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नीलम नाम की एक महिला हिम्मत की मिसाल बन गई है. महिला ई रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रही है. एक महिला का ऐसा हौसला और लोगो को भी बड़ी प्रेरणा देता है. नीलम के पति की कोरोना काल में मृत्यु हो गई थी.
रुड़की नई बस्ती की एक महिला ने जिंदगी की चुनौतियों को हराकर ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाई है. कोरोना काल में पति की मौत के बाद जब घर-घर काम करने से गुजारा नहीं चला, तो उसने चाय का ठेला लगाया, लेकिन समाज ने उस पर भी ताला जड़ दिया. हार न मानते हुए अब वह ई-रिक्शा चलाकर अपने बच्चों का पेट भर रही है, और हर दिन संघर्ष की नई इबारत लिख रही है. यह है मुसीबतों का सामना कर रही नीलम की दास्ताँ रुड़की की इस जुझारू महिला ने जनप्रतिनिधियों से भी मदद की गुहार लगाई, लेकिन उम्मीद के मुताबिक हाथ खाली ही रहे नगर विधायक प्रदीप बत्रा और खानपुर विधायक उमेश कुमार से सहायता की आस थी, मगर जब कोई ठोस मदद नहीं मिली, तो उसने खुद ही अपने हालात बदलने का फैसला किया अब ई-रिक्शा चलाकर वह न सिर्फ अपने बच्चों का पेट पाल रही है, बल्कि समाज को अपनी मेहनत से एक नई प्रेरणा दे रही है तीन बच्चों की मां अब किराए पर ई-रिक्शा चलाकर रोज़ाना 500 से 600 रुपये कमाती है, जिसमें से 300 रुपये रिक्शा का किराया चुकाती है. बचे पैसों से महिला अपने दो बेटों और एक बेटी का पालन पोषण कर रही है.
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