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भोपाल: मध्य प्रदेश के भोपाल में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वन मेला का शुभारंभ राज्यपाल मंगू भाई पटेल और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भगवान धन्वंतरि की पूजा कर किया। इस मेले का मुख्य आकर्षण आयुर्वेदिक चिकित्सा परामर्श और जड़ी-बूटियों व वन उपज की प्रदर्शनी है, जो लोगों को मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती है।
वन मेले के उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश का अंतर्राष्ट्रीय वन मेला पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान बना चुका है। उन्होंने राज्य के वन संसाधनों और पर्यावरण की रक्षा में आदिवासी समुदाय की भूमिका की सराहना करते हुए कहा, "अगर आज हमारी वन संपदा बची है, तो वह सिर्फ हमारे आदिवासी भाई-बहनों के कारण है।"
सीएम यादव ने कोविड-19 महामारी का जिक्र करते हुए कहा, "जब कोविड के दौरान कई अच्छे डॉक्टर भी असफल हो गए थे, तब आयुर्वेद ने न केवल लोगों को मानसिक और शारीरिक सुकून दिया, बल्कि उनकी जान भी बचाई।" उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियां हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं, जो स्वस्थ रहने के लिए बेहद उपयोगी हैं।
यह मेला वन्यजीव संरक्षण, आयुर्वेद, पारंपरिक चिकित्सा, जड़ी-बूटियों और वन उपज के क्षेत्र में लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। मेले में विभिन्न राज्य और देश भर से वन उत्पाद, जड़ी-बूटियाँ, वन्यजीव संरक्षण के उपाय, और आयुर्वेदिक उपचार प्रदान करने वाले स्टॉल्स लगाए गए हैं।
सीएम ने यह भी कहा कि यह मेला न केवल प्रदेश, बल्कि पूरे देश के लिए एक आदर्श बन गया है, जो वन्य जीवन और पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को प्रेरित करता है।
इस मेले के जरिए सरकार वन संसाधनों के संरक्षण और उनके सही उपयोग की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने की योजना बना रही है, जिससे न केवल पर्यावरण का संरक्षण हो, बल्कि स्थानीय लोगों की आजीविका को भी मजबूत किया जा सके।
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