सेना ने पकिस्तान को घर में घुसकर सबक सिखाया
bhopal, army taught Pakistan , entering its home

सेना में कैप्टन और पुलिस में महानिदेशक तक के पद पर रहे स्वराज पुरी का कहना है पाकिस्तान के पहलगाम आतंकी हमले के बाद अगर पकिस्तान सीज़फ़ायर की पहल नहीं करता तो पाकिस्तान ख़त्म होने के कगार पर पहुँच जाता। पाकिस्तान को इस बात का बोध हो गया था। इस बार पाकिस्तान के आतंकवाद के खिलाफ हमारी  कार्यवाही जोश ,आत्मविश्वास और बुद्धिमत्ता से परिपूर्ण रही। हमारी सेना ने घर में घुसकर आतंकवाद और उनके आकाओं की कमर तोड़ी है। भारत का नेतृत्व और सेना वो उदाहरण पेश किया है जो हमेशा याद रखा जाएगा।

15 अगस्त 1947 को  स्वराज पुरी जबलपुर के एक आम परिवार में जन्मे और पिता का कर्ज उतरने में मदद करने के लिए सेना की भर्ती में शामिल हो गए।चार सौ रुपये महीना वेतन पर सेना में पहुंचे स्वराज पुरी 1968 में  कमीशंड ऑफिसर बने। कोर ऑफ़ इंजीनियर्स कम्युनिकेशन में मोर्चा सम्हाला ही था कि पकिस्तान से 1917 की लड़ाई शुरू हो गई। कैप्टन स्वराज पुरी  पाश्चिमी कमान में शकरगढ़ पोस्ट पर थे। तब उन्होंने यहां पाकिस्तानी सेना को रोकने और भारतीय आपूर्ति लाइनों की रक्षा करने के लिए लड़ाई लड़ी। भारत-पाक युद्ध  4 से 16 दिसंबर 1971 तक लड़ा गया। जिसके नतीजे में पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए। स्वराज पुरी की आँखों में तब का एक एक मंजर तैरने लगता है। वे युद्ध की विभीषिका को समझते हैं। वे बताते हैं दुश्मन की माइन फिल्ड को हटाना अपनी सेना के लिए रास्ता बनाना और फिर दुश्मन के रास्ते में माइन फिल्ड बिछाना। जमकर शेलिंग के बीच ये सब होता था।

स्वराज पुरी पहलगाम आतंकी हमले को पर कहते हैं ये मनुष्य होने की परिभाषा को कलंकित करने वाला कृत्य है। इस मसले पर हामरी सरकार और सेना की राणनीति श्रेष्ठ्तम रही। सेना को फ्री हैंड था। स्पष्ट सन्देश था आतंकवाद और उनके आकाओं को सबक सिखाना। वो सेना ने सहजता से कर दिखाया। उनका कहना है प्रधानमंत्री मोदी इस संकट काल में आत्मविश्वास और बुद्धिमत्ता से परिपूर्ण नजर आए। हमारी नीति और नियत तय थी तो परिणाम भी वैसे आए। मुझे लगता है पाकिस्तानी सेना और सरकार युद्ध करने की स्थिति में ही नहीं हैं। बलोचिस्तान टूट रहा है। सिंध में अस्थिरता है।

पुरी कहते हैं हमारी सेना हमेशा से दुश्मन से मोर्चे के लिए तैयार रहती है। इसके बावजूद हमारी सेना की एक बड़ी खूबी है। हम अपनी तरफ से किसी पर भी आक्रमण नहीं करते। हमारी सेना सरहदों की रक्षा के लिए काम करती है लेकिन कोई बेवजह हमला करे तो हम छोड़ते नहीं हैं। अब तो नए भारत में भारतीय सेना की पहचान भी यही बन रही है कि हम आतंक के खिलाफ हैं। ऐसी घटनाओं पर हमारी फ़ौज घर में घुसकर आक्रमण कर रही है।  

सेना में कैप्टन रहते स्वराज पुरी ने 1972 में यूपीएससी की परीक्षा दी और 1973 में भारतीय पुलिस सेवा ज्वाइन की। वे मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक भी रहे। उनका मानना है पुलिस आर्मी से बहुत अलग है। आर्मी के लोग एक संरक्षित वातावरण में रहते और काम करते हैं , वहीँ पुलिस की ड्यूटी बहुत मुश्किल है। पुलिस दबाव में रहती है। लोग त्यौहार मानते हैं पुलिस सड़क पर ड्यूटी करती है। कोई मसला हो बिना पुलिस के उसका निदान नहीं है। एक सवाल के जवाब में पुरी कहते हैं मैंने आर्मी और पुलिस दोनों कामों को पूरी शिद्दत के साथ निभाया। हर जगह भावना एक ही थी राष्ट्र सबसे पहले।

 
 
Dakhal News 25 May 2025

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