Patrakar Priyanshi Chaturvedi
101 साल पुराना है त्रिलोका बेर का पेड़
भोपाल अनुसन्धान में बेर की 101 साल पुरानी त्रिलोका वैरायटी के पेड़ आज भी सुरक्षित और संरक्षित हैं और इस वैरायटी के देश में सिर्फ 5 पेड़ हैं यह बेर काफी फायदेमंद है इस बेर की डिमांड लखनऊ से लेकर कोलकाता तक देश के कई शहरों में है देश में 125 वैरायटी के बेर पाए जाते है जिसमें त्रिलोका वैरायटी के सिर्फ 5 पेड़ ही है इस वैरायटी की बेर का त्रिलोका नाम पड़ने की वजह ये है की नवाबी दौर में इस्लामनगर के मंदिर में त्रिलोका बेर के पौधे प्राकृतिक रूप से पनपे थे चूंकि यह पेड़ मंदिर में लगे थे इस कारण ग्रामीणों ने ब्रह्मा, विष्णु, महेश का प्रसाद मानकर इसका नाम त्रिलोका रख दिया आपको बता दें बाकी किस्मों के मुकाबले यह देर से पकता है पकने के बाद यह बेर खाने में बहुत मीठा लगता है इस बेर को खाने से कैंसर, डायबिटीज, हृदय रोग, किडनी से जुड़ी समस्याएं ठीक होती है इसमें फाइबर ज्यादा होने से डाइजेशन अच्छा रहता है इस वैरायटी के बेर की डिमांड लखनऊ, दिल्ली, चंडीगढ़, हैदराबाद, मुंबई से लेकर कोलकाता सहित देश के कई शहरों तक है।
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