों में 1500 वादक ने बनाया रिकॉर्ड डमरू वादकों के 25 दलों में 1500 वादक इस रिकॉर्ड को बनाने में शामिल हुए। इसमें उन्होंने डमरू बजाकर महाकाल की स्तुति की है। महाकाल की भस्म आरती की धुन पर डमरू वादन किया गया है। बता दें कि महाकाल की पहली सवारी में जनजातीय कलाकारों ने लोकनृत्य की प्रस्तुति दी थी। इसके बाद दूसरी सवारी में 350 सदस्यीय पुलिस बैंड की प्रस्तुति दी गई थी। सवारी में किया जा रहा डमरू का वादन अब आज तीसरे सावन सोमवार को निकाली जाने वाली सवारी में डमरू का वादन किया जा रहा है। इसके साथ ही बाबा महाकाल की नगरी को डमरू की नाद से गुंजायमान करने की एक इच्छा आज पूरी हो गई।
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5 August 2024आज सावन का तीसरा सोमवार है। उज्जैन में महाकाल की सवारी निकाली जा रही है। सवारी में महाकाल चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, तो हाथी पर मनमहेश के स्वरूप में विराजित हैं। इसके पहले वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया। महाकाल लोक के पास शक्ति पथ पर 1500 लोगों ने एक साथ 10 मिनट तक डमरू बजाया। उज्जैन का नाम सबसे अधिक लोगों के डमरू बजाने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया। गिनीज बुक से आए ऋषिनाथ ने इसका सर्टिफिकेट सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक सतीश मालवीय और संतों को सौंपा। डेढ़ लाख लोग कर चुके दर्शन महाकाल मंदिर में सुबह 11 बजे तक करीब डेढ़ लाख श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। खंडवा के ओंकारेश्वर में भी रात से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। छिंदवाड़ा के पातालेश्वर मंदिर में तड़के 3 बजे भगवान शिव का तीर्थ जल से अभिषेक हुआ। भोपाल के भोजपुर, बड़ वाले महादेव और गुफा मंदिर में भी पूजा-अर्चना की जा रही है। भोजपुर में 7 क्विंटल फूलों से शिवलिंग को सजाया गया है। महाकाल की भस्म आरती के लिए रविवार-सोमवार की दरमियानी रात 2.30 बजे मंदिर के पट खोले गए। भस्म आरती के दौरान भांग, चंदन, सूखे मेवों और आभूषणों से बाबा महाकाल का राजा स्वरूप दिव्य श्रृंगार किया गया। भस्म आरती के 15 हजार से अधिक श्रद्धालु ने दर्शन किए। मंदिर में बाबा के दर्शन का सिलसिला रात 10.30 बजे तक चलेगा। मंदिर प्रशासन को उम्मीद है कि 3 लाख से ज्यादा भक्त आज महाकाल के दर्शन करने आ सकते हैं।
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5 August 2024अगर आप भी चॉकलेट (Chocolate) खाने के शौकीन हैं तो सावधान हो जाइए. आपके लिए बुरी खबर है. अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च में कई चॉकलेट प्रोडक्ट्स में टॉक्सिक हैवी मेटल्स (Heavy Metals) पाए हैं, जो सेहत के लिए बेहद हानिकारक और खतरनाक हो सकते हैं. न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट में बताया गया है कि वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में चॉकलेट से बने कई प्रोडक्ट में टॉक्सिक हैवी मेटल्स लेड (Lead) और कैडमियम (Cadmium) जरूरत से ज्यादा मिली है, जो सेहत को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं. आइए जानते हैं इस स्टडी में क्या मिला चॉकलेट में कई हैवी मेटल्स इस स्टडी में कोको से बनने वाले डार्क चॉकलेट समेत 72 प्रोडक्ट्स का वैज्ञानिकों ने 8 सालों तक एनालिसिस किया. जिसके बाद उन्होंने पाया कि चॉकलेट से बने 43% प्रोडक्ट्स में सीसा (लेड) की काफी ज्यादा मात्रा थी. 35% प्रोडक्ट्स में कैडमियम पाए गए. वहीं, ऑर्गनिक प्रोडक्ट में टॉक्सिक मेटल्स काफी ज्यादा मिले हैं, जो चिंता बढ़ाने वाले हैं चॉकलेट में लेड, सेहत के लिए खतरनाक शोधकर्ताओं ने बताया कि चॉकलेट प्रोडक्ट्स में ये मेटल्स कंटामिनेशन मिट्टी या मैन्यूफैक्चरिंग के वक्त हो सकता है. यह स्टडी चॉकलेट के अलग-अलग ब्रांड्स और वैरायटी पर बेस्ड था. इसमें कई में टॉक्सिक मेटल्स का लेवल काफी ज्यादा पाया गया. लेड काफी टॉक्सिक एलीमेंट है जो अगर शरीर में जमा हो जाए तो नर्वस सिस्टम, किडनी और हार्ट हेल्थ को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है. बच्चों के शरीर में पहुंचकर यह मानसिक ग्रोथ पर बुरा असर डाल सकता है. डार्क चॉकलेट में हैवी मेटल का हाई लेवल जोखिम पैदा कर सकता है, खासकर अगर इसे कुछ समुद्री भोजन, चाय और मसालों जैसे हैवी मेटल वाले अन्य उत्पादों के साथ खाया जाए. कैडियम का सेहत पर असर चॉकलेट में पाया जाना वाला दूसरा टॉक्सिक मेटल कैडमियम किडनी और हड्डियों के लिए हानिकारक होता है. अगर लंबे समय तक इसके संपर्क में शरीर रहे तो हड्डियां कमजोर हो सकती हैं. इसके अलावा किडनी की कई बीमारियां हो सकती हैं. शोधकर्ताओं ने बताया कि कोको प्लांट जमीन से हैवी मेटल्स अवशोषित कर सकते हैं, इसलिए ज्यादा चॉकलेट खाने से बचना चाहिए. बच्चों को भी इसके नुकसान बताने चाहिए.
