Patrakar Priyanshi Chaturvedi
नई दिल्ली । विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी सरकार की ओर से भारतीय संस्थाओं और व्यक्तियों को धन मुहैया कराए जाने संबंधी रिपोर्टों पर गहरी चिंता व्यक्त की है। इस मामले में संबंधित विभाग और एजेंसियां गौर कर रही हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय संस्थाओं को धन मुहैया कराए जाने संबंधी रिपोर्टों से भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप की चिंता उपजती है। उन्होंने कहा कि संबंधित विभाग और एजेंसियां मामले पर गौर कर रही हैं। इस संबंध में अभी कोई सार्वजनिक टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी। आने वाले दिनों में इस संबंध में और जानकारी उपलब्ध करायी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एलन मस्क और दक्षता विभाग की विदेशों में की गई फंडिंग कार्रवाई की प्रशंसा की थी। उन्होंने कहा था कि भारत के मतदान में लोगों की भागीदारी बढ़ाने से अमेरिका का क्या लेना-देना है। उन्होंने संभावना व्यक्त की थी कि तत्कालीन प्रशासन भारत में किसी और (नरेन्द्र मोदी के अलावा) का चुनाव चाहता था।
ट्रम्प के इस बयान के बाद से ही भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। भाजपा का आरोप है कि वर्ष 2024 के आम चुनाव में विपक्ष और तात्कालीन अमेरिकी सरकार और जॉर्ज सोरोस के बीच सांठगांठ थी। दूसरी ओर कांग्रेस ने ट्रम्प के बयान को वाहियात बताते हुए सरकार से इस मुद्दे पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है। इस बीच कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यूएसएड की ओर से भारत के लिए कोई धन आवंटित नहीं किया गया था। धन आवंटन असल में बांग्लादेश के लिए था। उधर राष्ट्रपति ट्रम्प ने पूरे प्रकरण में अपने पुराने कथन को दोहराते हुए कहा कि यह वास्तव में रिश्वतखोरी या दलाली दोनों का मामला था। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि आखिर यह रिश्वत किसको और क्यों दी गई।
अमेरिका में एलन मस्क की अगुवाई वाले दक्षता संबधित विभाग की ओर से एक सूची जारी की गई थी जिसमें अमेरिकी संस्था यूएसएड की ओर से वोटरटर्नआउट के लिए निधि आवंटित किए जाने का उल्लेख था। इसी तरह बांग्लादेश के लिए दो करोड़ 90 लाख डॉलर आवंटित किए गए थे। दक्षता विभाग ने यह सभी आवंटन रद्द कर दिए हैं।
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