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कारगिल विजय दिवस पर जेपी बोले जेपी नड्डा केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा, "बीजेपी का एक-एक कार्यकर्ता आज अपने जिले और इलाकों में फौजी भाइयों और देश के रक्षकों के साथ और जांबाज शूरवीरों के साथ गर्व से कारगिल विजय दिवस मना रहा है. हम लोगों के लिए ये दिन इसलिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ रजत जयंती के रूप में मना रहे हैं. ये विजय सिर्फ कोई टाइगर हिल्स की विजय नहीं थी, ये विजय सिर्फ द्रास सेक्टर की विजय नहीं थी, ये विजय किसी पहाड़ी पर तिरंगे झंडे की विजय नहीं थी. ये भारत के शौर्य और अस्मिता की जीत थी. हमारा इतिहास है कि हम किसी पर पहले अटैक नहीं करते, लेकिन कोई अगर हम पर अटैक करे तो उसे नेस्तनाबूद करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ते." करगिल दिवस पर क्या बोले अमित शाह? करगिल विजय दिवस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "करगिल के युद्ध में वीर जवानों ने हिमालय की दुर्गम पहाड़ियों में पराक्रम की पराकाष्ठा का परिचय देते हुए दुश्मन की सेना को घुटने टेकने पर मजबूर किया और करगिल में पुन: तिरंगा लहराकर देश को गौरवान्वित किया. गृह मंत्री ने आगे बताया कि भारतीय सैनिकों के त्याग, समर्पण और बलिदान को कृतज्ञ राष्ट्र कभी भुला नहीं पाएगा. अमित शाह ने कहा, "आज “करगिल विजय दिवस” पर इस युद्ध में अपने साहस से मातृभूमि की रक्षा करने वाले वीर जवानों को नमन करता हूं." लोकसभा ने करगिल विजय दिवस पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी लोकसभा ने शुक्रवार को करगिल विजय दिवस पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. संसद के निचले सदन ने इस दौरान उनके सर्वोच्च बलिदान को याद किया. कार्यवाही शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने करगिल युद्ध में शहीद होने वाले सैन्यकर्मियों और जवानों के पराक्रम का उल्लेख किया.
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पूर्व पत्रकार और भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रभात झा का निधन हो जाने का समाचार सामने आया है. आज सुबह गुरुग्राम के मेदांता में उन्होंने अंतिम सांस ली. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. झा को लगभग 26 दिन पहले भोपाल के एक निजी अस्पताल से एयरलिफ्ट कर गुरुग्रां ले जाया गया था. उनके बेटे अयत्न ने निधन की जानकारी देते हुए कहा कि अंतिम संस्कार ग्वालियर या पैतृक गांव कोरियाही, सीतामढ़ी (बिहार) में किया जाएगा. प्रभात झा मूलरूप से बिहार के रहने वाले थे. 4 जून 1957 को उनका जन्म दरभंगा स्थित हरिहरपुर गांव में हुआ था. वे परिवार के साथ मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जाकर बस गए थे. ग्वालियर के पीजीवी कॉलेज से बीएससी और माधव कॉलेज से पॉलिटिक्स में एमए और एमएलबी कॉलेज से एलएलबी किया था. शादी के बाद उन्होंने स्वदेश नामक अखबार में रिर्पोर्टर की नौकरी की. पत्रकारिता के बाद राजनीति में प्रवेश किया. एमपी में मीडिया सेंटर की स्थापना करवाई. वे बीजेपी के मुखपत्र कमल संदेश के लंबे समय तक संपादक भी रहे थे. मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार को सत्ता से बाहर कराने में उनका भी खासा योगदान रहा था. प्रभात झा अपनी कार्यकुशलता के चलते लंबे समय तक भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के पद पर काबिज रहे. उनके परिवार में पत्नी रंजना झा के अलावा दो पुत्र तुष्मुल और अयत्न झा हैं.
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बीजेपी के सीनियर लीडर और पूर्व मध्यप्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा का निधन हो गया है। गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आज सुबह 5 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। 67 वर्षीय झा लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके बेटे अयत्न ने कहा कि अंतिम संस्कार शनिवार दोपहर 3 बजे बिहार के सीतामढ़ी जिले के कोरियाही गांव में होगा। प्रभात झा को करीब 26 दिन पहले भोपाल के एक निजी अस्पताल से एयरलिफ्ट कर गुरुग्राम ले जाया गया था। एक नजर प्रभात झा के जीवन पर.. प्रभात झा मूल रूप से बिहार के रहने वाले थे। उनका जन्म 4 जून 1957 को बिहार के दरभंगा के हरिहरपुर गांव में हुआ था। वे परिवार के साथ मध्यप्रदेश के ग्वालियर आ गए थे। प्रारंभिक शिक्षा के बाद प्रभात झा ने ग्वालियर के पीजीवी कॉलेज से बीएससी, माधव कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एमए और एमएलबी कॉलेज से एलएलबी की डिग्री ली। उनकी शादी रंजना झा से हुई थी। दो बेटे हैं। बड़े बेटे तुष्मुल और छोटे अयत्न झा हैं। शादी के बाद वे पत्रकारिता करने लगे। लंबे समय तक पत्रकारिता के बाद वे राजनीति में आए और बीजेपी के सदस्य बने। 8 मई 2010 से 16 दिसंबर 2012 तक बीजेपी के मध्यप्रदेश अध्यक्ष रहे। 2008 में पहली और 2014 में दूसरी बार राज्यसभा के लिए चुने गए। उन्होंने कई किताबें भी लिखी थीं। पत्नी से कहा था- अंतिम संस्कार पैतृक गांव में हो प्रभात झा के बेटे तुष्मुल ने सोशल मीडिया पर लिखा- जिस सुबह का डर पिछले 20 दिन से था, आखिर वह सुबह आज आ ही गई। मेरे बाबा आज सुबह 4 बजकर 20 मिनट पर अनंत लोक प्रस्थान कर गए। तुष्मुल और अयत्न को अकेला छोड़ गए। हम सब चाहते थे कि बाबा की कर्मस्थली मध्यप्रदेश (ग्वालियर) में उनकी अंत्येष्टि हो। लेकिन बाबा ने हमारी माता जी से कभी इच्छा जाहिर की थी कि उनकी अंत्येष्टि जन्म धरती पर जहां मेरे दादाजी की अंत्येष्टि हुई थी, वहीं हो। अतः हम लोगों ने निर्णय लिया है कि बाबा की अंत्येष्टि कल 27 जुलाई को 3 बजे हमारे पुश्तैनी गांव कोरियाही, जिला सीतामढ़ी, बिहार में होगी। लौटा दी थी माल्या की 'लिकर' गिफ्ट वरिष्ठ पत्रकार देवश्री माली ने बताया कि प्रभात झा कई कारणों से चर्चाओं में रहे। अक्टूबर 2009 में लिकर किंग विजय माल्या (तत्कालीन राज्यसभा सदस्य) ने उनके घर बतौर तोहफा शराब की बोतल भेजी थी। झा ने बोतल लौटाते हुए पत्र लिखा, ‘मेरा आपसे न तो कोई परिचय है और न ही मेरे आपके अंतरंग संबंध हैं। मैं शराब का शौकीन भी नहीं हूं। आपने शराब की जगह कोई किताब भेजी होती तो अच्छा होता।’ उन्होंने यह पत्र सार्वजनिक भी किया। इसकी देश-विदेश के मीडिया में चर्चा भी हुई थी। सिंधिया को भूमाफिया कहकर सुर्खियों में रहे प्रभात झा सामंतवाद के विरोधी थे लेकिन राजमाता विजयाराजे सिंधिया के लिए सदैव समर्पित रहते थे। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के साथ भी मित्रता का भाव निभाया लेकिन उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ तब तक मोर्चा खोले रखा, जब तक ज्योतिरादित्य भाजपा में शामिल नहीं हो गए। उनको भू माफिया तक कहा लेकिन सिंधिया ने हमेशा दरियादिली दिखाई और वे प्रभात के पुराने आचरण को भूलकर उनसे मिलते-जुलते रहे। प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री समेत कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि प्रभात झा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ समेत सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की है।
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भारतीय जनता पार्टी ने पत्रकार प्रदीप भंडारी को अपना राष्ट्रीय प्रवक्ता घोषित किया है। इस तरह अब भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं की संख्या 31 हो गई है, जिसमें सांसदों संबित पात्रा और सुधांशु त्रिवेदी जैसे बड़े नाम भी शामिल है। अनिल बलूनी BJP के मुख्य प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी हैं। प्रदीप भंडारी ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत के बाद अर्णब गोस्वामी के चैनल ‘रिपब्लिक वर्ल्ड’ पर कवरेज के दौरान सुर्खियाँ बटोरी थी, वो महाराष्ट्र की तत्कालीन MVA सरकार के खिलाफ खुल कर सामने आए थे।प्रदीप भंडारी ‘जन की बात’ नामक सेफोलॉजिकल ब्रांड के संस्थापक भी हैं, कई चुनावों में उनके अनुमान सटीक साबित हुए हैं। साथ ही वो ITV नेटवर्क के ‘इंडिया न्यूज़’ के न्यूज़ डायरेक्टर भी रहे हैं, उसके बाद वो ‘Zee News’ से जुड़े रहे। हर चैनल पर उनके शो को खासी लोकप्रियता मिली। ‘ज़ी न्यूज़’ में उन्हें कंसल्टिंग एडिटर का पद दिया गया था। उन्होंने कर्नाटक स्थित ‘मणिपाल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी’ (MIT) से इलेक्ट्रॉनिक एवं कम्युनिकेशंस में इंजीनियरिंग कर रखा है।प्रदीप भंडारी अब तक 40 चुनावों को लेकर अनुमान लगा चुके हैं। ‘इंडिया न्यूज़’ पर वो रोज रात 8 बजे ‘जनता का मुकदमा’ नामक शो लेकर आते थे। फरवरी 2021 में उन्होंने ‘रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क’ से बतौर कंसल्टिंग एडिटर इस्तीफा दे दिया था। ‘रिपब्लिक टीवी’ पर उन्हें ‘ललकार’ नामक शो के जरिए शोहरत मिली थी। वो थैलेसेमिया बीमारी को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाते हैं, इसके ब्रांड एम्बेस्डर हैं। प्रदीप भंडारी अब टीवी पर भाजपा का पक्ष रखते हुए दिखेंगे।मुंबई में NCB की दफ्तर के बाहर कवरेज के दौरान प्रदीप भंडारी पर कुछ पत्रकारों ने ही हमला कर दिया था। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ड्रग्स के चलन को लेकर आवाज़ उठाने के कारण उन पर मुकदमा भी दर्ज किया गया था। खार पुलिस थाने में मुंबई पुलिस ने उन्हें हिरासत में भी लिया था। ‘न्यूज़लॉन्ड्री’ जैसे प्रपंची मीडिया संस्थान अक्सर उनके खिलाफ झूठ फैलाते रहते हैं। प्रदीप भंडारी काफी ऊर्जावान तरीके से रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते रहे हैं।
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सरकार के विज्ञापन आवंटन को लेकर बात की जाए तो नरेंद्र मोदी सरकार का तीसरा कार्यकाल मोदी 2.0 से अलग होने वाला नहीं है।बजट दस्तावेजों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के लिए सूचना एवं प्रचार का बजट 1,089.23 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है। सूचना एवं प्रचार के लिए 38 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय भी आवंटित किया गया है। इन आवंटन को सामाजिक सेवाओं के तहत शामिल किया गया है। इस वर्ष का आवंटन पिछले तीन वर्षों के आवंटन- 1,078.09 रुपये (संशोधित वित्त वर्ष 2023-24) और 1,001.15 करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 2022-23) की तुलना में थोड़ा अधिक है, लेकिन यह लगभग समान सीमा में है। यह भारत के कुल विज्ञापन राजस्व का लगभग एक प्रतिशत है, जो वित्त वर्ष 23 में लगभग एक लाख करोड़ रुपये था और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) के बजट का लगभग एक चौथाई है। अंतरिम बजट सत्र में की गई घोषणा के अनुसार, 2024-2025 में सूचना-प्रसारण मंत्रालय के लिए आवंटित राशि 4,342.55 करोड़ रुपये है। प्रसारण के लिए आवंटित की गई राशि को 3,071.52 करोड़ रुपये से घटाकर 2,959.94 करोड़ रुपये कर दिया गया है। प्रसारण का मुख्य रूप से मतलब प्रसार भारती व सरकारी टेलीविजन, ऑल इंडिया रेडियो, सामुदायिक रेडियो और डीटीएच जैसे संबंधित बुनियादी ढांचे से है। वित्त वर्ष की पहली तिमाही समाप्त हो चुकी है, जो कि काफी हद तक लोकसभा चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता के अंतर्गत रही। ऐसा माना जाता है कि प्रचार राशि का अधिकांश हिस्सा अगले नौ महीनों के लिए है।पिछले वर्षों में, प्रचार बजट का एक बड़ा हिस्सा प्रिंट और टेलीविजन विज्ञापनों पर खर्च किया गया था, जो कि लगभग 40 प्रतिशत था। बड़े मीडिया के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा सरकारी विज्ञापन से आता है। आर्थिक मंदी के समय, मीडिया कंपनियां राज्यों और केंद्र सरकारों द्वारा किए जाने वाले विज्ञापन खर्च पर और भी अधिक निर्भर हो जाती हैं।
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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की ओर से मंगलवार को OTT प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स को समन जारी किया गया, जिसमें नेटफ्लिक्स इंडिया की वाइस प्रेजिडेंट (कंटेंट व पॉलिसी हेड) मोनिका शेरगिल को 29 जुलाई को आयोग के समक्ष पेश होने को कहा गया है।आयोग ने यह समन तब जारी किया जब उसे यह शिकायत मिली थी कि नेटफ्लिक्स के प्लेटफॉर्म पर सेक्सुअल कंटेट दिखाया जाता है और ये कंटेंट नाबालिगों के लिए भी बड़ी आसानी से उपलब्ध है। NCPCR ने नेटफ्लिक्स को भेजे पत्र में कहा है कि आयोग को सेव कल्चर भारत फाउंडेशन के उदय माहुरकर की ओर से शिकायत मिली थी। आयोग ने मंगलवार को नेटफ्लिक्स को भेजे पत्र में कहा है कि नेटफ्लिक्स विचित्र दृश्य दिखा रहा है और यह कंटेंट नेटफ्लिक्स पर नाबालिगों के लिए आसानी से उपलब्ध है। नाबालिगों तक अश्लील कंटेंट की बिना रोक टोक पहुंच पॉक्सो अधिनियम-2012 का उल्लंघन है। आयोग ने कहा है कि इसी मामले पर जून की शुरुआत में नेटफ्लिक्स को पत्र लिखा गया था, लेकिन उसका जवाब नहीं मिला था। इसलिए अब आयोग को मिले कानूनी शक्तियों के तहत कंपनी के अधिकारियों को पेश होने को कहा गया है। वहीं, कमीनश के जारी नए समन पर नेटफ्लिक्स की तरफ से कोई बयान सामने नहीं आया। आयोग ने CPCR एक्ट 2005 की धारा 14 के तहत नेटफ्लिक्स से जुड़े अधिकारियों से इस मामले में अबतक के उनके उठाए गए कदमों की जानकारी के साथ 29 जुलाई को दोपहर 3 बजे फिजिकली उपस्थित होने का कहा है।
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पाकिस्तान अपने देश की अर्थव्यवस्था सुधारने के बजाय आतंकवाद को बढ़ावा देता है, यही वजह है आज पाकिस्तान की माली हालत है. उसे बार-बार कर्ज लेकर देश को संभालना पड़ रहा है. हमेशा भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले पाकिस्तान की जितनी जीडीपी ही है, उससे कहीं ज्यादा तो केवल अकेले महाराष्ट्र की है. वर्ष 2024 में भारत की जीडीपी जहां 3397 अरब डॉलर रही, वहीं पाकिस्तान की जीडीपी महज 338 अरब डॉलर पर सिमट गई. आज अकेले महाराष्ट्र की जीडीपी ही पाकिस्तान से कहीं ज्यादा है. इस वक्त महाराष्ट्र की जीडीपी 439 अरब डॉलर के करीब है, जो पाकिस्तान की 338 अरब डॉलर जीडीपी से कहीं ज्यादा है. तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश भी काफी आगे महाराष्ट्र के बाद भारत में तमिलनाडु और यूपी काफी मजबूत राज्य हैं. तमिलनाडु की जीडीपी 23.6 लाख करोड़ रुपये तो वहीं 22.6 लाख करोड़ रुपये की जीडीपी के यूपी की है. 22.4 लाख करोड़ रुपये की जीडीपी के साथ कर्नाटक चौथे स्थान पर, वहीं गुजरात पांचवें स्थान पर आता है, जिसकी जीडीपी 19.4 लाख करोड़ रुपये है. भारत में सबसे कम जीडीपी वाला राज्य मिजोरम है, इसकी जीडीपी 0.3 लाख करोड़ रुपये है. यूपी और बिहार में सबसे कम आय टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में प्रति व्यक्ति आय भी कई देशों के बराबर है. दिल्ली, गोवा और सिक्किम की स्थिति दक्षिण अफ्रीका के बराबर है, वहीं यूपी और बिहार जैसे राज्यों का हाल रवांडा और सोमालिया जैसा है. रिपोर्ट में कहा गया कि सिक्किम में प्रति व्यक्ति सालाना जीडीपी 5.20 लाख रुपये है. वहीं गोवा में 4.72 लाख, दिल्ली में 4.45 लाख रुपये हैं. तेलंगाना में 3.12 रुपये प्रति व्यक्ति जीडीपी है, वहीं 3.02 लाख प्रति व्यक्ति आय के साथ कर्नाटक पांचवें स्थान पर है. दूसरी तरफ मेघालय, झारखंड, मणिपुर, उत्तर प्रदेश और बिहार प्रति व्यक्ति आय के मामले में सबसे पिछड़े राज्य हैं. बिहार में सालाना प्रति व्यक्ति आय महज 54 हजार रुपये है, वहीं उत्तर प्रदेश सालाना 84 हजार रुपये प्रति आय के साथ नीचे से दूसरे स्थान पर है.
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अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए 5 नवंबर को चुनाव होने हैं, इसी बीच रविवार को डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडेन अपनी दावेदारी से पीछ हट गए हैं. इसके साथ ही बाइडेन ने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का समर्थन किया है. अब इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि नवंबर में होने वाले चुनाव में कमला हैरिस रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के सामने हो सकती हैं.साल की शुरुआत में हुए डेमोक्रेटिक प्राइमरी में बाइडेन ने 19-22 अगस्ते के बीच होने वाले डेमोक्रेटिक सम्मेलन के लिए सभी प्रतिनिधियो में से करीब 95 प्रतिशत जीत हासिल की थी. ऐसे में माना जा रहा है कि बाइडेन के समर्थन के बाद ये प्रतिनिधि कमला हैरिस का भी समर्थन करेंगे. बाइडेन की दावेदारी से पीछे हटने से पहले अमेरिका के एबीसी न्यूज ने इप्सोस पोल का आयोज किया था, जिसमें डेमोक्रेटिक मतदाताओं ने 60-39 से बाइडेन के हटने का समर्थन किया. ट्रंप के सामने बाइडेन हुए पीछे इसके अलावा ट्रंप की बात की जाए तो 15-18 जुलाई के बीच रिपब्लिकन सम्मेलन के बाद ट्रंप का वोट प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद जताई गई है. राष्ट्रीय सर्वेक्षणों से बता चला है कि ट्रंप की बाइडेन पर बढ़त 13 जुलाई को 1.9 अंक से बढ़कर 3.2 अंक हो गई है. वोटों की हिस्सेदारी ट्रंप के लिए 43.5 प्रतिशत और बाइडेन के लिए 40.2 प्रतिशत आंकी गई है. दरअसल , अमेरिका में राष्ट्रपति पद का फैसला वोट से नहीं बल्कि ईवी से होता है. ऐसे में यह अनुमान लगाया गया कि ईवी प्रणाली में बाइडेन काफी पीछे चल रहे हैं. दो चीजों से हैरिस को मिलेगा फायदा मेलबर्न विश्वविद्यालय के चुनावी विश्लेषक एड्रियन ब्यूमोंट ने कमला हैरिस की उम्मीदवारी पर अपना विश्लेषण दिया है. इसमें उन्होंने कहा कि अभी हैरिस बनाम ट्रंप चुनाव का विश्लेषण करना जल्दबाजी होगी, फिलहाल उन्होंने हैरिस की उम्मीदवारी को उचित बताया है. चुनावी विश्लेषक ने दो चीजों की तरफ ध्यान आकर्षित किया है. उन्होंने कहा कि दो चीजें हैं जिनकी वजह से हैरिस को फायदा हो सकता है. उम्र के मामले में हैरिस को मिलेगी बढ़त एड्रियन ब्यूमोंट ने कहा कि अमेरिका में आर्थिक आंकड़ों में सुधार हुआ है और मुद्रास्फीति में गिरावट आई है, इसका फायदा सीधे तौर पर हैरिस को मिल सकता है. इसके अलावा बाइडेन चुनाव तक 82 साल के हो चुके हैं, जबकि हैरिस उस समय 60 साल की रहेंगी. दूसरी तरफ ट्रंप 78 साल के हैं, ऐसे में बाइडेन के लिए जो उम्र का मसला था, वह हैरिस के लिए अब फायदेमंद हो सकता है. फिर भी ऐसे उम्मीदवार का चयन करना जिसका प्राइमरी में चयन नहीं हुआ यह काफी जोखिम भरा हो सकता है. नया उम्मीदवार लाना समझदारी- चुनावी विश्लेषक हालांकि, बाइडेन की उम्र मतदाताओं के लिए चिंता का विषय है, साथ ही वह ट्रंप से पहले ही पीछे चल रहे हैं. ऐसे में एक नए उम्मीदवार को लाना यह डेमोक्रेटिक के लिए समझदारी भार कदम है. चुनावी विश्लेषक ने बताया कि ऐसे कदम पहले भी अन्य देशों में भी उठाए गए हैं.
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इजराइल-ग़जा युद्ध में अब तब 39,000 लोगों ने जान गंवाई है, इनमें 108 पत्रकार भी शामिल हैं. यह आंकड़ा सीपीजे ने जारी करके हुए कहा है कि, “यह1992 के बाद पत्रकारों के लिए सबसे घातक अवधि है.”7 अक्तूबर 2023 से शुरू हुए इस युद्ध को लेकर सीपीजे की तरफ से 22 जुलाई 2024 तक के आंकड़े जुटाए गए हैं. जिसके अनुसार अब तक मारे गए, घायल और लापता हुए पत्रकारों का रिकॉर्ड दिया गया है. नीचे देखें… 108 मीडियाकर्मियों के मारे जाने की पुष्टि हुई है, जिनमें 103 फ़िलिस्तीनी, 2 इजराइली और 3 लेबनानी हैं. 32 पत्रकारों के घायल होने की खबर है. दो पत्रकारों के लापता होने की सूचना. 51 पत्रकारों को हिरासत में लिया गया है. इसके अलावा अनेक हमले, धमकियां, साइबर हमले, सेंसरशिप और परिवार के सदस्यों की हत्याएं शामिल हैं. CPJ अन्य पत्रकारों के मारे जाने, लापता होने, हिरासत में लेने, चोट पहुंचाने या धमकाने सहित मीडिया कार्यालयों तथा पत्रकारों के घरों को नुकसान पहुंचाने संबंधी रिपोर्टों की जांच कर रहा है. क्या है सीपीजे? सीपीजे (CPJ) पत्रकारों की सुरक्षा के लिए बना एक अंतरार्ष्ट्रीय संगठन है, जो दुनिया भर में प्रेस की स्वतंत्रता को बढ़ावा देती है. यह प्रेस की स्वतंत्रता के उल्लंघन और पत्रकारों पर हमलों की निगरानी और रिपोर्ट करता है. हिरासत में लिए गए पत्रकारों की ओर से कूटनीतिक और कानूनी वकालत करता है, साथ ही जरूरतमंद पत्रकारों को आपातकालीन सुविधा मुहैया कराता है.
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यूट्यूब की आड़ में अपहरण कर जबरन जिस्मफरोशी का धंधा कराने वाली एक महिला YouTuber को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपी महिला का नाम सबा खान बताया जा रहा है। सहारनपुर की रहने वाली शहजादी (बदला हुआ नाम) ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि उसका अपहरण कर सबा खान को डेढ़ लाख रुपये में बेच दिया गया था। जिसके बाद सबा ने उसे जबरन जिस्मफरोशी के धंधे में धकेल दिया। पुलिस ने 26 जून को इस आधार पर एक एफआईआर दर्ज की थी। जिसके बाद कथित यूट्यूबर सबा खान को गिरफ्तार किया गया है। एसएचओ सिटी जगदीश चंद्र के मुताबिक, सबा खान नामक महिला को हिरासत में लिया गया है। उसे न्यायालय में पेश कर तीन दिन की रिमांड की मांग की जाएगी। उससे गहनता से पूछताछ की जा रही है ताकि सभी पहलुओं की पड़ताल की जा सके। पुलिस ने बताया कि वह अपने आप को यूट्यूब पत्रकार बताती है और एक चैनल चलाती है। इसी की आड़ में उसने अवैध धंधे, जबरन जिस्मफरोशी और अपहरण इत्यादि संचालित किए हुए हैं। पीड़िता ने लगाए ये आरोप इसके अलावा पुलिस ने यह भी दावा किया कि सबा खान के खिलाफ कई और मामलों की भी जांच की जा रही है ताकि उससे जुड़े अन्य संदिग्धों की भी पहचान और भूमिका सुनिश्चित की जा सके। रुकसाना (काल्पनिक नाम) ने पुलिस को दिए अपने बयान में यह भी बताया कि सबा खान ने उसे मानसिक और शारीरिक यातनाएं दीं और जबरन इस घिनौने धंधे में शामिल किया। पुलिस ने रुकसाना (काल्पनिक नाम) को उसके परिजनों के सुपुर्द कर दिया है।
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कहते हैं कि अगर दिल में नेकी करने का इरादा हो तो राहें अपने आप बन जाती हैं. फिर भले ही आपके पास बहुत ज्यादा पैसा न हो लेकिन अच्छे काम के लिए साधन जुट जाते हैं. और इस बात को साबित कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के विशाल सिंह, जिन्हें आज फूडमैन के नाम से जाना जाता है. क्योंकि उनके प्रयासों के कारण ही सरकारी अस्पतालों में अपने बीमार परिवार के सदस्यों की देखभाल करने वाले 1,200 से ज्यादा गरीब लोग भूखे नहीं रहते हैं. 43 वर्षीय विशाल सिंह लखनऊ के तीन अस्पतालों – किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, बलरामपुर अस्पताल और राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अपने गंभीर रूप से बीमार रिश्तेदारों के साथ आने वाले लोगों को फ्री में खाना खिलाते हैं. इस काम को उन्होंने अपने जीवन का मिशन बना लिया है. खुद के अनुभव से मिली प्रेरणा इस निस्वार्थ सेवा की प्रेरणा विशाल सिंह को अपने अनुभवों से मिली. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, साल 2003 में, वह गुरुग्राम के एक अस्पताल में अपने बीमार पिता की देखभाल कर रहे थे. इलाज में उन्हें काफी खर्च करना पड़ा और एक मध्यम-वर्गीय परिवार के लिए यह खर्च काफी बड़ा था. इस कारण एक वक्त ऐसा आया कि उनके लिए दो वक्त के खाने की व्यवस्था करना भी मुश्किल हो रहा था. उनके पिता को अस्थमा के साथ-साथ फेफड़ों का संक्रमण भी था.रूड़की के मूल निवासी विशाल ने बीमारी के कारण अपने पिता को खो दिया. इसके बाद वह नौकरी के लिए लखनऊ आए और यहां बहुत मुश्किलों से अपना काम शुरू किया. लेकिन उनके भीतर एक संकल्प पनप रहा था. उन्होंने ठाना कि जब भी वह सक्षम होंगे तो वह सुनिश्चित करेंगे की अपने बीमार परिवारजन की देखभाल करने वाला एक भी व्यक्ति भूखा न रहे. ज्योतिष में स्नातक विशाल का मानना है कि नर (मनुष्य) की सेवा करना नारायण (भगवान) की सेवा करना है. साल 2005 से कर रहे हैं यह काम उन्होंने अपनी पहल शुरू करने के लिए सरकारी अस्पतालों को चुना क्योंकि इनमें ज्यादातर गरीब लोग आते हैं, जो इलाज का खर्च मुश्किल से वहन कर पाते हैं. सरकारी अस्पताल मरीजों को मुफ्त दवा और भोजन देते हैं, लेकिन इन अस्पतालों में अपने बीमार परिवार के सदस्यों की देखभाल करने वाले लोग शायद ही अपने लिए भोजन की व्यवस्था कर पाते हैं. 2005 में, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के अधिकारियों ने मरीजों की देखभाल करने वाले लोगों की सेवा के लिए उनसे संपर्क किया था.उन्हें अपनी रसोई बनाने के लिए जगह भी दी गई. इसके साथ, उन्होंने ‘प्रसादम सेवा’ शुरू की, जो लगभग 100 लोगों को प्रतिदिन तीन बार भोजन परोसती थी. ‘प्रसादम सेवा’ तुरंत हिट हो गई और उनकी पहल को जो प्रतिक्रिया मिली इससे उन्हें आगे बढ़ने का हौसला मिला. मरीजों के परिजनों को खाना खिलाने का क्रम दिन-ब-दिन चलता रहा. केजीएमयू, बलरामपुर अस्पताल और राम मनोहर लोहिया अस्पताल ने भी उनके समर्पण को देखकर उन्हें अपनी रसोई चलाने के लिए जगह देने पर सहमति जताई. अब, उनकी पहल का दायरा तीन प्रमुख सरकारी अस्पतालों और लखनऊ में नई बनी डीआरडीओ कोविड सुविधा तक बढ़ गया है.लखनऊ में विशाल के शुरुआती दिन बहुत मुश्किल थे. सिंह ने हजरतगंज में पार्किंग अटेंडेंट के रूप में काम किया, साथ ही आजीविका चलाने के लिए एक छोटे रेस्तरां में बर्तन भी धोए. लेकिन उनका सपना कभी ओझल नहीं हुआ. उन्होंने एक चाय की दुकान भी चलाई. लगभग चार वर्षों के संघर्ष के बाद, वह एक इलेक्ट्रोड फैक्ट्री और अपने रियल एस्टेट व्यवसाय के जरिए कुछ बेहतर स्थिति में पहुंचे. साल 2007 में उन्होंने अपने पिता विजय बहादुर सिंह के नाम पर विजयश्री फाउंडेशन का गठन किया.वर्तमान में, विशाल सिंह की ‘प्रसादम सेवा’ हर दिन 1200 से ज्यादा लोगों को बिना एक पैसा लिए खाना खिलाती है।.कोविड महामारी के दौरान यह संख्या लगभग 2500 तक पहुंच गई. महामारी की दूसरी लहर के दौरान उनके फाउंडेशन ने 7.5 लाख से अधिक भोजन पैकेट वितरित किए. इसके लिए उन्हें यूपी के राज्यपाल से पुरस्कार मिला. निःशुल्क भोजन सेवा के लिए तीनों अस्पतालों में प्रतिदिन दोपहर 12.30 बजे से 3.30 बजे के बीच ‘प्रसादम सेवा’ के टोकन वितरित किए जाते हैं. नियमित मेनू में रोटी, दाल, चावल, दो सब्जियां, सलाद और पापड़ शामिल हैं. वह जो भी परोसते हैं उसकी गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं करते. वह कहते हैं, ”मुझे लगता है कि मैं अपनी बेटी की शादी में मेहमानों को खाना खिला रहा हूं. यह कम क्वालिटी का कैसे हो सकता है?” कोविड महामारी के दौरान जब कोई व्यक्ति अपने घर से निकलने तक को तैयार नहीं था तब फूडमैन विशाल सिंह द्वारा पांच कम्युनिटी किचन बनाकर, खासतौर पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बिहाफ पर डीआरडीओ कोविड केंद्र एवं हज हाउस कोविड सेंटर का संचालन उन्हें दिया गया था. यहां उन्होंने सैकड़ों की तादाद में मरीजों व उनके परिजनों को निशुल्क भोजन कराने के साथ ही ऑक्सीजन रेगुलेटर बनाकर लाखों लोगों की जिंदगी बचाई.
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सीतापुर के थाना रेउसा क्षेत्र में बीती 17 जुलाई को पत्रकार प्रेम प्रकाश वाजपेयी पर दर्ज किए गए मुकदमे को लेकर पत्रकारों में काफी रोष रहा। इस मामले को लेकर शुक्रवार को पत्रकारों ने एसपी चक्रेश मिश्रा से मिल कर ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में पत्रकार प्रेम वाजपेयी पर दर्ज केस से गंभीर धाराएं हटाने और दूसरे पक्ष पर भी केस दर्ज करने की मांग रखी गई। ज्ञात हो आई बीती 17 जुलाई की शाम को रेउसा के रहने वाले पत्रकार प्रेम प्रकाश वाजपेयी का संदीप अवस्थी नाम के एक व्यक्ति से विवाद हो गया था। जिसके चलते संदीप अवस्थी ने अपने साथियों के साथ मिल कर पत्रकार की लात घूसों से पिटाई कर दी थी। वहीं जब पत्रकार द्वारा अपने बचाव के लिए हाथापाई की गई तो हमलावरों में इसका वीडियो बना कर प्रेम वाजपेयी पर ही मारपीट करने का आरोप लगा दिया। इतना ही नहीं लूट का आरोप लगाते हुए रेउसा थाने में एफआईआर भी दर्ज करा दी थी। इधर जब प्रेम वाजपेयी प्रार्थना पत्र लेकर थाने पहुचें तो पुलिस ने उनका केस दर्ज करने के बजाय उन्हें ही थाने में बैठा दिया था। जिसके बाद 18 जुलाई को प्रेम वाजपेयी के पेट व अन्य अंगों में भारी दर्द की शिकायत होने पर पुलिस उन्हें सीएचसी ले गई, बाद में उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया था। जहां पर उनका इलाज जारी है।प्रेम वाजपेयी पर लूट समेत अन्य गंभीर धाराओं में दर्ज केस के विरोध में शुक्रवार को पत्रकारों ने एसपी चक्रेश मिश्रा से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपा। जिसमें मांग की गई कि पत्रकार प्रेम वाजपेयी पर लगी फर्जी लूट की धारा हटाई जाए। इस पर एसपी ने पत्रकारों को आश्वासन दिया कि प्रेम के केस से सभी गंभीर धाराएं हटा दी जाएगी। इसके साथ ही एसपी ने बताया कि संदीप अवस्थी की ओर से उनके साथ हुई मारपीट का वीडियो साक्ष्य के तौर पर उपलब्ध कराया गया है। यदि पत्रकार की ओर से भी ऐसा कोई साक्ष्य मिल जाये तो इस पक्ष की ओर से भी केस दर्ज करा दिया जाएगा।एसपी ने पत्रकारों को आश्वासन दिया है कि मामले की निष्पक्ष तरीके से जांच कराते हुए आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस मौके पर पत्रकार सुधांशु सक्सेना, अजय विक्रम सिंह, सुभाष शुक्ला, श्रेष्ठ सक्सेना, अमरजीत सिंह, आशीष मिश्र, आनंद शुक्ला, ओम प्रकाश मिश्रा, हिमांशु सिंह, वैभव दीक्षित, रोहित मिश्रा, ज्ञान प्रकाश सिंह ष्प्रतीकष् साकेत चौहान, अनुज सिंह भदौरिया समेत अन्य कई पत्रकार साथी मौजूद रहे।
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छतरपुर: बागेश्वरधाम में भी दुकानदारों को अपनी दुकान के बाहर नेम प्लेट लगानी पड़ेगी, जिसमें इस बात का जिक्र करना होगा कि वह दुकान किसकी है। खुद बागेश्वर धाम सरकार के नाम से प्रसिद्ध धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने ये बात कही है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने क्या कहा? धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि दुकानदारों को दस दिन के अंदर दुकान के बाहर नेम प्लेट लगानी पड़ेगी। शास्त्री ने कहा कि न हमें राम से दिक्कत है, न रहमान से दिक्कत है। हमें कालनेमियों से दिक्कत है। धीरेंद्र ने कहा कि नाम बताने में कोई दिक्कत नहीं है, आप जो हो, वो अपनी नेम प्लेट में बाहर टांग दो। धाम पर आने वाले श्रद्धालुओं का धर्म भ्रष्ट न हो, यह मेरी आज्ञा है, नहीं तो कानूनी कार्यवाही की जाएगी। अपने बाप को बाप कहना चाहिए दूसरे के बाप को नहीं: धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री हालही में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा था कि दुकानों के बाहर नाम लिखना अच्छा काम है। उन्होंने सरकार के उस फैसले का स्वागत किया और साधूवाद दिया था, जिसमें दुकान के मालिकों से उनका पूरा नाम दुकान के बाहर लिखने के लिए कहा गया है। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा था, 'हमें अपने बाप को बाप कहना चाहिए, दूसरे के बाप को अपना बाप नहीं, सच सामने आना चाहिए। नाम लिखने मे क्या तकलीफ है।'
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मध्य प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता, पूर्व मंत्री और पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह की मुश्किलें खत्म नहीं होने का नाम ले रही हैं. प्रदेश के भिंड जिले के लहार स्थित मकान को अतिक्रमण बताने की प्रशासनिक कार्रवाई वाले मामले में उन्हें राहत मिलती नजर नहीं आ रही है. उनके द्वारा मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्डपीठ में दायर रिट अपील में भी कोर्ट से उन्हें कोई राहत नहीं मिली है. हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखा है. वहीं उनकी कोठी के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात है. जबकि डॉ सिंह ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई की जा रही है. जानिए आखिर क्या था पूरा मामला पूरा मामला जिला भिंड के लहार के मझतोरा चौराहे के पास बनी पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह की कोठी से जुड़ा हुआ है. इस कोठी को लेकर आरोप है कि यह कोठी सरकारी जमीन पर कब्जा करके बनाई गई है. इस मामले में 15 जुलाई को राजस्व निरीक्षक ने सीमांकन के लिए डॉ गोविंद सिंह को नोटिस जारी किया था. संभावित कार्रवाई की आशंका से गोविंद सिंह के बेटे अमित प्रताप ने हाईकोर्ट की एकल पीठ में याचिका दायर कर कोठी तोड़े जाने की आशंका जताई थी. हाईकोर्ट का कहना था कि नोटिस में सिर्फ सीमांकन की बात थी, गोविंद सिंह के परिवार को भी वहां मौजूद रहने को नोटिस में कहा गया था. इसलिए हाईकोर्ट का हस्तक्षेप फिलहाल इस याचिका में नहीं किया जा सकता. यह कहते हुए हाईकोर्ट ने डॉ गोविंद सिंह के बेटे की याचिका को खारिज कर दिया था. इसके खिलाफ डीबी में रिट अपील में सिंगल बेंच केन कोर्ट के आदेश को फिर चुनौती दी गई. इस पर भी डिवीजन बेंच ने डॉ गोविंद सिंह को कोई राहत नहीं दी है.हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए ये कहा डॉ गोविंद सिंह ने भिंड जिला प्रशासन और स्थानीय विधायक अंबरीश शर्मा पर आरोप लगाया है कि सरकार उनके खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है और उनका मकान तोड़ने पर आमादा है. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन सत्ता पार्टी के दवाब में हमारा मकान तोड़ने पर आमादा है. डॉ सिंह ने कहा कि दो दिन की जांच में टीम को चिन्ह नहीं मिला अब पता चला कि वह सेटेलाइट के गलत नक्शे के आधार पर प्रशासन हर हाल में मकान तोड़ने पर आमादा है. बदले की भावना से की जा रही है कार्रवाई डॉ सिंह ने कहा कि मकान के लिए हमने जमीन खरीदी है और सभी से रजिस्ट्री करवाई थी. फिर भी अगर उन्हें लगता है कि हमने कुछ गलत किया है तो हमें नोटिस दें. अगर गलत होगा तो हम खुद अपने हाथों से तोड़ लेंगे. उन्होंने कहा स्थानीय विधायक चुन - चुनकर हमारे कार्यकर्ताओं को टारगेट कर रहे हैं और उन्हें जेल में डलवा रहे हैं. अब हमारा मकान तोड़कर हमें अपमानित करने का काम कर रहे हैं.
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) खर्च के मामले में देश की सबसे बड़ी रीजनल पार्टी है। फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में पार्टी की कमाई 333.45 करोड़ रुपए थी, जबकि खर्च 181.1 करोड़ रुपए किए।वहीं, कमाई के मामले में तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) की पार्टी भारत राष्ट्र समिति (BRS) टॉप पर रही। 2022-23 में पार्टी की कमाई 737 करोड़ रुपए रही, जबकि खर्च के 57.47 करोड़ रुपए रहा। आंध्र प्रदेश के पूर्व CM जगन मोहन रेड्डी की पार्टी YSR कांग्रेस कमाई के मामले में तीसरे और खर्च के मामले में दूसरे नंबर पर रही। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में देश की 57 में से 39 रीजनल पार्टियों की कमाई और खर्च का ब्योरा जारी किया है। चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, सभी पार्टियों को अपनी सालाना आय-व्यय की रिपोर्ट आयोग का सौंपनी होती है। रीजनल पार्टियों ने कमाई के मुकाबले एक चौथाई कम खर्च किया ADR की रिपोर्ट के मुताबिक, फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में 39 क्षेत्रीय पार्टियों की कुल आय एक हजार 740 करोड़ रुपए थी जो पिछले साल 2021-22 की तुलना में 20 करोड़ रुपए अधिक है। वहीं पार्टियों का खर्च केवल 481 करोड़ रुपए ही रहा। यानी कमाई के मुकाबले खर्च एक चौथाई से भी कम है। 18 पार्टियों ने ऑडिट रिपोर्ट उपलब्ध नहीं करवाई ADR के मुताबिक, देश की 18 रीजनल पार्टियों ने फाइनेंशियल ईयर 2022-23 की अपनी ऑडिट रिपोर्ट चुनाव आयोग को जमा नहीं की। इसमें शिवसेना, बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट, J&K नेशनल कॉन्फ्रेंस, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी और शिवसेना (UBT) भी शामिल हैं। पार्टियों को 31 अक्टूबर, 2023 तक चुनाव आयोग की वेबसाइट पर एनुअल ऑडिट रिपोर्ट जमा करनी थी। केवल 16 ने समय ही समय सीमा का पालन किया और 23 पार्टियों ने अपनी रिपोर्ट देरी से जमा की। 20 पार्टियों ने कमाई से ज्यादा किया खर्च रिपोर्ट के मुताबिक, 19 रीजनल पार्टियों ने अव्ययित आय (अनस्पेंट इनकम) घोषित की। BRS की अव्ययित आय सबसे अधिक 680 करोड़ रुपए थी। उसके बाद बीजू जनता दल की 171 करोड़ रुपए और डीएमके की 161 करोड़ रुपए रही थी। इसके विपरीत 20 पार्टियों ने कमाई से ज्यादा खर्च होने की जानकारी दी। इसमें जनता दल (सेक्युलर) ने अपनी आय से 490% अधिक खर्च किया। रिपोर्ट में बताया गया है कि दान और चुनावी बांड से पार्टियों को सबसे ज्यादा पैसा मिला, जिसकी राशि एक हजार करोड़ रुपए थी।
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UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) के अध्यक्ष मनोज सोनी ने निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा है कि इस्तीफे के बाद सामाजिक और धार्मिक कामों पर ध्यान देंगे। उन्होंने 14 दिन पहले अपना इस्तीफा कार्मिक विभाग (DOPT) को भेजा था, इसकी जानकारी आज (20 जुलाई को) सामने आई है। अभी इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है। उनका कार्यकाल मई 2029 तक था। उन्होंने 16 मई 2023 को UPSC के अध्यक्ष के रूप में शपथ ली थी।राज्यसभा सांसद ने कहा- विवादों के बीच पद से हटाया गया इस्तीफे की जानकारी आने के बाद मनोज सोनी ने कहा है कि उनका इस्तीफा ट्रेनी IAS पूजा खेडकर के विवादों और आरोपों से किसी भी तरह से जुड़ा नहीं है। वहीं, कांग्रेस लीडर और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने चेयरमैन के इस्तीफे पर कहा है कि उन्हें UPSC से जुड़े विवादों के बीच पद से हटाया गया है।उन्होंने कहा कि 2014 से अबतक लगातार संवैधानिक बॉडी की शुचिता बुरी तरह प्रभावित हुई है।मनोज सोनी के कार्यकाल के दौरान IAS ट्रेनी पूजा खेडकर और IAS अभिषेक सिंह विवादों में रहे। इन दोनों पर OBC और विकलांग कैटेगरी का गलत फायदा उठाकर सिलेक्शन लेने का आरोप लगा। पूजा खेडकर ने लो विजन का हवाला देते हुए विकलांग कैटेगरी से सिलेक्शन हासिल किया था। अभिषेक सिंह ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा विकलांग कैटेगरी से पास की थी। उन्होंने लोकोमोटिव डिसऑर्डर यानी खुद को चलने-फिरने में अक्षम बताया था। अभिषेक ने अपने एक्टिंग करियर के लिए IAS से इस्तीफा दे दिया थाUPSC भारत के संविधान में अनुच्छेद 315-323 भाग XIV अध्याय II के तहत संवैधानिक बॉडी है। यह आयोग केंद्र सरकार की ओर से कई परीक्षाएं आयोजित करता है। यह हर साल सिविल सेवा परीक्षाएं आईएएस, भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और केंद्रीय सेवाओं- ग्रुप ए और ग्रुप बी में नियुक्ति के लिए परीक्षाओं का आयोजन करता है। आयोग में अध्यक्ष के अलावा 10 मेंबर गवर्निंग बॉडी में होते हैं। शुक्रवार तक अध्यक्ष के अलावा बॉडी में सात सदस्य थे। इनमें गुजरात लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष दिनेश दासा भी शामिल थे।
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रूस के साथ भारत की नजदीकियां बढ़ने की वजह से अमेरिका अपनी मनमानी करने लगा है. अब खबर है कि अमेरिका भारत को तेजस लड़ाकू विमान में इस्तेमाल होने वाले इंजन की सप्लाई में देरी कर रहा है. इसकी वजह से तेजस के प्रोडक्शन में कमी देखने को मिली है. स्पुतनिक की रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सपर्ट का कहना है कि अगर इसकी सप्लाई में देरी होती है तो भारत अमेरिका के साथ कॉन्ट्रैक्ट भी खत्म कर सकता है स्पुतनिक ने भारतीय वायुसेना के एक रिटायर्ड अधिकारी के हवाले से लिखा, "अगर वाशिंगटन भारत के स्वदेशी विमान तेजस के लिए जेट इंजन की सप्लाई में पिछड़ता रहा तो अमेरिका के ऊपर सवाल उठ जाएंगे. ऐसे में कॉन्ट्रैक्ट को भी समाप्त किया जा सकता है." इंजन की सप्लाई नहीं होने से पड़ेगा IAF पर असर एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) एम. माथेस्वरन ने कहा, "अमेरिकी F404 इंजन की सप्लाई में देरी से भारतीय वायुसेना पर तत्काल प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि तेजस Mk1 और तेजस Mk1A के 6 स्क्वाड्रन जल्द ही सर्विस में शामिल किए जाने वाले हैं वहीं, रक्षा विशेषज्ञ और भारतीय सेना से मेजर जनरल के पद से सेवानिवृत्त पीके सहगल ने बताया कि भारत के लिए दूरदृष्टि रखना बहुत जरूरी है. 15 साल बाद क्या तकनीक आएगी, यह भी देखना है. पांचवीं पीढ़ी के अलावा छठी पीढ़ी की तकनीक भी आ सकती है. ऐसे में भारत को भी तकनीक के मामलों में दूसरों से आगे रहना है तो खत्म हो जाएगा भारत-अमेरिका का कॉन्ट्रैक्ट माथेस्वरन ने कहा, भारतीय वायु सेना 45 की जगह 32 स्क्वाड्रन से काम चला रही है. अगर तेजस लड़ाकू विमान की अगली पीढ़ी के Mk2 वर्जन के लिए F414 इंजन भारत को नहीं मिलते हैं तो कॉन्ट्रैक्ट खतरे में पड़ जाएगा वहीं, मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि तेजस को बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने विमान के लिए विकल्पों के बारे में सोचना शुरू कर दिया है. जब तेजस योजना शुरू हुई थी, तब रूस कावेरी इंजन के लिए भारत के साथ हाथ मिलाने के लिए उत्सुक था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया था. उनका मानना है कि इस क्षेत्र में रूस के साथ साझेदारी निश्चित रूप से भारत के लिए फायदेमंद होगी. कितने तेजस बनाने हैं अभी? तेजस अपनी कैटेगरी का सबसे छोटा और सबसे हल्का विमान है. इस विमान का इस्तेमाल जमीनी हमले, हवा से हवा में युद्ध और वायु रक्षा जैसी कई भूमिकाओं के लिए किया जा सकता है. तेजस Mk1, Mk1A और Mk2 वेरिएंट भविष्य में भारतीय वायु सेना के मिग-21, मिग-29 और जगुआर की जगह लेंगे. इन विमानों का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) कर रही है तेजस मार्क 2 एक अधिक शक्तिशाली जेट है और इसे एक बड़े इंजन की आवश्यकता है. एचएएल ने आठ F414 इंजन खरीदे हैं. भारतीय वायु सेना तेजस Mk2 के 6 स्क्वाड्रन बनाना चाहती है और प्रोटोटाइप का परीक्षण 2026 में किए जाने की उम्मीद है.
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यूपी पीसीएस जे 2022 भर्ती परीक्षा में कॉपियों की अदला बदली और गड़बड़ी के विवाद से जुड़ी खबर सामने आ रही है. इस विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई. यूपी लोक सेवा आयोग के चेयरमैन की तरफ से कोर्ट में दाखिल सप्लीमेंट्री एफिडेविट किया गया. हाईकोर्ट ने चेयरमैन के एफिडेविट पर जवाब दाखिल करने के लिए याचिकाकर्ता को दो हफ्ते का समय दिया गया है. याचिकाकर्ता श्रवण पांडेय की तरफ से आज अलग से एक अर्जी दाखिल की गई है. इस अर्जी में याचिका को संशोधित किए जाने की अपील भी की गई है श्रवण पांडेय की याचिका को जनहित याचिका के तौर पर सुने जाने की मांग भी की गई है. इसके अलावा पूरे मामले की जांच सीबीआई या अन्य किसी एजेंसी से कराए जाने की भी मांग की गई. वहीं आयोग पहले ही 50 अभ्यार्थियों के कॉपियों की अदला-बदली की बात कबूल कर चुका है. इलाहाबाद हाईकोर्ट से जांच की मॉनिटरिंग किए जाने का भी अनुरोध किया गया है. लोक सेवा आयोग के जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर आपराधिक कार्रवाई किए जाने की भी मांग की गई है अदालत ने इन बिंदुओं पर यूपी लोक सेवा आयोग से जवाब दाखिल करने को कहा है. अगस्त के दूसरे हफ्ते में अब इस मामले की सुनवाई होगी. जस्टिस एसडी सिंह और जस्टिस दोनाडी रमेश की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई. अभ्यर्थी श्रवण पांडेय की तरफ से याचिका दाखिल की गई है. आयोग पहले ही 50 अभ्यर्थियों के कॉपियों की अदला-बदली की गलती कबूल कर चुका है. आयोग के खिलाफ आरोपों में पीसीएस उत्तर पुस्तिकाओं के साथ छेड़छाड़ और रिश्वत के बदले अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण अंक देने का आरोप शामिल है.
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इलेक्टोरल बॉन्ड का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। NGO कॉमन कॉज और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) ने बॉन्ड के लेनदेन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में SIT जांच की मांग की है। 22 जुलाई को इस पर सुनवाई होगी CJI डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई करेगी। दोनों NGO की ओर से एडवोकेट प्रशांत भूषण ने यह याचिका लगाई है। कोर्ट याचिका स्वीकार कर ली है और कहा है कि इससे जुड़े अन्य याचिकाओं को भी साथ में सुना जाएगा इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा सामने आने के बाद यह याचिका लगाई गई है। इसमें दो मांगें रखी गई हैं। पहला- इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कॉरपोरेट्स और राजनीतिक दलों के बीच लेन-देन की जांच SIT से कराई जाए। SIT की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज करें दूसरा- याचिका में कहा गया है कि आखिर घाटे में चल रहीं कंपनियों (शैल कंपनियां भी शामिल) ने पॉलिटिकल पार्टीज को कैसे फंडिंग की। अधिकारियों को निर्देश दिया जाए की पॉलिटिकल पार्टियों से इलेक्टोरल बॉन्ड में मिली राशि वसूल करें। क्योंकि यह अपराध से जरिए कमाई गई राशि है।फायदे के लिए की गई फंडिंग याचिकाकर्ताओं का दावा है कि कंपनियों ने फायदे के लिए पॉलिटिकल पार्टियों को बॉन्ड के जरिए फंडिंग की। इसमें सरकारी काम के ठेके, लाइसेंस पाने, जांच एजेंसियों (CBI, IT, ED) की जांच से बचने और पॉलिसी में बदलाव शामिल है। आरोप है कि घटिया दवाईयां बनाने वाली कई फार्मा कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 का उल्लंघन है।
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2023 बैच की ट्रेनी IAS ऑफिसर पूजा खेडकर के खिलाफ UPSC ने FIR दर्ज कराई है। UPSC ने आरोप लगाया है कि पूजा ने अपनी पहचान बदल-बदलकर UPSC की तय सीमा से ज्यादा बार सिविल सर्विसेस का एग्जाम दिया। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पूजा के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी, आईटी एक्ट और डिसेबिलिटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया है इसके अलावा UPSC ने पूजा को नोटिस जारी कर सिलेक्शन कैंसिल करने को लेकर भी जवाब मांगा है। UPSC ने कहा कि पूजा के खिलाफ गहन जांच की गई। इसमें पाया गया कि उन्होंने अपना नाम, माता-पिता का नाम, सिग्नेचर, फोटो, ईमेल ID, मोबाइल नंबर और एड्रेस बदलकर UPSC का एग्जाम दिया दरअसल, पूजा पर ट्रेनिंग के दौरान पद का गलत इस्तेमाल करने और खराब आचरण करने का आरोप लगा था। सबसे पहले पुणे के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर सुहास दिवासे ने पूजा के खिलाफ शिकायत की थी, जिसके बाद उनका ट्रांसफर वाशिम कर दिया गया था इसके बाद पूजा खेडकर पर पहचान छिपाने और OBC , विकलांगता कोटे के दुरुपयोग करने का आरोप लगा। केंद्र की कमेटी इसकी जांच कर रही है। 16 जुलाई को पूजा की ट्रेनिंग रोक दी गई और उन्हें मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी (LBSNAA) वापस बुला लिया गया। हालांकि, वे अभी भी वाशिम में ही हैं।डॉक्टर बोले- पूजा का सर्टिफिकेट फर्जी नहीं पूजा ने अलग-अलग विकलांगता सर्टिफिकेट लगाए। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अहमदनगर जिला अस्पताल से भी पूजा को विकलांगता सर्टिफिकेट जारी किया गया है। अस्पताल के सिविल सर्जन ने पुष्टि की थी कि पूजा को जारी किया गया सर्टिफिकेट फर्जी नहीं है। इस सर्टिफिकेट में पूजा की मानसिक बीमारी और दोनों आंखों में मायोपिक डिजेनरेशन का जिक्र है। इसी सर्टिफिकेट की रिपोर्ट अहमदनगर कलेक्टर को सौंपी गई है। वे इस रिपोर्ट को नासिक के डिविजनल कमिश्नर को भेज रहे हैं। पुणे के यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल (YCM) अस्पताल से 24 अगस्त 2022 को जारी सर्टिफिकेट में उन्हें 7% विकलांग बताया गया था। UPSC के नियम के मुताबिक, विकलांग कोटे से सिलेक्शन के लिए 40% डिसेबिलिटी होना जरूरी है।YCM के डीन राजेंद्र वाबले ने 16 जुलाई को कहा- 7% का मतलब है कि शरीर में कोई बड़ी विकलांगता नहीं है। पूजा का मामला लोकोमोटर डिसेबिलिटी यानी चलने-फिरने में परेशानी से जुड़ा है। इस सर्टिफिकेट में पूजा ने अपना एड्रेस भी गलत बताया था।
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के नगर निगम में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। वर्तमान में लखनऊ नगर निगम का बजट 2800 करोड़ रूपये से अधिक है। यहाँ भ्रष्टाचार का बोलबाला है। वर्तमान नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह की ईमानदारी पर कोई सन्देह नहीं कर सकता। वह 2015 बैच के आई. ए. एस.अधिकारी हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विशेष रूप से उनको नगर निगम में पद स्थापित किये है। लेकिन उनके अधीनस्थ भारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। विगत कुछ दिनों पूर्व में हुए नगर निगम सदन में नगर में कूड़ा उठाने वाली फर्म को लेकर सदन में सरोजनीनगर वार्ड द्वितीय के पार्षद रावत द्वारा नगर आयुक्त पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये गये थे। जिससे ईमानदार नगर आयुक्त असहज हो गये थे। लेकिन यह भी तथ्य रोचक है कि नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह के ईमानदार होने का क्या फायदा कि उनके अधीनस्थ भारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। यह सर्वविदित है नगर निगम के नाली इन्टरलाकिंग तथा रोड के ठेकों में गुणवत्ता के विपरीत 45 प्रतिशत तक कमीशन लिया जा रहा है। यह ठेकेदार स्वयं बयां करते हैं। कहीं-कहीं तो गलियों के निर्माण में पुरानी टाईल्स निकाल कर उसमें नई टाईल्स मिलाकर लगा दी जा रही है और भुगतान प्राप्त कर लिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त संविदा पर कर्मचारियों को रखने वाले संविदा ठेकेदार संविदा कर्मियों का करोड़ों के प्राविडेन्ड फण्ड की धनराशि हजम कर जा रहे हैं। जबकि नगर निगम द्वारा संविदा कर्मियों के वेतन का 13 प्रतिशत नगर द्वारा तथा 10 प्रतिशत संबंधित संविदा कर्मचारी के वेतन से काटकर जमा कराने का प्राविधान है और कर्मचारी राज्य बीमा निदेशालय (ई.एस.आई.सी.) में भी 4.5 प्रतिशत धनराशि उसके वेतन से तथा नगर निगम द्वारा अपने अंश के साथ जमा कराने का प्राविधान है लेकिन यह सब नहीं हो रहा है और कर्मचारियों के साथ अन्याय हो रहा है। इससे कर्मचारियों और उनके परिवार के साथ घोर अन्याय हो रहा है। भ्रष्टाचारी संविदा ठेकेदार खूब फलफूल रहे हैं और ईमानदार नगर आयुक्त इस पर मौन हैं। उन्हें इस पर त्वरित कार्यवाही करना चाहिए।सूत्रों के अनुसार बताया जाता है कि नगर निगम लखनऊ के महापौर सुषमा खर्कवाल भारी भ्रष्टाचार की गंगा बहाये हुए हैं और भ्रष्टाचार के कीर्तिमान उन्होंने तोड़ दिये हैं। जिसको लेकर नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह असहज रहते हैं और उनके भ्रष्टाचार के आगे नतमस्तक रहते हैं। बताया जाता है कि महापौर सुषमा खर्कवाल की निधि 35 करोड़ रूपये वार्षिक है जिसके द्वारा नगर में विकास कार्य के ठेके अनुमोदित किये जाते हैं। महापौर सुषमा खर्कवाल के भ्रष्टाचार का आलम यह है कि उनके द्वारा खुले आम 15 प्रतिशत कमीशन लेकर धड़ल्ले से नाली, इन्टरलांकिग तथा रोड निर्माण के कार्य ठेकेदारों को अनुमोदित किये जा रहे हैं। जबकि कार्य की गुणवत्ता से उनका कोई लेना-देना नहीं रहता है। इसके अतिरिक्त महापौर सुषमा खर्कवाल का नगर निगम के अन्य आर्थिक कार्यों में भी हस्तक्षेप रहता है। चूंकि नगर आयुक्त की चरित्र पंजिका में प्रविष्टि लिखने का अधिकार महापौर का होता है. इसलिए नगर आयुक्त उनसे भयभीत रहते हैं और चुपचाप बिना इन्क्वारी किये उनकी फाइलों का अनुमोदन कर देते हैं। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि नगर आयुक्त ने महापौर के आगे हथियार डाल दिये हैं। उनकी सारी ईमानदारी बेकार है और नगर निगम में चर्चा का विषय भी है। सूत्रों के अनुसार बताया जाता है कि नगर निगम, लखनऊ में कई वर्षों से अपने रसूख के बल पर जमे हुए भ्रष्टाचारी अपर नगर आयुक्त (पशुपालन), डा. अरविन्द राव को महापौर सुषमा खर्कवाल का पूरा संरक्षण है और वह निर्बाध गति से भ्रष्टाचार कर रहा है। सूत्रों के अनुसार नगर में घूमने वाले आवारा पशुओं को उसके अधीनस्थ कर्मियों द्वारा पकड़ा जाता है और आवारा पशुओं के लिये बने कान्हा उपवन में उनको नहीं भेजकर उनको कटने के लिये कसाईयों को बेच दिया जाता है। कई बार पशुपालकों द्वारा डा. अरविन्द राव पर पथराव भी किया गया और वह जान छुड़ाकर भाग खड़ा हुआ लेकिन बताया जाता है कि रसूख के बल पर वह आवारा पशुओं को कटवा रहा है और महापौर का उसे पूरा संरक्षण है। इसकी जाँच हो जाय तो निश्चित रूप से सारे तथ्य उजागर हो जायेंगे। कान्हा उपवन में रखे गये आवारा पशु भूखे तगाने दिखाई पड़ सकते हैं और आँसू बहाते मिल जायेंगे। कान्हा उ 3/5 बिना अनुमति के पत्रकारों के साथ ही साथ किसी का भी जाना वाजत है। बताया जाता है कि नगर निगम लखनऊ क्षेत्र में आवारा कुत्तों की भरमार है जो आये दिन जनमानस को काट लेते हैं और इसकी खबरें समाचार पत्रों में प्रकाशित होती रहती हैं जबकि इसके लिए प्रति वर्ष करोड़ रूपये की धनराशि कुत्तों की नसबन्दी हेतु आवंटित की जाती है। लेकिन खेदजनक है कि स्वयं सेवी संस्था (एन.जी.ओ.) को कुत्तों की नसबन्दी की धनराशि आवंटित की जाती है और प्रति वर्ष बंदरबांट कर ली जाती है और ईमानदार नगर आयुक्त द्वारा बिना जांच पड़ताल के उसका भुगतान कर दिया जाता है जबकि उनको इसकी गहनता से जांच करनी चाहिए तथा एन.जी.ओ. के बजाए पशुपालन विभाग को धनराशि आवंटित कर उनसे कुत्तों की नसबन्दी का कार्य कराया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त आर.आर. विभाग, प्रचार विभाग, कर विभाग, नगर निगम के सभी विभागों में भारी भ्रष्टाचार देखा जा सकता है जबकि सबसे रोचक तथ्य यह है कि नगर निगम, लखनऊ में कई पार्षद ऐसे हैं जो दूसरे दलों से भाजपा में आये हैं और पार्षद हैं तथा अरबो रूपये की सम्पत्ति के मालिक हैं। मुम्बई से लेकर श्रीलंका तक उनका नगर निगम के भ्रष्टाचार से अर्जित की हुई धनराशि उन्होंने विनियोजित कर रखी है और उनका भारतीय जनता पार्टी की किसी भी बैठकों से कोई लेना-देना नहीं रहता है तथा विगत 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रचार-प्रसार नहीं करने के कारण भाजपा का मध्य क्षेत्र का विधानसभा प्रत्याशी चुनाव हार गया और सपा का प्रत्याशी चुनाव जीत गया जिससे भाजपा की बहुत किरकिरी हुई। ऐसे पार्षदों को सिर्फ ठेके लेने में और उसके प्रबन्धन में ही दिमाग रहता है। इससे भाजपा कार्यकर्ताओं में काफी रोष रहता है। ऐसे पार्षदों की आय से अधिक सम्पत्ति की जाँच माननीय गृह मंत्री अमित शाह को संज्ञान लेकर ई.डी.व सी. बी.आई.से जाँच कराना चाहिए तभी भ्रष्टाचार उजागर होगा।नगर निगम, लखनऊ में व्याप्त भ्रष्टाचार का संज्ञान नगर विकास मंत्री अरविन्द कुमार शर्मा तथा प्रमुख सचिव अमृत अभिजात को लेना चाहिए तभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेन्स की नीति प्रभावी होगी।
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43 वर्षीय विशाल सिंह लखनऊ के तीन अस्पतालों – किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, बलरामपुर अस्पताल और राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अपने गंभीर रूप से बीमार रिश्तेदारों के साथ आने वाले लोगों को फ्री में खाना खिलाते हैं. इस काम को उन्होंने अपने जीवन का मिशन बना लिया है. खुद के अनुभव से मिली प्रेरणा इस निस्वार्थ सेवा की प्रेरणा विशाल सिंह को अपने अनुभवों से मिली. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, साल 2003 में, वह गुरुग्राम के एक अस्पताल में अपने बीमार पिता की देखभाल कर रहे थे. इलाज में उन्हें काफी खर्च करना पड़ा और एक मध्यम-वर्गीय परिवार के लिए यह खर्च काफी बड़ा था. इस कारण एक वक्त ऐसा आया कि उनके लिए दो वक्त के खाने की व्यवस्था करना भी मुश्किल हो रहा था. उनके पिता को अस्थमा के साथ-साथ फेफड़ों का संक्रमण भी था.रूड़की के मूल निवासी विशाल ने बीमारी के कारण अपने पिता को खो दिया. इसके बाद वह नौकरी के लिए लखनऊ आए और यहां बहुत मुश्किलों से अपना काम शुरू किया. लेकिन उनके भीतर एक संकल्प पनप रहा था. उन्होंने ठाना कि जब भी वह सक्षम होंगे तो वह सुनिश्चित करेंगे की अपने बीमार परिवारजन की देखभाल करने वाला एक भी व्यक्ति भूखा न रहे. ज्योतिष में स्नातक विशाल का मानना है कि नर (मनुष्य) की सेवा करना नारायण (भगवान) की सेवा करना है.साल 2005 से कर रहे हैं यह काम उन्होंने अपनी पहल शुरू करने के लिए सरकारी अस्पतालों को चुना क्योंकि इनमें ज्यादातर गरीब लोग आते हैं, जो इलाज का खर्च मुश्किल से वहन कर पाते हैं. सरकारी अस्पताल मरीजों को मुफ्त दवा और भोजन देते हैं, लेकिन इन अस्पतालों में अपने बीमार परिवार के सदस्यों की देखभाल करने वाले लोग शायद ही अपने लिए भोजन की व्यवस्था कर पाते हैं. 2005 में, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के अधिकारियों ने मरीजों की देखभाल करने वाले लोगों की सेवा के लिए उनसे संपर्क किया था.उन्हें अपनी रसोई बनाने के लिए जगह भी दी गई. इसके साथ, उन्होंने ‘प्रसादम सेवा’ शुरू की, जो लगभग 100 लोगों को प्रतिदिन तीन बार भोजन परोसती थी. ‘प्रसादम सेवा’ तुरंत हिट हो गई और उनकी पहल को जो प्रतिक्रिया मिली इससे उन्हें आगे बढ़ने का हौसला मिला. मरीजों के परिजनों को खाना खिलाने का क्रम दिन-ब-दिन चलता रहा. केजीएमयू, बलरामपुर अस्पताल और राम मनोहर लोहिया अस्पताल ने भी उनके समर्पण को देखकर उन्हें अपनी रसोई चलाने के लिए जगह देने पर सहमति जताई. अब, उनकी पहल का दायरा तीन प्रमुख सरकारी अस्पतालों और लखनऊ में नई बनी डीआरडीओ कोविड सुविधा तक बढ़ गया है.
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इटली में मिलान की एक अदालत ने एक पत्रकार पर प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी का मजाक उड़ाने के लिए 5,000 यूरो (4,57,114 रुपए) का जुर्माना लगाया है रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक पत्रकार गिउलिया कोर्टेस (36) पर अक्टूबर 2021 में भी मेलोनी की कम हाइट का मजाक उड़ाने के लिए 1200 यूरो (1,09,723 रुपए) का जुर्माना लगा था। कोर्ट ने इसे बॉडीशेमिंग करार दिया था। कोर्टेस ने मेलोनी से कहा- तुम सिर्फ 4 फीट की हो 2021 में मेलोनी और गिउलिया के बीच सोशल मीडिया पर लड़ाई हो गई थी। इसके बाद इटली की दक्षिणपंथी पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली की नेता जॉर्जिया मेलोनी ने पत्रकार कोर्टेस के खिलाफ अदालत का रूख किया था। तब वो विपक्षी पार्टी की नेता थीं। कोर्टेस ने सोशल मीडिया पर मेलोनी की एक फर्जी तस्वीर शेयर की थी जिसके बैकग्राउंड में फासीवादी नेता बेनिटो मुसोलिनी की तस्वीर थी। मेलोनी के आपत्ति जताने के बाद पत्रकार कोर्टेस ने वो तस्वीर हटा ली थी। हालांकि अगले ही पोस्ट में उन्होंने मेलोनी की छोटी लंबाई का मजाक बनाया था। कोर्टेस ने पोस्ट कर लिखा- "तुम मुझे डरा नहीं सकती मेलोनी। तुम सिर्फ 4 फीट की हो। इतनी छोटी कि मुझे दिखाई भी नहीं देती हो। इटली की मीडिया रिपोर्ट्स में प्रधानमंत्री मेलोनी की लंबाई 5.2 फीट से 5.3 फीट के बीच बताई गई है। जुर्माने की रकम चैरिटी को दान करेंगी मेलोनी कोर्टेस के इस अपमानजनक बर्ताव को लेकर मेलोनी ने शिकायत दर्ज कराई थी। हालांकि कोर्ट ने कोर्टेस को ‘गलत तस्वीर’ मामले में बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मुसोलिनी के साथ मेलोनी का दिखाया जाना अपराध नहीं है। कोर्टेस को सजा के खिलाफ 90 दिनों के भीतर अपील करने का अधिकार है। वहीं, मेलोनी के वकील ने कहा कि कोर्टेस से मिलने वाले हर्जाने को वे किसी चैरिटी को दान कर देंगी। इटली में पत्रकारों के खिलाफ बढ़े मामले कोर्टेस के खिलाफ अदालत के फैसले पर पत्रकारों से जुड़ी रिपोर्ट्स विदाउट बॉडर्स (RWB) ने चिंता जताई है। RWB का कहना है कि इटली में पत्रकारों का मुंह बंद करने की कोशिशें तेज हुई हैं। उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे की संख्या बढ़ी है। यही वजह से 2024 में इटली विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में पांच स्थान नीचे गिरकर 46वें स्थान पर आ गया है। ये पहली बार नहीं है जब मेलोनी ने पत्रकारों को अदालत में घसीटा है। 2023 में रोम की एक अदालत ने बेस्ट-सेलिंग लेखक रॉबर्टो सविआनो पर 1,000 यूरो का जुर्माना लगाया था। सविआनो ने 2021 में टीवी पर मेलोनी का अपमान किया था। सविआनो मेलोनी से नाराज थे क्योंकि वह इटली आ रहे अवैध प्रवासियों के खिलाफ बेहद सख्त रूख रखती हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश पर लगी अंतरिम रोक को 22 जुलाई तक बढ़ा दिया है, जिसमें कन्नड़ न्यूज चैनल ‘पावर टीवी’ के पास उचित लाइसेंस न होने के आधार पर कर्नाटक हाई कोर्ट ने प्रसारण रोकने के आदेश दिया था।बता दें कि पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट द्वारा पारित इसी आदेश पर रोक लगायी थी। इस आदेश में आरोप लगाया गया था कि न्यूज चैनल ने केबल टीवी नेटवर्क विनियमन अधिनियम का उल्लंघन किया है।केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी विक्रमजीत बनर्जी ने कहा कि इस मामले पर दलीलें रखने के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता विदेश में हैं। इसके बाद चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 22 जुलाई तक सुनवाई टालते हुए पावर टीवी का प्रसारण रोकने का आदेश देने के कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश पर लगी रोक 22 जुलाई तक बढ़ा दी। पावर टीवी ने जेडीएस नेताओं प्रज्वल और सूरज रेवन्ना के खिलाफ सेक्स स्कैंडल का वीडियो दिखाया था हालांकि इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने ‘पावर टीवी’ के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने को लेकर केंद्र सरकार को फटकार लगायी। कोर्ट ने लाइसेंस रिन्यूअल के लिए आवेदनों के निपटारे तक ऐसे प्रतिबंधों के बारे में केंद्र से सवाल भी किया चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी से पूछा कि कितने चैनलों ने लाइसेंस नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हमारे सामने डेटा पेश करें कि कितने चैनलों ने लाइसेंस नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था और इनमें से कितनों को प्रसारण बंद करने के लिए कहा गया था। हम जानना चाहते हैं कि पिछले तीन सालों में नवीनीकरण के लिए आवेदन करने वाले कितने टीवी चैनलों को मंजूरी मिलने तक प्रसारण बंद करने का आदेश दिया गया।” सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से पहले कर्नाटक हाईकोर्ट ने जून में पावर टीवी के प्रसारण पर रोक लगायी थी। इसमें सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से चैनल के पास लाइसेंस न होने का हवाला दिया गया था। चैनल की अपलिंक और डाउनलिंक न्यूज की अनुमति 12 अक्टूबर, 2021 को समाप्त हो गई थी और रिन्यूअल आवेदन अभी भी लंबित था। 3 जुलाई को हाई कोर्ट की एक बेंच ने अंतरिम आदेश को बरकरार रखते हुए अंतिम निर्णय केंद्र को सौंप दिया था। हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ चैनल ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने पर्याप्त मूल्यांकन के बिना हाई कोर्ट के प्रतिबंध का समर्थन करने के लिए केंद्र सरकार को जमकर सुनाया।
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अंबानी पुत्र के विवाह स्थल में जबरन घुसने के आरोप में आंध्र के एक कारोबारी और एक यूट्यूबर पर मुक़दमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने दोनों व्यक्तियों की पहचान लुकमान मोहम्मद शफी शेख और वेंकटेश नरसैया अलूरी के रूप में की है, दोनों को अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार किया गया है। दोनों आरोपियों ने दावा किया कि वे शादी की चर्चा के चलते शादी देखने आए थे। यूट्यूबर अलूरी का दावा है कि वह शादी को रिकॉर्ड करके अपने चैनल पर दिखाना चाहता था। एफआईआर के अनुसार, सुबह करीब 10.40 बजे सिक्योरिटी गार्ड आकाश येवस्कर और उसके साथी ने अलूरी को सेंटर के पवेलियन एक के पास घूमते देखा। इसके बाद दो सुरक्षाकर्मियों ने उससे पूछताछ की और शुरुआत में गोलमोल जवाब देने के बाद अलूरी ने खुद को यूट्यूबर बताया और बताया कि वह आंध्र प्रदेश से है। लेकिन उसके पास कोई निमंत्रण नहीं था, इसके लिए उसे बीकेसी पुलिस के हवाले कर दिया गया।
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मुकेश अंबानी के बेटे की शादी में कहीं आपको पत्रकार संपादक मीडिया मालिक दिखे? हो सकता है हों। मगर अननोटिस्ड। कहीं फोटो खबर या मुख्य महफिल में नहीं।मतलब मीडिया अब महत्वहीन रह गया है। उसे कोई पूछने वाला नहीं। सम्मान देना तो दूर की बात है। मगर पहले ऐसा नहीं था। पत्रकार की अपनी इज्जत होती थी और उसकी अपनी एक शख्सियत यह तो देश के सबसे बड़े पैसे वाले की शादी है। लेकिन पहले मुंबई में दिल्ली में देश के दूसरे राज्यों की राजधानी में छोटे शहरों में जब भी कोई बड़ी शादी होती थी तो पत्रकार वहां बड़े सम्मान पूर्वक आमंत्रित होते थे। वे दूसरे वीआईपी की तरह विशिष्ट लोगों में होते थे इससे पहले जो इससे भी ज्यादा चमक दमक वाली शादी सहाराश्री के बेटों की हुई थी उसमें मीडिया मालिक संपादक के साथ लखनऊ के सब पत्रकार बहुत सम्मान के साथ बुलाए गए थे। हर पत्रकार के लिए उसके नाम के साथ अलग टेबल रिजर्व थी बाहर से होस्टेस उसको एस्कॉर्ट करके अंदर ले जा रही थीं। दरवाजे पर अमिताभ बच्चन अमर सिंह खड़े होकर उनकी अगवानी कर रहे थे। उससे पहले यही मुकेश अंबानी जो अपने लड़के की शादी में सिर्फ नेताओं और सिलेब्रिटीज को पूछ रहे हैं अपनी शादी में पत्रकारों का हाथ जोड़-जोड़ कर आशीर्वाद ले रहे थे। धीरूभाई अंबानी ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया के सारे पत्रकारों के पास चॉकलेट के डिब्बे पहुंचाए थे। और उस समय ऐसे स्वाभिमानी पत्रकार होते थे जिन्होंने वह डिब्बे स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।अभी शादी पूर्व के समारोह में कुछ पत्रकारों को कैमरे लेकर बुलाया गया था। धन्य-धन्य हो रहे थे। हाथी को खिलाए जाने वाली खिचड़ी खाकर कह रहे थे इससे ज्यादा टेस्टी खिचड़ी कभी नहीं खाई! पत्रकारिता अभी और गिरेगी और पत्रकार की इज्जत इतनी हो जाएगी जैसे बाहर बोर्ड लगा दिए जाते हैं की खाना ड्राइवर और सिक्योरिटी के लिए वैसे ही उसमें पत्रकार और लिख दिया जाएगा। अभी नई पार्लियामेंट में यह हो गया। पत्रकारों के लिए जिस कैंटीन में खाना है वहां लिखा है स्टाफ और मीडिया। पहले पुरानी पार्लियामेंट में सिर्फ पत्रकारों के लिए अलग कैंटीन थी।खैर, पत्रकार अब कुछ नहीं कर सकता। उसके संपादक और मालिकों की हालत भी ऐसी ही हो गई है। पत्रकारिता सत्ता की, सेठों की दासी हो गई है। कभी वह जनता की आवाज थी। सत्य और साहस से चलती थी। अब केवल आदेशों पर!
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दिल्ली में व्यापारियों के शीर्ष संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने टैक्स और बजट में कुछ बदलाव को लेकर केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने व्यापारियों को बजट में राहत मिलने के साथ बुजुर्गों को उनके अदा किए गए टैक्स के आधार पर कुछ सुविधाओं की मांग की है साथ ही यह भी कहा है कि, आयकर (इनकम टैक्स) का नाम बदल कर राष्ट्र निर्माण सहयोग निधि रखा जाए. जिससे कि लोगों में ज्यादा से ज्यादा टैक्स देने की भावना जागृत हो सीटीआई के चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा कर कहा है कि, बुजुर्ग टैक्सपेयर को उनके टैक्स के आधार पर ओल्ड ऐज बेनिफिट मिलना चाहिए. टैक्सपेयर की वृद्धावस्था में पिछले सालों में दिये गये इनकम टैक्स के हिसाब से उसे सोशल सिक्योरिटी और रिटायरमेंट के लाभ दिये जाएं उन्होंने मिडिल क्लास टैक्सपेयरों के हित की बात करते हुए वित्त मंत्री को लिखे पत्र में कहा कि 9 साल से इनकम टैक्स में छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये ही बनी हुई है. इसे 7 लाख कर देना चाहिए. इससे मिडिल क्लास के उन करोड़ों टैक्स पेयर्स को लाभ होगा, जिन्हें टैक्स न होने के बावजूद रिटर्न जमा करानी पड़ती है वहीं, उन्होंने मिडिल क्लास को सस्ती ब्याज दरों पर लोन मिलने की हिमायत करते हुए कहा कि कार्पोरेट्स एवं बड़ी कंपनियों को बैंक लोन सस्ती ब्याज दर से मिल जाता है, लेकिन मीडिल क्लास और छोटे व्यापारियों के लिए केन्द्र सरकार की जो मुद्रा योजना है उसमें उनको कहीं ज्यादा ब्याज देना पड़ता है. इसलिए उनकी मांग है कि मिडिल क्लास को भी सस्ती ब्याज दरों पर लोन मिलना चाहिए आगे उन्होंने लिखा है कि, इनकम टैक्स में 45 दिन में पेमेंट का जो नया नियम आया है इससे करोड़ों व्यापारी और MSME व्यापारी परेशानी झेल रहे हैं, इसको वापस लिया जाए. जबकि .जीएसटी की नयी एमनेस्टी स्कीम का लाभ उन व्यापारियों को भी मिलना चाहिए जो पहले ही टैक्स, ब्याज और पेनल्टी जमा करा चुके हैं सीटीआई के चेयरमैन ने इन्शुरेन्स के बढ़ते प्रीमियम पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि, पिछले कुछ सालों से मेडिकल इन्शुरेन्स प्रीमियम बेतहाशा बढ़ा है जिससे मध्यम वर्ग को भारी परेशानी हो रही है. इसके अलावा उन्होंने इनकम टैक्स में भी जीएसटी की तरह हाइब्रिड सिस्टम होने की बात की ताकि लोगों को उसकी व्यक्तिगत हियरिंग का मौका मिल सके उन्होंने कहा कि, आम जरूरत की बहुत सारी चीजों पर अभी भी 28% और 18% GST लगता है, इसलिए GST की दरों को तर्कसंगत बनाने की जरूरत है. उनका कहना है कि केन्द्र सरकार को व्यापारियों और उद्यमियों के हित के लिए ट्रेड एंड इंडस्ट्री डेवलपमेंट बोर्ड का गठन करना चाहिए.
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कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने राज्य कर्मचारियों के लिए खजाना खोल दिया है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, कर्नाटक मंत्रिमंडल ने सोमवार को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को एक अगस्त से लागू करने का फैसला किया है. इसके लागू होने के साथ ही कर्मचारियों की सैलरी में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी. हालांकि, इसे लागू करने से सरकारी खजाने पर भारी भरकम बोझ बढ़ेगा पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री मंगलवार को विधानसभा में सात लाख से अधिक राज्य सरकार के कर्मचारियों के वेतन बढ़ोतरी के बारे में घोषणा कर सकते हैं. जहां पूर्व मुख्य सचिव के सुधाकर राव की अध्यक्षता वाले सातवें वेतन आयोग ने सरकारी कर्मचारियों के मूल वेतन में 27.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की सिफारिश की है सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया मंगलवार को विधानसभा में इस फैसले की घोषणा कर सकते हैं. इसे एक अगस्त 2024 से लागू किया जाएगा. वहीं, इस कदम से राज्य सरकार के सात लाख से अधिक कर्मचारियों को लाभ होगा. इससे सरकारी खजाने पर सालाना 17,440.15 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ने की उम्मीद है वहीं, कर्नाटक राज्य सरकारी कर्मचारी संघ की अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की योजना की घोषणा के बाद से ही सिद्धारमैया सरकार पर वेतन बढ़ोतरी से संबंधित फैसले लेने का दबाव था. तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने मार्च 2023 में कर्मचारियों के वेतन में अंतरिम तौर पर 17 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की थी. इसमें सिद्धारमैया सरकार 10.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकती है. सूत्रों ने कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत इससे मूल वेतन पर कुल 27.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी सातवां वेतन आयोग, कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में बदलाव की समीक्षा और सिफारिश करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा स्थापित एक पैनल है. वहीं, सातवें वेतन आयोग ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में 23.55 फीसदी की बढ़ोतरी की सिफारिश की थी
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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हमले के बाद इस्कॉन की तरफ से बड़ा दावा किया गया है. इस्कॉन मंदिर कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने कहा कि ट्रंप की जान भगवान जगन्नाथ ने बचाई है. दास ने एक्स पर लिखा कि ठीक 48 साल पहले डोनाल्ड ट्रंप ने जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव को बचाया था. अब उन्हीं की कृपा से ट्रंप की जान बची है. उन्होंने कहा, जब पूरी दुनिया जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव मना रही है, ऐसे में ट्रंप पर हमला किया गया. जगन्नाथ ने उन्हें बचाकर एहसान का बदला चुकाया दास ने कहा कि जुलाई 1976 में डोनाल्ड ट्रंप ने रथों के निर्माण के लिए मुफ्त में अपना ट्रेन यार्ड देकर इस्कॉन भक्तों को रथयात्रा आयोजित करने में मदद की थी. आज जब दुनिया 9 दिवसीय जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव मना रही है, उन पर यह हमला और उनका बाल-बाल बचना जगन्नाथ के हस्तक्षेप को दर्शाता है. बता दें कि पेंसिल्वेनिया में एक चुनावी रैली में ट्रंप के ऊपर फायरिंग हुई थी. इस घटना में ट्रंप के कान से टच होकर गोली निकल गई थी. इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने ट्रंप के बाल-बाल बचने को दैवीय हस्तक्षेप बताया राधारमण दास के एक्स पर पोस्ट को इस्कॉन कोलकाता मंदिर के आधिकारिक एक्स हैंडल से भी रीपोस्ट किया गया है. दास ने कहा कि ब्रह्मांड के भगवान महाप्रभु जगन्नाथ की पहली रथ यात्रा 1976 में संयुक्त राज्य अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की सहायता से शुरू हुई थी. करीब 48 साल पहले जब इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) न्यूयॉर्क में रथ यात्रा निकालने वाली थी तो काफी चुनौतियां थीं, तब डोनाल्ड ट्रंप ने फिफ्थ एवेन्यू का उपयोग करने की अनुमति थी, जो वास्तव में एक बड़ी बात है इस्कॉन की ओर से कहा गया है कि ट्रंप की जान दैवीय कृपा के कारण बच गई. ऐसा इसलिए क्योंकि आज से ठीक 48 साल पहले ट्रंप ने जगन्नाथ रथयात्रा के लिए उम्मीद जगा दी थी. दास ने ये भी कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने 1976 में रथों के निर्माण के लिए फ्री में अपना ट्रेन यार्ड मुहैया करवाया था. उनके इस निर्णय से भक्तों को रथयात्रा आयोजित करने में मदद की थी
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दिल्ली शराब नीति मामले में जेल में बंद आम आदमी पार्टी (आप) नेता मनीष सिसोदिया को कोर्ट से राहत नहीं मिल रही है. पहले सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई टल गई और अब राउज एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार (15 जुलाई) को सिसोदिया की न्यायिक हिरासत को 22 जुलाई तक के लिए बढ़ा दिया. दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम सिसोदिया को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया गया था. राउज एवेन्यू कोर्ट में अगली सुनवाई 22 जुलाई को है दरअसल, मनीष सिसोदिया दिल्ली सरकार में आबकारी मंत्री रह चुके हैं. पिछले साल 26 फरवरी सीबीआई ने उन्हें शराब नीति मामले में गिरफ्तार किया था. सिसोदिया ने 28 फरवरी, 2023 को तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद शराब नीति मामले से ही जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें मार्च, 2023 में गिरफ्तार कर लिया. इस तरह अब सिसोदिया के खिलाफ ईडी और सीबीआई दोनों ही जांच एजेंसियों के केस चल रहे हैं शराब नीति मामले में जमानत के लिए सिसोदिया कभी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं तो कभी राउज एवेन्यू कोर्ट जा रहे हैं. मगर आम आदमी पार्टी के नेता को ना तो देश की शीर्ष अदालत से राहत मिल रही है और ना ही निचली अदालत से. सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार (11 जुलाई) को मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी. मगर सुनवाई करने वाली पीठ में शामिल जस्टिस संजय कुमार ने निजी वजहों से खुद को मामले से अलग कर दिया सिसोदिया की जमानत याचिका पर जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संयज करोल और जस्टिस संजय कुमार को सुनवाई करनी थी. पीठ ने कहा कि एक अन्य पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति संजय कुमार सदस्य नहीं हैं, शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दायर मामलों में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. जस्टिस खन्ना ने कहा, "हमारे भाई को कुछ परेशानी है, वह इस मामले पर निजी वजहों से सुनवाई नहीं करना चाहते हैं
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सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक द्वारा भड़ास4जर्नलिस्ट द्वारा की जा रही सकारात्मक खबरों की सराहना करते हुए एक परिवार अनेक समाचार पत्र की प्रथा पर रोकथाम लगाई जाने की खबर प्रकाशित करने के मात्र 24 घंटे के अंदर ही अनेक ऐसे घराने हैं जिनकी रातों की नींद उड़ गई है और तरह-तरह के साजिश भड़ास4जर्नलिस्ट के विरुद्ध की जा रही है जबकि भड़ास4जर्नलिस्ट कभी भी पत्रकारिता के मूल्य उद्देश्यों से न तो भटका है और न है खबरों के साथ कोई समझौता किया गया है।भड़ास4जर्नलिस्ट में प्रकाशित खबरों का संज्ञान लेकर जिन तथाकथित जालसाज व्यक्तियों द्वारा कानूनी नोटिस दी गई थी उसके प्रतिउत्तर में साक्ष्यों को संलग्न करते हुए विधिक कार्यवाही की गई तो सब हाथ जोड़कर माफी मांगते नजर आए, वही बकलोल पत्रकार चारों तरफ घूम घूमकर केवल बकलोली करता दिखाई दे रहा है और अधिकारियों के सम्मुख गिड़गिड़ाते हुए हाथ पैर दबाता है।भड़ास द्वारा पोल खोली गई तो केवल बकलोली दिखती है, ना तो कोई कानूनी कार्रवाई करने की हिम्मत जुटा सका और ना ही खबरों की सत्यता पर विधिक नोटिस जारी की गई जिससे प्रमाणित है भड़ास4जर्नलिस्ट खबरों की सत्यता को परख कर ही साक्ष्यों के उपलब्ध होने पर खबरों का प्रकाशन किया जाता है।
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आपसे सविनय निवेदन है कि पूर्व में भी प्रार्थी द्वारा अनेक पत्रों के माध्यम से आपको अवगत कराया गया था कि सरकारी भवनों में स्थित प्रेस कक्ष अथवा प्रेस रूम का दुरुपयोग किया जा रहा है परंतु आप द्वारा कार्रवाई न किए जाने से ऐसे तथाकथित पत्रकारों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं जिनको पत्रकारिता से कोई लेना-देना नहीं है और सरकारी भवन में स्थित प्रेस रूम/प्रेस कक्ष में आए दिन जन्मदिन की पार्टियों का सिलसिला सोशल मीडिया पर तस्वीर बनाकर प्रचारित और प्रसारित किए जाने का कार्य किया जाता है ।उपरोक्त क्रम में आपको पुनः अवगत कराना है कि लाल बहादुर शास्त्री भवन में स्थित मीडिया कक्ष को चुनावी बैठकों और सरकारी योजनाओं के दुष्प्रचार के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे तथाकथित पत्रकार जिनको नियम विरुद्ध राज्य मुख्यालय की मान्यता प्रदान की गई है उनकी बैठकी का अड्डा सरकारी परिसर में बना रहता है।आपसे निवेदन है कि आगामी 13 जुलाई दिन शनिवार को सार्वजनिक अवकाश के दिन तथाकथित पत्रकारों द्वारा एक चुनावी बैठक सरकारी भवन में आयोजित किए जाने के संदेश सोशल मीडिया पर प्रचारित हो रहे हैं।आपसे निवेदन है कि सार्वजनिक अवकाश के दिनों में सरकारी भवन में स्थित प्रेस कक्ष को बंद किए जाने के आदेश पारित किए जाने की महती कृपा की जाएगी और सरकारी भवन स्थित प्रेस कक्ष को केवल पत्रकारिता के कार्य हेतु उपयोग में लाये जाने हेतु दिशा निर्देश भी जारी किए जाएंगे जिससे आए दिन होने वाली जन्मोत्सव की तस्वीरें सोशल मीडिया पर प्रचारित प्रसारित कर सरकारी व्यवस्थाओं का जिस तरह से दुष्प्रचार किया जा रहा है उस पर रोक लगाई जा सकें।
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गुजरात में शराब तस्करी के आरोप में महिला पुलिसकर्मी नीता चौधरी और युवराज सिंह जडेजा को गिरफ्तार किया गया था. कच्छ ईस्ट पुलिस ने दो आरोपियों - हेड कांस्टेबल नीता चौधरी और युवराज सिंह जडेजा - की हिरासत मांगी थी, लेकिन भचाऊ के एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट डी एस डाभी की अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया.पहले उन पर पुलिस की वर्दी में सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए मुकदमा चलाया गया था, लेकिन इस बार वह एक मशहूर शराब तस्कर के साथ पकड़ी गई हैं. इतना ही नहीं कॉन्स्टेबल नीता चौधरी के खिलाफ मद्यनिषेध अधिनियम की धारा 307 का उल्लंघन करने का मामला दर्ज किया गया है. आरोप है कि तसकर नशे में था और पुलिसकर्मियों के रोकने पर उसने कार चढ़ाने की कोशिश कीकच्छ पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के बाद जब नीता चौधरी को मीडिया के सामने पेश किया गया तो उनके चेहरे पर अपने कृत्य पर कोई पछतावा नहीं था. नीता चौधरी के शराब की हेराफेरी में फंसने के बाद पूरे मामले में सोशल मीडिया पर तूल पकड़ लिया है..इससे पहले गुजरात पुलिस ने ड्यूटी पर रील न बनाने और सोशल मीडिया पर संयम से व्यवहार करने की हिदायत दी थी. फिर भी नीता चौधरी इंस्टाग्राम पर नियमित रील्स पोस्ट करती नजर आई और वहां उनके अच्छे खासे फॉलोअर्स हैं.चौधरी की रील्स उनकी जीवनशैली को दर्शाती हैं. जिसमें वह सफेद रंग की महिंद्रा थार कार चलाते हुए नजर आ रही हैं. रील्स के कारण चर्चा में रहने वाली नीता चौधरी रविवार को सुर्खियों में आ गई.पूर्वी कच्छ जिले के एसपी सागर बागमार के मुताबिक, खुफिया जानकारी के आधार पर कार्रवाई की गई. यह बात सामने आई है कि नीता चौधरी और उनके साथ मौजूद शराब तस्कर युवराज सिंह जडेजा ने कार नहीं रोकी. इसके बाद पुलिस को कार्रवाई कर उसे गिरफ्तार करना पड़ा.
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शंभु बॉर्डर पर लगाए गए बैरिकेडिंग हटाने का निर्देश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाई. कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए राज्य सरकार से सवाल किया कि वो राजमार्ग को कैसे अवरुद्ध कर सकती है? हम कह रहे हैं कि अंबाला के पास वाले शंभु बॉर्डर पर लगाए गए अवरोधक हटाओ और ट्रैफिक नियंत्रित करो सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शन कर रहे 22 वर्षीय युवक की मौत की न्यायिक जांच के खिलाफ हरियाणा की याचिका पर सुनवाई टालते हुए ये टिप्पणी की. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने यह निर्देश उस समय दिया जब हरियाणा सरकार के वकील ने कहा कि हम हाईकोर्ट के 10 जुलाई के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने की प्रक्रिया में है हाल ही में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक हफ्ते के अंदर बैरिकेडिंग हटा कर शंभु बॉर्डर को खोलने का आदेश दिया था. दरअसल, अपनी विभिन्न मांगों को लेकर किसान 13 फरवरी से शंभू बार्डर पर डेरा डाले हुए हैं. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों के पक्ष में दिल्ली की ओर बढ़ने की घोषणा की थी. इसके बाद हरियाणा सरकार ने फरवरी में अंबाला-नयी दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर बैरिकेडिंग कर दी थी.
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नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार (11 जुलाई) को जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने को लेकर प्रतिक्रिया दी है. इस दौरान उन्होंने आतंकी हमले और नीट मामले को लेकर भी बयान दिया है. उन्होंने कहा कि हाल में जम्मू क्षेत्र में कई हमले करने वाले आतंकवादियों को कमजोर साबित करने के लिए जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव समय पर होना जरूरी है. श्रीनगर में पार्टी के एक समारोह से इतर संवाददताओं से अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में स्थिति सामान्य नहीं है.उमर अब्दुल्ला ने कहा, "जम्मू कश्मीर में सामान्य स्थिति नहीं है. क्या यहां हालात 1996 से भी बदतर हैं? अगर हां, तो उन्हें चुनाव नहीं कराने चाहिए. अगर वे इन हमलावर ताकतों के सामने झुकना चाहते हैं, तो चुनाव न कराएं. अगर आपको हमारे सशस्त्र बलों और पुलिस की श्रेष्ठता साबित करने के बजाय उग्रवाद की सर्वोच्चता साबित करनी है, तो चुनाव न कराएं.’’पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर को लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर सरकार में साहस है तो चुनाव कराए जाने चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘अगर साहस नहीं है और डरे हुए हैं तो बेशक से चुनाव मत कराइये, लेकिन अगर आपको हमारी पुलिस और सेना की ताकत दिखानी है, अगर हमारे शासकों में थोड़ा साहस है तो वे देश विरोधी इन ताकतों के आगे घुटने क्यों टेक रहे हैं. समय पर चुनाव करवाए जाने चाहिए और जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपनी सरकार खुद चुननी चाहिए.’’राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) पर एक सवाल के जवाब में अब्दुल्ला ने कहा कि परीक्षा पर जल्द ही निर्णय होना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘यह युवाओं के भविष्य के साथ अन्याय है. हमें उम्मीद है कि जल्द ही इस मामले में कोई निर्णय लिया जाएगा, चाहे वह जांच के माध्यम से हो या कोर्ट या सरकार के माध्यम से हो.’’
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बिहार के अलग-अलग शहरों, कस्बों और गांवों से सपने लेकर लोग दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और कोलकाता जैसे बड़े शहरों की ओर जाते हैं. रोजगार के अभाव में लोगों को अपने घरों को छोड़कर पलायन के लिए मजबूर होना पड़ता है. चाहे वह आईटी इंजीनियर हो या फिर छोटे-मोटा रोजगार करने वाला कोई कामगार उनका गंतव्य यही बड़े शहर होते हैं जो उन्हें सपने की जीने की प्रेरणा देते हैं. जबकि इनके सपने को उड़ान देने का माध्यम बनती हैं रेलगाड़ियां और बस जो उन्हें उनके सपनों के शहर तक पहुंचाती हैं दिल्ली की दूरी तय करने के लिए 20-20 घंटे का सफर करना होता है लेकिन ये उनके मन में बसती बेहतर भविष्य की आस ही होती है जो उन्हें इस यात्रा में भी थकने नहीं देती. पूरे रास्ते वह यही सोचते हैं कि उनके सुखद जीवन की शुरुआत होने जा रही है लेकिन बीच रास्ते हुई सड़क दुर्घटना उनके ख्याल के साथ ही उनके सपनों को भी चकनाचूर कर देती है जैसा कि उन्नाव में हुई बस दुर्घटना में हुआ जहां 18 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी बिहार के सीवान से दिल्ली जा रही डबल-डेकर बस यूपी के उन्नाव में बुधवार तड़के लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर दुर्घटना का शिकार हो गई. बस यहां दूध से भरे टैंकर से टकरा गई. इस घटना में 18 यात्रियों की मौत हो गई तो 19 लोग घायल हैं. घायलों को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है. मृतकों में अधिकांश बिहार के रहने वाले हैं. जबकि एक यात्री यूपी और एक दिल्ली का निवासी है. दुर्घटना में जिन लोगों को जान गंवानी पड़ी है उनमें 14 पुरुष, 2 महिलाएं और दो बच्चे शामिल हैं. मृतकों में छह एक ही परिवार के सदस्य हैं जो कि मोतिहारी के इजोरा बारा गांव के रहने वाले थे. मृतकों में दो भाई और उनकी पत्नी, एक भाई की बेटी और एक बेटा शामिल है. यहां मोतिहारी में परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है बिहार से दिल्ली की यात्रा के लिए 17 से लेकर 24 घंटे का सफर तय करना पड़ता है. हालांकि यह निर्भर करता है कि मोड ऑफ ट्रांसपोर्ट क्या है. विमान से यह यात्रा दो से ढाई घंटे में पूरी हो जाती है लेकिन हर कोई विमान से सफर नहीं कर सकता. राजधानी पटना से दिल्ली के विमान का किराया अगर तत्काल लिया जाए तो 10 हजार रुपये से ज्यादा खर्च आता है जबकि अगर 10-12 दिन पहले टिकट लिया जाए तो फिर भी किराया 4 हजार से अधिक आता है.ट्रेन पर आरामदायक सफर के लिए लंबी वेटिंग मिलती है. इसके लिए दो-तीन महीने पहले बुकिंग करानी पड़ती है.
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बिहार के अलग-अलग शहरों, कस्बों और गांवों से सपने लेकर लोग दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और कोलकाता जैसे बड़े शहरों की ओर जाते हैं. रोजगार के अभाव में लोगों को अपने घरों को छोड़कर पलायन के लिए मजबूर होना पड़ता है. चाहे वह आईटी इंजीनियर हो या फिर छोटे-मोटा रोजगार करने वाला कोई कामगार उनका गंतव्य यही बड़े शहर होते हैं जो उन्हें सपने की जीने की प्रेरणा देते हैं. जबकि इनके सपने को उड़ान देने का माध्यम बनती हैं रेलगाड़ियां और बस जो उन्हें उनके सपनों के शहर तक पहुंचाती हैं दिल्ली की दूरी तय करने के लिए 20-20 घंटे का सफर करना होता है लेकिन ये उनके मन में बसती बेहतर भविष्य की आस ही होती है जो उन्हें इस यात्रा में भी थकने नहीं देती. पूरे रास्ते वह यही सोचते हैं कि उनके सुखद जीवन की शुरुआत होने जा रही है लेकिन बीच रास्ते हुई सड़क दुर्घटना उनके ख्याल के साथ ही उनके सपनों को भी चकनाचूर कर देती है जैसा कि उन्नाव में हुई बस दुर्घटना में हुआ जहां 18 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी बिहार के सीवान से दिल्ली जा रही डबल-डेकर बस यूपी के उन्नाव में बुधवार तड़के लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर दुर्घटना का शिकार हो गई. बस यहां दूध से भरे टैंकर से टकरा गई. इस घटना में 18 यात्रियों की मौत हो गई तो 19 लोग घायल हैं. घायलों को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है. मृतकों में अधिकांश बिहार के रहने वाले हैं. जबकि एक यात्री यूपी और एक दिल्ली का निवासी है. दुर्घटना में जिन लोगों को जान गंवानी पड़ी है उनमें 14 पुरुष, 2 महिलाएं और दो बच्चे शामिल हैं. मृतकों में छह एक ही परिवार के सदस्य हैं जो कि मोतिहारी के इजोरा बारा गांव के रहने वाले थे. मृतकों में दो भाई और उनकी पत्नी, एक भाई की बेटी और एक बेटा शामिल है. यहां मोतिहारी में परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है बिहार से दिल्ली की यात्रा के लिए 17 से लेकर 24 घंटे का सफर तय करना पड़ता है. हालांकि यह निर्भर करता है कि मोड ऑफ ट्रांसपोर्ट क्या है. विमान से यह यात्रा दो से ढाई घंटे में पूरी हो जाती है लेकिन हर कोई विमान से सफर नहीं कर सकता. राजधानी पटना से दिल्ली के विमान का किराया अगर तत्काल लिया जाए तो 10 हजार रुपये से ज्यादा खर्च आता है जबकि अगर 10-12 दिन पहले टिकट लिया जाए तो फिर भी किराया 4 हजार से अधिक आता है.ट्रेन पर आरामदायक सफर के लिए लंबी वेटिंग मिलती है. इसके लिए दो-तीन महीने पहले बुकिंग करानी पड़ती है.
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जिस बच्चे को मां नौ महीने कोख में रखती है और उसकी हर हरकत पर फूल की तरह खिल उठती है. वही मां जब कोर्ट के सामने अपने उसी बच्चे को हमेशा के लिए मौत की नींद सुला देने की गुहार लगाए तो जाहिर है वजह कोई छोटी-मोटी तो हरगिज नहीं होगी. ऐसी ही एक गुहार अशोक राणा और उनकी पत्नी निर्मला देवी ने अपने बेटे हरीश के लिए दिल्ली हाई कोर्ट के सामने लगाई हरीश जिंदा है, उसकी सांसें चल रही हैं, लेकिन वो 11 साल से विस्तर पर पड़ा हुआ है. क्वाड्रिप्लेजिया से पीड़ित, यानी 100 प्रतिशत विकलांगता. उसी विस्तर से एक यूरीन बैग लगा हुआ है और खाने का एक पाइप भी हरीश के पेट से चिपका है. वो एक जिंदा कंकाल की तरह 2013 से उसी विस्तर पर यूं ही पड़ा हुआ है. 'हरीश एक दशक से भी ज्यादा समय से इस हालात में है. हम हमेशा तो उसके पास नहीं रहेंगे न, तो फिर उसकी देखभाल कौन करेगा.' ये कहना है 62 साल के राणा का, जिन्होंने अपने बेटे को इच्छामृत्यु दिए जाने की गुहार दिल्ली हाई कोर्ट से लगाई, लेकिन कोर्ट ने इसे 8 जुलाई को खारिज कर दिया टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में अपने बेटे की इस हालत को देखते हुए उसके पिता अशोक राणा कहते हैं, 'हर रोज अपने बच्चे की मौत की गुहार लगाना आसान नहीं होता, लेकिन हमारे पास कोई और रास्ता नहीं है क्योंकि हरीश जिस दर्द से गुजर रहा है वो असहनीय है.' हालात हमेशा ऐसे ही नहीं थे. हरीश मोहाली में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक की पढ़ाई कर रहा था. उसका जीवन भी आम युवाओं की तरह ही था, लेकिन 2013 में उस दिन सब बदल गया, जब हरीश अपने पीजी के चौथे माले से गिर गया और उसके सिर में गंभीर चोटें आ गईं. इस घटना के पहले दिन से ही हरीश को देश के बड़े-बड़े अस्पतालों में अच्छा इलाज मिला, लेकिन वो फिर से पहले जैसा कभी न हो सका. हरीश का इलाज पीजीआई चंडीगढ़, एम्स, आरएमएल, लोक नायक और फॉर्टिस जैसे अस्पतालों में हुआ हरीश के पिता ने उसकी सेहत में सुधार के लिए हर संभव प्रयास किया. वो बताते हैं कि उन्होंने हरीश के लिए 27 हजार रुपए हर महीने की कीमत पर एक नर्स भी रखी थी. ये कीमत उनकी हर महीने की सैलरी यानी 28 हजार रुपए के बराबर ही पड़ रही थी. उन्होंने बताया कि इसके अलावा उन्होंने हर महीने 14 हजार रुपए हरीश की फीजियोथेरेपी पर भी खर्च किए. ये खर्च इतने ज्यादा थे कि उन्हें खुद ही उसकी देखभाल करना शुरू करना पड़ा. हरीश की दवाइयों का हर महीने का खर्च भी 20 से 25 हजार पड़ता है और उन्हें सरकार से भी किसी तरह की मदद नहीं मिलती. वो खुद ही सब मैनेज कर रहे हैं. सितंबर 2021 में राणा ने दिल्ली के महावीर एनक्लेव में अपने तीन मंजिल मकान को भी बेच दिया. इस वाकये के बारे में बताते हुए वो कहते हैं, '1998 से उस जगह को हम घर कहते आए थे. हमारी कई यादें उन दीवारों से जुड़ी हुईं थीं. हालांकि हमें उसे छोड़ना पड़ा, क्योंकि वहां तक एंबुलेंस नहीं पहुं पाती थी. हमारे घर तक डायरेक्ट एंबुलेंस का न पहुंच पाना हमारे लिए बड़ी बात थी, क्योंकि ऐसा होने से हमारे बेटे की जान से खिलवाड़ जैसे होता.'अब उसी बच्चे की जान लेने की गुहार लगाते हुए राणा कहते हैं, 'हम उसके अंगों को दान कर देंगे, ताकि कई अन्य लोगों को जिंदगी मिल सके. इससे हमें भी सुकून मिलेगा कि वो किसी और के शरीर में एक अच्छी जिंदगी जी रहा है.'
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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पंचायत ग्रामीण मंत्री प्रहलाद पटेल की पीआरओ ने सुसाइड कर ली है. जनसम्पर्क में असिस्टेंट डायरेक्टर पूजा थापक की आत्महत्या के कारण का पूरी तरह से खुलासा नहीं हुआ है. वहीं पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही है. हालांकि माना जा रहा है कि पारिवारिक कारणों के चलते उन्होंने आत्महत्या की है दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री प्रहलाद पटेल की पीआरओ पूजा थापक ने बीती रात 12 बजे फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. बताया जा रहा है कि पूजा थापक का पति से विवाद हुआ था. पति भी सहायक संचालक स्तर के अधिकारी हैं. मंगलवार की रात नौ बजे ही पूजा थापक ने मंत्री प्रहलाद पटेल के विभाग से संबंधित खबर भेजी थी गोविंदपुरा पुलिस के अनुसार पूजा थापक साकेत नगर इलाके में परिवार के साथ रहती थीं. उनका मंगलवार को पति से विवाद हुआ था, जिसके बाद मंगलवार-बुधवार की दरम्यानी रात उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. पूजा थापक मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग की सहायत संचालक थीं और वर्तमान में मंत्री प्रहलाद पटेल की जनसंपर्क अधिकारी थीं. उनके पति मध्य प्रदेश सरकार सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग वैज्ञानिक हैं और सहायक संचालक स्तर के अधिकारी हैं. वर्ष 2022 में इनकी शादी हुई थी, इनका एक बेटा भी है
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केंद्र सरकार की कंपनियों में काम करने वाले वरिष्ठ कर्मचारियों को जल्दी ही डबल सैलरी का तोहफा मिल सकता है. सरकार इस बारे में एक प्रस्ताव पर विचार कर रही है. यह प्रस्ताव निजी कंपनियों के वरिष्ठ कार्यकारियों की तुलना में सरकारी कंपनियों के वरिष्ठ कर्मचारियों को मिलने वाली सैलरी के अंतर को लेकर है ईटी की एक रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि प्रस्ताव पर अमल होने के बाद संबंधित कंपनियों के टॉप कर्मचारियों की सैलरी में 100 फीसदी तक इजाफा हो सकता है. दरअसल सरकारी कंपनियों में काम करने वाले टॉप एक्जीक्यूटिव निजी क्षेत्र के अपने समकक्षों की तुलना में कम भुगतान पाते हैं. ऐसे में शीर्ष स्तर पर एक्जीक्यूटिव का पलायन होता है. सरकार को मिला प्रस्ताव सरकारी कंपनियों के साथ टॉप टैलेंट को जोड़कर रखने के लिए है यह प्रस्ताव उन सीपीएसई यानी सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज के लिए है, जिनका टर्नओवर 100 करोड़ रुपये से ज्यादा है. हालांकि 100 करोड़ रुपये से ज्यादा टर्नओवर वाली सरकारी कंपनियों के शीर्ष कर्मचारियों की सैलरी में हाइक कई बातों पर निर्भर करेगी. सैलरी में हाइक परफॉर्मेंस पर बेस्ड होगी और उसका निर्धारण करने में एसेट मनीटाइजेशन, प्रोजेक्ट को पूरा करने की स्पीड, प्रॉफिट जैसे पैरामीटर्स को ध्यान में रखा जाएगा अधिकारियों का कहना है कि पब्लिक एंटरप्राइजेज सेलेक्शन बोर्ड से मिले प्रस्ताव में भी कंपनसेशन बढ़ाए जाने का सुझाव दिया गया है. बोर्ड का कहना है कि लीडरशिप पोजिशन के लिए कैंडिडेट खोजने में उसके सामने मुश्किलें आती हैं. उन्हें दूर करने के लिए सरकारी कंपनियों के शीर्ष पदों के लिए कंपनसेशन को बढ़ाए जाने की जरूरत है. पीएसईबी के अनुसार, पैकेज उतने आकर्षक होने चाहिए कि उससे सही उम्मीदवार आकर्षित हो पाएं संबंधित प्रस्ताव को बजट पेश होने से पहले आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी के पास भेजा जा सकता है. उसके बाद कैबिनेट कमिटी प्रस्ताव के ऊपर विचार करेगी. वित्त वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट इसी महीने पेश होने वाला है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में अंतरिम बजट पेश किया था. चुनावी साल के चलते उस समय अंतरिम बजट आया था. अब पूर्ण बजट आने वाला है
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चीन को अमेरिका के सबसे बड़े दुश्मन देश क्यूबा में जासूसी के लिए अक अड्डा मिल गया है, जहां से वह अमेरिका की गतिविधियों पर नजर रख सकेगा. क्यूबा में रूसी परमाणु पनडुब्बियों की मेजबानी के बाद इस बात का पता चला है कि चीन अमेरिका की जासूसी करने में सक्षम क्यूबा में एक नया रडार साइट बना रहा है. चीनी रडार सिस्टम अमेरिका के ग्वांतानामो बे नौसैनिक अड्डे के पास है, इसे अमेरिकी नौसेना ऑपरेट करती है. इस नए रडार साइट के शुरू होने के बाद चीन अमेरिकी युद्धपोतों, एयरक्राफ्ट कैरियर और परमाणु पनडुब्बियों पर निगाह रखने में सक्षम हो जाएगा. इसके अलावा वह अमेरिकी ग्वांतनामो बे नौसैनिक अड्डे पर होने वाली हर गतिविधि पर नजर रख सकेगा क्यूबा की नई रडार साइट की सैटेलाइट तस्वीरों का वॉशिंगटन थिंक टैंक, सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) ने विश्लेषण किया है. CSIS के मुताबिक, क्यूबा की निगरानी क्षमताओं में यह नवीनतम अपग्रेड है. नई रडार साइट चालू होने के बाद क्यूबा के लिए शक्तिशाली उपकरण साबित हो सकता है. यह अमेरिकी वायु सेना और नौसेना की समुद्री गतिविधियों की निगरानी करने में सक्षम होगा. CSIS ने क्यूबा की रडार फैसिलिटी को अत्यधिक आधुनिक बताया है, जो अमेरिकी उपग्रहों के डेटा को इंटरसेप्ट कर सकता है. साथ ही यह अमेरिकी रेडियो ट्रैफिक की निगरानी भी कर सकेगा CSIS की रिपोर्ट में बताया गया है कि फ्लोरिडा में ही केप कैनावेरल में प्रमुख अंतरिक्ष प्रक्षेपण परिसर है. सीएसआईएस ने इस रिपोर्ट को 'सीक्रेट सिग्नल: डिकोडिंग चाइनाज इंटेलिजेंस एक्टिविटी इन क्यूबा' नाम दिया है. इसी जगह पर अमेरिका के दक्षिणी कमान और सेंट्रल कमान दोनों का मुख्यालय है. ऐसे में अमेरिका केई पनडुब्बी और अन्य सैन्य अड्डे भी इसी जगह पर हैं. क्यूबा का नया सेंटर साल 2021 से सैंटियागो डे क्यूबा के पूर्व में एल सलाओ के पास बनाया जा रहा है. रिपोर्ट में बताया गया है कि बेस में लगभग 130 से 200 मीटर के व्यास के साथ एक गोलाकार एंटीना लगा है, जो 3 हजार से लेकर 8 हजार समुद्री मील के संकेतों को ट्रैक कर सकता है सीएसआईएस ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि क्यूबा के दूसरे सबसे बड़े शहर सैंटियागो से 73 किलोमीटर पूर्व में स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डों का चीनी सेंटर आसानी से निगरानी कर सकेगा. हालांकि, सीएसआईएस की रिपोर्ट में किए गए दावे का क्यूबा के उप विदेश मंत्री, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता और अमेरिका में चीनी दूतावास ने खंडन किया है
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उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के नये चुनाव को लेकर एक आम सभा की वैठक एनेक्सी मीडिया सेन्टर में 4 बजे आहूत की गई इस वैठक में 90 राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार (सदस्य) उपस्थित हुये । वैठक ने कोरम पूरा करते हुये सर्वसम्मत से एक प्रस्ताव पारित कर निर्णय लिया कि समिति के नये चुनाव की जल्द से जल्द घोषणा की जाये। एक चुनाव हो इसके लिये प्रस्ताव में कहा गया कि निर्वतमान कमेटी की कल 2 जुलाई को बुलाईं गई पदाधिकारियो की वैठक में आम सभा द्वारा दी गई तारीख 28 जुलाई 4 अगस्त 9 अगस्त 11 अगस्त की इन तारीखो में से कोई एक तारीख नये चुनाव के लिये घोषित कर आम सभा को सूचित किया जाये।अगर इन तारीखो में से किसी एक तारीख में चुनाव नही कराये गये तो उसके तीन दिन बाद आम सभा को मिले अधिकार से नये चुनाव घोषित कर दिये जायेगे।वैठक में मौजूदा मान्यता प्राप्त सदस्यो की संख्या का 10 प्रतिशत सदस्यो की संख्या से अधिक लोग उपस्थित थे जो आम सभा के कोरम को पूरा करता है। आज की वैठक में 8 पूर्व पदाधिकारी भी मौजूद थे।आम सभा की वैठक की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर ने की।वैठक का संचालन प्रभात कुमार त्रिपाठी ने किया। वरिष्ठ पत्रकारों में भास्कर दुबे, मनोज मिश्रा, शेखर श्रीवास्तव, अनिल अवस्थी, आकाश शेखर शर्मा, अजय श्रीवास्तव , विश्व देव , अशोक मिश्रा, श्रीधर अग्निहोत्री , नीरज श्रीवास्तव, आलोक त्रिपाठी, शशि नाथ दुबे भारत सिंह अजय वर्मा पवन गुप्ता रतिभान सिंह, राजेंद्र गौतम अजीत सिंह शेखर पंडित सहित काफी संख्या में पत्रकार मौजूद रहे। महिलाओं में कौसर जहां ,तमन्ना फरीदी , दया बिष्ट , रितेश फोटोग्राफर ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
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इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब के प्रतिनिधिमंडल ने पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर क्लब के संस्थापक/संयोजक विरेन्द्र पाठक के नेतृत्व में एडीजी जोन प्रयागराज भानु भास्कर से मुलाकात की और ज्ञापन सौंपा। इस पर पत्रकारों की सुरक्षा के साथ उनका उत्पीड़न न किए जाने का आश्वासन दिया। पत्रकारों द्वारा दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप माफिया द्वारा अवैध कब्जा खाली कराया जा रहा है। किंतु माफिया के गुर्गे, कुछ पुलिस वालों की मिली भगत के जरिए पुन: जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं। अगर इसका समाचार चलता है, तो वह पत्रकारों के खिलाफ फर्जी शिकायतें करते हैं। ऐसी ही एक घटना विगत दिनों गौस नगर करेली 12 मार्किट में हुई। कब्जे का समाचार जब चैनल पर चला तो कतिपय पुलिस वालों से सांठ-गांठ कर दलालों ने पत्रकार के खिलाफ झूठी शिकायत की। पत्रकारों ने उच्च अधिकारियों से मांग की कि बिना नाम वाली शिकायतों की जांच कराई जाए कि आखिर यह पुलिस और पत्रकारों को परेशान करने के लिए कौन शिकायत कर रहा है। साथ ही उन उन भ्रष्ट पुलिस वालों की भी जांच की जाए जिनका गठजोड़ अवैध कब्जा करने के साथ, बस अड्डा, खनन और पासर गैंग से है। इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। पत्रकारों ने एडीजी जोन को यह भी बताया कि एक साजिश के तहत दलाल और भ्रष्ट पुलिस वाले फर्जी शिकायतें कर रहे हैं, और फिर मामला सुलझाने के नाम पर पैसा वसूल रहे हैं। इस काम में मीडिया की आड़ लेकर कुछ लोग भी शामिल है।सनद रहे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब की बैठक में इन साजिशों के खिलाफ पुलिस प्रशासन के उच्च अधिकारियों के साथ उत्तर प्रदेश सरकार तक यह बात पहुंचाने का निर्णय लिया गया। कि किस तरह से तथाकथित मीडिया की आड़ में दलाल और भ्रष्ट पुलिस वाले सरकार की छवि खराब कर रहे हैं। धड़ल्ले से माफियाओं से खाली कराई गई जमीन पुन: कब्जा किया जा रहा है। ज्ञापन और मांग करने वाले लोगों में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब के अध्यक्ष दिनेश तिवारी, पूर्व अध्यक्ष संदीप तिवारी, पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र गुप्ता, राजेश मिश्रा, सैय्यद मोहम्मद आमिर, शैलेश कुमार यादव, आरव भरद्वाज, प्रवीण मिश्रा, मोहम्मद लईक, विकास मिश्रा, रंजीत निषाद, नीतीश सोनी, धीरज कुमार, आशीष भट्ट, आयुष श्रीवास्तव, पंकज शुक्ला, सलाउद्दीन उमर, शायमु कुशवाहा, अभिनव केशरवानी, कुलदीप शुक्ला, टी के पांडेय, शिशिर गुप्ता, शकील खान,आदि लोग मौजूद थे।
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हाथरस के हादसे के बाद बाबाओं पर हमला शुरू हो गया। कुछ लोगों ने बाबाओं को फ्रॉड बताया, मज़मेबाज़ कहा। लेकिन तब तो हर तरह का मज़मेबाज़ एक बाबा ही हुआ। चाहे वह कपिल शर्मा हो या कोई राजनेता। भोले बाबा चूँकि जाटव बिरादरी से हैं इसलिए ब्राह्मण, ठाकुर, यादव पिल पड़े कि एक दलित बाबा कैसे बन गया। यदि बाबाओं की निंदा करनी है तो बागेश्वर से शुरू करो। ख़ैर बाबाओं की सभा में जुटती भीड़ पर सबसे अच्छा लिखा लक्ष्मी शर्मा ने। आप भी पढ़ें- “आसाराम हो, रामपाल या हाथरस का बाबा, इन की सबसे ज्यादा भक्त स्त्रियां ही होती हैं.इसके पीछे हमारे सामाजिक बन्धनों में जकड़ी स्त्रियों का मनोविज्ञान सबसे ज्यादा काम करता है घर में नौकरों की तरह काम, दोयम क्या अंतिम दर्जे का स्थान, वजह-बेवजह अपमान और सौ-सौ बंदिशों में घुट रही स्त्री के लिए बाबा की संगति वो स्पेस है जहाँ वे मुक्त और स्वायत्त अनुभव करती हैं. एक मर्द जिसके साथ मुक्त भाव से हँस-गा लेती हैं, लोक-लाज के डर से बरी उन्मुक्त भाव से नाच लेती हैं. इस भय से भी मुक्त कि कोई उन्हें फ्लर्ट करता है और वे भी खुले-खिले दिल से किसी को चार्म करती हैं, बिना परिजनों के डर के.कि बाबा ही सही एक मर्द है जो उन्हें सुंदर कहता है, अच्छी कहता है, उनकी बात सखा भाव से सुनता है. उन्हें रिजेक्ट करने या झिड़कने की बजाय प्रेम से अपनाता है. उन्हें प्रेम के बन्धन में बंधने की जगह प्रेम में मुक्ति की राह दिखाता है.दुनिया भर के बाबाओं की फेन फॉलोइंग का ये एक कड़वा लेकिन बहुत बड़ा सच है. हमारी सामाजिक जकड़नों से उपजी विसंगतियों का सच.”
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लोकसभा चुनाव 2024 की मतगणना के समय इंडिया टीवी की डिबेट में बैठीं कांग्रेस प्रवक्ता रागिनी नायक ने रजत शर्मा पर आरोप लगाया था कि उन्होंने प्रवक्ता को गाली दी है. इस गाली की वीडियो क्लिप रागिनी नायक ने ट्वीट की थी. इस ट्वीट को लेकर एकल न्यायालय ने सात दिों के भीतर हटाने का निर्देश जारी किया था. ट्विटर (अब एक्स) ने आज बुधवार अदालत के उस आदेश को लेकर हाईकोर्ट का रुख किया, जिसमें कांग्रेस नेताओं रागिनी नायक, जयराम रमेश औप पवन खेड़ा द्वारा किए गए ट्वीट को हाने का निर्देश दिया है. इस ट्वी में आरोप लगाया गया है कि इंडिया टीवी के चेयरमैन और एडिटर इन चीफ रजत शर्मा ने चुनाव रिज्लट वाले दिन एक शो के दौरान गाली का इस्तेमाल किया था एक्स की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट राजशेखर राव ने एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को बताया कि सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म इस बात से व्यथित है कि एकल न्यायाधीश ने शर्मा के मानहानि के मुकदमे में निषेधाज्ञा आवेदन को एकतरफा स्वीकार कर लिया उन्होंने कहा कि एक्स कॉर्प इस खेल में शामिल नहीं है लेकिन चिंता इस बात को लेकर है कि एकल न्यायाधीश ने विवादित आदेश कैसे पारित किया इस पर एक्टिंग चीफ जस्टिस ने मौखिक रूप से कहा कि मध्यस्थ होने के नाते एक्स को न्यायिक आदेश का पालन करना होगा. पीठ ने आगे कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार क्षेत्र पूरी तरह से क्षेत्रीय कानूनों के बारे में है, जो अदालतों के सामने एक बड़ी चुनौती है. अदालत ने यह भी कहा कि वह एक्स कॉर्प के अधिकार क्षेत्र के बारे में थोड़ा चिंतित है और यह मध्यस्थ की तरह व्यवहार नहीं कर रहा है न्यायालय ने साफतौर पर कहा कि एकल न्यायालय का आदेश अंतरिम आदेश है तथा निषेधाज्ञा आवेदन पर एकल न्यायाधीश द्वारा 11 जुलाई को सुनवाई और निपटारा किया जाएगा
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लखनऊ में सहारा इंडिया के ठिकाने पर ईडी का छापामार अभियान जारी है. यह छापेमारी ईडी की कोलकाता यूनिट द्वारा की जा रही है. रेड में लखनऊ यूनिट के भी कुछ अधिकारी शामिल हैं इनपुट है कि ये पूरा मामला कोलकाता की चिटफं कंपनी में कथित तौर पर हुए घोटाले से जुड़ा है. जिसे लेकर लखनऊ के कपूरथला स्थित सहारा के हेड ऑफिस में रेड चल रही है रेड के दौरान ऑफिस में मौजूद कर्मचारियों के मोबाइल फोन ED के अधिकारियों ने जब्त कर लिए हैं कहा जा रहा है कि ईडी की टीम ने ऑफिस को सील कर दिया है और किसी को भी ऑफिस में आने या ऑफिस से बाहर जाने नहीं दिया जा रहा है. ईडी के अधिकारी ऑफिस में दस्तावेजों को खंगालने में जुटे हुए हैं ईडी टीम के एक अधिकारी ने बताया कि यह कार्रवाई कोलकाता की चिटफंड कंपनी घोटाले से जुड़ी है. चिटफंड कंपनी के तार साहार ग्रुप से जुड़ रहे हैं. इसमें जनता की गाढ़ी कमाई के करोड़ों रुपये डकार लिए जाने की बात सामने आ रही है
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सेटेलाइट चैनल जनता टीवी के रिपोर्टर आमिर ने अपने चैनल पर एक खबर चलाई। हुआ यूं कि 14 अक्टूबर 2023 को भू माफियाओ से करेली में छुड़ाई गई संपत्ति पर सांठ-गांठ करके अतीक के गुर्गों ने फिर कब्जा कर अवैध प्लाटिंग शुरू कर दी है। बाउंड्री पर किसका कब्जा है यह भी लिखा गया। जब खबर चली तो हंगामा हो गया। कुछ दलाल (पत्रकारिता की आड़ में पुलिस से साथ गांठ करने वाले लोग) परेशान हो गए 20 जून को कीडगंज थाने से आमिर के पास एक फोन पहुंचता है कि आईटी एक्ट के मामले में अपना बयान दर्ज करा दें आमिर को थाने में रोक लिया गया। आमिर के साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब से जुड़े कुछ पत्रकार भी गए थे। जब उन्हें पुलिस की मंशा ठीक नहीं लगी तो दबाव देकर जानना चाहा कि क्या मामला है। कहा गया ऊपर से आदेश है। दोपहर से शाम 4:00 बज गया। बाद में पुलिस ने कहा कि शांति भंग की आशंका में 151 में इनका चलान कर दिया गया है। चालान बड़ी बात नहीं है, न्यायालय से जमानत मिल जाएगी पुलिस की मंशा ठीक नहीं थी। यह समझकर आमिर के साथ गए के कई पत्रकारों ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब के संयोजक वरिष्ठ पत्रकार ANI के ब्यूरो चीफ वीरेन्द्र पाठक को यह सूचना दी बहरहाल, जिले के आला अधिकारी फोन उठा नहीं रहे थे। न्यायालय में इंतजार हो रहा था कि रिपोर्टर को पेश कर कानूनी कार्रवाई पूरी की जाए और आमिर की जमानत ले ली जाए। जिससे उसे जेल न जाना पड़े। क्लब के कुछ सदस्य अधिवक्ता आदि न्यायालय में खड़े थे, इसे जानकर पुलिस पहले बेल ले गई। फिर उसको हर चौराहे पर घूमाती रही, टाइम जाया करती रही। पत्रकार साथी पुलिस के साथ लगे थे। बराबर मोमेंट कैमरे में कैद हो रहा था आपको याद हो, इसी तरह सोशल मीडिया पर काम करने वाले एक व्यक्ति को उठाकर जेल भेज दिया गया था। पुलिस की मंशा भांपकर संयोजक दबाव बढ़ाने लगे। न्यायालय में कई पत्रकार साथी, अधिवक्ताओं की टीम लगी रही। बात इलाहाबाद के हाईकोर्ट से संबंधित कुछ लोगों और लखनऊ में उच्च अधिकारियों तक पहुंचने लगी पुलिस कमिश्नरेट न्यायालय में पत्रकार साथी और अधिवक्ता खड़े हैं। यह जानकर आमिर को धोबी घाट चौराहे पर ले जाकर रोका गया। कार्यालय के बाबू कागज लेकर धोबी घाट चौराहे पहुंचे और वहां से उनका एक दिन का चालान कर दिया गया। पुलिस ने अपनी ताकत का इस्तेमाल किया। जबकि पैरवी करने वालों को पुलिस के सर्वोच्च अधिकारी यह कहते रहे कि बेल हो जाएगी जेल नहीं भेजा जाएगा। पुलिस द्वारा आमिर को जेल ले जाया जाने लगा। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के संयोजक वीरेन्द्र पाठक ने उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य जी को भी यह जानकारी दी। जिससे उपमुख्यमंत्री नाराज हुए। हालात ऐसे बन गए कि चालान काटने के बाद 20 जून की रात 8:00 बजे कीडगंज पुलिस को नैनी जेल के पहले वापस आना पड़ा और आमिर की बेल दे दी गई उधर यह खबर आती रही कि ऊपर से दबाव है हर हालत में जेल भेजना है! इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब ने अपने सदस्य आमिर को जेल जाने से बचा लिया। 20 जून को पुलिस और पत्रकारों के बीच एक रस्साकसी चल रही थी जिसमें अंततः सच की जीत हुई। यह हार सही मायनो में उन दलाल पत्रकारों की है जो बस अड्डे, जुआ के अड्डे, खनन माफिया, भू माफिया से पैसा वसूलते हैं, झूठी एफआईआर दर्ज कर लोगों से पैसा वसूलते हैं पिछले मार्च माह से अलग-अलग थानों में बिना नाम और पते वाली शिकायतें कुछ पत्रकारों के विरुद्ध की गई हैं। जिसका कोई आधार नहीं था। यह काम मीडिया की आड़ लेकर दलाल कर रहे हैं। इस पर क्लब द्वारा कार्यवाही की जा रही है क्लब के अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार श्री दिनेश त्रिपाठी ने इस मामले में लखनऊ तक पूरी बात ले जाने संबंधित पुलिस कर्मियों की करतूत को बताने की बात कही है जिससे यह स्पष्ट हो सके कि माफिया के दलाल पुलिस से और मीडिया की आड़ में किस तरह का खेल खेल रहे हैं। अगर आप पत्रकार हैं और आपके खिलाफ भी इसी तरह की कोई साजिश रची जा रही हो तो कृपया अवगत कराएं। डाटा संकलन कर कार्रवाई के लिए भेजा जाएगा पुलिस ने कुछ अच्छे काम भी किए हैं। मीडिया की आड़ में वसूली कर रहे लोगों के खिलाफ कार्यवाही भी की है जिनका स्वागत है।
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जाँच के दौरान सीबीआई ने एहसान उल हक और इम्तियाज आलम के साथ-साथ हजारीबाग के दो पत्रकारों- मोहम्मद जमालुद्दीन और मोहम्मद सलाउद्दीन को भी ट्रैक किया था। इसमें एक पत्रकार जमालुद्दीन को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है। जमालुद्दीन झारखंड के एक हिंदी दैनिक अखबार से जुड़ा है। पेपर लीक मामले पर एहसान की जमालुद्दीन और सलाउद्दीन से लगातार बातचीत होती रहती थी। सीबीआइ को जानकारी मिली कि नीट परीक्षा के तत्काल बाद एहसान उल हक विदेश घूमने गया था और करीब एक सप्ताह तक इंडोनेशिया के बाली में था। परीक्षा के पहले और बाद के उसके फोन डिटेल में बिहार से भी कनेक्शन मिला है। पेपर लीक कराने वाले गिरोह ने हजारीबाग में कई कोचिंग संचालकों से मोटी रकम लेकर प्रश्न पत्र उपलब्ध कराए थे। इनमें एक प्रोफेसर की भूमिका भी संदिग्ध है NEET पेपर लीक मामले में CBI की कार्रवाई जारी है। सीबीआई ने शुक्रवार (28 जून) की शाम को शुक्रवार (28 जून) को झारखंड के हजारीबाग से ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल एहसान उल हक, वाइस प्रिंसिपल इम्तियाज आलम और पत्रकार जमालुद्दीन को गिरफ्तार किया है। इसके पहले चार और आरोपित पकड़े गए हैं। सभी आरोपितों को CBI प्लेन से दिल्ली लाने की तैयारी में है जाँच के दौरान सीबीआई ने एहसान उल हक और इम्तियाज आलम के साथ-साथ हजारीबाग के दो पत्रकारों- मोहम्मद जमालुद्दीन और मोहम्मद सलाउद्दीन को भी ट्रैक किया था। इसमें एक पत्रकार जमालुद्दीन को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है। जमालुद्दीन झारखंड के एक हिंदी दैनिक अखबार से जुड़ा है। पेपर लीक मामले पर एहसान की जमालुद्दीन और सलाउद्दीन से लगातार बातचीत होती रहती थी सीबीआइ को जानकारी मिली कि नीट परीक्षा के तत्काल बाद एहसान उल हक विदेश घूमने गया था और करीब एक सप्ताह तक इंडोनेशिया के बाली में था। परीक्षा के पहले और बाद के उसके फोन डिटेल में बिहार से भी कनेक्शन मिला है। पेपर लीक कराने वाले गिरोह ने हजारीबाग में कई कोचिंग संचालकों से मोटी रकम लेकर प्रश्न पत्र उपलब्ध कराए थे। इनमें एक प्रोफेसर की भूमिका भी संदिग्ध है CBI और पुलिस के मुताबिक, 3 मई को NEET के प्रश्न पत्र कूरियर एजेंसी ब्लू डार्ट के हजारीबाग नूतन नगर सेंटर से बैंक ले जाने की बजाय पहले ओएसिस स्कूल लाए गए। इसके बाद यहाँ से बैंक भेजे गए थे। माना जाता है कि ओएसिस स्कूल में ही पेपर का पैकेट खोला गया था। ये सभी सरगना संजीव मुखिया से जुड़े बताए जा रहे हैं। मुखिया का गैंग पेपर के बॉक्स का सील तोड़ने में माहिर है
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बदलते डिजिटल युग में पत्रकारिता का पूरा स्वरूप ही बदल गया है, मोजो जर्नलिज्म के चलन से पत्रकारिता का ताना-बाना पूरी तरह बदल गया है और इस इंटरनेट के दौर में एफ-एम रेडियो, मोबाईल मीडिया जैसे वैकल्पिक माध्यम हमारे जीवन के अंग बनते जा रहे हैं। इस बदलते मीडिया के रेडियो पत्रकारिता क्षेत्र में जमशेद भाई का अपना एक खासा रंग भी जम गया है। पत्रकारिता में खबरों के साथ तस्वीर ना हो तो खबर मुकम्मल नहीं बनती इसीलिए शायद यह कहा जाता है की एक तस्वीर हजार शब्दों की खबर बयान करती है लेकिन जमशेद भाई की रेडियो पत्रकारिता एक अलग तरह की पत्रकारिता है जिसमें तस्वीर नहीं होती, कागज़ पर बिखरे अल्फ़ाज़ नहीं होते, ऐसे में जमशेद रेडियो पर अपने शब्दों से एक पूरी कहानी बनाते है और उसी कहानी से पूरी तस्वीर बन जाती है जिसे सुनने वाले मंत्रमुग्ध होकर सुनते रहते है और श्रोताओं के ज़हन में जमशेद की जादुई आवाज़ पूरी ख़बर का सजीव चित्रण बना देती है, जैसे महाभारत में धृतराष्ट्र को संजय पूरे युद्ध का हाल सुनाते थे और धृतराष्ट्र को युद्ध के साक्षात दर्शन हो जाते थे, उसी भूमिका में जमशेद खबरों का हाल बयान करते है महाभारत की कथा से इस बात की पुष्टि होती है कि रेडियो पत्रकारिता का चलन हमारे देश मे कितना पुराना है लेकिन रेडियो पत्रकारिता भी आज के हालात का शिकार हो गयी है, जिस तरह पूरे देश का मीडिया एक बुरे दौर से गुजर रहा है उससे रेडियो जगत की पत्रकारिता पर भी काफी असर पड़ा है, लोकल लेवल के ब्रॉडकास्ट होने वाली खबरों के प्रोग्राम पर रोक लग गई हैं और रेडियो से जुड़ी पत्रकारिता खतरे में है इन हालातों को देखकर लगता है कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ जिसे मीडिया के नाम से जाना जाता है आज अपने जीर्ण शीर्ण हालातों में पहुंच चुका है और इस चौथे स्तंभ को मरम्मत की ठीक ठाक ज़रूरत है, अगर वक़्त रहते इस स्तंभ को नही बचाया गया तो ये इमारत ढह जाएगी। जिस तरह सरकारी मदद से पुरातत्व विभाग किसी ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए उस धरोहर की मरम्मत और रंग रोगन लगाकर उसे एक नया जीवन दान देता है आज मीडिया जगत को भी बचाने के लिए मोदी सरकार को कुछ वैसा ही करने की ज़रूरत है 80 करोड़ देशवासियों को भोजन इत्यादि की जो व्यवस्था की गई है वो मोदी सरकार की दूरगामी सोच का परिणाम है लेकिन 80 करोड़ देशवासियों के साथ साथ समाज के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकार वर्ग के लिए अगर कुछ नही किया गया तो ये इमारात धाराशाई हो सकती है। आज इस मौके पर सभी साथियों ने मोदी और योगी सरकार से अपील की है कि देश की मीडिया से जुड़े लोगों के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा कर इस धरोहर को बचाने की पुरजोर कोशिश की जानी चाहिए ।
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सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा खुफिया तौर पर ऐसे पत्रकारों के संबंध में जानकारी एकत्रित की जा रही है जिनका पत्रकारिता से कोई लेना देना नहीं है परंतु राज्य मुख्यालय की मान्यता प्राप्त करके लोक भवन एवं सचिवालय के प्रेस रूम में बैठकर ऊंट पटांग और ऊलजलूल व्याख्यान में लगे रहते हैं लेखन शैली से ना तो उनका कोई संबंध है और ना ही कोई खबरों से ताल्लुक केवल अपनी भाषा शैली और ऊंची आवाज में बोलकर साथी पत्रकारों को प्रभावित करके परिवार के नाम से दर्जनों अखबार निकाल कर दुकान चलाई जा रही है एक तरफ जहां मीडिया क्षेत्र में खांटी पत्रकारों के लिए आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है वही ऐसे तथाकथित पत्रकार जिनके द्वारा अपने परिवार के नाम पर दर्जनों समाचार पत्र का प्रकाशन किया जा रहा है उनके विज्ञापन के लिए सुबह से लोक भवन एवं सूचना निदेशक के कक्ष के बाहर तंबू गाड़ दिया जाता है और उनके अधीनस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों के सम्मुख ऊंची आवाज में बकलोल करने का कार्य शुरू कर दिया जाता है जिसके चलते अभी हाल ही में सूचना निदेशक को अप्रिय घटना का सामना करना पड़ा और एक खास बकलोल टाइप के पत्रकार जिन्होंने अभी हाल ही में जेल की यात्रा का अपना स्वर्णिम इतिहास लिखा है अपनी बकलोल के चलते सूचना विभाग के निदेशक को शर्मसार कर दिया यही नहीं भोजपुरी फिल्मों के निर्माता निर्देशक का परिवार आए दिन सूचना परिसर और लोकभवन परिसर में अपनी बकलोल के चलते ख्याति प्राप्त है उच्च अधिकारियों के सम्मुख दंडवत प्रणाम करने वाला यह बकलोल पत्रकार कमरे के बाहर निकलते ही बड़ी-बड़ी डींगें हांकने लगता है और ऊंची आवाज में साथी पत्रकारों को अपशब्द भी बोलते सुना जाता है एवं सूचना विभाग कर अधिकारियों को दलाल बताने लगता है जिसके डर से सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारी कर्मचारी इसके समाचार पत्र को विज्ञापन ही नहीं देते बल्कि नियम विरुद्ध इसके पूरे परिवार की राज्य मुख्यालय की मान्यता प्रदान की गई है ऐसे बकलोल पत्रकारों कि राज्य मुख्यालय की मान्यता समाप्त नहीं की गई तो आने वाले वक्त में बकलोल पत्रकारों की मांग बढ़ाते जाएगी और उनकी देखा देखी अन्य पत्रकार भी बकलोल करने पर उतारू हो जाएंगे बकलोल कोई शिक्षित परिवार या किसी संस्कारी परिवार के गुण नहीं होते बल्कि सड़क छाप आम बाजरो चलन की भाषा शैली है और समाज से तिरस्कृत,अपेक्षित ही बकलोल करता दिखाई देता है । पूर्व में एक अनपढ़ पत्रकार की बकलोल के किस्से प्रेस रूम में विख्यात है जिसके द्वारा अपनी बकलोल के माध्यम से अधिकारियों को डरा धमका कर समाजवादी सरकार में लाखों करोड़ों का विज्ञापन का व्यापार किया गया और उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल करके अपना डर का माहौल व्याप्त कर दिया था परंतु इस हकीकत को कोई झूठ नहीं सकता कि आज दुनिया से जाने के बाद ना तो वह दौलत काम आयी और ना ही उस बकलोल का कोई साथी झांकने गया और ना ही कोई आखिरी वक्त में बाराती दिखाई देते है
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पत्रकारों के साथ अभद्रता करना डीएसपी ट्रैफिक कौशल किशोर को भारी पड़ गया. धक्का-मुक्की और गालीगलौज के बाद जिले के दर्जनों पत्रकारों ने डीआईजी और एसपी से मिलकर कार्रवाई करने की मांग की है बताया जा रहा है कि बीते दिनों पूर्णिया में बतौर डीएसपी ट्रैफिक कौशल किशोर व सब इंस्पेक्टर वीरेंद्र कुमार सिंह द्वारा कई पत्रकारों को गाली-गलौज और धक्का मुक्की करने की घटना सामने आई थी. इसे लेकर प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के प्रतिनिधियों ने डीआईजी तथा एसपी से मुलाकात की है शिकायतकर्ताओं में प्रेस क्लब पूर्णिया के अध्यक्ष नंदकिशोर सिंह, दैनिक जागरण के प्रभारी राजीव कुमार, प्रबात खबर के प्रभारी अरुण कुमार, प्रेस क्लब पूर्णिया के सचिव प्रशांत चौधरी, डीडी वन बिहार एवं पीटीआई के रिपोर्टर स्मिथ कुमार और भास्कर डिजिटल के पत्रकार आकाश कुमार मौजूद रहे बातचीत के बाद प्रेस क्लब अध्यक्ष नंदकिशोर ने बताया कि डीआईजी द्वारा सारी बातों को सुनने के बाद कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है. इसके लिए डीएसपी पुष्कर कुमार को जांच सौंपी गई है
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भारतीय बंदरगाहों से लेकर उर्जा कारोबार तक झंडा गाड़ने के बाद गौतम अडानी की नजरें अब देश के डिफेंस सेक्टर पर टिक गई हैं. अडानी ग्रुप डिफेंस सेक्टर में बड़ा धमाका करने की तैयारी में जुट गया है ग्रुप की कंपनी अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस, भारतीय वायु सेना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाने वाले रूद्र और प्रचंड हेलीकॉप्टरों के लिए 70 एमएम रॉकेट बनाएगी. कंपनी ने इसके लिए शुक्रवार 28 जून 2024 को फ्रांस के थेल्स ग्रुप के साथ एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए बता दें कि दोनों ग्रुपों के बीच यह पार्टनरशिप मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत हुई बताई जा रही है मूह के लिए सौर उपकरणों की एक मजबूत और स्वदेशी आपूर्ति श्रंखला बनाने में मदद कर सकते हैं कंपनी ने अपने प्रस्तुतीकरण में आठ विदेशी साझेदारों का उल्लेख किया है. ये सभी चीन से जो मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) और आपूर्ति श्रंखला विक्रेता बताए गए हैं अब जब प्रधानमंत्री मोदी चीन को लाल आंखें दिखाकर डरा ही चुके हैं तो जाहिर सी बात है इन तीस चीनी इंजीनियरों की नियुक्ति का आदेश जल्द ही अडानी समूह के लिए जारी किया जा सकता है वैसे भी सरकार के पास अडानी और अपनी कुर्सी सलामत रखने के अलावा दूसरा कोई काम भी तो नहीं है
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इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने अदालती कार्यवाही की रिपोर्टिंग कर रहे एक पत्रकार को मोबाइल बंद करने और तुरंत न्यायालय परिसर से बाहर निकल जाने का आदेश दिया. पत्रकार की पहचान ‘लाइव लॉ’ के एसोसिएट एडिटर स्पर्श उपाध्याय के रूप में हुई है स्पर्श अदालत की कार्यवाही में मौजूद एकमात्र पत्रकार थे जो अपने मोबाइल फोन से लाइव लॉ के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लाइव पोस्ट अपडेट कर रहे थे. न्यायमूर्ति आलोक माथुर और न्यायमूर्ति अरुण रुमार सिंह देशवाल की पीठ ने उन्हें यह कहते हुए निकाल दिया कि, आप बाहर जाकर अपनी रिपोर्टिंग करिए इस तरह की घटनाओं से, अदालतों की उन दलीलों पर कहीं न कहीं सवाल जरूर खड़ा होता है, जिसमें अदालत प्रेस की स्वतंत्रता पर जोर देती है. ऐसी घटनाएं न सिर्फ मीडिया पर अंकुश लगाने बल्कि जनता के भरोसे और जवाबदेही को खत्म करने का जोखिम भी पैदा करती हैं बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में इन दिनों रायबरेली लोकसभा सीट से सांसद के रूप में राहुल गांधी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है. जिसकी रिपोर्टिंग करते हुए पत्रकार को बाहर निकाल दिया गया
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इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने अदालती कार्यवाही की रिपोर्टिंग कर रहे एक पत्रकार को मोबाइल बंद करने और तुरंत न्यायालय परिसर से बाहर निकल जाने का आदेश दिया. पत्रकार की पहचान ‘लाइव लॉ’ के एसोसिएट एडिटर स्पर्श उपाध्याय के रूप में हुई है स्पर्श अदालत की कार्यवाही में मौजूद एकमात्र पत्रकार थे जो अपने मोबाइल फोन से लाइव लॉ के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लाइव पोस्ट अपडेट कर रहे थे. न्यायमूर्ति आलोक माथुर और न्यायमूर्ति अरुण रुमार सिंह देशवाल की पीठ ने उन्हें यह कहते हुए निकाल दिया कि, आप बाहर जाकर अपनी रिपोर्टिंग करिए इस तरह की घटनाओं से, अदालतों की उन दलीलों पर कहीं न कहीं सवाल जरूर खड़ा होता है, जिसमें अदालत प्रेस की स्वतंत्रता पर जोर देती है. ऐसी घटनाएं न सिर्फ मीडिया पर अंकुश लगाने बल्कि जनता के भरोसे और जवाबदेही को खत्म करने का जोखिम भी पैदा करती हैं बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में इन दिनों रायबरेली लोकसभा सीट से सांसद के रूप में राहुल गांधी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है. जिसकी रिपोर्टिंग करते हुए पत्रकार को बाहर निकाल दिया गया
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यूपी के अंबेडकर नगर में एक पत्रकार को गोली मारे जाने की खबर सामने आई है. घटना गुरुवार देर शाम की है और पत्रकार स्थिर हालात में अस्पताल में भर्ती है जानकारी के मुताबिक राजेसुल्तानपुर थाना क्षेत्र के गांव जयसिंहपुर के रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार मौर्या देर शाम अपने घर जा रहे थे. इसी दौरान रास्ते में घात लगाकर बैठे करीब आधा दर्जन की संख्या में लोगों ने उनका रास्ता रोक लिया, इसके बाद पत्रकार पर कई फायर झोंक दिए. गोली पत्रकार के बाएं पांव की जांघ में लगी है सूचना पर पहुंची पुलिस ने पत्रकार राजकुमार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जहांगीरगंज पहुंचाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया थानाध्यक्ष विजय तिवारी ने बताया कि मामले में छानबीन की जा रही है. मामले को आपसी रंजिश से भी जोड़कर देखा जा रहा है इनपुट है कि कुछ माह पहले पत्रकार राजकुमार मौर्या के साथ उनके घर पर चढ़ाई कर मारपीट की गई थी. मामला इलाके के ही कुछ लोगों से जुड़ा था. बाद में पुलिस ने थाने में सुलह करा दिया था. लेकिन अब पत्रकार को गोली मारे जाने के बाद पुलिस पर सवाल के साथ चर्चाओं का बाजार भी गर्म है
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यूपी के अंबेडकर नगर में एक पत्रकार को गोली मारे जाने की खबर सामने आई है. घटना गुरुवार देर शाम की है और पत्रकार स्थिर हालात में अस्पताल में भर्ती है जानकारी के मुताबिक राजेसुल्तानपुर थाना क्षेत्र के गांव जयसिंहपुर के रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार मौर्या देर शाम अपने घर जा रहे थे. इसी दौरान रास्ते में घात लगाकर बैठे करीब आधा दर्जन की संख्या में लोगों ने उनका रास्ता रोक लिया, इसके बाद पत्रकार पर कई फायर झोंक दिए. गोली पत्रकार के बाएं पांव की जांघ में लगी है सूचना पर पहुंची पुलिस ने पत्रकार राजकुमार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जहांगीरगंज पहुंचाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया थानाध्यक्ष विजय तिवारी ने बताया कि मामले में छानबीन की जा रही है. मामले को आपसी रंजिश से भी जोड़कर देखा जा रहा है इनपुट है कि कुछ माह पहले पत्रकार राजकुमार मौर्या के साथ उनके घर पर चढ़ाई कर मारपीट की गई थी. मामला इलाके के ही कुछ लोगों से जुड़ा था. बाद में पुलिस ने थाने में सुलह करा दिया था. लेकिन अब पत्रकार को गोली मारे जाने के बाद पुलिस पर सवाल के साथ चर्चाओं का बाजार भी गर्म है
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार (27 जून) को लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने नई सरकार की प्राथमिकताओं को संसद के सामने रखा. उन्होंने कहा कि आज दुनियाभर में भारत में हुए चुनाव की चर्चा हो रही है. दुनिया ने देखा है कि किस तरह से भारत के लोगों ने लगातार तीसरी बार बहुमत के साथ स्थिर सरकार बनाई है. राष्ट्रपति ने जब ये कहा तो इस दौरान विपक्षी सांसदों की तरफ से शोर भी मचाया गया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक बार फिर से एनडीए की सरकार बनी है. अठाहरवीं लोकसभा के गठन के बाद राष्ट्रपति मुर्मू ने पहली बार संयुक्त बैठक को संबोधित किया. नई लोकसभा का पहला सत्र सोमवार से शुरू हुआ. राज्यसभा का सत्र आज से शुरू हो रहा है. राष्ट्रपति ने 18वीं लोकसभा के सभी सभी नव निर्वाचित सदस्यों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि आप सभी लोग देश के मतदाताओं का विश्वास जीतकर आए हैं. आप लोग राष्ट्र प्रथम के तौर पर काम करेंगे राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने अभिभाषण में हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि ये दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था. करीब 64 करोड़ मतदाताओं ने उत्साह और उमंग के साथ अपना कर्तव्य निभाया है. इस चुनाव में सुखद तस्वीर जम्मू-कश्मीर से भी आई है, जहां कश्मीर घाटी में वोटिंग के अनेक दशकों से रिकॉर्ड टूटे. पिछले चार दशक में बंद और हड़ताल को देखा गया, जिससे कम मतदान हुआ. भारत के दुश्मनों ने इसे दुनियाभर में खूब प्रचारित किया.
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भाजपा नेता व पूर्व मंत्री रघुनंदन दास का एक हैरतअंगेज कारनामा सामने आया है. इस कारनामे में मंत्री ने महिला पत्रकार पर कुत्ते छोड़ दिए. महिला पत्रकार ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई मामला भुवनेश्वर का है. यहां बुधवार को महिला पत्रकार चिन्मयी साहू अपनी टीम के साथ पूर्व बीजद विधायक और पार्टी के संगठन सचिव प्रणब दास के आलीशान सरकारी आवास पर चल रही विध्वंस गतिविधियों को कवर करने पहुंची थी शहर में पूर्व बीजद विधायक प्रणव प्रकाश दास को आवंटित किए गए सरकारी मकान में तोड़फोड़ की कवरेज के दौरान उनके पड़ोस में रहने वाले पूर्व मंत्री रघुनंदन दास ने अपने कुत्ते महिला पत्रकार के पीछे दौड़ा दिए.सूत्रों की माने तो प्रणब प्रकाश दास, जिन्हें बॉबी दास के नाम से भी जाना जाता है, को साल 2019 में जाजपुर निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद राजधानी में सरकारी मकान संख्या, VlllMR -1 आवंटित किया गया था मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बाद में बॉबी दास ने बगल के दो और सरकारी मकान पर कब्जा कर लिया. अब इन तीनों की तोड़फोड़ कराकर एक भूमिगत मंजिल सहित चार मंजिला आलीशान महल खड़ा कर रहे हैं. इसकी कीमत करोड़ों में बताई जा रही है 2014 के आम चुनावों में बॉबी दास केंद्रीय शिक्षा मंत्री से संबलपुर लोकसभा सीट हार गए. सूत्रों की माने तो बॉबी दास को सरकारी मकान खाली करना है, इसीलिए बीजद के संगठन सचिव द्वारा ध्वस्तीकरण की गतिविधि की जा रही है. जिसकी कवरेज करने पहुंची महिला पत्रकार पर पड़ोसी पूर्व मंत्री ने कुत्ते छोड़ दिए
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हाई कोर्ट ऑफ मद्रास में पत्रकारों, यूट्यूबर्स और सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामलों को तेजी से निपटाने के लिए स्पेशल बेंच के गठन की मांग संबंधी एक याचिका दायर की गई है मामला कार्यवाहक चीफ जस्टिस आर महादेवन और जस्टिस मोहम्मद शफीक की बेंच में आया तो पीठ ने याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट में ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ लंबित मामलों की संख्या के आंकड़े देने का निर्देश दिया. साथ ही प्रतिवादियों को याचिका का जवाब देने का भी निर्देश दिया गया याचिकाकर्ता एस मुरलीधरन ने आरोप लगाया कि राज्य में सत्तारूढ़ दल किसी भी पत्रकार/यूट्यूबर्स के खिलाफ विंच-हंट कर रहा है और जब भी कोई असहमति की आवाज उठती है तो उनके खिलाफ मामले दर्ज कर दिए जा रहे हैं. उन्होंने तर्क दिया कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की रक्षा की जानी चाहिए और किसी भी प्रकार की चुप्पी को रोका जाना चाहिए. उन्होंने आगे तर्क दिया कि राज्य असहमति जताने वालों के खिलाफ मामले दर्ज कर प्रतिशोध की राजनीति में लिप्त है हाईकोर्ट के वकील ने तर्क दिया कि रोस्टर के मास्टर होने के नाते मुख्य न्यायाधीश के पास किसी भी मामले की सुनवाई के लिए बेंच तय करने का विशेषाधिकार है. उन्होंने कहा कि वर्तमान मामले में रजिस्ट्रार जनरल को प्रतिवादी बनाया गया है.जो केवल प्रशासन का प्रमुख हैऔर रोस्टर तय करने में उसका कोई रोल नहीं है.इस पर न्यायालय ने याचिकाकर्ता से कहा कि, क्या आप हमें आंकड़े दे सकते हैं कि हाई कोर्ट में पत्रकारों के खिलाफ कितने मामले लंबित हैं. हम मामलों का जल्द निपटारा करने के लिए कदम उठा सकते हैं, लेकिन इसके लिए हम विशेष पीठ का गठन नहीं कर सकते. यदि आप कोई आंकड़े देते हैं तो हम अभी भी कुछ कर सकते हैं न्यायालय ने अपने कथन में जोड़ा कि मामले को उचित आदेश के लिए मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखने के लिए प्रार्तना में बदलाव किया जा सकता है, अदालत ने यह बात फिर से इसी पहलू पर जोर देते हुए कहा कि, याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट के समक्ष पत्रकारों के खिलाफ लंबित मामलों का कोई सांख्यिकीय विवरण नहीं दिया है.
