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मुंबई । महाराष्ट्र के धुले जिले के सरकारी डायमंड अस्पताल में इलाज करवा रहे एक मरीज की मंकी पॉक्स की दोनों रिपोर्ट सोमवार को पॉजिटिव आई हैं। इसके बाद मरीज को एक अलग आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट किया गया है। मरीज के संपर्क में आए लोगों की भी जांच शुरू कर दी गई है। भारत में अब तक इसके 35 मामले मिल चुके हैं, जबकि महाराष्ट्र में यह पहला मामला है। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर है। धुले जिले के सरकारी डायमंड अस्पताल के सूत्रों ने आज बताया कि इस अस्पताल में मिला मरीज एक पुरुष है और उसकी उम्र लगभग 45 साल है। मरीज पिछले चार साल से सऊदी अरब में रह रहा था। वह 2 अक्टूबर को वहाँ से धुले आया था। इसके बाद मरीज की तबीयत खराब होने लगी और अगले दिन उसे इलाज के लिए धुले के सरकारी डायमंड अस्पताल ले जाया गया। मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने पर जब उसका टेस्ट कराया गया तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। मरीज का इलाज चल रहा था, तभी डॉक्टर में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखे, तो नगर निगम की टीम ने मरीज के ब्लड सैंपल लिए। इन सैंपल को जांच के लिए पुणे स्थित प्रयोगशाला में भेजा गया तो मरीज की मंकीपॉक्स की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद जब दोबारा ब्लड सैंपल जांच के लिए भेजे गए तो दूसरी रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई। मरीज की दूसरी रिपोर्ट भी पॉजिटिव आने से स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर आ गई है। रिपोर्ट मिलने के बाद मरीज को आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। वहीं, मरीज के परिजनों की जांच और मरीज के संपर्क में आए लोगों की तलाश की जा रही है।
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नई दिल्ली । भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री तरूण चुग ने सोमवार को कहा कि कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के ऑपरेशन ब्लूस्टार पर बोले गए झूठ और कांग्रेस की 1984 में नरसंहार में भूमिका उजागर की। कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए तरुण चुग ने कहा कि यह कैसे संभव है कि श्री हरमंदिर साहिब पर टैंक और तोपें बिना तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सहमति और आदेश के चलाई गई हों। सच को तोड़-मरोड़कर पेश करना शहीदों का अपमान है और इतिहास के सबसे काले अध्याय को ढकने की शर्मनाक कोशिश है। सिख नरसंहार के दोषियों को बचाने के पाप से कांग्रेस कभी बच नहीं सकती। सोमवार को तरुण चुग ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि कांग्रेस पार्टी ने 1984 के सिख नरसंहार के दोषियों को चार दशक तक बचाया और संरक्षण दिया। जगदीश टाइटलर, सज्जन कुमार और एचकेएल भगत जैसे नेताओं, जिन पर 52 जिलों में निर्दोष सिखों की बर्बर हत्याओं के आरोप लगे, को कांग्रेस ने ढाल बनकर बचाया। चुग ने यह भी कहा कि 1984 सिख नरसंहार से पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने का मार्ग प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने ही प्रशस्त किया। चाहे वह एसआईटी का गठन हो, पुनर्वास, उचित मुआवज़ा या पीड़ित परिवारों को नौकरी की सुरक्षा देना—हर मोर्चे पर मोदी सरकार ने संवेदनशीलता दिखाई। जब कांग्रेस नेता नरसंहार की योजना बना रहे थे, तब भाजपा और आरएसएस के कार्यकर्ता ही थे जिन्होंने पीड़ित परिवारों के घावों पर मरहम लगाया। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर राहुल गांधी और सोनिया गांधी क्यों 1984 के सिख नरसंहार की विधवाओं की पीड़ा को लगातार नज़रअंदाज़ करते रहे। चुग ने कहा कि हजारों सिख परिवारों के ज़ख्म आज भी हरे हैं क्योंकि कांग्रेस ने हमेशा पीड़ितों की बजाय हत्यारों का साथ दिया।” चुग ने पंजाब कांग्रेस नेताओं चरणजीत सिंह चन्नी, प्रताप सिंह बाजवा और अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग से सीधा सवाल किया की “क्या वे उन सिख परिवारों के साथ खड़े हैं जिन्होंने अपनों को खोया, या उस कांग्रेस पार्टी के साथ खड़े हैं जिसने यह नरसंहार रचा और अपराधियों को बचाया?” उल्लेखनीय है कि कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री पी चिदंबरम यह टिप्पणी हिमाचल प्रदेश के कसौली में आयोजित खुशवंत सिंह लिटरेरी फेस्टिवल 2025 के दौरान की। वे पत्रकार हरिंदर बावेजा की किताब 'दे विल शूट यू, मैडम' पर एक चर्चा का संचालन कर रहे थे। इसी चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार एक गलत तरीका था और इंदिरा गांधी ने इस गलती की कीमत अपनी जान देकर चुकाई। चिदंबरम ने यह भी कहा कि यह निर्णय अकेले इंदिरा गांधी का नहीं था, बल्कि सेना, पुलिस, खुफिया एजेंसियों और प्रशासन का सामूहिक फैसला था। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी को पूरी तरह दोष देना सही नहीं है।
