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पटना । केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने रविवार को पटना के बापू सभागार में सहकारिता विभाग के एक कार्यक्रम में बिहार को कई योजनाओं की सौगात दी। इस मौके पर अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में राजग सरकार बिहार में चहुंमुखी विकास कर रही है।उन्होंने मिथिलांचल के लोगों को सौगात देते हुए मखाना प्रोसेसिंग यूनिट का ऑनलाइन उद्घाटन किया। केंद्रीय सहकारिया मंत्री अमित शाह ने कहा कि लालू और राबड़ी का जब-जब शासनकाल आया तब-तब बिहार में विनाश हुआ। उन्होंने कहा कि लालू जी ने अगर बिहार की जनता के लिए कुछ अच्छा काम किया है तो हिसाब-किताब लेकर आइये और बताइये। उन्होंने विभिन्न योजनाओं का नाम गिनाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार के लिए बहुत कुछ किया है। सहकारिता का सबसे ज्यादा फायदा बिहार को मिलने वाला है। लालू प्रसाद के समय सहकारिता चौपट हो गयी थी। इसको बर्बाद करने का श्रेय लालू एंड लालू कंपनी ने किया और सहकारी समितियों को भी संबोधित किया। अमित शाह ने कहा कि बिहार की बंद पड़ी चीनी मिल को चालू करने के लिए पूरी ऊर्जा लगा देंगे। बिहार लालू-राबड़ी कालखंड में जातीय नरसंहार, चारा घोटाला को लेकर पूरे देश-दुनिया में बदनाम हुआ। बीते 20 वर्षों से नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राजग गठबंधन सरकार में बिहार ने विकास के नए आयाम गढ़े हैं। उन्होंने कहा कि जब-जब इनकी सरकार (लालू-राबड़ी) आई है तब तब विनाश आया है। उन्होंने 2025 के चुनाव में राजग सरकार बनाने का आह्वान किया। मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर किया प्रहार- इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि आज बिहार में बहुत अच्छे से काम हो रहा है। कभी कोई इतना नहीं कर पाया। उन्होंने कहा कि महिलाएं कितना अच्छे से काम कर रही हैं। पहले शाम होने से पहले कोई निकलता तक नहीं था। मुख्यमंत्री ने बिना नाम लिए कहा कि आज तक उन्होंने कोई कुछ किया है। शुरू से हमलोग काम करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2005 के पहले लोग शाम होने के बाद घर से निकलने से भी डरते थे। सड़कें भी नहीं थीं। यहां तक कि हिंदू-मुस्लिममें भी खूब झगड़े होते थे, लेकिन मैंने जो काम किया मैंने किया, आप लोगों ने नहीं। पहले क्या स्थिति थी। पहले स्वास्थ्य व्यवस्था की कैसी हालत थी? पहले स्वास्थ केंद्र में एक दिन में एक या दो मरीज आते थे। अस्पतालों में दवाई की व्यवस्था करवाई। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार पटना के बापू सभागार में सहकारिता विभाग के कार्यक्रम में शामिल हुए। यहां उन्होंने 4 विभागों की 823 करोड़ की परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा, सहकारिता मंत्री प्रेम कुमार मौजूद थे। कार्यक्रम में 100 सहकारी समितियों को माइक्रो एटीएम भी बांटे गए। साथ ही गृहमंत्री ने मिथिलांचल के लोगों को सौगात देते हुए मखाना प्रोसेसिंग यूनिट का ऑनलाइन उद्घाटन किया। यहां से उन्होंने 7000 सहकारी समिति को संबोधित भी किया। इससे पहले अमित शाह का स्वागत मखाना माला पहनाकर किया गया।
