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कैंसर सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक है जिसका इलाज काफी कठिन होता है. हालांकि, इसे रोकने के लिए लगातार रिसर्च और नए-नए तरीके खोजे जा रहे हैं. हाल ही में एक रिसर्च में सामने आया है कि उपवास (फास्ट) रखने से कैंसर का रिस्क कम हो सकता है. मेमोरियल स्लोअन केटरिंग कैंसर सेंटर के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि व्रत रखने से कैंसर कोशिकाओं पर असर पड़ता है. आइए जानते हैं इसके बारे में..
उपवास और कैंसर का रिश्ता
चूहों पर किए गए इस शोध में पाया गया कि उपवास रखने से शरीर का नेचुरल डिफेंस सिस्टम मजबूत होता है. इससे नेचुरल किलर सेल्स की कार्यक्षमता बढ़ती है, जो कैंसर सेल्स पर अटैक करती हैं. उपवास के दौरान ये सेल्स शुगर की बजाय फैट का इस्तेमाल करती हैं, जिससे वे कैंसर सेल्स को नष्ट करने में सक्षम होती हैं. इस शोध से यह भी पता चला कि उपवास की वजह से ट्यूमर के वातावरण में भी ये सेल्स पैदा हो सकती हैं और कैंसर से लड़ने की उनकी क्षमता बढ़ जाती है.
पहले के शोध और फायदे
2012 में चूहों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि शॉर्ट-टर्म फास्टिंग हेल्दी सेल्स को कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स से बचा सकती है. 2016 के एक अन्य शोध में भी यही पाया गया कि कीमोथेरेपी से पहले शॉर्ट-टर्म फास्टिंग टॉक्सिसिटी को कम कर सकती है. जर्मन कैंसर रिसर्च सेंटर के एक अध्ययन में पाया गया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग फैटी लीवर, लीवर की सूजन और लीवर के कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है.
इंसानों पर प्रभाव
कई डॉक्टरों का मानना है कि उपवास कैंसर का खतरा कम करने में मददगार हो सकता है, लेकिन इसका प्रभाव इंसुलिन लेवल और सेलुलर रिएक्शन पर निर्भर करता है. उपवास इंसुलिन लेवल को कम कर कैंसर सेल्स के लिए अनुकूल वातावरण को रोक सकता है. उपवास उन प्रक्रियाओं को भी सक्रिय कर सकता है, जो प्री-कैंसरस सेल्स को बढ़ने से पहले ही खत्म कर सकती हैं.
उपवास के अन्य फायदे
उपवास करने से शरीर में नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट बढ़ते हैं, जो कोशिकाओं को कैंसर से होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं. हालांकि, हर मरीज में ऐसा नहीं होता, इसलिए इस पर और शोध की जरूरत है. खासकर उन मरीजों के लिए जिनका वजन पहले से ही कम हो.
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