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कटरा (जम्मू और कश्मीर):
माता वैष्णोदेवी के दर्शन को और अधिक सुलभ बनाने के लिए प्रस्तावित 250 करोड़ रुपये की रोपवे परियोजना अब विवादों में घिर चुकी है। कटरा में स्थानीय व्यापारी और कुछ नागरिक इस परियोजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने अपनी दुकानों को बंद कर विरोध दर्ज किया, जिसके कारण श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचने में असुविधाओं का सामना करना पड़ा।
रोपवे परियोजना का उद्देश्य
हर साल लाखों श्रद्धालु माता वैष्णोदेवी के दर्शन के लिए कटरा पहुंचते हैं। माँ का मंदिर पहाड़ की चोटी पर स्थित है, जिससे मंदिर तक पहुंचने के लिए तीव्र चढ़ाई का सामना करना पड़ता है। खासकर बुजुर्गों और शारीरिक रूप से कमजोर लोगों को इस चढ़ाई के कारण दर्शन में कठिनाई होती है। इस समस्या को हल करने के लिए, राज्य सरकार ने माता वैष्णोदेवी मंदिर तक एक रोपवे बनाने का प्रस्ताव रखा है। यह परियोजना न केवल श्रद्धालुओं के लिए यात्रा को सुगम बनाएगी, बल्कि क्षेत्रीय पर्यटन को भी बढ़ावा देगी।
विरोध और विवाद
हालांकि, इस परियोजना का कुछ स्थानीय व्यापारियों और निवासियों द्वारा विरोध किया जा रहा है। माता वैष्णो देवी संघर्ष समिति ने कटरा बंद का ऐलान किया है और इस परियोजना के खिलाफ मोर्चा खोला है। समिति का कहना है कि यह परियोजना स्थानीय व्यापार को नुकसान पहुंचाएगी और उनकी आजीविका पर असर डालेगी। इसके अलावा, समिति का आरोप है कि रोपवे निर्माण के कारण आसपास के पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
स्थानीय विरोध के बावजूद, सरकार का मानना है कि रोपवे परियोजना से इलाके में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और खासकर उन श्रद्धालुओं को फायदा होगा, जो चढ़ाई नहीं कर सकते। श्रद्धालुओं का कहना है कि यह रोपवे उन लोगों के लिए एक वरदान होगा जो शारीरिक रूप से सक्षम नहीं हैं और मंदिर तक पहुंचने के लिए चढ़ाई नहीं कर पाते।
पुलिस की कार्रवाई और श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया
कटरा में विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया। जबकि स्थानीय व्यापारियों और नागरिकों के बीच तनाव बढ़ा हुआ है, श्रद्धालुओं का कहना है कि रोपवे परियोजना उनके लिए एक स्वागतयोग्य कदम है। श्रद्धालु मानते हैं कि यह परियोजना मंदिर तक पहुंचने के रास्ते को आसान बनाएगी, जिससे यात्रा और अधिक आरामदायक होगी।
आगे का रास्ता
रोपवे परियोजना को लेकर स्थानीय विरोध के बावजूद, राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि परियोजना के निर्माण की प्रक्रिया जारी रहेगी। हालांकि, परियोजना के कार्यान्वयन से पहले विभिन्न हितधारकों से बातचीत और उनकी चिंताओं को संबोधित करना महत्वपूर्ण होगा। यह देखना बाकी है कि क्या विरोध और बातचीत के बाद कोई मध्यस्थ समाधान निकलता है या परियोजना का विरोध जारी रहेगा।
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