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नागपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज, रविवार को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के डॉ. हेडगेवार स्मृति मंदिर परिसर का दौरा किया। इस अवसर पर उन्होंने संघ के आद्य सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और द्वितीय सरसंघचालक गुरुजी गोलवलकर की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत, सुरेश उर्फ भैयाजी जोशी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मुख्य रूप से उपस्थित रहे। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने पहली बार संघ के स्मृति मंदिर का दौरा किया है। संघ के शताब्दी वर्ष की पृष्ठभूमि में इस यात्रा का महत्व और भी बढ़ गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार की जयंती वर्ष प्रतिपदा (गुड़ी पड़वा) को मनाई जाती है। इसी अवसर पर संघ के स्वयंसेवक हर वर्ष नागपुर के शुक्रवारी इलाके में स्थित डॉ. हेडगेवार के निवास स्थान पर जाकर उन्हें नमन करते हैं। जिसके बाद पथसंचलन करते हुए रेशीमबाग स्थित स्मृति मंदिर में उनकी समाधि के दर्शन करते हैं। स्वयंसेवकों और संघ प्रचारकों के रूप में पहचाने जाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस वर्ष प्रतिपदा के मुहूर्त पर नागपुर जाकर ‘आद्य सरसंघचालक’ को प्रणाम किया, जिसे स्वयंसेवकों ने विशेष रूप से सराहा। इस दौरान प्रधानमंत्री ने रेशीमबाग परिसर का अवलोकन किया और संघ पदाधिकारियों के साथ औपचारिक चर्चा की। उन्होंने संघ कार्यालय की पुस्तिका में एक संदेश भी लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि \"रेशीमबाग स्मृति मंदिर राष्ट्रसेवा को समर्पित स्वयंसेवकों के लिए एक ऊर्जा स्रोत है। हमारे प्रयासों से भारत माता की गौरवगाथा निरंतर बढ़ती रहे।\"
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भोपाल । उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि हेल्थ केयर क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्राथमिकता से निरंतर प्रगति हो रही है। मेडिसिन अपडेट जैसे सेमिनार नए निष्कर्ष निकालने में सहायक होते हैं, जिससे नई पीढ़ी को भी लाभ मिलता है। उप मुख्यमंत्री शुक्ल रविवार को एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया के जबलपुर चेप्टर द्वारा होटल विजन महल में “26वें मेडिसिन अपडेट 2025” कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की उपलब्धता बढ़ाई जा रही है। मेडिकल कॉलेज में प्रदेश में एमबीबीएस की 10 हज़ार और पीजी में 5 हज़ार सीट की वृद्धि की जाएगी, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। प्रदेश में 10 हजार करोड़ का निवेश हेल्थ केयर में किया गया है और डॉक्टरों के लिए बेहतर प्रोजेक्ट तैयार किए जा रहे हैं। शुक्ल ने कहा कि डॉक्टरों की क्वालिटी और मानक, मानवता के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। समय के साथ उन्हें अपडेट रहना चाहिए और ऐसे सेमिनार से नई जानकारी प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को सेवा भाव से कार्य कर समाज में उत्कृष्ट योगदान देना चाहिए।उप मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था 11वें स्थान से पांचवें स्थान पर आ गई है और 2047 तक अमेरिका और चीन को भी पीछे छोड़कर भारत शीर्ष पर पहुँचेगा। स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका होगी। उन्होंने सेमिनार में आए निष्कर्षों को सरकार तक पहुंचाने की बात कही। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने उत्कृष्ट योगदान देने वाले चिकित्सकों को सम्मानित किया गया।पूर्व मंत्री और विधायक अजय बिश्नोई ने कहा कि मेडिसिन अपडेट समय की मांग है। एलोपैथी में नई खोजों से पीड़ित मानवता की सेवा होती है। उन्होंने आयुष के क्षेत्र में हो रहे शोध कार्यों की भी सराहना की। इस दौरान एआईपी के प्रेसिडेंट डॉ. नवीन शर्मा, सचिव डॉ. अभिषेक तिवारी, सीएमएचओ डॉ. संजय मिश्रा और अन्य प्रतिष्ठित चिकित्सक मौजूद रहे।
