नई दिल्ली । कांग्रेस पार्टी की सांसद सोनिया गांधी ने बुधवार को राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान गरीब गर्भवती महिलाओं को दी जाने वाले मातृ वंदन योजना के तहत निर्धारित राशि नहीं मुहैया कराने का मुद्दा उठाया। सोनिया गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना के तहत असंगठित क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं को 6 हजार रुपये प्रति बच्चा पोषण के लिए देने का भी प्रावधान है।
सोनिया गांधी ने कहा कि योजना 2017 में शुरू हुई थी, जो इस प्रावधान को ही पूरा करने के लिए थी लेकिन इस योजना के तहत पहले बच्चे के जन्म पर केवल पांच हजार रुपये ही दिए जा रहे हैं। दूसरा बच्चा अगर लड़की है तो यही लाभ दिया जा रहा है। साल 2022-23 में हुए एक अध्ययन के मुताबिक 68 फीसदी महिलाओं को इस योजना के तहत केवल एक किश्त ही दी गई। इसके अगले ही साल इसमें भारी गिरावट आई और आंकड़ा 12 फीसदी पर आ गया। सोनिया गांधी ने कहा कि एनएफएसए के तहत पूर्ण प्रसव के दौरान दिए जाने वाले इस लाभ के लिए 12000 करोड़ रुपये वार्षिक बजट की जरूरत है। यह आश्चर्यजनक है कि बजट में एनएफएसए के तहत मातृ वंदन योजना के लिए आवंटन का आंकड़ा ही नहीं दिया गया है।
मिड डे मील में 10 प्रतिशत तक वसा की मात्रा करने पर उठाए सवाल
तृणमूल कांग्रेस की सांसद डोला सेन ने मिड डे मील में उपयोग किए जाने वाले तेल की मात्रा को 10 प्रतिशत तक कम करने का मुद्दा उठाया। डोला सेन ने कहा कि प्रधानमंत्री ने बच्चों में मोटापे को देखते हुए स्कूलों में दिए जाने वाले मिड डे मील में तेल की खपत में 10 प्रतिशत कम करने की नीति तैयार की जा रही है। बिना किसी अध्ययन के इस तरह की नीति सही नहीं है। स्कूलों में दिए जाने वाले खाने की गुणवत्ता पर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं। उस पर उनके खाने में 10 प्रतिशत तक वसा को कम करने की नीति पर विचार करने की आवश्यकता है। बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास में वसा (फैट) महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बिना किसी रिसर्च और अध्ययन के इस तरह स्कूलों में दिए जाने वाले भोजन में फैट की मात्रा को 10 प्रतिशत तक की कमी करना ठीक नहीं है।
सीएसडी कैंटीन शुरू करने की मांग
उत्तर प्रदेश से भाजपा से राज्यसभा सांसद डॉक्टर संगीता बलवंत ने गाजीपुर में सेना की कैंटीन शुरू करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि उनके क्षेत्र में 30026 सेवानिवृत्त सैनिक, 300 से ज्यादा वीर नारियों और 40 हजार से ज्यादा कार्यरत सैनिक हैं लेकिन वहां सीएसडी कैंटीन नहीं है। कैंटीन के नाम पर यहां वाराणसी का एक्सटेंशन काउंटर है। सैनिकों को कैंटीन से सामान लेने और ईसीएचएस की सुविधा के लिए वाराणसी जाना पड़ता है, जो सौ किलोमीटर से अधिक दूर है। गाजीपुर में में ईसीएचएस और सीएसडी कैंटीन की सुविधा शुरू की जानी चाहिए।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के हेरफेर युक्त वाली रोस्टर प्रणाली का मुद्दा गूंजा
डीएमके के सांसद पी विल्सन ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के हेरफेरयुक्त वाली रोस्टर प्रणाली का मुद्दा उठाया, जिसके तहत हाशिए पर पड़े समुदायों को संगठनों के प्रमुखों और विभागों के सचिवों जैसे मुख्यधारा के पदों पर प्रवेश करने से रोकना है। शून्यकाल के दौरान मुद्दा उठाते हुए पी विल्सन ने कहा कि आरक्षण को ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक न्याय के साधन के रूप में पेश किया गया था और आरक्षण रोस्टर इस नीति को लागू करने में एक महत्वपूर्ण घटक है। हालांकि, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के कार्यालय ज्ञापन दिनांक 2 जुलाई 1997 में उल्लिखित आरक्षण रोस्टर मूल रूप से त्रुटिपूर्ण है। 31 जनवरी, 2019 के बाद के ज्ञापन के साथ ये मुद्दे जारी रहे। इन विसंगतियों के परिणामस्वरूप आरक्षित श्रेणियों की कीमत पर अनारक्षित (यूआर) उम्मीदवारों को गलत तरीके से अधिक पदों का आवंटन हुआ है। उन्होंने सरकार से मांग की कि वे इस धांधली वाली आरक्षण प्रणाली को समाप्त करने के लिए तत्काल कार्रवाई करें। इसके साथ वंचित समुदायों से सर्वोच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का गठन करें, जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अनारक्षित श्रेणियों से आनुपातिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने वाले सदस्य हों, ताकि इस घोटाले की जांच की जा सके और एक निष्पक्ष रोस्टर प्रणाली तैयार की जा सके।