देश के लिए मरना श्रेष्ठ है लेकिन आज देश के लिए जीने वालों की आवश्यकता : प्रांत प्रचारक
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भोपाल/विदिशा । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य भारत प्रांत के प्रांत प्रचारक विमल गुप्ता ने कहा कि हिंदू जीवन चार आश्रमों पर आधारित है। चौथा आश्रम संन्यास आश्रम है, जो व्यक्ति को मोक्ष की राह पर ले जाता है। उन्होंने कहा कि "साधना कठिनता से सफल होती है। जो कठिनाइयों में जी नहीं सकता, वह कभी साधक नहीं बन सकता है" "देश के लिए मरना श्रेष्ठ है, लेकिन देश के लिए जीने वालों की आज आवश्यकता है।"
 
प्रांत प्रचारक गुप्ता रविवार को विदिशा में स्वयंसेवक संघ मध्य भारत प्रांत के संघ शिक्षा वर्ग के उद्घाटन सत्र में स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण वर्ग में आए हुए हम सभी साधक हैं, अपनी साधना को सफल करने के लिए इस वर्ग में उपस्थित हुए हैं। अपने संघ कार्य को मजबूती देने के लिए हम इस वर्ग में प्रशिक्षण ले रहे हैं।
 
दरअसल, विदिशा के टीला खेड़ी स्थित सरस्वती शिशु मंदिर के परिसर में रविवार को संघ शिक्षा वर्ग विशेष का उद्घाटन हुआ। इस समारोह के दौरान सर्वाधिकारी हरिश्चंद्र शर्मा और मध्य भारत प्रांत के प्रांत प्रचारक विमल गुप्ता ने भारत माता की चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर वर्ग का शुभारंभ किया। इस वर्ग में आठ विभाग के 31 जिलों से 183 शिक्षार्थी 107 स्थानों से सम्मिलित हुए हैं। इस वर्ग में सभी जिलों का प्रतिनिधित्व हुआ। इस वर्ग में 40 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले स्वयंसेवक ही अपेक्षित है, जिन्होंने संघ के खंड, जिला एवं विभाग स्तरीय वर्ग में प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया है। इस 15 दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग का सार्वजनिक समापन 2 जून को होगा।
 
संघ शिक्षा वर्ग विशेष में शामिल शिक्षार्थियों को शारीरिक, बौद्धिक,योग,सेवा, प्रबंधन का प्रशिक्षण प्राप्त होगा। संघ का कार्य व्यक्ति निर्माण का कार्य है। इस 15 दिन के वर्ग में अनुशासित दिनचर्या का पालन करते हुए अपने व्यक्तित्व को मजबूत करना है। 40 वर्ष से 65 वर्ष की आयु के स्वयंसेवकों को इस वर्ग में अपेक्षित किया है।
 
प्रांत प्रचारक गुप्ता ने उद्घाटन सत्र के दौरान अपने संबोधन में श्रीमद्भागवत गीता उदाहरण देते हुए कहा कि गीता के छठवें अध्याय के 35 वे श्लोक में भगवान कृष्ण ने मन को बड़ा चंचल बताया है और निरंतर अभ्यास से ही मन को नियंत्रित किया जा सकता है। इस वर्ग से देश भक्ति का वैराग्य हमारे अंदर आने वाला हैं, हमे अपने जीवन में देश भक्ति वैराग्य हमेशा बनाकर रखना चाहिए। समाज में शाखा की भूमिका जागरण श्रेणी के माध्यम से स्पष्ट हो सके और शाखा समाज परिवर्तन का केंद्र बन सके इसलिए हम वर्ग में प्रशिक्षण लेने आए हैं।
 
उन्होंने अंत में कहा कि इस वर्ग से हमे समय का प्रबंधन, कार्यकर्ता का प्रबंधन, कार्य का प्रबंधन सीख कर जाना हैं। समूह में रहकर सामूहिकता की भावना से कार्य करने की कला हम इस वर्ग में सीखकर जाने वाले हैं। अटल जी की कविता "तब थे अकेले आज हुए इतने भला तब न डरे तो अब क्या डरेंगे।" से उन्होंने अपने बौद्धिक का समापन किया।
Dakhal News 18 May 2025

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