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एमपी के पूर्व मंत्री रामखेलावन पटेल ने अपने पिता की देह को मेडिकल स्टूडेंट की पढ़ाई के लिए दान कर दिया ... भाजपा नेता के इस कदम की हर तरफ सराहना की जा रही है ... अमरपाटन के पूर्व विधायक एवं मध्यप्रदेश शासन के पूर्व पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री रामखेलावन पटेल के 90 वर्षिय पिता श्री भैया लाल पटेल का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया ... पूर्व राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल ने अपने स्वर्गीय पिता को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान अमरपाटन पुलिस ने सलामी देते हुए। शव को स्वर्गरथ में रखा , अमरपाटन के सतना चौराहे स्थित राज्यमंत्री के निजी निवास से यह रथ देहदान हेतु मेडिकल कॉलेज रीवा के लिए रवाना हुआ ... जहाँ जगह जगह इस रथ का आमजन ने पुष्पवर्षा कर नम आंखों से श्रधांजलि दी ... दरअसल कई वर्ष पहले ही स्वर्गीय भैया लाल पटेल श्यामशाह मेडिकल कालेज में देह दान कर चुके थे। जिसके बाद आज राज्यमंत्री के पिता के शव को मेडिकल कालेज रीवा में सौंपा ....
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छतरपुर में एक चबूतरे को लेकर विवाद हो गया ... विवाद के बाद इस मामले में राजीनामे को लेकर हुए झगडे में जमकर फायरिंग हुई ... जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई ... महाराजपुर थाना के खिरवा गांव में आपसी रंजिश में हुई फाईरिंग में एक व्यक्ति की मौत हो गई और आधा दर्जन लोग घायल हो गए ... घायलो को जिला अस्पताल मे भर्ती कराया गया है ... घटना की जानकारी लगते ही देर रात काग्रेस के पूर्व विधायक नीरज दीक्षित भी अस्पताल पहुंचे ... घायल पक्ष ने बताया हैं 307 के मामले मे मृतक पक्ष पर आरोपी पक्ष बना राजीनामा का दबाब बना रहा था .. जब राजीनामा नहीं हुआ तो आधा दर्जन लोगो ने फाईरिंग कर दी ... दोपहर में चबूतरे को लेकर दोनों पक्षों में मामूली विवाद हुआ था ... इस घटना में भुज्जन पाल की मौत हो गई ...
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देवास पुलिस की बड़ी कार्यवाही करते हुए ... पिछले 7 साल से फरार चल रहे धोखेबाज पति-पत्नी को गिरफ्तार कर लिया है ... इन लोगों ने ठगी की दृष्टि से एक कंपनी बनाकर ग्राहकों के साथ करोड़ों धोखाधड़ी की थी ... कोतवाली पुलिस को बड़ी सफलता मिली है ... पुलिस ने पिछले 7 वर्षों से धोखाधड़ी व अन्य मामलों में फरार पति-पत्नी को वडोदरा से गिरफ्तार किया है। .. आरोपियों पर देवास इंदौर उज्जैन महाराष्ट्र भोपाल शाहजहांपुर सहित अन्य जिलों में कइ मामले दर्ज है अब पति और पत्नी को गिरफ्तार किया है पति स्थाई वारंटी था और पत्नी फरार वारंटी थी इन दोनों ने करीब 8 करोड रुपए की धोखाधड़ी की है ... इन्होने एक कंपनी बनाकर 15 लाख यूजर्स को जोड़ा और फिर उनके साथ धोखाधड़ी की ...