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नई दिल्ली । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश सरकार में श्रम, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने सोमवार को यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस मौके पर प्रह्लाद पटेल ने प्रधानमंत्री को अपनी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक साधना का प्रतीक; मां नर्मदा परिक्रमा के अनुभवों और अनुभूतियों पर संदर्भित पुस्तक 'परिक्रमा-कृपा सार’ भेंट की जिसका विमाेचन हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक माेहन भागवत ने किया था । पटेल ने इसके साथ ही प्रधानमंत्री काे 108 नदियों के उद्गम स्थलों से संकलित पवित्र जल का संग्रह भी एक विशेष लकड़ी के डिब्बे में भेंट किया। इसके साथ शाम को प्रहलाद पटेल ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वयोवृद्ध भाजपा नेता डॉ मुरली मनोहर जोशी से भी भेंट की। मीडिया से बातचीत में मंत्री प्रह्लाद पटेल ने बताया कि यह पुस्तक उनके दो वर्षों के गहन श्रम और साधना का परिणाम है। उन्होंने दो बार नर्मदा परिक्रमा की है। उसी अनुभव, आस्था व तपस्या को इस पुस्तक में समर्पित भाव से संजोया है। यह ग्रंथ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारतीय संस्कृति में नदियों और परिक्रमा की परंपरा का भी जीवंत दस्तावेज है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस आध्यात्मिक प्रयास की सराहना की और उनके समर्पण को प्रेरणास्पद बताया। उन्होंने कहा कि 'परिक्रमा कृपा सार' केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि मातृ नर्मदा और भारत की जलसंस्कृति के प्रति श्रद्धा का साकार रूप है। पुस्तक का विमोचन 14 सितंबर, 2025 को 'हिंदी दिवस' पर इंदौर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने किया था। अब प्रधानमंत्री को इस ग्रंथ का भेंट किया जाना, इसे राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान देता है। उन्होंने कहा कि यह मुलाकात सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि श्रद्धा, संस्कृति और समर्पण की भावनाओं से ओतप्रोत एक आध्यात्मिक संगम बन गई। प्रह्लाद सिंह पटेल की दूसरी पुस्तक भी शीघ्र प्रकाशित होगी जाे नर्मदा परिक्रमा से जुड़े अन्य प्रसंगों पर आधारित है।
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पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने दो दिवसीय दौरे पर छिंदवाड़ा पहुंचे......उन्होंने परासिया में कोल्ड्रिफ कफ सिरप मामले में प्रेस वार्ता कर दुख व्यक्त किया......और राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया......कमलनाथ ने कहा कि दवाइयों की टेस्टिंग नहीं हुई...... मुआवजा पर्याप्त नहीं है...... पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ छिंदवाड़ा के परासिया क्षेत्र पहुंचे...... और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की......इस दौरान उन्होंने प्रेस वार्ता में दुख जताया ......और राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए......कमलनाथ ने कहा कि दवाइयों की टेस्टिंग की जानी चाहिए थी...... लेकिन सरकार ने इसे पूरी तरह से नहीं किया......उन्होंने मुआवजे के मुद्दे पर कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री से चर्चा की है...... और जरूरत पड़ने पर अपनी तरफ से कदम उठाएंगे......उन्होंने यह भी कहा कि उनके समय में जो मेडिकल कॉलेज बनवाया गया था......उसकी राशि अब रोक दी गई है......जिससे परासिया के बच्चों को गंभीर मामलों में नागपुर भेजना पड़ रहा है......कमलनाथ ने राज्य सरकार से तुरंत कदम उठाने की मांग की...... और बताया कि सिटी हॉस्पिटल की वर्तमान दशा भी दयनीय है......जिससे मरीजों और बच्चों को अत्यधिक कठिनाई झेलनी पड़ रही है......
