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चीतों ने किया दूसरा शिकार, पलभर में कर दिया काम तमाम
नमीबिया से भारत लाए गए चीतों को लगता है मध्य प्रदेश का कूनो नेशनल पार्क पसंद आ गया है। बड़े बाड़े में छोड़े गए आठ में से दो चीतों ने पिछले दिनों अपना दूसरा शिकार किया। अधिकारियों ने बताया कि यह शिकार चीतल (चित्तीदार हिरण) का किया गया। मालूम हो कि हाल ही में दोनों चीते भाइयों फ्रेडी और एल्टन ने अपना पहला शिकार किया था। पहले और दूसरे शिकार के बीच में सिर्फ तीन दिनों का ही समय रहा, जिसकी वजह से वन विभाग के अधिकारी काफी खुश भी हैं।
बड़े बाड़े में छोड़े जाने के 24 घंटे के अंदर ही चीते भाइयों ने छह नवंबर को पहला शिकार कर लिया था। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि दोनों चीतों ने जो शिकार किया, उसका वजन लगभग 25-30 किलोमीटर तक था और दोनों ने पूरा खत्म भी कर लिया। 'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, एक वन अधिकारी ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर बताया कि हम यह देख रहे हैं कि दोनों चीते दो से तीन दिनों के भीतर एक शिकार कर रहे हैं, तो हमें उम्मीद है कि तीसरा शिकार भी वे जल्द ही कर लेंगे। वहीं, निगरानी दल ने भी दोनों चीतों को शिकार का पीछा करते हुए देखा भी।
नमीबिया से भारत लाए जाने के बाद आठों चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में रखा गया था। सभी को लगभग 50 दिनों तक क्वारंटाइन रखा गया, जिसके बाद दो चीतों को बड़े बाड़े में छोड़ा गया। वन अधिकारियों ने दूसरे शिकार को गुरुवार सुबह देखा, जबकि शिकार बुधवार शाम को किया गया था। मॉनिटरिंग टीम वेरी हाई फ़्रीक्वेंसी (वीएचएफ) कॉलर की मदद से ट्रैक करके चीतों और उनकी गतिविधियों का पता लगा रही है।
पांच नवंबर को शाम छह बजे फ्रेडी और एल्टन को बड़े बाड़े में शिफ्ट किया गया था। अब भी छह चीते अन्य बाड़े में मौजूद हैं। रिलीज के एक घंटे के भीतर ही फ्रेडी और एल्टन को एक काले हिरण का पीछा करते हुए पाया गया। हालांकि, वे उसका शिकार करने में सफल नहीं हो सके थे, क्योंकि काला हिरण काफी बड़ा जानवर है। तीन नर और पांच मादा चीतों सहित आठ चीतों को 17 सितंबर को भारत में चीतों को फिर से लाने के लिए अंतर-महाद्वीपीय स्थानान्तरण के एक भाग के रूप में भारत लाया गया था। 1947 में आखिरी चीते को भारत में मारा गया था और उसके 75 सालों के बाद वापस से चीतों को भारत लाने की योजना सफल की जा सकी। 1952 में भारत में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया था।
मध्य प्रदेश के वन अधिकारी सागर में नौरादेही वन अभयारण्य और मंदसौर में गांधी सागर अभयारण्य में और अधिक चीतों की व्यवस्था करने के लिए भी काम कर रहे हैं। मध्य प्रदेश सरकार को वन अधिकारियों द्वारा दो दिन पहले एक प्रस्ताव भेजा गया है, जिसमें आवश्यक व्यवस्था करने की अनुमति मांगी गई है। मुख्य वन्यजीव वार्डन जेएस चौहान के अनुसार, प्रस्ताव भेजा गया है क्योंकि इन दो अभयारण्यों में चीतों के लिए व्यवस्था करनी होगी क्योंकि कुनो-पालपुर नेशनल पार्क में केवल 25 चीतों की क्षमता है। वहीं, भारत सरकार अन्य 12 चीतों को प्राप्त करने के लिए दक्षिण अफ्रीका के साथ भी काम कर रही है। जब इन चीतों को कुनो-पालपुर नेशनल पार्क में लाया जाएगा, तो यह कुनो में चीतों की कुल आबादी को 20 तक हो जाएगी।
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