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हल्द्वानी से एक वकील के साथ मारपीट किये जाने का मामला सामने आया है ...इसके बाद वकीलों ने पुलिस चौकी का घेराव किया और आरोपी को गिरफ्तार करने की मांग की ... हल्द्वानी में एक वकील जब कोर्ट जा रहे थे अचानक उसके साथ एक युवक ने मारपीट की ... इसके बाद सारे वकील इकट्ठा होकर भोटिया पड़ाव पुलिस चौकी पहुंचे ... जहां वकीलों ने हंगामा करते हुए वकील के साथ मारपीट करने वाले युवक की गिरफ्तारी और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है .... वही मौके पर कोतवाल राजेश यादव भी चौकी पहुंचे और उन्होंने वकीलों से बातचीत की ... इस दौरान और कई घंटे तक वकीलों का हंगामा जारी रहा ...
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बागेश्वर धाम में आरती के दौरान उस समय बड़ा हादसा टल गया जब एक श्रद्धलु महिला की साड़ी में अचानक आग लग गई ... महिला को गंभीर अवस्था में जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया है ... छतरपुर जिले के प्रसिद्ध बागेश्वर धाम में सुबह एक चौंकाने वाला हादसा हुआ। जहां बिहार के भागलपुर से दर्शन के लिए आई 40 वर्षीय संगीता शाह की साड़ी में अचानक आग लग गई। बताया जा रहा है कि महिला परिवार के साथ बागेश्वर धाम दर्शन के लिए आई थी। घायल संगीता ने बताया कि सुबह 8 बजे जब वह आरती में शामिल हो रही थी, तभी मंदिर में नीचे रखे दीपक से उसकी साड़ी में आग लग गई। और यह आग पल भर में पेट्रोल की आग की तरह बढ़ गई। घटनास्थल पर महिला को बचाने लोग दौड़ पड़े और बमुश्किल उसे बचाया जा सका वरना उसकी जान चली जाती ... लेकिन तब तक संगीता बुरी तरह झुलस चुकी थी। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। वहीं डॉक्टर स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। वहीं परिजनों का कहना है कि बागेश्वरधाम के बालाजी की वजह से बच गई जान और बड़ा हादासा होने से टल गया ...
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चल मेरे भाई और साजन जैसी फिल्मों में साथ नजर आ चुके सलमान खान और संजय दत्त फिर एक बार साथ फिल्म कर रहे हैं। कुछ समय पहले ही सलमान खान ने इस पर बात की थी। अब संजय दत्त ने भी इस पर कन्फर्मेशन दे दी है। उनका कहना है कि वो छोटे भाई सलमान के साथ काम करने पर बेहद खुश हैं। हालांकि एक्टर की मानें तो अपकमिंग फिल्म में दोनों के बीच टशन देखने मिलेगी। संजय दत्त की अपकमिंग फिल्म द भूतनी का ट्रेलर लॉन्च इवेंट रखा गया था। इस दौरान संजय दत्त से पूछा गया कि क्या वो वाकई सलमान के साथ काम कर रहे हैं। इस पर संजय दत्त ने कहा, जी बिल्कुल कर रहे हैं हम लोग, हम दो भाई मिलकर…आपने साजन देख ली, आपने चल मेरे भाई देख ली। अभी दोनों में टशन देख लीजिए। ये एक एक्शन फिल्म है और मैं बहुत खुश और एक्साइटेड हूं कि मैं छोटे भाई के साथ काम करूंगा वो भी 25 साल बाद।