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5 August 2024पेरिस ओलंपिक खेल, इस साल यानी 2024 में 26 जुलाई से शुरू होने वाला है, जो 11 अगस्त 2024 तक चलेगा. हर किसी की नजर अब पेरिस ओलंपिक खेलों पर टिकी रहेगी. ऐसे में कई लोग पेरिस ओलंपिक के लिए निकल गए हैं, तो वहीं कुछ लोग अब जाने वाले हैं.अगर आप भी पेरिस ओलंपिक के लिए पेरिस की यात्रा कर रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए है. आज हम आपको फ्रांसीसी राजधानी की ऐसी शानदार जगहों के बारे में बताएंगे, जहां जाने के बाद आपका वापस आने का मन नहीं करेगा. पेरिस का एफिल टॉवर रोशनी का शहर पेरिस अपनी खूबसूरती के लिए काफी जाना जाता है. आप यहां की खूबसूरती देखने के साथ कई एक्टिविटी भी कर सकते हैं. आप पेरिस में एफिल टॉवर जा सकते हैं, यह पेरिस का सबसे आईकॉनिक स्मारक है, जहां का नजारा आपका दिल जीत लेगा और ऊपर से ऐसा लगेगा मानों पूरा शहर आपके पैरों में है. ल्यूव्रे संग्रहालय पेरिस पहुंचने के बाद आप अगर दुनिया के सबसे बड़े संग्रहालय को देखने नहीं गए, मतलब आप पूरी ट्रिप इंजॉय नहीं कर पाए हैं. जानकारी के मुताबिक यह म्यूजियम 300 साल से भी ज्यादा पुराना है. यहां पर आप मोना लिसा, वीनस डी मिलो जैसे कई मशहूर कलाकृतियां को देख सकते हैं. नोट्रे डेम कैथेड्रल इसके अलावा आप पेरिस में नोट्रे डेम कैथेड्रल जरूर जाएं. यह फ्रांस का बहुत पुराना और खूबसूरत चर्च है. यह चर्च अपनी सुंदरता के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. यहां की खिड़कियों में रंगीन शीशे लगे हुए हैं, जो आपका दिल जीत लेंगे. यही नहीं इस चर्च के अंदर और बाहर कई तरह की मूर्तियां है, जो लोगों का ध्यान खींचती है. पेरिस ओपेरा पेरिस ओपेरा एक बहुत खूबसूरत और ऐतिहासिक ओपेरा हाउस है. यह दुनिया के फेमस ओपेरा हाउस में से एक है. बता दें कि यहां हर साल कई तरह के ओपेरा, बैले और संगीत जैसे प्रोग्राम ऑर्गेनाइज होते हैं. सैक्रे कोएर बेसिलिका सैक्रे कोएर बेसिलिका पेरिस की सबसे ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है. यह एक कैथोलिक चर्च है. इसे पेरिस के सबसे फेमस लैंडमार्क में से एक बताया गया है. यहां से आप पेरिस का शानदार नजारा देख सकते हैं. एक बार यहां जाने के बाद आपका वापस आने का मन नहीं करेगा. मार्स फील्ड एफिल टावर के ठीक सामने बना मार्स फील्ड एक खूबसूरत पार्क है. जहां की खूबसूरती आपको वहां से जाने नहीं देगी. यहां से एफिल टावर का नजारा देखने लायक होता है. यहां पर हर साल कुछ न कुछ प्रोग्राम होते रहते हैं. सेन नदी सेन नदी को पेरिस शहर का दिल भी कहा जाता है. यह नदी शहर की सुंदरता में चार चांद लगा देती है. अगर आप पेरिस आए और इस जगह पर नहीं घूमे, तो आपका पेरिस आना बेकार है. इन सभी जगह पर आप घूम कर अपनी ट्रिप को यादगार बना सकते हैं और फैमिली और फ्रेंड्स के साथ एंजॉय कर सकते हैं.
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3 August 2024सावन माह की शिवरात्रि बेहद खास