विदेशों में कैसे की जाती है बोरिंग? भारत से कितना अलग है ये
How is boring done in foreign countries

बोरिंग, जो कि आमतौर पर निर्माण और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का एक खास हिस्सा होती है, अलग-अलग देशों में अलग-अलग तरीकों से की जाती है. विदेशों में बोरिंग की तकनीकें और तरीके भारत से काफी अलग हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं कि भारत के मुकाबले विदेशों में बोरिंग कैसे की जाती है.

विदेशों में इस मशीन से होती है बोरिंग

विदेशों में बोरिंग की प्रक्रिया को नई तरह की मशीनों और तकनीकों के माध्यम से किया जाता है. टनल बोरिंग मशीन (TBM) का उपयोग करना बहुत आम है, जो कि जमीन के नीचे बड़े टनल बनाने में सक्षम होती हैं. TBM की मदद से बोरिंग करना न केवल समय की बचत करता है, बल्कि ये पर्यावरण पर भी कम प्रभाव डालता है.

भारत में क्या है स्थिति?

भारत में बोरिंग तकनीक में सुधार हो रहा है, लेकिन अभी भी हमारे देश में बोरिंग के लिए पारंपरिक तरीकों का उपयोग किया जाता है. यहां के कई प्रोजेक्ट्स में मैन्युअल बोरिंग तकनीकें देखी जाती हैं, जो कि कई बार बहुत समय लेने वाली होती हैं. हालांकि, पिछले कुछ सालों में भारत ने भी TBM तकनीक को अपनाना शुरू किया है, खासकर मेट्रो परियोजनाओं में.

विदेशों से कितना अलग हो भारत में बोरिंग करने का तरीका?

विदेशों में बोरिंग के लिए उच्च तकनीकी मशीनों का उपयोग किया जाता है, जबकि भारत में अभी भी कई परियोजनाएं पारंपरिक मशीनों पर निर्भर हैं. वहीं विदेशी देशों में बोरिंग प्रोजेक्ट्स के लिए अधिक कुशल प्रणाली होती है, जिससे समय और संसाधनों का बेहतर उपयोग होता है. इसके अलावा डिजिटलाइजेशन और स्मार्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग विदेशों में बोरिंग करने के तरीके को ज्यादा सहूलियत भरा बनाता है, जबकि भारत में इसे लेकर विकास चल ही रहा है.

गौरतलब है कि दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट में TBM का सफल प्रयोग देखने को मिला था. इस परियोजना के दौरान बोरिंग तकनीक को बहुत ही कुशलता से लागू किया गया, जिससे समय और लागत दोनों में कमी आई. यह घटना भारत में आधुनिक बोरिंग को करने के तरीके का विकास है.

क्या है खास?

विदेशों में बोरिंग करने के तरीके में पर्यावरण संरक्षण पर खास ध्यान दिया जाता है. जर्मनी और स्वीडन जैसे देशों में बोरिंग का काम करने के दौरान पर्यावरणीय मानकों का पालन करना जरुरी है. वहीं भारत में भी पिछले कुछ सालों में पर्यावरणीय नियमों को लागू करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन इसे लागू करना बहुत ही परेशानी भरा है.

 

Dakhal News 28 September 2024

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