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इस साल की बहुप्रतीक्षित फिल्म 'सिकंदर', आखिरकार आज 30 मार्च यानी ईद के मौके पर सिनेमाघरों में रिलीज हाे गई है। फैंस के बीच इस फिल्म को लेकर जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। हालांकि, रिलीज से पहले ही फिल्म निर्माताओं काे तगड़ा झटका लगा, जब 'सिकंदर' कई पायरेटेड साइटों पर लीक होने की खबर आई। एक रिपोर्ट्स के मुताबिक इसे 600 से अधिक साइटों पर लीक कर दिया गया है। फिल्म की लीक होने की खबर से मेकर्स और फैंस दोनों चिंतित हैं, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि सलमान की स्टार पावर बॉक्स ऑफिस पर अपना कमाल दिखाएगी। फिल्म लीक होने पर मशहूर ट्रेड एनालिस्ट कोमल नाहटा ने प्रतिक्रिया देते हुए एक्स पर लिखा, \"थिएट्रिकल रिलीज से पहले किसी फिल्म का लीक हो जाना किसी भी निर्माता के लिए एक बुरे सपने जैसा है। दुर्भाग्य से, यही साजिद नाडियाडवाला की 'सिकंदर' के साथ हुआ। फिल्म के निर्माताओं ने शनिवार रात ही अधिकारियों से अनुरोध किया कि इसे छह सौ साइटों से हटाया जाए, लेकिन तब तक नुकसान हो चुका था।\" फिल्ममेकर्स अब पायरेसी के खिलाफ कड़े कदम उठा रहे हैं और इसे रोकने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। फिल्म की रिलीज के साथ ही पायरेसी का शिकार होना कोई नई बात नहीं है। अक्सर सिनेमाघरों में आते ही फिल्मों के लीक होने की खबरें सामने आती रहती हैं। यह अब लगभग हर फिल्म के साथ होता है। हालांकि, सलमान खान की बहुप्रतीक्षित फिल्म 'सिकंदर' रिलीज से पहले ही पायरेसी का शिकार हो गई, जो निर्माताओं के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ। 600 से अधिक साइटों पर फिल्म के लीक होने से करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। फिल्ममेकर्स अब इसे हटाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन रिलीज से पहले लीक होना निश्चित रूप से चिंता का विषय है। फिल्म 'सिकंदर' का निर्देशन मशहूर फिल्ममेकर ए.आर. मुरुगदास ने किया है, जिन्होंने आमिर खान के साथ ब्लॉकबस्टर फिल्म 'गजनी' बनाई थी। इस बार उन्होंने सलमान खान को एक दमदार अवतार में पेश किया है। इस फिल्म में पहली बार सलमान खान और रश्मिका मंदाना की जोड़ी बड़े पर्दे पर नजर आ रही है। दिलचस्प बात यह है कि हाल ही में सलमान ने खुलासा किया था कि 'सिकंदर' से पहले वह रश्मिका मंदाना के बारे में ज्यादा नहीं जानते थे। फिल्म में प्रतीक बब्बर, काजल अग्रवाल, सत्यराज और शरमन जोशी जैसे शानदार कलाकार सहायक भूमिकाओं में नजर आएंगे, जो कहानी को और भी दिलचस्प बनाएंगे।
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प्रतिवर्ष 25 नवम्बर को महिलाओं पर होने वाली हिंसा को रोकने के लिए विश्वभर में ‘अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस’ मनाया जाता है। इस दिन महिलाओं के विरुद्ध हिंसा रोकने के ज्यादा से ज्यादा प्रयास करने की आवश्यकता को रेखांकित करने वाले कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। तीन बहनों पैट्रिया मर्सिडीज मिराबैल, मारिया अर्जेंटीना मिनेर्वा मिराबैल तथा एंटोनिया मारिया टेरेसा मिराबैल द्वारा डोमिनिक शासक रैफेल ट्रुजिलो की तानाशाही का कड़ा विरोध किए जाने पर उस क्रूर शासक के आदेश पर 25 नवम्बर 1960 को उन तीनों की हत्या कर दी गई थी। वर्ष 1981 से उस दिन को महिला अधिकारों के समर्थक और कार्यकर्ता उन्हीं तीनों बहनों की मृत्यु की पुण्यतिथि के रूप में मनाते आए हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 17 दिसम्बर 1999 को एकमत से हर साल 25 नवम्बर का दिन ही महिलाओं के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय हिंसा उन्मूलन दिवस के रूप में मनाने के लिए निर्धारित किया गया। सरकारों, निजी क्षेत्र और प्रबुद्ध