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मेक्सिको में एक प्राचीन जनजाति द्वारा मानव बलि के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले दो पिरामिड ढह गए हैं. इसके ढहने के बाद माना जा रहा है कि प्रकृति नई करवट ले सकती है और इसे 'महाविनाश का अलौकिक संकेत' बताया जा रहा है.न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, इसे बनाने वाले स्वदेशी जनजाति के वंशजों को डर है कि विनाशकारी तूफानों के कारण दो जुड़वां पिरामिडों में से एक के नष्ट हो जाने के बाद कोई बड़ी प्राकृतिक आपदा आने वाली है.
पिरामिड ढहने के पीछे का विज्ञान
मैक्सिकन नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एंथ्रोपोलॉजी एंड हिस्ट्री ने बुधवार, 7 अगस्त को एक बयान जारी किया. संस्था ने लिखा, "मंगलवार, 6 अगस्त की रात को इहुआत्ज़ियो पुरातत्व क्षेत्र के पिरामिड आधारों में से एक के दक्षिणी मुहाने के मध्य भाग का एक हिस्सा ढह गया."
बयान में आगे कहा गया, "यह प्योरपेचा झील के बेसिन में भारी वर्षा की वजह से हुआ, जिसमें अपेक्षित औसत वर्षा से ज्यादा पानी जमा हो गया. इस क्षेत्र में पहले दर्ज किए गए उच्च तापमान और उसके परिणामस्वरूप सूखे के कारण दरारें पड़ गईं, जिससे प्री-हिस्पैनिक इमारत के अंदरूनी हिस्से में पानी के भर गया."
मानव बलि वाला पिरामिड
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, 30 जुलाई को भारी बारिश के बाद पिरामिड की संरचना आंशिक रूप से ढह गई. पिरामिड का निर्माण आधुनिक पुरेपेचा लोगों के पूर्वजों द्वारा किया गया था, जो एक जनजाति थी जिसने एज़्टेक को हराया था. एज़्टेक एक प्राचीन सभ्यता का नाम है.
पुरेपेचा जनजाति ने एज़्टेक को हराया और 1519 में स्पेनिश आक्रमण से पहले 400 सालों तक शासन किया. इहुआत्ज़ियो पुरातात्विक क्षेत्र पर 900 ई. से पहले एज़्टेक और फिर स्पेनिश आक्रमणकारियों के आगमन तक पुरेपेचा जनजाति का कब्जा रहा है.
इतिहासकारों का कहना है कि प्राचीन पुरेपेचा जनजाति ने अपने सबसे अहम देवता कुरिकवेरी को मानव बलि देने के लिए याकाटा पिरामिड का इस्तेमाल किया था. याकाटा पिरामिड मिचोआकन राज्य के इहुआत्ज़ियो के पुरातात्विक स्थल में पाए जाते हैं.
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