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महाकुंभ की वायरल गर्ल मोनालिसा पहली बार लखनऊ पहुंचीं..... जहा से वे अपनी पहली फिल्म द डायरी ऑफ मणिपुर की शूटिंग के लिए जाएंगी..... इस दौरान मोनालिसा के साथ मुंबई से अभिनेता अमित राव, अभिषेक त्रिपाठी और फिल्म के लेखक-निर्देशक सनोज मिश्र भी मौजूद रहे..... मोनालिसा ने लखनऊ को खास बताया और निर्देशक सनोज मिश्र के संघर्ष और जेल से लौटकर फिल्म निर्माण की कहानी साझा की..... महाकुंभ की वायरल गर्ल मोनालिसा अपनी पहली फिल्म ‘द डायरी ऑफ मणिपुर’ की शूटिंग के लिए पहली बार लखनऊ पहुंचीं.....उनके साथ मुंबई से पूरी फिल्म टीम आई थी..... जिसमें अभिनेता अमित राव, अभिषेक त्रिपाठी और फिल्म के लेखक-निर्देशक सनोज मिश्र शामिल थे.....पत्रकारों से बातचीत में मोनालिसा ने लखनऊ को खास बताया.....क्योंकि निर्देशक सनोज मिश्र लखनऊ से हैं..... और उन्होंने ही उनकी जिंदगी बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है .....हालांकि इस सफर में कई कठिनाइयां भी आईं है.....और निर्देशक सनोज मिश्र को झूठे आरोपों के चलते जेल भी जाना पड़ा था .....उन्होंने बताया कि वसीम रिजवी ने अपने अपराध छुपाने के लिए उन्हें फंसाया था ..... लेकिन जेल में रहते हुए भी उन्होंने फिल्म की पटकथा पर काम किया है ..... और बाहर आने के बाद फिल्म निर्माण शुरू किया है .....फिल्म की आधी शूटिंग पूरी हो चुकी है..... और अगले साल फरवरी तक इसे रिलीज़ के लिए तैयार किया जाएगा.....
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ग्वालियर डीआरपी लाइन में पुलिस की मॉक ड्रिल आयोजित की गई थी.....ताकि 15 अक्टूबर को संभावित प्रदर्शन और बलवाइयों को नियंत्रित करने की तैयारी की जा सके..... इस दौरान टियर गैस का एक गोला जवान के सिर में लग गई .....और वो घायल हो गए .....घायल पुलिसकर्मी को तुरंत निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया..... ग्वालियर में पुलिस लाइन में मॉक ड्रिल आयोजित की गई.....जिसका उद्देश्य आगामी 15 अक्टूबर को होने वाले..... संभावित विरोध प्रदर्शन की तैयारी करना..... और बलवाइयों को नियंत्रित करना था..... इस दौरान प्रदर्शन के दौरान टियर गैस का एक गोला परेड में शामिल जवान के सिर में लग गई .....जिससे वह घायल हो.....घायल पुलिसकर्मी को तुरंत एसपी धर्मवीर सिंह के निर्देशन में अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया.....दरअसल समाज के विभिन्न वर्गों में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को लेकर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट वायरल हो रही हैं..... और इसके खिलाफ कुछ लोगों ने प्रदर्शन की योजना बनाई है..... पुलिस ने इस पर नजर बनाए रखी..... और 50 से अधिक लोगों को नोटिस जारी किए है .....एसपी ने बताया कि पुलिस ने सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए हैं..... और कानूनी प्रक्रिया भी शुरू की गई है, ताकि कानून व्यवस्था को बनाए रखा जा सके..