समाज से यौन हिंसा और महिलाओं के उत्पीड़न के विरुद्ध कड़ा रुख अपनाने का आग्रह करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस का कहना है कि महिलाओं के प्रति हिंसा विश्व में सबसे भयंकर, निरन्तर और व्यापक मानव अधिकार उल्लंघनों में शामिल है, जिसका दंश विश्व में हर तीन में से एक महिला को भोगना पड़ता है। महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के क्षेत्र में कार्य करने के लिए वर्ष 2010 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा ‘संयुक्त राष्ट्र महिला’ का गठन किया गया था। संयुक्त राष्ट्र महिला के आंकड़ों के अनुसार विश्वभर में 15-19 आयु वर्ग की करीब डेढ़ करोड़ किशोर लडकियां जीवन में कभी न कभी यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं, करीब 35 फीसदी महिलाओं और लड़कियों को अपने जीवनकाल में शारीरिक एवं यौन हिंसा का सामना करना पड़ता है, हिंसा की शिकार 50 फीसदी से अधिक महिलाओं की हत्या उनके परिजनों द्वारा ही की जाती है, वैश्विक स्तर पर मानव तस्करी के शिकार लोगों में 50 फीसदी व्यस्क महिलाएं हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार प्रतिदिन तीन में से एक महिला किसी न किसी प्रकार की शारीरिक हिंसा का शिकार होती है। महिलाओं को हिंसा और दुर्व्यवहार की भारी कीमत चुकानी पड़ती है, जो जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं और लड़कियों की भागीदारी के अधिकार को बाधित करता है, उन्हें उनके बुनियादी अधिकारों और स्वतंत्रता से वंचित करता है। इससे आर्थिक सुधार और सतत विकास में खलल पड़ता है। भारत के संदर्भ में महिला हिंसा को लेकर आंकड़ों पर नजर डालें तो स्थिति काफी चिंताजनक है। हालांकि 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद देशभर में सड़कों पर महिलाओं के आत्मसम्मान के प्रति जिस तरह की जन-भावना और युवाओं का तीखा आक्रोश देखा गया था, यौन हिंसा रोकने के लिए जिस प्रकार कानून सख्त किए गए थे, उसके बाद लगने लगा था कि समाज में इससे संवदेनशीलता बढ़ेगी और ऐसे कृत्यों में लिप्त असामाजिक तत्वों के हौंसले पस्त होंगे किन्तु विड़म्बना है कि समूचे तंत्र को झकझोर देने वाले निर्भया कांड और उसके बाद के वर्षों में सामने आ चुके महिला अपराधों के कई अन्य जघन्य मामलों के बाद भी हालात यह हैं कि कोई दिन ऐसा नहीं बीतता, जब महिला हिंसा से जुड़े अपराधों के मामले देश के कोने-कोने से सामने न आते हों। होता सिर्फ यही है कि जब भी कोई बड़ा मामला सामने आता है तो हम पुलिस-प्रशासन को कोसते हुए संसद से लेकर सड़क तक कैंडल मार्च निकालकर या अन्य किसी प्रकार से विरोध प्रदर्शन कर रस्म अदायगी करके शांत हो जाते हैं और पुनः तभी जागते हैं, जब ऐसा ही कोई बड़ा मामला पुनः सुर्खियां बनता है, अन्यथा महिला हिंसा की छोटी-बड़ी घटनाएं तो बदस्तूर होती ही रहती हैं। ऐसे अधिकांश मामलों में प्रायः पुलिस-प्रशासन का भी गैरजिम्मेदाराना और लापरवाही भरा रवैया ही सामने आता रहा है। प्रश्न यही है कि निर्भया कांड के बाद कानूनों में सख्ती, महिला सुरक्षा के नाम पर कई तरह के कदम उठाने और समाज में आधी दुनिया के आत्मसम्मान को लेकर बढ़ती संवेदनशीलता के बावजूद आखिर ऐसे क्या कारण हैं कि बलात्कार के मामले हों या छेड़छाड़ अथवा मर्यादा हनन या फिर अपहरण अथवा क्रूरता, ‘आधी दुनिया’ के प्रति अपराधों का