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बिहार की नीतीश कुमार सरकार में भू-माफिया बेकाबू होकर दिन के उजाले में आतंक ढहाते नजर आ रहे हैं. जिला मोतिहारी में भू-माफिया ने पुलिस के संरक्षण में गुंडई की दम पर पत्रकार का घर गिरवा दिया. पत्रकार ने जब पुलिस से मदद की गुहार लगाई तो थानेदार ने कन्नी काटते हुए दूसरी जगह जाने की बात कही जानकारी के मुताबिक, थाना चकिया से 200 कदम दूर एक पत्रकार के घर कुछ भू-माफिया पहुंचे और अहाते में बने कमरे में तोड़फोड़ शुरू कर दी. पत्रकार ने पुलिस से शिकायत की तो एसएचओ चकिया ने अनसुना कर दिया. पत्रकार ने 112 नंबर डायल किया. थाना चकिया की पुलिस आधे घंटे बाद मौके पर पहुंची लेकिन पुलिस की मौजूदगी में दबंग पत्रकार के घर में तोड़फोड़ करते रहे भू-माफिया की इस तरह खुलेआम दहशत के बाद पत्रकार का परिवार सहमा हुआ है. बताया जा रहा है कि घर में तोड़फोड़ के दौरान दबंगों ने परिवार पर पथराव भी किया पुलिसिया सिस्टम की लाचारगी तब और दर्दनाक बन गई जब पत्रकार द्वारा दी गई शिकायत के 24 घंटे बीत जाने के बाद भी थानेदार ने एफआईआर दर्ज नहीं कराई. हालात ये हैं कि दहशत में पत्रकार की पत्नी चकिया रेफरल अस्पताल में भर्ती है पीड़िता पत्रकार ने मोतिहारी के एसपी कान्तेश मिश्रा को भू-माफिया के आतंक का वीडियो भेजकर न्याय की गुहार लगाई है. वहीं, एसपी कान्तेश मिश्रा ने मामले को संज्ञान में लेते हुए कहा कि, एफआईआर दर्ज कर भू-माफिया की गिरफ्तारी का आदेश दे दिया गया है बताया जा रहा है कि भू-माफिया ने पत्रकार की की जमीन का किसी से सौदा कर लिया है. और अब पत्रकार की जमीन कब्जाना चाहता है. भू-माफिया में शामिल एक शख्स पत्रकार का दूर का रिश्तेदार भी बताया जा रहा है. चकिया में इस तरह की खुलेआम वारदात के बाद पुलिस के इकबाल पर भी सवाल उठ रहे हैं
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सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय आज मंगलवार को विज्ञापनों के लिए स्व-घोषणा प्रमाणपत्र की अनिवार्यता लागू करने के लिए अहम बैठक करेगा. बैठक में इंडस्ट्री के स्टेकहोल्डर्स के साथ एसडीसी अपलोड करने या प्राप्त करने के संबंध में विज्ञापनदाताओं के मुद्दों पर चर्चा की जाएगी बता दें कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने जून के सेकंड वीक में ऐडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया, इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी, डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन, इंडियन सोसायटी ऑफ ऐडवर्टाइजर्स सहित गूगल व अन्य प्रतिनिधियों के साथ मीटिंग की थी. जिसमें मंत्रालय की तरफ से साफ किया गया था कि सरकार न तो शासनादेश में कोई संशोधन करेगी और न ही क्रियान्वयन की तारीख ही आगे बढ़ाएगी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को 9 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट में अब तक की कार्रवाई का हलफनामा दाखिल कर जानकारी देगा. इस हलफनामे के बाद मंत्रालय को एसडीसी कार्यान्वयन के बाद हितधारकों के अनुभव को रखने का भी अवसर मिलेगा वहीं विज्ञापन इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने जनादेश के कार्यान्वयन पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है. क्योंकि उनका मानना है कि भले ही सरकार की मंशा सही हो, लेकिन इसे लागू करने का तरीका सही नहीं है
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मशहूर अंग्रेजी लेखक विक्रम सेठ ने हनुमान चालीसा का इंग्लिश अनुवाद किया है। विक्रम सेठ का जब भी जिक्र होता है तो उनकी माँ जस्टिस लीला सेठ कीआत्मकथा याद आती है। लीला जी के अनुसार एक बार स्कूल में विक्रम से किसी ने उनकी मातृभाषा के बारे में पूछा तो बालक विक्रम ने जवाब दिया- मेरी माँ की मातृभाषा इंग्लिश है लेकिन मेरी मातृभाषा हिन्दी है यह देखकर अच्छा लगा कि भारतीय भाषाओं के प्रति विक्रम जी में वह संवेदनशीलता उम्र के इस पड़ाव पर भी मौजूद है।
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मशहूर अंग्रेजी लेखक विक्रम सेठ ने हनुमान चालीसा का इंग्लिश अनुवाद किया है। विक्रम सेठ का जब भी जिक्र होता है तो उनकी माँ जस्टिस लीला सेठ कीआत्मकथा याद आती है। लीला जी के अनुसार एक बार स्कूल में विक्रम से किसी ने उनकी मातृभाषा के बारे में पूछा तो बालक विक्रम ने जवाब दिया- मेरी माँ की मातृभाषा इंग्लिश है लेकिन मेरी मातृभाषा हिन्दी है यह देखकर अच्छा लगा कि भारतीय भाषाओं के प्रति विक्रम जी में वह संवेदनशीलता उम्र के इस पड़ाव पर भी मौजूद है।
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बिहार के खगड़िया में एक पत्रकार को फोन पर जान से मारने व 25 लाख रुपये की रंगदारी देने की धमकी मिलने का मामला सामने आया है. पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है पत्रकार शशि भूषण प्रसाद महतो ने धमकी मिलने के बाद थाने में शिकायत देकर मामला दर्ज कराया है. उन्होंने बताया कि रविवार की दोपहर उनके मोबाइल नंबर पर एक के बाद एक कई फोन कॉल आए. फेन रिसीव करने पर उन्हें धमकी दी गई हालांकि धमकी किस बात को लेकर मिली यह साफ नहीं है. मामले में थानेदार ने बताया कि मामला दर्ज कर आगे की जांच की जा रही है
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धार में महिला की पिटाई का एक वीडियो सामने आया जिसमे कुछ लोग डंडे से महिला की पिटाई कर रहे है जबकि कुछ लोग महिला को बचाने के बजाए घटना का वीडियो बना रहे है पुलिस के मुताबिक यह घटना 20 जून को हुई थी जिससे पहले महिला एक व्यक्ति के साथ घर से भाग गई थी पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने बताया कि वीडियो का संज्ञान लेते हुए पुलिस ने मामले में कार्रवाई की और महिला को पीटने वाले मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है वहीं इस घटना पर कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने मोहन सरकार पर सवालिया निशान खड़े करते हुए पूछा कि क्या धार की ये बहन आपकी सरकार से यह उम्मीद रख सकती हैं कि इस घटना की निष्पक्ष एवं त्वरित जांच होगी और उसे प्राथमिकता से न्याय मिलेगा आखिर क्यों आपकी सरकार महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों को रोकने में बार-बार असफल हो रही है
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अभी पूरे देश की लोकसभा और चार राज्यों की विधानसभा चुनावों की खुमारी उतरी भी नहीं है कि अब उपचुनाव की तैयारी शुरू हो गई है. पहले आम चुनावों पर लाखों करोड़ का खर्च होने के बाद अब उपचुनावों पर हजारों करोड़ रुपये खर्च करने की तैयारी है. ये सारे पैसे उसी टैक्स पेयर्स की जेब से जाने वाले हैं, जो किसानों का कर्ज माफ करने पर कहते हैं कि पैसा हमारा है तो किसानों की कर्ज माफी क्यों. ये पैसा उन्हीं टैक्स पेयर्स की जेब से जाने वाला है, जो सस्ती शिक्षा, पढ़ाई और दवाई जैसी वेलफेयर स्कीम्स पर सरकार के पैसे खर्च करने के नाम पर मुंह बिचकाते हैं, लेकिन ऐसे चुनावों में पानी की तरह बह रहे पैसे पर चुप्पी साध लेते हैं लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने दो सीटों से चुनाव लड़ा. दोनों ही जीते. वायनाड की सीट छोड़ी और रायबरेली अपने पास रखी. तो अब खाली पड़ी वायनाड सीट पर उपचुनाव होंगे. उत्तर प्रदेश के 9 विधायक अब सांसद बन गए तो उनकी विधानसभा पर उपचुनाव होंगे. एक सीट पर विधायक को सजा हो गई और विधायकी खत्म हो गई तो वहां उपचुनाव होंगे. बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश से लेकर पश्चिम बंगाल तक में उपचुनाव होने हैं. एक कानून की वजह से ऐसे उपचुनावों पर जो पैसा खर्च होगा, आप उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं
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माउंट आबू में एक विश्वसनीय और प्रतिष्ठित समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका के संवाददाता एवं एजेंसी धारक पर अवैध वसूली के आरोप लगाए जा रहे हैं जानकारी के मुताबिक माउंट आबू में राजस्थान पत्रिका के स्थानीय रिपोर्टर और एजेंसी धारक के खिलाफ नगर पालिका के एक ठेकेदार को धमकाने व अवैध वसूली करने का मामला सामने आया है। माउंट आबू थाने में दर्ज कराई गई एफआईआर के मुताबिक राजस्थान पत्रिका के रिपोर्टर हरिपाल सिंह उखरड़ा ने एक ठेकेदार को धमकी देकर दस हजार रुपए वसूल किए और अखबार में नकारात्मक खबर न छापने की एवज में एक लाख रुपए की मांग की। परिवादी ठेकेदार की ओर से दर्ज रिपोर्ट में उल्लेख है कि वह अपनी फर्म के जरिए नगरपालिका में सफाई एवं अन्य कार्य का ठेके लेता है। हाल ही में उसे मानसून पूर्व शहर के नालों की सफाई का कार्य मिला था। निविदा संबंधी औपचारिकताएं पूरी होते ही उसने नालों की सफाई का कार्य शुरू कर दिया इसी दौरान राजस्थान पत्रिका का स्थानीय रिपोर्टर हरिपाल सिंह उखरड़ा उसे मिला और धमकी दी कि वह सही काम नहीं कर रहा। अगर ऐसा ही रहा तो वह राजस्थान पत्रिका में उसके खिलाफ खबरें छापेगा। एफआईआर के मुताबिक आरोपी ने कहा कि अगर खबर रुकवानी है और ठेके का काम जारी रखना है तो उसे एक लाख रुपए देने होंगे परिवादी ने बताया कि उसने दबाव में आकर राजस्थान पत्रिका के रिपोर्टर को दस हजार रुपए नगद दे दिए। इसके बाद भी आरोपी ने उससे रुपयों की डिमांड बढ़ा दी। एफआईआर में आरोप है कि पत्रिका रिपोर्टर ने ठेकेदार को धमकी दी है कि अगर वह उसे एक लाख रुपए नहीं देगा तो उसके खिलाफ लगातार नकारात्मक खबरें छपेंगी। इसके बाद परिवादी ने माउंट थाने में पत्रिका रिपोर्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई ठेकेदार का कहना है कि एफआईआर होने के बाद भी रिपोर्टर से किसी प्रकार की पुलिस द्वारा पूछताछ नहीं की गई है. इस मामले आरोपी रिपोर्टर से कई बार संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन, उससे संपर्क नहीं हो पाया
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राजधानी रायपुर के नगर निगम बिल्डिंग के पास स्थित छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के दफ्तर में आग लग गई. आनन-फानन में कर्मचारियों-अधिकारियों को बाहर निकाला गया. आग लगने की घटना में कई दस्तावेजों के खाक होने की बात कही जा रही है. लेकिन आग कैसे लगी यह किसी को पता नहीं है लोक सेवा आयोग के दफ्तर में आग की सूचना पाकर मौके पर कई पत्रकार कवरेज के लिए पहुंच गए. इस दौरान पत्रकारों से कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा धक्का-मुक्की व गाली गलौज की बात सामने आई है. इसे लेकर पत्रकारों में रोष है. पत्रकारों का कहना है कि लोक सेवा में कार्यरत पढ़े-लिखे कर्मचारी और अधिकारी यदि गुंडों बदमाशों वाली शैली अपनाते हैं तो जनता से किस तरह मुखातिब होते होंगे? वहीं जब पत्रकारों ने अपने साथ हुई बदसलूकी का विरोध किया तो लोक सेवा आयोग के आयुक्त टीपी शर्मा ने सामने आकर पत्रकारों से माफी मांगी इसके अलावा उन्होंने पत्रकारों से बदसलूकी करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन भी दिया
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सोनी पिक्चर्स नेटवर्क को लीगल नोटिस भेजे जाने का मामला सामने आया है. यह नोटिस टीवी रियलिटी शो ‘शार्ट टैंक’ की प्रतिभागी कंपनी ‘फिट एंड फ्लेक्स’ ने अपना सोशल मीडिया अकाउंट निष्क्रिय करने को लेकर भेजा है नोटिस में कहा गया है कि कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट ने फिट एंड फ्लेक्स के साथ पार्टनरशिप की शर्तों का उल्लंघन किया है. जिस कारण उसके परिचालन में व्यवधान उत्पन्न हुआ. कंपनी ने सोनी पर अनुबंध के दायित्व का पालन न करने और समझौते के अपने हिस्से को पूरा करने में विफल रहने का भी आरोप लगाया है मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फिट एंड फ्लेक्स का आरोप है कि सोनी की हरकतों के कारण उसका सोशल मीडिया अकाउंट निलंबित कर दिया गया है फिट एंड फ्लेक्स के फाउंडर पथिक पटेल की तरफ से कहा गया है कि इन दिक्कतों का समाधान निकालने के कई प्रयास किए गए लेकिन हमें सोनी की तरफ से पूरी तरह खामोशी का सामना करना पड़ा, जिससे हमारी चुनौतियां और बढ़ गई हैं और जवाबदेही की कमी देखने को मिली. पटेल ने इंडस्ट्री के हितधारकों से अधिक ट्रांसपैरेंसी और निष्पक्षता के लिए सोनी की प्रथाओं की जांच करने के लिए भी कहा है
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बिजली कटौती के बारे में ट्वीट करने और यह कहने पर कि एक लाइनमैन ने एक महिला को परेशान किया है, एक पत्रकार पर हैदराबाद में मामला दर्ज किया गया है। तेलंगाना राज्य दक्षिणी विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (TGSPDCL) के एक सहायक अभियंता द्वारा पत्रकार के बयान पर विवाद करने की शिकायत के बाद रचाकोंडा की एलबी नगर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है हैदराबाद की पत्रकार रेवती पोगडदंडा ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया था कि हैदराबाद के एलबी नगर की एक महिला को बिजली विभाग के कर्मियों ने प्रताड़ित किया था, जिन्होंने उससे बिजली कटौती के बारे में अपना ट्वीट हटाने के लिए कहा था। सुश्री रेवती का ट्वीट, शाम 4.52 बजे पोस्ट किया गया। मंगलवार को उन्होंने कहा, “बार-बार बिजली कटौती से तंग आकर उन्होंने घटना के बारे में ट्वीट किया और एक लाइनमैन उनके आवास पर आया और उनसे ट्वीट हटाने की मांग की। उन्होंने बिजली विभाग को फोन कर इस बारे में बताया उनसे अनुरोध किया कि ऐसे लोगों को उन्हें धमकी देने के लिए उनके पास न भेजें। फिर अधिकारी ने उनसे कहा कि उसे उन्हें फोन करना चाहिए और इसके बारे में ट्वीट नहीं करना चाहिए क्योंकि बिजली विभाग पर ‘ऊपर के लोगों’ का बहुत दबाव है इसके बाद पत्रकार ने स्क्रीनशॉट साझा किया कि कैसे राचाकोंडा पुलिस ने उसे शाम 5.21 बजे एक्स पर मैसेज किया। उससे संपर्क विवरण साझा करने के लिए कहा जा रहा है। इससे पूर्व आईटी मंत्री केटी रामा राव से लेकर नेटिज़न्स में आक्रोश फैल गया। रामा राव ने साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों और अन्य पत्रकारों से सवाल किया कि पुलिस विभाग उपयोगकर्ताओं के स्थान को कैसे ट्रैक करने में सक्षम है। उन्होंने पत्रकार के प्रति एकजुटता भी दिखाई और इस संबंध में कार्रवाई की मांग की मंत्री केटी रामा राव ने ट्वीट किया, “तेलंगाना में चौंकाने वाली स्थिति। बिजली के संबंध में नागरिकों की दुर्दशा के बारे में वास्तविक चिंता उठाने वाले पत्रकार को घुसपैठ करने और परोक्ष धमकियाँ जारी करने का तेलंगाना पुलिस को क्या अधिकार है? क्या पुलिस विभाग ऊर्जा विभाग चला रहा है या यह सिर्फ सादा पुलिस राज है जहां सोशल मीडिया पर सवाल उठाने वाले पर आप केस दर्ज कर देंगे? कोई जवाब तेलंगानाडीजीपी गारू या राचकोंडाकॉप।”
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न्यूज़ चैनल ‘India TV’ के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा को मानहानि के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने राहत दी है। साथ ही कॉन्ग्रेस नेताओं को रजत शर्मा के खिलाफ किए गए ट्वीट्स डिलीट करने के लिए कहा गया है। ‘आप की अदालत’ इंटरव्यू शो के लिए लोकप्रिय रजत शर्मा पर कॉन्ग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया था कि पार्टी की प्रवक्ता रागिनी नायक को उन्होंने बीच शो में धीमे से गाली दी। हालाँकि, वीडियो में गाली सुनाई नहीं दे रही है कॉन्ग्रेस के कम्युनिकेशन विभाग के सेक्रेटरी इंचार्ज जयराम रमेश, मीडिया एवं पब्लिसिटी डिपार्टमेंट के चेयरमैन पवन खेड़ा और पार्टी के विदेश मामलों की संयोजक रागिनी नायक को अब रजत शर्मा के खिलाफ किए गए ट्वीट्स हटाने पड़ेंगे। जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने इसके लिए तीनों नेताओं को एक सप्ताह का समय दिया है। Google को आदेश दिया गया है कि जो वीडियो सार्वजनिक हो चुके हैं उन्हें प्राइवेट किया जाए, बिना न्यायिक आदेश के उन्हें सार्वजनिक न किया जाए साथ ही इन तीनों नेताओं ने YouTube और X (पूर्व में ट्विटर) पर इस संबंध में जो भी पोस्ट किए, उनके URLs को हटाने के लिए भी दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है। मामला लोकसभा चुनाव 2024 की मतगणना के दिन चल रहे डिबेट शो का है। तीनों नेताओं ने एक एडिटेड वीडियो को ये कह कर पोस्ट किया कि ये इंडिया टीवी के डिबेट शो के रॉ फुटेज हैं। कोर्ट ने टी डिबेट का फुटेज देख कर कहा कि प्रारंभिक रूप से लगता है कि रजत शर्मा ने किसी गाली का इस्तेमाल नहीं किया हाईकोर्ट ने कहा कि अगर ये वीडियो सार्वजनिक मीडिया में मौजूद रहते हैं तो इससे रजत शर्मा को भविष्य में बदनाम किए जाने की आशंका बनी रहेगी और उनकी प्रतिष्ठा को देखते हुए व्यावहारिक रूप से नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकेगी। कोर्ट ने कहा कि मानहानि और आलोचना के बीच एक पतली सी रेखा है। उच्च न्यायालय ने कहा कि अभिव्यक्ति एवं बोलने की आज़ादी के तहत किसी की प्रतिष्ठा को ठेस नहीं पहुँचाई जा सकती।
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प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक बैठक में मीडिया और डिजिटल राइट्स संगठनों ने सरकार से प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने वाले कानूनों को वापस लेने की अपील की है. पीसीआई द्वारा पारित प्रस्ताव में उन बिंदुओं को शामिल किया गया है जिसकी मांग पत्रकार संगठनों ने की है.
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पत्रकारों के लिए सैंज के पर्यटन स्थलों, सैंज और शांघड़ के होटलों में मुफ्त ठहरने की सुविधा मिलेगी. सैंज प्रेस क्लब में आज आयोजित एक सम्मान समारोह में इस बात की घोषणा की गई कुल्लू के पत्रकारों के लिए यह घोषणा करते हुए द शंगचुल शांघड़ होटल हाईट के चैयरमैन एवं समाज सेवी महेश शर्मा ने कहा कि, उनके अपने सभी होटलों में आज रविवार से यह सेवा शुरू कर दी गई है. शर्मा ने कहा कि समाज में पत्रकारों की भूमिका अहम होती है. कुल्लू के पत्रकारों द्वारा समस्याओं को प्रशासन और सरकार तक पहुंचाने में विशोष भूमिका अदा की जा रही है. जिस कारण यहां का विकास हो रहा है इस मौके पर प्रेस क्लब जिला कुल्लू के प्रधान धनेस गौतम ने कहा कि महेश शर्मा की ओर से सैंज और शांघड़ में अपने होटलों में पत्रकारों के लिए शुरू की गई योजना से पत्रकारों को लाभ होगा. इसके लिए उन्होंने महेश शर्मा का आभार जताया है पत्रकारों के लिए सैंज के पर्यटन स्थलों, सैंज और शांघड़ के होटलों में मुफ्त ठहरने की सुविधा मिलेगी. सैंज प्रेस क्लब में आज आयोजित एक सम्मान समारोह में इस बात की घोषणा की गई कुल्लू के पत्रकारों के लिए यह घोषणा करते हुए द शंगचुल शांघड़ होटल हाईट के चैयरमैन एवं समाज सेवी महेश शर्मा ने कहा कि, उनके अपने सभी होटलों में आज रविवार से यह सेवा शुरू कर दी गई है. शर्मा ने कहा कि समाज में पत्रकारों की भूमिका अहम होती है. कुल्लू के पत्रकारों द्वारा समस्याओं को प्रशासन और सरकार तक पहुंचाने में विशोष भूमिका अदा की जा रही है. जिस कारण यहां का विकास हो रहा है इस मौके पर प्रेस क्लब जिला कुल्लू के प्रधान धनेस गौतम ने कहा कि महेश शर्मा की ओर से सैंज और शांघड़ में अपने होटलों में पत्रकारों के लिए शुरू की गई योजना से पत्रकारों को लाभ होगा. इसके लिए उन्होंने महेश शर्मा का आभार जताया है
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(प्रवीण कक्कड़) कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता। कभी धरती तो कभी आसमान है पिता।। भारत जैसे देश में पिता के लिए कोई एक दिन नहीं होता सातों दिन भगवान के क्या मंगल क्या पीर...ठीक ऐसा ही पिता के साथ है। पिता पृथ्वी पर तो साक्षात् भगवान हैं। इसीलिए हम परमपिता को भी परमेश्वर कहते हैं। लेकिन जो पिता जन्म देता है, बचपन से लेकर जवानी तक हमें काबिल बनाता है। अपनी इच्छाओं को मारकर हमारी जरूरतों को पूरा करता है। दिन-रात अपने परिवार और संतानों के लिए परिश्रम करता है। उस लौकिक पिता का महत्व अलौकिक परमपिता से ज्यादा है। क्योंकि इससे संसार से परिचय हमें पिता ही कराता है। वह केवल हमें संसार में लेकर नहीं आता बल्कि संसार के महासागर में तैरना भी सिखाता है। पिता घरों की नींव है, पिता हमारी शान। कड़वा रुखवा नीम का, इसमें सबकी जान।। फादर्स डे या पिता दिवस पश्चिम की एक परंपरा हो सकती है लेकिन भारत में पिता का अर्थ बहुत गंभीर और महत्वपूर्ण है। भारत में पिता श्रद्धा और समर्पण का पर्याय है। यदि संतान पिता के प्रति श्रद्धा रखी है तो पिता भी संतानों के प्रति समर्पण का भाव रखता है। अपने पुरुषार्थ का अधिकांश हिस्सा अपनी संतानों को समर्पित करता है। एक परिवार को विकसित और पल्लवित करता है और फिर राष्ट्र के निर्माण में बहुमूल्य योगदान देता है। यदि जननी राष्ट्र के निर्माण की पहली सीढ़ी है तो पिता राष्ट्र के निर्माण की नींव है। यदि जननी सहनशीलता की पराकाष्ठा है तो पिता धैर्य का महासागर है। पश्चिम का दर्शन कहता है कि माता प्रथम शिक्षक हैं लेकिन हमारे वांग्मयम में पिता को अंतिम गुरु कहा गया है। पिता आश की जोत है, संतति का विश्वास। घर का सूरज है पिता, नाता सबसे खास।। एक पिता तभी गौरवान्वित होता है जब उसकी संतान उससे चार कदम आगे चले। जब उसकी संतान की उपलब्धियां उससे कहीं ज्यादा हों। जब उसकी संतान की सामाजिक और आर्थिक हैसियत उससे आगे बढ़कर हो। संसार में पिता ही एकमात्र प्राणी है जो उसकी संतान के उत्कर्ष का आनंद लेता है। भाई - भाई की प्रतिष्ठा से जल सकता है। बहनों में ईर्ष्या और प्रतिस्पर्धा का भाव हो सकता है। मित्र, पड़ोसी और शुभचिंतक भी अपने किसी खास का उत्कर्ष कई बार बर्दाश्त नहीं कर पाते लेकिन पिता वह है जो अपने पुत्र के आगे बढ़ते हर कदम पर गौरवान्वित और प्रसन्न होता है। वह अपनी संतान की उपलब्धियों से खुद को ऊंचाइयों पर महसूस करता है। सब धरती कागज करूँ लिखनी (लेखनी ) सब बनराय। सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाय॥ जैसे गुरु का गुण लिखने के लिए महासागर की स्याही भी कम पड़ती है वैसे ही पिता की महत्ता लिखने के लिए पूरी धरती को कागज बनाकर लिखना भी कम पड़ सकता है। एक संतान की सबसे बड़ी सफलता वही है कि उसके पिता उससे संतुष्ट रहें, सुखी रहें, उसे देखकर सदैव खुश रहें। यदि पिता अपनी संतान को देखकर खुश है, गौरवान्वित है, अभिभूत है तो फिर मानकर चलिए कि संतान ने अपने जीवन की समस्त उपलब्धियों को पा लिया है। दुनिया के अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग परंपरा होती है। हम भारत के लोग सभी अच्छी परंपराओं का अनुसरण करते हैं। पिता के लिए तो सभी 365 दिन है किंतु फिर भी पश्चिम में मनाए जाने वाले पिता दिवस या फादर्स डे के दिन हम अपने आप से यह सवाल तो कर ही सकते हैं कि क्या हमारे पिता हमें देखकर गौरवान्वित महसूस करते हैं। यदि इसका जवाब हां है तो आप एक सफल संतान हैं। सजग पिता लिखता सदा, बच्चों की तकदीर। पूत सफल हो तो लगे,पा ली जग की जागीर।। बॉक्स 19 जून 1910 को पहली बार मनाया गया फादर्स डे फादर्स डे सर्वप्रथम 19 जून 1910 को वाशिंगटन में मनाया गया। साल 2019 में फादर्स-डे के 109 साल पूरे हो गए। इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है- सोनेरा डोड की। सोनेरा डोड जब नन्ही सी थी, तभी उनकी मां का देहांत हो गया। पिता विलियम स्मार्ट ने सोनेरो के जीवन में मां की कमी नहीं महसूस होने दी और उसे मां का भी प्यार दिया। एक दिन यूं ही सोनेरा के दिल में ख्याल आया कि आखिर एक दिन पिता के नाम क्यों नहीं हो सकता? इस तरह 19 जून 1910 को पहली बार फादर्स डे मनाया गया। 1924 में अमेरिकी राष्ट्रपति कैल्विन कोली ने फादर्स डे पर अपनी सहमति दी। फिर 1966 में राष्ट्रपति लिंडन जानसन ने जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाने की आधिकारिक घोषणा की। 1972 में अमेरिका में फादर्स डे पर स्थायी अवकाश घोषित हुआ। फ़िलहाल पूरे विश्व में जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है। भारत में भी धीरे-धीरे इसका प्रचार-प्रसार बढ़ता जा रहा है। इसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बढती भूमंडलीकरण की अवधारणा के परिप्रेक्ष्य में भी देखा जा सकता है और पिता के प्रति प्रेम के इज़हार के परिप्रेक्ष्य में भी।
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पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की अगुवाई वाले गठबंधन एनडीए ने लोकसभा चुनाव 2024 में शानदार जीत दर्ज की। एक तरफ पीएम मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने की तैयारी कर रहे थे, तो दूसरी तरफ भारत विरोधी शक्तियाँ भारत सरकार और खासकर मोदी सरकार को बदनाम करने के प्रयास में लगातार जुटे हुए थे। इन्हीं प्रयासों में एक है ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (एबीसी) की कथित ‘पत्रकार’ अवनि डायस द्वारा झूठ फैलाने का प्रयास, जिसमें अवनि ने 5 जून 2024 को भारत के संविधान के बारे में फर्जी बातें प्रसारित की।अवनि डायस ने कुछ समय पहले ही ये फर्जी खबर फैलाई थी कि ‘निगेटिव रिपोर्टिंग’ की वजह से भारत सरकार ने उनका वीजा रद्द कर दिया है, जबकि वो दावा फर्जी निकला था। इस बार अवनि ने दावा किया है कि ‘धर्मनिरपेक्षता’ भारतीय संविधान का अहम हिस्सा है, वो भी अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद यानी 1947 से। अवनि ने ‘नरेंद्र मोदी से पहले के भारत की कहानी’ हेडलाइन के साथ एक वीडियो बनाकर ये बताने की कोशिश की कि भारत में पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत की धर्मनिरपेक्षता किस तरह के खतरे में है।अपने वीडियो के 9.19 मिनट पर अवनि डायस ने कहा, “आपको बता दें कि जब 1947 में अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद भारत की स्थापना हुई थी, तो इसके संविधान में लिखा गया था कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जिसका मतलब है कि धर्म के आधार पर देश में सभी को आजादी होनी चाहिए।” अवनि ने दावा किया कि भारत के संविधान में सेक्युलर शब्द पेज नंबर 33 पर बड़े अक्षरों में लिखा है
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पत्रकार और पत्रकारिता की गरिमा समय समय पर गिरती रही है. कभी सरकारों द्वारा अर्दब में ले लिए जाने से तो कभी खुद के कर्मों से पत्रकारों ने खुद की इज्जत गिरा ली है. ताजा मामला राजस्थान पत्रिका में कार्यरत, आगरा के वरिष्ठ पत्रकार और कई किताबों के लेखक भानु प्रताप सिंह के साथ घटा, जिसने पत्रकारिता का चीर हरण कर लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी दरअसल, भानु प्रताप प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के विश्व मुख्यालय ज्ञान सरोवर, माउंट आबू, राजस्थान में राष्ट्रीय मीडिया महासम्मेलन में भाग लेकर 26 मई 2024 को आगरा लौट रहे थे. वह जब आबू रोड रेलवे स्टेशन पर पहुंचे तो तबीयत में कुछ असहजता दिखी. स्टेशन पर उन्होंने शौचालय तलाशा काफी तलाशने के बाद पे एंड यूज के स्लोगन वाला शौचालय मिला. बाहर बैठे संचालक ने भानु प्रताप से 10 रुपये मांगे. लेकिन शौचालय आने से पहले भानु पर्स व जेब में पड़े रुपये पत्नी को पकड़ाकर आए थे. अलबत्ता उन्होंने संचालक से कहा कि वे निपटकर आने के बाद दे देंगे. गार्ड ने हामी भर दी शौचालय से बाहर आने पर संचालक ने 10 रुपये मांगे. जिसपर उन्होंने कहा कि पत्नी से लेकर देता हूं. यह सुनकर शौचालय का संचालक मुस्कराया और बोला, कोई लौटकर नहीं आता. पैसे तो आपको देकर ही जाना पड़ेगा. तभी उसने भानु प्रताप से पूछा क्या करते हैं..आप? “पत्रकार हूं”, भानु प्रताप ने जवाब दिया पत्रकार सुनकर संचालक ने व्यग्यपूर्ण लहजे में कहा, अच्छा पत्रकार हो. पत्रकार तो बिना पैसे के खबर नहीं छापते हैं. समाज में पत्रकारों की ये वाली छवि सुनकर भानु प्रताप अंदर तक हिल गए. भानु को लगा कि यह किसी पत्रकार द्वारा पीड़ित है, जाने नहीं देगा. इसी गरज से उन्होंने शौच के 10 रुपये के बदले अपनी उँगली में पड़ी सोने की अंगूठी उसे उतारकर दी और बाद में पत्नी से 10 रुपये लाकर उसे दिए. 10 रुपये देने के बाद उनकी सोने की अंगूठी छूटी यह किस्सा जब उन्होंने चलती ट्रेन में अपनी पत्नी को सुनाया तो उसने भी माथा पीट लिया. इसलिए आप भी अगर पत्रकार हैं तो किसी को परिचय देते समय 10 बार जरूर सोचें. और हां सोने के आभूषण भी पहनना शुरू कर दीजिए. क्या पता कब कैसी जरूरत पड़ जाए, क्योंकि आप पत्रकार हैं!
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार द्वारा ऐसे पत्रकारों का लाइसेंस रद्द कर देना चाहिए जो ब्लैकमेलिंग और असमाजिक गतिविधियों में लिप्त हैं मामला पत्रकार पुनीत मिश्रा और एक समाचार पत्र विक्रेता पर आम लोगों की मर्जी के बिना उनकी तस्वीरें लेकर उनसे जबरन वसूली करने और निर्दोष आम लोगों के खिलाफ उक्त सामग्री प्रकाशित करने को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है आरोपियों के वकील ने कोर्ट को बताया कि मामले में आरोपितों को जानबूझकर फंसाया गया है और पुलिस द्वारा आरोप-पत्र भी बिना किसी पर्याप्त जांच के दाखिल कर दिया गया वहीं, राज्य की तरफ से महाधिवक्ता और अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट से कहा कि पूरे प्रदेश में एक गिरोह चल रहा है जिसमें बहुत से पत्रकार शामिल हैं. ये गिरोह आम लोगों के खिलाफ अखबार में खबरें छापकर समाज में उनकी प्रतिष्ठा धूमिल करने का डर दिखाकर उनसे जबरन वसूली जैसी कई असमाजिक गतिविधियों में लिप्त हैं जिस पर कोर्ट ने कहा कि यह मामला बहुत गंभीर है और अगर पत्रकार अपने लाइसेंस की आड़ में इस तरह की असमाजिक गतिविधियों में संलिप्त पाए जाते हैं तो राज्य मशीनरी को इसका संज्ञान लेना चाहिए. साथ ही ऐसे पत्रकारों का लाइसेंस रद्द करना चाहिए
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शपथ ग्रहण समारोह में सेना अध्यक्ष व CDS का अपमान शर्मनाक हमारे सेनानायक धन्ना सेठों, अभिनेताओं से पीछे प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों के शपथ समारोह में राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में चीफ़ ऑफ डिफेंस स्टाफ और थल सेना अध्यक्ष को धन्ना सेठों और फिल्मी सितारों से बहुत पीछे की कतार में बिठाया गया था समारोह में मुकेश अंबानी, उनके पुत्र अनंत, सुपर स्टार शाहरुख खान आदि CDS (Chief of Defence Staff ) और Chief of Army Staff (COAS) से बहुत आगे की कतार में बैठे दिखाई दे रहे हैं उनके बहुत पीछे गोल घेरे में दोनों सेना अधिकारी बैठे हैंये न केवल सेना का अपमान है बल्कि निर्धारित प्रोटोकॉल का उल्लंघन भी है
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राजनीति की अब तक की सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है. इस खबर के मुताबिक नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह को भारतीय जनता पार्टी के मार्गदर्शक मंडल में शामिल किया गया है. नीचे वेबसाइट का लिंक दिया गया है. जिसमें पहले मोदी, राजनाथ, लालकृष्ण आडवाणी और उसके बाद मुरली मनोहर जोशी का फोटो लगा है वरिष्ठ पत्रकार सुनील सिंह बघेल ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए हैरानी जताते हुए लिखा है कि, “भाजपा ने अपने मार्गदर्शक मंडल मे दो नए सदस्य शामिल किए हैं. कहीं वेबसाइट हैक तो नही हुई? पहले मार्गदर्शक मंडल में सिर्फ मुरली मनोहर जोशी और आडवाणी जी ही दिखते थे अब वेबसाइट पर श्री राजनाथ सिंह और मोदी जी भी नजर आ रहे हैं.”
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जम्मू कश्मीर के रियासी जिले में तीर्थयात्रियों पर आतंकी हमले की दुनियाभर में निंदा की जा रही है इस हमले की ज़िम्मेदारी पाकिस्तान के आतंकियों ने ली है हमले के विरोध में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल 12 जून को सभी केंद्र एवं जिलों पर विरोध प्रदर्शन कर महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौपेगा विश्व हिन्दू परिषद् के केंद्रीय संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे ने प्रेस कांफ्रेंस कर जानकारी देते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर के रियासी में इस्लामिक जिहादियों ने हमला किया जिसमें महिला बच्चे समेत 10 लोगों की मौत हुई विश्व हिंदू परिषद इसकी निंदा करता है 12 जून को बजरंग दल सभी जिला केंद्रों पर प्रदर्शन और पुतला दहन करेगा जम्मू कश्मीर में इस्लामिक आतंकवाद फैल रहा है इसको लेकर हम सबको जागरूक करेंगे पाकिस्तान समर्थक इस्लाकमि आतंकवाद जम्मू कश्मीर में फिर से पैर पसार रहा है उसे कुचलना जरूर है
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सतपुड़ा से बाघिन मछली और शावकों की मनमोहक Video सतपुडा टाइगर रिजर्व की रानी बाघिन मछली के शावक बड़े हो रहे है जिनको जंगलों में रहने के दांवपेच उनकी माँ बाघिन मछली द्वारा सिखाया जा रहा है बाघिन मां मछली कभी उन्हें लड़ना सिखाती है तो कभी शिकार करना इसी बीच बाघ परिवार का एक और बहुत सुंदर वीडियो सतपुडा टाइगर रिजर्व चूरना से सामने आया है जहाँ बाघिन मछली अपनी निगरानी में अपने तीन शावकों को पानी मे तैरना सीखा रही है 41 सेकेंड का वीडियो सतपुडा टाइगर रिजर्व चूरना के भीमकुंड का है जहाँ बाघिन मछली अपने शावकों को पानी मे तैरना सीखा रही है यह वीडियो 15 मई का है
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सवा करोड़ कीमत के 501 मोबाइल बरामद ग्वालियर पुलिस की साइबर टीम ने सैकड़ो लोगों के चेहरे की खुशी लोटाई है उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा है कि उनका खोया सामान जिसके मिलने की उम्मीद ना के बराबर होती है उसको ग्वालियर पुलिस ने खोज निकाला है दरअसल, ग्वालियर पुलिस की साइबर टीम ने एक करोड़ से अधिक कीमत के मोबाइल फोन जब्त किए हैं इसके बाद उन मोबाइल्स को उनके असली मालिकों को लौटाया है टीम की इस बड़ी कार्रवाई के लिए जहां अधिकारी उन्हें मुबारकबाद दे रहे हैं वहीं, दूसरी तरफ जिन लोगों के मोबाइल वापस मिले हैं वे तहे दिल से पुलिस का शुक्रिया अदा कर रहे हैं
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शावक को देखकर रोमांचित हुए पर्यटक भीषण गर्मी से इंसानों के साथ जानवर भी बेहाल हैं और उन्हें भी छाया की तलाश रहती है बाघों के लिए प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में भी गर्मी का असर दिखाई दे रहा है गर्मी की वजह से बाघ, बाघिन और शावक भी छाया और ठंडक वाले स्थान में दिखाई दे रहे हैं इस बीच भीषण गर्मी में छांव और ठंडक की तलाश में एक वनराज शावक हवा महल में पहुंच गया और वहां अपना डेरा जमा लिया सफारी के दौरान पर्यटक बाघ शावक का अंदाज देखकर रोमांचित हो गए एक पर्यटक ने शावक के इस अनोखे अंदाज को अपने कैमरे पर कैद कर लिया अब यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है वायरल शावक का वीडियो देख लोग काफी उत्साहित हो रहे हैं इस शावक की उम्र लगभग 10 माह बताई जा रही है वहीं, वायरल वीडियो को लेकर वन परीक्षेत्राधिकारी ने सभी कर्मचारियों को सतर्क रहने के निर्देश दे दिए गए हैं
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भोपाल की युवती दोस्त के साथ गई थी मनाली राजधानी भोपाल के शाहपुरा इलाके में रहने वाले वाली शीतल कौशल घर से बिना बताए अपने हरियाणा के दोस्त विनोद ठाकुर के साथ मनाली घूमने गई थी यहां दोनों ने होटल केडी विला का कमरा नंबर-302 बुक किया था बीती शाम के समय जब युवक विनोद अकेला ही होटल से जाने लगा तो उसने वॉल्वो बस स्टैंड जाने के लिए टैक्सी मंगवा ली ऐसे में वह एक भारी भरकम बैग को गाड़ी में डाल रहा था इस दौरान होटल के स्टाफ को भी शक हुआ और तुरंत मनाली पुलिस को सूचना दी इस बीच युवक मौके से फरार हो गया...पुलिस की टीम तुरंत मौके में पहुंची और टैक्सी में रखे गए बैग को जब बोला गया तो उसमें युवती का शव पाया गया पुलिस की टीम ने तुरंत नाकाबंदी शुरू कर आरोपी युवक को गिरफ्तार कर लिया भोपाल जोन वन डीसीपी प्रियंका शुक्ला का कहना है कि इस मामले में मनाली पुलिस कार्रवाई कर रही है
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गिरोह की दो युवतियां और एक युवक गिरफ्तार छतरपुर के नौगाँव थाना पुलिस ने फोन कॉल के जरिये अश्लील बातें कर युवकों को अपने जाल में फ़साने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है गिरोह को पति -पत्नी मिलकर चलाते थे गिरोह के शिकार एक फरियादी की शिकायत के बाद पुलिस ने गिरोह की दो शातिर महिलाओं और एक युवक को गिरफ्तार किया है गिरोह का सरगना निगरानी शुदा बदमाश और एक अन्य आरोपी फरार है..जिनकी पुलिस तलाश कर रही है गिरोह की महिलाएं युवकों से फोन पर अश्लील बातें कर उन्हें फंसाती थी फिर उन्हें मिलने के बहाने साथियों के साथ ब्लैकमेल कर पैसे ऐंठती थी पीड़ित युवक की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर गिरोह का भंडाफोड़ किया
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भोपाल में नाबालिग से दुष्कर्म ऐशबाग थाना प्रभारी जितेंद्र गंढवाल ने बताया कि नाबालिग लड़की के साथ एक युवक ने इंस्टाग्राम में दोस्ती की दोस्ती करने के बाद मोबाइल नंबर आदान प्रदान किया गया लड़के ने नाबालिग लड़की को अपना नाम करण बताया और उसको बहला फुसलाकर नजदीक के होटल में ले गया जहां उसके साथ गलत काम किया किशोरी ने जब उससे बातचीत करना बंद कर दिया तो आरोपी उसके माता-पिता को जान से मारने की धमकी देने लगा परेशान होकर पीड़िता ने घटनी की जानकारी परिजनों को दी उसके बाद परिजन उसे लेकर ऐशबाग थाने पहुंचे जहां पीड़िता ने दुष्कर्म और पोक्सो एक्ट समेत विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया
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स्कूटी का प्रलोभन देकर धंधा करवाया नाबालिग युवती को स्कूटी दिलाने का प्रलोभन देकर बंधक बनाकर देह व्यापार कराने के आरोप मे संतोषी तिवारी नाम की महिला को गिरफ्तार किया गया है डेढ महीने पहले इस नाबालिग युवती पर देह व्यापार के अड्डे पर गोली मारकर घायल करने वाला चालीस अपराधो मे संलग्न मंजू पटैरिया पहले ही गिरफ्तार हो चुका है ,आरोपी महिला का देह व्यापार मे सहयोग करने वाले दो अन्य आरोपी भी पहले ही गिरफ्तार किये गए हैं ,आरोपी महिला पहले भी देह व्यापार के आरोप मे हो गिरफ्तार हुई है। आरोपी महिला पर छतरपुर और यूपी के महोबा के थाने मे मामले दर्ज हैं
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स्टूडेंट ने किया टीचर पर कट्टे से फायर अमरपाटन के सतना रोड़ एमपी कंप्यूटर के पास रहने वाले टीचर अशोक कुमार पांडे के यहाँ घुस स्टूडेंट ने कट्टे से फायर कर उन्हें मारने का असफल प्रयास किया स्टूडेंट कट्टे से फायर करता इससे पहले ही शिक्षक ने युवक का हाथ पकड़ लिया,ओर शोर शराबा किया जिससे डरता हुआ पंकज पयासी नामक युवक भाग निकला, वही घटना के पहले ओर बाद का सीसीटीवी भी सामने आया हैं ,जिसमें युवक भागता नजर आ रहा हैं, पीड़ित परिवार घटना के बाद दहशत में हैं , घटना की जानकारी लगते ही अमरपाटन पुलिस पहुँची पीड़ित शिक्षक ग्राम भीषमपुर हाई स्कूल में लेब असिस्टेंट के पद पर पदस्थ हैं पीड़ित शिकक की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए मामले की जांच शुरू कर दी हैं शिक्षक अशोक कुमार पांडे की मां ने बताया युवक एक दिन पहले भी उनके घर मंदिर बनवाने का चंदा मांगने आया था ,इसके बाद वह आज दोबारा उनके यहां पहुंचा था जहां पहुंचते ही उसने उनकी कनपटी पर कट्टा अड़ा दिया और फायर करने की कोशिश की आरोपी पंकज प्यासी पीड़ित शिक्षक का पुराना स्टूडेंट है।
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प्रबंधन ने जारी की मादा चीता गामिनी की शॉर्ट मूवी कूनो प्रबंधन के अधिकारियों ने मदर चीता गामिनी की शॉर्ट मूवी जारी की है इसमें मादा चीता और नन्हें शावक जंगल में उछलकूद और मस्ती करते हुए दिखाई दे रहे हैं वीडियो में 5 साल की गामिनी कूनो के जंगल में अपने 6 नन्हें शावकों को पालकर बड़ा कर रही है, यह दिखाने की कोशिश की गई है शावक उछलकूद करते अपनी मां के साथ मौज मस्ती करते दिखाई दे रहे हैं एक शावक पेड़ की टहनी पर बैठा हुआ दिखाई दे रहा है इससे पहले आशा और ज्वाला चीते की शॉर्ट मूवी जारी की गई थी इनमें सभी की सफलता की कहानी और वह अपने मां होने का फर्ज किस तरह निभा रही हैं यह दिखाया गया है तीनों माता चीता अपने शावको को खिलाने पिलाने से लेकर उनकी उचित देखरेख करके उन्हे वह सबकुछ सिखा रही हैं जिसकी जरूरत हर चीते को रहती है मां चीता और शावकों की यह वीडियो वाकई में बेहद दिलचस्प है जिसे हर कोई देखना चाहेगा
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एसडीएम को भ्रष्टाचारी बताने वाले पोस्टर चर्चा में जबलपुर के चौराहों और मुख्य सड़कों की दीवारों पर लगे इन पोस्टरों में गोरखपुर एसडीएम पंकज मिश्रा पर रिश्वतखोरी के आरोप लगाए गए है इसके साथ ही गोरखपुर तहसील को भ्रष्टाचारियों का अड्डा करारा दिया है पोस्टर में सबसे ऊपर टेबल के नीचे से रिश्वत लेते हुए एक व्यक्ति दिखाया गया है पोस्टर में एसडीएम गोरखपुर के आगे लाल अक्षरों से ईमानदार और काले अक्षरों से रिश्वतखोर/चोर लिखा हुआ है शहर में संभवत पहली बार एसडीएम स्तर के किसी प्रशासनिक अधिकारी के खिलाफ इस तरह के पोस्टर लगे है
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फरियादी से फोन पर की अभद्रता ""तेरी नेताओ की ऐसी की तैसी तू सुन ले अच्छे से और रिकॉर्ड भी कर ले "मुझे घंटा कोई फर्क पड़ता राजनीतिक दबाव का फालतू की बकवास न कर तेरे बाप ने तुझे एक जूता मारा था" मेरे सामने आएगा तो मैं दो जूते मारूंगी तुझे"यह शब्द है रीवा जिले के चाकघाट थाना की टीआई उषा सिंह सोमवंशी के टीआई उषा हमेशा अपने अभद्र आचरण के कारण चर्चा में रहती है इन दिनों उनका एक कथित ऑडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा हा है जिसमें वो फरियादी के साथ फोन पर अमर्यादित बातचीत करते हुए सुनाई दे रहीं है
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कैमरे में कैद हुआ रोमांचित करने वाला नजारा जंगल बुक वाले मोगली का साथी बघीरा एक बार फिर मोगली लैंड में नजर आया ब्लैक पैंथर बघीरा खतरनाक जंगल में मोगली का मित्र, रक्षक और सलाहकार बन के सामने आया था बघीरा शब्द हिंदी में पैंथर या तेंदुए के लिए इस्तेमाल किया जाता है मध्यप्रदेश के मोगली लैंड पेंच टाइगर रिजर्व में पर्यटकों उस समय रोमांचित हो गए जब उन्हें काला पैंथर बघीरा नजर आया पर्यटकों को सफारी के दौरान काला तेंदुआ यानी मोगली का दोस्त बघीरा देखने को मिला सफारी के दौरान पेंच टाइगर रिजर्व के टुरिया गेट से सफारी के लिए प्रवेश करने वाले पर्यटकों को यह दुर्लभ काला तेंदुआ दिखाई दिया लंबे समय के बाद अचानक नजर आये इस काले तेंदुए को देख कर पर्यटक काफी रोमांचित हो गए पेंच नेशनल पार्क में सैलानी प्राकृतिक वातावरण का आनंद लेने आते हैं जहां उन्हें बाघ, तेंदुआ, हिरन, बारासिंघा सहित कई वन्य प्राणी देखने को मिल जाते हैं। जिन्हें देखकर लोग आनंदित हो जाते हैं
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साेशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो वायरल वीडियो में 4-5 सेवादार युवक और युवती को धमकाते हुए नाम पता पूछ रहे हैं साथ ही बैग में रखे सामान चेक करते हुए दिखाई दे रहे हैं इतना ही नहीं सेवादार युवक-युवती के साथ मारपीट कर रहे हैं सेवकों द्वारा युवक युवती के सम्बन्धों को लेकर सन्देह व्यक्त किया जा रहा है इस दौरान सेवादारों ने ही घटना का वीडियो भी बना लिया जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है हालांकि, वायरल वीडियो को कब का है इस बारे में अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है वायरल वीडियो में दिखने वाले युवक युवती उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के बताए जा रहे का मामला संज्ञान में आने के बाद एसपी ने इस पूरे मामले के जांच के आदेश दिये है
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वीडियो वायरल होने के बाद मचा हड़कंप भोपाल में भाजपा जिला पंचायत सदस्य विनय मेहर ने नाबालिग बेटे से अपना वोट डलवाया उन्होंने मोबाइल से इसका वीडियो बनाया और उसे वायरल भी कर दिया मामला तूल पकड़ने के बाद उन्होंने इसे डिलीट कर दिया वहीं अब इस मामले में कांग्रेस हमलावर हो गई है कांग्रेस प्रदेश मीडिया प्रभारी मुकेश नायक का कहना है कि मामले में चुनाव आयोग मूठ बन बैठा हुआ है अगर कोई दिव्यांग या बीमार है तो उसकी तरफ से वोट करने वाला व्यक्ति की आयु 18 साल का होनी चाहिए18 साल से कम उम्र के व्यक्ति को वोट डालने का अधिकार नहीं है जो वीडियो वायरल हो रहा है इस पर तत्काल निर्वाचन आयोग संज्ञान ले.... और उचित कार्रवाई करें कार्यवाही करें
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वार्ड 15 के रहवासी पानी की समस्या से परेशान अमरपाटन नगर परिषद वार्ड 15 के रहवासियों का कहना है कि वह लंबे समय से पानी की समस्या से जूझ रहे हैं लेकिन विभाग कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है वार्ड पार्षद ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा वाॅल बंद करके वार्ड में पानी आने से रोका जा रहा है पार्षद और रहवासियों ने सीएमओ को ज्ञापन सौंपते हुए जल्द समस्या दूर करने की मांग रखी जिस पर नगर परिषद सीएमओ ने जल्द ही समस्याओं को दूर करने का आश्वासन दिया
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गोपनीयता भंग करना भाजपा नेता को पड़ा भारी ग्वालियर में पूर्व पार्षद पति रिंकू परमार मतदान करने डीआरपी लाइन स्थित शासकीय प्राथमिक विद्यालय पहुंचे थे वह अपने साथ मोबाइल अंदर ले गए मोबाइल अंदर ले जाने के बाद ईवीएम पर मतदान करते हुए वीडियो बना लिया वीडियो इंटरनेट मीडिया पर अपलोड कर दिया इसी तरह पोहरी के रहने वाले होकम वर्मा ने ईवीएम पर वोट डालते हुए वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया दोनों ही पोस्ट खूब वायरल हुई नेताओं से लेकर आम लोगों तक ने इस तरह गोपनीयता भंग करने पर आपत्ति की जिसके बाद प्रशासन और पुलिस अधिकारियों ने मामले को संज्ञान में लेकर दोनों के खिलाफ मामला दर्ज किया
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शादी कर लाखो रुपए लूटने वाली दुल्हन गिरफ्त में देवास की भौरासा पुलिस पिछले तीन महीनो से लुटेरी दुल्हन की खोजबीन में लगी थी पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर एकता नगर नीलगंगा थाना उज्जैन से अपने दोस्त के घर पर आराम कर रही लुटेरी दुल्हन को गिरफ्तार किया और थाना भौरासा ले आई फरियादी रवि ने रिपोर्ट दर्ज करवाई की उज्जैन निवासी राधिका यादव और उसके अन्य साथियों ने मेरे साथ शादी का नाटक कर 2 लाख रुपए की धोखाधड़ी की है जिस पर थाना भौरासा ने मुकदमा दर्ज कर विवेचना में लिया राधिका के साथ देने वाले अन्य आरोपी महेश यादव,राजेश उर्फ राजू सुनहरे,धर्मसिंह उर्फ मोहन सिंह जादौन,अखलेश यादव को पूर्व में गिरफ्तार किया था तब लुटेरी दुल्हन राधिका गायब हो गई थी 3 महीने से फरार चल रही राधिका की सूचना के लिए देवास पुलिस अधीक्षक ने दो हजार केनाम देने की भी घोषणा की थी राधिका यादव पर अन्य जिलों में भी इसी प्रकार शादी कर साथियों के साथ लूटने की घटना को अंजाम दे कर मुकदमा दर्ज हैं भौरासा थाना प्रभारी संजय मिश्रा ने बताया की राधिका शादी कर रुपए ऐठने का काम करती थी और पुलिस की धमकी देती थी जिससे लोग बदनामी के डर से सामने नही आते थे अब ये पकड़ी जा चुकी है सभी से अनुरोध हे की अब सामने आकर इसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाए।
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भिंड और मुरैना में वेब कास्टिंग की सुविधा मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने बताया कल एमपी के 9 लोकसभा सीटो पर मतदान किया जाएगा इन 9 लोकसभा सीटो में 19 जिले शामिल है गर्मी को ध्यान में रखते हुए मिनि ICU पानी,टेंट,पंखे,कुर्सियों की व्यवस्था की गई है सुरक्षा के लिए 299 प्राइम स्क्वाड तैनात है 9 सीटो पर कुल 127 उम्मीदवार है जिनमें 9 महिलाए और 118 पुरुष है... सबसे ज्यादा प्रत्याशी भोपाल लोकसभा सीट पर कुल 22 प्रत्यासी है,सबसे कम भिंड लोकसभा सीट पर 7 प्रत्याशी है 9 सीटो पर 20 हजार 456 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं 2043 पिंक पोलिंग बूथ है चुनाव घोषणा के बाद से अब तक 280 करोड़ रूपए से अधिक की जप्ती की गई है पहले और दूसरे चरण में करीब 60 से 65% बूथों वेब कास्टिंग की गई थी तीसरे चरण में भिंड और मुरैना में वेब कास्टिंग की सुविधा दी गई है
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तस्कर सहित चार आरोपी हथियार समेत गिरफ्तार पुलिस अधीक्षक अगम जैन ने खुलासा करते हुए बताया कि थाना कोतवाली पुलिस को मुखबिर से सूचना प्राप्त हुई थी कि हाउसिंग बोर्ड कालोनी संकट मोचन के पास अजीज मोहम्मद काफी दिनों से अवैध हथियार खरीदकर क्षेत्र में उनका विक्रय कर रहा है सूचना की तस्दीक करने पर मुख्य आरोपी अजीज मोहम्मद को अभिरक्षा में लेकर पूछताछ करने पर उसने छतरपुर शहर व ग्रामीण क्षेत्र में कई व्यक्तियों को खरगौन से अवैध हथियार लाकर उनका विक्रय करने की बात बताई पुलिस ने हथियार खरीदने वाले तीन आरोपियाें को भी गिरफ्तार किया है
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कांग्रेस इंदिरा फेलोशिप के तहत हुई परिचर्चा भोपाल लोकसभा क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी अरूण श्रीवास्तव ने कहा कि कांग्रेस ने देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को बनाया 1971 में देश में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में युद्ध लड़ा गया इंदिरा गांधी के नेतृत्व में बहुत सारी समस्याओं का समाधान किया गया भाजपा पर तंज करते हुए उन्होंने कहा कि वह 10 साल से विधनसभा और लोकसभा में महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने की बात कह रहे है लेकिन अब तक नहीं दे पाये है इमरती देवी को लेकर दिये विवादित बयान पर जीतू पटवारी का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि उनके कहने का मतलब गलत नहीं था वह तो बस इतना कहना चाह रहे थे कि इमरती देवी का प्रभाव अब खत्म हो चुका है
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बीजेपी तीसरी बार सत्ता में आई तो संविधान खतरे में होगा जीतू पटवारी ने मीडिया से कहा कि भाजपा संविधान खत्म करने की कोशिश में है वह आरक्षण के खिलाफ है पीसीसी चीफ ने आरोप लगाते हुए कहा कि कोरोना काल में लोगों को कोविशील्ड वैक्सीन लगाई गई और अब यह जानलेवा साबित हो गई है कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी से मोदी सरकार ने पार्टी फंड में 50 करोड़ का चंदा लिया इसके साथ ही उन्होंने ग्वालियर मुरैना और भिंड लोकसभा सीटें कांग्रेस सौ फीसदी जीत का दावा किया
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महिला पर पहले से आपराधिक मामले दर्ज पुलिस ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर कोतवाली टीआई अरविंद कुजूर महिला पुलिस के साथ अवैध जहरीली शराब संग्रह करने वाले स्थान पर पहुंचे यहां से नशा का कारोबार करने वाली अरोपी महिला मुन्नी उर्फ अफसाना खातून को गिरफ्तार किया आरोपी महिला के पास से 25 लीटर ओपी जहरीली कैमिकलयुक्त अवैध शराब जब्त की है कोतवाली थाना पुलिस ने आबकारी अधिनियम के तहत कार्यवाही की है
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लड़की के परिजनों को किया गया तलब दखल न्यूज़ पर कॉलेज का रील काण्ड दिखाए जाने के बाद अमरपाटन शासकीय महाविद्यालय के अंदर बन रही इंस्टाग्राम रील के मामले में प्राचार्य ने कार्यवाही की हैं कॉलेज में चेतना कुशवाहा नामक युवती लगातार महाविद्यालय के अंदर से रील बना कर रही इंस्टाग्राम व फेसबुक पर पोस्ट कर वायरल कर रही थी , इस खबर को दखल न्यूज ने प्रमुखता से दिखाया तो खबर का बड़ा असर हुआ इसके बाद प्राचार्य एक्शन में आए और छात्रा को नोटिस जारी किया ,साथ ही उसके माता पिता को भी तलब किया हैं व अनुशासन समिति कोइस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा है
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बच्ची को दाल-चावल में खिलाया नशीला पदार्थ जिस स्कूल में बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ उसका नाम ज्ञान गंगा एकेडमी है nयहां दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली आठ वर्षीय छात्रा से ज्ञानगंगा बोर्डिंग स्कूल के हॉस्टल में दुष्कर्म किया गया है बच्ची को दाल चावल में कुछ नशीला पदार्थ खिलाया गया जिससे वह बेसुध हो गई जब बच्ची को होश आया तो एक व्यक्ति उसके साथ गलत काम कर रहा था घटना 4-5 दिन पुरानी बताई जा रही है बच्ची की मां ने मिसरोद पुलिस को बताया कि 15 दिन पहले ही हॉस्टल में दाखिला कराया था सोमवार को मां इंदौर से स्कूल पहुंची मां को देखते ही बच्ची लिपटकर रोने लगी बच्ची ने मां को पूरा वाकया बताया इसके बाद मां तुरंत बच्ची को लेकर जेपी अस्पताल गई जहां चेकअप के बाद डॉक्टर ने बताया कि बच्ची के प्राइवेट पार्ट में सूजन और ब्लीडिंग हुई है परिजनों की शिकायत के बाद पुलिस ने हॉस्टल वार्डन समेत 3 लोगों को आरोपी बनाया गया है
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मप्र में 29 और यूपी में 80 सीटों पर विजयश्री मिलेगी दतिया पहुंचे उप्र के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि मप्र में भाजपा पूरी 29 की 29 सीटें जीत रही है जबकि यूपी में 80 की 80 सीटों पर विजयश्री मिलेगी दतिया से मौर्य सड़क मार्ग से उत्तरप्रदेश के झांसी जिले में लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए रवाना हो गए वहां वे झांसी से भाजपा प्रत्याशी अनुराग शर्मा के नामांकन कार्यक्रम में शामिल होंगे
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मामला निपटाने के नाम पर मांग रहे मोटी रकम छतरपुर में व्यापारियों के पास साईबर ठगों के फोन आ रहे है साईबर ठग सीबीआई अधिकारी बनकर व्यापारियों को धमका रहे है मामला निपटाने के नाम पर व्यापारियों से मोटी रकम मांगी जा रही है रकम न देने पर अंजाम भुगतने की धमकी भी अपराधी दे रहे है अब तक तीन व्यापारियों के पास इस तरह के फोन आने की चर्चा शिकायत मिलने के बाद एसपी ने इस संबंध में एडवाईजरी जारी की है और लोगों से इस तरह के ठगों से बचकर रहने और पुलिस को शिकायत करने के लिए कहा गया है
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खंडवा रेल्वे स्टेशन पर बड़ा हादसा टल खंडवा रेलवे स्टेशन पर मंगलवार सुबह एक मालगाड़ी के 5 डिब्बे पटरी से उतर गए बताया जा रहा है कि यह मालगाड़ी बगैर इंजन के 200 मीटर तक दौड़ गई थी इस कारण ओएचई पोल क्षतिग्रस्त हो गया इस घटना के बाद एक नंबर और 6 नंबर प्लेट लाइन पर यातायात बाधित हो गया घटना के कारण तीन नंबर लाइन पर हावड़ा मेल खड़ी है इसके अलावा अन्य ट्रेनें भी जो खंडवा जंक्शन से गुजरने वाली थीं उन्हें आसपास के रेलवे स्टेशनों पर रोक दिया गया है
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सिंगरौली अस्पताल में ईलाज जारी सिंगरौली बाल न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश आयुष कनेश सड़क हादसे का शिकार हो गए वे अपने परिवार के साथ कही जा रहे थे इस दौरान परसौना देवरी के पास उनके वाहन की आटो से भिड़ंत हो गई हादसे में न्यायाधीश के परिवार को गंभीर चोट आई है हालत गंभीर होने पर न्यायाधीश को सिंगरौली हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है जहां उनका ईलाज जारी है
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सतपुडा टाइगर रिजर्व ने शेयर किये वीडियो सतपुडा टाइगर रिजर्व मढ़ई के वन क्षेत्र में दो दिन पूर्व एक टाइगर बायसन का शिकार करते देखने को मिला टाइगर, बायसन का शिकार करने उसके पीछे दौड़ा लेकिन शिकार करने में टाइगर असफल रहा पर्यटकों ने इस नजारे को अपने कैमरों में कैद कर लिया अब ये वीडियो खूब वायरल हो रहा है ये वीडियो जंगल के राजा की बेबसी को बयान कर रहा हे वहीँ एक मादा भालू अपने शावक के साथ मढ़ई वन क्षेत्र की कच्ची सडकों पर घूमती मिली इन दोनों वनप्राणियों को देख पर्यटक खूब रोमांचित हुये सतपुडा टाइगर रिजर्व ने अपने पर्सनल सोशल मीडिया पेज पर यह दोनों वीडियो शेयर किये है
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बघेल ने पूर्व सांसद स्वर्गीय देवव्रत की भावनाओं को ठेस पहुंचाई छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का विवादों से पुराना नाता रहा है लगातार छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के चलते उन पर विभिन्न जांच एजेंसियां पहले ही सक्रिय है वर्तमान में वह राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार है इस बीच पूर्व सांसद स्वर्गीय देवव्रत सिंह की पत्नी विभा सिंह ने भूपेश बघेल पर राजा साहब के वजूद को मिटाने का आरोप लगाया उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम बघेल तलाक शुदा पदमा सिंह को स्वर्गीय देवव्रत की पत्नी बताकर जनता को गुमराह कर रहे हैं और वोट बटोरने का प्रयास कर रहे हैं
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सबसे ज्यादा होशंगाबाद में 40% मतदान हुआ मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने मतदान की स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि पूरे प्रदेश में 12 हजार 828 मतदान केंद्रों पर सुबह 11:00 बजे तक 28.15% मतदान हुआ है संसदीय क्षेत्र के हिसाब से समझे टीकमगढ़ में 26. 96% दमोह में 26.84% खजुराहो में 28.14% सतना में 30.23% रीवा 24.64 % होशंगाबाद में 40% मतदान हुआ है वहीं मतदान प्रारंभ होने के पश्चात 14 B U, 12 C U , 22 V V PAT बदले जा चुके हैं
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पुलिस ने व्यवस्था का लिया जायजा दूसरे चरण में 89 लोकसभा सीटों पर चुनाव होने वाले हैं जिसके तहत सतना लोकसभा सीट पर भी मतदान होगा इसको लेकर सतना लोकसभा सीट के मैहर जिले में चुनाव को शांतिपूर्ण तरीके से कराने के लिए मैहर पुलिस ने पूरी तरह से कमर कस ली है मैहर पुलिस कप्तान के द्वारा जिले के अमरपाटन थाना में ड्यूटी पर तैनात सभी पुलिस कर्मचारियों और अधिकारियों की बैठक ली गई उन्होंने मतदान को शांतिपूर्ण ढंग से कराने एवं मतदान के दौरान होने वाली कार्यवाही संबंधित चर्चा की
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असिस्टेंट मैनेजर की मौत, 5 घायल NCL की निगाही कोयला खदान के पश्चिमी अनुभाग में मंगलवार की देर शाम कोयले का परिवहन करने वाले बड़े होलपैक डंपर ने बोलेरो वाहन को कुचल दिया घटना में असिस्टेंट मैनेजर की मौके पर मौत हो गई वहीं पांच गंभीर रूप से घायल हैं होलपैक डंपर के वजन से कार के परखच्चे उड़ गए है घटना के बाद मौके पर पहुंचे NCL के अधिकारियों व पुलिस ने घायलों को इलाज के लिए जयंत स्थित नेहरू चिकित्सालय में भर्ती कराया है जहां घायलों का इलाज जारी है हादसे पर सीटू नेता रामलल्लू गुप्ता ने दुख व्यक्त करते हुए घटना की उच्चस्तरीय जांच और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है
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एक युवक की मौत, दूसरा गंभीर मध्य प्रदेश में सड़क हादसे कम होने का नाम नहीं ले रहे है....ताजा मामला अमरपाटन का है यहां नेशनल हाइवे पर सडक किनारे खड़े ट्रक में पीछे से आ रही तेज रफ्तार बाइक जा टकराई टक्कर इतनी भीषण थी कि बाइक सवार दोनों युवक गंभीर रूप से घायल हो गए सूचना के बाद हाइवे एम्बुलेंस की सहायता से दोनों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अमरपाटन लाया गया जहाँ एक ने ईलाज दौरान एक युवक ने दम तोड़ दिया घायल युवक की हालत गंभीर होने पर उसे रीवा के संजय गांधी मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया हैं
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पुलिस ने जारी किया था नोटिस छिपा सोसायटी के प्रबन्धक की आत्महत्या मामले में पुलिस का कहना है कि आत्महत्या का कारण 28 लाख रुपए की आर्थिक गड़बड़ी थी जिसको लेकर डोंगरगढ़ पुलिस ने तत्कालीन सेवा सहकारी बैंक के अध्यक्ष नवाज खान को नोटिस जारी किया था प्रकरण दर्ज होने के बाद नवाज़ खान ने पुलिस के सामने पेश होना था लेकिन वह अपना मोबाइल बन्द कर फ़रार हो गया फ़िलहाल पुलिस नवाज़ ख़ान की तलाश कर रही है
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बिजली पोल से गुजर रही डिक्स केबल में आग परासिया के ईडीसी कॉलोनी में शनिवार सुबह अचानक आग लग गयी जिससे निवासियों के बीच में अफरा तफरी का माहौल उत्पन्न हो गया लोगों ने काफ़ी प्रयास किया आग पर काबू पाने की लेकिन कुछ बिजली के खम्भो में करंट आने लगा जिसके बाद तत्काल बिजली विभाग को बुलाया गया मौके से पहुंच बिजली विभाग के लोगो ने काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया बता दे की इस घटना का आरोप निवासियों ने प्रशासन पर लगाया
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गाड़ियों में फंसे लोगों की जान बचाई आई बी सी 24 के पत्रकार बृजेश जैन रोज की तरह देर रात ऑफिस से अपने घर जा रहे थे बिलखिरिया इलाके में उन्होंने देखा कि एक एम्बुलेंस और कार की टक्कर हो गई है टक्कर इतनी जोरदार थी कि एम्बुलेंस ड्राइवर गाड़ी में ही फंसकर रह गया ऐसे में पत्रकार ने पत्रकारिता को एक और रखा और अंधेरी सड़क पर गाड़ी में फंसे व्यक्ति को निकलने के काम को शुरू किया कुछ स्थानीय लोगों से मदद लेकर बृजेश जैन ने एम्बुलेंस का गेट तोड़ने का फैसला किया क्योंकि ऐसा किये बिना ड्राइवर को बचा पाना नामुमकिन था फिर बृजेश सब्बल की मदद से गाडी का दरवाजा तोड़ा और घायल को निकालकर अस्पताल पहुँचाया इस हादसे में चार लोग घायल हुए बृजेश जैन भोपाल के चर्चित और शालीन पत्रकार माने जाते हैं उनके इस मानवीय और संवेदनशील व्यवहार की खूब प्रशंसा हो रही है
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कई जिलों में ओला गिरने की आशंका मध्यप्रदेश का मौसम एक बार फिर बदल गया है मौसम विभाग का कहना है हवाओं के साथ बारिश होने की सम्भावना है कुछ इलाकों में गरज चमक के साथ ओले भी गिर सकते हैं मध्य प्रदेश के मौसम ने एक बार फिर से करवट बदल ली है सुबह से ही बादल छाए हुए हैं ठंडी हवाएं चल रही हैं मौसम विभाग के अनुसार बंगाल की खाड़ी से लगातार नमी आने के कारण मौसम में बदलाव हैं प्रदेश के नर्मदापुरम, जबलपुर, भोपाल, सागर, रीवा, शहडोल, ग्वालियर, चंबल संभाग के जिलों में हल्की बूंदाबांदी के साथ बारिश होने की संभावना जताई जा रही है मौसम विभाग की माने तो रेड अलर्ट के साथ मौसम विभाग ने जबलपुर नर्मदापुरम संभाग के जिलों में कहीं-कहीं ओले भी गिरने की आशंका जताई है यह सिलसिला रुक-रुककर चार दिन तक चल सकता है
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हवाई सेवाओं से पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा हल्द्वानी से कई शहरों के लिए हवाई सेवाओं की शुरुआत की गयी जिसका शुभारंभ शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वर्चुअल रूप से किया उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हल्द्वानी से कुमाऊं के कई शहरों के लिए शुक्रवार को वर्चुअली हवाई सेवा का शुभारंभ किया जो हवाई सेवा संचालन करने वाली हेरिटेज एविएशन के मुताबिक 7 सीटर हेलीकॉप्टर प्रतिदिन दो उड़ाने हल्द्वानी से भरेगा बता दे की इस दौरान लालकुआँ विधायक डॉ मोहन सिंह बिष्ट सहित कई जनप्रतिनिधि व अधिकारी भी मौजूद रहे
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काशीपुर राजकीय प्राथमिक विद्यालय में रिश्वत का लेन देन रंगे हाथ गिरफ्तार हुए प्रधानाध्यापक और सहायक अध्यापक टोल फ्री नम्बर 1064 पर दर्ज शिकायत के अनुसार विजिलेंस टीम ने छापेमारी कर राजकीय प्राथमिक विद्यालय के प्रधान अध्यापक और सहायक अध्यापक को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा खबर काशीपुर ग्राम बांसखेडा के राजकीय प्राथमिक विद्यालय से सामने आया है जहां राजकीय प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक दिनेश शर्मा और सहायक अध्यापक अंकुर प्रताप को रिश्वत लेते हुए विजिलेंस टीम ने रंगे हाथ गिरफ्तार किया है इस कामयाबी के लिए ट्रैप टीम को पुरस्कृत किये जाने की घोषणा की है जिसमे विजिलेंस इंस्पेक्टर ललिता पांडे, ट्रैप प्रभारी भानु प्रकाश आर्य टीम मे शामिल है
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इश्क हुआ तो मंच से सभी को बताऊंगा बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने लव मैरिज करने से इंकार कर दिया है शास्त्री नेकहा वे मातापिता की इच्छा से शादी करेंगे लेकिन अगर उन्हें किसी से इश्क हो गया तो वे ये बात सभी को मंच से बताएँगे शादी के मौसम में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री की शादी की चर्चाएँ एक फिर सामने आयीं जिसके बाद धीरेन्द्र शास्त्री ने कहा कि जब भी शादी करूंगा ,सबको बताकर करूंगा ,प्रेम विवाह करने की उनकी इच्छा नही है माता -पिता की पसंद पर ही शादी करूंगा ,यदि किसी से इश्क हुआ तो मंच से सभी को बताऊंगा
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प्रदेश के हिस्सों में गरज-चमक और हल्की बारिश मध्यप्रदेश में मौसम ने फिर अपना मिजाज बदल लय हैं प्रदेश में विपरीत दिशा की हवाओं का संयोजन हो रहा है इस वजह से बादल छाने लगे हैं इसके प्रभाव से महाराष्ट्र की सीमा से लगे नर्मदापुरम, जबलपुर संभाग के कुछ जिलों में रविवार सुबह बूंदाबांदी हुई वही राजधानी भोपाल में भी बादल छाए रहे जाते - जाते ठण्ड ने एक बार फिर अपने तेवर दिखा दिए भले ही मौसम बदलने से रात में ठंड का असर कम हो गया हो लेकिन बादल छाने की वजह से दिन का पारा कम हो गया है मौसम विज्ञानियों के अनुसार वर्तमान में दक्षिणी गुजरात पर हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है इस चक्रवात से लेकर कर्नाटक तक एक द्रोणिका बनी हुई है प्रदेश में फिलहाल विपरीत हवाओं का संयोजन के कारण कई इलाकों में बादल छा गए हैं मौसम विभाग के मुताबिक एक-दो दिन तक मौसम का मिजाज इसी तरह बना रहेगा इस दौरान खासकर पूर्वी मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में गरज-चमक के साथ हल्की बारिश हो सकती है
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विजेताओं को मिलेगा सर्टिफिकेट,31000 कैश 10 फरवरी को परासिया में संभाग स्तरीय बॉडी बिल्डिंग एवं मेन्स फिजिक चैंपियनशिप प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा विजेताओं को मेडल ट्रॉफी के साथ साथ 31000 कैश दिया जाएगा परासिया में बॉडी बिल्डिंग एवं फिजिक स्पोर्ट्स एसोसिएशन की बैठक हुई जिसमे आगामी 10 फ़रवरी को संभाग स्तरीय बॉडी बिल्डिंग एवं मेन्स फिजिक चैंपियनशीप का आयोजित करने का निर्णय लिया गया चैम्पियनशिप प्रतियोगिता स्व. श्री राजेश दुबे की स्मृति में राजेश श्री ट्रॉफी के नाम से परासिया जाटा छापर काली मंदिर में कराया जा रहा है चैंपियनशिप विजेताओं को मेडल ट्रॉफी सर्टिफिकेट के साथ साथ 31000/- कैश देकर सम्मानित किया जायेगा
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जल्द लगवा लें हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाए जाने का काम शुरू हो गया है परिवहन विभाग ने हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के लिए चैकिंग अभियान शुरू किया है हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं लगवाने वालों के खिलाफ कार्यवाही भी की जाएगी सिंगरौली जिले में भी बीते माह जारी आदेश के अनुसार प्रदेश भर के परिवहन अधिकारी ने हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट को लेकर चेकिंग अभियान तेज कर दिया है परिवहन अधिकारी विक्रम सिंह राठौड़ ने हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट को लेकर लोगों से अपील की है कि सभी वाहन मालिक एचएस आरपी जल्द से जल्द लगवा लें वरना चालान कटवाने के लिए तैयार रहें उन्होंने कहा कि ये एल्युमिनियम निर्मित नंबर प्लेट होती है जो वाहन के फ्रंट और रियर में लगाई जाती है जिसे लगवाना अति आवश्यक है
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चौहान ने कहा अतिक्रमण बड़ी समस्या कुश्म चौहान को हरिद्वार का सिटी मजिस्ट्रेट बनाया गया पद संभालने के बाद सिटी मजिस्ट्रेट चौहान ने कहा की अतिक्रमण एक बड़ी समस्या है जिसके लिए समय-समय पर अभियान चलाया जायेगा कुश्म चौहान का ट्रांसफर संयुक्त सचिव एमडीडीए से हरिद्वार डिप्टी कलेक्टर पद पर हुआ था शनिवार को हरिद्वार डीएम के आदेश पर कुश्म चौहान को हरिद्वार का सिटी मजिस्ट्रेट बनाया गया है जिसके बाद कुश्म चौहान ने सिटी मजिस्ट्रेट ऑफिस पहुंचकर अपना चार्ज संभाला चार्ज संभालने के बाद चौहान ने कहा कि हरिद्वार में अवैध अतिक्रमण एक बड़ी समस्या है जिसके लिए समय-समय पर अभियान चलाकर हटाया जाएगा
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बीएसएनल भारतीयों के हृदय में बसा है भारत संचार निगम लिमिटेड के महाप्रबंधक सुनील कुमार ने कहा हमारी यह यात्रा डिजिटल इंडिया को साकार करने के लिए है लगातार घर-घर इंटरनेट सर्विस हो इसके लिए वह मार्केट में किफायती स्कीमों के साथ उपभोक्ताओं के बीच में है बीएसएनएल मध्य प्रदेश के महाप्रबंधक सुनील कुमार ने दतिया में मां पीतांबरा देवी की पूजा अर्चना की उन्होंने ग्वालियर और दतिया के बीएसएनएल अधिकारियों के साथ व्यापारियों ,समाज सेवियों, पत्रकारों व व्यापारियों से चर्चा करते हुए कहा बीएसएनल भारतीयों के हृदय में बसा है इसके नंबरों की साख है फाइबर ब्रॉडबैंड नेटवर्क में भी वह गांव गांव तक पहुंच रहा है हमारी यह यात्रा डिजिटल इंडिया को साकार करने के लिए है
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गांधीजी के सिद्धांतों ने विश्व को दिया सत्य और अहिंसा का आधुनिक दर्शन (प्रवीण कक्कड़) आज महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है। गांधीजी दुनिया के ऐसे अनोखे राजनेता हैं, जिन्हें लोग नेता से बढ़कर संत के रूप में याद करते हैं। गांधी जी के सिद्धांतों ने विश्व को सत्य और अहिंसा का आधुनिक दर्शन दिया है। मार्टिन लूथर किंग जूनियर से लेकर बराक ओबामा तक उन्हें आदर्श मानते हैं, भारत ही नहीं पूरे विश्व में न केवल उनके विचारों की व्यापक स्वीकार्यता है, बल्कि उनके सिद्धांतों को प्रासंगिक मानकर उन पर चलने का प्रयास किया जा रहा है। जब भी महात्मा गांधी का नाम लिया जाता है तब सबसे पहले जहन में दो शब्द आते हैं वो हैं सत्य और अहिंसा। गांधी जी ने सत्य के प्रति अडिग रहकर अपना पूरा जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया, उन्होंने अपने विचारों से न केवल भारत को आजादी दिलायी, बल्कि समाज में अनेक सुधार भी किए। इसी तरह गांधीजी के अहिंसा का आधुनिक दर्शन दिया। विश्व में पहले किसी विरोध का मतलब होता था हिंसक लड़ाई लेकिन महात्मा गांधी के अहिंसा दर्शन ने इस सोच को बदल दिया। इसी पर लोकतंत्र की नींव रखी गई और इस बात को साबित किया गया कि अब देश रूल ऑफ़ लाॅ से चलेगा न कि रूल ऑफ़ साॅर्ड से। यानी आधुनिक सरकार तलवार के जोर से नहीं कानून के जोर से चलती है। तलवार का मुकाबला तलवार से यानी हिंसा का मुकाबला हिंसा से किया जा सकता है लेकिन कानून तो आम सहमति से ही बदले जा सकते हैं, इसके लिए जन सत्याग्रह यानी अहिंसक आंदोलन ही एकमात्र सास्ता है। गांधीजी के सत्य, अहिंसा, स्वराज और सत्याग्रह के विचार शाश्वत हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि उन्होंने जमीनी तौर पर अपने विचारों का परीक्षण किया और जीवन में सफलता अर्जित की। महात्मा गांधी के अहिंसा के आधुनिक दर्शन से पूरी दुनिया ने प्रेरणा ली। भारत की आजादी के बाद अधिकांश देशों ने इसी तरह के आंदोलन का सहारा लिया। विश्व में हुए अहिंसक आंदोलनों को सफलता भी मिली। गांधी जी ने अपना जीवन सत्य या सच्चाई की व्यापक खोज में समर्पित कर दिया। उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी स्वयं की गलतियों और खुद पर प्रयोग करते हुए सीखने की कोशिश की। उन्होंने अपनी आत्मकथा को सत्य के प्रयोग का नाम दिया। उन्होंने अपनी खोज और प्रयासों से सत्य का नया दर्शन दिया। गांधी जी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ने के लिए अपने भय और असुरक्षा जैसे तत्वों पर विजय पाना है। गांधीजी ने अपने विचारों को सबसे पहले उस समय संक्षेप में व्यक्त किया जब उन्होंने कहा भगवान ही सत्य है, बाद में उन्होंने अपने इस कथन को सत्य ही भगवान है में बदल दिया। इस प्रकार सत्य में गांधी के दर्शन है "परमेश्वर"। यही कारण है कि आज भारत ही नहीं दुनिया के सभी देश महात्मा गांधी को आदर्श और उनके सिद्धांतों को प्रासंगिक मानते हैं। आज हमें महात्मा गांधी के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त करने के साथ ही यह भी विचार करना चाहिए कि कैसे हम उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारें। कैसे सत्य के सहारे हम अपनी बाधाओं का मुकाबला करें। अहिंसा के जरिए हम अपने लक्ष्यों की ओर आगे बढ़े और मजबूत चरित्र निर्माण के साथ पूरे समाज को एक सूत्र में बांधते हुए समभाव के साथ राष्ट्र निर्माण करें। सत्य और अहिंसा गांधी जी के दो सिद्धांत हैं। यही वजह है कि 15 जून 2007 को यूनाइटिड नेशनल असेंबली ने 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाने का फैसला किया। ऐसे मिली राष्ट्रपिता और महात्मा की उपाधि महात्मा गांधी के राष्ट्रपिता कहे जाने के पीछे भी एक कहानी है। महात्मा गांधी को पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था। 4 जून 1944 को सिंगापुर रेडिया से एक संदेश प्रसारित करते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहा था। इसके बाद कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने गांधीजी को महात्मा की उपाधि दी थी।
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गिरफ्तार किये गए अभियुक्त पहले भी जा चुके हैं जेल काशीपुर में लंबे समय से चोरी हो रही मोटरसाइकिल चोरों का पुलिस ने खुलासा किया है चोरी की दस मोटर साइकिल के साथ दो अभियुक्तों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है जिनके पास से 9 मोटर साइकिल और एक स्कूटी मिली है मोटर साइकिल चोरी को लेकर पुलिस ने खुलासा किया है चैकिंग अभियान के दौरान पुलिस को देखकर एक बिना नम्बर प्लेट की मोटर साईकिल पर सवार दो व्यक्ति मोटर साईकिल वापस मोड़कर भागने का प्रयास करने लगे जिन्हें शक के आधार पर पुलिस टीम ने पकड़ लिया गिरफ्तार किये गए अभियुक्तों वसीम अली और लाभ सिंह दोनों के पास से 9 मोटर साइकिल और एक स्कूटी मिली है दोनों अभियुक्त थाना आई टी आई ग्राम वीरपुर कटैया के रहने वाले हैं जो चोरी के मामले में पहले भी जेल जा चुके है
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विजयी व्यापारियों ने निकाला जुलूस देवभूमि उद्योग व्यापार मंडल के चुनाव हल्दूचौड़ में संपन्न हुए चुनाव नतीजे आने के बाद विजयी प्रत्याशियों ने ढोल नगाड़ों और आतिशबाजी करते हुए जुलूस निकाला हल्दूचौड़ देवभूमि उद्योग व्यापार मंडल में चार पदों पर चुनाव कीमतगणना प्रक्रिया 12 राउंड में संपन्न कराई गई नतीजे आने के बाद पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में विजयी प्रत्याशियों ने ढोल नगाड़ों और आतिशबाजी करते हुए हल्दूचौड़ बाजार में जुलूस निकाला
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युवाओं से हेलमेट पहन कर गाडी चलने की अपील सड़क सुरक्षा अभियान से इस बार पुलिस ने बच्चों को भी जोड़ा और उन्हें समझाया गया की हमेशा यातायात के नियमों का पालन करें और हेलमेट पहन कर ही वाहन चलाएं सड़क सुरक्षा जागरूकता पखवाड़े के समापन अवसर पर स्कूल कॉलेज एवं एनजीओ के लोगों को सम्मानित किया गया इस अवसर पर पुलिस आयुक्त हरीनारायणचारी मिश्रा ने बताया कि इस पखवाड़े में हमने स्कूल कॉलेज के विद्यार्थियों और एनजीओ के बच्चों को चित्रकला संगीत, नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जोड़ा और उन्हें पुरुस्कृत भी किया युवाओं से अपील की है कि वह हेलमेट लगा कर चलें शराब पीकर गाड़ी ना चलाएं इसके साथ सभी को ई चलान लेकर भी जागरूक किया गया
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विस्थापित शरणार्थियों से पहले अखंड भारत ही था मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के एक बयान से पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ है पाकिस्तान ने अपने बयान में मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के सीएम के पिछले दिनों दिए गए बयान का उल्लेख किया है इसके बाद सीएम डॉ. मोहन यादव ने इसका जवाब दिया और कहा पाकिस्तान कितनी आपत्ति जताये सच तो सच है रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा- सदियों पुरानी मस्जिद को 6 दिसंबर 1992 को चरमपंथियों की भीड़ ने ध्वस्त कर दिया अफसोस की बात है कि भारत के सुप्रीम कोर्ट ने न केवल इस घृणित कृत्य के लिए जिम्मेदार अपराधियों को बरी कर दिया, बल्कि ध्वस्त मस्जिद के स्थान पर एक मंदिर के निर्माण की भी अनुमति दे दी पाकिस्तान ने अपने बयान में मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के सीएम के पिछले दिनों दिए गए बयान का भी उल्लेख किया है इस पर सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा पाकिस्तान लाख आपत्ति जताए, लेकिन हम जानते हैं कि सिंध से जो लोग विस्थापित हो कर यहाँ आये उससे पहले अखंड भारत ही था ननकाना साहब अखंड भारत के जो हिस्से रहे हैं हमारे राष्ट्रगान में भी है पंजाब सिंध गुजरात मराठा है तो हम इसको अलग नहीं कर सकते
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बरैया EVM ने हरा दिया कांग्रेस को मध्यप्रदेश में कांग्रेस की करारी हार के लिए कांग्रेस नेता EVM को दोषी ठहरा रहे हैं कांग्रेस विधायक फूल सिंह बरैया का कहाँ है कांग्रेस को EVM के जरूये हरवाया गया है छतरपुर मे टीकमगढ़ लोकसभा सीट की बैठक लेने आये काग्रेंस विधायक और टीकमगढ़ लोकसभा प्रभारी फूल सिंह बरैया ने आरोप लगाया है कि ई वी एम मशीन की वजह से उनकी पाटीँ चुनाव मे हारी है उनका कहना है बिना evm के भाजपा चुनाव नहीं जीत सकती उन्होंने अयोध्या मे राममंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पर प्रश्नचिन्ह खडे करते हुये आरोप लगाया कि जब अधूरे मंदिर पर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर चारो शंकराचार्य ने गलत बताते हुये अयोध्या जाने से इंकार कर दिया तो हमारे नेता क्यो प्राण प्रतिष्ठा मे शामिल होते
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बोट क्लब को श्री राम की झांकी बनाकर सजाया गया मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर भोपाल के बोट क्लब को राम के नाम सजाया ऐसे में पुलिस बैंड ने भक्तिमय धुन की के साथ भजनों की प्रस्तुति दी राम आएंगे तो अंगना सजायेंगे कभी राम बनके कभी श्याम बनके चले आना प्रभुजी,एवं हनुमान चालीसा की धुन से भोपाल का बोट क्लब राममय हो गया मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग ने भगवान राम की रंगोली सजाई बोट क्लब आने वाले इस नाजारे को देख कर मंत्रमुग्ध हो गए राम जी की प्राण प्रतिष्ठा पर पुलिस बैंड की प्रस्तुति से सभी अविभूत हो गए बोट क्लब पर जितनी भी नाव थी सब पर भगवा ध्वज लगाया गया
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शहर की कई मेकअप आर्टिस्ट ने लिया हिस्सा कॉस्मेटिक ब्रांड नायका ने भोपाल में एक दिवसीय मेकअप सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमे मेकअप को लेकर रुचि रखने वाली महिलाएं और शहर की कई मेकअप आर्टिस्ट ने हिस्सा लिया और मेकअप के गुर सीखे कॉस्मेटिक ब्रांड नायका द्वारा राजधानी भोपाल में एकदिवसीय मेकअप सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमे युवतियों के साथ महिलाएं और शहर की कई मेकअप आर्टिस्ट ने हिस्सा लेकर मेकअप की और बारीकियों को सीखा इस मौके पर मेकअप एक्सपर्ट रचना सेवानी ने लाइव डेमो देकर मेकअप की बारीकियां सिखाई
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सुरक्षा की दृष्टि से लोगों से आह्वान सड़को पर रहे सावधान काशीपुर में सड़क सुरक्षा माह कार्यक्रम का आयोजन किया गया सड़क सुरक्षा कार्यक्रम के माधयम से लोगों को जागरूक किया गया और सड़क सुरक्षा से जुडी जानकारिया भी दी गईं काशीपुर में सड़क सुरक्षा अभियान चलाया जा रहा है सड़क सुरक्षा माह कार्यक्रम के माध्यम से लगा को जागरूक किया गया जब भी सड़को पर चले तो सुरक्षा की दृष्टि से चले एआरटीओ असित कुमार झा.ओर जितेंद्र चंद्र ने संयुक्त रूप से राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह में लोगों को सड़क सुरक्षा के बारे में विस्तृत जानकारी दी इस दौरान उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा को लेकर समस्त जनता का कर्तव्य है कि वह वाहन चलाते समय अपनी सुरक्षा स्वयं करें और दूसरों की सुरक्षा में सहयोग प्रदान करें
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108 दृष्टि दिव्यांगजनों ने किया रामायण पाठ रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले भोपाल के बीजेपी प्रदेश कार्यालय में अखंड रामायण पाठ किया जा रहा है दृष्टि बाधित दिव्यांगजन ब्रेल लिपि से इस रामायण पाठ को कर रहे हैं रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष में बीजेपी प्रदेश कार्यालय में बने मंदिर में अखंड रामायण पाठ किया जा रहा है यह रामायण पाठ दृष्टि दिव्यांगजनों द्वारा किया जा रहा ब्रेल लिपि से दिव्यांजन कर रहे रामायण पाठ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा सहित तमाम कार्यकर्ता शामिल हुए वीडी शर्मा ने प्रभु श्री राम की पूजा कर रामायण जी का पाठ प्रारंभ किया
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(प्रवीण कक्कड़) आप सभी को श्रीराम मंदिर के उद्घाटन की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं। वास्तव में श्रीराम ने अपने जीवन में मनुष्य से देवत्व तक की यात्रा को न केवल तय किया है, बल्कि चरित्र के सर्वश्रेष्ठ स्तर को हासिल करने का उदाहरण भी प्रस्तुत किया है। उन्होंने हर स्थिति और व्यक्ति के साथ संबंध निभाकर जीवन का प्रबंधन समझाया है और समाज के अंतिम तबके को अपने साथ जोड़कर समाजवाद को भी परिभाषित किया है। चलिए चर्चा करते हैं त्रेतायुग में अयोध्या में जन्में श्रीराम के मनुष्य से देवत्व को हासिल करने की यात्रा पर। बालपन में ही अपने छोटे भाईयों के प्रति स्नेह हो या गुरू के आश्रम पहुंचकर शिक्षा ग्रहण करना, बात माता-पिता की आज्ञा पालन की हो या सखाओं से मित्रता निभाने की, उन्होंने हमेशा ही अपने कर्मों से मर्यादा को प्रस्तुत किया और देवत्व की ओर यात्रा पर बढ़ चले। जब गुरूकुल से शिक्षा-दीक्षा पूरी कर श्रीराम: मनुष्य से देवत्व की यात्रा श्रीराम अयोध्या वापस लौटे तो वहां ऋषि विश्वामित्र का आगमन हुआ। उन्होंने राजा दशरथ से कहा कि मुझे राम को अपने साथ ले जाना है इस पर राजा चिंतित हो गए और कहने लगे कि आप मेरी सेना ले जाईये, मुझे साथ ले चलिए, आप राम ही को क्यों ले जाना चाहते हैं। इस पर ऋषि विश्वामित्र ने कहा कि यौवन, धन, संपत्ति और प्रभुत्व में से एक भी चीज किसी को हासिल हो जाए तो उसमें अहंकार आ जाता है, आपके पुत्र के पास यह चारों हैं लेकिन फिर भी वह विनम्र है इसलिए इसे ले जा रहा हूं। ऋषि विश्वामित्र के साथ वन जाकर श्रीराम ने राक्षसी ताड़का का वध किया, वहीं शिला बन चुकीं अहिल्या देवी का उद्धार किया। जनकपुरी में वे सीता स्वयंवर में पहुंचे। यहां बड़े-बड़े राजा जिस शिव धनुष को हिला भी न सके थे उसे प्रत्यंचा चढ़ाते हुए श्रीराम ने तोड़ दिया। इससे क्रोधित भगवान परशुराम को श्रीराम ने स्वयं मीठी वाणी बोलकर शांत किया। इसके साथ ही उनका देवी सीता से विवाह हुआ। आज छोटी-छोटी चीजों पर हम डिप्रेशन में आ जाते हैं, वहीं जरा कल्पना कीजिए जिस युवक का अगली सुबह राजतिलक होने वाला हो और उसे रात में कहा जाए कि उसे वनवास पर जाना है। इस निर्णय को श्रीराम ने कितने रचनात्मक ढंग से लिया और वनवास जाने के लिए सहज तैयार हो गए। उन्होंने जहां एक ओर अपने पिता के वचन की लाज रखी, वहीं मां कौशल्या से कहा कि पिताजी ने मुझे जंगल का राज्य सौंपा है, वहां ऋषियों के सानिध्य में मुझे बहुत सेवा करने का अवसर मिलेगा। इसी कारण वन जाने से पहले जो अयोध्या के राजकुमार थे, वन से लौटकर वह मर्यादा पुरूषोत्तम कहलाए। वनवास के दौरान श्रीराम ने खर, दूषण और सुबाहू जैसे कई राक्षसों का अंत किया। उन्होंने किसी राजा से बात नहीं की न ही किसी राज्य का आश्रय लिया। बल्कि उन्होंने वंचितों से बात की। आदिवासियों से मिले, केवट के माध्यम से गंगा पार की, शबरी के जूठे बेर खाए और समाज के अंतिम तबके से मिले। हर व्यक्ति को समाज की मूल धारा में जोड़ने के लिए श्रीराम ने समाजवाद की स्थापना की। श्रीराम ने शौर्यवान, शक्तिशाली और पराक्रमी होने के बावजूद कभी धैर्य का साथ नहीं छोड़ा और सत्य पर अडिग रहे। इसलिए रावण वध को हम असत्य पर सत्य की जीत के रूप में याद रखते हैं। अयोध्या लौटने पर जब श्रीराम राजा बने तो उन्होंने सदा प्रजा के हित का विचार किया। इसके साथ ही रामराज्य की स्थापना हुई। जो आज भी इतिहास की सबसे श्रेष्ठ प्रशासनिक व्यवस्था के रूप में जाना जाता है। अंत में बस इतना बताना चाहूंगा कि श्रीराम किसी धर्म या देश के नहीं बल्कि श्रीराम तो पूरी कायनात के हैं। श्रीराम तो वह हैं जो हर भक्त के चिंतन में हैं और सृष्टि के कण-कण में हैं। राम तो करूणा में हैं, शांति में राम हैं, राम ही हैं एकता में, प्रगति में राम हैं। राम हम सब के मन में हैं। हम सबकी आस्था में हैं। अयोध्या में राम मंदिर वेदों एवं पुराणाों के अनुसार उत्तर प्रदेश की अयोध्या नगरी का इतिहास प्राचीन है। श्रीराम के पूर्वजों के राज्य में अयोध्या राजधानी रही, श्रीराम का जन्म भी यहीं हुआ। श्रीराम ने भी अयोध्या को ही राजधानी बनाकर पूरे राज्य में शासन किया और इसका विस्तार किया। आज यहां श्रीराम के मंदिर का निर्माण पूरा हो गया है, यह सभी रामभक्तों की आस्था का केंद्र है। पूरे देश में इस उद्घाटन समारोह को लेकर उत्साह है और इसे दीपावली की तरह मनाया जा रहा है। मैं सभी रामभक्तों को इस उद्घाटन पर्व की शुभकामनाएं देता हूं।
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36 किलो चरस लेकर भोपाल पहुंचे थे तस्कर भोपाल में अब तक के इतिहास में सबसे बड़ी नशे की खेप पकड़ी गई है बिहार के 2 तस्कर नेपाल से 36किलो चरस लाए थे दोनों को क्राइम ब्रांच की टीम ने अयोध्या नगर बाइपास और निशातपुरा कोच फैक्ट्री के बीच जंगल से पकड़ा है इनके पास मिली चरस की कीमत साढ़े बारह करोड़ बताई गई है क्राइम ब्रांच ने मध्यप्रदेश के इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही करते हुए चरस की बड़ी खेप पकड़ी है पुलिस ने अंतरराज्य गिरोह का पर्दाफाश करते हुए बताया नेपाल से भोपाल चरस लेकर आ रहे दो आरोपियों को क्राइम ब्रांच गिरफ्तार कर उनके पास से करीब 36 किलोग्राम चरस जब्त की जिसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 12 करोड़ 50 लाख रुपए बताई जा रही है पूरे मामले का खुलासा करते हुए पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र ने बताया कि आरोपी सस्ते दामों में अवैध मादक पदार्थ बिहार के रास्ते नेपाल से लेकर आते थे क्राइम ब्रांच को मुखबिर से सूचना मिली थी कि 2 आरोपी नेपाल से चरस की बड़ी खेप लेकर भोपाल पहुंचे हैं,और वह कोच फैक्ट्री के पास जंगल में सप्लाई के लिए बैठे हैं सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने घेराबंदी कर दोनो आरोपियों को गिरफ्तार किया दोनों तस्कर बिहार के रहने वाले है इन नाम हरकेश चौधरी और दूसरे ने विजय शंकर यादव हैं
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झांकी देखने बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं लोग भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने भोपाल के युवा सदन में रामलला मंदिर की झांकी का निर्माण कराया है जिसको देखने पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा पहुंचे और उन्होंने मंदिर की प्रतिकृति के साथ सेल्फी भी ली 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है जिसका बेसब्री से पूरा देश इंतजार कर रहा है प्राण प्रतिष्ठा को लेकर तरह तरह के नज़ारे देखे जा रहे है वही प्राण प्रतिष्ठा से पहले हुजूर विधायक रामेश्वर शर्मा ने भोपाल के युवा सदन में अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर की झांकी का निर्माण कराया है जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं झांकी को देखने शुक्रवार सुबह पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा युवा सदन पहुंचे जहां उन्होंने रामलाल के मंदिर के साथ सेल्फी ली
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जेल में बंद धमकी देने वाले कारोबारी की शिकायत पर ‘प्रभात खबर’ के संपादकों के खिलाफ FIR प्रतिष्ठित हिंदी अखबार ‘प्रभात खबर’ (Prabhat Khabar) के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी और स्थानीय संपादक विजय पाठक के खिलाफ रांची के खेलगांव थाने में प्राथमिकी दर्ज कर की गई है। यह प्राथमिकी रांची के बिरसा मुंडा कारागार में बंद शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी की शिकायत पर दर्ज की गई है।बता दें कि इससे पहले खबर आयी थी कि रांची में बंद शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी ने 29 दिसंबर की सुबह जेल से ही प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी को फोन कर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी। फोन करने वाले ने पहले खुद का नाम योगेंद्र तिवारी बताया था, इसके बाद उसने प्रभात खबर में छप रही खबरों का उल्लेख करते हुए धमकी दी थी।दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय की चार्जशीट की खबर प्रभात खबर में प्रकाशित की गई थी, जिसके बाद ही प्रधान संपादक को धमकी मिली।इसके बाद प्रभात खबर की ओर से पहले प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी। सदर थाना की पुलिस ने आईपीसी की धारा 385, 503 और 506 के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे सीआईडी को सौंप दिया गया है। सीआईडी इस मामले की जांच कर रही है।बता दें कि योगेंद्र तिवारी शराब, बालू और जमीन कारोबारी हैं और मनी लाउंड्रिंग के मामले में वह जेल में बंद है।वहीं, प्रभात खबर की ओर से कहा गया है कि प्रभात खबर आरंभ से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर रहा है। जनहित की पत्रकारिता के कारण प्रभात खबर को पहले भी निशाना बनाने की कोशिश की जाती रही है। उसे परेशान करने का प्रयास किया गया है। प्रभात खबर को झुकाने का प्रयास किया गया है। इसके बावजूद प्रभात खबर न पहले कभी झुका था और न कभी झुकेगा। हमेशा जनता की आवाज बना रहेगा। इतिहास बताता है कि जब-जब प्रभात खबर को परेशान किया गया है, झूठे मुकदमे में फंसाने का प्रयास किया गया है, जनता की आवाज को दबाने का प्रयास किया गया है, पाठक-जनता सड़कों पर प्रभात खबर के समर्थन में उतरी है। यही प्रभात खबर +की सबसे बड़ी ताकत रही है। यही कारण है कि जब भी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़नेवाले देश-भर के जिन चुनिंदा अखबारों की चर्चा होती है, उसमें प्रभात खबर का महत्वपूर्ण स्थान होता है।
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‘इंडिया टुडे’ समूह में एक और बड़े पद पर अपनी भूमिका निभाएंगी कली पुरी जाने-माने मीडिया समूह ‘इंडिया टुडे’ (India Today) ग्रुप ने कली पुरी को एग्जिक्यूटिव एडिटर-इन-चीफ पद की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपने का फैसला लिया है। फिलहाल, कली पुरी ‘इंडिया टुडे’ समूह में वाइस चेयरपर्सन पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं।‘इंडिया टुडे’ समूह के चेयरमैन अरुण पुरी के ऑफिस की ओर से इस संबंध में एंप्लॉयीज को एक इंटरनल मेल जारी किया गया है।इस मेल में कहा गया है, ‘जैसा कि आप सभी जानते हैं, कली पुरी काफी समय से बिजनेस और संपादकीय डोमेन का सफलतापूर्वक नेतृत्व कर रही हैं। उनकी भूमिका के अनुरूप, मैं उनके लिए एक अतिरिक्त पदनाम की घोषणा करना चाहता हूं। ऐसे में मैं उन्हें एग्जिक्यूटिव एडिटर-इन-चीफ के रूप में नामित कर रहा हूं। वह पूर्व की तरह वाइस चेयरपर्सन पद पर अपनी जिम्मेदारी निभाती रहेंगी।’
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रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क ने अपना 'रिपब्लिक वर्ल्ड ऐप' लॉन्च किया है। नेटवर्क ने एक विज्ञप्ति में कहा कि यह ऐप यूजर्स के लिए वन स्टॉप डेस्टिनेशन के रूप में कार्य करता है, जो ब्रेकिंग न्यूज, पॉलिटिक्स, ओपिनियन, लाइव स्ट्रीम, स्पोर्ट्स, एंटरटेनमेंट व बिजनेस सहित विभिन्न बीट्स में गहन कवरेज प्रदान करता है, लेकिन यह यहीं तक ही सीमित नहीं है। रिपब्लिक वर्ल्ड ऐप का लॉन्चिंग ऐडवर्टाइजर्स के लिए नए रास्ते भी खोलता है, जिससे उन्हें एक विश्वसनीय मीडिया प्लेटफॉर्म पर ग्लोबल व रीजनल ऑडियंस से जुड़ने की सुविधा मिलती है। ऐप की पहुंच महत्वपूर्ण उपभोक्ता तक है, जो ब्रैंड्स को विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में अपने लक्षित दर्शकों के साथ प्रभावी ढंग से जुड़ने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करती है।रिपब्लिक वर्ल्ड ऐप क्षेत्रीय प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए अंग्रेजी, हिंदी, बंगाली और कन्नड़ में कंटेंट प्रदान करता है। यह बहुभाषी दृष्टिकोण समावेशिता और विविध श्रोता वर्गों की सेवा के प्रति नेटवर्क की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ अरनब गोस्वामी ने डिजिटल न्यूज स्पेस में एक अद्वितीय न्यूज एक्सपीरियंस प्रदान करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की उत्साहपूर्वक पुष्टि की। लॉन्च पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए उन्होंने ऐप की सफलता पर अटूट विश्वास जताया और भारतीय दर्शकों के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर आगामी डिजिटल-फर्स्ट न्यूज प्रॉडक्ट के लिए आशावाद व्यक्त किया
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हर्षवर्धन त्रिपाठी ने कही 'मन की बात' कांग्रेस नेता राहुल गाँधी अब आम चुनाव से पहले एक यात्रा निकालने वाले हैं। राहुल 14 जनवरी को मणिपुर से मुंबई के लिए यात्रा पर निकलेंगे। जो की 20 मार्च तक चलेगी। 14 राज्यों से गुजरने वाली यह यात्रा पूर्वोत्तर भारत से देश के पश्चिमी हिस्से को जोड़ेगी। इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल 'एक्स' से एक पोस्ट की और अपनी बात रखी।उन्होंने लिखा, मणिपुर से मुंबई तक राहुल गांधी का यात्रा करना अच्छा विचार है। पैदल और बस से यह यात्रा राहुल गांधी करेंगे क्योंकि, इस बार दूरी भी अधिक है 6200 किमी, लेकिन इस बार की यात्रा भारत जोड़ो यात्रा नहीं है। अब भारत न्याय यात्रा होगी। दरअसल, कांग्रेस के रणनीतिकारों का संकट ही यही है कि, किसी भी विमर्श पर स्वयं भीतर से तैयार हुए बिना शुरू हो जाते हैं। शायद यही वजह है कि, भारत जोड़ो से न्याय हो गया।आपको बता दें कि 14 राज्यों से गुजरने वाली यह यात्रा पूर्वोत्तर भारत से देश के पश्चिमी हिस्से को जोड़ेगी। लंबे समय से चर्चा थी कि राहुल गांधी एक और यात्रा पर निकलने वाले हैं, जिसका अब ऐलान हुआ है।कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि रणनीति के तहत इसकी शुरुआत मणिपुर से करने का फैसला हुआ है, जहां भीषण दंगे हुए थे। इससे कांग्रेस दंगों के मामले में भाजपा को घेरने की कोशिश करेगी।मणिपुर से #मुंबई तक राहुल गांधी का यात्रा करना अच्छा विचार है। पैदल और बस से यह यात्रा राहुल गांधी करेंगे क्योंकि, इस बार दूरी भी अधिक है 6200 किमी, लेकिन इस बार की यात्रा भारत जोड़ो यात्रा नहीं है। अब भारत न्याय यात्रा होगी।
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स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान को दीपक चौरसिया ने बताया ओछी हरकत समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर हिंदू धर्म को लेकर 'जहर' उगला है। उन्होंने दिल्ली में कहा कि हिंदू एक धोखा है। वेसै भी 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हिंदू कोई धर्म नहीं है। यह जीवन जीने की एक शैली है। RSS प्रमुख मोहन भागवत ने भी दो बार कहा है कि हिंदू नाम का कोई धर्म नहीं है बल्कि यह जीवन जीने की एक कला है।मौर्य ने आगे कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा है कि हिंदू धर्म कोई धर्म नहीं है।' उनके इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने अपने 'एक्स' हैंडल से एक पोस्ट की और उनके बयान की भरसक निंदा की है।दीपक चौरसिया ने लिखा, 'जिस तरह से स्वामी प्रसाद मौर्या हिंदू धर्म को लेकर आये दिन मज़ाक़, कटाक्ष करते रहते हैं इसका अंजाम हर समय विपक्ष को देखना पड़ रहा है। स्वामी प्रसाद ये सब करके ओछी हरकत कर रहे हैं। अखिलेश यादव ने पहले भी नसीहत दी थी लेकिन लग रहा है कि स्वामी जी अब अकेले की पार्टी बनाना चाहते हैं। ये दुर्भाग्य है। हर बार इलेक्शन में अगड़ा-पिछड़ा, जाति-धर्म के नाम पर ऐसा प्रपंच रचने की कोशिश होती रही है। लेकिन ऐसा करना अब फ़ायदे का सौदा रहा नहीं ! जनता सब जानती है, उसे राष्ट्र की उन्नति चाहिए।'
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दिल जीतने के लिए काम करता हूं दैनिक जागरण के राजनीतिक संपादक आशुतोष झा के साथ पीएम मोदी ने ख़ास बातचीत की है। उन्होंने हर मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखी है। उन्होंने कहा, 'एक राजनीतिक वर्ग था जो कि ये कहता था कि राष्ट्रीय स्तर पर तो भाजपा के सामने कोई चुनौती नहीं है, लेकिन राज्यों में पार्टी को उतना समर्थन नहीं मिल रहा। जो परिणाम आए, उससे वह मिथक भी टूट गया है। हमने तीन राज्यों में तो सरकार बनाई ही है, तेलंगाना में भी भाजपा के वोट प्रतिशत में रिकार्ड वृद्धि हुई है। ये दिखाता है 2024 के चुनाव में भाजपा एक बार फिर ऐतिहासिक जीत दर्ज करने जा रही है।' एकजुट विपक्ष के मसले पर उन्होंने कहा, 'ये धारणा भी विपक्षी गठबंधन की बनाई हुई है कि ये चुनाव सिर्फ कांग्रेस के विरुद्ध थे, जबकि हकीकत कुछ और है। ये नए-नए प्रयोग करते रहते हैं । इस चुनाव में भी इन्होंने ऐसा करने की कोशिश की। इन्होंने हर सीट पर ऐसे उम्मीदवार उतारे और ऐसे दलों को सपोर्ट किया, जिससे भाजपा को मिलने वाले वोटों का विभाजन हो सके। भाजपा के सामने ये आइएनडीआइए गठबंधन तो था ही एक नई प्रकार की रणनीति और एक नया प्रयोग भी था।'
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अडानी ग्रुप के अधिग्रहण के बाद से एनडीटीवी कई बदलावों के दौर से गुजर रहा है। इस बीच ग्रुप ने अपनी एडिटोरियल टीम को और मजबूत करने की दिशा में भी कदम बढ़ाए हैं, जिसके चलते हाल ही में एक के बाद कई नियुक्तियां भी देखने को मिली हैं। इसी कड़ी में अब एक और नियुक्ति की खबर सामने आयी है। दरअसल, एनडीटीवी ग्रुप ने डॉ. भरत अग्रवाल को नियुक्त किया है, जो अभी तक 'दैनिक भास्कर' में एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर के पद कार्यरत थे। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, उन्हें एनडीटीवी ग्रुप का सीनियर मैनेजिंग एडिटर नियुक्त किया है। डॉ. भरत अग्रवाल को कॉर्पोरेट अफेयर्स का अच्छा-खासा अनुभव है और उन्हें एक कुशल समाधानकर्ता के तौर पर जाना जाता है। दैनिक भास्कर में वह ग्रुप एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर का पद संभाल रहे थे। साथ उन पर कॉर्पोरेट कम्युनिकेशंस व पब्लिक रिलेशंस की भी जिम्मेदारी थी। इसके साथ ही वह एडिटोरियल हेड हंटिंग और नई परियोजनाओं की भी देखरेख कर रहे थे। उनके पोर्टफोलियो में कॉन्सेप्ट से लेकर प्री-लॉन्च स्टेजेस तक विभिन्न प्रोजेक्ट शामिल हैं, जिन पर उन्होंने काम किया है। डॉ. अग्रवाल जटिल कार्यों को भी बेहद आसान तरीके से मैनेज करने में माहिर हैं। सहज, रचनात्मक और प्रेरक दृष्टिकोण के चलते उनके पास एक मजबूत नेटवर्क है और वह एक कुशल नेगोशिएटर हैं। एडिटोरियल से लेकर मार्केटिंग तक फैली बड़ी क्रॉस-डोमेन टीम्स को कुशलतापूर्वक मैनेज करने में उनकी सहयोगात्मक नेतृत्व शैली स्पष्ट है।माना जा रहा है कि डॉ. भरत अग्रवाल के एनडीटीवी ग्रुप में शामिल होने से नेटवर्क की एडिटोरियल स्ट्रैटजी और ओवरऑल डायरेक्शन पर महत्वपूर्ण प्रभाव देखने को मिलेगा।
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जन की बात के संस्थापक और सीईओ प्रदीप भंडारी ने गुरुवार शाम 5 राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव का एग्जिट पोल जारी किया। उन्होंने नेटवर्क 18 पर आंकड़ों का विश्लेषण किया। प्रदीप भंडारी ने जैसे ही पोल जारी किया थोड़ी देर के बाद सोशल मीडिया पर इसपर चर्चा हुई।पोल जारी होने के कुछ ही मिनटों बाद जन की बात एग्जिट पोल सोशल मीडिया पर नंबर एक पर ट्रेंड करने लगा। तो वहीं प्रदीप भंडारी का नाम भी ट्विटर पर टॉप ट्रेंडिंग बन गया।गुरुवार को पांच राज्यों में चुनाव सम्पूर्ण हो चुके हैं। तेलंगाना में वोटिंग समाप्त होने के बाद ही राजनैतिक गलियारों में एग्जिट पोल की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। प्रदीप भंडारी ने 5 राज्यों के लिए जन की बात का एग्जिट पोल जारी कर दिया है। मध्य प्रदेश में जन की बात के एग्जिट पोल के मुताबिक इस बार एमपी में काटें की टक्कर नजर आ रही हैं।मध्य प्रदेश में बीजेपी 100 से 123 सीटें ला सकती है। कांग्रेस 102 से 125 सीटें लाने की उम्मीद है। अन्य को 5 सीटें आ सकती हैं। राजस्थान में जन की बात के एग्जिट पोल के मुताबिक इस बार बीजेपी सरकार बनाती हुई दिख रही है। जन की बात के एग्जिट पोल के हिसाब से इस बार राजस्थान में बीजेपी 100 से 122 सीटें ला सकती है। कांग्रेस 62 से 85 सीटें लाने की उम्मीद है। अन्य को 14 से 15 सीटें आ सकती हैं।
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वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने कह दी ये बड़ी बात केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा का कहना है की 'सीएए' का अंतिम मसौदा अगले साल 30 मार्च तक तैयार होने की संभावना है।' ये बात उन्होंने उत्तर 24 परगना जिले के ठाकुरनगर में मतुआ समुदाय की एक सभा को संबोधित करते हुए कही। आपको बतादें की 'सीएए' में 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में प्रवेश करने वाले अफगानिस्तान, बांग्लादेश, और पाकिस्तान के हिन्दुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है । उनके ये बयान सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर (एक्स) पर पोस्ट करते हुए एक बड़ी बात लिखी। उन्होंने लिखा की, 'केंद्र का अब कहना है कि सीएए को इस साल मार्च में अधिसूचित किया जाएगा। 2015 से पहले अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से भारत में प्रवेश करने वाले गैर-मुसलमानों को नागरिकता प्रदान करने के लिए सीएए को 2020 में संसद द्वारा पारित किया गया था।सीएए अधर में लटका हुआ है क्योंकि इसे लागू करने के नियमों को अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है। कल्पना करना, यह तब है, जब 2020 के बाद से पाकिस्तान में औसतन हर साल 1000 हिंदू महिलाओं का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है। जो लोग विरोध करते हैं उनका उल्लंघन किया जाता है या उन्हें मार दिया जाता है।'
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जवाब में 'न्यूज़ 18 इण्डिया' ने ये दिया जवाब न्यूज़ 18 मैनेजमेंट को अपना इस्तीफा देने के बाद से वरिष्ठ पत्रकार दयाशंकर मिश्र खूब चर्चा में हैं। इसकी वजह है उन्होंने राहुल गाँधी पर लिखी एक किताब अपनी किताब, जिसका बिमोचन दिसंबर को होने वाला है। दरअसल दयाशंकर मिश्रा ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर (एक्स) पर एक पोस्ट लिखी और सफाई में उन्होंने कहा की इस्तीफे के पीछे ये किताब है। अपने इस्तीफे के लिए अप्रत्यक्ष रूप से किताब को बड़ी वजह बताते हुए कहा, किताब को लेकर कंपनी खुश नहीं है। दयाशंकर मिश्र के अनुसार, मेरे पास विकल्प था की में किताब वापस लेलूं। नौकरी करता रहूं। चुप रहूं। लेकिन मैंने किताब को चुना, जो हमारा बुनियादी काम है। इसलिए मैं किताब चुना। सच के साथ रहा। इसलिए पहले इस्तीफा फिर किताब। दयाशंकर के इस ट्वीट के बाद से 'न्यूज़ 18 इण्डिया' ने भी जवाब में एक ट्वीट करते हुए दयाशंकर मिश्रा के पोस्ट को भ्रामक और बेबुनियाद बताया। इस ट्वीट में 'न्यूज़ 18 इंडिया' का कहना है की कंपनी के नियम के हिसाब से कोई भी किताब लिखने से पहले अथवा संसथान से बाहर किसी भी तरह के योगदान को लेकर एम्प्लॉयीज को अनुमति लेनी होती है। तमाम मीडिया व प्रठिस्तानो में ऐसा ही होता है। लेकिन हमारी हिंदी वेबसाइट के एडिटर के रूप में दयाशंकर ने हमसे अनुमति नहीं ली। 'न्यूज़ 18 इण्डिया' के अनुसार जब 9 नवंबर 2023 को दयाशंकर मिश्रा ने बताया की वे किताब लिख रहे हैं। जो की दिसंबर के माह में पब्लिश होगी। तो उन्हें स्पष्ट रूप से कंपनी की पॉलिसी के बारे में बताते हुए इसका पालन करने के लिए कहा गया। तो उन्होंने 22 नवंबर को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसके साथ ही उन्होंने पोस्ट करते हुए लिखा की उन्होंने किताब के लिए निशाना जा रहा है। जबकि वे इस किताब के लिए अपने पद का दुरुपयोग कर रहे थे। न्यूज़ 18 इण्डिया का कहना है की दयाशंकर ने कंपनी के नियमों की अवहेलना की है। कंपनी के पास ये अधिकार है की वे उनके खिलाफ और इस तरह के झूठ फैलाने वालों के खिलाफ एक्शन ले सकती है।
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वरिष्ठ पत्रकार सुधीर चौधरी ने किया तीखा पलटवार देश में चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं वैसे ही राजनेता अपने-अपने बयान दे रहे हैं। ऐसा ही बयान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दे दिया है जिससे वो फिलहाल विवादों में घिर गई हैं। दरअसल उन्होंने कहा, 'अगर वर्ल्डकप का फाइनल अगर कोलकाता में होता तो भारतीय टीम की जीत होती। भारतीय टीम ने विश्व कप में सभी मैच जीते, सिवाय एक मैच के, जिसमे पापी मौजूद थे।' उनके इस बयान को लेकर वरिष्ठ पत्रकार सुधीर चौधरी ने अपने शो मे बात की और उनके इस बयान को बेतुका कहा। उन्होंने कहा, 'वर्ष 1996 का वर्ल्ड कप भी भारत में ही खेला गया था और उस समय भारत की टीम सेमीफइनल तक पहुंची थी। और ये मुकाबला भी कोलकाता के इसी ईडन गार्डन में खेला गया था। जिसका जिक्र ममता बनर्जी ने किया है। और उस समय श्रीलंका की टीम ने भारत को इसी स्टेडियम में हरा दिया था। तो क्या उस मैच में कोलकाता का ये स्टेडियम भारत की हार के लिए पनोती था ? उन्होंने आगे कहा, उस समय कोलकाता के जो लोग थे वह नाराज हुए थे उन्होंने प्रोटेस्ट करना शुरू कर दिए थे और स्टेडियम में आगजनी कर दी थी क्योंकि वे हार को बर्दाश्त नहीं कर पाए थे।
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इस से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने उठाए कदम हाल ही में भारत में डीपफेक मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस मामले में केंद्र सरकार अब अलर्ट मोड पर है। इस पर कैसे लगाम लगाया जाये इसके लिए लगातार बैठक की जा रही है और साथ ही कड़े नियम बनाये जाने का विचार कर रहे हैं। आपको बतादें हाल ही में कई फेमस पर्सोनिलिटिस की डीपफेक वीडियो सामने आई थी। उसके बाद से सोशल मीडिया में लोगों के बिच काफी गेहमागहमी देखने को मिल रही है। ताजा घटनाक्रम में केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि ऐसे कंटेंट की जांच के लिए एक अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। सोशल मीडिया कंपनियों से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा की डीपफेक कंटेंट के खिलाफ कारवाई करने के लिए अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। राजीब चंद्रशेखर ने कहा की इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय एक वेबसाइट विकसित करेगा। जिस पर यूजर्स आईटी नियम के उलंघन के बारे में अपनी चिंता को बता सकेंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा एमईआईटीवाई यूजर्स को आईटी नियमों के उलंघन के बारे में सूचित करने और एफआईआर दर्ज करवाने में सहायता करेगा। उन्होंने आगे कहा, पोस्ट शेयर करने वाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। अगर वो खुलासा करते हैं की पोस्ट कहाँ से आई है तो उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा। उसके बाद उन्होंने कहा की सोशल मीडिया प्लेटफार्म को अपनी उपयोग की शर्तो को आईटी नियमो के अनुरूप करने के लिए 7 दिनों का समय दिया गया है । चन्द्रशेखर ने कहा,आज से आईटी नियमों का उलंघन बिलकुल भी बर्दास्त नहीं किया जाएगा। बयान में कहा गया कि ऐसे किसी भी कंटेंट की रिपोर्ट किए जाने पर उसे रिपोर्टिंग के 36 घंटों के भीतर ही हटा दिया जाए और आईटी नियम 2021 के तहत निर्धारित समय सीमा के भीतर शीघ्र कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। मंत्री ने कहा कि सरकार डिजिटल क्षेत्र में भारतीयों के लिए सुरक्षा और विश्वास सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही केंद्र ने कहा कि डीपफेक के निर्माण और प्रसार पर 1 लाख रुपये का जुर्माना और तीन साल की जेल की कड़ी सजा का प्रावधान है।
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इजराइल ने 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों की 15वीं बरसी से पहले मंगलवार को पाकिस्तान से संचालित लश्कर-ए-तैयबा को आतंकी संगठन की सूची में डाल दिया। मुंबई में 26 नवंबर 2008 को कई जगहों पर हुए आतंकी हमलों में 166 लोग मारे गए थे जिनमें कई इजराइली नागरिक भी शामिल थे।नई दिल्ली स्थित इजराइली दूतावास ने एक बयान में कहा, 'मुंबई आतंकी हमलों की 15वीं बरसी पर इजराइल ने लश्कर-ए-तैयबा को आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध किया है।'इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर एक पोस्ट कर भारत सरकार से एक अपील की है।उन्होंने पोस्ट किया, 'जैसे ही भारत मुंबई 26/11 हमले के 15 साल पूरे होने की तैयारी कर रहा है, एकजुटता दिखाते हुए, इजराइल ने पाक स्थित लश्कर-ए-तैयबा पर प्रतिबंध लगा दिया। इस इस्लामी आतंकवादी समूह ने गजवा-ए-हिंद के हिस्से के रूप में 26/11 की साजिश रची थी। भारत को हमास पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए, जो सहयोगी इजराइल के अस्तित्व के लिए खतरा है।
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‘सूचना और प्रसारण मंत्रालय’ (MIB) ने मंगलवार को टेलीविजन चैनल्स को एडवाइजरी जारी कर उत्तराखंड के सिलक्यारा में चल रहे राहत व बचाव अभियान को सनसनीखेज न बनाने के लिए कहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुरंग स्थल के नजदीक से किसी भी तरह की लाइव पोस्ट या वीडियो करने से बचने की सलाह भी दी गई है।इसके साथ ही मंत्रालय ने टीवी चैनल्स को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी है कि ऑपरेशन स्थल के पास या आसपास कैमरामैन, पत्रकारों या उपकरणों की उपस्थिति से विभिन्न एजेंसियों द्वारा मानव जीवन बचाने की गतिविधियां किसी भी तरह से बाधित न हों।मंत्रालय ने कहा है कि सरकार लगातार संपर्क बनाए हुए है और दो किलोमीटर लंबी सुरंग वाले हिस्से में फंसे श्रमिकों का मनोबल बनाए रखने के लिए सभी संभव प्रयास कर रही है।अपनी एडवाइजरी में मंत्रालय का कहना है, ‘विभिन्न सरकारी एजेंसियां 41 श्रमिकों की सुरक्षित निकासी के लिए अथक प्रयास कर रही हैं। सुरंग के आसपास चल रहा ऑपरेशन बेहद संवेदनशील प्रकृति का है, जिसमें कई लोगों की जान बचाना शामिल है। टीवी चैनल्स द्वारा ऑपरेशन से संबंधित वीडियो फुटेज और अन्य तस्वीरों के प्रसारण, विशेष रूप से बचाव अभियान स्थल के करीब कैमरे और अन्य उपकरण लगाने से यहां चल रहे बचाव व राहत अभियानों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है।’मंत्रालय ने टीवी चैनल्स को सलाह दी है कि वे इस मामले पर रिपोर्टिंग करते समय सतर्क और संवेदनशील रहें, खासकर हेडलाइन, वीडियो और तस्वीरें डालते समय ऑपरेशन की संवेदनशील प्रकृति, परिवार के सदस्यों की मनोवैज्ञानिक स्थिति का भी ध्यान रखें।बता दें कि उत्तराखंड में यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर बन रही एक सुरंग के धंस जाने से उसमें काम कर रहे 41 मजदूर फंस गए हैं। यह सुरंग उत्तरकाशी जिले में सिल्कयारा और डांडलगांव को जोड़ने के लिए बनाई जा रही है। 12 नवंबर की सुबह से मजदूर टनल में फंसे हुए हैं। मजदूरों को बचाने का काम जारी है, लेकिन रेस्क्यू ऑपरेशन में तमाम रुकावटें आ रही हैं।
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‘न्यू दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड’ यानी कि एनडीटीवी (NDTV) के कार्यालय का पता अब जल्द ही बदल जाएगा। मिली जानकारी के मुताबिक, नए साल की शुरुआत में कार्यालय नोएडा सेक्टर 129 में शिफ्ट हो जाएगा। एनडीटीवी ने नए कार्यालय के लिए मैक्स स्क्वायर लिमिटेड के साथ की डील की जानकारी हाल ही में स्टॉक एक्सचेंज को दे दी है, जिसके मुताबिक आने वाले महीनों में एनडीटीवी का नया पता- Plot No. C3-C, Jaypee Wishtown, Sector 129, Noida, Uttar Pradesh – 201304 होगा।
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'बीक्यू प्राइम' चैनल (BQ Prime channel) एक नए ब्रैंड नेम एनडीटीवी प्रॉफिट के तहत फिर से लॉन्च होने को तैयार है। सूत्रों के मुताबिक, चैनल को 'एनडीटीवी प्रॉफिट' के नाम से रीब्रैंड किया जाएगा और 8 दिसंबर को लॉन्च किया जाएगा। इंडस्ट्री जगत में पहले चर्चा थी कि 'एनडीटीवी प्रॉफिट' को 29 नवंबर को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा फिर से लॉन्च किया जाएगा।'बीक्यू प्राइम' चैनल का स्वामित्व पहले क्विंटिलियन बिजनेस मीडिया के पास था, जिसे पिछले साल अडानी ग्रुप ने अधिग्रहित कर लिया था।'एनडीटीवी प्रॉफिट' को 5 जून, 2018 को बंद कर दिया गया था। बढ़ते राजस्व घाटे के चलते प्रणय रॉय के स्वामित्व वाले इस चैनल को बंद करने का निर्णय लिया गया था।चैनल के रीलॉन्च के संबंध में घोषणा इस साल जनवरी में अडानी ग्रुप द्वारा एनडीटीवी के अधिग्रहण के बाद आयोजित एक टाउन हॉल के दौरान की गई थी। पिछले साल दिसंबर में, गौतम अडानी की कंपनी ने एनडीटीवी ग्रुप में 65 प्रतिशत की नियंत्रण हिस्सेदारी हासिल कर ली, जिसके कारण फाउंडर प्रणय रॉय और राधिका रॉय को कंपनी बोर्ड से इस्तीफा देना पड़ा।
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दिल्ली को क्रांति का सपना दिखा कर ठगा गया है देश की राजधानी नई दिल्ली में हवा लगातार जहरीली बानी हुई है। लोगों की आँखों, सीने में जलन और गले में खराश की समस्या बानी हुई है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार गंभीर श्रेणी में बना हुआ है। आनंद विहार और आस-पास के इलाकों में AQI 999 दर्ज किया गया है। शून्य से 50 के बीच AQI अच्छा, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच AQI ‘गंभीर’ माना जाता है। इस पूरे मसले पर वरिष्ठ पत्रकार अमिश देवगन ने अपने डिबेट शो कहा कि दिल्ली की जनता को आज ऐसी हवा में सांस लेनी पड़ रही है जो बेहद जहरीली है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'सीने में जलन, आंखों में तूफान सा क्यों हैं? इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों हैं? ये है तो एक फिल्म का गाना लेकिन इस वक्त दिल्ली की जनता को इसी तक़लीफ़ में सांस लेने को मजबूर होना पड़ रहा है। प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंचता जा रहा है लेकिन उसे कम करने के बजाय पंजाब टू हरियाणा गियर शिफ्ट करने वाली पॉलिटिक्स चल रही है।'
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इतिहास, वर्तमान और भविष्य बहादुरों का होता है मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में मंगलवार को ऑस्ट्रेलिया और अफगानिस्तान के बिच एक बेहद रोमांचक मुकाबला देखने को मिला। जो मैच एक समय तक अफगानिस्तान की झोली में जा चूका था लेकिन जब मैक्सवेल बल्लेबाजी करने आए तो मैच का रुख मोड़ लिया। मैक्सवेल ने 128 गेंदों में 202 रनों की तूफानी पारी खेली। जिसमे 10 छक्के और 21 चौके शामिल थे। मैक्सवेल की ये पारी देख वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश मिश्रा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अपनी राय दी है।उन्होंने लिखा, 'लोग कहते हैं एक अकेला क्या कर सकता है? इतिहास का सृजन झुंड में रहने वाले नहीं बल्कि एक अकेला ही करता है। एक पैर के सहारे। शरीर पर अनगिनत चोट। 100 रन के भीतर 7 साथी निपट चुके थे। और एक छोर पर अकेला मैक्सवेल और फिर अंजाम दुनिया ने देखा। इतिहास, वर्तमान और भविष्य बहादुरों का होता है।'आपको बता दें कि पैट कमिंस ने मैक्सवेल के साथ मिलकर 202 रनों की अहम साझेदारी की। भले ही उन्होंने इसमें सिर्फ 12 रनों का योगदान दिया, मगर उन्होंने एक छोर संभाले रखा।
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पोस्ट कर कही ये बात दिल्ली में डेंगू के बढ़ते मामलों के बीच 'टाइम्स नाउ नवभारत' के सीनियर गेस्ट कोऑर्डिनेटर दीपक शर्मा की सोमवार को इस बीमारी से जान चली गई। जानकारी के मुताबिक, पिछले चार दिनों से डेंगू से जूझ रहे पत्रकार को शुक्रवार को दिल्ली के प्रीत विहार स्थित मेट्रो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। रविवार को उनकी तबीयत अचानक खराब हो गई, जिसके बाद डॉक्टरों को उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। तमाम चिकित्सीय प्रयासों के बावजूद, शर्मा को बचाया न जा सका। दीपक शर्मा के निधन पर 'अमर उजाला' समूह के वरिष्ठ सलाहकार संपादक विनोद अग्निहोत्री ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर भावुक करने वाली बात कही।उन्होंने लिखा, 'कुछ दिन पहले ही प्रिय दीपक को मैंने सेहत का ख्याल रखने की सलाह दी थी। क्या पता थी कि ये दीपक से मेरी आखिरी मुलाकात होगी। कल जब से ये दु:खद खबर मिली तब से दीपक का हमेशा हंसता हुआ चेहरा आंखों के सामने घूम रहा है। हमेशा याद आओगे। विनम्र श्रद्धांजलि।'बता दें कि करीब 15 दिनों पहले ही दीपक को एक बेटा हुआ था। उनकी एक बेटी भी थी। दीपक के परिवार में उनकी पत्नी, दो बच्चे और उनके माता-पिता हैं। मूल रूप से आगरा जिले के बिठौली गांव के रहने वाले शर्मा ने अपना करियर 'न्यूज24' से शुरू किया था। इसके बाद वह 'नेटवर्क18' और 'इंडिया टीवी' के साथ भी काम चुके थे।
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‘आईटीवी नेटवर्क’ (iTV Network) के अंग्रेजी न्यूज चैनल ‘न्यूजएक्स’ ‘NewsX’ की सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर प्रिया सहगल को संस्थान ने प्रमोशन का तोहफा दिया है। उन्हें अब ‘न्यूजएक्स’ का एडिटोरियल डायरेक्टर बनाया गया है। प्रिया सहगल को मीडिया में काम करने का करीब तीन दशक का अनुभव है। इस दौरान उन्होंने खुद को एक प्रमुख टीवी टॉक शो होस्ट और राजनीतिक पत्रकार के रूप में स्थापित किया है और अपने उत्कृष्ट काम के चलते इस क्षेत्र में खासी पहचान अर्जित की है। प्रिया सहगल को दो पुरस्कार विजेता शो 'द राउंडटेबल' (The Roundtable) और 'कवर स्टोरी' (Cover Story) की एंकर के रूप में खासी पहचान मिली है। अपने अब तक के करियर में उन्होंने ‘इंडिया टुडे’ (India Today), ‘द आउटलुक’ (The Outlook) और ‘संडे मैगजींस’ (Sunday magazines) जैसे जाने-माने मीडिया आउटलेट्स में अहम भूमिका निभाई है। राजनीतिक पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रिया सहगल को महारत हासिल है। पत्रकार के साथ-साथ प्रिया सहगल एक लेखिका भी हैं और उन्होंने ‘The Contenders’ नामक किताब भी लिखी है। इस किताब में देश के 16 उभरते राजनीतिक नेताओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है, जिनमें राहुल गांधी, अखिलेश यादव, योगी आदित्यनाथ, अरविंद केजरीवाल और बादल जैसी जानी-मानी हस्तियां शामिल हैं। इसके अलावा, ‘द संडे गार्जियन’ में अपने साप्ताहिक कॉलम के माध्यम से वह देश के राजनीतिक घटनाक्रमों पर प्रकाश डालती हैं।
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पिछले कुछ दिनों से दिल्ली-एनसीआर में धुंध छायी हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक देश के प्रदूषित शहरों में से दिल्ली एक है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार, शुक्रवार सुबह आठ बजे तक दिल्ली के मुंडका इलाके का औसत एक्यूआई 500, आईटीओ में 451, नजफगढ़ में 472, आईजीआई एयरपोर्ट में 500, नरेला में 500 दर्ज किया गया। वहीं नोएडा के सेक्टर-125 में एक्यूआई 400 पर 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुंच गया है। इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार और हिंदी न्यूज चैनल 'आजतक' के प्राइम टाइम एंकर सुधीर चौधरी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट 'एक्स' पर एक वीडियो पोस्ट किया। इस वीडियो में उन्होंने कहा, 'क्या आप जानते हैं कि पिछले 27 दिनों में इजरायल के द्वारा गाजा में लगभग 18 हजार टन बारूद गिराया गया है। आप अगर गाजा पर निगाह डालेंगे तो आपको हर तरफ सिर्फ बारूद का ढेर, मलबे का धुआं और मिट्टी ही दिखाई देगी लेकिन गाजा का एयर क्वालिटी इंडेक्स आज भी दिल्ली-एनसीआर से अच्छा बना हुआ है जो कि सिर्फ 37 के आस-पास है।' उन्होंने वीडियो में आगे कहा कि दिल्ली एनसीआर के वायु प्रदूषण की स्थिति आज भी गाजा की स्थिति से बेकार है। दिल्ली-एनसीआर में आजकल ऐसा माहौल हो गया है कि आंखों में जलन होती है और मास्क लगाने का मन करता है।
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‘अडानी’ (Adani) समूह ने ‘क्विंटिलियन बिजनेस मीडिया’ (Quintillion Business Media) में शेष 51 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की घोषणा की है, जो 'BQ Prime' का संचालन करती है। अडानी समूह ने हाल ही में हुई शेयरहोल्डर मीटिंग में यह घोषणा की है।एक प्रेस स्टेटमेंट में कंपनी का कहना है, ‘हम सूचित करना चाहते हैं कि AMNL, क्विंटिलियन मीडिया लिमिटेड (QML), क्विंट डिजिटल लिमिटेड (QDL) और QBML ने क्विंटिलियम बिजनेस मीडिया लिमिटेड में शेष 51 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए एक शेयर खरीद समझौता (Share Purchase Agreement) किया है।’मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अडानी एंटरप्राइजेज ने अडानी एंटरप्राइजेज के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एएमजी मीडिया द्वारा क्विंटिलियन बिजनेस मीडिया में शेष 51% हिस्सेदारी के अधिग्रहण के संबंध में समझौता ज्ञापन (Memorandum of Understanding) की सूचना दी। हालांकि, कंपनी ने लेनदेन के वित्तीय विवरण का खुलासा नहीं किया है।
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हर किसी को आलोचना के घेरे में लेना ठीक नहीं इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने कहा है कि भारत के वर्क कल्चर को सुधारने की जरूरत है। युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करने की जरूरत है, तभी वह ग्लोबल स्टेज पर मौजूद प्रतियोगिता का मुकाबला कर सकते हैं। हालांकि उनके इस बयान पर कई लोगों ने आपत्ति भी जताई है। उनकी चारों ओर हो रही आलोचना के बीच वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की।उन्होंने लिखा, 'युवाओं से अधिक मेहनत करने की अपील करने के कारण एन आर नारायण मूर्ति को आलोचनाओं के घेरे में लेना हैरान करता है। लोगों ने पूरी बहस को सत्तर घंटे प्रति सप्ताह काम के तर्क के इर्द-गिर्द समेट दिया। नारायण मूर्ति देश के श्रम मंत्री नहीं हैं, जो उनका कहा कानून बन जाएगा। वे एक ऐसी हस्ती हैं जिन्होंने पहले करके दिखाया, फिर लोगों से वैसा करने को कहा। जिन्हें काम नहीं करना है, वे न करें। वे तो वैसे भी काम न करने के पचास बहाने ढूंढ ही लेंगे लेकिन यह समझना जरूरी है कि नारायण मूर्ति भारत को विकसित देश बनाने के लिए कठोर परिश्रम, अनुशासन और भ्रष्टाचार विहीन समाज पर जोर दे रहे हैं
