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भारत और नेपाल के बीच जिस सुस्ता गांव को लेकर बीते 60 सालों से विवाद चल रहा है, वहां नेपाल का हैंगिंग ब्रिज तैयार हो चुका है। लोगों ने आना-जाना भी शुरू कर दिया। बीते 9 सालों से इस ब्रिज का कंस्ट्रक्शन चल रहा था। 1571 मीटर लंबे हैंगिंग ब्रिज पर नेपाल ने 2500 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। सुस्ता बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में आने वाले चकदहवा से एक कदम की दूरी पर है।
26 सितंबर को नेपाल के प्रेसीडेंट रामचंद्र पौडेल ने इसका इनॉगरेशन किया। ब्रिज के शुरू होने से सुस्ता में रहने वाले लोगों को अब बोट के जरिए गंडक नदी क्रॉस नहीं करनी पड़ रही है, बल्कि वो ब्रिज से पैदल और बाइक से नेपाल पहुंचने लगे हैं। गांव में ट्रांसफॉर्मर ग्रिड के जरिए बिजली भी पहुंचाई जा चुकी है। नेपाल की सरकार गांव के लोगों को एक साल तक बिजली फ्री देगी।
नेपाल सुस्ता को अपने लुम्बिनी प्रदेश में बताता है। यहां की नवल परासी सीट से सांसद विनोद चौधरी ने ब्रिज के इनॉगरेशन के वक्त कहा कि, अभी सुस्ता में 350 लोग रहते हैं, इनकी संख्या एक हजार तक की जाएगी। सांसद ने राष्ट्रपति से सुस्ता में चीनी मिल शुरू करने की डिमांड भी की। सुस्ता में नेपाल की ही सेना तैनात है।
वहीं, सुस्ता से करीब 50 मीटर पहले भारत का सीमा सुरक्षा बल तैनात है। सुस्ता पर दावे को लेकर भारत और नेपाल में विवाद चल रहा है। फिलहाल सुस्ता नेपाल के कब्जे में हैं।
नए ब्रिज बनने के बाद सुस्ता के क्या हालात हैं, वहां रहने वाले क्या बोल रहे हैं और बिहार सरकार इस मामले में क्या कर रही है, ये सब जानने भास्कर रिपोर्टर आदित्य उपाध्याय सुस्ता पहुंचे।
चकदहवा से एक कदम की दूरी पर सुस्ता
पश्चिम चंपारण जिले के बगहा सब डिविजन में बगहा-2 प्रखंड है, इसी में चकदहवा गांव आता है, जिसकी नेपाल से दूरी महज एक कदम की है। चकदहवा से ही लगा हुआ सुस्ता है, जिसे लेकर दोनों देशों में विवाद चल रहा है।
बगहा-2 प्रखंड में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व यानी VTR तक आने-जाने के लिए पक्की सड़क है। VTR के बीच में से ही एक रास्ता सुस्ता की तरफ जाता है। VTR से सुस्ता की दूरी करीब 7 किमी की है। इस रास्ते से दोपहिया वाहन भी आते-जाते हैं।
हम इसी के जरिए बाइक से सुस्ता पहुंचे। चकदहवा में हमें SSB जवानों ने जांच के लिए रोका। पूछा, सुस्ता क्यों जा रहे हैं? हमने कहा, झूला पुल देखने जा रहे हैं। उन्होंने नाम और गाड़ी का नंबर पूछकर छोड़ दिया।
करीब 40 मिनट में हम सुस्ता पहुंच गए। हम सीधे नए हैंगिंग ब्रिज को देखने पहुंचे। वहां ब्रिज देखने आए लोगों की भीड़ लगी थी। अधिकतर भारतीय मूल के नेपाली लोग थे।
जमीन भारत की है, नदी ने कटाव किया तो यहां आए
सुस्ता में हमारी मुलाकात बुधई से हुई। वे गांव में ही हैंगिंग ब्रिज के पास एक किराना दुकान चलाते हैं। खेतीबाड़ी भी करते हैं। सुस्ता के बारे में पूछने पर बोले, ‘सुस्ता पहले गंडक नदी के पूर्वी हिस्से में था, लेकिन नदी के पूर्वी हिस्से में कटाव के चलते हम लोग पश्चिम की तरफ आकर बस गए। अब ये जमीन तो भारत की है, लेकिन लोगों के विस्थापित होने के कारण कब्जा नेपाल का है।’
उन्होंने बताया कि, ‘हैंगिंग ब्रिज बनने से नेपाल आना-जाना बहुत आसान हो गया है। पहले हमें बोट के जरिए गंडक नदी पार करके नेपाल जाना पड़ता था, इसलिए लोग अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए नेपाल के बजाए भारत आते थे। लेकिन अब भारत आना-जाना कम हो जाएगा।’
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