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मध्यप्रदेश के देवास जिले की बागली विधानसभा में..... 14 अक्टूबर 2025 को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का दौरा प्रस्तावित हुआ है....मुख्यमंत्री डॉ. यादव के बागली में प्रस्तावित कार्यक्रम को लेकर .... कलेक्टर ऋतुराज सिंह ने.... कलेक्टर कार्यालय सभाकक्ष में जिला अधिकारियों की बैठक ली और ... कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण किया....बैठक में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की.... रूपरेखा, सुरक्षा व्यवस्था, हितलाभ वितरण सहित ... अन्य संबंधित विषयों पर चर्चा की गई.... बता दे की कलेक्टर ने सभी संबंधित विभागों को ... आवश्यक दिशा-निर्देश दिए और कार्यक्रम के ..... सफल आयोजन के लिए विस्तृत योजना बनाकर ... कार्य करने के लिए कहा.... कलेक्टर ऋतुराज सिंह ने कहा कि ... मुख्यमंत्री के प्रस्तावित कार्यक्रम के संबंध में ... सभी संबंधित अधिकारी आवश्यक तैयारियां समय रहते पूर्ण कर लें.... साथ ही उन्होंने पुलिस अधीक्षक .... पुनीत गेहलोद के साथ सभा स्थल और हेलीपैड के लिए.... चिन्हित जगह का निरीक्षण किया .....उन्होंने नवनिर्मित सांदीपनि विद्यालय का भी निरीक्षण किया... और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए ....
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मध्यप्रदेश और राजस्थान में सर्दी-खांसी की दवा के सेवन से 16 बच्चों की मौत हो गई। इन बच्चों को कोल्ड्रिफ कफ सीरप स्वास्थ्य लाभ के लिए दिया गया था, किंतु वह मौत का कारण बन गया। इसकी गुणवत्ता संदेह के दायरे में है। मध्य प्रदेश के खाद्य एवं दवा नियंत्रक दिनेश कुमार मौर्य ने कहा है कि संदिग्ध सिरप को परीक्षण के लिए 1 अक्टूबर को तमिलनाडु भेजा था। इसकी रिपोर्ट तीसरे दिन मिल गई थी। किंतु मप्र में 29 सितंबर से जांच जारी है, जो अभी तक पूरी नहीं हुई। जबकि इसी बीच स्वास्थ्य विभाग का कार्य देख रहे प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने सार्वजनिक बयान दे दिया कि सीरप के नौ नमूनों में हानिकारक तत्व नहीं मिले हैं। यह सीरप श्रीसन कंपनी बनाती है, जिसकी उत्पादन इकाई तमिलनाडु के कांचीपुरम में है। मप्र सरकार के कहने पर तमिलनाडु सरकार के औषधि प्रशासन विभाग ने कंपनी की उत्पादन इकाई से नमूने लेकर जांच की तो एसआर-13 बैच में हानिकारक रसायन डायथिलीन ग्लायकल (डीईजी) पाया गया। दवा में इसकी निर्धारित मात्रा 0.1 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए, जबकि इसका प्रतिशत जांच में 48 प्रतिशत से अधिक पाया गया। इस रिपोर्ट के बाद प्रदेश सरकार सक्रिय हुई और इसके उपयोग एवं विक्रय पर रोक लगा दी। मृतक बाल-गोपालों का इलाज करने वाले छिंदवाड़ा के चिकित्सक डॉ प्रवीण सोनी के खिलाफ मामला दर्ज करके, फिलहाल जमानत पर रिहा कर दिया है। इन मौतों और इस रिपोर्ट के बाद सतर्कता बरतते हुए कई राज्य सरकारों ने इस दवा को प्रतिबंधित कर दिया है। केंद्र सरकार ने भी सलाह दी है कि दो वर्ष से छोटे बच्चों को कफ सीरप नहीं पिलाया जाए। इस पूरी प्रक्रिया से लगता है कि प्रदेश में ही नहीं देश में निगरानी तंत्र कमजोर है।