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भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी कि सेबी अब 'प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण' (SAT) द्वारा जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज के सीईओ पुनीत गोयनका के खिलाफ उसके ऑर्डर को रद्द किए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है। एक मीडिया रिपोर्ट में यह खबर सामने आयी है।दरअसल, सेबी ने पुनीत गोयनका के खिलाफ अपने आदेश में कहा था कि फंड्स डायवर्जन मामले की जारी जांच पूरी होने तक वह किसी भी लिस्टेड कंपनी में अहम पद पर शामिल नहीं हो सकते हैं।रिपोर्ट के मुताबिक, SAT द्वारा गोयनका के पक्ष में फैसला सुनाए जाने के बाद जी बोर्ड भी जल्द ही गोयनका की भूमिका पर चर्चा करने को लेकर मीटिंग कर सकता है।सेबी ने पुनीत गोयनका और डॉ. चंद्रा के खिलाफ एक अंतरिम आदेश पारित कर उन्हें एक साल के लिए किसी भी सूचीबद्ध कंपनी या उसकी सहायक कंपनियों में निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पद रखने से रोक दिया था।बाजार नियामक ने एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन सुभाष चंद्रा और गोयनका को एक साल के लिए किसी भी सूचीबद्ध कंपनी में निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पद संभालने से रोक दिया था। दोनों के खिलाफ अपने निजी लाभ के लिए सूचीबद्ध इकाई से धन निकालने के लिए यह कार्रवाई की गई थी। इसके बाद गोयनका सेबी के आदेश के खिलाफ प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण का रुख किया था।सैट द्वारा सेबी के आदेश को खारिज किए जाने के साथ, इंडस्ट्री पर नजर रखने वालों ने कहा कि इससे जी-सोनी विलय प्रक्रिया में तेजी आ सकती है, क्योंकि कंपनी को अब उन कानूनी अनिश्चितताओं से राहत मिल गई है जिनके कारण वह परेशान थी।
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'तक चैनल्स' के सीईओ विवेक गौड़ ने दिया इस्तीफा 'तक चैनल्स' के सीईओ व कंसल्टेंट (सीनियर मैनेजमेंट पर्सोनेल) विवेक गौड़ ने अपने पद से इस्तीफा दिया है। नेटवर्क द्वारा सेबी को दी जानकारी में इसका खुलासा हुआ है। विवेक गौड़ ने अन्य अवसरों का लाभ उठाने के लिए 18 अक्टूबर को अपना इस्तीफा दे दिया है।सेबी को लिखे पत्र में सेक्रेट्रियल व कंपनी सेक्रेट्री के ग्रुप हेड आशीष सभरवाल ने नियामक को सूचित किया कि गौड़ का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। फिलहाल वह 18 जनवरी 2024 तक पद पर बने रहेंगे।
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संपादकों की शीर्ष संस्था ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ (Editors Guild Of India) ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 28 अक्टूबर को अपनी वार्षिक आम बैठक (AGM) का आयोजन किया।इस बैठक में 'द कारवां' के संपादक अनंत नाथ (Anant Nath) को ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ का प्रेजिडेंट चुना गया। इसके साथ ही ‘आउटलुक’ (Outlook) के पूर्व एडिटर-इन-चीफ रुबेन बनर्जी को जनरल सेक्रेट्री और ‘द ट्रिब्यून’ (The Tribune) के पूर्व सीनियर एसोसिएट एडिटर केवी प्रसाद को सर्वसम्मति से ट्रेजरार चुना गया है।‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ के इन नए पदाधिकारियों की घोषणा तीन सदस्यीय चयन समिति ने की। इस समिति में वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई, विजय नाइक और कुमकुम चड्ढा जैसे जाने-माने नाम शामिल थे।
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वरिष्ठ पत्रकार ने कह दी ये बात कतर की अदालत द्वारा 8 पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई गई है। यह खबर हम भारतीयों के लिए काफी आश्चर्य जनक है। भारत सरकार ने इस पर हैरानी जताई है और कहा है की वो कानूनी विकल्प तलाश कर रही है। ताकि सभी भारतीयों को बचाया जा सके। भारत सरकार का कहना है की वे सभी के परिवार के संपर्क में है और आगे की कारवाही पर विचार कर रही है। इस घटनाक्रम में वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर भारत सरकार से अपील की है। उन्होंने पोस्ट करते हुए लिखा, 'कतर में भारतीयों को मृत्युदंड दिया जाना स्पष्ट कर रहा है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किस तरह के हथकंडे अपनाए जा सकते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि, हमारी सरकार हर संभव कोशिश करेगी और भारतीयों का जीवन बचाया जा सकेगा। अब जिनको इसमें भी आनंद का अनुभव हो रहा है कि पीएम मोदी को कमजोर कह सकेंगे, उनकी बीमारी लाइलाज है।' आपको बतादें की उन पर क्या-क्या आरोप लगे हैं इसकी पुष्टि कतर ने सार्वजनिक नहीं की गई है। लेकिन जासूसी के मामले में उन्हें पिछले साल गिरफ्तार किया गया था। इस वक्त भारत सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है की वे किस तरह आठों भारतीयों को फांसी के फंदे पर लटकने से बचा सकती है।
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भाजपा नेता व पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने अपने कथित अश्लील वीडियो को अपलोड किये जाने के मामले में महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे, मराठी न्यूज़ चैनल लोकशाही और यूट्यूबर अनिल थट्टे के खिलाफ बंबई उच्च न्यायलय में मानहानि के तीन मुक़दमे दायर किये हैं। वहीं, न्यायमूर्ति एसएम मोदक की एकल पीठ ने बुधवार को प्रतिवादियों को चार सप्ताह के भीतर अपने हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया है।सोमैया ने वीडियो को लेकर उनके खिलाफ दिये गये अपमानजनक बयानों के लिए मानहानि के हर्जाने के तौर पर सभी से अलग-अलग सौ करोड़ रुपये का दावा किया है।उन्होंने प्रतिवादियों को वीडियो हटाने, भविष्य में ऐसा कोई अपमानजनक वीडियो अपलोड न करने या उनके (सोमैया के) खिलाफ बयान न देने का निर्देश देने की भी मांग की है। सोमैया के वकील हृषिकेश मुंदरगी ने अदालत को सूचित किया कि लोकशाही न्यूज चैनल ने जुलाई में मानहानिकारक बयानों के साथ कथित अश्लील वीडियो चलाया था। मुंदरगी ने कहा कि प्रतिवादियों (लोकशाही चैनल और दानवे) ने निंदनीय मंतव्य दिये। सोमैया एक शादीशुदा व्यक्ति हैं और उनके बच्चे भी हैं। उनकी समाज में एक राजनीतिक प्रतिष्ठा है। उन्होंने कुछ नेताओं के कई घोटालों का खुलासा किया है, जिसके बाद ये कथित वीडियो सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि सोमैया द्वारा पहले ही पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जा चुकी है और जांच जारी है। याचिका के अनुसार, थट्टे ने भी अपने यूट्यूब चैनल पर सोमैया की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाले वीडियो जारी किए।
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कहा, 'अगर इस्लाम कबूलता तो पाकिस्तान का कप्तान होता' 42 साल के पूर्व पाकिस्तानी खिलाडी दानिश कनेरिया ने आजतक के प्राइम टाइम एंकर सुधीर चौधरी के साथ बातचीत में कई बड़े खुलासे किये। दानिश कनेरिया ने कहा, 'उन्हें एक हिन्दू होने के नाते पाकिस्तान में काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। उनसे पूछा गया की अगर मान लीजिए आपने धर्म परिवर्तन कर लिया होता और इस्लाम कबूल कर लिया होता तो आपका जीवन और क्रिकेट करियर कैसा होता, जवाब में दानिश कनेरिया ने कहा 'में जिस समस्या से जूझ रहा हूँ शायद ये ना आई होती और शायद में कप्तान बन गया होता। रिकॉर्ड भी तोड़ देता। लेकिन में ये कभी सोच भी नहीं सकता। इतना गिरना मेरे लिए नामुमकिन है। मुझे सनातन धर्म से बहुत प्यार है। मेरे लिए मेरा धर्म ही सब कुछ है। आपको बतादें की दानिश कनेरिया पाकिस्तान के लिए क्रिकेट खेल चुके है।
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न्यूज़ एंकर ऋचा सिंह ने जयपुर स्थित 'सच बेधड़क' न्यूज़ चैनल के साथ पत्रकारिता में अपनी नई पारी शुरू की है। उन्होंने यहाँ बतौर सीनियर एंकर ज्वाइन किया है। इस से पहले ऋचा ने नोएडा के न्यूज़ चैनल 'हिंदी खबर' में बतौर एंकर काम करती रही। लेकिन हालही में उन्होंने 'हिंदी खबर' से इस्तीफा दे दिया है। ऋचा करीब 1 साल वहाँ न्यूज़ एंकर की भूमिका अदा की थी। ऋचा सिंह मूल रूप से उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ में रहने वाली हैं। उनको मीडिया इंडस्ट्री में काम करने का करीब 8 साल का अनुभव है। ऋचा ने कई न्यूज़ चैनल में काम किया है जैसे की 'न्यूज़ इंडिया' 'आर 9 न्यूज़' 'नेशनल वॉइस' 'भारत समाचार ' और 'इंडिया न्यूज़।' ऋचा ने 'न्यूज़ इंडिया' से अपनी पत्रकारिता की शुरुवात की थी। उन्होंने 'अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय' (AMU) से ब्रॉडकास्ट जर्नलिज्म में ग्रेजुएशन किया है।
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करना चाहते है अपना खुद का कुछ काम वरिष्ठ पत्रकार शरीक खान ने 'NDTV' में ढाई दशक से ज्यादा बिताने के बाद पिछले दिनों अपना इस्तीफा दे दिया है। शारिक ने बताया की उन्होंने पत्रकारिता पूरी तरह से छोडने का फैसला लिया है। और वे अब मीडिया से हट कर अपना कुछ और काम करेंगे। शारिक खान मूल रूप से बिहार के कटिहार के रहने वाले हैं। शारिक करीब 27 साल पहले कैमरामैन के तौर पर इस चैनल के साथ मीडिया में अपने करियर की शुरुवात की थी। इसके बाद वे तमाम पदों पर होते हुए इन दिनों सीनियर न्यूज़ एंकर कम एसोसिएट न्यूज़ एडिटर के तौर पर अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहे थे। आपको बतादें की उनको उनकी बेहतरीन रिपोर्टिंग के कारण शारिक खान को 'रामनाथ गोयनका अवार्ड' से भी नवाजा जा चूका है।
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राजस्थान में बहुमत के साथ भाजपा की बन सकती है सरकार राजस्थान में होने वाले चुनाव में बीजेपी की सर्कार बन सकती है। दरसल, इंडिया टीवी-सीएनएक्स ओपिनियन पोल के सर्वे के मुताबिक बिपक्षी पार्टी भाजपा को 200 सीटों वाली विधानसभा में लगभग 125 सीटो पर जीत हासिल हो सकती है। जबकि सत्तारूढ़ कांग्रेस को 72 सीटों पर ही सिमट सकती है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को सिर्फ 73 सीट और कांग्रेस को 100 सीटें मिली थी। इस बार निर्दलीयों और छोटी पार्टियों को सिर्फ तीन सीटें मिल सकती हैं, जबकि 2018 में इन्होने 27 सीटों पर जीत हासिल की थी। ओपिनियन पोल में वोट शेयर के अनुमान के मुताबिक, भाजपा को 44.92 प्रतिशत, कांग्रेस को 40.08 प्रतिशत और अन्य को 15 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं। 2018 के चुनाव में भाजपा को 38.77 प्रतिशत, कांग्रेस को 39.3 प्रतिशत और अन्य को 21.93 प्रतिशत वोट मिले थे। ओपिनियन पोल में सीएम पद के लिए 32.5 प्रतिशत वोटरों ने अशोक गहलोत को, और 26.98 प्रतिशत ने वसुंधरा राजे को पसंद किया। सचिन पायलट को 12.35 प्रतिशत मिले, जबकि गजेंद्र सिंह शेखावत को 10.07 प्रतिशत, राज्यवर्धन सिंह राठौर को 7.81 प्रतिशत, और दीया कुमारी को 3 प्रतिशत मत मिले।
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इजरायल-फिलिस्तीन के बिच हो रहे युद्ध में काफी तनाव बढ़ते जा रहा है। ऐसा लग रहा है कि यह युद्ध अब लम्बा चल सकता है। दरअसल, इजरायल ने शुक्रवार को तड़के फिर गाजा पर जबरदस्त बमबारी की। इजरायल ने दक्षिणी क्षेत्र में उन स्थानों पर बम, रॉकेट और मिसाइलों से हमला किया जहां फिलस्तीनियों को सुरक्षा के मद्देनजर जाने के लिए कहा गया था। इस पूरे मामले पर राज्यसभा सांसद और बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने हिंदी न्यूज चैनल 'आजतक' के डिबेट शो में अपने विचार व्यक्त किए।उन्होंने कहा, 'भारत की इजरायल फिलिस्तीन नीति एकदम साफ है कि हम एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के रूप में फिलिस्तीन का समर्थन करते है लेकिन एजेंडा चलाने वाले उसके आगे की लाइन नहीं बताते। हम फिलिस्तीन का समर्थन करते हैं मगर इजरायल के साथ शांतिपूर्ण वार्ता के माध्यम से लेकिन अब शांतिपूर्ण वार्ता तो कहीं दिखाई नहीं दे रही है। यहां हमास का आतंक दिखा जिसका समर्थन भारत नहीं करता। पर इस युद्ध में हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी एकमात्र नेता है जिन्होंने फिलिस्तीन के राष्ट्रपति और इजरायल के राष्ट्रपति दोनों से बातचीत की है और दोनों देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का समान रूप से सम्मान करते हैं। यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की कुशल विदेश नीति और उनके प्रति विश्व में सम्मान और उनके नेतृत्व में भारत के स्थान का परिचायक भी है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गाजा के एक अस्पताल में बड़ी संख्या में लोगों के मरे जाने पर गहरा दुःख जताया है। पीएम ने एक्स पर लिखा,गाजा के अल-अहलि अस्पताल में आम लोगों की जान जाने पर गहरा सदमा पंहुचा है। पीड़ितों के परिवारवालों के प्रति हमारी गहरी संवेदना है। घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।पीएम मोदी की इस पोस्ट पर वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने रिपोस्ट करते हुए अपनी राय प्रकट की है। उन्होंने लिखा, गाजा पट्टी के अस्पताल पर हमले में मारे गये नागरिकों कि निर्मम हत्या पर शोक व्यक्त करता भारत, ये भी जानता है कि ऐसे हमलों से आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई कमजोर होती है। अब तक क़रीब 250 इज़राइली बंधक और क़रीब 1400 इज़राइली नागरिक मारे जा चुके हैं, 7 अक्टूबर के बाद से आतंकी हमलों में।लेकिन किस हक़ से क़रीब 600 बच्चों समेत 3500 लोगों को मौत के घाट उतारा जा चुका है गाजा पट्टी में और कैसे निर्दोष हत्याओं को आतंक के ख़िलाफ़ लड़ाई का जामा पहनाया जा सकता है ? वो भी तब जब इज़राइल के प्रधानमंत्री को देश को ज़्यादातर नागरिकों का विरोध झेलना पड़ रहा है। कुछ तो गड़बड़ है।इज़राइली प्रधानमंत्री और उनकी सरकार अपनी नाकामी को छिपाने के लिए कब तक निर्दोष इज़राइली नागरिकों के अपहरण और हत्या की आड़ में दुसरे मुल्क पर क़हर ढाते रहेंगे। आपको बता दे, गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि गाजा सिटी के एक अस्पताल पर इजरायल के हवाई हमले में कम से कम 500 लोगों की मौत हो गई है। हमले के वक्त अल-अहली अस्पताल में सैकड़ों लोगों ने शरण ली हुई थी।
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बच्चों का मारा जाना बिल्कुल गलत: ऋचा अनिरुद्ध पिछले दिनों हुए गाज़ा में हुए इजराइली हमले में काफी लोगों की मौत हुई। इस हमले के बाद मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ गया है। इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ अरब नेताओं का शिखर सम्मलेन रद्द हो गया। वे जॉर्डन की राजधानी अम्मान में अरब नेताओं के साथ शिखर सम्मेलन करने वाले थे। इन सभी मामलों के बीच बाइडेन तेल अवीव पहुंचे हैं। गाजा में अस्पताल पर हुए हमले के मामले पर वरिष्ठ पत्रकार ऋचा अनिरुद्ध ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की है।उन्होंने लिखा, जब दो तरफ से बराबरी से हिंसा हो तो एक की तरफ़दारी करने का कोई मतलब नहीं है। दुनिया को हिंसा के खिलाफ एकजुट होना होगा लेकिन ऐसा होगा नहीं। एक ने हमला किया दूसरे ने पलटवार किया। अब पहला फिर पलटवार करेगा फिर दूसरा करेगा। हर पलटवार पहले से ज़्यादा घिनौना होगा और मासूम मारे जाएंगे। दुखद है।उनके इस ट्वीट के बाद एक यूजर ने लिखा, 'अभी तक तो आप इजराइल के समर्थन में बोल रही थीं अचानक ह्रदय परिवर्तन की कोई खास वजह?' इसके जवाब में ऋचा ने लिखा, 'आज भी हमास के विरोध और इज़राइल के समर्थन में ही हूं। बस किसी भी तरफ बच्चे मारे जाएं तो वो गलत है। युद्ध की जड़ तो हमास ही है।'गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि कम से कम 500 लोगों के मारे जाने की खबर है। इस घटना के बाद आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था। हमास ने आरोप लगाया कि इजराइल ने यह बड़ा हमला किया है। वहीं इजराइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने इस हमले के लिए हमास को जिम्मेदार ठहराया।
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जम्मू कश्मीर के शारदा मंदिर में देश की आजादी के बाद पहली बार हुई है। आपको बतादें यह मंदिर कुपवाडा के टिटवाल में स्थित है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस ऐतिहासिक घटना पर ख़ुशी जताई है। मंदिर का उद्घाटन इस साल 23 मार्च 2023 को अमित शाह ने किया था। चैत्र नवरात्री के पहले दिन मंदिर के गर्वगृह में देवी शारदा की प्रतिमा रखी गई थी। मंदिर को उसी स्थान और शैली में बनाया गया है। जहां भारत के विभाजन से पहले मौजूद था।इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है। उन्होंने लिखा, '1947 के बाद पहली बार, कश्मीर के ऐतिहासिक शारदा मंदिर में नवरात्रि पूजा आयोजित की गई। 76 वर्षों तक "धर्मनिरपेक्षवादियों" द्वारा हिंदुओं को उनके धार्मिक अधिकारों से वंचित कर "कश्मीरियत" के रूप में प्रचारित किया गया। कुछ लोगों के लिए धर्मनिरपेक्षता का मतलब अभी भी भारत के सनातन धर्म को दफनाना है।'आपको बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'ये अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व की बात है कि 1947 के बाद से पहली बार कश्मीर के ऐतिहासिक शारदा मंदिर में इस साल नवरात्रि की पूजा हुई है। इसी साल यहां चैत्र नवरात्रि की पूजा हुई थी और अब शारदीय नवरात्रि के मंत्र गूंज रहे हैं।
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वरिष्ठ पत्रकार अलोक कुमार ने 'टाइम्स नेटवर्क' में अपनी पारी को विराम दिया है। वे 'टाइम्स नेटवर्क' में करीब पौने चार साल बतौर एडिटर की जिम्मेदारी निभा रहे थे। 13 अक्टूबर 2023 को अलोक कुमार का 'टाइम्स नेटवर्क' में बतौर एडिटर आखिरी कार्यदिवस था। सूत्रों से जानकारी मिली है की वे अब 'जी न्यूज़' में बड़ी ज़िम्मेदारी संभालेंगे। लेकिन आधिकारिक रूप से इस बात की पुष्टि नहीं हुई है। आपको बतादें की 'टाइम्स नेटवर्क'से पहले वे 'टीवी 9' समूह के साथ जुड़े हुए थे। और एक्सिक्यूटिव एडिटर के रूप में अपनी भूमिका निभा रहे थे। अलोक कुमार बिहार में मुजफ्फरपुर के निवासी हैं। उनको मीडिया क्षेत्र में काम करने का काफी ज़्यादा अनुभव है। पूर्व में वे डिजिटल प्लेटफॉर्म के रीजनल विंग की कमान संभल चुके हैं। वे वहाँ से मई 2015 में ‘लाइव इंडिया’ से इस्तीफा देकर ‘नेटवर्क18’ आए थे।‘ लाइव इंडिया' में वे डिजिटल एडिटर के तौर पर बहुत ही कम समय तक रहे। जहाँ उन्होंने बस 5 महीने ही बिताये। इसके पहले तक आलोक कुमार ने ‘सहारा समय’, ‘बीबीसी’ (BBC), ‘यूएनआई’ (UNI) और‘नेटजाल’ (www.netjaal.com) डिजिटल पोर्टल के साथ काम किया। देश के प्रतिष्ठित मीडिया शिक्षण संस्थान ‘आईआईएमसी’ से वर्ष 2001 में पत्रकारिता की तालीम हासिल करने वाले आलोक ने पत्रकारिता का सफर ‘नेटजाल’ (www.netjaal.com) के साथ बतौर कॉपी राइटर शुरू किया।
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सुचना-प्रसारण मंत्रालय की हालही में आई एक रिपोर्ट से पता चला है कि डिजिटल मीडिया ने मीडिया व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में एक सब-सेक्टर के तौर पर लगभग 100 के आसपास स्टार्टअप का उदय देखा है। 2022 में जो मीडिया व एंटरटेनमेंट सेक्टर का कुल 28.20 प्रतिशत था। मीडिया व एंटरटेनमेंट सेक्टर में अगला सबसे बड़ा योगदानकर्ता 28 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ स्टार्टअप का एंटरटेनमेंट सब-सेक्टर था। डिजिटल मीडिया न्यूज़ व पब्लिशिंग सेक्टर में कुल मिलकर 36 नए वेंचर्स का उदय हुआ है। ओओएच मीडिया व डिजिटल मीडिया ब्लॉगिंग स्टार्टअप का 2022 में बस 3 स्टार्टअप की शुरुवात की और उसके साथ पाई चार्ट में सबसे काम यानी मात्र 0.80 प्रतिशत हिस्सा रहा। 2023 की EY-FICCI रिपोर्ट के आंकड़ों का हवाला देते हुए M&E रिपोर्ट में पिछले पांच वर्षों में डिजिटल मीडिया सेक्टर की बृद्धि का भी उल्लेख किया गया है। 2017 में यह सेक्टर सिर्फ 119 अरब रूपए का था और 2022 से बढ़कर 571 अरब डॉलर रूपए का हो गया है। जिससे पांच वर्षों में इसमें 380 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
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डॉ. प्रवीण तिवारी ने मीडिया जगत में अपनी नई पारी की शुरुआत कर दी है।वे 'भारत एक्सप्रेस' के साथ ग्रुप एडिटर डिजिटल के तौर पर जुड़ गए हैं। इससे पहले वह 'अमर उजाला' की वीडियो टीम को हेड कर रहे थे। उनके नेतृत्व में अमर उजाला की वीडियो टीम ने अच्छी ग्रोथ की और अमर उजाला का वीडियो प्लेटफर्म चर्चा का विषय बना। भारत एक्सप्रेस ग्रुप डिजिटल क्षेत्र में एक बड़े इन्वेस्टमेंट के साथ आ रहा है।डॉ. प्रवीण तिवारी पत्रकारिता के साथ-साथ एकेडमिक्स और लेखन के क्षेत्र में भी सक्रिय रहे हैं। उन्होंने अभी तक सात पुस्तकों का लिखा है। यूजीसी के रजिस्टर्ड प्रोफेसर के तौर पर कई एकेडमीशन उनके मार्गदर्शन में पीएचडी भी कर रहे हैं।उन्होंने 25 साल के पत्रकारिता जीवन में प्रिंट टीवी और डिजिटल तीनों ही माध्यमों में लंबा समय दिया है।मुख्य रूप से 'लाइव इंडिया' के प्रधान संपादक के रूप में, फिर 'न्यूज18 इंडिया' के प्राइम टाइम एंकर के तौर पर उनकी भूमिकाएं और कार्य उल्लेखनीय है। 'जी बिजनेस' के साथ उनका कार्यक्रम 'इनोवेट इंडिया' भी काफी चर्चा में रहा । दूरदर्शन के साथ उनका लंबा साथ रहा है। उन्होंने राष्ट्रीय चैनल के साथ 'अवकेनिंग इंडिया' और कई अन्य प्रोग्राम बनाए हैं। आगामी दिनों में वह अपने लेखन और अकादमी कार्यों को भी जारी रखेंगे। डॉ. प्रवीण तिवारी मास कम्युनिकेशन में पीएचडी करने वाले चुनिंदा पत्रकारों में से एक है। हाल ही में उन्होंने साइकोलॉजी में भी मास्टर डिग्री हासिल की है। उनकी पुस्तक जिसे ब्लूम्सबरी ने पब्लिश किया था, बेस्ट सेलर रही।
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प्रवीण कक्कड़ नवदुर्गा प्रकृति की शक्तियों की उपासना का पर्व है। केवल स्त्री के सम्मान और श्रद्धा की बात नहीं बल्कि यह लैंगिक समानता और स्त्री को मानव के रूप में मान्यता देने का पर्व भी है। स्त्री और पुरुष दोनों में देवीय तत्व है और दोनों के ईश्वरीय रूपांतरण की पूजा - अर्चना का विधान भारतीय वांगमय में किया गया है। ईश्वर या देवीय तत्व का कोई लिंग नहीं है। इसलिए अर्धनारीश्वर की कल्पना हमारी संस्कृति और हमारे धर्म में मौजूद है। शिव महापुराण में उल्लेख है - ‘शंकर: पुरुषा: सर्वे स्त्रिय: सर्वा महेश्वरी ।’ इसका भाव यही है कि समस्त पुरुष भगवान सदाशिव के अंश और समस्त स्त्रियां भगवती शिवा की अंशभूता हैं, उन्हीं भगवान अर्धनारीश्वर से यह सम्पूर्ण चराचर जगत् व्याप्त हैं। इसे और अधिक स्पष्ट शब्दों में समझे तो स्त्री और पुरुष में भेद केवल उनकी नैसर्गिक जिम्मेदारियों का है। स्त्री जननी है उसे मां बनना है, सृष्टि के क्रम को चलायमान रखना है। जबकि पिता होने का दायित्व पुरुष को सृष्टि ने सौंपा है। इन दोनों दायित्व में कोई भी कमतर नहीं है और कोई भी उच्चतर नहीं है। पद्मपुराण में कहा गया है कि पिता धर्म है, पिता स्वर्ग है और पिता ही सबसे श्रेष्ठ तप है। पिता के प्रसन्न हो जाने पर सम्पूर्ण देवता प्रसन्न हो जाते हैं। जिसकी सेवा और सदगुणों से पिता-माता संतुष्ट रहते हैं, उस पुत्र को प्रतिदिन गंगा-स्नान का पुण्य मिलता है। शायद इसीलिए नवदुर्गा से पहले पितृपक्ष आता है। पिता धर्मः पिता स्वर्गः पिता हि परमं तपः। पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्वदेवताः॥ पितरौ यस्य तृप्यन्ति सेवया च गुणेन च। तस्य भागीरथीस्नानमहन्यहनि वर्तते॥ दूसरी तरफ मातृत्व भी उतना ही उत्कृष्ट और उच्चतम गुण है, जो संसार में सृष्टि को आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण दायित्व निभाती है। नास्ति मातृसमा छाया नास्ति मातृसमा गतिः। नास्ति मातृसमं त्राणं नास्ति मातृसमा प्रपा॥ माता के समान कोई छाया नहीं, कोई आश्रय नहीं, कोई सुरक्षा नहीं। माता के समान इस विश्व में कोई जीवनदाता नहीं॥ माता सर्वतीर्थमयी है और पिता सम्पूर्ण देवताओं का स्वरूप है। इसलिये स्त्री पुरुष दोनों ही महत्वपूर्ण है और कोई भी किसी से कम नहीं है। पितृपक्ष के बाद नवदुर्गा का पूजन मातृ पक्ष ही है। यह शक्ति के पूजन की परंपरा है। शक्ति जिससे संसार चलता है और जो अपनी रचनात्मकता से संसार को आगे बढ़ती है। स्त्री और पुरुष दोनों मिलकर सृजन करते हैं। किसी एक की अनुपस्थिति में सृजन संभव नहीं। लेकिन मध्यकाल में एक ऐसा दौर आया जब पाशविक बल को ही सर्वोच्च समझा जाने लगा और पुरुष को स्त्री से ज्यादा बलवान समझकर स्त्री को दबा कर रखा गया। उसे सीमाओं में बांधने की कोशिश की गई। शोषण, अपमान, घुटन और पीड़ा उसके हिस्से में आई। वर्ष में दो-दो बार नवदुर्गा के रूप में स्त्री शक्ति की पूजा करने वाले देश में स्त्रियों की स्थिति निरंतर खराब होती चली गई। किंतु अब वह बुरा दौर खत्म होने की तरफ है। आज की स्त्री चैतन्य है, अपनी शक्ति पहचानती है, अपनी सीमाओं को जानती है, और हर वह काम करना चाहती है जिस स्त्री के लिए एक समय में वर्जित किया गया था। यही कारण है कि स्त्री चेतना के इस दौर में पुरुष प्रधान समाज को भी बाध्य होकर संसद और विधानसभा में स्त्रियों को 33% आरक्षण देने का निर्णय करना पड़ा है। यह बदलाव स्त्री शक्ति को सर्वोच्च मान्यता प्रदान करने के साथ-साथ स्त्री चेतना के प्रति सम्मान का प्रकटन भी है। अब जानना यह है कि समाज और पुरुष स्त्री को मानवी के रूप में स्वीकार करने के लिए कितना तत्पर है। इस नवदुर्गा का यही संदेश है कि जो सर्व शक्तिशाली है, जो जगदंबा है, जगतजननी है और सृष्टि की निर्मात्री है, उसे बराबरी का हक और सम्मान देना अब आवश्यक ही नहीं अनिवार्य भी है। आप सभी के लिए नवरात्रि पर्व मंगलमय हो, आप सभी को दुर्गोत्सव की शुभकामनाएं
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दीपक चौरसिया ने सरकार से की ये अपील विश्व में फ़िलहाल इजरायल और हमास के बीच जंग जारी है। इस लड़ाई में विश्व भर के देशों ने अपने-अपने विचार सब के सामने रख रहे हैं। इस तरह ही भारत के प्रधानमंत्री ने अपना समर्थन इजरायल को दिया है। लेकिन भारत के ही अंदर भरी संख्या में एक विशेष समुदाय से गाजा व फिलिस्तीन के समर्थन में आ रहे हैं। आपको बतादें बेंगलुरु की जामिया मस्जिद के इमाम मौलाना मकसूद इमरान ने कहा कि इजरायली सेना फिलिस्तीन के मुस्लिमों पर अत्याचार कर रही है। उन्होंने फिलिस्तीन में शांति बहाली की दुआ की। झारखंड के जमशेदपुर में भी मुस्लिम समुदाय फिलिस्तीन का समर्थन कर रहा है। जमशेदपुर के मानगो आजाद नगर में जुमे की नमाज के बाद मुस्लिम समाज के लोगों ने फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन कर इजरायल के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की। इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स (ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, सनातन के समृद्ध अगुआ ऋषि सुनक ने यूके में फिलिस्तीनी झंडा फहराने पर पाबंदी लगा दी है। इतना ही नहीं जर्मनी ने भी फिलिस्तीनी झंडे पर पूरी तरह पाबंदी लगाने के साथ ही सारे सहयोग बंद कर दिये हैं और फिलिस्तीन समर्थक समूहों को भी बैन कर दिया है। फ्रांस ने भी फिलिस्तीनी रैली और नारे पर रोक लगा दी है। अब बारी है भारत की, आगे आये और हमास समर्थकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का रुख अख्तियार करें। इन्हें पालने-पोषने की जगह इनके इलाज करने की जरूरत है।
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वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने पूछा ये सवाल! भारत और पकिस्ताब के बीच शनिवार को अहमदाबाद में मैच खेला जायेगा। इस मुकाबले से पहले पाकिस्तान क्रिकेट टीम अहमदाबाद पहुंच चुकी है। पाकिस्तान की टीम के स्वागत के लिए खास इंतज़ाम किए गए है। यहाँ स्वागत के लिए लड़कियों से डांस करवाया गया। इसके साथ ही खिलाड़ियों पर फूलों की बारिश की गई। पाक खिलाड़ियों का भव्य स्वागत भारत के फैंस को रास नहीं आ रहा। इसके साथ ही वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' (ट्विटर) पर पोस्ट कर एक बड़ा सवाल पूछा है। उन्होंने लिखा, 'अहमदाबाद में पाकिस्तान की टीम के आने पर ढोल,नृत्य,पुष्प वर्षा की गई। पाक टीम ने इस तरह के भव्य स्वागत के लिए BCCI का धन्यवाद किया। ये वही टीम है जो क्रिकेट मैच को जिहाद से जोड़ती है। उनके लिए हर जयकार उनके नफरत से भरे दृष्टिकोण के लिए जयकार है। उन्हें मिलने वाला हर निमंत्रण उस देश को वैध बनाता है, जिसका वे प्रतिनिधित्व करते हैं।'आपको बता दें कि पाक खिलाड़ियों के स्वागत में सजी युवतियां गुजराती पहनावे में नजर आईं। उनके साथ-साथ ढोल भी था। टीम इंडिया की बात करें तो उसने पहला मैच ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला, इसे उसने 6 विकेट से जीता था। वहीं दूसरा मैच अफगानिस्तान के खिलाफ दिल्ली में खेला। भारत ने यह मैच 8 विकेट से जीता।
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सुधीर चौधरी ने कह दी ये बड़ी बात पाकिस्तानी विकेटकीपर बल्लेबाज फ़िलहाल एक पोस्ट कर विवादों में घिर गए हैं। दरसल उन्होंने विश्वकप में श्रीलंका के खिलाफ अपनी टीम की जीत 'गाजा के भाई बहनों को समर्पित की है। मैच के बाद रिज़वान ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स (ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कैप्शन लिखा की, यह गाजा के हमारे भाई बहनों के लिए है। जीत में योगदान देकर खुशहूँ। पूरी टीम खास कर अब्दुल्ला शफ़ीक़ और हसन अली को इस जीत को आसान बनाने का श्रेय जाता है। शानदार मेज़बानी और हमारी टीम को समर्थन करने के लिए हैदराबाद की जनता का दिल से धन्यवाद करता हूँ। रिज़वान की इस पोस्ट के बाद उनकी सोशल मीडिया पर काफी ज़्यादा संख्या में ट्रॉल्लिंग हुई। हिंदी न्यूज़ चैनल 'आजतक' के प्राइम टाइम शो के सुधीर चौधरी ने एक पोस्ट कर कड़ी बात कह दी। उन्होंने लिखा, पाकिस्तान क्रिकेटर और विकेटकीपर बल्लेबाज मुहम्मद रिज़वान ने अपना विजयी शतक गाजा के लोगों को समर्पित किया वहीं उन्होंने पाकिस्तान का समर्थन करने के लिए हैदराबाद के लोगों को भी धन्यवाद दिया। आईसीसी क्रिकेट वर्ल्डकप 2023 सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं रहा है अब यह राजनीतिक और धार्मिक विचारधारा का युद्धक्षेत्र भी है।इस पुरे मामले पर लोग आईसीसी की भी आलोचना कर रहे हैं क्योंकि 2019 विश्व कप में आईसीसी ने धोनी का बलिदान बैज हटवा दिया था, इसके अलावा इंग्लैंड के ऑलराउंडर मोईन अली पर भी रिस्टबैंड पहनने पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है। हमास के आतंकवादियों ने पिछले हफ्ते इजरायल पर हमला किया जिसमें 900 से अधिक लोग मारे गए।
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कांग्रेस नेता का रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इस समय जातीय जनगणना को अपना चुनावी मुद्दा बना कर राजनीती कर रहे हैं। कांग्रेस ने अपनी सत्ता वाले सभी राज्यों में जातीय जनगणना कराने का ऐलान कर दिया है। राहुल गाँधी ने सोमवार को कांग्रेस कार्यसमिति की मीटिंग के बाद इसका ऐलान किया। राहुल गाँधी ने कहा कि पूरा देश आज जातीय जनगणना चाहता है। कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बगल में बिठाकर राहुल गांधी ने कहा कि हम अपनी सत्ता वाले सभी राज्यों में जातीय जनगणना कराएंगे। राहुल गांधी के इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार और पद्मश्री आलोक मेहता ने कड़ी आपत्ति दर्ज की है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, लालू यादव से एक कदम आगे लोगों को विभाजित करना चाहते हैं या उकसाना चाहते हैं कि वे समर्थन या हमला करने के लिए पत्रकारों या मालिकों से अपनी जाति की पहचान करने के लिए कहें। कांग्रेस का रवैया काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। राहुल गाँधी ने यहाँ तक की प्रेस वार्ता में भी पत्रकारों से पूछा की क्या वे दलित या OBC है तो हाथ उठाये ? राहुल गांधी , आपने अपनी मीडिया कंपनी प्रकाशन और प्रचार पार्टी की सोशल मीडिया टीम में कितने ओबीसी, एससी एसटी पत्रकारों को नियुक्त किया है? मारी राय में मीडिया जगत में हर समुदाय और व्यक्ति अपनी क्षमता पर काम करता है। बता दें कि बिहार में जाति गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद राहुल गांधी इस मुद्दे को और तेजी से उठा रहे हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस ने बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडा का मुकाबला करने के लिए जाति आधाारित गणना पर जोर दिया है
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सुशांत सिन्हा ने कह दी ये बात विश्व में अभी फिलिस्तीन और इजराइल के बीच बड़ा विवाद चल रहा है। जो की काफी सुर्खियां बटोर रहा है। इस विषय को लेकर लोग अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। वहीं भारत में यह मामला चर्चे में है। इसी मामले को लेकर अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों (AMU) ने फिलिस्तीन के समर्थन में कैंपस में पैदल मार्च और अल्लाह-हू-अकबर के नारे लगाए। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इजराइल का समर्थन किया। वहीं दूसरी ओर (AMU) के छात्रों ने फिलिस्तीन के समर्थन प्रदर्शन किया। (AMU) में फिलिस्तीन के समर्थन के मार्च निकालने बाद पुलिस ने इस मामले में जाँच शुरू करने बाद फिलहाल 4 छात्रों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। आरोपियों में एमबीए, पीएचडी के छात्र शामिल हैं। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार सुशांत सिन्हा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर अपनी राय दी है। उन्होंने लिखा, '100 करोड़ हिंदुओं के देश में हिंदू अपनी धार्मिक आस्था के केंद्र की कानूनी लड़ाई लड़ता है, प्रभु राम के होने के सबूत देता है, ज्ञानवापी-मथुरा का इतिहास याद दिलाता है तब भी हिंदुत्व को खतरा बता दिया जाता है जबकि अपनी जमीन और धार्मिक मान्यताओं के लिए बच्चे और महिलाओं को मारनेवाले हमास को भी समर्थन मिल जाता है। ये बताकर कि फिलिस्तीन की जमीन पर कब्जा हुआ है।जाने लोग ऐसा डबल स्टैंडर्ड कहां से लाते हैं लेकिन अफसोस ये कि अब भी इस देश में कुछ लोग इस डबल स्टैंडर्ड को देख नहीं पाते। आपको बतादें की (AMU) में हुए मार्च की वीडियो सोशल मीडिया पर काफी तेज़ी से फैल रही है। इस वीडियो पर लोग अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इस वीडियो में साफ देखा जा सकता है छात्रों ने फिलिस्तीन का खुलकर समर्थन किया। कैम्पस में फ्री-फ्री फिलिस्तीन के नारे लगाए गए।
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मिली नई ज़िम्मेदारी अंग्रेजी अख़बार 'हिंदुस्तान टाइम्स' के वरिष्ठ पत्रकार प्रांशु मिश्रा को रेजिडेंट एडिटर पद पर प्रमोट किया है। इस भूमिका में वे एचटी के मैनेजिंग एडिटर कुणाल प्रधान को रिपोर्ट करेंगे।आपको बतादें की प्रांशु मिश्रा इससे पहले अंग्रेजी न्यूज़ चैनल 'CNN News18' लखनऊ में करीब 7 साल से काम कर रहे थे। उन्होंने इस साल जून में इस चैनल के यूपी ब्यूरो चीफ पद से इस्तीफा दिया और 'हिंदुस्तान टाइम्स' के साथ डिप्टी रेजिडेंट एडिटर (यूपी) के पद पर अपना सफर शुरू किया था। अब ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ लखनऊ में रेजिडेंट एडिटर सुनीता एरोन के सेवानिवृत्त होने के बाद मैनेजमेंट ने प्रांशु मिश्रा को प्रमोशन का तोहफा देते हुए रेजिडेंट एडिटर पद की जिम्मेदारी सौंपी है। उनको प्रिंट और टीवी मीडिया में काम करने का 20 साल से ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने मीडिया क्षेत्र में अपने करियर की शुरुवात 2001 में की थी। उसके बाद वे 'दैनिक जागरण' और 'टाइम्स नाउ' में भी अपनी भूमिका अदा कर चुके हैं। प्रांशु मिश्रा मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ के रहने वाले हैं। उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से पढाई पूरी की है।
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जानिए क्या है वजह? इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर), यूट्यूब और टेलीग्राम को भारत में अपने मंचों से बाल यौन शोषण संबंधी सामग्री हटाने के लिए नोटिस जारी किया है।उन्होंने ने कहा कि अगर सोशल मीडिया कंपनियां तेजी से काम नहीं करती है, तो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 के तहत उनके 'बचाव' को वापस ले लिया जाएगा, जिसका मतलब है कि इन प्लेटफॉर्म्स पर सीधे लागू होने वाले कानून और नियमों के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।चंद्रशेखर ने कहा, हमने एक्स, यूट्यूब और टेलीग्राम को नोटिस भेजे हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके मंचों पर कोई भी बाल यौन शोषण सामग्री न हो। सरकार सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के तहत एक सुरक्षित और विश्वसनीय इंटरनेट बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। मंत्रालय के द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया है कि आईटी अधिनियम की धाराएं- 66ई, 67, 67ए और 67बी अश्लील सामग्रियों के ऑनलाइन प्रसारण के लिए कड़े दंड और जुर्माने के प्रावधान करती हैं।
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वरिष्ठ पत्रकार ने दिया ये बयान चीन में हो रहे एशियन गेम्स 2023 में भारत की टीम हर खेलों में शानदार प्रदर्शन कर रही है। चीन में हो रहे एशियन गेम्स में भारत की टीम ने अपना सर्वश्रेस्ठ प्रदर्शन किया है। खेलों के इतिहास में भारत ने कभी 100 मेडल्स नहीं जीते थे। लेकिन इस बार भारत की टीम ने 100 से ज़्यादा मेडल्स जीत कर इस एशियन गेम्स को यादगार बना दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय दाल को बधाई देते हुआ एक्स (ट्विटर) पर लिखा, एशियाई खेलों में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि। भारत के लोग इस बात से रोमांचित हैं कि हम 100 पदकों की उल्लेखनीय उपलब्धि तक पहुंच गए हैं। भारत की इस उपलब्धि पर वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने भी पोस्ट कर अपनी राय दी है। उन्होंने एक्स (ट्विटर) पर लिखा, भारत के खिलाड़ियों की चमक चीन में दिख रही है। हम 100 पदकों का आंकड़ा पार करते दिख रहे हैं। सभी खिलाड़ियों ने भारत का गौरव बढ़ाया है, लेकिन इसके साथ नरेंद्र मोदी सरकार के खेलों को बढ़ावा देने के प्रयासों की प्रशंसा होनी चाहिए।नरेंद्र मोदी की नीतियों की इसमें बड़ी भूमिका है। यह सब लंबे समय की रणनीति के साथ प्राप्त होता है। भारत कई क्षेत्रों में लंबी रणनीति के साथ कार्य कर रहा है और उसके परिणाम अब दिखने लगे हैं। खेल का क्षेत्र उनमें से एक है। धीरे-धीरे ऐसे दूसरे क्षेत्रों में भी भारत की चमक सम्पूर्ण विश्व देखेगा। बस, हम भारत के लोग अपना आत्मविश्वास बनाए रखें। आपको बतादें की चीन में हो रहे एशियन गेम्स में भारत ने पहली बार 100 मेडल्स जीते है। इससे पहले जकार्ता में भारत ने 16 गोल्ड,23 सिल्वर और 31 ब्रोंज मैडल के साथ कुल 70 मेडल्स जीते थे।
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जानिये किन-किन भाषा के लिए हैं ये एंकर्स इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरमैन कली पुरी ने 5 अक्टूबर गुरुवार को 'इंडिया टुडे कॉन्क्लेव मुंबई 2023' के दौरान ग्रुप के 5 नए AI एंकर्स को लॉन्च किआ। यैह 5 AI एंकर्स अलग अलग भाषा में अपडेट देंगे। जैसे मराठी, हिंदी, भोजपुरी, बंगाली और अंग्रेजी। आपको बतादें की हिंदी खबरों के लिए ऐश्वर्या, मराठी खबरों की पेशकश साइली, बंगाली खबरों की पेशकश ऐना, भोजपुरी खबरों की पेशकश नैना और अंग्रेजी भाषा में खबरों के लिए मेल एंकर जय पेश करेंगे। AI एंकर लॉन्च करते हुए कल्ली पुरी ने कहा की वे इस साल मार्च में इंडिया टुडे ग्रुप ने अपनी पहली AI एंकर सना को अपनी टीम का हिस्सा बनाया था। बतादें की सना ने तब से लेकर अब तक विभिन्न शैलियाँ भाषा और प्लेटफार्म पर 200 घंटे का कार्यक्रम सफलता पूर्वक किए हैं। इंडिया टुडे ग्रुप की समाचार प्रसार प्रणाली में AI एंकर्स का एकीकरण मीडिया इंडस्ट्री में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा- भारत के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर की हत्या के पीछे भारत का हाथ बताया था। इसी के बाद लगातार दोनों देशों के संबंध बिगड़ते जा रहे हैं। इस बीच, विवाद को सुलझाने के लिए ओटेवा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने भारत के साथ निजी बातचीत की इच्छा जाहिर की है।इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर बड़ी बात कही है। उन्होंने लिखा, कनाडा ट्रूडो द्वारा भारत विरोधी खालिस्तानियों को पनाह देने पर भारत के साथ 'निजी बातचीत' चाहता है। इसके बाद नई दिल्ली ने कनाडा से 41 राजनयिकों को वापस बुलाने को कहा। इसलिए ट्रूडो सार्वजनिक रूप से भारत पर आरोप लगाते हैं लेकिन "निजी तौर पर बातचीत" चाहते हैं। नई दिल्ली को इस संरक्षणवादी दोहरेपन को अस्वीकार करना चाहिए।
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मंगलवार को पत्रकारों के लिए सरकार ने कई कल्याणकारी सुविधाओं की घोषणा की है। दरहसल विधानसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश सरकार ने महिला पत्रकारों के लिए फेलोशिप और छोटे समाचार पत्रों के लिए विज्ञापनों की गारंटी शामिल है। दरअसल, सरकारी विज्ञापनों की कमी से जूझने के कारण आर्थिक संकट झेल रहे कई छोटे अखबारों के लिए यह राहत भरी खबर है।सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को 28 करोड़ रुपये की लागत से दो साल में बनने वाले स्टेट मीडिया सेंटर की आधारशिला रखने के बाद पत्रकारों के लिए कई कल्याणकारी सुविधाओं की घोषणा की। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय और (सरकार के) जनसंपर्क विभाग के माध्यम से विकासात्मक कार्यों का अध्ययन करने के लिए हर साल पांच महिला पत्रकारों को फेलोशिप मिलेगी।आर्थिक संकट झेल रहे कई छोटे अखबारों को राहत पहुंचाने की बात करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि छोटे अखबारों को हर दूसरे महीने कम से कम एक सरकारी विज्ञापन मिलेगा। साथ ही 70 साल से अधिक उम्र के पत्रकारों को स्थायी मान्यता कार्ड मिलेंगे। शिवराज सिंह चौहान ने जनसंपर्क विभाग के पात्र अधिकारियों को वरिष्ठ पद और सहायक निदेशकों के लिए उचित वेतन बढ़ोतरी सहित रियायतों की भी घोषणा की। उन्होंने हिंदी पत्रकारिता को समृद्ध बनाने में दिवंगत पंडित माखनलाल चतुर्वेदी, हरिशंकर परसाई, डॉ. वेद प्रताप वैदिक और प्रभाष जोशी जैसे प्रसिद्ध पत्रकारों के योगदान को भी याद किया।सीएम शिवराज ने कहा, मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के दौर में विश्वसनीयता का संकट देखने को मिल रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि स्टेट मीडिया सेंटर इन पत्रकारों के संवाद, खबरों के संचार और हमारे संपर्क का केंद्र बनेगा। साथ ही सीएम शिवराज ने स्वतंत्रता संग्राम, आपातकाल, युद्ध की अवधि और कोविड -19 महामारी के दौरान पत्रकारों के योगदान के बारे में भी बात की।स्टेट मीडिया सेंटर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस हॉल, मिनी ऑडिटोरियम, आर्ट गैलरी, लाइब्रेरी, आउटडोर और इनडोर गेम सुविधा, वर्क स्टेशन, मीडिया कार्यालयों और रेस्तरां सहित कई सुविधाएं होंगी।
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बने 'इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी' के नए प्रेजिडेंट आईटीवी ग्रुप और 'गुड मॉर्निंग मीडिया इंडिया' के निर्देशक राकेश शर्मा को इंडियन न्यूज़पेपर सोसाइटी (INS) का नया प्रेजिडेंट चुना गया है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये हुई (INS) की 84 वी वार्षिक आम बैठक में उनको यह पद दिया गया। उनको के. राजा प्रसाद रेड्डी (साक्षी) की जगह यहाँ ज़िम्मेदारी दी गयी। गुड मॉर्निंग ग्रुप 'आज समाज', 'द डेली गार्डियन', 'द संडे गार्डियन', 'इंडिया न्यूज' और 'बिजनेस गार्डियन' जैसे प्रतिष्ठित अखबार का प्रकाशन करता है। राकेश शर्मा को पिछले 50 वर्षों से मीडिया का अनुभव है। और उन्होंने शीर्षस्थ पदों पर कार्य किया है। इसके साथ ही एमवी श्रेयम्स कुमार (मातृभूमि) को ‘आईएनएस’ का डिप्टी प्रेजिडेंट, विवेक गुप्ता (सन्मार्ग) को वाइस प्रेजिडेंट और तन्मय माहेश्वरी (अमर उजाला) को मानद कोषाध्यक्ष चुना गया है। वहीं, मैरी पॉल को सेक्रेट्री जनरल की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
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कुछ लोगों के कलेजे में नफरत घर कर चुकी है यूपी के वाराणसी में एक मासूम बच्ची करंट की चपेट में आकर जान बचाने की गुहार लगाने लगी, लोगों ने कोशिश की लेकिन नाकाम रहे। उसी समय एक बुजुर्ग शमीम कुरैशी को बच्ची के करंट लगने का ऐहसास हुआ और वह वहीं से गुजर रहे थे। उन्होंने कोशिश की और सूझबूझ से बच्ची को बचाने के लिए एक लकड़ी का डंडा मंगाया और फिर बच्ची को हिम्मत देकर उसे करंट वाले एरिया से बाहर निकाल लिया।इसी घटना पर वरिष्ठ पत्रकार संकेत उपाध्याय ने अपने शो में बात की थी। उनके सोशल मीडिया क्लिप पर एक यूजर ने कमेंट किया कि आचार्य राहुल शर्मा के बारे में बात नहीं करोगे, क्योंकि तुम्हारा घर ही ब्राह्मण को गाली देकर उनके खिलाफ झूठ फैलाकर चलता है। हालांकि इस बात में सच्चाई नहीं थी।उज्जैन के आचार्य राहुल ने जब रेप पीड़िता की मदद की तो वो खबर भी संकेत ने अपने शो में दिखाई और जिस वीडियो पर सवाल खड़ा किया गया, उस वीडियो के शुरू में ही संकेत, आचार्य राहुल की तारीफ कर रहे हैं। संकेत ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, इसी क्लिप की शुरुआत में उज्जैन के साधु बात हो रही है। इससे ठीक पहले चली स्टोरी में भी पत्थर दिल उज्जैन में साधु की भूमिका पर विस्तार से बात हुई। दिक्कत आप जैसे लोगों के कलेजे में घर कर चुकी नफरत है जिसको सिर्फ खौंखियाना आता है। समाज में अच्छाई देखना नहीं।इसके अलावा संकेत उपाध्याय ने एक और पोस्ट किया जिसमें उन्होंने लिखा, जब उज्जैन पत्थर दिल बना हुआ था तो आचार्य जी आगे आए। पीड़िता की मदद की। कल हमने आपको काशी के शमीम भाई की कहानी बताई। आज उज्जैन के आचार्य राहुल जी की कहानी देखिए। फरिश्ते जिंदा हैं।
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‘एबीपी नेटवर्क’ के सीईओ अविनाश पांडेय को एक बार फिर से ‘इंटरनेशनल एडवर्टाइजिंग एसोसिएशन’ के इंडिया चैप्टर का प्रेजिडेंट चुना गया है।इसके साथ ही अन्य निर्वाचित सदस्यों में फ्री प्रेस जर्नल ग्रुप के प्रेजिडेंट अभिषेक करनानी उपाध्यक्ष, मीडिया दिग्गज नंदिनी दास सचिव और के फाउंडर जयदीप गांधी कोषाध्यक्ष शामिल हैं। बुधवार को ‘इंटरनेशनल एडवर्टाइजिंग एसोसिएशन’ की वार्षिक आम बैठक में सदस्यों ने सर्वसम्मति से इन्हें चुना है।पांच सदस्यों को वोटिंग मेंबर्स के तौर पर चुना गया है। इनमें कथित तौर पर आर.के. स्वामी लिमिटेड के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर श्रीनिवासन के. स्वामी; मातृभूमि प्रिंटिंग एंड पब्लिशिंग कंपनी लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर एम.वी. श्रेयम्स कुमार; ग्रुपएम में दक्षिण एशिया के सीईओ प्रशांत कुमार; द इंडियन एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अनंत गोयनका; ब्लू लॉजिक सिस्टम्स की डायरेक्टर जनक सारदा शामिल हैं।
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'न्यू दिल्ली टेलीविजन लिमिटेडट' यानी कि NDTV को तीन हाई डेफिनिशन चैनल्स को लॉन्च करने की सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) से मंजूरी मिल गई है। अडाणी ग्रुप के स्वामित्व वाले इस समूह ने मंगलवार को एक्सचेंज फाइलिंग में इसकी जानकारी दी है। समूह ने अपनी जानकारी में बताया कि कंपनी को सूचना-प्रसारण मंत्रालय से 25 सितंबर, 2023 को एक पत्र मिला है, जिसमें कंपनी को हाई डेफिनिशन में तीन न्यूज व करेंट अफेयर्स के चैनल्स को अपलिंक और डाउनलिंक करने की अनुमति मिलने की बात कही गई है। बता दें कि मंत्रालय से समूह को जिन चैनल्स के लिए प्रसारण की अनुमति मिली है, उनके नाम हैं- NDTV 24x7 HD, NDTV India HD और NDTV Profit HD. ये तीनों ही नए चैनल्स HD यानी हाई डेफिनिशन की क्वॉलिटी वाले होंगे। बता दें कि NDTV 24x7 HD अंग्रेजी न्यूज चैनल है और NDTV India HD हिंदी न्यूज चैनल है, जबकि NDTV Profit HD बिजनेस जगत की खबरों पर केंद्रित चैनल है। कंपनी ने यह भी जानकारी दी कि तीनों ही चैनल्स की लॉन्चिंग पर वह स्टॉक एक्सचेंजों इसकी सूचना देगा।
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केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार के रूप में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अमित खरे का कार्यकाल बढ़ा । खरे को 12 अक्टूबर 2021 को दो साल के लिए अनुबंध के आधार पर प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था।इस पद पर खरे का कार्यकाल 12 अक्टूबर 2023 को समाप्त हो रहा था, लेकिन अब इसे प्रधानमंत्री के वर्तमान कार्यकाल के साथ समाप्त होने वाली अवधि तक के लिए विस्तार दे दिया गया है।मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बारे में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है, ‘कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने सामान्य नियमों और शर्तों पर अनुबंध के आधार पर प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अमित खरे के कार्यकाल में विस्तार को मंजूरी दे दी है। इस पद पर उनका कार्यकाल अब प्रधानमंत्री के वर्तमान कार्यकाल के साथ समाप्त होने तक या अगले आदेश तक (जो भी पहले हो) लागू होगा।’गौरतलब है कि 1985 बैच के झारखंड-कैडर के आईएएस अधिकारी अमित खरे उच्च शिक्षा सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को आकार देने में अपना योगदान दिया था। ‘आईआईएम’ अहमदाबाद से एमबीए करने वाले खरे ने दिसंबर 2019 में उच्च शिक्षा सचिव के रूप में कार्यभार संभाला था। उन्होंने सूचना प्रसारण मंत्रालय (MIB) सचिव के रूप में भी कार्य किया है।
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वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार ने महिला आरक्षण पर कहा, मेरा मानना है कि जो हम तय करते हैं कि उसे हमें करना ही चाहिए। महिला आरक्षण विधेयक के लिए विशेष सत्र बुलाकर नए संसद भवन की शुरुआत करना एक बड़ा संदेश है न सिर्फ भारत के लिए बल्कि विश्व के लिए। जो आप (विपक्ष) ने आज तक नहीं किया, उसे अगर मौजूदा सरकार करा पाती है तो यह उसकी प्रतिबद्धता दर्शाता है। हमारे यहां पुरुष देवों से ज्यादा स्त्री देवियों की संख्या है, लेकिन काल खंड में धीरे-धीरे महिलाएं पीछे होती गईं। मैं निजी तौर पर मानता हूं कि समाज के वंचित तबके को आगे लाने के लिए सरकार को विशेष व्यवस्थाएं करनी चाहिए, लेकिन यह एक निश्चित कालखंड के लिए होनी चाहिए।जो पार्टियां आलोचना कर रही हैं कि तत्काल इसे क्यों नहीं लागू किया क्या, वह अगले चुनाव से अपनी पार्टी से 33 फीसदी महिलाओं को टिकट देंगी। बीते कई वर्षों से परिसीमन से सरकारें बचती रही हैं। मेरा मानना है कि विरोध करने वाले इतिहास में अपना नाम अंकित कराने से चूक गए हैं। मैं हमेशा से कहता रहा हूं कि महिलाओं में पुरुषों से काम करने की क्षमता बहुत ज्यादा है। अगर महिलाएं किसी क्षेत्र में आएंगी तो उसमें आपको एक बड़ा बदलाव दिखेगा। हमारे यहां कहा गया है कि अरे हंस अगर तुम ही पानी और दूध में भेद करना छोड़ दोगे तो दूसरा कौन करेगा।
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अंजना ओम कश्यप का बनाया AI देश के चर्चित न्यूज चैनल 'आजतक' वैसे तो तकनीक के प्रयोग के मामले में हमेशा आगे ही रहता है, लेकिन अब 'आजतक' ने एक ऐसा अनूठा प्रयोग किया है, जिसे देखकर लोग हैरान रह गए। आपको बता दे की आजतक' की प्राइम टाइम एंकर अंजना ओम कश्यप के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वर्जन को लॉन्च किया गया है। इसके बारे में अंजना ओम कश्यप ने शाम को ट्वीट कर जानकारी दी थी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा, इसकी कल्पना मैंने कभी नहीं की थी। मेरे लिए भी यह अनूठा अनुभव है क्योंकि टीवी न्यूज के इतिहास में यह पहली बार होने जा रहा है। जैसे ही रात को 8 बजे लोगों ने अंजना ओम कश्यप के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाले वर्जन को देखा, तो वो हैरान हो गए यह पहचानना मुश्किल हो गया की कौन असली है और कौन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है? कई लोगों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया और अंजना ओम कश्यप ने उन लोगों को रिप्लाई भी किया। एक यूजर ने लिखा अंजना जी आपकी पार्टनर बहुत ही सुंदर हैं, तो उसके जवाब में अंजना ओम कश्यप ने लिखा की हां मुझे भी ऐसा ही लग रहा है। एक यूजर ने लिखा,कौन असली है और कौन नकली है यह पहचानना बहुत मुश्किल हो रहा है। आपको बता दें कि इससे पहले 'आजतक' ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल से 'सना' नाम की एंकर को लॉन्च किया था
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राणा यशवंत ने कही ये बड़ी बात भारत और कनाडा के बीच चल रहे तनाव के बीच मोदी सरकार ने कड़ा फैसला लिया है। भारत ने कनाडा के लोगों के लिए वीजा सेवाएं सस्पेंड कर दी हैं। अगली सूचना तक सेवाएं निलंबित की गई हैं।इससे कनाडा के नागरिक फिलहाल भारत नहीं आ सकेंगे। इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार राणा यशवंत ने बड़ी बात कही है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, जब आप नहले पर दहला मारने का हौसला और हैसियत पा लेते हैं तो दुनिया संभलकर रहती है। कनाडा वालों के लिए वीजा रोककर सरकार ने भारत की शक्ति जताई। ट्रूडो सरकार का रवैया अगर भारत के हितों के खिलाफ है तो फिर उनके हितों की परवाह भारत को भी नहीं, यह बात मोदी सरकार ने बता दी।
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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपनी संसद को संबोधित करते हुए भारत को खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया है। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय दूतावास के एक राजनयिक को भी वापस लौटने का आदेश दिया। भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है और कनाडा के एक शीर्ष राजनयिक को पांच दिनों के अंदर देश छोड़ने का आदेश दिया है। इसी बीच हिंदी न्यूज चैनल 'आजतक' के प्राइम टाइम एंकर सुधीर चौधरी ने अपने शो में कनाडा के पीएम को एक सुझाव दिया है। सुधीर चौधरी ने अपने शो में कहा, क्षेत्रफल में कनाडा दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। वहां के ब्रिटिश कोलंबिया जैसे प्रांत में पंजाब के बराबर 19 राज्य बन सकते हैं। कनाडा को वहीं पर खलिस्तान का निर्माण करके तमाम खलिस्तानियों को बसा देना चाहिए। सुधीर ने यह भी कहा कि अगर वो चाहे तो वही 'खालिस्तान' नाम का एक अलग राज्य बनाकर अपनी मंशा पूरी कर सकते हैं। वहां उन्हें वो पूरी सुविधा दे सकते है, उनके रहने का इंतजाम किया जा सकता है और वो यह घोषणा भी कर सकते हैं कि जिसे भी इस राज्य में आकर बसना हो वो रह सकता हैं। इसके जरिए वो 'खालिस्तान' के रहनुमाओं का विश्वास भी जीत सकते हैं और उन्हें अपनी सरकार गिरने के डर भी नहीं होगा।
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कहा- मीडिया के स्व-नियमन के लिए लाएं नई गाइडलाइंस सुप्रीम कोर्ट ने कथित तौर पर न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA) से टीवी न्यूज चैनलों की निगरानी के स्व-नियामक तंत्र को 'सख्त' बनाने के लिए नई गाइडलाइंस लाने को कहा है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने NBDA को इसके लिए चार हफ्ते का समय दिया है। पीठ ने उन दलीलों पर ध्यान दिया कि NBDA पहले से ही क्रमशः अपने वर्तमान और पूर्व अध्यक्षों, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ए के सीकरी और आर वी रवींद्रन के परामर्श से गाइडलाइंस पर काम कर रहा था। इस बीच, न्यूज ब्रॉडकास्टर फेडरेशन ऑफ इंडिया (NBFI) ने अपने वकील के माध्यम से कहा कि उसे भी अपने स्वयं के नियम प्रस्तुत करने की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि यह एनबीडीए के विपरीत, 2022 नियमों के अनुसार केंद्र के साथ पंजीकृत एकमात्र नियामक संस्था है। इस पर सीजेआई ने कहा कि हम चाहते हैं कि स्व-नियामक तंत्र को कड़ा किया जाए। उन्होंने कहा कि सुझावों और दिशानिर्देशों का स्वागत है। सीजेआई ने कथित तौर पर कहा कि हम आपके वैचारिक मतभेदों (एनबीडीए और एनबीएफआई) को यहां नहीं सुलझा सकते। हम नहीं चाहते कि यह याचिका प्रतिद्वंद्वी संगठनों के शोरगुल में खो जाए। हम उनके नियमों को देखेंगे और फिर आपके नियमों को भी देखेंगे।
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हिंदी न्यूज चैनल ‘इंडिया डेली लाइव’ ने हाल ही में एक स्टिंग ऑपरेशन किया है। 'लुटेरी लाश' नाम से किए गए इस स्टिंग ऑपरेशन में देश भर के कई राज्यों में फैले मजारों को लेकर संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया गया। ‘इंडिया डेली लाइव’ के अनुसार, उसने इस स्टिंग के माध्यम से लोगों को बताया कि कैसे अवैध मजार बनाने के लिए लाशों का सौदा किया जाता है और अगर लाश ना भी हो तो लोगों को भ्रमित करने के लिए मजार बना दी जाती है और इसमें एक संगठित गिरोह काम करता है।‘इंडिया डेली लाइव’ का कहना है कि चैनल की टीम के अंडरकवर रिपोर्टर्स ने कई दिनों तक ग्राउंड पर जाकर खुफिया कैमरे की मदद से इस स्टिंग ऑपरेशन को अंजाम दिया। यहां तक कि कैसे इसकी फ्रेंचाइजी दी जाती है, इसका भी पर्दाफाश किया। चैनल के अनुसार, ये स्टिंग ऑपरेशन सोशल मीडिया ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर नंबर1 पर काफी देर तक ट्रेंड भी करता रहा। चैनल पर शनिवार को शाम पांच से सात बजे के बीच प्रसारित 'ऑपरेशन लुटेरी लाश' का देशभर से असर भी देखने को मिला। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस स्टिंग ऑपरेशन को सराहा और इसे चैनल की अच्छी पहल बताया। इसके साथ ही कई अन्य नेताओं ने भी ‘ऑपरेशन लुटेरी लाश’ की तारीफ की और इस मामले में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
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कर्नाटक हाई कोर्ट ने प्राइम टाइम न्यूज एंकर और ‘आजतक’ न्यूज चैनल के कंसल्टिंग एडिटर सुधीर चौधरी के खिलाफ दर्ज एफआईआर के मामले में पुलिस को त्वरित कार्रवाई (precipitative action) नहीं करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि सुधीर चौधरी के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला है और इसकी जांच की जानी चाहिए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि वह सुधीर चौधरी द्वारा एफआईआर को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा कर देगी और तब तक हिरासत में पूछताछ की कोई जरूरत नहीं है। वहीं, सुधीर चौधरी द्वारा स्टे के लिए मांगे गए अंतरिम आदेश को हाई कोर्ट द्वारा मंजूरी नहीं दी गई, क्योंकि हाई कोर्ट ने याचिका को 20 सितंबर को सुनवाई के लिए पोस्ट करने का आदेश दिया था। अपनी याचिका में चौधरी ने कर्नाटक अल्पसंख्यक विकास निगम लिमिटेड के सहायक प्रशासनिक अधिकारी शिवकुमार एस की शिकायत के बाद बेंगलुरु के शेषाद्रिपुरम पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर को चुनौती दी थी। याचिका पर सुनवाई करने वाले न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौदर की एकल बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि प्रथमदृष्टया जांच का मामला बनता है।
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विपक्षी दलों के गठबंधन आईएनडीआईए ने तय किया है कि वह अपने किसी भी प्रवक्ता को सुधीर चौधरी सहित 14 पत्रकारों के शो में नहीं भेजेंगे। इस संबंध में आईएनडीआईए की समन्वय समिति ने गुरुवार को एक पत्र जारी कर कहा कि 13 सितंबर को आईएनडीआईए ने अपनी बैठक में निर्णय लिया है कि विपक्षी दलों का संगठन आईएनडीआईए का कोई भी प्रतिनिधि पत्रकार अमन चोपड़ा, प्राची पाराशर, रुबिका लियाकत, चित्रा त्रिपाठी, सुधीर चौधरी, अमीश देवगन, अर्नब गोस्वामी, नविका कुमार, आनंद नरसिम्हन, गौरव सावंत, अदिति त्यागी, सुशांत सिन्हा, अशोक श्रीवास्तव और शिव अरूर के शो में हिस्सा लेने नहीं जाएगा। इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि अब नफ़रत की दुकान चलाने वालों का धंधा बंद हो जाएगा। वरिष्ठ पत्रकार सुधीर चौधरी ने इस लिस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आईएनडीआईए गठबन्धन ने उन पत्रकारों की लिस्ट जारी की है, जिन्होंने ‘चरण चुंबक’ बनने से इनकार कर दिया। अब देखना ये है कि भारत का मीडिया इसका क्या जवाब देता है।
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सूचना-प्रसारण सचिव अपूर्व चन्द्रा ने कहा कि आकाशवाणी न्यूज और दूरदर्शन ने जी-20 शिखर सम्मेलन की कवरेज का सराहनीय कार्य किया है। डीडी न्यूज से बातचीत में अपूर्व चन्द्रा ने कहा कि दूरदर्शन ने अल्ट्रा हाई डेफिनिशन फॉर के प्रसारण प्रौद्योगिकी वाले कैमरों के इस्तेमाल के माध्यम से विश्व भर के दर्शकों को सम्मेलन का लाइव प्रसारण दिखाया। आकाशवाणी न्यूज से बातचीत करते हुए प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गौरव द्विवेदी नेकहा कि दूरदर्शन ने जी20 सम्मेलन के लिए 80 से अधिक कैमरे लगाए थे और सवा तीन सौ से अधिक कर्मचारियों को तैनात किया गया था। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया को उनकी आवश्यकता के अनुसार फुल एचडी, एचडी और 4K फीड उपलब्ध कराई गई।
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सूचना-प्रसारण सचिव अपूर्व चन्द्रा ने कहा कि आकाशवाणी न्यूज और दूरदर्शन ने जी-20 शिखर सम्मेलन की कवरेज का सराहनीय कार्य किया है। डीडी न्यूज से बातचीत में अपूर्व चन्द्रा ने कहा कि दूरदर्शन ने अल्ट्रा हाई डेफिनिशन फॉर के प्रसारण प्रौद्योगिकी वाले कैमरों के इस्तेमाल के माध्यम से विश्व भर के दर्शकों को सम्मेलन का लाइव प्रसारण दिखाया। आकाशवाणी न्यूज से बातचीत करते हुए प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गौरव द्विवेदी नेकहा कि दूरदर्शन ने जी20 सम्मेलन के लिए 80 से अधिक कैमरे लगाए थे और सवा तीन सौ से अधिक कर्मचारियों को तैनात किया गया था। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया को उनकी आवश्यकता के अनुसार फुल एचडी, एचडी और 4K फीड उपलब्ध कराई गई।
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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार 7 सितंबर को पत्रकारों के सम्मेलन का आयोजन किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने पत्रकारों के हित में कई बड़ी घोषणाएं की। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की बात कही है। दरअसल इसके लिए पहले तो वरिष्ठ पत्रकारों की कमेटी बनाई जाएगी। कमेटी द्वारा प्राप्त सुझावों के आधार पर ही कानून बनाया जाएगा।अधिमान्यता प्राप्त बुजुर्ग पत्रकारों को अब प्रतिमाह दस हजार के स्थान पर बीस हजार रुपए सम्मान निधि दिए जाने की बात भी सीएम ने कही है। इसके अतिरिक्त पत्रकार भवन के नए स्वरूप में स्टेट मीडिया सेंटर का निर्माण किया जाएगा। साथ ही स्टेट मीडिया सेंटर में प्रेस कान्फ्रेंस के लिए सभागार की व्यवस्था उपलब्ध कराई जाएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार सुबह पत्रकार समागम में कहा कि पत्रकार और मीडिया लोकतंत्र का आधार स्तंभ हैं। वे जनता की आवाज को सबके सामने लाते हैं। मध्य प्रदेश सरकार पत्रकारों के हितों के लिए संकल्पबद्ध है। पत्रकारों के कल्याण के लिए पत्रकार बीमा सहित कई योजनाएं सरकार द्वारा संचालित की जा रही हैं। अब बीमारी की स्थिति में पत्रकारों की आर्थिक सहायता बढ़ाई जाएगी। बीमा के प्रीमियम का वहन मध्य प्रदेश सरकार करेगी। यह ऐलान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार सुबह पत्रकार समागम में किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वरिष्ठ पत्रकारों की सम्मान निधि दस हजार रुपए से बढ़कर बीस हजार रुपए की जाएगी। सम्मान निधि प्राप्त करने वाले पत्रकारों के स्वर्गवास पर उनकी पत्नी/पति को एकमुश्त आठ लाख रुपए दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों को आवास ऋण ब्याज अनुदान योजना के अंतर्गत अधिकतम ऋण की सीमा को 25 लाख से बढ़कर 30 लाख रुपए किया जाएगा। अधिमान्य पत्रकार के बेटे/बेटियों की शिक्षा के लिए अगर कोई बैंक से लोन लेता है, तो 5 साल तक राज्य सरकार उस ब्याज पर 5% अनुदान देगी। इतना ही नहीं, सरकार ने यह भी ऐलान किया कि छोटे कस्बों शहरों के पत्रकारों को आवश्यकता के अनुसार भोपाल में डिजिटल पत्रकारिता का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। यह प्रशिक्षण माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के सहयोग से दिया जाएगा। पत्रकार सोसाइटियों को जमीन देकर उनके लिए कॉलोनी की व्यवस्था की जाएगी। सीएम ने कहा कि बीमा कंपनी ने इस बार प्रीमियम में 27 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। बढ़ी हुई प्रीमियम राशि राज्य सरकार वहन करेगी। 65 साल से अधिक के उम्र के सीनियर पत्रकारों और उनके जीवन साथी की संपूर्ण प्रीमियम राशि सरकार भरेगी। इसके लिए बीमा प्रीमियम की तिथि 16 सितंबर से बढ़ाकर 25 सितंबर कर रहे हैं।
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वरिष्ठ पत्रकार और ‘दूरदर्शन’ (DD) में सीनियर कंसल्टिंग एडिटर अशोक श्रीवास्तव का कहना है कि आज के दौर में वैश्विक स्तर पर भारत का मीडिया कहां खड़ा होता है, हमें इस पर चिंतन करने की जरूरत है। अशोक श्रीवास्तव ‘बदलते परिदृश्य में मीडिया: चुनौतियां और संभावनाएं’ विषय पर समाचार4मीडिया की ओर से आयोजित ‘मीडिया संवाद 2023’ को बतौर प्रमुख वक्ता संबोधित कर रहे थे।इस मौके पर अशोक श्रीवास्तव का कहना था, ‘आज हम अर्थव्यवस्था के मामले में ब्रिटेन से आगे निकल गए हैं। ऐसे में मेरे मन में एक सवाल आता है कि आज भारत का कोई ऐसा मीडिया संस्थान क्यों नहीं है, जिसे हम सही मायने में वैश्विक मीडिया कह सकें। जो दुनिया में भारत की बात रख सके और भारत का दृष्टिकोण रख सके।’इसके साथ ही अशोक श्रीवास्तव का यह भी कहना था, ‘आज टीआरपी की बात होती है, वो टीआरपी कुछ और नहीं बल्कि हम और आप हैं। हमारे हाथ में टीवी का रिमोट है और हम जो देखना चाहते हैं, वह देख सकते हैं।’ इसके अलावा भी अशोक श्रीवास्तव ने मीडिया को लेकर तमाम चुनौतियों और संभावनाओं पर अपनी बात रखी। एक्सचेंज4मीडिया (।exchange4media) समूह की हिंदी वेबसाइट 'समाचार4मीडिया' (samachar4media.com) द्वारा तैयार की गई 'समाचार4मीडिया पत्रकारिता 40 अंडर 40’ (40 Under 40)' की लिस्ट से एक सितंबर 2023 को पर्दा उठ गया। राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन हरिवंश नारायण सिंह के मुख्य आतिथ्य में दिल्ली स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) के सेमिनार हॉल- 1, 2 और 3 में आयोजित एक कार्यक्रम में इस लिस्ट में शामिल प्रतिभाशाली पत्रकारों के नामों की घोषणा की गई और उन्हें सम्मानित किया गया। इससे पहले सुबह नौ बजे से ‘मीडिया संवाद 2023’ का आयोजन किया गया, जिसके तहत विभिन्न पैनल चर्चा और वक्ताओं का संबोधन शामिल था।यह इस कार्यक्रम का दूसरा एडिशन था। अपने दूसरे साल में ही हमें प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल से जुड़े युवा पत्रकारों की ओर से तमाम एंट्रीज प्राप्त हुई थीं। विभिन्न मापदंडों के आधार पर इनमें से करीब 94 पत्रकारों को शॉर्टलिस्ट किया गया था। इसके बाद 20 मई 2023 को हुई वर्चुअल ‘जूरी मीट’ में हमारे प्रतिष्ठित जूरी सदस्यों ने तमाम स्तरों पर मूल्यांकन के बाद समाचार4मीडिया ‘पत्रकारिता 40 अंडर 40’ सूची के लिए इनमें से 40 पत्रकारों का चयन किया था, जिनके नामों की घोषणा एक सितंबर को आयोजित कार्यक्रम में की गई।
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जाने माने न्यूज एंकर राहुल शिवशंकर ‘नेटवर्क18’ समूह के साथ जुडने जा रहे है । नेटवर्क18 के साथ जुडने पर उन्होने कहा की मैं नेटवर्क18 के साथ काम करने को लेकर बहुत उत्साहित हूं जो लोगों को सच बताने वाले तथ्यों की रिपोर्टिंग करने की अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता के कारण देश का प्रभावशाली न्यूज नेटवर्क बन गया है बता दें कि इस समूह के पास CNN-News18, News18 India, CNBCTV18, CNBC Aawaz और News18 रीजनल चैनल्स जैसे देश के प्रमुख न्यूज ब्रैंड्स हैं। इसके अलावा इसके पास Moneycontrol, Firstpost, News18.com जैसे प्रमुख डिजिटल न्यूज ब्रैंड्स भी हैं। समूह में राहुल शिवशंकर का स्वागत करते हुए नेटवर्क18 के सीईओ (डिजिटल) और प्रेजिडेंट (कॉरपोरेट स्ट्रैटेजी) पुनीत सिंघवी का कहना है, ‘राहुल काफी विशेष पत्रकार और संपादक हैं, जिनका दर्शकों से खास जुड़ाव है। वह लगभग दो दशकों तक प्राइम टाइम टीवी पत्रकारिता का चेहरा और एक प्रमुख स्तंभकार रहे हैं। उनका काम टीवी और डिजिटल दोनों पर हमारे कवरेज में एक नया आयाम जोड़ेगा।’ बता दें कि राहुल शिवशंकर को प्रिंट और टीवी पत्रकारिता में काम करने का करीब तीन दशक का अनुभव है। राहुल शिवशंकर ने 1990 के दशक के मध्य में प्रिंट मीडिया में बतौर रिपोर्टर अपना करियर शुरू किया था। इसके बाद वर्ष 2003 में वह ‘हेडलाइंस टुडे’ (Headlines Today) की लॉन्चिंग टीम का हिस्सा बने और इसके बाद जल्द ही चैनल में मुख्य राइटर की भूमिका संभाल ली। पत्रकारिता में उनके कौशल को देखते हुए उन्हें जल्द ही ‘हेडलाइंस टुडे’ में एग्जिक्यूटिव एडिटर के पद पर प्रमोट कर दिया गया। इसके बाद राहुल शिवशंकर का अगला पड़ाव ‘टाइम्स नाउ’ (Times Now) था। शिवशंकर इस चैनल की लॉन्चिंग टीम में शामिल रहे और जल्द ही चैनल पर सबसे ज्यादा देखे जाने वाले एंकरों में से एक बन गए। मुंबई में वर्ष 2008 में हुए आतंकी हमलों की लगातार कवरेज के कारण उन्हें काफी प्रशंसा मिली। इसके साथ ही राहुल शिवशंकर ने इसके बारे में एक किताब भी लिखी है। वर्ष 2024 के चुनावों पर पेंगुइन रैंडम हाउस द्वारा उनकी एक किताब जल्द ही मार्केट में आने वाली है।
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रीजनल न्यूज चैनल की दिशा में NDTV तेजी से अब अपने पंख फैला रहा है। इस कड़ी में NDTV अब अपने भरोसे की विरासत को लेकर राजस्थान पहुंच गया है। समूह ने अब 'NDTV राजस्थान' नाम से एक और रीजनल चैनल लॉन्च किया है। न्यूज ब्रॉडकास्टर एनडीटीवी का ये दूसरा रीजनल चैनल है। पिछले महीने समूह ने 'NDTV मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़' लॉन्च किया था। NDTV समूह के मुताबिक, प्रदेश में 'NDTV राजस्थान' प्रदेशवासियों के समक्ष महज राजनीति तक सीमित न रहने के वादे के साथ समूह की 35 वर्षों की पत्रकारिता के बेमिसाल अनुभव पर आधारित खबरें लेकर हर पल हाजिर रहेगा। वीर भूमि के दर्शकों के लिए 'एनडीटीवी राजस्थान' की ये प्रतिबद्धता रहेगी कि उन्हें खबरें सिर्फ जयपुर से न मिलें बल्कि पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक प्रदेश के हरेक कोने से जनता की आवाज उठाई जाएगी। राजस्थान में एनडीटीवी के बैनर तले 5 सितंबर से शुरू हुआ ये खबरों का सिलसिला युवा, बच्चे-महिला, बुजुर्ग, जलवायु और गांव-शहरों से सीधे जुड़े स्थानीय मुद्दों को लेकर अनवरत जारी रहेगा। जल्द होने वाले विधानसभा चुनावों के दौरान दर्शक एनडीटीवी की ग्राउंड रिपोर्ट, चुनावी समझ और विश्लेषण की लंबी विरासत से भरपूर कवरेज प्राप्त कर सकेंगे। इसके अलावा, चैनल राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता, इतिहास, गीत-संगीत, नृत्य, भाषा और उद्यमिता को भी समेटे रहेगा। एनडीटीवी के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया का कहना है, ‘राजस्थान में रीजनल चैनल लॉन्च करने का हमारा निर्णय प्रदेश की जनता को स्थानीय और उनके लिए प्रासंगिक खबरें पेश करने की चाह से प्रेरित है। हमारे रिपोर्टर, स्ट्रिंगर यह सुनिश्चित करेंगे कि राजस्थान का हरेक गांव, शहर राजधानी से अलग-थलग न महसूस करें।'
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(प्रवीण कक्कड़) शिक्षक दिवस पर शिक्षकों को सम्मान देने की परंपरा है, छात्र ही नहीं बल्कि समाज का हर तबका शिक्षक को सम्मान देता है। बड़े से बड़ा अधिकारी और राजनेता भी शिक्षक को सम्मानित करते हैं। इसकी बुनियाद में सबसे बड़ा कारण यह है कि शिक्षक ही राष्ट्र का प्रथम निर्माता है। यदि माता को प्रथम शिक्षक कहा गया है तो शिक्षक को प्रथम राष्ट्र निर्माता कहा जा सकता है। शिक्षक कभी साधारण नहीं होता प्रलय और निर्माण उसकी गोद में पलते हैं। चाणक्य के उक्त वचन को प्रत्येक शिक्षक दिवस पर दोहराया जाता है। क्योंकि इससे शिक्षक की असाधारण विशेषता परिलक्षित होती है। लेकिन चाणक्य का यह कथन आज के दौर में सत्य और प्रासंगिक सिद्ध हो रहा है। हम देख रहे हैं कि जो राष्ट्र आगे बढ़े हैं, जहां ज्ञान - विज्ञान की प्रगति हुई है, जहां का समाज सुदृढ़ हुआ है, वहां शिक्षकों का सम्मान है और महत्व भी है। दुनिया के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र अमेरिका का राष्ट्रपति अपने बच्चों के शिक्षकों से समय लेकर मिलता है। स्वीडन जैसे देश में यदि किसी सभा में शिक्षक उपस्थित है तो उसे सबसे पहले सम्मान दिया जाता है। फ्रांस, पोलैंड, जर्मनी, जापान जैसे देशों में समाज में सर्वोच्च स्थान शिक्षकों को प्राप्त है। स्वयं आचार्य चाणक्य ने जब मगध में एक शक्तिशाली साम्राज्य की नींव रखी तो शिक्षकों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। बल्कि मगध की धनानंद की सत्ता को तो शिक्षकों की उपेक्षा के कारण ही चाणक्य ने उखाड़ फेंका था। क्योंकि चाणक्य जानते थे कि जिस समाज में शिक्षक महत्वपूर्ण नहीं होगा वह समाज पतन की तरफ अग्रसर हो जाएगा। आज भारत का चंद्रयान चंद्रमा की सतह पर पहुंच चुका है। बल्कि हम तो वह पहले देश भी बन गए हैं जिसने पहली बार चंद्रमा के उसे क्षेत्र में कदम रखा है, जहां पर कोई पहले नहीं पहुंच सका। इस अभूतपूर्व उपलब्धि का सबसे बड़ा श्रेय इस देश के शिक्षकों को जाता है। जिन्होंने वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, इंजीनियर्स को अपनी कक्षाओं में पढ़ाया। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्कों को सही दिशा दी। उनके हाथ में कलम थमाई और कलम ने कमाल कर दिया। एक छात्र के कोरे मस्तिष्क को कैनवास मानकर उसे पर सर्वोत्तम चित्र अंकित करने वाला शिक्षक ही राष्ट्र का असली निर्माता है। कैनवास को कुरूप और वीभत्स भी किया जा सकता है और सुंदर भी बनाया जा सकता है। सृष्टि ने मां को सर्वोच्च शक्ति दी है कृतित्व की। मां अपने गर्भ में संतान की रचना करती है। और शिक्षक अपने क्लास रूम में उस संतान को श्रेष्ठ नागरिक बनाते हैं। शिक्षक का कृतित्व भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना मां का कृतित्व। इन दोनों रचनाकारों के अवदान को यह समाज कभी विस्मृत नहीं कर सकता। इसलिए जो शिक्षक छात्र के मस्तिष्क के कैनवास पर सर्वश्रेष्ठ चित्र बना सकता है वह निर्माण और विध्वंस दोनों में ही समर्थ है। हमारे शिक्षक अच्छे छात्रों को तैयार करें और उन्हें सही दिशा दिखाएं ताकि देश प्रलय की तरफ नहीं निर्माण की तरफ बढ़ सके और भारत एक विकसित, सशक्त, शक्तिशाली राष्ट्र बन सके। यही इस शिक्षक दिवस की कामना है और यही शिक्षक दिवस का सबसे बड़ा लक्ष्य है। समस्त राष्ट्र निर्माता शिक्षकों को बारंबार प्रणाम।
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समाचार4मीडिया पत्रकारिता 40अंडर40 की प्रतिष्ठित जूरी के सदस्य और ‘एनडीटीवी’ में कंसल्टिंग एडिटर सुमित अवस्थी का कहना है कि समय के साथ पत्रकारिता का स्वरूप तो बदल सकता है, लेकिन पत्रकारिता को कोई खतरा नहीं है और यह हमेशा बनी रहेगी। सुमित अवस्थी एक सितंबर को समाचार4मीडिया की ओर से आयोजित ‘मीडिया संवाद 2023’ को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे।‘मीडिया संवाद 2023’ में ‘बदलते परिदृश्य में मीडिया: चुनौतियां और संभावनाएं’ विषय अपनी बात रखते हुए सुमित अवस्थी का कहना था, ‘आज के दौर में चुनौतियां बहुत हैं, लेकिन ऐसी कोई चुनौती नहीं है, जिसे जीता नहीं जा सकता। परेशानियां, मीडिया का बदलता परिदृश्य, टेक्नोलॉजी, सोशल मीडिया, अखबार, मैगजीन, प्रिंट और डिजिटल होता रहा है और होता रहेगा। हो सकता है कि दो साल या पांच साल बाद मुझे इस मंच पर फिर आने का मौका मिले, तब तक कोई नया शिगूफा आ चुका हो और हम उस पर चर्चा कर रहे हों। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को तो मानकर चल रहा हूं कि यह आ ही चुका है। मैं उसके आगे की बात कर रहा हूं। चैट जीपीटी तो चल ही रहा है। अब तो चैट जीपीटी का तोड़ लाने की तैयारी भी चल रही है।’सुमित अवस्थी का कहना था, ‘चुनौतियां और परेशानियां तो बनी रहेंगी, लेकिन पत्रकारिता कहीं जाने वाली नहीं है, क्योंकि लोगों के अंदर जानने की जिज्ञासा हमेशा बनी रहेगी।’
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अमीश देवगन जन्म 01 मार्च 1984 को नई दिल्ली में हुआ था। मास कम्युनिकेशन में डिप्लोमा पूरा करने के बाद, अमिश देवगन 2002 में डेस्क रिपोर्टर के रूप में हिंदुस्तान टाइम्स में शामिल हो गए. उसके एक साल बाद, वे ज़ी मीडिया में एक बिजनेस रिपोर्टर के रूप में शामिल हुए। Zee ग्रुप ने 2005 में अपना एक्सक्लूसिव बिजनेस चैनल Zee Business शुरू किया था और अमिश की प्रतिभा को देखते हुए उन्हें प्राइम टाइम एंकर के रूप में चुना गया। अमिश शादीशुदा है और अपनी पत्नी और बच्चों के साथ नोएडा में रहते है। अमिश को इस फिल्ड में काफी तजुर्बा हो चूका है। अमिश देवगन को कभी कभी हिंदी वाला अर्नब गोस्वामी भी कहते है। क्योंकि वे अर्नब की तरह ही डिबेट शो करते है। अमिश अपने डिबेट शो (आर-पार) की वजह से और सुर्खियों में आने लगे।
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सुशांत सिन्हा ने पूछा ये बड़ा सवाल केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने शराब कारोबारी अमनदीप ढल द्वारा पांच करोड़ रुपए के कथित भुगतान के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सहायक निदेशक पवन खत्री के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। ढल दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में कथित तौर पर मदद चाहता था। यह जानकारी अधिकारियों ने दी। इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार सुशांत सिन्हा ने ट्वीट कर एक बड़ा सवाल पूछा है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, दिल्ली शराब घोटाले के मामले में CBI ने ED के ही अधिकारी और कर्मचारियों पर एक आरोपी को बचाने के नाम पर रिश्वत लेने के आरोप में FIR दर्ज कर ली है। इससे ये तो साफ हो गया कि ED या CBI सिर्फ नेता नहीं बल्कि अपने लोगों को भी नहीं छोड़ती अगर मामला बने। लेकिन सवाल तो ये कि केजरीवाल जी तो कहते हैं कि घोटाला हुआ ही नहीं तो फिर (आरोप के मुताबिक) एक शराब कारोबारी गिरफ्तारी से बचने के लिए 5 करोड़ रुपए की रिश्वत देने को क्यों तैयार हुआ? उसे ऐसा क्यों लगा कि उस तक गिरफ्तारी का संकट पहुंचेगा ही पहुंचेगा। कुछ किया नहीं, कुछ हुआ नहीं तो गिरफ्तारी से बचने के लिए इतनी मोटी रकम कोई देने को क्यों तैयार हुआ भई? इन सवालों का जवाब कब मिलेगा?
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अमन चोपड़ा एक भारतीय पत्रकार और समाचार एंकर हैं। वह भारत के बेहतरीन टेलीविजन पत्रकारों और एंकरों में से एक हैं। राजनीतिक खबरों पर उनकी अच्छी पकड़ है और वह राजनीतिक डिबेट शो होस्ट करते हैं। उनके पास पत्रकारिता में बीस वर्षों से अधिक का अनुभव है। अमन चोपड़ा का जन्म 07 दिसंबर 1985 को भारत की राजधानी दिल्ली में हुआ था। अमन चोपड़ा ने अपनी स्कूल की पढ़ाई रविंद्र पब्लिक स्कूल पीतमपुरा दिल्ली से की, उसके बाद आगे पढ़ाई टेक्निया इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज, गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली से बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन किया। इनके अलावा जनसंपर्क में स्नातकोत्तर डिप्लोमा करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय में भाग लिया। बाद में Aman Chopra ने लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में MA किया। अमन चोपड़ा ने अपने कैरियर की शुरुआत अपने कॉलेज के टाइम से ही कर दी थी कॉलेज के दिनों में Aman Chopra एक थिएटर आर्टिस्ट थे इन्होंने उस समय कई नाटकों में हिस्सा लिया तथा स्वतंत्र पत्रकारिता के तौर पर काम भी किया। अमन चोपड़ा ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के साथ ही प्रिंट मीडिया से अपनी पत्रकारिता की जर्नी को शुरू कि और एक पीआर एजेंसी में काम करने लग गई। इसके साथ ही Aman Chopra इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तरफ आ गए। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आने के बाद इन्होंने सबसे पहले IBN7 (अब News18 India) में न्यूज़ रिपोर्टर के तौर पर काम कर रहे है।
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अंजना ओम कश्यप भारत की एक वरिष्ठ पत्रकार और समाचार प्रस्तोता है। वह आज तक समाचार चैनल की एक कार्यकारी संपादक है। वह भारत के सबसे सफल और प्रसिद्ध पत्रकारों में से एक है। अंजना का जन्म 12 जून 1975 को झारखंड के रांची शहर में हुआ था। अंजना ने अपनी स्कूल की पढाई लॉरेटो कॉन्वेन्ट स्कूल, रांची से की थी। और कॉलेज की पढाई दौलत राम कॉलेज, जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली विश्वविद्यालय से हुई थी। 2002 से अंजना ने जनियाँ से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की और 2003 उन्होंने पत्रकारिता प्रारंभ कर दिया। अंजना का सफर दूरदर्शन के कार्यक्रम आंखों देखी से शुरू हुआ। उसके बाद वो जी न्यूज़, News24 और स्टार न्यूज़ के साथ भी जुड़ी, पर उनके आज तक काफी लकी साबित हुआ आज तक में अंजना को जर्नलिस्ट्स से स्टार जनरलिस्ट बनाया। वह अपने ब्राह्मणवादी पालन-पोषण और मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद प्रचलित सामाजिक तनावों का योगदान कारकों के रूप में उल्लेख करती हैं।उन्होंने पहले अन्य हिन्दी चैनलों में बड़ी बहस और दो टूक जैसे बहस कार्यक्रमों की मेजबानी की है।
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एक्सचेंज4मीडिया (exchange4media) समूह की हिंदी वेबसाइट 'समाचार4मीडिया' (samachar4media.com) द्वारा तैयार की जा रही 'समाचार4मीडिया पत्रकारिता 40 अंडर 40’ (40 Under 40)' की लिस्ट से एक सितंबर 2023 को पर्दा उठ जाएगा। दिल्ली में स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) के सेमिनार हॉल- 1, 2 और 3 में आयोजित एक कार्यक्रम में इस लिस्ट में शामिल हुए प्रतिभाशाली पत्रकारों के नामों की घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा। बता दें कि पुरस्कार वितरण समारोह से पहले 'मीडिया संवाद 2023' कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। एक सितंबर को सुबह नौ बजे से होने वाले इस कार्यक्रम में विभिन्न पैनल चर्चा और वक्ताओं का संबोधन शामिल होगा। इस कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता के तौर पर वरिष्ठ पत्रकार और जाने-माने न्यूज एंकर भूपेंद्र चौबे भी शामिल होंगे। पत्रकारिता जगत में भूपेंद्र चौबे के सफर की बात करें तो उन्होंने एक रिपोर्टर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी और अपनी मेहनत व काबिलियत के दम पर एक न्यूज चैनल के प्रमोटर तक का सफर तय किया है। भूपेंद्र चौबे ने पत्रकारिता में अपना करियर सितंबर 1999 में ‘एनडीटीवी’ (NDTV) में बतौर रिपोर्टर शुरू किया। वर्ष 2005 में उन्होंने यहां अपनी पारी को विराम दे दिया और ‘सीएनएन आईबीएन’ (CNN IBN) की टीम में शामिल हो गए। ‘सीएनएन News18’ (पूर्व में ‘सीएनएन आईबीएन’) में अपनी करीब 15 साल लंबी पारी के दौरान अपनी प्रतिभा के दम पर वह यहां एग्जिक्यूटिव एडिटर के पद तक पहुंच गए। पिछले दो दशकों से भी अधिक समय में उन्होंने तमाम बड़ी स्टोरीज को दर्शकों के सामने रखा है और एक निष्पक्ष व खरी-खरी कहने वाले प्राइम टाइम एंकर के रूप में अपनी पहचान बनाई है। पिछले डेढ़ दशक में वह तमाम प्रमुख राजनेताओं समेत कई जानी-मानी शख्सियतों का इंटरव्यू कर चुके हैं।
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नौकरी की तलाश में जुटे पत्रकारों के लिए यह खबर काफी काम की है। दरअसल, ‘श्रेयमन मीडिया प्राइवेट लिमिटेड’ कंपनी के बैनर तले लॉन्च हुए नेशनल डिजिटल न्यूज चैनल ‘रिपोर्टर जी’ में कई पदों पर वैकेंसी है।इसके तहत ‘रिपोर्टर जी’ द्वारा एंकर (तीन पद) और कंटेंट राइटर (तीन से चार पद) के अलावा डिजिटल टीम को हैंडल करने (दो पद) के लिए योग्य व इच्छुक आवेदकों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इन पदों पर नियुक्ति के लिए फ्रेशर्स भी अप्लाई कर सकते हैं। इच्छुक आवेदक अपना अपडेटेड रिज्युमे reporterji.in@gmail.com पर भेज सकते हैं। बता दें कि इस डिजिटल न्यूज चैनल का ऑफिस और स्टूडियो दिल्ली से सटे गुरुग्राम के सुशांत लोक इलाके में बनाया गया है। इस चैनल की जिम्मेदारी लता सिंह संभाल रही हैं। लता सिंह को विभिन्न नेशनल न्यूज चैनल्स समेत पत्रकारिता जगत में काम करने का लंबा अनुभव है।
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मुसलमानों का पढ़ना बहुत जरूरी है यूपी के मुजफ्फरनगर से हैरान करने वाला वीडियो सामने आया है। वीडियो में नजर आ रहा है कि स्कूल चलाने वाली महिला टीचर क्लास के दूसरे बच्चों से एक मुस्लिम छात्र को पिटवा रही हैं। तृप्ता एक-एक कर जमीन पर बैठे छात्रों को बुलाती हैं और अपने पास खड़े छात्र के गाल पर उन लोगों से चांटा मारने को कहती हैं। दूसरे छात्र लाइन से आ रहे हैं और खड़े हुए लड़के के गाल पर जोरों से चांटा जड़ रहे हैं। इस पूरी घटना पर वरिष्ठ पत्रकार रुबिका लियाकत ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, ये तस्वीरें किसी भी मां को अंदर से कचोट कर रख सकती हैं। जब एक टीचर इतना घिनौना काम करती है तो दुख बढ़ना लाजमी है। तृप्ति त्यागी नाम की इस महिला को मुसलमान बच्चों से कुछ खास नफरत लग रही है। एक मासूम बच्चा रोता-बिलखता क्लास के सामने खड़ा है और एक-एक कर बच्चे आकर उसे पीट रहे हैं। मामला मुजफ्फरनगर के नेहा पब्लिक स्कूल का है। पिता ने केस दर्ज करवाने से इनकार कर दिया है। कह रहे हैं कि मामला सुलझ गया है लेकिन इस महिला को पढ़ाने का कोई हक नहीं होना चाहिए। इस देश को आगे बढ़ना है तो मुसलमानों का पढ़ना बहुत जरूरी है और उनकी पढ़ाई में बाधा डालने वाला देश का भला नहीं कर सकता।
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नस्लीय भेद का जहर आज भी इनके खून में चंद्रयान-3 की सफलता के बाद से विदेशी मीडिया में भारत को लेकर लगातार चर्चा हो रही है। इसी बीच बीबीसी का चार साल पुराना एक वीडियो क्लिप भी सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा। यह चंद्रयान-2 के समय का है जिसे भारत ने 2019 में छोड़ा था। वीडियो में बीबीसी एंकर भारत में मौजूद अपने संवाददाता से पूछ रहा है कि भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी है, भीषण गरीबी है, 70 करोड़ लोगों पास टॉयलेट नहीं है, क्या ऐसे देश को मून मिशन पर इतना पैसा खर्च करना चाहिए। इस वीडियो के वायरल होने के बाद वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश मिश्रा ने ट्वीट कर अपनी राय व्यक्त की है।उन्होंने लिखा, इंग्लैंड के राजा के साम्राज्यवादी टीवी चैनल, बीबीसी के इस एंकर की भाषा अहंकार की है। भारत के मून मिशन और चंद्रयान की सफलता ने इनके नस्लीय अहंकार को कुचला है। इनका दर्द स्वाभाविक है। एंकर कहता है की भारत मून मिशन पर इतना पैसा क्यों खर्च कर रहा है। भारत तो गरीब देश है। दरअसल ये कुंठा किसी लुटेरे साम्राज्य की सोच का हिस्सा है।200 साल तक भारत की धन संपदा लूटकर इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था चलाने वाली सोच भिखमंगो की होती है। नैतिकता का झूठा लबादा ओढ़े इन अनैतिक लोगों ने भारत से कभी माफी नहीं मांगी, जो लूट पाट, हिंसा, युद्ध, कत्लेआम किया। इन एंकर महोदय के बाप दादा भी शायद भारत से लूट कर ले जाए गए पैसों से पले होंगे लेकिन नस्लीय भेद का जहर आज भी इनके खून, सोच और दिमाग में भरा है।बीबीसी को माफी मांगनी चाहिए। बता दे, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के मुताबिक चंद्रयान-3 को तैयार करने पर कुल 615 करोड़ रुपये का खर्च आया है। चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम, रोवर प्रज्ञान और प्रपल्शन मॉड्यूल को तैयार करने की कुल लागत 250 करोड़ रुपये है।
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विनोद अग्निहोत्री ने देश के वैज्ञानिकों को किया नमन 40 दिन का भारत का इंतजार आखिरकार खत्म हुआ। पृथ्वी से चंद्रमा तक 3.84 लाख किलोमीटर का सफर तय करने के बाद चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चंद्रमा की धरती पर कामयाबी के साथ उतर गया। इसी के साथ भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री ने ट्वीट कर देश के महान वैज्ञानिकों को नमन किया। उन्होंने लिखा, चांद पर भारत ने रचा इतिहास। आज इस ऐतिहासिक उपलब्धि में आजादी के बाद से अब तक के समस्त वैज्ञानिकों की प्रतिभा नेहरू से लेकर नरेंद्र मोदी तक सभी प्रधानमंत्रियों के नेतृत्व के योगदान को कोटिशः साधुवाद। संपूर्ण देशवासियों को बधाई। इसरो से शुरू हुई भारत की अंतरिक्ष यात्रा में आर्यभट्ट ,भास्कर कई उपग्रहों का प्रक्षेपण राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्रा भारतीय चंद्रयान-1 मंगलयान प्रक्षेपण अब चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 के उतरने तक कई उपलब्धियां हैं। ये मुकाम हैं मंजिल नहीं। देश आगे बढ़ता रहेगा। आज कल्पना चावला को याद करने राकेश शर्मा और सुनीता विलियम्स को बधाई देने और भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डा.विक्रम साराभाई और इससे जुड़े रहे सभी वैज्ञानिकों को नमन करने का दिन है। ये सभी हमारे राष्ट्रीय गौरव और नायक हैं। जय हिन्द वंदे मातरम्।
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बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए अपना अभियान शुरू कर दिया है। सोमवार को स्वर्गीय कल्याण सिंह की दूसरी पुण्यतिथि पर अलीगढ़ में आयोजित रैली में विषय भी स्पष्ट था और लक्ष्य भी। पार्टी ने हिन्दू गौरव दिवस का आयोजन किया। इस मौके पर बीजेपी ने एक मंच पर सभी जातियों के नेताओं को इकट्ठा किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके मंत्रिमंडल के तमाम सदस्यों के अलावा, दिल्ली से गृह मंत्री अमित शाह और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, संजीव बालियान और बी. एल. वर्मा भी पहुंचे। अमित शाह ने कहा कि कल्याण सिंह के सारे सपने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे किए हैं।कल्याण सिंह चाहते थे कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो, वो हो रहा है। कल्याण सिंह पिछड़े वर्ग को उनका हक देना चाहते थे, नरेन्द्र मोदी वही काम कर रहे हैं। अमित शाह ने कहा कि कल्याण सिंह ने पहली बार बीजेपी को यूपी में 80 में से 73 सीटें जितवाईं, अब 2024 में यूपी की सभी 80 सीटों पर बीजेपी को जिताना है। यही कल्याण सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। अमित शाह ने 80 सीटों का लक्ष्य घोषित किया। मुद्दा हिन्दुत्व होगा, राम मंदिर का निर्माण होगा और बीजेपी की कोशिश होगी कि जात-पांत भूलकर सभी को हिन्दुत्व के मुद्दे पर एकजुट किया जाए। बहुत से लोग कह रहे हैं कि बीजेपी की निगाह अब पिछड़े वर्ग के वोट पर है। बीजेपी पिछड़े नेताओं को आगे करेगी, पिछड़े वर्ग की बात करेगी। चूंकि कल्याण सिंह पिछड़े वर्ग के बड़े नेता थे इसीलिए बीजेपी ने उनकी पुण्य तिथि पर इतना भव्य प्रोग्राम किया, लेकिन यदि आप अमित शाह, योगी और दूसरे नेताओं की बात सुनेंगे तो स्पष्ट हो जाएगा कि बीजेपी की रणनीति इससे अलग है।अलीगढ़ में आज बीजेपी ने अपने नेताओं की पूरी फौज उतार दी थी। कल्याण सिंह की पुण्य तिथि पर सभी छोटे बड़े नेता पहुंचे, अगड़ी, पिछड़ी और दलित, सभी जातियों के नेता शामिल हुए। अमित शाह और योगी के अलावा वसुन्धरा राजे, यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, बृजेश पाठक, मंत्री अनिल राजभर, मंत्री संदीप सिंह, स्वतंत्र देव सिंह, मंत्री जतिन प्रसाद, और यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी मंच पर मौजूद थे।
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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व पत्रकार सुप्रिया श्रीनेत को अब कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य नियुक्त किया गया है। बता दें कि 2022 में कांग्रेस ने सुप्रिया श्रीनेत को अपने कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट में सोशल मीडिया व डिजिटल प्लेटफॉर्म का चेयरपर्सन नियुक्त किया था। पांच साल से भी कम समय में सुप्रिया श्रीनेत के राजनीतिक करियर में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। उन्होंने महाराजगंज निर्वाचन क्षेत्र से 2019 का भारतीय आम चुनाव (लोकसभा चुनाव) लड़ा था। राजनीति में आने से पहले सुप्रिया श्रीनेत ने प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में 18 साल योगदान दिया। उन्होंने 2001 में 'इंडिया टुडे' के साथ स्पेशल कॉरेस्पोंडेंट के तौर पर अपना करियर शुरू किया और बाद में 2004 में असिसटेंट एडिटर के तौर पर 'एनडीटीवी' में शामिल हो गईं। 'ET नाउ' के साथ उनका कार्यकाल 2008 में बतौर चीफ एडिटर (न्यूज) शुरू हुआ। उसी वर्ष, उन्हें 'ET नाउ' में पॉलिसी एडिटर व एग्जिक्यूटिव एडिटर के बनाया गया। राजनीति में उतरने का फैसला करने से पहले उन्होंने एग्जिक्यूटिव एडिटर के तौर पर अपने दस साल पूरे कर लिए थे।
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जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार राजकिशोर ने अपने नए सफर का आगाज पिछले दिनों दैनिक भास्कर की डिजिटल विंग से किया है। उन्हें यहां डिजिटल विंग का मैनेजिंग एडिटर बनाया गया है। अभी तक वह यूएस-यूके आधारित थिंकटैंक 'ग्लोबल पॉलिसी इनसाइट्स' (जीपीआई) के इंडिया चैप्टर में एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर कार्यरत थे। साथ ही साथ वह इंडिया टुडे ग्रुप के डिजिटल चैनल 'न्यूजतक' में कंसल्टेंट की भूमिका भी निभा रहे थे। बता दें कि वरिष्ठ पत्रकार राजकिशोर ने मई 2016 में ‘एबीपी न्यूज‘ बतौर पॉलिटिकल एडिटर जॉइन किया था। 2019 में उन्होंने 'एबीपी गंगा' को बतौर एडिटर लॉन्च कराया था। 2021 में 'एबीपी गंगा' छोड़कर वह एबीपी ग्रुप में एडिटर-एट-लॉर्ज बन गए। ‘एबीपी न्यूज‘ से पहले राजकिशोर देश के बड़े हिंदी अखबारों में शामिल ‘दैनिक जागरण‘ से जुड़े हुए थे, जहां वह नेशनल चीफ ऑफ ब्यूरो के पद पर कार्यरत थे। ‘दैनिक जागरण‘ में 15 राज्यों के 42 संस्करणों के लिए राष्ट्रीय ब्यूरो का नेतृत्व करने वाले राजकिशोर न सिर्फ 15 राज्यों के स्टेट यूनिट्स के साथ समन्वय का काम देखते थे, साथ ही दैनिक जागरण के नेशनल इनपुट प्लान से लेकर जागरण डॉट कॉम, नई दुनिया तक के लिए नेशनल इश्यूज की खबरों को जुटाने वाली पूरे नेशनल ब्यूरो की अगुआई करते थे। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक विस्तृत इंटरव्यू भी कर चुके हैं, जो हिंदी मीडिया में पीएम का पहला इंटरव्यू था।करीब दो दशक से सक्रिय पत्रकारिता कर रहे राजकिशोर ने 2003 में ‘दैनिक जागरण‘ जॉइन किया था। यहां के अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने पीएमओ, बीजेपी, संघ परिवार, प्रेजिडेंट हाउस, कांग्रेस, गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय समेत कई बीट्स पर काम किया है। ‘दैनिक जागरण‘ से पहले राजकिशोर ‘अमर उजाला‘ के साथ कानपुर में बतौर चीफ रिपोर्टर भी काम कर चुके हैं। वह वर्ष 2000 में ‘अमर उजाला‘ की पंजाब और हरियाणा लॉन्चिंग टीम का हिस्सा भी रह चुके हैं।
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वरिष्ठ पत्रकार श्रुतिजीत केके ने अंग्रेजी के बिजनेस अखबार ‘मिंट’ (Mint) के साथ अपनी पारी को विराम दे दिया है। वह यहां बतौर एडिटर-इन-चीफ अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उन्होंने शुक्रवार को अपनी टीम को लिखे एक लेटर में इस बारे में घोषणा की है। अपने लेटर में उन्होंने लिखा है, ‘यहां मेरा कार्यकाल संभवत: सितंबर के आखिर तक होगा।’बता दें कि श्रुतिजीत ने नवंबर 2020 में ‘मिंट’ जॉइन किया था। इस अखबार के साथ श्रुतिजीत की यह दूसरी पारी थी। वर्ष 2007 में जब यह अखबार लॉन्च हुआ था, तब श्रुतिजीत इसकी फाउंडिंग टीम के मेंबर थे। उन्होंने इसके रिपोर्टर के तौर पर भी काम किया था।उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार, वह ‘इकनॉमिक टाइम्स’ (ET) में बतौर एग्जिक्यूटिव एडिटर अपनी नई पारी शुरू कर सकते हैं। हालांकि, आधिकारिक तौर पर अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है।अपने नए कदम के बारे में ‘एक्सचेंज4मीडिया’ के साथ बातचीत में श्रुतिजीत केके ने कहा, ‘जैसा कि मैंने कल अपने सहयोगियों को सूचित किया था कि मैंने लगभग तीन वर्षों के कार्यकाल के बाद मिंट के एडिटर-इन-चीफ के रूप में पद छोड़ दिया है। अपने अगले कदम के बारे में फिलहाल मैं कुछ नहीं कहना चाहूंगा।’श्रुतिजीत को प्रिंट के साथ डिजिटल में काम करने का अनुभव है। उन्होंने ‘डीएनए’ (DNA) अखबार के साथ अपना करियर शुरू किया था। वह इसकी लॉन्चिंग टीम में शामिल थे।पूर्व में वह ‘ईटी मैगजीन’,‘हफपोस्ट’के इंडिया एडिशन के साथ भी काम कर चुके हैं। इसके अलावा वह ‘एप्पल इंक’ में इंडिया ऐप के स्टोर एडिटर के तौर पर भी अपनी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
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डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अधिकतर भारतीय मुसलमान हिंदू धर्म से परिवर्तित हुए हैं, जिसका एक उदाहरण कश्मीर घाटी में देखा जा सकता है जहां अधिकांश कश्मीरी पंडितों ने इस्लाम धर्म अपना लिया।जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'भारत में अधिकतर मुसलमान हिंदू धर्म से परिवर्तित हुए हैं। इसका उदाहरण कश्मीर में देखने को मिलता है। 600 साल पहले कश्मीर में मुसलमान कौन थे? सभी कश्मीरी पंडित थे। वे इस्लाम में परिवर्तित हो गए। सभी हिंदू धर्म में पैदा हुए हैं। 'गुलाम नबी आजाद के इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश कुमार सिंह ने ट्वीट कर अपनी राय दी है। उन्होंने लिखा, गुलाम नबी आजाद ने गलत क्या कहा है? भारत के ज्यादातर मुसलमानों के पूर्वज हिंदू रहे हैं, ये तो ऐतिहासिक तथ्य है। कश्मीर के जो नेता सियासत के तहत इसे लेकर आजाद पर पिल पड़े हैं, उनमें से ज्यादातर के पूर्वज भी कश्मीरी पंडित ही रहे हैं।यहां तक कि मशहूर शायर और नेता इकबाल के पूर्वज भी। अपने एक और ट्वीट में उन्होंने लिखा, भारत के जो मुसलमान अपनी हिंदू पृष्ठभूमि को याद करने में शर्म महसूस करते हैं, उन्हें दुनिया के सबसे बड़े इस्लामिक देश इंडोनेशिया के मुसलमानों से सीख लेनी चाहिए, जो साफ तौर पर कहते हैं कि उन्होने सिर्फ अपना धर्म बदला है, अपने पूर्वज व संस्कार नहीं बदले हैं, न ही संस्कृति और इतिहास।
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इस चैनल के बने CEO व एडिटर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी व राजस्थान हाउसिंग बोर्ड के आयुक्त रहे पवन अरोड़ा ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) ले ली है। वह अब अपनी नई पारी मीडिया से शुरू करने जा रहे हैं। इस कड़ी में वह अपने सफर का आगाज 'फर्स्ट इंडिया न्यूज' चैनल से कर रहे हैं। बता दें कि उन्हें चैनल का CEO व एडिटर नियुक्त किया गया है। वह शुक्रवार 18 अगस्त शाम 6.30 बजे से अपनी पारी शुरू करेंगे।पवन, इसके साथ ही 'फर्स्ट इंडिया' अखबार के भी सीईओ व एडिटर होंगे। वहीं, चैनल के CMD व एडिटर-इन-चीफ जगदीश चंद्र बने रहेंगे।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 77वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश को संबोधित किया। भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण को पीएम मोदी ने बुराई बताया और इन्हे जड़ से खत्म करने की बात की है। उनके इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने उन्हें बधाई दी है। उन्होंने एक टीवी डिबेट में कहा, भारत में स्वतंत्रता आज के समय जितनी है उतनी शायद ही दुनिया की किसी देश में होगी और हम उसका रोज एहसास करते हैं। जब देश का प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से बोलता है तो पूरा देश उम्मीद, आशा और भविष्य की संभावनाओं पर काम करने के लिहाज से उसे सुनता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण को सरकारी भाषण ना रखकर उसमें कुछ चीजें व्यक्तिगत रूप से जोड़ी हैं, जिसके लिए वह बधाई के पात्र हैं। हर्षवर्धन त्रिपाठी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर में हो रही घटनाओं को लेकर जो बयान दिया वो उन्हें अप्रत्याशित लगा।दरअसल प्रधानमंत्री भी इस चीज को समझते हैं कि मणिपुर का मुद्दा बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टीकरण को खत्म करने की बात कही है यह बहुत ही काबिले तारीफ है। मुझे याद नहीं है कि आज से पहले किसी प्रधानमंत्री ने लाल किले से इस प्रकार की बातें की हो।
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सूचना व प्रसारण सेक्टर को मिले ‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश’ (FDI) में बंपर बढ़ोतरी हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसमें 231 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है।उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023 (FY23) में सूचना व प्रसारण सेक्टर को 3745 रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में यह 1129 करोड़ रुपये था। जहां फिल्म और एडवर्टाइजिंग श्रेणियों को एफडीआई के रूप में 811 करोड़ रुपये मिले, वहीं रेडियो ब्रॉडकास्टिंग को नौ करोड़ रुपये का फायदा हुआ।रिपोर्ट्स के अनुसार, चौथी तिमाही में इस सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पिछले साल इसी तिमाही में 375 करोड़ रुपये की तुलना में दोगुना से ज्यादा बढ़कर 820 करोड़ रुपये हो गया है।
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गुरुग्राम पुलिस ने ‘सुदर्शन न्यूज’ के रेजिडेंट एडिटर मुकेश कुमार को गिरफ्तार किया है। उन पर सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट करने का आरोप है। बताया जाता है कि ये पोस्ट हरियाणा के नूंह और आसपास के जिलों में सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित थे।गुरुग्राम पुलिस का कहना है कि मुकेश कुमार के खिलाफ विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी। इसी के तहत साइबर क्राइम की टीम ने मुकेश कुमार को गिरफ्तार किया है।मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आठ अगस्त को मुकेश कुमार ने अपने एक्स हैंडल (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा था, ‘@AJENews (अल जज़ीरा न्यूज़ चैनल) गुरुग्राम पुलिस कमिश्नर को कॉल कर रहा है और उन पर हिंदुओं के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बना रहा है। और कॉल प्राप्त करने के बाद @DC_Gurugram इतने दबाव में आ जाती है कि वह कहीं से भी हिंदू कार्यकर्ताओं को उठा लेती है।’वहीं, न्यूज चैनल ने इस गिरफ्तारी को प्रेस की आजादी पर हमला बताया है।
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अक्षय कुमार ने किया एक साहसिक प्रयास अक्षय कुमार की फिल्म 'OMG 2' आज रिलीज हो रही है। फिल्म को अभिनेता सनी देओल की फिल्म 'गदर 2' से कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है। वरिष्ठ पत्रकार और प्राइम टाइम एंकर सुधीर चौधरी ने अपने ट्विटर हैंडल पर फिल्म 'OMG 2' का रिव्यू लिखा है।उन्होंने फिल्म को देखकर लिखा, 'मुझे यह यौन शिक्षा पर एक अग्रणी फिल्म लगी, एक ऐसा विषय जिसके बारे में हम अपने घरों और स्कूलों में बात करने से बचते हैं। यह बहुत मजेदार और मनोरंजक भी लगा, बिल्कुल सच्चे और एक सुंदर संदेश के साथ। मुझे लगता है कि यह अक्षय कुमार जैसे स्थापित स्टार द्वारा किया गया एक बहुत ही साहसिक प्रयास है, जिन्हें जोखिम लेने की भी आवश्यकता नहीं है।उन्होंने एक जटिल विषय को बहुत परिपक्वता और दृढ़ विश्वास के साथ संभाला है। मैं कहूंगा कि प्रत्येक किशोर, माता-पिता और शिक्षक को इसे देखना चाहिए।' दुर्भाग्य से, ए प्रमाणपत्र ने OMG2 को एक वयस्क फिल्म में बदल दिया है, हालांकि यह किशोरों के लिए है। आपको बता दें कि अब A सर्टिफिकेट मिलने से टारगेट ऑडियंस ही फिल्म नहीं देख पाएगी।दरअसल, यह फिल्म फिल्म 12-17 साल के एज ग्रुप को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। ऐसे में उन्हें इस फिल्म को देखने की सबसे ज्यादा जरूरत है।
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डील से जुड़ी सभी आपत्तियों को किया खारिज ‘नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल’ (NCLT) ने ‘जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ (ZEEL) और ‘कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट’ (पूर्व में सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया) के विलय को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है।कोर्ट ने इस मामले में 10 जुलाई को अपने आदेश को सुरक्षित रख लिया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ‘एनसीएलटी’ ने इस डील से जुड़ी सभी आपत्तियों को खारिज कर दिया।कथित तौर पर अदालत ने कहा कि विलय को ‘भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड’ (सेबी) में लंबित मामले के आधार पर नहीं रोका जाना चाहिए।गौरतलब है कि ‘सोनी’ और ‘जी’ ने वर्ष 2021 के अंत में अपने टेलीविजन चैनल्स, फ़िल्म संपत्तियों और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स का विलय करने का निर्णय लिया था। हालांकि, जी समूह की इकाई और ऋणदाताओं के साथ कानूनी लड़ाई सहित तमाम कई कारणों से यह डील परवान नहीं चढ़ पा रही थी।
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'न्यूयॉर्क टाइम्स' की रिपोर्ट से सनसनीखेज खुलासा हुआ है कि चीन 'न्यूजक्लिक' को फंडिंग करता है। 'न्यूयॉर्क टाइम्स' में छपी खबर में बताया गया कि भारत के खिलाफ माहौल बनाने के लिए चीन की ओर से 38 करोड़ रुपए दिए गए। दरअसल, यह खुलासा 'न्यूजक्लिक' के प्रमोटर के ईमेल से हुआ है। NYT की रिपोर्ट में कांग्रेस पर 2021 में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा इसकी फंडिंग की जांच के दौरान 'न्यूजक्लिक' का बचाव करने का भी आरोप लगाया गया है। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार गौरव सावंत ने ट्वीट कर अपनी राय व्यक्त की है। उन्होंने लिखा, चीन से पैसा लेकर भारत के खिलाफ लिखना और बोलना। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर भारत विरोधी एजेंडा चलाना वो भी भारत विरोधी तत्वो से चंद सिक्के लेकर दिखाता है कि मीर जाफर/आंभी हर युग में रहे हैं। और आज भी है। सबूतो के आधार पर कानूनी कार्रवाई होगी या फिर सिक्के ही फिर जीत जाएंगे?
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(प्रवीण कक्कड़) जिंदगी की राह को आसान बनाता है "मित्रता का अनोखा रिश्ता" जिस देश के वांग्मय में ब्रम्हा - विष्णु - महेश की मैत्री का सर्वोच्च उदाहरण उपस्थित हो, जहां पर कृष्ण अपने आंसुओं से सुदामा के पैर धोते हों और जहां पर धर्म की रक्षा के लिए अपने सगे भाई का त्याग करके प्रभु श्री राम के साथ मित्रता धर्म निभाने में विभीषण जैसे धर्मात्मा आगे हों, वहां मित्रता दिवस तो वर्ष के हर दिन होता है. मित्रता को किसी दिवस की परिधि में बांधना पश्चिम की अवधारणा हो सकती है लेकिन मित्रता को अनंत आनंद, प्रेम और उत्कर्ष की सीमा तक ले जाना यह भारतीय अध्यात्म और वांग्मय की अवधारणा है. यही कारण है कि जब पूरी दुनिया और पश्चिम मित्रता की उत्सवधर्मिता को एक दिवस तक समेटना चाहते हैं भारतीय अध्यात्म इसे चेतना के उच्चतम स्तर तक ले जाना चाहता है. उस स्तर तक जहां प्रेम, करुणा और सामर्थ्य का विस्तार बिना किसी भेदभाव के मैत्री तक भी पहुंचे. हमारी परंपरा में जिंदगी की राह को आसान बनाने वाला मित्रता का अनोखा रिश्ता हमेशा मौजूद रहा है। इसीलिए जब अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस को मनाने की शुरुआत साल 1958 से हुई उससे भी हजारों वर्ष पहले भारतीय पौराणिक गाथाओं में मित्रता के अनेक किस्से दर्ज हुए. और लगभग 400 वर्ष पहले तुलसीदास ने मानस की चौपाईयों में अनेक जगह मित्रता को महिमामंडित किया... जे न मित्र दु:ख होहिं दुखारी। तिन्हहि बिलोकत पातक भारी॥ निज दु:ख गिरि सम रज करि जाना। मित्रक दु:ख रज मेरु समाना॥1॥ जो लोग मित्र के दुःख से दुःखी नहीं होते, उन्हें देखने से ही बड़ा पाप लगता है. अपने पर्वत के समान दुःख को धूल के समान और मित्र के धूल के समान दुःख को सुमेरु पर्वत के समान जानें. तुलसीदास के रामचरितमानस की यह चौपाईयां मैत्री में करुणा के उच्चतम स्तर को दर्शाती हैं. लेकिन बात यहीं तक सीमित नहीं है तुलसीदास कहते हैं कि एक अच्छा मित्र बनने के लिए समझदार होना भी आवश्यक हैं, जिससे आपका मित्र जब भी किसी गलत राह पर जाएं तो आप उसे सही राह दिखा सकें, और अपने मित्र के सभी अवगुणों को दूर करके उसके गुणों को निखार सकें यह कार्य सिर्फ समझदार व्यक्ति ही नहीं बल्कि एक सच्चा मित्र ही कर सकता है. जिन्ह के असी मति सहज ना आई। ते सठ कत हठी करत मिताई॥ कुपथ निवारी सुपंथ चलावा। गुण प्रगटे अव्गुनन्ही दुरावा॥ सबसे प्रमुख बात तो यह है कि द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने अपने मित्र के प्रति बगैर किसी भेदभाव के जिस प्रेम और सम्मान को प्रकट किया उसके बारे में त्रेता युग में पहले ही विचार और मंथन हो चुका था. इसीलिए गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा... देत लेत मन संक न धरई। बल अनुमान सदा हित कराई॥ विपत्ति काल कर सतगुन नेहा। श्रुति का संत मित्र गुण एहा॥ इसका अर्थ केवल इतना है कि किसी व्यक्ति के पास कितनी भी धन दौलत हो अगर वो मुसीबत पर अपने मित्र के काम ना आ सका तो वो धन व्यर्थ हैं, विपत्ति के समय अपने मित्र के हमेशा साथ रहना चाहिए और हर रूप में उसकी मदद करनी चाहिए,वेदों और शास्त्रों में भी कहा गया है कि विपत्ति के समय साथ देने वाला और स्नेह करने वाला मित्र ही सच्चा मित्र होता हैं. इतना ही नहीं गोस्वामी तुलसीदास ने मित्र की विशेषता भी बतलाई है और कहा है कि..जो मित्र हमारे मुंह पर मीठी मीठी बातें करे और पीठ पीछे बुराई करें वो मित्र हो ही नहीं सकता, ऐसे मित्र के साथ कभी नहीं रहना चाहिए. जो मन में आपके प्रति कुटिल विचार, बुरा विचार रखता है हो वह दोस्त नहीं कुमित्र होता हैं, ऐसे लोगों को अपने जीवन से निकाल देना ही उचित है. आगे कह मृदु वचन बनाई। पाछे अनहित मन कुटिलाई॥ जाकर चित अहि गति सम भाई। अस कुमित्र परिहरेहीं भलाई॥ हमारे साहित्य की अनमोल धरोहर इन चौपाइयों और श्रीकृष्ण - सुदामा, कृष्ण - अर्जुन, निषादराज - श्री राम जैसे पौराणिक उदाहरणों से यह तो स्पष्ट है कि भारत में सच्ची मित्रता की अवधारणा सदियों पुरानी है. और सच्ची मित्रता को भारत इस सीमा तक स्वीकार करता है कि मित्र को अपने हृदय में हर पल अंकित करना चाहता है. शायद इसीलिए भारत में किसी मित्रता दिवस की आवश्यकता नहीं पड़ी. जहां हर क्षण, हर पल सच्चे मित्र का हो वहां पर मित्रता दिवस की क्या आवश्यकता. और मैत्री को जताने की क्या आवश्यकता. किंतु फिर भी हम मित्रता दिवस मनाने के विचार का स्वागत करते हैं. इस नवोन्मेष को हमें स्वीकार करना होगा. क्योंकि आज की दौड़ती-भागती जिंदगी में कहीं ना कहीं मित्रता दिवस हमें अपने सच्चे मित्रों की याद दिलाता है और मित्रों के प्रति कर्तव्य का स्मरण भी कराता है. दुनिया के देश दो बार मित्रता दिवस मनाते हैं. भारत 2011 समेत बांग्लादेश, मलेशिया, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश हर साल अगस्त के पहले रविवार को मित्रता दिवस मनाते हैं. हालांकि अन्य कई देशों में 30 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस के तौर पर मनाया जाता है. दिवस कोई भी हो लेकिन हमें मित्रता को एक सार्थक पड़ाव तक ले जाना है. मित्रता अनौपचारिक स्तर पर तो फलतू-फूलती ही है, किंतु विश्वास मित्रता को सर्वोच्च स्तर पर ले जाता है. जो अपने मित्र का विश्वस्त है वह मानवीय गुणों से भरपूर है और सर्वोच्च सम्मान का पात्र है. जो अपने मित्र के रहस्य अपने सीने में रखे वह सच्चा मित्र है. जो अपने मित्र की कमजोरियों को जानते हुए भी उन्हें ढंकने की कोशिश करें और उसकी खूबियों को उजागर करें वह मित्र वंदनीय है. तप्त हृदय को, सरस स्नेह से,जो सहला दे, मित्र वही है। रूखे मन को, सराबोर कर,जो नहला दे, मित्र वही है।
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(प्रवीण कक्कड़) जिस देश के वांग्मय में ब्रम्हा - विष्णु - महेश की मैत्री का सर्वोच्च उदाहरण उपस्थित हो, जहां पर कृष्ण अपने आंसुओं से सुदामा के पैर धोते हों और जहां पर धर्म की रक्षा के लिए अपने सगे भाई का त्याग करके प्रभु श्री राम के साथ मित्रता धर्म निभाने में विभीषण जैसे धर्मात्मा आगे हों, वहां मित्रता दिवस तो वर्ष के हर दिन होता है. मित्रता को किसी दिवस की परिधि में बांधना पश्चिम की अवधारणा हो सकती है लेकिन मित्रता को अनंत आनंद, प्रेम और उत्कर्ष की सीमा तक ले जाना यह भारतीय अध्यात्म और वांग्मय की अवधारणा है. यही कारण है कि जब पूरी दुनिया और पश्चिम मित्रता की उत्सवधर्मिता को एक दिवस तक समेटना चाहते हैं भारतीय अध्यात्म इसे चेतना के उच्चतम स्तर तक ले जाना चाहता है. उस स्तर तक जहां प्रेम, करुणा और सामर्थ्य का विस्तार बिना किसी भेदभाव के मैत्री तक भी पहुंचे. हमारी परंपरा में जिंदगी की राह को आसान बनाने वाला मित्रता का अनोखा रिश्ता हमेशा मौजूद रहा है। इसीलिए जब अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस को मनाने की शुरुआत साल 1958 से हुई उससे भी हजारों वर्ष पहले भारतीय पौराणिक गाथाओं में मित्रता के अनेक किस्से दर्ज हुए. और लगभग 400 वर्ष पहले तुलसीदास ने मानस की चौपाईयों में अनेक जगह मित्रता को महिमामंडित किया... जे न मित्र दु:ख होहिं दुखारी। तिन्हहि बिलोकत पातक भारी॥ निज दु:ख गिरि सम रज करि जाना। मित्रक दु:ख रज मेरु समाना॥1॥ जो लोग मित्र के दुःख से दुःखी नहीं होते, उन्हें देखने से ही बड़ा पाप लगता है. अपने पर्वत के समान दुःख को धूल के समान और मित्र के धूल के समान दुःख को सुमेरु पर्वत के समान जानें. तुलसीदास के रामचरितमानस की यह चौपाईयां मैत्री में करुणा के उच्चतम स्तर को दर्शाती हैं. लेकिन बात यहीं तक सीमित नहीं है तुलसीदास कहते हैं कि एक अच्छा मित्र बनने के लिए समझदार होना भी आवश्यक हैं, जिससे आपका मित्र जब भी किसी गलत राह पर जाएं तो आप उसे सही राह दिखा सकें, और अपने मित्र के सभी अवगुणों को दूर करके उसके गुणों को निखार सकें यह कार्य सिर्फ समझदार व्यक्ति ही नहीं बल्कि एक सच्चा मित्र ही कर सकता है. जिन्ह के असी मति सहज ना आई। ते सठ कत हठी करत मिताई॥ कुपथ निवारी सुपंथ चलावा। गुण प्रगटे अव्गुनन्ही दुरावा॥ सबसे प्रमुख बात तो यह है कि द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने अपने मित्र के प्रति बगैर किसी भेदभाव के जिस प्रेम और सम्मान को प्रकट किया उसके बारे में त्रेता युग में पहले ही विचार और मंथन हो चुका था. इसीलिए गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा... देत लेत मन संक न धरई। बल अनुमान सदा हित कराई॥ विपत्ति काल कर सतगुन नेहा। श्रुति का संत मित्र गुण एहा॥ इसका अर्थ केवल इतना है कि किसी व्यक्ति के पास कितनी भी धन दौलत हो अगर वो मुसीबत पर अपने मित्र के काम ना आ सका तो वो धन व्यर्थ हैं, विपत्ति के समय अपने मित्र के हमेशा साथ रहना चाहिए और हर रूप में उसकी मदद करनी चाहिए,वेदों और शास्त्रों में भी कहा गया है कि विपत्ति के समय साथ देने वाला और स्नेह करने वाला मित्र ही सच्चा मित्र होता हैं. इतना ही नहीं गोस्वामी तुलसीदास ने मित्र की विशेषता भी बतलाई है और कहा है कि..जो मित्र हमारे मुंह पर मीठी मीठी बातें करे और पीठ पीछे बुराई करें वो मित्र हो ही नहीं सकता, ऐसे मित्र के साथ कभी नहीं रहना चाहिए. जो मन में आपके प्रति कुटिल विचार, बुरा विचार रखता है हो वह दोस्त नहीं कुमित्र होता हैं, ऐसे लोगों को अपने जीवन से निकाल देना ही उचित है. आगे कह मृदु वचन बनाई। पाछे अनहित मन कुटिलाई॥ जाकर चित अहि गति सम भाई। अस कुमित्र परिहरेहीं भलाई॥ हमारे साहित्य की अनमोल धरोहर इन चौपाइयों और श्रीकृष्ण - सुदामा, कृष्ण - अर्जुन, निषादराज - श्री राम जैसे पौराणिक उदाहरणों से यह तो स्पष्ट है कि भारत में सच्ची मित्रता की अवधारणा सदियों पुरानी है. और सच्ची मित्रता को भारत इस सीमा तक स्वीकार करता है कि मित्र को अपने हृदय में हर पल अंकित करना चाहता है. शायद इसीलिए भारत में किसी मित्रता दिवस की आवश्यकता नहीं पड़ी. जहां हर क्षण, हर पल सच्चे मित्र का हो वहां पर मित्रता दिवस की क्या आवश्यकता. और मैत्री को जताने की क्या आवश्यकता. किंतु फिर भी हम मित्रता दिवस मनाने के विचार का स्वागत करते हैं. इस नवोन्मेष को हमें स्वीकार करना होगा. क्योंकि आज की दौड़ती-भागती जिंदगी में कहीं ना कहीं मित्रता दिवस हमें अपने सच्चे मित्रों की याद दिलाता है और मित्रों के प्रति कर्तव्य का स्मरण भी कराता है. दुनिया के देश दो बार मित्रता दिवस मनाते हैं. भारत 2011 समेत बांग्लादेश, मलेशिया, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश हर साल अगस्त के पहले रविवार को मित्रता दिवस मनाते हैं. हालांकि अन्य कई देशों में 30 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस के तौर पर मनाया जाता है. दिवस कोई भी हो लेकिन हमें मित्रता को एक सार्थक पड़ाव तक ले जाना है. मित्रता अनौपचारिक स्तर पर तो फलतू-फूलती ही है, किंतु विश्वास मित्रता को सर्वोच्च स्तर पर ले जाता है. जो अपने मित्र का विश्वस्त है वह मानवीय गुणों से भरपूर है और सर्वोच्च सम्मान का पात्र है. जो अपने मित्र के रहस्य अपने सीने में रखे वह सच्चा मित्र है. जो अपने मित्र की कमजोरियों को जानते हुए भी उन्हें ढंकने की कोशिश करें और उसकी खूबियों को उजागर करें वह मित्र वंदनीय है. तप्त हृदय को, सरस स्नेह से,जो सहला दे, मित्र वही है। रूखे मन को, सराबोर कर,जो नहला दे, मित्र वही है। आप सभी को मित्रता दिवस की अनंत शुभकामनाएं....
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6 अगस्त फ्रेंडशिप डे पर विशेष (प्रवीण कक्कड़) जिस देश के वांग्मय में ब्रम्हा - विष्णु - महेश की मैत्री का सर्वोच्च उदाहरण उपस्थित हो, जहां पर कृष्ण अपने आंसुओं से सुदामा के पैर धोते हों और जहां पर धर्म की रक्षा के लिए अपने सगे भाई का त्याग करके प्रभु श्री राम के साथ मित्रता धर्म निभाने में विभीषण जैसे धर्मात्मा आगे हों, वहां मित्रता दिवस तो वर्ष के हर दिन होता है. मित्रता को किसी दिवस की परिधि में बांधना पश्चिम की अवधारणा हो सकती है लेकिन मित्रता को अनंत आनंद, प्रेम और उत्कर्ष की सीमा तक ले जाना यह भारतीय अध्यात्म और वांग्मय की अवधारणा है. यही कारण है कि जब पूरी दुनिया और पश्चिम मित्रता की उत्सवधर्मिता को एक दिवस तक समेटना चाहते हैं भारतीय अध्यात्म इसे चेतना के उच्चतम स्तर तक ले जाना चाहता है. उस स्तर तक जहां प्रेम, करुणा और सामर्थ्य का विस्तार बिना किसी भेदभाव के मैत्री तक भी पहुंचे. हमारी परंपरा में जिंदगी की राह को आसान बनाने वाला मित्रता का अनोखा रिश्ता हमेशा मौजूद रहा है। इसीलिए जब अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस को मनाने की शुरुआत साल 1958 से हुई उससे भी हजारों वर्ष पहले भारतीय पौराणिक गाथाओं में मित्रता के अनेक किस्से दर्ज हुए. और लगभग 400 वर्ष पहले तुलसीदास ने मानस की चौपाईयों में अनेक जगह मित्रता को महिमामंडित किया... जे न मित्र दु:ख होहिं दुखारी। तिन्हहि बिलोकत पातक भारी॥ निज दु:ख गिरि सम रज करि जाना। मित्रक दु:ख रज मेरु समाना॥1॥ जो लोग मित्र के दुःख से दुःखी नहीं होते, उन्हें देखने से ही बड़ा पाप लगता है. अपने पर्वत के समान दुःख को धूल के समान और मित्र के धूल के समान दुःख को सुमेरु पर्वत के समान जानें. तुलसीदास के रामचरितमानस की यह चौपाईयां मैत्री में करुणा के उच्चतम स्तर को दर्शाती हैं. लेकिन बात यहीं तक सीमित नहीं है तुलसीदास कहते हैं कि एक अच्छा मित्र बनने के लिए समझदार होना भी आवश्यक हैं, जिससे आपका मित्र जब भी किसी गलत राह पर जाएं तो आप उसे सही राह दिखा सकें, और अपने मित्र के सभी अवगुणों को दूर करके उसके गुणों को निखार सकें यह कार्य सिर्फ समझदार व्यक्ति ही नहीं बल्कि एक सच्चा मित्र ही कर सकता है. जिन्ह के असी मति सहज ना आई। ते सठ कत हठी करत मिताई॥ कुपथ निवारी सुपंथ चलावा। गुण प्रगटे अव्गुनन्ही दुरावा॥ सबसे प्रमुख बात तो यह है कि द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने अपने मित्र के प्रति बगैर किसी भेदभाव के जिस प्रेम और सम्मान को प्रकट किया उसके बारे में त्रेता युग में पहले ही विचार और मंथन हो चुका था. इसीलिए गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा... देत लेत मन संक न धरई। बल अनुमान सदा हित कराई॥ विपत्ति काल कर सतगुन नेहा। श्रुति का संत मित्र गुण एहा॥ इसका अर्थ केवल इतना है कि किसी व्यक्ति के पास कितनी भी धन दौलत हो अगर वो मुसीबत पर अपने मित्र के काम ना आ सका तो वो धन व्यर्थ हैं, विपत्ति के समय अपने मित्र के हमेशा साथ रहना चाहिए और हर रूप में उसकी मदद करनी चाहिए,वेदों और शास्त्रों में भी कहा गया है कि विपत्ति के समय साथ देने वाला और स्नेह करने वाला मित्र ही सच्चा मित्र होता हैं. इतना ही नहीं गोस्वामी तुलसीदास ने मित्र की विशेषता भी बतलाई है और कहा है कि..जो मित्र हमारे मुंह पर मीठी मीठी बातें करे और पीठ पीछे बुराई करें वो मित्र हो ही नहीं सकता, ऐसे मित्र के साथ कभी नहीं रहना चाहिए. जो मन में आपके प्रति कुटिल विचार, बुरा विचार रखता है हो वह दोस्त नहीं कुमित्र होता हैं, ऐसे लोगों को अपने जीवन से निकाल देना ही उचित है. आगे कह मृदु वचन बनाई। पाछे अनहित मन कुटिलाई॥ जाकर चित अहि गति सम भाई। अस कुमित्र परिहरेहीं भलाई॥ हमारे साहित्य की अनमोल धरोहर इन चौपाइयों और श्रीकृष्ण - सुदामा, कृष्ण - अर्जुन, निषादराज - श्री राम जैसे पौराणिक उदाहरणों से यह तो स्पष्ट है कि भारत में सच्ची मित्रता की अवधारणा सदियों पुरानी है. और सच्ची मित्रता को भारत इस सीमा तक स्वीकार करता है कि मित्र को अपने हृदय में हर पल अंकित करना चाहता है. शायद इसीलिए भारत में किसी मित्रता दिवस की आवश्यकता नहीं पड़ी. जहां हर क्षण, हर पल सच्चे मित्र का हो वहां पर मित्रता दिवस की क्या आवश्यकता. और मैत्री को जताने की क्या आवश्यकता. किंतु फिर भी हम मित्रता दिवस मनाने के विचार का स्वागत करते हैं. इस नवोन्मेष को हमें स्वीकार करना होगा. क्योंकि आज की दौड़ती-भागती जिंदगी में कहीं ना कहीं मित्रता दिवस हमें अपने सच्चे मित्रों की याद दिलाता है और मित्रों के प्रति कर्तव्य का स्मरण भी कराता है. दुनिया के देश दो बार मित्रता दिवस मनाते हैं. भारत 2011 समेत बांग्लादेश, मलेशिया, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश हर साल अगस्त के पहले रविवार को मित्रता दिवस मनाते हैं. हालांकि अन्य कई देशों में 30 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस के तौर पर मनाया जाता है. दिवस कोई भी हो लेकिन हमें मित्रता को एक सार्थक पड़ाव तक ले जाना है. मित्रता अनौपचारिक स्तर पर तो फलतू-फूलती ही है, किंतु विश्वास मित्रता को सर्वोच्च स्तर पर ले जाता है. जो अपने मित्र का विश्वस्त है वह मानवीय गुणों से भरपूर है और सर्वोच्च सम्मान का पात्र है. जो अपने मित्र के रहस्य अपने सीने में रखे वह सच्चा मित्र है. जो अपने मित्र की कमजोरियों को जानते हुए भी उन्हें ढंकने की कोशिश करें और उसकी खूबियों को उजागर करें वह मित्र वंदनीय है. तप्त हृदय को, सरस स्नेह से,जो सहला दे, मित्र वही है। रूखे मन को, सराबोर कर,जो नहला दे, मित्र वही है। आप सभी को मित्रता दिवस की अनंत शुभकामनाएं....
