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हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकसभा में संविधान की कॉपी को लेकर भाषण दिया था, जोकि खूब चर्चा में रहा. अब एक बार फिर से राहुल गांधी का भाषण सुर्खियों में है. बीते सोमवार राहुल गांधी ने एक बार फिर केंद्र सरकार को घेरते हुए कई मुद्दों पर बात की. लेकिन भाषण में उनका ‘चक्रव्यूह’ शब्द चर्चा में रहा. उन्होंने कहा कि, अभिमन्यु की तरह केंद्र सरकार ने हिंदुस्तान के युवाओं, किसानों और गरीब वर्गों को चक्रव्यूह में फंसा दिया है. राहुल गांधी ने कहा- ‘हजारों साल पहले अभिमन्यु को चक्रव्यूह में छह लोगों ने फंसा कर मार डाला था. चक्रव्यूह का दूसरा नाम पद्मव्यूह है जोकि कमल (Lotus) के फूल के जैसा होता है. इसके भीतर डर और हिंसा होती है.'
चक्रव्यूह क्या है, कैसे हुई इसकी रचना
जिस चक्रव्यूह की चर्चा हो रही है, वो वास्तव में क्या था और शास्त्रों में इसे लेकर क्या बताया गया है आइए जानते हैं- पुरातन काल में युद्ध लड़ने के लिए पक्ष-विपक्ष अपने अनुकूल व्यूह की रचना करते थे. व्यूह की रचना करने का अर्थ है, सैनिकों को सामने खड़ा किया जाना.ऊपर से देखने पर यह व्यूह रचना की तरह प्रतीत होता है. ठीक ऐसे ही चक्रव्यूह को भी ऊपर से देखने पर यह एक घूमते हुए चक्र के जैसा दिखता है, जिसमें सैन्य रचना होती है. चक्रव्यूह में भीतर जाने का रास्ता तो नजर आता है, लेकिन बाहर निकलने का रास्ता नहीं दिखता. इसमें सात द्वार का निर्माण किया जाता था. हर द्वार पर युद्ध कला में निपुण एक व्यक्ति को तैनात किया जाता था. जिसके साथ हाथी, घोडे़ सवार और पैदल सैनिक हुआ करते थे. कहा जाता है कि, हजारों साल पहले चक्रव्यूह की रचना द्रोणाचार्य ने की थी. उन्होंने इसे एक घूमते हुए चक्के के जैसा बनाया था. महाभारत में कौरवों के प्रधान सेनापति द्रोणाचार्य ने इसका प्रयोग धर्मराज युधिष्ठिर को बंदी बनाने के लिए किया था.
महाभारत में चक्रव्यूह कौन-कौन भेद सकता था?
चक्रव्यूह भेदन का ज्ञान केवल श्रीकृष्ण अर्जुन, प्रद्युम्न और अभिमन्यु को था. अभिमन्यु को लेकर कहा जाता है कि, वह मां सुभद्रा के गर्भ से ही चक्रव्यूह भेदना जानते थे, लेकिन उससे बाहर निकलने का ज्ञान उन्हें नहीं था और ना ही जन्म लेने के बाद उन्होंने चक्रव्यूह से बाहर निकलने की शिक्षा ली. युद्ध के दौरान जब अभिमन्यु चक्रव्यूह में गए तो उन्हें चारों ओर से घेरकर मार दिया गया.
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