यूपीए सरकार ने जब नकली दवाओं से छुटकारे के नजरिए से औषधीय एवं सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम बनाया था तब यह मान लिया गया था कि अब नकली दवाओं पर कमोबेश प्रतिबंध लग जाएगा। क्योंकि इस कानून के तहत न केवल इस धंधे को गैर जमानती बना दिया गया था, बल्कि दवा बनाने वालों से लेकर बेचने वालों तक को दस साल से लेकर आजीवन कारावास का प्रावधान रखा गया था। लेकिन देखने में आया है कि दवा दुकानों पर लगातार नकली दवाओं के भण्डार बरामद हो रहे हैं और लोग बेमौत मारे जा रहे हैं। साफ है, नकली दवा कारोबार न केवल बेखौफ जारी है बल्कि इसमें बेइंतहा इजाफा भी हो रहा है। यही नहीं ये दवाएं सरकारी अस्पतालों के माध्यम से भी धड़ल्ले से उपयोग में लाई जा रही हैं। इससे जाहिर होता है कि सरकारी चिकित्सा-तंत्र का एक बड़ा हिस्सा इस कारोबार को ताकत दे रहा है। इसके पहले 2019-20 में जम्मू के रामनगर में भी एक फार्मा कंपनी के बनाए सीरप से 12 बच्चों ने दम तोड़ दिया था। कंपनी पर एफआईआर हुई, लेकिन मामला अभी भी लंबित है। वर्ष 2022 में हरियाणा की दवा कंपनी के सीरप से गांबिया में 70 और उज्बेकिस्तान में 65 बच्चों की मौतें हो गई थीं। सितंबर 2008 में भारत की सबसे बड़ी दवा कंपनी रैनबैक्सी की तीस जेनेरिक दवाओं को अमेरिका ने प्रतिबंधित किया था। रैनबैक्सी की देवास (मध्य प्रदेश) और पांवटा साहिब (हिमाचल प्रदेश) में बनने वाली दवाओं के आयात पर अमेरिका ने रोक लगाई थी। अमेरिका की सरकारी संस्था फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) का दावा था कि रैनबैक्सी की भारतीय इकाइयों से जिन दवाओं का उत्पादन हो रहा है उनका मानक स्तर अमेरिका में बनने वाली दवाओं से घटिया है। ये दवाएं अमेरिकी दवा आचार संहिता की कसौटी पर भी खरी नहीं उतरी थीं। जबकि भारत की रैनबैक्सी ऐसी दवा कंपनी है जो अमेरिका को सबसे ज्यादा जेनेरिक दवाओं का निर्यात करती है। रैनबैक्सी एक साल में कई हजार करोड़ की दवाएं देश व दुनिया में बेचती है। ऐसी ही बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां किसी आचार संहिता के पालन के पक्ष में नहीं हैं। किसी बाध्यकारी कानून को अमल में लाने में भी ये रोड़ा अटकाने का काम करती हैं क्योंकि ये अपना कारोबार विज्ञापनों व चिकित्सकों को मुनाफा देकर ही फैलाये हुए हैं। छोटी दवा कंपनियों के संघ का तो यहां तक कहना है कि चिकित्सकों को उपहार देने की कुप्रथा पर कानूनी तौर से रोक लग जाए तो दवाओं की कीमतें 50 फीसदी तक कम हो जाएंगी। चूंकि दवा का निर्माण एक विशेष तकनीक के तहत किया जाता है और रोग व दवा विशेषज्ञ चिकित्सक ही पर्चे पर एक निश्चित दवा लेने को कहते हैं। दरअसल, इस तथ्य की पृष्ठभूमि में यह मकसद अंतर्निहित है कि रोगी और उसके अभिभावक दवाओं में विलय रसायनों के असर व अनुपात से अनभिज्ञ होते हैं इसलिए वे दवा अपनी मर्जी से नहीं ले सकते। इस कारण चिकित्सक की लिखी दवा लेना जरूरी होती है। इंसान की जीवन-रक्षा से जुड़ा दवा करोबार अपने देश में तेजी से मुनाफे की अमानवीय व अनैतिक हवस में बदलता जा रहा है। चिकित्सकों को महंगे उपहार देकर रोगियों के लिए मंहगी और गैर जरुरी दवाएं लिखवाने का प्रचलन लाभ का धंधा हो गया है। इस गोरखधंधे पर लगाम लगाने के नजरिये से कुछ समय पहले केन्द्र सरकार ने दवा कंपनियों से ही एक आचार संहिता लागू कर उसे कड़ाई से अमल