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दैनिक जागरण में कार्य करने वाले पत्रकार प्रणव सिरोही को संस्थान ने सीनियर डिप्टी न्यूज एडिटर (सीनियर डीएनई) के पद पर प्रमोट किया है। वह पिछले साढे 6 वर्षों से संस्थान के साथ जुड़े हुए हैं। जागरण में वह एडिट और ओपेड डेस्क का हिस्सा हैं।पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव रखने वाले प्रणव सिरोही भारत के पहले हिंदी आर्थिक समाचार पत्र 'बिजनेस स्टैंडर्ड' की लॉन्चिंग टीम का हिस्सा भी रहे हैं, जहां उन्होंने 9 वर्ष काम किया। उन्होंने भारत के पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की किताब 'अंधेरे से उजाले की ओर' का अनुवाद भी किया है, जो 2016 में प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित हुई।हाल ही में उनके द्वारा अनुवाद की गई पुस्तक 'भारत एक नई सोच' रिलीज हुई है, जिसे पेंगुइन रैंडम हाउस ने प्रकाशित किया है। यह किताब हर्ष मधुसूदन और राजीव मंत्री की चर्चित किताब 'ए न्यू आइडिया इंडिया' का अनुवाद है।
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मीडिया जगत के जाने-माने पत्रकार और ‘भारत एक्सप्रेस’ न्यूज नेटवर्क के सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय ने जल्द ही नया हिंदी अखबार लॉन्च करने की घोषणा की है। यह दैनिक अखबार होगा और इसे ‘भारत एक्सप्रेस’ के नाम से ही लॉन्च किया जाएगा।बताया जाता है कि ‘भारत एक्सप्रेस’ चैनल की तरह यह अखबार भी नेटवर्क के मूल मंत्र सत्य, साहस और समर्पण के प्रति प्रतिबद्ध होगा। पहले चरण में इस अखबार के दिल्ली एनसीआर, लखनऊ, वाराणसी, देहरादून और गोरखपुर संस्करणों को शुरू किया जाएगा।‘भारत एक्सप्रेस’ न्यूज नेटवर्क द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, न्यूज चैनल के ‘Bringing the News Back’ के अपने आदर्श वाक्य की तरह प्रिंट मीडिया में नेटवर्क की नई पहल युवा पीढ़ी को प्रोत्साहित करना है, ताकि सोशल मीडिया के इस दौर में अखबार पढ़ने की आदत को वापस लाया जा सके और उन्हें व्यावहारिक, जानकारीपूर्ण और समृद्ध अनुभव प्रदान किया जा सके। यह अखबार उभरते भारत की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करेगा और उन स्टोरीज को प्राथमिकता देगा जो आमजन को सीधे प्रभावित करती हैं।इस बारे में ‘भारत एक्सप्रेस’ के सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय का कहना है, ‘न्यूज मीडिया में आने के बाद से भारत एक्सप्रेस ने न्यूज व्युअर्स और मीडिया जगत में समान रूप से रुचि जगाई है। दैनिक भारत एक्सप्रेस के साथ हमारा इरादा पत्रकारिता की उच्च गुणवत्ता और अखंडता के उसी पथ का अनुसरण करने का है। मुझे पूरा विश्वास है कि समर्पित पत्रकारों और मीडिया प्रोफेशनल्स की टीम के सपोर्ट से भारत एक्सप्रेस अखबार मीडिया में नया मानदंड स्थापित करेगा।’
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देश के बड़े नेटवर्क एबीपी न्यूज़ ने अपनी पहली आर्टिफिशियली इंटेलिजेंस (AI) एंकर जिसका नाम ‘आईरा’ है उसे लॉन्च किया है। दरहसल एबीपी नेटवर्क का तमिल भाषी डिजिटल चैनल ‘एबीपी देसम’ सफलतापूर्वक अपने दो वर्ष पूरे कर रहा है। इस मौके पर एबीपी नेटवर्क ने एक नया प्रयोग किया है, जिसके तहत ‘एबीपी देसम’ अब आर्टिफिशियली इंटेलिजेंस (AI) एंकर के जरिए भी लोगों तक खबरें पहुंचाएगा। इस AI एंकर का नाम ‘आईरा’ है। वैसे बता दें कि ‘आईरा’ का मतलब है, जिसके पास सभी तरह की जानकारी हो। AI आईरा एबीपी देसम के AI न्यूज एंकर के तौर पर काम करेगी। आईरा में एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित न्यूज रिपोर्टिंग प्रणाली होगी। यह सिस्टम आईरा को न्यूज पढ़ने में सक्षम बनाएगा। आईरा को किसी भी अन्य न्यूज रिपोर्टर की तरह प्रशिक्षित किया जाएगा, जिससे वह अन्य पत्रकारों की तुलना में अधिक तेज और सटीक होगी। आईरा एबीपी की प्रौद्योगिकी प्रणालियों को और आगे बढ़ाएगी। साथ ही वह चौबीसों घंटे काम कर सकती है। 'आईरा' आधुनिकता और परंपरा का प्रतीक है, जो न्यूज, स्पोर्ट्स, एंटरटेनमेंट और अन्य क्षेत्रों में विविध सामग्री प्रस्तुत करने के लिए बुद्धिमत्ता, स्मार्टनेस और विशेषज्ञता का संयोजन है। आईरा एबीपी देसम की वेबसाइट, ऐप और सोशल मीडिया हैंडल पर उपलब्ध होगी।
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आजतक में बतौर न्यूज़ एंकर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे ,शुभांकर मिश्रा जल्द नई पारी की शुरुआत करने वाले हैं। जानकारी के मुताबिक शुभांकर जी न्यूज़ के साथ एक बार फिर से जुड़ने वाले हैं। हालांकि इस ख़बर की अभी तक पुष्टि नहीं हो पाई है।आपको बता दें कि ‘आजतक’ से पहले शुभाकंर मिश्रा ‘टीवी9’ भारतवर्ष में करीब 3 सालों की लंबी पारी ख़ेल चुके हैं। ‘टीवी9’ से पहले वह ‘जी न्यूज’ के साथ जुड़े हुए थे। शुभांकर ‘इंडिया न्यूज' में भी बतौर न्यूज एंकर अपनी भूमिका निभा चुके हैं। शुभांकर स्टूडियो एंकरिंग के साथ ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए भी जाने जाते हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण ‘टाइगर हिल्स’ से रिपोर्टिंग रही है, जहां कारगिल युद्ध हुआ था। शुभांकर मिश्रा की सोशल मीडिया पर काफी जबरदस्त फैन फॉलोइंग है। ‘इंस्टाग्राम’ पर उनके फॉलोअर्स की संख्या ने हाल ही में 4 मिलियन का आंकड़ा पार किया है।वहीं इनकी पढ़ाई की बात करें तो यूपी के गोंडा से ताल्लुक रखने वाले शुभांकर मिश्रा की शुरुआती पढ़ाई दिल्ली से हुई। आगे चलकर उन्होंने दिल्ली से ही इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। लेकिन उनकी रुचि इंजीनियरिंग में नहीं होने के कारण इंजीनियरिंग छोड़ दी और डिजिटल की दुनिया से टीवी की दुनिया में क़दम रख दिया।
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भोपाल में ‘राष्ट्रीय मीडिया संग्रहालय’ की स्थापना की जा रही है मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई ‘एमसीयू’ की महापरिषद की बैठक में यह जानकारी दी गई।कुलपति प्रो. (डॉ.) के जी सुरेश ने मंत्रालय में आयोजित महापरिषद को पिछले तीन वर्षों की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी l वहीं, मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय में केंद्रीय स्टूडियो, डिजिटल मीडिया लैब, सिनेमा अध्ययन और भाषा लैब समेत भारतीय भाषाओं पर केन्द्रित पृथक विभागों तथा भरतमुनि शोध पीठ की स्थापना के प्रस्ताव को अनुमोदित किया। जनवरी 2018 के बाद हुई महापरिषद की बैठक में पूर्व वर्षों के बजट अनुमान, लेखों एवं अंकेक्षण प्रतिवेदन का अनुमोदन किया गया। विभिन्न प्रबंधकीय विषयों पर भी निर्णय लिए गए।बताया गया कि एशिया के पहले और देश के सबसे बड़े पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों को लागू किया गया है। ‘इंडिया टुडे’ और ‘द वीक’ जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं द्वारा विश्वविद्यालय को देश के प्रथम 10 शिक्षण संस्थानों में शामिल किया गया है।
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प्रोफेसर सुरेश को मिला 'हेल्थ कॉम्स पुरस्कार 2023' माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. प्रोफेसर केजी सुरेश को स्वास्थ्य संचार के क्षेत्र में असाधारण योगदान के लिए 'हेल्थ कॉम्स पुरस्कार 2023' से सम्मानित किया गया है यह पुरस्कार प्रोफेसर सुरेश को ऑनलाइन समारोह में प्रदान किया गया आपको बता दें इस समारोह में लंदन से पी आर मोमेंट के संस्थापक बेन स्मिथ भी जुड़े थे। आपको बता दें प्रोफेसर डॉ. केजी सुरेश मीडिया जगत में अपने अतुल्यनीय योगदान के लिए जाने जाते हैं प्रोफेसर सुरेश ने स्वास्थ्य संचार को मीडिया पाठ्यक्रम में पहली बार यूनिसेफ, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और थॉमसन रायटर्स के सहयोग से 2016 में तब सम्मिलित किया था जब वह भारतीय जनसंचार संस्थान के महानिदेशक थे बता दें प्रो सुरेश विश्व स्वास्थ संगठन की पल्स पोलियो समीक्षा समिति में भी रह चुके हैं इसके साथ ही उन्होंने कोरोना काल में यूनिसेफ मध्य प्रदेश के सहयोग से भोपाल, रीवा, खंडवा एवं नोएडा परिसर में साक्ष्य आधारित स्वास्थ्य पत्रकारिता पर पत्रकारों के लिए कार्यशाला आयोजित किया।
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वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक मेहरोत्रा जिनको पत्रकारिता में 15 वर्षों से अधिक का अनुभव का अनुभव है हाल ही में वह 'न्यूज 24' से ग्रुप एडिटर (डिजिटल) के रूप में जुड़ गए हैं। ‘न्यूज 24’ का हिस्सा बनने से पहले वह BW बिजनेसवर्ल्ड की हिंदी वेबसाइट में डिजिटल एडिटर की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। BW बिजनेसवर्ल्ड से पहले अभिषेक मेहरोत्रा ZeeNews.com के संपादक थे। अपने अब तक के करियर में उन्होंने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों के साथ काम किया है। वह Jagran.com, टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड, e4m, अमर उजाला और दैनिक जागरण में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।‘बीएजी फिल्म्स एंड मीडिया लिमिटेड’ की चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर अनुराधा प्रसाद ने अभिषेक मेहरोत्रा की नियुक्ति पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि अभिषेक मेहरोत्रा का प्रभावशाली ट्रैक रिकॉर्ड और रणनीतिक दृष्टि उन्हें हमारी संपादकीय टीम का नेतृत्व करने के लिए आदर्श उम्मीदवार बनाती है। हमें विश्वास है कि अभिषेक मेहरोत्रा की विशेषज्ञता कंपनी के विकास में सहायक साबित होगी।
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वरिष्ठ व मशहूर पत्रकार और जाने-माने न्यूज एंकर संदीप चौधरी ने अब न्यूज चैनल ‘न्यूज24’ को अलविदा कर दिया। वह करीब नौ साल से इस चैनल के साथ कार्यरत थे और ‘सबसे बड़ा सवाल’ शो होस्ट करते थे। बुधवार को चैनल के तमाम सहयोगियों ने संदीप चौधरी को फेयरवेल दी। संदीप चौधरी का अगला कदम क्या होगा, फिलहाल इस बारे में जानकारी नहीं लग सकी है। लेकिन, अंदरखाने के सूत्रों से मिली खबर के अनुसार वह ‘एबीपी नेटवर्क’ (ABP Network) के साथ अपनी नई पारी शुरू कर सकते हैं। बता दें कि संदीप चौधरी को मीडिया में काम करने का करीब ढाई दशक का अनुभव है। मीडिया में अपने करियर की शुरुआत उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ (अब दिवंगत) के साथ एक प्रॉडक्शन हाउस के साथ की थी। इसके बाद वह 'आजतक' से जुड़ गए। हालांकि, यहां उनका सफर सीमित ही रहा। इसके बाद संदीप चौधरी ने 'आजतक' को बाय बोल दिया और 'स्टार न्यूज' (Star News) के साथ अपनी नई पारी शुरू की। वह 'स्टार न्यूज' की लॉन्चिंग टीम में शामिल थे। संदीप चौधरी ने करीब नौ साल तक 'नेटवर्क18' के साथ भी काम किया है। फिर वह यहां से 'न्यूज24' आ गए और अब यहां से उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया है। 'न्यूज24' में हुए संदीप चौधरी के फेयरवेल के वीडियो को आप यहां भी देख सकते हैं।
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नवंबर में होने वाले 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर “भारत-24” की Editorial Team में एक बड़ा फेरबदल किया गया है। अभी कुछ दिन पहले ही वरिष्ठ Anchor और वरिष्ठ पत्रकार रुबिका लियाकत को चैनल में Vice President नियुक्त किया गया था।अब Network18 में कार्यरत सिद्धिनाथ विश्वकर्मा को “भारत-24” में बुलाकर मैनेजिंग एडिटर नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही जगदीश चंद्रा के पुराने सहयोगी और चैनल के सीनियर एडिटर सैयद उमर को पदोन्नत कर उन्हें चैनल का News Director बनाया गया है। सैयद उमर और सिद्धिनाथ ने आज सुबह अपने पदों का कार्यभार संभाल लिया है।चैनल के सीईओ एवं एडिटर-इन-चीफ जगदीश चंद्रा ने यह आशा व्यक्त की है कि यह नई टीम चैनल को और आगे ऊंचाइयों तक ले जाएगी और 2023 और 2024 के चुनाव में अपनी एक अलग छाप छोड़ेगी ।
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प्रहलाद पटेल की उपस्थिति में हुआ पुस्तक का विमोचन भोपाल में वरिष्ठ पत्रकार अंशुमन भार्गव की पुस्तक 'बाय द वे' का विमोचन हुआ विमोचन समारोह में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और अन्य वरिष्ठ पत्रकार मौजूद थे केंद्रीय मंत्री पटेल ने पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा की अंशुमन भार्गव का लेखन बहुत ही प्रभावशाली था उन्हें समसामयिक मामलों के अलावा पर्यटन, पर्यावरण और सामाजिक विकास जैसे मुद्दों की भी गहरी समझ थी कुछ लोग अपने अल्फ़ाज़ों से जागृति की मशाल जलाते हैं उनके जाने के बाद भी ये मशाल समाज में जागृति की रौशनी फैलाती रहती है कुछ ऐसी ही मशाल जलाई थी वरिष्ठ पत्रकार अंशुमन भार्गव ने अपने कॉलम 'बाय द वे' के माध्यम से, जो आज भी समाज में जागृति लाने में सक्षम है उनके कॉलम में छपे आलेखों को कॉफ़ी टेबल बुक के रूप में संकलित कर अमर करने की अविस्मरणीय पहल की डॉ मेघा विजयवर्गीय एवं मयंक विश्नोई ने किया केंद्रीय मंत्री पटेल ने कहा की अंशुमन भार्गव युवा पत्रकारों के लिए प्रेरणास्रोत हैं मैं आशा करता हूँ कि इस पुस्तक के माध्यम से वे अपने मित्रों, शुभचिंतकों और पाठकों के दिलों में हमेशा जागृति की मिसाल बनकर रहेंगे मैं मेघा विजयवर्गीय और मयंक बिश्नोई को भी उनकी इस सराहनीय पहल के लिए दिल से बधाई देता हूं।
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इस बारिश के मौसम मै जहां जगह जगह नदी नाले उफान पर है,इस कारण सभी मीडिया चैनल्स इसके कवरेज में लगे हुए हैं। आपको बता दे बीते चार दिन से यमुना के जलस्तर में रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोतरी ने दिल्ली वालों की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। भले ही जलस्तर अब कम हो रहा है, लेकिन संकट अभी भी बरकरार है। भारी बारिश के बाद दिल्ली में यमुना खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। नदी का उफान बरकरार है।यमुना का जलस्तर बढ़ने से कई इलाकों में हालात बिगड़ गए हैं। इसी बीच लगभग सभी मीडिया चैनल्स इस बाढ़ की कवरेज में लगे हुए हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें चैनल के रिपोर्टर अपनी जान तक जोखिम में डालकर रिपोर्ट कर रहे हैं।इसी मसले पर वरिष्ठ पत्रकार और समाजसेवी ऋचा अनिरुद्ध ने ट्वीट कर पत्रकारों को सलाह दी है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, बाढ़ में अपनी जान जोखिम में डाल कर रिपोर्टिंग करने वाले साथी ये याद रखें कि जिस दिन चैनल को 100-200-300 लोगों की नौकरी लेनी होगी, उस दिन आपका ये सारा काम भुला दिया जाएगा। इसलिए जरूरत से ज्यादा खतरे से बचिए। चैनल का नहीं, परिवार का सोचिए। चैनल आप,आपके परिवार का कभी नहीं सोचेगा।आपको बता दें कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आईटीओ सहित विभिन्न जगहों पर यमुना का दौरा किया। इस दौरान उपराज्यपाल ने बताया कि दिल्ली में बाढ़ के हालात से निपटने के लिए सेना, एनडीआरएफ, दिल्ली जल बोर्ड, सिंचाई एवं बाढ़ विभाग सहित दिल्ली सरकार के अन्य विभाग मिलकर युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं।
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डिजिटल फर्स्ट चैनल्स का चलन लगातार बड़ता जा रहा है इसी को देखते हुए ‘इंडिया टुडे’ समूह ने डिजिटल प्लेटफॉर्म 'Tak' का विस्तार करते हुए 'छत्तीसगढ़ Tak' लॉन्च किया है। इंडिया टुडे ग्रुप के Tak क्लस्टर की यह नई पेशकश एक नए यूट्यूब चैनल ( मौजूदगी को और मजबूत करेगी।Tak क्लस्टर के इन न्यूज प्लेटफॉर्म्स का उद्घाटन शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया। इसके साथ ही उन्होंने छत्तीसगढ़ Tak को शुभकामनाएं दीं। इस मौके पर भूपेश बघेल का कहना था, ‘अभी तक राष्ट्रीय चैनल्स पर छत्तीसगढ़ की नक्सली हमले से जुड़ी खबरों को ही जगह मिलती थी। लेकिन, अब छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ की हर खबर को दिखाने और रीजनल खबरों को प्रमुखता देने की इंडिया टुडे समूह की पहल काफी सराहनीय है।' इस दौरान उन्होंने मंच से नारा देते हुए कहा, 'इंतजार करिए कल तक, देखते रहिए छत्तीसगढ़ तक।'
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बीते 21 साल से जुड़े रहने के बाद एबीपी न्यूज़ के पश्चिम भारत संपादक जीतेंद्र दीक्षित ने चैनल से इस्तीफा दे दिया है। जीतेंद्र मुंबई ब्यूरो के प्रभारी थे और महाराष्ट्र गुजरात और गोवा राज्यों से समाचार संपादन की उनकी जिम्मेदारी थी। इस्तीफे के बाद जीतेंद्र का कहना है कि ये स्क्रीन से उनका अस्थाई ब्रेक है और इस ब्रेक का उपयोग वे लेखन और भ्रमण के लिए करेंगे।जीतेंद्र साल 2003 में इस चैनल से जुड़े थे जब इसका नाम स्टार न्यूज़ हुआ करता था। वे इसकी संस्थापक टीम के सदस्य थे। साल 2007 में तत्कालीन संपादक उदय शंकर ने उन्हें 27 साल की उम्र में मुंबई ब्यूरो का प्रमुख बनाया था। ब्यूरो संचालन के अलावा जीतेंद्र ने चैनल में रहते हुए देश और दुनिया की कई बड़ी खबरों पर रिपोर्टिंग की। जैसे मार्च 1993 मुंबई बम कांड का मुकदमा, 26 नवंबर 2008 का आतंकी हमला, साल 2011 में सुनामी के कारण जापान में मची तबाही, 2013 में केदारनाथ में आई आपदा, भारत और इटली के बीच कूटनीतिक तनाव, 2015 में इंडोनेशिया में छोटा राजन की गिरफ्तारी, 2019 मैं महाराष्ट्र का सियासी ड्रामा इत्यादि।
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यदि आप पत्रकारिता में नौकरी की तलाश कर रहें हैं तो ‘हिन्दी खबर’ न्यूज चैनल से जुड़ने का काफी अच्छा मौका है। दरअसल, चैनल को नोएडा स्थित ऑफिस के लिए फीमेल एंकर, आउटपुट प्रड्यूसर, मोशन ग्राफिक डिजाइनर और वीडियो एडिटर की जरूरत है। इसके लिए योग्य व इच्छुक उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। जिन पदों पर वैकेंसी है, उनमें आउटपुट (10), न्यूज एंकर (दो), वीडियो एडिटर (पांच) और मोशन ग्राफिक डिजाइनर (दो) शामिल हैं। इसके अलावा यहां एक रिसेप्शनिस्ट की भी जरूरत है।इच्छुक उम्मीदवार दस जुलाई 2023 तक अपना अपडेटेड रिज्युमे hr@hindikhabar.com पर भेज सकते हैं।
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वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन ने 72 वर्ष की उम्र में दुनिआ से अलविदा ले लिया। दरहसल यह कुछ समय पहले से ही बीमार चल रहे थे और इन दिनों दिल्ली स्थित ‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान’ में भर्ती थे, जहां जहाँ उनका निधन हो गया। मनमोहन के निधन पर जाने-माने पत्रकार (पद्मश्री) आलोक मेहता समेत तमाम पत्रकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। बता दें कि मनमोहन अपने समय के जाने-माने खोजी पत्रकार थे। वह ‘द स्टेट्समैन’ , ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ , ’द टाइम्स ऑफ इंडिया’ और ‘द ट्रिब्यून’ जैसे प्रतिष्ठित अखबारों में लंबे समय तक प्रमुख पदों पर कार्यरत रहे थे। इसके अलावा वह ‘द संडे गार्डियन’ अखबार में कॉलम भी लिखते थे।
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न्यूज नेशन में रात 9 से 10 बजे के प्राइप टाइम बैंड के इंचार्ज हेमंत मिश्र ने न्यूज नेशन को बाय बाय बोल दिया है..हेमंत मिश्र ने अपनी नई पारी शमशेर सिंह के नए चैनल इंडिया डेली लाइव के साथ शुरू की है। हेमंत मिश्र को ने यहां बतौर असोसिएट एक्जिक्यूटिव प्रोड्यूसर ज्वाइन किया है।इससे पहले भी हेमंत शमशेर सिंह के साथ जी हिन्दुस्तान का हिस्सा थे। जी हिन्दुस्तान में भी हेमंत प्राइम टाइम का बैंड देख रहे थे। जी हिन्दुस्तान से पहले हेमंत टीवी9 भारतवर्ष में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। आजतक न्यूज चैनल में हेमंत 5 साल तक शम्स ताहिर खान की टीम का हिस्सा थे।हेमंत ने अपने करियर की शुरुआत जी न्यूज के रीजनल चैनल जी 24 घंटे छत्तीसगढ़ में बतौर ब्यूरो हेड की थी..हेमंत ने रिपोर्टिंग के दौरान कई बड़े खुलासे किए थे..बतौर रिपोर्टर हेमंत ने मुंबई में भी अपनी सेवाएं दी थी। हेमंत श्री राम की तपोस्थली चित्रकूट से संबंध रखते हैं..छत्तीसगढ़ के कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय से उन्होंने एमजे किया है। हेमंत 2008 के गोल्ड मेडलिस्ट थे।वे इस वक्त वर्तमान में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्व विद्यालय से पत्रकारिता के क्षेत्र में ही पीएचडी कर रहे हैं। हेमंत को उनकी धारधार स्क्रिप्टिंग और जानदार आवाज के लिए जाना जाता है। हेमंत को पत्रकारिता के क्षेत्र में डेढ़ दशक का अनुभव है।
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(प्रवीण कक्कड़) - गुरु पूर्णिमा का पर्व हमें गुरु के गुरुत्व का स्मरण दिलाता है गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु र्गुरुर्देवो महेश्वरः | गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः || बात केवल गुरु के ब्रह्मा, विष्णु, महेश अथवा परम ब्रह्म होने तक नहीं है बल्कि बात गुरु के गुरुत्व की भी है। गुरु शब्द दो अक्षरों "गु" और "रु" से बना है जहाँ गु का अर्थ है 'अन्धकार और रु का अर्थ है' प्रकाश। जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए वही गुरु है। इसलिए गुरु का पर्व भी गुरु पूर्णिमा के दिन ही आता है। पूर्णिमा यानी प्रकाश से सराबोर रात्रि। जिस रात्रि में चंद्रमा का प्रकाश अपने चरम पर हो वही पूर्णिमा है और जिसके जीवन में गुरु का प्रकाश अपने चरम पर हो वही सच्चा साधक है। गुरु का सच्चा साधक किसी पूर्णिमा के समान ही दमकता है। लेकिन गुरु में गुरुत्व होना भी जरूरी है। गुरुत्व दो तरह का होता है पहला जो अपनी तरफ खींचता है जैसे गुरुत्वाकर्षण। और दूसरा जो सत्य के मार्ग की तरफ प्रेरित करता है जैसे गुरु का आकर्षण। ज्ञान जीवन में बहुत आवश्यक है और ज्ञान प्राप्त करने के लिए आपको गुरु की शरण में जाना ही होगा। लेकिन ज्ञान कैसा? इस प्रश्न का उत्तर बहुत गहरा है। कुछ लोग शिक्षक को गुरु कहते हैं। लेकिन शिक्षक गुरु नहीं हो सकता। वह किताबी ज्ञान देता है। और इसके बदले में उसे मानदेय मिलता है। किंतु गुरु किसी मानदेय की अपेक्षा के बगैर अपने अनुयाई के जीवन को संवार देता है। इसलिए गुरु को कुछ दिया नहीं जा सकता। उसके मार्ग पर चलकर उसकी शिक्षाओं का अनुसरण करके हम गुरु को गुरु दक्षिणा दे सकते हैं। क्योंकि गुरु जो देता है वह समाज के लिए होता है, राष्ट्र के लिए होता है, विश्व के लिए होता है। व्यक्ति विशेष तो उससे प्रेरणा लेता है। गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।। कबीर ने इस दोहे में गुरु के गुरुत्व का चित्र खींचा है, और कहा है कि परमपिता परमेश्वर से भी बढ़कर गुरु की शक्ति है, क्योंकि गोविंद भी गुरु से ही प्रेरणा प्राप्त हैं। यह गुरु की विशालता को दर्शाता है। संत कबीरजी कहते हैं, 'जिसके जीवन में सद्गुरु नहीं हैं वह अभागा है।' कबीर आगे कहते हैं तीरथ जाने से एक फल मिलता है, संत के मिलने से चार फल मिलते हैं, लेकिन गुरु के मिलने से अनंत फल मिलते हैं। यानी गुरु का सानिध्य अनंत फलदायक है। तीरथ गए से एक फल, संत मिले फल चार। सतगुरु मिले अनेक फल, कहे कबीर विचार। तुलसीदास ने भी कहा है गुरु बिनु भवनिधि तरई ना कोई जो बिरंचि संकर सम होई। भले ही कोई विष्णु या शंकर के समान हो लेकिन गुरु के बिना नैया पार नहीं लगती। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जो यह सिद्ध करते हैं कि गुरु की महिमा अपरंपार है। लेकिन गुरु और अनुयाई के इस रिश्ते में पात्र - कुपात्र का बहुत महत्व है। गुरु का ज्ञान तो जल है, जैसे जल जिस पात्र में जाता है उसी आकृति का हो जाता है वैसे ही गुरु का ज्ञान उसके अनुयाई या शिष्य में उसके आचरण और स्वभाव के अनुरूप ही परिवर्तन लाता है। यही कारण है कि शुक्राचार्य और पुलस्त्य ऋषि जैसे गुरु भी रावण के स्वभाव को नहीं बदल सके। विद्वान होकर भी वह अत्याचारी रहा। इसलिए गुरु के गुरुत्व को ग्रहण करना है तो सुपात्र बनें कुपात्र नहीं। इस गुरु पूर्णिमा यही संकल्प लेना है कि हमें गुरु के अनुरूप बनना है। उसकी शिक्षाओं को सही दिशा में ग्रहण करना है। श्री गुरुवे नमः।
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अगले छह महीने में ये और कम होने के आसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस AI और मशीन लर्निंग के बाद ढेर सारी नौकरियों की ज़रूरत ही नहीं है। टेक्स्ट और वीडियो की एडिटिंग मशीन से हो रही है। आदमी से बेहतर मशीन कर रही है। इमोशन भी डाल रही हैं। ट्रांसलेशन मशीन कर रही है।ओपिनियन का काम पूरी तरह से AI ने सँभाल लिया है।आदमी से बेहतर स्क्रिप्ट मशीन लिख रही हैं। एंकरिंग भी मशीन पर जा रही है। फ़ैसले के लिए कमांड देने वाले कुछ लोग बच जाएँगे। कुछ सुपरवाइज़र रह जाएँगे। मीडिया मालिक ये समझ चुके हैं। समझना ही चाहिए। वरना उनका बिज़नेस ख़राब हो जाएगा। छँटनी करनी पड़ेगी, वरना ऑपरेशन महँगा हो जाएगा। रेवेन्यू पर पहले से प्रेशर है। न्यूज लोग सोशल से ले रहे हैं। चैनलों का कोई काम ही नहीं रहेगा।यहां बात किसी चैनल में छँटनी की नहीं है बल्कि अगले छह महीने में दिल्ली और नोएडा में मीडिया में 10,000 तक नौकरियाँ जाएँगी,इससे संख्या ज़्यादा भी हो सकती ह, कम नहीं। क्योंकि संपादक से बेहतर फ़ैसले मशीन करेगी।
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आज तक के वरिष्ठ पत्रकार सुधीर चौधरी प्रशंसकों अपने जन्मदिन पर रिटर्न गिफ्ट दिया है सुधीर ने अपने गिफ्ट के तोर पर माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म 'कू' (KOO) की प्रीमियम पेशकश पर एक खास चैनल लॉन्च किया है आपको बता दे कि सुधीर काफी जानेमाने पत्रकार है और उनके ट्विटर पर 7.6 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स हैं, जबकि 'कू' (KOO) पर 3.4 मिलियन फॉलोअर्स हो चुके है कू प्रीमियम पर सुधीर चौधरी ने अपने फॉलोअर्स को चैनल से जुड़ने के लिए आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा कि जो भी उनके इस चैनल का हिस्सा बनेगा, वह उनकी विशेष सामग्री तक पहुंच सकता है। साथ ही साथ वह उनके साथ लाइव चैट कर सकता है, उनसे व्यक्तिगत रूप से मिल सकता है। अपने कू प्रीमियम चैनल की घोषणा करते हुए, सुधीर चौधरी ने कहा, 'मैं अपने सभी फॉलोअर्स के प्यार और समर्थन के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं अपने कू प्रीमियम चैनल के माध्यम से अपने प्रशंसकों से जुड़ने और बातचीत करने का एक नया तरीका पाकर रोमांचित हूं।
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जल्द लॉन्च होने वाले हिंदी न्यूज चैनल ‘इंडिया डेली लाइव’ के साथ लोगों के जुड़ने का सिलसिला जारी है। इस कड़ी में अब ऋषभ सिंह का नाम जुड़ गया है, जिन्हें यहां रिपोर्टर की जिम्मेदारी दी गई है।‘इंडिया डेली लाइव’ से पहले ऋषभ ‘भारत एक्सप्रेस’ में कार्यरत थे, जहां वह क्राइम बीट कवर रहे थे। वहीं इसके पहले वह ‘इंडिया न्यूज’ में प्रड्यूसर की भूमिका में थे।पत्रकारिता की पढ़ाई गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी और कुरुकक्षेत्र यूनिवर्सिटी से करने वाले ऋषभ ने ‘जी हिन्दुस्तान’, ‘अमर उजाला’ और ‘यूएनआई’ से इंटर्नशिप की और इसके बाद अपने करियर की शुरुआत ‘जन की बात’ से बतौर रिपोर्टर की। ऋषभ बिहार के बेगुसराय के मूल निवासी हैं और रिपोर्टिंग के दौरान दिल्ली दंगों के अलावा उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड चुनावों को कवर किया है।
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आजतक’ के डिजिटल न्यूज पोर्टल से जुड़े पत्रकार अमित राय ने यहां से विदाई ले ली है। वह यहां सीनियर असिस्टेंट एडिटर की जिम्मेदारी निभा रहे थे।बता दें कि अब उन्होंने अपनी नई पारी का आगाज 'टीवी9 भारतवर्ष' के डिजिटल प्लेटफॉर्म से किया है, जहां उन्हें एसोसिएट एडिटर की जिम्मेदारी मिली है।अक्टूबर 2018 में अमित राय ने 'आजतक' का डिजिटल प्लेटफॉर्म बतौर असिसटेंट एडिटर जॉइन किया था। उनके बेहतरीन काम को देखते हुए मैनेजमेंट ने बाद में उन्हें सीनियर असिसटेंट एडिटर बना दिया। 'आजतक' में उनका योगदान डिजिटल और असाइनमेंट के बीच पूल का काम करना, सभी सेक्शन के बीच कोऑर्डिनेशन, फॉरवर्ड प्लानिंग को आकार देना, टीम मैनेजमेंट, क्राइम, पॉलिटिक्स और सिनेमा पर लिखना समेत बड़े प्लान को एक्जिक्यूट कराना था। वह 'आजतक' हिंदी दैनिक ‘नवभारत टाइम्स’ से आए थे, जहां वह लंबे समय से कार्यरत थे।2005 में ‘जनसत्ता’ से ट्रेनी के तौर पर अपने पत्रकारिता का सफर शुरू करने वाले अमित राय ने यहां करीब एक साल तक अपना योगदान दिया और इसके बाद 2006 में वह ‘अमर उजाला’ आ गए। जहां उन्होंने जूनियर सब एडिटर के तौर पर अपनी पारी को आगे बढ़ाया। सितंबर, 2007 में वह ‘नवभारत टाइम्स’ से जुड़ गए। ‘नवभारत टाइम्स’ के साथ उनका लंबा सफर, 15 अक्टूबर 2018 को थमा। इन 11 वर्षों में उन्हें कुल 4 प्रोमोशन मिले। कॉपी एडिटर के तौर पर उन्होंने यहां अपनी पारी शुरू की और अंत में डिप्टी मेट्रो एडिटर के तौर पर अपनी पारी पर विराम लगाया। अंत में वह एनबीटी में पेज-1, ऑनलाइन,महानगर से कोआर्डिनेट करने के साथ-साथ एनसीआर आउटपुट हेड की जिम्मेदारी निभा रहे थे।
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हिंदी न्यूज चैनल 'न्यूज24' में कार्यरत दो पत्रकारों का रविवार सुबह सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। बताया जा रहा है कि यह हादसा सुबह करीब आठ बजे हुआ, जब दोनों पत्रकार रविवार सुबह ऑफिस से शिफ्ट पूरी करके अपने-अपने घर जा रहे थे। गाजियाबाद के रहने वाले इन दोनों पत्रकारों के नाम गौरव और मनोज कुमार है। गौरव आउटपुट डेस्क पर कार्यरत थे, जबकि मनोज सिंह लाइब्रेरी में। जानकारी के मुताबिक, एलिवेटेड रोड पर पिकअप गाड़ी ने इनकी बाइक को टक्कर मार दी, जिससे इनकी बाइक डिवाइडर से जा टकराई, जहां 38 वर्षीय गौरव की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 45 वर्षीय मनोज सिंह ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। मनोज कुमार और गौरव के आकस्मिक निधन से पत्रकारों में शोक की लहर दौड़ गई।
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18 जून फादर्स डे पर विशेष (प्रवीण कक्कड़ ) पुं नरकात् त्रायते इति पुत्र: सर्वत्र जयमन्विच्छेत्, पुत्रादिच्छेत् पराभवम्। सार यह है- संतान वह है जो पिता को उनकी वर्तमान स्थिति से ऊंचा ले जाए। पिता सारे जहां को जीतने की इच्छा रखते हैं। वे ये भी चाहते हैं कि उनके सारे कीर्तिमान संतान तोड़ दें और उनसे आगे बढ़ जाए। संतान का कर्तव्य तभी पूरा होगा जब वह एक पल के लिए भी पिता के गर्व का कारण बन सके। एक पिता तभी गौरवान्वित होता है जब उसकी संतान उससे चार कदम आगे चले। जब उसकी संतान की उपलब्धियां उससे कहीं ज्यादा हों। जब उसकी संतान की सामाजिक और आर्थिक हैसियत उससे आगे बढ़कर हो। संसार में पिता ही एकमात्र प्राणी है जो उसकी संतान के उत्कर्ष का आनंद लेता है। भाई - भाई की प्रतिष्ठा से जल सकता है। बहनों में ईर्ष्या और प्रतिस्पर्धा का भाव हो सकता है। मित्र, पड़ोसी और शुभचिंतक भी अपने किसी खास का उत्कर्ष कई बार बर्दाश्त नहीं कर पाते लेकिन पिता वह है जो अपने पुत्र के आगे बढ़ते हर कदम पर गौरवान्वित और प्रसन्न होता है। वह अपनी संतान की उपलब्धियों से खुद को ऊंचाइयों पर महसूस करता है। कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता। कभी धरती तो कभी आसमान है पिता।। भारत जैसे देश में पिता के लिए कोई एक दिन नहीं होता सातों दिन भगवान के क्या मंगल क्या पीर... पिता तो भगवान है इसलिए उसके सभी दिन होते हैं। इसीलिए हम परमपिता को भी परमेश्वर कहते हैं। लेकिन जो पिता जन्म देता है, बचपन से लेकर जवानी तक हमें काबिल बनाता है। अपनी इच्छाओं को मारकर हमारी जरूरतों को पूरा करता है। दिन-रात अपने परिवार और संतानों के लिए परिश्रम करता है। उस लौकिक पिता का महत्व अलौकिक परमपिता से ज्यादा है। क्योंकि इससे संसार से परिचय हमें पिता ही कराता है। वह केवल हमें संसार में लेकर नहीं आता बल्कि संसार के महासागर में तैरना भी सिखाता है। फादर्स डे या पिता दिवस पश्चिम की एक परंपरा हो सकती है लेकिन भारत में पिता का अर्थ बहुत गंभीर और महत्वपूर्ण है। भारत में पिता श्रद्धा और समर्पण का पर्याय है। यदि संतान पिता के प्रति श्रद्धा रखी है तो पिता भी संतानों के प्रति समर्पण का भाव रखता है। अपने पुरुषार्थ का अधिकांश हिस्सा अपनी संतानों को समर्पित करता है। एक परिवार को विकसित और पल्लवित करता है और फिर राष्ट्र के निर्माण में बहुमूल्य योगदान देता है। यदि जननी राष्ट्र के निर्माण की पहली सीढ़ी है तो पिता राष्ट्र के निर्माण की नींव है। यदि जननी सहनशीलता की पराकाष्ठा है तो पिता धैर्य का महासागर है। पश्चिम का दर्शन कहता है कि माता प्रथम शिक्षक हैं लेकिन हमारे वांग्मयम में पिता को अंतिम गुरु कहा गया है। सब धरती कागज करूँ लिखनी (लेखनी ) सब बनराय। सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाय॥ जैसे गुरु का गुण लिखने के लिए महासागर की स्याही भी कम पड़ती है वैसे ही पिता की महत्ता लिखने के लिए पूरी धरती को कागज बनाकर लिखना भी कम पड़ सकता है। एक संतान की सबसे बड़ी सफलता वही है कि उसके पिता उससे संतुष्ट रहें, सुखी रहें, उसे देखकर सदैव खुश रहें। यदि पिता अपनी संतान को देखकर खुश है, गौरवान्वित है, अभिभूत है तो फिर मानकर चलिए कि संतान ने अपने जीवन की समस्त उपलब्धियों को पा लिया है। दुनिया के अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग परंपरा होती है। हम भारत के लोग सभी अच्छी परंपराओं का अनुसरण करते हैं। पिता के लिए तो सभी 365 दिन है किंतु फिर भी पश्चिम में मनाए जाने वाले पिता दिवस या फादर्स डे के दिन हम अपने आप से यह सवाल तो कर ही सकते हैं कि क्या हमारे पिता हमें देखकर गौरवान्वित महसूस करते हैं। यदि इसका जवाब हां है तो आप एक सफल संतान हैं। बॉक्स 19 जून 1910 को पहली बार मनाया गया फादर्स डे फादर्स डे सर्वप्रथम 19 जून 1910 को वाशिंगटन में मनाया गया। साल 2019 में फादर्स-डे के 109 साल पूरे हो गए। इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है- सोनेरा डोड की। सोनेरा डोड जब नन्ही सी थी, तभी उनकी मां का देहांत हो गया। पिता विलियम स्मार्ट ने सोनेरो के जीवन में मां की कमी नहीं महसूस होने दी और उसे मां का भी प्यार दिया। एक दिन यूं ही सोनेरा के दिल में ख्याल आया कि आखिर एक दिन पिता के नाम क्यों नहीं हो सकता? इस तरह 19 जून 1910 को पहली बार फादर्स डे मनाया गया। 1924 में अमेरिकी राष्ट्रपति कैल्विन कोली ने फादर्स डे पर अपनी सहमति दी। फिर 1966 में राष्ट्रपति लिंडन जानसन ने जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाने की आधिकारिक घोषणा की। 1972 में अमेरिका में फादर्स डे पर स्थायी अवकाश घोषित हुआ। फ़िलहाल पूरे विश्व में जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है। भारत में भी धीरे-धीरे इसका प्रचार-प्रसार बढ़ता जा रहा है। इसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बढती भूमंडलीकरण की अवधारणा के परिप्रेक्ष्य में भी देखा जा सकता है और पिता के प्रति प्रेम के इज़हार के परिप्रेक्ष्य में भी। (लेखक पूर्व पुलिस अधिकारी और समाजसेवी हैं।)
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चित्रा त्रिपाठी के शो में अजय आलोक का पलटवार अमेरिका के शिकागो में एक कार्यक्रम के दौरान AIMIM प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक बयान दिया है। उन्होंने कहा, दिल्ली में हमारी नई संसद है। संसद के अंदर एक अखंड भारत का चित्र दिख रहा है। इसमें पाकिस्तान और अफगानिस्तान का नक्शा भी शामिल है।ओवैसी ने कहा, मैंने बीजेपी नेताओं से पूछा कि चलिये इन देशों को फतह करते हैं जैसा कि आपने पहले ही संसद के अंदर अपने मानचित्र में उनका उल्लेख किया है। इसी मसले पर हिंदी न्यूज चैनल 'आजतक' के डिबेट शो 'दंगल' में बीजेपी प्रवक्ता अजय आलोक ने ओवैसी के इस बयान पर पलटवार किया। शो की एंकर चित्रा त्रिपाठी ने उनसे पूछा कि ओवैसी कह रहे हैं कि भारत सरकार की दिक्क्त बढ़ने वाली है। उनके इस सवाल के जवाब में अजय आलोक ने कहा, जिसको भारत के इतिहास का, शौर्य गाथाओं का, गौरव का कोई ज्ञान नहीं है, वह व्यक्ति ही विदेश में जाकर के ऐसी घटिया टिप्पणी कर सकता है।उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि ओवैसी साहब राहुल गांधी से कुछ ज्यादा ही इंस्पायर हो गए हैं इसीलिए वह विदेशों में जाकर ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं। बीजेपी प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कि जिस अखंड भारत को लेकर के वह बयानबाजी कर रहे हैं, उन्हें शायद यह पता नहीं है कि मौर्य काल में और अशोका के काल में यह अखंड भारत वास्तविकता में था। उन्होंने आगे कहा कि ओवैसी साहब को शायद इस इतिहास की जानकारी नहीं है क्योंकि तब तक भारत में मुगलों का आक्रमण नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि वह अपने आप को इस महान देश का हिस्सा नहीं मानते हैं इसीलिए विदेशों में जाकर के उनके मुंह से ऐसी ओछी टिप्पणियां निकल रही है।
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‘द मीडियालैब’ ने प्रीमियम ज्वेलरी ब्रैंड ‘जोस अलुक्कास’ (Jos Alukkas) के लिए 100 करोड़ रुपये का एकीकृत मीडिया जनादेश (integrated media mandate) जीता है। इस मीडिया जनादेश में ऑनलाइन, ऑफलाइन, डेटा साइंस और न्यूरोसाइंस शामिल हैं और यह 15 जून 2023 से प्रभावी होगा। मीडिया बिजनेस 100 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। जोस अलुक्कास के लिए यह साल काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनके पास विस्तार की काफी बड़ी योजनाएं हैं। यह ब्रैंड 5500 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 100 नए स्टोर लॉन्च करने जा रहा है और यह देश में सोने की रिटेल बिक्री में सबसे बड़ी विस्तार योजना होगी। बता दें कि ‘चंद्रप्रभा मीडिया इंडिया प्राइवेट लिमिटेड‘ (CHANDRAPRABHAMEDIA INDIA PRIVATE LIMITED) की इकाई ‘द मीडियालैब’ मीडिया प्लानिंग एंड बाइंग स्पेस में नई है और इसने एक स्वतंत्र मीडिया एजेंसी के रूप में अपनी शुरुआत के छह महीने पूरे कर लिए हैं। इसकी स्थापना दीपक शर्मा द्वारा की गई थी, जो देश के जाने-माने मीडिया प्लानिंग एंड बाइंग प्रोफेशनल हैं और उन्हें मीडिया प्लानिंग व बाइंग में करीब 25 साल का अनुभव है। वहीं, जोस अलुक्कास ज्वैलरी इंडस्ट्री का एक जाना-माना ब्रैंड है, जिसे लगभग 60 साल पहले देश की स्वर्ण राजधानी के नाम से मशहूर त्रिशूर (केरल) में स्थापित किया गया था। ‘द मीडियालैब’ के मैनेजिंग डायरेक्टर दीपक शर्मा ने तत्काल प्रभाव से जोस अलुक्कास मीडिया बिजनेस को संभालने की खबर की पुष्टि की है। उनके फाउंडिंग ब्रैंड पार्टनर्स में ‘तोशिबा अप्लायंसेज’ (Toshiba Appliances), ‘मिसेज बेक्टर्स फूड’ (Mrs Bectors Food), ‘शार्प अप्लायंसेज’ (SHARP appliances), ‘क्रेज बिस्किट’ (एजको ग्लोबल वेंचर्स) शामिल हैं। एजेंसी मॉन्टेसरी ऐप बिजनेस- Montekids में कालीकट से एक और ब्रैंड लॉन्च कर रही है।
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उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले स्थित पुरोला में 15 जून को लव जिहाद के खिलाफ महापंचायत होने जा रही है। पुरोला में विरोध की आग तब भड़की थी जब एक मुस्लिम युवक और उसका साथी एक नाबालिग हिंदू लड़की को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले जा रहा था, तभी स्थानीय लोगों ने उसे पकड़ लिया। इसी मसले पर हिंदी न्यूज चैनल 'जी न्यूज' के डिबेट शो 'ताल ठोक के' में शो के एंकर दीपक चौरसिया ने AIMIM प्रवक्ता, सैयद आसिम वकार से पूछा कि क्या लव जिहाद होता है? दीपक चौरसिया के सवाल के जवाब में सैयद आसिम वकार ने कहा कि लव जिहाद नाम की कोई भी चीज नहीं होती है। उसके बाद शो के एंकर दीपक चौरसिया उनसे पूछते हैं कि अगर लव जिहाद नाम की कोई चीज नहीं है तो यह लोग कौन हैं जो अपना नाम बदलकर अपनी पहचान बदल कर रहते हैं और बाद में पकड़े जाते हैं। दीपक चौरसिया ने आगे कहा कि ऐसे सैकड़ों केस हमारे सामने आ रहे हैं जहां अपनी पहचान छुपाकर के हिंदू लड़की से दोस्ती की गई और बाद में उसका धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश की गई, यही मेरा आपसे सवाल है। इस सवाल के जवाब में आसिम वकार ने कहा कि देखिए इस्लाम में शराब हराम है और इसके बाद भी अगर मुसलमान शराब पीता है तो इसका मतलब यह तो नहीं है कि इस्लाम में कोई बुराई है। उन्होंने आगे कहा कि इसी प्रकार से इस्लाम में जुआ, बेईमानी, झूठ, सब हराम है लेकिन फिर भी अगर कुछ लोग इसे करते हैं तो इसमें इस्लाम कहां से बुरा हो गया? सैयद आसिम वकार ने आगे कहा कि इस्लाम की बात जिसने मानी और समझी उसने अपने जीवन में अच्छा काम किया और जो इस्लाम की बात को नहीं समझता वह अपने जीवन में बुरा काम कर रहा है।उनके इन तर्कों के जवाब में शो के एंकर दीपक चौरसिया ने कहा तो आखिरकार आप यह मान रहे हैं कि लव जिहाद जैसी कोई चीज अस्तित्व में है, क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो आप इन सब चीजों का उदाहरण देकर के बिल्कुल भी ना कहते कि इस्लाम में इस चीज की मना है लेकिन उसके बाद भी यह हो रहा है।
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ऑस्ट्रेलिया ने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल मुकाबले में भारत को 209 रनों से हरा दिया है। इस तरह टीम इंडिया को लगातार दूसरी बार वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में हार का सामना करना पड़ा। भारत के सामने जीत के लिए 444 रनों का लक्ष्य था, लेकिन पूरी टीम महज 234 रनों पर सिमट गई।इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार और प्राइम टाइम एंकर सुधीर चौधरी ने अपने शो में बात की। उन्होंने WTC फाइनल में भारत की हार और IPL का कनेक्शन बताया। उन्होंने कहा, 5 दिनों तक चले इस टेस्ट मैच में दोनों टीमों ने कुल मिलाकर 339 ओवर डाले।ऑस्ट्रेलिया ने उनकी दोनों पारियों में 206 ओवर खेले जबकि भारत की टीम ने अपनी दोनों पारियों में सिर्फ 133 ओवर खेले। यानी कि भारत की टीम ने ऑस्ट्रेलिया की टीम से 73 ओवर कम खेले।अगर आप इन आकंड़ो को ध्यान से समझें तो इतने ओवर में तो T20 के दो मैच पूरे हो जाते हैं यानी कि ऑस्ट्रेलिया की टीम तो इस मैच को टेस्ट समझ करके ही खेल रही थी लेकिन भारत की टीम इस मैच को T20 समझकर खेल रही थी।ऑस्ट्रेलिया की टीम ने अपनी पहली पारी में 121 ओवर बैटिंग की और अपनी दूसरी पारी में लगभग 84 ओवर और खेले। वहीं भारत की टीम दोनों पारियों में न सिर्फ ऑल आउट हुई बल्कि दोनों पारियों में खेले गए ओवरों की संख्या भी काफी कम थी।सुधीर चौधरी ने अपने शो में यह भी बताया कि इस पूरे टेस्ट मैच में 339 ओवर डाले गए लेकिन भारत के टॉप 4 बल्लेबाज 301 गेंद खेल पाए। इससे एक चीज साबित होती है कि टेस्ट मैच खेलने के लिए जो धैर्य और जो अनुशासन चाहिए उसकी कमी भारतीय टीम में पूरे तरीके से दिखाई दी है।उन्होंने यह भी बताया कि अब भारतीय टीम के सभी फॉर्मेट के खिलाड़ियों का चयन आईपीएल में होने वाले प्रदर्शन के आधार पर होने लगा है। सुधीर चौधरी ने बताया कि इस प्रकार की चयन प्रक्रिया होने के कारण जो टेस्ट मैच खेलने वाले खिलाड़ी हैं उन्हें मौका नहीं मिलता और वह खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट ही खेलते रह जाते हैं।
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सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डोर्सी ने बड़ा आरोप लगाया है। जैक डोर्सी का कहना है कि कृषि कानूनों के खिलाफ भारत में हुए विरोध प्रदर्शन के समय सरकार ने आलोचना करने वाले कई ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक करने के निर्देश दिए थे। डोर्सी ने दावा किया कि भारत सरकार की तरफ से उन पर दबाव बनाया गया और ट्विटर को भारत में बंद करने की भी धमकी दी गई। उनके इस आरोप के बाद वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है।उन्होंने लिखा, एक समय के ट्विटर सीईओ के रूप में, डोर्सी ने एक अपारदर्शी आंतरिक इकाई की स्थापना की, जो चुनिंदा रूप से रूढ़िवादी वैचारिक विरोधियों को हटाती और दबाती थी। पीएम मोदी की एनडीए सरकार के द्वारा अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटने पर उनका 'खुलासा' एजेंडा से प्रेरित और पाखंडी है।आपको बता दें कि नवंबर 2020 में भारत सरकार ने देश में तीन कृषि कानून लागू किए थे। हालांकि कानून लागू होने के साथ ही उनका विरोध भी शुरू हो गया था और एक साल तक देशभर में जगह जगह विरोध प्रदर्शन, धरने हुए।
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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोमवार मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पार्टी के प्रचार अभियान की शुरुआत जबलपुर से की। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के यहां पहुंचने के बाद मध्य प्रदेश की जीवन रेखा मानी जाने वाली नर्मदा नदी की पूजा अर्चना की। प्रियंका की यात्रा के लिए शहर में कई जगह बजरंगबली के कट आउट लगाए गए थे। प्रियंका गांधी के कार्यक्रम के बाद अब ये कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस इस बार एमपी चुनाव में हिन्दुओं को लुभाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ने वाली है वहीं अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भी जोर शोर से चल रहा है जिसे बीजेपी भी पूरी तरह से आम चुनाव में भुनाने की कोशिश करेंगी। इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक उपाध्याय ने ट्वीट कर राजीव गांधी को याद किया। उन्होंने लिखा, यही तो मुद्दा है, नदी। क्या ये सुपर हिंदुत्व कांग्रेस को राजीव गांधी के दौर की कांग्रेस बना सकता है? ध्यान रहे कि राजीव गांधी के दौर में ही राम मंदिर का शिलान्यास हुआ और दरवाज़े खुले। राजीव गांधी ने ही अयोध्या से चुनावी अभियान की शुरुआत करते हुए राम राज्य का उद्घोष किया। कांग्रेस क्या हिंदुत्व की जड़ों की तरह लौट रही है? आपको बता दें कि हिमाचल और कर्नाटक की विजय ने कांग्रेस के भीतर एक नया उत्साह भरने का काम किया है और कांग्रेस का दावा है की वो एमपी में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रहे हैं।
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युवराज के दम पर जीते थे दोनों वर्ल्ड कप भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर अपने दमदार बयानों के लिए जाने जाते हैं। अब उन्होंने एक और धमाकेदार खुलासा किया है। हिंदी न्यूज चैनल 'न्यूज 18 इंडिया' पर एंकर 'अमिश देवगन' से एक्सक्लूसिव बातचीत करते हुए क्रिकेटर गौतम गंभीर ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने युवराज सिंह की तारीफों के पुल बांधते हुए कहा कि युवराज सिंह इतने प्रतिभाशाली बल्लेबाज है कि उनकी जितनी तारीफ की जाए कम है। उन्होंने आगे कहा, युवराज को अपने प्रदर्शन के लिए उतनी सराहना नहीं मिली जितनी मिलनी चाहिए थी। युवराज सिंह को याद करते हुए उन्होंने कहा, जब हम 2007 वर्ल्ड कप की बात करते हैं तो युवराज सिंह का नाम नहीं लेते। जब 2011 वर्ल्ड कप की बात करते हैं तो भी युवराज का नाम नहीं लेते। क्यों नहीं लेते? युवराज सिंह हिंदुस्तान की क्रिकेट के सबसे अंडररेटेड खिलाड़ी हैं। शायद दोनों वर्ल्ड कप किसी ने भारत को जिताए हैं तो वह युवराज सिंह हैं। उन्होंने आगे कहा कि अगर हम 2011 क्रिकेट वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचे तो उसमें युवराज सिंह का अहम योगदान था। अगर वह नहीं होते तो हम कभी भी विजयी नहीं होते। गौतम गंभीर ने कहा कि वो 'टेस्ट क्रिकेट' में उतना नहीं खेल पाए क्योंकि उस समय मिडिल आर्डर में उनके लिए जगह नहीं बन पाई वरना वह इतने रिकॉर्ड तोड़ देते जिसका शायद उन्हें खुद अंदाजा नहीं हैं।
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हर्षवर्धन त्रिपाठी ने दिल्ली सीएम केजरीवाल पर कसा तंज पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार ने आम आदमी को बड़ा झटका दिया है। दरअसल, पंजाब में पेट्रोल और डीजल महंगा हो गया है। पंजाब सरकार ने पेट्रोल और डीजल के दामों पर वैट बढ़ा दिया है। यह इस साल में दूसरा मौका है जब ईंधन कीमतें बढ़ी हैं। फरवरी में आप सरकार ने पेट्रोल और डीजल दोनों पर 90 पैसे प्रति लीटर का उपकर लगाया था। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने ट्वीट कर आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर तंज कसा है। उन्होंने एक ट्वीट करते हुए लिखा, अरविंद केजरीवाल रामलीला मैदान में कह रहे हैं कि, प्रधानमंत्री से देश नहीं संभल रहा। महंगाई बढ़ रही है। पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ गए हैं। प्रधानमंत्री को चौथी पास राजा कह रहे अरविंद को शायद पता नहीं है कि, पंजाब में आज ही पेट्रोल-डीजल महँगा हो गया। अरविंद की आवाज फटी हुई है। अपने एक और ट्वीट में उन्होंने लिखा, आम आदमी का भला करने के लिए सस्ती बिजली, पानी देने का दावा करने वाली पंजाब की आम आदमी सरकार ने VAT बढ़ा दिया। अब पंजाब के आम आदमियों को भी महंगा पेट्रोल-डीजल खरीदना पड़ेगा। बता दे, वैट में बढ़ोतरी के साथ पंजाब में पेट्रोल और डीजल की दरें पड़ोसी राज्यों की तुलना में अधिक हो गई हैं।
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पत्रकार ने ट्वीट कर कही ये बात सीनियर न्यूज एंकर अमन चोपड़ा ‘न्यूज18 इंडिया’ में ‘देश नहीं झुकने देंगे’ डिबेट शो को होस्ट करते हैं। हाल ही में उनकी डिबेट का एक हिस्सा सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें एक महिला पैनेलिस्ट एक पुरुष पैनेलिस्ट को अपशब्द कहते हुए नजर आ रहीं हैं। वीडियो को देखने पर पता चलता है कि पुरुष पैनेलिस्ट ने महिला के पति और बच्चे को लेकर एक आपत्तिजनक बात की, जिसके बाद महिला पैनेलिस्ट ने अपना आपा खो दिया। इस वीडियो के वायरल होने के बाद न्यूज एंकर 'अमन चोपड़ा' को काफी ट्रोल किया गया। हालांकि 'अमन चोपड़ा' ने ट्वीट कर अपना पक्ष रखा। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, अगर हमारा मकसद टीआरपी बटोरना होता तो हमने हाथापाई के उस हिस्से को 'ऑन एयर' क्यों नहीं किया? ना टीवी और ना ही डिजिटल पर, तथ्य ये है कि जिस वीडियो को देखकर कुछ लोग सनसनी मचा रहे है वो हिस्सा हमारे डस्टबिन में पड़ा है। हमने हाथापाई का वो हिस्सा हटाकर शो को ऑन एयर किया है। उन्होंने आगे लिखा कि जो वीडियो आप लोग देख रहे हैं वो शायद किसी दर्शक ने रिकॉर्ड किया और उसे बाद में सोशल मीडिया पर शेयर किया।
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श्रवण गर्ग ने यूं लगाई क्लास दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के रामलीला मैदान पर महारैली को संबोधित किया। केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ बुलाई गई रैली में प्रधानमंत्री मोदी पर जमकर हमला बोला। केजरीवाल ने कहा, सरकार ने मनीष सिसोदिया को जेल में डाल दिया, सत्येंद्र जैन को जेल में डाल दिया। हमारे पास एक मनीष सिसोदिया नहीं है, हमारे पास 100 मनीष सिसोदिया हैं। उनके इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग ने उन्हें जमकर फटकार लगाई है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, इनके बिगड़े बोल जरा सुनिए! आजादी की लड़ाई के दौरान कांग्रेस ने अंग्रेजों से कभी नहीं कहा कि आप एक गांधी या नेहरू को जेल में डाल दीजिए हमारे पास सौ गांधी और नेहरू हैं। बस कुल मिलाकर यही फर्क है पढ़े लिखों और पढ़े-लिखे मूर्खों के बीच! आपको बता दें कि केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ पार्टी की रैली में राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल भी शामिल हुए। केजरीवाल ने रैली में आने के लिए कपिल सिब्बल को शुक्रिया कहा। केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी वाले मुझे रोज गालियां देते हैं और मेरा अपमान करते हैं लेकिन मुझे अपने अपमान की परवाह नहीं है।
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‘अडानी’ (Adani) समूह द्वारा टेकओवर किए जाने के बाद ‘एनडीटीवी’ (NDTV) में एंप्लॉयीज की सैलरी में बढ़ोतरी की घोषणा की गई है। बताया जाता है कि नेटवर्क के सभी वर्टिकल्स में औसतन 11.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। खास बात यह है कि यह बढ़ोतरी न सिर्फ इंडस्ट्री के औसत से काफी अधिक है बल्कि एनडीटीवी में पिछले 23 सालों में सबसे ज्यादा भी है।इस बारे में ‘एनडीटीवी’ के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर सेंथिल चेंगलवारायण का कहना है, ‘जैसा कि एनडीटीवी समूह विकास के अगले चरण में प्रवेश कर रहा है, यह हमारी प्रतिभाशाली टीम है जो इसका नेतृत्व करेगी। एनडीटीवी की सफलता के पीछे उनका बहुत बड़ा हाथ है और हम उनकी कड़ी मेहनत से बहुत खुश हैं और उन्हें आगे बढ़ाने को प्रतिबद्ध हैं। हमारी आक्रामक विस्तार योजना, जिसमें क्षेत्रीय भाषा प्लेटफार्म्स की शुरूआत और डिजिटल को आगे बढ़ाना शामिल है, विकास के नए अवसरों के साथ-साथ नई जिम्मेदारियों को पेश करेगी।’ बता दें कि एनडीटीवी के फाउंडर्स और प्रमोटर्स प्रणय रॉय व राधिका रॉय ने पिछले साल 29 नवंबर को ‘आरआरपीआर होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड’ में निदेशक मंडल से इस्तीफा दे दिया था और इसे अडानी समूह द्वारा अधिग्रहीत कर लिया गया था।
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महाराष्ट्र के कोल्हापुर में औरंगजेब और टीपू सुल्तान की तारीफ वाली वीडियो का स्टेटस लगाने पर बवाल खड़ा हो गया है। 5 जून को सोशल मीडिया पर औरंगजेब को लेकर एक पोस्ट वायरल हुआ और इसके विरोध में मंगलवार को हिंदू संगठन से जुड़े लोग बड़ी संख्या में थाने का घेराव करने पहुंचे थे।पुलिस के मुताबिक, भीड़ हिंसक हो उठी जिसके बाद पुलिस को एक्शन लेना पड़ा और फिर पहले लाठीचार्ज हुआ बाद में आंसू गैस के गोले तक छोड़े गए। कोल्हापुर से तीन सौ किलोमीटर दूर महाराष्ट्र के अहमदनगर में कुछ युवक हाथ में औरंगजेब की तस्वीर लेकर जुलूस निकाल रहे थे।इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है। उन्होंने अपने ट्वीट के माध्यम से कहा कि अब आगे देखने का समय ना कि पीछे झांकने का। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, कर्नाटक में बजरंगबली नहीं चले। मुझे डर है कि महाराष्ट्र में औरंगजेब नहीं होगा। हमारे राजनेता (और हां, मीडिया का एक बड़ा वर्ग भी) कब जानेंगे कि राजनीतिक लाभ के लिए पिछले धार्मिक विरोधों को भड़काने की तुलना में अधिक लोग नौकरियों और एलपीजी की कीमतों के बारे में चिंतित हैं। भारत को पीछे के शीशे से न देखें आगे की सोचें।वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने अहमदनगर और कोल्हापुर में हुई घटनाओं की पृष्ठभूमि में दावा किया कि महाराष्ट्र में कुछ छोटे मुद्दों को धार्मिक रंग दिया जा रहा है।
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पिछले दिनों ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ (Hindustan Times) की डिजिटल टीम में चीफ कंटेंट ऑफिसर (CCO) के पद से इस्तीफा देने के बाद प्रसाद सान्याल ने अपनी नई पारी शुरू की है। मिली खबर के मुताबिक प्रसाद सान्याल ने अब ‘टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड’ (TIL) में बिजनेस हेड के तौर पर जॉइन किया है।बता दें कि ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ से पहले प्रसाद सान्याल ‘जी मीडिया’ में ग्रुप एडिटर (डिजिटल) के तौर पर अपनी भूमिका निभा रहे थे। प्रसाद सान्याल ने वर्ष 2000-01 में ‘आईआईएमसी’ (IIMC) से पत्रकारिता का डिप्लोमा करने के दौरान ही प्रतिष्ठित न्यूज एजेंसी एएनआई (ANI) में कदम रखा और करीब पांच साल तक यहां रहे। 2005 में जब यहां से अलग हुए तब वह प्रड्यूसर कम रिपोर्टर के तौर पर कार्यरत थे। यहां से निकलने के बाद वह सीएनएन-आईबीएन से जुड़ गए और 2007 तक प्रड्यूसर के पद पर यहां अपनी सेवाएं दीं।इसके बाद उनका अगला पड़ाव एनडीटीवी रहा, जहां वह सीनियर आउटपुट एडिटर के तौर पर जुलाई 2009 तक रहे। फिर वह न्यूजएक्स आ गए और यहां न्यूज एडिटर के पद काम किया। एक साल काम करने के बाद वह वर्ष 2010 में दोबारा एनडीटीवी पहुंचे और इस बार उन्हें सीनियर न्यूज एडिटर की जिम्मेदारी दी गई, जिसे उन्होंने 2010 से 2014 तक बखूबी निभाया।अप्रैल 2014 में उन्हें एनडीटीवी में प्रमोट कर एडिटर (न्यूज) बना दिया गया और यहां उन्होंने अगस्त 2015 तक सफलतापूर्वक काम किया। इसके बाद वह टाइम्स इंटरनेट और फिर जी मीडिया का हिस्सा बने। वह जुलाई 2017 में जी मीडिया के साथ जुड़े थे, जबकि इसके पहले वह टाइम्स इंटरनेट के अंग्रेजी न्यूज पोर्टल timesofindia.com के एडिटर के तौर पर पर कार्यरत थे। वह अगस्त 2015 से जुलाई 2017 तक यहां रहे।जी मीडिया में सान्याल इस समूह के डिजिटल पोर्टल Zeenews.com, ZeeBiz.com, Original Video, Wionews.com, India.com, BollywoodLife.com, BGR.in, TheHealthSite.com, CricketCountry.com, DNA.com का नेतृत्व कर रहे थे।इसके बाद वर्ष 2019 में उन्होंने हिन्दुस्तान टाइम्स, डिजिटल के साथ अपनी पारी शुरू की थी, जहां से पिछले दिनों ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया था और अब ‘TIL’ के साथ नई पारी शुरू की है। प्रसाद सान्याल आईआईएमसी एल्युमनी एसोसिएशन के प्रेजिडेंट भी रह चुके हैं।
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देश के बड़े मीडिया नेटवर्क्स में शुमार ‘एचटी मीडिया’ (HT Media) की पिछले दिनों तिमाही टॉउन हॉल मीटिंग हुई। विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार, ‘एचटी मीडिया’ के एमडी और सीईओ प्रवीण सोमेश्वर ने इस टॉउन हॉल मीटिंग में एंप्लॉयीज के लिए औसत 60-65 प्रतिशत तक वैरिएबल पेआउट (variable payout) देने की घोषणा की है।मामले से जुड़े सूत्रों ने हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) से पुष्टि की है कि प्रवीण सोमेश्वर ने तत्काल प्रभाव से इसे देने की घोषणा की है। इसके तहत विभिन्न रेटिंग्स के आधार पर यह दिया जाएगा। मापदंडों के अनुसार अपेक्षाओं से कम प्रदर्शन के लिए रेटिंग 1, अपेक्षाओं को पूरा करने वालों के लिए रेटिंग 2, अपेक्षाओं से बढ़कर प्रदर्शन करने वालों के लिए रेटिंग 3, बहुत अच्छे प्रदर्शन के लिए रेटिंग चार 4 और शानदार प्रदर्शन के लिए रेटिंग पांच दी जाएगी। सूत्रों का यह भी कहना है कि पिछली तिमाही में सोच-विचार के बाद यह निर्णय लिया गया था, हालांकि इसकी घोषणा अब की गई है। निवेशकों के साथ चौथी तिमाही की अर्निंग कॉल के दौरान एचटी मीडिया के ग्रुप चीफ फाइनेंस ऑफिसर (CFO) पीयूष गुप्ता ने बताया कि न्यूजप्रिंट की कीमतें लगभग 60,000 रुपये प्रति मीट्रिक टन हैं। उनका कहना था कि यदि अगले साल की ओर देखें तो हम पहले से ही इनमें नरमी देख रहे हैं, इसलिए हमें पूरी उम्मीद है कि ये कीमतें यहां से लगभग 10% से 15% नीचे आ जाएंगी।सूत्रों के अनुसार, पीयूष गुप्ता का यह भी कहना था, ‘अब, जैसा कि हम अगले वित्तीय वर्ष की शुरुआत कर रहे हैं, हमने पहले ही मई का महीना लगभग पूरा कर लिया है। बेहतरी की दिशा में हमने कदम उठाए हैं। हमें इसके परिणाम मिलने की उम्मीद है और हम कोविड पूर्व अपनी स्थिति पर वापस जाएंगे।’
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‘एनडीटीवी’ (NDTV) और इसके डिजिटल वेंचर ‘गैजेट360’ (Gadgets360.com) ने घोषणा की है कि टेक्निकल गुरुजी के नाम से मशहूर गौरव चौधरी उनके टेक्नोलॉजी वर्टिकल का नया चेहरा होंगे। इसके तहत शुरुआत में एनडीटीवी और गौरव चौधरी दो वीकली टेक्नोलॉजी शो 'गैजेट्स 360 विद टेक्निकल गुरुजी' (Gadgets 360 with Technical Guruji) और 'टेक विद टीजी' (Tech with TG) पेश करने के लिए एक साथ आ रहे हैं। दोनों शो शनिवार (10 जून) को एनडीटीवी 24×7 और एनडीटीवी इंडिया दोनों पर लाइव होने वाले हैं। इसके साथ ही वह एनडीटीवी के डिजिटल प्लेटफॉर्म गैजेट्स360 डॉट कॉम पर विशेष रूप से उपलब्ध रहेंगे।इस बारे में ‘एनडीटीवी नेटवर्क’ के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर सेंथिल सिन्नैया चेंगलवारायण का कहना है, ‘एनडीटीवी इनोवेटिव और लीक से हटकर शोज में अग्रणी रहा है, जो हमेशा विकसित होती टेक्नोलॉजी की दुनिया के बारे में विस्तृत जानकारी देता है। एनडीटीवी परिवार में टेक्निकल गुरुजी के नाम से मशहूर गौरव चौधरी का शामिल होना हमारे लिए काफी खुशी की बात है। हमें पूरा विश्वास है कि उनकी विशेषज्ञता, ज्यादा से ज्यादा दर्शकों के साथ जुड़ने की क्षमता और इतने बड़े विषय की अनूठी प्रस्तुति शैली हमारी पेशकश को बढ़ाएगी और इस महत्वपूर्ण शैली में एक लीडर के रूप में हमारी स्थिति को मजबूत करेगी।’Gadgets360.com (Red Pixels Ventures Limited) के सीईओ वैभव सहगल का कहना है, ‘दुनिया के सबसे लोकप्रिय टेक्नोलॉजी इंफ्लूएंसर का दुनिया के सबसे अधिक बार देखे जाने वाले और विश्वसनीय टेक्नोलॉजी न्यूज पोर्टल और टीवी टेक्नोलॉजी प्रोग्रामिंग में अग्रणी के साथ साझेदारी तकनीक की दुनिया को हमेशा के लिए बदलने जा रही है। एनडीटीवी और गैजेट्स 360 फैमिली में गौरव का शामिल होना हमारे लिए काफी रोमांचक है। उनकी विशाल सोशल मीडिया मौजूदगी, जटिल टेक्निकल अवधारणाओं को सरल बनाने में विशेषज्ञता और उनके व्यक्तित्व ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई है। उनकी उपस्थिति उच्च-गुणवत्ता और अत्याधुनिक तकनीकी कंटेंट प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता को गति प्रदान करेगी ताकि हम अपने दर्शकों और पाठकों को सर्वश्रेष्ठ देने में सबसे आगे रहें और यह सुनिश्चित करें कि प्रौद्योगिकी और गैजेट के प्रति उत्साही लोगों के लिए हम गो-टू हब बने रहें।’ वहीं, गौरव चौधरी का कहना है, ‘एनडीटीवी परिवार का हिस्सा बनकर मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं। टेक्नोलॉजी के लिए मेरे जुनून को एक और विश्वसनीय मंच मिल गया है, जिसके साथ मैं देश की गहरी जड़ों तक पहुंच सकता हूं, ताकि इसे जनता के लिए और अधिक सरल बनाया जा सके। मुझे विश्वास है कि एनडीटीवी और गैजेट्स 360 में मेरी मौजूदगी टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बदलाव के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगी और इसे नए क्षितिज तक ले जाएगी। मैं अपने सभी व्युअर्स और सबस्क्राइबर्स का शुक्रगुजार हूं। उनके मुझ पर विश्वास के कारण ही मैं इन नई ऊंचाइयों तक पहुंचा हूं। मैं इस नए सफर के लिए उत्साहित हूं।
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मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार व दैनिक भास्कर के नेशनल पॉलिटिकल एडिटर अवनीश जैन का गुरुवार रात इंदौर में निधन हो गया। वह 54 वर्ष के थे और लंबे समय से लीवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित थे। पिछले 10 दिनों से दिल्ली के यकृत एवं पित्त संस्थान में भर्ती थे। बुधवार को उन्हें दिल्ली से एयर एंबुलेंस से इंदौर बॉम्बे हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया था, जहां गुरुवार रात करीब 9.30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। बता दें कि उनके परिवार में पत्नी श्रीमती संगीता जैन और पुत्र सिद्धांत हैं। निधन की खबर मिलने के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित कई भाजपा व कांग्रेस नेताओं ने श्रद्धांजलि दी है। जैन के निधन पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर शोक जताते हुए लिखा कि वरिष्ठ पत्रकार अवनीश जैन जी के निधन का दु:खद समाचार सुन हृदय व्यथित है। उनका अवसान पत्रकारिता जगत की अपूरणीय क्षति है। ईश्वर से दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान और परिजनों को यह गहन दु:ख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना करता हूं।
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मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए कुछ ही महीने बचे हैं। आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जिक्र करते हुए बड़ा दावा किया है। कांग्रेस ने कहा कि आरएसएस के सर्वे से बीजेपी में हाहाकार मचा हुआ है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आ रही हैं। भाजपा को 50 से भी कम सीटें मिलेंगी।इस मामले पर हिंदी न्यूज चैनल 'न्यूज24' पर एक डिबेट शो में एंकर मानक गुप्ता के एक सवाल का जवाब देते हुए वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री ने कहा कि उन्हें ये सब कांग्रेस का दिमागी खेल दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि हमेशा बीजेपी इस प्रकार की चीजों में आगे रहती थी लेकिन अब कांग्रेस पहली बार बीजेपी से आगे बढ़ती हुई दिखाई दे रही है।आरएसएस को लेकर उन्होंने कहा कि वो हमेशा से यह कहते रहे हैं कि आरएसएस किसी भी प्रकार का कोई सर्वे नहीं करता है। वह सिर्फ अपने स्वयंसेवकों के माध्यम से नेताओं का और पार्टी के काम का फीडबैक लेते हैं इसलिए उन्हें इस प्रकार के सर्वे की कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें 3 दशक से भी अधिक के करियर में ऐसे कई मौके आए हैं और इस प्रकार के सर्वे की कोई गंभीरता नहीं होती है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर आरएसएस ने बीजेपी के नेताओं का कोई फीडबैक लिया भी है तो वो कांग्रेस के पास कैसे पहुंचा ये बड़ा सवाल है?
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सीबीआई की एक दस सदस्यीय टीम ने मंगलवार को ओडिशा के बाहानगा में उस स्थल का मुआयना किया जहां तीन ट्रेन आपस में एक दूसरे से टकरा गईं थीं। सीबीआई ने एक केस दर्ज किया है। अभी मृतकों की संख्या 288 तक पहुंच गयी है, तीन घायलों की मंगलवार को मौत हो गई। विरोधी दल अब रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, लेकिन अश्विनी वैष्णव तीन दिन से लगातार दुर्घटना स्थल पर जमे हैं और चौबीसों घंटे काम में लगे हैं। दुर्घटना स्थल पर ट्रेनों का आवागमन फिर से शुरू हो गया है। पटरियों को ठीक कर लिया गया है। हादसे के 51 घंटे बाद रेलगाडियां फिर से चलने लगी हैं। अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर इतना बड़ा हादसा हुआ कैसे? किसकी गलती से हादसा हुआ। जानकारों का कहना है कि ये टेक्निकल फॉल्ट नहीं हो सकता, इस हादसे के पीछे साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि हमारे रेलवे में सिग्नल सिस्टम पूरी तरह बदल चुका है। पूरी दुनिया में ट्रेनें इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल और इंटरलॉकिंग सिस्टम से चलती हैं। यही सिस्टम हमारे देश में भी है। पहले सिंग्नल सिस्टम मैन्युल था, अब सब कुछ टैक्निकल है। एक बार सिग्नल लॉक हो जाए तो अपने आप ट्रैक चेंज हो ही नहीं सकता, इसलिए अब इस सवाल का जवाब मिलना जरूरी है कि आखिर दो ट्रेन एक साथ लूप लाइन पर कैसे पहुंच गईं। स्टेशन मास्टर का कहना है कि सिग्नल ठीक से काम कर रहे थे, रूट क्लीयर था। उन्हें खुद समझ नहीं आया कि कोरोमंडल एक्सप्रेस लूप लाइन पर कैसे चली गई। वहीं, हादसे की शिकार हुई ट्रेन के ड्राइवर ने बताया था कि उसे तो लूप लाइन में जाने का ग्रीन सिग्नल मिला था, इसीलिए ये सवाल उठ रहा है कि कहीं किसी ने साजिश के तहत सिंग्नल सिस्टम में गड़बड़ी तो नहीं की? अब इसी बात की जांच हो रही है। विरोधी दल भी सवाल उठा रहे हैं। उनका विरोध जायज है, इतना बड़ा रेल हादसा हुआ है, इसलिए इसकी जिम्मेदारी तो तय होनी चाहिए। लेकिन रेल मंत्री का इस्तीफा मांगने से तो हादसे बंद नहीं होंगे। अश्विनी वैष्णव अगर राजनीतिक नेता होते तो शायद वह भी पुराने रेल मंत्रियों की तरह इस्तीफा दे देते, लेकिन वह IAS अफसर रहे हैं, वह समस्याओं से भागने वालों में नहीं हैं। पहली बार मैंने देखा कि हादसे के बाद कोई रेल मंत्री बिना देर किए दुर्घटना स्थल पर पहुंचा हो, बचाव के काम से लेकर पटरियों को ठीक करवाने, मृत लोगों की शिनाख्त कराने, शवों को उनके परिवारों तक पहुंचाने के सारे इंतजाम खुद देख रहा हो। इतना बड़ा हादसा होने के बाद 51 घंटों में ट्रैक पर फिर से ऑपरेशन शुरू हो गया, ये भी पहली बार हुआ है। आम तौर पर इस तरह के हादसों के बाद सरकार मुआवजे का ऐलान कर देती है और फिर हादसे के शिकार लोगों के परिजन सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते रहते हैं। पुराने रेल हादसों के शिकार सभी परिवारों को आज तक मुआवजा नहीं मिला है, लेकिन मैंने पहली बार देखा कि बालेश्वर में रेलवे स्टेशन पर रेलवे के बड़े बड़े अफसर बैठे हैं, जिन शवों की पहचान हुई है, उनमें से जिनके परिवार वाले वहां पहुंच रहे हैं, उनका आइडेंटिटी प्रूफ देखकर उसी वक्त उन्हें पचास हजार रुपए नगद और साढ़े नौ लाख रुपए का चैक दिया जा रहा है। ये बड़ी बात है, इससे उन लोगों को फौरी मदद मिलेगी, जिन्होंने इस हादसे में अपनों को खोया है लेकिन बड़ा सवाल ये है कि जब तक ये पता नहीं लगेगा कि इतना बड़ा हादसा कैसे हुआ, किसकी गलती से हुआ, ये इंसानी गलती था या किसी साजिश का नतीजा, तब तक इस तरह के हादसों को नहीं रोका जा सकता। इसलिए मुझे लगता है कि इस दिल दहलाने वाले हादसे पर सियासत करने की बजाए फोकस हादसे की वजह का पता लगाने पर होना चाहिए।
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देश के बड़े मीडिया नेटवर्क्स में शुमार ‘एबीपी नेटवर्क’ (ABP Network) की चीफ पीपुल ऑफिसर (CPO) कविता दासन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस संस्थान में बतौर CPO बुधवार उनका आखिरी दिन था। वह इस नेटवर्क से करीब चार साल से जुड़ी हुई थीं।कविता दासन ने इस खबर की पुष्टि करते हुए बताया वह जल्द ही नए असाइनमेंट पर काम करेंगी। यह नया असाइनमेंट क्या होगा, इस बारे में कविता दासन का कहना था कि वह जल्द ही इस बारे में जानकारी देंगी। दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट कविता दासन मूल रूप से केरल की रहने वाली हैं। कविता दासन को इंडस्ट्री में काम करने का करीब 24 साल का अनुभव है। ‘एबीपी नेटवर्क’ से पहले वह ‘Dewan Housing Finance Corporation Ltd’ (DHFL) में वाइस प्रेजिडेंट (एचआर) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं। पूर्व में वह ‘जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ में वाइस प्रेजिडेंट (एचआर) रह चुकी हैं। इसके अलावा वह ‘DCM SHRIRAM LTD’ और करीब आठ साल तक ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ (The Times Of India) भी अपनी जिम्मेदारी निभा चुकी हैं।
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बिहार के खगड़िया में गंगा नदी पर बन रहे पुल का एक हिस्सा गिरकर नदी में समा गया है। रविवार को हुई यह घटना कैमरे में भी कैद हो गई और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ है। यह पुल करीब 1717 करोड़ की लागत से भागलपुर जिले के सुल्तानगंज और खगड़िया जिले के अगुवानी के बीच बन रहा था। इसी मसले पर हिंदी न्यूज चैनल 'आजतक' के एक डिबेट शो में तेज तर्रार एंकर चित्रा त्रिपाठी ने 'जेडीयू' के प्रवक्ता इमतियाज अंसारी से कड़े सवाल किए। उन्होंने कहा कि बीजेपी और आरजेडी को एक बार के लिए हम इस बहस में नहीं लेकर के आते हैं, क्योंकि आपके नेता नीतीश कुमार अपनी सहूलियत के हिसाब से बारी बारी इन लोगों के साथ सरकार बना लेते हैं।वो उनकी अपनी मजबूरी हो सकती है, लेकिन क्या आप नीतीश कुमार के सीएम रहते कोई एक ऐसा काम गिना सकते हैं, जो देश के सामने एक उदाहरण बना सके कि आपने ये काम कर दिया है? चित्रा त्रिपाठी ने आगे कहा कि आप एक पुल को बनाने में 9 साल लगा देते हैं, जनता की कमाई का 1700 करोड़ रुपया खर्च कर देते हैं और उसके बाद भी वो 3 बार टूट जाता है! उन्होंने कहा कि नौ साल से ये पुल बनता आ रहा था और लोग अपना अपना कमीशन खा रहे थे।उन्होंने आगे सवाल किया कि इस पूरे मामले की जिम्मेदारी क्या सीएम नीतीश कुमार की नहीं बनती है? लोग क्या उनसे सवाल नहीं पूछेंगे? नए संसद भवन पर सवाल उठाने वाले 9 साल में बिहार के जनता को एक पुल क्यों नहीं दे पाए?
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महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कहा है कि जो लोग हमारे मेडल को 15-15 रुपए का बता रहे थे, वे अब हमारी नौकरी के पीछे पड़ गए हैं। हमारी जिंदगी दांव पर लगी है, उसके आगे तो नौकरी बहुत ज्यादा छोटी चीज है। साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया ने ट्वीट कर साफ कर दिया है कि उन्होंने धरना-प्रदर्शन खत्म नहीं किया है। ये सभी दावे तब से होने शुरू हुए, जब पहलवानों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार और एंकर सुमित अवस्थी ने भी ट्वीट कर अपनी राय व्यक्त की है। उन्होंने लिखा, यही तो कई लोग चाह रहे हैं कि पहलवान बोलें। खुलकर बोलें ताकि उन पर फिर कई और मुकदमे (जैसे मानहानि आदि) लाद दिये जायें। ये मुकदमे ही इन प्रदर्शनकारी पहलवानों के खेल करियर के लिये बहुत बड़ी बाधा हैं।प्रदर्शनकारी पहलवान (सफाई में) बोलें या न बोलें, ये फैसला पीड़ितों पर ही ‘फिलहाल’ छोड़ देना चाहिये। बच्चियों ने वैसे भी बहुत झेल लिया और ना जाने और कितना इन्हें झेलना पड़ेगा। ‘आरोपी’ बहुत ही ताकतवर है।भारत के इन शानदार खिलाड़ियों का ‘हौसला’ और ‘हिम्मत’ बनी रहना चाहिये। बीते एक हफ्ते से पूरे सिस्टम से लड़ रहे हैं पहलवान। ब्रजभूषण शरण सिंह से चल रही जंग तो जैसे पीछे छूटती जा रही है।
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‘द हिंदू’ (The Hindu) समूह ने निर्मला लक्ष्मण को ‘द हिंदू ग्रुप पब्लिशिंग प्राइवेट लिमिटेड’ (THGPPL) के निदेशक मंडल (बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स) का चेयरपर्सन नियुक्त किया है। इस पद पर उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए की गई है। निर्मला लक्ष्मण, मालिनी पार्थसारथी का स्थान लेंगी, जिन्होंने पांच जून को बोर्ड की बैठक में अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा होने पर चेयरपर्सन का पद छोड़ दिया है। निर्मला लक्ष्मण ने पीएचडी की है। उनके पास ‘द हिंदू’ के विभिन्न पब्लिकेशंस में एडिटर, राइटर और स्ट्रैटेजिस्ट के तौर पर काम करने का चार दशक से ज्यादा का अनुभव है।‘द हिंदू’ में जॉइंट एडिटर के रूप में अपने लंबे कार्यकाल में उन्होंने कई फीचर सेक्शंस की पुन: लॉन्चिंग और 'द हिंदू लिटरेरी रिव्यू', 'यंग वर्ल्ड' और 'द हिंदू इन स्कूल' आदि का निर्माण व नेतृत्व किया।वह ‘द हिंदू’ के साहित्यिक उत्सव ‘Lit for Life’ की संस्थापक और क्यूरेटर हैं। इसके अलावा वह तमिल अखबार ‘The Hindu Tamil Thisai’ के पब्लिशर ‘कस्तूरी मीडिया लिमिटेड’ (KML) की चेयरपर्सन भी रह चुकी हैं।
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पत्रकार गौरव सावंत ने दी ये बड़ी नसीहत पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में अफगानिस्तान का एक शख्स उन्हें जमकर खरी खोटी सुना रहा है। यह घटना फ्रांस की राजधानी पेरिस की है, जहां उस अफगानिस्तानी नागरिक ने बाजवा को बड़ा बेइज्जत किया है।वह कह रहा है कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को बर्बाद कर दिया। मानवाधिकारों का उल्लंघन और उनके देश में जेहाद फैलाने के पीछे भी वही है। जनरल बाजवा कहते हैं कि वह अब सेना प्रमुख नहीं हैं लेकिन वह शख्स नहीं रुकता।वह बार-बार कहता है कि पाकिस्तान ने तालिबान के साथ मिलकर उसके देश को बर्बाद कर दिया। इस वीडियो के वायरल होने के बाद पत्रकार और एंकर गौरव सावंत ने ट्वीट कर पाकिस्तान को नसीहत दी है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, पाकिस्तानी सेना को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। पाक सेना के जनरलों को इतना नापसंद क्यों किया जाता है? भारत में। अफगानिस्तान में। अमेरिका में और अब पाकिस्तान में भी। सात दशक से आतंक का कैंसर फैलाने वाला पाकिस्तान और उसकी सेना, आईएसआई अब उनकी करनी ही भुगत रहे हैं। यह वीडियो उसी घृणा का प्रतीक है।आपको बता दें कि भारत अमेरिका जहां अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक मूल्यों को स्थापित करने की बात करते रहे हैं, वहीं पाकिस्तान इस्लामिक कानून का हवाला देते हुए तालिबान के साथ खड़ा रहा।
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भरपाई के लिए देगी 40 करोड़- रिपोर्ट आयकर विभाग ने ब्रिटिश मीडिया कंपनी 'बीबीसी' (BBC) पर फरवरी में शिकंजा कसते हुए उसके दिल्ली-मुंबई के दफ्तर का सर्वे किया था, जिसके बाद उस पर टैक्स चोरी का आरोप लगा था। हालांकि मीडिया कंपनी टैक्स चोरी के आरोपों से लगातार इनकार करती रही, लेकिन अब मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात सामने आयी है कि बीबीसी ने पूर्व में कथित तौर पर कम टैक्स भरने की बात को स्वीकार कर लिया है।दरअसल आयकर विभाग ने इसी साल फरवरी में बीबीसी पर टैक्स सर्वे किया था, जिसमें 2016 से टैक्स कम दिए जाने की बात सामने आयी थी पकड़ी गई थी। बीबीसी ने अब स्वीकार कर लिया है कि उसने 2016 से कम टैक्स दिया है।मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बीसीसी ने न केवल कम टैक्स देने की बात को स्वीकार किया है बल्कि उसने लगभग 6 वर्षों की अवधि के दौरान यानी 2016 से 2022 तक अपनी कर चोरी के लिए 40 करोड़ रुपए खर्च करने पर सहमति व्यक्त की है।
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जानी-मानी पत्रकार मालिनी पार्थसारथी ने ‘द हिंदू ग्रुप पब्लिशिंग प्रा. लि.’ (THGPPL) के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया है। इस बारे में मालिनी पार्थसारथी ने एक ट्वीट भी किया है। अपने ट्वीट में पार्थसारथी ने लिखा है, ‘हिंदू ग्रुप में चेयरपर्सन के रूप में मेरा कार्यकाल समाप्त हो गया है। इसके साथ ही मैंने इसके बोर्ड से भी इस्तीफा दे दिया है, क्योंकि मुझे लगता है कि मेरे संपादकीय विचारों को समूह में उचित स्थान नहीं मिल रहा था। चेयरपर्सन और डायरेक्टर (एडिटोरियल स्ट्रैटेजी) के रूप में मेरा पूरा प्रयास यह सुनिश्चित करना था कि हिंदू समूह स्वतंत्र और निष्पक्ष रिपोर्टिंग की अपनी विरासत को पुनर्जीवित करे।'पार्थसारथी ने यह भी लिखा है 'इसके अलावा मेरा प्रयास इसे वैचारिक पूर्वाग्रह से मुक्त करने का था। इसलिए मैंने यहां से इस्तीफा देने का फैसला लिया है। मैं अपने सभी शुभचिंतकों और दोस्तों को धन्यवाद देती हूं, जिन्होंने इस चुनौतीपूर्ण सफर में मेरा सपोर्ट किया है।’
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पत्रकार ने दिया करारा जवाब ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन हादसे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इस हादसे में अब तक 250 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि 900 से अधिक लोग घायल हैं। इस हादसे के बाद वरिष्ठ पत्रकार रुबिका लियाकत ने एक ट्वीट किया था जिसे बाद में उन्होंने एडिट किया और 'कवच' शब्द हटा दिया।उनके इस ट्वीट पर एक सोशल मीडिया ट्रोल ने उन्हें टैग करते हुए ट्वीट किया और लिखा, आपने जो कवच टेक्नोलॉजी पर सवाल किया था उसको एडिट करके ‘कवच’ शब्द क्यों हटाया? इतनी डरी-डरी पत्रकारिता क्यों रुबिका जी? कवच किसने भेदा यह सवाल सबको करना चाहिए, क्योंकि 250 लोग आज हमारे बीच नहीं रहे। इस ट्वीट के बाद रुबिका लियाकत ने उसे करारा जवाब दिया और लिखा, क्योंकि मुझे आपकी तरह एजेंडा चलाने की बीमारी नही। कवच उस रूट पर है ही नहीं तो क्यों झूठ फैलाना? लाशों के ऊपर मंडराते गिद्ध और आपमें ज्यादा फर्क नहीं। दरअसल वरिष्ठ पत्रकार रुबिका लियाकत ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि, ये इस सदी का सबसे बड़ा रेल हादसा है। तस्वीरें लाखों सवाल पूछ रही हैं। टेक्नोलॉजी कैसे फेल हो गई? 288 लोगों की मौत, 900 से ज्यादा घायल, 3 ट्रेनें एक ही हादसे का शिकार हो जाएं ये कैसे संभव है? इस घड़ी में मरने वालों के परिवार के साथ पूरा देश है।
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पढ़िए इस सप्ताह का 'हिसाब किताब' वरिष्ठ पत्रकार मिलिंद खांडेकर 'टीवी टुडे नेटवर्क' के 'तक चैनल्स' के मैनेजिंग एडिटर हैं और हर रविवार सोशल मीडिया पर उनका साप्ताहिक न्यूजलेटर 'हिसाब किताब' प्रकाशित होता है। इस सप्ताह मिलिंद खांडेकर ने भारत की अर्थव्यवस्था मापने वाले GDP के आंकड़ो को लेकर बात की है।उन्होंने लिखा, भारत की अर्थव्यवस्था मापने वाले GDP के आंकड़े इस हफ्ते खुशखबरी लेकर आएं। भारत की अर्थव्यवस्था 2022-23 में 7.2% की रफ्तार से बढ़ी। ये चमत्कार कैसे हुआ? रिजर्व बैंक का अनुमान था कि पिछले वित्त वर्ष की आखिरी छमाही में ग्रोथ घट सकती है। रिजर्व बैंक महंगाई कम करने के लिए लगातार ब्याज दर बढ़ा रहा था। बाकी दुनिया में भी मंदी के बादल मंडराने लगे थे। ये अनुमान सही लग रहा था क्योंकि अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही में ग्रोथ 4.1% रही थी। आखिरी तिमाही में सबका अनुमान था कि 5.1% ग्रोथ रहेगी इसके विपरीत ग्रोथ 6.1% रही। इसका मतलब हुआ कि पूरे साल की ग्रोथ 7.2% हो गई। कंस्ट्रक्शन, खेतीबाड़ी, होटल जैसे सेक्टर में तेजी रही।अच्छी खबर यहीं खत्म हो जाती है। हम पहले भी बता चुके हैं कि GDP तीन खर्च को मिल कर बनता है। सरकार, कंपनियां और हम आप जैसे लोगों का खर्च यानी प्राइवेट खर्च। सरकार और कंपनियों ने निवेश तो बढ़ाया है, जनता फिर भी जेब ढीली नहीं कर रही है। जनता के खर्च बढ़ने की रफ्तार कम हुई है। यही सबसे बड़ी चिंता का कारण है। सरकार सड़कों और रेलवे पर मोटा पैसा लगा रही है उसका फायदा दिख रहा है।कंपनियों ने भी खर्च बढ़ाया है और जानकारों का कहना है कि महंगाई की वजह से जनता खर्च करने से बच रही है। हम इस बात पर खुश हो सकते हैं कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। आकार में भी दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है। सवाल उठता है कि फिर जनता खर्च क्यों नहीं कर रही हैं? जनता के हाथ में पैसे क्यों नहीं पहुंच रहे हैं? इसका जवाब है हमारी प्रति व्यक्ति आय। अमेरिका की प्रति व्यक्ति आय हमसे 40 गुना ज़्यादा है, ब्रिटेन की 16 गुना और चीन की 5 गुना। इंडियन एक्सप्रेस में छपा है कि बाकी देश की ग्रोथ जीरो कर दें तब भी हमें अमेरिका के लेवल पर पहुंचने के लिए 25 साल लगेंगे। हमें हर साल 15% से ग्रोथ करना पड़ेगी यानी 7.1% ग्रोथ अच्छी है लेकिन अच्छे दिन लाने के लिए काफी नहीं है।
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हैकर्स ने डिलीट किया पूरा कंटेंट सीनियर जर्नलिस्ट बरखा दत्त द्वारा संचालित यू-ट्यूब चैनल 'मोजो स्टोरी' को हैक किए जाने की खबर सामने आयी है। बता दें कि हैक करने के बाद हैकर्स ने उनके यू-ट्यूब चैनल से पूरा कंटेंट डिलीट कर दिया है।एक ट्वीट में बरखा दत्त ने यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि मोजो स्टोरी का ईमेल और यूट्यूब चैनल हैक कर लिया गया था और वह और उनकी टीम प्लेटफॉर्म तक पहुंचने में असमर्थ थी। उन्होंने ट्वीट कर बताया कि हैकर्स द्वारा चैनल के सभी कंटेंट को डिलीट कर दिया गया है - चार साल का खून, मेहनत, पसीना, आंसू, 11 हजार वीडियो, 3 साल का कार्य, सब चला गया। मेरा दिल टूट गया है।उन्होंने आगे कहा कि घंटों की मशक्कत के बाद यू-ट्यूब की टीम की ओर से आश्वासन दिया गया है कि इस पर कार्रवाई की जा रही है।
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‘टाइम्स समूह’ (Times Group) के एमडी विनीत जैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की काफी तारीफ की है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार विनीत जैन का कहना है कि इस सरकार ने भारतीय एंटरप्रिन्योर्स के लिए ऐसे तमाम अवसरों के द्वार खोले हैं, जैसा पहले कभी नहीं हुआ।मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हाल ही में हुई एक मीडिया कॉन्क्लेव में विनीत जैन का कहना था कि यही भारत के असली विकास की वास्तविक कहानी है और पीएम मोदी की मजबूत और बोल्ड सरकार के नेतृत्व में देश आगे बढ़ रहा है। इसके अलावा इस कॉन्क्लेव में उन्होंने यह भी बताया कि वैश्विक स्तर पर तमाम चुनौतियों के बीच देश किस तरह ‘सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था’ के रूप में उभर रहा है।
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देश के प्रमुख न्यूज नेटवर्क्स में शुमार ‘एबीपी नेटवर्क’ (ABP Network) से एक बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है। विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार इस नेटवर्क के हिंदी न्यूज चैनल ‘एबीपी न्यूज’ (ABP News) से जानी-मानी एंकर रुबिका लियाकत ने इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों की मानें तो रुबिका अब एंटरप्रिन्योरशिप की दुनिया में कदम बढ़ाना चाहती हैं, इसलिए उन्होंने यहां से अलविदा कह दिया है। वहीं, अंदरखाने में यह भी चर्चा है कि लंबे समय से सैलरी न बढ़ने व अन्य तमाम कारणों से रुबिका ने यह फैसला लिया है।इस खबर की पुष्टि के लिए समाचार4मीडिया की टीम ने एबीपी नेटवर्क के सीईओ अविनाश पांडेय, 'एबीपी न्यूज' के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट (न्यूज और प्रॉडक्शन) संत प्रसाद राय और रुबिका लियाकत को मेल व मैसेज कर उनका पक्ष जानना चाहा, लेकिन खबर लिखे जाने तक वहां से किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है। खबर यह भी है कि रुबिका लियाकत पिछले साल लॉन्च हुए नए हिंदी न्यूज चैनल से अपनी नई पारी शुरू कर सकती हैं। हालांकि, यह चैनल फिलहाल बेहतर प्रदर्शन नहीं कर रहा है। रुबिका लियाकत ने इस्तीफा क्यों दिया और उनका अगला कदम क्या होगा, फिलहाल इस बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।बता दें कि रुबिका लियाकत की गिनती टीवी पत्रकारिता की दुनिया में तेज-तर्रार महिला एंकर के रूप में होती है। वह वर्ष 2018 से 'एबीपी न्यूज' के साथ जुड़ी हुई थीं। रूबिका की हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी पर मजबूत पकड़ है और अपने इस हुनर का वो शब्दों के चयन में पूरा इस्तेमाल करती हैं। मूलरूप से उदयपुर की रहने वालीं रुबिका मुंबई यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हैं, उनके पास मास कम्युनिकेशन की डिग्री भी है। ग्रेजुएशन के बाद वह 'लाइव इंडिया' का हिस्सा बन गईं। जून 2007 से लेकर सितंबर 2008 तक वह ‘लाइव इंडिया’ से जुड़ीं रहीं। 2008 में नए लॉन्च हुए चैनल ‘न्यूज24’ में बतौर एंकर उन्होंने काम किया था।उसके बाद उन्होंने ‘जी न्यूज’ के साथ रिपोर्टिंग और एंकरिंग की पारी शुरू की। खबरों की समझ, भाषा कौशल और लगभग हर क्षेत्र पर पकड़ के चलते जल्द ही उन्होंने ‘जी न्यूज’ में अपनी एक अलग पहचान स्थापित की। इसके बाद वह ‘एबीपी न्यूज’ में आ गईं और अब यहां से उनके इस्तीफे की खबर सामने आ रही है।
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का संगम ही ‘‘जीवन’’ है... प्रवीण कक्कड़ 5 जून 1992 की बात है जब ब्राजील के रियो डी जनेरियो में जैव विविधता पर पृथ्वी शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस सम्मेलन में दुनिया भर के सभी जागरूक और जिम्मेदार देश शामिल हुए लेकिन दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका इस सम्मेलन के समझौते का हिस्सा नहीं था। भारत ने इस सम्मेलन में पूरी जिम्मेदारी के साथ भाग लिया जिसके फैसलों को 29 दिसंबर 1993 को लागू किया गया। इसके 20 साल पहले वर्ष 1972 में स्टॉकहोम में मानव पर्यावरण सम्मेलन का आयोजन किया गया था। 16 सितंबर 1987 को मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में ओजोन परत को बचाने के लिए समझौता किया गया। बाद में वैज्ञानिक सहमति के आधार पर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए 1992 में क्योटो प्रोटोकॉल पर बड़ी संख्या में देशों ने हस्ताक्षर किए थे। भारत में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम भारत की संसद द्वारा 1986 में पारित किया गया था। इसे संविधान के अनुच्छेद 253 के तहत पारित किया गया था। यह 19 नवंबर 1986 को लागू हुआ था। ऐसे अनेक मील के पत्थर हैं। जिनका जिक्र यहां करना इसलिए जरूरी है, क्योंकि पर्यावरण को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार समझौते कागजों पर होते आए हैं लेकिन उसके बाद भी पर्यावरण की स्थिति बिगड़ती जा रही है। मनुष्य और पर्यावरण का संगम ही जीवन है। पर्यावरण संरक्षण को लेकर अंतराष्ट्रीय स्तर पर समझौते हो रहे हैं, वहीं सामाजिक स्तर पर कई संकल्प लिए जा रहे हैं लेकिन हम जब तक इन पर व्यवहारिक अमल नहीं करेंगे तब तक इन समझौतों और संकल्पों का अर्थ नहीं है। 1972 में जब पहली बार स्टॉकहोम में मानव पर्यावरण सम्मेलन में दुनिया के बढ़ते तापमान पर चिंता व्यक्त की गई थी तब से लेकर अब तक औसत तापमान में बेतहाशा वृद्धि हो चुकी है। ग्लोबल वॉर्मिंग हम सभी के लिए चिंता का विषय है। चिंता होना भी स्वभाविक भी है, क्योंकि जिस तरह से पिछले कुछ वर्षों में पेड़ों का क्षरण हुआ है, प्रकृति का शोषण हुआ है उससे आने वाले समय में यह ग्लोबल वॉर्मिंग के बढ़ते स्तर के रूप में एक बड़ी चुनौती बन जायेगा। हमने जिस तेजी से विकास के प्रति दौड़ लगाई उसमें हमने बहुत कुछ पीछे छोड़ दिया। इनमें प्रकृति और पर्यावरण सबसे बड़े मुद्दे थे और अब आज साफ दिखाई दे रहा है कि हमारी नदियां हों, जंगल हों वायु, मिट्टी हो यह सब कहीं न कहीं खतरे में आ गयें हैं। यह सब प्रमाणित कर रहे हैं कि आज हमारे चारों तरफ जो कुछ भी हो रहा है यह सब इन्हीं कारणों से हैं। अंटार्कटिका की बर्फ की परत छलनी हो गई है। समुद्र का जल स्तर इतना बढ़ गया है कि मालदीप जैसे देशों का अस्तित्व खत्म होने का खतरा मंडराने लगा है। तटवर्ती शहरों के कभी भी जलमग्न होने की आशंका है। शहर कभी भी जलमग्न हो सकते हैं। तापमान बढ़ने के कारण पृथ्वी का एक बड़ा हिस्सा जल प्रलय का शिकार हो सकता है। हम सुनामी का मंजर देख चुके हैं। आज बढ़ते तापमान के बीच जल प्रलय या अग्नि प्रलय की आशंका हमें अपनी उन पौराणिक घटनाओं की याद दिलाती है जब पृथ्वी पर पर्यावरण नष्ट होने से जीवन खत्म हो गया था। आज की परिस्थितियों को देखते हुए वह घटनाक्रम सत्य प्रतीत होता है। पर्यावरण और जलवायु को लेकर समझौते तो बहुत हो चुके हैं लेकिन समझौते लागू करने की दिशा में कोई पहल नहीं होती। इसके बहुत से कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है हमारी अपनी स्वार्थ लिप्सा। हम थोड़े से लाभ के चक्कर में दीर्घकालीन हानि को आमंत्रित करते हैं। लम्हों की खता करते हैं सदियों की सजा पाते हैं। इतना सब होने के बाद भी पर्यावरण को लेकर जागरूकता का बेहद अभाव है। आए दिन जंगलों को साफ करने वाले लकड़ी तस्कर पकड़े जा रहे हैं। जंगल माफिया जंगल को साफ कर रहा है। जमीन माफिया खेत निगल रहा है और बिल्डिंग माफिया उन जमीनों पर बिल्डिंग बना रहा है। यह खेल सारी दुनिया में चल रहा है ताकतवर लोगों ने पर्यावरण को अपनी मुट्ठी में कैद करके रखा है। और इस भ्रम में की मैं कुछ नहीं कर रहा हूं, मैं तो निर्दोष हूं, सारी दुनिया का पर्यावरण नष्ट किए जा रहे हैं। हम जितने ताकतवर हुए हैं। हमारा कार्बन फुटप्रिंट उतना ही बढ़ गया है। यानी हमारी ताकत पृथ्वी के लिए गंदगी और प्रदूषण से भरपूर है। हम जितने साधन संपन्न हुए हैं पर्यावरण को उतना ही नुकसान पहुंचाया है। हम जितने सुविधाभोगी हुए हैं उतना ही पृथ्वी को कष्ट में डाला है। ईश्वर ने यह पृथ्वी बनाई है सामंजस्य और सद्भाव के लिए, प्रेम के लिए। पृथ्वी किसी एक प्राणी की नहीं है बल्कि सबसे सूक्ष्म जीव से लेकर सबसे विशाल जीव तक सभी के लिए पृथ्वी एक समान है। यह सहनशील है और हमारी अनजानी भूलों को माफ करने की क्षमता रखती है लेकिन जब हम जानबूझकर भूल करते हैं तो फिर पृथ्वी भी दंड देती है। हमारी जानबूझकर की गई भूलों का दंड विधान अब चल रहा है। तूफान, सूखा, अतिवर्षा, बढ़ता तापमान यह सब पृथ्वी का दंड विधान है। यह दंड विधान और क्रूरतम न हो इसकी फिक्र हर मानव को करना है। दुनिया के ताकतवर देश एक टेबल पर बैठकर समझौता कर सकते हैं लेकिन इन समझौतों को लागू करना हम मानवों का कर्तव्य है। क्योंकि इस पृथ्वी पर मानव ही पर्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन है। इस पर्यावरण दिवस यही चिंतन करने की जरूरत है कि एक इंसान के रूप में हम अपने आसपास के पर्यावरण को कैसे बचा सकते हैं। अपना खुद का कार्बन फुटप्रिंट कितना कम कर सकते हैं। और कितने अधिक पेड़ पौधे लगाकर उन्हें सहेज सकते हैं। अन्यथा पृथ्वी के दंड विधान से बचना असंभव है। पर्यावरण दिवस पर यही चिंतन सर्वोपरि है।
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मणिपुर के ज्यादातर इलाकों में हालात अब सामान्य हो रहे हैं। इसे देखते हुए कर्फ्यू में भी ढील दी जा रही है। जानकारी के मुताबिक, इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व और बिष्णुपुर में कर्फ्यू में 12 घंटे की ढील दी जाएगी। यहां सुबह पांच बजे से शाम पांच बजे तक कर्फ्यू में ढील रहेगी। इस पूरे मामले पर 'समाचार4मीडिया' ने वरिष्ठ पत्रकार जयदीप कर्णिक से बातचीत की और उनकी राय जानी।उन्होंने कहा, मणिपुर में स्थिति सामान्य होने के संकेत सुखद हैं, पर अभी इसे पूरे मामले का पटाक्षेप मान लेना जल्दबाजी होगी। ये अच्छी बात है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अपील पर लोग अपने हथियार जमा कर रहे हैं। इससे गोलीबारी और अन्य घटनाओं पर कुछ अंकुश लग सकता है।इसके बाद भी इस मामले से निपटने में देरी भी हुई है और विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल की कमी भी नजर आई है। दो समुदायों के संघर्ष को उसकी पूरी संवेदनशीलता के साथ समझे बगैर बयान जारी होते रहे। कोई हिंसा करने वालों को उपद्रवी कह रहा था, कोई आतंकवादी और कोई चरमपंथी। इंफाल के आस पास बसे मैतेई समुदाय और जंगलों और पहाड़ियों में बसे कुकी और नागा आदिवासियों के बीच का संघर्ष नया नहीं है।इस लड़ाई को मैतेई को मिलने वाले आरक्षण और जमीन पर कब्जे की लड़ाई ने और हवा दे दी। इस संघर्ष में 90 से अधिक लोगों के मारे जाने और दो हजार से ज्यादा के घायल होने के बाद जो उपाय किए गए वो पहले ही हो जाते तो बेहतर रहता।अभी भी संघर्ष टला है, खत्म नहीं हुआ है। सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण इस खूबसूरत सीमावर्ती राज्य में स्थायी शांति की बहाली के लिए दूरगामी उपाय आवश्यक हैं। इस बीच मणिपुर पुलिस ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अपील के बाद मणिपुर में अलग-अलग जगहों पर 140 हथियार सौंपे गए हैं।जैसे की आशंका थी, गृह मंत्री अमित शाह के लौटने के एक दिन बाद ही फिर सुरक्षा बलों और उपद्रवियों में संघर्ष हुआ है। इसीलिए इस समस्या का स्थायी समाधान बहुत आवश्यक है।
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों अमेरिका के दौरे पर हैं। दौरे के बीच राहुल गांधी ने मुस्लिम लीग पर एक बयान दिया है, जिस पर बवाल मच गया है। राहुल गांधी ने इंडियन मुस्लिम लीग पार्टी को 'पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष' कहकर नया मुद्दा खड़ा कर दिया है।केरल में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के साथ कांग्रेस के गठबंधन के बारे में पूछे जाने पर राहुल गांधी ने कहा, मुस्लिम लीग पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष पार्टी है, मुस्लिम लीग के बारे में कुछ भी गैर-धर्मनिरपेक्ष नहीं है। राहुल गांधी के इस बयान के बाद वरिष्ठ पत्रकार शिवकांत ने ट्वीट कर अपनी राय व्यक्त की है।उन्होंने लिखा, राहुल गांधी ने वह कर दिखाया जो महात्मा गांधी नहीं कर पाए। मुस्लिम लीग को भी सेक्युलर बना दिया। भारत को जोड़ दिया और कद जिन्ना साहब से भी ऊंचा हो गया। पहले अवतार लिया होता तो बेहतर होता? देर आयद दुरुस्त आयद। सांप्रदायिक तो केवल भाजपा और संघ हैं। उन्हें निकाल पाकिस्तान में विलय करे।आपको बता दे कि 'ऑल इंडिया मुस्लिम लीग' की स्थापना 30 दिसंबर, 1906 को हुई थी। तब अविभाजित भारत के कई मुस्लिम नेता ढाका में इकट्ठे हुए और कांग्रेस से अलग मुस्लिमों के लिए 'ऑल इंडिया मुस्लिम लीग' बनाने का फैसला किया।
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वर्तमान समय में देश मुफ्त की राजनीति से गुजर रहा है। जहां निगाह घुमाए वहीं फ्री की राजनीति चरम पर नजर आ रही है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी से शुरू हुआ ये चलन अब कांग्रेस पार्टी की ढाल बन गया लगता है।आज कर्नाटक में सिद्धारमैया मंत्रिमंडल ने पांच गारंटी को लागू करने का फैसला किया है। गृह ज्योति योजना के तहत प्रत्येक घर को 200 यूनिट मुफ्त बिजली मिलेगी।प्रत्येक परिवार की महिला मुखिया को दो हजार रुपए की मासिक सहायता, गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के हर सदस्य को प्रत्येक महीने 10 किलो मुफ्त चावल, सार्वजनिक बसों में महिलाओं को मुफ्त यात्रा की सुविधा शक्ति योजना और 18 से 25 साल की उम्र वाले प्रत्येक स्नातक बेरोजगार को हर महीने तीन हजार रुपए देने का वादा किया गया है।इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है। उन्होंने लिखा, 2024 में जो जितने अधिक लोकलुभावन वादे करेगा, उसका पलड़ा उतना ही भारी रहेगा। अगला लोकसभा चुनाव लोगों को छप्पर फाड मालामाल कर देगा। अगले दस महीने, हर कोने से एक ही आवाज आएगी- मुफ्त, मुफ्त, मुफ्त।
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तो बोले हर्षवर्धन- पूरा सच आए सामने बीजेपी सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह ने पहलवानों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। बृजभूषण ने एक बार फिर कहा कि मेरे खिलाफ एक भी आरोप साबित हुआ, तो मैं फांसी पर चढ़ने को तैयार हूं।बृजभूषण ने कहा,आरोप लगाए जाने के बाद से मैं पूछ रहा हूं कि ये सब कहां और कब हुआ? मुझ पर आरोप लगे 4 महीने हो चुके हैं और मैं अपने बयान पर आज भी कायम हूं।उनके इस बयान के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन ने ट्वीट कर अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, पहलवानों और बृजभूषण के मामले सबसे खराब बात होगी कि, मामला अंत तक न पहुंचे। आवश्यक है कि, इस मामले का पूरा सच सामने आए और, दोषी को सजा मिले। अपना-अपना सच तो दोनों पक्ष पूरी शक्ति से बता ही रहे हैं। साथ ही खेल संघों की मूलभूत गड़बड़ दूर करने पर भी कुछ हो। वरना, एक और बनकर रह जाएगा।आपको बता दें कि पहलवानों के गंगा में मेडल बहाने को उन्होंने इमोशनल ड्रामा बताया। बृजभूषण ने कहा, गंगा में मेडल बहाने से कुछ हासिल नहीं होगा।
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अभिव्यक्ति के दुरुपयोग से घातक होंगे परिणाम राहुल गांधी ने बुधवार सुबह कैलिफोर्निया के सांता क्लारा में एक कार्यक्रम में भारतीयों को संबोधित किया। सैन फ्रांसिस्को में राहुल गांधी ने अपने संबोधन के दौरान भारत के मुसलमानों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा, 'जो हाल 80 के दशक में दलितों का था, वही हाल अब मुसलमानों का हो गया है।उनके इस बयान पर समाचार4मीडिया से बात करते हुए आलोक मेहता ने कहा कि सचमुच विदेशों में राहुल गांधी के भाषण भारत के सम्बन्ध में एक नेता के बजाय एक्टिविस्ट की तरह हैं जो भारत की सामाजिक, राजनीतिक स्थितियों को भयावह रूप में पेश कर रहे हैं।अब 80 के दशक में कांग्रेस राज के दौरान दलितों की स्थिति बदतर होने की तुलना वर्तमान में मुस्लिम की हालत से कर रहे हैं। उनके सलाहकार शायद यह ध्यान नहीं दिला रहें कि भारत के मुस्लिम समुदाय के गरीब लोग अन्य करोड़ों भारतीयों के साथ समान अनाज,आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा, खेती या रोजगार के प्रशिक्षण की सुविधाएं पा रहे हैं, क्योंकि भाजपा या कांग्रेस अथवा अन्य गैर भाजपा शासित राज्यों में किसी भी योजना में धर्म के आधार पर भेदभाव संभव नहीं है।यही नहीं, उनके सांसद रहते कांग्रेस सरकार के बजट में अल्पसंख्यक मंत्रालय में रही धनराशि का 600 से 800 करोड़ रुपए तक की धनराशि साल में खर्च ही नहीं हो पाती थी, रिकॉर्ड चेक कर लें। अब भी कांग्रेस के नेता और उनके कार्यकर्त्ता क्या उत्तर प्रदेश-बिहार जैसे राज्यों में मुस्लिमों के बीच सक्रिय रहकर उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में क्या कोई सहायता कर रहे हैं?दुनिया के मुस्लिम देश तो मोदी सरकार का समर्थन कर बड़े पैमाने पर पूंजी लगा रहे हैं। पाकिस्तान के कई नेता और अन्य लोग भारत की हालत बेहतर बता रहे हैं। बहरहाल,अभिव्यक्ति के दुरुपयोग से विदेशी समर्थन और लाभ लेने के दूरगामी परिणाम घातक भी हो सकते हैं। कुछ विदेशी ताकतें तो हमेशा भारत में राजनीतिक अस्थिरता और अराजकता पैदा करने के लिए अवसर और मोहरे तलाशती रहती है।
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विनोद अग्निहोत्री बोले- ये सरकार की साख का सवाल हरिद्वार में गंगा में मेडल विसर्जन करने पहुंचे पहलवानों को भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत और खाप चौधरियों ने रोक लिया और उनसे पांच दिन का समय मांगा है।टिकैत ने रेसलर्स से कहा कि अगर उन्हें मेडल नहीं रखने हैं तो वह उन्हें गंगा में प्रवाहित करने की जगह सीधे राष्ट्रपति को सौंप दें और भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने सरकार को पांच दिन का अल्टीमेटम दिया है।इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है। उन्होंने लिखा, संतोष है खेल पुत्रियों ने अपने अंतरराष्ट्रीय विजेता पदक गंगा में विसर्जित करने का फैसला किसान नेता खाप चौधरी नरेश टिकैत के आग्रह पर टाल दिया है। सरकार के पास पांच दिन हैं। सरकार इनकी कानून सम्मत मांगों का संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करे। ये सरकार की साख बेटियों के सम्मान का सवाल है।आपको बता दें कि टिकैत ने ऐलान किया है कि एक जून को मुजफ्फरनगर के सोरम गांव में ऐतिहासिक चौपाल पर पंचायत होगी, जिसमें हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और यूपी के खाप चौधरी हिस्सा लेंगे। इसमें चर्चा की जाएगी कि बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी के लिए सरकार पर पांच दिनों में कैसे दवाब बनाया जाए।
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सुशांत झा ने किया अरुण जेटली को याद भारतीय कुश्ती संघ के निवर्तमान अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर महिला खिलाड़ियों के कथित यौन शोषण के आरोप लगे हुए हैं। उनके विरोध में पहलवान जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन दिल्ली पुलिस के द्वारा हिरासत में लेकर उन्हें जंतर मंतर के धरना स्थल से हटा दिया गया।सरकार की इस कार्यवाही के बाद पहलवानों ने अब आर-पार की लड़ाई लड़ने का फैसला कर लिया है। आपको बता दें कि पहलवानों ने यह कहा है कि वह अपने सारे जीते हुए पदक गंगा नदी में फेंक देंगे और इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठेंगे। इस बात की जानकारी ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक ने ट्वीट करके दी है।देश के पहलवानों ने 23 अप्रैल को बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर अपना आंदोलन शुरू किया था। इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार सुशांत झा ने भी ट्वीट कर अपनी राय व्यक्त की है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि भाजपा सरकार विरोध प्रदर्शनों से निपटने में सक्षम नहीं है। उन्होंने लिखा कि जिस तरह से पहलवानों के साथ व्यवहार किया गया और मीडिया के सामने जो खराब दृश्य सामने आए वह नहीं आने चाहिए थे। किसानों के विरोध प्रदर्शन के समय भी ऐसा ही दृश्य लोगों के सामने आया था। ऐसा लगता है कि अरुण जेटली जैसे नेताओं के निधन के बाद कम्युनिकेशन की भारी कमी सरकार को परेशान कर रही है।
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इन दिनो विपक्षी दलों के नेताओं का समर्थन जुटा रहे हैं। दरअसल केंद्र सरकार के अध्यादेश को कानून बनने से रोकने के लिए इस समय दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को विपक्षी नेताओं के समर्थन की बेहद आवश्यकता है।इसी को लेकर उन्होंने लेफ्ट के नेता सीताराम येचुरी से भी मुलाकात की। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के दफ्तर में हुई इस मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने मीडिया के सामने बातचीत की और अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस को लेकर एक बयान दिया।अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सभी पार्टियों को एक साथ आना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा यदि कल राजस्थान के खिलाफ सरकार कोई ऐसा अध्यादेश लाती है तो वह निश्चित तौर से कांग्रेस सरकार का साथ देंगे। उनके इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने ट्वीट कर बड़ी बात कही।उन्होंने अरविंद केजरीवाल से पूछा कि आपकी यह सोच तो बिल्कुल सही है कि विपक्ष को एकजुट होकर सत्ता पक्ष से लोहा लेना चाहिए लेकिन गुजरात, पंजाब, हिमाचल और गोवा के चुनाव में आपकी यह सोच कहां चली गई थी। क्या आप यह कह रहे हैं कि अब राजस्थान के चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारेंगे? क्या मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा के चुनाव में आम आदमी पार्टी अपने उम्मीदवार खड़े नहीं करेगी?उन्होंने आगे लिखा कि कांग्रेस को यह भरोसा दे दीजिए और विपक्षी एकजुटता की बात कीजिए! क्या कर सकेंगे? पूरे विपक्ष में यही तो सबसे बड़ी चुनौती है हर किसी को अपने अपने किले की पड़ी है, देश के बारे में कौन सोच रहा है। आगे उन्होंने यह भी लिखा कि अब तो आम आदमी पार्टी नेशनल पार्टी बन गई है।
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अमन चोपड़ा ने उठाया ये बड़ा सवाल महिला खिलाड़ियों के उत्पीड़न को लेकर बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आंदोलन कर रहे पहलवानों ने अपने मेडल्स को गंगा में बहाने का ऐलान किया था। बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक अपने मेडल्स को गंगा में प्रवाहित करने हरिद्वार पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने अपने मैडल विसर्जन के कार्यक्रम को स्थगित कर दिया है।दरअसल भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता नरेश टिकैत पहलवानों से मिलने पहुंचे। उन्होंने पहलवानों से बात की, काफी देर तक उन्होंने पहलवानों को समझाया। इस बातचीत के दौरान पहलवान भावुक भी हुए। टिकैत ने अपने मन की बात कही। उन्होंने पहलवानों को यह भरोसा दिलाया कि वह उनको इंसाफ दिलाने के लिए, उन्हें न्याय दिलाने के लिए बात करेंगे। उन्होंने पहलवानों से 5 दिन का समय भी मांगा है।नरेश टिकैत की बात मानने के बाद पहलवान करीब पौने 2 घंटे के बाद वापस दिल्ली लौट गए। इसी बीच वरिष्ठ पत्रकार और सीनियर एंकर अमन चोपड़ा ने अपने ट्विटर अकाउंट से एक वीडियो जारी किया और इस वीडियो में उन्होंने सवाल उठाए हैं कि क्या मैडल विसर्जन का पूरा कार्यक्रम सुनियोजित था।वह वीडियो की शुरुआत में कहते हुए दिखाई देते हैं कि शाम को मेडल विसर्जन का कार्यक्रम था, इसके बाद नरेश टिकैत अचानक से प्रकट हो जाते हैं! पहनवालों से मेडल ले लेते हैं और उसके बाद उन्हें 5 दिन का समय दे देते हैं। 5 दिन के बाद हो सकता है कि मैडल विसर्जन का कार्यक्रम दोबारा किया जाए या नहीं किया जाए, उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है।वीडियो में वह आगे कहते हैं कि लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या मेडल विसर्जन का यह पूरा कार्यक्रम स्क्रिप्टेड तो नहीं था? उन्होंने वीडियो में आगे कहा कि उन्होंने इस मेडल विसर्जन के कार्यक्रम का पहले भी विरोध किया था क्योंकि व्यक्तिगत रूप से उनका यह मानना है कि मेडल किसी खिलाड़ी की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं होती है, वह राष्ट्र के सम्मान में आपको मिलता है और वह राष्ट्र को रिप्रेजेंट करता है।
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प्रो. के.जी. सुरेश ।। आज ही के दिन 1826 में पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने साप्ताहिक पत्र ‘उदन्त मार्तण्ड’ का पहला संस्करण भारत की तत्कालीन राजधानी कलकत्ता (अब कोलकाता) से प्रकाशित किया था। तब से लेकर अब तक हिंदी पत्रकारिता की एक ऐतिहासिक यात्रा रही है। इस यात्रा में संघर्ष भी रहा है, इस यात्रा में सफलताएं भी रही हैं। आज पूरे विश्व में हिंदी को जो सम्मान मिला है, उसमें हिंदी पत्रकारिता की अहम भूमिका रही है, फिर चाहे वह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हो या स्वतंत्रता के पश्चात जो एक नए राष्ट्र के निर्माण के लिए संघर्ष रहा, उसके लिए हो या आपातकाल में तानाशाही के विरोध का हो। हिंदी पत्रकारिता का जो इतिहास है, उसे स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जा सकता है।मैं तो अंग्रेजी पत्रिकारिता के अपने छात्रों को भी बताता हूं कि वे नियमित रूप से हिंदी पत्रकारिता के लिए एक हिंदी अखबार जरूर पढ़ें और एक चैनल भी जरूर देखें। इसका कारण यह है कि हिंदी पत्रकारिता जन सरोकार की पत्रकारिता है। हिंदी पत्रकारिता में मिट्टी की खुशबू आती है। वो ग्रामीण अंचलों से, हमारे खेत-खलिहानों से हम तक समाचार पहुंचाती है। जन-जन के, जिसमें गरीब, निर्धन, संघर्षशील, मजदूर सभी के मुद्दों को राष्ट्र के सामने, सरकार के सामने लाती है और सरकार व जनता के बीच में एक मजबूत सेतु का कार्य करती रही है। हिंदी पत्रकारिता का भविष्य डिजिटल युग में भी बहुत ही उज्जवल है। आज बहुत बड़ी संख्या में युवा पाठक, दर्शक, श्रोता डिजिटल मीडिया की ओर आकर्षित हुए हैं और यदि आप आंकड़े देखेंगे तो हिंदी पत्रकारिता ने भारत में सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी को अपनी ओर अकर्षित किया है। कुछ समस्याएं जरूर हैं, कुछ कठिनाइयां हैं, कुछ कमियां हैं, लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाला भविष्य बहुत उज्जवल है और हम सब मिलकर हिंदी पत्रकारिता में नए मील के पत्थर को जरूर स्थापित कर पाएंगे।
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आशुतोष चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकार ।। आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है। 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन जुगल किशोर शुक्ल ने 30 मई, 1826 को पहले हिंदी समाचार पत्र उदंत मार्तण्ड का प्रकाशन प्रारंभ किया था। देश में हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत उदंड मार्तण्ड से ही मानी जाती है। यह साप्ताहिक समाचार पत्र हर मंगलवार को पाठकों तक पहुंचता था। वैसे तो जुगल किशोर शुक्ल पेशे से वकील थे और कानपुर के रहने वाले थे, पर उनका कार्यक्षेत्र कोलकाता था। वे खुद उदंड मार्तण्ड के संपादक और प्रकाशक थे। विपरीत परिस्थितियों में उन्होंने उदंड मार्तण्ड का प्रकाशन प्रारंभ किया और आर्थिक कठिनाइयों के कारण अखबार ज्यादा दिनों तक प्रकाशित नहीं हो पाया।उस समय औपनिवेशिक दौर था और भारत पर ब्रिटिश शासन था। सत्ता का केंद्र कोलकाता था और उस दौर में भारतवासियों के हित की बात करना बहुत बड़ी चुनौती थी। अंग्रेजी शासकों की भाषा थी, उसके बाद बांग्ला और उर्दू का प्रभाव था। उस दौर में कोलकाता से अंग्रेजी और बांग्ला कई समाचार पत्र प्रकाशित होते थे। लेकिन हिंदी भाषा का एक भी अखबार नहीं निकलता था। इस साप्ताहिक समाचार पत्र के पहले अंक की 500 प्रतियां छपीं। हिंदी भाषी पाठकों की कमी की वजह से उसे ज्यादा पाठक नहीं मिल सके। दूसरी बात कि हिंदी भाषी राज्यों से दूर होने के कारण उन्हें समाचार पत्र डाक द्वारा भेजना पड़ता था। डाक दर बहुत ज्यादा थी इसलिए इसे हिंदी भाषी राज्यों में भेजना आर्थिक रूप से महंगा सौदा हो गया था। जुगल किशोर ने सरकार ने बहुत अनुरोध किया कि वे डाक दरों में कुछ रियायत दे दें, जिससे हिंदी भाषी प्रदेशों में पाठकों तक समाचार पत्र भेजा जा सके, लेकिन ब्रिटिश हुकूमत इसके लिए तैयार नहीं हुई और डेढ़ साल में यह समाचार पत्र बंद हो गया, लेकिन अपने साहसिक प्रयास के लिए जुगल किशोर शुक्ल आज भी याद किए जाते हैं।आज दौर बदल गया है। हिंदी पत्रकारिता ने एक लंबा सफर तय कर लिया है। अखबारी पत्रकारिता के क्षेत्र में भी काफी बदलाव आया है, साक्षरता बढ़ी है और राजनीतिक चेतना भी बढ़ी है। नतीजतन, हिंदी पाठकों की संख्या में खासी बढ़ोतरी हुई है। स्थानीय संस्करणों ने ग्रामीण इलाकों में अखबारों की पैठ बढ़ा दी है। हिंदी पत्रकारिता के भी विभिन्न आयाम हो गए हैं। हिंदी के अखबार तो हैं ही, साथ ही टीवी और सोशल मीडिया भी प्रभावी माध्यम बनकर उभरे हैं, लेकिन सोशल मीडिया की भूमिका को लेकर अक्सर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, सोशल मीडिया दोधारी तलवार है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि सोशल मीडिया अभिव्यक्ति के एक असरदार माध्यम के रूप में उभरा है। आज कोई भी व्यक्ति सोशल मीडिया के माध्यम से अपने विचार रख सकता है और उसे हजारों-लाखों लोगों तक पहुंच सकता है। राजनीतिक, सामाजिक संगठन और आमजन इसका भरपूर लाभ उठा रहे हैं। दूसरी ओर सोशल मीडिया के दुरुपयोग के भी अनेक मामले सामने आए हैं। इसके माध्यम से समाज में भ्रम व तनाव फैलाने की कोशिशें हुईं हैं।कोरोना संकट के दौर को ही देख लें। इस दौर में भी सोशल मीडिया पर कोरोना को लेकर फेक वीडियो व फेक खबरें बड़ी संख्या में चलीं। हम सबके पास सोशल मीडिया के माध्यम से रोजाना कोरोना के बारे में अनगिनत खबरें और वीडियो आते रहे। फेक न्यूज को तथ्यों के आवरण में ऐसे लपेटकर पेश किया जाता है कि आम व्यक्ति उस पर भरोसा कर ले और और उसे पता ही न चले कि वह कब फेक न्यूज का शिकार हो गया।सूचना के एक अन्य सशक्त माध्यम टीवी पर नजर दौड़ाएं तो पाएंगे कि हिंदी टीवी चैनल खबरों के बजाय बेवजह की बहस आयोजित करने पर ज्यादा जोर देते नजर आते हैं। स्थिति यह है कि टीवी की गंभीरता पर बार-बार सवाल उठते रहें हैं। दूसरी ओर अखबारों की ओर नजर दौड़ाएं तो आप पाएंगे कि वे आज भी सूचनाओं के सबसे विश्वसनीय स्रोत हैं। अखबार की खबरें काफी जांच पड़ताल के बाद प्रकाशित की जाती हैं और वे उनसे मुकर नहीं सकते हैं।ऐसा भी नहीं कि हिंदी अखबारों में कमियां नहीं हैं। अधिकांश हिंदी अखबार शहर केंद्रित हो गए हैं। हालांकि, इसकी बड़ी वजह विज्ञापन हैं। दूसरे उत्तर पूर्व कभी हिंदी अखबारों की प्राथमिकता सूची में नहीं रहा है। यहां तक कि दक्षिण भारत की भी तभी खबर बनती है, जब वहां से कोई सनसनीखेज मामला सामने आता है। बावजूद इसके आज भी हिंदी अखबार खबरों के सबसे प्रमाणिक स्रोत हैं।
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राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रतीक है ये देश को नया संसद भवन मिल चुका है। पीएम मोदी ने पूरे विधि-विधान से इसका शुभारंभ किया। नए भवन में लोकसभा में 888 और राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है। नई संसद को लेकर देश में राजनीति भी खूब हुई।इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार जयदीप कर्णिक ने लिखा कि ये भवन राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रतीक है और इससे प्रेरणा लेनी चाहिए। अपनी एक फेसबुक पोस्ट में जयदीप कर्णिक ने लिखा, नई संसद के उद्घाटन को लेकर पक्ष-विपक्ष, तर्क-वितर्क, सारे वाद-विवाद एक तरफ। महत्वपूर्ण बात ये है कि ये भवन इस बात का प्रतीक है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति होती क्या है? सरकार ठान ले तो क्या कर सकती है?जहां एक ओर एक फ्लायओवर बनने में पांच साल से ज्यादा लग जाते हैं, जहां देश के कई गांव आज भी बिजली और साफ पानी को तरस रहे हैं, कई गली मोहल्लों की सड़कों पर केवल एक गड्ढा भरे जाने के लिए आवेदन पर आवेदन होने के बाद भी गड्ढा जस का तस है, जहां कई सरकारी स्कूल और अस्पताल अपनी टपकती छत और टूटे दरवाजों के ठीक होने का इंतजार कर रहे हों, वहां इतना भव्य और दिव्य संसद भवन, इतनी सुविधाओं और इतनी आधुनिकता के साथ केवल दो साल में बन जाना वाकई काबिल-ए-तारीफ है।ये अद्भुत और प्रशंसनीय है। हर राजनीतिक दल, हर सरकार, हर राजनेता, हर मुख्यमंत्री, हर मंत्री, हर अधिकारी अगर इससे सबक ले और अपने-अपने क्षेत्र की हर परियोजना को इसी संकल्प शक्ति, इसी इच्छाशक्ति, इसी गति से पूरा करे तो सोचिए ये देश अगले कुछ ही सालों में कहां होगा? अगर ऐसा हो पाया तो ही हमारे लोकतंत्र का ये मंदिर, हमारी जम्हूरियत का ये सबसे बड़ा मरकज अपने सही उद्देश्यों को प्राप्त कर सकेगा।
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28 मई को वीर सावरकर की जयंती होती है और इसी दिन पीएम मोदी ने देश की नई संसद का उद्घाटन किया। उन्होंने, 'मन की बात' के 101वें एपिसोड को संबोधित करते हुए वीर सावरकर को याद किया।उन्होंने कहा, वीर सावरकर के बलिदान और साहस से जुड़ी कहानियां आज भी भारतीयों को प्रेरित करती हैं। हालांकि देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस समेत एक दर्जन से अधिक दलों ने संसद के उद्घाटन से दूरी बनाए रखी। इस मसले पर पत्रकार और लेखक नीरज बधवार ने ट्वीट करते हुए अपनी राय व्यक्त की है।उन्होंने लिखा, वीर सावरकर उतने ही बड़े देशभक्त थे, जितने गांधी जी। वो उतने ही बहादुर थे जितने भगत सिंह। वह उतने ही दूरदर्शी थे जितने पटेल। वह उतने ही चतुर थे जितने चाणक्य। सावरकर पर सवाल उठाकर आप अपनी कुपढ़ता का परिचय तो दे सकते हैं, मगर इससे उनकी महानता पर रत्ती भर भी आंच नहीं आती।आपको बता दें कि पीएम मोदी हर महीने के आखिरी रविवार को इस रेडियो कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित करते हैं। रेडियो कार्यक्रम 3 अक्टूबर 2014 को विजयादशमी के अवसर पर शुरू किया गया था।पीएम मोदी ने कहा, वीर सावरकर के व्यक्तित्व में दृढ़ता और उदारता शामिल थी। उनके निडर और स्वाभिमानी स्वभाव ने गुलामी की मानसिकता की बिल्कुल भी सराहना नहीं की।
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रजत शर्मा ने कहा - खुद ही का किया नुकसान पीएम मोदी ने देश को नया संसद भवन समर्पित किया है। इस मौके पर उन्होंने नए संसद भवन में पहली बार संबोधन दिया। उन्होंने कहा, 'देश की विकास यात्रा में कुछ पल अमर हो जाते हैं। 28 मई 2023 का यह दिन ऐसा ही शुभ अवसर है। कांग्रेस समेत एक दर्जन से अधिक विपक्षी पार्टियां इस समारोह में शामिल नहीं हुए। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने ट्वीट कर इस कदम को गलत और अनुचित बताया।उन्होंने लिखा, नई संसद के उद्घाटन समारोह में शामिल होकर लगा सभी दलों के नेता यहां होते, तो और अच्छा होता। संसद देश की होती है और प्रधानमंत्री किसी एक पार्टी के नहीं होते। उद्घाटन कौन करता है, इससे क्या फर्क पड़ता है? बेकार में इतना बड़ा इश्यू बनाया। बहिष्कार से मोदी का क्या गया? नुकसान तो विपक्ष का हुआ।अपने एक और ट्वीट में उन्होंने लिखा, अभी-अभी नया संसद भवन देखा। पहले जब पार्लियामेंट हाउस जाते थे, तो हम कहते थे, देखो अंग्रेजों ने कितनी जबर्दस्त बिल्डिंग बनाई। हमारे बस का तो कुछ नहीं। वो जो बना गये, सो बना गये, लेकिन आज लगा अब अंग्रेज भी कहेंगे, हिन्दुस्तानियों ने कितनी कमाल की पार्लियामेंट बनाई। अब तक हम अंग्रेजों और मुगलों के बनाये भवन और महल देखते थे। मुझे गर्व है, आज ये बदल गया। खुशी है कि मुझे इस नई पहल का साक्षी बनने का अवसर मिला।
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प्रणव सिरोही ने कहा- ऐसे अधिकारी को मिले कड़ी सजा छत्तीसगढ़ के कांकेर में 1 लाख रुपए के मोबाइल के लिये एक अफसर पर 21 लाख लीटर पानी बहाने का आरोप है, जिससे डेढ़ हजार एकड़ के खेत में सिंचाई हो सकती थी। कांकेर जिले के पखांजुर में खेरकट्टा परलकोट जलाशय के ओवर फ्लो में फूड ऑफिसर का एक लाख रुपए की कीमत वाला मोबाइल गिर गया। इसके बाद उसे खोजने स्थानीय लोग पानी में उतरे और जब फोन नहीं मिला तो 3 दिनों तक 30 एचपी के 2 डीजल पम्प लगाकर पानी को खाली किया गया, फिर फोन को निकाला गया। इस घटना के सामने आने के बाद पत्रकार प्रणव सिरोही ने ट्वीट कर अपना रोष व्यक्त किया।उन्होंने लिखा, यह उदाहरण दिखाता है कि लोक-सेवक जनता के हितों को किस प्रकार ताक पर रखकर अपने पद के मद में चूर होकर अमानवीय एवं प्रकृति को क्षति पहुंचाने वाली हरकतें करने से भी बाज नहीं आते। ऐसे अधिकारियों को ऐसी कड़ी सजा दी जानी चाहिए जो एक मिसाल बने। अन्यथा इनकी करतूतें बंद नहीं होने वालीं। हालांकि सरकार की ओर से कहा गया है कि उस अधिकारी को निलंबित किया जा चुका है।
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विपक्ष इसका महत्व समझ नहीं पा रहा है देश में नए संसद भवन का 28 मई को उद्घाटन होना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे। पीएम ने 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था।उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर 15 दल बीजेपी के समर्थन में आ गए हैं, वहीं कांग्रेस ने नई संसद के उद्घाटन का विरोध करते हुए कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है, 20 अन्य विपक्षी दलों ने भी उसका साथ दिया है।इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह ने हिंदी न्यूज चैनल 'न्यूज24' पर आयोजित एक डिबेट में कहा कि उद्घाटन के बहिष्कार की बात तो बाद की है विपक्ष तो पहले दिन से ही इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहा है।उन्होंने कहा कि जब इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास हुआ तब भी विपक्ष ने इसका विरोध किया था। इसके बाद जब इसका काम आगे बढ़ाया गया तब भी नए संसद भवन का विरोध किया गया। उन्होंने आगे मायावती के बयान का संदर्भ देते हुए कहा कि उनकी बात सार्थक दिखाई पड़ती है।अगर आपको आदिवासी महिला से इतना ही लगाव था तो आपने राष्ट्रपति को निर्विरोध निर्वाचित क्यों नहीं होने दिया? उन्होंने कहा कि मान लीजिए अगर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू इसका उद्घाटन करती तो भी विरोध के स्वर सामने आते! फिर विपक्ष ये कहता कि 28 मई को क्यों यह किया जा रहा है? वीर सावरकर से आप इसको जोड़ रहे हैं मतलब हिन्दू एजेंडा पर सवाल खड़े हो जाते!
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कांग्रेस शासनकाल में राष्ट्रपति पद को अपमानित किया गया नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी है। कोर्ट ने कहा है कि इस तरह का आदेश देना उसका काम नहीं है।इसी मुद्दे पर हिंदी न्यूज चैनल 'डीडी न्यूज' के डिबेट शो '5 की पंचायत' में वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने शो की एंकर 'रीमा पाराशर' के एक सवाल के जवाब में कहा कि आज हम इस बहस में पड़े हुए कि बड़ा कौन है? प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति! लेकिन वो समय याद करिए जब पीएम राजीव गांधी थे और राष्ट्रपति वेंकटरमण थे।उस समय मॉस्को में आयोजित हुए 'इंडिया फेस्टिवल' में तत्कालीन राष्ट्रपति ने पीएम राजीव गांधी का संदेश पढ़कर सुनाया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन में ना सिर्फ राष्ट्रपति बल्कि कई संवैधानिक पदों को अपमानित किया गया है।अगर देश के नए संसद भवन के उद्घाटन की बात है, तो ये उसी व्यक्ति का हक है जिसे देश की जनता ने जनादेश दिया है। उन्होंने बताया कि जब इस संसद का पहला सत्र होगा तो जाहिर सी बात है उसकी शुरुआत देश की माननीया राष्ट्रपति ही करेंगी। उन्होंने कहा कि इस देश की आदिवासी महिला पूरे शानो शौकत और मान सम्मान के साथ सत्र की शुरुआत करेंगी।
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संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने मंगलवार, 23 मई को सिविल सर्विस परीक्षा 2022 के परिणामों की घोषणा की है। इन परिणामों के सामने आने के बाद ही कई उम्मीदवारों के संघर्ष की कहानियां लोगों के सामने आई है।वरिष्ठ पत्रकार और प्राइम टाइम एंकर 'सुधीर चौधरी' ने अपने शो में एक ऐसे ही प्रतिभागी 'सूरज तिवारी' के संघर्ष की कहानी सुनाई जो कि आपके लिए प्रेरणा देने का काम करेगी। सुधीर चौधरी ने बताया कि UPSC 2022 की परीक्षा में सूरज की रैंक 917 आई है, लेकिन जिस हालात में उन्होंने पढ़ाई कर ये मुकाम हासिल किया है वो अंदर से आपको झकझोर देता है।उन्होंने बताया, उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के रहने वाले सूरज तिवारी के दोनों पैर नहीं हैं। एक हाथ भी नहीं है और दूसरे हाथ में सिर्फ 3 उंगलियां हैं। 6 साल पहले एक हादसे में उन्होंने शरीर के ये बेहद जरूरी अंग खो दिए। बात 2017 की है जब एक ट्रेन हादसे में ये सब कुछ हुआ। कुछ ही समय बाद सूरज के एक भाई की मौत हो गई। इससे घर की माली हालत और खराब हो गई।सूरज के पिता राजेश तिवारी टेलर मास्टर हैं, लेकिन सूरज ने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने UPSC की परीक्षा देने का इरादा किया। इसके लिए पूरी शिद्दत से तैयारी की और पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की है। वीडियो के अंत में सुधीर चौधरी ने इस देश के युवाओं से कहा कि आज आपको सूरज से प्रेरणा लेने की जरूरत है।
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रजत शर्मा ने कहा, यह भारतीयों के लिए गर्व का विषय पीएम मोदी अपनी छह दिवसीय विदेश यात्रा को सम्पूर्ण करके वतन आ गए हैं। उनकी यह विदेश यात्रा बेहद सफल हुई और उन्हें अभूतपूर्व सम्मान प्राप्त हुआ है। उनकी इस विदेश यात्रा के पूरे होने पर वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने अपने ब्लॉग में इस विदेश यात्रा का विश्लेषण किया है।उन्होंने लिखा, ऑस्ट्रेलिया में नए भारत की ताकत दिखाई दी। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने स्टेडियम में तीस हजार लोगों के सामने कहा, मोदी इज द बॉस, सिडनी के कुडोस बैंक अरेना में प्रोग्राम तो ऑस्ट्रेलिया में बसे भारतीयों के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इंटरैक्शन का था, लेकिन इस प्रोग्राम में ऑस्ट्रेलिया की पूरी सरकार, विपक्ष के नेता और दूसरे दलों के नेता भी पहुंचे। यहां ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने जो माहौल देखा, लोगों में जोश देखा,मोदी के प्रति लोगों की जो दीवानगी देखी, तो वो भी हैरत में पड़ गए। लेकिन मोदी ने न सियासत की बात की, न किसी की आलोचना की, सिर्फ भारत और भारतीयों की बात की।मोदी ने बताया कि आजकल दुनिया भारत को क्यों सलाम कर रही है! उनकी सरकार का मंत्र क्या है,उनकी सरकार के काम क्या हैं और उसका असर क्या हो रहा है। इस प्रोग्राम में मोदी ने आज जो कहा, उसे सुनना और देखना जरूरी है क्योंकि इससे पता चलता है कि मोदी को अब वर्ल्ड लीडर क्यों कहा जाता है।मोदी के प्रति लोगों में इतना भरोसा क्यों है.. 2014 में जब मोदी प्रधानमंत्री बने थे, तो बहुत सारे लोग पूछते थे कि ये विदेश नीति कैसे चलाएंगे, ये बड़े बड़े मुल्कों के नेताओं से संबंध कैसे बनाएंगे? आज उन लोगों को देखना और सुनना चाहिए कि कैसे ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने मोदी को बॉस कहा, सिर्फ पिछले चार दिन में हमने देखा अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन मोदी को ढूढ़ते हुए आए और उन्हें गले लगाया।अमेरिका के प्रेसीडेंट ने कहा कि मोदी की लोकप्रियता इतनी है कि लगता है उन्हें भी मोदी का ऑटोग्राफ लेना पड़ेगा। पापुआ न्यू गिनी के प्राइम मिनिस्टर ने मोदी के पैर छुए, ये छोटी बात नहीं है। पिछले नौ साल में मोदी जिस भी देश में गए उन्होंने वहां नेताओं से संबंध बनाए और भारत का मान बढ़ाया।इस बात में कोई शक नहीं कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पूरी दुनिया में भारत के प्रति लोगों का नजरिया बदला है। मैं जब भी विदेशों में रहने वाले भारतीय लोगों से बात करता हूं तो वो कहते हैं इस बदलाव को हर रोज अपने लाइफ में महसूस करते हैं, चाहे अमेरिका हो ,यूरोप हो या अफ्रीकी देश हर जगह भारत भारतीय और भारतीयता का सम्मान दिखाई देता है और इसका बहुत बड़ा श्रेय नरेन्द्र मोदी को जाना ही चाहिए।मोदी ने देश के लिए प्रतिष्ठा हासिल करने के लिए बहुत मेहनत की बहुत दिमाग लगाया, छोटी छोटी चीजों का ध्यान रखा, बड़े बड़े फैसले लिए और ये काम आसान नहीं था। आज अगर कोई देश यूक्रेन और रशिया दोनों से आंख में आंख डालकर बात कर सकता है तो वो भारत है। मुसीबत के वक्त दुनिया का कोई देश किसी दूसरे मुल्क से मदद की उम्मीद करता है. तो वो भारत है। दुनिया के किसी भी कोने में फंसे अपने नागरिकों की सबसे पहले हिफाजत करता है तो वो भारत है।अगर तरक्की के लिए, बढ़ते प्रभाव के लिए किसी देश की मिसाल दी जाती है. तो वो भारत है। हिन्दुस्तान की ये पहचान नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में बनी है इसीलिए नरेन्द्र मोदी को आज वर्ल्ड लीडर माना जाता है, और ये मान सम्मान सिर्फ तस्वीरों और स्पीचेज तक सीमित नहीं रहता है। पूरे मुल्क को इसका फायदा व्यापार में होता है, टूरिज्म में होता है, इन्वेस्टमेंट में होता है। जब किसी देश का नेता बड़ा बनता है तो दुनिया में उसका मान बढता है, उसका फायदा देश के ओवरऑल डेवलपमेंट को होता है।
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‘रिपब्लिक टीवी’ (Republic TV) के मैनेजिंग डायरेक्टर और एडिटर-इन-चीफ अरनब गोस्वामी ने अवमानना से जुड़े वर्ष 2016 के एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष बिना शर्त माफी मांगी है।‘टेरी’ (TERI) के पूर्व एग्जिक्यूटिव वाइस चेयरमैन आर.के पचौरी ने वर्ष 2016 में अरनब गोस्वामी और अन्य के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी। कोर्ट के आदेश के बावजूद आर.के पचौरी के खिलाफ मीडिया रिपोर्टिंग पर अवमानना याचिका दायर की गई थी।28 अप्रैल को हाई कोर्ट में पेश किए गए गोस्वामी के हलफनामे में कहा गया है, ‘मैं माननीय अदालत से माफी मांगता हूं और अनुरोध करता हूं कि यह माननीय अदालत माफी स्वीकार करने और उनके खिलाफ तत्काल कार्यवाही को बंद करने की कृपा करे।’हलफनामे में यह भी कहा गया है कि अरनब गोस्वामी कानून का पालन करने वाले और देश के सम्मानित नागरिक हैं। वह दिल्ली हाई कोर्ट समेत सभी अदालतों को उच्च सम्मान देते हैं।हलफनामे के अनुसार, ‘न्यायालय के आदेशों की जानबूझकर अवज्ञा करने का मेरा कोई इरादा नहीं था। यह कथित प्रसारण इस विश्वास के तहत किया गया था कि माननीय न्यायालय द्वारा 18.02.2015 को पारित आदेश के संदर्भ में इसे प्रतिबंधित नहीं किया गया था। यह कथित प्रसारण भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत मिली स्वतंत्रता के मद्देनजर निष्पक्ष रिपोर्टिंग के हिस्से के रूप में किया गया था।’
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राणा यशवंत ने कही मन की बात संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने सिविल सेवा परीक्षा 2022 का फाइनल रिजल्ट जारी कर दिया है। इस बार यूपीएससी की परीक्षा में पहला और दूसरा रैंक प्राप्त करने वाली दोनों बेटियां बिहार की हैं। पहला स्थान पटना की इशिता किशोर को, जबकि दूसरा स्थान बक्सर की गरिमा लोहिया को मिला।इशिता का परिवार पहले पटना में ही रहता था और अब वो नोएडा में रहते हैं। बिहार की बेटियों की इस सफलता पर वरिष्ठ पत्रकार राणा यशवंत ने ट्वीट कर उन्हें बधाई तो दी ही उसके साथ ही अपने मन की एक पीड़ा भी व्यक्त की।उन्होंने लिखा, UPSC में पहला और दूसरा स्थान बिहार की बेटियों का है। इशिता और गरिमा की सफलता ने गांव देहात में पढ़ने वाली बिहार की लाखों बेटियों के सपनों को साहस दिया होगा। बदकिस्मती ये है कि इशिता और गरिमा जैसी लड़कियों को क्वॉलिटी एजुकेशन और सही माहौल के लिए बिहार से बाहर आना पड़ता है।आपको बता दें कि UPSC ने सिविल सेवा परीक्षा 2022 के तहत आईएएस, आईपीएस समेत सर्विसेज में 1011 पदों पर भर्ती निकाली थी। इसमें चयनित उम्मीदवारों में 345 जनरल, 99 ईडब्ल्यूएस, 263 ओबीसी, 154 एससी, 72 एसटी उम्मीदवार हैं।
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अनुराग दीक्षित ने किया ये बड़ा सवाल नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार में विपक्ष एकजुट हो गया है। नए संसद भवन के उद्घाटन में तमाम पार्टियों को शामिल होने के लिए न्योता दिया गया था और अब 19 विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है।देश के नए संसद भवन का 28 मई को उद्घाटन होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस भवन का उद्घाटन करेंगे, लेकिन अब इस खूबसूरत बिल्डिंग को लेकर देश में सियासत छिड़ गई है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा था- नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति जी को ही करना चाहिए, प्रधानमंत्री को नहीं।अब इस मसले पर पत्रकार अनुराग दीक्षित ने ट्वीट कर अपनी राय व्यक्त की है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, राष्ट्रपति बनाम प्रधानमंत्री की गैरजरूरी बहस के बीच संसद भवन के उद्घाटन समारोह में कांग्रेस शामिल नहीं होगी! जिस इमारत की मांग खुद कांग्रेस सरकार में हुई थी, विरोध की सियासत के चलते उसी इमारत से दूरी का ऐलान! वैसे संविधानिक पद की दुहाई वो पार्टी दे रही हैं, जो देश को ना सिर्फ आपातकाल देती है, बल्कि PM मनमोहन सिंह के ऊपर 'सुपर PM' बिठाती है - NAC मुखिया के तौर पर!
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कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम ने बाद कांग्रेस ने मध्य प्रदेश पर अपनी नजरें जमा दी हैं। प्रदेश के चुनावी साल में अब घोषणाओं की झड़ी शुरू हो गई है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर 100 यूनिट तक बिजली मुफ्त मिलेगी। साथ ही 200 यूनिट तक की खपत पर आधे बिल का ही भुगतान उपभोक्ताओं को करना होगा।इस बयान के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक उपाध्याय ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, क्या कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी की 'संजीवनी' छीन ली है? इस बात की जबरदस्त चर्चा है कि कांग्रेस अब आम आदमी पार्टी को कहीं उठने नही देगी। कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी का 'फ्री' ब्रह्मास्त्र पूरी तरह हाईजैक कर लिया है। हिमाचल और कर्नाटक के बाद अब मध्य प्रदेश चुनावों में भी कांग्रेस ने यही ब्रम्हास्त्र चल दिया है। मध्य प्रदेश के लिए कांग्रेस ने अभी से 100 यूनिट फ्री बिजली, लोन माफी, 500 रुपए में सिलेंडर और ओल्ड पेंशन स्कीम का ऐलान कर दिया है।आपको बता दें कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की केजरीवाल सरकार पहले से 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली दे रही है। आप के इस ऐलान के बाद पार्टी लगातार दो विधानसभा चुनावों में सफल रही है। दिल्ली में मुफ्त बिलजी योजना इसकी बड़ी भूमिका मानी जाती है।
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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के चैंपियन चुप कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार आने के बाद सीएम सिद्धरमैया के एक निर्णय के बाद विवाद हो गया है। दरअसल, प्राइमरी स्कूल के एक टीचर को महज इस वजह से सस्पेंड कर दिया गया, क्योंकि उसने फेसबुक पोस्ट में सीएम के खिलाफ आपत्तिजनक बात लिखी थी।सरकार ने सिविल सर्विसेज रूल्ज 1966 के तहत होसदुर्गा तालुका के प्राइमरी शिक्षक शांता मूर्ति एमजी के खिलाफ कार्रवाई की। इस पूरे मामले पर पत्रकार अर्चना सिंह ने एक ट्वीट करते हुए इसे गलत निर्णय करार दिया।उन्होंने लिखा, कर्नाटक के चित्रदुर्ग के प्राइमरी टीचर शांता मूर्ति को सीएम सिद्धारमैया की फ्री पॉलिटिक्स की आलोचना करने पर सस्पेंड कर दिया। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर छाती पीटने वाले चैंपियन चुप, क्योंकि ये कांग्रेस के राज में हुआ,बीजेपी का राज्य होता तो लोकतंत्र संविधान खत्म इमरजेंसी लग गई होती।आपको बता दें कि शांता मूर्ति ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा कि सिद्धरमैया मनमुताबिक मुफ्त योजनाओं का ऐलान कर सकते हैं, क्योंकि पहले सीएम रहते उन्होंने बेतहाशा कर्ज लिया था। सरकार को इस फेसबुक पोस्ट का पता तब चला, जब ये पोस्ट वॉट्सऐप ग्रुप पर वायरल हो गई।उसके बाद सीएमओ एक्शन में आया और चित्रदुर्ग के शिक्षक को 6 माह के लिए सस्पेंड करने का आदेश जारी किया गया। पत्रकार अर्चना सिंह के द्वारा किये गए इस ट्वीट को आप यहां देख सकते हैं।
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चित्रा त्रिपाठी बोलीं- कश्मीर में लौट रहा अमन-चैन जी20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की बैठक जम्मू कश्मीर में हो रही है। इस इवेंट को लेकर श्रीनगर से लगातार खूबसूरत तस्वीरें आ रही हैं। श्रीनगर में जी20 की बैठक के दौरान सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम हैं।श्रीनगर में एक तरफ पर्यटकों की गहमा-गहमी है, तो दूसरी तरफ जी20 के डेलीगेट्स का स्वागत सत्कार और बैठक चल रही है। अगस्त 2019 में घाटी से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में यह पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम यहां चल रहा है, जिसके लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। आसमान से जमीन पर नजर रखी जा रही है। इस आयोजन पर वरिष्ठ पत्रकार और एंकर चित्रा त्रिपाठी ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, 37 सालों के बाद घाटी में हो रहा ये सबसे बड़ा आयोजन है. 370 के खात्में का असर दिख रहा है। कश्मीर में 2022 में रिकॉर्ड पौने दो करोड़ से ज़्यादा पर्यटक पहुंचे थे। इस बार ये आंकड़ा दो करोड़ को पार कर सकता है। इस आयोजन से दुनिया भर का भरोसा मजबूत हुआ है कि घाटी के अच्छे दिन आ गए हैं। कश्मीर में 80 के दशक का अमन-चैन लौट रहा है। आख़िरी बड़ा आयोजन-1986 में भारत-ऑस्ट्रेलिया का मैच हुआ था।आपको बता दें कि जी20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की तीसरी बैठक में एलजी मनोज सिन्हा ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर हमेशा ज्ञान, ज्ञान और लुभावने परिदृश्य का केंद्र रहा है। 30 वर्षों तक शांति की इस भूमि को हमारे पड़ोसी देश द्वारा राज्य प्रायोजित आतंकवाद का शिकार होना पड़ा।
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जयदीप कर्णिक ने दी ये नसीहत नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर एक नया सियासी संग्राम शुरू हो गया है। पीएम मोदी 28 मई को इस नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं, हालांकि विपक्षी दलों का कहना है कि ‘सर्वोच्च संवैधानिक पद’ पर होने के नाते राष्ट्रपति को इसका उद्घाटन करना चाहिए और इसकी शुरुआत खुद राहुल गांधी ने ट्वीट करके की थी।28 मई को वीर सावरकर की जयंती है, जो बीजेपी के सबसे बड़े आदर्श माने जाते रहे है वहीं कांग्रेस का आरोप है कि इस तारीख का चयन देश के संस्थापक पिताओं का 'अपमान' है। इस मामले पर 'समाचार4मीडिया' ने वरिष्ठ पत्रकार जयदीप कर्णिक से बात की।उन्होंने कहा, नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर जो विवाद है वो मूलतः राजनीतिक है। सौ बरस पुराने भवन के स्थान पर भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए नया भवन बनना चाहिए ये तो सभी दल मान रहे थे। मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल से ही इसे प्राथमिकता दी और अब दूसरा कार्यकाल पूरा होने से पहले ही इसका उद्घाटन होने जा रहा है, तो ये बड़ी उपलब्धि है।सरकार इसे अपने पक्ष में भुनाएगी ही। अगर इसकी बनावट में कोई गड़बड़ हुई है, कोई घोटाला हुआ है, कोई काम सही नहीं हुआ है तो विपक्ष को उसे उठाना चाहिए। उद्घाटन कौन कर रहा है, इस मुद्दे को उठाने से विपक्ष को कोई लाभ नहीं मिलने वाला।आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी ने भी यह कहा है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की जगह प्रधानमंत्री मोदी को नए संसद भवन का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया जाना उनके साथ-साथ देश के आदिवासी और पिछड़े समुदायों का ‘अपमान’ है।
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पद्मश्री आलोक मेहता ने कही ये बड़ी बात जम्मू-कश्मीर में जी-20 के टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की मीटिंग को लेकर पाकिस्तान और चीन दोनों को ही मिर्ची लगी हुई है। दरअसल, जी-20 पर्यटन कार्य समूह की तीन दिवसीय तीसरी बैठक श्रीनगर में शुरू हो गई है। विभिन्न सदस्यों देशों के प्रतिनिधि श्रीनगर हवाईअड्डे पर पहुंच चुके हैं। इस दौरान उन्हें स्वागत स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।इसके बाद स्थानीय लोक कलाकारों द्वारा लाइव संगीत और पारंपरिक नृत्य की झलक दिखाई गई। हालांकि इस बैठक से पाकिस्तान और चीन दोनों ही खुश नहीं है, क्योंकि दोनों मुल्कों ने इस बैठक को रोकने के भरसक प्रयास किए थे। चीन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि 'विवादित क्षेत्र' में किसी तरह की बैठक आयोजित करने का चीन दृढ़ता से विरोध करता है।इस मामले को लेकर 'समाचार4मीडिया' ने पद्मश्री आलोक मेहता से बातचीत की है। उन्होंने बताया कि श्रीनगर कश्मीर में जी 20 देशों के संगठन के नेताओं की बैठक ऐतिहासिक मोड़ और भविष्य में नई प्रगति का विश्वास दिलाई देती दिख रही है। हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं और डल झील से आतंकवाद के विरुद्ध शांति खुशहाली की हवा और खुशबू दुनिया तक पहुंच रही है। सम्पन्न विकसित देशों का समर्थन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अथक प्रयासों से मिल रहा है और कश्मीर में सम्पन्नता के रास्ते खुल रहे हैं। इससे पर्यटन, टेक्सटाइल उद्योग का विस्तार और रोजगार से लाखों युवाओं महिलाओं को लाभ मिलेगा। जय कश्मीर जय भारत।
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वरिष्ठ पत्रकार रामकृपाल सिंह ने बताया कैसे बदला भारत भारत के पीएम नरेंद्र मोदी इस समय अपने 6 दिवसीय विदेशी दौरे पर हैं। इस दौरान पीएम मोदी कई देशों के राजनेताओं से मिलने के साथ ही कई कार्यक्रमों में भी शामिल हो रहे हैं।इस विदेशी दौरे पर पीएम मोदी को जो आदर सत्कार मिल रहा है, वो अभूतपूर्व है। पीएम मोदी को फिजी और पापुआ न्यू गिनी के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया। इसके साथ विदेश में एक बार फिर पीएम मोदी का डंका बज गया।इसी मुद्दे को लेकर 'डीडी न्यूज' के डिबेट शो में वरिष्ठ पत्रकार रामकृपाल सिंह ने बताया कि आज कैसे विदेश नीति में भारत आगे निकल रहा है। शो की एंकर रीमा पाराशर के एक सवाल के जवाब में रामकृपाल सिंह जी ने कहा कि मैं 26 साल संपादक रहा हूं और मुझे याद है कि जब राजीव गांधी अमेरिका गए थे वो वहां के अखबारों के आखिरी पन्ने पर एक छोटी सी खबर छप जाती थी और ये वो दौर था जब वो 400 लोकसभा सीट के प्रचंड बहुमत से पीएम बने थे।आगे उन्होंने कहा कि आज जिस तरह से पीएम मोदी का विदेश में सम्मान हो रहा है और वहां के मीडिया और अखबार जिस तरह देश की चर्चा कर रहे हैं, वो देखकर उन्हें अच्छा लगता है। उन्होंने शो में यह भी कहा कि जब 'जॉर्ज बुश' भारत आते थे, तो यहां के अखबार पहले पन्ने पर उनकी खबर लगाते थे और हमारे लोग जब वहां जाते थे तो उन्हें उचित कवरेज नहीं मिलती थी और ये देखकर एक संपादक के नाते उन्हें पीड़ा होती थी।
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अखिलेश शर्मा ने कही ये बात प्रशांत महासागर में स्थित द्वीप देशों में भी पीएम नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता अब बढ़ रही है। पापुआ न्यू गिनी में पीएम मोदी का जिस तरह का स्वागत किया गया है उसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है। अब पापुआ न्यू गिनी ने उन्हें अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया है। पापुआ न्यू गिनी के गवर्नर जनरल सर बाब दबाई ने पीएम मोदी को ग्रैंड कैम्पेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ लोगोहु दिया।इस दौरान इस क्षेत्र के एक दूसरे देश फिजी ने भी अपने सबसे बड़े नागरिक सम्मान से पीएम मोदी को सम्मानित किया है। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने समाचार4मीडिया से बात करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को मिला हर सम्मान भारत का सम्मान है। यह पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विदेशी धरती पर ऐसा सर्वोच्च सम्मान मिला हो। इससे पहले भी उन्हें कई देशों में अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से नवाजा है।सऊदी अरब, अफगानिस्तान, फिलस्तीन, संयुक्त अरब अमीरात, रूस, मालदीव, बहरीन, अमेरिका, भूटान आदि देशों के विभिन्न सम्मान दिए जा चुके हैं। इनके अलावा पीएम को सोल पीस प्राइज़, संयुक्त राष्ट्र का चैंपियन्स ऑफ द अर्थ अवार्ड, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फ़ाउंडेशन का ग्लोबल गोलकीपर अवार्ड भी दिया जा चुका है।
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आतंक देखना हो तो प.बंगाल को देखिए 'द केरल स्टोरी' इस समय देश के सिनेमाघरों में धूम मचा रही है और फिल्म की कमाई 200 करोड़ को छूने वाली है। लेकिन पश्चिम बंगाल के मूवी हॉल से 'द केरल स्टोरी' इस समय भी गायब है।सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फिल्म पर पश्चिम बंगाल सरकार के प्रतिबंध को पलट दिया और सरकार से कहा कि फिल्म पर रोक नहीं लगाई जा सकती और सुरक्षा के इंतज़ाम करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। इसके बाद भी बंगाल के सिनेमाघरों में यह फिल्म नहीं दिखाई जा रही।इसी बीच फिल्म के निर्देशक सुदीप्तो सेन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि उन्हें कई हॉल मालिकों ने बताया है कि उन्हें धमकी दी गई है और फिल्म को प्रदर्शित नहीं करने के लिए कहा है। इस पुरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार और एंकर अशोक श्रीवास्तव ने ट्वीट कर अपनी राय दी है।उन्होंने लिखा, तानाशाही और एक तानाशाह शासक का आतंक देखना हो तो प.बंगाल को देखिए। ममता बनर्जी ने सेंसर का सर्टिफिकेट मिलने के बाद भी 'द केरल स्टोरी' पर बैन लगाया और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि बैन हटाओ,गलत है। पर सर्वोच्च अदालत के फैसले के 2 दिन बाद भी प.बंगाल के किसी थियेटर में फिल्म नहीं चली।इस फिल्म में बताया गया है कि कैसे केरल की महिलाओं को इस्लाम में धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया था और आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट (आईएस) में भर्ती किया गया था। वरिष्ठ पत्रकार और एंकर अशोक श्रीवास्तव के द्वारा किए गए इस ट्वीट को आप यहां देख सकते हैं |
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हिंदी न्यूज चैनल 'आजतक' के एक डिबेट शो में एंकर चित्रा त्रिपाठी और स्वराज्य इंडिया के संस्थापक और सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव के बीच एक मामले को लेकर हुई बहस ट्विटर पर तीखी नोकझोंक में बदल गई।दरअसल अपने डिबेट शो में चित्रा त्रिपाठी ने देश में पहली बार हुए चुनावों के जातीय आंकड़े सामने रखे थे। उन्होंने जानकरी दी कि किस प्रकार आजादी के बाद लोकसभा और विधानसभा में ब्राह्मण सदस्यों की संख्या अधिक थी। योगेंद्र यादव ने शो के दौरान इसे ‘पीड़ा’ बताते हुए कई तरह के सवाल खड़े किए थे। योगेंद्र यादव ने चित्रा त्रिपाठी से कहा कि 'मैं मानता हूं कि ये आपकी व्यक्तिगत पीड़ा नहीं होगी।' इसके जवाब में चित्रा त्रिपाठी ने कहा कि उनका मकसद सिर्फ एक तथ्य की ओर ध्यान दिलाना था। इसके बाद वह इस मुद्दे को लेकर ट्विटर पर भी कूद पड़े और ट्वीट करते हुए इस मुद्दे को और ज्यादा उछालना शुरू कर दिया।उन्होंने लिखा, मैने पूछ ही लिया कि 'आजतक' बार बार उस युग को क्यों याद कर रहा है, जब अधिकांश मुख्यमंत्री और एक चौथाई सांसद ब्राह्मण होते थे? कहीं इसके पीछे कोई पीड़ा तो नहीं? या उस अतीत का मोह? जाहिर है सवाल मेरी ही नीयत पर उठाए गए।उनके इस ट्वीट के बाद चित्रा त्रिपाठी ने भी ट्विटर पर उन्हें जवाब देते हुए लिखा कि आपकी व्यक्तिगत कुंठा को समझा जा सकता है। मुझे आपके साथ सहानुभूति है। पहले अन्ना आंदोलन में अपने आपको कामयाब करने की कोशिश, फिर पद नहीं मिलने पर केजरीवाल से अदावत, फिर स्वयंभू बनने की कोशिश स्वराज आंदोलन से, अंततोगत्वा राहुल गांधी की शरण में (जो एक जनेऊधारी ब्राह्मण हैं), मैं ये नहीं कहूंगी कि आप अतिपाखंडी हैं मगर अपनी महत्वाकांक्षा के लिए मीठी जुबान से समाज को विभाजित करना देश के साथ गद्दारी होती है। मेरा सवाल काट कर मुझे ट्रोल कराने के लिए धन्यवाद। ईश्वर आप पर रहम करें।
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‘टाइम्स समूह’ (Times Group) में समीर जैन और विनीत जैन के बीच कारोबार के बंटवारे की खबरों के बीच कंपनी ने अपने एंप्लॉयीज के लिए एक स्टेटमेंट जारी कर मीडिया में इस बारे में चल रही अटकलों को गलत बताया है।इस बारे में ‘बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड’ (BCCL) के कंपनी सेक्रेट्री कौशिक नाथ की ओर से एंप्लॉयीज के लिए जारी स्टेटमेंट में कहा गया है, ‘कंपनी में एक प्रमुख पद पर होने के नाते एंप्लॉयीज को सूचित करना मेरा कर्तव्य है कि उन्हें कंपनी के पुनर्गठन के बारे में मीडिया में चल रही अटकलों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। सोशल मीडिया में इस बारे में तमाम अटकलें और गलत जानकारी है।’मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस बंटवारे के तहत समीर जैन को समूह का प्रिंट बिजनेस और उनके छोटे भाई विनीत जैन को ब्रॉडकास्ट, रेडियो मिर्ची और एंटरटेनमेंट (ENIL) समेत अन्य बिजनेस की कमान मिलेगी।
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विक्रम चंद्रा एक भारतीय पत्रकार हैं। जिन्होंने एक बहुभाषी वीडियो समाचार मंच, एडिटरजी टेक्नोलॉजीज की स्थापना की। विक्रम चंद्रा का जन्म 7 जनवरी 1967 को हुआ था। अपनी स्कूली शिक्षा के बाद, चंद्रा ने सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली में दाखिला लिया और अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। बाद में उन्होंने ऑक्सफोर्ड में एक इनलैक्स स्कॉलरशिप पर अध्ययन किया। उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में मास मीडिया में तीन महीने का कोर्स भी किया है। उन्होंने सीमा चंद्रा से शादी की है। चंद्रा ने 1991 में टेलीविज़न पत्रकारिता में अपने करियर की शुरुआत न्यूज़ट्रैक नामक एक टीवी समाचार पत्रिका के साथ की। वह 1994 से नई दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड के साथ हैं। इन वर्षों के दौरान, उन्होंने प्राइम टाइम 9 ओ'क्लॉक न्यूज , गैजेट गुरु ( राजीव मखनी के साथ ) पर काम किया, जो नई तकनीकों के बारे में एक समीक्षा शो था। 2000 में चंद्रा ने NDTV.com की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो देश की शीर्ष वेबसाइटों में से एक बन गई। 2007 में, उन्हें एनडीटीवी नेटवर्क्स के सीईओ नामित किया गया था, और 2011 में उन्हें एनडीटीवी समूह के सीईओ के रूप में नामित किया गया था। उन्होंने 2016 में एनडीटीवी से इस्तीफा देकर 'एडिटरजी' की स्थापना की। और उनकी जगह केवीएल नारायण राव को एनडीटीवी के सीईओ के रूप में नियुक्त किया गया। जिनके पास पहले से ही एनडीटीवी के सीईओ के रूप में एक कार्यकाल था।
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इंडिया टुडे टेलीविजन और आजतक मशहूर एंकर राहुल कंवल का जन्म 14 सितम्बर 1980 को डोलली, महाराष्ट्र (Home Town बिहार की राजधानी पटना) में हुआ था। राहुल ने जन संचार में डिग्री हासिल करके पत्रकारिता की दुनिया में नाम कमाएं है। राहुल ने पटना बिहार से संचार संकाय से उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। आजतक से पहले राहुल इंडिया टुडे में काम करते थे। यह आजतक पर हेडलाइन टुडे के एग्जीक्यूटिव एडिटर हैं, और देश, दुनिया के ज्वलंत मुद्दों पर भी चर्चा का कार्यक्रम करते है। राहुल कँवल ने Hostile Environment Journalism का कोर्स भी किया है। राहुल ने आजतक न्यूज़ चैनल वर्ष 2002 में ज्वाइन किया था।
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रोहित सरदाना का जन्म 22 सितंबर 1981 को हरियाणा में हुआ था। रोहित ने हरियाणा से अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी की। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद अपनी आगे की पढ़ाई के लिए वह हिसार चले गए और उन्होंने गुरु जम्बेश्वर विश्वविद्यालय विज्ञान और प्रौद्योगिकी में दाखिला लिया। उन्होंने वहां से मनोविज्ञान में स्नातक(BA) की डिग्री हासिल की है, और उसी यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में मास्टर्स (MA) की डिग्री हासिल की है। बचपन से रोहित का सपना था चाहे जो हो मुझे टीवी पर आना है, इसीलिए उन्होंने पत्रकारिता में करियर बनाने का सोचा। शुरुआत में रोहित कुछ अखबारों के लिए भी लिखते थे, और यही वजह रही उनके टीचर ने उन्हें पढ़ाई के साथ काम करने के लिए भी कहा. रोहित ने फिर कुछ इंटरव्यू दिए और उनकी रेडिओ स्टेशन में नौकरी लग गई। रोहित पढाई के साथ ही नौकरी भी करने लगे। 2004 में, सहारा के लिए उन्हें सहायक निर्माता के रूप में काम करने का मौका मिला और ज़ी न्यूज़ में कार्यकारी संपादक के रूप में शामिल होने से पहले उन्होंने सहारा में दो साल तक काम किया। रोहित सरदाना आज तक के लिए काम कर रहे थे. कुछ दिनों से वे अस्पताल में कोरोना संक्रमित होने के कारण भर्ती थे। इसी दौरान हृदयगति रुकने के कारण उनकी मृत्यु हो गयी। 30 अप्रेल 2021 को सुबह जब उन्हें अटैक आया उसके बाद डॉक्टर उन्हें वेंटीलेटर पर भी ले गए. लेकिन डॉक्टर उन्हें नहीं बचा सके।
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नीरज बधवार ने कही यह बड़ी बात पटना में बाबा बागेश्वर की हनुमान कथा भले ही खत्म हो गई है, लेकिन उनकी कथा में उमड़े जन सैलाब ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। माना जा रहा है कि उनकी कथा में दस लाख से अधिक की भीड़ आई और उतनी भीड़ बिहार की जनता ने कभी नहीं देखी।राजधानी पटना से सटे नौबतपुर के तरेत पाली में पांच दिवसीय हनुमंत कथा का आयोजन किया गया था और इस कथा आयोजन पर सियासत भी खूब हुई। इस पूरे मामले पर लेखक और पत्रकार नीरज बधवार ने ट्वीट कर अपनी राय दी है। उन्होंने लिखा, जिस समाज में व्यवस्था जितनी कमजोर होती है, वहां माफिया और धर्मगुरु उतने ही मजबूत हो जाते हैं।जब व्यवस्था आम लोगों को न्याय नहीं दिलाती तो उस न्याय के लिए लोग बाहुबल और चमत्कार के भरोसे हो जाते हैं। आप व्यवस्था को मजबूत कर दीजिए, माफिया, फर्जी धर्मात्मा, टोना-टोटका खुद ब खुद खत्म हो जाएंगे। एक गरीब इंसान जो अपने बच्चे का इलाज प्राइवेट अस्पताल में नहीं करा सकता। अच्छे सरकारी अस्पताल में उसका नंबर नहीं आता, उसे किसी चमत्कारी बाबा का पता लगेगा, तो उसे आखिरी उम्मीद मान उसके पास जाएगा ही जाएगा। समाज का हर वंचित इंसान, समाज के हर शातिर इंसान के लिए एक आसान शिकार है।जब सरकारें अपने ही कमजोर लोगों को उनके हाल पर छोड़ देती हैं, उनके साथ न्याय नहीं करती, तो न्याय के नाम पर उनका शोषण करने के लिए ठगों की एक समानान्तर व्यवस्था खड़ी हो जाती है।आपको ठगों से चिढ़ हैं तो उससे ज्यादा गुस्सा उस व्यवस्था से होना चाहिए, जो ऐसे ठगों और माफियाओं को जन्म लेने देती है।
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अभिषेक उपाध्याय ने बताई अंदर की बात पांच दिनों तक चले गहरे सियासी मंथन के बाद कर्नाटक को नया सीएम मिल गया है। कांग्रेस ने कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री का नाम फाइनल कर दिया है और वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया ही कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री होंगे। डीके शिवकुमार भी लगातार सीएम पद के लिए कोशिश करते रहे, लेकिन वह रेस में पीछे छूट गए।इसके लिए उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी से लेकर यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी तक से मुलाकात की, लेकिन बात नहीं बनी। इस पूरे सियासी घटनाक्रम पर वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक उपाध्याय ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है।उन्होंने लिखा, डीके शिवकुमार ने कोई त्याग नहीं किया है। बल्कि बुद्धिमत्ता से समझदारी भरा सौदा किया है। वे अपने धैर्य और समझदारी के चलते बेहद फायदे में रहे हैं। वे खुद जानते थे कि ED/CBI और IT के लंबित मामलों के चलते उनका CM बनना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन हैं। ऐसे में उन्होंने इस मामले को वहां तक खींचा जहां तक उन्हें सिद्धारमैया के बाद का 'सर्वश्रेष्ठ' हासिल हो सके। वह उन्हें मिल भी गया है।
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हर्षवर्धन त्रिपाठी ने कहा - ले डूबा बड़बोलापन केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा बदलाव करते हुए किरेन रिजिजू से कानून मंत्रालय वापस ले लिया है। उनकी जगह राजस्थान से आने वाले अर्जुन राम मेघवाल को कानून मंत्री बनाया गया है। माना जा रहा है कि इस साल के अंत में राजस्थान में चुनाव के चलते सरकार ने ये निर्णय लिया है।किरेन रिजिजू बतौर केंद्रीय कानून मंत्री लगातार चर्चा में रहे और उन्होंने पिछले दिनों न्यायपालिका और सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम व्यवस्था पर सवाल खड़े किए थे। अब किरेन रिजिजू को कानून मंत्रालय से बदलकर भू विज्ञान मंत्रालय दिया गया है। इस फेरबदल पर वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने भी अपनी राय व्यक्त की है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, किरेन रिजिजू को बड़बोलापन ले डूबा। मोदी सरकार शासन में बड़े सुधार चुपचाप करती रही है। न्याय पालिका में भी सुधार पर मोदी सरकार तेजी से आगे बढ़ रही है, लेकिन किरेन रिजिजू ने उसे इस तरह से प्रस्तुत करना शुरू कर दिया था कि सरकार और मुख्य न्यायाधीश के बीच कोई जवाबी कव्वाली चल रही हो।
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आनंद नरसिम्हन ने कही ये बड़ी बात कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस पार्टी में अभी भी मंथन चल रहा है। हालांकि सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक कांग्रेस ने सिद्धारमैया के पक्ष में फैसला लिया है और उन्हें अभी अकेले ही शपथ दिलवाई जाएगी। राहुल गांधी फिलहाल डीके शिवकुमार से बात कर रहे हैं और उन्हें राजी किया जा रहा है कि वह डिप्टी सीएम बन जाएं। डीके शिवकुमार को यह भी समझाया गया है कि भविष्य में वही पार्टी के चेहरा होंगे। इसी बीच वरिष्ठ पत्रकार आनंद नरसिम्हन ने इस पूरे मसले पर ट्वीट किया और अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, अगर सिद्धारमैया कर्नाटक के अगले सीएम हैं तो क्या डीके शिवकुमार डिप्टी सीएम बनना चाहेंगे? या क्या वह अपने भाई डीके सुरेश को डिप्टी सीएम बनवा देंगे! इसके अलावा महत्वपूर्ण विभागों को सुरक्षित करने के लिए पार्टी आलाकमान पर दबाव डालेंगे। सरकार में अपना आदमी, पार्टी का नियंत्रण। बराबरी का दर्जा! वफादारी और रॉयल्टी।
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बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होए पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की मुसीबतें कम होने की बजाय बढ़ती चली जा रही हैं। पाकिस्तान स्थित पंजाब सरकार का कहना है कि इमरान के जमान पार्क स्थित घर में 30-40 आतंकी छिपे हैं। पंजाब की अंतरिम सरकार ने पीटीआई को पूर्व प्रधानमंत्री के लाहौर स्थित जमान पार्क आवास में शरण लेने वाले 30-40 आतंकवादियों को पुलिस को सौंपने के लिए 24 घंटे की समय सीमा दी है।वहीं इमरान खान के ट्विटर अकाउंट से एक ट्वीट भी किया गया है और गिरफ्तारी की आशंका जताई गई है। इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार और एंकर रुबिका लियाकत ने ट्वीट कर अपनी राय दी है।उन्होंने लिखा, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री की बेबसी और डर का अंदाजा लगाइए। जिस पाकिस्तानी आर्मी के कारनामों और हॉरर फाइल्स को भारत सालों से दुनिया के सामने रख रहा था आज उसी आर्मी की बैगैरती को नजदीक से महसूस कर रहे हैं! खान साहब,बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होए। आपकी सलामती की दुआएं, हैं तो आप पड़ोसी ही।
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नई दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड (New Delhi Television Ltd.) यानी कि 'एनडीटीवी' विभिन्न भारतीय भाषाओं में 9 न्यूज चैनल शुरू करेगा। यह फैसला 17 मई को हुई बोर्ड मीटिंग में लिया गया। इसके लिए सूचना-प्रसारण मंत्रालय की अनुमति लेने के प्रस्ताव को बोर्ड ने मंजूरी दे दी है।मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद चैनलों के लॉन्च करने की तारीख की जानकारी स्टॉक एक्सचेंज को दी जाएगी।बता दें कि AMG मीडिया नेटवर्क्स ने एक सब्सिडियरी के जरिए 30 दिसंबर 2022 को राधिका रॉय और प्रणय रॉय से NDTV में 27.26% हिस्सा खरीदा था, जिसके बाद AMG मीडिया की NDTV में कुल हिस्सेदारी 64.71% है। NDTV ने इसी महीने एक एक्सचेंज फाइलिंग में बताया था कि कंपनी का नया मैनेजमेंट अब कंटेंट और मार्केटिंग-डिस्ट्रिब्यूशन में निवेश करने की योजना बना रहा है, जिससे लॉन्ग टर्म ग्रोथ हासिल की जा सके और सभी सेगमेंट में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई जा सके।
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जयदीप कर्णिक बोले- कांग्रेस की राह नहीं आसान कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की है और डीके शिवकुमार के बाद सिद्धारमैया ने भी पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की है।इसी बीच सियासी हलकों में चर्चा है कि कर्नाटक के अगले सीएम सिद्धारमैया होंगे और उनके नाम पर पार्टी सहमत है। हालांकि दिल्ली रवाना होने से पहले कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा कि उनकी पार्टी एकजुट है।दरअसल, कर्नाटक में नए मुख्यमंत्री को लेकर कांग्रेस के अंदर लगातार मंथन जारी है। पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर पहुंचे।इसी बीच 'समाचार4मीडिया' ने वरिष्ठ पत्रकार जयदीप कर्णिक से कर्नाटक के सियासी घटनाक्रम पर बात की और पूछा कि अगर डीके शिवकुमार को सीएम नहीं बनाया गया, तो क्या कर्नाटक में भी एमपी और राजस्थान जैसा संकट पैदा हो सकता है?इस सवाल के जवाब में जयदीप कर्णिक ने कहा कि कर्नाटक में ऐतिहासिक जीत के बाद भी कांग्रेस अभी बेचैन है। मुख्यमंत्री का पद उसके लिए गले की हड्डी बन गया है। गुप्त मतदान में सिद्धारमैया को ज्यादा वोट मिले हैं। वहीं जीत में डीके शिवकुमार के योगदान को दरकिनार नहीं किया जा सकता। जीत के बाद निकले उनके आंसू अभी गीले ही हैं। वो इनकी कीमत भी बखूबी जानते हैं। उनके भाई भी डटे हुए हैं। ज्योतिरादित्य को दरकिनार करने की सजा कांग्रेस मध्यप्रदेश में भुगत चुकी है। राजस्थान में सचिन पायलट लगातार सिरदर्द बने हुए हैं। ऐसे में जीत के बाद भी कांग्रेस की राह आसान नहीं है। पूरे पांच साल ठीक से सरकार चला ले जाना बहुत बड़ी चुनौती होगी।
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बागेश्वर सनातनी नहीं बोलेंगे अल्लाह-हू-अकबर बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों पटना में हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बिहार दौरे को लेकर खूब सियासत हो रही है। बाबा की कथा में ऐसी भीड़ उमड़ रही है जो शायद ही कभी बिहार की जनता ने देखी हो, ऐसे में सियासी तूफान उठना तो तय है।वैसे भी बीजेपी तो बाबा की आवभगत में लगी ही हुई है। इसी बीच झारखंड कांग्रेस के विधायक इरफान अंसारी ने बागेश्वर बाबा को लेकर टिप्पणी की है। जामताड़ा विधायक डॉ. इरफान अंसारी ने कहा कि यदि बागेश्वर बाबा सच्चे हैं तो सभी धर्मों का सम्मान करें। वह अपने मंच से अल्लाह-हू-अकबर का भी नारा लगाएं।इसी मामले बीजेपी बिहार के बड़े नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने 'आजतक' की एंकर चित्रा त्रिपाठी के शो 'दंगल' में उनसे खास बात की। जब चित्रा त्रिपाठी ने उनसे ये पूछा कि इरफान अंसारी तो बाबा से 'अल्लाह हू अकबर' बोलने के लिए कह रहे हैं, तो उसके जवाब में गिरिराज सिंह ने कहा कि वो कब से संतों को सलाह देने लगे?आगे उन्होंने कहा कि मुस्लिम हो या ईसाई हो ये सभी धर्म हजारों साल से होंगे, लेकिन सनातन धर्म का कोई आदि अंत नहीं है। उन्होंने कहा, हमारें पास पूजन करने के लिए 33 कोटि देवता है जिनकी सेवा करने के लिए एक जन्म भी कम पड़ेगा।
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दीपक चौरसिया ने यूं दिया जवाब बागेश्वर धाम वाले बाबा धीरेंद्र शास्त्री इस समय बिहार में है और उनको सुनने के लिए इतनी भीड़ उमड़ रही है कि बाबा को अनहोनी की आशंका होने लगी है। माना जा रहा है कि बाबा को सुनने कम से कम 10 लाख लोग आ रहे हैं।इसी बीच वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया के डिबेट शो ‘क़सम संविधान की’ में आरजेडी नेता सैयद फैजल अली ने धीरेंद्र शास्त्री की तुलना अमृपताल से कर दी जिसका वीडियो खुद दीपक चौरसिया ने ट्वीट करते हुए शेयर किया है।उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, मेरे शो ‘क़सम संविधान की’ में आज आरजेडी नेता सैयद फैजल अली ने साफ साफ कहा कि बागेश्वर धाम वाले बाबा धीरेंद्र शास्त्री ठीक वैसे ही बात कर रहे हैं जैसी आतंकी संगठन से ताल्लुक रखने वाला अमृतपाल किया करता है। क्या ये तुलना सही है, आप खुद विचार करिए।इस वीडियो में दीपक चौरसिया कहते हैं कि भारत का संविधान किसी भी व्यक्ति को अपने धर्म का प्रचार करने की इजाजत देता है। अगर बागेश्वर धाम वाले बाबा धीरेंद्र शास्त्री अपने धर्म का प्रचार कर रहे हैं तो इसमें क्या बुरा है?आपको बता दें कि बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री की पटना में चल रही कथा में शामिल नहीं होंगे। दरअसल, धीरेंद्र शास्त्री के पटना आने का राजद के कई नेता विरोध कर चुके हैं। पटना में पत्रकारों से बात करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा, हमारे यहां बहुत सारे निमंत्रण आते रहते हैं। जहां जनता का काम होता है, वहीं हमलोग जाते हैं।
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विनोद अग्निहोत्री ने कही ये बड़ी बात कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद कई आलोचक पीएम मोदी पर सवाल खड़े कर रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि पीएम मोदी के शानदार रोड शो और रैलियों के बाद भी बीजेपी 70 सीट के भीतर सिमट गई।इस मामले को समझने के लिए 'समाचार4मीडिया' ने वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री जी से बात की और पूछा कि क्या वाकई ऐसा है? क्या एक चुनाव हारने भर से मोदी का जादू कम हो गया? क्या यूपी निकाय चुनाव में जीत मिलने से अब योगी पीएम मोदी से अधिक लोकप्रिय हो जाएंगे?इन सवालों के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री ने कहा, किसी एक चुनाव के नतीजों को किसी भी नेता के करिश्मे और लोकप्रियता के घटने बढ़ने का पैमाना नहीं माना जा सकता है। हर चुनाव के मुद्दे माहौल परिदृश्य अलग अलग होते हैं।कर्नाटक चुनाव में अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इतना सघन प्रचार नहीं करते तो बीजेपी की सीटें 50 से भी कम हो सकती थीं, क्योंकि राज्य सरकार के खिलाफ लोगों में जबरदस्त नाराजगी थी और कर्नाटक में येदुरप्पा के बाद उनके जैसा कोई दूसरा नेता नहीं है, जिसका पूरे राज्य में प्रभाव हो।मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई बेहद कमजोर नेता साबित हुए। सारा दारोमदार सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी पर था, जबकि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के खिलाफ कोई नाराजगी नहीं है। स्थानीय निकायों में बीजेपी शुरू से मजबूत रही है। पिछली बार भी कुल 17 नगर निगमों में 14 में बीजेपी के महापौर थे और आम तौर पर निकाय चुनावों में सत्ताधारी दल को ही फायदा मिलता है।हाल के वर्षों में जिस तरह कुछ नामी माफिया नेताओं के खिलाफ कार्रवाई हुई, कई अपराधी मारे गए उसने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि एक मजबूत नेता की बनी और उन पर भ्रष्टाचार का भी आरोप नहीं है। इन सबका फायदा भी बीजेपी को निकाय चुनावों में मिला। लेकिन इससे मोदी के नेतृत्व को कमजोर मानना अभी जल्दबाजी होगी। इसी साल अन्य चार राज्यों के होने वाले चुनावों के नतीजों का हमें इंतजार करना चाहिए।
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देश की जानी-मानी न्यूज एजेंसी ‘प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ (PTI) के एडिटर राजेश महापात्रा के बारे में एक बड़ी खबर निकलकर सामने आई है। सूत्रों के हवाले से मिली इस खबर के अनुसार, राजेश महापात्रा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। बता दें कि महापात्रा ने ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ (Hindustan Times) में अपनी करीब 11 साल पुरानी पारी को विराम देकर पिछले साल जून में ही ‘पीटीआई’ जॉइन किया था।अपने 25 साल के लंबे करियर में महापात्रा बिजनेस पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक, सार्वजनिक नीति विशेषज्ञ (public policy expert), न्यूजरूम लीडर और एडिटर के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं।वह एक कॉलमनिस्ट और कमेंटेटर भी हैं, जो ओडिशा और भारत में बड़े पैमाने पर पब्लिक पॉलिसी डिबेट को आकार देने और उसमें योगदान करने की मांग कर रहे हैं। महापात्रा ने फोरम फॉर ओडिशा डायलॉग्स (Forum for Odisha Dialogues) यानी ‘ओडिशा अलोचना चक्र’ की स्थापना की है, जो एक नॉन-पार्टिज़न थॉट लीडरशिप फोरम है।‘पीटीआई’ से पहले वह लगभग 11 साल तक ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ में थे, जहां उन्होंने संगठनात्मक परिवर्तन और डिजिटल इनोवेशन का नेतृत्व किया। उन्होंने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ और ‘ब्रिज न्यूज’ जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों के लिए भारत की आर्थिक क्रांति को भी कवर किया।‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ में आखिरी बार उन्होंने एडिटर एट लार्ज भूमिका निभाई थी। 2008 में वह बिजनेस के ब्यूरो चीफ के तौर पर इस मीडिया हाउस में शामिल हुए थे, जहां वह एचटी के लिए बिजनेस व फाइनेंशियल की कवरेज करते थे।
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इलेक्ट्रॉनिक्सऔर सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) एक फैक्ट चेकिंग टीम बनाने की तैयारी कर रही है, जो सोशल मीडिया और इंटरनेट पर डाली गई सरकार से संबंधित सभी सूचनाओं की जांच करेगी। मीडिया रिपोर्ट्स में इस तरह की संभावनाएं जतायी जा रही हैं। बताया जा रहा है कि टीम में तीन सदस्य होंगे, जिनमें दो आईटी मंत्रालय से और तीसरा सदस्य कोई कानूनी विशेषज्ञ होगा। फैक्ट को सत्यापित करने के लिए यह निकाय अन्य विभागों के साथ तालमेल मिलाकर काम करेगा।वहीं इससे पहले, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MEITY) द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में किए गए संशोधन को पर चिंता व्यक्त की थी, जिसमें पत्र सूचना ब्यूरो (PIB) को खबरों की सत्यता निर्धारित करने का और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर 'फेक' समझे जाने वाले कंटेंट को हटवाने का अधिकार दिया गया था | गिल्ड ने कहा था, ‘यह नई प्रक्रिया मूल रूप से स्वतंत्र प्रेस को दबाने में इस्तेमाल हो सकती है और पीआईबी या ‘तथ्यों की जांच के लिए केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत किसी अन्य एजेंसी’ को उन ऑनलाइन मध्यस्थों को सामग्री को हटाने के लिए मजबूर कर सकती है, जिससे सरकार को समस्या हो सकती है।’
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हर्षवर्धन त्रिपाठी ने दी तीखी प्रतिक्रिया कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम आ चुके हैं और कांग्रेस पार्टी ने इस बार प्रचंड बहुमत प्राप्त किया है। बीजेपी को कर्नाटक की जनता का प्यार नहीं मिला और उसे सिर्फ 66 सीट प्राप्त हुईं। कांग्रेस 135 सीटों के साथ अपने दम पर सरकार बनाने में इस बार समर्थ है।चुनाव और उसके परिणाम मीडिया के लिए एक उत्सव की तरह होते हैं और हर संपादक कुछ ना कुछ अलग और नया करने की सोचता है। इसी बीच हिंदी दैनिक अखबार 'दैनिक जागरण' की एक हेडिंग को लेकर वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने आपत्ति जतायी।दरअसल अखबार की हेडिंग में यूपी निकाय चुनाव परिणाम को भी जोड़कर एक नया प्रयोग किया गया। हेडिंग में लिखा गया 'कर्नाटक की जनता को कांग्रेस भाई, उप्र में भाजपा छाई', अब जाहिर सी बात है कि अगर यूपी निकाय चुनाव में बीजेपी ने बम्पर जीत हासिल की है तो किसी भी अखबार के लिए उसे भी जगह देना आवश्यक है लेकिन वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने ट्वीट कर इस पर नाराजगी जाहिर की है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, क्या और किसी अखबार ने विधानसभा चुनाव नतीजों के बैनर में निकाय चुनावों को धंसाया है? सुना है टीवी चैनलों ने जरूर यह किया (वरना अपना चेहरा छिपाते कहां?)!उनके इस ट्वीट कर वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने करारा जवाब दिया। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, सर, आप कभी किसी ढंग की प्रसार संख्या वाले समाचार पत्र के संपादक रहे नहीं। पाठकों के लिहाज से सोचा नहीं। दैनिक जागरण देश का सबसे बड़ा समाचार पत्र है और इसका बड़ा पाठक वर्ग देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में है। आपकी बुद्धि में गजब धंसान है।
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रजत शर्मा ने योगी को लेकर कही ये बड़ी बात उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के परिणाम आ गए है। बीजेपी ने यूपी की सभी मेयर सीट पर जीत हासिल की है, इसके अलावा पार्षद, नगर पालिका परिषद अध्यक्ष, नगर पालिका परिषद सदस्य, नगर पंचायत अध्यक्ष और नगर पंचायत सदस्यों के पदों पर भी विपक्षी पार्टियों को पछाड़ते हुए सबसे ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज की। उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के परिणाम की वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने अपने ब्लॉग पर समीक्षा की।उन्होंने लिखा, बीजेपी के लिए अच्छी खबर उत्तर प्रदेश से आई। शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया है और सभी 17 बड़े शहरों में मेयर के पद जीत लिए। समाजवादी पार्टी , बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला। नगर निगम के चुनाव में इस बार बीजेपी ने मुस्लिम उम्मीदवारों को दिल खोलकर टिकट दिया था, उनमें से भी कई उम्मीदवारों को कामयाबी मिली है। यूपी में दो विधानसभा सीटें, रामपुर की स्वार और मिर्जापुर की छानबे, इन पर चुनाव हुए, दोनों सीटें बीजेपी के मित्र दल, अपना दल ने जीतीं।रामपुर की स्वार सीट पर NDA की जीत महत्वपूर्ण है क्योंकि ये सीट आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम की सदस्यता रद्द होने के कारण खाली हुई थी। इस इलाके में आजम खां का दबदबा है, लेकिन बीजेपी ने अपना दल के टिकट पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारा और जीत दर्ज की ये बड़ी बात है।अपना दल के उम्मीदवार शफीक अहमद अंसारी ने समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार अनुराधा चौहान को 8724 वोट से हराया, जबकि छानबे विधानसभा सीट पर अपना दल की रिंकी कोल ने समाजवादी पार्टी की कीर्ति कोल को 9587 वोट से हराया। उत्तर प्रदेश में हालांकि चुनाव स्थानीय निकायों का था, लेकिन यहां खेल बड़ा था।अगर बीजेपी हार जाती, तो सब लोग मिलकर योगी आदित्यनाथ की नाक में दम कर देते, लेकिन योगी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि चाहे कुछ नेता उनसे नाराज हों, जातियों के ठेकेदार उनके खिलाफ रहें, पर जनता योगी के साथ है। योगी ने कानून और व्यवस्था में सुधार करके, गुंडागर्दी खत्म करके, यूपी के लोगों को विकास का जो रास्ता दिखाया है, उसका फायदा उन्हें हर चुनाव में मिला है।स्थानीय निकायों के चुनाव समाजवादी पार्टी के लिए खतरे का संकेत हैं क्योंकि, बीजेपी ने पहली बार मुस्लिम उम्मीदवार उतारे, कई जगह जीत हुई। मुसलमानों का बीजेपी को समर्थन देना, समाजवादी पार्टी के लिए चिंता का सबब हो सकता है। कई इलाकों में तो, समाजवादी पार्टी तीसरे नंबर पर आ गई।
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वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी ने हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज इंडिया’ (News India) में अपनी पारी को विराम दे दिया है। बतौर एडिटर-इन-चीफ वह इस चैनल में एक साल से ज्यादा समय से अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। विजय त्रिवेदी का अगला कदम क्या होगा, फिलहाल इस बारे में जानकारी नहीं मिल सकी है।विजय त्रिवेदी को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 35 साल से ज्यादा का अनुभव है। राजनीतिक मामलों पर उनकी गहरी पकड़ है और अब तक वह तमाम बड़ी राजनीतिक घटनाओं व संसद की कवरेज के साथ-साथ कई राजनेताओं, नौकरशाहों और सेलेब्रिटीज का इंटरव्यू कर चुके हैं।पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक के दौर में बीजेपी का कितना विस्तार हुआ है, विजय त्रिवेदी इस पर केंद्रित चार किताबें भी लिख चुके हैं। अपनी नवीनतम पुस्तक 'संघम शरणम गच्छामि' (Sangham Sharnam Gachachhami) में विजय त्रिवेदी ने ‘आरएसएस’ के इतिहास और भारतीय राजनीति में इसके स्थान और भविष्य का गहन विश्लेषण किया है। इसके अलावा उनकी अन्य किताबों में ‘बीजेपी, कल आज और कल’, ‘यदा यदा हि योगी’ और ‘हार नहीं मानूंगा’ शामिल हैं।विजय त्रिवेदी करीब 17 साल तक ‘एनडीटीवी’ (NDTV) इंडिया के साथ भी काम कर चुके हैं और यहां कंसल्टिंग एडिटर भी रहे हैं। इसके बाद वह हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज नेशन’ (News Nation) में एडिटर (नेशनल अफेयर्स) और ‘न्यूज स्टेट’ (News State) में एडिटर-इन-चीफ भी रहे हैं।वह तमाम लोकप्रिय टीवी शो जैसे- ‘सत्य की विजय’, ‘द विजय त्रिवेदी शो’, ‘चक्रव्यूह’, ‘विजय चौक’, ‘बिग फाइट लाइव’, ‘हमसे है इंडिया’, ‘दिल्ली चलो’, ‘इंडिया दिस वीक’, ‘हॉटलाइन’, ‘सवाल आपके’ और ‘रविवार और आईना’ भी होस्ट कर चुके हैं। यही नहीं, वह राजस्थान के रीजनल न्यूज चैनल ‘फर्स्ट इंडिया टीवी’ (First India TV) को भी लॉन्च करा चुके हैं। इसके बाद वह डिजिटल पत्रकारिता की दिशा में मुड़ गए और जानी-मानी बहुभाषी न्यूज एजेंसी ‘हिन्दुस्थान समाचार’ (Hindusthan Samachar) के यूट्यूब चैनल ‘एच.एस न्यूज’ (H.S. News) की लॉन्चिंग टीम में शामिल रहे। विजय त्रिवेदी ने पत्रकारिता में अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1985 में ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ (The Times of India) समूह के हिंदी अखबार ‘नवभारत टाइम्स’ (Navbharat Times) से की थी। वह ‘इंडिया टुडे’ (India Today) के साथ भी काम कर चुके हैं। विजय त्रिवेदी नई दिल्ली में ‘राजस्थान पत्रिका’ (Rajasthan Patrika) के नेशनल एडिटर भी रह चुके हैं। इसके अलावा वह ‘यूएनआई’ न्यूज एजेंसी की हिंदी सेवा ‘यूनिवार्ता’ (UNIVARTA) के एडिटर के रूप में भी अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं।
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सुशांत झा ने आम चुनाव को लेकर कही ये बात कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 में दांव पर लगी 224 सीटों पर शुरुआती रुझान आ चुके हैं। फिलहाल, कांग्रेस बढ़त बनाए हुए है और रुझानों में स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है। वहीं, क्षेत्रीय दल जनता दल सेक्युलर ने कुछ देर इंतजार करने का फैसला किया है।दरअसल कर्नाटक चुनाव को लेकर अधिकतर एग्जिट पोल ने पहले ही कांग्रेस की सरकार बनने का दावा कर दिया था। इन चुनावों के रुझान पर वरिष्ठ पत्रकार सुशांत झा ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, 'जैसा की एग्जिट पोल को देखने के बाद लगा था ठीक वैसे ही आज चुनाव के परिणाम आ रहे हैं। एग्जिट पोल अब परिपक्व होते जा रहे हैं। भाजपा हलकों में भी संभावित हार की चर्चा थी। जाहिर तौर पर बीजेपी ने राज्य में अपने ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए खराब प्रदर्शन नहीं किया। इसका कुछ मनोवैज्ञानिक प्रभाव होगा, लेकिन लोकसभा चुनावों में राज्य में ज्यादा नहीं होगा।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजस्थान दौरे को लेकर बड़ी हलचल है। दरअसल हाल ही में सचिन पायलट ने राज्य के सीएम अशोक गहलोत पर आरोप लगाया कि उनकी नेता सोनिया गांधी नहीं वसुंधरा राजे हैं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी के मतभेद खुलकर सामने आ रहे हैं। इसी बीच पीएम मोदी के दौरे पर एक ऐसा वाकया हुआ जिसकी हर ओर चर्चा हो रही है।दरअसल, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजदूगी में राजसमंद जिले के नाथद्वारा कस्बे में विभिन्न परियोजनाओं के लोकार्पण समारोह को संबोधित करने के लिए खड़े हुए, लेकिन इस दौरान लोग 'मोदी-मोदी' के नारे लगाने लगे। इसके बाद पीएम मोदी हाथ के इशारे से लोगों को बैठने को कहते हैं ताकि सीएम अशोक गहलोत अपनी बात रख सकें।वायरल हो रहे वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि पीएम मोदी ने मंच पर मौजूद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी से भी लोगों को शांत करवाने को कहा। इस वायरल वीडियो पर वरिष्ठ पत्रकार रुबिका लियाकत ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अशोक गहलोत दोनों राजस्थान में एक ही मंच पर मौजूद थे जब भीड़ ने मोदी-मोदी के नारे लगाना शुरू कर दिये। पीएम ने भीड़ को नारे लगाने से रोका। राजनीतिक अदब का उदाहरण एक तरफ पीएम दे रहे थे दूसरी तरफ गहलोत भी उसी शिष्टाचार से पीएम और मंच पर बैठ लोगों का नाम ले रहे थे। मतभेद हो सकते हैं लेकिन मनभेद न हो। म्हारे राजस्थान में दोनों नेताओं ने दी मिसाल।
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विष्णु शर्मा ने कही ये बड़ी बात हिंदी न्यूज चैनल 'टाइम्स नाउ नवभारत' की महिला पत्रकार भावना किशोर को 5 मई 2023 को पंजाब पुलिस ने उनके सहयोगियों के साथ गिरफ्तार किया था। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है। इसके बाद पत्रकार भावना किशोर ने खुद टीवी पर आकर सबको बताया कि उनके साथ कैसा सलूक किया गया और यह बताते हुए वो फूट-फूट कर रोने लगी।दरअसल, भावना ने बताया कि हिरासत के दौरान उनसे दरवाजा खोलकर वाॅशरूम जाने को कहा गया और उनकी जाति को लेकर सवाल पूछा गया। भावना ने बताया, 'मेरी सेहत बिगड़ रही थी, वो मुझे वॉशरूम लेकर गए और कहा गया कि आप वॉशरूम का दरवाजा बंद नहीं कर सकती', इस पर ग्रुप एडिटर नाविका कुमार भावुक हो जाती हैं।फिर पत्रकार भावना किशोर कहती हैं कि इसके बाद भी मैंने वॉशरूम किया और यह कहते हुए वो सिसक-सिसक कर रोने लगती हैं। इस वीडियो के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार विष्णु शर्मा ने ट्वीट कर बड़ी बात कह दी।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, जो महिला मित्र सीएम केजरीवाल और भगवंत मान की समर्थक हैं, उन्हें ये वीडियो जरूर देखना चाहिए कि 'द केरल स्टोरी' की लड़कियों के साथ जो हुआ, भावना किशोर के साथ कई मायनों में उससे भी ज्यादा बुरा हुआ।
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दीपक चौरसिया ने RSS को लेकर कही ये बात पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को अर्धसैनिक बलों द्वारा गिरफ्तार कर लिए जाने के बाद उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के कार्यकर्ताओं ने इस्लामाबाद में प्रदर्शन और हंगामा किया।इमरान खान को अर्धसैनिक बलों ने उस वक्त गिरफ्तार कर लिया, जब वह भ्रष्टाचार के एक मामले में सुनवाई के लिये इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में मौजूद थे। इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद इस्लामाबाद में धारा 144 लागू कर दी गई है, क्योंकि उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पूरे शहर में प्रदर्शन किया और दंगे जैसी स्थिति पैदा कर दी।इस समय पाकिस्तान में जो हालात हैं, उसे देखकर साफ ऐसा लग रहा है कि ये मुल्क अब गृहयुद्ध की आग में झुलस रहा है। इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, 75 साल पहले दो देश बने। पहला भारत और दूसरा मज़हब के आधार पर पाकिस्तान, आज हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और पाकिस्तान गृहयुद्ध की आग में जल रहा है। भारत में भी कई ऐसे लोग हैं जो मज़हब के आधार पर विशेष सुविधाओं की मांग करते हैं। वो ये भी कहते हैं कि BJP, RSS और VHP विभाजनकारी एजेंडा चला रही है और मुसलमानों को परेशान कर रही है, सवाल ये है कि ये तीनों संगठन पाकिस्तान में तो नहीं हैं फिर वहां ऐसा क्यों हो रहा है?