सिलसिला थम नहीं रहा है? इसका एक बड़ा कारण तो यही है कि कड़े कानूनों के बावजूद असामाजिक तत्वों पर वो कड़ी कार्रवाई नहीं होती, जिसके वे हकदार हैं और इसके अभाव में हम ऐसे अपराधियों के मन में भय पैदा करने में असफल हो रहे हैं। कोलकाता की महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और नृशंस हत्या का मामला हो या हैदराबाद की बेटी दिशा का या उन्नाव पीड़िता का अथवा हाथरस या बुलंदशहर की बेटियों का, लगातार सामने आते ऐसे तमाम मामलों से स्पष्ट है कि केवल कानून कड़े कर देने से ही महिलाओं के प्रति हो रहे अपराध थमने वाले नहीं हैं। इसके लिए सबसे जरूरी है कि तमाम सरकारें प्रशासनिक मशीनरी को चुस्त-दुरूस्त करने के साथ ऐसे अपराधों के लिए प्रशासन की जवाबदेही सुनिश्चित करें और ऐसे मामलों में कोताही बरतने वाले जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं।
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उच्च प्रदर्शन सामग्री के रूप में तकनीकी वस्त्र आयात पर निर्भरता को कम करके और स्वदेशी क्षमताओं को बढ़ावा देकर रक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढाँचे जैसे क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता के लिए आवश्यक हैं। तकनीकी वस्त्र, जैसे कि जियो टेक्सटाइल, बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं की स्थायित्व और दक्षता को बढ़ाने के लिए महत्त्वपूर्ण हैं, खासकर प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त क्षेत्रों में। तकनीकी वस्त्र क्षेत्र एक नए युग का वस्त्र है, जिसका उपयोग अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में होता है। तकनीकी वस्त्र ऐसा कपड़ा उत्पाद है, जो गैर-सौंदर्य प्रयोजनों के लिए निर्मित होता है, जहाँ कार्य प्राथमिक मानदंड होता है।तकनीकी वस्त्रों में ऑटोमोटिव अनुप्रयोगों के लिए वस्त्र, चिकित्सा वस्त्र, भू-वस्त्र, कृषि-वस्त्र और सुरक्षात्मक कपड़े शामिल हैं। सरकार ने तकनीकी वस्त्रों और उनके अनुप्रयोगों में अनुसंधान एवं विकास प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन भी शुरू किया है। पूर्वोत्तर भारत के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में सड़कों को स्थिर करने के लिए जियो टेक्सटाइल का उपयोग किया जाता है, जिससे विदेशी समाधानों पर निर्भरता कम होती है। रक्षा और एयरोस्पेस के लिए उन्नत वस्त्र यह सुनिश्चित करते हैं कि भारत अपनी रणनीतिक आवश्यकताओं को स्वतंत्र रूप से पूरा करे।डीआरडीओ द्वारा सैन्य उपयोग के लिए स्वदेशी अरामिड-आधारित सुरक्षात्मक गियर विकसित किया गया था, जिससे महंगे आयात पर निर्भरता कम हुई। सर्जिकल मास्क, पीपीई और बायोडिग्रेडेबल मेडिकल फैब्रिक जैसे मेडिकल टेक्सटाइल स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करते हैं, जो आपातकालीन प्रतिक्रियाओं के लिए महत्त्वपूर्ण है। महामारी के दौरान भारत ने पीपीई किट के घरेलू उत्पादन को बढ़ाया और कुछ ही महीनों में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली। एग्रोटेक फैब्रिक्स जैसे तकनीकी वस्त्र कृषि उत्पादकता में सुधार करते हैं, ग्रामीण विकास का समर्थन करते हैं और आयातित कृषि-समाधानों पर निर्भरता कम करते हैं। पॉलीहाउस कवर और फ़सल सुरक्षा जाल सालभर खेती के लिए नियंत्रित वातावरण बनाकर पैदावार