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भारत एक कृषि प्रधान देश है. आज भी देश की 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी खेती के जरिए ही अपना जीवन यापन करती है. भारत सरकार भी किसानों के हितों का काफी ध्यान रखती है. सरकार द्वारा किसानों के लिए बहुत सी योजनाएं चलाई जाती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल के बजट में किसानों के लिए खासतौर पर एक ऐलान किया जिसमें उन्होंने प्राकृतिक खेती को लेकर अगले तीन सालों में एक करोड़ किसानों को लाभान्वित करने की बात कही. इसके लिए वित्त मंत्री ने करीब 10,000 बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर खोलने का भी ऐलान किया. चलिए आपको बताते हैं आखिर क्या है यह प्राकृतिक खेती सरकार क्यों इसपर दे रही है इतना जोर.
क्या होती है प्राकृतिक खेती?
प्राकृतिक खेती के बारे में बात की जाए तो जिस भी खेती को करने के लिए किसी भी प्रकार के रसायनों का प्रयोग न किया जाए.जो पूरी तरह प्राकृति से प्राप्त चीजों के द्वारा की जाए. उसे ही प्राकृतिक खेती कहा जाता है. यह खेती करने का बेहद पुराना तरीका है. जब किसी भी तरह के केमिकल खेती में इस्तेमाल नहीं किए जाते थे. जब किसान सिर्फ प्राकृतिक संसाधनों और प्राकृति से मिलने वाली चीजों के आधार पर खेती किया करते थ इसे एक तरह से कीटनाशक मुक्त खेती भी कहा जा सकता है. प्राकृतिक खेती करने से जमीन को भी लाभ होता है. क्योंकि केमिकल खेती की जमीन को धीमे-धीमे कम उपजाऊ बना देते हैं. लेकिन प्राकृतिक खेती से एक ही जमीन पर लंबे समय तक खेती की जा सकती है. ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को खत्म करने की दिशा में भी यह एक अहम कदम है. भारत के कई राज्यों में प्राकृतिक खेती की जा रही है
सरकार भी दे रही जोर
प्राकृतिक खेती करते हैं तो जमीन भी अच्छी स्थिति में रहती है. सबसे बड़ी बात इससे पर्यावरण को जरा भी नुकसान नहीं पहुंचता. और इसके साथ ही प्राकृतिक खेती करने से किसानों पर ज्यादा आर्थिक बोझ भी नहीं आता. इस तरह की खेती के लिए सरकार द्वारा भी खूब बढ़ावा दिया जा रहा है. प्राकृतिक खेती में प्राकृतिक खाद, पौधों और पत्तों से बनी खाद, गाय के गोबर से बनी खाद का ही उपयोग किया जाता है.
क्या हैं प्राकृतिक खेती के फायदे?
प्राकृतिक खेती करने से किसान का केमिकल और फर्टिलाइजर पर होने वाला खर्च बच जाता है. तो वहीं इस तरीके से खेती करने पर जो फसल पैदा होती है. मंडियों में उसके अच्छे दाम भी मिलते हैं. किसान को कम कीमत पर ज्यादा लाभ मिलता है.
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