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दीपक चौरसिया ने RSS को लेकर कही ये बात पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को अर्धसैनिक बलों द्वारा गिरफ्तार कर लिए जाने के बाद उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के कार्यकर्ताओं ने इस्लामाबाद में प्रदर्शन और हंगामा किया।इमरान खान को अर्धसैनिक बलों ने उस वक्त गिरफ्तार कर लिया, जब वह भ्रष्टाचार के एक मामले में सुनवाई के लिये इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में मौजूद थे। इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद इस्लामाबाद में धारा 144 लागू कर दी गई है, क्योंकि उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पूरे शहर में प्रदर्शन किया और दंगे जैसी स्थिति पैदा कर दी।इस समय पाकिस्तान में जो हालात हैं, उसे देखकर साफ ऐसा लग रहा है कि ये मुल्क अब गृहयुद्ध की आग में झुलस रहा है। इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, 75 साल पहले दो देश बने। पहला भारत और दूसरा मज़हब के आधार पर पाकिस्तान, आज हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और पाकिस्तान गृहयुद्ध की आग में जल रहा है। भारत में भी कई ऐसे लोग हैं जो मज़हब के आधार पर विशेष सुविधाओं की मांग करते हैं। वो ये भी कहते हैं कि BJP, RSS और VHP विभाजनकारी एजेंडा चला रही है और मुसलमानों को परेशान कर रही है, सवाल ये है कि ये तीनों संगठन पाकिस्तान में तो नहीं हैं फिर वहां ऐसा क्यों हो रहा है?
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सुशांत सिन्हा ने कहा सच जीता और अहंकार हारा पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने मंगलवार को 'टाइम्स नाउ नवभारत' के कैमरामैन मृत्युंजय कुमार और ड्राइवर परमिंदर सिंह को अंतरिम जमानत दे दी है। वहीं, रिपोर्टर भावना किशोर की अंतरिम जमानत 22 मई तक बढ़ा दी है।जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मैसिस ने सबसे पहले गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी पर और बाद में मजिस्ट्रेट द्वारा दिए गए रिमांड आदेश पर सवाल उठाया। कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी और रिमांडिंग मजिस्ट्रेट द्वारा कानून के प्रावधानों को ध्यान में नहीं रखा गया।।इस पूरे मामले पर 'टाइम्स नाउ नवभारत' के सीनियर एंकर सुशांत सिन्हा ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, सच जीता..अहंकार हारा। भावना, कैमरामैन मृत्युंजय और ड्राइवर परमिंदर..तीनों को अंतरिम जमानत मिल गई है। पंजाब सरकार के वकील ने कोर्ट में मान लिया कि कैमरामैन और ड्राइवर की गिरफ्तारी गैरजरूरी थी। जज: ऐसा लगता है कि कानून के प्रावधान को ध्यान में नहीं रखा गया गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी और रिमांड देने वाले मजिस्ट्रेट द्वारा। जज ने साफ साफ कह दिया कि गिरफ्तार करना गैरजरूरी था। जीने के अधिकार को छीना गया |
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राजस्थान में कांग्रेस का सफाया तय! राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने सीएम अशोक गहलोत पर जमकर हमला बोला है। सचिन पायलट ने अपने आवास पर बुलाई प्रेस वार्ता में कहा कि वर्तमान में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत जी की नेता सोनिया गांधी नहीं हैं, बल्कि वसुंधरा राजे हैं।उन्होंने कहा, 'मुझे निकम्मा, नाकारा, गद्दार कहा गया गया। जो लोग सार्वजनिक जीवन में होते हैं, उनके लिए जनता ही तय करती है कि कौन निकम्मा है। कौन गद्दार है। उन्होंने आगे कहा, सीएम के भाषण से लगता है कि अनुशासनहीनता किसने की है। बहुत लोग मुझे बोलते हैं कि यहां हजारों करोड़ का घोटाला हो गया। मैं इसे मंच पर कहूं, शोभा नहीं देता है। मैं पिछले डेढ़ साल से चिट्टी लिख रहा हूं।वसुंधरा राजे के कार्यकाल में घोटाले हुए, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। राजस्थान कांग्रेस में मचे इस घमासान के बीच वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है- उन्होंने लिखा, सचिन पायलट ने तय कर लिया है कि वो तो डूबेंगे लेकिन कांग्रेस को भी डुबायेंगे। अगर अब भी कांग्रेस आलाकमान एक्शन नहीं लेता तो फिर राजस्थान में कांग्रेस का सफाया तय है। इसके लिये आलाकमान के अलावा कोई और जिम्मेदार नहीं होगा |
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रजत शर्मा बोले, होगी कांटे की टक्कर कर्नाटक में वोटिंग को लेकर वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने अपने ब्लॉग में लिखा कि इस बार कांटे की टक्कर दिखाई देगी। उन्होंने लिखा, कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार सोमवार शाम को खत्म होने के साथ राजनीतिक पंडित नतीजों के आकलन में जुट गए हैं। दो हफ्ते पहले जब प्रचार अभियान शुरू हुआ तो विशेषज्ञों ने जो एक आकलन किया था उसके मुताबिक कांग्रेस शुरुआत में आगे चलती नजर आ रही थी। कांग्रेस ने बीजेपी की बोम्मई सरकार पर 40 प्रतिशत कमीशन का मुद्दा सफलतापूर्वक चिपका दिया था।ऐसे में बीजेपी बचाव की मुद्रा में दिखी। बीजेपी के भी कुछ नेता ऐसे थे जो इस तरह का आरोप लगा रहे थे। बीजेपी को दूसरा धक्का तब लगा जब उसने नई पीढ़ी को मौका देने की कोशिश की और पुराने लोगों के टिकट काटे। ऐसे में जगदीश शेट्टार, लक्ष्मण सावदी जैसे पुराने और अनुभवी नेता बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। हवा कांग्रेस के पक्ष में बनने लगी थी, लेकिन इसके बाद कांग्रेस ने एक के बाद एक, कई गलतियां की।चुनाव घोषणापत्र में पीएफआई और बजरंग दल को एक जैसा बता दिया और मुस्लिम आरक्षण को बहाल करने का वादा कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात को पकड़ लिया। उन्होंने चुनावी सभाओं में बजरंग बली का जयघोष किया और पासा पलट दिया। तीन दिन तक तो कांग्रेस इसी की सफाई देने के चक्कर में पड़ी रही। इसके बाद कांग्रेस ने एक और गलती की।पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हुबली में अपनी जनसभा में कर्नाटक की ‘संप्रभुता’ की रक्षा करने की बात कही। अमित शाह ने इसे मुद्दा बना दिया और फिर कांग्रेस को सफाई देनी पड़ी। दो हफ्ते पहले तक कांग्रेस आक्रामक थी और बीजेपी बचाव की मुद्रा में थी लेकिन आज स्थिति उलटी है। अब कांग्रेस रक्षात्मक मुद्रा में है।शुरुआत में कांग्रेस आगे दिखाई दे रही थी लेकिन पूरे कर्नाटक में नरेंद्र मोदी के तूफानी प्रचार के बाद बीजेपी अब कांग्रेस की बराबरी पर आ गई है। जिस चुनाव में टक्कर जितनी कांटे की होती है, जहां हार जीत के अंतर कम होने के आसार होते हैं, वहां किसी के लिए भी यह अनुमान लगाना बहुत मुश्किल होता है कि सरकार किसकी बनेगी। ऐसे कांटे के टक्कर वाले चुनाव में ज्यादातर ओपिनियल पोल भी गलत साबित हो जाते हैं।
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शोभना यादव ने लगाई फटकार दिल्ली के जंतर-मंतर पर किसानों ने 8 मई को जमकर हंगामा किया और सरकार विरोधी नारेबाजी की। इसके अलावा किसानों ने पुलिस बैरिकेड तोड़ डाले।दरअसल, 16 दिनों से कुछ पहलवान भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं।इन पहलवानों के समर्थन में भारतीय किसान यूनियन के सदस्यों के जंतर-मंतर पहुंचने के वीडियो सामने आए हैं। इन वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि बैरिकेड पर चढ़े कथित किसानों को ‘मोदी तेरी कब्र खुदेगी, आज नहीं तो कल खुदेगी’ के नारे लगा रहे हैं।इन वीडियो के वायरल होने के बाद अब यह सवाल खड़े होने लगे है कि कहीं पहलवानों का यह आंदोलन राजनीतिक रूप तो नहीं ले रहा है? इस पूरे मसले पर वरिष्ठ पत्रकार और एंकर शोभना यादव ने ट्वीट कर इन नारेबाजी करने वालों को जमकर फटकार लगाई है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, हर बात पर जरूरी नहीं कि प्रधानमंत्री के लिए गलत बोला जाये। अब देश के प्रधानमंत्री की कब्र खोदने की बात कर रहे हैं। ना यह पहलवान है, ना यह शान्तिप्रिय आंदोलन है और ना ही यह जायज है। खिलाड़ियों को न्याय दिलाने के नाम पर मतलब कुछ भी?
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अमन चोपड़ा ने कही बड़ी बात फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। एक तरफ फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन कर रही है, तो वहीं इसका विरोध करने वालों की भी संख्या बढ़ती जा रही है।आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में फिल्म पर बैन लगा दिया गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विवादास्पद फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ के प्रदर्शन पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया है, ताकि ‘नफरत और हिंसा की किसी भी घटना’ को टाला जा सके। ममता बनर्जी ने कहा था कि ‘द केरल स्टोरी’ में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है, जिसका इरादा केरल को बदनाम करना है।इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार अमन चोपड़ा ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है। उन्होंने ट्वीट किया, फिल्म ISIS (आईएसआईएस) के खिलाफ है। फिल्म धर्मांतरण के आतंकी कनेक्शन को बताती है, लेकिन बंगाल में फिल्म को बैन कर दिया गया है। फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने वाली अदा शर्मा को जान से मारने की धमकी और जोधपुर में एक दलित को सर तन से जुदा की धमकी मिल चुकी है। फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन के नाम पर एंटी इंडिया विदेशी प्रोपगेंडा की उछल उछल कर भारत में स्क्रीनिंग कराने वाले सब अंडरग्राउंड हो चुके हैं।
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पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने सोमवार को 'टाइम्स नाउ नवभारत' की टीवी रिपोर्टर भावना किशोर को दी गई अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ा दी है, जबकि मामले में दर्ज की गई प्राथमिकी को रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई मंगलवार तक के लिए टाल दी है।सोमवार देर शाम जस्टिस एजी मसीह की कोर्ट में चीफ जस्टिस की मंजूरी के बाद मामला सुनवाई को पहुंचा। पंजाब सरकार की ओर से इस मामले में जवाब दाखिल किया गया और इस दौरान चली बहस के बाद कोर्ट ने मंगलवार को फिर से सुनवाई का आदेश दिया है। इसके साथ ही भावना की अंतरिम जमानत को भी मंगलवार तक बढ़ा दिया।सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने बताया कि शनिवार को हाई कोर्ट ने एफआईआर रद्द करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरिम तौर पर भावना को जमानत दे दी थी, लेकिन वाहन चला रहे ड्राइवर व चैनल के कैमरामैन को जमानत नहीं दी गई थी। सरकार ने कहा कि जमानत के लिए सीधे तौर पर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल नहीं की जा सकती। ऐसे में भावना को दी गई अंतरिम जमानत समाप्त करने की अपील की और अन्य दो आरोपियों की अंतरिम जमानत का विरोध किया।एससी/एसटी एक्ट में पत्रकार भावना किशोर की गिरफ्तारी के मामले में एफआईआर को राजनीतिक बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की गई है। इस पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि जब तक उस राजनेता को पक्ष नहीं बनाया जाता जिस पर आरोप है, इस दलील पर आगे सुनवाई नहीं होगी। सोमवार को लंबी बहस के बाद जस्टिस दीपक सिब्बल ने इस मामले में शनिवार को सुनवाई करने वाली बेंच के पास ही इस याचिका को भेजने का निर्णय लेते हुए याचिका मुख्य न्यायाधीश को रेफर कर दी।भावना किशोर और दो अन्य को पंजाब पुलिस ने शुक्रवार को गिरफ्तार किया था। इन पर कथित तौर पर आरोप लगाया गया है कि उनके वाहन ने एक महिला को टक्कर मार दी थी। इससे उसके हाथ में चोट लग गई थी। रविवार को ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने केंद्रीय जेल लुधियाना के अधीक्षक को जमानत बॉन्ड भरने के बाद टीवी रिपोर्टर को रिहा करने का आदेश दिया था।
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Rj Naved का जन्म 1 मई 1976 लखनऊ में हुआ था | नावेद का पूरा नाम नावेद खान / नावेद सिद्दीकी है | उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने स्थानीय गृहनगर स्कूल से पूरी की, एक साक्षात्कार में नावेद ने कहा कि उन्होंने 6 वीं कक्षा में अंग्रेजी सीखना शुरू किया। उन्होंने अपनी डिग्री बीबीएस (बैचलर ऑफ बिजनेस स्टडी) पूरी की | रेडियो मिर्ची में शामिल होने से पहले आरजे नावेद खान ने भारत में अग्रणी मोबाइल कंपनी ग्राहक सेवा में काम किया था। अपने करियर की शुरुआत में, वह मिमिक्री करना शुरू कर देता है, वह अलग-अलग व्यक्तियों के लिए मिमिक्री करने के लिए बहुत प्रसिद्ध है | आरजे नावेद ने अपने दर्शकों को बताया कि जब वह पिछली कंपनी में होते हैं तो एक 60 साल का व्यक्ति उन्हें बुलाता है, और आरजे नावेद के साथ लंबी बातचीत के बाद वह अपने आप शांत हो जाते हैं।2000 में रेडियो मिर्ची ने रेडियो जॉकी आरजे (हंट) नाम से कार्यक्रम का आयोजन किया, ऑडिशन के बाद आरजे नावेद खान को इस नौकरी के लिए चुना गया, जिसके बाद उन्हें एफएम रेडियो मिर्ची नावेद के नाम से जाना जाता है। उसके बाद, वह एफएम रेडियो पर "दिल का डॉन" और "मिर्ची मुंडा" कार्यक्रमों की मेजबानी करते हैं, उन्हें अपने प्रदर्शन के कारण कई पुरस्कार भी मिले |
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बरखा दत्त का जन्म 18 दिसंबर 1971 को देश की राजधानी दिल्ली में हुआ था. बरखा दत्त के पिता (Barkha Dutt Father) का नाम एस पी दत्त है. बरखा दत्त की माता का नाम प्रभा दत्त है. बरखा दत्त के पिता एयर इंडिया के एक अधिकारी थे. वहीं बरखा दत्त की माता पत्रकार थी. बरखा दत्त की बहन का नाम बहार दत्त है. बरखा दत्त की बहन भी एक टेलीविजन पत्रकार है.बरखा दत्त का जन्म 18 दिसंबर 1971 को देश की राजधानी दिल्ली में हुआ था. बरखा दत्त के पिता (Barkha Dutt Father) का नाम एस पी दत्त है. बरखा दत्त की माता का नाम प्रभा दत्त है. बरखा दत्त के पिता एयर इंडिया के एक अधिकारी थे. वहीं बरखा दत्त की माता पत्रकार थी. बरखा दत्त की बहन का नाम बहार दत्त है. बरखा दत्त की बहन भी एक टेलीविजन पत्रकार है.बरखा दत्त ने अपने करियर की शुरुआत NDTV के साथ की. बरखा दत्त ने लगभग 21 साल तक NDTV में काम किया. बरखा दत्त ने जब NDTV में काम करना शुरू किया तब उनकी उम्र महज 21 वर्ष थी. बरखा दत्त को पहली बार प्रसिद्धी मिली साल 1999 में हुए कारगिल युद्ध के दौरान. उस समय बरखा दत्त ने कैप्टेन बिक्रम बत्रा का इंटरव्यू लिया था, जोकि काफी लोकप्रिय हुआ. बरखा दत्त ने अपने करियर में साल 2002 में गुजरात में हुए दंगों, 2004 में आए भूकंप और सुनामी, 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले सहित कई महत्वपूर्ण मामलों पर रिपोर्टिंग की है. बरखा दत्त ने साल 2017 तक NDTV में काम किया.बरखा दत्त ने दो बार शादी की है. बरखा दत्त के पहले पति (Barkha Dutt First Husband) का नाम मीर है और वह एक कश्मीरी मुस्लिम है. हालांकि दोनों की शादी ज्यादा दिन नहीं चली और शादी के 6 महीने बाद ही बरखा दत्त और मीर का तलाक हो गया. बरखा दत्त के दुसरे पति (Barkha Dutt Second Husband) का नाम डॉ हसीब ड्राबू है और वह भी एक कश्मीरी मुस्लिम है. डॉ हसीब ड्राबू जम्मू कश्मीर बैंक के अध्यक्ष थे. हालांकि बरखा दत्त की यह शादी भी नहीं चली और उनका तलाक हो गया.
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नाविका कुमार ने कहा- न रहें किसी गलतफहमी में टाइम्स नेटवर्क की ग्रुप एडिटर नाविका कुमार ने एक बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि ऑपरेशन 'शीश महल' के बाद शुक्रवार 5 मई को पंजाब में टाइम्स नेटवर्क की एक महिला पत्रकार को हिरासत में ले लिया गया।हिंदी चैनल 'टाइम्स नाउ नवभारत' की संवाददाता भावना किशोर लुधियाना में आप संयोजक और दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल से सवाल करने गई थीं, तभी उन्हें पुरुष पुलिसवाले अपने साथ उठा ले गए थे | उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि ये मीडिया पर बड़ा हमला है और वो पंजाब सीएम से मांग करती है कि उनके रिपोर्टर को तुरंत रिहा किया जाए। इस मामले पर चैनल के सीनियर एंकर और वरिष्ठ पत्रकार सुशांत सिंह ने भी ट्वीट किया है।उन्होंने लिखा, एक महिला रिपोर्टर को झूठा केस बनाकर अरेस्ट कर लेने से किसी को ये लगता है कि वो नवभारत को डरा देंगे, हमारा हौसला तोड़ देंगे, सवालों से बच जाएंगे तो ये उनकी गलतफहमी है। नवभारत की और बेटियां भी सवाल पूछ रही हैं केजरीवाल जी, इनको भी अरेस्ट कराएंगे क्या?
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लॉन्च की नई मीडिया कंपनी वरिष्ठ पत्रकार और न्यूज एंकर शीतल राजपूत को लेकर एक बड़ी खबर सामने आयी है। खबर है कि अपने 23 साल के पत्रकारिता करियर में एक नया आयाम जोड़ते हुए शीतल राजपूत ने अब अपनी खुद की मीडिया कंपनी लॉन्च की है। कंपनी का नाम है 'शीतल राजपूत मीडिया नेटवर्क'।शीतल राजतपूत ने कहा कि यह मीडिया नेटवर्क डिजिटल न्यूज चैनल्स और न्यूज पोर्टल के साथ न्यू मीडिया की दुनिया में धमाकेदार शुरुआत करने जा रहा है। इस कड़ी में नेटवर्क पहले 2 डिजिटल चैनल ‘SR LIVE भारत’ और ‘SR LIVE कर्नाटक’ 6 मई यानी आज रात 9 बजे से LIVE होंगे। उन्होंने कहा, ‘जर्नलिज्म ने मुझे बहुत कुछ दिया है और अब समय है इस पेशे के लिए कुछ अच्छा, सकारात्मक और चुनौतीपूर्ण करने का। डिजिटल हमारा ‘आज’ भी है और ‘भविष्य’ भी। इस नए सफर को लेकर बेहद उत्साहित हूं।’
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कोर्ट ने पुलिस के दावों पर उठाए सवाल पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने शनिवार शाम विशेष सुनवाई के दौरान 'टाइम्स नाउ नवभारत' की रिपोर्टर भावना किशोर को अंतरिम जमानत दे दी है। पंजाब पुलिस ने शुक्रवार को भावना किशोर को गिरफ्तार कर लिया था।भावना किशोर पर दलित महिला को कार से टक्कर मारने और उसके साथ गाली गलौज करने के आरोप में पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया था।न्यायमूर्ति ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की पीठ ने भावना किशोर द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग वाली याचिका में अंतरिम जमानत दे दी।भावना किशोर की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि जो लड़की बाहर से रिपोर्टिंग करने आयी है, उसको स्थानीय व्यक्ति की जाति के बारे में कैसे पता चल जाएगा। भावना के वकील चेतन मित्तल ने कहा कि भावना की गिरफ्तारी गैरकानूनी थी। कोर्ट ने इस पूरे मामले को सुना, जिसके बाद कोर्ट ने भावना को अंतरिम जमानत दे दी।पंजाब पुलिस ने भावना किशोर को शुक्रवार को लुधियाना में गिरफ्तार किया था, जिसके बाद शनिवार को उन्हें कोर्ट में पेश किया गया था, जहां से उन्हें 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। इस मामले में पंजाब पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे थे। बता दें कि पुलिस ने भावना किशोर के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है, पुलिस का दावा है कि भावना ने जाति सूचक शब्द का इस्तेमाल किया था।हाईकोर्ट से पहले इस मामले की सुनवाई जब निचली अदालत में चल रही थी तब जज ने दो बार पुलिस से एफआईआर की कॉपी मांगी थी, जिसके बाद कोर्ट को एफआईआर की कॉपी उपलब्ध कराई गई। लुधियाना पुलिस ने दूसरी बार मांगने पर कोर्ट को एफआईआर की कॉपी उपलब्ध कराई थी, जिसके बाद कोर्ट ने भावना किशोर को 19 मई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
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राजदीप सरदेसाई का जन्म 24 मई 1965 को अहमदाबाद, गुजरात में हुआ था। उनके पिता का नाम दिलीप सरदेसाई है वह एक पूर्व भारतीय टेस्ट क्रिकेटर थे और उनकी माँ का नाम नंदिनी है, वह सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई में समाजशास्त्र विभाग के पूर्व प्रमुख हैं। उन्होंने पत्रकार और लेखक सागरिका घोष से शादी की है।राजदीप सरदेसाई ने मुंबई के कैंपियन स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा की शुरुआत की, और द कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल, मुंबई से स्कूल की शिक्षा पूरी की। और सेंट जेवियर्स कॉलेज से अर्थशास्त्र में बैचलर की डिग्री हासिल की। इसके बाद वे ऑक्सफोर्ड कॉलेज गये जहां उन्होंने मास्टर ऑफ आर्ट्स और बैचलर ऑफ लॉ की डिग्री हासिल की।अपने पिता स्वर्गीय दिलीप सरदेसाई के रूप में एक खेल पृष्ठभूमि से होने के कारण, एक प्रसिद्ध टेस्ट क्रिकेटर थे, उन्होंने ऑक्सफोर्ड में भी साबित कर दिया कि कई भारतीयों की तरह, उन्हें भी क्रिकेट का शौक है और विश्वविद्यालय में उन्होंने ऑक्सफोर्ड के लिए 6 प्रथम श्रेणी क्रिकेट में प्रदर्शन किया और एक संयुक्त ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज पक्ष के लिए उन्हें क्रिकेट ब्लू से सम्मानित किया गया।राजदीप सरदेसाई 1988 में टाइम्स ऑफ इंडिया में शामिल हो गये, फिर छह साल तक उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ काम किया और जिसके बाद उन्हें मुंबई संस्करण के शहर संपादक बना दिया गया।उन्होंने 1994 में NDTV के राजनीतिक संपादक के रूप में टेलीविजन पत्रकारिता में प्रवेश किया। वह NDTV 24X7 और NDTV इंडिया दोनों के प्रबंध संपादक थे और दोनों के लिए समाचार नीति की देखरेख करते थे। उन्होंने NDTV पर द बिग फाइट जैसे लोकप्रिय शो की मेजबानी की।उन्होंने 17 अप्रैल 2005 को अमेरिकी कंपनी सीएनएन के सहयोग से अपनी खुद की कंपनी, ग्लोबल ब्रॉडकास्ट न्यूज शुरू करने के लिए एनडीटीवी छोड़ दिया। बाद में सीएनबीसी के भारतीय संस्करण को सीएनबीसी-टीवी18, हिंदी उपभोक्ता चैनल, सीएनबीसी आवाज और एक अंतरराष्ट्रीय चैनल, एसएडब्ल्यू कहा जाता है। यह 17 दिसंबर 2005 को ऑन एयर हुआ।1 जुलाई 2014 को, सीएनएन आईबीएन के प्रधान संपादक राजदीप ने पूरी संस्थापक टीम – संपादकीय और प्रबंधकीय – के साथ नेटवर्क 18 समूह से इस्तीफा दे दिया। और अब राजदीप सरदेसाई आज तक के सह चैनल इंडिया टुडे मे प्रधान संपादक और एंकर के तौर पर कार्यरत है।
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चित्रा त्रिपाठी का जन्म 11 मई 1986 को उत्तरप्रदेश के गोरखपुर में हुआ था। चित्रा त्रिपाठी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गोरखपुर से प्राप्त की। उन्होंने अपनी स्कूल शिक्षा गोरखपुर के A. D. गवर्मेंट गर्ल्स इंटर कॉलेज से प्राप्त की, जिसके बाद उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी से अपना पोस्ट ग्रेजुएशन किया।चित्रा त्रिपाठी ने डिफेन्स स्टडीज में अपना पोस्ट ग्रेजुएशन किया। चित्रा इंडियन डिफेन्स में ज्वाइन करना चाहती थी। बचपन में उन्होंने एनसीसी कैडेट में गोल्ड मैडल हासिल हासिल किया था और वह गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर होने वाली परेड में भी हिस्सा ले चुकी हैं।2008 में उन्होंने अपने लंबे समय के प्रेमी अतुल अग्रवाल से शादी की, जो एक हिंदी टीवी पत्रकार और समाचार एंकर थे।त्रिपाठी वर्तमान में आजतक चैनल के साथ हैं। अपने स्नातक विद्यालय के दौरान उन्होंने कभी पत्रकार बनने के बारे में नहीं सोचा। क्योंकि वह भारतीय सेना में शामिल होना चाहती थी। लेकिन जब उन्होंने गोरखपुर के दूरदर्शन केंद्र में अपना करियर शुरू किया तो उन्होंने अपना विचार बदल दिया और पत्रकारिता में अपना करियर बनाने का फैसला किया।त्रिपाठी ने अपने करियर की शुरुआत 2005 में गोरखपुर दूरदर्शन से की थी। उन्होंने सहारा इंडिया, इंडिया न्यूज, न्यूज 24, ईटीवी नेटवर्क, एबीपी न्यूज जैसे कई समाचार चैनलों के साथ काम किया है।वह 2016 में एबीपी न्यूज़ में शामिल हुईं और कौन बनेगा राष्ट्रपति, 2019 कौन जीतेगा, मोदी के 4 साल, आदि जैसे कई शो की मेजबानी की।11 फरवरी को उन्होंने एबीपी से इस्तीफा दे दिया और बाद में आजतक से इस्तीफा देने और फिर से एबीपी में शामिल होने के लिए डिप्टी एडिटर के रूप में आजतक में शामिल हो गईं |
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पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी इस समय भारत में हैं। भुट्टो वर्तमान में गोवा में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के लिए भारत आए हुए हैं और 'इंडिया टुडे' के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई को खास इंटरव्यू भी दिया है।इस इंटरव्यू में उन्होंने भारत पाकिस्तान के रिश्तों को लेकर खुलकर अपनी राय रखी है। जब राजदीप सरदेसाई ने उनसे ये पूछा कि अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर के साथ कोई बातचीत क्यों नहीं की! इस सवाल का जवाब देते हुए पाक विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने कहा कि 'जब तक भारत 5 अगस्त, 2019 (अनुच्छेद 370 को निरस्त करने) पर की गई कार्रवाई की समीक्षा नहीं करता है, पाकिस्तान भारत के साथ द्विपक्षीय रूप से जुड़ने की स्थिति में नहीं है।'उन्होंने आगे कहा कि 'जहां तक भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों या मेरे भारतीय समकक्ष के साथ किसी भी सार्थक जुड़ाव या बातचीत पर पाकिस्तान की स्थिति है, हमारी स्थिति अपरिवर्तित है।'आतंकवाद पर किए गए प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि 'उनका देश आतंकवाद को खत्म करना चाहता है, इसलिए नहीं कि भारत ने ऐसा कहा या भारत सरकार ने ऐसा कहा, बल्कि इसलिए कि हम इस खतरे को खत्म करना चाहते हैं।'
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केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, कपड़ा और उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि मीडिया व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री भारत के लिए अमृत काल के इस निर्णायक क्षण में अतुलनीय छाप छोड़ेगी। फिक्की फ्रेम्स 2023 में अपने संबोधन के दौरान, केंद्रीय मंत्री ने भारतीय सिनेमा को वैश्विक मानचित्र पर ले जाने की प्रतिबद्धता के लिए इंडस्ट्री की सराहना की।मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में सरकार मीडिया व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री द्वारा विश्व स्तर पर इस क्षेत्र की सीमाओं का विस्तार करने और दुनिया के दूर दराज के कोनों तक पहुंचने के सभी प्रयासों में मदद कर रही है। उन्होंने कहा कि मीडिया व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री दुनिया को यह संदेश दे सकती है कि भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की राह पर है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में एक अद्वितीय प्रतिभा और कौशल के साथ बेहद प्रतिस्पर्धी मूल्य पर दुनिया को आर्थिक विकास और व्यापार वृद्धि के लिए बेजोड़ अवसर भी प्रदान करता है।मंत्री ने आधुनिक तकनीकों को कुशलतापूर्वक अपनाने के लिए इंडस्ट्री की सराहना की और कैमरों के रूप में स्मार्टफोन के व्यापक उपयोग का उदाहरण दिया। गोयल ने कहा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म के आने से मीडिया व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री का तेजी से विकास होगा। गोयल ने 'अवतार' जैसी हॉलीवुड फिल्मों में शामिल भारतीय वीएफएक्स कंपनियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप्स इस क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।मंत्री ने कहा कि मीडिया व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री दुनिया को आज का नया भारत दिखा सकती है और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकती है, देश को नए दर्शकों तक पहुंचने में मदद कर सकती है, विचारों को प्रभावित कर सकती है और सकारात्मकता फैला सकती है। उन्होंने कहा कि यह सकारात्मकता लोगों, सरकार और व्यवसायों को अधिक आकांक्षात्मक होने और बेहतर जीवन शैली और बेहतर व्यावसायिक अवसरों की मांग के साथ भविष्य को देखने के लिए प्रोत्साहित करती है।गोयल ने कहा कि मीडिया व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री भारत के सांस्कृतिक दूत हैं और उन्होंने भारत को एक विशिष्ट पहचान दी है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि मीडिया व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में लोगों, व्यवसायों और राष्ट्रों को जोड़ने की बहुत बड़ी क्षमता है, जिससे दुनिया भर में विभिन्न संस्कृतियों और स्थितियों की बेहतर समझ और प्रशंसा हो सके।मंत्री ने यह भी कहा कि दुनिया भी भारतीय कला और संस्कृति की सराहना कर रही है और हाल ही में 'नाटु-नाटु' गीत और 'एलिफेंट व्हिस्परर्स' के लिए ऑस्कर पुरस्कार इस वैश्विक प्रशंसा को प्रदर्शित करते हैं। इन पुरस्कारों ने भारत को एक सामाजिक संदेश देने में मदद की कि स्थिरता भारतीय संस्कृति और परंपरा के मूल में है। उन्होंने कहा कि नारी शक्ति के संदेश को भी प्रभावी ढंग से व्यक्त किया गया, क्योंकि पुरस्कारों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारतीय महिलाएं नए भारत को परिभाषित कर रही हैं। इन उपलब्धियों से अरबों लोगों का मनोबल बढ़ रहा है।पीयूष गोयल ने कहा कि 'इंस्पायर, इनोवेट एंड इमर्स' थीम वर्तमान समय के लिए प्रासंगिक है क्योंकि यह मीडिया व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री द्वारा प्रदर्शित जीवंतता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह थीम इस विश्वास के साथ भी प्रतिध्वनित होता है कि रचनात्मकता वास्तव में वाणिज्य को बढ़ा सकती है। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री भारत की सांस्कृतिक पहचान और सांस्कृतिक विरासत के प्रमुख स्तंभ के रूप में कार्य करता है। मंत्री ने कहा कि फिक्की फ्रेम्स अब मीडिया और एंटरटेनमेंट क्षेत्र में एक स्थापित मंच बन गया है जो दुनिया को दिखाता है कि भारत वास्तव में किसी चीज का प्रतीक है |
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प्रसार भारती ने अपनी रेडियो सेवा ‘ऑल इंडिया रेडियो’ का नाम बदलकर 'आकाशवाणी' करने का फैसला किया है, जैसा कि कानून में उल्लेख किया गया है।आकाशवाणी की महानिदेशक वसुधा गुप्ता की ओर से बुधवार को जारी एक आंतरिक आदेश में उस वैधानिक प्रावधान का तत्काल प्रभाव से अनुपालन करने को कहा गया है जिसके अनुसार ऑल इंडिया रेडियो का नाम बदलकर आकाशवाणी कर दिया था।प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गौरव द्विवेदी ने कहा, ‘यह सरकार का बहुत पुराना फैसला है जो पहले लागू नहीं किया गया था। अब हम इसे लागू कर रहे हैं।’प्रसार भारती (भारतीय प्रसारण निगम, BCI) अधिनियम, 1990 में उल्लेख किया गया है कि 'आकाशवाणी' का अर्थ उन कार्यालयों, स्टेशनों और अन्य प्रतिष्ठानों से है जो अपनी शुरुआत के दिन केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अखिल भारतीय रेडियो के महानिदेशक का हिस्सा या उसके अधीन थे। प्रसार भारती अधिनियम 15 नवंबर, 1990 को लागू हुआ था। आंतरिक आदेश में कहा गया है, 'उपरोक्त वैधानिक प्रावधान, जिसके तहत ऑल इंडिया रेडियो का नाम बदलकर 'आकाशवाणी' कर दिया था, को सभी के संज्ञान में लाया जा सकता है ताकि नाम और शीर्षक संसद द्वारा पारित प्रसार भारती अधिनियम 1997 के प्रावधानों के अनुरूप हो सकें। प्रसिद्ध कवि रविंद्रनाथ टैगोर ने 1939 में कलकत्ता शॉर्टवेव सेवा के उद्घाटन के लिए लिखी एक कविता में ऑल इंडिया रेडियो को 'आकाशवाणी' का नाम दिया था |
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भारत की रैंकिंग पर पत्रकार अखिलेश शर्मा ने उठाया सवाल वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे के मौके पर फ्रांस आधारित संस्था 'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' (RSF) ने बुधवार 3 मई को अपनी वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित की। रिपोर्ट में भारत की स्थिति पर चिंता जताई गई है, क्योंकि 2023 के वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत 11 पायदान गिरकर 161वें स्थान पर पहुंच गया है।RSF ने पिछले साल 180 देशों के एक सर्वे में भारत को 150वां स्थान दिया था। आरएसएफ की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘तीन देशों- ताजिकिस्तान (एक स्थान गिरकर 153वें स्थान पर), भारत (11 स्थान गिरकर 161वें स्थान पर) और तुर्किये (16 स्थान गिरकर 165वें स्थान पर) में स्थिति ‘समस्याग्रस्त’ से ‘बहुत खराब’ हो गई है।’इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है। उन्होंने लिखा, यह सही है कि भारत में मिशन पत्रकारिता अंतिम सांस ले रही है। अभियानी पत्रकारिता सिमटती जा रही है। कॉर्पोरेट पत्रकारिता का बोलबाला है। लेकिन भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में तमाम खामियों के बावजूद प्रेस की आजादी पर वैसा संकट नहीं जैसा यह हास्यास्पद रैंकिग दिखाने की कोशिश कर रही है।
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‘जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड’ (ZMCL) में चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (CEO) के पद पर अभय ओझा की नियुक्ति को ‘सूचना प्रसारण मंत्रालय’ (MIB) ने अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है।इससे पहले फरवरी में ‘बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज’ (BSE) को दी गई जानकारी में कंपनी ने कहा था, ‘हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि कंपनी की नामांकन और पारिश्रमिक समिति (Nomination and Remuneration Committee) ने 14 फरवरी 2023 को एक बैठक में मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और प्रमुख प्रबंधकीय कार्मिक (केएमपी) के रूप में नियुक्ति को लेकर अभय ओझा की उम्मीदवारी पर विचार किया है। इसके साथ ही अप-लिंकिंग दिशानिर्देशों के तहत ‘सूचना-प्रसारण मंत्रालय’ (MIB) की पूर्व स्वीकृति प्राप्त करने के लिए प्रबंधन को आवश्यक आवेदन फाइल करने की सलाह दी है।’बता दें कि अभय ओझा को पिछले साल नवंबर में ‘जी बिजनेस’ (Zee Business) और ‘विऑन’ (WION) को छोड़कर सभी लिनियर चैनल्स के चीफ बिजनेस ऑफिसर (CBO) की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।अभय ओझा ने फरवरी 2022 में ‘जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड’ (ZMCL) को जॉइन किया था। तब उन्हें क्लस्टर-3 का हेड (P&L) नियुक्त किया गया था। इससे पहले वह ‘चंगा’ (Changa) में चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर के तौर पर अपनी भूमिका निभा रहे थे। इसके अलावा पूर्व में वह ‘एचयूएल’ (HUL) और ‘स्टार’ (Star) में प्रमुख भूमिका निभा चुके हैं।
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रुबिका लियाकत ने कसा विरोधियों पर तंज भारत में मंदी की संभावना शून्य है। ऐसा World of Statistics की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा मंदी का असर ब्रिटेन में दिखने का अनुमान है।यहां मंदी के 75 फीसदी रहने का अनुमान है और इसके बाद दूसरे नंबर पर न्यूजीलैंड है, जहां मंदी का 70 फीसदी असर हो सकता है। अमेरिका इस मामले में तीसरे नंबर पर रहेगा, जहां मंदी का असर 65 फीसदी होने की संभावना है। फ्रांस में 50 प्रतिशत मंदी का असर हो सकता है।वहीं कनाडा में 60 फीसदी, इटली में 60 फीसदी और जर्मनी में भी 60 फीसदी मंदी का असर दिख सकता है। इस डाटा के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार और एंकर रुबिका लियाकत ने देश विरोधी बातें करने वालों को आईना दिखाने का काम किया है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि मंदी की संभावना पर World of Statistics का पूर्वानुमान है कि भारत को मंदी छू भी न पाएगी। चांस है 0% ! वैधानिक चेतावनी- जिनके लिए ‘देश का बेड़ा गर्क’ हो गया है, उनके ‘एजेंडे’ को ‘दिल का दौरा’ पड़ सकता है। रुबिका लियाकत के इस ट्वीट पर लोग जमकर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं और यह वायरल हो रहा है।
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वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे के मौके पर फ्रांस आधारित संस्था 'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' ने बुधवार 3 मई को अपनी वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित की। रिपोर्ट में भारत की स्थिति पर चिंता जताई गई है, क्योंकि 2023 के वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत 11 पायदान गिरकर 161वें स्थान पर पहुंच गया है।आरएसएफ ने पिछले साल 180 देशों के एक सर्वे में भारत को 150वां स्थान दिया था। आरएसएफ की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘तीन देशों- ताजिकिस्तान (एक स्थान गिरकर 153वें स्थान पर), भारत (11 स्थान गिरकर 161वें स्थान पर) और तुर्किये (16 स्थान गिरकर 165वें स्थान पर) में स्थिति ‘समस्याग्रस्त’ से ‘बहुत खराब’ हो गई है।’रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अन्य स्थिति जो सूचना के मुक्त प्रवाह को खतरनाक रूप से प्रतिबंधित करती है, वह नेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखने वाले कुलीन वर्गों की ओर से मीडिया संस्थानों का अधिग्रहण है।’इंडियन वुमन्स प्रेस कोर, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया और प्रेस एसोसिएशन ने इंडेक्स में देश के स्थान में गिरावट पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए एक संयुक्त बयान जारी किया। संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘आरएसएफ की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत सहित कई देशों में प्रेस फ्रीडम के इंडेक्स खराब हुए हैं।’बयान में कहा गया कि ग्लोबल साउथ में विकासशील लोकतंत्रों के लिए जहां असमानता की गहरी खाई मौजूद है, मीडिया की भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता है। इसी तरह अनुबंध पर बहाली जैसी अस्थिर कामकाजी परिस्थितियां भी प्रेस की स्वतंत्रता के समक्ष चुनौतियां हैं। असुरक्षित कामकाजी परिस्थितियां कभी भी स्वतंत्र प्रेस में योगदान नहीं दे सकतीं।वहीं रिपोर्ट सामने आने के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया है। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत के स्थान आयी गिरावट को लेकर चिंता जाहिर की है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘हम सभी के लिए शर्म से सिर झुकने समय: विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 180 देशों में 161वें स्थान पर पहुंच गया है’|
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क्रिकेट के लाखों चाहने वाले हुए घायल रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) और लखनऊ सुपर जाएंट्स (LSG) के मैच में विराट कोहली ने कई खिलाड़ियों के साथ बहस की थी। नवीन उल-हक से भिड़ने के बाद उन्होंने अमित मिश्रा और गौतम गंभीर से बहस की थी। इस वजह से उनकी पूरी मैच फीस काट ली गई। इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार और लेखक नीरज बधवार ने बड़ी बात कही है। उन्होंने लिखा, किसी भी खिलाड़ी को आदर्श मानने में उसका खेल ही नहीं उसका आचरण भी शामिल होता है। सचिन या धोनी इसलिए लेजेंड नहीं माने जाते कि उनके रेकॉर्ड बड़े हैं, वे इसलिए लेजेंड हैं क्योंकि उन्होंने हमेशा मैदान में मर्यादित व्यवहार किया। ये मर्यादित व्यवहार ही आपको अच्छे खिलाड़ी से महान इंसान बनाता है।ये व्यवहार ही बतौर इंसान आपकी उपयोगिता बढ़ाता है। वो आपको सिर्फ खिलाड़ी तक सीमित न रखकर आदर्श बनाता है। मगर जब कोई बड़ा खिलाड़ी इस जिम्मेदारी को भूलकर अपने गुस्से या अहम के हाथों मजबूर हो झगड़ने या गाली गलौज करने लगे तो वो उस महानता के पायदान से बहुत नीचे गिर जाता है। तकलीफ की बात ये है कि एक दशक से लंबे करियर के बाद विराट कोहली ये बात नहीं समझ पाए कि हार-जीत और आंकड़ों से कहीं बड़ी बात ये होती है कि उस हार जीत को पाने के क्रम में आपने कैसा बर्ताव किया।बतौर खिलाड़ी आपका मूल्यांकन आपके आकंड़ों के साथ-साथ आपके बर्ताव से किया जाता है। यही बात गंभीर को लेकर भी है। गंभीर खुद कई बार स्वीकार चुके हैं कि उन्हें मैदान में आक्रमक रहना पसंद है। मगर वह भी ये भूल गए कि सोमवार को वह मैदान में खिलाड़ी नहीं कोच की भूमिका में थे। क्रिकेट में इस स्तर पर कोच का काम खिलाड़ियों को तकनीक सीखना नहीं बल्कि अपनी भावनाओं को कैरी करना सीखना होता है। एक कोच या मेंटोर खिलाड़ियों को ये बताता है कि असफलता और गुस्से के वक्त कैसे खुद पर काबू रखें। मगर कोच जब खुद बार-बार बेकाबू हो जाए, तो ये बताता है कि वो उस पद के लिए मानसिक तौर पर मजबूत नहीं है।
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पलकी शर्मा उपाध्याय ने जताई ये आशंका अमेरिका का एक और दिग्गज बैंक 'फर्स्ट रिपब्लिक बैंक' डूब गया है। अमेरिकी नियामकों ने इस बैंक की सारी संपत्ति जब्त कर ली है। इसके साथ ही जेपी मॉर्गन चेस बैंक ने संकटग्रस्त फर्स्ट रिपब्लिक बैंक को खरीद लिया है और उसकी सभी जमाओं और अधिकांश संपत्तियों को अपने कब्जे में ले लिया है।इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार और प्राइम टाइम एंकर पलकी शर्मा उपाध्याय ने ट्वीट कर बड़ी आशंका जाहिर की है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, मार्च के बाद से अमेरिका में तीसरी बैंक विफलता। अमेरिका के इतिहास में दूसरा सबसे बड़ा। जेपी मॉर्गन फर्स्ट रिपब्लिक बैंक को खरीदता है। पिछले साल, एक शेयर 200$ पर था और पिछले महीने, यह 5$ से कम था। 11 बैंकों ने 30 बिलियन डॉलर की मदद की, लेकिन उससे भी कोई मदद नहीं हो पाई। क्या अमेरिकी बैंकिंग संकट खत्म हो रहा है या बिगड़ रहा है?आपको बता दें, सैन फ्रांसिस्को स्थित फर्स्ट रिपब्लिक मार्च की शुरुआत से बुरे वक्त का सामना कर रहा था और ऐसा माना जा रहा था कि बैंक ज्यादा वक्त तक एक स्वतंत्र संस्था के रूप में जीवित नहीं रह सकता है।
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वरिष्ठ पत्रकार और महिला पत्रकारों के प्रमुख संगठन 'Indian women's Press Corps' (IWPC) की लगातार दूसरी बार निर्वाचित प्रेजिडेंट शोभना जैन से हाल ही में एक मुलाकात के दौरान IWPC चुनाव में उनके द्वारा पेश किए गए घोषणापत्र समेत मीडिया से जुड़े तमाम प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई। शोभना जैन ने अंग्रेजी साहित्य से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। इसके अलावा जर्मन भाषा का कोर्स भी किया है। मीडिया में अपने करियर की शुरुआत मैंने न्यूज एजेंसी ‘यूनिवार्ता’ (Univarta) से बतौर इंटर्न की थी। इसके बाद मैं वहां ब्यूरो चीफ के पद तक पहुंची।वर्तमान में 'इंडियन वुमेंस प्रेस कॉर्प्स' के सदस्यों की संख्या 800 से अधिक है। यहां आम महिलाओं से जुड़े सरोकारों के साथ-साथ महिला पत्रकारों से जुड़े तमाम मुद्दे जैसे उनकी फ्रीडम और उनके कल्याण से जुड़े जैसे मुद्दों को हम प्राथमिकता देते हैं। इसके अलावा सामाजिक सरोकारों से जुड़े तमाम मुद्दों को भी हम उठाते हैं।
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राहुल मिश्रा ने नोएडा से प्रसारित ‘लोकमंच न्यूज’ चैनल के साथ अपनी नई पारी की शुरुआत की है। राहुल ने यहां ब्यूरो चीफ, यूपी के पद पर जॉइन किया है।इससे पहले राहुल मिश्रा हिंदी न्यूज चैनल ‘एएनबी नेशनल’ (Anb National) में करीब दो साल से बतौर विशेष संवाददताता लखनऊ में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। यहां वह इस चैनल की लॉन्चिंग टीम का हिस्सा थे।राहुल मिश्रा पूर्व में करीब तीन साल ‘ओके इंडिया’ नेशनल न्यूज़ चैनल में और करीब दो साल तक ‘के न्यूज’ चैनल में ब्रेकिंग डेस्क पर असाइनमेंट प्रड्यूसर रहे हैं। इसके अलावा वह भोपाल से प्रसारित Mkn National में भी लंबे समय तक कार्यरत रहे हैं। वह Vk News चैनल में ब्यूरो चीफ, लखनऊ और हर खबर नेशनल में भी कार्य कर चुके हैं।मूल रूप से लखनऊ के रहने वाले राहुल मिश्रा ने लखनऊ विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट किया है। इसके अलावा उन्होंने उत्तर प्रदेश राजश्री टंडन गवर्मेंट यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है |
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इस घटना पर बोले सुमित अवस्थी : भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह लगातार पहलवानों के आरोप को लेकर सफाई दे रहे हैं। WFI चीफ ने कहा कि उनके खिलाफ जंतर-मंतर पर शीर्ष पहलवानों के धरने राजनीति से प्रेरित है। बृजभूषण ने कहा कि इसके पीछे देश का एक बड़ा उद्योगपति और एक बाबा है।उन्होंने कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा का भी नाम लिया और कहा की अगर पीएम मोदी, अमित शाह या जेपी नड्डा कहेंगे तो वो इस्तीफा दे देंगे। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार सुमित अवस्थी ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, ब्रजभूषण शरण सिंह ने अपने कुश्ती संघ के विवाद में पीएम, गृहमंत्री और पार्टी अध्यक्ष का नाम घसीटकर आलाकमान के लिये आफत ही खड़ी कर दी है। ऐसा लग रहा है कि बीजेपी आलाकमान ने ही सिंह से कहा है कि कुश्ती संघ के अध्यक्ष की कुर्सी से चिपके रहो, चाहे महिला खिलाड़ी कितना भी विरोध करती रहें।कुश्ती संघ से इस्तीफा देना या ना देना खुद बृजभूषण शरण सिंह को तय करना है! वो चाहें तो कभी भी इस्तीफा दे सकते हैं। अगर वो इस्तीफा देना तय कर लें तो कोई उन्हें रोक सकता है क्या? सार्वजनिक जीवन में शुचिता जरूरी है। अतीत में अपने ऊपर लगे इल्जाम के बाद बीजेपी के बड़े नेता लालकृष्ण अडवाणी त्यागपत्र देकर एक मॉडल स्थापित कर चुके हैं। देश की पहलवानों से जुड़ी इस खबर का असर जाने-अनजाने में कर्नाटक चुनाव में भी पड़ने का भी खतरा बढ़ता जा रहा है।
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सूचना और प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) ने 12 अप्रैल, 2023 और 31 अप्रैल, 2023 के बीच 11 मल्टी-सिस्टम ऑपरेटर्स (MSOs) यानी कि केबल ऑपरेटर्स का रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिया है। बता दें कि रजिस्टर्ड MSOs की कुल संख्या 12 अप्रैल, 2023 को 1,747 थी, जिसकी तुलना में 31 अप्रैल, 2023 तक 1,736 रह गई है।महत्वपूर्ण सूचनाएं छिपाने के कारण MSOs सस्मिता नेटवर्क (Sasmita Network) के रजिस्ट्रेशन के अनुरोध को 20 अप्रैल, 2023 को खारिज कर दिया गया। इस बीच, केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के नियम 10ए और नियम व शर्तों के उल्लंघन के कारण डीईबी टीवी (DEB TV) का रजिस्ट्रेशन 26 अप्रैल 2023 को कैंसिल कर दिया गया। वहीं इन्हीं नियमों के उल्लंघन के चलते बनगांव केबल टीवी नेटवर्क (Bongaon Cable TV Network) का रजिस्ट्रेशन भी कैंसिल कर दिया गया।टेलीकम्युनिकेशन (ब्रॉडकास्टिंग एंड केबल) सर्विसेज इंटरकनेक्शन (एड्रेसेबल सिस्टम्स) विनियम, 2017 के विनियम 15(1) और केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के नियम 10ए के उल्लंघन के कारण एडवांस मल्टीसिस्टम ब्रॉडबैंड कम्युनिकेशंस लिमिटेड (Advance Multisystem Broadband Communications Ltd ) का रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिया गया है। यह रजिस्ट्रेशन 24.04.2023 को कैंसिल किया गया है। इसी तरह से हॉर्नबिल मीडिया प्राइवेट लिमिटेड का रजिस्ट्रेशन नियम व शर्तों का पालन न करने के कारण 21.04.2023 को कैंसिल कर दिया गया है। अन्य MSOs में एससीवी स्काई विजन (SCV Sky Vision) शामिल है।
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अशोक श्रीवास्तव ने कही 'मन की बात' 'डीडी न्यूज' के लोकप्रिय शो 'दो टूक' ने अपने सात साल पूरे कर लिए हैं। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार और एंकर अशोक श्रीवास्तव ने ट्वीट कर अपने 'मन की बात' कही है। उन्होंने ट्विटर पर बताया कि कैसे इस शो को शुरू करने की प्रेरणा उनको मिली और कैसे उसे मूर्त रूप दिया गया और आज सात साल से यह शो चला आ रहा है और आज डीडी न्यूज का सबसे अधिक देखे जाने वाला शो बन गया है।अशोक श्रीवास्तव ने ट्वीट किया कि 2016 में जब JNU में नारे लगे थे 'भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह' तब इससे व्यथित होकर और इस जहरीली विचारधारा से लड़ने के उद्देश्य से डीडी न्यूज पर 'दो टूक' कार्यक्रम को शुरू किया था। बहुत लड़ाई लड़नी पड़ी, संघर्ष करना पड़ा, क्योंकि डीडी न्यूज पर कोई राजनीतिक डिबेट का कार्यक्रम होता ही नहीं था। पर आज खुशी होती है कि मेरा प्रोग्राम 'दो टूक' एक ब्रैंड बन गया है। और आज डीडी न्यूज का सबसे ज्यादा देखा जाने वाला कार्यक्रम है।इस बारे में समाचार4मीडिया से बातचीत करते हुए अशोक श्रीवास्तव ने बताया कि उनका यह शो सोमवार से शुक्रवार रात 9 बजे से 10 बजे तक प्रसारित होता है और यह ऐसा राजनीतिक डिबेट शो है जहां बिना तथ्य के कोई बात नहीं की जाती है।उन्होंने बताया कि आज इस डिबेट शो की लोकप्रियता के पीछे सिर्फ उनका ही नहीं बल्कि उनकी पूरी टीम का हाथ है। उन्होंने बताया कि उनकी टीम इस शो के लिए बहुत मेहनत और शोध करती है, उनके बिना इस शो की कल्पना नहीं की जा सकती है और यह आश्वासन दिया कि जल्द ही उनका यह शो शनिवार को भी प्रसारित होगा।
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ट्विटर पर आर्टिकल पढ़ने के लिए मीडिया पब्लिसर्स यूजर्स से ले सकेंगे पैसे एलन मस्क ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर पर बड़े बदलाव करने का ऐलान किया है, जोकि मीडिया पब्लिसर्स से जुड़ा है। दरअसल, ट्विटर अब मीडिया पब्लिसर्स को अगले महीने से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आर्टिकल पढ़ने के लिए यूजर्स से शुल्क लेने की अनुमति देगा। कंपनी के सीईओ एलन मस्क ने शनिवार को इसकी घोषणा की।इस नई घोषणा को एलन मस्क ने मीडिया ऑर्गनाइजेशंस और जनता दोनों के लिए जीत बताया। मस्क ने कहा कि अगले से महीने शुरू होने वाला है, यह प्लेटफॉर्म मीडिया पब्लिसर्स को प्रति आर्टिकल के आधार पर यूजर्स से शुल्क लेने की अनुमति देगा। एलन मस्क ने कहा कि इस फीचर के रोल आउट होने के बाद वे यूजर भी आर्टिकल पढ़ सकेंगे, जिनके पास मंथली सब्सक्रिप्शन नहीं है और कभी-कभार आर्टिकल पढ़ना चाहते हैं। ऐसे यूजर्स को प्रति आर्टिकल के हिसाब से अधिक कीमत चुकानी होगी
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श्रम का अवमूल्यन ना हो, बस यही तो मजदूर चाहता है (प्रवीण कक्कड़) हम ने हर दौर में तज़लील सही है लेकिन हम ने हर दौर के चेहरे को ज़िया बख़्शी है हम ने हर दौर में मेहनत के सितम झेले हैं हम ने हर दौर के हाथों को हिना बख़्शी है साहिर लुधियानवी की इन पंक्तियों में मजदूरों का दर्द भी छुपा है और उनके योगदान का अक्स भी दिखाई देता है। अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस दुनिया में अलग अलग नाम से मनाया जाता है। लेकिन भावना वही है, इस धरती को जिन्होंने बनाया है, उन मजदूरों को इज्जत और सम्मान देना। उनके वजूद को महसूस करना और उनके महत्व को समझना। और उनके अधिकारों को बाधित ना करना। दुनिया में सुई से लेकर अंतरिक्ष में जाने वाले राकेट तक, सड़क से लेकर गगनचुंबी इमारतों तक, शहर से लेकर गांव तक, साइकिल से लेकर प्लेन तक सब कुछ मजदूर ही तो बनाते हैं। मजदूर याने श्रमिक। इसलिए श्रम और श्रमिक का सम्मान जरूरी है। दुनिया के सभी मजदूरों की सबसे बड़ी समस्या है श्रम का अवमूल्यन। लाभ का एक बड़ा हिस्सा जब पूंजीपति की जेब में जाता है तो श्रम का अवमूल्यन शुरू हो जाता है। और यहीं से शोषण शुरू होता है। यह शोषण सबसे ज्यादा असंगठित क्षेत्र में है। जिन देशों में मजदूरों के लिए सख्त कानून बने हैं, वहां स्थिति थोड़ी बेहतर है। लेकिन जहां बड़ी जनसंख्या है और लगातार प्रतिस्पर्धा है, वहां मजदूरों की स्थिति विचारणीय है। ऐसा नहीं कि सरकारें कुछ नहीं करती। लेकिन सरकार से ज्यादा यह समाज के सरोकार का विषय है। आमतौर पर कहा जाता है कि पूंजीवाद में श्रमिक का शोषण होता है लेकिन यह सच नहीं है। श्रमिकों का शोषण हर जगह होता है। जहां श्रम का उचित पुरस्कार नहीं मिलता। जहां पर श्रमिक अपनी बुनियादी भौतिक जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ रहता है, वह उसका शोषण ही है। जहां लाभ का न्यायोचित वितरण ना हो और एक व्यक्ति के हाथ में सारी पूंजी केंद्रित हो, वहां मजदूर का शोषण हो सकता है। चाहे वह पूंजीवाद हो, साम्यवाद हो या समाजवाद। आजादी के बाद भारत में मजदूरों के हितों के लिए विशेष कानून बनाए गए। श्रमिक कल्याण कानूनों के उद्देश्यों को चार भागों में बांटा जा सकता है। पहला सामाजिक न्याय, दूसरा आर्थिक न्याय, तीसरा राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और चौथा अंतरराष्ट्रीय संधियों और समझौतों के प्रति वचनबद्धता लेकिन यह कानून अपनी जगह है और व्यावहारिक परिस्थितियां अपनी जगह। कानून के मुताबिक किसी मजदूर से 8 घंटे से अधिक काम नहीं कराया जा सकता उसे न्यूनतम वेतन देना जरूरी है और उसके दूसरे अधिकार भी उसे मिलने चाहिए। लेकिन कई बार विपरीत परिस्थितियों में यह सब चीजें मजदूरों को मिल नहीं पाती। मजदूरों को उनके अधिकार सुनिश्चित कराना एक कल्याणकारी सरकार की जिम्मेदारी है। व्यवस्था कोई भी हो संवेदनशीलता नहीं रहेगी तो मजदूरों की समस्याओं का हल नहीं होगा। संवेदनशीलता समाज की भी जरूरी है। समाज को श्रमिक को हेय दृष्टि से देखना छोड़ना होगा। सही मायने में देखा जाए तो इस समाज का पहला निर्माता तो मजदूर ही है। मजदूर के मजबूत हाथों ने इस सभ्यता का निर्माण किया है। उसने शहर बनाए हैं, नगर बनाए हैं, अविष्कारों को अमलीजामा पहनाया है। उसने खेतों को जंगलों के बीच बनाकर उनसे अन्न निकाला है। उसने खदान की गहरी सुरंगों में जाकर बहुमूल्य धातुएं और खनिज निकाले हैं। उसने इंसानी सभ्यता के आगे बढ़ने के लिए दुर्गम रास्ते खोज निकाले हैं। और उन रास्तों को सुगम बना दिया है। इसलिए जरूरी है समाज, सत्ता और व्यवस्था मजदूरों के विषय में संवेदना पूर्वक विचार करें। उनकी समस्याओं का समाधान करे। जब उनका शरीर अशक्त हो और वह श्रम करने के काबिल ना हों उस वक्त उनके जीवन की व्यवस्था करे। उनके जीवन की बुनियादी जरूरतों को पूरा करे। उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य, रोटी - कपड़ा और मकान का प्रबंध करे। तभी इस समाज की उन्नति संभव है। सभ्यता के बढ़ते कदम की अग्रिम पंक्ति पर मजदूर ही तैनात है। जो हमारे अग्रज हैं। जिन्होंने हमारी सभ्यता की दिशा तय की है। जिन्होंने हमें घर बनाकर दिया है, भोजन दिया है, परिवहन दिया है और भी बहुत कुछ दिया है। उन मजदूरों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन आवश्यक है। और यह तभी संभव हो सकेगा जब मजदूरों के प्रति समाज संवेदनशील बनेगा। सरकारें उनके अधिकारों के प्रति चैतन्य होंगी। बॉक्स मजदूर दिवस का इतिहास राजशाही के पतन और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था की पूरी बात और संवाद के रूप में परिवर्तित होने के बाद ही दुनिया में मजदूरों के ऊपर होने वाले शोषण और उनके अधिकारों की चर्चा विधिवत शुरू हुई। अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस मनाने की शुरूआत 1 मई 1886 से मानी जाती है, जब अमेरिका की मज़दूर यूनियनों नें काम का समय 8 घंटे से ज़्यादा न रखे जाने के लिए हड़ताल की थी। मई दिवस की दूसरी ताकत रूस में कोई बोल्शेविक क्रांति के बाद मिली जो कार्ल मार्क्स के सिद्धांतों पर मजदूरों की सरकार मानी गई। भारत में सबसे पहले यह विचार दिया था कि दुनिया के मजदूरों एक हो जाओ। इस तरह देखें तो पूंजीवाद और साम्यवाद दोनों ही प्रणालियों में मजदूर के महत्व को पहचाना गया। भारत में मई दिवस सबसे पहले चेन्नई में 1 मई 1923 को मनाना शुरू किया गया था। उस समय इस को मद्रास दिवस के तौर पर प्रामाणित कर लिया गया था। इस की शुरूआत भारतीय मज़दूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने शुरू की थी। भारत में मद्रास के हाईकोर्ट सामने एक बड़ा प्रदर्शन किया और एक संकल्प के पास करके यह सहमति बनाई गई कि इस दिवस को भारत में भी कामगार दिवस के तौर पर मनाया जाये और इस दिन छुट्टी का ऐलान किया जाये। भारत समेत लगभग 80 मुल्कों में यह दिवस पहली मई को मनाया जाता है। इसके पीछे तर्क है कि यह दिन अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस के तौर पर प्रामाणित हो चुका है। (लेखक पूर्व पुलिस अधिकारी और समाजसेवी हैं)
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अंजना ओम कश्यप का जन्म 12 जून 1975 को रांची, झारखंड में हुआ था | उन्होंने बिहार से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। वर्ष 1995 में शादी के बाद अंजना ओम कश्यप के पति से कहने पर 2002 में उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया कॉलेज दिल्ली से पत्रकारिता करना प्रारंभ किया और बाद में वर्ष 2003 में दूरदर्शन के “आँखों देखी” कार्यक्रम के साथ काम करना शुरू किया।दूरदर्शन में कुछ समय ही काम करने के बाद अंजना ने जी न्यूज़ में काम करना शुरू किया, यहां पर 5 साल काम करने के बाद वर्ष 2007 में अंजना ने हिंदी न्यूज़ चैनल News24 के लिए काम करना शुरू कर दिया। न्यूज चैनल News24 से अंजना ओम कश्यप पूरे भारत में काफी ज्यादा लोकप्रिय और पॉपुलर पत्रकार बन गई।इसके बाद अंजना ओम कश्यप इंडिया टुडे ग्रुप के चैनल आज तक से जुड़ गई और आज भी इसी न्यूज़ चैनल के साथ काम करती है।
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रिचा का जन्म 31 मई 1975 को रीवा मध्य प्रदेश में हुआ ।इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उत्तर-प्रदेश राज्य के धनोर से प्राप्त की। दसवीं की पढ़ाई सेंट फ्रांसिस कान्वेंट स्कूल से करने के बाद 11वीं और 12वीं की शिक्षा इन्होंने क्राइस्ट द किंग कॉलेज झांसी से पूरी की। इसके बाद इन्होंने स्नातक की शिक्षा बिपिन बिहारी डिग्री कॉलेज झांसी से प्राप्त की और वही इन्होंने कंप्यूटर सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट में 3 साल का मास्टर डिप्लोमा प्राप्त किया। इनके पिता हरीश बादल पेशे से एक डॉक्टर है । इनका विवाह साल 1997 में अनिरुद्ध थाट से हुआ । इनकी दो बेटियाँ है जिनका नाम आयशा और इशिता है । रिचा एक प्रसिद्ध टीवी एंकर, पत्रकार, यूट्यूबर, रेडियो जॉकी होने के साथ ही एक सामाजिक कार्यकर्त्ता भी है। इन्हें युवा फीमेल जर्नलिस्ट का अवार्ड भी मिला। यह सोशल वर्कर भी है और लड़कियों की पढ़ाई के लिए कार्य करती हैं। इन्होंने मेरी लाडली नामक फाउंडेशन भी शुरू किया है जिसमें यह बच्चियों को अडॉप्ट करके देख भाल करती हैं।
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उम्र संबंधी उन मानदंडों को पूरा न करने से हुआ था अकाउंट लॉक ‘ट्विटर’ (Twitter) ने जानी-मानी न्यूज एजेंसी ‘एशियन न्यूज इंटरनेशनल’ (ANI) के अकाउंट को शनिवार को लॉक कर दिया। इसका कारण यह बताया गया कि यह न्यूज एजेंसी माइक्रो ब्लॉगिंग साइट प्लेटफॉर्म को इस्तेमाल करने के न्यूनतम उम्र संबंधी मानदंडों को पूरा नहीं करती है। हालांकि, देर रात न्यूज एजेंसी के ट्विटर अकाउंट को बहाल कर दिया गया।बता दें कि एएनआई की एडिटर स्मिता प्रकाश ने ट्विटर की ओर से भेजे गए उस मेल का स्क्रीनशॉट अपने ट्विटर हैंडल से शेयर किया था, जिसमें बताया गया था कि न्यूज एजेंसी ANI का अकाउंट लॉक कर दिया गया है। स्मिता प्रकाश ने जिस मेल का स्क्रीनशॉट शेयर किया था, उसमें लिखा था ‘ट्विटर अकाउंट को क्रिएट करने के लिए आपको कम से कम 13 साल का होना चाहिए। ट्विटर ने पाया है कि आप उम्र संबंधी उन मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं, इसलिए आपका ट्विटर अकाउंट लॉक कर दिया गया है और इसे ट्विटर से हटा दिया जाएगा।’एएनआई का ट्विटर अकाउंट जैसे ही दिखना बंद हुआ, स्मिता प्रकाश ने एक ट्वीट कर कहा, ‘जो लोग एएनआई को फॉलो करते हैं, उन्हें बता दें कि ट्विटर ने देश की सबसे बड़ी न्यूज एजेंसी, जिसके 7.6 मिलियन फॉलोअर्स हैं, उसे लॉक कर दिया है और 13 साल से कम उम्र का हवाला देते हुए यह मेल भेजा है। पहले हमारा गोल्ड टिक लेकर उसकी जगह हमें ब्लू टिक दिया गया और इसके बाद हमारा अकाउंट लॉक कर दिया गया है।’
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अंग्रेजी न्यूज चैनल 'सीएनएन-न्यूज18' (CNN-News18) ने अपनी विज्ञापन दरों में वृद्धि करने का निर्णय लिया है। संशोधित दरें चैनल पर विज्ञापन देने वाले सभी मौजूदा और नए क्लाइंट्स पर लागू होंगी।चैनल ने अपने बयान में कहा कि यह कदम अंग्रेजी न्यूज जॉनर में उल्लेखनीय उपलब्धि के एक साल बाद उठाया गया है, जिसमें राष्ट्रीय व वैश्विक घटनाओं की बेहतरीन न्यूज कवरेज और पूरा एनालिसिस शामिल है। विज्ञापन दरों में बढ़ोतरी के फैसले पर टिप्पणी करते हुए 'नेटवर्क18' में बिजनेस क्लस्टर की सीईओ स्मृति मेहरा ने कहा, 'सीएनएन-न्यूज18' को अंग्रेजी न्यूज स्पेस में अपने बेमिसाल नेतृत्व पर गर्व है और भारत व दुनिया भर की स्टोरीज पर सूक्ष्म विश्लेषण और वस्तुनिष्ठ रिपोर्टिंग प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। अपने क्लाइंट्स के लिए बेहतरीन विज्ञापन अनुभव के साथ विश्व स्तरीय प्रोग्रामिंग प्रदान करने के लिए हम कुछ साहसिक कदम उठा रहे हैं। जैसे ही हम अपनी विज्ञापन दरों में वृद्धि करेंगे, हम विज्ञापनदाताओं को लक्षित दर्शकों के साथ जुड़ने में मदद करने के लिए इनोवेटिव सॉल्यूशन ऑफर करेंगे।उन्होंने आगे कहा कि आने वाले वर्ष में कुछ प्रमुख राज्यों में चुनाव होंगे, सितंबर में नई दिल्ली में 18वां G20 राष्ट्राध्यक्षों और सरकार का शिखर सम्मेलन, अक्टूबर और नवंबर में क्रिकेट विश्व कप और अंत में 2024 में आम चुनाव होंगे और फिर आने वाला साल टीवी न्यूज जॉनर के लिए ढेर सारी संभावनाएं लेकर आएगा और CNN-News18 अपने विज्ञापनदाताओं के लिए वैल्यू ऐड करना जारी रखेगा। हम अपने सभी मौजूदा विज्ञापनदाताओं को धन्यवाद देते हैं, जिन्होंने हम पर विश्वास बनाए रखा। वहीं हम नए क्लाइंट्स का स्वागत करने के लिए भी तत्पर हैं।
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श्वेता ने कहा खिलाड़ियों का कर्ज है हम पर दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पहलवानों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई और इस दौरान दिल्ली पुलिस के लिए पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमने तय किया है कि आज एफआईआर दर्ज कर ली जाएगी, जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार शाम को कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन में बृजभूषण सिंह के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की। पहला केस एक नाबालिग पीड़िता की शिकायत के आधार पर पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किया गया है। वहीं, दूसरी एफआईआर एक अन्य महिला पहलवान की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई है। दिल्ली पुलिस ने दोनों केस की जांच शुरू कर दी है।दरअसल बृजभूषण के खिलाफ कई नामी पहलवान दिल्ली में धरने पर बैठे हैं। ये दूसरी बार है जब पहलवान इस मामले में के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके पहले जनवरी में भी पहलवानों ने कई दिनों तक प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारी पहलवानों ने कुश्ती संघ के अध्यक्ष पर मनमाने तरीके से संघ चलाने और महिला पहलवानों का यौन शोषण करने का आरोप लगाया है। इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार और एंकर श्वेता सिंह ने भी ट्वीट कर बड़ी बात कही है।
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हिंदी न्यूज चैनल 'इंडिया टीवी' पर हर शनिवार रात 10 बजे प्रसारित होने वाले लोकप्रिय शो 'आप की अदालत' में देश विदेश की जानी मानी हस्ती शिरकत करती हैं और यह टीवी पर प्रसारित होने वाले सबसे लोकप्रिय शो में से एक है। लेकिन आज यानी 29 अप्रैल को प्रसारित होने वाला एपिसोड कुछ अलग है।दरअसल आज रात 10 बजे 'आप की अदालत' में मेहमान के तौर पर सुपरस्टार सलमान खान शामिल होने वाले हैं और यह एपिसोड खास तौर से उनके लिए दुबई में शूट किया गया है। इस बारे में चैनल के एडिटर-इन -चीफ रजत शर्मा की ओर से एक ट्वीट भी किया गया है।उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि इस बार सलमान ने आप की अदालत में बहुत सारी अनकही, अनसुनी बातें बताईं। शाहरुख, आमिर ,संजय दत्त जैसे कई दोस्तों के किस्से सुनाए। इसी के साथ उन्होंने कार्यक्रम का प्रोमो भी शेयर किया है, जिसमें आप सलमान खान को देख सकते हैं।दुबई में इस शो को शूट करने के लिए बिल्कुल 'आप की अदालत' जैसा सेट डिजाइन किया गया है और दर्शकों की तालियों के बीच रजत शर्मा अपने चिर परिचित अंदाज में सलमान खान का स्वागत करते हुए नजर आ रहे हैं। इस शो में सलमान खान ने अपनी लव लाइफ को लेकर भी कई खुलासें किए है।
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मीडियाकर्मियों की मांगों को लेकर होगा राष्ट्रव्यापी आंदोलन! देश के मीडियाकर्मियों के अधिकार और हितों के लिए संघर्ष करने वाले सात सशक्त संगठनों ने कॉन्फेड्रेशन ऑफ न्यूजपेपर्स एंड न्यूज एजेंसीस एम्प्लॉइज ऑर्गनाइजेशन के बैनर तले अपनी मांगों को लेकर राष्ट्रव्यापी आंदोलन करने का फैसला किया है। दरअसल, इस संगठन ने वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट, वेज बोर्ड को लागू कराने, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट में संशोधन और जर्नलिस्ट्स प्रोटेक्शन एक्ट बनाने की मांग की है।कॉन्फेड्रेशन के चंडीगढ़ में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन के विभिन्न सत्रों में मुख्य अतिथि के तौर पर पधारे हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्दर सिंह और पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार भगवंत मान ने मीडियाकर्मियों की मांग का समर्थन करते हुए इसे लागू करने का आश्वासन दिया है।ट्रिब्यून एम्प्लॉयीज यूनियन द्वारा चंडीगढ़ में आयोजित राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन में कॉन्फेड्रेशन के महासचिव एम.एस. यादव, नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) के अध्यक्ष रास बिहारी, महासचिव प्रदीप तिवारी, कोषाध्यक्ष डॉ. अरविन्द सिंह, उपाध्यक्ष राणेश राणा, इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन के अध्यक्ष श्रीनिवास रेड्डी, महासचिव बलबिंदर जम्मू, इंडियन फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स के उपाध्यक्ष हेमंत तिवारी, महासचिव परमानंद पांडे, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ पीटीआई एम्प्लॉयीज यूनियन के अध्यक्ष भुवन चौबे, यूएनआई वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष एम.एल. जोशी, ऑल इंडिया न्यूजपेपर्स एम्प्लॉयीज यूनियन के सचिव सी.एस. नायडू समेत बड़ी संख्या में पत्रकार और गैर पत्रकार सदस्यों ने हिस्सा लिया।
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सीएम केजरीवाल के बंगले की 'मुंहदिखाई' अब जरूरी हिंदी न्यूज चैनल ‘टाइम्स नाउ नवभारत’ के ऑपरेशन ‘शीश महल’ में हुए खुलासे के बाद से ही मीडिया में इसकी चर्चा हो रही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर आरोप लग रहा है कि उन्होंने अपने सरकारी बंगले को सजाने के लिए 45 करोड़ रुपए खर्च किए हैं और वह अब एक ‘शीश महल’ में रहते हैं।इसी मामले पर वरिष्ठ पत्रकार सुधीर चौधरी ने अपने प्राइम टाइम शो में एक बड़ी बात कह दी। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि दिल्ली के सीएम बंगले की मुंह दिखाई अब जरूरी है। उन्हें खुद ही अपने भव्य बंगले के दरवाजे दिल्ली की आम जनता के लिए खोल देने चाहिए। वो जनता को अपने घर आमंत्रित करें और खुद ही दिखा दें कहां क्या लगा है। इससे सब कुछ 'ब्लैक एंड व्हाईट' हो जायेगा।इसके साथ ही उन्होंने अपने शो की एक वीडियो क्लिप भी साथ में शेयर की है। इसमें वह कह रहे हैं कि सरकारी पैसे से जो आलिशान महल उन्होंने बनवाया है उसे देखकर तो आज अडानी को भी शर्म आ जायेगी। आगे सुधीर कहते हैं कि ये वही सीएम केजरीवाल हैं, जो सीएम बनने से पहले कहते थे कि हम सरकारी आवास, गाड़ी और सुविधा कुछ भी नहीं लेंगे लेकिन आज जनता की कमाई के 45 करोड़ खर्च कर अपना महल बनवा रहे हैं।उन्होंने यह भी जानकारी दी कि सरकारी सुरक्षा नहीं लेने की बात करने वाले सीएम केजरीवाल आज 28 गाड़ियों के काफिले के साथ चलते हैं और उनकी सुरक्षा में 106 जवान तैनात हैं, ऐसा बीजेपी का आरोप है। उन्होंने बताया कि अकेले दिल्ली में 50 हजार लोग ऐसे हैं जिनके पास रहने के लिए घर नहीं है और ये आम आदमी पार्टी के ही वोटर्स हैं।दिल्ली के सीएम कहते हैं कि वह इन्हीं आम लोगों की तरह हैं और वह देश के सच्चे और आम आदमी हैं। सुधीर चौधरी ने सीएम केजरीवाल से सवाल पूछा है कि अगर वह आम आदमी हैं, तो क्या उन्होंने अपने बंगले पर 45 करोड़ खर्च करने से पहले इन आम आदमियों के बारे में सोचा?
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रुबिका लियाकत का जन्म 18 अप्रैल 1983 को उदयपुर, राजस्थान में हुआ था. उनका ज्यादातर बचपन उदयपुर में बीता. उनके पिता का नाम अमर लियाकत है. उनकी माता का नाम फातमा लियाकत है जो पेशे से एक वैज्ञानिक हैं और पर्यावरण विज्ञान में पीएच.डी धारक हैं. उनकी एक बहन है जिसका नाम अंजुम लियाकत है। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा उदयपुर के सेंट ग्रेगोरियस सीनियर सेकेंडरी स्कूल से पूरी की. अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने मुंबई के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से मास मीडिया में ग्रेजुएशन पूरा किया।पत्रकारिता की पढ़ाई के दौरान रुबिका ने साल 2003 में चैनल 24 के साथ 3 महीने की इंटर्नशिप की थी. उन्होंने साल 2005 में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया था | अप्रैल 2012 में, उन्होंने एक पत्रकार नावेद कुरैशी से शादी की थी. उनके दो बच्चे हैं, एक लड़का और एक लड़की। रुबिका लियाकत ने अपने करियर की शुरुआत साल 2007 में चैनल लिव इंडिया से एक न्यूज एंकर के रूप में की थी. उन्होंने सितंबर 2008 तक वहां काम किया, और फिर उन्होंने न्यूज 24 को जॉइन किया।इसके बाद वह जी न्यूज से जुड़ीं. उन्होंने “ताल ठोक के” नामक शो की मेजबानी करके लोकप्रियता हासिल की. उन्होंने कुछ समय के लिए ZEE न्यूज में सीनियर एंकर और एडिटर के रूप में काम किया। अगस्त 2018 में, रुबिका ने ज़ी न्यूज़ से इस्तीफा दे दिया और एबीपी न्यूज़ को जॉइन किया. वह तब से एबीपी न्यूज़ में काम कर रही हैं।
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सुधीर चौधरी का जन्म ७ जून १९७४ हरियाणा में हुआ था |उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था । ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन, नई दिल्ली में दाखिला लिया।सुधीर चौधरी बचपन से ही पढ़ाई में अच्छे थे| सुधीर चौधरी ने पत्रकारिता में डिप्लोमा किया था | सुधीर ने अपने करियर की शुरुआत 1993 में ज़ी न्यूज़ से पत्रकार के रूप में की थी। यह वह समय था जब Zee News चैनल नया नया शुरू ही हुआ था। उन्होंने एक समाचार एंकर के रूप में चैनल में शामिल हुए और 2001 के भारतीय संसद हमले और कारगिल युद्ध सहित कई प्रमुख कहानियों को कवर किया। 2003 में, उन्होंने ज़ी न्यूज़ से अपने पद से इस्तीफा दे दिया और हिंदी समाचार चैनल, सहारा समय में शामिल हो गए | 2012 में, सुधीर ज़ी न्यूज़ में लौट आए और प्रधान संपादक के रूप में कार्यालय पर कब्जा कर लिया। सुधीर को 2013 के लिए “हिंदी प्रसारण” श्रेणी में पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए रामनाथ गोयनका पुरस्कार मिला। उन्होंने दिल्ली की 16 दिसंबर की सामूहिक बलात्कार पीड़िता के दोस्त के साथ अपने साक्षात्कार के लिए पुरस्कार जीता।वरिष्ठ संपादक सुधीर चौधरी की कुल संपत्ति लगभग 37 करोड़ रूपये से ज्यादा है और सुधीर चौधरी की सैलरी के रूप में 25 लाख प्रति माह कमाते है । सुधीर चौधरी ने जुलाई २०२२ में जी न्यूज़ से फिर से इस्तीफा दे दिया और आज तक में शामिल हो गए | आज तक में आ कर सुधीर ने अपना प्राइम टाइम शो ब्लैक एंड वाइट को होस्ट कर रहे है |
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अर्नब गोस्वामी का जन्म ७ मार्च १९७३ असम के गुवाहाटी शहर में हुआ था | अर्नब ने भारत के अलग-अलग स्कूलों से अपनी पढ़ाई पूरी की क्योंकि उनके पिता एक सेना में जवान थे | अर्नब दिल्ली कैंट में स्थित सेंट मैरी स्कूल से उन्होंने अपनी माध्यमिक परीक्षाएं की और बाद में जबलपुर छावनी के केंद्रीय विद्यालय में जाकर अपनी वरिष्ठ माध्यमिक पढ़ाई पूरी की। दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से उन्होंने समाजशास्त्र में बीए ऑनर्स की डिग्री हासिल करने के बाद सोशल एंथ्रोपॉलजी में मास्टर डिग्री के लिए सैंट एंथोनी कॉलेज ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी इंग्लैंड में दाखिला लिया | ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में अर्णव फेलिक्स के विद्वान रह चुके हैं। कॉलेज में उन्हें एक लड़की जिसका नाम समयव्रत रे गोस्वामी था उससे प्यार हो गया जिसके बाद उन्होंने उससे शादी कर ली। अब उनका एक प्यारा सा बेटा भी है। अर्नब को पत्रकारिता से बहुत ज्यादा लगाव था उन्होंने कोलकाता के इंग्लिश समाचार पेपर जिसका नाम द टेलीग्राफ के साथ काम करना शुरू किया लेकिन 1 साल भी वहां टेक कर काम नहीं कर पाए और दिल्ली आ गए।उसके बाद उन्हें एनडीटीवी से जुड़ने का मौका मिला जिसमें उन्होंने न्यूज़ आवर की एंकरिंग से अपने करियर की शुरुआत फिर से की | साल 2004 के दौरान अर्नब ने न्यूज़ नाइट एंकरिंग के लिए एशियाई टेलीविजन पुरस्कारों में एशिया का बेस्ट समाचार एंकर का अवार्ड अपने नाम कर लिया।अर्नब ने बहुत सारे चैनलों के साथ जुड़ने के बाद रिपब्लिक टीवी शुरू किया जो एशिया नेट द्वारा फंडेड था जिसकी शुरुआत 6 मई 2017 को हुई। एशिया में यह एक मात्र इंग्लिश न्यूज़ चैनल है जो लगातार 100 हफ़्तों तक नंबर एक की पोजीशन पर रहा है |
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भारत की मशहूर पत्रकारों में से एक है श्वेता सिंह | स्वेता सिंह का जन्म २१ अगस्त १९७७ में हुआ था | श्वेता सिंह एक फिल्म निर्देशक बनना चाहती थीं, लेकिन वह एक पत्रकार बन गई।पटना में स्नातक के प्रथम वर्ष के दौरान श्वेता ने पत्रकारिता करनी शुरू कर दी |१९९८ में, उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पहला कदम रखा। वर्ष २००२ में आज तक में कार्य करने से पहले उन्होंने ज़ी न्यूज़ और सहारा में कार्य किया। स्वेता सिंह खेल संबंधी समाचारों को कवर करने में काफी निपुण मानी जाती हैं।वर्ष २००५ में, उनका शो “सौरव का सिक्स” को स्पोर्ट्स जर्नलिज़म फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसजेएफआई) के द्वारा सर्वश्रेष्ठ खेल कार्यक्रम के लिए पुरस्कृत किया गया | वर्ष 2013 में, श्वेता सिंह को सर्वश्रेष्ठ एंकर के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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रजत शर्मा का जन्म १८ फरवरी १९५७ में दिल्ली में हुआ | वे अपने माता पीता अपने ६ भाई और १ बहन के साथ रहते थे | इस दौरान इनके घर में न तो बिजली का प्रबंध था और न ही पानी का. इस कारण प्रत्येक दिन इनके और इनके परिवार के लिये परीक्षा से पूर्ण होता था | रजत शर्मा की शिक्षा सनातन धर्म मिडिल स्कूल से शुरू हुई, बचपन ग़रीबी से भरा होने के कारण इन्हें सब्ज़ी मंडी रेलवे स्टेशन के लैंप पोस्ट की रौशनी में अपनी पढाई करनी पड़ती थी | बाद में इन्होंने करोल बाग़ स्थित रामजस स्कूल में दाखिला लिया, ये अपने घर से स्कूल पैदल जाया करते थे. इन्होंने श्री राम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स से स्नातक की पढ़ाई पूरी की | रजत शर्मा ने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1982 में पाक्षिक पत्रिका ऑनलुकर में ट्रेनी रिपोर्टर के रूप में की थी. ऑनलुकर में अपने पहले लेख के एवज़ में इन्हें कुल 300 रूपए प्राप्त हुए, यह इनके करियर की पहली कमाई थी | अपने कड़े परिश्रम के बल पर इन्होंने दो वर्ष के अंदर ही यानि वर्ष 1984 में ऑनलुकर के ‘चीफ़ ऑफ़ ब्यूरो’ का और वर्ष 1985 में संपादक पद को प्राप्त किया | इसके बाद वर्ष 1987 में इन्होंने ‘सन्डे ऑब्जर्वर’ के संपादक का कार्यभार संभाला, यहाँ इन्होंने दो वर्ष तक कार्य किया. इसके बाद वर्ष 1989 में इन्होंने ‘द डेली’ के संपादक के रूप में काम करना शुरू किया, यहाँ इन्होंने वर्ष 1992 तक संपादन का कार्य किया | इन स्थानों पर काम करने के बाद इन्होंने ‘आप की अदालत’ शुरू की, जो काफी सफल प्रोग्राम रहा. इसका पहला एपिसोड 14 मार्च 1993 में प्रसारित हुआ था | इन्होंने टीवी प्रोड्यूसर रीतू धवन से विवाह किया | वर्ष 2004 में शुरू होने वाले इंडिया टीवी से रजत शर्मा को उनकी मेहनत का बेहद अच्छा फल मिला. चार वर्ष के कठिन परिश्रम के बाद चैनल का कुल रेवेन्यु ग्रोथ 120 प्रतिशत का हो गया. अपने द्वारा किये गये शो से इनके चैनल की टीआरपी बनी रही और इन्हें काफी लाभ प्राप्त हुआ. इस समय इनके पास लगभग 15 मिलियन डॉलर की संपत्ति है |
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पत्रकार रजनीश शर्मा ने अब वरिष्ठ टीवी पत्रकार शमशेर सिंह के नेतृत्व में नोएडा से जल्द ही लॉन्च होने वाले नए न्यूज चैनल से अपनी नई पारी का आगाज किया है। रजनीश शर्मा यहां इन्वेस्टीगेटिंग रिपोर्टिंग करेंगे।रजनीश को रिपोर्टिंग में काम करने का 14 साल से ज्यादा का अनुभव है। अब तक वह दिल्ली दंगे, सीएए एनआरसी, किसान आंदोलन, पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला हत्या व श्रद्धा हत्याकांड जैसी तमाम बड़ी घटनाओं की कवरेज समेत दिल्ली के बड़े माफियाओं पर इन्वेस्टीगेटिंग स्टोरीज कर चुके हैं। इस से पहले रजनीश शर्मा ‘जी हिंदुस्तान’, ‘रिपब्लिक भारत’, ‘इंडिया न्यूज’ और ‘एएनआई’ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। रजनीश शर्मा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन करने के बाद ‘भारतीय विद्या भवन‘ से मास कम्युनिकेशन में डिप्लोमा किया है। इसके बाद उन्होंने हरियाणा की कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है।
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प्रवीण कक्कड़ अतीक अहमद का खात्मा हो गया। उसके साथ बहुत से दूसरे गुंडों को भी एनकाउंटर में मार गिराया गया। इस पूरे प्रकरण पर जमकर राजनीति हुई। राजनीति दो पक्षों में विभक्त दिखाई दी। राजनीति होना लाजमी है। क्योंकि जो व्यक्ति 5 बार विधायक रहा हो और सांसद चुना गया उसकी हत्या को राजनीतिक नजरिए से देखना जरूरी हो जाता है। लेकिन हम यहां राजनीति की बात नहीं कर रहे। वह एनकाउंटर जायज हैं या नाजायज। कस्टोडियल हत्या अचानक हुई या सुनियोजित। इस मुद्दे पर बहस करना उन लोगों का काम है जिनके अपने राजनीतिक पूर्वाग्रह हैं। लेकिन अतीक के प्रकरण को उसके अतीत को ध्यान में रखते हुए, सामाजिक नजरिए से देखना बहुत जरूरी है। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अतीक जैसे प्रकरण समाज की दिशा और दशा तय कर रहे हैं। अतीक अहमद की एक साधारण व्यक्ति से खूंखार गुंडा बनने की कहानी बहुत लंबी है। लुब्बेलुबाब यह है कि छोटे-मोटे अपराध करने वाला एक अपराधी राजनीतिक संरक्षण पाकर वर्चस्व के पायदान पर चढ़ता गया और विधायक फिर सांसद बन गया। सारे देश में अपराध का यही तरीका है। कोई भी अपराधी लगातार पनपता रहता है। और बाद में समाज में उसकी स्वीकार्यता बढ़ जाती है। अतीक अहमद का अपराध की दुनिया में आना कोई बड़ी बात नहीं है। फ्रॉयड का मनोविज्ञान कहता है कि अपराध की मनोवृति थोड़ी बहुत सब में रहती है। लेकिन किसी में जुनून की हद तक अपराध पनपे तो वह अपराधी बन जाता है। अपराध में उसको मजा आने लगता है। यह आनंद उस वक्त और ज्यादा बढ़ जाता है जब उसके अपराध को सामाजिक स्वीकार्यता मिलती है। उसके वर्चस्व, ताकत और दौलत में अपराध की दम पर वृद्धि होती जाती है। अतीक अहमद की ताकत अपराध की दुनिया में लगातार बढ़ती रही। पुलिस - प्रशासन के अपने नियम कायदे हैं। लेकिन समाज का कायदा अलग है। समाज के लिए यह जरूरी है कि वह अपराध को पनपने ना दे। अपराध पनपने की जमीन समाज में ही तैयार होती है। यदि कोई अपराधी रातों-रात एमएलए बन जाए। सांसद बन जाए, पार्षद बन जाए। या मंत्री बन जाए। तो कहीं ना कहीं इसमें समाज की बड़ी भूमिका है। समाज उसके अपराध को अनदेखा करता है। उसके वर्चस्व और गुंडागर्दी को स्वीकार लेता है। कहीं ना कहीं इससे यह स्थापित होता है कि अपराध की डगर पर चलकर राजनीति की ऊंचाइयों पर पहुंचा जा सकता है। और फिर राजनीतिक ताकत पाने के लिए अपराध का सहारा लेना एक प्रचलन बन जाता है। अकेले अतीक अहमद की बात नहीं है। सारे देश में राजनीतिक पकड़ वाले अपराधियों की संख्या बहुत बड़ी है। किसी एक दल की बात नहीं है बल्कि सारे राजनीतिक दल आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को कभी ना कभी टिकट देते हैं। इसका कारण उनकी लोकप्रियता और सामाजिक स्वीकार्यता है। अपराध का यह मनोविज्ञान बहुत गंभीर और जटिल है। आखिर क्या कारण है कि जो हत्या करता है, लूटपाट करता है, फिरौती वसूलता है वह चुनाव भी जीत जाता है। उसका आभामंडल इतना विस्तृत हो जाता है कि कोई भी उसे वोट दे आता है। समाज यह समझने को तैयार ही नहीं होता कि वह अपराधी है, उसे राजनीति में नहीं आना चाहिए, उसे वोट नहीं मिलना चाहिए। अतीक अहमद के राजनीतिक जीवन की यात्रा को देखें तो समझ में आता है कि वह एक नहीं पांच बार विधायक बना। सांसद भी बन गया। क्या उसकी जीत आतंक और डर के कारण हुई। या फिर उसको सहज स्वाभाविक समर्थन मिला। गंभीरता से विचार करने पर यह समझ में आता है कि आतंक और डर की एक सीमा है। हमारी चुनाव प्रणाली इतनी सशक्त है कि कोई भी यह पता नहीं लगा सकता कि किसने किसको वोट दिया है। इसलिए आतंक और डर के साथ-साथ कहीं ना कहीं आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति की सामाजिक स्वीकार्यता भी काम करती है। शायद जनमानस यह मानता है कि अच्छे लोग कुछ कर नहीं सकते। लिहाजा बुरे लोगों के हाथ में ही सत्ता सौंपना मजबूरी है। या फिर कुछ लोग गुंडे, माफिया के आभामंडल से प्रभावित हो जाते हैं। कारण चाहे जो हो, लेकिन समाज के बीच अपराध की स्वीकार्यता अपराध शास्त्र का नया आयाम है। इसकी कोई कैफियत नहीं दी जा सकती। बल्कि इसमें सुधार करने की जरूरत है। यदि समाज बुरे को ठुकरा देगा तो शायद बुरा व्यक्ति इतना खतरनाक नहीं होगा। बुराइयों को पनपने से पहले उनकी जड़ों में मट्ठा डालने की कोशिश समाज को करनी होगी। अपराध और अपराधी के प्रति उदासीनता का भाव समाज को दिशाहीन कर सकता है। और यह दिशाहीनता एक भयानक संक्रमण है। अतीक अहमद और पैदा ना हो इसकी कोशिश समाज को करनी है, सत्ता को नहीं।
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वरिष्ठ टीवी पत्रकार व न्यूज एंकर नेहा खन्ना अभी तक ‘जी मीडिया’ समूह के अंग्रेजी न्यूज चैनल 'विऑन' में बतौर एग्जिक्यूटिव प्रड्यूसर और सीनियर एंकर अपनी जिम्मेदारी संभाल रही थीं। बताया जा रहा है की सीनियर टेलिविजन जर्नलिस्ट नेहा खन्ना ‘न्यूज9’ के साथ अपनी नई पारी शुरू की है। बता दें कि ‘न्यूज9’ सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर देश की पहली पूरी तरह से इंटीग्रेटिड डिजिटल न्यूज सर्विस है। उच्च पदस्थ सूत्रों ने हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ को यह जानकारी दी है। इस जानकारी के अनुसार, यहां बतौर डिप्टी एडिटर व सीनियर एंकर नेहा खन्ना कोर एडिटोरियल टीम का हिस्सा होंगी। इसके अलावा वह इस प्लेटफॉर्म के कई शो में अपनी प्रमुख भूमिका निभाएंगी।बता दें कि खन्ना इससे पहले ‘जी मीडिया’ समूह के अंग्रेजी न्यूज चैनल 'विऑन' में बतौर एग्जिक्यूटिव प्रड्यूसर और सीनियर एंकर अपनी जिम्मेदारी संभाल रही थीं। इस दौरान उन्होंने रात आठ बजे के शो ‘Fineprint’, रात दस बजे के शो ‘Pulse’ और वीकली शो ‘Inside South Asia’ समेत कई प्राइम टाइम शोज में एंकरिंग की। नेहा खन्ना ने इतने वर्षों में अधिकांश प्रमुख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्टोरीज को कवर किया है। इसके अलावा उन्होंने शीर्ष भारतीय और वैश्विक हस्तियों का इंटरव्यू भी लिया है।
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'आजतक' के मशहूर एंकर सुधीर चौधरी के शो में डेब्यू करने वाली है पहली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस AI एंकर सना। बता दें कि सना सुधीर चौधरी के साथ शो की को-होस्ट करेंगी। हाल ही में, इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2023 के दौरान ग्रुप का पहला बॉट कॉलेबोरेटिव AI एंकर सना को लॉन्च किया था।'ब्लैक एंड व्हाइट' शो 'आजतक' पर रात 9 बजे प्रसारित होता है। हाल ही में सामने आयी 46वें हफ्ते रेटिंग में वीकडेज पर 9 बजे कार्यक्रम के प्रसारण की रेटिंग में यह शो सबसे ऊपर है। यह शो 19 जुलाई 2022 को लॉन्च किया गया था और लगातार तेजी से आगे बढ़ रहा है।सना के बारे में बताते हुए कली पुरी ने कहा था, 'यह हमारी पहली बॉट एआई कॉलेबोरेटिव एंकर है, जो बहुत होनहार, दिलकश, एजलेस, कभी ना थकने वाली और कई भाषाएं बोलने वाली एंकर है।'
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जाने माने पत्रकार और हिंदी न्यूज चैनल ‘आजतक’ में कंसल्टिंग एडिटर सुधीर चौधरी को कांग्रेस के एक नेता ने लीगल नोटिस भेजा है। यह नोटिस इंडियन यूथ कांग्रेस के नेशनल प्रेजिडेंट श्रीनिवास बीवी ने भेजा है।अपने अधिवक्ता के माध्यम से भेजे गए इस नोटिस में कांग्रेस नेता ने एक वीडियो का हवाला देते हुए सुधीर चौधरी और ‘आजतक’ पर ‘ब्लैक एंड व्हाइट’ शो के माध्यम से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की छवि खराब करने का आरोप लगाया है।यही नहीं, कांग्रेस नेता ने इन दोनों से माफी मांगने और उक्त वीडियो को मानहानिकारक बताते हुए सभी प्लेटफॉर्म्स से तुरंत डिलीट करने के लिए कहा है। इसके साथ ही अपने चैनल पर बिना शर्त माफीनामा प्रसारित करने और उस माफीनामे को ट्विटर हैंडल पर भी पोस्ट करने के लिए कहा है। ऐसे न करने पर कानूनी कार्यवाही की चेतावनी भी दी गई है।
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जानी मानी न्यूज़ एंकर शोभना यादव ने अब अपनी नई मंज़िल खोज ली है और ‘एबीपी न्यूज’ को अलविदा कह दिया है। शोभना यादव ने अपनी नई पारी का आगाज अब ‘जी न्यूज’के साथ शुरू किया है। वह यहां बतौर सीनियर न्यूज एंकर प्राइम टाइम शो पर नजर आएंगी। समाचार4मीडिया से बातचीत में शोभना यादव ने खुद इसकी पुष्टि की है।बता दें कि ‘एबीपी न्यूज’ में शाम के स्लॉट की शोभा बढ़ाने वालीं शोभना यादव ने कुछ मुद्दों को लेकर कुछ दिनों पहले भी वहां से इस्तीफा दे दिया था। इस बारे में 'समाचार4मीडिया' और हमारी सहयोगी वेबसाइट 'एक्सचेंज4मीडिया' ने उस समय खबर भी दी थी कि शोभना यादव ने इस चैनल को बाय बोल दिया है। हालांकि, पिछले दिनों एबीपी नेटवर्क और शोभना यादव के साथ हुई आपसी बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने फैसला कर लिया था कि शोभना यादव चैनल के साथ बनी रहेंगी।उस समय विश्वस्त सूत्रों के हवाले से खबर मिली थी कि शोभना यादव के चैनल से इस्तीफे की खबर सामने आने के बाद ‘एबीपी’ नेटवर्क के सीईओ अविनाश पांडेय और चीफ पीपुल ऑफिसर कविता डासान की उनके साथ लंबे दौर की बातचीत हुई थी। इस बातचीत के बाद शोभना यादव ने नेटवर्क में बने रहने का फैसला लिया था। हालांकि, अब शोभना ने यहां से बाय बोल दिया है।
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पत्रकार अरविंद द्विवेदी ने दिया दैनिक जागरण में इस्तीफा अब उन्होंने की शुरुवात नई पारी की। आपको बता की अरविंद द्विवेदी हिंदी अखबार ‘दैनिक जागरण’ में साउथ दिल्ली के ब्यूरो प्रमुख रहे पर अब अरविंद कुमार द्विवेदी ने प्रबंधन को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। उनका दैनिक जागरण में 28 फरवरी उनका काम करने का आखिरी दिन था। समाचार4मीडिया से उन्होंने खुद इस खबर की पुष्टि की है।बता दें कि अरविंद पिछले डेढ़ दशक से पत्रकारिता जगत में कार्यरत हैं। वर्ष 2014 से ‘दैनिक जागरण’ में कार्यरत हैं और यहां रहते हुए उन्होंने क्राइम, राजनीति, पर्यावरण, शिक्षा व सामाजिक सरोकार से जुड़ी खबरों को कवर किया।
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वरिष्ठ पत्रकार दिनेश गौतम ने किया ‘टीवी9 भारतवर्ष’ को अलविदा कह दिया। दिनेश गौतम ‘टीवी9 भारतवर्ष’ में साढ़े तीन साल से सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर के पद पर काम कर रहे थे। यहां वह लोकप्रिय टीवी शो ‘अड़ी’ समेत तमाम प्रमुख शो होस्ट करते थे।पिछले दिनों ‘टीवी9’ नेटवर्क के हिंदी न्यूज चैनल ‘टीवी9 भारतवर्ष‘ से इस्तीफा देने के बाद वरिष्ठ टीवी पत्रकार दिनेश गौतम ने अपनी नई पारी की शुरुआत की है। विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार, दिनेश गौतम अब ‘टाइम्स नेटवर्क’ के साथ जुड़ गए हैं। उन्होंने इस समूह के हिंदी न्यूज चैनल ‘टाइम्स नाउ नवभारत‘ में बतौर कंसल्टिंग एडिटर जॉइन किया है। बता दें कि ‘टीवी9 भारतवर्ष‘ में दिनेश गौतम सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर के पद पर करीब साढ़े तीन साल से अपनी भूमिका निभा रहे थे, जहां से पिछले दिनों उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। ‘टीवी9 भारतवर्ष‘ में दिनेश गौतम लोकप्रिय टीवी शो ‘अड़ी’ समेत तमाम प्रमुख शो होस्ट करते थे।
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पत्रकार पुलक बाजपेयी ने ‘दैनिक भास्कर’ को अलविदा कह दिया यह भोपाल में बतौर एग्जिक्यूटिव एडिटर (डिजिटल) अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे, जहां से उन्होंने कुछ दिनों पहले इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने करीब दो साल पूर्व इस मीडिया समूह को जॉइन किया था।‘दैनिक भास्कर’ समूह की डिजिटल डिवीजन ‘डीबी डिजिटल’ को पिछले दिनों अलविदा कहने के बाद पत्रकार पुलक बाजपेयी ने नई मंजिल तलाश ली है। विश्वस्त सूत्रों से मिली खबर के अनुसार, वह ‘जी डिजिटल’के साथ मीडिया में अपने नए सफर की शुरुआत करने जा रहे हैं। वह इस समूह की हिंदी न्यूज वेबसाइट ‘इंडिया.कॉम’ (india.com) में बतौर एडिटर अपनी जिम्मेदारी संभालेंगे।बता दें कि पुलक बाजपेयी इससे पहले भोपाल में बतौर एग्जिक्यूटिव एडिटर (डिजिटल) अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उन्होंने करीब दो साल पूर्व इस मीडिया समूह को जॉइन किया था। ‘दैनिक भास्कर’ समूह के साथ उनकी यह तीसरी पारी थी।‘दैनिक भास्कर’ में अपनी पारी शुरू करने से पहले पुलक बाजपेयी करीब चार साल से ‘जी बिजनेस’ में डिप्टी एग्जिक्यूटिव प्रड्यूसर के तौर पर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
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देश के किसानों के लिए समर्पित ‘इंडिया टुडे’ ग्रुप का डिजिटल चैनल ‘किसान तक’ मंगलवार को लॉन्च हो गया। नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र तोमर ने ‘किसान तक’ यू-ट्यूब चैनल का उद्घाटन किया।उद्घाटन कार्यक्रम में केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला भी मौजूद रहे, जिन्होंने ‘किसान तक’ वेबसाइट का उद्घाटन किया। तोमर और रूपाला समेत कई गणमान्य कार्यक्रम में मौजूद रहे।‘किसान तक समिट’ में इंडिया टुडे समूह के डिजिटल चैनल को लॉन्च करते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म 'किसान तक' किसान कल्याण का माध्यम बनेगा। तोमर ने किसान तक समिट 2023 में कहा कि पीएम मोदी किसानों की समस्याओं के समाधान की दिशा में निरंतर प्रयत्नशील रहते हैं।कृषि मंत्री ने कहा, यदि छोटे किसान की ताकत नहीं बढ़ेगी तो देश की अर्थव्यवस्था की ताकत भी नहीं बढ़ेगी, क्योंकि छोटे किसानों की हिस्सेदारी 85 प्रतिशत तक है। कोरोना संकट में भी किसानों ने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि छोटे किसानों को ताकतवर बनाने के लिए एफपीओ को टूल बनाया जा रहा है जिससे किसान समूह में खेती कर खेती को आसान बना सकेंगे। किसान समूह में खेती करेंगे तो क्रॉप पैटर्न से लेकर तकनीक पर विचार करेंगे।
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पत्रकार नीतू झा ने ‘जी मीडिया' समूह में अपनी पारी को विराम दे दिया है। नीतू पिछले साल से जी मीडिया के डिजिटल टीम में बतौर एंकर अपनी भूमिका निभा रही थी। वह 'जी हिन्दुस्तान' में देश और दुनिया की तमाम खबरों पर वीडियो बनाती थी। पत्रकार नीतू ने अपनी नई पारी की शुरुआत अब इंडिया टुडे (India Today) समूह के हिंदी न्यूज चैनल ‘गुड न्यूज टुडे’ के साथ की है। उन्होंने दिल्ली के लिए बतौर कॉरेस्पोंडेंट के तौर पर जॉइन किया है।समाचार4मीडिया से बातचीत में नीतू ने बताया कि ‘जी मीडिया’ में काम करने के दौरान उन्होंने कई मौकों पर फील्ड रिपोर्टिंग के साथ बड़े मीडिया इवेंट्स भी कवर किया है, सबसे बड़ी बात उन्होंने जी में टीवी के लिए वर्ल्ड कप कवर किया और एक महीने रोजाना घंटो तक लाइव किया।मूल रूप से बिहार के मधुबनी जिले से रहने वाली नीतू मौजूदा वक्त में दिल्ली में रह रही है। वह साल 2018 में मीडिया में जुड़ी थी और अपने सफर कि शुरुआत उन्होंने 'सुदर्शन न्यूज' से बतौर संवाददाता की थी, इसके बाद उन्होंने एचएनएन न्यूज, समाचार प्लस में बतौर एंकर और रिपोर्टर काम किया और फिर अपने सफर में आगे बढ़ते हुए एबीपी न्यूज पहुंचीं, इसके बाद वो जी मीडिया के साथ जुड़ गई थी।
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वरिष्ठ पत्रकार अनुराग सिंह ने हिंदी न्यूज चैनल ‘भारत एक्सप्रेस’ के साथ अपनी पारी को विराम दे दिया है। उन्होंने यहां दो महीने पहले ही जी न्यूज को अलविदा कहकर मैनेजिंग एडिटर के पद पर जॉइन किया था। समाचार4मीडिया से बातचीत में अनुराग सिंह ने अपने इस्तीफा देने की बात से इनकार करते हुए कहा कि वह फिलहाल स्वास्थ्य कारणों से छुट्टी पर हैं। बता दें कि अनुराग सिंह इससे पहले ‘जी न्यूज’ में करीब सवा साल से बतौर आउटपुट हेड अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। ढाई दशक से ज्यादा समय से मीडिया में सक्रिय अनुराग सिंह को टीवी के साथ-साथ प्रिंट में काम करने का भी काफी अनुभव है।अनुराग सिंह ने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत ‘अमर उजाला’ के साथ की थी। यहां वह इस समूह के बिजनेस अखबार ‘कारोबार’ से जुड़े थे। इसके बाद उन्होंने ‘दैनिक जागरण’ और ‘दैनिक भास्कर’ में भी अपनी सेवाएं दीं और फिर प्रिंट को बाय बोलकर टीवी की दुनिया का रुख कर लिया।
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टीवी चॅनेल को PEMRA ने दी चेतावनी इस आदेश का पालन नहीं करने पर उनका लाइसेंस रद्द कर दिया जायेगा I पाकिस्तान में एक बार फिर न्यूज चैनल पर कार्रवाई की गई है। इस बार लोकप्रिय न्यूज चैनल ARY टीवी पर गाज गिरी है। दरअसल, चैनल ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के प्रतिबंधित भाषण को प्रसारित किया था, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है।हुआ यूं कि पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नियामकीय प्राधिकरण (PEMRA) ने रविवार रात को विभिन्न सेटेलाइट टेलीविजन चैनल पर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के सीधा या रिकॉर्डेड भाषण के प्रसारण पर रोक लगा दी थी। हालांकि इसके कुछ घंटे बाद ही चैनल पर उनका भाषण दिखाया गया था, जिसके बाद पाकिस्तान के मीडिया नियामक ने सोमवार को चैनल का प्रसारण बंद कर दिया, क्योंकि इस्लामाबाद पुलिस इमरान खान को गिरफ्तार नहीं कर पायी थी।PTI के नेताओं ने पूरे देश में प्रदर्शन की चेतावनी दी। हालांकि कुछ देर बाद वह घर के बाहर आये और तीखा भाषण दिया, इसी के बाद यह कार्रवाई की गयी है। इमरान खान ने अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगवाने के लिए सोमवार को अदालत का रुख किया।
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'दैनिक जागरण’ की सीनियर रिपोर्टर ने दिया इस्तीफा दो दशक से दैनिक जागरण से जुड़े रहने के बाद दैनिक जागरण की सीनियर रिपोर्टर प्रियंका दुबे मेहता ने दिया इस्तीफा फिलहाल नोटिस पीरियड पे चल रही हैं I वह इस अखबार के गुरुग्राम ब्यूरो में सीनियर रिपोर्टर के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं। उन्होंने कुछ दिनों पहले ही मैनेजमेंट को अपना इस्तीफा सौंप दिया है और फिलहाल नोटिस पीरियड पर चल रही हैं। समाचार4मीडिया से बातचीत में प्रियंका दुबे मेहता ने बताया कि वह फिलहाल कुछ समय तक ‘ब्रेक’ पर रहेंगी और इसके बाद अपनी नई पारी की शुरुआत करेंगी।बता दें कि प्रियंका दुबे मेहता को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का करीब दो दशक का अनुभव है। पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत उन्होंने वर्ष 2004 में ‘दैनिक जागरण’, मेरठ से की थी। वहां कुछ समय अपनी जिम्मेदारी निभाने के बाद प्रबंधन ने वर्ष 2007 में उनका तबादला गुरुग्राम कर दिया, तब से वह यहीं पर थीं।
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(प्रवीण कक्कड़) होली दहन कैसे शुरू हुआ यह कहानी पौराणिक है और जन जन को ज्ञात है कि हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था। उसने अपने पिता के बार-बार समझाने के बाद भी भगवान विष्णु की भक्ति नहीं छोड़ी। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के अनेक उपाय किए किंतु वह सफल नहीं हुआ। अंत में, उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठे, क्योंकि होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था इसलिए होलिका प्रहलाद को लेकर चिता मे जा बैठी परन्तु भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद सुरक्षित रहे और होलिका जल कर भस्म हो गई । तब से होलिका-दहन का प्रचलन हुआ। जीवन भी ऐसा ही है। जीवन में हमेशा छल और कपट की होलिका का दहन होकर ही रहता है। जब छल इतना बढ़ जाए कि एक पिता अपने पुत्र को और एक बुआ अपने भतीजे को अग्नि में भस्म करने के लिए प्रवृत्त हो उठे तो होलिका दहन घटित हो ही जाता है। इसलिए होलिका दहन हमें बताता है कि अंत में झूठ, कपट और दुष्ट चरित्र की होलिका का दहन होना अवश्यंभावी है। होली को गिले-शिकवे भुलाने का त्यौहार भी कहा जाता है, इस दिन एक-दूसरे को रंग लगाकर जैसे हम पुराने मनमुटाव भूल जाने की परम्परा है, वैसे ही हमें अपने मन के साथ भी करना चाहिए, इसमें अगर घृणा, द्वेष, ईर्ष्या जैसे भाव हों तो उन्हें होलिका में दहन कर दीजिए और अपने मन को निर्मल कर लीजिए। जब अंतर्मन सफेद वस्त्र की भांति साफ हो जाता है तो इस कैनवास पर हर रंग चढ़ता भी है और खिलता भी है। एक बात याद रखिए जिसने अपने मन में प्रेम, सौहाद्र, करूणा और दया के रंग भर लिए उसकी दुनिया कभी बदरंग नहीं हो सकती। हम सब अपने जीवन में कभी न कभी यह अनुभव करते हैं कि जो व्यक्ति निश्चल है, कपट रहित है, सच्चरित्र है, दोष रहित है, न्याय प्रिय है, वह जीवन का आनंद हमसे कहीं अधिक ले रहा है। निश्चलता, मासूमियत, सत्यनिष्ठा, सच्चरित्रता, न्याय प्रियता जैसे गुण रूपी रंगों से जो सराबोर है असली होली तो उसी की है। वह अपने रंग में सबको रंगता है और दूसरों के रंग में भी रंग जाता है। उसे दूसरे की प्रगति से ईर्ष्या नहीं है इसलिए दूसरे की प्रगति और संपन्नता उसे संतोष देती है। वह दूसरे के सुख में अपने सुख का अनुभव करता है। वह दूसरे के उन्नयन में अपनी प्रगति देखता है। और इन सब का आनंद भोगता है। आओ होलिका दहन में हम अपनी बुरी प्रवृत्तियों को जलाकर भस्म कर दें और अपने निर्मल मन में खुशियों के रंग भर लें। यही होली की सच्ची भावना है। उत्सव धर्मिता का यह सर्वथा नया आयाम है। प्रेम का यह सबसे परिष्कृत रूप है। द्वैत से अद्वैत की ओर जाने की यात्रा का यह पहला चरण भी है। अपने अंतर्मन को प्रभु भक्ति में रंगने का यह सबसे उत्तम अवसर भी है। थोड़ा अभ्यास कीजिए। थोड़ा प्रयास कीजिए। सुनियोजित नहीं तो अनायास कीजिए। प्रभु आपके अंतर्मन को प्रेम के रंगों से सराबोर कर देंगे। तब होली के रंग जितने अंतर में बिखरेंगे उतने ही बाहर भी बिखर जाएंगे। रंगों के पर्व पर आप अंदर और बाहर रंगों से भर उठें यही शुभकामना है। बॉक्स भारत के प्रसिद्ध होली उत्सव भारत में होली का उत्सव अलग-अलग प्रदेशों में भिन्नता के साथ मनाया जाता है। ब्रज की होली आज भी सारे देश के आकर्षण का बिंदु होती है। बरसाने की लठमार होली काफ़ी प्रसिद्ध है। इसमें पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएँ उन्हें लाठियों तथा कपड़े के बनाए गए कोड़ों से मारती हैं। इसी प्रकार मथुरा और वृंदावन में भी १५ दिनों तक होली का पर्व मनाया जाता है। कुमाऊँ की गीत बैठकी में शास्त्रीय संगीत की गोष्ठियाँ होती हैं। यह सब होली के कई दिनों पहले शुरू हो जाता है। छत्तीसगढ़ की होरी में लोक गीतों की अद्भुत परंपरा है और मध्यप्रदेश के निमाड़-मालवा अंचल के आदिवासी इलाकों में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। होली के कुछ दिन पहले से ही आदिवासियों का पर्व भगोरिया भी शुरू हो जाता है, जिसमें मेलों की धूम और ढोल-मांदल की थाप नजर आती है। हरियाणा की धुलंडी में भाभी द्वारा देवर को सताए जाने की प्रथा है। इसके अतिरिक्त महाराष्ट्र की रंग पंचमी में सूखा गुलाल खेलने, गोवा के शिमगो में जलूस निकालने के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन तथा पंजाब के होला मोहल्ला में सिक्खों द्वारा शक्ति प्रदर्शन की परंपरा है। बिहार का फगुआ जम कर मौज मस्ती करने का पर्व है और नेपाल की होली में इस पर धार्मिक व सांस्कृतिक रंग दिखाई देता है। इसी प्रकार विभिन्न देशों में बसे प्रवासियों तथा धार्मिक संस्थाओं जैसे इस्कॉन या वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में अलग अलग प्रकार से होली के श्रृंगार व उत्सव मनाने की परंपरा है।
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युवा पत्रकार सुधांशु शुभम ने हिंदी न्यूज चैनल ‘आजतक’ में अपनी पारी को विराम दे दिया है। वह यहां टेक कवर कर रहे थे और लंबे समय से कंपनी के साथ जुड़े हुए थे। ‘आजतक’ में अपनी पारी के दौरान उन्होंने टेक से जुड़े कई इवेंट्स और प्रोग्राम को कवर किया है। समाचार4मीडिया से बातचीत में सुधांशु शुभम ने अपने इस्तीफे की पुष्टि की है। हालांकि, उन्होंने अपनी नई पारी के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं दी है।सुधांशु ने बताया कि वह जल्द ही अपनी नई पारी की शुरुआत एक बड़े चैनल के साथ करने जा रहे हैं। हालांकि, यहां वह बतौर टेक जर्नलिस्ट नहीं जुड़ रहे हैं और जॉइन करने के बाद इस पर विस्तृत जानकारी साझा करेंगे।मूल रूप से समस्तीपुर (बिहार) के रहने वाले सुधांशु शुभम ‘इंडिया टुडे’ समूह के साथ वर्ष 2018 से जुड़े हुए थे। ‘आजतक’ में टेक जर्नलिस्ट से पहले वह दिल्ली आजतक में प्रोडक्शन का काम देख रहे थे। उन्होंने मीडिया वेबसाइट्स के लिए फ्री-लांसिंग से अपने करियर की शुरुआत की थी।पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो उन्होंने मॉस कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। शुरुआती शिक्षा उन्होंने बिहार से ही पूरी की है। पढ़ाई के दौरान ही वह स्थानीय न्यूज पोर्टल के लिए काम करने लगे थे। समाचार4मीडिया की ओर से सुधांशु शुभम को उनकी आगामी पारी के लिए अग्रिम बधाई और ढेरों शुभकामनाएं।
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‘Zee डिजिटल’ के वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु शेखर ने ‘Zee डिजिटल' को अलविदा कह दिया है। ‘Zee डिजिटल' में उनका सफर 3 तक रहा उन्होंने ‘जी डिजिटल’ की अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट ‘इंडिया.कॉम’ में एडिटर अपनी भूमिका संभाल रहे थे। समाचार4मीडिया से बातचीत में अपने इस्तीफे की पुष्टि करते हुए हिमांशु शेखर ने बताया कि 16 फरवरी इस संस्थान में उनका आखिरी दिन है।हिमांशु शेखर ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2020 में ‘इंडिया.कॉम’ में बतौर एडिटर जॉइन किया था। वह यहां संपादकीय और ‘क्रिकेट कंट्री’ समेत तमाम प्रॉडक्ट इनिशिएटव में अहम भूमिका निभा रहे थे। इस दौरान इस वेबसाइट ने digital first, mobile first, video first और user first approach जैसी कई पहल शुरू कीं। हिमांशु शेखर का कहना है, ‘इंडिया.कॉम और क्रिकेट कंट्री हमेशा मिले दिल के नजदीक रहेंगी। जी डिजिटल में अपनी पारी के दौरान मुझे बेहतरीन टीम के साथ काम करने का मौका मिला। यहां मुझे काफी कुछ सीखने का मौका मिला और मैं यहां के अपने पलों को संजोकर रखूंगा।’ इसके साथ ही हिमांशु शेखर का यह भी कहना था कि वह जल्द ही अपनी नई पारी की शुरुआत एक बड़े मीडिया संस्थान से करेंगे। फिलहाल उन्होंने उसके नाम का खुलासा नहीं किया है।
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वरिष्ठ पत्रकार ब्रजमोहन कुमार ने ‘भारत एक्सप्रेस’ से दिया इस्तीफा दे दिया है। ब्रजमोहन कुमार पिछले दिनों लॉन्च हुए इस न्यूज चैनल में एग्जिक्यूटिव एडिटर की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार ब्रजमोहन कुमार ने पारिवारिक कारणों के चलते यह इस्तीफा दिया है।ब्रजमोहन कुमार का अगला कदम क्या होगा, फिलहाल इस बारे में पता नहीं चल सका है। बता दें कि ब्रजमोहन कुमार को मीडिया में काम करने का करीब तीन दशक का अनुभव है। ‘भारत एक्सप्रेस’ से पहले वह करीब सात साल से हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज नेशन’ में बतौर सीनियर एडिटर कार्यरत थे।पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत उन्होंने ‘नवभारत टाइम्स’ में बतौर रिपोर्टर की थी। पूर्व में वह ‘दैनिक जागरण’, ‘बीआई टीवी’, ‘आईबीएन7’ (अब न्यूज18 इंडिया), ‘स्टार न्यूज’, ‘आजतक’ और ‘एएनआई’ में भी अपनी भूमिका निभा चुके हैं। इसके अलावा पूर्व में वह ‘ढाई आखर’ फिल्म में एग्जिक्यूटिव प्रड्यूसर की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं।
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दख़ल प्राइड अवॉर्ड से भोपाल।विभिन्न क्षेत्रों में लीक से हटकर और बेहतर काम करने वाली विभूतियों को चर्चित लेखक और प्रख्यात अभिनेता आशुतोष राना 19 फरवरी की शाम दख़ल प्राइड अवॉर्ड से सम्मानित करेंगे।इस दौरान मीडिया की भूमिका पर भी आशुतोष राना प्रकाश डालेंगे। दख़ल प्राइड अवॉर्ड के चौथे सीजन में कवि,पत्रकार आलोक श्रीवास्तव, भाजपा मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर,कांग्रेस नेता डॉ विक्रांत भूरिया,प्रशासनिक अधिकारी माया अवस्थी, एएसपी समीर यादव,पत्रकार सुरेश गुप्ता,मनोज सैनी,राजीव जैन ,धनंजय प्रताप सिंह,मकरंद काले,अनूप दुबे ,अंबुज माहेश्वरी,राजन मेहता ,चिकित्सक डॉ सुबोध वार्ष्णेय, डॉ अंशुल राय, डॉ करिश्मा प्रधान देवेंद्र,शिक्षा क्षेत्र से डॉ राखी तिवारी, डॉ अनुपम चौकसे ,गौरव तिवारी,समाज सेवी माही भाजनी,कवियत्री नीलिमा पाठक सामंतरे,पर्वतारोही मेघा परमार,क्रिकेटर सौम्या तिवारी ,योगाचार्य डॉ पावन गुरु को सम्मानित उनकी विशेष उपलब्धियों के लिए अभिनंदित किया जाएगा। समारोह की अध्यक्षता सहकारिता मंत्री डॉ अरविंद भदौरिया करेंगे ,समारोह के विशेष अतिथि पूर्व मंत्री ,विधायक संजय पाठक होंगे।
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हिमाचल प्रदेश को मिली एक खुशखबरी , अब 24×7 आधारित न्यूज चैनल ‘डीडी हिमाचल’अब हिमाचल प्रदेश मै। गुरुवार को ‘डीडी हिमाचल’ का शुभारंभ केंद्रीय सूचना-प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने किया। इस अवसर पर राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखु और उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री भी मौजूद रहे। इस मौके पर सूचना-प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि जो सपना कई साल पहले देखा था, वह आज पूरा हो गया है। यह चैनल फ्री-डिश पर देखा जा सकेगा। हिमाचल की संस्कृति अब देश व विश्व भर में देखी जा सकेगी। यह प्रदेश के लोगों को समर्पित रहेगा। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि इस चैनल पर देवभूमि के धार्मिक स्थलों की लाइव आरती दिखाने का प्रयास किया जाएगा। हिमाचल के कार्यक्रम को डीडी नेशनल पर भी दिखाने का प्रयास होगा। हिमाचल की संस्कृति और पर्यटन को भी दिखाया जाएगा। साथ ही प्रदेश के फ्रीडम फाइटर को भी चैनल के माध्यम से दिखाया जाएगा। इस चैनल में नवीनतम तकनीक का प्रयोग किया गया है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने आगे कहा कि इस मंच का हिमाचल की प्रतिभा के लिए सदुपयोग हो सकेगा। हर गांव की संस्कृति और कला को चैनल के माध्यम से पहचान दिलाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि डीडी हिमाचल एक सप्ताह में सालभर का कैलेंडर बनाए। इस मौके पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि पहला दूरदर्शन का प्रसारण जब शुरू हुआ, तो दो श्रीमती इंदिरा गांधी ने कहा था कि यह पूरे देश का चैनल है। धीरे-धीरे दूरदर्शन को पंख लगे और यह चैनल अपनी महता को बढ़ाता चला गया। इसमें सबसे ज्यादा योगदान रामायण और महाभारत का रहा है। जब हिमाचल में दूरदर्शन शुरू हुआ था, तो यहां आधा-पौने घंटे का प्रसारण होता था। अब मैं धन्यवाद करता हूं अनुराग ठाकुर का, जो हिमाचल की आवाज बने और आपकी बदौलत ही हिमाचल को 24 घंटे का प्रसारण शुरू किया। यह आपके ही प्रयासों का नतीजा है। हिमाचल की जनता का विकास करने का उद्देश्य मौजूदा सरकार का है। सीएम ने कहा कि पर्टियां भिन्न हो सकती हैं, विचारधारा भिन्न हो सकते हैं, लेकिन हमारा लक्ष्य हिमाचल का विकास होना चाहिए।
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शाम के स्लॉट की शोभा बढ़ाने वाली जो प्राइम टाइम का चेहरा हैं, सीनियर न्यूज़ एंकर शोभना यादव जुडी रहेगी 'एबीपी न्यूज' के साथ। बता दें कि कुछ मुद्दों को लेकर शोभना यादव ने वहां से इस्तीफा दे दिया था। इस बारे में 'समाचार4मीडिया' और हमारी सहयोगी वेबसाइट 'एक्सचेंज4मीडिया' ने खबर भी दी थी कि शोभना यादव ने इस चैनल को बाय बोल दिया है। हालांकि, पिछले दिनों एबीपी नेटवर्क और शोभना यादव के साथ हुई आपसी बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने फैसला लिया है कि शोभना यादव चैनल के साथ बनी रहेंगी। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, शोभना यादव के चैनल से इस्तीफे की खबर सामने आने के बाद ‘एबीपी’ नेटवर्क के सीईओ अविनाश पांडेय और चीफ पीपुल ऑफिसर कविता डासान की शोभना यादव के साथ लंबे दौर की बातचीत हुई। इस बातचीत के बाद शोभना यादव ने नेटवर्क में बने रहने का फैसला लिया। हालांकि, चैनल में उनकी वापसी को लेकर तभी से चर्चाएं शुरू हो गई थीं, जब चैनल के मैनेजिंग एडिटर संत प्रसाद राय के भाई की शादी में भी शोभना यादव नजर आई थीं।
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‘न्यूज18 इंडिया’ को बाय बोलकर पत्रकार प्रिया चौहान चल पड़ी है अपने नए सफर पर , पत्रकार प्रिया चौहान ने ‘टीवी9 नेटवर्क’ के साथ मीडिया में अपने नए सफर की शुरुआत की है। उन्होंने इस नेटवर्क के डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘न्यूज9 प्लस’ में बतौर सीनियर प्रड्यूसर जॉइन किया है।इससे पहले प्रिया चौहान करीब सात साल से ‘नेटवर्क18’ समूह के हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज18 इंडिया’ में बतौर सीनियर एसोसिएट प्रड्यूसर अपनी जिम्मेदारी संभाल रही थीं। पिछले दिनों उन्होंने यहां से बाय बोल दिया था और इन दिनों नोटिस पीरियड पर चल रही थीं।प्रिया चौहान ने ‘न्यूज18 इंडिया’ में अपनी पारी के दौरान तमाम एंटरटेनमेंट शो के अलावा ‘चौपाल’ को भी लगातार पांच साल तक होस्ट किया है। लोकप्रिय फैक्ट चेक शो ‘खबर पक्की है’ के लिए उन्हें प्रतिष्ठित ‘एक्सचेंज4मीडिया न्यूज ब्रॉडकास्टिंग अवॉर्ड्स’ भी मिल चुका है।
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यदि आप पत्रकार हैं और नई नौकरी की तलाश में हैं तो आपके लिए यह खबर काफी काम की हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि ‘जी समूह के अंग्रेजी न्यूज चैनल 'विऑन' में पत्रकारों के लिए नौकरी का मौका है।दरअसल, टीवी आउटपुट में न्यूज और बिजनेस डेस्क के लिए 'विऑन' न्यूज राइटर के पद पर भर्ती करने जा रहा है। इसके लिए योग्य व इच्छुक आवेदकों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। आवेदकों के पास दो से 12 साल का अनुभव होना चाहिए।चुने गए आवेदक को इंटरनेशनल न्यूज की स्क्रिप्ट्स और पैकेज को लिखना और संपादित करना होगा। स्टोरी आइडिया तलाशने होंगे और उन पर काम करना होगा। ऑनएयर स्टोरीटैलिंग के लिए स्पेशल एलीमेंट्स डेवलप करने होंगे।नियुक्ति के लिए उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित ‘जी मीडिया’ परिसर में पांच जनवरी 2023 की सुबह 11 बजे से शाम चार बजे तक वॉक इन इंटरव्यू होंगे।
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संसद का बजट सत्र आज 31 जनवरी से शुरू हो गया है। एक फरवरी 2023 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में सुबह 11 बजे बजट पेश करेंगी। अपने कार्यकाल के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का ये लगातार पांचवां बजट भाषण होगा। मोदी सरकार के लिए 2024 के आम चुनाव से पहले पेश होने वाला ये बजट बेहद खास है, लिहाजा इस दौरान तमाम मीडिया संस्थानों ने बजट की कवरेज को लेकर अपनी तैयारियां पूरी कर ली है। कुछ चैनलों ने बजट पेश होने के दो दिन पहले ही स्पेशल प्रोग्राम चलाने शुरू कर दिए हैं, जिनमें हिंदी न्यूज चैनल‘आजतक’कुछ खास रहा। ‘आजतक’ने अपने नए और यूनीक कॉन्सेप्ट के जरिए बजट के दो दिन पहले ही दर्शकों को अपने स्पेशल प्रोग्राम ‘बजट की उड़ान’ पेश कर दर्शकों को नोएडा के अद्भुत नजारा दिखाया और वह भी करीब 160 फीट की ऊंचाई से। दरअसल चैनल ने इस विशेष पेशकश के लिए फ्लाई स्टूडियो तैयार किया, जो जमीन और आसमान के बीच झूलता रहा। इस स्पेशल शो को चैनल की जानी-मानी एंकर श्वेता सिंह, अंजना ओम कश्यप, नेहा बाथम और सईद अंसारी ने होस्ट किया। एंकर्स के साथ गेस्ट के एक पैनल ने फ्लाई स्टूडियो में बैठकर चर्चा में हिस्सा लिया। हालांकि‘आजतक’का यह यूनीक कॉन्सेप्ट चर्चा में बना हुआ है।
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वरिष्ठ पत्रकार श्रीनिवासन जैन ने ‘एनडीटीवी’ में अपनी करीब तीन दशक पुरानी पारी को विराम देने की घोषणा की है। वर्तमान में इस चैनल में ग्रुप एडिटर की जिम्मेदारी निभा रहे श्रीनिवासन जैन ने एक ट्वीट के जरिये अपने फैसले की घोषणा की है। अपने ट्वीट में श्रीनिवासन जैन ने लिखा है, 'एनडीटीवी पर लगभग तीन दशक से चला आ रहा सिलसिला आज समाप्त हो गया। इस्तीफा देने का फैसला आसान नहीं था, लेकिन.. यही है जो है। बाकी बातें बाद में।'जैन वर्ष 1995 से NDTV के साथ काम कर रहे थे। वह NDV 24x7 पर साप्ताहिक शो ‘Truth vs Hype’ की एंकरिंग करते थे। वह वर्ष 2003 से 2008 तक मुंबई ब्यूरो चीफ रहे और NDTV के बिजनेस चैनल ‘प्रॉफिट’ के प्रबंध संपादक रहे थे। इसके अलावा उन्होंने ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ के लिए संपादकीय भी लिखे हैं।
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(प्रवीण कक्कड़) गणतंत्र दिवस पर एक सवाल सबके जेहन में होता है आखिर इतनी विविधता के बाद भी भारत एक गणतंत्र के रूप में एक कैसे है. वह कौन सा राग भैरवी है जो इन सारे सरगम के सुरों को एक कर देता है. आखिर इतने वैविध्य के बावजूद एक कैसे है भारत. इसका सवाल हजारों वर्ष प्राचीन उस इंसानी सभ्यता में छुपा हुआ है जो इस धरती पर तब जन्मी जब दुनिया के अधिकांश भाग आदिम युग में ही थे. जब दुनिया इंसान के रूप में विकसित हो रही थी तब भारत एक इंसानी सभ्यता के रूप में विकसित हो चुका था. जब दुनिया शक्तिशाली साम्राज्यों के नीचे एकत्र हो रही थी उस समय भारत में गणराज्य विकसित हो चुके थे. वैशाली जैसे गणराज्य दुनिया के नक्शे पर आ चुके थे. शायद यही कारण है कि भारत का गणतंत्र भारत की ही नहीं कि विश्व की पहचान है. यह धरती पर सबसे विविधता पूर्ण और सबसे अनूठा गणतंत्र है. जितनी भाषा, जितनी संस्कृति और जितने धर्म भारत की धरती पर हैं उतने दुनिया में किसी और जगह नहीं मिलते. हमारा गणतंत्र निश्चित रूप से हमारी अलग पहचान है. यह कहना न्याय संगत नहीं है कि गणतंत्र की अवधारणा हमने अपने संविधान को आत्मसात करने के बाद ही प्राप्त की. इतना अवश्य है कि हमारे संविधान के निर्माताओं ने संविधान बनाने से पूर्व विश्व के अनेक संविधानों का अध्ययन किया था इसलिए उन सारे संविधानों का अक्स हमारे संविधान में भी दिखाई देता है. लेकिन इस संविधान की मूल आत्मा तो भारत की ही है. संविधान का मूल स्वरूप तो भारत भूमि पर 3000 वर्ष पूर्व विकसित हो चुके उन गण राज्यों की शासन व्यवस्था से ही मिलता जुलता है. हमने कानून प्रणाली भले ही दुनिया के दूसरे संविधानों से ली हो लेकिन सच तो यह है कि गणराज्य की अवधारणा भारतवर्ष में तीन सहस्त्राब्दी पुरानी है. इसलिए भारत गणतंत्र का अनुभव तो बहुत पहले ही कर चुका था. किंतु बीच में एक समय ऐसा आया जब साम्राज्यवादी ताकतों ने भारत भूमि को अपनी चपेट में ले लिया. मुक्ति के संघर्ष के उस दौर को अलग रखा जाए तो भारत मूल रूप से एक गणतंत्र ही रहा है. यह बात अलग है कि आज भारत एक आधुनिक गणतंत्र है. यानी एक प्राचीन गणतंत्र आधुनिक गणतंत्र में बदल चुका है. भारत का संविधान 26 नवम्बर 1949 को ग्रहण किया गया. जो 26 जनवरी 1950 को प्रवृत्त हुआ.संविधान में सरकार के संसदीय स्वरूप की व्यवस्था की गई है. संविधान की निर्माण प्रक्रिया इतनी आसान नहीं थी. इतने विविधता पूर्ण देश में एक संविधान का निर्माण एक चुनौती ही थी. संविधान सभा, जिसकी अध्यक्षता बाबा साहब अंबेडकर कर रहे थे, के समक्ष यह चुनौती लगातार उपस्थित होती रही. किंतु संविधान सभा के अद्भुत मस्तिष्कों ने भारत की विविधता को ध्यान में रखते हुए जो संविधान निर्मित किया आज वही भारत के लोकतंत्र का आधार है. इतने विद्वानों के होने के बावजूद यह संविधान इतनी आसानी से नहीं बना बल्कि भारत के संविधान को बनने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा. संविधान निर्माताओं ने हर पहलू पर विचार किया. भारत में रहने वाले निवासियों की सांस्कृतिक और सामाजिक विविधता का गहराई से अध्ययन किया. भारत के समाज के निचले तल पर जाकर परीक्षण किया और उसके बाद संविधान का खाका तैयार किया. हमारे संविधान की यही तो खूबसूरती है कि इसकी शुरुआत होती है, 'हम भारत के लोग' से. इस संविधान में भारत को एक प्रभुत्व-सम्पन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक देश बनाने का संकल्प है और इसी संकल्प की तरफ हम निरंतर आगे बढ़ रहे हैं. अलग-अलग विचारधारा की लोकतांत्रिक पार्टियां होने के बाद भी संविधान की अधिकार सीमा का कोई अतिक्रमण नहीं करता यही इस संविधान की खूबसूरती और शक्ति है और यही गणतंत्र की शक्ति है. संविधान में जहां व्यक्ति के बुनियादी अधिकारों की बात है तो वही बुनियादी कर्तव्यों की बात भी है. यदि अधिकार चाहते हैं तो कर्तव्यों का निर्वहन करना होगा. कर्तव्य एक नागरिक के रूप में और एक भारतवासी के रूप में. बिना कर्तव्य भावना के अधिकार की चाहत देश को दिशाहीन कर सकती है. इसलिए संविधान नागरिकों के कर्तव्य के प्रति भी नागरिकों को सचेत करता है और यही एक सफल गणतंत्र का गुण है. आज संविधान की वर्षगांठ के अवसर पर हमें एक नागरिक के रूप में अपने दायित्वों का बोध होना बहुत आवश्यक है. हमें राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझने की आवश्यकता है. राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी परिलक्षित होती है कानून का पालन करने से. ईमानदारी बरतने से और मेहनत और लगन से काम करने से. विशेष बात यह है कि यह सारे गुण हमारे भारतीय वांग्मय में और हमारे धर्म ग्रंथों में भी लिखे हुए हैं. इसलिए जब हम कर्मण्येवाधिकारस्ते के सिद्धांत का पालन करते हैं तब राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का बोध स्वतः ही हो जाता है. यदि हम वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा को अपनाते हैं तो राष्ट्र के हर निवासी के प्रति सद्भाव और सौहार्द स्वतः ही विकसित हो जाता है. यह सब हमारे धर्म, हमारी संस्कृति और हमारे साहित्य का हिस्सा है. और यही संविधान में एक व्यवस्था के रूप में हमें प्रदान किया गया है. गणतंत्र दिवस पर जिस संविधान को हमने अपनाया था उसकी मूल भावना का पालन करते हुए अपने राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों के निर्वहन करने का संकल्प लेना ही संविधान और गणतंत्र को सच्चे अर्थों में आत्मसात करना है.