बढ़ाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी वस्त्र इकाइयाँ स्थापित करने से रोजगार सर्जन को बढ़ावा मिल सकता है, स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ने में मदद मिल सकती है और स्थायी आजीविका का समर्थन हो सकता है। ग्रामीण महाराष्ट्र में तकनीकी वस्त्र निर्माण के विकास ने स्थानीय समुदायों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान किया है। चूंकि तकनीकी वस्त्र आयात-निर्भर संसाधनों की आवश्यकता को कम करते हैं इसलिए वे भारत की अर्थव्यवस्था को जलवायु-संचालित वैश्विक आपूर्ति झटकों के प्रति कम संवेदनशील बनाते हैं।बायोडिग्रेडेबल टेक्सटाइल सामग्री का स्वदेशी उत्पादन पर्यावरणीय प्रभाव को कम करता है और आयात निर्भरता को कम करता है। स्मार्ट, टिकाऊ और मिश्रित वस्त्रों में अनुसंधान के लिए मिशन का वित्तपोषण ऐसे नवाचारों को बढ़ावा देता है जो घरेलू स्तर पर क्षेत्र-विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं। नमी सोखने वाले कपड़ों पर आईआईटी दिल्ली में शोध रक्षा कर्मियों के लिए सुरक्षात्मक गियर को बढ़ाता है। मिशन अनुसंधान संस्थानों और उद्योग के बीच साझेदारी की सुविधा प्रदान करता है, जिससे नई तकनीकों के तेजी से व्यावसायीकरण को बढ़ावा मिलता है। उन्नत चिकित्सा वस्त्रों के उत्पादन के लिए एसएमई को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण ने घरेलू आपूर्ति शृंखला को मजबूत किया है। मानकों और गुणवत्ता में सुधार करके, मिशन वैश्विक बाजारों में उच्च मूल्य वाले तकनीकी वस्त्रों का निर्यात करने की भारत की क्षमता को बढ़ाता है, जिससे आर्थिक विकास को समर्थन मिलता है। मिशन द्वारा समर्थित गुणवत्ता प्रमाणन के कारण यूरोप को भारत के तकनीकी वस्त्रों के निर्यात में वृद्धि हुई है। समर्पित परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना वैश्विक मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करती है, जिससे उत्पाद की विश्वसनीयता में सुधार होता है।दिल्ली में राष्ट्रीय वस्त्र परीक्षण प्रयोगशालाएँ यूरोपीय मानकों को पूरा करने वाले प्रमाणपत्र प्रदान करती हैं, जिससे निर्यात क्षमता में वृद्धि होती है। नए आईपीआर दिशा-निर्देश स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के विकास और संरक्षण को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे भारत के तकनीकी वस्त्र क्षेत्र के बौद्धिक संपदा आधार को मजबूती मिलती है। स्मार्ट टेक्सटाइल के लिए आईआईटी मद्रास जैसे संस्थानों द्वारा दायर आईपीआर पेटेंट यह सुनिश्चित करते हैं कि मालिकाना तकनीक भारत के भीतर ही रहे। मिशन के तहत विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम उन्नत वस्त्र निर्माण के लिए तकनीकी कौशल को बढ़ाते हैं, उत्पादकता और नवाचार को बढ़ाते हैं। कपड़ा क्षेत्र कौशल परिषद के साथ सहयोग ने तकनीकी वस्त्र उद्योग में हजारों लोगों को प्रशिक्षित किया है। राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता के लिए आवश्यक नवाचार को बढ़ावा देता है, जिससे आयात निर्भरता के खिलाफ भारत की लचीलापन बढ़ता है। मिशन के तहत अनुसंधान एवं विकास तथा कौशल निर्माण में निरंतर निवेश से उच्च प्रदर्शन वाले वस्त्रों में भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और मजबूत होगी।
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