में लाने की अपील की थी। लेकिन संहिता का जो स्वरूप सामने लाया गया, वह राहत देने वाला नहीं था। संहिता में चिकित्सकों को उपहार व रिश्वत देकर न तो अनैतिक कारगुजारियों को लेकर कोई साफगोई है और न ही संहिता की प्रस्तावित शर्तें व कानून बाध्यकारी हैं। इन प्रस्तावों को लेकर दवा संघों में भी मतभेद हैं। विज्ञान की प्रगति और उपलब्धियों के सरोकार आदमी और समाज के हितों में निहित हैं। लेकिन हमारे देश में मुक्त बाजार की उदारवादी व्यवस्था के साथ बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आगमन से जिस तेजी से व्यक्तिगत व व्यवसायजन्य अर्थ-लिप्सा और लूटतंत्र का विस्तार हुआ है, उसके शिकार चिकित्सक तो हुए ही, निगरानी तंत्र भी इसकी चपेट में है। नतीजतन देखते-देखते भारत के दवा बाजार में बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों की 70 प्रतिशत से भी ज्यादा की भागीदारी हो गई। इनमें से 25 फीसदी दवा कंपनियां ऐसी हैं जिन पर व्यवसायजन्य अनैतिकता अपनाने के कारण अमेरिका भारी आर्थिक दण्ड दे चुका है। ऐसे हालात में चिकित्सक अनैतिकता और दवा कंपनियां केवल लाभ का दृष्टिकोण अपनाएंगी तो आर्थिक रूप से कमजोर तबका तो स्वास्थ्य चिकित्सा से बाहर होगा ही, जो मरीज दवा ले रहे हैं उनके मर्ज की दवा सटीक दी जा रही हैं अथवा नहीं इसकी गारंटी भी नहीं रह जाएगी? इस कारण सरकार ने 2009 के आरंभ में दवा कंपनियों के संघ से स्वयं एक आचार संहिता बनाकर अपनाने को कहा था। साथ ही सरकार ने यह हिदायत भी दी थी कि यदि कंपनियां इस अवैध गोरखधंधे पर अंकुश नहीं लगातीं तो सरकार को इस बाबत कड़ा कानून लाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। लेकिन सरकारी चेतावनी की परवाह किए बिना दवा कंपनियों का संघ जो नई आचार संहिता सामने लाया, उसमें उपहार के रूप में लाभ देने का केवल तरीका बदला गया। मसलन तोहफों का सिलसिला बदस्तूर जारी रहेगा। संहिता में केवल दवा निर्माताओं से उम्मीद जताई गई है कि वे चिकित्सकों को टीवी, फ्रिज, एसी, लैपटॉप, सीडी, डीवीडी जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण व नकद राशि नहीं देंगे। लेकिन वैज्ञानिक सम्मेलन, कार्यशालाओं और परिचर्चाओं के बहाने उपहार देने का सिलसिला और चिकित्सकों की विदेश यात्राएं जारी रहेंगी। जाहिर है आचार संहिता के बहाने चिकित्सक और उनके परिजनों को विदेश यात्रा की सुविधा को परंपरा बनाने का फरेब संहिता में जानबूझकर डाला गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन का दावा है कि भारत में बनने वाली दवाएं करीब 35 प्रतिशत नकली होती हैं। एसौचेम के मुताबिक देश में 25 प्रतिशत की दर से हर साल इस कारोबार में इजाफा हो रहा है। बहरहाल, भारत सरकार को दवाओं पर निगरानी के लिए मजबूत तंत्र खड़ा करने की जरूरत है।