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50 हज़ार बच्चों को परोसा जायेगा खाना सरकारी स्कूलो में मिडे मील का होगा वितरण,भोपाल में प्रदेश की सबसे बड़ी रसोई अक्षय पात्र की शुरुआत होने जा रही है जिसका उद्गाटन 25 जनवरी को प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान करेंगे अक्षय पात्र फाउंडेशन की यह देश की 66 वी और मध्यप्रदेश की पहली रसोई होगी जिसके माध्यम से रोज़ लगभग 50 हज़ार बच्चों को मिड डे मील उपलब्ध कराया जाएगा भोपाल में प्रदेश की सबसे बड़ी रसोई का उद्गाटन होने जा रहा है जिसका उद्गाटन मुख्यमंत्री शिवराज करेंगे यह रसोई अक्षय पात्र फाउंडेशन HEG , इस्कान और सरकार के सहयोग से काम मिड डे मील तैयार करेगी यह की देश की 66वीं और प्रदेश की पहली रसोई है इस अक्षय पात्र रसोई से पीएम पोषण कार्यक्रम के तहत रोज़ लगभग 50 हज़ार बच्चों को मिड डे मील परोसा जायेगा।
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पत्रकार पिंकी राजपुरोहित ने ‘एबीपी न्यूज़’ (ABP News) के साथ अपनी पारी को विराम दे दिया है। ‘एबीपी न्यूज़’ में अपनी करीब सात साल की इस पारी के दौरान पिंकी राजपुरोहित ने दक्षिण का कार्यभार संभालने के अलावा देश के विभिन्न राज्यों में चुनाव, रक्षा और स्पेस जर्नलिज्म के क्षेत्र में काफी काम किया और अपनी अलग पहचान बनाई। पिंकी राजपुरोहित ने नए साल पर अपनी नई पारी की शुरुआत ‘टाइम्स नाउ’ (Times Now) के साथ की है। यहां वह ‘टाइम्स नाउ नवभारत’ (Times Now Navbharat) के लिए दक्षिण का जिम्मा संभालेंगी। मूल रूप से राजस्थान के सिरोही की रहने वाली पिंकी राजपुरोहित को मीडिया में काम करने का करीब दस साल का अनुभव है। ‘एबीपी न्यूज़’ से पहले वह ‘न्यूज नेशन’ (News Nation) और ‘एएनआई’ (ANI) में भी काम कर चुकी हैं। पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो पिंकी राजपुरोहित ने चेन्नई से ग्रेजुएशन किया है।
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दो दशक से अधिक समय से देश के तमाम प्रमुख मीडिया संस्थानों में विभिन्न पदों पर योगदान दे चुके वरिष्ठ पत्रकार एवं कहानीकार रामनाथ राजेश अब ‘एबीपी’ (ABP) से जुड़ गए हैं। उन्होंने समूह की डिजिटल विंग में बतौर कंसल्टेंट जॉइन किया है। मूल रूप से बिहार के रहने वाले रामनाथ राजेश ने वर्ष 1987 में पटना में ‘नवभारत टाइम्स‘ से पत्रकारिता की शुरुआत की। लगभग 10 साल तक पटना स्थित ‘भारतीय व्यापार प्रबंधन संस्थान‘ से बतौर फैकल्टी मेंबर जुड़े रहे। वर्ष 2000 में जब पटना में ‘दैनिक जागरण‘ की शुरुआत हुई तो उसकी संपादकीय टीम के साथ संस्थापक सदस्य के रूप में जुड़े। करीब तीन साल बतौर रिपोर्टर काम करने के बाद जनरल डेस्क पर आए। वर्ष 2005 के दिसंबर में जब दिल्ली में ‘दैनिक जागरण‘ की सेंट्रल डेस्क की शुरुआत हुई तो बतौर बिहार-झारखंड के सेंट्रल डेस्क प्रभारी वह यहां आ गए और वर्ष 2015 तक अपनी भूमिका निभाई। ‘दैनिक जागरण‘ के बाद ‘लाइव इंडिया‘ से बतौर कंसल्टेंट उन्होंने डिजिटल मीडिया की दुनिया में कदम रखा और वर्ष 2016 में ‘इंडो एशियन न्यूज सर्विस‘ (IANS) में बतौर उपमुख्य संपादक रहे। फिर वर्ष 2017 में डिप्टी न्यूज एडिटर के रूप में ‘न्यूज18’ की डिजिटल विंग से जुड़े और करीब तीन साल हैदराबाद रहे। वर्ष 2000 में जब दिल्ली लौटे तो कोरोना का कहर शुरू हो गया। इस दौरान वह ‘ईटीवी भारत’ (Etv Bharat) की संपादकीय टीम के साथ बतौर अनुवादक जुड़े रहे। 58 साल की उम्र पूरी कर चुके रामनाथ राजेश ‘एबीपी’ से जुड़ने से पहले ‘ईटीवी भारत’ के झंडेवालान स्थित दफ्तर में दिल्ली की खबरों को देख रहे थे। वर्ष 1991 के एमबीए डिग्रीधारी राजेश का वर्ष 2016 में आया कहानी संग्रह 'वाट्सएप' काफी चर्चित रहा था। दो दर्जन से अधिक कहानियां और करीब 50 से अधिक कविताएं लिख चुके रामनाथ राजेश का जन्म बिहार के भोजपुर जिले के पीरो अनुमंडल स्थित बचरी में हुआ था। राजेश की शुरुआती पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से हुई। वर्ष 1972 में पटना जिला के बिहटा स्थित सरकारी स्कूल से पढ़ाई के बाद उन्होंने दानापुर स्थित बीएस कॉलेज से बीएससी और आईआईबीएम पटना से एमबीए (मगध विश्वविद्यालय) और पीजीडीसीए किया है। रामनाथ राजेश दिल्ली के आधा दर्जन से अधिक मीडिया संस्थानों में बतौर विजिटिंग फैकल्टी शिक्षण से भी जुड़े रहे हैं।
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(प्रवीण कक्कड़) मकर संक्रांति पूरे देश में हर्षोंल्लास से मनाया जा रहा है। सूर्यदेव की अराधना, तिल-गुड़ खाने और पतंग उड़ाने के साथ ही मकर संक्रांति पर्व कई संदेश देता है, हमें जीवन प्रबंधन की कला सिखाता है। संक्रांति यानी सूर्य का उत्तरायण, सूर्य धीरे-धीरे दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ने लगते हैं। जो हमें जीवन में सकारात्मकता लाने और प्रकाश की ओर बढ़ने का संकेत देता है। तिल-गुड़ के संगम से संगठन की क्षमता, लोहड़ी की अग्नि में क्रोध और ईर्ष्या को जलाना और पतंगबाजी से जीवन में उल्लास लाने व खुशियां बांटने के संदेश मिलते हैं। सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश को मकर संक्रांति कहा जाता है। देश के अधिकांश हिस्सों में इसे मकर संक्रांति ही कहा जाता है, वहीं इसकी पूर्व संध्या पर उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में लोहड़ी पर्व मनाया जाता है, वहीं दक्षिण भारत में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है। हर भारतीय त्यौहार का एक वैज्ञानिक महत्व है, हमारा हर पर्व रहन-सहन, खान-पान, फसलों व प्रकृति के परिवर्तनों पर आधारित है। हमारे पर्वों में जहां पौराणिक कथाओं का उल्लेख मिलता है, वहीं खगोलीय घटना, धरती के वातावरण, मनुष्य के मनोविज्ञान व सामाजिक कर्तव्यों की सीख भी परिलक्षित होती है। ग्रेगेरियन कैलेंडर के अनुसार देखें तो मकर संक्रांति वर्ष का पहला पर्व है। सूर्य को ब्रह्मांड की आत्मा माना जाता है। मकर संक्रांति सूर्य देव की अराधना का पर्व है। उत्तर भारत में लोहड़ी तो दक्षिण भारत में पोंगल भी इसी दौरान मनाया जाता है। चलिए अब बात करते हैं मकर संक्रांति के वैज्ञानिक महत्व और प्रबंधन को लेकर। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश परिवर्तन को दर्शाता है, हमें यह सीख देता है कि परिवर्तन ही प्रकृति का सबसे बड़ा नियम है और समय व परिस्थिति के साथ हमें स्वयं में परिवर्तन के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। पोंगल व संक्रांति का सीधा संबंध सूर्य से है सूर्य यानी उजास, रोशनी, सकारात्मकता और उंचाई। संक्रांति पर्व हमें सिखाता है कि हमारे लक्ष्य किस तरह उंचे और बड़े होना चाहिए। जिससे इन्हें हासिल करने के लिए हम मजबूत इरादों के साथ आगे बढ़ सकें। बॉक्स तिल-गुड़ से सीखिये संगठित होना हमारे शास्त्रों के अनुसार तिल को सृष्टि का पहला अन्न माना गया है। इसलिए हमेशा हवन-पूजन में तिल का प्रयोग होता है। तिल में एंटीऑक्सिडेंट, कैल्शियम और कार्बोहाइड्रेट होता है, इसे पानी में डालकर स्नान करने से स्वास्थ्य लाभ होता है, वहीं इसके तेल की मालिश से त्वचा में चमक आती है। इसे गुड में मिलाकर खाने से स्वास्थ्य लाभ होता है। गुड़ में मिले तिल के दाने हमें संगठन का संदेश देते हैं, वहीं गुड़ रिश्तों में मिठास की सीख देता है। लोहड़ी में जला दीजिये अहंकार इसी तरह लोहड़ी पर आग जलाकर जश्न मनाया जाता है, अग्नि को सबसे पवित्र माना जाता है, यह हमें संदेश देती है कि बैर, क्रोध, ईर्ष्या लालच और अहंकार जैसी भावनाओं को लोहड़ी की अग्नि में जला दिया जाए और इस आग की तरह गर्मजोशी से रिश्तों को निभाया जाए। पतंगबाजी से भरिये जीवन में उल्लास मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा है, पतंगबाजी हमें जीवन में उल्लास सिखाती है, यह संदेश देती है कि किस तरह हम जीवन को रंगों से भर सकते हैं, वहीं पतंग की डोर हमें संदेश देती है कि उड़ान कितनी ही उंची हो, उसकी कमान हमेशा सही हाथ में होनी चाहिए, नहीं तो वह जीवन को भटका सकती है। बस अगर अपने त्यौहारों के पीछे छुपे इस फंडे को हम समझ गए तो त्यौहार हम सिर्फ परंपरा निभाने के लिए नहीं मनाएंगे बल्कि जीवन को सकारात्मक बनाने के लिए भी मनाएंगे।
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मीडिया फर्म ‘नई दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड‘ (NDTV) से एक बड़ी खबर निकलकर सामने आई है। इस खबर के मुताबिक ‘एनडीटीवी’ की ग्रुप प्रेजिडेंट सुपर्णा सिंह ने शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस बारे में कंपनी की ओर से 'बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज' (BSE) को भी जानकारी दी गई है। ‘बीएसई’ को दी गई जानकारी के अनुसार, सुपर्णा सिंह के अलावा चीफ स्ट्रैटेजी ऑफिसर अरिजीत चटर्जी और चीफ टेक्नोलॉजी व प्रॉडक्ट ऑफिसर कंवलजीत सिंह बेदी ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। कंपनी का कहना है कि एक नई लीडरशिप टीम को नियुक्त करने की प्रक्रिया जारी है, जो कंपनी के लिए नई रणनीतिक दिशा और लक्ष्य निर्धारित करेगी। बाद में कंपनी के सीईओ और एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया ने भी इस खबर के बारे में एनडीटीवी के एंप्लॉयीज को एक इंटरनल मेल लिखा है। इस मेल में पुगलिया का कहना है, ‘हमारे तीन सहयोगियों: सुपर्णा सिंह, अरिजीत चटर्जी और कंवलजीत सिंह बेदी ने एनडीटीवी से हटने का फैसला लिया है और अपना इस्तीफा सौंप दिया है। वे समूह के लिए मजबूत स्तंभ रहे हैं और कंपनी को लाभप्रदता में वापस लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हम भविष्य के लिए उन्हें शुभकामनाएं देते हैं।’ इस मेल में कहा गया है, ‘टाउन हॉल में मैंने कहा था कि अडानी समूह एनडीटीवी को नए जमाने के ग्लोबल डिजिटल मीडिया ऑर्गनाइजेशन में परिवर्तित करने के लिए प्रतिबद्ध है। जैसा कि मैंने एनडीटीवी में आप में से कई लोगों के साथ बातचीत की है, उसके आधार पर मैं आश्वस्त हूं कि इन आकांक्षाओं को जल्द पूरा करने के लिए हमारे पास वैल्यू सिस्टम, मानसिकता, क्षमता और विश्वसनीयता है। हम साथ मिलकर काम करेंगे और आपको हर स्तर पर अपडेट रखेंगे।’ बता दें अमेरिका की सायरेकस यूनिवर्सिटी से टीवी, रेडियो और फिल्म में पोस्ट ग्रेजुएट सुपर्णा सिंह वर्ष 1994 से एनडीटीवी से जुड़ी हुई थीं और इस दौरान तमाम पदों पर अपनी जिम्मेदारी निभा चुकी थीं।
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(प्रवीण कक्कड़) स्वामी विवेकानंद एक ऐसे व्यक्ति जिन्होंने देश के आध्यात्म, शिक्षा और स्वाभिमान को विश्व पटल पर अंकित किया। करीब 118 वर्ष पहले अमेरिका के शिकागो में हुए उनके भाषण को आज भी याद किया जाता है। वास्तव में स्वामी विवेकानंद आधुनिक भारत के वे आदर्श प्रतिनिधि हैं। जिनकी प्रेरणाएं हमें आज भी मार्ग दिखाती हैं। शिकागो में जब विवेकानंद को दुनिया ने सुना तो जाना कि भारत की धरती पर एक ऐसा व्यक्तित्व पैदा हुआ है जो दिशाहारा मानवता को सही दिशा देने में समर्थ है। शिकागो में विवेकानंद ने कहा था "मुझे गर्व है कि मैं उस धर्म से हूं जिसने दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। हम सिर्फ़ सार्वभौमिक सहिष्णुता पर ही विश्वास नहीं करते बल्कि, हम सभी धर्मों को सच के रूप में स्वीकार करते हैं। मुझे गर्व है कि मैं उस देश से हूं जिसने सभी धर्मों और देशों के सताए गए लोगों को अपने यहां शरण दी"। इसका अर्थ यह है कि विवेकानंद भी भारत की सहिष्णुता और सर्वधर्म समभाव को भारत की सबसे बड़ी पूंजी मानते थे। वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा को दुनिया से परिचित कराने में विवेकानंद का अभूतपूर्व योगदान था। 11 सितंबर 1893 का वह दिन विश्व के इतिहास में अविस्मरणीय बन गया जब शिकागो में विवेकानंद ने ऐतिहासिक भाषण दिया। उसके बाद से ही विवेकानंद के सिद्धांतों को दुनिया समझने की कोशिश करती रही लेकिन समझ में आया 118 वर्ष बाद, जब 11 सितंबर 2001 की सुबह अल-कायदा के 19 आतंकियों ने उसी अमेरिका के ट्विन टॉवर्स को ध्वस्त करके मानवता को सबसे बड़ा आघात पहुंचाया जिस अमेरिका में सार्वभौमिक सहिष्णुता की बात विवेकानंद ने की थी। इसीलिए 11 सितंबर की तारीख जहां विश्व में विवेकानंद के मुख से निकले सार्वभौमिक सहिष्णुता के सिद्धांत की दृष्टि से अभूतपूर्व है तो वह तारीख सबसे बड़े आतंकी हमले में उस सिद्धांत को आघात पहुंचाने की दृष्टि से भी अविस्मरणीय है। विवेकानंद की जयंती 12 जनवरी को मनाई जाती है लेकिन विवेकानंद के सिद्धांत पूरी दुनिया में 12 महीनों के 365 दिन प्रासंगिक हैं। जिस वेदांत को उन्होंने अपनी छोटी सी उम्र में रचा उसे उन्होंने जीवन पर्यंत अपनाया भी। वेदांत एक सिद्धांत के रूप में नहीं बल्कि एक व्यवहारिकता के रूप में विवेकानंद के जीवन में था। इसीलिए अपने छोटे से जीवन काल में विवेकानंद इतना प्रभाव उत्पन्न कर पाए। उन्होंने भारतीय वांग्मय और भारतीय धर्म-संस्कृति का ही विश्व को परिचय नहीं कराया बल्कि सार्वभौमिक सहिष्णुता के उस सिद्धांत को संसार के हर कोने तक पहुंचाने की कोशिश भी की। आज 2-2 विश्व युद्ध के बाद, सारे संसार में बढ़ती हिंसा और आतंकवाद के खतरों के बाद यदि किसी सिद्धांत को अपनाने की आवश्यकता है तो वह सार्वभौमिक सहिष्णुता का सिद्धांत ही है जो एक तरफा नहीं है। बल्कि जिसे दोनों तरफ से निभाने की आवश्यकता है। विवेकानंद की जयंती पर जरूरत है प्रज्ञावान बनने की, स्वयं को पहचानने की, अपनी आयु से ऊपर उठकर विचार करने की। आप सभी को स्वामी विवेकानंद की जयंती की अनेकानेक शुभकामनाएं। बॉक्स स्वामी विवेकानंद वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरू के रूप में स्वामी विवेकानंद का नाम पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। उनका वास्तविक नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदांत दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानंद के उद्बोधन के कारण हुआ। इस उद्बोधन में स्वामी विवेकानंद द्वारा सभी को ‘‘भाईयों एवं बहनों’’ कहकर संबोधित किए जाने ने सभी के मन पर गहरा प्रभाव डाला। वे संत रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना भी की, जो आज भी अपना काम कर रहा है। युवा दिवस स्वामी विवेकानंद की जयंती के उपलक्ष्य में 12 जनवरी 1984 को युवा दिवस की घोषणा की गई थी। इसके बाद से हर साल इस दिन युवा दिवस मनाया जाता है। वास्तव में स्वामी विवेकानंद आधुनिक मानव के आदर्श प्रतिनिधि हैं। विशेषकर भारतीय युवाओं के लिए स्वामी विवेकानंद से बढ़कर दूसरा कोई नेता नहीं हो सकता जिसने विश्व पटल पर अपनी अमिट छाप छोड़ी हो। उन्होंने हमें जो स्वाभिमान दिया है वह उत्तराधिकार के रूप् में प्राप्त कर हमारे अंदर आत्मसम्मान और अभिमान जगा देता है। स्वामीजी ने जो लिखा वह हमारे लिए प्रेरणा है। यह आने वाले लंबे समय तक युवाओं को प्रेरित व प्रभावित करता रहेगा।
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जाने-माने पत्रकार उपेंद्र राय के नेतृत्व में जल्द लॉन्च होने वाले ‘भारत एक्सप्रेस’ (Bharat Express) न्यूज नेटवर्क से तमाम पत्रकारों के जुड़ने का सिलसिला जारी है। अब इस कड़ी में वरिष्ठ टीवी पत्रकार सुमित कुमार झा का नाम भी जुड़ गया है। उन्होंने यहां डिप्टी एडिटर और सीनियर एंकर के तौर पर जॉइन कर लिया है। समाचार4मीडिया से बातचीत में सुमित कुमार झा ने खुद इसकी पुष्टि की है। बता दें कि सुमित कुमार इससे पहले ‘न्यूज नेशन’ (News Nation) नेटवर्क से जुड़े हुए थे। उन्होंने मई 2022 में यहां बतौर ब्यूरो हेड (बिहार) जॉइन किया था। सुमित झा के अनुसार, ‘इस पारी के दौरान मैं मैंने न्यूज स्टेट बिहार/झारखंड को सफलतापूर्वक लॉन्च कराया। इस दौरान बिहार में सत्ता परिवर्तन की एक्सक्लूसिव कवरेज की। डिप्टी सीएम बनने के बाद तेजस्वी यादव का पहला एक्सक्लूसिव इंटरव्यू लिया। शिक्षा मंत्री समेत कई मंत्रियों का इंटरव्यू लेने के अलावा मोकामा गोपालगंज उपचुनाव के दौरान भी शानदार कवरेज कर महज तीन महीनों में न्यूज स्टेट बिहार/झारखंड को नई पहचान दिलाई।‘मूल रूप से मधुबनी (बिहार) के रहने वाले सुमित कुमार झा को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का डेढ़ दशक से ज्यादा का अनुभव है। पत्रकारिता में अपने करियर की शुरुआत सुमित ने वरिष्ठ पत्रकार नलिनी सिंह के लोकप्रिय शो ‘आंखों देखी’ के साथ की थी। सुमित कुमार पूर्व में ‘महुआ न्यूज’, ‘जी मीडिया’ और ‘नेटवर्क18’ में भी अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो सुमित ने हरियाणा में हिसार स्थित गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुएशन किया है।
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बड़ी मात्रा में अमानक खाद्य सामग्री बरामद डिंडोरी में एक थोक किराना व्यापारी के ठिकाने पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी टीम ने छापामार कार्रवाई की है खाद्य विभाग को उक्त ठिकाने पर मिलावट की सूचना मिली थी जिसके आधार पर यह कार्रवाई की गई वहीं इस दौरान किराना दुकान से बड़ी मात्रा में अमानक खाद्य सामग्री बरामद हुई है डिंडोरी में एक थोक किराना व्यापारी के खाद्य सामग्री में मिलावट होने की सूचना खाद्य सुरक्षा विभाग को लगी थी जिसके बाद खाद्य सुरक्षा अधिकारी प्रभा तेकाम ने राजस्व विभाग के राजस्व निरीक्षक और पटवारी की संयुक्त टीम के साथ मिलकर किराना दुकान पर छापामार कार्यवाही करते हुए बड़ी मात्रा में अमानक खाद्य पदार्थ बरामद किया है वहीं बड़ी मात्रा में खाद्य सामग्री में मिलाने वाले प्रतिबंधित रंग, को जप्त करने के साथ ही नष्ट करने के आदेश भी दिए हैं वही छापामार कार्रवाई के दौरान तेल, मिर्च पाउडर सहित अन्य खाद्य सामग्री के नमूने जब्त कर परीक्षण के लिए लेब भेज दिए गए हैं और जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्यवाही की कही बात
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जानी-मानी न्यूज एंकर और वरिष्ठ पत्रकार कविता सिंह ने नए साल पर ‘भारत एक्सप्रेस’ के साथ अपनी नई पारी की शुरुआत की है।उन्होंने यहां पर बतौर एग्जिक्यूटिव एडिटर/सीनियर एंकर जॉइन किया है। गौरतलब है कि पत्रकारिता के क्षेत्र में कविता सिंह को डेढ़ दशक से ज्यादा का अनुभव है। इससे पहले वह ‘न्यूज24’ और ‘रिपब्लिक भारत‘ की लॉन्चिंग टीम का हिस्सा रह चुकी हैं।इसके अलावा पूर्व में वह ‘इंडिया टीवी‘ , ‘जी न्यूज’ , ‘न्यूज नेशन‘ और ‘सहारा समय‘ में भी वरिष्ठ पदों पर काम कर चुकी हैं। डिबेट, स्पॉट एंकरिंग और रिपोर्टिंग उनकी खास पहचान है। मीडिया के निर्भीक, प्रतिभाशाली, जुझारू और बेहद लोकप्रिय पत्रकारों में कविता सिंह की गिनती होती है।समाचार4मीडिया से बातचीत में कविता सिंह ने बताया कि वह इकलौती ऐसी एंकर हैं, जिन्होंने 42 दिन लगातार कुंभ से लाइव शो की एंकरिंग की। जम्मू में हुए आतंकी हमले में उन्होंने जान जोखिम में डालकर ग्राउंड जीरो से 18 घंटे कवरेज की। हाथरस कांड में भी उन्होंने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर ‘असली खबर’ दिखाई, जिसके बाद सच सामने आया। इस दौरान उन्हें धमकी भी दी गई, लेकिन वह डटी रहीं।बता दें कि बेहद वर्सेटाइल कविता सिंह की खूबी है कि वह हर तरह की खबरों (स्पोर्ट्स, एंटरटेनमेंट,डिबेट व आउटडोर आदि) में बेहतरीन तैयारी के साथ दर्शकों से रूबरू होती हैं। ‘न्यूज नेशन’ में उनका ‘आईपीएल’ शो आज भी याद किया जाता है।इसी तरह ‘इंडिया न्यूज’ में उनका शो ‘बेटियां’ भी काफी पसंद किया जाता था, जिसे वह खुद लिखती, शूट करतीं और प्रोड्यूस करती थी। इसके अलावा उन्होंने सरहद से दिवाली, और नए साल पर जवानों के बीच भी शो एंकर किए हैं। उनकी इलेक्शन कवरेज भी काफी लोकप्रिय रही है। समाचार4मीडिया की ओर से कविता सिंह को उनकी नई पारी के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
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देश के बड़े उद्योगपति गौतम अडानी का मीडिया कंपनी एनडीटीवी पर अब पूरी तरह नियंत्रण हो गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एनडीटीवी पर अडानी समूह का नियंत्रण स्थापित होने के बाद कंपनी के फाउंडर प्रणय रॉय और उनकी पत्नी राधिका रॉय समेत अन्य चार डायरेक्टर्स ने इस्तीफा दे दिया है। प्रणव रॉय और राधिका रॉय एनडीटीवी के कार्यकारी सह-चेयरपर्सन थे। इस्तीफा देने वाले डायरेक्टर्स में डेरियस तारापोरवाला और इंडिपिडेंट डायरेक्टर्स किंशुक दत्ता, इंद्राणी रॉय एवं जॉन मार्टिन ओलॉन शामिल हैं। अडानी एंटरप्राइजेज ने स्टॉक एक्सचेंज को इस अधिग्रहण की सूचना देते हुए कहा कि उसकी सहयोगी और एनडीटीवी के प्रमोटर ग्रुप में शामिल आरआरपीआर (RRPR) ने एनडीटीवी में प्रणव रॉय और राधिका रॉय की 27.26 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण परस्पर ट्रांसफर के माध्यम से कर लिया है। चैनल में अब इनकी हिस्सेदारी अब 5 प्रतिशत रह गई है। वहीं, इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्य सचिव सुनील कुमार और पूर्व सचिव अमन सिंह को एनडीटीवी में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। एनडीटीवी प्रबंधन ने दोनों को एडिशनल डायरेक्टर बनाया हैं। इस संबंध में प्रबंधन की ओर से आदेश जारी कर दिए गए हैं। अडानी एंटरप्राइजेज की ओर से कहा गया कि एनडीटीवी के बोर्ड ने अमन कुमार सिंह को गैर-कार्यकारी अतिरिक्त निदेशक और सुनील कुमार को गैर-कार्यकारी स्वतंत्र निदेशक नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। एनडीटीवी में ये नियुक्तियां 30 दिसंबर 2022 से तीन साल के लिए की गईं हैं। वहीं, पिछले हफ्ते भी अडानी ग्रुप ने संजय पुगलिया और सेंथिल एस चेंगलवरयन को एनडीटीवी में डायरेक्टर मनोनीत किया था। बता दें कि सुनील कुमार 2012 से 2014 तक छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव थे। सुनील कुमार 1979 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने फिजिक्स में स्नातक और बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातकोत्तर की उपाधि ली है। वहीं, अमन कुमार सिंह भारतीय राजस्व सेवा के 1995 बैच के अधिकारी रहे हैं। वर्ष 2004 में छत्तीसगढ़ में बीजेपी की रमन सिंह सरकार में प्रतिनियुक्ति पर मुख्यमंत्री का प्रमुख सचिव नियुक्त होने पर उन्होंने आईआरएस से इस्तीफा दे दिया था। उन्हें फाइनेंस और प्लानिंग का विशेषज्ञ भी माना जाता है। उन्होंने कॉरपोरेट सेक्टर में भी काम किया। वह रतन इंडिया पावर में सीईओ भी रहे हैं। इसके बाद उन्हें अडानी ग्रुप में कॉरपोरेट ब्रैंड कस्टोडियन नियुक्त किया गया। वे कंपनी के अहमदाबाद स्थित कॉरपोरेट मुख्यालय में बैठते हैं और सीधे कंपनी चेयरमैन को रिपोर्ट करते हैं। वहीं, इस अधिग्रहण पर अडानी ग्रुप के संस्थापक और चेयरमैन गौतम अडानी ने कहा, ‘अडानी ग्रुप को एनडीटीवी को विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे और प्रतिभा के साथ आगे बढ़ाने और एक बहु-मंचीय वैश्विक समाचार नेटवर्क में बदलने का सौभाग्य मिला है।’ बता दें कि रॉय दंपति ने अपनी एनडीटीवी में शेष 32.26% हिस्सेदारी में से 27.26 प्रतिशत हिस्सेदारी शुक्रवार को अडानी ग्रुप को बेच दी थी। इसके साथ ही अडानी ग्रुप ने इस टेलीविजन नेटवर्क पर अपना पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर लिया। इस हिस्सेदारी खरीद के साथ ही अडानी ग्रुप के पास अब एनडीटीवी की कुल 64.71 प्रतिशत हिस्सेदारी आ गई है। गौरतलब है कि न्यूज चैनल एनडीटीवी की शुरुआत करने वाले रॉय दंपति ने गत 23 दिसंबर को घोषणा की थी कि वे इस मीडिया कंपनी में अपनी बची हुई 32.26 प्रतिशत हिस्सेदारी में से 27.26 प्रतिशत हिस्सा अडानी ग्रुप को बेच देंगे। अडानी ग्रुप ने रॉय दंपति की हिस्सेदारी का अधिग्रहण 342.65 रुपये प्रति शेयर के भाव पर किया है। इस भाव पर 1.75 करोड़ शेयरों की बिक्री से रॉय दंपति को 602.30 करोड़ रुपए मिलने का अनुमान है। यह भाव ओपन ऑफर में अडानी समूह की तरफ से निर्धारित 294 रुपये के भाव की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है।
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(प्रवीण कक्कड़) साल का बदलना कैलेंडर में एक तारीख का बदलना ही तो है। दिसंबर का जनवरी में तब्दील होना ही तो है। 12 माह के चक्र का पूरा होना ही तो है। वही सूरज का उगना, वही नया दिन। वही सुबह, वही शाम और वही रात। किंतु ऐसा नहीं है। नए वर्ष में कैलेंडर ही नहीं बदलता बल्कि बहुत कुछ ऐसा होता है जो बदल जाता है। नया वर्ष हम सभी की उम्र में एक वर्ष जोड़ देता है। हमारे अनुभव की पूंजी में 12 माह की वृद्धि कर देता है। हमारे जीवन की गति को कुछ और तेज कर देता है। पूर्णाहुति की तरफ बढ़ रहे हमारे कदमों को अपनी मंजिल के कुछ और निकट ला देता है। इसलिए नया वर्ष जब आता है तो नए वर्ष का उगता सूरज हमें नए संकल्पों और नई ऊर्जा से सराबोर कर देता है। भारतीय वांग्मय में सूर्य की गति के अनुसार नए वर्ष के दिन और महीने तय किए जाते हैं। इसलिए भारतीय नववर्ष अंग्रेजी कैलेंडर से थोड़ा बाद में आता है या यूं कहें कि कुछ माह पहले आ जाता है। किंतु समय का चक्र तो वही है। चाहे दिसंबर के बाद जनवरी के रूप में आए या फिर अप्रैल (गुड़ी पड़वा)में हिंदू नव वर्ष के रूप में। जिसे नवसंवत्सर भी कहते हैं, जिसकी शुरुआत चैत्र मास की नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि से होती है। लेकिन हमारे देश के सारे महत्वपूर्ण कार्य अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से ही चलते हैं। इसलिए जितना नवसंवत्सर का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्व पर उतना ही लौकिक दृष्टि से जनवरी माह से प्रारंभ नव वर्ष का महत्व है। इसलिए इस नए वर्ष का आगाज सकारात्मकता के साथ करें। पुराने वर्ष की असफलता, दुख, नुकसान प्रियजन के बिछड़ने, कैरियर और व्यापार में घाटा होने, किसी से रिश्ता टूटने जैसे दुखों को भूल जाएं। बीते हुए वर्ष में जो कुछ पाया है उसकी खुशियां मनाते हुए नए साल का स्वागत करें। क्योंकि नया साल जीवन के बढ़ने का प्रतीक है। यह बीता हुआ समय हमें हर पल इस बात का स्मरण दिलाता है कि कोई भी परेशानी या सुख स्थाई नहीं है। परेशानी आती है तो जाती है और सुख भी आता है तो जाता भी है। आपका निष्काम कर्म योग ही आपके सुख की गारंटी है। नए वर्ष का केवल एक ही संकल्प है पुराने वर्ष की नकारात्मकता को भूलना और सकारात्मकता को याद रखना। बहुत से देशों में नए वर्ष पर पुराने बर्तनों को तोड़ने का रिवाज है। इसके पीछे भी यही तर्क है कि जो कुछ पुराना है और नकारात्मक है उसे भूल जाएं। 'नव गति, नव लय, ताल छंद नव, नवल कंठ नव जलद मंद्र रव। नव नभ के नव विहग वृंद को, नव पर नव स्वर दे।।' सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की इन पंक्तियों की तरह ही हमें अपने जीवन में नई सोच, नई उमंग और नए उत्साह के साथ आगे बढ़ना है। उम्मीद है कि वर्ष 2023 हम सबको कुछ नया कर गुजरने के लिए उत्साहित करेगा। नए वर्ष में आप सभी को सुख शांति और समृद्धि मिले। नए वर्ष की यही शुभकामनाएं है और यही संकल्प है।
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युवा पत्रकार शिवम प्रताप सिंह ने ‘नेटवर्क18’ के साथ मीडिया में अपनी नई पारी का आगाज किया है। उन्होंने इस समूह के हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज18 इंडिया’ में बतौर करेसपॉन्डेंट जॉइन किया है | शिवम प्रताप सिंह इससे पहले ‘जी’ समूह के हिंदी न्यूज चैनल ‘जी हिन्दुस्तान’ में अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे, जहां से पिछले दिनों उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। ‘जी हिन्दुस्तान’ में करीब डेढ़ साल से बतौर रिपोर्टर वह पॉलिटिकल और क्राइम बीट कवर कर रहे थे।मीडिया में अब तक की अपनी पारी के दौरान उन्होंने गोरखपुर मंदिर हमला, मुंबई लाउडस्पीकर विवाद, पटियाला में खालिस्तानी हिंसा, नौसेना में INS वेला की लॉन्चिंग, अफगानिस्तान में तालिबान राज के दौरान भारतीयों की वापसी, श्रद्धा हत्याकांड और ज्ञानवापी मामले पर कई एक्सक्लूसिव स्टोरी की हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान यूपी में करीब चार महीने रिपोर्टिंग की | मीडिया से बातचीत में शिवम प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने ‘हिन्दी खबर’ में शुरुआती काम के दौरान दिल्ली चुनाव में प्रियंका गांधी का एक इंटरव्यू किया था, जो काफी वायरल हुआ था। इसके अलावा हाथरस रेप कांड में आरोपी के पिता का पहला और एक्सक्लूसिव इंटरव्यू भी उन्होंने किया था।मूल रूप से इटावा के रहने वाले शिवम प्रताप सिंह ने शुरुआती पढ़ाई कानपुर से करने के बाद दिल्ली में ‘इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी’ से मास कम्युनिकेशन की डिग्री ली है। मीडिया में अपने करियर की शुरुआत उन्होंने हिंदी न्यूज चैनल ‘इंडिया न्यूज’ (India News) से की थी। यहां करीब एक साल तक असिस्टेंट प्रड्यूसर के तौर पर आउटपुट में अपनी जिम्मेदार निभाने के बाद उन्होंने यहां से बाय बोलकर ‘हिन्दी खबर’ का रुख कर लिया था। हालांकि यहां उनका सफर छोटा ही रहा और करीब छह महीने यहां अपनी संक्षिप्त पारी को निभाने के बाद वह ‘जी हिन्दुस्तान’ से जुड़ गए थे। इसके बाद अब यहां से बाय बोलकर वह ‘न्यूज18 इंडिया’ पहुंचे हैं।
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पत्रकार प्रशांत सिंह ने ‘जी’ समूह में अपनी पारी को विराम दे दिया है। वह करीब चार साल से ‘जी बिजनेस’ की अंग्रेजी वेबसाइट में बतौर डिप्टी एडिटर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। प्रशांत सिंह ने अपनी नई पारी की शुरुआत ‘टाइम्स नेटवर्क’ के साथ की है। यहां उन्होंने ‘ईटी नाउ’ की डिजिटिल टीम में सीनियर एडिटर के पद पर जॉइन किया है। वह यहां बिजनेस से जुड़ी खबरें देखेंगे। प्रशांत सिंह को मीडिया में काफी अनुभव है | मूल रूप से कानपुर के रहने वाले प्रशांत सिंह ने मीडिया में अपने करियर की शुरुआत ‘दैनिक जागरण’ से की थी। पूर्व में वह ‘डीडी न्यूज’, ‘डेली भास्कर’, ‘द फाइनेंसियल एक्सप्रेस’ और ‘जी न्यूज’ (अंग्रेजी) में भी अपनी भूमिका निभा चुके हैं। प्रशांत सिंह को मीडिया में काम करने का डेढ़ दशक से ज्यादा का अनुभव है | प्रशांत सिंह News18.com के संस्थापक सदस्य और इसके पहले शिफ्ट हेड भी रहे हैं। इसके अलावा वह ‘पेटीएम’ की पैरेंट कंपनी One97 Communications और IndiaMART.com के साथ भी कार्य कर चुके हैं। प्रशांत सिंह ने पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी (PTU) से मास कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। इसके अलावा उन्होंने ‘आईएमटी’ गाजियाबाद से एमबीए किया है।
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युवा पत्रकार आकांक्षा चौहान ने हिंदी न्यूज चैनल ‘जी न्यूज’ में अपनी करीब एक साल पुरानी पारी को विराम दे दिया है। पत्रकारिता में अपने करियर को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने अब जल्द लॉन्च होने वाले नेशनल न्यूज चैनल ‘भारत एक्सप्रेस’ से नई शुरुआत की है। यहां उन्होंने एंकर और विशेष संवाददाता के पद पर जॉइन किया है। बता दें कि ‘जी’ द्वारा आयोजित प्रतियोगिता ‘एंकर हंट’ जीतकर आकांक्षा ने ‘जी न्यूज’ से ही अपने करियर की शुरुआत की थी। कुछ ही महीनों में अपनी तेजतर्रार रिपोर्टिंग से वह ‘जी न्यूज’ का चेहरा बनकर उभरीं। एमसीडी चुनाव में उनकी शानदार रिपोर्टिंग को भी काफी सराहा गया था। मूल रूप से सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) के रहने वाली आकांक्षा ने सोफिया गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल से पढ़ाई करने के बाद रुड़की से पत्रकारिता में ग्रेजुएशन पूरा किया और गोल्ड मेडलिस्ट बनीं।
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प्रवीण कक्कड़ 25 दिसंबर को पूरे विश्व में क्रिसमस का त्यौहार मनाया जा रहा है। ईसा मसीह का जीवन दया, प्रेम और शांति का संदेश देता है। क्रिसमस का पर्व धर्म के दायरे में नहीं बल्कि इंसानियत के दायरे में मनाने वाला त्यौहार है। प्रभु यीशु ने जो कहा उसका संकलन बाइबिल में है लेकिन उन्होंने जो जीवन जिया उसका संकलन मानवता की स्मृतियों में है। भारत की संस्कृति अद्वैतवाद की संस्कृति है। ऐसे में भारत में क्रिसमस पर्व सांस्कृतिक एकता को दर्शाता है। इंसानियत के मसीहा प्रभु यीशु इस धरती पर तब अवतरित हुए जब मानवता आक्रांत थी। धार्मिक वैमनस्य चरम सीमा पर था। अपने-अपने सिद्धांतों के लिए लड़ाई झगड़ा और रक्तपात आम बात थी। ऐसे समय में शांति के मसीहा जीसस क्राइस्ट ने जन्म लिया। रोमन साम्राज्य की रक्त पिपासा के बीच जीसस शांतिदूत बनकर पृथ्वी पर आए। दिशाहारा मानवता को उन्होंने एक दिशा प्रदान की। भटके हुए लोगों को सही राह दिखाई और इंसानियत के लिए ही अपना बलिदान दिया। उनके अंतिम शब्द थे 'हे प्रभु इनको माफ कर देना क्योंकि यह नहीं जानते कि यह क्या कर रहे हैं'। क्राइस्ट ने जो कहा उसका संकलन तो बाइबिल में है। लेकिन उन्होंने जो जिया उसका संकलन मानवता की स्मृतियों में है। यही कारण है कि शुरु में तो ईसाई धर्म के लोग ईसा मसीह के जन्म के बारे में ही एक मत नहीं थे, कोई 14 दिसंबर कहता तो कोई 10 जून, तो कोई 2 फरवरी को उनका जन्मदिन मनाता था। तीसरी शताब्दी में जाकर 25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्मदिन मनाना शुरु किया गया। क्रिसमस भारत की सांस्कृतिक एकता का प्रकटन है। धर्म, जाति और संप्रदाय से परे सभी लोग मिलकर इस त्योहार को मनाते हैं। यदि हम भारतीय वांग्मय में देखें तो अद्वैत की परिकल्पना सर्वश्रेष्ठ है। जब ईश्वर की प्रार्थना एकाकार होकर की जाए तो वह अद्वैत ही होता है। इसलिए ईशा का जन्म भले ही यरूशलम की धरती पर हुआ हो लेकिन वह भारत भूमि में भी उतने ही पूज्यनीय और मान्य हैं। भारत में इस त्यौहार का विशद रूप में मनाया जाना इस बात का प्रतीक है कि भारत एक ऐसा देश है जहां सभी धर्मों के बीच सांस्कृतिक एकता है और सांस्कृतिक प्रेम भी है। भारत भूमि पर अनेक धर्मों का जन्म हुआ किंतु जो धर्म भारत में नहीं जन्मे उन धर्मों को भी यहां सम्मान मिलता है। इसलिए क्रिसमस भी भारत की सांस्कृतिक एकता से जुड़ा हुआ है। ईसाई समुदाय इस दिन गिरजाघरों में जाकर प्रभु यीशु के समक्ष सर झुकाता है। गैर ईसाई बंधु इस दिन छुट्टियां मनाते हैं। पिकनिक मनाते हैं और एक दूसरे को मेरी क्रिसमस भी बोलते हैं। अनेक देशवासी सांता क्लॉस जैसी टोपी पहनते हैं यह भारत की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सबसे बड़ा संदेश यही है कि हम त्योहार के समय एक दूसरे की खुशियां बांटें। हमारे मत हमारे सिद्धांत भले ही भिन्न-भिन्न हों लेकिन हम एक दूसरे से त्यौहार के दौरान अपनी भावनाओं का आदान-प्रदान करें। क्रिसमस का त्यौहार हमारी भावनाओं के आदान-प्रदान का एक अवसर है। ईश्वर के पुत्र प्रभु यीशु ने आपस में प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया है। इसलिए इस दिन को हम मानवता के एकता के प्रतीक के रूप में भी मना सकते हैं। आइए हम सब मिलकर क्राइस्ट के जन्म की खुशियों में शामिल हों।
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एडिटरजी टेक्नोलॉजीज’ (Editorji Technologies) के फाउंडर विक्रम चंद्रा नए साल पर ‘जी’ (Zee Media) समूह के अंग्रेजी न्यूज चैनल 'विऑन' (WION) के साथ मिलकर ‘द इंडिया स्टोरी’ (The India Story) और ‘दिस वर्ल्ड’ (This World) नाम से दो साप्ताहिक न्यूज शो लेकर आ रहे हैं। बताया जाता है कि देश की आवाज को पूरी दुनिया तक ले जाने की ‘जी मीडिया’ की प्रतिबद्धता को पूरा करते हुए ये दोनों शो ‘विऑन’ के रैखिक (linear) और डिजिटल दोनों प्लेटफॉर्म्स पर जनवरी 2023 की शुरुआत में लॉन्च किए जाएंगे। इस पार्टनरशिप के बारे में ‘जी मीडिया’ के पब्लिशर डॉ. सुभाष चंद्रा का कहना है, ‘विक्रम यकीनन एकमात्र ऐसे टीवी पत्रकार हैं, जो तटस्थ, गैर-विवादास्पद बने रहने और टीवी पर रात नौ बजे होने वाले ‘शोर' से ऊपर उठने में कामयाब रहे हैं। आज के ध्रुवीकरण के माहौल में यह एक खास विशेषता है। उन्हें निष्पक्ष और संतुलित पत्रकार के रूप में देखा जाता है, जो उच्च स्तर की विश्वसनीयता प्रदान करता है। किसी भी विषय पर लोग उनके विचारों पर भरोसा करते हैं। इस वजह से भी हम उनके साथ ये दो शो शुरू करने जा रहे हैं।’ विक्रम चंद्रा द्वारा विऑन पर पेश किए जाने वाले इन दोनों शोज का मुख्य उद्देश्य दुनियाभर की प्रमुख घटनाओं को भारतीय दृष्टिकोण से समझने में मदद करना है। 'This World' की यही थीम होगी, जिसे विक्रम चंद्रा विऑन पर होस्ट करेंगे। वहीं, वैश्विक स्तर पर विऑन की पहुंच ‘The India Story’ को बेहतर पहुंच प्रदान करेगी, जो पहले से ही एडिटरजी पर चल रहा है। वहीं, विक्रम चंद्रा का कहना है, ‘मैं कई वर्षों से टीवी न्यूज से दूर हूं और एडिटरजी में ऐसी टेक्नोलॉजी तैयार कर रहा हूं जो मुझे लगता है कि वीडियो न्यूज और इंफॉर्मेशन में बड़ा बदलाव ला सकती हैं। राजनीति के प्रभुत्व वाले न्यूज कार्यक्रमों के शोरगुल और हंगामे पर लौटने का मेरा कोई इरादा नहीं था, लेकिन विऑन कुछ अलग है। यह देश से बाहर एकमात्र सच्चा अंतर्राष्ट्रीय चैनल है और दुनियाभर में इसकी जबरदस्त पहुंच है। मैं 'The India Story' को विऑन पर लाने और 'This World' को प्रमुख वैश्विक घटनाओं को लेकर साप्ताहिक न्यूज शो बनाने के लिए उनकी प्रतिभाशाली टीम के साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं।’ इस पार्टनरशिप के बारे में विऑन के चीफ बिजनेस ऑफिसर मधु सोमन का कहना है, ‘आप मानें या न मानें, हम दोनों कुछ महीने पहले ही लिंक्डइन पर मिले थे। विक्रम मुझे बहुत पहले से नहीं जानते हैं, लेकिन आज वह विऑन की यात्रा में एक दोस्त और सहयोगी है और मुझे यकीन है कि हमारी साझेदारी 'This World' को आगे बढ़ाएगी और 'The India Story' को नया आयाम देगी।’ इन दो शो के अलावा ‘जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड’ और ‘एडिटरजी टेक्नोलॉजीज’ मिलकर सामाजिक परिवर्तनों के कार्यक्रमों पर काम करेंगे, जिन्हें विक्रम चंद्रा के अनुभव और जी समूह के तमाम प्लेटफॉर्म्स की पहुंच का फायदा मिलेगा। बता दें कि ‘Editorji’ को शुरू करने से पहले विक्रम चंद्रा वर्ष 2011 से 2016 तक ‘एनडीटीवी’ में कंसल्टिंग एडिटर और सीईओ के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। एक पत्रकार के रूप में चंद्रा ने कश्मीर संघर्ष को कवर करते हुए अपनी नई पहचान बनाई। उन्हें ‘एनडीटीवी’ पर ‘Nine O'Clock News’, ‘Gadget Guru’ और ‘The Big Fight’ जैसे लोकप्रिय शो की मेजबानी के लिए जाना जाता है। चंद्रा को ‘वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम’ से ‘Global Leader for Tomorrow’ का खिताब भी मिल चुका है। वहीं, ‘WION’ की बात करें तो वर्ष 2015 में लॉन्च हुआ देश का डिजिटल-फर्स्ट यह इंटरनेशनल न्यूज चैनल तमाम चैनल्स की भीड़ में दर्शकों की बीच अपनी एक खास पहचान बनाने में कामयाब रहा है। भारतीय मीडिया के लिए ‘WION’ डॉ. सुभाष चंद्रा का एक बड़ा विजन है। वह देश को एक वैश्विक मंच पर ले जाने और घरेलू व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्र के सामने आने वाली चुनौतियों का उन्मूलन करना चाहते हैं। वह वसुधैव कुटुम्बकम यानी (One World – One Family) में दृढ़ विश्वास रखते हैं।
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ABP न्यूज लाया नया प्राइम टाइम शो ‘ देश के बड़े मीडिया नेटवर्क्स में शुमार ‘एबीपी नेटवर्क’ के हिंदी न्यूज चैनल ‘एबीपी न्यूज’ ने नया प्राइम टाइम शो शुरू किया है। रात आठ बजे ‘द इनसाइड स्टोरी’ नाम से शुरू हुए इस नए शो को टीवी पत्रकार और लंबे समय से ‘एबीपी न्यूज’ पर ‘घंटी बजाओ’ शो की एंकरिंग कर रहे अखिलेश आनंद होस्ट कर रहे हैं। जैसा कि शो का नाम है, उसी के मुताबिक दर्शकों को इस शो में हर खबर के अंदर की जानकारी दी जा रही है। बताया जाता है कि ‘द इनसाइड स्टोरी’ में न सिर्फ न्यूज होगी, बल्कि रिपोर्टर ग्राउंड जीरो से खबर के अंदर का सच भी दिखाया जाएगा। यहां बता दें कि पूर्व में ‘जी न्यूज’ और ‘न्यूज 24’ में एंकरिंग कर चुके अखिलेश आनंद लगभग दो दशक से मीडिया में सक्रिय हैं। ‘न्यूज 24’ में वह ‘सबसे बड़ा सवाल’ के नाम से डिबेट शो करते थे।राजनीतिक खबरों की ग्राउंड जीरो से एंकरिंग में माहिर अखिलेश आनंद ‘एबीपी न्यूज’ में ‘कौन बनेगा प्रधानमंत्री’ से लेकर ‘कौन बनेगा मुख्यमंत्री’ के दर्जनों एपिसोड होस्ट कर चुके हैं। पिछले दिनों अखिलेश आनंद को इंडियन टेलीविजन एकेडमी (ITA) अवॉर्ड्स से नवाजा गया है। अखिलेश आनंद को उनके शो ‘घंटी बजाओ’ के एपिसोड ‘वॉटर वेस्ट मैनेजमेंट’ के लिए ‘बेस्ट-शो न्यूज/ करेंट अफेयर्स’ कैटेगरी में यह अवॉर्ड दिया गया है।
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न्यूज़-24 चैनल 15 साल का हो गया. इस मौके पर मुझे भी कुछ पुरानी बातें याद आ रही हैं. साल 2007. शायद सितंबर का महीना था. न्यूज़-24 की पहली स्ट्रिंगर मीटिंग. देशभर के स्ट्रिंगर्स को बुलाया गया था. अजीत अंजुम जी ने 3 लोगों की ड्रेसिंग सेंस की तारीफ की थी. मैं भी उनमें से एक था. मीटिंग में खबरों का प्लान समझाया गया और लौट कर हम काम में जुट गए. फिर चैनल लॉन्च हुआ और नई ऊंचाईयों तक पहुंचा. श्वेता सिंह, अंजना ओम कश्यप, चित्रा त्रिपाठी, सईद अंसारी जैसे तमाम बड़े एंकर इस चैनल में एक साथ थे. ब्यूरो में एक से बढ़कर एक रिपोर्टर थे. असाइनमेंट पर बेहद ऊर्जावान साथी थे. मेरे ब्यूरो थे सलीम सैफी. उन्होंने पहले मुझे बुलंदशहर सिटी की जिम्मेदारी सौंपी और फिर जिला बुलंदशहर. इसके बाद ग्रेटर नोएडा भी. हालांकि बाद में कुछ और जिलों में जाकर भी काम करने का मौका मिला. सैंकडों फोन-इन, दर्जनों पीटीसी, एक लाइव. साढ़े तीन साल में मैं स्टार बन चुका था. पूरे वेस्ट यूपी की हर बड़ी खबर उंगलियों पर. 2009 का लोकसभा चुनाव कवर किया. 2007 का यूपी विधानसभा चुनाव कवर किया. एक से बढ़कर एक रैली कवर की. बड़े से बड़े नेताओं के इंटरव्यू किए. हर महीने कम से कम 30 खबरें कवर कीं. यानी 3 साल में 1000 खबरों से ज्यादा खबरें मैंने न्यूज़-24 के लिए कवर कीं। साल 2010 के जून में स्टार न्यूज़ में मेरा सलेक्शन हुआ और मैंने इसी महीने माइक आईडी वापस न्यूज़-24 में जमा करा दी. खैर, मैं आज जो कुछ भी हूं, उसमें न्यूज़-24 का भी एक अहम रोल है. मैं अच्छा रिपोर्टर बन सका, डेस्क पर आने के बाद लोकल खबरों को ठीक से समझ सका, डेस्क पर बैठकर भी रिपोर्टिंग कर सका, तो ये सब इसीलिए संभव हुआ क्योंकि न्यूज़-24 ने, मेरे ब्यूरो चीफ ने, असाइनमेंट के साथियों और वरिष्ठों ने मुझ पर भरोसा किया और मेरी खबरों में जान डाली. अब जब इस चैनल के 15 साल पूरे हो गए हैं तो कुछ पुरानी यादें ताजा हुई हैं.
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वरिष्ठ टीवी पत्रकार नवेद कुरैशी ने हाल ही में हिंदी न्यूज चैनल 'न्यूज नेशन' (न्यूज नेशन) से अपनी पारी को विराम देने के बाद अब यू-ट्यूब चैनल NFM न्यूज ज्वाइन किया है। वह अनुबंध इस यू-ट्यूब चैनल से जुड़े हैं। इस यू-ट्यूब चैनल के 15 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर हैं। बताएं कि 'न्यूज नेशन' में वह करीब पांच साल से एंकर एंकर और एंकर (स्पेशल दृष्टिकोण) के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। इस चैनल में नवेद की रूस-यूक्रेन युद्ध कवरेज ने बहुत सुरखियां बटोरी थीं। इसके अलावा यूपी चुनाव के दौरान उनका शो 'बड़े मियां किधर चले? भी काफी लोकप्रिय हुआ था। मूल रूप से उज्जैन (मध्य प्रदेश) के रहने वाले नवेद कुरैशी को मीडिया में काम करने का दो दशक से ज्यादा का अनुभव है। विक्रम यूनिवर्सिटी, उज्जैन से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद पत्रकारिता के क्षेत्र में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की थी। इस दौरान वह कई शहरों में 'दैनिक जागरण' सहित कई अखबारों में बंद रही। इसके बाद टीवी की दुनिया का रुख करते हुए वह 'वाइस ऑफ इंडिया' (वॉयस ऑफ इंडिया) से जुड़ गए। यहां करीब चार साल तक अपनी भूमिका निभाने के बाद उन्होंने यहां से बोलकर 'न्यूज24' (न्यूज24) का दामन थम लिया। करीब चार साल बाद यहां से वह 'न्यूज एक्सप्रेस' (न्यूज एक्सप्रेस) चली गई और यहां करीब एक साल की अपनी जिम्मेदारी निभाई और इसके बाद 'आजतक' (आजतक) से जुड़ गई। 'न्यूज नेशन' से पहले वह करीब पांच साल से 'आजतक' से जुड़े थे।
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न्यूज एंकर साक्षी मिश्रा ने हिंदी न्यूज चैनल ‘टीवी9 भारतवर्ष’ (TV9 Bharatvarsh) से इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार, जल्द ही वह ‘भारत 24’ चैनल में बतौर एंकर अपनी नई शुरुआत करने जा रही हैं। साक्षी मिश्रा करीब एक साल से ‘TV9 भारतवर्ष’ में काम कर रही थीं। यहां वह पैकेजिंग के साथ-साथ ‘TV9’ नेटवर्क के लिए एंकरिंग और रिपोर्टिंग की जिम्मेदारी भी संभाल रही थीं। कोरोना गाइडलाइंस पर उनकी ग्राउंड रिपोर्टिंग की काफी सराहना हुई थी।‘TV9’ के डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए भी उन्होंने शो होस्ट किए थे। इससे पहले साक्षी ‘एनडीटीवी’ (NDTV) और ‘सीएनएन’ (CNN) के लिए भी काम कर चुकी हैं। साक्षी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म में BA ऑनर्स किया है और वह अपना पॉडकास्ट भी चलाती हैं।
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युवा टीवी पत्रकार लवीना राज ने ‘नेटवर्क18’ (Network18) समूह के साथ मीडिया में अपना नया सफर शुरू किया है। उन्होंने इस समूह के हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज18 इंडिया’ में बतौर एंकर जॉइन किया है। बता दें कि लवीना राज इससे पहले करीब तीन साल से ‘जी समूह’ के साथ जुड़ी हुई थीं। यहां शुरू में इस समूह के रीजनल चैनल ‘जी’ (राजस्थान) में करीब डेढ़ साल बिताने के बाद पिछले करीब डेढ़ साल से वह ‘जी हिन्दुस्तान’ में बतौर एंकर अपनी भूमिका निभा रही थीं। इस चैनल पर वह दो प्राइम टाइम शो शाम सात बजे ‘मेरा राज्य मेरा देश’ और रात दस बजे ‘अखंड भारत’ होस्ट करती थीं। मूल रूप से जयपुर (राजस्थान) की रहने वाली लवीना को मीडिया में काम करने का करीब छह साल का अनुभव है। ‘जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी’ से जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुएट लवीना ने मीडिया में अपने करियर की शुरुआत ‘न्यूज इंडिया’ जयपुर से की थी। इसके बाद यहां से वह ‘A1 TV’ होती हुईं ‘जी समूह’ पहुंची थीं, जहां से अलविदा बोलकर उन्होंने अब ‘न्यूज18 इंडिया’ जॉइन किया है।
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युवा पत्रकार अनामिका सिंह ने 'नेटवर्क18' (नेटवर्क18) समूह में अपनी पारी को विराम दे दिया है। वह इस ग्रुप के हिंदी न्यूज चैनल 'न्यूज 18' (यूपी/यूके) में लखनऊ में लगी हुई थीं और करीब तीन साल से जिम्मेदारियां सीनियर स्पेशल करेसपंडेंट अपनी जिम्मेदारी संभाल रही थीं। खबर है कि अनजाना सिंह अब नोएडा में 'रिपब्लिक इंडिया' (रिपब्लिक भारत) से मीडिया में अपनी नई यात्रा शुरू करने जा रहे हैं। यहां पर उन्होंने अपना अधिकार न्यूज न्यूज/एंकर अपनी जिम्मेदारी संभालेंगे। बता दें कि मूल रूप से बलिया (उत्तर प्रदेश) का रहना अनामिका सिंह को मीडिया में काम करने वाला का करीब दस साल का अनुभव है। बलिया से ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद उन्होंने 'महाराणा प्रताप यूनिवर्सिटी' से मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई की है। अनामिका सिंह ने मीडिया में अपने करियर की शुरुआत 'सहारा' (सहारा) से की थी। इसके अलावा पूर्व में उन्होंने 'न्यूज नेशन' (न्यूज नेशन) में भी अपनी जिम्मेदारी निभाई है।
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ABP न्यूज को मिला लोकप्रिय हिंदी न्यूज चैनल का अवॉर्ड देश के प्रतिष्ठित हिंदी न्यूज चैनल्स में शुमार ‘एबीपी न्यूज’ को मुंबई में आयोजित इंडियन टेलीविजन एकेडमी (ITA) अवॉर्ड्स के दौरान लगातार दूसरे साल ‘मोस्ट पॉपुलर हिंदी न्यूज चैनल’ का पुरस्कार दिया गया। यह पुरस्कार जीआर 8 एंटरटेनमेंट लिमिटेड के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर शशि रंजन और जानी-मानी अभिनेत्री महिमा चैधरी के द्वारा दिया गया। कार्यक्रम के दौरान एबीपी न्यूज के सीनियर एंकर्स रुबिका लियाकत और अखिलेश आनंद को अलग से पुरस्कार दिए गए। रुबिका को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उनके इंटरव्यू के लिए ‘बेस्ट टॉक/ चैट शो’ का पुरस्कार मिला। वहीं अखिलेश आनंद को उनके शो ‘घंटी बजाओ’ के एपिसोड ‘वॉटर वेस्ट मैनेजमेंट’ के लिए ‘बेस्ट-शो न्यूज/ करेंट अफेयर्स’ कैटेगरी में सम्मानित किया गया। एबीपी न्यूज ने 22वें आईटीए अवॉर्ड्स के दौरान विशेष और अलग एंट्रीज में सबसे ज्यादा पुरस्कार जीते हैं। इस उपलब्धि पर अपने विचार व्यक्त करते हुए एबीपी नेटवर्क के सीईओ अविनाश पांडे ने कहा, ‘मैं इस पुरस्कार के लिए शशि रंजन, अनु रंजन और आईटीए को धन्यवाद देना चाहूंगा। यह पुरस्कार हमारे सैंकड़ों पत्रकारों के लिए है, जो दिन-रात कड़ी मेहनत कर दर्शकों के लिए गुणवत्तापूर्ण कंटेंट लेकर आते हैं। रेटिंग की होड़ के बीच इतने अच्छे परिणाम और सराहना हासिल करना अपने आप में सबसे बड़ी उपलब्धि है। एबीपी नेटवर्क इसी दृष्टिकोण में भरोसा रखता है और यही कारण है कि हम अपने दर्शकों के लिए उत्कृष्ट गुणवत्ता की खबरें लेकर आते हैं। इस अवसर पर मैं एबीपी न्यूज की ओर से हमारे लाखों दर्शकों के प्रति आभार व्यक्त करना चाहता हूं, जिन्होंने एबीपी न्यूज को अपना वोट देकर इसमें अपना भरोसा जताया और सबसे लोकप्रिय हिंदी न्यूज चैनल साबित किया है। हमारे दर्शकों ने एक बार फिर से बता दिया है कि एबीपी न्यूज़ के लिए उनके दिलों में खास जगह है और यही बात इस अवॉर्ड को हमारे लिए सबसे खास बनाती है।’ उन्होंने आगे कहा कि यह पुरस्कार अपने दूसरे वर्ष में है, जो एबीपी न्यूज की लगातार बढ़ती लोकप्रियता की पुष्टि करता है। हमारे नेटवर्क की मजबूत प्रोग्रामिंग तथा दर्शकों के लिए सटीक एवं पक्षपात रहित खबरें लाने के समर्पण की वजह से ही यह संभव हो पाया है। यह चैनल प्रोग्रामिंग की व्यापक रेंज पेश करता है जो हर तरह के दर्शकों को लुभाती है और इसे भारतीय दर्शकों का सबसे पसंदीदा चैनल बनाती है।
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सोशल मीडिया के चर्चित चेहरे और युवा पत्रकार श्याम त्यागी ने हिंदी न्यूज चैनल ‘एबीपी न्यूज’ (ABP News) से मीडिया में अपनी नई पारी का आगाज किया है। उन्होंने यहां पर बतौर प्रड्यूसर जॉइन किया है। ‘एबीपी न्यूज’ में अपनी पारी शुरू करने से पहले श्याम त्यागी वरिष्ठ पत्रकार जगदीश चंद्रा के नेतृत्व में शुरू हुए ‘भारत24‘ (Bharat24) में करीब ढाई महीने से अपनी सेवाएं दे रहे थे। ‘भारत24‘ में श्याम त्यागी ने मॉर्निंग शिफ्ट में काफी अहम जिम्मेदारियां निभाईं और ईवनिंग बैंड के डिबेट शो भी प्रोड्यूस किए।‘भारत24‘ से पहले श्याम त्यागी करीब ढाई साल तक ‘टीवी9 भारतवर्ष’ (TV9 Bharatvarsh) का हिस्सा थे। 'इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च' गाजियाबाद से पढ़े-लिखे श्याम त्यागी ने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 2010 में ‘बीएजी फिल्म्स’ (BAG Films) के साथ की थी। इस दौरान उन्होंने ‘बीएजी फिल्म्स’ द्वारा 'नेशनल जियोग्राफी' के लिए बनाए गए शो 'India Investigates' की प्रोडक्शन टीम में काम किया। दो शॉर्ट्स फिल्में भी बनाईं, जिन्हें बाद में अवॉर्ड्स से भी सम्मानित किया गया। बाद में श्याम त्यागी ‘न्यूज24’ (News24) का हिस्सा हो गए और वर्ष 2014 तक ‘न्यूज24’ के कई चर्चित शो में काम किया | वर्ष 2014 में निजी कारणों से ‘न्यूज24’ को अलविदा बोलकर श्याम त्यागी ने गाजियाबाद में ही मैगजीन की शुरुआत की। श्याम त्यागी को यूट्यूब/डिजिटल में भी महारत हासिल है। उनके अपने पर्सनल चैनल पर हजारों सबस्क्राइबर्स हैं। वह अक्सर यूट्यूब की बारीकियां लोगों को बताते रहते हैं।समाचार4मीडिया से बातचीत में श्याम त्यागी ने बताया कि वर्ष 2015 में उनके एक यूट्यूब चैनल के सबस्क्राइबर्स की संख्या एक लाख को पार कर गई थी। तब यूट्यूब की नीतियां काफी कठोर थीं। तब कॉपीराइट को लेकर यूट्यूब बहुत सजग था।श्याम की राजनीतिक खबरों में गहरी दिलचस्पी है। उन्हें व्यंग्य लिखना पसंद है। कोविड काल में फेसबुक पर लिखी गयी श्याम की पोस्ट को लाखों लोगों ने पढ़ा और शेयर किया था। बाद में खुद फेसबुक ने वो पोस्ट डिलीट कर दी थी, जिसे लेकर लोगों ने फेसबुक की काफी आलोचना की थी।
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वरिष्ठ टीवी पत्रकार व इंडिया टुडे ग्रुप के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई को लेकर मीडिया गलियारों में चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि वह इंडिया टुडे ग्रुप से अलग हो रहे हैं। दरअसल, इस तरह के कयास तब लगाए जाने लगे, जब उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से मात्र दो शब्दों का एक ट्वीट किया। ट्वीट था ‘THE END’. बस फिर क्या था, उनके ट्वीट करते ही मीडिया गलियारों में इन शब्दों को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। लोग कयास लगाने लगे कि उन्होंने इंडिया टुडे ग्रुप में अपनी पारी को THE END कह दिया है।
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वरिष्ठ टीवी पत्रकार रवीश कुमार के हाल ही में इस्तीफा देने के बाद 'NDTV इंडिया' से जुड़े कई पत्रकार एक के बाद एक ऑर्गनाइजेशन छोड़ रहे हैं। इसी कड़ी में अब वरिष्ठ टीवी पत्रकार अभिषेक शर्मा का नाम भी जुड़ गया है, जोकि 'NDTV इंडिया' के मुंबई ब्यूरो के अग्रणी सदस्यों में से एक हैं। उन्होंने 17 साल से अधिक समय तक चैनल से जुड़े रहने के बाद अब इस्तीफा दे दिया है। एक हफ्ते पहले, NDTV इंडिया के सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर रवीश कुमार ने भी इस्तीफा दे दिया था। रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता रवीश कुमार 'हम लोग', 'रवीश की रिपोर्ट', 'देश की बात' और 'प्राइम टाइम' सहित कई कार्यक्रमों की मेजबानी करते थे। उन्होंने यह फैसला प्रणय रॉय और राधिका रॉय के एनडीटीवी की प्रमोटर कंपनी आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर पद से इस्तीफे के तुरंत बाद लिया था। बता दें कि 22 नवंबर को, अडानी समूह ने एक खुली पेशकश शुरू करके कंपनी में अतिरिक्त 26 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने की प्रक्रिया शुरू की थी, जो 5 दिसंबर को समाप्त हो गई है।
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BARC के रेटिंग सिस्टम TVT में कोई गिरावट नहीं ‘टाइम्स नाउ’ के एडिटोरियल डायरेक्टर व एडिटर-इन-चीफ राहुल शिवशंकर ने एक गोलमेज चर्चा के दौरान कहा कि ‘बार्क’ (BARC) इस समय अपने मौजूदा अवतार में साफ-सुथरा (क्लीन) है। BARC द्वारा रेटिंग फिर से शुरू किए जाने के बाद के रेटिंग सिस्टम पर बोलते हुए राहुल शिवशंकर ने कहा कि चैनल की TVT में कोई गिरावट नहीं आयी है, बल्कि यह केवल बढ़ी है। उन्होंने कहा, ‘मैं इस समय मैन्युपुलेशन को लेकर बात कर रहा हूं, जो कथित तौर पर हुआ था। एक ऑडिट रिपोर्ट में भी यह बात साफ हुई है कि ‘टाइम्स नाउ’ के नंबर्स को जानबूझकर कम किया जा रहा था और हमें चयनित तरीके से टार्गेट किया गया था, क्योंकि हमें सहयोगी कॉम्पटीटर मार्केट में एक लीडर के तौर देखते थे। उन्होंने आगे कहा कि सिस्टम अब स्पष्ट और साफ है। अब हमारे पास तर्क हो सकते हैं कि कितने मीटर होने चाहिए, क्या सिस्टम जो प्रतिनिधित्व करता है, वह पर्याप्त है या नहीं। लेकिन मैं केवल प्रोसेस के बारे में बात कर रहा हूं और सुझाव है कि यह पूरी तरह से सही है। न्यूज जॉनर के दर्शकों की संख्या के बारे में बात करते हुए शिवशंकर ने कहा कि ओवरऑल रीच और TVT के आंकड़े दोनों में वृद्धि हुई है। सामूहिक रूप से दर्शकों की संख्य बढ़ी है। हालांकि, चुनौती प्रासंगिक बने रहने की है। जब आपके पास इतने अलग-अलग प्रकार के मीडिया माध्यम हैं, तो इसका मतलब है कि हमें अपनी कंटेंट स्ट्रैटजी को अलग तरीके से पेश करना होगा।’ उन्होंने यह भी साझा किया कि 2017 से 2019 तक मैन्युपुलेशन की वजह से ‘टाइम्स नाउ’ को ऐड रेवेन्यू का नुकसान उठाना पड़ा है और यह नुकसान लगभग 400 करोड़ रुपए का है। बावजूद इसके अब भी ‘टाइम्स नाउ’ के पास ही लीडरशिप है और चैनल को अब भी ऐड रेवन्यू की दोगुनी राशि मिलती है। BARC द्वारा फिर से रेटिंग शुरू किए जाने के बाद के समय को लेकर शिवशंकर ने कहा कि ‘टाइम्स नाउ’ की हिस्सेदारी 24% (जोकि रेटिंग के दोबारा शुरू किए जाने से पहले थी) से बढ़कर अब 40% हो गई है। उन्होंने कहा कि चैनल ने रीच और TSV दोनों में अपना नेतृत्व बरकरार रखा है।
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प्रियदर्शिनी पटवा को प्रसिद्ध मैगजीन ‘जीक्यू’ (GQ) इंडिया में मैनेजिंग एडिटर के पद पर नियुक्त किया गया है। वह यहां पहले की तरह एंटरटेनमेंट एडिटर की जिम्मेदारी भी संभालेंगी। एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से पटवा ने अपनी नई भूमिका के बारे में जानकारी शेयर की है।अपनी पोस्ट में पटवा ने लिखा है, ‘2022 मेरे लिए काफी अच्छा साल रहा है। इस दौरान बहुत कुछ सीखने को मिला और तमाम डेवलपमेंट्स देखने को मिले। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मुझे अब जीक्यू इंडिया में मैनेजिंग एडिटर बनाया गया है। हालांकि, पूर्व की तरह मैं एंटरटेनमेंट एडिटर की भूमिका निभाना भी जारी रखूंगी।’ बता दें कि प्रियदर्शिनी पटवा करीब दो साल से ‘जीक्यू’ इंडिया के साथ काम कर कर ही है। पूर्व में वह ‘फ्री प्रेस जर्नल’ में फीचर एडिटर भी रह चुकी हैं।
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वरिष्ठ पत्रकार नीरज सिंह ने वरिष्ठ टीवी पत्रकार जगदीश चंद्रा के नेतृत्व में इसी साल 15 अगस्त को नोएडा से लॉन्च हुए हिंदी न्यूज चैनल ‘भारत24’ के साथ मीडिया में अपने नए सफर की शुरुआत की है। उन्होंने यहां पर बतौर आउटपुट हेड जॉइन किया है। नीरज सिंह इससे पहले जी’ समूह के हिंदी न्यूज चैनल ‘जी हिन्दुस्तान’ में बतौर आउटपुट हेड कार्यरत थे, जहां से पिछले दिनों उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। यहां टीवी के साथ-साथ नीरज ‘जी हिन्दुस्तान’ के सोशल और डिजिटल प्लेटफॉर्म को भी लीड कर रहे थे। ‘जी समूह’ के साथ नीरज सिंह की ये दूसरी पारी थी। ‘रिपब्लिक भारत’ से जुड़ने से पहले नीरज ‘जी न्यूज’ से करीब पांच साल तक जुड़े रहे थे। बता दें कि 'जी हिन्दुस्तान' से पहले नीरज सिंह ‘रिपब्लिक भारत’ में कार्यरत रहे हैं। ‘रिपब्लिक भारत’ में वह सीनियर एसोसिएट एडिटर के पद पर थे। वहां अरनब गोस्वामी के मशहूर शो ‘पूछता है भारत’ की जिम्मेदारी नीरज सिंह के पास ही थी। ‘रिपब्लिक भारत’ की डिजिटल टीम को भी नीरज लीड कर रहे थे।. इसके अलावा वह ‘एक्सचेंज4मीडिया’ समूह की हिंदी न्यूज वेबसाइट ‘समाचार4मीडिया’ में एडिटर के तौर पर भी अपनी भूमिका निभा चुके हैं। नीरज सिंह उन चुनिंदा पत्रकारों में हैं, जो प्रिंट, डिजिटल और टीवी तीनों ही माध्यमों में प्रमुख भूमिका निभा चुके हैं।
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'BQ प्राइम’ से बतौर कंसल्टेंट जुड़ टीवी न्यूज की दुनिया के जाने-माने चेहरे और सीनियर न्यूज एंकर सुमित अवस्थी के बारे में एक बड़ी खबर निकलकर सामने आयी है। दरअसल, खबर यह है कि वह अब क्विंटिलियन बिजनेस मीडिया ग्रुप की हिंदी न्यूज वेबसाइट ‘BQ प्राइम’ से बतौर कंसल्टेंट जुड़ गए हैं। ‘BQ प्राइम हिंदी’ पर उनका पहला वीडियो भी आ गया है, जिसमें उन्होंने जजों की नियुक्ति पर अपनी बेवाक राय भी दी है। बता दें कि इससे पहले सुमित अवस्थी ‘एबीपी न्यूज’ में वाइस प्रेजिडेंट (न्यूज व प्रॉडक्शन) के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे थे। सुमित अवस्थी ने वर्ष 2018 में ‘एबीपी न्यूज’ में बतौर कंसल्टिंग एडिटर जॉइन किया था। इससे पहले वह ‘नेटवर्क18’ में डिप्टी मैनेजिंग एडिटर के तौर पर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। वह ‘जी न्यूज’ में रेजिडेंट एडिटर भी रह चुके हैं। सुमित अवस्थी करीब पांच साल तक ‘आजतक’ में भी रह चुके हैं। यहां वह डिप्टी एडिटर के तौर पर कार्यरत थे। सुमित राजनीति में अच्छी पकड़ और बेहतर रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते हैं। सुमित अवस्थी को पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने का दो दशक से ज्यादा का अनुभव है। पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें अब तक ‘दादा साहेब फाल्के एक्सीलेंस अवॉर्ड‘ और ‘माधव ज्योति अवॉर्ड‘ समेत तमाम प्रतिष्ठित अवॉर्ड्स से नवाजा जा चुका है। इसके साथ ही उन्हें प्रतिष्ठित ‘एक्सचेंज4मीडिया न्यूज ब्रॉडकास्टिंग अवॉर्ड्स’ (ENBA) से भी नवाजा जा चुका है। सुमित अवस्थी का जन्म लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में हुआ है। केंद्रीय विद्यालय, इंदौर से अपनी स्कूलिंग पूरी करने के बाद उन्होंने इंदौर में ही ‘होलकर साइंस कॉलेज’ से ग्रेजुएशन की है। इसके बाद उन्होंने दिल्ली स्थित ‘भारतीय विद्या भवन‘ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। रिपोर्ट- शैफाली गुप्ता
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(प्रवीण कक्कड़) भारत में राजनीतिक, धार्मिक और सांस्कृतिक यात्राओं का लंबा इतिहास है। कभी आमजन से जुड़ने, कभी समाज में चेतना को विकसित करने तो कभी राजनितिक परिवर्तन लाने के लिए यात्राएं निकलती रही हैं। इन दिनों देश में सबसे ज्यादा बातचीत किसी चीज की हो रही है तो वह है राहुल गांधी की कन्याकुमारी से कश्मीर तक जाने वाली पदयात्रा की। असल में बात किसी व्यक्ति की नहीं है बल्कि बात उस भावना की है जो लोगों को आकर्षित करती है। इतिहास में ऐसे अनेक प्रसंग मिलते हैं जब महान हस्तियों ने जनता से जुड़ने के लिए और अपनी बात रखने के लिए लंबी-लंबी यात्राएं की। अगर हम त्रेता युग से शुरू करें तो भगवान राम ने भी अयोध्या से रामेश्वरम तक पदयात्रा करने के बाद ही लंका पर चढ़ाई की थी। भगवान चाहते तो अपने भृकुटी विलास से ही किसी भी शत्रु को परास्त कर सकते थे लेकिन जब वह पैदल दूरदराज के इलाकों से निकले और जन सामान्य ने उनके दर्शन किए और उन्होंने जन सामान्य की परिस्थिति का अवलोकन किया तो नर और नारायण एक हो गए। भारत में पुराण काल में ही दूसरी महत्वपूर्ण यात्रा अगस्त मुनि की मानी जाती है। वह पहले ऐसे व्यक्ति माने जाते हैं जिन्होंने विंध्याचल पर्वत को पार किया। उत्तर भारत और दक्षिण भारत को सांस्कृतिक रूप से जोड़ने में अगस्त्यमुनि का ही महात्म्य हमारे ग्रंथों में बताया गया है। तीसरी महत्वपूर्ण पदयात्रा आदि गुरु शंकराचार्य की है। केरल में जन्मे शंकराचार्य ने पूरे भारत का भ्रमण किया और चारधाम की स्थापना की। उनकी इन्हीं यात्राओं से सनातन धर्म में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ। इसी तरह गौतम बुद्ध और गुरु नानक देव जैसी विभूतियों ने उस दौर में यात्राएं करके जनमानस के बीच अपनी आध्यात्मिक चेतना का प्रसार किया। भारत के इतिहास में कुछ राजनीतिक यात्राएं भी हैं जिन्होंने भारत की राजनीति की दशा और दिशा को पूरी तरह बदल कर रख दिया। महात्मा गांधी की दांडी यात्रा ने ब्रिटिश शासन की नींव हिला दी। इस यात्रा में महात्मा गांधी ने। अहमदाबाद से दांडी तक 241 किलोमीटर की यात्रा करके नमक का कानून तोड़ा और भारतीय जनमानस में स्वतंत्रता के प्रति राष्ट्रीय चेतना का संचार किया। विनोबा भावे ने भी भूदान आंदोलन के दौरान लंबी पदयात्रा की। किंतु आजादी के बाद सबसे लंबी पैदल यात्रा पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को है। 6 जनवरी 1983 को तमिलनाडु से निकली चंद्रशेखर की यात्रा 25 जून 1983 को दिल्ली में खत्म हुई। लगभग 170 दिन तक की इस यात्रा में चंद्रशेखर 4000 से अधिक किलोमीटर पैदल चले थे। चंद्रशेखर की पदयात्रा का उद्देश्य था पीने का पानी, कुपोषण से मुक्ति, हर बच्चे की पढ़ाई, हर इंसान को स्वास्थ्य का अधिकार और सामाजिक सद्भाव। इस पदयात्रा से चंद्रशेखर भारत की राजनीति में एक ताकतवर राजनेता बन कर उभरे। बाद में कुछ समय के लिए देश के प्रधानमंत्री भी बने। भारतीय राजनीति में दक्षिण पंथ को मजबूती से स्थापित करने वाले लालकृष्ण आडवाणी भी एक नहीं दो-दो बार यात्रा पर निकले। किंतु आडवाणी पैदल नहीं चले। बल्कि अपनी पहली यात्रा में रथ पर सवार होकर 1990 में सोमनाथ से अयोध्या के लिए निकल पड़े। उनकी रथयात्रा को लालू यादव ने बिहार में रोक दिया। इसके बाद वर्ष 2011 में आडवाणी की जनचेतना रथ यात्रा भ्रष्टाचार के खिलाफ 38 दिन तक चली और 23 राज्यों व चार केंद्र शासित प्रदेशों से होकर गुजरी। इससे पहले वर्ष 2003 में वाईएसआर रेड्डी ने पदयात्रा की थी। 2013 में चंद्रबाबू नायडू भी पदयात्रा पर निकले थे। 2017 में दिग्विजय सिंह ने मध्यप्रदेश में नर्मदा परिक्रमा यात्रा निकाली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी 7 सितंबर 2022 से पदयात्रा कर रहे हैं। कन्याकुमारी से प्रारंभ उनकी पदयात्रा का आधे से अधिक मार्ग तय हो चुका है। भारत जोड़ो यात्रा के नाम से विख्यात यह 150 दिन की पदयात्रा कश्मीर में पूरी होगी। राहुल गांधी कहते हैं कि यह गैर राजनीतिक यात्रा है। जनता के दुख दर्द को समझने की यात्रा है। बेरोजगारी, महंगाई, गरीबी जैसी समस्याओं पर जनचेतना जागृत करने की यात्रा है। राहुल गांधी की यात्रा में बिना बुलाए बड़ी संख्या में लोगों का पहुंचना इस बात का प्रतीक है कि इस यात्रा से जनता में राजनीतिक चेतना का विस्तार हो रहा है। साथ ही इतना अवश्य है कि अपनी यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने आमजन से मिलकर देश की जनता के बीच अपनी छाप छोड़ी है। राजनीति हस्तियों की यात्राएं जनता से सीधा संवाद करने का अवसर प्रदान करती हैं। और राजनीतिक मुद्दों पर जनजागृति का काम भी करती हैं। निश्चित रूप से जनता के बीच जाने का फायदा तो होता ही है। विश्व के इतिहास में जिन-जिन राजनेताओं ने राजनीतिक यात्राएं की हैं उन्हें एक नई पहचान मिली है जनता से उनकी कनेक्टिविटी भी स्थापित हुई है। यात्राएं देश को जानने, समस्याओं को समझने, जनता से रूबरू होने का सबसे सुगम और सरल माध्यम हैं।
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एनडीटीवी इंडिया’ (NDTV India) के सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर रवीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वह यहां चैनल के फ्लैगशिप शो ‘हम लोग’, ‘रवीश की रिपोर्ट’, ‘देश की बात’ और ‘प्राइम टाइम’ समेत तमाम कार्यक्रम होस्ट करते थे। इस बारे में चैनल की ओर से जारी एक इंटरनल मेल में कहा गया है कि रवीश कुमार का इस्तीफा तत्काल प्रभाव से प्रभावी हो गया है। चैनल की ओऱ से जारी मेल में यह भी कहा गया है, ‘कुछ ही पत्रकार ऐसे हैं, जिन्होंने लोगों को रवीश जितना प्रभावित किया है। यह इस बात से परिलक्षित होता है कि वह जहां जाते हैं, लोग उनके पास खिंचे चले आते हैं। उनके बारे में लोगों से तमाम प्रतिक्रिया मिलती है। इसके अलावा उन्हें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तमाम प्रतिष्ठित अवॉर्ड्स से नवाजा जा चुका है।’ चैनल के मेल के अनुसार, ‘रवीश कुमार कई दशक से एनडीटीवी का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। उनका योगदान अमूल्य रहा है और हम जानते हैं कि वह एक नई शुरुआत करेंगे और सफल होंगे।’ बता दें कि रवीश कुमार को देश के लोगों को प्रभावित करने वाले आम मुद्दों की बेहतरीन कवरेज के लिए जाना जाता है। पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें दो बार प्रतिष्ठित ‘रामनाथ गोयनका’ अवॉर्ड और वर्ष 2019 में रैमन मैगसायसायअवॉर्ड मिल चुका है। गौरतलब है कि रवीश कुमार के इस्तीफे के एक दिन पहले ही ‘एनडीटीवी’ के फाउंडर्स प्रणय रॉय और राधिका रॉय ने ‘एनडीटीवी’ की प्रमोटर फर्म ‘आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड’ (RRPR Holding Private Limited) में डायरेक्टर्स के पद से इस्तीफा दे दिया है।
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जी मीडिया’ के हिंदी न्यूज चैनल ‘जी हिन्दुस्तान’ में मैनेजिंग एडिटर के पद से पिछले दिनों इस्तीफा देने के बाद वरिष्ठ टीवी पत्रकार शमशेर सिंह अब नई पारी की शुरुआत करने जा रहे हैं। वह वरिष्ठ पत्रकार जगदीश चंद्रा के नेतृत्व में इसी साल 15 अगस्त को लॉन्च हुए हिंदी न्यूज चैनल ‘भारत24’ में बतौर मैनेजिंग एडिटर जॉइन करने जा रहे हैं। शमशेर सिंह 28 नवंबर को नोएडा स्थित इस चैनल के मुख्यालय में अपना कार्यभार संभालेंगे। बता दें कि वरिष्ठ टीवी पत्रकार अजय कुमार ने पिछले दिनों ‘भारत24’ में मैनेजिंग एडिटर के पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से यह पद रिक्त था। हालांकि, सीनियर एडिटर सैयद उमर कार्यवाहक के तौर पर फिलहाल यह जिम्मेदारी संभाल रहे थे। गौरतलब है कि ‘जी हिन्दुस्तान’ में शमशेर सिंह की यह दूसरी पारी थी। ‘जी हिन्दुस्तान’ से पहले शमशेर सिंह हिंदी न्यूज चैनल ‘रिपब्लिक भारत’ (Republi Bharat) में कार्यरत थे। शमशेर सिंह नवंबर 2018 से ‘रिपब्लिक भारत’ के साथ जुड़े हुए थे और बतौर एडिटर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। मूल रूप से पूर्णिया (बिहार) के रहने वाले शमशेर सिंह 'रिपब्लिक भारत' से पहले ‘इंडिया न्यूज’ चैनल के साथ बतौर एडिटर (नेशनल अफेयर्स) जुड़े हुए थे। उन्होंने ‘इंडिया न्यूज’के साथ अपना सफर मार्च, 2018 में शुरू किया था। इसके पहले 'जी हिन्दुस्तान' में अपनी पहली पारी के दौरान वह पॉलिटिकल एडिटर के तौर पर कार्यरत थे। यहां वह अप्रैल, 2017 से अक्टूबर, 2017 तक रहे। दो दशक से ज्यादा समय से पत्रकारिता में सक्रिय भूमिका निभाने वाले टीवी पत्रकार शमशेर सिंह ‘इंडिया टीवी’ और ‘आजतक’ के चर्चित चेहरों में से एक रहे हैं। 'जी हिन्दुस्तान' से पहले वह ‘इंडिया टीवी’ में बतौर एडिटर (करेंट अफेयर्स) कार्यरत थे। यहां वह नवंबर 2013 से अप्रैल 2017 तक रहे। शमशेर सिंह ने अपने करियर की शुरुआत टीवी न्यूज चैनल से ही की थी। अप्रैल 1998 में उन्होंने ‘आजतक’ न्यूज चैनल से पत्रकारिता में अपना सफर शुरू किया और विभिन्न पदों पर रहते हुए यहां वे डिप्टी एडिटर तक बने। ‘आजतक’ में उन्होंने जापान सुनामी, वॉशिंगटन में न्यूक्लियर सम्मिट, कोपनहेगन सम्मिट से लेकर कई चुनावों और बड़ी घटनाओं को कवर किया। 16 साल बाद यानी 2013 में ‘आजतक’ के साथ उनका सफर थम गया और ‘इंडिया टीवी’, 'जी हिन्दुस्तान', ‘इंडिया न्यूज’ और ‘रिपब्लिक भारत’ व वर्ष 2020 में फिर 'जी हिन्दुस्तान' होते हुए अब वह ‘भारत24’ से जुड़ने जा रहे हैं। शमशेर सिंह को एक्सक्लूसिव स्टोरीज और स्पेशल शोज का मास्टर माना जाता है। ‘आन द स्पॉट’ रिपोर्टिंग के लिए शमशेर को रामनाथ गोयनका अवॉर्ड भी मिल चुका है। इसके अलावा पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पिछले दिनों उन्हें दिलीप सिंह पत्रकारिता अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। राजनीति के अलावा आंतरिक सुरक्षा और फॉरेन पॉलिसी पर भी उनकी खास पकड़ है।
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गुजरात विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। दो चरणों में यानी एक और पांच दिसंबर को होने वाले मतदान के लिए वोटों की गिनती आठ दिसंबर को होगी। ऐसे में तमाम उम्मीदवार मैदान में उतर चुके हैं। इस महासमर को जीतने के लिए बीजेपी, कांग्रेस और अन्य राजनीतिक पार्टियां जी-जान से लगी हुईं हैं। इस बीच तमाम मीडिया घरानों ने भी चुनाव से जुड़ी पल-पल की खबर अपने दर्शकों तक पहुंचाने के लिए कमर कस ली है। एबीपी न्यूज भी इनमें से एक है। एबीपी न्यूज की जानी-मानी एंकर रुबिका लियाकत अब अपनी ‘हुंकार’ टीम के साथ गुजरात के मैदान में उतर गई हैं। वह अब गुजरात में घर-घर जाकर यह पता लगाने की कोशिश करेंगी कि सूबे में किसकी सरकार बन सकती है, कौन हो सकता है अगला मुख्यमंत्री। यानी अब गुजरात के मैदान से ही रुबिका ‘हुंकार’ पर अब अपनी खबरों को देंगी धार और चुनाव से जुड़ी-जुड़ी पल की खबरों को दर्शकों तक पहुंचाने का करेंगी काम। रुबिका के प्रोग्राम हुंकार का एक ‘प्रोमो’ भी जारी किया गया, जिसमें वह एक कार से रिपोर्टिंग करती नजर आ रही हैं। बताया जा रहा है कि वह शहर-शहर गांव-गांव इसी कार से घूमकर रिपोर्टिंग करेंगी। बता दें कि गुजरात की कुल 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए पहले चरण में 89 सीटों पर और दूसरे चरण में 93 सीटों पर मतदान होगा। फिलहाल, गुजरात में बीते ढाई दशक से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और इस बार आम आदमी पार्टी की एंट्री से त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद है। बहरहाल, मौजूदा गुजरात विधानसभा का कार्यकाल अगले साल 18 फरवरी को समाप्त हो जाएगा रिपोर्टर- शैफाली गुप्ता
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दुर्गेश केशवानी भाजपा प्रवक्ता मप्र भाजपा के प्रवक्ता दुर्गेश केशवानी ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर कहा ये यात्रा कम और सर्कस ज्यादा नजर आ रहा है,कमलनाथ द्वारा जन्मदिन पर मन्दिर की आकृति का केक काटने से हिंदुओ की आस्था आहत हुई,माफी मांगे कमलनाथ आष्टा । भाजपा द्वारा ग्रामीण जनप्रतिनिधियों के एक दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग में विषय के मुख्य वक्ता के रूप में शामिल होने आष्टा आये मप्र भाजपा के प्रवक्ता डॉ दुर्गेश केशवानी ने आज चर्चा में राहुल गांधी की भारत जोडो यात्रा को ले कर कहा की ये भारत जोड़ो यात्रा कम सर्कस ज्यादा नजर आ रही है। आपने देखा चल रही यात्रा के दौरान वे हंटर मारते, कभी कुछ करते दिखे मतलब ये यात्रा कम सर्कस ज्यादा दिख रही है। श्री केशवानी ने कहा हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ द्वारा अपने जन्मदिन पर हनुमान जी के चित्र लगे,मन्दिर की आकृति के केक को काटा इससे हिंदुओ की धार्मिक भावना आहत हुई है। आखिर कमलनाथ जी को हिन्दू धर्म से इतनी घृणा क्यो है। उक्त केक को जिस प्रकार उन्होंने काटा उससे एक बार फिर मुगल आक्रांताओं की याद दिला दी। भगवान श्रीराम,हनुमान जी,राम मंदिर हमारी श्रद्धा आस्था के केंद्र बिंदु है। इस कृत्य के बदले कांग्रेस को ओर कमलनाथ जी को देश के हिंदुओं से माफी मांगना चाहिये। इसको लेकर देश उन्हें कभी माफ नही करेगा। उक्त कृत्य देश के हिंदुओं की धार्मिक भावना,उनकी आस्था पर प्रहार है। एक अन्य प्रश्न को लेकर केशवानी ने कहा राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मप्र में आ रही है,उसको लेकर मप्र के गृहमंत्री श्री नरोत्तम मिश्रा जी ने स्पष्ट कर दिया है की कोई परिंदा भी पर नही मार सकता है,कमलनाथ जी को असली में चिंता कांग्रेस में जो अंदरूनी कलाह चल रही है उसकी है,घर की आंतरिक लड़ाई से उन्हें असुरक्षा का भाव लग रहा है। आयोजित प्रशिक्षण वर्ग को लेकर केशवानी ने कहा भाजपा में बैठक,वर्ग,प्रशिक्षण सतत चलने वाली प्रक्रिया का हिस्सा है। हम पूरी तैयारी से 23 एवं 24 में होने वाले विधानसभा लोकसभा के चुनाव में जनता के बीच अपने कार्यो,किये विकास को लेकर जायेंगे। निश्चित देश प्रदेश में हुए विकास के बदले जनता का आशीर्वाद भाजपा को पुनः मिलेगा।
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वरिष्ठ टीवी पत्रकार और जाने-माने न्यूज एंकर दीपक चौरसिया लगभग एक साल बाद वरिष्ठ पत्रकार उपेंद्र राय के नेतृत्व में जल्द लॉन्च होने वाले न्यूज चैनल ‘भारत एक्सप्रेस’ (Bharat Express) के साथ टीवी मीडिया की दुनिया में वापसी करने जा रहे हैं। विश्वस्त सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार, दीपक चौरसिया अपनी इस पारी के दौरान इस चैनल में रात आठ बजे के प्राइम टाइम शो में नजर आएंगे। बता दें कि ‘सहारा इंडिया मीडिया’, ‘तहलका मैगजीन’, ‘स्टार न्यूज’ एवं ‘सीएनबीसी-आवाज’ को अपनी सेवाओं और नेतृत्व से नई ऊंचाइयां देने वाले वरिष्ठ पत्रकार उपेंद्र राय ने कुछ समय पूर्व ही ‘भारत एक्सप्रेस’ मीडिया समूह की शुरुआत की है। यह मीडिया समूह हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू भाषाओं में टीवी, डिजिटल और अखबार तीनों प्लेटफॉर्म पर जनता को अपनी सेवाएं देगा। उपेन्द्र राय का यह वेंचर टीवी के साथ-साथ अखबार और डिजिटल में खबरों के सभी पहलुओं पर जोर देगा। इस समूह के तहत 14 जनवरी 2023 को न्यूज चैनल लॉन्च किया जाना है, जिसमें दीपक चौरसिया जॉइन करने जा रहे हैं। फिलहाल चैनल ड्राई रन पर है। बता दें कि दीपक चौरसिया इससे पहले 'न्यूज नेशन' में कंसल्टिंग एडिटर के पद पर कार्यरत थे और वह पूर्व में 'दूरदर्शन', 'आजतक', 'इंडिया न्यूज' जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में विभिन्न पदों पर अपनी भूमिका निभा चुके हैं।
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विष्णुदत्त शर्मा हम सभी को स्मरण है कि पिछले साल 15 नवंबर 2021 को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे देश में जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाये जाने की घोषणा की थी। विगत एक साल में हमने यह भी देखा है कि केंद्र की सरकार ने जनजाति समाज के हित के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। सबसे बड़ा फैसला यह लिया कि जनजातीय समाज से आने वाली श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को देश का राष्ट्रपति बनाया गया। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी की इच्छाशक्ति के कारण आजादी के 70 साल बाद पहली बार देश के सर्वोच्च पद पर किसी जनजातीय महिला को स्थान मिला है। वस्तुतः विगत सात दशकों में भारतीय चेतना में यह बात गहरे रूप से बैठा दी गई थी कि जनजातीय समाज पिछड़ा समाज है, इसका कोई योगदान नहीं है, इनके पास कुछ भी गौरवशाली बात नहीं है। ऐसे अनगिनत झूठ थोपे और रोपे गये, जिसके पीछे बहुत बड़ी साजिश भी थी। क्योंकि एक भोले समाज को बरगलाना बहुत सरल है। उसे व्यवस्था के विरुद्ध भड़काना भी कठिन नहीं है। इसलिए यह तथ्य सभी को समझना चाहिए कि वांमपंथी इतिहासकारों और समाजशास्त्रियों ने देशभर में जनजातीय समाज को हीन-दीन बनाने व जताने के लिए हर प्रकार से षड्यंत्रपूर्वक प्रयास किये हैं। जबकि सच्चाई यह है कि भारतीय वांग्मय में हमारे वनवासी बंधुओं का महत्व और उनका योगदान हर कालखंड में रेखांकित किया गया है। उनकी महिमा, उनकी कुशलता, उन पर सर्व समाज की निर्भरता का बखान हमारे प्रचीन साहित्यों में उपलब्ध है। रामायण, महाभारत ही नहीं वेदों, उपनिषदों की ऋचाएँभी जनजाति गौरव की गाथा कहते हैं। दरअसल, भारत में जो कुछ भी हमें औद्योगीकरण से पहले दिखाई देता है, या हमने हासिल किया है, उसमें आरण्यक समुदायों का महान योगदान रहा है। वन-क्षेत्रों के आसपास बनाए गए ऐतिहासिक धरोहर भी उन्हीं की बदौलत हैं।कला-शिल्प और कौशल के अनेक विधाओं में हमारी जनजातियां निपुण रही हैं। उनकी अपनी देशज ज्ञान परंपराएँ भी हैं। परंतु देश की प्रारंभिक सरकारों ने इन पक्षों पर कोई खास ध्यान नहीं दिया। उन्होंने उन्हें उत्पादक समाज की बजाय उपभोक्ता समाजकी तरह ट्रीट किया। वर्ष 2014 में केंद्र की सत्ता में मोदी सरकार के आगमन के बाद देश में जनजातीय समाज के प्रति एक संवेदनशील युग की शुरुआत हुई। मोदी सरकार ने जनजातियों के लिए चल रही योजनाओं को और मजबूत किया है।साथ ही जनजातीय संस्कृति एवं परंपराओं को केंद्र में रखकर बड़े कदम उठाये हैं। इसी क्रम में केंद्र सरकार ने धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजाति गौरव दिवसकेरूप में मनाने का निर्णय लिया। जनजातीय गौरव के तहत सभी सरकारें उनके विविध पक्षों पर चर्चा कर रही हैं तथा अनेक प्रकार की हितकारी योजनाओं को भी क्रियान्वित कर रही हैं। जनजातीय गौरव दिवस की स्थापना के पीछे का भाव भी यही है कि जनजातीय संस्कृति में विद्यमान प्रेरक प्रसंगों को आम जनमानस भी समझे और उसे आत्मसात करे। आने वाली पीढ़ियां हमारेसमस्त जनजातीय बंधुओं के गौरवशाली पक्षों को जान सकें और उन्हें अपनी विचार-यात्रा में स्थान दे सकें। कहना होगा कि स्वाधीनता के अमृत काल में लिया गया गया यह निर्णय भारतीय लोकतंत्र का सुनहरा अध्याय है। उल्लेखनीय है भगवान बिरसा मुंडा जनजातीय समाज से निकले एक ऐसे प्रतीक हैं, जिन्होंने अपने समय में उन शक्तियों के सामने अपनी आवाज बुलंद की जिनके सामने आंख उठाने वाले कुचल दिए जाते थे। अंग्रेजी शासन के विरुद्ध बिरसा मुंडा ने न केवल महाआंदोलन (उलगुलान) किया अपितु अपने लोगों को स्वधर्म की ओर लौटने की बड़ी मुहिम चलाई। उस मुहिम में वे अत्यंत सफल हुए और अंग्रेजों को यह संदेश देने में सफल हुए किउनके द्वारा संचालित धर्मांतरण का धंधा अब नहीं चल सकता। भगवान बिरसा मुंडा एक सनातनी धर्मयोद्ध थे, जिन्होंने अपने समाज को परधर्मियों के चंगुल से बचाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।इस अर्थ में वे पहले जनजाति नायक हैं जिन्होंने न केवल स्वाधीनता की लड़ाई लड़ी बल्कि अपने स्वधर्म की रक्षा का संघर्ष भी छेड़ा। उन्होंने चर्च द्वारा चलाए जा रहे धर्मांतरण से अपने लोगों को बचाने के लिए सद्मार्ग अपनाया और हजारों युवाओं को धर्म की ओर वापस मोड़ा। समय की आवश्य़कता के दृष्टिगत उन्होंने लोगों को नशामुक्ति से लेकर सदाचार के धर्मप्राण मार्ग बताए जिस पर लाखों लोग चल पड़े थे। 15 नवंबर 1875 को छोटानागपुर पठार के अत्यंत गरीब परिवार में जन्मे बिरसा मुंडा ने कम आयु में अंग्रेजों की नीतियों और कार्यशैली का प्रतिकार किया। मात्र 16 साल से 25 साल की कम आयु तक उन्होंने ऐसा आन्दोलन चलाया जो भारतीय संस्कृति की रक्षा में बड़ा अध्याय है। उन्होंने आस्थागत आक्रमण को समझकर लोगों को जागरुक किया। जून 1900 में जेल में उन्हें जहर देकर मार दिया गया । प्रारंभ में मिशनरी स्कूल से पढ़े बिरसा को अंग्रेजी और हिन्दी आती थी। उनके अनेक परिजन धर्म परिवर्तित कर चुके थे, वे भी चाहते तो उस समय अंग्रेजों के संरक्षण में बड़ा ओहदा हासिल कर सकते थे। लेकिन बिरसा मुंडा में अपनी धर्मचेतना से जागृत होकर मातृभूमि की रक्षा के साथ-साथ अपनी पहचान की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया, इसलिए बिरसा मुंडा को लोकजगत ने भगवान का स्थान दिया। वे हमारी समस्त पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। जनजातीय समाज और संस्कृति का इतिहास अनेक गौरवशाली प्रसंगों से भरा पड़ा है। लेकिन कई दशकों तक वामपंथी इतिहासकारों ने एक विशेष परिवार और दल को गौरव का सारा श्रेय देने के लिए अनेक अध्यायों को ढक दिया। ऐसे परिदृष्य में मोदी सरकार ने बिरसा मुंडा के जन्मदिन को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में स्थापित करके उन सभी गौरवशाली पृष्ठों का पुनरुच्चारण किया है। आज हम इस अवसर पर जनजातीय गौरव के विविध पक्षों को सामने ला सकते हैं। यह हमारे लिए स्वाभिमान का पावन पर्व है। निःसंदेह केंद्र सरकार एवं मध्यप्रदेश सरकार ने जनजातीय गौरव की दिशा में कई ऐसे काम किये हैं, जिसकी चर्चा यहां लंबी हो सकती है लेकिन एक तथ्य जो आज चहुंओर स्वीकार किया जा रहा है कि भाजपा सरकारों ने जनजातीय इतिहास के उन नायकोंव नायिकाओं को विमर्श की मुख्य धारा में लाने में सफलता पाई है, जिन्हें अबतक भुलाया जाता रहा।साथ ही प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जनजातीय प्रतिनिधित्व का भी एक नया अध्याय प्रारंभ हुआ है। आज हमारे लोकतंत्र के सबसे बड़े संवैधानिक पद पर उसी समाज की एक बेटी विराजमान हुईं हैं, जिनके योगदान को कई साल तक कमतर आंका जाता रहा। जनजातीय गौरव दिवस की दूसरी वर्षगांठ और राष्ट्रपति बनने के बाद पहले जनजातीय गौरव दिवस परद्रौपदी मुर्मू जी का शहडोल में आगमन भी मध्यप्रदेश के लिए गौरव का विषय है।(लेखक मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष एवं खजुराहो लोकसभा से सांसद हैं)
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(प्रवीण कक्कड़) 14 नवंबर को महान स्वतंत्रता सेनानी एवं भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन है। उनकी जयंती को हम सब बाल दिवस के रूप में मनाते हैं। ऐसे में कई बार मन में सवाल आता है कि हम और भी किसी रूप में पंडित नेहरू का जन्मदिन मना सकते थे, जैसे कि राष्ट्र निर्माता के रूप में, प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में, लोकतंत्र को मजबूत करने वाले व्यक्ति के रूप में। फिर क्यों उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में चुना गया। इस बात को समझना है तो पंडित नेहरू के उन कार्यों पर निगाह डालनी पड़ेगी जो उन्होंने भारत का प्रधानमंत्री बनने के तुरंत बाद किये। उन्होंने सबसे ज्यादा ध्यान अगर किसी चीज पर दिया तो वह था भारत के भविष्य का निर्माण। वह भविष्य किसके लिए बना रहे थे? भारत की आने वाली नस्लों के लिए, भारत के बच्चों के लिए। भारत के बच्चे आगे चलकर एक सभ्य, सुसंस्कृत और सुशिक्षित नागरिक के तौर पर विकसित हो और एक खुशहाल मुल्क बनाएं यही पंडित नेहरू का सपना और कार्यक्रम था। उन्होंने पहला काम यह किया कि भारत का कोई बच्चा भूखा ना रहे। आजादी के समय भारत में बड़े पैमाने पर भुखमरी की स्थिति थी और देश खाद्यान्न के भारी संकट से जूझ रहा था। ज्यादा उपज बढ़ाने के लिए पंडित नेहरू ने बड़े बांध और सिंचाई पर पूरा ध्यान लगा दिया। पंडित नेहरू ने सन 1955 तक भारत में सिंचित जमीन का इतना नया रकबा जोड़ दिया था जितना कि उस समय अमेरिका में कुल सिंचित क्षेत्र था। अपने शासन के 17 वर्ष में वह भारत को खाने के सामान की आत्मनिर्भरता की दहलीज तक ले आए थे और बाकी का काम लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल में पूरा हुआ। दूसरा महत्वपूर्ण काम उन्होंने बच्चों के लिए यह किया है कि देश में शिक्षा के विश्वस्तरीय संस्थानों की स्थापना की। यह संस्थान सरकारी पैसे से बनाए गए और यहां पढ़ाई लगभग मुफ्त रही, लेकिन संस्थानों के प्रबंधन में सरकार का हस्तक्षेप ना के बराबर रहा। असल में पंडित नेहरू चाहते थे की ज्ञानी और विद्वान लोग अपने अनुसार संस्थानों को चलाएं और वहां बेवजह बाबूशाही हावी ना हो। भारत के सभी प्रमुख आईआईटी, आईआईएम, ऐम्स आदि संस्थान के निर्माण करने का श्रेय सीधे-सीधे पंडित नेहरू को ही जाता है। हम सब देखते हैं कि आज आजादी के 75 वर्ष बाद भी वही संस्थान देश में सर्वश्रेष्ठ हैं जो पंडित नेहरू ने बनाए। इससे पता चलता है कि उन्होंने जो भी काम किया, बहुत ठोस ढंग से किया और भविष्य को निगाह में रखकर किया। बच्चों के प्रति इसी लगाव के कारण उन्हें पूरा देश चाचा नेहरू कहता था। यह चाचा नेहरु का ही विजन था कि आप देखें तो जो भी संस्थान या अन्य चीजें उन्होंने बनाई उनमें बड़े-बड़े खेल के मैदान, कसरत करने के स्थान, टहलने के लिए खूब सारी जगह जरूर मिलेगी। पंडित जी को पता था कि बच्चे एक खुशहाल और खुले वातावरण में ही अपना संपूर्ण विकास कर सकते हैं चारदीवारी की बंदिशों में बुद्धि अपनी असीमित क्षमताओं का पूरा प्रदर्शन नहीं कर पाती। जिस समय नेहरू जी देश के प्रधानमंत्री बने तब देश में उच्च शिक्षा की व्यवस्था तो बहुत कम थी ही साथ ही प्राथमिक शिक्षा भी ना के बराबर थी। नेहरू जी ने यह सुनिश्चित किया कि गांव-गांव में प्राथमिक विद्यालय खुल जाएं और बच्चे वहां तालीम हासिल कर सकें। शिक्षा के माध्यम को लेकर भी बहुत ज्यादा सजग थे। आजादी के पहले उच्च शिक्षा का माध्यम तो सिर्फ अंग्रेजी था। वहीं स्कूली शिक्षा या तो अंग्रेजी में या फिर फारसी प्रभाव वाली उर्दू में दी जाती थी। नेहरू जी ने सिद्धांत स्थापित किया है कि किसी भी स्थिति में बच्चे को प्राथमिक शिक्षा उसकी मातृभाषा में ही दी जाए। उन्होंने तो यहां तक कहा कि अगर उत्तर भारत के बहुत से परिवार किसी दूसरी भाषा की प्रमुखता वाले महानगर में रहते हैं तो वहां भी इस बात की कोशिश होनी चाहिए कि हिंदी भाषी परिवारों के बच्चों के लिए हिंदी में शिक्षा का इंतजाम हो। वह अंग्रेजी के शत्रु नहीं थे लेकिन मातृ भाषाओं में पढ़ाई के कट्टर समर्थक थे। अभी एक 2 साल पहले भारत की जो नई शिक्षा नीति आई है उसमें भी पंडित जवाहरलाल नेहरु कि इसी दृष्टि को आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया है। पंडित नेहरू और बच्चों से उनके प्यार के बारे में बहुत सी बातें कही जा सकती हैं लेकिन यहां मैं पंडित नेहरू का वह भाषण याद दिलाना चाहता हूं जो उन्होंने आईआईटी खड़गपुर जो कि देश की पहली आईआईटी थी उसके पहले दीक्षांत समारोह के वक्तव्य में दिया था। नेहरू जी ने आईआईटी के पहले बैच के नौजवान इंजीनियरों से कहा था कि आप लोग यहां से पास होकर जा रहे हैं। इंजीनियर बन रहे हैं। जाहिर है? आप लोग एक सम्मानजनक जीवन जी पाएंगे। आपके सामने आर्थिक संकट नहीं होंगे। आप अच्छी घर गृहस्थी बनाएंगे और सुख से रहेंगे। लेकिन अगर आप समझते हैं कि यही करना इस आईआईटी में पढ़ने का मकसद है तो फिर आपका पढ़ना बेकार है। आप यहां से जाइये और नए हिंदुस्तान का निर्माण करिए। ऐसे भी बहुत से देश हैं जो भारत से भी ज्यादा पिछड़े हैं, हम चाहते हैं कि अपने देश के साथ ही उन पिछड़े देशों को आगे बढ़ाने में भी आप अपने हुनर का परिचय दें। फिर नेहरु जी ने अपने भाषण के अंत में कहा कि "आदमी बड़ा नहीं होता है, काम बड़ा होता है। छोटा आदमी भी बड़े काम से जुड़ जाता है तो उसके ऊपर बड़प्पन के कुछ छींटे पड़ जाते हैं। तो जाइए और आपने सामने जिंदगी में कोई बड़ा लक्ष्य रखिए और उसे पूरा करने में अपना जीवन समर्पित करिए।" पंडित नेहरू कि यह वह सोच है जिसके कारण उनके जन्मदिवस को बाल दिवस के रूप में मनाते हैं। बच्चों को लाड़ दुलार और प्यार तो हर मां-बाप और चाचा कर सकता है, लेकिन बच्चों का भविष्य गढ़ना और उनके माध्यम से भारत माता का नाम ऊपर करने का सपना देखना पंडित नेहरू ही कर सकते हैं। इसीलिए वह देश के चाचा नेहरू हैं और उनका जन्म दिवस बाल दिवस।
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अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग को लेकर ‘सूचना प्रसारण मंत्रालय’ (MIB) की नई गाइडलाइंस ने इवेंट्स के लाइव टेलिकास्ट की प्रोसेसिंग फीस को लेकर ब्रॉडकास्टर्स की चिंता बढ़ा दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से यह खबर निकलकर सामने आई है। बता दें कि वर्तमान में प्रोसेसिंग फीस एक लाख रुपये है और ब्रॉडकास्टर्स का कहना है कि वह इसमें छूट की उम्मीद कर रहे थे। इन रिपोर्ट्स में इंडस्ट्री लीडर्स के हवाले से कहा गया है कि अब प्रत्येक खेल आयोजन (Sports Event) के लिए उन्हें चार करोड़ से पांच करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। न्यूज रिपोर्ट्स के अनुसार, चार बड़े ब्रॉडकास्टर्स प्रोसेसिंग फीस में छूट के लिए सरकार के समक्ष याचिका भेज सकते हैं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में देश में टीवी चैनल्स के लिए अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग की नई गाइडलाइंस जारी की हैं। दरअसल, 11 साल बाद पुरानी गाइडलाइंस में संशोधन कर इसे जारी किया गया है, जिसे कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने इससे पहले वर्ष 2011 में गाइडलाइंस जारी की थीं।
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- कीर्तनकारियों का सम्मान करने के बाद बोले भाजपा प्रवक्ता भोपाल। कमलनाथ और जगदीश टाइटलर के इशारे पर हजारों सिखों को रातों रात घर से निकालकर कत्ल कर दिया गया। किसी के गले में जलते हुए टायर डाले गए, तो किसी को हथियारों से निर्ममता पूर्वक कत्ल कर दिया गया। ऐसे नरसंहार के जख्म आज भी सिख समाज के दिलों में ताजा है और इन्हें एक बार फिर ताजा करने का काम कमलनाथ ने किया है। यह बात भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी ने बुधवार को ईदगाह हिल्स स्थित टेकरी साहिब गुरुद्वारे में कीर्तनकारी कुलविंदर सिंह, जसपाल सिंह और गुरप्रीत सिंह का सम्मान करने के बाद कही। दरअसल भाजपा प्रवक्ता इंदौर में कीर्तनकारी मनप्रीत सिंह कानपुरी द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का कड़ा विरोध करने के बाद टेकरी साहिब गुरुद्वारे पहुंचे थे। मुगलों के अत्याचारों से कराया मुक्त : भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि सिख समाज हमेशा ही देश को नई दिशा दिखाता आया है। मुगल आक्रांता औरंगजेब के अत्याचारों से जब पूरा देश कांप रहा था। तब सिख समाज ने उनका कड़ा विरोध किया था। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के अत्याचार भी सिख समाज को नहीं डरा सके। ऑपरेशन ब्लू स्टार और उसके बाद सिख समाज के लोगों की निर्मम हत्याएं दो ऐसी घटनाएं हैं, जिन्होंने कांग्रेस की सिख विरोधी मानसिकता को उजागर किया है। डॉ. केसवानी ने कहा कि समय के साथ कई लोग कांग्रेस के इन अत्याचारों को भूल गए, लेकिन मंगलवार को इंदौर के खालसा काॅलेज में आयोजित गुरुनानक जयंती के कार्यक्रम में सिख दंगों के आरोपी कमलनाथ के सत्कार से कीर्तनकारी मनप्रीत सिंह कानपुरी ने लोगों को जागरूक करने का काम किया है। इसे उनके विरोध से ज्यादा लोगाें को जागरूक करने वाला संदेश माना जाना चाहिए। यह है मामला : इंदौर के खालसा कॉलेज में गुरुनानक जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के सत्कार से कीर्तनकारी मनप्रीत सिंह कानपुरी नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि जिनके इशारे पर हजारों सीखों का कत्ल हुआ। उनके घर दुकान जला दिए गए। उनका यहां सम्मान हो रहा है। इसके बाद उन्होंने गुरु गोविंद सिंह की कसम खाते हुए कहा कि आज के बाद वे कभी भी इंदौर नहीं आएंगे। कार्यक्रम में कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी और संजय शुक्ला भी मौजूद थे।
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प्रवीण कक्कड़ सिख समाज के संस्थापक गुरूनानक देव जी का 553वां प्रकाश पर्व मंगलवार को मनाया जाएगा। यह प्रकाश पर्व हमें निःस्वार्थ सेवा का संदेश देता है। गुरूनानक देव जी ने भूखे संतों को भोजन कराने से सेवा के जिस बीज को बोया था, उसे अन्य गुरूओं ने अपने उपदेशों से मजबूत किया और दशमेश पिता तक आते-आते सेवा का यह वृक्ष पूरी तरह समृद्ध हो गया। आज पूरे विश्व में सिख समाज को उसकी सेवा भावना के लिए जाना जाता है। जीवन मूल्यों में संस्कारों का बड़ा महत्व है। ऐसा ही एक संस्कार है सेवा का भाव। नि: स्वार्थ भाव से यथासंभव जरूरतमंद की मदद करना, सेवा करना हमारे संस्कारों की पहचान कराता है। तन, मन और वचन से दूसरे की सेवा में तत्पर रहना स्वयं इतना बड़ा साधन है कि उसके रहते किसी अन्य साधन की आवश्यकता ही नहीं रहती। क्योंकि जो व्यक्ति सेवा में सच्चे मन से लग जाएगा उसको वह सब कुछ स्वत: ही प्राप्य होगा जिसकी वह आकांक्षा रखता है। दूसरों के प्रति नि:स्वार्थ सेवा का भाव रखना ही जीवन में कामयाबी का मूलमंत्र है। नि:स्वार्थ भाव से की गई सेवा से किसी का भी हृदय परिवर्तन किया जा सकता है। हमें अपने आचरण में सदैव सेवा का भाव निहित रखना चाहिए, जिससे अन्य लोग भी प्रेरित होते हुए कामयाबी के मार्ग पर अग्रसर हो सकें। सेवा भाव ही मनुष्य की पहचान बनाती है और उसकी मेहनत चमकाती है। सेवाभाव हमारे लिए आत्मसंतोष का वाहक ही नहीं बनता बल्कि संपर्क में आने वाले लोगों के बीच भी अच्छाई के संदेश को स्वत: उजागर करते हुए समाज को नई दिशा व दशा देने का काम करता है। जैसे गुलाब को उपदेश देने की जरूरत नहीं होती, वह तो केवल अपनी खुशबू बिखेरता है। उसकी खुशबू ही उसका संदेश है। ठीक इसी तरह खूबसूरत लोग हमेशा दयावान नहीं होते, लेकिन दयावान लोग हमेशा खूबसूरत होते हैं, यह सर्वविदित है। सामाजिक, आर्थिक सभी रूपों में सेवा भाव की अपनी अलग-अलग महत्ता है। बिना सेवा भाव के किसी भी पुनीत कार्य को अंजाम तक नहीं पहुंचाया जा सकता। सेवा भाव के जरिए समाज में व्याप्त कुरीतियों को जड़ से समाप्त करने के साथ ही आम लोगों को भी उनके सामाजिक दायित्वों के प्रति जागरूक किया जा सकता है। असल में सेवा भाव आपसी सद्भाव का वाहक बनता है। जब हम एक-दूसरे के प्रति सेवा भाव रखते हैं तब आपसी द्वेष की भावना स्वत: समाप्त हो जाती है और हम सभी मिलकर कामयाबी के पथ पर अग्रसर होते हैं। सेवा से बड़ा कोई परोपकार इस विश्व में नहीं है, जिसे मानव सहजता से अपने जीवन में अंगीकार कर सकता है। प्रारंभिक शिक्षा से लेकर हमारे अंतिम सेवा काल तक सेवा ही एक मात्र ऐसा आभूषण है, जो हमारे जीवन को सार्थक सिद्ध करने में अहम भूमिका निभाता है। बिना सेवा भाव विकसित किए मनुष्य जीवन को सफल नहीं बना सकता। हम सभी को चाहिए कि सेवा के इस महत्व को समझें व दूसरों को भी इस ओर जागरूक करने की पहल करें। प्रकाश पर्व गुरूनानक देवजी की शिक्षाओं व उनकी निस्वार्थ सेवा के अनुसरण करने का दिन है। इस दिन गुरूग्रंथ साहिब को शीश नवाने के साथ ही कीर्तन और लंगर के आयोजन होंगे। इन लंगरों में हर जाति, पंथ, वर्ग के लोग एकसाथ भोजन करेंगे जो हमारी एकता और निस्वार्थ भावना का प्रतीक है। गुरूनानक देव के उपदेशों को अगर हम समझने का प्रयास करें तो उसमें मानवसेवा को सर्वाधिक महत्व दिया गया है। यह उपदेश भारतीय संस्कृति की मूल भावना में निहित हैं। इस भावना ने न केवल देश और विश्व के उत्थान में योगदान दिया है बल्कि भेदभाव से उपर उठकर मानवता की सेवा की है। विश्व के विभिन्न भागों में सिख समाज द्वारा की जा रही मानव सेवा इसका उदाहरण है। बॉक्स गुरूनानक देवजी गुरूनानक देवजी का जन्म 1469 की कार्तिक पूर्णिमा पर ग्राम तलवंडी, पंजाब में हुआ था। जो अब पाकिस्तान में है। वे सिख समाज के पहले गुरू थे। उन्होंने ही इस समाज की नींव रखी। गुरूनानक देव का जन्मदिन हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर प्रकाशपर्व के रूप में मनाया जाता है। उन्हें बाबा नानक और नानक शाह के नाम से भी पूजा जाता है। उनके उपदेशों में हमेशा नैतिकता, मेहनत, सच्चाई और सेवा भाव के संदेश रहे। उन्होंने विश्व को सांप्रदायिक एकता, शांति और सदभाव का संदेश भी दिया। 22 सितंबर 1539 को गुरूनानक देवजी का निर्वाण हुआ। जहां अब ननकाना साहिब गुरुद्वारा है। जो पूरे विश्व में उनके अनुयायियों की आस्था का केंद्र है।
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को विशेष कारणों का खुलासा किए बिना ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के नाम पर मलयालम न्यूज चैनल ‘मीडिया वन’ पर लगाए प्रतिबंध को लेकर केंद्र सरकार से सवाल-जवाब किए। कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि 'मीडिया वन' को सुरक्षा मंजूरी से इनकार करने के क्या कारण हैं और उन कारणों का खुलासा क्यों नहीं किया जा सकता है? जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने केंद्र की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा कि एक आपराधिक मामले में आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दायर की जाती है और आरोप कितने भी संवेदनशील क्यों न हों, उन्हें आरोपी को बताया जाता है। पीठ ने आगे कहा कि वर्तमान मामले में अभी तक आपराधिकता ही नहीं बताई गई है, यहां तक कि चार्जशीट की प्रक्रिया तक भी नहीं पहुंचे हैं और यहां आप सुरक्षा मंजूरी से इनकार कर रहे हैं। पीठ ने केएम नटराज से कहा, ‘उन्हें (मीडिया वन की पैरेंट कंपनी माध्यमम को) कम से कम यह मालूम होना चाहिए कि यहां राष्ट्रीय सुरक्षा का क्या उल्लंघन हुआ था। आप अपनी जानकारी के स्रोतों की रक्षा कर सकते हैं, लेकिन वह कौन-सी जानकारी थी जिसके कारण आपको सुरक्षा मंजूरी से इनकार करना पड़ा? मान लीजिए, आपको जानकारी मिली थी कि कोई अंतरराष्ट्रीय हवाला लेनदेन में शामिल था, या उसके नापाक जुड़ाव थे या फिर इसका स्वामित्व एक शत्रु देश के नागरिकों के हाथों में था... आपको स्वाभाविक तौर पर इसका खुलासा करना होगा।’ पीठ ने कहा कि मीडिया हाउस के लिए लाइसेंस का नवीनीकरण महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें पिछले 10 वर्षों में किए गए निवेश शामिल है, बीते एक दशक में बनाई उनकी प्रतिष्ठा जोखिम में है, लोगों को रोजगार दिया गया है। इस तरह से वे पिछले 10 सालों से चले आ रहे हैं, लिहाजा उनके लिए नवीनीकरण जरूरी है। अदालत ने यह भी जताया कि चैनल को जानने का मौका दिए बिना कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में सामग्री दिया जाना भी अनुचित था। मीडिया संस्थान की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे और अधिवक्ता हैरिस बीरन ने तर्क दिया कि स्वतंत्र भाषण और प्रेस पर प्रतिबंध ‘संविधान के अनुच्छेद 19 (2) के तहत उचित प्रतिबंध’ के दायरे में आना चाहिए। दवे ने कहा कि अदालत को इस तरह के प्रतिबंधों की अनुमति नहीं देनी चाहिए। अन्यथा, कोई भी मीडिया या प्रकाशन सुरक्षित नहीं है। किसी को कभी भी बंद किया जा सकता है। बता दें कि सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने 30 सितंबर, 2011 को माध्यमम ब्रॉडकास्टिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा शुरू किए गए ‘मीडिया वन’ टीवी के लिए प्रसारण की अनुमति दी थी, लेकिन दस साल बीत जाने के बाद यह अनुमति 29 सितंबर, 2021 को समाप्त हो गई थी। लेकिन कंपनी अनुमति समाप्त होने से पहले यानी मई, 2021 में अगले 10 साल के लिए इसके नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था। लेकिन 29 दिसंबर 2021 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ का हवाला देते हुए सुरक्षा मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद मंत्रालय ने इस साल 5 जनवरी को एक नोटिस जारी कर चैनल को यह बताने के लिए कहा था कि सुरक्षा मंजूरी से इनकार के मद्देनजर नवीनीकरण के लिए उसके आवेदन को खत्म क्यों नहीं किया जाना चाहिए? इसके बाद मंत्रालय ने 31 जनवरी, 2022 को न्यूज चैनल के प्रसारण पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था। मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने ‘मीडिया वन’ के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने वाले केंद्र के 31 जनवरी के फैसले पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। सरकार का कहना था कि 10 साल की और अवधि के लिए प्रसारण अनुमति के नवीनीकरण के लिए गृह मंत्रालय से सत्यापन और मंजूरी की जरूरत है। इसने कहा था कि एक टीवी चैनल के लिए अनुमति का नवीनीकरण अधिकार का मामला नहीं था। सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने जवाब में कहा था, ‘टीवी चैनल के लिए अनुमति का नवीनीकरण किसी कंपनी के अधिकार का मामला नहीं है और इस तरह की अनुमति केवल अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग दिशानिर्देशों और अन्य प्रासंगिक वैधानिक ढांचे के तहत निर्धारित कुछ पात्रता शर्तों को पूरा करने पर ही दी जाती है।’
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जाने-माने पत्रकार सुदेश तिवारी ने अपनी नई पारी ‘भारत एक्सप्रेस’ मीडिया समूह के साथ शुरू की है। उन्होंने यहां पर बतौर एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और ग्रुप एडिटर जॉइन किया है। पत्रकारिता का सफर इंदौर से शुरू करने वाले सुदेश तिवारी को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का दो दशक से ज्यादा का अनुभव है। अपने अब तक के करियर में वह तमाम मीडिया समूहों में ब्यूरो चीफ से लेकर संपादक तक की भूमिकाएं निभा चुके हैं।बता दें कि ‘भारत एक्सप्रेस’ से पहले सुदेश तिवारी ‘सहारा समय’ (मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़) में चैनल हेड के पद पर कार्यरत थे। सुदेश तिवारी ‘भारत एक्सप्रेस’ मीडिया समूह के चेयरमैन, सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय के बेहद करीबी और विश्वसनीय माने जाते हैं। उपेन्द्र राय के ही नेतृत्व और मार्गदर्शन में सुदेश तिवारी ने ‘सहारा समय’ (मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़) की कमान संभाली थी। जब उपेन्द्र राय ने ‘सहारा इंडिया’ न्यूज नेटवर्क छोड़ा तो सुदेश तिवारी ने भी उनके साथ ही सहारा को अलविदा कह दिया था।मूल रूप से रायबरेली (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले सुदेश तिवारी लंबे समय से इंदौर (मध्य प्रदेश) में रह रहे हैं। सुदेश तिवारी राजनीति से जुड़ी एक्सक्लूसिव खबरों के लिए भी जाने जाते हैं। यही कारण यह है कि प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों के साथ-साथ कॉरपोरेट जगत में भी उनकी मजबूत पैठ है। अपने लंबे पत्रकारिता जीवन में सुदेश तिवारी को तमाम अवॉर्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है।पत्रकारिता का सफर इंदौर से शुरू करने वाले सुदेश तिवारी ने बहुत ही कम समय में राजधानी दिल्ली और राष्ट्रीय पत्रकारिता में भी अपनी विशेष छाप छोड़ी है।
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युवा पत्रकार अंजीत श्रीवास्तव ने मीडिया में अपने नए सफर का आगाज किया है। उन्होंने हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज नेशन’में बतौर डिप्टी एडिटर/एंकर जॉइन किया है। बता दें कि ‘न्यूज नेशन’ में यह उनकी दूसरी पारी है। अंजीत इससे पहले ‘न्यूज18 इंडिया’में बतौर एंकर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। अंजीत को मीडिया में काम करने का करीब दस साल का अनुभव है। पत्रकारिता में अपने करियर की शुरुआत उन्होंने ’साधना न्यूज’ मध्य प्रदेश/छत्तीसगढ़ से की थी। फिर वह कुछ समय के लिए ‘4 Real News’ में भी रहे। बाद में उन्होंने यहां से बाय बोल दिया और ‘न्यूज नेशन’ आ गए, जहां वह इस चैनल के प्राइम टाइम शो ‘सबसे बड़ा मुद्दा‘ को होस्ट करते थे। इसके बाद वह ‘जी मीडिया’ से जुड़ गए और करीब सवा साल तक ‘जी हिन्दुस्तान’चैनल में बतौर न्यूज एंकर अपनी पारी खेली। ‘जी हिन्दुस्तान’ में वह ’दस का दंगल’ शो होस्ट करते थे। इसके बाद यहां से बाय बोलकर वह ‘न्यूज18 इंडिया’ होते हुए अब फिर ‘न्यूज नेशन’ पहुंचे हैं। मूल रूप से गोरखपुर के रहने वाले अंजीत श्रीवास्तव ने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है। समाचार4मीडिया की ओर से अंजीत श्रीवास्तव को उनके नए सफर के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
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नेटवर्क18’ के यूपी/उत्तराखंड में बतौर एंकर काम कर रहीं युवा पत्रकार आरजू साईं ने यहां से अपनी पारी को विराम दे दिया है। उन्होंने अब अपनी नई पारी की शुरुआत ‘एनडीटीवी’ (NDTV) के साथ की है। यहां पर उन्होंने नेशनल ब्यूरो में बतौर एंकर और कॉरेस्पॉन्डेंट जॉइन किया है।मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले की रहने वालीं आरजू साईं को मीडिया में काम करने का करीब पांच साल का अनुभव है। ‘नेटवर्क18’ में अपनी पारी के दौरान आरजू ने कई मौकों पर फील्ड रिपोर्टिंग के साथ-साथ बड़े मीडिया इवेंट्स को भी कवर किया है।‘नेटवर्क18’ (यूपी/उत्तराखंड) से पहले वह हैदराबाद में ‘नेटवर्क18‘ के राजस्थान चैनल में एंकर के रूप में काम कर रही थीं। ‘नेटवर्क18‘ से पहले आरजू ने करीब तीन साल ‘ETV भारत‘ में दिल्ली डेस्क पर एंकरिंग और स्क्रिप्ट राइटिंग का काम किया है। हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी, शिमला से पत्रकारिता की पढ़ाई कर चुकीं आरजू को कविताएं लिखने और पढ़ने का बहुत शौक है। इनकी कई कविताएं इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर लोकप्रिय रही हैं। इसके अलावा वह देश से जुड़े तमाम मुद्दों पर सोशल मीडिया पर बेबाकी से अपनी राय रखती हैं
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यह कन्यायें अपने त्याग, तपस्या और सेवा से अनेकों के जीवन परिवर्तन के लिए निमित्त बनेगी। 'स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन' का मंत्र जीवन में धारण करने वाली यह शिव शक्तियां अनेकों के कल्याण का कारण बनेगी। यही वह चैतन्य ज्ञानगंगायें हैं जो भोपाल ही नहीं वरन सारे विश्व के जन जन के मन को पावन बनाने का पुनीत कार्य करेंगी, यह कहना था लंदन से पधारी ब्रह्मा कुमारीज की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका, संस्थान के विदेश स्थित शाखाओं की समन्वयक एवं विश्व स्तरीय वृक्षारोपण अभियान कल्पतरुह की निर्देशिका परम श्रद्धेय राजयोगिनी जयंती दीदी का। इस भावपूर्ण कार्यक्रम में शहर के अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। चारों ही कन्याओं ने समर्पण की प्रतिज्ञा की। ब्रह्मा कुमारीज सुख शांति भवन की संचालिका बीके नीता दीदी ने समर्पण की प्रतिज्ञा का वाचन किया। और समर्पित होने वाली कन्याओं ने उसको दोहराया। उसके बाद कन्याओं के अभिभावकों को मंच पर बुलाया गया। उन्होंने तथा बीके नीता दीदी ने कन्याओं का हाथ आदरणीय राजयोगिनी बीके जयंती दीदी जी के हाथ में दिया। उसके बाद चारों कन्याओं को ईश्वरीय सौगात प्रदान की गई। इस भाव पूर्ण माहौल को और खुशनुमा बनाया सुपरस्टार सिंगर फेम मास्टर प्रत्युष तथा डॉ दिलीप नलगे के गीतों ने। दिल्ली से पधारे ब्रह्माकुमारीज के अतिरिक्त मुख्य सचिव बृजमोहन भाई जी ने आशीर्वचन प्रदान किए। तथा मुख्यालय माउंट आबू से पधारे ब्रह्माकुमारीज के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय भाई जी ने चारों कन्याओं को तथा उपस्थित सभी को श्रेष्ठ कर्मों का महत्व बताकर प्रेरित किया। ब्रह्मा कुमारीज भोपाल जोन की निर्देशिका अवधेश दीदी ने सभी कन्याओं को ईश्वरीय उपहार प्रदान किए। कार्यक्रम का सूत्र संचालन वरिष्ठ राजयोगिनी बीके शैला दीदी ने किया।
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-भूपेन्द्र गुप्ता मध्यप्रदेश में महात्मा गांधी जब सबसे पहले 1918 में इंदौर हिंदी सम्मेलन में भाग लेने के लिए आए थे तब उन्होंने घोषणा की थी कि देश की राष्ट्रभाषा बनने की शक्ति केवल हिंदी में है किंतु इसे लागू करने के लिए हमें देवनागरी लिपि और देश की अन्य भाषाओं की लिपि में समानता खोजनी पड़ेगी। इसके लिए गांधी जी ने काका कालेलकर की अध्यक्षता में एक कमेटी भी बनाई थी जिसका सचिव उन्होंने अपने पुत्र देवदास को बनाया था ताकि भारत की विभिन्न भाषाओं और लिपि में समानता खोजी जा सके और हिंदी की देवनागरी लिपि को सर्वग्राही बनाने के लिए आसानी हो सके। मातृभाषा से प्रेम की यह यात्रा लगभग 104 साल पुरानी है। मध्यप्रदेश में विश्व में पहली बार कुछ करने के काम का नशा तारी है और इसी उत्तेजना में जो प्रयोग हो रहे हैं उनमें से एक चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई हिंदी में करवाने का संकल्प भी है। भावनात्मक दृष्टि से यह बात उचित दिखाई पड़ती है किंतु व्यवहारिक रूप से यह एक आत्मघाती कदम है। मध्य प्रदेश में ये सारे प्रयोग लगभग 40 साल पुराने हैं किंतु इनमें सफलता ना मिल पाने के कारण बार-बार यह प्रयास छात्रों के लिए नुकसानदेह साबित होते रहे हैं ।यहां यह विचारणीय होगा कि 50 बरस पहले से यह प्रयोग मेडिकल कॉलेज के स्तर पर बार-बार हुए हैं। प्रोफेसर डॉक्टर के पी मेहरा जो कि गांधी मेडिकल कॉलेज में एनाटॉमी विषय के विभागाध्यक्ष थे उन्होंने इस पर बहुत काम किया था लेकिन जब वे कोशिश हार गए तो उन्होंने मेडिकल कॉलेज में ही हिंदी भाषायी छात्रों के लिए अंग्रेजी की कोचिंग की स्पेशल क्लास लगानी शुरू कीं। इन कक्षाओं को मोतीलाल विज्ञान महाविद्यालय के प्रोफेसर डॉक्टर लाल और डॉक्टर पारखी पढ़ाया करते थे। कांग्रेस की सरकार में हिंदी ग्रंथ अकादमी के माध्यम से कई विषयों पर काम शुरू किया गया कंप्यूटर साइंस के ऊपर कई पुस्तकों का हिंदी करण डॉक्टर संतोष चौबे ने किया किंतु वह भी प्रारंभिक शिक्षा से आगे नहीं बढ़ पाया। टेक्स्ट की किताबें प्रतिवर्ष नए विज्ञान, नई फार्मोकोलॉजी ,नए साल्ट्स की खोज, नई डायग्नोस्टिक एप्लीकेशन आदि के कारण निरंतर बदलती रहती हैं ।आधी अधूरी तैयारी से अगर ये कोर्स शुरू किए जाते हैं तो यह मध्य प्रदेश के छात्रों के लिए आत्मघाती कदम ही होगा। पूर्व में अटल बिहारी बाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा इंजीनियरिंग के कोर्स हिंदी माध्यम में शुरू किए गए थे किंतु अपेक्षित विकास ना हो पाने के कारण वह परवान नहीं चढ़ सके अंततः कोर्स बंद हो गए। जिन 8-10 छात्रों ने प्रवेश लिया था उनके कई वर्ष व्यर्थ हुए। राजनैतिक कारणों से एकेडमिक्स और करिकुलम में दखलअंदाजी भाव जगाने के लिए और वोट बैंक बनाने के लिए उत्तेजक लग सकती है किंतु आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में मध्यप्रदेश के बच्चों को निश्चित रूप से ऐसे प्रयोग पीछे की पंक्ति में खड़ा कर देंगे ।बहुत संभव है कि जैसा कई बरस पहले कई निजी नौकरियों में नोट लिखा रहता था कि मध्य प्रदेश के बच्चे आवेदन ना करें ।आज इस तरह के प्रयोग फिर से ऐसी परिस्थिति भी पैदा कर सकते हैं। किसी भी सरकार के जहन में पहला सवाल यह आना चाहिए कि जब प्रदेश में इंजीनियरिंग का कोर्स असफल हो चुका है 35 वर्ष से जो भाषागत प्रयोग हो रहे हैं वे सफल नहीं हो सके हैं। तब संपूर्ण कोर्स तैयार हुए बिना दो तीन किताबों के आधार पर ऐसी पढ़ाई शुरू करना मजाक ही कहा जाएगा ।ऐसा बताया जा रहा है कि फार्मोकोलॉजी, वायो टेक्नोलॉजी एवं एनाटॉमी में ही पुस्तकें अब तक तैयार की जा सकी हैं ।तो बाकी विषयों का क्या होगा? क्या सरकार ने यह विचार किया है कि ऐसा कोर्स करने के बाद प्रदेश के जो बच्चे दूसरे राज्यों से पीजी करना चाहेंगे उनके साथ क्या व्यवहार होगा? वर्तमान में जिन छात्रों ने नीट की परीक्षा दी है वे असमंजस में हैं कि जिस कॉलेज में उन्होंने चॉइस फिलिंग की है अगर वहां हिंदी में पढ़ाई की गई तो उन्हें अपनी पसंद बदलने के लिए मजबूर होना पड़ेगा ।उनका विचार है कि सरकार को नीट परीक्षा के पहले ही यह बात घोषित करनी चाहिए थी कि अमुक-अमुक कॉलेजों में हिंदी में शिक्षा दी जाएगी। तो छात्र अन्य कालेजों को वरीयता देते किंतु यह उन विद्यार्थियों को जो किसी पसंद के कॉलेज से एमबीबीएस ही करना चाहते हैं किंतु अंग्रेजी माध्यम से, ऐसे छात्रों को मजबूरन अपनी पसंद का कालेज बदलना पड़ सकता है।यह उनकी रैंकिंग और मेरिट के साथ अन्याय ही होगा। पूरे विश्व में 'श्री हरि'के साथ दवाई हिंदी में लिखने का सरकारी सुझाव मजाक का विषय बना हुआ है।डाक्टर्स परेशान हैं कि चमड़े के सिक्के चलाने के पहले सभी डिनामिनेशन के सिक्के तैयार किये बिना ही सब कुछ बदला जा रहा है।सभी असहाय तो जरूर हैं पर क्या कर सकते हैं।ट्रेन तो तुगलकाबाद की तरफ चल पड़ी है। (लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)
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इस सभागार के माध्यम से भोपाल ही नहीं, देश- विदेश के जनमानस की भी सेवा होगी- जयंती दीदी भोपाल के इतिहास में इस सभागार का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। यहां आकर सबको सुख शांति की अनुभूति होगी। भोपाल ही नहीं, लेकिन देश विदेश के जनमानस की भी इस सभागार के माध्यम से सेवा होगी। भोपाल शहर के गौरव को बढ़ाने में यह मील का पत्थर साबित होगा। यहां से निकलने वाले ऊर्जा के सकारात्मक प्रकंपन जन-जन के जीवन की दशा और दिशा बदलने में कारगर सिद्ध होंगे। यह कहना था ब्रह्मा कुमारीज की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका, संस्थान के विदेश स्थित शाखाओं की समन्वयक एवं विश्व स्तरीय वृक्षारोपण अभियान कल्पतरूह की निर्देशिका परम श्रद्धेय राजयोगिनी जयंती दीदी का। और मौका था ब्रह्मा कुमारीज सुख शांति भवन में नवनिर्मित अनुभूति सभागार के भव्य उद्घाटन का। कार्यक्रम का प्रारंभ कुमार कुशाग्र गुप्ता के निपुण तबला वादन से हुआ। अतिथियों द्वारा रिबन कटिंग से सभागार का उद्घाटन हुआ तथा दीप प्रज्वलन से कार्यक्रम शुरू हुआ। पौधों द्वारा तथा पट्टा एवं पगड़ी पहनाकर अतिथियों का स्वागत किया गया। ब्रह्मा कुमारीज भोपाल जोन की निर्देशिका राजयोगिनी अवधेश दीदी ने अपने मधुर वचनों से सबका स्वागत किया। स्वागत गीत डॉ दिलीप नलगे तथा स्वागत नृत्य हर्षिता, दिशा, सौम्या, सिमरन तथा अक्षया केशवानी ने किया। कार्यक्रम में मत्स्य एवं पशुपालन विभाग के निदेशक श्री पुरुषोत्तम धीमान, मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के डायरेक्टर जनरल डॉक्टर अनिल कोठारी, दैनिक स्वदेश के मालिक श्री अक्षत शर्मा, उद्योग, लघु उद्योग के प्रमुख सचिव एवं कमिश्नर श्री पी नरहरि जी आदि मेहमान उपस्थित थे। दिल्ली से पधारे ब्रह्मा कुमारीज के अतिरिक्त मुख्य सचिव आदरणीय राज योगी बृजमोहन भाई जी ने सबको आशीर्वचन प्रदान किए। मुख्यालय माउंट आबू से पधारे हुए ब्रह्माकुमारीज के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय भाई जी ने अपने छोटे से उद्बोधन में सभागार के भविष्य के उपयोग की दृष्टि से अनेक दिशा निर्देश तथा प्रेरणायें प्रदान की। जयंती दीदी जी ने अपने उद्बोधन के पश्चात सबको राजयोग मेडिटेशन की अनुभूति द्वारा गहन शांति का अनुभव कराया। सुपरस्टार सिंगर फेम मास्टर प्रत्यूष ने बहुत ही सुंदर गीत गाकर कार्यक्रम का समा बांधा।कार्यक्रम का सूत्र संचालन सीधी से पधारी यूथ विंग की जोनल कोऑर्डिनेटर बीके रेखा दीदी ने किया। आभार प्रदर्शन ब्रम्हाकुमारीज़ सुख शांति भवन की डायरेक्टर बीके नीता दीदी ने किया।
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राष्ट्र गौरव की बात में कमी निकालती है कांग्रेस, बाहर के लोगों को बुलाकर करते हैं यात्रा बड़ी मध्यप्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब भी राष्ट्र के गौरव की बात आएगी कांग्रेस उसमें मीन मेख निकालेगी इस दौरान उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा पर भी निशाना साधा | मध्यप्रदेश में हर दिन डेंगू का ख़तरा बढ़ता जा रहा हैं डेंगू पीड़ित मरीजों की रफ्तार हर दिन बढ़ती जा रही है डेंगू के कारण भोपाल में भी एक नर्स की मौत हो गई है सरकार के प्रवक्ता डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा डेंगू के प्रकोप को देखते हुए सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों को एहतियात बरतने और समुचित उपचार उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं | गृह मंत्री मिश्रा ने कहा कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में स्थानीय लोगों की भागीदारी ना के बराबर है कांग्रेसी बाहर के लोगों को बुलाकर यात्रा को बड़ी करते हैं हमारी पार्टी चुनाव को ध्यान में रखकर कोई कार्य नहीं करती बल्कि हमारी पार्टी सिर्फ विकास को दृष्टिगत रखते हैं कार्य करती है जब भी राष्ट्र के गौरव की बात आएगी कांग्रेस उसमें मीन मेख निकालेगी उन्होंने कहा केंद्रीय शीर्ष नेतृत्व में हमारा देश नई ऊंचाइयां प्राप्त कर रहा है और मध्यप्रदेश भी उसमें अग्रणी भूमिका निभा रहा है केंद्रीय नेतृत्व का मध्य प्रदेश को लगातार सौगातों की झड़ी लगाने के लिए आभार प्रधानमंत्री जी केंद्रीय गृह मंत्री जी लगातार मध्य प्रदेश को सौगात दे रहे हैं |
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अनुराग उपाध्याय भोपाल में एक पत्रकारों का ऐसा गैंग सक्रिय है जो गाहे बगाहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को कुर्सी से हटाता रहता है। इस गैंग की कोशिश रहती है कि कैसे भी नेताओं और अफसरों पर दबाव बना के अपना उल्लू सीधा किया जाए। इस गैंग ने हाल ही में मध्यप्रदेश में बड़े राजनैतिक फेबदल की खबरे फैलाई और उसके बाद कहा कि मध्यप्रदेश में बदलाव की शुरुवात भाजपा भोपाल के अध्यक्ष सुमित पचौरी को हटा के हो रही है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कार में बैठकर सुमित पचौरी से इस्तीफ़ा लिखवा लिया है और न जाने क्या क्या ? लेकिन जब इन मामलों की तह में जाओ तो पता चलता है ये सब सच्चाई से कोसों दूर है। अफवाह क्रियेटर गैंग के लोगों का मुख्य धंधा इधर की उधर करना है। कांग्रेस दफ्तर से भाजपा ,भाजपा दफ्तर से कांग्रेस और फिर जनसम्पर्क विभाग में जाकर इनकी ख़बरें अस्त हो जाती हैं। फिलहाल ये गैंग भाजपा को कमजोर बताने वाली अफवाहें फैलाकर कांग्रेस नेताओं से करीबी बढ़ाने का प्रयास कर रही है ताकि अगर कांग्रेस सत्ता में आ जाये तो ये वहां मजे मार सके। इस गैंग के लोगों के नाम हनी ट्रेप मामलों में भी सामने आते रहे हैं। [लेखक दख़ल न्यूज़ चैनल के मुख्यसंपादक हैं ]
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(प्रवीण कक्कड़) बाजार दीपोत्सव की रौनक से सजे हुए हैं, ऑटोमोबाइल्स से लेकर कपड़ा बाजार तक और स्वर्ण आभूषणों से लेकर गिफ्ट व मिठाईयों की खरीदी चल रही हैै। असल में भारत के पर्व इस अनुसार ढले हुए हैं कि जब त्यौहारों का समय आता है तो मौसम में भी उसी अनुसार बाहार नजर आती है और बाजार गुलजार दिखाई देते हैं। त्यौहारों पर लगने वाले बाजार अर्थव्यवस्था को भी गति देते हैं। प्राचीन समय से त्यौहारों के बाजार हमारी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आए हैं, वहीं अब नए परिवेश में बाज़ारों में खरीदी के साथ ही लोग त्यौहारों पर आने वाले शुभ मूर्हुत के अनुसार शेयर ट्रेडिंग, आईपीओ और अन्य डिजिटल सिक्यूरिटिज में निवेश करने लगे हैं। जानकारों की मानें तो त्यौहारी सीजन इस बार देशभर के व्यापारियों के लिए बड़े कारोबार का अवसर लेकर आ रहा है। दीपावली पर त्यौहारी खरीद एवं अन्य सेवाओं के जरिए करीब ढाई लाख करोड़ रुपये की तरलता का बाजार में आने की संभावना कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने जताई है। प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को मिले दीपावली बोनस, खेतों में आई फसल बेचने से बाजार खरीदी करने निकले किसान और दीपोत्सव को लेकर युवाओं में खरीदी के उत्साह के कारण बाजार में कैश फ्लो बढ़ेगा। भारतीय संस्कृति सबसे प्राचीन, संमृद्ध और वैज्ञानिक है। हम संस्कृति के अनुसार पर्व, परंपराएं और पूजन का विधान पूरा करते हैं। हर भारतीय त्यौहार का एक वैज्ञानिक महत्व है, हमारा हर पर्व रहन-सहन, खान-पान, फसलों व प्रकृति के परिवर्तनों पर आधारित है। हमारे पर्वों में जहां पौराणिक कथाओं का उल्लेख मिलता है, वहीं खगोलीय घटना, धरती के वातावरण, मनुष्य के मनोविज्ञान व सामाजिक कर्तव्यों की सीख भी परिलक्षित होती है। सारे त्यौहारों का हमारे जीवन में बहुत गहरा महत्व है। यह सारे त्यौहार हमारी सभ्यता और संस्कृति में इस तरह से रचे बसे हैं कि असल में इन्हीं के माध्यम से समरस समाज का निर्माण होता है। हमारे त्यौहार सांस्कृतिक एकता की सबसे बड़ी धरोहर होने के साथ ही अर्थव्यवस्था का पहिया भी हैं। हमारे पूर्वजों ने इन त्यौहारों में बड़ी ही शालीनता से हमारी संस्कृति ने आर्थिक और सामाजिक गतिविधियां भी जोड़ दीं। भारतीय त्यौहारों के दौरान बड़े पैमाने पर मेले लगते हैं, बाजार भराते हैं, छोटे बड़े कस्बों में भांति-भांति के आयोजन होते हैं, लोग जमकर खरीददारी करते हैं। घरों को सजाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं, नए वाहन खरीदते हैं और बहुत सी ऐसी चीजें होती हैं, जो होती तो असल में उत्साह से हैं, लेकिन उन्हें आर्थिक गतिविधि बड़े सलीके से पिरोई जाती है। एक तरह से यह त्यौहार हमारी धर्म और संस्कृति के साथ ही हमारी अर्थव्यवस्था का सबसे प्राचीन पहिया है। यह अमीर को खर्च करने का और गरीब को नई आमदनी हासिल करने का मौका देते हैं। भगवान गणेश की प्रतिमाओं का निर्माण करने वाले, मां दुर्गा की प्रतिमाओं का निर्माण करने वाले और रावण के पुतले बनाने वाले ज्यादातर लोग कारीगर वर्ग से आते हैं। वे साल भर मेहनत करते हैं। इसी तरह दीपोत्सव पर सजने वाली बाजार के लिए मिट्टी के दिए जानी बताशे मूर्तियां, सजावटी सामान और इलेक्ट्रॉनिक झालरों से बाजार सजे रहते हैं जिन्हें साल भर तैयार करके कलाकार बाजार में लाते हैं। भारत में हिंदू धर्म के साथ ही अन्य धर्मों के त्यौहार भी उसी उल्लास के साथ मनाया जाते हैं। धार्मिक और आर्थिक गतिविधि के साथ ही इन त्यौहारों में अलग-अलग धर्म के लोगों को एक दूसरे के रीति रिवाज और संस्कार समझने का मौका मिलता है। ऐसे में हिंदू जान पाता है पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के इस धरती पर आने से मानवता का क्या कल्याण हुआ और मुस्लिम समुदाय के लोग यह समझ पाते हैं कि भगवान राम ने असुरों का संहार करके यानी दुष्टों का संहार करके किस तरह से इस धरती को आम आदमी के रहने योग्य स्थान बनाया। वाल्मीकि जयंती पर वाल्मीकि समुदाय इसमें ना सिर्फ महर्षि वाल्मीकि की आराधना करता है, बल्कि उसे यह गौरव करने का अवसर भी प्राप्त होता है कि हिंदू समाज के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ वाल्मीकि रामायण की रचना उसी के समाज के महर्षि वाल्मीकि ने की थी। इस तरह से यह पर्व भारत में जात-पात के बंधन और ऊंच-नीच के भेदभाव को खत्म करने का भी काम करते हैं। जब समाज के हर धर्म और हर जाति के लोग समान रूप से प्रसन्न होते हैं। एक दूसरे से घूलते-मिलते हैं। एक दूसरे के तीज त्यौहार में शिरकत करते हैं तो उससे इन सारी संस्कृतियों के मिलन से महान भारतीय संस्कृति का निर्माण होता है। भारत की यही वह संस्कृति है जिसको पूरी दुनिया में श्रद्धा और सम्मान की निगाह से देखा जाता है।
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अनुराग उपाध्याय मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार के खिलाफ माहौल बनाने के लिए दिल्ली के कुछ वामपंथी टाइप के पत्रकारों को हायर कर लाने के लिए कुछ पत्रकारों ने ठेकेदारी शुरू कर दी है। बाकायदा पैकेज अपोजिशन के नेताओं को दिए जा रहे हैं और उनसे कहा जा रहा है ये अपनी गाडी और अपनी टीम के साथ पूरा मध्यप्रदेश घूमेंगे और शिवराज सरकार की हकीकत बताएँगे। खासकर आपके इलाके में तो सरकार की बैंड बजा देंगे। इनके आपके इलाके में रहने से आपका वोट प्रतिशत बढ़ेगा वगैरह -वगैराह। इन ठेकेदार बने पत्रकारों में से तो एक 90 के दशक में हुए हनीट्रैप मामले से जुड़ा व्यक्ति है। तो दूसरी टीम में नेशनल न्यूज़ चैनल से जुड़े दो पत्रकार और उनका एक पप्पू मीडिया का साथी है । आपको बता दें जिन बड़े पत्रकारों को एमपी में शिवराज सरकार के खिलाफ लाने की तैयारी हैं। उन पत्रकारों को अब दिल्ली में काम नहीं मिल पा रहा है। इससे पहले ये लोग इसी तरह उत्तरप्रदेश में योगी की बैंड बजने गए थे लेकिन वहां भी हुआ उल्टा ही और योगी ने भरपूर बहुमत हांसिल किया। [लेखक दखल न्यूज़ चैनल के मुख्य सम्पादक हैं
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- कांग्रेस शासन काल में परियोजना का स्वरूप बिगाड़ने की रची गई साजिश - केवल विशेष वर्ग को संरक्षण दे सकती है कांग्रेस हराभरा वतन, भोपाल। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जब 2016 के सिंहस्थ में उज्जैन आए थे। तभी उन्होंने मन में महाकाल मंदिर को नया स्वरूप देने की परिकल्पना कर ली थी। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी ने महाकाल लोक के निर्माण के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मंदिर के आसपास बड़े पैमाने पर हुए अतिक्रमण से मुक्ति दिलाने के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने सीएम श्री शिवराज सिंह चौहान को मंदिर तक आसानी से पहुंचने के लिए एक अद्भुत कॉरिडोर बनाने की बात कही थी। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने मुख्यमंत्री श्री चौहान के साथ मन के विचार साझा करते हुए एक अद्भुत कॉरिडोर की कल्पना की थी। इसी कल्पना को मुख्यमंत्री श्री चौहान ने संकल्प बनाकर एक ऐसा कॉरिडोर बनाने का प्रण लिया, जिसका शिल्प और वास्तुकला अदभुत हो। बस यहीं से शुरुआत हुई श्री महाकाल लोक के निर्माण की। इस दौरान डॉ. केसवानी ने पूर्व सीएम कमलनाथ और पहले की कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में श्री महाकाल लोक के भव्य स्वरूप को बिगाड़ने और काम की रफ्तार को धीमा करने का ही काम किया गया। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस सरकार अस्तित्व में नहीं आई होती, तो महाकाल लोक 2020 में ही लोकार्पित हो चुका होता। कांग्रेस केवल सनातनियों की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने का ही काम करती आई है। कांग्रेस को हिंदू धर्म के विकास से कोई सरोकार नहीं है। सनातन संस्कृति को सर्वोच्च शिखर पर पहुंचाने की योजना बना रहे हैं पीएम:डॉ. केसवानी ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी केवल सनातन संस्कृति को सर्वोच्च स्थान पर पहुंचाने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के कथन का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज पूरे भारत में प्राचीन हिंदू मंदिर इमारतों को देखा जाए तो हमें ज्ञात होता है कि प्राचीन काल में हमारे शिल्प और कला का वैभव पूरी दुनिया में सबसे अधिक था। यह तभी संभव है, जब देश पूरी तरह से संपन्न हो। इससे हमें ज्ञात होता है कि हम कितने वैभवशाली और संपन्न थे। बाद में आक्रमणकारियों ने इस वैभव को नष्ट करने का प्रयास किया। महाकाल मंदिर को भी लुटेरे इल्तुतमिश ने नष्ट कर दिया था। बाद में मराठों ने इसका पुनर्निर्माण किया। मंदिर के मूल शिवलिंग को भी सैकड़ों साल तक मुस्लिम आक्रांताओं से बचाकर रखा गया। ऐसे में पीएम मोदी ऐसा काम कर रहे हैं, जिसके कारण हजारों सालों तक फिर से हमारी सनातन संस्कृति का पताका सर्वोच्च शिखर पर लहराता रहेगा। सभी पौराणिक स्थलों का हो रहा जीर्णोद्धार : डॉ. केसवानी ने बताया कि पीएम मोदी के नेतृत्व में एक एक कर सभी पौराणिक स्थलों का जीर्णोद्धार हो रहा है। जबकि कांग्रेस का तो हिंदू धर्म पर कभी भरोसा ही नहीं रहा। तो कैसे कांग्रेस कह सकती है उसके शासन काल में श्री महाकाल लोक की परिकल्पना की गई। उन्होंने कांग्रेस को सफेद झूठ बोलने वाली पार्टी कहते हुए कहा कि कांग्रेस केवल हिंदुओं को गुमराह ही कर सकती है। इसके पहले भी श्रीराम मंदिर के निर्माण के दौरान भी कांग्रेस हिंदू धर्मावलंबियों को बार बार गुमराह करती रही। यहां तक कि कपिल सिब्बल को कोर्ट में राम मंदिर के खिलाफ पैरवी करने के लिए भी खड़ा कर दिया। इसी कांग्रेस ने राम सेतु के अस्तित्व पर सवाल उठाकर इसे तोड़ने के लिए भी योजना बनाई थी।
