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भोपाल। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 17-ए में यह प्रावधान करने के बाद अब अखिल भारतीय सेवा या वर्ग एक के किसी भी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले मुख्यमंत्री से अनुमति अनिवार्य कर दिया गया है। सरकार के इस फैसले पर पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने सवाल उठाए हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रविवार को नई व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि जो चुनाव के समय नारा देते थे "ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा" और जो भ्रष्टाचारियों को 10 फ़ीट गहरे गड्ढे में डालने की बात करते थे, उन सभी ने मिलकर भ्रष्टाचार व भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का पुख्ता इंतजाम कर दिया है।
पूर्व सीएम ने आरोप लगाते हुए कहा कि अब भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 17 ए के तहत भ्रष्ट अधिकारियों, कर्मचारियों के लिए मुख्यमंत्री से लेकर प्रशासनिक विभाग की अनुमति अनिवार्य कर दी गयी है। शिवराज सरकार ने मोदी सरकार के इन निर्देशों को ताबड़तोड़ प्रदेश में लागू भी कर दिया है। इस निर्णय से भ्रष्टाचार निरोधक निरोधक एजेंसियों पंगु बन जाएगी, भ्रष्टाचार बेलगाम हो जाएगा, भ्रष्टाचार को खुला संरक्षण मिल जाएगा। सत्ता में आने के बाद भाजपा के तमाम नारे बदल गये हैं। अब भाजपा का नया नारा "अबकी बार भ्रष्टाचार को संरक्षण देने वाली सरकार।
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