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सलमान खान बॉलीवुड के उन सितारों में से हैं, जो अक्सर किसी न किसी वजह से चर्चा में बने रहते हैं। इन दिनों वह रियलिटी शो 'बिग बॉस 19' को होस्ट कर रहे हैं और वीकेंड का वार के दौरान अपनी बेबाकी से सुर्खियां बटोर रहे हैं। लेटेस्ट एपिसोड में सलमान ने अपने और मशहूर गायक अरिजीत सिंह के बीच चले लंबे विवाद पर पहली बार खुलकर बात की। अभिनेता ने इस मुद्दे पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि यह पूरा मामला दरअसल एक गलतफहमी का नतीजा था। कॉमेडियन रवि गुप्ता से बातचीत में सलमान खान ने कहा, \"अरिजीत और मैं बहुत अच्छे दोस्त हैं, वो गलतफहमी थी और वो मेरी तरफ से हुई थी।\" उन्होंने आगे बताया, \"उसने मेरे लिए गाने भी गाए हैं, टाइगर में किया और आगे गलवान में भी कर रहा है।\" गौरतलब है कि अरिजीत सिंह ने सलमान खान की फिल्म 'टाइगर 3' के लोकप्रिय गानों 'रुआन' और 'लेके प्रभु का नाम' को अपनी आवाज दी थी। यह फिल्म 2023 में रिलीज हुई थी और बॉक्स ऑफिस पर सफल रही थी। दरअसल, सलमान और अरिजीत के बीच का विवाद साल 2014 में शुरू हुआ था, जब एक अवॉर्ड शो के दौरान सलमान ने मंच से अरिजीत से मजाक में पूछा था, \"सो गए थे?\" जिस पर गायक ने जवाब दिया था, \"आप लोगों ने सुला दिया।\" यह जवाब सलमान को पसंद नहीं आया था और तभी से दोनों के बीच दरार की खबरें सामने आईं। बाद में अरिजीत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर सलमान से माफी भी मांगी थी। हालांकि, अक्टूबर 2023 में अरिजीत को सलमान के घर जाते देखा गया था, जिसके बाद दोनों के बीच सुलह की खबरों ने जोर पकड़ लिया था।
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बॉलीवुड की सबसे हिट कॉमेडी फिल्मों में शुमार 'नो एंट्री' के सीक्वल 'नो एंट्री 2' को लेकर फैंस में जबरदस्त उत्साह है। हालांकि बीते दिनों सोशल मीडिया पर ऐसी खबरें सामने आईं कि अभिनेता वरुण धवन ने इस फिल्म से किनारा कर लिया है। दिलजीत दोसांझ के पहले ही फिल्म से हटने के बाद वरुण के बाहर होने की अटकलों ने प्रशंसकों को निराश कर दिया। अफवाहों का दौर इतना तेज़ हुआ कि अंततः निर्माता बोनी कपूर को खुद सामने आकर सफाई देनी पड़ी। हाल ही में दिए इंटरव्यू में बोनी कपूर ने इन अफवाहों पर विराम लगाते हुए कहा, \"हम 'नो एंट्री' में अब भी एंट्री कर रहे हैं। वरुण धवन और अर्जुन कपूर फिल्म में मुख्य भूमिकाएं निभा रहे हैं। हम अपने तीसरे हीरो और बाकी कलाकारों को फाइनल करने की प्रक्रिया में हैं।\" बोनी के इस बयान ने स्पष्ट कर दिया कि वरुण धवन फिल्म से बाहर नहीं हुए हैं और प्रोजेक्ट पर काम जोरों पर चल रहा है। इससे पहले एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि 'भेड़िया 2' के शेड्यूल के कारण वरुण ने 'नो एंट्री 2' छोड़ दी है। हालांकि अब निर्माता के बयान के बाद ये खबरें पूरी तरह निराधार साबित हुई हैं। 'नो एंट्री 2' को लेकर अभी तक कहानी और कास्टिंग से जुड़ी ज्यादा जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार फिल्म में पिछली किस्त से भी अधिक कॉमेडी, कंफ्यूजन और रोमांच देखने को मिलेगा। गौरतलब है कि अनीस बज्मी के निर्देशन में बनी 2005 की फिल्म 'नो एंट्री' एक ब्लॉकबस्टर हिट रही थी। उसमें सलमान खान, अनिल कपूर, फरदीन खान, लारा दत्ता, बिपाशा बसु और सेलिना जेटली जैसे सितारों ने अपनी जबरदस्त कॉमिक टाइमिंग से दर्शकों को खूब हंसाया था। अब इसके सीक्वल से उम्मीदें और भी ज्यादा बढ़ गई हैं। फैंस का कहना है कि अगर वरुण धवन और अर्जुन कपूर की जोड़ी के साथ वही पुराना मस्तीभरा अंदाज देखने को मिला, तो 'नो एंट्री 2' एक बार फिर सिनेमाघरों में हंसी का तूफान ला सकती है।