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- कांग्रेस शासन काल में परियोजना का स्वरूप बिगाड़ने की रची गई साजिश - केवल विशेष वर्ग को संरक्षण दे सकती है कांग्रेस हराभरा वतन, भोपाल। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जब 2016 के सिंहस्थ में उज्जैन आए थे। तभी उन्होंने मन में महाकाल मंदिर को नया स्वरूप देने की परिकल्पना कर ली थी। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी ने महाकाल लोक के निर्माण के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मंदिर के आसपास बड़े पैमाने पर हुए अतिक्रमण से मुक्ति दिलाने के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने सीएम श्री शिवराज सिंह चौहान को मंदिर तक आसानी से पहुंचने के लिए एक अद्भुत कॉरिडोर बनाने की बात कही थी। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने मुख्यमंत्री श्री चौहान के साथ मन के विचार साझा करते हुए एक अद्भुत कॉरिडोर की कल्पना की थी। इसी कल्पना को मुख्यमंत्री श्री चौहान ने संकल्प बनाकर एक ऐसा कॉरिडोर बनाने का प्रण लिया, जिसका शिल्प और वास्तुकला अदभुत हो। बस यहीं से शुरुआत हुई श्री महाकाल लोक के निर्माण की। इस दौरान डॉ. केसवानी ने पूर्व सीएम कमलनाथ और पहले की कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में श्री महाकाल लोक के भव्य स्वरूप को बिगाड़ने और काम की रफ्तार को धीमा करने का ही काम किया गया। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस सरकार अस्तित्व में नहीं आई होती, तो महाकाल लोक 2020 में ही लोकार्पित हो चुका होता। कांग्रेस केवल सनातनियों की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने का ही काम करती आई है। कांग्रेस को हिंदू धर्म के विकास से कोई सरोकार नहीं है। सनातन संस्कृति को सर्वोच्च शिखर पर पहुंचाने की योजना बना रहे हैं पीएम: डॉ. केसवानी ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी केवल सनातन संस्कृति को सर्वोच्च स्थान पर पहुंचाने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के कथन का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज पूरे भारत में प्राचीन हिंदू मंदिर इमारतों को देखा जाए तो हमें ज्ञात होता है कि प्राचीन काल में हमारे शिल्प और कला का वैभव पूरी दुनिया में सबसे अधिक था। यह तभी संभव है, जब देश पूरी तरह से संपन्न हो। इससे हमें ज्ञात होता है कि हम कितने वैभवशाली और संपन्न थे। बाद में आक्रमणकारियों ने इस वैभव को नष्ट करने का प्रयास किया। महाकाल मंदिर को भी लुटेरे इल्तुतमिश ने नष्ट कर दिया था। बाद में मराठों ने इसका पुनर्निर्माण किया। मंदिर के मूल शिवलिंग को भी सैकड़ों साल तक मुस्लिम आक्रांताओं से बचाकर रखा गया। ऐसे में पीएम मोदी ऐसा काम कर रहे हैं, जिसके कारण हजारों सालों तक फिर से हमारी सनातन संस्कृति का पताका सर्वोच्च शिखर पर लहराता रहेगा। सभी पौराणिक स्थलों का हो रहा जीर्णोद्धार : डॉ. केसवानी ने बताया कि पीएम मोदी के नेतृत्व में एक एक कर सभी पौराणिक स्थलों का जीर्णोद्धार हो रहा है। जबकि कांग्रेस का तो हिंदू धर्म पर कभी भरोसा ही नहीं रहा। तो कैसे कांग्रेस कह सकती है उसके शासन काल में श्री महाकाल लोक की परिकल्पना की गई। उन्होंने कांग्रेस को सफेद झूठ बोलने वाली पार्टी कहते हुए कहा कि कांग्रेस केवल हिंदुओं को गुमराह ही कर सकती है। इसके पहले भी श्रीराम मंदिर के निर्माण के दौरान भी कांग्रेस हिंदू धर्मावलंबियों को बार बार गुमराह करती रही। यहां तक कि कपिल सिब्बल को कोर्ट में राम मंदिर के खिलाफ पैरवी करने के लिए भी खड़ा कर दिया। इसी कांग्रेस ने राम सेतु के अस्तित्व पर सवाल उठाकर इसे तोड़ने के लिए भी योजना बनाई थी।
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- विष्णुदत्त शर्मा सदियों से भारत अपनी सांस्कृतिक आध्यात्मिकता के लिए विख्यात है। यह देश आध्यात्मिक ज्ञान का केंद्र रहा है। यहां बहने वाले आस्था के सैलाब को सारी दुनिया देखने आती रही है। अनेक विदेशी यात्रियों ने भी अपने संस्मरणों में इनका उल्लेख किया है। हजारों साल के इतिहास में हमारे श्रद्धा केंद्रों को विधर्मियों द्वारा ध्वस्त किये जाने के बावजूद ये पवित्र स्थल अपने पुण्य प्रवाह के साथ वर्षों से टिके हुए हैं। अपनी उत्कृष्टता का दंभ भरने वाले मिस्र, रोम जैसी सभ्यताओं के चिन्ह आज नहीं के बराबर हैं, उनका एक भी सांस्कृतिक अंश अपने मूल स्वरूप में उपस्थित नहीं है। परन्तु भारत एकमात्र ऐसा देश है, जो यह दावा कर सकता है कि उसने लाखों विपत्तियों के बावजूद अपनी आध्यात्मिकता और आस्था केंद्रों की प्राण शक्ति से अपने सनातन चरित्र को जीवंत रखा है। बहरहाल, आजादी का सूरज निकलने के बाद उम्मीद थी कि स्वाधीन भारत की सरकारें इस पर ध्यान देंगी और हमारे आस्था के केंद्र अपनी प्राचीन अवस्था में पुर्नस्थापित होंगे परन्तु एक खास तरह के तुष्टिकरण की राजनीति ने अपनी जगह बना ली और भारत के अनेक श्रद्धा केंद्र विकास की राह ताकते रहे। यह दैवीय संयोग ही है कि 2014 से भारत के आध्यात्मिक जगत में सांस्कृतिक उत्थान के एक नये युग की शुरुआत हुई। 500 वर्षों से विवादित श्रीराम मंदिर का मार्ग प्रशस्त हुआ और आज मोदी सरकार के नेतृत्व में तेजी से मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है। भारी प्राकृतिक आपदा झेल चुके हमारे चारधाम में एक केदारनाथ धाम का कायाकल्प भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छाशक्ति से सम्पन्न हो चुका है। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा नामक परियोजना परवान चढ़ चुकी है और लगभग सभी दुर्गम आस्था केंद्रों पर अब 12 महीने आसानी से पहुंचा जा सकता है। ऋषिकेश और कर्ण प्रयाग को रेलवे मार्ग से भी जोड़ा जा रहा है, जो 2025 तक पूरा होगा। कश्मीर में धारा 370 की समाप्ति के बाद मंदिरों के पुनरुद्धार का काम शुरू हुआ है। श्रीनगर स्थित रघुनाथ मंदिर हो या माता हिंगलाज का मंदिर, सभी प्रमुख मंदिरों के स्वरूप को नवजीवन दिया जा रहा है। पिछले साल भारत की आध्यात्मिक राजधानी काशी का पुनरुद्धार नरेंद्र मोदी के कर कमलों से ही संभव हुआ है। वह उनका संसदीय क्षेत्र है इसलिए काशी का विकास हुआ, ऐसा नहीं है। क्योंकि पहले भी अनेक बड़े नेता वहां का संसदीय नेतृत्व कर चुके हैं लेकिन किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि काशी की सकरी गलियों में विश्वनाथ भागवान के लिए कॉरीडोर बन सकता है। परन्तु यह संभव हुआ है और बहुत तेज गति से हुआ है। आज काशी अपने नए रंगरूप में अपनी आध्यात्मिक पहचान के साथ चमचमा रही है। काशी न्यारी हो गई है। जहां दुनिया भर के लोग आकर वास्तविक भारत और उसकी आध्यात्मिक राजधानी को निहार रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जितना ध्यान देशमंदिरों के पुनरुद्धार पर दिया है, उतना ही ध्यान विदेशों में भी जीर्ण शीर्ण हालत में पड़े पुराने मंदिरो की योजनाओं पर भी लगाया है। इस दिशा में सबसे पहले बहरीन स्थित 200 साल पुराने श्रीनाथ जी के मंदिर के लिए 4.2 मिलियन डालर खर्च किये जाने की योजना है। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अबूधाबी में भी यहां के पहले मंदिर की 2018 में आधारशिला रखी गई। अभी पिछले सप्ताह संयुक्त अरब अमीरात में विशाल हिन्दू मंदिर का लोकार्पण आधिकारिक रूप से वहां की सरकार ने किया। जेबेली अली अमीरात के कॉरीडोर ऑफ चॉलरेस में स्थित इस विशाल मंदिर के बनने से वहां के हिन्दुओं का दशकों पुराना सपना पूरा हुआ है, जिसके पीछे भारत की मोदी सरकार का अथक प्रयास है। बीते रविवार को गुजरात के मेहसाणा जिले में चालुक्य शासन में बनाए गये मोढेरा के सूर्य मंदिर का भी पुनरुद्धार हुआ। वहां 3डी प्रोजेक्शन लाइट एंड साउंड शो के उद्घाटन के दौरान देश के प्रधानमंत्री मोदी जब उसके अतीत का स्मरण करते हुए यह कह रहे थे कि इस स्थान पर अनगिनत आक्रमण किये गये लेकिन अब मोढेरा अपनी प्राचीन चरित्र को बनाए रखते हुए आधुनिकता के साथ बढ़ रहा है, तब वह देश की जनता को यह संदेश दे रहे थे कि भारत के सभी प्राचीन आस्था स्थल अपनी गौरवशाली पहचान के साथ आधुनिक सुविधाओं से लैस हो सकते हैं, और हो रहे हैं।लगभग एक साल पहले ही सोमनाथ के मंदिर के पुनरुद्धार और अन्य सुविधाओं के लिए पीएम ने कई परियोजनाओं का शुभारंभ किया था। आने वाले समय में सोमनाथ भी आधुनिक सुविधाओं से लैस दिखेगा। विगत जून महीने में पुणे के देहू में नये तुकाराम महाराज मंदिर और गुजरात के पावागढ़ मंदिर के ऊपर बने कालिका माता मंदिर के पुनर्निर्माण का उद्घाटन भी प्रधानमंत्री मोदी ने किया था। पावागढ़ में मां कालिका को नमन करते हुए उन्होंने कहा था कि हमारे श्रद्धास्थल हर भारतीय के प्रेरणा केंद्र हैं और ये स्थल आस्था के साथ-साथ नई संभावनाओं का स्रोत भी बन रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी की इस बात के बड़े गहरे अर्थ हैं क्योंकि यह स्वाभाविक है कि जिन मंदिरों या आस्था केंद्रों का पुनरुद्धार हो रहा है, वहां केवल मंदिर परिसर का ही कायाकल्प नहीं होता, बल्कि उसके साथ उस क्षेत्र का समग्र विकास भी होता है। काशी, सोमनाथ, केदारनाथ, देहू, पावागढ़ सहित सभी स्थलों पर पुनरुद्धार कार्य के साथ-साथ अनेक जरूरी, विकास और रोजगारपरक योजनाओं को भी अमलीजामा पहनाया जा रहा है। सभी स्थलों पर हजारों करोड़ों की परियोजनाओं को जमीन पर उतारा जा रहा है, जो नई संभावनाओं के द्वार खोलेंगे। निःसंदेह ऐसे सभी क्षेत्रों में आध्यात्म-संस्कृति का नया सवेरा हुआ है तो विकास की नई गंगा भी प्रवाहित हुई है। सबसे बड़े लोकतीर्थ अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण के साथ-साथ लाखों करोड़ की परियोजनाओं पर काम हो रहा है। इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लेकर एक्सप्रेसवे तक बन रहा है और अयोध्या को वैश्विक सुविधाओं वाला महानगर बनाने का कार्य तीव्र गति से चल रहा है। काशी, सोमनाथ, केदारनाथ सहित सभी स्थानों पर यही स्थिति है। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उद्घाटित धार्मिक-आस्था स्थलों को विकास के एक नये मॉडल के रूप में भी देखा जाना चाहिए। इन स्थलों पर यात्रियों की संख्या बढ़ेगी तो रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और राजस्व में भी वृद्धि होगी। देश की अर्थव्यवस्था को भी इससे नई उड़ान मिलेगी। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के किसी भी हिस्से में जाते हैं तो वहां के प्रसिद्ध देवालयों में दर्शन-पूजन अवश्य करते हैं अथवा उनता पुण्य स्मरण करते हैं। हाल ही में नवरात्रि में शक्तिपीठ अंबाजी मंदिर में उन्होंने दर्शन-पूजन करते हुए कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया। देश ने विगत 8 साल में अनेक ऐसे अवसर देखे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान से पहले मोदी ने माता वैष्णो देवी के दर्शन किये तो चुनाव समाप्त होते ही एक दिन के लिए केदारनाथ स्थित गुफा में ध्यान किया। यह नरेंद्र मोदी की ही प्रेरणा है कि राज्य सरकारों ने भी देवालयों पर विशेष ध्यान देना शुरु किया है। उत्तर प्रदेश का मथुरा, विन्ध्याचल, प्रयागराज हो या मध्यप्रदेश का उज्जैन हो, अनेक ऐसे उदाहरण हैं जहां आधुनिक सुविधाओं से लैस विकास कार्य हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उज्जैन की पावन धरा पर महाकाल लोक के नये कॉरीडोर तथा अन्य लोकमुखी सुविधाओं का उद्घाटन भी इस कड़ी में एक ऐतिहासिक पड़ाव है, जहां से भारत के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, धार्मिक पुनरुत्थान का नया अध्याय प्रारंभ होगा। महाकाल की नगरी विश्व भर में विशेष धार्मिक महत्व रखती है, जहां प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु आते हैं।उज्जैन राज्य सरकार द्वारा किया नवनिर्माण और उसका नामकरण हमारी आध्यात्मिक यात्रा में नया अध्याय जोड़ेगा। वस्तुतः भारतीय संस्कृति का आधार-आदर्श आध्यात्मिकता है। यही वह धुरी है जिससे भारत में व्यक्तिगत जीवन, सामाजिक जीवन, राष्ट्रीय जीवन और आर्थिक जीवन के मध्य सदियों से सामंजस्य रहा है। हमारे शक्ति पीठों, मंदिरों, पुण्यस्थलों की सांस्कृतिक विरासत पर नरेंद्र मोदी जी की गहनदृष्टि से विगत 70 साल से जमी धूल हट रही है और भारत को उसकी प्राणशक्ति की ओर ले जा रही है। इस शक्ति की जागृति से भारत की सांस्कृतिक अस्मिता का पुनर्जागरण संभव हो रहा है और विश्व कल्याण में आध्यात्मिक अभ्युदय का नया दौर शुरु हुआ है। इस दौर का जब भी इतिहास लिखा जाएगा तब नरेंद्र मोदी द्वारा भारत के आध्यात्मिक पुनरुत्थान का योगदान स्वर्ण अक्षरों में दर्ज होगा। -लेखक मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष एवं खजुराहो लोकसभा से सांसद हैं
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डॉ.दुर्गेश केसवानी, भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 अक्टूबर को उज्जैन में नव निर्मित भव्य महाकाल लोक का लोकार्पण करने के लिए पधार रहे हैं। कभी दुर्दांत आक्रांत इल्तुमिस के आक्रमण के कारण अपना वैभव खो चुका महाकाल मंदिर आज फिर पूरी दुनिया में गौरान्वित हो रहा है। महाकाल के प्रति भारत देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में फैले सनातनियों की आस्था जुड़ी है। बाबा महाकाल के दर्शन करने अन्य देशों के लोग भी पधारते हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी की दूरदृष्टिता के कारण यह मंदिर आज वैश्विक धरोहर के रूप में स्थापित हो गई है। मूर्तिकला के द्वारा हमारे पौराणिक धर्म को जीवंत करने का प्रयास इस मंदिर के द्वारा किया गया है। यह पहला मौका नहीं है। इसके पहले भी 12 ज्योर्तिलिंगों को एक एक कर प्रधानमंत्री मोदी उनका खोया हुआ वैभव लौटा रहे हैं। इन मंदिरों को भूल चुकी युवा पीढ़ी इनको जान रही है। आज जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं। वहीं हमारी खोई धार्मिक विरासतों के वापिस लौटने के कारण सनातन धर्म का डंका पूरी दुनिया में गूंज रहा है। मोदी काल में हमने राम मंदिर सहित 4 अन्य ज्योर्तिलिंगों का स्वरूप बदलते हुए देखा है। साथ ही जिन जगहों पर आक्रांताओं ने हमारे मंदिरों को जमींदोज कर दिया था। उन्हें फिर से स्थापित होते हुए भी देखा है। लगातार होते मंदिरों के जीर्णोद्धार के कारण प्रधानमंत्री सनातन धर्म के सबसे बड़े चेहरे के रूप में हम सबके सामने आए हैं। वहीं प्रधानमंत्री पूरे देश के लोग जो अपने तीर्थों को भूल गए थे। उनके लिए श्रवण कुमार बनकर सामने आए हैं। प्रधानमंत्री के इन कार्यों के कारण इन तीर्थ स्थानों तक पहुंचना सुलभ होगा। वहीं हम भविष्य में अन्य तीर्थ स्थानों का जीर्णोद्धार होते हुए भी देखेंगे। वहीं इन सबके बीच आइए जानते हैं पीएम मोदी के कार्यकाल में हमने कौन कौन सी धार्मिक विरासतें वापिस पाई हैं। 1. श्री महाकाल लोक, उज्जैन : 1234-35 में सुल्तान इल्तुतमिश ने महाकालेश्वर मंदिर को ध्वस्त कर मूल शिवलिंग को नष्ट करने का प्रयास किया, तीन सौ साल तक शिवलिंग कुंड में पड़ा रहा। लेकिन इसके बाद भी सदियों तक इसका धार्मिक महत्व बना रहा। इसके बाद सिंधिया काल में मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ। लेकिन इस मंदिर के खोए हुए गौरव को लौटाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है, जिन्होंने 920 मीटर लंबे नवीन कॉरिडोर की योजना के लिए मंजूरी दी। श्री महाकाल लोक को इस तरह बनाया गया है कि मंदिर तक जाने से पहले लोगों को लगेगा कि वे वास्तव में महाकाल लोक में उतर आए हैं और भगवान शिव के विभिन्न रूपों के साथ, सप्तऋषि, भगवान शिव के सभी अवतारों और शिव से जुड़ी कथाओं का प्रतिमाओं के द्वारा सजीव चित्रण देखते हुए मंदिर तक पहुंचेंगे। 2. राम मंदिर, अयोध्या : बाबर द्वारा लगभग 500 वर्ष पूर्व हमारे सबसे बड़े वैभव राम मंदिर को तोड़ दिया गया था। इसके बाद से ही मंदिर स्थल पर सदियों से सनातन धर्म के अनुयायी मंदिर होने का दावा करते आ रहे थे। लगभग 70 साल पहले मामला कोर्ट में गया और 7 दशकों की कानूनी लड़ाई के बाद 9 नवंबर 2019 को श्री रामजन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाया। जिसके बाद हिंदू समाज का पांच सदियों पुराना सपना और संघर्ष पूरा हो गया। रामलला से जुड़ी लोगों की आस्था का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लगभग 500 सालों तक आसपास के 105 गांवों के सूर्यवंशी क्षत्रिय न तो पैरों में जूते पहनते थे और न ही सिर पर पगड़ी धारण करते थे। प्रधानमंत्री मोदी ने राम मंदिर निर्माण के साथ ही इनमें से हर एक सूर्यवंशी को उसका खोया हुआ सम्मान वापिस लौटाया है। अगस्त 2020 में जैसे ही पीएम ने इस मंदिर की नींव रखी। करोड़ों हिंदुओं की तपस्या पूरी हुई। 3. काशी विश्वनाथ, वाराणसी : काशी के विश्वनाथ सारी दुनिया में अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध हैं। वहीं मंदिर के चारों ओर स्थित गलियां इस पूरे वैभव को कमजोर कर देती थीं। काशी से सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके मूल स्वरूप को सुधारने पर खास काम करना शुरू किया। 8 मार्च 2019 को उन्होंने कॉशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना की शुरुआत की। शुरुआत में इस परियोजना को असंभव माना जा रहा था। इस प्रोजेक्ट के तहत मौजूदा संरचनाओं को संरक्षित कर मंदिर परिसर में नई सुविधाएं दी जाना थीं। मंदिर तक आवागतन सुलभ करना और मंदिर से घाट सीधा दिखे। इसकी व्यवस्था की जाना थी। प्रधानमंत्री मोदी मां गंगा और बाबा विश्वनाथ के बीच सीधा संबंध जोड़ना चाहते थे। असंभव दिखने वाला यह प्रोजेक्ट पूरा हुआ और विश्व के सामने पीएम ने असंभव को संभव करने की नजीर रख दी। खास बात यह है कि पूरे प्रोजेक्ट में प्राचीन 40 अन्य मंदिर भी हमारे सामने आए। 4. सोमनाथ मंदिर, सोमनाथ : सोमनाथ 12 ज्योर्तिलिंगों में एक ऐसा ज्योर्तिलिंग है, जिसे दुर्दांत आक्रांताओं ने बार बार तोड़ा और यह फिर से जीवंत हो गया। माना जाता है कि 12 ज्योर्तिलिंगों में सर्वप्रथम बाबा सोमनाथ के मंदिर का निर्माण सबसे पहले स्वयं चंद्रदेव ने किया था। सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह स्थित इस मंदिर का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण ने यहीं अपनी देह त्याग की थी। इस कारण यह मंदिर हर सनातनी के लिए सर्वप्रथम है। मंदिर के ईसा पूर्व भी होने के कई पौराणिक दस्तावेज मौजूद हैं। मंदिर का दूसरी बार निर्माण 649 ईस्वी में वैल्लभी के मैत्रिक राजाओं ने किया। 725 ईस्वी में इसे मुस्लिम सूबेदार अल जुनैद ने तुड़वा दिया। 815 में राजा नागभट्ट ने इसका तीसरी बार निर्माण कराया था। 1024 और 1026 में अफगानिस्तान के महमूद गजनवी ने दो बार मंदिर को तहस नहस कर लूट लिया। इस दौरान गजनवी ने हजारों निहत्थे लोगों को बर्बरता पूर्वक मार दिया। 1297 में नुसरत खां ने मंदिर को दुबारा तोड़ दिया। 1395 में मुज्जफरशाह और 1412 में उसके पुत्र अहमदशाह ने इसे तुड़वा दिया। बाद में 1665 और 1706 में इसे औरंगजेब के कार्यकाल में दो बार तोड़ा गया। 1783 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने मूल मंदिर से कुछ दूरी पर एक अन्य शिव मंदिर का निर्माण कराया। 1950 में पूर्व गृहमंत्री सरदार वल्लभ पटेल ने संकल्प लेकर मंदिर का निर्माण कराया। इस मंदिर को कैलाश महामेरू शैली में बनाया गया। वर्तमान मंदिर के निर्माण का श्रेय सरदार वल्लभ पटेल को जाता है। 1995 में इसे राष्ट्र को समर्पित किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मंदिर के वैभव को और बढ़ाने के लिए कई परियोजनाएं शुरू कीं। प्रधानमंत्री ने एक प्रदर्शनी केंद्र और समुद्र तट पर सैरगाह का निर्माण किया। 5. केदारनाथ धाम, रूद्रप्रयाग : 2013 की बाढ़ के बाद मंदिर परिसर को दोबारा से तैयार किया गया और मंदिर को पूरी तरह से बदल दिया गया। पीएम मोदी ने कहा कि केदारनाथ का पुन: विकास उन्हें व्यक्तिगत रूप से प्रिय है और वे यह बात 2013 और 2017 के अपने भाषण में कह भी चुके हैं। इसके अलावा सरकार ने केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री तीर्थों को जोड़ने के लिए चारधाम परियोजना की शुरुआत की है। सड़क परियोजना के साथ ही रेल लाइन का काम भी तेज गति से चल रहा है। वहीं कश्मीर में भी ध्वस्त हो चुके प्रमुख हिंदू मंदिरों को बनाने का काम तेजी से चल रहा है। 952 हिंदू मंदिरों में से 212 चल रहे हैं, जबकि 740 जर्जर अवस्था में हैं। इनमें से कई धार्मिक स्थलों के नवीनीकरण का काम फिर से शुरु हो गया है। - श्री महाकाल लोक के बाद अन्य मंदिरों का भी वैभव फिर लौटेगा, दुनिया में गूंजेगा सनातन का डंका - मोदी एक एक कर लौटा रहे हैं देश की खोई हुई धार्मिक विरासतें, भूले-बिसरे गौरव को जान रही युवा पीढ़ी (लेखक भारतीय जनता पार्टी मप्र के प्रदेश प्रवक्ता हैं।)
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(प्रवीण कक्कड़) आज भागदौड़ भरे समय में रिश्तो के बीच संवाद घटता जा रहा है, हर व्यक्ति केवल स्वयं पर केंद्रित होकर आगे बढ़ रहा है लेकिन इन सबके बीच भी अगर विश्वास, त्याग और गहराई की बात की जाए तो पति-पत्नी का रिश्ता ही काफ़ी मजबूत नजर आता है। इसकी गहराई का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि हर रिश्ते का नाम लेने के लिए हमें दो शब्दों की जरूरत होती है, जैसे मां-बेटा, बाप-बेटी, भाई-बहन, चाचा-भतीजा लेकिन सिर्फ एक रिश्ता ऐसा है जो एक ही शब्द में बयां हो जाता है जीवनसाथी। इसी कारण इस रिश्ते को महत्वपूर्ण माना गया है। इसी रिश्ते के प्रति त्याग और समर्पण का प्रतीक है करवाचौथ। इस बार करवा चौथ व्रत 13 अक्टूबर को आ रहा है। यह व्रत जहां पत्नी के पति के प्रति त्याग और समर्पण की भावना को बयां करता है, वहीं पति के पत्नी से भावनात्मक लगाव का भी परिचायक है। करवाचौथ… पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाके में सदियों से मनाया जाने वाला यह पर्व आज पूरे भारत का एक बहुत ही लोकप्रिय त्यौहार बन गया है। अगर भारत के बाहर का कोई व्यक्ति आकर इस त्यौहार को देख ले, तो वह निश्चित तौर पर इसे अत्यंत कठिन व्रत के तौर पर देखेगा लेकिन भारतीय महिलाएं जिस उत्साह और आस्था के साथ दिनभर निराहार और निर्जला रहकर यह व्रत रखती हैं, वह अपने आप में बहुत ही विलक्षण बात है। दिन भर जल ग्रहण ना करना और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य चढ़ाकर पति के हाथ से पानी पीना बहुत ही श्रम साध्य काम है। व्रत की इस तपस्या और साधना के साथ ही इसके इस पक्ष पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह दांपत्य की पवित्रता का भी पर्व है। भारतीय संस्कृति में माना भी गया है कि प्रेम का मूल तत्व त्याग है। ऐसे में इस तरह त्याग का प्रदर्शन करके महिला दांपत्य के उस रिश्ते को एक नई ऊंचाई और गहराई प्रदान करती हैं जो असल में तो पति और पत्नी के बीच हमेशा ही होना चाहिए। यह उनके रिश्ते में आई किसी भी तरह की जड़ता को तोड़ने का काम करती है। आज सामूहिक परिवारों की तुलना में एकल परिवार बढ़ रहे हैं। ऐसे में पति-पत्नी पर स्वयं के करियर व एक-दूसरे से आपसी समझ के साथ ही भावी पीढ़ी को तैयार करने की जिम्मेदारी भी है। ऐसे में जीवनसाथी की भावनाओं को समझना और उनका सम्मान करना बेहद जरूरी है। भावनात्मक संबंध में यह सम्मान व विश्वास इस रिश्ते को खूबसूरत बनाए रखता है। हमारी प्राचीन संस्कृति का हिस्सा रहे त्यौहार व करवाचौथ जैसे व्रत खुशहाल वैवाहिक जीवन की नींव रखते हैं। व्रत और पर्व पति-पत्नी के बीच संवाद और स्नेह का जरिया बनते हैं। ऐसे अवसर वैवाहिक जीवन में आ रही कड़वाहट को दूर करने का सबसे सटिक माध्यम हैं। कभी करियर की भागदौड़ तो कभी स्वयं को सही सिद्ध करने की होड़ में पति-पत्नी एक-दूसरे के प्रति संयम खो बैठते हैं। कभी अहंकार तो कभी अविश्वास रिश्ते पर हावी होने लगता है। ऐसे में करवाचैथ का पर्व उन्हें एक-दूसरे के करीब लाता है। प्रेम और त्याग का अहसास कराता है। इसलिए करवाचौथ सिर्फ पति और पत्नी के प्रेम का त्यौहार नहीं है, यह पारिवारिक रिश्ते की मिठास का त्यौहार भी है। अगर यह मिठास ना हो तो कोई महिला दिन भर भूखे प्यासे रहने के बाद शाम को इस तरह से सोलह सिंगार करके चंद्रमा और अपने पति की आरती नहीं कर सकती। अब तो कई पुरुष भी पत्नी का हौसला बढ़ाने के लिए उनके साथ जोड़े से व्रत करने लगे हैं, ऐसे त्योहारों की रचना भारतीय समाज ही कर सकता है और उनका निर्वाह भी।
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अनुराग उपाध्याय मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार के खिलाफ माहौल बनाने के लिए दिल्ली के कुछ वामपंथी टाइप के पत्रकारों को हायर कर लाने के लिए कुछ पत्रकारों ने ठेकेदारी शुरू कर दी है। बाकायदा पैकेज अपोजिशन के नेताओं को दिए जा रहे हैं और उनसे कहा जा रहा है ये अपनी गाडी और अपनी टीम के साथ पूरा मध्यप्रदेश घूमेंगे और शिवराज सरकार की हकीकत बताएँगे। खासकर आपके इलाके में तो सरकार की बैंड बजा देंगे। इनके आपके इलाके में रहने से आपका वोट प्रतिशत बढ़ेगा वगैरह -वगैराह। इन ठेकेदार बने पत्रकारों में से तो एक 90 के दशक में हुए हनीट्रैप राजदूत मामले से जुड़ा व्यक्ति है। तो दूसरी टीम में मंत्री से रिश्वत में टीवी मांगने वाले नेशनल न्यूज़ चैनल से जुड़े दो पत्रकार और उनका एक पप्पू मीडिया का साथी है । आपको बता दें जिन बड़े पत्रकारों को एमपी में शिवराज सरकार के खिलाफ लाने की तैयारी हैं। उन पत्रकारों को अब दिल्ली में काम नहीं मिल पा रहा है। इससे पहले ये लोग इसी तरह उत्तरप्रदेश में योगी की बैंड बजने गए थे लेकिन वहां भी हुआ उल्टा ही और योगी ने भरपूर बहुमत हांसिल किया। [लेखक दखल न्यूज़ चैनल के मुख्य सम्पादक हैं
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जी मीडिया कॉर्पोरेशन लिमिटेड' (ZMCL) ने ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) इंडिया के टीवी ऑडियंस मेजरमेंट सिस्टम से बाहर निकलने का फैसला किया, जिसके बाद अब कंपनी ने एक स्टेटमेंट जारी कर अपने इस फैसले की सही ठहराया है। जी मीडिया ने अपने बयान में इस बात का जिक्र किया कि BARC ने न तो कोई समाधान निकाला था और न ही उसे स्वीकार किया था, लेकिन इस बीच उन्होंने लैंडिंग पेज व बार्कर पेज के लिए अपनी रिपोर्टिंग जारी रखी। बयान में यह भी कहा गया कि BARC डेटा को दोबारा शुरू किए जाने के बाद से न्यूज जॉनर लगातार सिकुड़ती दिखाई दे रही है, जबकि इसके विपरीत जब डेटा बंद किया गया था, तो यह जॉनर अपने चरम पर थी। BARC के साथ कई मीटिंग और बातचीत करने के बावजूद भी एजेंसी न केवल विफल रही, बल्कि इस तरह की भारी गिरावट की जानकारी देने में भी फेल रही है। बयान में यह भी कहा गया कि BARC ने अब तक टीआरपी घोटाले पर कोई श्वेत पत्र नहीं दिया है और यह बहुत ही ज्यादा चिंता का विषय है कि इस षड्यंत्र में कौन शामिल थे और यदि वे अभी भी सिस्टम (लोग/ चैनल) का हिस्सा हैं, तो उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है ? बयान में कहा गया कि इन वजहों से जी मीडिया ने रेटिंग एजेंसी से हटने का फैसला किया और BARC से जी मीडिया के सभी 14 चैनलों की रिपोर्टिंग तत्काल प्रभाव से बंद करने को कहा है।
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(प्रवीण कक्कड़) आज गांधी जयंती है, जब भी हम महात्मा गांधी का नाम लेते हैं तो सबसे पहले जो शब्द ज़हन में आता है वह है सत्य क्योंकि उन्होंने सत्य के प्रति अडिग रहकर अपना पूरा जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया। महात्मा गांधी ने अपने विचारों से न केवल भारत को आजादी दिलायी बल्कि समाज में अनेक सुधार भी किए। महात्मा गांधी के सिद्धांतों की प्रासंगिकता आज भी कायम है। गांधी कहते थे कि सत्य ही ईश्वर है और ईश्वर ही सत्य है। उनके अनुसार धर्म से तात्पर्य किसी धर्म विशिष्ट से नहीं है बल्कि उस तत्व से है जो उसमें समान रूप से व्याप्त है। वे धर्म और नैतिकता में भेद नहीं मानते थे। गांधी जी ने अपना जीवन सत्य, या सच्चाई की व्यापक खोज में समर्पित कर दिया। उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी स्वयं की गल्तियों और खुद पर प्रयोग करते हुए सीखने की कोशिश की। उन्होंने अपनी आत्मकथा को सत्य के प्रयोग का नाम दिया। गांधी जी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ने के लिए अपने दुष्टात्माओं , भय और असुरक्षा जैसे तत्वों पर विजय पाना है। गांधी जी ने अपने विचारों को सबसे पहले उस समय संक्षेप में व्यक्त किया जब उन्होंने कहा भगवान ही सत्य है| बाद में उन्होंने अपने इस कथन को सत्य ही भगवान है में बदल दिया। इस प्रकार , सत्य में गांधी के दर्शन है " परमेश्वर "| महात्मा गांधी जिनका नाम मोहनदास कर्मचंद गांधी था, उनका जन्म 2 अक्टूबर को 1869 में हुआ था। सत्य और अहिंसा गांधी जी के दो सिद्धांत थे, यही वजह है कि 15 जून 2007 को यूनाइटिड नेशनल असेंबली ने 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाने का फैसला किया। अब देश ही नहीं दुनिया भी गांधी जी के सत्य और अंहिसा के सिद्धांत को मानती है। गांधी जी मानते थे कि आंख के बदले आंख की सोच रखेंगे तो पूरी दुनिया ही अंधी हो जाएगी। पापी से लड़कर किसी को कुछ नहीं मिलेगा इसलिए हमें अपनी भावनाओं का चुनाव करना सीखना चाहिए। स्वतंत्रता दिवस में तो गांधी जी के अहम योगदान के बारे में सभी जानते होंगे, लेकिन क्या आपको पता है कि गांधीजी ने 15 अगस्त 1947 का दिन कैसे बिताया था, उन्होंने इस दिन 24 घंटे का उपवास रखा। उस वक्त देश को आजादी तो मिली थी, लेकिन इसके साथ ही मुल्क का बंटवारा भी हो गया था। पिछले कुछ महीनों से देश में लगातार हिंदू और मुसलमानों के बीच दंगे हो रहे थे। इस अशांत माहौल से गांधीजी काफी दुखी थे। महात्मा गांधी के राष्ट्रपिता कहे जाने के पीछे भी एक कहानी है। महात्मा गांधी को पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने 'राष्ट्रपिता' कहकर संबोधित किया था। 4 जून 1944 को सिंगापुर रेडिया से एक संदेश प्रसारित करते हुए 'राष्ट्रपिता' महात्मा गांधी कहा था। इसके बाद कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने गांधीजी को महात्मा की उपाधि दी थी। इसी के साथ हम सभी को गांधी जी के सिद्धांतो को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए। आज हमें महात्मा गांधी के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त करने के साथ ही यह भी विचार करना चाहिए कि कैसे हम उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारें। कैसे सत्य के सहारे हम अपनी बाधाओं का मुकाबला करें। अहिंसा के जरिए हम अपने लक्ष्यों की ओर आगे बढ़े और मजबूत चरित्र निर्माण के साथ पूरे समाज को एक सूत्र में बांधते हुए समभाव के साथ राष्ट्र निर्माण करें। बॉक्स असत्य पर सत्य की जीत सत्य हमारी परंपराओं में श्रेष्ठतम उपाधि प्राप्त शब्द है, आज गांधी जयंती के दिन हम सत्य की खोज में गांधीजी के जीवन समर्पण की चर्चा कर रहे हैं वहीं कुछ दिन बाद दशहरे का त्यौहार है। दशहरे को भी हम असत्य पर सत्य की जीत के रूप में देखते हैं। हिन्दुओं का यह प्रमुख त्योहार असत्य पर सत्य की जीत तथा बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है। ऐसे में सत्य के संकल्प के लिए सर्वश्रेष्ठ समय है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष को दशहरा का त्योहार मनाया जाता है। मां भगवती के विजया स्वरूप पर इसे विजयादशमी भी कहा है। इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की थी इसलिए भी इस पर्व को विजयादशमी कहा जाता है। कहा जाता है कि इस दिन ग्रह-नक्षत्रों की संयोग ऐसे होते हैं जिससे किये जाने वाले काम में विजय निश्चित होती है। भारतीय इतिहास में ऐसे अनेकों उदाहरण हैं जब राजा इस दिन विजय के लिए प्रस्थान किया करते थे।
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ओपी शर्मा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह जी की नर्मदा परिक्रमा प्रारंभ होने के आज 5 साल पूरे हो गए है। वर्ष 2017 में आज ही के दिन उन्होंने सपत्नीक 300 परिक्रमावासियों के साथ लगभग 3200 किलोमीटर की यह पैदल यात्रा प्रारंभ की थी। इसे एक सुखद प्रसंग ही कहा जायेगा कि गत वर्ष इसी दिन उनकी नर्मदा परिक्रमा पर मेरे द्वारा लिखा गया यात्रा वृतांत "नर्मदा के पथिक" का विमोचन हुआ था। आज पुनः एक ऐसा सुखद प्रसंग है जब वे देश की सबसे पुरानी और राष्ट्रीय स्वतंत्रता की अलख जगाकर राजनीति में सत्य और अहिंसा को प्रधान तत्व बनाने वाली कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के चुनाव में वे अपना नामांकन दाखिल कर रहे हैं। चुनाव प्रजातांत्रिक तरीके से सम्पन्न हो रहे है इसलिए उसके परिणाम पर अभी बात करना ठीक नही होगा लेकिन दिग्विजय सिंह जी का इस चुनाव में एक प्रमुख भागीदार के रूप में सामने आना कोई तिकड़मबाजी या परिस्थितिवश एकाएक हुई बात नही है। दिग्विजय सिंह जी को इस मुकाम तक उनके अध्यात्म ने ही शने:-शने: पंहुचाया है। आइए देखते है कि उनमें वे कौनसी आध्यात्मिक शक्तियां विकसित हुई जो उन्हें औरों से अलग बनाती है। उनका जीवन सनातन धर्म के प्रवाह में नर्मदा की भांति बहता हुआ है जिसमे कोई अवशिष्ट ठहर नही सकता। (1) सहयोग देने की शक्ति : अपने 50 साल के राजनीतिक सफर में उन्होने बिना सहयोग प्राप्त करने की अपेक्षा किये दूसरों को सहयोग दिया है। उनकी इसी सहयोग शक्ति के कारण उन्हें ठीक उसी प्रकार सहयोग मिलता गया जैसे नर्मदा को सैकड़ों छोटी नदियों और बड़े नद का सहयोग मिला। इन नदियों ने अपना अस्तित्व मिटाकर नर्मदा को बड़ा कर दिया। तो नर्मदा ने भी उन छोटी नदियों को अपने साथ ले जाकर समंदर बना दिया। (2) सहन करने की शक्ति : दिग्विजय सिंह जी की सहन करने की असीम शक्ति अद्भुद है। उनका जीवन नर्मदा की भांति जंगलों, मैदानों और चट्टानों के बीच बहता रहा है। अनेक बाधाएं उनके मार्ग में आई है। किंतु वे उन बाधाओं को सहते हुए आगे बढ़े है। बाधाओ से उन्हें कोई शिकायत नही। वे उन्हें रोकने वाली मजबूत चट्टानों को सहन करते है और उन्हें अपना सुंदर जलप्रपात बना लेते हैं। (3) समेटने की शक्ति : जब समय अपने अनुकूल न हो तो कछुआ अपने पैरों को समेट लेता है। नर्मदा भी अपने बिखरे हुए प्रवाह को सीमित कर लेती है। इसी प्रकार दिग्विजय सिंह जी भी अपनी समेटने की अद्भुत शक्ति के कारण सदैव सुरक्षित रहते है। वर्ष 2018 में उन्होंने इसी समेटने की शक्ति का परिचय दिया तथा जब सरकार ने उनसे भोपाल में सरकारी घर खाली करवा लिया तो समय अनुकूल न पाकर उन्होंने अपना सारा सामान समेट लिया और किराए के घर मे चले गए। (4) समाने की शक्ति : जिस तरह नर्मदा में अनेक छोटी नदियाँ आकर मिलती है किंतु वह अपने साथ सबको बहाकर ले जाती है। समुद्र में अनेक नदियाँ मिलती है किंतु वह बिना प्रभावित हुए सबको अपने मे समा लेता है इसी तरह दिग्विजय सिंह जी भी एक समुद्र है जिसमे भिन्न भिन्न तरह के लोगों के विचार, उनके कार्य और परिणाम समा जाते हैं। यह उनकी बड़ी विशेषता है। (5) निर्णय करने की शक्ति : नर्मदा की भांति वे भी निर्णय शक्ति से सम्पन्न है। नर्मदा जंगलों से गुजरते हुए उन्हें औषधीय गुण देती जाती है, पहाड़ों से गुजरते हुए उन्हें सौंदर्य प्रदान करती है और मैदानों से गुजरते हुए अपने तटवासियों को जल, फसल और समृद्धि देती है। वह अपने निर्णय पर अडिग होती है। उसी प्रकार दिग्विजय सिंह जी भी परिस्थिति वश जो भी निर्णय लेते है उस पर अडिग रहते है और कभी निर्णय न लेने को भी एक निर्णय बना देते है। (6) परखने की शक्ति: नर्मदा जिस तरह अपने मार्ग में मिलने वाले पत्थरों को परखकर उनमें से किसी को पूजा के योग्य शंकर बना देती है, किसी को इमारत बनाने वाली रेत बना देती है और किसी को नदी के सौंदर्य को बरकरार रखने के लिए वैसे ही छोड़ देती है उसी प्रकार दिग्विजय सिंह जी भी व्यक्तियों, परिस्थितियों और समय को परख लेते है और उसी अनुरूप उनका उपयोग करते है। (7) सामना करने की शक्ति : दिग्विजय सिंह जी का यह साहसिक गुण उन्हें सबसे न्यारा बनाता है। वे कठिन परिस्थितियों का सामना उसी प्रकार करते है जिस प्रकार नर्मदा कठोर चट्टानों का। या तो वह उन्हें काट देती है या उसपर से गुजर जाती है, पर रुकती नही। (8) साक्षी होने की शक्ति : दिग्विजय सिंह जी की यह शक्ति उन्हें हर हाल में समत्व भाव मे रखती है। यह उनका एक बड़ा आध्यात्मिक गुण है। गीता में कहा गया है- योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय । सिद्ध्यसिद्धयोः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते ॥ अर्थात- सफलता और असफलता की आसक्ति को त्याग कर तुम दृढ़ता से अपने कर्तव्य का पालन करो। यही समभाव योग कहलाता है। बारिश में उफनती, सर्दी में शांत बहती और ग्रीष्म में सिकुड़ती नर्मदा की जलधाराओ में जिस प्रकार उसके भक्तों का समान भाव रहता है उसी प्रकार दिग्विजय सिंह जी का भी किसी पद या सत्ता पर होने या न होने में वैसा ही समत्वभाव है। वे सदैव एक जैसे भाव मे रहकर कर्म करने में विश्वास करते है। उनकी सफलता का यही मूलमंत्र है। आज नर्मदा परिक्रमा की शुरुआत के 5 साल होने पर मैं श्री दिग्विजय सिंह जी सहित सभी परिक्रमावासियों को बधाई देता हूँ। नर्मदा परिक्रमा में हम जो देखते और सीखते है वह दिग्विजय सिंह जी के व्यक्तित्व में प्रतिदिन मौजूद है। इस नवरात्रि नर्मदा जी से प्रार्थना है कि वह भी हम सभी को उपरोक्त अष्टशक्तियों से नवाज़े। ये सारी शक्तियां हमारे पास होगी तो हमारी आत्मा अवश्य ही बलवान होगी और हम हर स्थिति में खुश रह सकेंगे।
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अपनी पार्टी तो बचा नहीं पाए राहुल, चिंता देश की कर रहे हैं भोपाल। कांग्रेस का किला पहले तिनका तिनका कर बिखर रहा था, लेकिन जब से राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हैं, तो कांग्रेस के किले के मजबूत स्तंभ एक एक कर ढह रहे हैं। कांग्रेस के पुराने लोगों ने मान लिया है कि कांग्रेस एक डूबता हुआ जहाज है। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी ने मंगलवार को कही। डॉ. केसवानी ने कहा कि राहुल गांधी की तथाकथित भारत जोड़ो यात्रा अब कांग्रेस तोड़ो यात्रा में बदल चुकी है। राहुल की अपरिपक्वता के कारण पार्टी पूरी तरह से टूट चुकी है, लेकिन राहुल हैं कि मानने को तैयार ही नहीं हैं। डॉ. केसवानी ने आरोप लगाया की टूट रही पार्टी को बचाने की हिम्मत भी किसी में नहीं दिख रही है। सब लोग केवल अपने स्वार्थ सिद्ध करने में लगे हैं। डॉ. केसवानी ने कहा कि बिखर रही पार्टी को एक अदद अध्यक्ष तक नहीं मिल पा रहा है। अशोक गहलोत सीएम पद छोड़ना नहीं चाहते हैं और कमलनाथ भी मप्र नहीं छोड़ रहे हैं। वे भी अपनी राजनीतिक लालसाओं को सिद्ध करने में लगे हैं। नटवर, अजीज और पीके ने भी दिखाया है आईना : डॉ. केसवानी ने कहा कि राहुल गांधी को भारत जोड़ो यात्रा की जगह कांग्रेस बचाओ यात्रा पर निकलना चाहिए। कांग्रेस अंदर से पूरी तरह खोखली हो चुकी है। पहले तो राहुल को समझना होगा कि पार्टी की अंदरूनी स्थिति क्या है? हालांकि जिस तरह से कांग्रेस बिखरी है। उसका फिर से खड़ा हो पाना दूर की कौड़ी सा दिख रहा है। भाजपा प्रवक्ता ने राहुल के नेतृत्व को कमजोर बताते हुए कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ लोग ही उन्हें नकार चुके हैं। ऐसे में देश उन्हें कैसे स्वीकार करेगा। कांग्रेस नेता नटवर सिंह कह चुके हैं कि कांग्रेस को सोनिया गांधी और राहुल गांधी की जरूरत नहीं है। जबकि इन दोनों को कांग्रेस की जरूरत है। नटवर ने आरोप लगाया कि जब तक इन दोनों या गांधी परिवार में किसी के भी हाथ कांग्रेस की बागडोर रहेगी तो वे किसी भी योग्य व्यक्ति को आगे नहीं आने देंगे। अजीज कुरैशी ने भी राहुल गांधी को अपरिपक्व बताते हुए कहा था कि जब तक उनके हाथ कांग्रेस की बागडोर है, कांग्रेस का भला नहीं हो सकेगा। वहीं पीके ने भी राहुल को आइना दिखाते हुए कहा था कि उनके कार्यकाल में पार्टी 90 फीसदी चुनाव हारी है।
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praveenkakkar.com (प्रवीण कक्कड़ ) शक्ति पूजा का पर्व नवदुर्गा उत्सव प्रारंभ होने वाला है। देश में हर्षोल्लास का वातावरण है। शक्ति यानी रचियता, जिसमें रचने की शक्ति हो, जिसमें निर्माण की शक्ति हो, जिसमें संहार की शक्ति हो. नव दुर्गा के नौ रूप ऐसी ही शक्ति का प्रतीक हैं। दुर्गा सप्तशती ग्रन्थ के अन्तर्गत देवी कवच स्तोत्र के श्लोक में नवदुर्गा के नाम क्रमश: दिये गए हैं- माँ शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि महागौरी और माँ सिद्धिदात्री। मां नव दुर्गा के यह नौ रूप हमें सांसारिक जीवन में शक्ति और संयम का संतुलन सिखाते हैं। जब शक्ति अनियंत्रित होती है तो विनाश होता है। नियंत्रित शक्ति (संयम) रचना करती है. निर्माण करती है। अराजक शक्ति समाज को नष्ट करती है। वीतराग शक्ति सन्यास और त्याग का मार्ग प्रशस्त करती है। न्याय शक्ति लैंगिक, आर्थिक, सामाजिक समानता की प्रेरणा देती है। प्रतिवर्ष 2 बार 9 दिन के लिए हम नव दुर्गा की पूजा करते हैं। वसंत और शरद ऋतु की शुरुआत, जलवायु और सूरज के प्रभावों का महत्वपूर्ण संगम माना जाता है। इन दोनों विशेष समय खास तौर पर मां दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर माने जाते हैं। त्यौहार की तिथियाँ चंद्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होती हैं। शारदीय नवरात्रि इस देश का सबसे बड़ा उत्सव भी है। यूनेस्को ने इसे विश्व की सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया है। विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां वर्ष में दो बार स्त्री शक्ति की पूजा होती है। कन्याओं को भोजन कराया जाता है। नव दुर्गा के नव रूपों की उपासना होती है। भारत की संस्कृति का सबसे महत्वपूर्ण अंग है शक्ति पूजा। यही कारण है कि पवित्र शक्ति पीठ पूरे भारत के अलग-अलग स्थानों पर स्थापित हैं। पुराण में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं। नवरात्र के दौरान कुछ भक्त उपवास रखकर मैया को प्रसन्न करते हैं तो कुछ मंदिरों में पहुंचकर देवी की आराधना में लीन रहते हैं। कई घरों में भी कलश की स्थापना कर मैया की भक्ति की जाती है। कहीं मैया के मंदिरों के बाहर मेले लगते हैं तो कहीं गरबों की गूंज सुनाई देती है। नवरात्र के शुरू होते ही देशभर में गरबा और डांडिया रास का रंग चारों ओर बिखरने लगता है। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए जगह-जगह गरबा नृत्य और डांडिया रास का आयोजन किया जाता है। खूबसूरत पारंपरिक पोशाक और डांडियों की खनक नवरात्र के इस माहौल को और भी खुशनुमा बना देते हैं। नवरात्र के 9 दिन में मां को प्रसन्न करने के उपायों में से एक है नृत्य। शास्त्रों में नृत्य को साधना का एक मार्ग बताया गया है। गरबा नृत्य के माध्यम से मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए देशभर में इसका आयोजन किया जाता है। नवरात्र पर्व के आठवें और नौवें दिन कन्या पूजन व कन्या भोज किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से नौ कन्याओं की पूजा की जाती है, जो देवी नवदुर्गा के नौ रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं। हिंदू दर्शन के अनुसार इन कन्याओं को सृजन की प्राकृतिक शक्ति की अभिव्यक्ति माना जाता है। आज शक्ति की साधना तो हम सभी कर रहे हैं किंतु लैंगिक समानता के धरातल पर हम सब अभी भी लक्ष्य तक नहीं पहुंच सके हैं। देश में शक्ति पूजा पर्व मनाने के बावजूद हम स्त्री-पुरुष भेदभाव रोकने में असफल रहे हैं। स्त्रियों के प्रति अपराध और सामाजिक दूषण लगातार बढ़ रहा है। इस शक्ति पर्व में यही विचारणीय प्रश्न है। इस धरती की हर नारी शक्ति का स्वरूप है जिस तरह हम नवरात्रि में मातृशक्ति के अनेक स्वरूपों का पूजन करते हैं, उनका स्मरण करते हैं। उसी प्रकार नारी के गुणों का हम सम्मान करें। हमारे परिवार में रहने वाली माता, पत्नी, बहन, बेटी के साथ ही समाज की हर नारी को सम्मान दें। तभी मां शक्ति की आराधना की सच्ची सार्थकता साबित हो सकेगी।
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टीवी जर्नलिस्ट और सीनियर न्यूज एंकर निधि वासंदानी ने हिंदी न्यूज चैनल ‘रिपब्लिक भारत’ में अपनी करीब साढ़े तीन साल पुरानी पारी को विराम दे दिया है। वह इस चैनल की शुरुआत से ही इसके साथ जुड़ी हुई थीं और इन दिनों बतौर डिप्टी न्यूज एडिटर/सीनियर एंकर अपनी जिम्मेदारी संभाल रही थीं। मीडिया से बातचीत में निधि वासंदानी ने बताया कि 24 सितंबर इस संस्थान में उनका आखिरी कार्यदिवस होगा। निधि ने बताया कि वह जल्द ही अपनी नई पारी शुरू करेंगी। ‘रिपब्लिक भारत’ को जॉइन करने से पहले निधि वासंदानी ‘इंडिया न्यूज’ में बतौर एग्जिक्यूटिव प्रड्यूसर और न्यूज एंकर की जिम्मेदारी निभा रही थीं। हालांकि, यहां उनका सफर महज आठ महीने ही रहा था। निधि वासंदानी को मीडिया में काम करने का करीब डेढ़ दशक का अनुभव है। ‘इंडिया न्यूज’ से पहले वह ’एबीपी न्यूज’ का चिर-परिचित चेहरा रही हैं। उन्होंने इस न्यूज चैनल के साथ करीब चार साल की पारी खेली। निधि वर्ष 2014 में ’एबीपी न्यूज’ के साथ जुड़ी थीं। वह 2014 के फीफा वर्ल्ड कप से लेकर ’एबीपी न्यूज’ के लोकप्रिय शो ‘कौन बनेगा मुख्यमंत्री’ तक कवर कर चुकी हैं। इसके साथ ही वह महाराष्ट्र और आस पास के राज्यों की खबरों वाला शो ‘मुंबई लाइव’ कवर कर चुकी हैं। निधि ये शो खुद ही बनाती थीं और इसकी एंकरिंग भी खुद ही करती थीं। नोटबंदी के दौरान निधि के काम को कई बार सराहा गया, क्योंकि उन्होंने कई ऐसे रिपोर्ट्स तैयार की थीं, जिसमें कैशलैस इंडिया की तस्वीर को उजागर किया गया था। ’एबीपी न्यूज’ से पहले निधि ’जी बिजनेस’ में कार्यरत थीं। यहां अप्रैल 2009 से मार्च 2014 तक अपनी पारी के दौरान उन्होंने प्रड्यूसर के साथ-साथ एंकरिंग की भी जिम्मेदारी संभाली। वह ‘जी मीडिया’ के अन्य न्यूज चैनलों में भी दे अपना योगदान दे चुकी हैं, जिनमें ‘जी’ यूपी/उत्तराखंड व ‘जी संगम’ शामिल है। इसके पहले वह मई 2007 से अप्रैल 2009 तक ‘सहारा समय’ में रही हैं। उन्होंने कुछ समय तक भोपाल में ‘राज न्यूज‘ और ‘भास्कर टीवी‘ के साथ भी काम किया है। निधि ने इकनॉमिक्स (ऑनर्स) में ग्रेजुएशन किया है और वह डबल पोस्ट ग्रेजुएट (मास कम्युनिकेशन और पॉलिटिकल साइंस) हैं। निधि एक ट्रेंड क्लासिकल डांसर भी हैं, जिन्होंने कथक में ग्रेजुएशन किया है। वह कई स्टेज शो भी कर चुकी हैं। वह बच्चों को डांस भी सिखाती हैं। चूंकि उनका नाता भोपाल से हैं, लिहाजा वह भोपाल के दूरदर्शन में कई बार परफॉर्मेंस भी दे चुकी हैं। भोपाल की सर्वश्रेष्ठ क्लासिकल डांसर के तौर पर निधि को शिवराज सिंह चौहान सम्मानित भी कर चुके हैं।इसके अलावा निधि को वर्ष 2004 में सिंधि प्रतिभा के लिए नेशनल अवॉर्ड समेत कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
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पत्रकारों को राष्ट्रीय गौरव सम्मान विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने वालों का भी हुआ सम्मान पत्रकार सही मायने में समाज का सजग प्रहरी होता है। वह समाज में घटित होने वाली हर अच्छाई और बुराई से अवगत कराता है। अपनी कलम और कैमरे से सकारात्मक संदेश देकर राष्ट्र का मान भी बढ़ाता है। ऐसे में राष्ट्र का मान बढ़ाने वालों सम्मान समाज को नई ऊर्जा प्रदान करता है। पद्मश्री बाबा लक्खा सिंह ने यह बात कही। ग्वालियर में विजयाराजे सिंधिया फॉउंडेशन एवं अटल भारत स्पोर्ट्स एंड कल्चरल एसोसिएशन की ओर से बालभवन में आयोजित किये गए नेशनल गौरव अवॉर्ड सम्मान समारोह में बाबा लक्खा सिंह मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.केशव पाण्डेय ने की। जबकि मप्र पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष रघुराज कंषाना व सावित्री भदौरिया विशिष्ट अतिथि थे। मुख्य अतिथि श्री लक्खा सिंह ने कहा कि कोई भी व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में जब निःस्वार्थ भाव से सेवा करता है , तो वह स्वतः ही सम्मान का हकदार होता है। पत्रकारिता, चिकित्सा, शिक्षा, खेल, उद्योग, व समाज सेवा सहित विभिन्न क्षेत्र में कार्य करने वाले लोग समाज के लिए प्रेरणा बनते हैं और यही लोग वास्तविक रूप से समाज, के साथ प्रदेश और देश का मान बढ़ाते हैं। विशिष्ट अतिथि श्री कंषाना ने कहा कि राजमाता विजयाराजे सिंधिया फॉउंडेशन सेवा का संम्मान कर अनुकरणीय कार्य कर रहा है। इस तरह का सम्मान सेवा कार्य करने का उत्साह बढ़ाता है। इस दौरान जीवाराम मेमोरियल स्कूल के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। इस मौके पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट एवं अनुकरणीय कार्य करने वाली प्रतिभाओं और पेशेवरों को राष्ट्रीय गौरव सम्मान से सम्मानित किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम के प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। संस्था के संस्थापक दिलीप चंद यादव ने स्वागत भाषण दिया और सचिव नरेंद्र सिंह गुर्जर ने संस्था की गतिविधियों से अवगत कराया। संचालन आयुषी ने तथा आभार व्यक्त डॉ. केशव पाण्डेय ने किया। ---- इनका हुआ सम्मान डॉ. सैम्युल रेडी मोटिवेटर हैदराबाद, डॉ. चिंता रविंद्रा चिकित्सक आंध्रप्रदेश, पोसुरु रतनाम समाजसेवी तेलंगाना, वी श्रीनिवास नायक बिल्डर हैदराबाद, यरराम वैंकटा रेडी चिकित्सक विजयवाड़ा, डी कोंडा समैया वास्तुविद करीमनगर, पत्रकारगण राकेश अचल, देव श्रीमाली, रामविलास शर्मा, रवि शेखर, महेश गुप्ता, प्रमोद भार्गव, जोगेंद्र सेन, हरीश दुबे, लाजपत अग्रवाल, जितेंद सिंह जादौन, संदीप शर्मा, नासिर गौरी, विनोद शर्मा, समाज सेवी दीपक तोमर, खिलाड़ी नेहा पाण्डेय, अंश जादौन एवं सुबोध शर्मा सहित अन्य प्रतिभयों को सम्मानित किया गया।
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स्वस्थ शैली से तय होगी उन्नत जीवन की राह (प्रवीण कक्कड़) मनुष्य के विकास में उसकी जीवनशैली का बहुत बड़ा योगदान होता है। यह जीवनशैली उसके व्यक्तित्व को दर्शाती है जिसका स्वस्थ होना बहुत आवश्यक है। इसमें उसकी दिनचर्या से लेकर उसका खान-पान, सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक सब आता है। यदि, मनुष्य की जीवनशैली स्वस्थ होगी तो वह अपने कार्य पर पूर्ण रूप से ध्यान केंद्रित कर पाएगा लेकिन, यदि उसकी जीवनशैली सही नही हुई तो वह अपना पूरा ध्यान अपने लक्ष्य पर केन्द्रित नहीं कर पाएगा। स्वस्थ दिनचर्या से ही स्वस्थ शरीर और स्वस्थ शरीर से स्वस्थ जीवन का निर्माण होता है। इसलिए, मनुष्य को अपनी जीवनशैली पर बहुत अधिक ध्यान देने की जरूरत है। स्वस्थ जीवन शैली एक अच्छे जीवन की नींव है। हालांकि इस जीवनशैली को हासिल करने में ज्यादा मेहनत नहीं लगती लेकिन कई लोग व्यावसायिक प्रतिबद्धताओं, दृढ़ संकल्प की कमी और व्यक्तिगत मुद्दों जैसे कई कारणों से इसका पालन नहीं कर पाते हैं। आजकल एक स्वस्थ जीवन शैली का पालन करने के लिए बहुत दृढ़ संकल्प लेना पड़ता है। पूरे दिन के दौरान इतने सारे कार्यों को एक साथ पूरा करते हुए हमारा स्वास्थ्य का संतुलन अक्सर बिगाड़ जाता है। स्वस्थ जीवन शैली का पालन करने और उसे किस तरीके से हासिल किया जा सकता है यह समझना महत्वपूर्ण है। स्वस्थ जीवन शैली का अर्थ है स्वस्थ आहार खाने जैसी अच्छी आदतों का पालन करना, नियमित व्यायाम करना और रात में पर्याप्त नींद लेने के लिए समय निकालना। विभिन्न बीमारियों को दूर रखने और पूरी तरह से निरोगी जीवन जीने के लिए स्वस्थ जीवन शैली का पालन करना आवश्यक है। हमारे ऋषि-मुनि कह गए हैं, 'पहला सुख निरोगी काया, दूसरा सुख जेब में हो माया।' यदि काया अर्थात शरीर रोगी है तो आप धन कैसे कमाएंगे। यदि पहले से ही अपार धन है तो वह किसी काम का नहीं। धन से कोई रोग नहीं मिटता है। शरीर स्वस्थ और सेहतमंद है तभी तो आप जीवन का आनंद ले सकेंगे। घूमना-फिरना, हँसी-मजाक, पूजा-प्रार्थना, मनोरंजन आदि सभी कार्य अच्छी सेहत वाला व्यक्ति ही कर सकता है। अत: इसे समझना जरूरी है। यदि आप स्वस्थ हैं तो ही आपका जीवन है, अस्वस्थ काया में जीवन नहीं होता। व्यक्ति 4 कारणों से अस्वस्थ होता है: पहला मौसम-वातावरण से, दूसरा खाने-पीने से, तीसरा चिंता-क्रोध से और चौथा अनिद्रा से। मौसम और वातावरण आपके वश में नहीं, लेकिन घर और वस्त्र हों ऐसे कि वे आपको बचा लें। घर को आप वस्तु अनुसार बनाएं। हवा और सूर्य का प्रकाश भीतर किस दिशा से आना चाहिए, यह तय होना चाहिए ताकि वह आपके शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डाले। हमें स्वस्थ जीवन शैली जीने के लिए कई चीजों से बचना भी बहुत जरूरी है। इनमें उस तरह की प्रथाएं और आदतें शामिल हैं जो हमारे लिए और हमारे आसपास के लोगों, यानी समाज के लिए भी हानिकारक हैं। इस तरह की प्रथाओं और आदतों में जुआ, धूम्रपान, शराब पीना, ड्रग्स या कोई अन्य चीजें शामिल हैं जो एक लत में बदल सकती हैं। ये आदतें न केवल आपके लिए बल्कि आपके आस-पास के सभी लोगों के लिए हानिकारक हैं, क्योंकि व्यसन अस्वास्थ्यकर दृष्टिकोण और व्यवहार का कारण बनता है। अन्य अस्वास्थ्यकर प्रथाओं में भोजन छोड़ना और जंक फूड खाना शामिल है। स्वस्थ जीवन शैली के लाभ कई गुना हैं एक स्वस्थ जीवन जीने से आप लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं, जिसका अर्थ है कि आपको अपने परिवार के साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलता है। रोजाना व्यायाम करने से आपको एंडोर्फिन रिलीज करने में मदद मिलेगी और आपको खुशी महसूस करने में मदद मिलेगी। नियमित व्यायाम से आपकी त्वचा और बालों के स्वास्थ्य में भी सुधार होता है. साथ ही आपकी उपस्थिति भी बेहतर होती है। स्वस्थ जीवन शैली भी मुख्य रूप से आपके जीवन के लिए खतरनाक बीमारियों जैसे कैंसर, मधुमेह, आदि के जोखिम को कम करती है और हृदय गति रुकने की आपकी संवेदनशीलता को भी कम करती है। बॉक्स इन उपायों के साथ जीवनशैली स्वस्थ बनी रहेगी सुबह जल्दी उठना। ध्यान/मेडिटेशन करना। स्वस्थ जीवन शैली दिनचर्या में जरुरी है नियमित व्यायाम। अपने तनाव के स्तर को कम करना। सुबह का नाश्ता नियमित और अनिवार्य करना। स्वस्थ जीवन शैली अपनानी है तो हर दिन पर्याप्त नींद जरूर लेना। स्वस्थ और संतुलित आहार लेना।
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वरिष्ठ टीवी पत्रकार पलकी शर्मा द्वारा ‘जी मीडिया’ समूह के अंग्रेजी न्यूज चैनल 'विऑन' में मैनेजिंग एडिटर पद से इस्तीफा देने के बाद से उनकी नई पारी को लेकर तमाम कयास लगाए जा रहे हैं।अब मीडिया इंडस्ट्री में इस तरह की चर्चाएं हैं कि वह ‘नेटवर्क18’ समूह के साथ अपनी नई पारी शुरू कर सकती हैं। अंदरखाने के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वह यहां ‘नेटवर्क18’ समूह के किसी नए प्रोजेक्ट को लीड करेंगी। यह प्रोजेक्ट टीवी और डिजिटल दोनों के लिए शुरू होगा।सूत्रों का यह भी कहना है कि नेटवर्क प्रबंधन और पलकी शर्मा के बीच इस बारे में बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है। हालांकि, आधिकारिक रूप से अभी इस बारे में कहीं से पुष्टि नहीं हुई है। बता दें कि पलकी शर्मा ने पिछले दिनों 'विऑन' में मैनेजिंग एडिटर के पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपने प्राइम टाइम शो 'ग्रेविटास' के आखिरी एपिसोड की दो सितंबर को मेजबानी की थी। उन्हें इस साल मई में ही एग्जिक्यूटिव एडिटर से मैनेजिंग एडिटर के पद पर प्रमोट किया गया था। पिछले करीब तीन साल से पलकी शर्मा और विऑन एक-दूसरे के पर्याय बन गए थे। पलकी शर्मा को पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने का दो दशक से ज्यादा का अनुभव है। पूर्व में वह ‘दूरदर्शन न्यूज‘,‘हिन्दुस्तान टाइम्स‘,‘सीएनएन-आईबीएन‘ और ‘आईटीवी नेटवर्क‘ में भी अपनी जिम्मेदारी निभा चुकी हैं।तमाम अहम जिम्मेदारियों के अलावा वह अब तक कई राष्ट्राध्यक्षों समेत देश-विदेश की जानी-मानी हस्तियों का इंटरव्यू भी कर चुकी हैं और कई बड़े अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों को कवर कर चुकी हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें तमाम पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
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सहारा न्यूज नेटवर्क’ से एक बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है। दरअसल सहारा न्यूज नेटवर्क के सीईओ व एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए की है। हालांकि समाचार4मीडिया ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन खबर लिखे जाने तक उनसे संपर्क नहीं हो पाया है। ता दें कि वरिष्ठ पत्रकार उपेंद्र राय ने सितंबर, 2019 में सहारा समूह की मास मीडिया कंपनी से मेनस्ट्रीम मीडिया में वापसी की थी। उस दौरान उन्हें कंपनी में बतौर सीनियर एडवाइजर नियुक्त किया गया था। यहां इनकी ये दूसरी पारी थी। इसके बाद कंपनी ने उपेंद्र राय की जिम्मेदारी में परिवर्तन करते हुए उन्हें ‘सहारा न्यूज नेटवर्क’ के सीईओ व एडिटर-इन-चीफ की जिम्मेदारी सौंपी थी। गौरतलब है कि उपेन्द्र राय पूर्व में 'तहलका' समूह और सहारा समूह में सीईओ और एडिटर-इन-चीफ की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। वह 'बिजनेस वर्ल्ड' मैगजीन के साथ भी एडिटोरियल एडवाइजर के तौर पर जुड़े रह चुके हैं। राय ने अपने करियर की शुरुआत 1 जून, 2000 को लखनऊ में ‘राष्ट्रीय सहारा’ से की थी। उन्होंने यहां विभिन्न पदों पर काम किया और वे यहां सबसे कम उम्र के ब्यूरो चीफ बनकर मुंबई पहुंचे। इसके बाद वे साल 2002 में ‘स्टार न्यूज’ की लॉन्चिंग टीम का हिस्सा बने। वहां उन्हें दो साल से भी कम समय में वरिष्ठ संवाददाता बनने का मौका मिला। वहीं से 'सीएनबीसी टीवी18' में 10 अक्टूबर, 2004 को प्रमुख संवाददाता के रूप में जॉइन किया। बतौर विशेष संवाददाता उन्होंने अक्टूबर 2005 में 'स्टार न्यूज' (अब 'एबीपी न्यूज') में वापसी की और दो वर्षो के अंदर एक और पदोन्नति मिली और चैनल में सबसे युवा एसोसिएट एडिटर बन गए। फिर जनवरी 2010 से दिसंबर 2014 तक 'सहारा न्यूज नेटवर्क' में एडिटर और न्यूज डायरेक्टर की जिम्मेदारी संभाली। साथ ही वे इस दौरान प्रिंटर और पब्लिशर की भूमिका में भी रहे।
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पत्रकारों के बीमा प्रीमियम की बढ़ी हुई राशि शिवराज देंगे एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा पत्रकारों की बीमा राशि के बढ़े हुए प्रीमियम की राशि सरकार जमा करेगी,इसकी अवधि भी अब 16 सितम्बर से बढ़ाकर 30 सितम्बर कर दी गई है। मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा हमारे पत्रकार मित्र, समाज के महत्वपूर्ण अंग है। लोकतंत्र के आधार स्तंभ है। हमारी सरकार हमेशा पत्रकारों के साथ रही है। कोविड के पहले भी, कोविड के समय भी और कोविड के बाद भी! उन्होंने कहा आगे भी उनका जीवन सहजता और सरलता से चलता रहे और जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान करते रहें इसका सदैव प्रयास रहेगा।अभी इस दौरान अनेकों स्थान पर मुझे कई पत्रकार मित्रों ने कहा, कोविड काल में बीमा की बढ़ी हुई प्रीमियम की राशि सरकार ने भरी थी। अब वह प्रीमियम की राशि फिर बढ़ गई है। बढ़ी हुई राशि का व्यय सहन करने में कई तरह की परेशानियां रही है।इसलिए हमने तय किया है गत वर्ष के भांति इस वर्ष भी बीमा की बढ़ी हुई प्रीमियम की तरह पत्रकार मित्र नहीं भरेंगे, सरकार भरेगी।* मुख्यमंत्री ने कहा पत्रकार साथियों के मांग पर इसके फॉर्म भरने की तिथि को भी हमने 16 सितंबर से बढ़ाकर 30 सितंबर कर दिया है।
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वरिष्ठ पत्रकार रवि के वैश्य ने हिंदी न्यूज चैनल ‘जनतंत्र टीवी’ के साथ मीडिया में अपने नए सफर का आगाज किया है। उन्होंने यहां पर बतौर मैनेजिंग एडिटर जॉइन किया है। अपनी इस भूमिका में वह सीधे चेयरमैन को रिपोर्ट करेंगे। इससे पहले रवि के वैश्य फिल्म और टीवी प्रॉडक्शन हाउस ‘D-Wish Production’ में करीब सवा चार साल से बतौर एडिटर और डिजिटल हेड अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। ‘D-Wish Production’ के साथ उनकी यह दूसरी पारी थी। मीडिया से बातचीत में रवि के वैश्य ने बताया कि ‘जनतंत्र टीवी’ में उन्हें टीवी के साथ डिजिटल का दायित्व भी मिला है। अपनी इस भूमिका में वह डिजिटल को आगे बढ़ाने के साथ-साथ चैनल के विस्तार की दिशा में भी काम करेंगे। उन्होंने बताया कि चैनल की उत्तराखंड, यूपी, दिल्ली, छत्तीसगढ़ और पंजाब-हरियाणा में मौजूदगी है। जल्द ही बिहार और झारखंड में भी चैनल पहुंचेगा। इसके अलावा चैनल में जल्द ही अन्य बदलाव भी देखने को मिलेंगे। रवि के वैश्य पूर्व में ’अमर उजाला टीवी’ के हेड भी रह चुके हैं। हालांकि, यहां उनका कार्यकाल महज कुछ महीनों के लिए रहा था। उन्होंने अमर उजाला का डिजिटल टीवी लॉन्च करवाया था, जिसे प्रबंधन ने बाद में किन्हीं कारणों से बंद कर दिया था। रेजिडेंट एडिटर और कंसल्टेंट क्रिएटिव (डिजिटल हेड) के रूप में रवि के वैश्य ’एपीएन न्यूज’ में भी अपनी भूमिका निभा चुके हैं। इसके अलावा वह ‘टीवी टुडे नेटवर्क’ के हिंदी न्यूज चैनल ‘आजतक’ के साथ भी काम कर चुके हैं। ‘आजतक’ में अपनी करीब साढ़े पांच साल की पारी के दौरान वह क्राइम शो ‘वारदात‘ के प्रोड्यूसर और स्पेशल करेसपॉन्डेंट रहे। उन्होंने ही देश को पहला डेली क्राइम शो ‘क्राइम रिपोर्टर’ दिया था। वर्तमान में खुद को पूरी तरह से डिजिटल स्ट्रैटेजिस्ट के तौर पर स्थापित कर चुके रवि के वैश्य ने टीवी पत्रकारिता की शुरुआत ‘जी न्यूज’ से की थी। करीब सात साल तक उन्होंने यहां पर अपनी भूमिका निभाई। ‘जी’ में अपनी पारी के दौरान वह उत्तराखंड और चेन्नई ब्यूरो संभाल चुके हैं। रवि के वैश्य की पहचान एक खोजी पत्रकार के रूप में रही है। उन्होंने काफी दिनों तक साउथ अफ्रीका में रहकर ड्रग्स ट्रैफिकिंग पर भी स्टोरी की है। वह पूर्व दस्यु सुंदरी फूलन देवी पर सीरीज भी तैयार कर चुके हैं। खोजी पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। रवि के वैश्य के अनुसार उन्होंने वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा को सबसे पहले कवर किया। इसके लिए उनकी इनसाइड स्टोरी के साथ-साथ ‘आजतक’ की टीम को नेशनल टेलिविजन अवॉर्ड भी मिल चुका है। मूल रूप से बरेली के रहने वाले रवि के वैश्य को पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने का करीब तीन दशक का अनुभव है। बरेली कॉलेज से ग्रेजुएट रवि के. वैश्य ने बरेली में ही ‘IASE Rohilkhand University’ से इलेक्ट्रॉनिक जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा किया है। इसके अलावा उन्होंने हरियाणा में हिसार स्थित ‘गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी’ से मास कम्युनिकेशन में मास्टर्स की डिग्री ली है। दख़ल. नेट की ओर से रवि के वैश्य को उनके नए सफर के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
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(प्रवीण कक्कड़) हिंदू संस्कृति में पितृ पक्ष का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व पितरों यानि पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए मनाया जाता है। यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष के सोलह दिनों तक मनाया जाता है। पितृ पक्ष लोगो द्वारा अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। पितृ पक्ष के पर्व में लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने के लिए कई सारे प्रमुख स्थलों पर जाते है। इसके दौरान लोग अपने पूर्वजों का स्मरण करते हुए श्रद्धाभाव से सभी धार्मिक रीती रिवाजों का पालन करते है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों की पूजा पाठ और श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। सरल शब्दों में कहें तो श्राद्ध पक्ष पूर्वजों के आदेशों को याद करने का समय है। उन्होंने अपने जीवन काल में जो मूल्य स्थापित के उन मूल्यों को आगामी पीढ़ी के लिए सहेजने और युवाओं को उससे अवगत कराने का समय श्राद्ध पक्ष है। हिन्दू धर्म में पूर्वजों की सेवा को सबसे बड़ी पूजा माना गया है। इसलिए हिंदू धर्म शास्त्रों में पितरों का उद्धार करने के लिए अनिवार्यता मानी गई हैं। पूर्वजों को मृत्यु-उपरांत लोग विस्मृत न कर दें, इसलिए उनका श्राद्ध करने का विशेष विधान बताया गया है। भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृपक्ष कहते हैं जिसमे हम अपने पूर्वजों की सेवा करते हैं। आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक ब्रह्माण्ड की ऊर्जा तथा उस उर्जा के साथ पितृप्राण पृथ्वी पर व्याप्त रहता है। धार्मिक ग्रंथों में मृत्यु के बाद आत्मा की स्थिति का बड़ा सुन्दर और वैज्ञानिक विवेचन भी मिलता है। पितृपक्ष में जो तर्पण किया जाता है उससे वह पितृप्राण स्वयं आप्यापित होता है। पुत्र या उसके नाम से उसका परिवार जो यव (जौ) तथा चावल का पिण्ड देता है, उसमें से अंश लेकर वह अम्भप्राण का ऋण चुका देता है। ठीक आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से वह चक्र उर्ध्वमुख होने लगता है। 16 दिन अपना-अपना भाग लेकर शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से पितर उसी ब्रह्मांडीय उर्जा के साथ वापस चले जाते हैं। इसलिए इसको पितृपक्ष कहते हैं और इसी पक्ष में श्राद्ध करने से पित्तरों को प्राप्त होता है। पुराणों में कई कथाएँ इस उपलक्ष्य को लेकर हैं जिसमें कर्ण के पुनर्जन्म की कथा काफी प्रचलित है। एवं हिन्दू धर्म में सर्वमान्य श्री रामचरित में भी श्री राम के द्वारा श्री दशरथ और जटायु को गोदावरी नदी पर जलांजलि देने का उल्लेख है एवं भरत जी के द्वारा दशरथ हेतु दशगात्र विधान का उल्लेख भरत कीन्हि दशगात्र विधाना तुलसी रामायण में हुआ है। भारतीय धर्मग्रंथों के अनुसार मनुष्य पर तीन प्रकार के ऋण प्रमुख माने गए हैं- पितृ ऋण, देव ऋण तथा ऋषि ऋण। इनमें पितृ ऋण सर्वोपरि है। पितृ ऋण में पिता के अतिरिक्त माता तथा वे सब बुजुर्ग भी सम्मिलित हैं, जिन्होंने हमें अपना जीवन धारण करने तथा उसका विकास करने में सहयोग दिया। पितृपक्ष में सनातन व्यक्ति मन कर्म एवं वाणी से संयम का जीवन जीते हैं; पितरों को स्मरण करके जल चढाते हैं; निर्धनों एवं ब्राह्मणों को दान देते हैं। पितृपक्ष में प्रत्येक परिवार में मृत माता-पिता का श्राद्ध किया जाता है, मैं यह कहना चाहूंगा कि दान और भोज तो अपनी जगह धार्मिक महत्व लिए हुए हैं लेकिन श्राद्ध पक्ष वह समय है जब हम अपने पूर्वजों के आदर्शों को याद कर सकते हैं युवा पीढ़ी को पूर्वजों के आदेशों और संघर्षों से अवगत करा सकते हैं। जिस से आने वाली पीढ़ी को यह पता रहे कि वह किस विरासत के साथ वे दुनिया में आए हैं। हमारे धर्म-दर्शन के अनुसार जिस प्रकार जिसका जन्म हुआ है, उसकी मृत्यु भी निश्चित है; उसी प्रकार जिसकी मृत्यु हुई है, उसका जन्म भी निश्चित है। ऐसे कुछ विरले ही होते हैं जिन्हें मोक्ष प्राप्ति हो जाती है। पितृपक्ष में तीन पीढ़ियों तक के पिता पक्ष के तथा तीन पीढ़ियों तक के माता पक्ष के पूर्वजों के लिए तर्पण किया जाता हैं। इन्हीं को पितर कहते हैं। दिव्य पितृ तर्पण, देव तर्पण, ऋषि तर्पण और दिव्य मनुष्य तर्पण के पश्चात् ही स्व-पितृ तर्पण किया जाता है। भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृपक्ष कहते हैं। जिस तिथि को पूर्वज का देहांत होता है, उसी तिथी को पितृपक्ष में उनका श्राद्ध किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में अपने पितरों के निमित्त जो अपनी शक्ति सामर्थ्य के अनुरूप शास्त्र विधि से श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करता है, उसके सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं और घर-परिवार, व्यवसाय तथा आजीविका में हमेशा उन्नति होती है। सामान्य बोलचाल में श्राद्ध पक्ष को सिर्फ मरे हुये लोगों का काल कहा जाता है लेकिन यह धारणा सही नहीं है। श्राद्ध दरअसल अपने अस्तित्व से, अपने मूल से रूबरू होने और अपनी जड़ों से जुड़ने, उसे पहचानने और सम्मान देने की एक सामाजिक प्रक्रिया है। हम शादी पक्षों में अपने पूर्वजों को याद करें। उनके आदर्शों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाएं और समाज में भारतवर्ष के वही मूल्य स्थापित करें, जिसके कारण हम विश्व गुरु के रूप में जाने जाते हैं।
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(प्रवीण कक्कड़) हिंदू संस्कृति में पितृ पक्ष का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व पितरों यानि पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए मनाया जाता है। यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष के सोलह दिनों तक मनाया जाता है। पितृ पक्ष लोगो द्वारा अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। पितृ पक्ष के पर्व में लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने के लिए कई सारे प्रमुख स्थलों पर जाते है। इसके दौरान लोग अपने पूर्वजों का स्मरण करते हुए श्रद्धाभाव से सभी धार्मिक रीती रिवाजों का पालन करते है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों की पूजा पाठ और श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। सरल शब्दों में कहें तो श्राद्ध पक्ष पूर्वजों के आदेशों को याद करने का समय है। उन्होंने अपने जीवन काल में जो मूल्य स्थापित के उन मूल्यों को आगामी पीढ़ी के लिए सहेजने और युवाओं को उससे अवगत कराने का समय श्राद्ध पक्ष है। हिन्दू धर्म में पूर्वजों की सेवा को सबसे बड़ी पूजा माना गया है। इसलिए हिंदू धर्म शास्त्रों में पितरों का उद्धार करने के लिए अनिवार्यता मानी गई हैं। पूर्वजों को मृत्यु-उपरांत लोग विस्मृत न कर दें, इसलिए उनका श्राद्ध करने का विशेष विधान बताया गया है। भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृपक्ष कहते हैं जिसमे हम अपने पूर्वजों की सेवा करते हैं। आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक ब्रह्माण्ड की ऊर्जा तथा उस उर्जा के साथ पितृप्राण पृथ्वी पर व्याप्त रहता है। धार्मिक ग्रंथों में मृत्यु के बाद आत्मा की स्थिति का बड़ा सुन्दर और वैज्ञानिक विवेचन भी मिलता है। पितृपक्ष में जो तर्पण किया जाता है उससे वह पितृप्राण स्वयं आप्यापित होता है। पुत्र या उसके नाम से उसका परिवार जो यव (जौ) तथा चावल का पिण्ड देता है, उसमें से अंश लेकर वह अम्भप्राण का ऋण चुका देता है। ठीक आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से वह चक्र उर्ध्वमुख होने लगता है। 16 दिन अपना-अपना भाग लेकर शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से पितर उसी ब्रह्मांडीय उर्जा के साथ वापस चले जाते हैं। इसलिए इसको पितृपक्ष कहते हैं और इसी पक्ष में श्राद्ध करने से पित्तरों को प्राप्त होता है। पुराणों में कई कथाएँ इस उपलक्ष्य को लेकर हैं जिसमें कर्ण के पुनर्जन्म की कथा काफी प्रचलित है। एवं हिन्दू धर्म में सर्वमान्य श्री रामचरित में भी श्री राम के द्वारा श्री दशरथ और जटायु को गोदावरी नदी पर जलांजलि देने का उल्लेख है एवं भरत जी के द्वारा दशरथ हेतु दशगात्र विधान का उल्लेख भरत कीन्हि दशगात्र विधाना तुलसी रामायण में हुआ है। भारतीय धर्मग्रंथों के अनुसार मनुष्य पर तीन प्रकार के ऋण प्रमुख माने गए हैं- पितृ ऋण, देव ऋण तथा ऋषि ऋण। इनमें पितृ ऋण सर्वोपरि है। पितृ ऋण में पिता के अतिरिक्त माता तथा वे सब बुजुर्ग भी सम्मिलित हैं, जिन्होंने हमें अपना जीवन धारण करने तथा उसका विकास करने में सहयोग दिया। पितृपक्ष में सनातन व्यक्ति मन कर्म एवं वाणी से संयम का जीवन जीते हैं; पितरों को स्मरण करके जल चढाते हैं; निर्धनों एवं ब्राह्मणों को दान देते हैं। पितृपक्ष में प्रत्येक परिवार में मृत माता-पिता का श्राद्ध किया जाता है, मैं यह कहना चाहूंगा कि दान और भोज तो अपनी जगह धार्मिक महत्व लिए हुए हैं लेकिन श्राद्ध पक्ष वह समय है जब हम अपने पूर्वजों के आदर्शों को याद कर सकते हैं युवा पीढ़ी को पूर्वजों के आदेशों और संघर्षों से अवगत करा सकते हैं। जिस से आने वाली पीढ़ी को यह पता रहे कि वह किस विरासत के साथ वे दुनिया में आए हैं। हमारे धर्म-दर्शन के अनुसार जिस प्रकार जिसका जन्म हुआ है, उसकी मृत्यु भी निश्चित है; उसी प्रकार जिसकी मृत्यु हुई है, उसका जन्म भी निश्चित है। ऐसे कुछ विरले ही होते हैं जिन्हें मोक्ष प्राप्ति हो जाती है। पितृपक्ष में तीन पीढ़ियों तक के पिता पक्ष के तथा तीन पीढ़ियों तक के माता पक्ष के पूर्वजों के लिए तर्पण किया जाता हैं। इन्हीं को पितर कहते हैं। दिव्य पितृ तर्पण, देव तर्पण, ऋषि तर्पण और दिव्य मनुष्य तर्पण के पश्चात् ही स्व-पितृ तर्पण किया जाता है। भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृपक्ष कहते हैं। जिस तिथि को पूर्वज का देहांत होता है, उसी तिथी को पितृपक्ष में उनका श्राद्ध किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में अपने पितरों के निमित्त जो अपनी शक्ति सामर्थ्य के अनुरूप शास्त्र विधि से श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करता है, उसके सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं और घर-परिवार, व्यवसाय तथा आजीविका में हमेशा उन्नति होती है। सामान्य बोलचाल में श्राद्ध पक्ष को सिर्फ मरे हुये लोगों का काल कहा जाता है लेकिन यह धारणा सही नहीं है। श्राद्ध दरअसल अपने अस्तित्व से, अपने मूल से रूबरू होने और अपनी जड़ों से जुड़ने, उसे पहचानने और सम्मान देने की एक सामाजिक प्रक्रिया है। हम शादी पक्षों में अपने पूर्वजों को याद करें। उनके आदर्शों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाएं और समाज में भारतवर्ष के वही मूल्य स्थापित करें, जिसके कारण हम विश्व गुरु के रूप में जाने जाते हैं।
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टीवी9 भारतवर्ष’ जॉइन हुई कीर्ति सक्सेना न्यूज24’ से खबर है कि यहां कीर्ति सक्सेना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वे यहां डिजिटल में सोशल मीडिया को हेड कर रही थीं। फिलहाल ‘न्यूज24’ से अलग होकर उन्होंने ‘टीवी9 भारतवर्ष’ जॉइन किया है, जहां वे सीनियर सोशल मीडिया एसोसिएट की जिम्मेदारी संभालेंगी। भारतीय विद्या भवन से टीवी प्रॉडक्शन में पीजी डिप्लोमा करने वाली कीर्ति ने ‘न्यूज24’ में पांच वर्षों तक अपना योगदान दिया। यहां वे ग्रुप के ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, फेसबुक अकाउंट्स को हैंडल करती थीं। साथ ही यहां रहते हुए उन्हें एंकरिंग में भी हाथ आजमाएं। कीर्ति इससे पहले ‘इंडिया टीवी’ और ‘फोकस न्यूज’ में भी काम कर चुकी हैं। कुल दस वर्षों से वे मीडिया फील्ड में एक्टिव हैं।
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100 एपिसोड पूरे हुए तीन ताल के इंडिया टुडे’ समूह के ऑफिशियल पॉडकास्ट प्लेटफॉर्म ‘आजतक रेडियो’ पर प्रसारित होने वाले ऑरिजनल पॉडकास्ट ‘तीन ताल’ के नाम एक खास उपलब्धि जुड़ने जा रही है। दरअसल, 10 सितंबर को इस शो के 100 एपिसोड पूरे होने जा रहे हैं। इस साप्ताहिक रेडियो पॉडकास्ट को वरिष्ठ पत्रकार और ‘इंडिया टुडे‘ समूह के न्यूज डायरेक्टर (डिजिटल) कमलेश किशोर, ‘आजतक‘ के एग्जिक्यूटिव एडिटर पाणिनि आनंद और ‘इंडिया टुडे‘ के एसोसिएट एडिटर कुलदीप मिश्रा होस्ट करते हैं। इस शो में उन्हें ’ताऊ’, ’बाबा’ और ’सरदार’ के उपनाम (निकनेम) से जाना जाता है। डेढ़ घंटे के इस शो पर तीनों वरिष्ठ पत्रकार मिलकर प्रत्येक शनिवार को राजनीतिक, सामाजिक, सोशल मीडिया पर वायरल कंटेंट, फूड, मूवीज समेत तमाम अहम मुद्दों पर बेहद ही रोचक तरीके से चर्चा करते हैं, जो लोगों को काफी पसंद आता है। सोशल मीडिया पर भी इस शो को काफी पसंद किया जाता है और लोग इस पर तरह-तरह के मीम्स बनाते रहते हैं। इस शो के सौ एपिसोड पूरे होने पर इसकी सफलता का जश्न मनाने के लिए 10 सितंबर को इंडिया टुडे ऑडिटोरियम में ‘तीन ताल सम्मेलन’ का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम में श्रोताओं को अपने पसंदीदा होस्ट से मिलने और उनसे बातचीत करने का मौका मिलेगा। इसके साथ ही वे रिकॉर्डिंग रूम में कैसे काम होता है, यह भी देख सकते हैं। बता दें कि अपनी शुरुआत के बाद से ‘आजतक रेडियो’ 23 पॉडकास्ट प्रड्यूस कर चुका है, जिनमें छह दैनिक, आठ साप्ताहिक और नौ आर्काइव्ड शो शामिल हैं, जिन्हें कभी भी सुना जा सकता है। ‘आजतक रेडियो’ हर हफ्ते 58 एपिसोड तैयार करता है, जिनमें 15 घंटे की ऑडियो प्रोग्रामिंग होती है। इस बारे में ‘इंडिया टुडे’ समूह की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी का कहना है, ‘आजतक रेडियो प्रभावशाली स्टोरीटेलिंग के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का एक और उदाहरण है, जो देश भर के श्रोताओं के लिए सुलभ, आकर्षक और प्रामाणिक है। ‘तीन ताल’ में मजाकिया अंदाज में जिस ईमानदारी से तमाम मुद्दों को लोगों के सामने रखा जाता है, वह उन्हें काफी पसंद आता है। इस शो को लोगों का जो प्यार मिला है, वह वाकई जबर्दस्त है।’
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बता दें कि मनोज मनु इससे पहले भी ‘आईटीवी नेटवर्क’ में एग्जिक्यूटिव एडिटर के तौर पर अपनी भूमिका निभा चुके हैं। करीब नौ महीने पहले उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी कारणों से यहां से बाय बोल दिया था। फिलहाल वह बंगाल की मीडिया कंपनी 'आरपी टेलिविजन' के साथ बतौर एडिटर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। यह कंपनी दिल्ली में अपना चैनल लॉन्च करने की तैयारी में है। 'कोलकाता टीवी' समेत बंगाल में इस मीडिया कंपनी के तीन चैनल्स हैं। गौरतलब है कि ‘आईटीवी नेटवर्क‘ में अपनी पहली पारी से पहले मनोज मनु ‘सहारा न्यूज नेटवर्क’ में ग्रुप एडिटर के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। मूल रूप से ग्वालियर (मध्य प्रदेश) के रहने वाले मनोज मनु ने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत हिंदी दैनिक ‘स्वदेश’ से की और फिर ‘दैनिक भास्कर’ में काम किया। इसके बाद वह दिल्ली आ गए और वर्ष 2003 से ‘सहारा’ के साथ जुड़े हुए थे। इस नेटवर्क में छह चैनल हैं, जिनकी कमान मनोज मनु के हाथों में थी। दखल डॉट नेट की ओर से मनोज मनु को नई पारी के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
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बता दें कि मनोज मनु इससे पहले भी ‘आईटीवी नेटवर्क’ में एग्जिक्यूटिव एडिटर के तौर पर अपनी भूमिका निभा चुके हैं। करीब नौ महीने पहले उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी कारणों से यहां से बाय बोल दिया था। फिलहाल वह बंगाल की मीडिया कंपनी 'आरपी टेलिविजन' के साथ बतौर एडिटर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। यह कंपनी दिल्ली में अपना चैनल लॉन्च करने की तैयारी में है। 'कोलकाता टीवी' समेत बंगाल में इस मीडिया कंपनी के तीन चैनल्स हैं। गौरतलब है कि ‘आईटीवी नेटवर्क‘ में अपनी पहली पारी से पहले मनोज मनु ‘सहारा न्यूज नेटवर्क’ में ग्रुप एडिटर के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। मूल रूप से ग्वालियर (मध्य प्रदेश) के रहने वाले मनोज मनु ने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत हिंदी दैनिक ‘स्वदेश’ से की और फिर ‘दैनिक भास्कर’ में काम किया। इसके बाद वह दिल्ली आ गए और वर्ष 2003 से ‘सहारा’ के साथ जुड़े हुए थे। इस नेटवर्क में छह चैनल हैं, जिनकी कमान मनोज मनु के हाथों में थी। दखल डॉट नेट की ओर से मनोज मनु को नई पारी के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
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वरिष्ठ पत्रकार पलकी शर्मा उपाध्याय ने ‘जी मीडिया’ समूह के अंग्रेजी न्यूज चैनल 'विऑन' से अपने इस्तीफे के खबर पर मुहर लगा दी है। इस बारे में उन्होंने एक ट्वीट किया है। अपने ट्वीट में पलकी शर्मा ने लिखा है, ‘यह अब खबर नहीं है, लेकिन फिर भी बता दूं कि मैंने विऑन में अपने साढ़े पांच साल के सफर को विराम दे दिया है। इस दौरान मैं आपके सभी संदेशों और शुभकामनाओं से अभिभूत हूं। नई पारी का विवरण शेयर करने के लिए मैं इंतजार नहीं कर सकती हूं! बता दें कि पलकी शर्मा ने पिछले दिनों 'विऑन' में मैनेजिंग एडिटर के पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपने प्राइम टाइम शो 'ग्रेविटास' के आखिरी एपिसोड की दो सितंबर को मेजबानी की थी। उन्हें इस साल मई में ही एग्जिक्यूटिव एडिटर से मैनेजिंग एडिटर के पद पर प्रमोट किया गया था। पिछले करीब तीन साल से पलकी शर्मा और विऑन एक दूसरे के पर्याय बन गए थे। माना जा रहा है कि पलकी शर्मा ‘सीएनएन न्यूज18’ या ‘इंडिया टुडे’ ग्रुप जॉइन कर सकती हैं। हालांकि, फिलहाल इस बारे में पुख्ता तौर पर कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी। पलकी शर्मा उपाध्याय को पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने का दो दशक से ज्यादा का अनुभव है। पूर्व में वह ‘दूरदर्शन न्यूज‘,‘हिन्दुस्तान टाइम्स‘,‘सीएनएन-आईबीएन‘ और ‘आईटीवी नेटवर्क‘ में भी अपनी जिम्मेदारी निभा चुकी हैं।
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- प्रवीण कक्कड़ जिस प्रकार एक शिल्पकार पत्थर को आकार देता है और कच्ची मिट्टी को तपाकर उसके विकारों को दूर करता है। ठीक उसी प्रकार एक शिक्षक भी छात्रों के अवगुणों को दूर कर काबिल बनाता है। एक शिक्षक ही है जो मनुष्य को सफलता की बुलंदियों तक पहुंचाता है और जीवन में सही गलत को परखने का तरीका सिखाता है। जैसे एक मजबूत भवन के लिए पक्की नींव जरूरी है, वैसे ही हमें बेहतर जीवन के लिए शिक्षक का सानिध्य और मार्गदर्शन जरूरी है। शिक्षक छात्र के जीवन को मूल्यवान बनाता है। शिक्षक समाज में नैतिक मूल्यों और आदर्श नागरिकों का निर्माण करते हैं। भारत में प्रतिवर्ष शिक्षकों के सम्मान में 5 सितंबर को टीचर्स डे मनाया जाता है। इस दिन शिक्षकों को समाज के विकास में उनके अनकहे योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है। ज्ञान ही इंसान को जीने योग्य जीवन की सीख देता है। शिक्षक ज्ञान का वह अविरल स्रोत है, जो लाखों छात्रों के भाग्य का निर्माण करता है। वह ज्ञान का एक ऐसा भंडार है, जो दूसरों को बनाने में स्वयं मिट जाता है। कहा जाता है कि, एक बच्चे के जन्म के बाद उसकी मां पहली गुरू होती है, जो अक्षरों का बोध कराती है। वहीं दूसरे स्थान पर शिक्षक होते हैं, जो हमें काबिल बनाते हैं और सांसारिक बोध कराते हैं। जिंदगी के इम्तिहान में शिक्षकों के सिखाए गए सबक हमें सफलता की बुलंदियों पर ले जाते हैं। प्राचीन काल से ही गुरुओं का हमारे जीवन में विशेष योगदान रहा। 5 सितंबर को भारत देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ राधा कृष्णन का जन्म हुआ था। वह एक महान दार्शनिक शिक्षक भी थे और शिक्षा के क्षेत्र में उनका अहम लगाव था। उन्होंने 40 साल तक शिक्षक के रूप में कार्य किया। वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति का भी पदभार संभाल चुके हैं। अपने जीवन काल के दौरान वह एक मेधावी छात्र, प्रसिद्ध शिक्षक, एक बहुप्रसिद्ध लेखक और प्रसाशक भी रहे। साथ ही अपनी प्रतिभा के दम पर ही वह देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति बने। इतने ऊंचे पद पर रहने के बावजूद डॉक्टर साहब की सादगी देखने लायक थी। रामधारी सिंह दिनकर ने अपनी एक पुस्तक में डॉ. साहब के जीवन से जुड़े एक किस्से का उल्लेख किया है। जब राधा कृष्णन मॉस्को में भारत के राजदूत थे, तब स्टालिन काफी लंबे समय तक उनसे मुलाकात के लिए राजी नहीं हुए। अंत में दोनों की मुलाकात हुई तो, डॉ. साहब ने स्टालिन को एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि हमारे देश में एक राजा था, जो बड़ा अत्याचारी और क्रूर किस्म का था। उसने काफी खून खराबा मचाया और उसी रक्त के आधार पर प्रगति की। किंतु एक युद्ध में उसके भीतर के ज्ञान को जगा दिया और तभी से उसने शांति और अहिंसा की राह को पकड़ लिया। स्टालिन आप भी उसी रास्ते पर क्यों नहीं आ जाते, स्टालिन ने राधा कृष्णन की इस बात पर कोई ऐतराज नहीं किया और वह मुस्कुरा उठे। इससे आप उनके लोकप्रियता का अंदाजा लगा सकते हैं। किसी भी देश के बेहतर भविष्य का निर्माण उस देश के शिक्षकों के जिम्मे रहता है। वे उस देश के नागरिक को सफलता की बुलंदियों पर पहुंचाने का रास्ता दिखाने का काम करते हैं। साथ हीं उन्हें सही और गलत को परखने का तरीका भी बताते हैं। इस तरह इंसान की पहली गुरु उसकी मां कही जाती है, जबकि शिक्षक उसे सांसारिक बोध कराने यानी जीवन में आगे बढ़ने का सही मार्गदर्शन करता है। शिक्षक के इसी महत्व को देखते हुए हमारे देश में हर साल शिक्षक दिवस मनाया जाता है। शिक्षक दिवस का महत्व किसी भी देश का उज्जवल भविष्य उस देश के शिक्षकों पर निर्भर करता है। वे युवाओं को सही दिशा में बढ़ने और सही रास्ता दिखाने का काम करते हैं। वे ही अपनी शाला में देश के नेताओं, डॉक्टर, इंजीनियर, किसान, शिक्षक, व्यवसाइयों की नींव डालते हैं और देश की नियति को सही आकार देते हैं। इसके अलावा, समाज में नैतिक और आदर्श नागरिकों के निर्माण में भी उनका अभिन्न योगदान होता है। इतनी बड़ी भूमिका निभाने वाले शिक्षकों को सम्मान देने के लिए यह दिन मनाया जाता है।
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पलकी शर्मा उपाध्याय का ‘विऑन’के मैनेजिंग एडिटर के पद से इस्तीफा ने मीडिया इंडस्ट्री के गलियारों में हलचल पैदा कर दी है।विऑन की मैनेजिंग एडिटर पलकी शर्मा के इस्तीफे के बाद ‘इंडिया अहेड’ के एडिटर-इन-चीफ व उनके पूर्व सहयोगी भूपेंद्र चौबे ने भी ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। अपने ट्वीट में उन्होंने कहा कि पलकी शर्मा ने भारत में अंतरराष्ट्रीय न्यूज कवरेज की धारणा को ही बदलकर रख दिया है। अतीत में उनके साथ काम करने के बाद अपने अनुभव के आधार पर मैं यह कह सकता हूं कि वह काफी लंबा सफर तय करेंगी। बड़े मीडिया हाउस हमेशा ही उन प्रतिभाओं को जोड़े रखने चाहता हैं, जिन्होंने अपने दम पर एक नई पहचान बनायी है। हालांकि कई मामलों में यह पहचान उनकी ब्रैंड से भी बड़ी हो जाती है। जैसा कि समाचार4मीडिया ने पहले ही बता चुका है कि आज शुक्रवार दोपहर 2 बजे ‘विऑन’ टीम के साथ हुई मीटिंग में उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा की। फिलहाल वे आज रात अपने प्राइम टाइम शो 'ग्रेविटास' के आखिरी एपिसोड की मेजबानी करेंगी। गौरतलब है कि पलकी शर्मा दुनिया भर की खबरों को कवर करने में काफी आगे रहती हैं। रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष पर उनकी रिपोर्ट की न केवल दुनिया भर के दर्शकों द्वारा, बल्कि भारत में यूक्रेन के राजदूत इगोर पोलिखा जैसे विश्व नेताओं द्वारा भी सराहना की गई है।
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स्थिति गंभीर , अस्पताल में चल रहा है इलाज मुंगावली में पत्रकार स्वदेश शर्मा पर जानलेवा हमला करने का मामला सामने आया है कवरेज करने गए पत्रकार पर लोगों ने जानलेवा हमला कर दिया ... मारपीट के साथ पत्रकार पर झूठा प्रकरण भी दर्ज कर लिया गया है वहीं बुरी तरह घायल पत्रकार को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है एक निजी चैनल के रिपोर्टर स्वदेश शर्मा पर कुछ लोगों ने जानलेवा हमला कर दिया स्वदेश शर्मा ने मुंगावली थाना प्रभारी को हमले की आशंका जताई थी जिसके बाद भी सिर्फ एक कॉन्स्टेबल घटनास्थल पर भेजा गया जो कि मूकदर्शक बनकर वीडियो बनाता रहा पीड़ित पत्रकार ने आरोप लगाया है कि दशरथ यादव और उसके परिवार के सदस्यों ने हथियार से लैस होकर हमला किया पत्रकार के साथ उसके पूरे परिवार के छोटे-छोटे बच्चों तक को बेरहमी से पीटा गया और यह धमकी दी गई है कि आगे अगर कोई कार्रवाई की गई तो परिवार को इसका अंजाम देखना पड़ेगा पत्रकार पर झूठा प्रकरण भी दर्ज करने की खबर सामने आई है स्वदेश शर्मा की स्थिति गंभीर है जिनको इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है
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स्वरूपानंद सरस्वती जी के प्राकट्योत्सव में हुए शामिल पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को लेकर भाजपा कितनी ही टीका टिपण्णी करे लेकिन कमलनाथ की हिंदुत्व में आस्था किसी से छिपी नहीं है कमलनाथ परमहंसी आश्रम पहुंचे और जगतगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी के 99वें प्राकट्योत्सव एवं शताब्दी प्रवेश वर्ष महोत्सव में शामिल हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को जब अवसर मिलता है वे धर्म कर्म में लगे नजर आते हैं आज भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सांसद नकुलनाथ एवं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति गोटेगांव स्थित परमहंसी झोतेश्वर आश्रम में जगतगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी के 99वें प्राकट्योत्सव एवं शताब्दी प्रवेश वर्ष महोत्सव में शामिल हुए इस दौरान कमलनाथ अपने धार्मिक अंदाज में नजर आये कमलनाथ के धर्म कर्म में व्यस्त होने पर भाजपा हमेशा टीका टिपण्णी करती रही है लेकिन कमलनाथ इस सब से बेफिक्र नजर आते हैं
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अलीम बजमी प्रशांत: नाम की तरह ही व्यक्तिव, लेखन भी आतिशी-रेशमी आज उसकी जयंती है। पुण्य स्मरण। विनम्र श्रद्धांजलि। आज हर दिल अजीज प्रशांत कुमार की जयंती है। गत 23 जून 2002 को उसकी पुण्य तिथि थीं। दोस्त की याद में कैफियत ठीक नहीं हैं। प्रशांत से जुड़ी ढेर सारी यादें आंखों के सामने घूम रही हैं। भोपाल दैनिक भास्कर के न्यूज रुम के भीतर और बाहर की मधुर स्मृतियां हैं। मेरा एक सच्चा दोस्त, सबका हमदर्द, भरोसेमंद साथी बहुत जल्द साथ छोड़कर चला गया। उसे विनम्र श्रद्धांजलि। फेस बुक पर पूर्व में लिखी पोस्ट शेयर कर रहा हूं। प्रशांत कुमार। शानदार इंसान। अच्छा पत्रकार। दोस्तों का मददगार। आंखों पर गोल। लेकिन बड़े फ्रेम का चश्मा। घुंघराले बाल। हमेशा मुस्कुराते रहना। उसकी पहचान। खबरों के कारण आम-खास में लोकप्रिय। लेखन कभी रेश्मी तो कभी आतिशी। चापलूसों की जमात से बहुत दूर। पत्रकारिता के ग्लैमर में कभी न तो खुद को बांधा। न ही अखबार नवीसों के किसी गिरोह से नाता रखा। पत्रकारिता के क्षेत्र में अलग पहचान बनाई। न किसी का पिछलग्गू बना। न ही किसी की छाप लगने दी। इसको लेकर सत्ता के गलियारों से मंत्रालय तक था, सिर्फ भ्रम। क्या नेता- क्या अफसर। सबके बीच खुसूरपुसर रहती। कुछ पूछते कि यार, यह किसका खास है। कौन सी विचारधारा का है? दरअसल उसका लेखन ही ऐसा था कि वह सबके करीब था। लेकिन यह सच नहीं। जीहां, हुजूर। यकीन मानिए। कुछ लोगों को तो गलतफहमी होगी। वे कोई किस्सा और कहानी गढ़ सकते हैं। किस्सा गो की तरह सुना भी सकते है। हकीकत यह है कि वे सिर्फ और सिर्फ पत्रकार था। आम आदमी की आवाज था। सामाजिक सरोकारों का पैरोकार था। मेहनतकश, मजलूम, मासूम और बेबस, बेसहारा की आवाज बुलंद करता। कर्मचारी वर्ग हो या राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता। सब उसे जानते। मौका मिलता तो ऐसी जमात से वे खूब बतियाता। तभी तो उसके पास रहता खबरों का खजाना। मेरे जैसे कई उससे रश्क करते। लेकिन उसकी काबलियत। सलाम और तारीफ करने लायक। प्रशांत की पत्रकारिता का सफर दिलचस्प है। पहले बैंक में नौकरी की। छटपटाहट में छोड़ दी। कुछ करने को लेकर बैचेनी थी। दिल है कि मानता नहीं, की तर्ज पर पहले उसने एक साप्ताहिक अखबार निकालकर खुद को तौला। फिर भोपाल दैनिक जागरण ज्वॉइन किया। उसे लगा कि यहां मंजिल नहीं हैं। कुछ माह बाद वे वर्ष 1989 में भोपाल दैनिक भास्कर में रिपोर्टर बन गया। यहां उसे संपादक के रूप में परम आदरणीय महेश श्रीवास्तवजी मिले। उनकी पारखी नजरों ने प्रशांत को पहचान लिया। उसे सबसे पहले बरकत उल्ला विश्वविद्यालय की कवरेज का जिम्मा सौंपा गया। साथ ही एप्को, एमपी पीसीबी जैसा संस्थान भी बीट की शक्ल में दिए गए। देखते ही देखते कलम के बूते पर वे छा गया। बाद में उसे प्रशासनिक और राजनीतिक रिपोर्टिंग का जिम्मा सौंपा गया। वे मगरुर नहीं था। सहयोगियों को हमेशा प्रोत्साहित करता। किसी की खामी या कमी को कोई मुद्दा नहीं बनाता। न ही कोई व्यंग्य करता। इस गुण के कारण दफ्तर के अंदर-बाहर वह सबका चहेता था। वे खबरों को लेकर बहुत संजीदा रहता। एकाग्रता के साथ लिखता। इस कारण उसकी कापी में शायद कभी करैक्शन या कटेंट के लेवल पर गलती निकली हो। याद नहीं पड़ता। सिद्धांत वादी भी था। उसने कभी खबर के स्त्रोत का नाम भी साझा नहीं किया। साइंस के स्टूडेंट रहे प्रशांत को आइंसटीन और न्यूटन के सिद्धांत की समझ थी। शायद यही वजह थी कि प्रयोगधर्मी पत्रकारिता के चलते 1990 के दशक में उसका कोई सानी नहीं था। मैंने भास्कर में काम करते हुए सुना था कि पूर्व संपादक (स्वर्गीय) श्याम सुंदर ब्यौहार जब सिटी रिपोर्टर थे, तब केएफ रुस्तमजी जैसे आईजी उन्हें फोन करके पूछते थे कि सब खैरियत हो तो मुझे सोने की इजाजत है। कुछ इस तरह मैंने प्रशांत के साथ भी देखा। कई मंत्री, अफसर उससे रोजाना बात करते। इस दौरान वह बात-बात में खबर निकाल लेता। तब मैं,प्रशांत न्यूज रूम में साथ ही बैठते थे। रोजाना काफी वक्त भी साथ गुजारते। उसने कई विषयों पर लेखन किया। उसकी लिखी कई खबरें भाषा शैली के कारण यादगार है। दुष्यंत कुमार की कई गजलें और शेर उसे याद थे। वे कुछ खास मौके पर अपने अंतरंग मित्रों के बीच इन्हें खास अंदाज में गुनगुनाता। इसी तरह हिंदी फिल्में देखने का उसे खूब शौक था। वे हास्य फिल्में खास तौर पर देखता। फिर हंसी-मजाक में उस फिल्म के किसी पात्र के नाम से अपने दोस्तों को बुलाता। बाद में खूब हंसता। सम्मान के नाम से तौबा। उसे खुद का सम्मान कराने में झिझक होती। कई संगठन आग्रह करते। लेकिन विनम्रता से इंकार करता। वे कहता कि पहले इस लायक तो बन जाऊं। हालांकि विधानसभा का संसदीय रिपोर्टिंग एवं नगर निगम का राजनीतिक रिपोर्टिंग समेत माधवसप्रे संग्रहालय का पुरस्कार उसने जरुर ग्रहण किया। वे अपने अंतरंग मित्रों के बीच अन्नू था। उसके मित्र जैसे प्रलय श्रीवास्तव, विजय पेशवानी और मैं अमूमन इसी नाम से बुलाते थे। आज वो नहीं है। फानी दुनिया को अलविदा कहे उसे करीब 18 बरस हो गए। उसका जाना किसी वज्र की तरह कम नहीं। अब उसकी यादें शेष हैं। हर लम्हा, ऐसा लगता हैं कि वो अब आता ही है। लेकिन जाने वाले कहां आते। इतने अर्से में अब उसके सभी मित्रों ने खुद को संभाल लिया। उसके परिजनों से लेकर दोस्तों ने नियति के हुक्म को मान लिया। ईश्वर उसकी आत्मा को शांति दें। यही परमपिता परमात्मा से प्रार्थना हैं। एक बार फिर शत्-शत्- नमन्। सादर आदरांजलि।(लेखक दैनिक भास्कर के न्यूज़ एडिटर हैं)
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प्रवीण कक्कड़ श्रीगणेशोत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है, श्रीगणेश प्राचीन समय से हमारे आराध्य रहे हैं, पेशवा साम्राज्य में श्रीगणेशोत्सव की धूम रहती थी, फिर लोकमान्य बालगंगाधर तिलक द्वारा शुरू किए गए प्रयासों ने इसे सामाजिक और सार्वजनिक उत्सव के रूप में पहचान दिलाई। उस समय यह प्रयास आजादी आंदोलन में सभी को साथ लाने के लिए किया गया था। तब यह प्रयास सार्थक हुआ और अंग्रेजों के खिलाफ इस उत्सव के जरिए देशवासी एकजुट नजर आए। आज भी इस सार्वजनिक उत्सव में हमें सामाजिक, मानवीय और नैतिक मूल्यों की स्थापना पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके साथ ही हमें सभी की मदद करने, देशहित में लोगों को जोड़ने और समाज को एकजुट करने के प्रयास करना चाहिए। भादों माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी में यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 31 अगस्त 2022 बुधवार को गणेश चतुर्थी के दिन मूर्ति स्थापना होगी। हम सबके घरों में विघ्नहर्ता भगवान गणेश विराजमान होंगे। जगह-जगह गणेश उत्सव का आयोजन होगा और सभी लोग समाज की मंगल कामना की प्रार्थना करेंगे। इस पवित्र त्यौहार का जितना अधिक महत्व है, उससे कम महत्व इसके इतिहास का भी नहीं है। अगर हम गणेश उत्सव के इतिहास की तरफ जाएं तो पाएंगे कि पहले लोग घरों में ही गणेशोत्सव मनाते थे। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में पुणे में पहली बार सार्वजनिक रूप से गणेशोत्सव मनाया। आगे चलकर उनका यह प्रयास एक आंदोलन बना और स्वतंत्रता आंदोलन में इस गणेशोत्सव ने लोगों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई। गणेशोत्सव का उपयोग आजादी की लड़ाई के लिए किए जाने की बात पूरे महाराष्ट्र में फैल गयी। बाद में नागपुर, वर्धा, अमरावती आदि शहरों में भी गणेशोत्सव ने आजादी का नया ही आंदोलन छेड़ दिया। अंग्रेज भी इससे घबरा गये। इस बारे में रोलेट समिति रपट में भी चिंता जतायी गयी। रपट में कहा गया कि गणेशोत्सव के दौरान युवकों की टोलियां सड़कों पर घूम-घूम कर अंग्रेजी शासन विरोधी गीत गाती हैं व स्कूली बच्चे पर्चे बांटते हैं। जिसमें अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हथियार उठाने और मराठों से शिवाजी की तरह विद्रोह करने का आह्वान होता है। साथ ही अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए धार्मिक संघर्ष को जरूरी बताया जाता है। गणेशोत्सवों में भाषण देने वाले में प्रमुख राष्ट्रीय नेता थे - लोकमान्य तिलक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बैरिस्टर जयकर, रेंगलर परांजपे, पंडित मदन मोहन मालवीय, मौलिकचंद्र शर्मा, बैरिस्ट चक्रवर्ती, दादासाहेब खापर्डे और सरोजनी नायडू। पूजन का आयोजन किया तो उनका मकसद सभी जातियो धर्मो को एक साझा मंच देने का था जहां सब बैठ कर मिल कर कोई विचार करें। इस तरह गणेश उत्सव ने पूरे स्वतंत्रता संग्राम में एक बहुत व्यापक और जन हितैषी भूमिका निभाई। गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन गणेश का जन्म हुआ था।गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। श्रीगणेश की प्रतिष्ठा सम्पूर्ण भारत में समान रूप में व्याप्त है। महाराष्ट्र इसे मंगलकारी देवता के रूप में व मंगलपूर्ति के नाम से पूजता है। दक्षिण भारत में इनकी विशेष लोकप्रियता ‘कला शिरोमणि’ के रूप में है। मैसूर तथा तंजौर के मंदिरों में गणेश की नृत्य-मुद्रा में अनेक मनमोहक प्रतिमाएं हैं। गणेश उत्सव के पावन पर्व के मौके पर इन सब बातों का इसलिए और ज्यादा महत्व है कि हम पूजा अर्चना के साथ इसके सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी महत्व को भी समझें। यह आस्था का पर्व है श्रद्धा का पर्व है और देश के अभिमान का पर्व है। आप सबको गणेश उत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
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प्रवीण कक्कड़ श्रीगणेशोत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है, श्रीगणेश प्राचीन समय से हमारे आराध्य रहे हैं, पेशवा साम्राज्य में श्रीगणेशोत्सव की धूम रहती थी, फिर लोकमान्य बालगंगाधर तिलक द्वारा शुरू किए गए प्रयासों ने इसे सामाजिक और सार्वजनिक उत्सव के रूप में पहचान दिलाई। उस समय यह प्रयास आजादी आंदोलन में सभी को साथ लाने के लिए किया गया था। तब यह प्रयास सार्थक हुआ और अंग्रेजों के खिलाफ इस उत्सव के जरिए देशवासी एकजुट नजर आए। आज भी इस सार्वजनिक उत्सव में हमें सामाजिक, मानवीय और नैतिक मूल्यों की स्थापना पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके साथ ही हमें सभी की मदद करने, देशहित में लोगों को जोड़ने और समाज को एकजुट करने के प्रयास करना चाहिए।भादों माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी में यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 31 अगस्त 2022 बुधवार को गणेश चतुर्थी के दिन मूर्ति स्थापना होगी। हम सबके घरों में विघ्नहर्ता भगवान गणेश विराजमान होंगे। जगह-जगह गणेश उत्सव का आयोजन होगा और सभी लोग समाज की मंगल कामना की प्रार्थना करेंगे। इस पवित्र त्यौहार का जितना अधिक महत्व है, उससे कम महत्व इसके इतिहास का भी नहीं है। अगर हम गणेश उत्सव के इतिहास की तरफ जाएं तो पाएंगे कि पहले लोग घरों में ही गणेशोत्सव मनाते थे। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में पुणे में पहली बार सार्वजनिक रूप से गणेशोत्सव मनाया। आगे चलकर उनका यह प्रयास एक आंदोलन बना और स्वतंत्रता आंदोलन में इस गणेशोत्सव ने लोगों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई। गणेशोत्सव का उपयोग आजादी की लड़ाई के लिए किए जाने की बात पूरे महाराष्ट्र में फैल गयी। बाद में नागपुर, वर्धा, अमरावती आदि शहरों में भी गणेशोत्सव ने आजादी का नया ही आंदोलन छेड़ दिया। अंग्रेज भी इससे घबरा गये। इस बारे में रोलेट समिति रपट में भी चिंता जतायी गयी। रपट में कहा गया कि गणेशोत्सव के दौरान युवकों की टोलियां सड़कों पर घूम-घूम कर अंग्रेजी शासन विरोधी गीत गाती हैं व स्कूली बच्चे पर्चे बांटते हैं। जिसमें अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हथियार उठाने और मराठों से शिवाजी की तरह विद्रोह करने का आह्वान होता है। साथ ही अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए धार्मिक संघर्ष को जरूरी बताया जाता है। गणेशोत्सवों में भाषण देने वाले में प्रमुख राष्ट्रीय नेता थे - लोकमान्य तिलक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बैरिस्टर जयकर, रेंगलर परांजपे, पंडित मदन मोहन मालवीय, मौलिकचंद्र शर्मा, बैरिस्ट चक्रवर्ती, दादासाहेब खापर्डे और सरोजनी नायडू। पूजन का आयोजन किया तो उनका मकसद सभी जातियो धर्मो को एक साझा मंच देने का था जहां सब बैठ कर मिल कर कोई विचार करें। इस तरह गणेश उत्सव ने पूरे स्वतंत्रता संग्राम में एक बहुत व्यापक और जन हितैषी भूमिका निभाई। गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन गणेश का जन्म हुआ था।गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। श्रीगणेश की प्रतिष्ठा सम्पूर्ण भारत में समान रूप में व्याप्त है। महाराष्ट्र इसे मंगलकारी देवता के रूप में व मंगलपूर्ति के नाम से पूजता है। दक्षिण भारत में इनकी विशेष लोकप्रियता ‘कला शिरोमणि’ के रूप में है। मैसूर तथा तंजौर के मंदिरों में गणेश की नृत्य-मुद्रा में अनेक मनमोहक प्रतिमाएं हैं।गणेश उत्सव के पावन पर्व के मौके पर इन सब बातों का इसलिए और ज्यादा महत्व है कि हम पूजा अर्चना के साथ इसके सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी महत्व को भी समझें। यह आस्था का पर्व है श्रद्धा का पर्व है और देश के अभिमान का पर्व है। आप सबको गणेश उत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
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प्रवीण कक्कड़ श्रीगणेशोत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है, श्रीगणेश प्राचीन समय से हमारे आराध्य रहे हैं, पेशवा साम्राज्य में श्रीगणेशोत्सव की धूम रहती थी, फिर लोकमान्य बालगंगाधर तिलक द्वारा शुरू किए गए प्रयासों ने इसे सामाजिक और सार्वजनिक उत्सव के रूप में पहचान दिलाई। उस समय यह प्रयास आजादी आंदोलन में सभी को साथ लाने के लिए किया गया था। तब यह प्रयास सार्थक हुआ और अंग्रेजों के खिलाफ इस उत्सव के जरिए देशवासी एकजुट नजर आए। आज भी इस सार्वजनिक उत्सव में हमें सामाजिक, मानवीय और नैतिक मूल्यों की स्थापना पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके साथ ही हमें सभी की मदद करने, देशहित में लोगों को जोड़ने और समाज को एकजुट करने के प्रयास करना चाहिए। भादों माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी में यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 31 अगस्त 2022 बुधवार को गणेश चतुर्थी के दिन मूर्ति स्थापना होगी। हम सबके घरों में विघ्नहर्ता भगवान गणेश विराजमान होंगे। जगह-जगह गणेश उत्सव का आयोजन होगा और सभी लोग समाज की मंगल कामना की प्रार्थना करेंगे। इस पवित्र त्यौहार का जितना अधिक महत्व है, उससे कम महत्व इसके इतिहास का भी नहीं है। अगर हम गणेश उत्सव के इतिहास की तरफ जाएं तो पाएंगे कि पहले लोग घरों में ही गणेशोत्सव मनाते थे। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में पुणे में पहली बार सार्वजनिक रूप से गणेशोत्सव मनाया। आगे चलकर उनका यह प्रयास एक आंदोलन बना और स्वतंत्रता आंदोलन में इस गणेशोत्सव ने लोगों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई। गणेशोत्सव का उपयोग आजादी की लड़ाई के लिए किए जाने की बात पूरे महाराष्ट्र में फैल गयी। बाद में नागपुर, वर्धा, अमरावती आदि शहरों में भी गणेशोत्सव ने आजादी का नया ही आंदोलन छेड़ दिया। अंग्रेज भी इससे घबरा गये। इस बारे में रोलेट समिति रपट में भी चिंता जतायी गयी। रपट में कहा गया कि गणेशोत्सव के दौरान युवकों की टोलियां सड़कों पर घूम-घूम कर अंग्रेजी शासन विरोधी गीत गाती हैं व स्कूली बच्चे पर्चे बांटते हैं। जिसमें अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हथियार उठाने और मराठों से शिवाजी की तरह विद्रोह करने का आह्वान होता है। साथ ही अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए धार्मिक संघर्ष को जरूरी बताया जाता है। गणेशोत्सवों में भाषण देने वाले में प्रमुख राष्ट्रीय नेता थे - लोकमान्य तिलक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बैरिस्टर जयकर, रेंगलर परांजपे, पंडित मदन मोहन मालवीय, मौलिकचंद्र शर्मा, बैरिस्ट चक्रवर्ती, दादासाहेब खापर्डे और सरोजनी नायडू। पूजन का आयोजन किया तो उनका मकसद सभी जातियो धर्मो को एक साझा मंच देने का था जहां सब बैठ कर मिल कर कोई विचार करें। इस तरह गणेश उत्सव ने पूरे स्वतंत्रता संग्राम में एक बहुत व्यापक और जन हितैषी भूमिका निभाई। गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन गणेश का जन्म हुआ था।गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। श्रीगणेश की प्रतिष्ठा सम्पूर्ण भारत में समान रूप में व्याप्त है। महाराष्ट्र इसे मंगलकारी देवता के रूप में व मंगलपूर्ति के नाम से पूजता है। दक्षिण भारत में इनकी विशेष लोकप्रियता ‘कला शिरोमणि’ के रूप में है। मैसूर तथा तंजौर के मंदिरों में गणेश की नृत्य-मुद्रा में अनेक मनमोहक प्रतिमाएं हैं। गणेश उत्सव के पावन पर्व के मौके पर इन सब बातों का इसलिए और ज्यादा महत्व है कि हम पूजा अर्चना के साथ इसके सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी महत्व को भी समझें। यह आस्था का पर्व है श्रद्धा का पर्व है और देश के अभिमान का पर्व है। आप सबको गणेश उत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
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श्रीगणेशोत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है, श्रीगणेश प्राचीन समय से हमारे आराध्य रहे हैं, पेशवा साम्राज्य में श्रीगणेशोत्सव की धूम रहती थी, फिर लोकमान्य बालगंगाधर तिलक द्वारा शुरू किए गए प्रयासों ने इसे सामाजिक और सार्वजनिक उत्सव के रूप में पहचान दिलाई। उस समय यह प्रयास आजादी आंदोलन में सभी को साथ लाने के लिए किया गया था। तब यह प्रयास सार्थक हुआ और अंग्रेजों के खिलाफ इस उत्सव के जरिए देशवासी एकजुट नजर आए। आज भी इस सार्वजनिक उत्सव में हमें सामाजिक, मानवीय और नैतिक मूल्यों की स्थापना पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके साथ ही हमें सभी की मदद करने, देशहित में लोगों को जोड़ने और समाज को एकजुट करने के प्रयास करना चाहिए। भादों माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी में यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 31 अगस्त 2022 बुधवार को गणेश चतुर्थी के दिन मूर्ति स्थापना होगी। हम सबके घरों में विघ्नहर्ता भगवान गणेश विराजमान होंगे। जगह-जगह गणेश उत्सव का आयोजन होगा और सभी लोग समाज की मंगल कामना की प्रार्थना करेंगे। इस पवित्र त्यौहार का जितना अधिक महत्व है, उससे कम महत्व इसके इतिहास का भी नहीं है। अगर हम गणेश उत्सव के इतिहास की तरफ जाएं तो पाएंगे कि पहले लोग घरों में ही गणेशोत्सव मनाते थे। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में पुणे में पहली बार सार्वजनिक रूप से गणेशोत्सव मनाया। आगे चलकर उनका यह प्रयास एक आंदोलन बना और स्वतंत्रता आंदोलन में इस गणेशोत्सव ने लोगों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई। गणेशोत्सव का उपयोग आजादी की लड़ाई के लिए किए जाने की बात पूरे महाराष्ट्र में फैल गयी। बाद में नागपुर, वर्धा, अमरावती आदि शहरों में भी गणेशोत्सव ने आजादी का नया ही आंदोलन छेड़ दिया। अंग्रेज भी इससे घबरा गये। इस बारे में रोलेट समिति रपट में भी चिंता जतायी गयी। रपट में कहा गया कि गणेशोत्सव के दौरान युवकों की टोलियां सड़कों पर घूम-घूम कर अंग्रेजी शासन विरोधी गीत गाती हैं व स्कूली बच्चे पर्चे बांटते हैं। जिसमें अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हथियार उठाने और मराठों से शिवाजी की तरह विद्रोह करने का आह्वान होता है। साथ ही अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए धार्मिक संघर्ष को जरूरी बताया जाता है। गणेशोत्सवों में भाषण देने वाले में प्रमुख राष्ट्रीय नेता थे - लोकमान्य तिलक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बैरिस्टर जयकर, रेंगलर परांजपे, पंडित मदन मोहन मालवीय, मौलिकचंद्र शर्मा, बैरिस्ट चक्रवर्ती, दादासाहेब खापर्डे और सरोजनी नायडू। पूजन का आयोजन किया तो उनका मकसद सभी जातियो धर्मो को एक साझा मंच देने का था जहां सब बैठ कर मिल कर कोई विचार करें। इस तरह गणेश उत्सव ने पूरे स्वतंत्रता संग्राम में एक बहुत व्यापक और जन हितैषी भूमिका निभाई। गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन गणेश का जन्म हुआ था।गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। श्रीगणेश की प्रतिष्ठा सम्पूर्ण भारत में समान रूप में व्याप्त है। महाराष्ट्र इसे मंगलकारी देवता के रूप में व मंगलपूर्ति के नाम से पूजता है। दक्षिण भारत में इनकी विशेष लोकप्रियता ‘कला शिरोमणि’ के रूप में है। मैसूर तथा तंजौर के मंदिरों में गणेश की नृत्य-मुद्रा में अनेक मनमोहक प्रतिमाएं हैं। गणेश उत्सव के पावन पर्व के मौके पर इन सब बातों का इसलिए और ज्यादा महत्व है कि हम पूजा अर्चना के साथ इसके सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी महत्व को भी समझें। यह आस्था का पर्व है श्रद्धा का पर्व है और देश के अभिमान का पर्व है। आप सबको गणेश उत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
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श्रीगणेशोत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है, श्रीगणेश प्राचीन समय से हमारे आराध्य रहे हैं, पेशवा साम्राज्य में श्रीगणेशोत्सव की धूम रहती थी, फिर लोकमान्य बालगंगाधर तिलक द्वारा शुरू किए गए प्रयासों ने इसे सामाजिक और सार्वजनिक उत्सव के रूप में पहचान दिलाई। उस समय यह प्रयास आजादी आंदोलन में सभी को साथ लाने के लिए किया गया था। तब यह प्रयास सार्थक हुआ और अंग्रेजों के खिलाफ इस उत्सव के जरिए देशवासी एकजुट नजर आए। आज भी इस सार्वजनिक उत्सव में हमें सामाजिक, मानवीय और नैतिक मूल्यों की स्थापना पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके साथ ही हमें सभी की मदद करने, देशहित में लोगों को जोड़ने और समाज को एकजुट करने के प्रयास करना चाहिए। भादों माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी में यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 31 अगस्त 2022 बुधवार को गणेश चतुर्थी के दिन मूर्ति स्थापना होगी। हम सबके घरों में विघ्नहर्ता भगवान गणेश विराजमान होंगे। जगह-जगह गणेश उत्सव का आयोजन होगा और सभी लोग समाज की मंगल कामना की प्रार्थना करेंगे। इस पवित्र त्यौहार का जितना अधिक महत्व है, उससे कम महत्व इसके इतिहास का भी नहीं है। अगर हम गणेश उत्सव के इतिहास की तरफ जाएं तो पाएंगे कि पहले लोग घरों में ही गणेशोत्सव मनाते थे। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में पुणे में पहली बार सार्वजनिक रूप से गणेशोत्सव मनाया। आगे चलकर उनका यह प्रयास एक आंदोलन बना और स्वतंत्रता आंदोलन में इस गणेशोत्सव ने लोगों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई। गणेशोत्सव का उपयोग आजादी की लड़ाई के लिए किए जाने की बात पूरे महाराष्ट्र में फैल गयी। बाद में नागपुर, वर्धा, अमरावती आदि शहरों में भी गणेशोत्सव ने आजादी का नया ही आंदोलन छेड़ दिया। अंग्रेज भी इससे घबरा गये। इस बारे में रोलेट समिति रपट में भी चिंता जतायी गयी। रपट में कहा गया कि गणेशोत्सव के दौरान युवकों की टोलियां सड़कों पर घूम-घूम कर अंग्रेजी शासन विरोधी गीत गाती हैं व स्कूली बच्चे पर्चे बांटते हैं। जिसमें अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हथियार उठाने और मराठों से शिवाजी की तरह विद्रोह करने का आह्वान होता है। साथ ही अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए धार्मिक संघर्ष को जरूरी बताया जाता है। गणेशोत्सवों में भाषण देने वाले में प्रमुख राष्ट्रीय नेता थे - लोकमान्य तिलक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बैरिस्टर जयकर, रेंगलर परांजपे, पंडित मदन मोहन मालवीय, मौलिकचंद्र शर्मा, बैरिस्ट चक्रवर्ती, दादासाहेब खापर्डे और सरोजनी नायडू। पूजन का आयोजन किया तो उनका मकसद सभी जातियो धर्मो को एक साझा मंच देने का था जहां सब बैठ कर मिल कर कोई विचार करें। इस तरह गणेश उत्सव ने पूरे स्वतंत्रता संग्राम में एक बहुत व्यापक और जन हितैषी भूमिका निभाई। गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन गणेश का जन्म हुआ था।गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। श्रीगणेश की प्रतिष्ठा सम्पूर्ण भारत में समान रूप में व्याप्त है। महाराष्ट्र इसे मंगलकारी देवता के रूप में व मंगलपूर्ति के नाम से पूजता है। दक्षिण भारत में इनकी विशेष लोकप्रियता ‘कला शिरोमणि’ के रूप में है। मैसूर तथा तंजौर के मंदिरों में गणेश की नृत्य-मुद्रा में अनेक मनमोहक प्रतिमाएं हैं। गणेश उत्सव के पावन पर्व के मौके पर इन सब बातों का इसलिए और ज्यादा महत्व है कि हम पूजा अर्चना के साथ इसके सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी महत्व को भी समझें। यह आस्था का पर्व है श्रद्धा का पर्व है और देश के अभिमान का पर्व है। आप सबको गणेश उत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
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उन्होंने सितंबर 2008 में इस्तीफा देने से पहले 14 महीने की अवधि के लिए चैनल 24 के लिए काम किया. उसी वर्ष उन्हें न्यूज 24 के साथ नौकरी मिली और रुबिका को एंकर और एक वरिष्ठ संवाददाता का पद मिला. कुछ समय बाद, उन्हें Zee News से एक प्रस्ताव मिला और उन्होंने Zee News के लिए काम करना शुरू कर दिया. रुबिका अपने शो के लिए ताल ठोक के नाम से जानी जाती थी और यह शो ज़ी टीवी पर प्रसारित होता है. यह मूल रूप से एक डिबेट शो था.अगस्त 2018 में रुबिका लियाकत ने ज़ी न्यूज़ से इस्तीफा दे दिया और एबीपी न्यूज़ नेटवर्क में शामिल हो गई. एबीपी न्यूज में उन्होंने सोमवार से शुक्रवार तक रात 9 बजे से प्राइमटाइम शो “मास्टर स्ट्रोक” की मेजबानी करना शुरू कर दिया देश के सबसे प्रतिष्ठित पत्रकारों में शुमार रजत शर्मा के फॉलोवर्स न सिर्फ ट्विटर पर लाखों में हैं, बल्कि फेसबुक पर भी उन्हें 23 लाख से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। उनका स्पेशल शो 'आज की बात' दर्शकों में काफी पसंद किया जाता है। मैट नवारा ने 'State of Journalism on Twitter 2022' नाम से मीडिया से जुड़े कई आंकड़े जारी किए। उन्होंने ट्विटर पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले पत्रकारों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सबसे ज्यादा फॉलोवर्स के मामले में रजत शर्मा दुनिया में तीसरे नंबर पर हैं।
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अमेरिकी सांसदों ने जर्नलिज्म कॉम्पिटिशन एंड प्रिजर्वेशन एक्ट का रिवाइज्ड वर्जन पेश किया। इस बिल के जरिए गूगल और फेसबुक जैसे बिग टेक प्लेटफॉर्म के साथ न्यूज पब्लिशर्स का एक साथ बातचीत करना संभव हो पाएगा और पब्लिशर्स को इससे उनके कंटेंट का सही रेवेन्यू मिलने में मदद मिलेगी। दरअसल, गूगल-फेसबुक जैसी कंपनियां न्यूज ऑर्गेनाइजेशन के कंटेंट का इस्तेमाल करती है लेकिन सही मात्रा में रेवेन्यू शेयर नहीं करती। अमेरिका का यह कदम भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है। भारत सरकार और देश के समाचार संगठन दोनों ही डिजिटल मीडिया स्पेस को डेमोक्रेटाइज करना चाहते हैं और अमेरिका का ये कदम उस दिशा में एक बड़ा बूस्ट है। ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिका को लोकतंत्र और फ्री स्पीच के एक प्रकाशस्तंभ के रूप में देखा जाता है। डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन (DNPA) ने अमेरिका के इस डेवलपमेंट का स्वागत किया। DNPA भारत के टॉप मीडिया ऑर्गेनाइजेशन्स के डिजिटल आर्म का एक प्लेटफॉर्म है। DNPA के एक सूत्र ने कहा, 'अमेरिकी सांसदों का गूगल जैसे शक्तिशाली प्लेटफार्मों की मोनोपॉलिस्टिक टेंडेंसीज (एकाधिकारवादी प्रवृत्ति) को रोकने के लिए ऐसा कदम उठाना खुशी की बात है। यह सही दिशा में एक बड़ा कदम है।' DNPA पिछले कुछ साल से भारत के डिजिटल मीडिया हाउसेज के साथ गूगल के रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल को और अधिक पारदर्शी बनाने की मांग कर रहा है। इस साल की शुरुआत में DNPA की शिकायत पर कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया ने गूगल के खिलाफ जांच शुरू की थी। अमेरिका से यह खबर ऐसे समय में सामने आई है, जब कई बिग टेक दिग्गज भारत में एक संसदीय पैनल के सामने अपनी गतिविधियों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। मंगलवार को फाइनेंस पर संसदीय स्थायी समिति ने देश में बिग टेक की मोनोपॉलिस्टिक पैक्ट्रिसेज (एकाधिकारवादी प्रथाओं) पर कुछ कठिन सवालों का सामना करने के लिए गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन, नेटफ्लिक्स और कुछ अन्य के प्रतिनिधियों को बुलाया था। इससे पहले गूगल जैसे न्यूज इंटरमीडियरीज की मोनोपॉली और पोजीशन के गलत इस्तेमाल को लेकर कैनेडा और ऑस्ट्रेलिया में भी एक्ट पास हो चुका है। कैनेडियन ऑर्डर में न्यूज पब्लिशर्स के साथ उचित रेवेन्यू शेयर करने के प्रावधान किए गए हैं। ऑस्ट्रेलिया में भी टेक कंपनीज को पब्लिशर्स के साथ सही रेवेन्यू शेयर करना पड़ता है। दरअसल न्यूज मीडिया कंपनीज की ओर से जेनरेट किया गया कंटेंट एक ऐसा प्लेटफॉर्म प्रदान करता है जिस पर विज्ञापन चलाए जा सकते हैं।
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एशिया के सबसे अमीर कारोबारी गौतम अडाणी न्यूज चैनल NDTV की 29.18% हिस्सेदारी खरीदने जा रहे हैं। इस डील के बाद NDTV के इन्वेस्टर्स को खूब फायदा हो रहा है और बुधवार को भी इसके शेयरों पर अपर सर्किट लगा है। शानदार तेजी के साथ NDTV का शेयर बीएसई पर 380 रुपए पर खुला। थोड़ी ही देर में यह 5% की छलांग लगाकर 388.20 रुपए पर पहुंच गया। फिलहाल इसमें अपर सर्किट लगा हुआ है।इससे पहले मंगलवार को भी NDTV के शेयर पर अपर सर्किट लगा था और यह 5% चढ़कर 366.20 रुपए पर बंद हुआ था। NDTV का शेयर अगस्त 2008 के बाद के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। पिछले 1 महीने में ही NDTV के शेयर ने 42% का दमदार रिटर्न दिया है। वहीं अगर बीते 1 एक साल की बात करें तो इसने 392.95% का शानदार रिटर्न दिया है। एक साल पहले यानी 24 अगस्त 2021 को NDTV का शेयर 78.75 रुपए पर था। केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के अनुसार गौतम अडाणी के NDTV में हिस्सेदारी खरीदने से आने वाले दिनों में NDTV के शेयरों में तेजी जारी रह सकती है। ऐसे में जिन लोगों के पास NDTV के शेयर हैं उन्हें इसे होल्ड करना चाहिए। वहीं अगर कोई अब इसके शेयर खरीदने का मन बना रहा है तो लॉन्ग टर्म के लिए इसमें निवेश करना फायदा दिला सकता एशिया के सबसे अमीर बिजनेसमैन गौतम अडाणी NDTV में 29.18% की हिस्सेदारी खरीदने जा रहे हैं। मंगलवार शाम को अडाणी ग्रुप ने इसका ऐलान किया। AMG मीडिया नेटवर्क लिमिटेड (AMNL) की सहायक कंपनी विश्वप्रधान कॉमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड (VCPL) के जरिए यह इनडायरेक्ट स्टेक लिया जाएगा। AMG मीडिया अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) की ही सब्सिडियरी है।वहीं अडाणी ग्रुप NDTV में अतिरिक्त 26% हिस्सेदारी के लिए भी 294 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से 493 करोड़ रुपए के ओपन ऑफर की पेशकश करेगा
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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 27 अगस्त को रायपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय कार्यकाल को लेकर प्रकाशित पुस्तक 'मोदी एट द रेट 20" पर प्रदेश के चुनिंदा 1,500 प्रतिनिधियों से संवाद करेंगे। रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय आडिटोरियम में आयोजित इस कार्यक्रम के लिए अलग-अलग वर्ग के लोगों को न्योता भेजा गया है। इनमें वकील, समाजसेवी, सीए, इंजीनियर, बुजुर्ग और युवा शामिल हैं। शाह सिर्फ संवाद कार्यक्रम में शामिल होने के लिए ही रायपुर आ रहे हैं।कार्यक्रम प्रभारी ओपी चौधरी ने बताया कि 'मोदी एट द रेट 20" पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कार्यपद्धति पर आधारित है। देश की जानी-मानी हस्तियां मोदी के बारे में क्या सोचती हैं, उनके विचारों पर आधारित लेख इस पुस्तक में हैं। भारतरत्न स्वर्गीय लता मंगेशकर ने इस पुस्तक की प्रस्तावना लिखी है। देश के नागरिकों के लिए यूनिक आइडी के जनक नंदन नीलेकणी ने इस पुस्तक में पीएम मोदी के लिए लिखा है।अभी यह पुस्तक अंग्रेजी में है, लेकिन इसका हिंदी संस्करण जल्द ही बाजार में आएगा। इस पुस्तक का उद्देश्य देश की तरक्की के लिए लगातार प्रयासरत प्रधानमंत्री मोदी के बारे में देश के प्रबुद्धजनों की सोच को बताना है। देश के लिए सोचने वाले वर्ग के बीच इस पुस्तक का प्रसार किया जाना है। जिला स्तर पर भी संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
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सेना के लिए रक्तदान शिविर में इकट्ठा हुआ 27 यूनिट रक्त - गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी दी श्रद्धांजलि, युवाओं का किया उत्साहवर्द्धन भोपाल। शहर के वरिष्ठ समाजसेवी स्व. दादा निर्मल कुमार केसवानी की दूसरी पुण्यतिथि के अवसर पर शहर के लोगों ने उन्हें भावुक होकर याद किया। इस मौके पर जहांगीराबाद स्थित खटलापुरा श्रीराम मंदिर में ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया गया। इस मौके पर मप्र के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने शिविर स्थल पर पहुंचकर दादा निर्मल केसवानी को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर और सह मीडिया प्रभारी नरेंद्र पटेल ने भी उपस्थित होकर पुष्प अर्पित किए। कार्यक्रम का आयोजन खटलापुरा भक्त मंडल, जागृत हिंदू मंच और हमारा भोपाल संस्था के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी ने बताया कि कैंप में करीब 27 यूनिट रक्त इकट्ठा किया गया है। विभागीय अधिकारियों से कहा जाएगा कि यह रक्त सेना के जवानों के लिए ही विशेष रूप से भेजा जाए। शिविर के दौरान युवाओं ने उत्साह पूर्वक हिस्सा लिया। रक्तदान करने के बाद युवा भारत माता की जय के नारे लगा रहे थे। गृहमंत्री ने किया बांटे सर्टिफिकेट : इस मौके पर मप्र के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने रक्तदान करने वाले युवाओं को सर्टिफिकेट देकर उनका उत्साहवर्द्धन किया। गृहमंत्री ने युवाओं से कहा कि देश के लिए किए गए कार्यों से ही देश का विकास होगा। इसलिए देश के प्रति समर्पित होकर काम करना चाहिए। रक्तदान शिविर के बाद मंदिर में सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ और पूजा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर युवाओं को सेना की अग्नीवीर योजना के बारे में भी जानकारी दी गई। कार्यक्रम के अंत में सामूहिक भंडारे का आयोजन भी किया गया।
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परिवार के 2 बच्चों सहित 5 लोग घायल सिंगरौली में पानी के तेज़ बहाव से एक घर ढह गया जिसके कारण परिवार के 2 बच्चों समेत 5 लोग घायल हो गए पीड़ित रामसागर बसोर का कहना है कि सड़क का काम कर रही संविदाकार कंपनी tbcl की लापरवाही के कारण यह घटना हुई है कंपनी वालों ने जानबूझकर हमारे घर की ओर पानी की निकासी की जिससे यह घटना हुई गोंदवाली निवासी पीड़ित रामसागर बसोर के जमीन और घर का मुआवजा नहीं दिया गया जिससे वह और उसका परिवार पुराने घर में रह रहा था जोकि nh39 के बिल्कुल पास में है पानी की निकासी के लिए निर्माणाधीन कंपनी के कर्मचारियों ने उसके घर की ओर रास्ता बना दिया जिसके कारण मिट्टी और पानी एक साथ भारी मात्रा में बहा और पूरा का पूरा घर मिट्टी और पानी से गिर गया और घर के अंदर के लोग दब गए जिससे उनको काफी चोट लगी है फिलहाल घायलों को एंबुलेंस से अस्पताल भेज दिया गया है।
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(प्रवीण कक्कड़) हमारे देश में अतिवृष्टि आज भी एक भीषण समस्या है। मौजूदा दौर में लगातार बारिश से कई जगहों पर बाढ़ के हालात हैं। इससे जनजीवन प्रभावित हो रहा है। मानव द्वारा निर्मित कांक्रिट के जंगलों और अदूरदर्शी योजनाओं के बीच नदियों-तालाबों का प्राकृतिक बहाव प्रभावित है। ऐसे में इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। सिर्फ डिजास्टर मैंनेजमेंट के भरोसे चीजों को नहीं छोड़ा जा सकता। इसे लेकर प्री प्लानिंग जरूरी है, तभी हम आमजन और मुख्यरूप से ग्रामीण परिवेश की आबादी को सुविधा दे सकते हैं। अतिवृष्टि और बाढ़ प्रबंधन की तैयारियाँ पूरी तरह से करें। इसके साथ ही बाँधों में वर्षा जल के अधिक भराव को नहरों में छोड़कर फसल उगाने वाले किसानों के खेतों तक भी पानी पहुँचाना व्यर्थ पानी बहाने का अच्छा विकल्प हो सकता है। वर्षा जल संरक्षण पर वन , ग्रामीण विकास , जल-संसाधन विभाग समन्वित कार्य-योजना बनायें। कार्य-योजना ऐसी हो, जिसमें अतिवृष्टि से बाढ़ से बचाव के साथ-साथ वर्षा जल का उपयोग और संरक्षण भी किया जा सके। वर्षा जल संरक्षण महत्वपूर्ण कार्य है। भारत में घटित होने वाली सभी प्राकृतिक आपदाओं में सबसे अधिक घटनाएँ बाढ़ की हैं। यद्यपि इसका मुख्य कारण भारतीय मानसून की अनिश्चितता तथा वर्षा ऋतु के चार महीनों में भारी जलप्रवाह है, परंतु भारत की असम्मित भू-आकृतिक विशेषताएँ विभिन्न क्षेत्रों में बाढ़ की प्रकृति तथा तीव्रता के निर्धारण में अहम भूमिका निभाती हैं। बाढ़ के कारण समाज का सबसे गरीब तबका प्रभावित होता है। बाढ़ जान-माल की क्षति के साथ-साथ प्रकृति को भी हानि पहुँचती है। अतः सतत् विकास के नज़रिये से बाढ़ के आकलन की ज़रूरत है। सामान्यतः भारी वर्षा के बाद जब प्राकृतिक जल संग्रहण स्रोतों/मार्गों की जल धारण करने की क्षमता का संपूर्ण दोहन हो जाता है, तो पानी उन स्रोतों से निकलकर आस-पास की सूखी भूमि को डूबा देता है लेकिन बाढ़ हमेशा भारी बारिश के कारण नहीं आती है, बल्कि यह प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों ही कारणों का परिणाम है। बाढ़ का पानी संक्रमण को अपने साथ लाता है बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में कई तरह की बीमारियाँ, जैसे- हैजा, आंत्रशोथ, हेपेटाईटिस एवं अन्य दूषित जलजनित बीमारियाँ फैल जाती हैं। बाढ़ की स्थिति इसे और अधिक हानिकारक बना सकती है। असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश (मैदानी क्षेत्र) और ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और गुजरात के तटीय क्षेत्र तथा पंजाब, राजस्थान, उत्तर गुजरात एवं हरियाणा में बार-बार बाढ़ आने और कृषि भूमि तथा मानव बस्तियों के डूबने से देश की अर्थव्यवस्था तथा समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है। मध्यप्रदेश के धार में कारम डैम में हमने गंभीर हालातों को देखा। देश में असम में बाढ़ हो या हिमाचल में अतिवृष्टि हर जगह सरकारी प्रबंधन बौने नजर आते हैं। बाढ़ से बचने के लिए इस बारे में गंभीरता से सोचना जरूरी है, बारिश पूर्व और अतिवृष्टि के क्षेत्रों में शासन-प्रशासन को अधिक मुस्तैदी से आंकलन कराने की जरूरत है। तालाबों के गहरीकरण, बांधों से नहरों में पानी छोड़ने के प्रबंधन, वाॅटर हार्वेस्टिंग को बढ़ावा और किसी भी निर्माण कार्य में दूरदर्शी सोच और योजना से कई हालातों को टाला जा सकता है।
