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जन्माष्टमी पर सोमवार-मंगलवार की दरमियानी रात को द्वारकाधीश गोपाल मंदिर का आंगन रोशन हो उठा। रंग-बिरंगी रोशनी के बीच हजारों की संख्या में भक्त द्वारकाधीश गोपाल मंदिर से छत्री चौक तक बस कान्हा के जन्म के इंतजार में खड़े रहे। इसी बीच बीएसएफ के बैंड ने भजनों के साथ राष्ट्रभक्ति की धुन सुनाई, जिससे श्रद्धालुओं का उत्साह और बढ़ गया।
पुजारी पावन गिरिश शर्मा ने बताया कि रात 10 बजे चांदी का द्वार बंद कर दो घंटे अभिषेक पूजन किया गया। ठीक रात 12 बजे जन्म आरती की गई। सबसे पहले आरती कुंज बिहारी की, गोविंद गोकुल आयो की स्वर लहरियां गूंजी, जिससे माहौल धर्ममय हो गया। करीब दो घंटे से एक ही स्थान पर खड़े श्रद्धालुओं की थकान कान्हा की एक झलक पाने से जैसे उतर सी गई थी। वे समूह में नाचते-गाते नजर आए।
विशेष तौर पर तैयार की 25 धुन: बीएसएफ के बैंड में शामिल 25 लोगों के समू ह ने द्वारकाधीश के आंगन में प्रस्तुति देने के लिए विशेष तौर पर 25 धुन तैयार की थी, जिसकी उन्होंने रिहर्सल भी की थी। समूह प्रमुख रामबाबू के अनुसार उन्हें गोपालजी के आंगन में प्रस्तुति देने से आत्मिक सुख की प्राप्ति हुई है।
नाथद्वारा, राजकोट, बनारस से मंगवाई पोशाक पहनाई: द्वारकाधीश गोपाल को राजकोट से मंगवाए आभूषण धारण करवाए गए थे। रुक्मिणी की साड़ी बनारस से मंगवाई गई थी। इसी तरह भगवान के शंख, चक्र, गदा, पद्म का निर्माण नाथद्वारा से मंगवाए थे। रात 2 बजे तक भगवान के दर्शन के लिए मंदिर के पट खुले रहे।
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