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मध्यप्रदेश में शराबबंदी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश के धार्मिक नगरों में शराबबंदी लागू करने का ऐलान किया है। इस निर्णय के तहत 1 अप्रैल से मध्यप्रदेश के लगभग डेढ़ दर्जन शहरों में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने इसे राज्य में शराबबंदी की ओर पहला कदम बताते हुए समाज में सुधार की दिशा में एक अहम कदम माना है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्य की सामाजिक समस्याओं को लेकर अपनी गहरी चिंता जाहिर की थी। उनका यह मानना है कि शराब के कारण समाज में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने शराबबंदी के फैसले पर गहन विचार-विमर्श किया और इसके बाद मोहन कैबिनेट ने 17 शहरों में शराबबंदी लागू करने का फैसला लिया। इस फैसले के तहत, इन शहरों में शराब की दुकानों को हमेशा के लिए बंद कर दिया जाएगा और इन्हें अन्य स्थानों पर शिफ्ट नहीं किया जाएगा।
प्रदेश के धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण शहरों में शराबबंदी लागू की जाएगी। इनमें उज्जैन, दतिया, पन्ना, मंडला, मुलताई, मंदसौर, मैहर, ओंकारेश्वर, महेश्वर, मंडलेश्वर, ओरछा, चित्रकूट, अमरकंटक, सलकनपुर, बर्मानकला, लिंगा, कुंडलपुर, अरमानपुर और बांदलपुर शामिल हैं। इन शहरों में एक नगर निगम, 6 नगर पालिका, 6 नगर परिषद और 6 ग्राम पंचायतें शराबबंदी से प्रभावित होंगी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस फैसले पर कहा कि यह एक दूरगामी और समाज सुधार की दिशा में बड़ा कदम है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस वित्तीय वर्ष के खत्म होने के बाद शराबबंदी के नियम लागू हो जाएंगे। उनका कहना था कि यह कदम राज्य के समाज को एक नई दिशा देने में मदद करेगा और शराब के दुष्प्रभावों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
मुख्यमंत्री के इस ऐतिहासिक फैसले को आम लोगों और खास व्यक्तियों ने सकारात्मक रूप से स्वीकार किया है। समाज के विभिन्न वर्गों का मानना है कि शराबबंदी से समाज में एक नई जागरूकता आएगी और इसका प्रभाव प्रदेश में सामाजिक सुधार के रूप में दिखाई देगा। लोगों ने इसे मुख्यमंत्री का साहसी और दूरगामी सोच वाला कदम बताया है, जो समाज के हर वर्ग के भले के लिए है।
यह निर्णय न केवल धार्मिक नगरी के लिए, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक बड़ी शुरुआत हो सकता है। यदि यह कदम सफल रहता है, तो अन्य शहरों में भी शराबबंदी को लेकर इसी तरह के फैसले लिए जा सकते हैं। प्रदेश सरकार का यह फैसला प्रदेश में शराब पर नियंत्रण पाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है और भविष्य में शराबबंदी की दिशा में और भी कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।
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