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देवास जिले के खातेगांव तहसील के नेमावर से कुंडगांव खुर्द तक जाने वाला रास्ता के हालत ख़राब है......करीब 5 किलोमीटर लंबे इस रस्ते से रोजाना स्कूली बच्चों और ग्रामीणों को कीचड़ के बीच से गुजरना पड़ता है......बरसात में इस रास्ते की हालत इतनी खराब हो जाती है...... की गाड़ियां फंस जाती हैं...... और बच्चे गिर पड़ते हैं..... देवास जिले के खातेगांव तहसील में नेमावर से कुंडगाव खुर्द तक ......जाने वाली लगभग 5 किलोमीटर लंबा रास्ता आज भी पक्का नहीं बन पाया है......यह मार्ग नर्मदा परिक्रमा पथ का भी हिस्सा है...... लेकिन बरसात में यह सड़क दलदल में बदल जाती है...... स्कूल जाने वाले बच्चे कीचड़ से होकर ...... बड़ी मुश्किल से निकलते हैं......कई बार साइकिल फिसल जाती है...... यूनिफॉर्म मिट्टी से भर जाती है और स्कूल पहुँचने में घंटों लग जाते हैं...... ग्रामीणों ने बताया कि इस रास्ते से रोजाना 25 से अधिक छात्र और कई किसान गुजरते हैं...... लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया...... हर सरकार ने वादे तो किए...... , पर सड़क अब भी कच्ची ही है...... ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही के कारण बच्चों की शिक्षा और ग्रामीणों की रोजमर्रा की जिंदगी दोनों प्रभावित हो रही हैं...... अब लोगों की निगाहें प्रशासन पर हैं कि कब यह रास्ता विकास की दिशा में आगे बढ़ेगा......
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जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट की जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए एक डॉक्टर के क्लिनिक में पुलिस द्वारा ताला तोड़कर जबरदस्ती घुसने के मामले पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सख्त रुख अपनाया है। दरअसल, भोपाल जेल में निरुद्ध डॉ. अभिजीत पाण्डेय की मां अलका पाण्डेय की ओर से दायर याचिका में आवेदक का कहना है कि पत्नी को आत्महत्या के उकसाने के आरोप में 25 मार्च 2025 से वह न्यायिक अभिरक्षा में है। उक्त मामला शहपुरा थाने में दर्ज था। याचिका में आरोप है कि अभिजीत की पत्नी के मामा प्रकाश चंद्र पाण्डेय भोपाल के डिप्टी कलेक्टर हैं। उन्ही के प्रभाव में आकर ससुराल पक्ष ने दूसरी एफआईआर एमपी नगर थाने में दर्ज करा दी। 3 से 9 अप्रैल के बीच डॉ. अभिजीत के क्लीनिक में प्रशासन की टीम संयुक्त निरीक्षण के नाम पर बिना वारंट के पहुंची और चाबी न होने के नाम पर पीछे के दरवाजे से उन्होंने प्रवेश किया। इतना ही नहीं, एसडीएम के चपरासी की शिकायत के आधार पर उसके खिलाफ जुलाई में तीसरी एफआईआर दर्ज करा दी गई। मामले पर सुनवाई के दौरान आवेदक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर व अधिवक्ता हिमान्शु मिश्रा हाजिर हुए।सुनवाई के दौरान बेंच ने पाया कि सीएमएचओ डॉ. अश्विनी भनवाल और एक सीताराम शर्मा ताला तोड़कर डॉ. अभिजीत के क्लीनिक में घुसे थे। इस कार्रवाई को जबरदस्ती की श्रेणी में पाते हुए अदालत ने सीएमएचओ और एसडीओ को हाजिर होने के निर्देश दिए। मामले पर अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी। जानकारी के अनुसार उक्त प्रकरण में शुक्रवार काे न्यायालय ने ये निर्णय लिया है।
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