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21 January 2025देवलोक से लेकर धरतीलोक तक के संदेश महर्षि नारद एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुचाते थे। इतना ही नहीं, नारद जी देवताओं और दानवों के परामर्शदाता भी रहे हैं। आज हम आपको एक ऐसी पौराणिक कथा बताने जा रहे हैं, जिसमें आप जानेंगे कि किस प्रकार भगवान विष्णु ने अपने भक्त नारद का घमंड तोड़ा। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार विश्वमोहिनी नाम की एक राजकुमारी का स्वयंवर आयोजित हुआ। विश्वमोहिनी का रूप देखकर नारद मुनि उसपर मोहित हो गए और उनके मन में उससे विवाह करने की इच्छा जागी। इसपर उन्होंने अपनी यह इच्छा भगवान विष्णु के सामने प्रकट की और कहा कि मुझे आप जैसा ही सुंदर और आकर्षक बना दिजिए, ताकि विश्वमोहिनी मुझे विवाह के लिए चुन ले लेकिन भगवान विष्णु ने नारद जी की वानर बना दिया। यह बात नारद जी को नहीं पता थी और वह इसी तरह स्वयंवर में चले गए स्वयंवर में विश्वमोहिनी ने नारद मुनि की जगह भगवान विष्णु जी के गले में वरमाला डाल दी इस बात पर नारद जी को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने विष्णु जी को स्त्री वियोग का श्राप दे दिया और उनका अपमान करने लगे यह सभी बातें विष्णु जी मुस्कुराते हुए ध्यान से सुनते रहे जब नारद जी का क्रोध शांत हुआ था, तब भगवान विष्णु ने उन्हें समझाया कि उन्होंने यह माया क्यों रची विष्णु जी ने नारद को कहा की आपको घमंड हो गया है और एक संत के लिए घमंड करना अच्छी बात नहीं है। तब विष्णु जी ने इस बात का खुलासा किया कि राजकुमारी का स्वयंवर उन्हीं की एक माया थी आप जैसे संत के मन में एक राजकुमारी के लिए कामवासना जागना अच्छी बात नहीं है तब नारद मुनि को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने विष्णु जी से क्षमायाचना की और उन्हें बुराइयों से बचाने के लिए धन्यवाद दिया
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22 June 2024
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