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13 January 2025तिरुनेल्लई नारायण अय्यर शेषन—शॉर्ट में TN शेषन (TN Seshan)—भारत के 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त, एक ऐसे व्यक्तित्व, जिन्होंने भारतीय राजनीति में गहरा प्रभाव छोड़ा। शेषन ने 1990 से 1996 तक इस पद पर कार्य किया और इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण सुधारों को लागू किया, जो आज भी चर्चित हैं। उनका व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि वे नेताओं से कहीं ज्यादा प्रसिद्ध हुए। उनका एक प्रसिद्ध वाक्य है, "मैं नाश्ते में नेताओं को खाता हूं," जो उनके आक्रामक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
प्रारंभिक जीवन
शेषन का जन्म 1932 में हुआ था। उन्होंने अपनी 12वीं कक्षा की पढ़ाई गवर्नमेंट विक्टोरिया कॉलेज, पलक्कड़ से की। दिलचस्प तथ्य यह है कि इस दौरान मेट्रो मैन ई. श्रीधरन भी इसी स्कूल में पढ़े थे। दोनों ने जवाहरलाल नेहरू टेक्निकल यूनिवर्सिटी, काकीनाड़ा, आंध्र प्रदेश में प्रवेश लिया, लेकिन शेषन ने मद्रास क्रिस्चियन कॉलेज से बीएससी करने का निर्णय लिया। यहां से उन्होंने फिजिक्स में ऑनर्स के साथ स्नातक किया।
शेषन ने पहले पुलिस सर्विस का एग्जाम दिया और चयनित भी हुए, लेकिन जॉइन नहीं किया। 1954 में UPSC का एग्जाम पास किया और तमिलनाडु काडर में शामिल हुए।
प्रशासनिक करियर
1962 में, शेषन को मद्रास ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट का डायरेक्टर बनाया गया। उनके कार्यकाल में उन्होंने ट्रैफिक नियमों को लेकर सख्ती दिखाई। वह खुद सड़कों पर जाकर बस ड्राइवरों को हड़का देते थे। एक बार, जब एक बस ड्राइवर ने शेषन से कहा कि वह बस के इंजन को नहीं समझते, तो उन्होंने इसे चुनौती के रूप में लिया और बस चलाना सीखा। उन्होंने खुद 80 किलोमीटर तक बस चलाकर यात्रियों को उनकी मंजिल पर पहुंचाया।
इसके बाद, शेषन की कहानी हार्वर्ड विश्वविद्यालय तक पहुंची, जहां उन्होंने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की। यहां उनकी दोस्ती सुब्रमण्यम स्वामी से हुई, जो आगे चलकर भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले थे। 1969 में भारत लौटने के बाद, शेषन को एटॉमिक एनर्जी कमीशन का सेक्रेटरी नियुक्त किया गया और 1972 में वह डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस में जॉइंट सेक्रेटरी बने। इस दौरान, उन्होंने हमेशा फोन पर कहा, "हेलो, मैं स्पेस से शेषन बोल रहा हूं," ताकि लोग कन्फ्यूजन में न पड़े।
पर्यावरण मंत्रालय और विवाद
1985 में, राजीव गांधी सरकार में शेषन को पर्यावरण और वन मंत्रालय में सचिव का पद मिला। उनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण कानून लागू हुए, जैसे नर्मदा और टिहरी बांध परियोजना के पर्यावरण पर हानिकारक प्रभावों के खिलाफ विरोध। उन्होंने जंगली जानवरों के शिकार को लेकर भी सख्ती दिखाई। एक बार, जब उन्होंने टीवी पर "दो बाघ मारे गए" की खबर देखी, तो उन्होंने तुरंत ऑफिस में हंगामा कर दिया। लेकिन असल में यह लिट्टे के तमिल टाइगर्स के बारे में था, लेकिन किसी ने उन्हें यह जानकारी नहीं दी, क्योंकि उनका खौफ इतना था।
मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल
1989 में VP सिंह के शासन में शेषन को कैबिनेट सेक्रेटरी का पद मिला। कश्मीर में अलगाववादियों ने गृह मंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद की बेटी रुबिया का अपहरण कर लिया। इस मामले में, शेषन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने सलाह दी कि अधिकारियों को तमिल में बात करनी चाहिए ताकि मामले की गंभीरता को समझा जा सके। अंत में, आतंकियों को रिहा करने का निर्णय लिया गया, जो कि एक विवादास्पद कदम था।
