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मध्यप्रदेश में भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े चार जगहों को तीर्थस्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इनमें उज्जैन का सांदीपनी आश्रम, नारायण धाम, धार जिले का अमझेरा मंदिर और इंदौर के जानापाव शामिल हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को वीडियो जारी किया। इसमें उन्होंने कहा कि सरकार इस पर जन्माष्टमी के पर्व को विशेष तौर पर मनाने जा रही है। सीएम ने कहा कि मध्य प्रदेश भगवान श्रीकृष्ण और भगवान श्रीराम से प्रेरित और पावन भूमि है। जानते हैं इन तीर्थस्थलों का महत्व क्या है।
इन चार स्थानों को कृष्ण तीर्थ के रूप में किया जाएगा डेवलप
सांदीपनि आश्रम, उज्जैन: श्री कृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की पूजा करते थे।
आश्रम में गोमती कुंड नामक तालाब भी है, जिसमें भगवान कृष्ण ने पवित्र केंद्रों से सभी पवित्र जल इकट्ठा किया था, ताकि गुरु सांदीपनि को पवित्र जल प्राप्त करने में आसानी हो। इस तालाब का पानी पवित्र माना जाता है। यहां आने वाले भक्त तालाब का पानी घर ले जाते हैं।
नारायण धाम, महिदपुर: श्रीकृष्ण की सुदामा से मित्रता हुई
उज्जैन जिले की महिदपुर तहसील से करीब 9 किमी दूर है। वैसे तो यहां श्री कृष्ण का मंदिर है। यहां दुनिया का एकमात्र मंदिर है, जिसमें श्री कृष्ण अपने मित्र सुदामा के साथ में विराजते हैं। नारायण धाम मंदिर में कृष्ण-सुदामा की अटूट मित्रता को पेड़ों के प्रमाण के तौर में भी देख सकते हैं। कहा जाता है कि नारायण धाम ये पेड़ उन्हीं लकड़ियों से फले-फूले हैं, जो श्रीकृष्ण व सुदामा ने एकत्रित की थीं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा- यह मध्य प्रदेश का सौभाग्य है, जहां नारायण धाम है। ये वो स्थान है, जहां भगवान कृष्ण की सुदामा से मित्रता हुई। यानी गरीबी और अमीरी की मित्रता का सबसे श्रेष्ठ स्थान है।
अमझेरा धाम, धार- कृष्ण ने रुक्मिणी का हरण किया
द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने जिस स्थान से माता रुक्मिणी का हरण किया था, वो अमका-झमका मंदिर धार जिले के अमझेरा में स्थित है। यह मंदिर 7000 साल पुराना है। स्थानीय लोगों के मुताबिक यह मंदिर रुक्मिणी जी की कुलदेवी का था। वो यहां पूजा करने आया करती थी। सन् 1720- 40 में इस मंदिर का राजा लाल सिंह ने जीर्णोद्धार करवाया था। पौराणिक युग में इस स्थान को कुन्दनपुर के नाम से जाना जाता था। रुक्मिणि वहीं के राजा की पुत्री थीं। उसके बाद मंदिर के नाम से जगह को अमझेरा नाम दिया गया।
जानापाव, इंदौर- परशुराम ने कृष्ण को सुदर्शन चक्र दिया
सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि इंदौर के पास जानापाव नामक स्थान है, जहां विनम्रता और श्रद्धा से परशुराम जी से सुदर्शन चक्र भगवान श्री कृष्ण ने प्राप्त किया था। जानापाव वो स्थान है, जहां कहा जाता है कि जब भगवान श्री कृष्ण 12-13 साल थे, तब परशुराम से मिलने उनकी जन्मस्थली जानापाव (इंदौर) गए थे। वहां परशुराम ने कृष्ण को उपहार में सुदर्शन चक्र दिया। शिव ने यह चक्र त्रिपुरासुर वध के लिए बनाया था और विष्णुजी को दे दिया था। कृष्ण के पास आने के बाद यह उनके पास ही रहा।
जन्माष्टमी पर होंगे विशेष कार्यक्रम
सीएम ने कहा कि जन्माष्टमी पर हर जिले में मंदिरों की साफ-सफाई व सांस्कृतिक कार्यकम होंगे। भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा, मित्रता के प्रसंग और जीवन दर्शन के साथ भारतीय सांस्कृतिक परम्पराओं, योग आदि पर आधारित विभिन्न विषयों पर विद्वानों के व्याख्यान व सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। सरकारी, निजी स्कूल, कॉलेज में भी कार्यक्रम होंगे।
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