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21 January 2025हरियाणा के पांच बार मुख्यमंत्री और सात बार विधायक रह चुके ओपी चौटाला का आज निधन हो गया। सांस लेने में तकलीफ होने के कारण उन्हें गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। ओपी चौटाला का जन्म 1 जनवरी 1935 को सिरसा जिले के डबवाली के चौटाला गांव में हुआ था, जो पहले पंजाब का हिस्सा था।
ओपी चौटाला और उनकी राजनीति की यात्रा
ओपी चौटाला का राजनीतिक जीवन बेहद दिलचस्प और संघर्षपूर्ण रहा। उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1989 में हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में की थी। इसके बाद उन्होंने कुल पांच बार मुख्यमंत्री का पद संभाला, और हर बार उनके मुख्यमंत्री बनने की कहानी में कुछ ना कुछ अनोखा था।
मुख्यमंत्री बनने का पहला मौका (1989)
ओपी चौटाला ने पहली बार 2 दिसंबर 1989 को हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। हालांकि, उनका यह कार्यकाल केवल 5 महीने का ही रहा और वे 22 मई 1990 को पद छोड़ने पर मजबूर हो गए थे।
दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने की घटनाएँ (1990)
चौटाला ने 12 जुलाई 1990 को दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री बनारसी दास गुप्ता को दो महीने के लिए हटाया गया था। हालांकि, यह कार्यकाल भी लंबे समय तक नहीं चल सका, और 17 जुलाई 1990 को उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा।
तीसरी बार मुख्यमंत्री बने (1991)
22 अप्रैल 1991 को चौटाला ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन यह कार्यकाल भी बहुत लंबा नहीं रहा। केवल दो हफ्तों बाद, राज्यपाल की सिफारिश पर राष्ट्रपति शासन लागू होने के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की कहानी (1999)
चौटाला ने 24 जुलाई 1999 को चौथी बार मुख्यमंत्री का पद संभाला। इस बार उन्होंने भाजपा से समर्थन प्राप्त किया, और बंसीलाल की सरकार गिरने के बाद उन्होंने सरकार बनाई। 1999 में विधानसभा भंग करवा दी गई और मार्च 2000 में उन्होंने पांचवीं बार मुख्यमंत्री बनने का मौका पाया।
पाँचवी बार मुख्यमंत्री (2000-2005)
चौटाला का यह कार्यकाल बहुत महत्वपूर्ण था। उन्होंने पूरे पांच साल तक मुख्यमंत्री पद पर काबिज रहे। इस दौरान उनका नेतृत्व हरियाणा में कई बदलावों का हिस्सा बना, और 2004 में हुए लोकसभा चुनावों के बाद भाजपा और उनका गठबंधन टूट गया, लेकिन चौटाला ने अपनी पार्टी की सत्ता बनाए रखी।
चौटाला का राजनीतिक प्रभाव और योगदान
ओपी चौटाला की राजनीति में बड़ी भूमिका रही। उनकी कड़ी मेहनत और राजनीति में बने रहने की क्षमता ने उन्हें हरियाणा में एक मजबूत नेता बना दिया। वह जनता दल, समाजवादी जनता पार्टी और समता पार्टी जैसे दलों का हिस्सा रहे। अंत में उन्होंने 1996 में हरियाणा लोकदल (हलो दरा) की स्थापना की और 1998 में बसपा के साथ गठबंधन किया।
व्यक्तिगत जीवन और दोस्ती
ओपी चौटाला की पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सरदार प्रकाश सिंह बादल से गहरी मित्रता थी। उनका जीवन संघर्षों और बदलावों से भरा हुआ था, लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी राजनीतिक यात्रा को छोड़ा नहीं। ओपी चौटाला का निधन हरियाणा के लिए एक बड़ी क्षति है, और उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
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21 December 2024
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