1990 में, शेषन मुख्य चुनाव आयुक्त बने। उनकी नियुक्ति में सुब्रमण्यम स्वामी का बड़ा हाथ था। चुनाव आयुक्त बनने के बाद, उनके पास वैधानिक शक्तियां आ गईं। उन्होंने चुनाव सुधारों की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। 1991 में लोकसभा चुनावों में उनके सुधारों का असर स्पष्ट था। उन्होंने फर्जी वोटिंग पर रोक लगाने के लिए वोटर ID पर मतदाताओं की फोटो लगाने की मांग की। सरकार ने इसे महंगा बताते हुए इंकार किया, लेकिन शेषन ने कहा कि जब तक फोटो नहीं लगेगी, एक भी चुनाव नहीं होगा।
राजनीतिक संघर्ष
शेषन के प्रति नेताओं का डर इतना बढ़ गया कि उनका नाम अलशेषन (कुत्तों की एक नस्ल) रख दिया गया। 1995 में जब उन्होंने बिहार में कई सीटों पर चुनाव खारिज किया, तब लालू प्रसाद यादव ने नारा दिया, "शेषन वर्सेज द नेशन।" शेषन पर नकेल डालने के कई प्रयास हुए, लेकिन उन्होंने अपनी स्थिति बनाए रखी। उनके खिलाफ महाभियोग की सिफारिश की गई, लेकिन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने ऐसा होने नहीं दिया, यह सोचकर कि इससे जनता में सरकार की छवि खराब होगी।
राव ने एक दूसरा रास्ता निकाला। उन्होंने MS गिल और GVG कृष्णमूर्ति को अतिरिक्त चुनाव आयुक्त बना दिया, जिससे शेषन की ताकत एक तिहाई रह गई। शेषन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन कोर्ट ने सरकार के फैसले को सही माना।
पत्रकारों और मीडिया के साथ व्यवहार
एक बार, जब AIADMK के कुछ कार्यकर्ताओं ने शेषन से मारपीट की, तब वह आश्चर्यजनक रूप से शांत रहे। एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि उन्होंने कोई जवाबी कदम क्यों नहीं उठाया। शेषन ने बड़े ही मजाकिया अंदाज में कहा, "मैं ये नहीं कह रहा कि शेषन घर पर उपलब्ध नहीं हैं, मैं ये कह रहा हूं कि शेषन आपको जानकारी देने के लिए उपलब्ध नहीं हैं।"
शेषन समय की पाबंदी और सफाई को लेकर भी बहुत सख्त थे। मीटिंग में कोई एक मिनट लेट आता, तो वह उसे तुरंत बाहर का रास्ता दिखा देते थे। सफाई के मामले में उनका कहना था, "मेरे मंत्रालय में टॉयलेट भी इतने साफ हैं कि आप उसमें खाना खा सकते हैं।"
अंतिम दिन और विरासत
1996 में, शेषन का कार्यकाल समाप्त हुआ। उन्होंने 1997 में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रपति पद के लिए आवेदन दिया, लेकिन उन्हें केवल 5% वोट मिले। 1999 में, उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर गांधी नगर से लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन निराशा उनके हाथ लगी।
अपने आखिरी दिनों में, शेषन ने एक ओल्ड ऐज होम में गुजारे। उनके बच्चे नहीं थे, और जायदाद के नाम पर केवल किताबों का बड़ा संग्रह था। डिमेंशिया के चलते, वे अपनी किताबें भी नहीं पढ़ पा रहे थे। उन्होंने अपनी अधिकतर संपत्ति चैरिटी में दान कर दी।
2019 में, चिन्नई में उनके घर में उनकी मृत्यु हो गई। शेषन के काल को भारत में चुनाव आयोग का स्वर्णिम काल माना जाता है। नवंबर 2022 में, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की नियुक्तियों पर टिप्पणी करते हुए कहा, "टीएन शेषन जैसा कोई कभी-कभार ही होता है। हमें सीईसी के पद के लिए सबसे अच्छा व्यक्ति खोजना होगा।"
निष्कर्ष
शेषन ने चुनाव आयोग को एक नई दिशा दी और उनकी कोशिशों ने भारतीय लोकतंत्र को मजबूत किया। उनका नाम हमेशा चुनाव सुधारों के संदर्भ में लिया जाएगा, और उनकी कहानी भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था में एक प्रेरणा के रूप में याद की जाएगी। शेषन की छवि एक ऐसे नेता की है, जिन्होंने अपनी नीतियों और कार्यों के माध्यम से न केवल चुनाव प्रक्रिया को सुधारा, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र को एक नया दृष्टिकोण दिया।
उनकी विरासत आज भी भारतीय राजनीति में गूंजती है, और वे एक आदर्श उदाहरण हैं कि कैसे एक व्यक्ति अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाकर समाज में बड़ा बदलाव ला सकता है। शेषन का जीवन एक प्रेरणादायक कहानी है, जो हमें यह सिखाती है कि निष्ठा, ईमानदारी और प्रतिबद्धता के साथ कार्य करने से कैसे समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है।
-लेखक
सुमित गिरी
Dakhal News
16 October 2024
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