Patrakar Priyanshi Chaturvedi
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा व न्यायमूर्ति अवनींद्र कुमार सिंह की युगलपीठ ने ओंकारेश्वर बांध डूब प्रभावित क्षेत्र के विस्थापित कृषकों के वयस्क पुत्रों को मुआवजा दिए जाने पर विचार करने का राहतकारी आदेश पारित किया है। इसके लिए राज्य शासन को दो माह की मोहलत दी गई है। नर्मदा बचाओ आंदोलन की ओर से दायर जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने सात जून, 2023 को आदेश सुनाया था कि ओंकारेश्वर बांध डूब क्षेत्र प्रभावितों को विशेष पैकेज दिया जाए। उक्त आदेश का हवाला देते हुए नर्मदा बचाओ आंदोलन ने पिछले दिनों एक आवेदन दायर कर हाई कोर्ट को अवगत कराया कि राज्य शासन ने ओंकारेश्वर बांध के विस्थापितों को विशेष पैकेज अंतर्गत 15 प्रतिशत का लाभ तो दे दिया है किंतु इस विशेष पैकेज का लाभ सभी पात्रों को नहीं दिया गया है।
आदेश का पूरा पालन नहीं हुआ है
चूंकि यह रवैया अवैधानिक है और हाई कोर्ट के आदेश का शत-प्रतिशत पालन सुनिश्चित नहीं हुआ है, अत: दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। हाई कोर्ट ने इस आवेदन का निराकरण इस निर्देश के साथ कर दिया कि सरकार ओंकारेश्वर बांध डूब प्रभावित क्षेत्र के विस्थापित कृषकों के वयस्क पुत्रों को मुआवजा देने पर अलिवंब विचार करे। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज शर्मा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि कृषि भूमि व आवास से वंचित होने के बाद से कृषकों के वयस्क पुत्र बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं। परिवार का भरण-पोषण कठिन हो गया है। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। धरतीपुत्रों के प्रति सरकार को संवेदनशील होना चाहिए।
पसंद के अनुरूप दें पदस्थापना
हाई कोर्ट ने प्राथमिक शिक्षक भर्ती से जुड़े मामले में निर्देश दिए हैं कि आरक्षित वर्ग एससी, एसटी व ओबीसी के प्रतिभावान उम्मीदवारों को उनकी पसंद के अनुरूप पदस्थापना दें। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने आयुक्त लोक शिक्षण और आयुक्त, आदिवासी कल्याण को यह प्रक्रिया दो माह के भीतर पूरी करने के निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ता मंडला निवासी अजीत यादव सहित अन्य की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा।
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