Patrakar Priyanshi Chaturvedi
स्कूल शिक्षा मंत्री :नियम से चल रहे हैं शिशु मंदिर
मध्यप्रदेश में मदरसों और शिशुमन्दिरों को लेकर राजनीति तेज हो गई है | गृहमंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा ने तीन दिन पहले प्रदेश में चल रहे मदरसों के सिलेबस की जांच कराने की बात कही तो कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने सरस्वती शिशु मंदिरों की जांच कराने की मांग करते हुए गृहमंत्री पर धार्मिक ध्रुवीकरण करने का आरोप लगा दिया | इस बीच देखिये सरस्वती शिशु मंदिरों में किस तरह अध्ययन के साथ संस्कार दिए जाने का काम हो रहा है | तीन दिन पहले गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा प्रदेश के कुछ मदरसों में आपत्तिजनक पढ़ाने का मामला संज्ञान में आया है | मैंने भी उसे देखा है | इस तरह की किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए मदरसों की पठन सामग्री को जिलों के कलेक्टर्स को निर्देश देकर संबंधित जिले के शिक्षा विभाग से उस स्टडी मटेरियल की स्क्रूटनी करा लें | ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पठन सामग्री आपत्तिजनक न हो | गृहमंत्री के इस बयान पर कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने नाराजगी जाहिर करते हुए शिशु मंदिरों की जांच कराने की मांग कर दी स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने विधायक आरिफ मसूद के बयान पर कहा- सरस्वती शिशु मंदिर का सिलेबस शासन से मान्यता प्राप्त है | सरस्वती शिशु मंदिर के मसले पर जब इन स्कूलों में देखा गया तो पता चला शिशु मंदिरों में बहुत ही सलीके से अध्ययन और संस्कार देने का काम हो रहा है | सरस्वती शिशु विद्या मंदिर के प्राचार्य की माने तो स्कूल में बच्चों को उनकी रुचि के विषयों के साथ-साथ अध्यात्मिक, धार्मिक, खेल प्रतियोगिताएं और सांस्कृतिक क्रियाओं से भी अवगत कराया जाता है | साथ ही राष्ट्र के प्रति उनकी भूमिका क्या होनी चाहिए, इस बात का पाठ भी सरस्वती स्कूल में पढ़ाया जाता है | स्कूल के विद्यार्थियों ने बताया कि स्कूल में उसके शिक्षक देश भक्ति के अलावा उनके ज्ञान पर फोकस करते हैं | साथ ही जिन विषयों में उनकी रूचि होती है,उस विषय पर भी अच्छे से पढ़ाया जाता है | वही सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में पढ़ने वाली मुस्लिम छात्रा नाजिया मंसूरी ने बताया कि, स्कूल में उसे उसकी रूचि के विषय का ज्ञान प्राप्त होता है | साथ ही खेलकूद, अध्यात्मिक और देश के प्रति भारत वासियों का कर्तव्य क्या होता है, इस विषय पर भी पढ़ाया जाता है | सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में प्रतिदिन छात्रों की शुरुआत प्रार्थना के साथ होती है | संस्कृत श्लोक पढ़ते हुए छात्र अपनी-अपनी कक्षाओं में जाकरअपने विषयों को पढ़ते हैं | यहां पर सभी छात्रों को दीदी और भैया कहकर पुकारा जाता है
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