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घाट से हटाई गई दुकाने ,बाढ़ जैसे हालात बन रहे चित्रकूट में लगातार हो रही बारिश से मंदाकनी नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ है जल स्तर बढ़ने से रामघाट की सभी सीढ़िया और दुकानें डूब गई हैं लगातार बारिश के चलते हालात बिगड़ते जा रहे हैं मध्यप्रदेश के कई जिलों में लगातार बारिश का दौर जारी है भारी बारिश के चलते नदी नाले उफान पर है वहीं जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया चित्रकूट में लगातार हो रही बारिश से मंदाकनी नदी का जलस्तर भी बढ़ा हुआ है लगातार बाढ़ का पानी शहर के अंदर प्रवेश कर रहा है घाट की सभी दुकानों में पानी भरने के कारण दुकानों को खाली कराया जा रहा है चित्रकूट की मंदाकनी नदी में बाढ़ आने से कई गांव प्रभावित हो सकते है पहाड़ क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश से बाढ़ जैसे हालात निर्मित हो गए हैं।
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भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विश्व फोटोग्राफी दिवस पर प्रेस फोटोग्राफर्स के साथ पौध-रोपण किया। मुख्यमंत्री चौहान ने स्वयं प्रेस फोटोग्राफर्स की फोटो खींची तथा उन्हें विश्व फोटोग्राफी दिवस की शुभकामनाएँ दी।मुख्यमंत्री चौहान ने बादाम, पीपल और गोंदी के पौधे लगाए। फोटो जर्नलिस्ट वेलफेयर सोसाइटी भोपाल के अध्यक्ष शमीम खान, मुख्यमंत्री प्रेस प्रकोष्ठ के फोटोग्राफर सलीम मिर्जा, प्रदेश टाइम्स के रविंदर सिंह, हरिभूमि के जसप्रीत सिंह, स्वदेश के एन. चौकसे सहित प्रेस फोटोग्राफर संदीप गुप्ता, पृथ्वीराज और विष्णु भी पौध-रोपण में शामिल हुए। मुख्यमंत्री चौहान के साथ 6 वर्षीय दिव्यांका भोंसले ने भी पौधा लगाया .. छत्रपति शिवाजी सेवा कल्याण समिति भोपाल से जुड़े उनके परिवार के सदस्य दिनेश भोंसले, दुर्गेश भोंसले श्रीमती प्रियंका भोंसले ने भी पौध-रोपण किया। समिति के सदस्य मुकेश मेल, आकाश प्रजापति, विभा गरूड़, ज्योति अंधाडे भी पौध-रोपण में शामिल हुई।
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अनुराग भारत देश की आजादी की 75 वीं वर्षगांठ "आजादी का अमृत महोत्सव" के अवसर पर नई दिल्ली एनसीआर के नोएडा स्थित सेक्टर 62 से नेशनल हिंदी न्यूज़ चैनल "भारत 24" (vision of new India) की धमाकेदार लॉन्चिंग की गई। न्यूज़ चैनल का उद्घाटन केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर जी द्वारा किया गया। इस अवसर पर भारत 24 न्यूज़ चैनल के डायरेक्टर रमेश लांबा, चैनल के सीईओ जगदीश चंद्रा, मैनेजिंग एडिटर अजय कुमार सहित देश के जाने-माने न्यूज़ एंकर एवं रिपोर्टर सहित चैनल का समस्त स्टाफ उपस्थित रहा ।उद्घाटन के इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भारत 24 न्यूज़ चैनल को बधाई देते हुए कहा की "भारत 24"(vision of new India) न्यूज़ चैनल भारत सरकार की बात जनता तक और जनता की आवाज भारत सरकार तक पहुंचाने का काम करेगा।
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माँ शारदा की नगरी मैहर के पत्रकारों को दिल से सलाम करने का मन कर रहा है। मैहर के पत्रकारों ने लोगों को जागरूक करने के लिए एक शानदार तिरंगा यात्रा निकाली और हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाने में अपनी महती भूमिका अदा की मैहर का हर छोटा बड़ा पत्रकार तिरंगे की खातिर सड़क पर आया। हलाँकि ये काम महानगरों के पत्रकारों को करना चाहिए था। लेकिन अफसोस ऐसा हुआ नहीं। तमाम पत्रकारों के संगठन और क्लब इस मामले में फिसड्डी ही साबित हुए। हर शहर में पत्रकारों के भी कई धड़े हैं लेकिन पर मैहर जैसी चेतना किसी की जागृत नहीं हुई। छोटी जगह के पत्रकारों में बड़ा काम कर दिखाया वहीँ बड़ी जगह के बड़े पत्रकार कुछ और ही तीन तेरह में लगे रहे।
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अनुराग उपाध्याय मध्यप्रदेश सरकार ने डिजीटल मीडिया में काम कर रहे लोगों को खुश खबरी दे दी है। सरकार डिजीटल मीडिया को विज्ञापन देने की पॉलिसी ले आई है। वेब साईट हों ओटीटी प्लेटफॉर्म हों या फिर सोशल मीडिया अब हर जगह मध्यप्रदेश सरकार अपना प्रचार करती नजर आएगी। इस समय देश में 76 फीसदी लोग डिजीटल मीडिया से जुड़े हुए हैं। ऐसे में उन तक अपनी बात पहुँचने के लिए इस तरह की पॉलिसी की जरुरत एक लम्बे आरसे से महसूस की जा रही थी। हालाँकि इस पॉलिसी में भी कुछ कमियां और कुछ खूबियां हैं लेकिन यह सरकार के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी इससे इंकार नहीं किया जा सकता।
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डॉ. केसवानी संतों को आवश्यकता नहीं लक्जरी लाइफ की, मिर्ची बाबा जीता है लक्जरी लाइफ स्टाइल, जांच होने पर और भी मामले आएंगे सामने भोपाल। हाल ही में बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार हुए वैरागयनंद उर्फ मिर्ची बाबा को लेकर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी ने कहा है कि मिर्ची बाबा एक पाखंडी है, जिसका काम केवल और केवल संत समाज को बदनाम करना है। मिर्ची बाबा संतों का चोला ओढ़ कर कांग्रेस के बैनर पर अपनी वासनाओं की पूर्ति कर रहा है। ऐसे फर्जी बाबाओं के कारण संत समाज को अपमान के घूट पीने पड़ते हैं। वहीं कांग्रेस की नीति सदैव सनातन धर्म को अपमानित करने की रही है। इसलिए वो सदैव से ऐसे पाखंडियों को आगे कर भाजपा और हिंदू धर्म को बदनाम करने की साजिश रचती रही है। डॉ. केसवानी ने कहा है कि इस मामले की पूरी जांच की जाएगी। संभवतः मिर्ची बाबा के और भी ऐसे मामले सामने आएंगे, जिसमें उसने मासूम युवतियों के साथ खिलवाड़ की होगी। मिर्ची बाबा साधु का चोला ओढ़ कर लक्जरी लाइफ स्टाइल जीता है। इसके आश्रम में छापा पड़ने के बाद कई वीआईपी प्रोडक्ट और ऐशो आराम की चीजें बरामद हुई थीं। दिग्विजय सिंह के हारने के बाद भी नहीं ली जल समाधि : मिर्ची बाबा को राजनीति में लाने का श्रेय दिग्विजय सिंह को जाता है। जिन्होंने इस पाखंडी को अपने फायदे के लिए हिंदुओं की भावनाओं से खिलवाड़ करने के लिए राजनीति में लॉन्च किया। बाबा धर्म का चोला ओढ़ हिंदुओं को कांग्रेस में जोड़ने का काम कर रहा था, लेकिन वो इसमें थोड़ा भी कामयाब नहीं हो पाया। लोकसभा चुनाव के समय बाबा ने घोषणा की थी कि यदि दिग्विजय सिंह भोपाल से चुनाव हार गए, तो वे जलसमाधि ले लेंगे। दिग्विजय चुनाव हार गए और बाबा कि जल समाधि की घोषणा भी झूठी साबित हुई। उसके बाद बाबा फिर से अपनी पाखंड की दुकान की ओर लौट गया, जिसके कारनामे अब सामने आने लगे हैं।कांग्रेस ने दिया था राज्य मंत्री का दर्जा :पूर्व सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाने वाले मिर्ची बाबा को कांग्रेस ने राज्य मंत्री का दर्जा दिया था। मिर्ची बाबा का काम धर्म की आड़ लेकर कांग्रेस की राजनीति चमकाना है। जबकि संत समुदाय का काम लोगों को धर्म की शिक्षा देकर लोगों में परस्पर भाईचारा बढ़ाना होता है, इसके विपरित मिर्ची बाबा हमेशा कड़वी बातें कर लोगों को भड़काता रहा। वो लगातार राजनीति की आड़ में अपनी इच्छापूर्ति के लिए काम करता रहा, जिसका अंजाम उन्हें इस रूप में भुगतना पड़ा। उनकी लाइफ स्टाइल को देख अंदाजा लगाया जा सकता है कि वो इसी तरह के कामों में लिप्त हैं। सरकार इस मामले की पूरी जांच जांच करेगी। ताकि जो भी पीड़ित हैं, उन्हें न्याय मिल सके।
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संसार की सबसे कीमती दौलत है “दोस्ती” प्रवीण कक्कड़ “कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति। बिपति-कसौटी जे कसे, सोई सांचे मीत।” सुविख्यात कवि रहीमदास द्वारा रचित यह दोहा हम सब ने अपने किताबों में पढ़ा है। इस दोहे के माध्यम से कवि हम से कहता है, जब व्यक्ति के पास संपत्ति होती है तब उसके अनेक सगे-संबंधी तथा मित्र बनते हैं, उसके समीप आते हैं, पर विपत्ती के समय में जो आपका साथ दे, वहीं सच्चा मित्र है। आमतौर पर हम उसे दोस्त मानते हैं जो हमारे साथ पढ़ता है, काम करता है, खेलता है या मौज मस्ती करता है लेकिन इसके वास्तविक मायने काफी गहरे हैं। वास्तव में दोस्ती संसार की सबसे कीमती दौलत है अगर यह समय, साथ और समर्पण के सूत्र से बंधी हो। आज फ्रेंडशिप डे है। अन्तरराष्ट्रीय मित्रता दिवस या फ्रेंडशिप डे प्रत्येक वर्ष अगस्त के प्रथम रविवार को मनाया जाता है। सर्वप्रथम मित्रता दिवस 1958 को आयोजित किया गया था। वर्ल्ड फ्रेंडशिप डे दोस्ती मनाने के लिए एक खास दिन है। यह दिन अमेरिकी देशों में बहुत लोकप्रिय उत्सव हो गया था जबसे पहली बार 1958 में पराग्वे में इसे 'अन्तरराष्ट्रीय मैत्री दिवस' के रूप में मनाया गया था। आरम्भ में ग्रीटिंग कार्ड उद्योग द्वारा इसे काफी प्रमोट किया गया, बाद में सोशल नेटवर्किंग साइट्स के द्वारा और इंटरनेट के प्रसार के साथ साथ इसका प्रचलन विशेष रूप से भारत, बांग्लादेश और मलेशिया में फैल गया। इंटरनेट और सेल फोन जैसे डिजिटल संचार के साधनों ने इस परम्परा को को लोकप्रिय बनाने में बहुत सहायता की। फ्रेंडशिप डे को सेलिब्रेट करना भले ही आज मॉडर्न ट्रेंड हो, लेकिन दोस्ती की यह परंपरा प्राचीन है। राम-सु्ग्रीव व कृष्ण-सुदामा से लेकर अकबर-बीरबल तक कई ऐसे उदाहरण हैं, जिनकी दोस्ती की आज भी चर्चा होती है। भारत के इतिहास व अनुश्रुतियों में इस तरह के कई उदाहरण दर्ज हैं। दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जिसे खून के रिश्ते की जरूरत नहीं होती। व्यक्ति को प्रत्येक रिश्ता अपने जन्म से ही प्राप्त होता है, अन्य शब्दों में कहें तो ईश्वर पहले से बना के देता है, पर दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता है जिसका चुनाव व्यक्ति स्वयं करता है। सच्ची मित्रता रंग-रूप नहीं देखता, जात-पात नहीं देखता, ऊँच-नीच, अमीरी-गरीबी तथा इसी प्रकार के किसी भी भेद-भाव का खंडन करती है। आमतौर पर यह समझा जाता है, मित्रता हम-उम्र के मध्य होती है पर यह गलत है मित्रता किसी भी उर्म में और किसी के साथ भी हो सकती है। जरा सोच कर देखिए बिना दोस्तों की जिंदगी कितनी बोरिंग सी लगती है. हम किसके साथ अपने दिल की बात शेयर करते और बातों-बातों में किसकी टांग खींचते हैं। हंसी-मजाक, रूठना- मनाना बस यही है दोस्ती। व्यक्ति के जन्म के बाद से वह अपनों के मध्य रहता है, खेलता है, उनसें सीखता है पर हर बात व्यक्ति हर किसी से साझा नहीं कर सकता। व्यक्ति का सच्चा मित्र ही उसके प्रत्येक राज़ को जानता है। पुस्तक ज्ञान की कुंजी है तो एक सच्चा मित्र पूरा पुस्तकालय, जो हमें समय-समय पर जीवन की कठिनाईयों से लड़ने में सहायता प्रदान करता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व के निर्माण में दोस्तों की मुख्य भूमिका होती है। ऐसा कहा जाता है की व्यक्ति स्वयं जैसा होता है वह अपने जीवन में दोस्त भी वैसा ही चुनता है और व्यक्ति से कुछ गलत होता है तो समाज उसके दोस्तों को भी समान रूप से उस गलती का भागीदार समझते हैं। क्योकि दोस्तों का फर्ज होता है कि अगर दोस्त से गलती हो तो उसे सही राह दिखाएं और सदमार्ग पर लाने का प्रयास करें। जीवन के हर मोड़ में एक नया दोस्त बनता है। लेकिन गहरा संबंध कुछ ही दोस्तों के साथ हो पाता है हर जगह नहीं मुलाकात में एक नए दोस्त के रुप में कोई न कोई व्यक्ति आपके सामने जरूर आता है। लेकिन हर किसी के साथ गहरी दोस्ती नहीं हो पाती है। दोस्ती में कई बार झगड़े भी होते हैं। लेकिन बिना किसी घमंड के एक दूसरे से माफी मांग ली जाती है। क्योंकि यह रिश्ता निस्वार्थ रिश्ता है। आखिर में इतना कहूँगा कि अच्छे दोस्त बनाओ, कभी भी अपने दोस्तों का दिल मत दुखाओ और उन्हें कभी धोखा नहीं दो । चाहे दुःख हो या सुख हमेशा एक दूसरे का साथ दो और एक दूसरे की हमेशा सहायता करो। यही दोस्ती का असली रूप और असली मजा है।
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भ्रष्टाचारियों को है जेल में जाने का डर : डॉ. केसवानी कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पर भाजपा प्रवक्ता ने साधा निशाना भोपाल। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के उस बयान पर निशाना साधा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वे प्रधानमंत्री मोदी से नहीं डरते हैं। भाजपा प्रवक्ता ने उनको आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री श्री मोदी से वही लोग डरते हैं, जिन्हें देश के विकास की नहीं बल्कि अपनी तिजोरियां भरने की चिंता है। डॉ. केसवानी ने कहा कि देश का विकास, उन्नति, एकता और अखंडता चाहने वाला हर व्यक्ति पीएम मोदी से प्यार करता है। वहीं प्रधानमंत्री भी दिन रात इसी प्रयास में हैं कि देश का हर व्यक्ति विकास की धारा से जुड़े और उसे सम्मान पूर्वक जीने का अधिकार मिले। सुलभ हुआ इलाज, हर निर्धन को मिली छत डॉ. केसवानी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए हर व्यक्ति को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान देने की अनूठी योजना बनाई है। जिन लोगों को इस योजना के तहत पक्के मकान मिले हैं, वे पीएम से प्यार करते हैं। आयुष्मान योजना से जिन लोगों को बेहतर इलाज की सुविधा मिली है, वे पीएम मोदी से प्यार करते हैं। उज्जवला योजना ने चूल्हे के धुंए से 10 करोड़ से ज्यादा माताओं बहनों को मुक्ति दिलाई है। वे भी पीएम के साथ हैं। ऐसे अनेकों योजनाएं हैं, जिन्होंने आम लोगो का तो जीवन बदला है। देश की दशा और दिशा बदली है, देश आज विकास की राह पर अग्रसर है। वहीं जो लोग भ्रष्टाचार के कारण घबराए हुए हैं, वही पीएम मोदी से डर रहे हैं और खुद की घबराहट छिपाने ना डरने का राग अलाप रहे हैं।
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अनुराग उपाध्याय मध्यप्रदेश कांग्रेस के बहुत सारे प्रवक्ता फेल हो गए हैं। कांग्रेस के भीतर प्रवक्ताई की परीक्षा हुई और उसके परिणामों ने सबको सकते में डाल दिया। बताते है कांग्रेस के दमदार प्रवक्ता के के मिश्रा को सौ में से 28 भूपेंद्र गुप्ता को 22 ,अब्बास हाफिज को 20 ,संगीता शर्मा को 20 , अजय सिंह यादव को 19 नंबर मिले हैं। इस परीक्षा में सबसे ज्यादा 98 नंबर मिथुन अहिरवार और और 95 नंबर आनंद जाट के आये हैं। लेकिन कांग्रेस की कसौटी पर कई बड़े प्रवक्ता पासिंग मार्क्स भी नहीं ला पाए हैं। हालाँकि कांग्रेस नेता के के मिश्रा परीक्षा की बात को ही सिरे से खारिज करते हुए इसे भाजपा की शरारत बताते हैं।
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अनुराग उपाध्याय कांग्रेस दफ्तर में बैठाए गए पत्रकार पियूष बबेले भी गिरोह बंदी का शिकार हो गए हैं। उनके आने के बाद से मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के काम काज में तो कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है। अलबत्ता कुछ नए सहाफी उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते जरूर नजर आते हैं। नए पत्रकारों की मानें तो बबेले भी पत्रकारों की गोल्डन गैंग के आगे नतमस्तक नजर आते हैं और नए पत्रकारों को भाव नहीं देते हैं। यही वजह है कि एक मीडिया के व्यक्ति के बैठने के बावजूद कांग्रेस को मीडिया में वो जगह नहीं मिल पा रही जिसकी कांग्रेस हकदार है। वहीँ दूसरी तरफ भाजपा में पत्रकार लोकेन्द्र पराशर मोर्चे पर हैं। नए पत्रकार कहते हैं अगर पराशर और बबेले की तुलना की जाए तो लोकेन्द्र पाराशर को जहाँ सौ में से 80 नंबर दिए जा सकते हैं वहीँ पियूष बबेले के खाते में सिर्फ 20 नंबर जाते हैं।
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(प्रवीण कक्कड़) - ( चरक जयंती 2 अगस्त को ) - आज विदेशी भी अपना रहे हैं भारतीय आयुर्वेद सावन महीने की पंचमी को चरक जयंती मनाई जाती है। आयुर्वेद के ग्रंथ भावप्रकाश के अनुसार आज के ही दिन आयुर्वेद के महान आचार्य चरक का भी जन्म हुआ था। कहा जाता है कि आयुर्वेद को जानने और समझने के लिए आचार्य चरक के चिकित्सा सिद्धांतों को समझना बहुत जरूरी है। इसलिए आयुर्वेद के चिकित्सकों के बीच आचार्य चरक का महत्व सबसे ज्यादा है। चरक आयुर्वेद के पहले चिकित्सक थे, जिन्होंने भोजन के पाचन और रोगप्रतिरोधक क्षमता की अवधारणा को दुनिया के सामने रखा। भारत ही नहीं बल्कि, पूरे विश्व में चरक एक महर्षि एवं आयुर्वेद विशारद के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने आयुर्वेद का प्रमुख ग्रंथ ‘चरक संहिता’ लिखा था। मौजूदा दौर में भारतीय आयुर्वेद को देश के साथ ही विदेश में भी अपनाया जा रहा है और कारगर माना जा रहा है। इसलिए आचार्य चरक को याद करते हुए आज चर्चा करते हैं उनके आयुर्वेदिक सिद्धांतों पर और भारतीय परिपेक्ष में आयुर्वेद पर।चरक संहिता आयुर्वेद का प्राचीनतम ग्रंथ है, जिसमें रोगनिरोधक व रोगनाशक दवाओं का उल्लेख मिलता है। इसके साथ ही साथ इसमें सोना, चांदी, लोहा, पारा आदि धातुओं से निर्मित भस्मों और उनके उपयोग की विधि भी बताई गई है। आज हम जिस आयुर्वेद को देखते हैं वह महर्षि पतंजलि और महर्षि चरक के श्रम और साधना का ही परिणाम है। आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। आयुर्वेद, भारतीय आयुर्विज्ञान है। आयुर्विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसका सम्बन्ध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है। आयुर्वेदीय चिकित्सा विधि सर्वांगीण है। आयुर्वेदिक चिकित्सा के उपरान्त व्यक्ति की शारीरिक तथा मानसिक दोनों दशाओं में सुधार होता है। आयुर्वेदिक औषधियों के अधिकांश घटक जड़ी-बूटियों, पौधों, फूलों एवं फलों आदि से प्राप्त की जातीं हैं। अतः यह चिकित्सा प्रकृति के निकट है। व्यावहारिक रूप से आयुर्वेदिक औषधियों के कोई दुष्प्रभाव (साइड-इफेक्ट) देखने को नहीं मिलते। अनेकों जीर्ण रोगों के लिए आयुर्वेद विशेष रूप से प्रभावी है। आयुर्वेद न केवल रोगों की चिकित्सा करता है बल्कि रोगों को रोकता भी है। आयुर्वेद भोजन तथा जीवनशैली में सरल परिवर्तनों के द्वारा रोगों को दूर रखने के उपाय सुझाता है। आयुर्वेदिक औषधियाँ स्वस्थ लोगों के लिए भी उपयोगी हैं।आयुर्वेदिक चिकित्सा अपेक्षाकृत सस्ती है क्योंकि आयुर्वेद चिकित्सा में सरलता से उपलब्ध जड़ी-बूटियाँ एवं मसाले काम में लाये जाते हैं। आयुर्वेदीय चिकित्सा विधि सर्वांगीण है एवं इस चिकित्सा के उपरान्त व्यक्ति की शारीरिक तथा मानसिक दोनों दशाओं में सुधार होता है। आयुर्वेदिक औषधियों के अधिकांश घटक जड़ी-बूटियों, पौधों, फूलों एवं फलों आदि से प्राप्त की जातीं हैं। अनेकों जीर्ण रोगों के लिए आयुर्वेद विशेष रूप से प्रभावी है। आयुर्वेद न केवल रोगों की चिकित्सा करता है बल्कि रोगों को रोकता भी है। आयुर्वेदिक चिकित्सा अपेक्षाकृत सस्ती है क्योंकि आयुर्वेद चिकित्सा में सरलता से उपलब्ध जड़ी-बूटियाँ एवं मसाले काम में लाये जाते हैं। गत दिनों पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा था कि आयुर्वेद विशेषज्ञों से रोगों के उपचार एवं महामारी विज्ञान के नए-नए क्षेत्रों में आयुर्वेद की प्रभावशीलता एवं लोकप्रियता को बढ़ाने का आह्वान करते हुए कहा कि भारत के गांवों में आज भी पारंपरिक आयुर्वेद चिकित्सा पद्धतियां प्रचलित हैं। उन्होंने कहा था कि अभी भी किसी अन्य चिकित्सा पद्धति ने इसका स्थान नहीं लिया है।
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भाजपा प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी बोले, मोदी की नीतियों से हुआ भाजपा मय देश भाजपा मय प्रदेश त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव परिणामों में भाजपा को मिली शानदार जीत भोपाल। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव परिणामों में मप्र में भाजपा द्वारा कांग्रेस को दिए गए क्लीन स्वीप के बाद भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी ने कहा है कि प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी की न्यू इंडिया विजन, मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान की सेवा और प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा की चुनावी रणनीति का ही परिणाम है कि भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर साबित किया है कि भाजपा आज हर नागरिक के दिल में अपनी विशिष्ट जगह बना चुकी है। डॉ. केसवानी ने कहा कि चुनाव से पहले कांग्रेस द्वारा भाजपा को शहर की पार्टी कहकर कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ने का प्रयास किया गया। हालांकि नगरीय निकाय चुनाव परिणामों में भी भाजपा ने अपनी रणनीति और प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा किए गए विकास और न्यू इंडिया विजन का लोहा मनवाया, लेकिन त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के परिणामों ने यह साबित कर दिया है कि भाजपा आज देश और प्रदेश के कोने कोने में बैठे लोगों की दिल में जगह बना चुकी है। 65 हजार बूथों पर पहले डिजीटली फिर प्रत्यक्ष किया निरीक्षण : डॉ. केसवानी ने बताया कि इस जीत के लिए कार्यकर्ताओं ने दिन रात मेहनत की है। प्रदेश के 65 हजार बूथों पर भाजपा पहले डिजीटली पहुंची। बूथों के डिजीटल निरीक्षण के बाद भी कार्यकर्ता घर पर नहीं बैठे, बल्कि प्रत्यक्ष पहुंचकर बैठकें ली। इस दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारत के विकास के लिए किए जा रहे कार्यों और न्यू इंडिया विजन को प्रदेश के कोने कोने में पहुंचाया गया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा 15 सालों की सेवा की जानकारी भी हर बूथ तक और कार्यकर्ताओं तक पहुंचाई गई। यह सीएम श्री शिवराज की मेहनत का ही परिणाम है, जिसके कारण प्रदेश विकास के मामले में नए कीर्तिमान रच रहा है। वहीं प्रदेश अध्यक्ष माननीय श्री वीडी शर्मा की कुशल रणनीति के कारण ही भाजपा ने इतनी बड़ी जीत हासिल की है। कुछ इस तरह रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2022 के चुनाव परिणाम : कुल जिला पंचायतों की संख्या : 52 भाजपा : 41 कांग्रेस : 10 कोर्ट स्टे : 01 कुल जनपद पंचायतों की संख्या : 313 भाजपा : 227 कांग्रेस : 65 अन्य : 21 कोर्ट स्टे : 01 कुल ग्राम पंचायतें : 22924 भाजपा समर्थित : 20613
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सहकारिता मंत्री डॉ. भदौरिया सहकारिता एवं लोक सेवा प्रबंधन मंत्री डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया ने कहा है कि अब हर वर्ष अटेर उत्सव मनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार ओरछा उत्सव और अन्य उत्सव का आयोजन किया जाता है, उसी प्रकार संस्कृति विभाग द्वारा अटेर उत्सव का प्रतिवर्ष आयोजन होगा। इस वर्ष अटेर में 27-28 नवम्बर को अटेर उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। यह बातें सहकारिता मंत्री डॉ. भदौरिया ने भिण्ड में मीडिया प्रतिनिधियों से अनौपचारिक चर्चा के दौरान कहीं। सहकारिता मंत्री डॉ. भदौरिया ने कहा कि मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी और पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री माननीय सुश्री उषा ठाकुर जी ने अटेर उत्सव आयोजन के उनके आग्रह को स्वीकार किया। इसके लिये वह क्षेत्र की जनता की ओर से उनका ह्रदय से आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि अटेर उत्सव आयोजन के लिये उनके द्वारा पिछले वर्षों से पहल की जा रही थी। सहकारिता मंत्री डॉ. भदौरिया ने कहा कि अटेर के ऐतिहासिक, पुरातात्विक और सांस्कृतिक विरासत से नई पीढ़ी को अवगत कराने के लिये अटेर उत्सव में विभिन्न प्रकार की सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जायेगा। भिण्ड जिले के अटेर की ऐतिहासिक, पुरातात्विक धरोहर के संरक्षण का कार्य भी होगा। अटेर उत्सव राज्य सरकार के सांस्कृतिक आयोजन के कैलेण्डर में सम्मिलित किया गया है।
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अपनी नाकामी छिपाने कार्यकर्ताओं की ले रहे हैं परीक्षा : डॉ. केसवानी भोपाल। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा हाल ही में आयोजित मीडिया कमेटी की परीक्षा पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी ने तंज कसा कसते हुए इस परीक्षा पर ही सवालिया निशान लगा दिया है। उन्होंने कहा है कि केंद्र में राहुल गांधी फेल और एमपी में कमलनाथ और पूरी कांग्रेस फेल हो गई है। तो इस तरह के एग्जाम क्यों कंडक्ट किए जा रहे हैं। भाजपा प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि नाथ अपनी और राहुल की फैलियर छिपाने कार्यकर्ताओं को परेशान कर रहे हैं। इससे केवल और केवल कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरेगा। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और कमलनाथ हर मोर्चे और हर चुनाव में फेल साबित हुए हैं। देश और प्रदेश की जनता का भरोसा कांग्रेस से उठ गया है। उन्होंने कहा कि कोई ऐसा एग्जाम भी हो, जिसमें राहुल गांधी और कमल नाथ सहित सभी दिग्गजों की दक्षता को आंका जाए। जिससे पता चले की पार्टी की भविष्य में दिशा और दशा क्या होगी? नटवर, अजीज और पीके ने भी दिखाया है आईना भाजपा प्रवक्ता ने बताया कि राहुल के नेतृत्व को कांग्रेस के वरिष्ठ लोग ही नकार चुके हैं। हाल में नटवर सिंह ने कहा है कांग्रेस को सोनिया गांधी और राहुल गांधी की जरूरत नहीं है। जबकि इन दोनों को कांग्रेस की जरूरत है। नटवर ने आरोप लगाया कि जब तक इन दोनों या गांधी परिवार में किसी के भी हाथ कांग्रेस की बागडोर रहेगी तो वे किसी भी योग्य व्यक्ति को आगे नहीं आने देंगे। अजीज कुरैशी ने भी राहुल गांधी को अपरिपक्व बताते हुए कहा था कि जब तक उनके हाथ कांग्रेस की बागडोर है, कांग्रेस का भला नहीं हो सकेगा। वहीं पीके ने भी राहुल को आइना दिखाते हुए कहा था कि उनके कार्यकाल में पार्टी 90 फीसदी चुनाव हारी है।लगातार हार रही है कांग्रेस भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने 2018 में बनाई सरकार बनाई थी। लेकिन इसे नाथ संभाल नहीं पाए, 18 महीने बाद ये सरकार गिर गई। इसके बाद 28 उपचुनाव, नगरीय निकाय और जनपद हर चुनाव में कांग्रेस हारी ही है। ऐसे में एक टेस्ट तो नाथ का भी होना चाहिए। जिससे उनके कामकाज का आंकलन किया जा सके। ये है पूरा मामला कांग्रेस के मध्य प्रदेश चीफ कमल नाथ ने हाल ही में पीसीसी में कांग्रेस की प्रदेश मीडिया कमेटी का एक एग्जाम कंडक्ट किया था। इस एग्जाम में लगभग सभी पदाधिकारी फेल हो गए थे, एक पदाधिकारी को जीरो मार्क्स भी दिए गए। डॉ. केसवानी ने कहा कि इस तरह के एग्जाम केवल मनोबल को गिराने का ही काम करते हैं। इस कमेटी की जिम्मेदारी पार्टी के ऑफिशियल बयान मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से आम लोगों तक पहुंचाना है।
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(प्रवीण कक्कड़) भारत के 15वें राष्ट्रपति का चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू भारत की नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बनीं और वरिष्ठ नेता श्री यशवंत सिन्हा ने संसदीय गरिमा के अनुरूप चुनाव में भाग लिया। इस लेख में हम राष्ट्रपति चुनाव की राजनीति के बजाय भारत के राष्ट्रपति के पद के महत्व के बारे में चर्चा करेंगे।जब भारत का संविधान बन रहा था, तब इस बात पर बड़ी गंभीरता से विचार चल रहा था कि भारत में अमेरिका की तर्ज की राष्ट्रपति प्रणाली होनी चाहिए या ब्रिटेन की तर्ज वाली संसदीय यानी प्रधानमंत्री प्रणाली। संविधान सभा की स्थापना से पहले ही पंडित जवाहरलाल नेहरू ने विधि विशेषज्ञ और उस जमाने के प्रतिष्ठित न्यायाधीश श्री बी एन राऊ से आग्रह किया की वे भारत के लिए एक भविष्योन्मुखी और वर्तमान पर खरा उतरने वाले संविधान का निर्माण करें। बीएन राउ साहब दुनिया के अलग-अलग देशों में गए और वहां के संविधान और शासन प्रणाली का अध्ययन किया।उसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पंडित नेहरू, डॉ राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्लभभाई पटेल, मौलाना आजाद के साथ ही डॉक्टर भीमराव अंबेडकर आदि ने भारत की संसदीय प्रणाली के बारे में अपनी राय का निर्धारण किया।उस समय तक भारत में वर्तमान राष्ट्रपति के समकक्ष का पद गवर्नर जनरल का होता था। भारत के साथ आजाद हुए पाकिस्तान ने मोहम्मद अली जिन्ना को अपना पहला गवर्नर जनरल ही नियुक्त किया था। लेकिन भारत के लोगों ने तय किया कि भारत में कमोबेश ब्रिटेन की तर्ज का लोकतंत्र हो, जिसमें कैबिनेट सर्वोच्च हो और प्रधानमंत्री समान दर्जे के मंत्रियों के बीच पहला मंत्री बने। भारत में राष्ट्रपति का पद भी तय किया गया, जिसकी शक्तियां कुछ कुछ ब्रिटेन की महारानी की तरह होती है। लेकिन उसकी शक्तियां अमेरिका के राष्ट्रपति की तरह नहीं होती। अमेरिका का राष्ट्रपति एक सम्राट से थोड़ा कम और प्रधानमंत्री से कहीं अधिक शक्तिशाली होता है।क्योंकि भारत के राष्ट्रपति का पद ग्रेट ब्रिटेन के राजा या रानी की तरह का होता है तो उसमें कई बार ऐसा लगता है कि वह रबड़ स्टांप होता है। लेकिन ऐसा नहीं है। भारत के राष्ट्रपति को अपनी ज्यादातर जिम्मेदारियों का निर्वाह मंत्रिमंडल के परामर्श पर करना होता है, लेकिन उसके पास नीर क्षीर विवेक करने का पर्याप्त मौका भी होता है।इसकी प्रमुख वजह यह है कि वह जनता के द्वारा भले ही सीधे ना चुना गया हो लेकिन देश के विधायक और सांसद उसके लिए वोट डालते हैं। यानी राष्ट्रपति एकदम से बिना निर्वाचन के चुने जाने वाला व्यक्ति नहीं है।राष्ट्रपति से यह आशा की जाती है कि अगर लोकसभा लोकलुभावन फैसले लेने के दबाव में कोई कानून पास कर देती है और राज्यसभा के बुद्धिमान सदस्य भी उस पर अपनी मोहर लगा देते हैं तो उसके पास अधिकार है कि वह वापस संसद को उस कानून को एक बार फिर से देखने के लिए भेज सकें। भारत के राष्ट्रपति को शपथ दिलाने का काम प्रधानमंत्री या दूसरा कोई व्यक्ति नहीं करता बल्कि भारत के प्रधान न्यायाधीश करते हैं।भारत का राष्ट्रपति एक ऐसी सर्वोच्च संवैधानिक कचहरी है, जहां पर हर कोई अपनी फरियाद कर सकता है। आपने बहुत से ऐसे मामले देखे होंगे जब विपक्ष के नेता प्रतिनिधिमंडल लेकर प्रधानमंत्री या केंद्र सरकार के खिलाफ शिकायत करने राष्ट्रपति के पास जाते हैं। राष्ट्रपति इनमें से ज्यादातर मामलों में संबंधित शिकायत को गृह मंत्रालय के पास ही भेज देते हैं लेकिन राष्ट्रपति के पास शिकायत करने का नैतिक महत्व बहुत अधिक होता है।इस देश में हमने ऐसे भी उदाहरण देखे हैं जब डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद से लेकर प्रणव मुखर्जी तक राष्ट्रपति ने कई जगह संसद के कार्यकलाप की बहुत सटीक संवैधानिक आलोचना की है या उसके किए फैसलों पर आंख मूंद कर सहमति जताने से इनकार किया है। क्योंकि भारत के राष्ट्रपति की परिकल्पना बहुत हद तक ग्रेट ब्रिटेन के राजा की तरह होती है। और यह माना गया है कि राजा कोई गलती नहीं कर सकता। गलती ना करने के लिए यह जरूरी है कि व्यक्ति अपने हाथ से कोई काम ना करे। इसीलिए ब्रिटेन के राजा की तर्ज पर भारत का राष्ट्रपति भी स्वयं कोई काम नहीं करता, उसकी तरफ से मंत्रिगण ही सारे काम संपादित करते हैं। इस हैसियत के कारण राष्ट्रपति भारत का प्रथम नागरिक होता है और उसके साथ लगभग वैसा ही सम्मान का व्यवहार किया जाता है, जैसा व्यवहार पुराने जमाने में राजाओं के साथ होता था। भारत में प्रधानमंत्री आवास बदलते रहे हैं, लेकिन राष्ट्रपति भवन आज तक वही है जो पहले राष्ट्रपति के लिए तय हुआ था। प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल 5 साल से पहले भी खत्म हो जाते हैं, लेकिन राष्ट्रपति पूरे 5 साल तक अपने पद पर रहता है।भारत का राष्ट्रपति अगर किसी कार्यक्रम में जाता है तो वह निर्वाचित प्रधानमंत्री या अन्य किसी संसदीय व्यक्ति की तुलना में उसकी कुर्सी सबसे ऊपर होती है। वह भारतीय लोकतंत्र की गरिमा का जीवंत प्रतिमान है।इसीलिए हम सबको याद रखना चाहिए कि राष्ट्रपति का सम्मान देश के सम्मान के समकक्ष है। वह चुनाव में उतरने से पहले ही अपने सभी किस्म के राजनीतिक राग द्वेष और संबंधों को त्याग देता है। पूरे देश में उसी के पास सुप्रीम कोर्ट में सुनाए गए फैसले के बारे में भी पुनर्विचार करने का अधिकार होता है। यह पद सर्वोच्च नैतिकता और सर्वोच्च सम्मान की मांग करता है। क्योंकि अगर पहली चीज नहीं आई तो दूसरी चीज चाह कर भी नहीं दी जा सकती। भारत के राष्ट्रपति के इन विशेषताओं और जिम्मेदारियों को हमें समझना चाहिए। और इन विशेषताओं के बहाने भारतीय लोकतंत्र की जटिलता और विकेंद्रीकृत स्वभाव को भी समझना चाहिए।
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प्रिंट की तुलना में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कम जवाबदेह भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने रांची में आयोजित एक कार्यक्रम में मीडियो को लेकर तीखी टिप्पणी की। CJI NV Ramana ने कहा, इन दिनों जजों पर हमले बढ़े हैं। बिना किसी सुरक्षा या सुरक्षा के आश्वासन के न्यायाधीशों को उस समाज में रहना होगा जिसमें उन्होंने लोगों को दोषी ठहराया है। न्यायमूर्ति एसबी सिन्हा स्मृति व्याख्यान के अवसर पर CJI ने कहा, 'मैंने कई मौकों पर अदालतों में लंबित मुकदमों का मामला उठाया है। मैं न्यायाधीशों को उनकी पूरी क्षमता के अनुसार कार्य करने में सक्षम करने का प्रबल समर्थक रहा हूं। इसके लिए के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार करने की आवश्यकता है।'इस दौरान उन्होंने देश में मीडिया की स्थिति पर भी बहुत कठोर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि मीडिया अपनी जिम्मेदारियों का उल्लंघन करता है, जिससे हमारा लोकतंत्र दो कदम पीछे जा रहा है। प्रिंट मीडिया भी कुछ हद तक जवाबदेह है, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जवाबदेही शून्य हो गई है। मीडिया ऐसे मुद्दों पर कंगारू कोर्ट चला रहा है, जो जजों के लिए भी काफी मुश्किल होते हैं।उन्होंने आगे कहा, आधुनिक लोकतंत्र में एक न्यायाधीश को केवल एक कानून निर्माता के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता है। लोकतांत्रिक जीवन में न्यायाधीश का विशेष स्थान है। वह समाज की वास्तविकता और कानून के बीच की खाई को पाटता है, वह संविधान की लिपि और मूल्यों की रक्षा करता है।
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नेहा बग्गा बूथ अध्यक्ष, महामंत्री और बी.एल.ए भारतीय जनता पार्टी की रीढ़ की हड्डी हैं। सजग और उत्साहित त्रिदेव ने स्थानीय निकाय के चुनाव में भाजपा का परचम लहराया।जब से जनसंघ की स्थापना हुई और भारतीय जनता पार्टी बनी, तभी से वह पूरे देश में एक मात्र ऐसी पार्टी है जो संगठन और विचारधारा के आधार पर चलती है। सभी पार्टियों का आप एक एक कर विश्लेषण कर लीजिए, सभी नेताओं के आधार पर चलती हैं, घरानों के आधार पर चलती हैं और जातियों के आधार पर भी चलती हैं। एक अकेली बीजेपी ऐसी पार्टी है, जिसका प्राण तत्व है उसका संगठन और संगठन में भी उसका प्राण तत्व है बूथ कमेटी, बूथ के इंचार्ज। मध्यप्रदेश के सभी कार्यकर्ता नेता अभिनंदन के पात्र हैं जिन्होंने त्रिदेव योजना को जमीनी स्तर पर लागू करने का कार्य किया।त्रिदेव बूथ के वह तीन कार्यकर्ता हैं जो भारतीय जनता पार्टी की रीढ़ की हड्डी हैं। अगर यह 3 कार्यकर्ता सजग हैं, उत्साहित हैं और अगर ये विजय का संकल्प लेते हैं तो कोई विजय को रोक नहीं सकता, विजय हो के रहती है। भारतीय जनता पार्टी जब भी चुनाव के मैदान में जाती है तो सबसे पहले बूथ के कार्यकर्ताओं को जागरूक और संगठित करने का कार्य करती है। जबकि बाकी सभी पार्टियां जातियों और नेताओं के आधार पर चुनाव लड़ती है। इसलिए आज नगर निगम में भारतीय जनता पार्टी को16 नगर निगम में से 9 नगर निगम भाजपा की विजयी हुई है। 76 नगर पालिका में 50 में भाजपा को स्पष्ट बहुमत है। (कुल 65) वही 255 नगर परिषद में से 185 में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला है, 46 में हमारी स्थिति अच्छी है। कुल (231).वर्ष 2014 में 98 नगर पालिकाओं के चुनाव में भाजपा 54 सीटों पर विजयी हुई थी, कुल 55 प्रतिशत, इस वर्ष 76 नगर पालिकाओं के चुनाव में भाजपा 65 सीटों पर अपना अध्यक्ष बनाने जा रही है, जीत का प्रतिशत 85 प्रतिशत रहा है।वर्ष 2014 में 264 नगर परिषद के चुनाव में भाजपा 154 सीटों पर विजयी हुई थी। कुल 58 प्रतिशत, इस वर्ष 255 नगर परिषद के चुनाव में भाजपा 231 सीटों पर अपना अध्यक्ष बनाने जा रही है। जीत का प्रतिशत 90.58 प्रतिशत रहा है। कटनी, रायसेन, राजगढ, सागर, जबलपुर, सिवनी, देवास, सीहोर, नरसिंहपुर, रीवा, मुरैना इन जिलों की नगर परिषदों में भाजपा का प्रदर्शन लगभग शत प्रतिशत रहा है।विदिशा, छिंदवाडा, सीहोर, सागर, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर इन पांच जिलों की नगर पालिकाओं में हम शत प्रतिशत जीते है। छिंदवाडा जिले की तीनों नगर पालिकाओं (अमरवाडा, चौरई और परासिया) में भाजपा जीती है।जबलपुर में 8 में से 6 नगर परिषद में भाजपा विजयी हुई है। मुरैना में 5 में से 4 नगर परिषद में भाजपा विजयी हुई है। रीवा में 12 में से 11 नगर परिषद में भाजपा विजयी हुई है।ग्वालियर में सभी 5 नगर परिषदों में कांग्रेस की अपेक्षा भाजपा का प्रदर्शन बेहतर है। कटनी में 3 नगर परिषद में से 3 में भाजपा विजयी हुई है।16 नगर निगम के 884 वार्डों में से 491 वार्डो में भाजपा विजयी रही।76 नगरपालिकाओं के 1795 वार्डों में से 975 वार्डों में भाजपा विजयी रही। 255 नगर परिषदों के 3828 वार्डों में 2002 वार्डो में भाजपा विजयी रही। भारतीय जनता पार्टी पॉलिटिक्स ऑफ परफॉर्मेंस के आधार पर राजनीति को बदलना चाहती है, राजनीति में ऐसी कार्य संस्कृति बनाना चाहती है, जिसका आधार सरकार के काम हों और उसी को जन जन तक पहुंचाने का काम बीजेपी के संगठन में त्रिदेव और बूथ विस्तारक योजना के जमीनी कार्यकर्ताओं ने किया है, जो राजनैतिक और सामाजिक तौर पर 365 दिन 24 घंटे जनता के बीच में रहकर सरकार की योजनाओं को अंतिम पंक्ति में बैठे हुए व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए सक्रिय रहते हैं। भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता हर बूथ पर, हर गांव पर, हर पहाड़ पर संघर्ष कर पार्टी और सरकार के कार्य को घर-घर पहुंचाने में सफल हुआ है।यह सभी के लिए गौरव का क्षण है और भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता यह अनुभूति करता है इस सरकार ने सदैव उनकी भी सेवा की जिन्होंने वोट नहीं दिया। वैक्सीन उनको भी लगाई जिन्होंने वैक्सीन का समर्थन नहीं किया। यह मेरी सरकार का संस्कार है। नरेंद्र मोदी जी का नारा है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास। हम सर्वे भवन्तु सुखिन: वाली पार्टी हैं। पूरे प्रदेश में इतनी बड़ी संख्या में पार्षदों का चुन कर आना बीजेपी की बूथ विस्तारक योजना, बूथ के कार्यकर्ताओं के परिश्रम और जनता ने जिस तरीके से सहयोग किया वह भारतीय जनता पार्टी के प्रति लोगों के विराट विश्वास को दर्शाता है। (लेखिका भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता हैं | )
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सुधीर चौधरी आज तक पर प्रकट हुए तो उन्होंने कहा सिर्फ स्थान बदला है और नाम बदला है। अब परिवार और बड़ा हो गया है। अब रात नौ बजे से ‘आजतक’ पर सुधीर चौधरी शो ब्लैक एण्ड व्हाइट लेकर आये हैं ,ज़ी पर उनके शो का नाम डीएनए था।ज़ी छोड़ने के बाद से सुधीर चौधरी को लेकर तरह तरह की चर्चाएं थीं। जिन पर उनके आज तक पहुँचने पर विराम लगा। वे आजतक पहुंचे हैं तब से चर्चा थी कि उनके शो का नाम क्या होगा। इस काम में आजतक समूह भी जुटा हुआ था और अंततः उनके शो का नाम ब्लैक एण्ड व्हाइट रखा गया। सुधीर चौधरी का डीएनए शो जी न्यूज़ पर काफ़ी हिट था। खूब टीआरपी भी जबर आती थी। अब देखना है आजतक पर “ब्लैक एंड व्हाइट” शो जनता को कितना पसंद आता है और नंबर गेम में वो कहाँ तक पहुंचता है।
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हंगामे का वीडियो हुआ वायरल,अकेली छात्रा तीन छात्राओं पर भारी छतरपुर से एक हंगामे का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है जिसमे एक अकेली छात्रा तीन छात्राओं के साथ फ़िल्मी स्टाइल में मारपीट करती दिखाई दे रही हैं छात्राओं के बीच मारपीट में चाक़ू भी इस्तमाल किया गया है बताया जा रहा है ये छात्रा महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड यूनिवर्सिटी की है जिसे अन्य कॉलेज की तीनो छात्राएं परीक्षा देने से रोकने आई थी छतरपुर में छात्राओं के बीच हुई मारपीट का एक वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है जिसमे महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड यूनिवर्सिटी की एक छात्रा के साथ तीन छात्राऐं मारपीट करने पहुंची थी लेकिन जिस अकेली छात्रा को ये तीनो छात्राएं मारने पहुंची थी उस छात्रा ने तीनो छात्राओ की फिल्मी स्टाईल मे मारपीट कर दी छात्रों के बीच हुई मारपीट का वीडियो वहां खड़े हंगामा देख रहे कुछ छात्रों ने बना लिया जो अब सोशल मीडिया की सुर्खियां बना हुआ है हंगामे की सूचना सिविल लाईन.पुलिस को लगते ही वह भी मौके पर पहुँच गयी और इस पूरे मामले की जांच में अनुशासन समिति जुटी है बताया जा रहा है की , छात्राओ के बीच किसी बात पर अनबन होना थी जो मारपीट मे बदल गयी मारपीट में चाक़ू का भी इस्तमाल किया गया है साथ ही यूनिवर्सिटी के कुलसचिव डॉ . जे पी मिश्रा , का कहना है कि यह सभी छात्राये गर्ल्स काँलेज की है जो यूनिवर्सिटी की छात्रा को परीक्षा देने से रोकने आई थी जिसकी लिखित शिकायत उनके पास है इस मामले को पुलिस को भेज दिया गया है।
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प्रवीण कक्कड़ गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परम ब्रम्ह तस्मै श्री गुरुवे नमः संसार में वैसे तो महत्वपूर्ण दिवसों की कमी नहीं है, लेकिन गुरु पूर्णिमा का महत्व उनमें सबसे अलग है। इस दिन हम अपने गुरु का स्मरण करते हैं, उनका सम्मान करते हैं और उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। यह तो हम सब जानते हैं कि गुरु का प्रचलित अर्थ अध्यापक, शिक्षक, टीचर या इसी तरह के दूसरे शब्द हैं। लेकिन गुरु शब्द की व्युत्पत्ति कैसे हुई? गुरु शब्द में दो हिस्से हैं गु और रु। गु का अर्थ है अंधकार और रु का अर्थ है प्रकाश। अर्थात जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए वही गुरु है। इस तरह देखें तो उपनिषद का वाक्य "तमसो मा ज्योतिर्गमय" कहीं ना कहीं गुरु के लिए ही कहा गया है। इसीलिए आज भी हम अपने समाज में देखते हैं तो बहुत से लोग आपको ऐसे मिल जाएंगे जो अध्यापकों के प्रति कृतज्ञ होते हैं और व्यावहारिक अर्थ में उन्हें अपना गुरु भी मानते हैं। लेकिन असल में वे किसी ऐसे आध्यात्मिक व्यक्ति को अपना गुरु मानते हैं जिससे उन्होंने दीक्षा ली हो। भारतीय परंपरा में गुरु दीक्षा का बहुत महत्व है। इस परंपरा का अनुभव करने वाले जानते हैं कि जब गुरु दीक्षा देता है तो संबंधित व्यक्ति के कान में कोई मंत्र देता है। सामान्यतः गुरु अपने शिष्य से कोई ना कोई एक चीज का त्याग करने का आग्रह भी करता है।आजकल तो लोग खाने या पीने की कोई चीज छोड़ देते हैं लेकिन असल में इसका मूल मकसद किसी बुराई को त्यागने से होता है। हमारा गुरु हमसे ऐसे त्याग की अपेक्षा करता है जो संसार के कल्याण में हो। एक बात और ध्यान रखिए कि आजकल गुरु बड़ी जल्दी से गुरु दीक्षा और गुरु मंत्र दे देते हैं, लेकिन पुराने समय में शिष्य लंबे समय तक गुरुकुल में रहते थे। भिक्षा मांग कर खाते थे। अपने गुरु से विद्या सीखते थे और गुरु की सेवा करते थे। जब यह शिक्षा पूर्ण हो जाती थी तो गुरुजी परीक्षा लेते थे। और परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाने के बाद ही उससे गुरु दक्षिणा स्वीकार करते थे। उस जमाने में मासिक फीस भरने का चलन नहीं था। प्राचीन भारत के गुरुकुल में राज पुत्र और गरीब के बेटे दोनों को एक समान व्यवस्था में अध्ययन करना होता था। यह भारतीय परंपरा का पुराना समाजवाद है। खैर आपको भी लगता होगा कि कहां इस गुरु पूर्णिमा पर पुराने जमाने की बातों का सिलसिला शुरू कर दिया गया। कुछ बातें नए जमाने की भी होनी चाहिए। तो नए जमाने की बात करें। आजकल गुरुकुल तो नहीं होते हॉस्टल जरूर होते हैं। बहुत से शिक्षक सिर्फ गुरु दक्षिणा के उद्देश्य से पढ़ाते हैं लेकिन आज भी ऐसे शिक्षक मौजूद हैं जो बच्चे को किताबी शिक्षा देने के साथ ही उसके समग्र व्यक्तित्व का विकास करने पर ध्यान देते हैं। जो बच्चे के मनोभावों को पकड़ते हैं, उसकी प्रतिभा को पहचानते हैं और उसे सही दिशा में गढ़ने की कोशिश करते हैं। अगर आपको मेरी बात पर सहज विश्वास ना हो रहा हो तो जरा याद करिए की पहली कक्षा से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक आपको कितने शिक्षकों ने पढ़ाया है। क्या आपको वह सारे शिक्षक याद हैं? जवाब होगा, नहीं। लेकिन कुछ शिक्षक ऐसे होंगे जो आपको याद हैं। कुछ शिक्षक ऐसे होंगे जिनसे आप वर्षों से नहीं मिले लेकिन इस गुरु पूर्णिमा पर उन्हें फोन करेंगे, या सोशल मीडिया पर उन्हें प्रणाम निवेदन करेंगे। कई शिक्षक ऐसे होंगे, जिनका जिक्र आते ही आपका मन श्रद्धा से झुक जाता होगा। वर्तमान समय में यह जो अंतिम चरण का शिक्षक है असल में वही आपका गुरु है। असल में यह वही गुरु है जिसका वर्णन कबीर दास जी ने इस तरह किया है: गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ गढ़ काढ़े खोट| अंतर हाथ सहाय दे, बाहर मारे चोट|| कबीर दास जी ने इतना ही नहीं कहा। भक्ति आंदोलन से देखें तो उसने कहा गया "बिन गुरु मिले न ज्ञान"। कबीर दास जी के गुरु रामानंद जी थे, सूरदास जी के गुरु वल्लभाचार्य थे, स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस थे और बाकी संतो के गुरु की आप को खोजने पर मिल जाएंगे। असल में गुरु के महत्व पर इतना ज्यादा जोर इसलिए दिया गया है कि व्यक्ति ज्ञान तो कुछ भी प्राप्त कर सकता है लेकिन उसमें भटकाव की बहुत संभावना है। ज्ञान एकदम मौलिक चीज नहीं है बल्कि उसमें आपसे पहले की सभ्यता ने जो जो चीजें अर्जित की हैं वह सब शामिल हैं। गुरु का काम होता है कि वह अपने शिष्य को पूर्व अर्जित संपूर्ण ज्ञान से परिचित करा दे और उसके अंदर एक ऐसी दृष्टि विकसित करे जिससे वह अतीत के ज्ञान का उपयोग भविष्य की राह खोजने में कर सके। यही नहीं वह पूर्व संचित ज्ञान में अपने हिस्से का थोड़ा सा अनुभव भी जोड़ सके। अगर गुरु हमें पुराना ज्ञान नहीं देगा तो हमारा जीवन पुराने ज्ञान को समझने में ही निकल जाएगा और हम कोई नया काम नहीं कर पाएंगे। इस प्रक्रिया में पथभ्रष्ट होने की संभावना बहुत ज्यादा है। इसलिए गुरु और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।आजकल आप लोग अध्यापक की डांट से बहुत जल्दी नाराज हो जाते हैं। कई बार तो छोटे-छोटे बच्चे यह कहते हैं कि टीचर ने उनकी इंसल्ट कर दी। हमारे जमाने में तो माता-पिता अध्यापक से कह देते थे कि मास्टर जी हड्डी हड्डी हमारी और खाल खाल तुम्हारी। यानी अध्यापक महोदय आप बच्चे की इतनी पिटाई कर सकते हैं कि उसकी हड्डी ना टूटे, चमड़ी पर जितनी चाहे चोट पहुंच जाए। जाहिर है बदलती दुनिया में इस तरह के शारीरिक दंड की व्यवस्था अब समाप्त हो चुकी है। लेकिन दंड की व्यवस्था समाप्त होने का अर्थ यह नहीं है कि गुरु का सम्मान करने की व्यवस्था भी समाप्त हो जाए। इस तरह देखें तो गुरु हमारे जीवन में पहले भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं और आगे भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे। गुरु पूर्णिमा की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
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ज़ी न्यूज़ के एंकर रोहित रंजन को नोएडा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बता दें कि, आज सुबह (5 जुलाई) ही छत्तीसगढ़ की रायपुर पुलिस उन्हें अरेस्ट करने पहुंची थी एंकर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान को भ्रामक बनाकर पेश करने और फर्जी वीडियो क्लिप चला दी थी बयान को तोड़-मरोड़ने पर रोहित पर छत्तीसगढ़-राजस्थान में केस दर्ज हुए हैं।बताया जा रहा है कि रायपुर पुलिस ने रोहित को कोर्ट का गिरफ्तारी वारंट भी दिखाया था। रोहित रंजन के ट्वीट करने के बाद उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद पुलिस उनके फ्लैट पर पहुंची थी। जहां छत्तीसगढ़ पुलिस ने गाजियाबाद पुलिस को गिरफ्तारी वारंट दिखाया था गाजियाबाद में सुबह-सुबह जी न्यूज एंकर रोहित रंजन के घर छत्तीसगढ़ पुलिस पहुंचने पर रोहित रंजन ने ट्वीट करते हुए कहा कि “लोकल पुलिस को जानकारी दिए बिना छत्तीसगढ़ की रायपुर पुलिस मुझे अरेस्ट करने आई है।” जबकि इस ट्वीट के जवाब में रायपुर पुलिस ने कहा कि “सूचित करने का ऐसा कोई नियम नहीं है। हालांकि, इन सबके बीच जी न्यूज के एंकर रोहित रंजन को नोएडा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
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महाराष्ट्र के महामंथन के बाद जो अमृत और जहर निकल कर सामने आये हैं, उसने भारत की आर्थिक राजनीति पर नियंत्रण करने की भाजपा की कशमकश को उजागर कर दिया है। इतना ही नहीं सैकड़ों वर्ष पुरानी हिंदू पदपाद शाही और पेशवाई के द्वंद भी सामने ला दिए हैं । इस महाभारत में अमृत मंथन के जो परिणाम सामने आए हैं वे ना केवल चौंकाने वाले हैं बल्कि राजनैतिक विवशता की पराकाष्ठा को व्यक्त करते हैं। सभी जानते हैं कि देवेन्द्र फडनवीस 5 साल तक मुख्यमंत्री रह चुके हैं और वे स्वयं ही शिवसेना के विद्रोही नेता एकनाथ शिंदे को उप-मुख्यमंत्री बनाने के ऑफर दे रहे थे। अचानक उन्ही फड़नवीस को विद्रोही एकनाथ शिंदे का उप-मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब वह कैडर आधारित पार्टी नहीं रही है, बल्कि पूर्णरूपेण राजनीतिक पार्टी बन गई है।सत्ता के लिए उसे किसी भी तरह के समझौते करने से कोई गुरेज नहीं है। आवश्यकता पड़ने पर वह आतंकवाद की पोषक बताई जाने वाली पार्टी पीडीपी के साथ भी सत्ता में भागीदार बनने तैयार हैं। अपने ही एक सीनियर पूर्व मुख्यमंत्री को अल्पमत के विद्रोहियों के नीचे उप मुख्यमंत्री बनाने भी तैयार है। यह एक संदेश है कि कार्यकर्ता केवल कार्यकर्ता ही है और सत्ता प्राप्ति के लक्ष्य मार्ग में अगर उसकी गर्दन कटती है तो पार्टी दुश्मन को भी अपना बनाने तैयार है। सभी जानते हैं कि महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग बहुत शक्तिशाली है छोटी-छोटी अन्य पिछड़ा वर्ग की जातियां ना केवल लड़ाकू है बल्कि सैन्य संरचना और साहस को समझती हैं और शिवसेना प्रतीक रूप में उनकी पहचान बन चुकी है ।छत्रपति शिवाजी ने जिन पिछड़ी जातियों को जोड़कर अपनी राज्य व्यवस्था कायम की थी लगभग वही जाति संतुलन शिवसेना के गठन में परिलक्षित होता है ।अगड़ी जातियों द्वारा आर्थिक राजधानी पर कब्जा करने की नीयत से दिल्ली की सहायता से मुंबई पर जो हमला किया है उसे यह पिछड़ी जातियां किस सीमा तक सहन करेंगीं यह समय के गर्भ में है। किंतु यह तो साफ ही है कि भविष्य में अगड़ी और पिछड़ी का संघर्ष आर्थिक राजधानी से ही शुरू होगा । बहुत संभव है कि शिवसेना इसे मराठी मानुस और गुजराती अर्थ सत्ता के संघर्ष में बदल दे। अगर ऐसा हुआ तो भारत के सामने एक नया अर्थ संकट खड़ा होने जा रहा है। शिवसेना सरकार के पतन और एकनाथ की ताजपोशी को अर्थ जगत ने कैसे लिया है इसका प्रमाण है कि दो दिन में ही सेंसेक्स लगभग एक हजार प्वाइंट नीचे आ गया और जून का महीना खुदरा निवेशकों के लिये लुटने का जून हो गया है। विद्रोही एकनाथ शिंदे ने बहुत ही सफाई से इस गठबंधन को हिंदुत्व का पैरोकार बता कर दलबदल की अनैतिकता पर पर्दा डालने की कोशिश की है। यह मुंबई में सभी जानते हैं कि भाजपा के साथ पिछली पंचवर्षीय सरकार में जब शिवसेना शामिल थी तब एकनाथ शिंदे ने ही सार्वजनिक कार्यक्रम में अपना इस्तीफा देकर शिवसेना पर भाजपा गठबंधन से निकलने का दबाव बनाया था। उनका कहना था कि भा ज पा शिवसेना को खाने की चेष्टा कर रही है और उद्धव ठाकरे को भाजपा से गठबंधन तोड़ लेना चाहिए ।आखिर कब तक शिवसैनिक भाजपा की प्रताड़ना और भेदभाव पूर्ण व्यवहार को सहन करें ।आज वही एकनाथ शिंदे उसी भाजपा से कथित हिंदुत्व के नाम पर समझौता कर रहे हैं,बल्कि महाविकास अघाड़ी की नैतिकता पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं। देश के लगभग सभी दल जिन्होंने समय-समय पर भाजपा के साथ गठबंधन किया था यह मानते हैं कि भाजपा हमेशा सबसे पहले अपने ही गठबंधन के सहयोगियों को खाने की कोशिश करती है। पूर्व में चाहे बसपा रही हो, चाहे अकाली दल या नीतीश कुमार की पार्टी हो सभी पार्टियां लगभग समाप्त हो रहीं हैं,उनकी लीडरशिप का बड़ा हिस्सा भाजपा में जुड़ चुका है। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और बी जे डी जरूर ऐसी पार्टियां हैं जो हाथ छुड़ाकर ना भागीं होतीं तो वे भी शिवसेना की तरह विभाजन की पीड़ा से गुजर रहीं होतीं।उन्होंने मगरमच्छ के मुंह से बाहर निकल कर जान तो बचा ली है मगर भाजपा अपना अपमान और लक्ष्य नहीं भूली होगी यह भी तय है। तात्कालिक सत्ता के लिये अल्पमत के नीचे बहुमत होते हुए भी भाजपा काम करने तैयार है। याद कीजिए यही समझौता बिहार में हुआ था जहां अल्पमत के नीतीश कुमार तो मुख्यमंत्री हैं और बहुमत की भाजपा का उपमुख्यमंत्री। सत्ता के लिये महाराष्ट्र का ताजा सौदा भले ही भाजपा के लिये आर्थिक राजधानी के खजाने के दरवाजे खोल दे मगर आने वाले समय में उसके कार्यकर्ताओं का खजाना भी लुट सकता है,यह भी संभावना है। महाराष्ट्र का यह महाभारत अभी तक राजनीति के गलियारों में था आगे चलकर इस महाभारत के समाज में उतरने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता और उसी अग्निपथ पर आर्थिक राजधानी का भविष्य निर्भर होगा।फिलहाल तो राजनीति बारूद के ढेर पर बैठकर अगरबत्ती सुलगा रही है। -भूपेन्द्र गुप्ता 'अगम' (लेखक कांग्रेस नेता एवं स्वतंत्र पत्रकार हैं)
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देश के हर बच्चे का शिक्षा पाना वाकई बहुत जरूरी स्कूलों में नया सत्र शुरू हो गया है। बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए सरकारी मशीनरी गांवों और बस्तियों तक पहुंचकर हर बच्चे को स्कूल में प्रवेशित करने के प्रयास में लगी है। देश के हर बच्चे का शिक्षा पाना वाकई बहुत जरूरी है, क्योंकि शिक्षा वह शक्तिशाली हथियार है, जिसका उपयोग दुनिया को बदलने के लिए किया जा सकता है। इसलिए हम सबकी जिम्मेदारी है कि लक्ष्य की ओर बढ़ने वाले उम्मीदों के हर कदम को हम शिक्षा की राह दिखाएं। जिससे उनका भविष्य सुनहरा हो सके। यह खुशी की बात है कि हमारे देश के करीब 7 करोड़ बच्चे प्री प्रायमरी और प्रायमरी स्कूलों में जाते हैं लेकिन शिक्षा के लिए अभी ओर उचांईयों पर पहुंचना बाकी है। क्योंकि देश में 6 से 14 साल की आयु वर्ग के 60 लाख से अधिक बच्चे स्कूल नहीं जाते। पहली कक्षा में प्रवेश लेने के बाद 37 प्रतिशत बच्चे प्रारंभिक शिक्षा भी पूरी नहीं कर पाते और हाईस्कूल तक पहुंचते हुए तो यह संख्या चिंताजनक हो जाती है। स्कूल नहीं जाने वाले और स्कूल के बीच पढ़ाई छोड़ने वाले 75 फीसद बच्चे देश के छह राज्यों से आते हैं, इनमें से मध्यप्रदेश भी एक है। अन्य राज्यों में बिहार, ओड़िसा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।सरकार ने बच्चों की शिक्षा के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू किया है। इस कानून के तहत शिक्षा निशुल्क भी है और अनिवार्य भी। मतलब 6 से 14 साल के बीच के बच्चे को शिक्षा से वंचित रखना कानूनन अपराध की श्रेणी में माना जाता है। शिक्षा के अधिकार के तहत सरकारी स्कूलों में तो शिक्षा, किताबें, ड्रेस और मध्याह्न भोजन निशुल्क मिलता ही है, साथ ही प्रायवेट स्कूलों पर भी यह नियम लागू होता है और वहां प्रारंभिक कक्षा में 25 प्रतिशत सीटें आरटीई के तहत आरक्षित की जाती हैं। जिससे वंचित वर्ग के बच्चों को निजी स्कूलों में भी निशुल्क शिक्षा का अधिकार मिल सके। शिक्षा के अधिकार के तहत सरकारी मशीनरी निजी स्कूलों में आरक्षित सीटोंर प्रवेश तो करा देती है लेकिन बाद में इन बच्चों की नियमितता की ओर न तो शिक्षा विभाग ध्यान देता है न ही निजी स्कूल का प्रबंधन। ग्रामीण व आदिवासी क्षेत्रों से पलायन, निजी स्कूलों से तालमेल नहीं बैठा पाना, परिवार में शिक्षा का माहौल नहीं मिलना और बाल मजदूरी जैसे कई कारणों से 34 प्रतिशत से अधिक बच्चे आरक्षित सीटों पर प्रवेश मिलने के बावजूद आठवीं कक्षा तक निशुल्क शिक्षा हासिल नहीं कर पाते। ऐसे में शिक्षा का अधिकार अनिवार्य न होकर अधूरा रह जाता है। च्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए उन्हें स्कूल भेजना तो जरूरी है लेकिन यह भी जरूरी है कि वहां उन्हें बेहतर माहौल मिल सके। आज कई जगह स्कूलों में व्यवस्थाएं बेहतर नहीं हैं, स्कूलों में सबसे जरूरी होते हैं शिक्षक लेकिन प्रदेश के 21077 स्कूल महज एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, प्रदेश में शिक्षकों के 87 हजार 630 पद खाली हैं। इस ओर भी ध्यान दिया जाना जरूरी है, तभी बच्चों को वास्तविक रूप से शिक्षा का अधिकार मिल सकेगा। बाॅक्स हम ऐसे निभाएं अपनी जिम्मेदारीहम गरीब व वंचित वर्ग के बच्चों की शिक्षा के लिए चिंतित होते हैं लेकिनहमें समझ नहीं आता कि किस प्रकार हम इनके लिए काम करें। इसके लिए मैं एकछोटा लेकिन महत्वपूर्ण सुझाव देना चाहूंगा। हम सब केवल यह पता करें हमारे घर व आॅफिस में काम करने वाले चैकीदार, माली, कामवाली बाई, रसोईया या अन्य कर्मियों के बच्चे स्कूल जा रहे हैं कि या नहीं। इनके बच्चों को स्कूल में प्रवेश कराने में मदद करें, निजी स्कूलों में आरटीई के तहत आरक्षित सीटों की जानकारी दें, अगर निजी स्कूलों में संभव न हो तो सरकारी स्कूल में निशुल्क प्रवेश कराएं, उन्हें किताबें-काॅपी, स्कूल ड्रेस या स्टेश्नरी क्रय करने के लिए आर्थिक सहयोग प्रदान करें। आपका यह योगदान आने वाले देश के भविष्य के लिए सुदृढ़ युवाओं का निर्माण करेगा। (प्रवीण कक्कड़)
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स्कूलों में नया सत्र शुरू हो गया है। बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिएसरकारी मशीनरी गांवों और बस्तियों तक पहुंचकर हर बच्चे को स्कूल मेंप्रवेशित करने के प्रयास में लगी है। देश के हर बच्चे का शिक्षा पानावाकई बहुत जरूरी है, क्योंकि शिक्षा वह शक्तिशाली हथियार है, जिसका उपयोगदुनिया को बदलने के लिए किया जा सकता है। इसलिए हम सबकी जिम्मेदारी है किलक्ष्य की ओर बढ़ने वाले उम्मीदों के हर कदम को हम शिक्षा की राह दिखाएं।जिससे उनका भविष्य सुनहरा हो सके।यह खुशी की बात है कि हमारे देश के करीब 7 करोड़ बच्चे प्री प्रायमरी औरप्रायमरी स्कूलों में जाते हैं लेकिन शिक्षा के लिए अभी ओर उचांईयों परपहुंचना बाकी है। क्योंकि देश में 6 से 14 साल की आयु वर्ग के 60 लाख सेअधिक बच्चे स्कूल नहीं जाते। पहली कक्षा में प्रवेश लेने के बाद 37प्रतिशत बच्चे प्रारंभिक शिक्षा भी पूरी नहीं कर पाते और हाईस्कूल तकपहुंचते हुए तो यह संख्या चिंताजनक हो जाती है। स्कूल नहीं जाने वाले औरस्कूल के बीच पढ़ाई छोड़ने वाले 75 फीसद बच्चे देश के छह राज्यों से आतेहैं, इनमें से मध्यप्रदेश भी एक है। अन्य राज्यों में बिहार, ओड़िसा,राजस्थान, उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।सरकार ने बच्चों की शिक्षा के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू कियाहै। इस कानून के तहत शिक्षा निशुल्क भी है और अनिवार्य भी। मतलब 6 से 14साल के बीच के बच्चे को शिक्षा से वंचित रखना कानूनन अपराध की श्रेणी मेंमाना जाता है। शिक्षा के अधिकार के तहत सरकारी स्कूलों में तो शिक्षा,किताबें, ड्रेस और मध्याह्न भोजन निशुल्क मिलता ही है, साथ ही प्रायवेटस्कूलों पर भी यह नियम लागू होता है और वहां प्रारंभिक कक्षा में 25प्रतिशत सीटें आरटीई के तहत आरक्षित की जाती हैं। जिससे वंचित वर्ग केबच्चों को निजी स्कूलों में भी निशुल्क शिक्षा का अधिकार मिल सके।शिक्षा के अधिकार के तहत सरकारी मशीनरी निजी स्कूलों में आरक्षित सीटोंपर प्रवेश तो करा देती है लेकिन बाद में इन बच्चों की नियमितता की ओर नतो शिक्षा विभाग ध्यान देता है न ही निजी स्कूल का प्रबंधन। ग्रामीण वआदिवासी क्षेत्रों से पलायन, निजी स्कूलों से तालमेल नहीं बैठा पाना,परिवार में शिक्षा का माहौल नहीं मिलना और बाल मजदूरी जैसे कई कारणों से34 प्रतिशत से अधिक बच्चे आरक्षित सीटों पर प्रवेश मिलने के बावजूद आठवींकक्षा तक निशुल्क शिक्षा हासिल नहीं कर पाते। ऐसे में शिक्षा का अधिकारअनिवार्य न होकर अधूरा रह जाता है।बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए उन्हें स्कूल भेजना तो जरूरी है लेकिनयह भी जरूरी है कि वहां उन्हें बेहतर माहौल मिल सके। आज कई जगह स्कूलोंमें व्यवस्थाएं बेहतर नहीं हैं, स्कूलों में सबसे जरूरी होते हैं शिक्षकलेकिन प्रदेश के 21077 स्कूल महज एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, प्रदेशमें शिक्षकों के 87 हजार 630 पद खाली हैं। इस ओर भी ध्यान दिया जानाजरूरी है, तभी बच्चों को वास्तविक रूप से शिक्षा का अधिकार मिल सकेगा।बाॅक्सहम ऐसे निभाएं अपनी जिम्मेदारीहम गरीब व वंचित वर्ग के बच्चों की शिक्षा के लिए चिंतित होते हैं लेकिनहमें समझ नहीं आता कि किस प्रकार हम इनके लिए काम करें। इसके लिए मैं एकछोटा लेकिन महत्वपूर्ण सुझाव देना चाहूंगा। हम सब केवल यह पता करें हमारेघर व आॅफिस में काम करने वाले चैकीदार, माली, कामवाली बाई, रसोईया याअन्य कर्मियों के बच्चे स्कूल जा रहे हैं कि या नहीं। इनके बच्चों कोस्कूल में प्रवेश कराने में मदद करें, निजी स्कूलों में आरटीई के तहतआरक्षित सीटों की जानकारी दें, अगर निजी स्कूलों में संभव न हो तो सरकारीस्कूल में निशुल्क प्रवेश कराएं, उन्हें किताबें-काॅपी, स्कूल ड्रेस यास्टेश्नरी क्रय करने के लिए आर्थिक सहयोग प्रदान करें। आपका यह योगदानआने वाले देश के भविष्य के लिए सुदृढ़ युवाओं का निर्माण करेगा। (प्रवीण कक्कड़)
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असफलताओं के सरताज है कमलनाथ भाजपा प्रवक्ता डॉ दुर्गेश केसवानी ने कसा पूर्व सीएम कमलनाथ पर तंज भोपाल। महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के कदम से संकट में आई उद्धव सरकार को बचाने की जिम्मेदारी पूर्व सीएम कमलनाथ को जैसे ही मिली। भाजपा ने मामले पर चुटकी लेते हुए कहा कि को अपने विधायकों की नहीं सुन पाए। वे शिवसेना के विधायकों की क्या सुन पाएंगे। वो भी तब जब सभी विधायक बाला साहेब के सच्चे सिपाही हों। मामले में मीडिया से रूबरू होते हुए भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी ने कहा कि कमलनाथ अपने विधायकों को तो बचा नहीं पाए। उद्धव सरकार को क्या खाक बचा पाएंगे। इस दौरान केसवानी ने नाथ को सबसे विफल नेताओं में से एक बताया। नाथ के नेतृत्व में हारे सभी चुनाव : डॉ. केसवानी ने नाथ को सबसे विफल नेताओं में से एक बताते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में भी कांग्रेस का प्रदर्शन फिसड्डी रहा है। लोकसभा चुनाव, उप चुनाव सहित अन्य चुनावों में पार्टी कुछ खास नहीं कर पाई। कांग्रेस के लोग हमेशा आरोप लगाते आए हैं कि हमारे पास न नेता है, न नीति है और न ही नियत है। कांग्रेस नेता ने इसे बखूबी चरितार्थ किया है। साथ ही उद्धव सरकार को बचाने जैसे ही कमलनाथ के नाम की घोषणा हुई। ये बात एक बार फिर साबित हो गई है। कमलनाथ जी 28 उपचुनाव, लोकसभा चुनाव ने कोई जादू नहीं दिखा पाए। कांग्रेस के घर घर चले अभियान को घर घर बैठो अभियान बना दिया। मप्र के लोगों को दिए 973 वचनों में से एक भी वचन कमलनाथ पूरा न कर पाए। उनके हिस्से में केवल और केवल असफलताएं हैं। जब वे एक बार महाराष्ट्र जा रहे हैं तो फिर असफल साबित होंगे।
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प्रवीण कक्कड़ बच्चों के हाथ में श्रम नहीं शिक्षा दीजिए बालश्रम यानी कानून द्वारा निर्धारित आयु से कम उम्र में बच्चों को मजदूरी या अन्य श्रमों में झोंक देना। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे शोषण करने वाली प्रथा और कानूनन अपराध माना गया है। इसी अवधारणा को सोचकर विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की शुरुआत साल 2002 में ‘इंटरनेशनल लेबर आर्गेनाईजेशन’ द्वारा की गई थी। इस दिवस को मनाने का मक़सद बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा की ज़रूरत को उजागर करना और बाल श्रम व अलग - अलग रूपों में बच्चों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघनों को ख़त्म करना है। हर साल 12 जून को मनाए जाने वाले विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के मौके पर संयुक्त राष्ट्र एक विषय तय करता है। इस वर्ष वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर 2022 की 'बाल श्रम को समाप्त करने के लिए सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षण' रखी गई है। इस मौके पर अलग - अलग राष्ट्रों के प्रतिनिधि, अधिकारी और बाल मज़दूरी पर लग़ाम लगाने वाले कई अंतराष्ट्रीय संगठन हिस्सा लेते हैं, जहां दुनिया भर में मौजूद बाल मज़दूरी की समस्या पर चर्चा होती है। आज हम सभी को आगे आने की जरूरत है और जरूरत है उस सोच को साकार करने की कि इन नन्हें हाथों में श्रम नहीं शिक्षा दी जाए, क्योंकि शिक्षा ही वह अधिकार है, जो अपने हक की लड़ाई का सबसे मजबूत हथियार है। बाल-श्रम का मतलब यह है कि जिसमें कार्य करने वाला व्यक्ति कानून द्वारा निर्धारित आयु सीमा से छोटा होता है। इस प्रथा को कई देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने शोषण करने वाली प्रथा माना है। अतीत में बाल श्रम का कई प्रकार से उपयोग किया जाता था, लेकिन सार्वभौमिक स्कूली शिक्षा के साथ औद्योगीकरण, काम करने की स्थिति में परिवर्तन तथा कामगारों के श्रम अधिकार और बच्चों अधिकार की अवधारणाओं के चलते इसमें परिवर्तन हुआ है। देश एवं राष्ट्र के स्वर्णिम भविष्य के निर्माता उस देश के बच्चे होते हैं। अत: राष्ट्र, देश एवं समाज का भी दायित्व होता है कि अपनी धरोहर की अमूल्य निधि को सहेज कर रखा जाये । इसके लिये आवश्यक है कि बच्चों की शिक्षा, लालन-पालन, शारीरिक, मानसिक विकास, समुचित सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाये और यह उत्तरदायित्व राष्ट्र का होता है, समाज का होता है, परन्तु यह एक बहुत बड़ी त्रासदी है कि भारत देश में ही अपितु समूचे विश्व में बालश्रम की समस्या विकट रूप में उभर कर आ रही है । देश में श्रमिक के रूप में कार्य कर रहे 5 वर्ष से 14 वर्ष तक के बालक बाल श्रमिक के अंतर्गत आते हैं ।
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प्रवीण कक्कड़ ग्लोबल वॉर्मिंग का बढ़ना हम सभी के लिए चिंता का विषय है। चिंता होना भी स्वभाविक भी है, क्योंकि जिस तरह से पिछले कुछ वर्षों में पेड़ों का क्षरण हुआ है, प्रकृति का शोषण हुआ है उससे आने वाले समय में यह ग्लोबल वॉर्मिंग के बढ़ते स्तर के रूप में एक बड़ी चुनौती बन जायेगा। आज सारा विश्व चिंतित है। धरती की सतह का तापमान बढ़ रहा है। 2050 तक यह 2 डिग्री सेंटीग्रेड बढ़ जाएगा और यह ग्लेशियर पिघलने लगेंगे। हमने जिस तेजी से विकास के प्रति दौड़ लगाई उसमें हमने बहुत कुछ पीछे छोड़ दिया। इनमें प्रकृति और पर्यावरण सबसे बड़े मुद्दे थे और अब आज साफ दिखाई दे रहा है कि हमारी नदियां हों, जंगल हों वायु, मिट्टी हो यह सब कहीं न कहीं खतरे में आ गयें हैं। यह सब प्रमाणित कर रहे हैं कि आज हमारे चारों तरफ जो कुछ भी हो रहा है यह सब इन्हीं कारणों से हैं। *आज विश्व पर्यावरण दिवस पर हमें समझना होगा कि पेड़ों की कटाई और पर्यावरण का क्षरण समाज के लिए किस तरह चिंता का विषय है। बेहतर है कि हम अभी से ही पर्यावरण के प्रति सजक रहें क्योंकि अगर पर्यावरण स्वस्थ होगा तभी हम स्वस्थ होंगे। बेहतर पर्यावरण के बगैर स्वस्थ जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। मैं खुद एक जागरुक नागरिक होने के नाते पेड़ों और पर्यावरण के प्रति हमेशा चिंतित रहता हूं। जब कभी देखने में आता है कि इस जगह पर इतने पेड़ काट दिये गये, उस जगह पर इतने पेड़ काटने की प्रक्रिया निरंतर चल रही है। यह सब देख निश्चिततौर पर मन में एक आक्रोश का भाव आता है। आक्रोश होना भी चाहिए कि क्योंकि अगर हम विकास के नाम पर पेड़ों की कटाई इसी तेजी के साथ करते चले गये तो वो दिन दूर नहीं जब हम सभी के लिए पर्यावरण संरक्षण एक चुनौती के रूप में सामने खड़ा हो जाये। नहीं भूला जा सकता वो संकटकाल कोरोना काल का वो संकट भला कौन भूल सकता है जब पूरे देश में ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा हुआ था। चारो तरफ अफरा-तफरी का माहौल था, एक-एक व्यक्ति के लिए ऑक्सीजन जुटा पाना किसी चुनौती से कम नहीं था। लेकिन हम सभी को इस पर विचार करना होगा कि प्राकृतिक सोर्सेस से कम होते ऑक्सीजन स्तर का जिम्मेदार कौन है ? कोरोना के संकटकाल में अगर हम ऑक्सीजन के लिए परेशान हुए तो इसका जिम्मेदार कौन है ? यकीन मानिए अगर आप थोड़ा भी इस पर विचार करेंगे तो आपको इसका जबाव स्वतः प्राप्त होगा कि ऑक्सीजन की कमी के जिम्मेदार कहीं न कहीं हम और हमारा समाज है। हम दिन प्रतिदिन ऑक्सीजन के प्राकृतिक रिसोर्सेस का क्षरण करते जा रहे हैं, पेड़ों को नष्ट कर नई बिल्डिंग, इमारतें, मॉल, आदि का निर्माण कर रहे हैं। मैं किसी भी प्रदेश और शहर के विकास का विरोधी नहीं हूं लेकिन विकास के नाम पर पेड़ों का इस तरीके से क्षरण हो, मैं उसके पक्ष में बिल्कुल नहीं हूं। क्योंकि आज यदि हम और आप मिलकर इस तरह से पेड़ों की कटाई कर देंगे तो वो दिन दूर नहीं जब आने वाली पीढ़ियां ऑक्सीजन के प्राकृतिक रिसोर्सेस के लिए परेशान होंगी। आखिर नये पेड़ लगाने की जिम्मेदारी किसकी मैं किसी सरकार या पार्टी की बात नहीं कर रहा हूं, लेकिन पर्यावरण प्रेमी होने के नाते मेरे मन में केवल एक सवाल उठता है कि स्मार्ट सिटी के नाम पर जो भी पेड़-पौधों को काटा गया। उसके एवज में किस जमीन पर पेड़ लगाए गए। जिस समय पेड़ काटे जा रहे थे उस समय बहुत बड़ी बात हो रही थी कि इन पेड़ों को काटने के बाद नए स्थानों पर हजारों-लाखों पेड़ लगाए जाएंगे। लेकिन फिलहाल ऐसा कुछ होता दिखाई दे नहीं रहा है। अगर कहीं होता भी है, पेड़ लगाए भी जा रहे हैं तो वे पेड़ देखभाल के अभाव में पूरी तरह से नष्ट हो रहे है। अगर हमें सही मायनें में पेड़ लगाने का कार्य और पर्यावऱण संरक्षण की दिशा में काम करना है तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि पेड़ लगाने की जिम्मेदारी किसकी हो। आज विश्व पर्यावरण दिवस पर हम सभी को संकल्प लेना चाहिए कि पर्यावरण संरक्षण के लिए हम सभी जिम्मेदार हैं। अपने आसपास जितने कार्य हम पर्यावरण संरक्षण के लिए कर सकते हैं, वे सभी करें। पर्यावरण संरक्षण के लिए इन सुझावों को आप अपने जीवन में उतार सकते हैं 1. घर की खाली जमीन, बालकनी, छत पर पौधे लगायें 2. ऑर्गैनिक खाद, गोबर खाद या जैविक खाद का उपयोग करें 3. कपड़े के बने झोले-थैले लेकर निकलें, पॉलिथीन-प्लास्टिक न लें 4. लोगों को बर्थडे, त्योहार पर पौधे गिफ्ट करें 5. वायुमंडल को शुद्ध करने के लिए पेड़ लगाएं, भले एक पेड़ लगाएं लेकिन उसे बड़ा करने की जिम्मेदारी लें। 6. प्लास्टिक के खाली डब्बों में सामान रखें या पौधे लगायें 7. कागज के दोनों तरफ प्रिन्ट लें, फालतू प्रिन्ट न करें
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प्रवीण कक्कड़ हम जीवन में संतोष और खुशियां चाहते हैं लेकिन वास्तविक खुशियों की तलाश में आभासी खुशी के बीच खोकर रह जाते हैं। आज मोबाइल, कम्प्यूटर, इंटरनेट और अन्य गेजेट्स से मिलने वाली वर्चुअल खुशी के बीच हम वास्तविक खुशियों को कहीं खो बैठे हैं। आज मोबाइल हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है, इससे ज्ञान, विज्ञान, संचार और लोगों से संपर्क तो आसान हो गया है लेकिन अब मोबाइल की लत हमारे जीवन को प्रभावित करने लगी है। पिछले दो सालों से आनलाइन क्लास के कारण बच्चों में भी मोबाइल की लत विकसित हो गइ है। अब बच्चे अधिकांश समय इसी पर बिताते हैं लेकिन कई शोध में पता चला है कि स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है। हमारे स्वास्थ्य पर मोबाइल फ़ोन के लत का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। इसके अधिक उपयोग से व्यक्ति में चिड़चीड़ापन का होना, हमेशा सिर दर्द की समस्या, नेत्र संबंधित समस्या, अनिंद्रा व मोबाइल के हानिकार रेडिएशन से हृदय संबंधित रोग भी हो सकते हैं। मोबाइल की लत ने हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रभावित किया है, अतः हमें इस लत को दूर करने के प्रयास करने चाहिए। आज हम सभी के हाथ में एक टूल है, जिसे मोबाइल कहते हैं। मोबाइल की लत से आशय मोबाइल के न होने पर असहज (discomfort) महसूस करने से है। वर्तमान में हम बहुत अधिक हद तक मोबाइल पर निर्भर है। इसके ऑफ हो जाने पर या गिर जाने पर ऐसा लगता है जैसे सीने पर चोट लगी है। प्रतीत होता है जैसे डिजीटल इंडिया का मार्ग मोबाइल से होकर ही गुज़रता है। मोबाइल का साइज़ उसे यात्रा अनुकूल (Travel Friendly) बनाता है, इस वजह से लोगों को और अधिक मोबाइल की लत (बुरी आदत) होती जा रही है। यह हर लहजे से हमारे आने वाले जीवन के लिए बुरा है। मोबाइल की लत में हम स्वयं को अपने मोबाइल से दूर नहीं रख पाते हैं। कोई विषेश काम न होने पर भी हम मोबाइल को स्क्रोल करते रहते हैं। आज के समय में हमें मोबाइल की इतनी बुरी लत है, इसका अनुमान आप इस वाक्य से लगा सकते हैं- ‘मोबाइल की लत को दूर करने के उपाय हम घंटों लगाकर मोबाइल पर ही ढूँढते हैं’। यह आदत हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रभावित करती है। हमारे स्वास्थ्य पर मोबाइल फ़ोन की लत का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। कुछ साल पहले तक मोबाइल फ़ोन इस्तेमाल कर पाना सबके बस में नहीं था, पर समय बीतने के साथ आज आम तौर पर यह सभी के पास देखा जा सकता हैं। मोबाइल की लत ने हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रभावित किया है, अतः हमें इस लत को दूर करने के प्रयास करने चाहिए। ये कुछ उपाय हैं जिससे बच्चों को मोबाइल से दूर रखा जा सकता है- •आउटडोर गेम्स को बढ़ावा दें •मोबाइल कम दें •बच्चे से बात करें •पासवर्ड लगाएं •प्रकृति से जोड़ें •बच्चे के करीब रहने की कोशिश करें
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प्रवीण कक्कड़ हम जीवन में संतोष और खुशियां चाहते हैं लेकिन वास्तविक खुशियों की तलाश में आभासी खुशी के बीच खोकर रह जाते हैं। आज मोबाइल, कम्प्यूटर, इंटरनेट और अन्य गेजेट्स से मिलने वाली वर्चुअल खुशी के बीच हम वास्तविक खुशियों को कहीं खो बैठे हैं। आज मोबाइल हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है, इससे ज्ञान, विज्ञान, संचार और लोगों से संपर्क तो आसान हो गया है लेकिन अब मोबाइल की लत हमारे जीवन को प्रभावित करने लगी है। पिछले दो सालों से आनलाइन क्लास के कारण बच्चों में भी मोबाइल की लत विकसित हो गइ है। अब बच्चे अधिकांश समय इसी पर बिताते हैं लेकिन कई शोध में पता चला है कि स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है। हमारे स्वास्थ्य पर मोबाइल फ़ोन के लत का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। इसके अधिक उपयोग से व्यक्ति में चिड़चीड़ापन का होना, हमेशा सिर दर्द की समस्या, नेत्र संबंधित समस्या, अनिंद्रा व मोबाइल के हानिकार रेडिएशन से हृदय संबंधित रोग भी हो सकते हैं। मोबाइल की लत ने हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रभावित किया है, अतः हमें इस लत को दूर करने के प्रयास करने चाहिए। आज हम सभी के हाथ में एक टूल है, जिसे मोबाइल कहते हैं। मोबाइल की लत से आशय मोबाइल के न होने पर असहज (discomfort) महसूस करने से है। वर्तमान में हम बहुत अधिक हद तक मोबाइल पर निर्भर है। इसके ऑफ हो जाने पर या गिर जाने पर ऐसा लगता है जैसे सीने पर चोट लगी है। प्रतीत होता है जैसे डिजीटल इंडिया का मार्ग मोबाइल से होकर ही गुज़रता है। मोबाइल का साइज़ उसे यात्रा अनुकूल (Travel Friendly) बनाता है, इस वजह से लोगों को और अधिक मोबाइल की लत (बुरी आदत) होती जा रही है। यह हर लहजे से हमारे आने वाले जीवन के लिए बुरा है। मोबाइल की लत में हम स्वयं को अपने मोबाइल से दूर नहीं रख पाते हैं। कोई विषेश काम न होने पर भी हम मोबाइल को स्क्रोल करते रहते हैं। आज के समय में हमें मोबाइल की इतनी बुरी लत है, इसका अनुमान आप इस वाक्य से लगा सकते हैं- ‘मोबाइल की लत को दूर करने के उपाय हम घंटों लगाकर मोबाइल पर ही ढूँढते हैं’। यह आदत हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रभावित करती है। हमारे स्वास्थ्य पर मोबाइल फ़ोन की लत का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। कुछ साल पहले तक मोबाइल फ़ोन इस्तेमाल कर पाना सबके बस में नहीं था, पर समय बीतने के साथ आज आम तौर पर यह सभी के पास देखा जा सकता हैं। मोबाइल की लत ने हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रभावित किया है, अतः हमें इस लत को दूर करने के प्रयास करने चाहिए। ये कुछ उपाय हैं जिससे बच्चों को मोबाइल से दूर रखा जा सकता है- •आउटडोर गेम्स को बढ़ावा दें •मोबाइल कम दें •बच्चे से बात करें •पासवर्ड लगाएं •प्रकृति से जोड़ें •बच्चे के करीब रहने की कोशिश करें
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प्रवीण कक्कड़ हम जीवन में संतोष और खुशियां चाहते हैं लेकिन वास्तविक खुशियों की तलाश में आभासी खुशी के बीच खोकर रह जाते हैं। आज मोबाइल, कम्प्यूटर, इंटरनेट और अन्य गेजेट्स से मिलने वाली वर्चुअल खुशी के बीच हम वास्तविक खुशियों को कहीं खो बैठे हैं। आज मोबाइल हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है, इससे ज्ञान, विज्ञान, संचार और लोगों से संपर्क तो आसान हो गया है लेकिन अब मोबाइल की लत हमारे जीवन को प्रभावित करने लगी है। पिछले दो सालों से आनलाइन क्लास के कारण बच्चों में भी मोबाइल की लत विकसित हो गइ है। अब बच्चे अधिकांश समय इसी पर बिताते हैं लेकिन कई शोध में पता चला है कि स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है। हमारे स्वास्थ्य पर मोबाइल फ़ोन के लत का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। इसके अधिक उपयोग से व्यक्ति में चिड़चीड़ापन का होना, हमेशा सिर दर्द की समस्या, नेत्र संबंधित समस्या, अनिंद्रा व मोबाइल के हानिकार रेडिएशन से हृदय संबंधित रोग भी हो सकते हैं। मोबाइल की लत ने हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रभावित किया है, अतः हमें इस लत को दूर करने के प्रयास करने चाहिए। आज हम सभी के हाथ में एक टूल है, जिसे मोबाइल कहते हैं। मोबाइल की लत से आशय मोबाइल के न होने पर असहज (discomfort) महसूस करने से है। वर्तमान में हम बहुत अधिक हद तक मोबाइल पर निर्भर है। इसके ऑफ हो जाने पर या गिर जाने पर ऐसा लगता है जैसे सीने पर चोट लगी है। प्रतीत होता है जैसे डिजीटल इंडिया का मार्ग मोबाइल से होकर ही गुज़रता है। मोबाइल का साइज़ उसे यात्रा अनुकूल (Travel Friendly) बनाता है, इस वजह से लोगों को और अधिक मोबाइल की लत (बुरी आदत) होती जा रही है। यह हर लहजे से हमारे आने वाले जीवन के लिए बुरा है। मोबाइल की लत में हम स्वयं को अपने मोबाइल से दूर नहीं रख पाते हैं। कोई विषेश काम न होने पर भी हम मोबाइल को स्क्रोल करते रहते हैं। आज के समय में हमें मोबाइल की इतनी बुरी लत है, इसका अनुमान आप इस वाक्य से लगा सकते हैं- ‘मोबाइल की लत को दूर करने के उपाय हम घंटों लगाकर मोबाइल पर ही ढूँढते हैं’। यह आदत हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रभावित करती है। हमारे स्वास्थ्य पर मोबाइल फ़ोन की लत का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। कुछ साल पहले तक मोबाइल फ़ोन इस्तेमाल कर पाना सबके बस में नहीं था, पर समय बीतने के साथ आज आम तौर पर यह सभी के पास देखा जा सकता हैं। मोबाइल की लत ने हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रभावित किया है, अतः हमें इस लत को दूर करने के प्रयास करने चाहिए। ये कुछ उपाय हैं जिससे बच्चों को मोबाइल से दूर रखा जा सकता है- •आउटडोर गेम्स को बढ़ावा दें •मोबाइल कम दें •बच्चे से बात करें •पासवर्ड लगाएं •प्रकृति से जोड़ें •बच्चे के करीब रहने की कोशिश करें
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प्रवीण कक्कड़ प्रदेश के गुना में शिकारियों से मुठभेड़ में 3 पुलिसकर्मियों के शहीद होने की घटना दुखद और चिंताजनक है। खाकी वर्दी में पुलिस की नौकरी ऊपर से जितनी शानदार दिखती है, अंदर से उतनी ही चुनौतियां पुलिसकर्मियों के सामने होती हैं। इसका ज्वलंत उदाहरण गुना की घटना है, जहां फर्ज निभाते हुए इन जांबाजों ने अपने प्राणों की आहूति दे दी। यह घटना केवल शिकारी और पुलिसकर्मियों की मुठभेड़ की नहीं है, बल्कि वेकअप कॉल है जो जाहिर कर रहा है कि अपराधियों में पुलिस का भय खत्म होता जा रहा है। आज समय है जब समाज, प्रशासन और राजनेताओं को पुलिसकर्मियों के हितों के बारे में विचार करना चाहिए। समाज की सुरक्षा करने वालों की सुरक्षा को भी जरूरी समझा जाना चाहिए। इस घटना पर नज़र डालें तो शिकारी न सिर्फ खुलेआम शिकार करने का दुस्साहस कर रहे हैं, बल्कि उनके मन में पुलिस का किसी तरह का भय भी नहीं है। सामान्य परिस्थितियों में पुलिस के ललकारने पर अपराधी मुठभेड़ करने के बजाए माल छोड़ कर भाग जाते हैं। लेकिन जब अपराधी इस तरह से मुकाबले की कार्रवाई करते हैं तो उसका मतलब होता है कि उस इलाके में पुलिस और प्रशासन का वकार कमजोर हो गया है। अपराधी अपराध करने को अपना अधिकार समझने लगे हैं और उनके मन में शासन का भय नहीं रह गया है। यह सिर्फ कानून व्यवस्था का मामला नहीं है, बल्कि यह सोचने का विषय भी है कि पुलिस को इस तरह के संसाधनों के अनुसार सुसज्जित किया जाए और अपराधियों को मिलने वाले इस तरह के संरक्षण को समाप्त किया जाए। इस घटना का यह महत्वपूर्ण पहलू है कि क्या शिकारियों और तस्करों से रात में मुठभेड़ करने के लिए पुलिस के पास पर्याप्त सुरक्षा के उपाय हैं या नहीं। जिन जगहों पर पुलिस कर्मियों को सीधे गोलियों के निशाने पर आने का खतरा है। क्या कम से कम उन जगहों पर तैनात पुलिसकर्मियों को बुलेट प्रूफ जैकेट और नाइट विजन कैमरा जैसे उपकरण मुहैया नहीं कराए जाने चाहिए। क्या पुलिस वालों की इस बात की ट्रेनिंग दी गई है कि अगर शिकारी या अपराधी बड़ी संख्या में हो और उनके पास हथियार हो तो उनसे किस तरह से मुकाबला किया जाए। क्योंकि बिना पर्याप्त सुरक्षा इंतजामों के और बिना अत्याधुनिक हथियारों के इस तरह की मुठभेड़ आखिर पुलिस वालों के लिए किस हद तक सुरक्षित है। मध्य प्रदेश जैसे राज्य में इस विषय पर बहुत ही गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि आज भी मध्य प्रदेश देश के सबसे ज्यादा वन क्षेत्रफल वाले राज्यों में शामिल है। प्रदेश में बड़ी संख्या में अभयारण्य और नेशनल पार्क हैं। जिसमें दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीव पाए जाते हैं। सेना में भर्ती होने वाले लोगों के लिए चाहे वे सैनिक हों या उच्चाधिकारी बहुत सारी मानवीय सुविधाएं होती हैं। ऑफिसर्स के लिए अलग मैस होगा। सैनिकों का अपना मैस होता है। उनके बच्चों की पढ़ाई के लिए अलग से सैनिक स्कूल होते हैं। खेल कूद और व्यायाम के लिए शानदार पार्क और होते हैं। जवान खुद को चुस्त-दुरुस्त रख सकें इसके लिए बड़े पैमाने पर शारीरिक व्यायाम की सुविधा होती है। सेना के अपने अस्पताल होते हैं। जहां विशेषज्ञ डॉक्टर तैनात रहते हैं। इसके अलावा खेलों में सेना के जवानों का विशेष प्रतिनिधित्व हो सके इसके लिए पर्याप्त इंतजाम किए जाते हैं। निश्चित तौर पर सेना की जिम्मेदारी बड़ी है और उसे सरहदों पर देश की रक्षा करनी होती है लेकिन पुलिस की जिम्मेदारी भी कम नहीं है, उसे तो रात दिन बिना अवकाश के समाज की कानून व्यवस्था को बना कर चलना होता है। राज्य सरकारों को पुलिस के लिए नए आवासों के निर्माण के बारे में ध्यान से सोचना चाहिए। पुलिस कर्मियों के बच्चे अच्छे स्कूलों में शिक्षा ले सकें, इसलिए शहर के किसी भी कन्वेंट या सैनिक स्कूल के मुकाबले के स्कूल पुलिस कर्मियों के बच्चों के लिए खोले जाने चाहिए। मौजूदा दौर में सबसे जरूरी है कि पुलिस के पक्ष में सोचा जाए। कभी पुलिसकर्मियों को राजनीतिक हस्तक्षेप से तो जांबाजी से एनकाउंटर करने के बाद भी आयोगों की जांच में परेशान होना पड़ता है। एक पूर्व पुलिस अधिकारी होने के नाते मैं पुलिस सेवा के दौरान सामने आने वाली चुनौतियों को बखूबी समझ सकता हूं। आज पुलिस की सुरक्षा और संसाधनों के प्रति बढ़ाने हमें विचार करने की जरूरत है। इसके साथ ही परिदृश्य पर गौर करें तो राज्य पुलिस बलों में 24% रिक्तियां हैं,लगभग 5.5 लाख रिक्तियां। यानी जहां 100 पुलिस वाले हमारे पास होने चाहिए वहां 76 पुलिस वाले ही उपलब्ध हैं। इसी तरह हर एक लाख व्यक्ति पर पुलिसकर्मियों की स्वीकृत संख्या 181 थी, उनकी वास्तविक संख्या 137 थी। उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र के मानक के अनुसार एक लाख व्यक्तियों पर 222 पुलिसकर्मी होने चाहिए। इस तरह गौर करें तो राष्ट्रीय मानक से तो हम पीछे हैं ही अंतर्राष्ट्रीय मानक से तो बहुत पीछे हैं। गुना में हुई घटनाओं जैसे वेकअप कॉल में सभी का जागना जरूरी है, भले ही वे किसी भी पार्टी से जुड़े राजनेता हों, आला पुलिस अधिकारी हों या हमारा सिस्टम। ऐसी घटनाओं से सबक लेते हुए हमें पुलिस के लिए संसाधनों को बढाना होगा। सभी को मिलकर देशभक्ति और जनसेवा का जज्बा लिए पुलिसकर्मियों के लिए बेहतर प्रयास करने चाहिए। पुलिस पर हमला करने वालों को सख्त सजा मिले, शहीद हुए पुलिसकर्मियों के परिवार को मुआवजा मिले। इसके साथ ही ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए भी पुख्ता सिस्टम तैयार हो। यही इन शहीद पुलिस जवानों को सच्ची श्रध्दांजलि होगी।
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-प्रो.संजय द्विवेदी भारत में ऐसा क्या है जो उसे खास बनाता है? वह कौन सी बात है जिसने सदियों से उसे दुनिया की नजरों में आदर का पात्र बनाया और मूल्यों को सहेजकर रखने के लिए उसे सराहा। निश्चय ही हमारी परिवार व्यवस्था वह मूल तत्व है, जिसने भारत को भारत बनाया। हमारे सारे नायक परिवार की इसी शक्ति को पहचानते हैं। रिश्तों में हमारे प्राण बसते हैं, उनसे ही हम पूर्ण होते हैं। आज कोरोना की महामारी ने जब हमारे सामने गहरे संकट खड़े किए हैं तो हमें सामाजिक और मनोवैज्ञानिक संबल हमारे परिवार ही दे रहे हैं। व्यक्ति कितना भी बड़ा हो जाए उसका गांव, घर, गली, मोहल्ला, रिश्ते-नाते और दोस्त उसकी स्मृतियां का स्थायी संसार बनाते हैं। कहा जाता है जिस समाज स्मृति जितनी सघन होती है, जितनी लंबी होती है, वह उतना ही श्रेष्ठ समाज होता है। परिवार नाम की संस्था दुनिया के हर समाज में मौजूद हैं। किंतु परिवार जब मूल्यों की स्थापना, बीजारोपण का केंद्र बनता है, तो वह संस्कारशाला हो जाता है। खास हो जाता है। अपने मूल्यों, परंपराओं को निभाकर समूचे समाज को साझेदार मानकर ही भारतीय परिवारों ने अपनी विरासत बनाई है। पारिवारिक मूल्यों को आदर देकर ही श्री राम इस देश के सबसे लाड़ले पुत्र बन जाते हैं। उन्हें यह आदर शायद इसलिए मिल पाया, क्योंकि उन्होंने हर रिश्ते को मान दिया, धैर्य से संबंध निभाए। वे रावण की तरह प्रकांड विद्वान और विविध कलाओं के ज्ञाता होने का दावा नहीं करते, किंतु मूल्याधारित जीवन के नाते वे सबके पूज्य बन जाते हैं, एक परंपरा बनाते हैं। अगर हम अपनी परिवार परंपरा को निभा पाते तो आज के भारत में वृद्धाश्रम न बन रहे होते। पहले बच्चे अनाथ होते थे आज के दौर में माता-पिता भी अनाथ होने लगे हैं। यह बिखरती भारतीयता है, बिखरता मूल्यबोध है। जिसने हमारी आंखों से प्रेम, संवेदना, रिश्तों की महक कम कर भौतिकतावादी मूल्यों को आगे किया है। न बढ़ाएं फासले, रहिए कनेक्टः आज के भारत की चुनौतियां बहुत अलग हैं। अब भारत के संयुक्त परिवार आर्थिक, सामाजिक कारणों से एकल परिवारों में बदल रहे हैं। एकल परिवार अपने आप में कई संकट लेकर आते हैं। जैसा कि हम देख रहे हैं कि इन दिनों कई दंपती कोरोना से ग्रस्त हैं, तो उनके बच्चे एकांत भोगने के साथ गहरी असुरक्षा के शिकार हैं। इनमें माता या पिता, या दोनों की मृत्यु होने पर अलग तरह के सामाजिक संकट खड़े हो रहे हैं। संयुक्त परिवार हमें इस तरह के संकटों से सुरक्षा देता था और ऐसे संकटों को आसानी से झेल जाता था। बावजूद इसके समय के चक्र को पीछे नहीं घुमाया जा सकता। ऐसे में यह जरूरी है कि हम अपने परिजनों से निरंतर संपर्क में रहें। उनसे आभासी माध्यमों, फोन आदि से संवाद करते रहें, क्योंकि सही मायने में परिवार ही हमारा सुरक्षा कवच है। आमतौर सोशल मीडिया के आने के बाद हम और ‘अनसोशल’ हो गए हैं। संवाद के बजाए कुछ ट्वीट करके ही बधाई दे देते हैं। होना यह चाहिए कि हम फोन उठाएं और कानोंकान बात करें। उससे जो खुशी और स्पंदन होगा, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। परिजन और मित्र इससे बहुत प्रसन्न अनुभव करेगें और सारा दिन आपको भी सकारात्मकता का अनुभव होगा। संपर्क बनाए रखना और एक-दूसरे के काम आना हमें अतिरिक्त उर्जा से भर देता है। संचार के आधुनिक साधनों ने संपर्क, संवाद बहुत आसान कर दिया है। हम पूरे परिवार की आनलाईन मीटिंग कर सकते हैं, जिसमें दुनिया के किसी भी हिस्से से परिजन हिस्सा ले सकते हैं। दिल में चाह हो तो राहें निकल ही आती हैं। प्राथमिकताए तय करें तो व्यस्तता के बहाने भी कम होते नजर आते हैं। जरूरी है एकजुटता और सकारात्मकताः सबसे जरूरी है कि हम सकारात्मक रहें और एकजुट रहें। एक-दूसरे के बारे में भ्रम पैदा न होने दें। गलतफहमियां पैदा होने से पहले उनका आमने-सामने बैठकर या फोन पर ही निदान कर लें। क्योंकि दूरियां धीरे-धीरे बढ़ती हैं और एक दिन सब खत्म हो जाता है। खून के रिश्तों का इस तरह बिखरना खतरनाक है क्योंकि रिश्ते टूटने के बाद जुड़ते जरूर हैं, लेकिन उनमें गांठ पड़ जाती है। सामान्य दिनों में तो सारा कुछ ठीक लगता है। आप जीवन की दौड़ में आगे बढ़ते जाते हैं, आर्थिक समृद्धि हासिल करते जाते हैं। लेकिन अपने पीछे छूटते जाते हैं। किसी दिन आप अस्पताल में होते हैं, तो आसपास देखते हैं कि कोई अपना आपकी चिंता करने वाला नहीं है। यह छोटा सा उदाहरण बताता है कि हम कितने कमजोर और अकेले हैं। देखा जाए तो यह एकांत हमने खुद रचा है और इसके जिम्मेदार हम ही हैं। संयुक्त परिवारों की परिपाटी लौटाई नहीं जा सकती, किंतु रिश्ते बचाए और बनाए रखने से हमें पीछे नहीं हटना चाहिए। इसके साथ ही सकारात्मक सोच बहुत जरूरी है। जरा-जरा सी बातों पर धीरज खोना ठीक नहीं है। हमें क्षमा करना और भूल जाना आना ही चाहिए। तुरंत प्रतिक्रिया कई बार घातक होती है। इसलिए आवश्यक है कि हम धीरज रखें। देश का सबसे बड़ा सांस्कृतिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ऐसे ही पारिवारिक मूल्यों की जागृति के कुटुंब प्रबोधन के कार्यक्रम चलाता है। पूर्व आईएएस अधिकारी विवेक अत्रे भी लोगों को पारिवारिक मूल्यों से जुड़े रहने प्रेरित कर रहे हैं। वे साफ कहते हैं ‘भारत में परिवार ही समाज को संभालता है।’ जुड़ने के खोजिए बहानेः हमें संवाद और एकजुटता के अवसर बनाते रहने चाहिए। बात से बात निकलती है और रिश्तों में जमी बर्फ पिधल जाती है। परिवार के मायने सिर्फ परिवार ही नहीं हैं, रिश्तेदार ही नहीं हैं। वे सब हैं जो हमारी जिंदगी में शामिल हैं। उसमें हमें सुबह अखबार पहुंचाने वाले हाकर से लेकर, दूध लाकर हमें देने वाले, हमारे कपड़े प्रेस करने वाले, हमारे घरों और सोसायटी की सुरक्षा, सफाई करने वाले और हमारी जिंदगी में मदद देने वाला हर व्यक्ति शामिल है। अपने सुख-दुख में इस महापरिवार को शामिल करना जरूरी है। इससे हमारा भावनात्मक आधार मजूबूत होता है और हम कभी भी अपने आपको अकेला महसूस नहीं करते। कोरोना के संकट ने हमें सोचने के लिए आधार दिया है, एक मौका दिया है। हम सबने खुद के जीवन और परिवार में न सही, किंतु पूरे समाज में मृत्यु को निकट से देखा है। आदमी की लाचारगी और बेबसी के ऐसे दिन शायद भी कभी देखे गए हों। इससे सबक लेकर हमें न सिर्फ सकारात्मकता के साथ जीना सीखना है बल्कि लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ाना है। बड़ों का आदर और अपने से छोटों का सम्मान करते हुए सबको भावनात्मक रिश्तों की डोर में बांधना है। एक दूसरे को प्रोत्साहित करना, घर के कामों में हाथ बांटना, गुस्सा कम करना जरूरी आदतें हैं, जो डालनी होंगीं। एक बेहतर दुनिया रिश्तों में ताजगी, गर्माहट,दिनायतदारी और भावनात्मक संस्पर्श से ही बनती है। क्या हम और आप इसके लिए तैयार हैं?
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(प्रवीण कक्कड़) एक जमाने में कहा जाता था कि भारतीय समाज में 3 सी सबसे ज्यादा प्रचलित हैं। सिनेमा, क्रिकेट और क्राइम। लेकिन आज के सार्वजनिक संवाद को देखें तो इन तीनों से ज्यादा लोकप्रिय अगर कोई चीज है तो वह है पत्रकारिता। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल अपने इन तीनों स्वरूपों में पत्रकारिता 24 घंटे सूचनाओं की बाढ़ समाज तक पहुंचाती है और लोगों की राय बनाने में खासी मदद करती है। जैसे-जैसे समाज जटिल होता जाता है, वैसे वैसे लोगों के बीच सीधा संवाद कम होता जाता है और वे सार्वजनिक या उपयोगी सूचनाओं के लिए मीडिया पर निर्भर होते जाते हैं। उनके पास जो सूचनाएं ज्यादा संख्या में पहुंचती हैं, लोगों को लगता है कि वही घटनाएं देश और समाज में बड़ी संख्या में हो रही हैं। जो सूचनाएं मीडिया से छूट जाती हैं उन पर समाज का ध्यान भी कम जाता है। आजकल महत्व इस बात का नहीं है कि घटना कितनी महत्वपूर्ण है, महत्व इस बात का हो गया है कि उस घटना को मीडिया ने महत्वपूर्ण समझा या नहीं। जब मीडिया पर इतना ज्यादा एतबार है तो मीडिया की जिम्मेदारी भी पहले से कहीं अधिक है। आप सब को अलग से यह बताने की जरूरत नहीं है कि कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के अलावा मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। मजे की बात यह है कि बाकी तीनों स्तंभ की चर्चा हमारे संविधान में अलग से की गई है और उनके लिए लंबे चौड़े प्रोटोकॉल तय हैं। लेकिन मीडिया को अलग से कोई अधिकार नहीं दिए गए हैं। संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी का जो अधिकार प्रत्येक नागरिक को हासिल है, उतना ही अधिकार पत्रकार को भी हासिल है। बाकी तीन स्तंभ जहां संविधान और कानून से शक्ति प्राप्त करते हैं, वही मीडिया की शक्ति का स्रोत सत्य, मानवता और सामाजिक स्वीकार्यता है। अगर मीडिया के पास नैतिक बल ना हो तो उसकी बात का कोई मोल नहीं है। इसी नैतिक बल से हीन मीडिया के लिए येलो जर्नलिज्म या पीत पत्रकारिता शब्द रखा गया है। और जो पत्रकारिता नैतिक बल पर खड़ी है, वह तमाम विरोध सहकर भी सत्य को उजागर करती है। संयोग से हमारे पास नैतिक बल वाले पत्रकारों की कोई कमी नहीं है। मीडिया को लेकर आजकल बहुत तरह की बातें कही जाती हैं। इनमें से सारी बातें अच्छी हो जरूरी नहीं है। पत्रकारिता बहुत से मोर्चों पर दृढ़ता से खड़ी है, तो कई मोर्चों पर चूक भी जाती है। आप सबको पता ही है की बर्नार्ड शॉ जैसे महान लेखक मूल रूप से पत्रकार ही थे। और बट्रेंड रसैल जैसे महान दार्शनिक ने कहा है कि जब बात निष्पक्षता की आती है तो असल में सार्वजनिक जीवन में उसका मतलब होता है कमजोर की तरफ थोड़ा सा झुके रहना। यानी कमजोर के साथ खड़ा होना पत्रकारिता की निष्पक्षता का एक पैमाना ही है। पत्रकारिता की चुनौतियों को लेकर हम आज जो बातें सोचते हैं, उन पर कम से कम दो शताब्दियों से विचार हो रहा है। भारत में तो हिंदी के पहला अखबार उदंत मार्तंड के उदय को भी एक सदी बीत चुकी है। टाइम्स ऑफ इंडिया और हिंदू जैसे अखबार एक सदी की उम्र पार कर चुके हैं। दुनिया के जाने माने लेखक जॉर्ज ऑरवेल ने आधी सदी पहले एक किताब लिखी थी एनिमल फार्म। किताब तो सोवियत संघ में उस जमाने में स्टालिन की तानाशाही के बारे में थी लेकिन उसकी भूमिका में उन्होंने पत्रकारिता की चुनौतियां और उस पर पड़ने वाले दबाव का विस्तार से जिक्र किया है। जॉर्ज ऑरवेल ने लिखा की पत्रकारिता के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह नहीं है कि कोई तानाशाह उसे बंदूक की नोक पर दबा लेगा या फिर कोई धन्ना सेठ पैसे के बल पर पत्रकारिता को खरीद लेगा लेकिन इनसे बढ़कर जो चुनौती है वह है भेड़ चाल। यानी एक अखबार या एक मीडिया चैनल जो बात दिखा रहा है सभी उसी को दिखा रहे हैं। अगर किसी सरकार ने एक विषय को जानबूझकर मीडिया के सामने उछाल दिया और सारे मीडिया संस्थान उसी को कवर करते चले जा रहे हैं, यह सोचे बिना कि वास्तव में उसका सामाजिक उपयोग कितना है या कितना नहीं। बड़े संकोच के साथ कहना पड़ता है कि कई बार भारतीय मीडिया भी इस नागपाश में फंस जाता है। सारे अखबारों की हैडलाइन और सारे टीवी चैनल पर एक से प्राइमटाइम दिखाई देने लगते हैं। भारत विविधता का देश है, अलग-अलग आयु वर्ग के लोग यहां रहते हैं। उनकी महत्वाकांक्षा अलग है और उनके भविष्य के सपने भी जुदा हैं। ऐसे में पत्रकार की जिम्मेदारी है कि हमारी इन महत्वाकांक्षाओं को उचित स्थान अपनी पत्रकारिता में दें। वे संविधान और लोकतंत्र के मूल्यों को मजबूत करें। कमजोर का पक्ष ले। देश की आबादी का 85% हिस्सा मजदूर और किसान से मिलकर बनता है। ऐसे में इस 85% आबादी को भी पत्रकारिता में पूरा स्थान मिले। मैंने तो बचपन से यही सुना है कि पुरस्कार मिलने से पत्रकारों का सम्मान नहीं होता, उनके लिए तो लीगल नोटिस और सत्ता की ओर से मिलने वाली धमकियां असली सम्मान होती हैं। राजनीतिक दल तो लोकतंत्र का अस्थाई विपक्ष होते हैं, क्योंकि चुनाव के बाद जीत हासिल करके विपक्षी दल सत्ताधारी दल बन जाता है और जो कल तक कुर्सी पर बैठा था, वह आज विपक्ष में होता है। लेकिन पत्रकारिता तो स्थाई विपक्ष होती है। जो सत्ता की नाकामियों और उसके काम में छूट गई गलतियों को सार्वजनिक करती है ताकि भूल को सुधारा जा सके और संविधान और लोकतंत्र के मूल्यों के मुताबिक राष्ट्र का निर्माण किया जा सके। मध्यप्रदेश इस मामले में हमेशा से ही बहुत आगे रहा है प्रभाष जोशी और राजेंद्र माथुर जैसे प्रसिद्ध संपादक मध्य प्रदेश की पवित्र भूमि की ही देन हैं। आज भी राष्ट्रीय पत्रकारिता के क्षेत्र पर मध्य प्रदेश के पत्रकार अपनी निष्पक्षता की छाप छोड़ रहे हैं। आशा करता हूं 21वीं सदी के तीसरे दशक में भारतीय पत्रकारिता उन बुनियादी मूल्यों का और दृढ़ता से पालन करेगी जिन्हें हम शास्वत मानवीय मूल्य कहते हैं।
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मप्र के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के जन्मदिन पर विशेष -डॉ. दुर्गेश केसवानी संसार में बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जिनसे जितनी बार भी मिलें, हर बार की मुलाकात में एक नया अनुभव होता है। मप्र के गृहमंत्री माननीय डॉ. नरोत्तम मिश्रा भी ऐसी ही शख्सियत हैं, जिनसे हर मिलने पर मन आनंदित हो जाता है। वैसे तो गृहमंत्री जी से मेरी मुलाकात लगभग डेढ़ दशक पुरानी है, लेकिन इतने सालों में जितनी बार भी उनसे मिला। हर बार कुछ नया सीखने को अवसर मिला। आज जन्मदिन के अवसर पर आपको जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए आपके शतायु जीवन की कामना करता हूं। डॉ. नरोत्तम मिश्रा एक अच्छे राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक अच्छे पुत्र, एक अच्छे भाई, अच्छे पिता और अच्छे दादा भी हैं। उन्हें ईश्वर ने जीवन में जो भी जवाबदारी दी है। उसका उन्होंने पूरी ईमानदारी और लगन के साथ पालन किया है। बच्चों के साथ बच्चा बन जाना और बेजुबान जानवरों के साथ भी करुणा बनाए रखना। ऐसे गुण बिरले लोगों में ही मिलते हैं। इसके अलावा वे एक अच्छे मित्र भी हैं। जीवन के हर सुख-दुख में साथ देने के साथ ही सही बात को सराहते हैं और गलती होने पर सुधार करने की हिदायत भी देते हैं। सामाजिक और राजनैतिक जीवन में आने के बाद अपनी दिनचर्या में मर्यादा, गरिमा, दायित्वों और कर्तव्यों का पालन थोड़ा कठिन हो जाता है। आम लोगों का आप के प्रति भरोसा और प्रेम हमेशा बना रहे। इसके लिए अपने विचारों, भाषा और व्यवहार का खास ध्यान रखना होता है। डॉ. मिश्रा राजनीतिक जीवन के इन सभी बिंदुओं से परे आज स्वयं एक ऐसा उदाहरण बन चुके हैं, जो राजनीति में आए नौजवानों के लिए एक आदर्श के रूप में स्थापित हो चुकेहैं। उनके वर्तमान कार्यकाल की कुछ खास उपलब्धियों को आप सबके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं। अपराध मुक्त होने की दिशा में बढ़ रहा प्रदेश : मप्र के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के कार्यकाल में जहां अपराधियों पर लगाम लगी है। वहीं सनातन धर्म पर उंगली उठाने वालों पर भी वे सख्त तेवर दिखाते नजर आए हैं। गरीब असहाय लोगों की सहायता हो या फिर संकट में फंसे प्रदेशवासी अपने अदम्य साहस और प्रेम के बल पर डॉ. मिश्रा ने हमेशा ही हम सबका दिल जीता है। उनके कार्यकाल में प्रदेश अपराध मुक्त होने की दिशा में काम कर रहा है। वहीं प्रदेश में आकर सनातन धर्म पर टिप्पणी करने से पहले वामपंथी 100 बार सोच रहे हैं। अपराधियों पर कस दी लगाम : प्रदेश की सियासत में संकटमोचक माने जाने वाले डॉ. नरोत्तम मिश्रा वैसे तो हर वर्ग और हर समुदाय के चहेते हैं, लेकिन गृहमंत्री बनते ही उनके सख्त तेवरों को देख आम जनसमुदाय उनकी कार्यशैली का दीवाना हो गया है। पिछले साल 2021 में गृहमंत्री के मार्गदर्शन में आम लोगों की जमीनों पर कब्जा करने वाले 1705 भू माफियाओं को गिरफ्तार किया गया। इस दौरान अवैध शराब के भी 139556 मामले दर्ज किए गए। खास बात यह रही कि इन भूमाफियाओं और दुर्दान्त अपराधियों की अवैध संपत्तियों को बुलडोजर से ध्वस्त करने की कार्रवाई की गई। चिटफंड कंपनियों द्वारा 55774 निवेशकों से ठगे गए 179.50 करोड़ रुपए वापिस दिलवाए गए। इस अवधि में पुलिस विभाग द्वारा 15114 गुम बच्चों को भी वापिस ढूंढ लिया गया। इस कार्यकाल में 42 नए महिला थाने, 52 मानव दुर्व्यापार निरोधी ईकाई और 700 ऊर्जा महिला डेस्क की स्थापना भी की गई। महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए 4500 गुम बालिकाओं को सकुशल उनके घर पहुंचाया गया। अनुसूचित जाति और जनजाति के भाई-बहनों को न्याय मिले। इसके लिए इन जातियों से होने वाले हॉटस्पॉट क्षेत्रों को चिन्हित कर अपराधों में कमी लाने के लिए निरंतर काम किया जा रहा है। वहीं अनुसूचित जनजाति के भाई बहनों को भड़काने वाले संगठनों पर कड़ी नजर रख उन पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। बारीक नजरों से न बच सका कोई : डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने अपने कार्यकाल में वामपंथियों को एहसास करा दिया है कि सनातन धर्म पर डिजीटल हमले करना आसान नहीं है। यह उन्हीं के ही प्रयास हैं कि डाबर ने माफी मांगते हुए अपना विज्ञापन वापस लिया। विवाह जैसे पवित्र बंधन के नाम पर अश्लीलता परोसने वाले सब्यसाची ने अपना मंगलसूत्र का विज्ञापन वापिस लिया। इसके अलावा श्वेता तिवारी के विवादित बयान हों या अमेजन कंपनी द्वारा खुलेआम जहर की डिलीवरी करना जोमैटो द्वारा सड़क सुरक्षा का खुलेआम उल्लंघन या हिंदू धर्म पर हमला करने वाले कव्वाल, डॉ. मिश्रा की बारीक नजरों से कोई भी नही बच सका। आतंक मुक्त मप्र बनाने की पहल : गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के नेतृत्व में मप्र पुलिस लगातार अपराधियों पर सख्त कार्रवाई कर रही है। साथ ही मप्र को नक्सलवाद मुक्त और आतंकी संगठनों के मंसूबे नाकाम करने में भी लगातार काम कर रही है। मप्र पुलिस ने वर्ष 2020 से अब तक लगभग 82 लाख रुपए के ईनामी नक्सलवादियों को या तो सलाखों के पीछे पहुंचा दिया या फिर उन्हें मुठभेड़ में ढेर कर दिया। इस पूरी कार्रवाई में अपनी जान-जोखिम में डाल अपने कर्तव्य का निर्वहन करने वाले 100 पुलिस पुलिसकर्मियों को क्रम से पूर्व ही पदोन्नत कर दिया गया। वहीं रतलाम में आतंकी संगठ अलसूफा के ईनामी आंतकी इमरान को भी गिरफ्तार किया गया और संगठन को जड़ से उखाड़ फेंका गया। वहीं मार्च माह में बांग्लादेशी आतंकी संगठन जमात उल मुजाहिद्दीन के 4 आतंकियों को गिरफ्तार किया गया। शक्तिशाली हुआ पुलिस प्रशासन : शहरों को अपराध मुक्त रखने और पुलिस के अधिक पॉवर देने वाली कमिश्नर प्रणाली भोपाल और इंदौर में डॉ. मिश्रा के ही कार्यकाल में लागू हुई। इससे अपराधियों पर नियंत्रण करने में पुलिस को अधिक पावर मिली। सायबर अपराधों पर लगाम लगाने और लोगों को जागरूक करने के लिए 1 लाख से अधिक लोगों को सायबर सुरक्षा पर आधारित सेमिनारों में बुलाकर जागरूक किया गया। इसी के साथ रेडियो, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और पोस्टर के माध्यम से लोगों में जागरूकता लाने कार्यक्रम आयोजित किए गए। सभी पुलिस अधीक्षक कार्यालयों में सायबर अपराधों के अनुसंधान व सहायता हेतु एडवांस टेक्निकल सेल की स्थापना की गई। ई एफआईआर की सुविधा शुरू की गई। इसके अलावा आम जनमानस को लाभ पहुंचाने हेतु डॉ. मिश्रा ने न जाने कितने कार्य किए हैं। यदि उन सबका उल्लेख करने बैठेंगे तो बात बहुत लंबी खिंच जाएगी। इसलिए किसी शायर की इन चंद पंक्तियों को डॉ. मिश्रा को समर्पित करते हुए अपनी बात को विराम देता हूं३ प्रेम है मुझे इस माटी से, देश के गद्दारों से लड़ने की तैयारी है लोगों की दौलत है पैसा, मेरी दौलत तो केवल ईमानदारी है सब लड़ते हैं सत्ता के लिए और मकसद है इनका चुनाव जीतना मैं तो हर अबला का बेटा हूं, दिलों को जीतने की मेरी तैयारी है -लेखक भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश के प्रदेश प्रवक्ता है।
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मप्र के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के जन्मदिन पर विशेष -डॉ. दुर्गेश केसवानी संसार में बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जिनसे जितनी बार भी मिलें, हर बार की मुलाकात में एक नया अनुभव होता है। मप्र के गृहमंत्री माननीय डॉ. नरोत्तम मिश्रा भी ऐसी ही शख्सियत हैं, जिनसे हर मिलने पर मन आनंदित हो जाता है। वैसे तो गृहमंत्री जी से मेरी मुलाकात लगभग डेढ़ दशक पुरानी है, लेकिन इतने सालों में जितनी बार भी उनसे मिला। हर बार कुछ नया सीखने को अवसर मिला। आज जन्मदिन के अवसर पर आपको जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए आपके शतायु जीवन की कामना करता हूं। डॉ. नरोत्तम मिश्रा एक अच्छे राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक अच्छे पुत्र, एक अच्छे भाई, अच्छे पिता और अच्छे दादा भी हैं। उन्हें ईश्वर ने जीवन में जो भी जवाबदारी दी है। उसका उन्होंने पूरी ईमानदारी और लगन के साथ पालन किया है। बच्चों के साथ बच्चा बन जाना और बेजुबान जानवरों के साथ भी करुणा बनाए रखना। ऐसे गुण बिरले लोगों में ही मिलते हैं। इसके अलावा वे एक अच्छे मित्र भी हैं। जीवन के हर सुख-दुख में साथ देने के साथ ही सही बात को सराहते हैं और गलती होने पर सुधार करने की हिदायत भी देते हैं। सामाजिक और राजनैतिक जीवन में आने के बाद अपनी दिनचर्या में मर्यादा, गरिमा, दायित्वों और कर्तव्यों का पालन थोड़ा कठिन हो जाता है। आम लोगों का आप के प्रति भरोसा और प्रेम हमेशा बना रहे। इसके लिए अपने विचारों, भाषा और व्यवहार का खास ध्यान रखना होता है। डॉ. मिश्रा राजनीतिक जीवन के इन सभी बिंदुओं से परे आज स्वयं एक ऐसा उदाहरण बन चुके हैं, जो राजनीति में आए नौजवानों के लिए एक आदर्श के रूप में स्थापित हो चुकेहैं। उनके वर्तमान कार्यकाल की कुछ खास उपलब्धियों को आप सबके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं। अपराध मुक्त होने की दिशा में बढ़ रहा प्रदेश : मप्र के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के कार्यकाल में जहां अपराधियों पर लगाम लगी है। वहीं सनातन धर्म पर उंगली उठाने वालों पर भी वे सख्त तेवर दिखाते नजर आए हैं। गरीब असहाय लोगों की सहायता हो या फिर संकट में फंसे प्रदेशवासी अपने अदम्य साहस और प्रेम के बल पर डॉ. मिश्रा ने हमेशा ही हम सबका दिल जीता है। उनके कार्यकाल में प्रदेश अपराध मुक्त होने की दिशा में काम कर रहा है। वहीं प्रदेश में आकर सनातन धर्म पर टिप्पणी करने से पहले वामपंथी 100 बार सोच रहे हैं। अपराधियों पर कस दी लगाम : प्रदेश की सियासत में संकटमोचक माने जाने वाले डॉ. नरोत्तम मिश्रा वैसे तो हर वर्ग और हर समुदाय के चहेते हैं, लेकिन गृहमंत्री बनते ही उनके सख्त तेवरों को देख आम जनसमुदाय उनकी कार्यशैली का दीवाना हो गया है। पिछले साल 2021 में गृहमंत्री के मार्गदर्शन में आम लोगों की जमीनों पर कब्जा करने वाले 1705 भू माफियाओं को गिरफ्तार किया गया। इस दौरान अवैध शराब के भी 139556 मामले दर्ज किए गए। खास बात यह रही कि इन भूमाफियाओं और दुर्दान्त अपराधियों की अवैध संपत्तियों को बुलडोजर से ध्वस्त करने की कार्रवाई की गई। चिटफंड कंपनियों द्वारा 55774 निवेशकों से ठगे गए 179.50 करोड़ रुपए वापिस दिलवाए गए। इस अवधि में पुलिस विभाग द्वारा 15114 गुम बच्चों को भी वापिस ढूंढ लिया गया। इस कार्यकाल में 42 नए महिला थाने, 52 मानव दुर्व्यापार निरोधी ईकाई और 700 ऊर्जा महिला डेस्क की स्थापना भी की गई। महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए 4500 गुम बालिकाओं को सकुशल उनके घर पहुंचाया गया। अनुसूचित जाति और जनजाति के भाई-बहनों को न्याय मिले। इसके लिए इन जातियों से होने वाले हॉटस्पॉट क्षेत्रों को चिन्हित कर अपराधों में कमी लाने के लिए निरंतर काम किया जा रहा है। वहीं अनुसूचित जनजाति के भाई बहनों को भड़काने वाले संगठनों पर कड़ी नजर रख उन पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। बारीक नजरों से न बच सका कोई : डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने अपने कार्यकाल में वामपंथियों को एहसास करा दिया है कि सनातन धर्म पर डिजीटल हमले करना आसान नहीं है। यह उन्हीं के ही प्रयास हैं कि डाबर ने माफी मांगते हुए अपना विज्ञापन वापस लिया। विवाह जैसे पवित्र बंधन के नाम पर अश्लीलता परोसने वाले सब्यसाची ने अपना मंगलसूत्र का विज्ञापन वापिस लिया। इसके अलावा श्वेता तिवारी के विवादित बयान हों या अमेजन कंपनी द्वारा खुलेआम जहर की डिलीवरी करना जोमैटो द्वारा सड़क सुरक्षा का खुलेआम उल्लंघन या हिंदू धर्म पर हमला करने वाले कव्वाल, डॉ. मिश्रा की बारीक नजरों से कोई भी नही बच सका। आतंक मुक्त मप्र बनाने की पहल : गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के नेतृत्व में मप्र पुलिस लगातार अपराधियों पर सख्त कार्रवाई कर रही है। साथ ही मप्र को नक्सलवाद मुक्त और आतंकी संगठनों के मंसूबे नाकाम करने में भी लगातार काम कर रही है। मप्र पुलिस ने वर्ष 2020 से अब तक लगभग 82 लाख रुपए के ईनामी नक्सलवादियों को या तो सलाखों के पीछे पहुंचा दिया या फिर उन्हें मुठभेड़ में ढेर कर दिया। इस पूरी कार्रवाई में अपनी जान-जोखिम में डाल अपने कर्तव्य का निर्वहन करने वाले 100 पुलिस पुलिसकर्मियों को क्रम से पूर्व ही पदोन्नत कर दिया गया। वहीं रतलाम में आतंकी संगठ अलसूफा के ईनामी आंतकी इमरान को भी गिरफ्तार किया गया और संगठन को जड़ से उखाड़ फेंका गया। वहीं मार्च माह में बांग्लादेशी आतंकी संगठन जमात उल मुजाहिद्दीन के 4 आतंकियों को गिरफ्तार किया गया। शक्तिशाली हुआ पुलिस प्रशासन : शहरों को अपराध मुक्त रखने और पुलिस के अधिक पॉवर देने वाली कमिश्नर प्रणाली भोपाल और इंदौर में डॉ. मिश्रा के ही कार्यकाल में लागू हुई। इससे अपराधियों पर नियंत्रण करने में पुलिस को अधिक पावर मिली। सायबर अपराधों पर लगाम लगाने और लोगों को जागरूक करने के लिए 1 लाख से अधिक लोगों को सायबर सुरक्षा पर आधारित सेमिनारों में बुलाकर जागरूक किया गया। इसी के साथ रेडियो, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और पोस्टर के माध्यम से लोगों में जागरूकता लाने कार्यक्रम आयोजित किए गए। सभी पुलिस अधीक्षक कार्यालयों में सायबर अपराधों के अनुसंधान व सहायता हेतु एडवांस टेक्निकल सेल की स्थापना की गई। ई एफआईआर की सुविधा शुरू की गई। इसके अलावा आम जनमानस को लाभ पहुंचाने हेतु डॉ. मिश्रा ने न जाने कितने कार्य किए हैं। यदि उन सबका उल्लेख करने बैठेंगे तो बात बहुत लंबी खिंच जाएगी। इसलिए किसी शायर की इन चंद पंक्तियों को डॉ. मिश्रा को समर्पित करते हुए अपनी बात को विराम देता हूं३ प्रेम है मुझे इस माटी से, देश के गद्दारों से लड़ने की तैयारी है लोगों की दौलत है पैसा, मेरी दौलत तो केवल ईमानदारी है सब लड़ते हैं सत्ता के लिए और मकसद है इनका चुनाव जीतना मैं तो हर अबला का बेटा हूं, दिलों को जीतने की मेरी तैयारी है -लेखक भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश के प्रदेश प्रवक्ता है।
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चौधरी मदन मोहन 'समर' कल रिलीव हो गया। परसों नई जगह ज्वाइन भी कर लूंगा। जिंदगी के दिन हमेशा की तरह करवट बदलकर अपने नए पथ नई जगह पर नए तौर-तरीकों से उदय-अस्त होने लगेंगे। लगभग सवा पांच साल तक मध्यप्रदेश पुलिस अकादमी भोपाल में शिक्षक की भूमिका से पुनः मैदान में वर्दी के उत्तरदायित्व निभाने चला हूँ। 30 वर्ष विभिन्न थानों का प्रभारी रहा, वह भूमिका भी बदल चुकी है। अब थानों का दिक़दर्शक रहूंगा, अपने अनुभव साझा करूंगा साथियों के साथ एसडीओपी के रूप में। (इस पद को कई प्रदेशों में सीओ भी कहते हैं। महानगरों में यह एसीपी कहलाता है।) एसडीओपी सुहागपुर जिला नर्मदापुरम (होशंगाबाद) अकादमी में बिताए दिन मेरे लिए विशेष स्मरणीय दिन रहेंगे। यहां पर मेरे वरिष्ठ अधिकारी हों अथवा मेरे समकक्ष साथी या मेरे कनिष्ठ सहयोगी, एक परिवार की तरह हमलोग रहे। सबका स्नेह मिला। सच बताऊँ यह सिर्फ कहने अथवा औपचारिक नहीं मेरे हृदय से कहा सच है, जो सम्मान मुझे यहां पर मिला है वह पूरा आकाश भर है। रत्तीभर भी कम नहीं।यहां हमारे आवासीय परिसर में रहने वाले परिवार मेरे अपने परिवार थे।तीज-त्यौहार पर उत्साह और उल्लास हमने मनाया। वर्ष में दो बार आने वाले नवरात्रि पर्व पर हमने ग्यारह बार मेरे घर महोत्सव का आनन्द लिया। हर परिवार मुझे मेरा कुल-गोत्र लगा। बहुत कुछ पाया यहां मैंने। जीवन भर के लिए स्नेहिल और मधुर रिश्ते, उनकी मिठास और अपनापन। किसका नाम लूँ विशेष रूप से। सभी तो अपने से भी बढ़ कर लगे। अकादमी में प्रशिक्षण हेतु मैं क्या योगदान दे पाया यह तो पता नहीं लेकिन 256 युवा उप पुलिस अधीक्षक, 1000 से अधिक उपनिरीक्षक, साथ ही विभिन्न कोर्स में आने वाले अनेक साथी मेरी स्मृतियों में रहेंगे। पूरे प्रदेश में मैं मौजूद हूँ मेरे इन साथियों के संग। मैं अपनी उस हर त्रुटि अथवा धृष्टता के लिए क्षमा चाहूंगा जो मुझसे किसी के प्रति हुई हो। मेरा AIG-7 का पता, जो अब बदल जायेगा का आंगन, इसमें मेरे साथ मुस्कुराने वाले पेड़-पौधे, गाने वाली गौरैया, मैना, बुलबुल, तोते, और तमाम पक्षी मुझे गुदगुदाते रहेंगे।आम अमरूद चीकू पपीते कटहल जामुन नींबू हमेशा फलते फूलते रहेंगे झूमकर। विदा भौरी, विदा अकादमी। लेकिन अलविदा नहीं। आता रहूंगा किसी न किसी रूप में।
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(प्रवीण कक्कड़) राज्य सरकार की जितनी सेवाएं होती हैं, उनमें पुलिस का एक खास महत्व है। हम चाहें या ना चाहें पुलिस हमारे सामाजिक जीवन के हर हिस्से से जुड़ी है। स्कूल की परीक्षाएं कराने से लेकर राजनैतिक समारोह तक सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस के पास ही है। परिवार का छोटा सा झगड़ा हो या बदमाशों का गैंगवार, मामला निपटाने की जिम्मेदारी अंततः पुलिस पर आती है। समाज में जिस तरह से छोटी-छोटी बातों को लेकर लोग ज्यादा उग्र होने लगे हैं, उसे देखते हुए पुलिस की भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञ इन समस्याओं और उनके प्रसार से लंबे समय से अवगत हैं। इसीलिए पुलिस सुधार की बात एक अरसे से चल रही है। पुलिस सुधार का मतलब क्या है? क्या पुलिस वालों के काम के तरीके को बदल देना? लेकिन इसमें कितना बदलाव आ सकता है, क्योंकि उनका मूल काम तो अपराध नियंत्रण का रहेगा ही। इसका मतलब है कि पुलिस सुधार का अर्थ कहीं व्यापक है। सबसे पहले तो यह देखना होगा कि पुलिस के ऊपर कहीं काम का ज्यादा बोझ तो नहीं है। राष्ट्रीय परिदृश्य पर गौर करें तो राज्य पुलिस बलों में 24% रिक्तियां हैं (लगभग 5.5 लाख रिक्तियां)। यानी जहां 100 पुलिस वाले हमारे पास होने चाहिए वहां 76 पुलिस वाले ही उपलब्ध हैं। हर एक लाख व्यक्ति पर पुलिसकर्मियों की स्वीकृत संख्या 181 है, उनकी वास्तविक संख्या 137 है। उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र के मानक के अनुसार एक लाख व्यक्तियों पर 222 पुलिसकर्मी होने चाहिए। इस तरह गौर करें तो राष्ट्रीय मानक से तो हम पीछे हैं ही अंतर्राष्ट्रीय मानक से तो बहुत पीछे हैं। राज्य पुलिस बलों में 86% कॉन्स्टेबल हैं। अपने सेवा काल में कॉन्स्टेबलों की आम तौर पर एक बार पदोन्नति होती है और सामान्यतः वे हेड कॉन्स्टेबल के पद पर ही रिटायर होते हैं। इससे वे अच्छा प्रदर्शन करने को प्रोत्साहित नहीं हो पाते। एक तथ्य और महत्वपूर्ण है। राज्य सरकारों को पुलिस बल पर राज्य के बजट का 3% हिस्सा खर्च करना चाहिए जो कि अभी नहीं हो रहा है। राज्य पुलिस पर कानून एवं व्यवस्था तथा अपराधों की जांच करने की जिम्मेदारी होती है, जबकि केंद्रीय बल खुफिया और आंतरिक सुरक्षा से जुड़े विषयों (जैसे उग्रवाद) में उनकी सहायता करते हैं। जब दोनों के काम लगभग समान है तो बजट भी समान होना चाहिए। यह तो वे पक्ष हुए जो यह बताते हैं कि पुलिस वालों को प्रशासन की और बेहतर कृपा दृष्टि की जरूरत है। अच्छी तरह से काम करने के लिए उन्हें बेहतर संसाधन चाहिए। दूसरा पक्ष भी बड़ा महत्वपूर्ण है। सेना में भर्ती होने वाले लोगों के लिए चाहे वे सैनिक हों या उच्चाधिकारी बहुत सारी मानवीय सुविधाएं होती हैं। ऑफिसर्स मैस होगा, सैनिक स्कूल, अस्पताल खेल कूद और व्यायाम के लिए पार्क और बड़े पैमाने पर शारीरिक व्यायाम की सुविधा होती है। इसके अलावा खेलों में सेना के जवानों का विशेष प्रतिनिधित्व हो सके इसके लिए पर्याप्त इंतजाम किए जाते हैं। मेजर ध्यानचंद जैसे महान खिलाड़ी इसी व्यवस्था से हमें प्राप्त हुए हैं। निश्चित तौर पर सेना की जिम्मेदारी बड़ी है और उसे सरहदों पर देश की रक्षा करनी होती है। लेकिन पुलिस की जिम्मेदारी भी कम नहीं है, उसे तो रात दिन बिना अवकाश के समाज की कानून व्यवस्था को बना कर चलना होता है। उसे अपने कानूनी दायित्व के साथ इस विवेक का परिचय भी देना होता है कि समाज में किसी तरह की अशांति ना फैले और बहुत संभव हो तो दो पक्षों का झगड़ा आपस की बातचीत से समाप्त हो जाए। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि पुलिस के काम पर लगातार राजनीतिक नेतृत्व का एक खास किस्म का दबाव तो बना ही रहता है। ऐसे में पुलिस वालों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त उपाय करना पुलिस सुधार की पहली सीढ़ी होनी चाहिए। दूसरी बात यह होनी चाहिए कि भले ही कोई कांस्टेबल स्तर से भर्ती हुआ हो, लेकिन अगर वह पर्याप्त शैक्षणिक योग्यता हासिल कर लेता है तो इस तरह की परीक्षाएं उसे उपलब्ध हों जिससे वह शीर्ष पद तक पहुंच सके। अभी जिस तरह की पुलिस लाइन बनी हुई है, उनमें बहुत से सुधार की आवश्यकता है। उनकी क्षमता भी इतनी नहीं है कि एक शहर में पदस्थ सारे पुलिस वाले वहां रह सकें। ऐसे में पुलिस के लिए नए आवासों के निर्माण के बारे में ध्यान से सोचना चाहिए। पुलिस कर्मियों के बच्चे अच्छे स्कूलों में शिक्षा ले सकें, इसलिए सैनिक स्कूल के मुकाबले के स्कूल खोले जाने चाहिए। यहां न सिर्फ कक्षा की पढ़ाई होनी चाहिए बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी होनी चाहिए। राज्य पुलिस में अब पहले की तुलना में महिलाओं का योगदान बढ़ा है। पुलिस सेवा का पूर्व अधिकारी होने के नाते मैं अपने अनुभव से जानता हूं की महिलाओं के लिए पुलिस की नौकरी करना पुरुषों की अपेक्षा कठिन है। दिन भर धूप में खड़े रहना, धरना प्रदर्शन आदि को नियंत्रित करना और पुरुष पुलिस कर्मियों के साथ अपराध के स्थानों पर जाकर अपराध को नियंत्रण करना। भारत के पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं को किस तरह की तकलीफों का सामना करना पड़ता है, इसे हम स्वीकार करें या ना करें, लेकिन समझ तो सकते ही हैं। खासकर ट्रैफिक पुलिस में बड़े पैमाने पर चौराहों पर ड्यूटी करती हुई महिला पुलिसकर्मी आपको मिल जाएंगी। किसी का चालान काटना, उसे ट्रैफिक नियमों का पालन करने की बात समझाना, इन मामलों में उन्हें वाहन चालकों के साथ कई तरह की बहस में पड़ना पड़ता है। इन सब परिस्थितियों से निपटने के लिए पुलिस के पुरुष और महिला कर्मचारियों की विशेष ट्रेनिंग होनी चाहिए। यह ट्रेनिंग इस तरह की ना हो कि नौकरी में भर्ती समय हो गई और बाकी समय वह पुराने ढर्रे पर काम करते रहें। कम से कम 6 महीने या 1 साल में हर बार नई परिस्थितियों के अनुसार विशेष ट्रेनिंग होनी चाहिए। पुलिस सुधार के यह वे पहलू हैं, जिनमें पुलिस को सक्षम बनाने के रास्ते बताए गए हैं। पुलिस के कामकाज में ऐसे बदलाव किस तरह किए जाएं कि जनता में पुलिस के प्रति समरसता का भाव उत्पन्न हो उसकी चर्चा हम इस लेख के दूसरे भाग में करेंगे।
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कौशल मूंदड़ा जी हां, आपने अबतक सुन ही लिया होगा, यूपी के शाहजहांपुर की बजरिया सब्जी मंडी से 60 किलो नींबू चोरी हो गए। चोरों ने लहसुन-प्याज और कांटा-बांट भी साथ लिया, लेकिन सर्वाधिक मात्रा में नींबू को टारगेट किया। भले ही, व्यापारी ने इसकी रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई हो, लेकिन घटना हुई और इसकी चर्चा और भी जोरों पर हुई। लेकिन, यह घटना अखबारों के अंदर के पन्नों में सिंगल कॉलम में सिमट गई, जबकि इसे तो फ्रंट पेज पर हाईलाइट किए जाने की जरूरत थी। जब नींबू के भाव 300 पार होने की खबर हाईलाइट की गई तो 60 किलो नींबू चोरी की खबर को भी उचित स्थान मिलना तो बनता है। खैर, इस बार नींबू ने प्याज की याद दिला दी। गर्मी में जितना प्याज जरूरी है, उतना ही नींबू भी। लाखों हैं जिन्हें रात को नींबू सोड़ा पिये बिना चैन नहीं मिलता और चिलचिलाती दुपहरी में लू से बचने के लिए पुदीने वाली नींबू शिकंजी का गिलास ठंडक देता है। ऐसे में जब नींबू महंगा हो गया है तो जाहिर है सोडे से लेकर शिकंजी के गिलास तक सभी महंगे होने ही हैं। तो जनाब, कल ही हमने एक सोड़ा-शिकंजी वाले से पूछ ही लिया कि दाम बढ़ा दिये भैया, उसका भी जवाब था, भाईसाब, नींबू को भी तो देख लो, क्या करते। यहां तक तो बात समझ में आई लेकिन अगले सवाल का जवाब आपको हैरान जरूर करेगा... जब हमने पूछा कि नींबू सस्ता होते ही दाम फिर से पुराने करेंगे क्या, तो खी-खी करते हुए उन जनाब ने कहा कि ऐसा कभी हुआ है कि चढ़ा हुआ भाव कम हुआ हो। अब समझ में आया कि इन्होंने भी आपदा में अवसर खोज ही लिया। आखिर दो साल कोरोना में सोडा-शिकंजी का जोर नहीं चला, इस बार नींबू रूपी ‘आपदा’ ने इन्हें सहारा प्रदान कर दिया। इधर, अभी नींबू की खोज खत्म नहीं हुई है। पाव-भाजी खाने बैठे तो यह सोच रखा था कि नींबू नहीं आएगा, लेकिन गलत..... नींबू प्रकट हुआ.... पर जैसे ही हमने उसे निचोड़ने का प्रयास किया तो समझ में आ गया कि रस कम-छिलका जाड़ा (मोटा) है....। मित्रों के चेहरों पर मुस्कान आ गई। फिर एक मित्र से पूछा, भई वो होटल में जो हाथ धोने के लिए गुनगुने पानी वाला बाउल आता है, उसमें नींबू बचा या नहीं.... उसने कहा कि कहीं है तो कहीं नहीं। इसी बात पर सभी को वह दिन याद आ गए जब प्याज की बजाय सलाद में मूली ने जगह बना ली थी। ना.... ना.... अभी तो नींबू कथा जारी है। हर मंगलवार और शनिवार को ‘नजर’ से बचाने के लिए प्रतिष्ठानों के मुख्य द्वार के केन्द्र पर लटकने वाली नींबू-मिर्च की लड़ी पर भी ‘नजर’ लग गई है। नींबू की जुदाई में मिर्ची को भी इंतजार करना पड़ रहा है। दरअसल, इस लड़ी का ‘भाव’ नियमित बंधी के कारण फिक्स रहता है। कुछ मित्र दुकानदारों ने बताया कि इस वस्तु के फिक्स रेट के कारण लाने वाला किसी न किसी बहाने ‘अनुपस्थिति’ दर्ज करा रहा है। जो सीधे ही बाजार से खरीदते हैं, वे जरूर पांच-दस रुपये ज्यादा देकर खरीद रहे हैं। हम यहीं नहीं रुके, नींबू की खोज फिर जारी रखी गई। हमने मित्रों और परिवारजनों में जिनके पास फार्म हाउस हैं, उनसे पूछा कि भई नींबू उतर रहे हों तो थोड़े बुक कर देना... तो वहां से भी जवाब आया कि यदि नींबू उतर ही रहे होते तो फोन करने की जरूरत ही कहां पड़ती, बाजार में ही खूब उपलब्ध होते। यानी इस बार प्रकृति ने नींबू की खटाई कम भेजी है। अलबत्ता, आम की मिठास का दौर शुरू हो चुका है। नींबू की चर्चा यहीं खत्म नहीं हो रही है जी, इन दिनों जितने स्नेह भोज हो रहे हैं उनमें भी नींबू चर्चा में सर्वोपरि है। फिलहाल चर्चा खाने के स्वाद और आइटमों की संख्या की नहीं हो रही, सबसे पहले नींबू देखा जा रहा है कि सलाद वाली जगह पर नींबू की उपस्थिति है या नहीं। भई, अभी तो जिस जगह सलाद में प्रचुर नींबू उपलब्ध है, वह ‘शाही’ भोज से कम नहीं। खैर, जानकारों का कहना है कि नींबू को नीचे आने में कुछ दिन और लग सकते हैं, क्योंकि अभी तो सीजन चल रहा है। सूर्यदेव ने भी इस बार नींबू की जरूरत चैत्र में ही पैदा कर दी, बाकी तो वैशाख-जेठ की गर्मी में ही नींबू का उठाव ज्यादा होता रहा है। पर ऐसा नहीं हो जाए कि नींबू के इस बार के भाव को देखकर अगली फसल में नींबू ‘सिरमौर’ हो जाए और ‘भाव’ ही न रहे। फिलहाल डिमांड और सप्लाई की खाई थोड़ी चौड़ी है, इसलिए नींबू की खोज जारी रहेगी। तब तक यदि आपके घर पर पुराना नींबू का अचार है तो उसकी खटास का चटखारा लगाइये। (लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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इंदौर। महात्मा गांधी के प्रति टिप्पणी को लेकर कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे कालीचरण का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वे हंसिया लहरा रहे हैं। उनका यह वीडियो वायरल होने के बाद कांग्रेस ने उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। वहीं, प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इसे कांग्रेस की दोहरी मानसिकता बताया है। कालीचरण मंगलवार को इंदौर आए थे। उस दौरान उनके भक्तों ने एयरपोर्ट से उनका जुलूस निकाला था। वीडियो उसी दौरान का है, जिसमें कालीचरण किसी भक्त द्वारा भेंट किए गए हंसिये को लहराते नजर आ रहे हैं। इस पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई है। कांग्रेस ने कहा कि इंदौर में कालीचरण का खुलेआम तलवार और हंसिया लहराकर कानून को चुनौती देना यह सिद्ध करता है कि गोडसेवादी विचारधारा ने भाजपा पर कब्जा कर लिया है। वीडियो सामने आने के बाद भी पुलिस कमिश्नर खामोश हैं। आर्म्स एक्ट के तहत इस मामले में तीन साल की अधिकतम सजा हो सकती है। मप्र कांग्रेस कमेटी ने छत्तीसगढ़ के सीएम को वीडियो भेजकर कालीचरण की जमानत खारिज कराने का निवेदन किया है। इसके साथ ही मप्र के सीएम और डीजीपी से भी कालीचरण पर फिर से एफआईआर दर्ज कर रासुका के तहत कार्रवाई करने की मांग की है। वहीं, कांग्रेस के इस रवैये को लेकर गुरुवार को इंदौर पहुंचे गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा की टिप्पणी भी सामने आई है। उन्होंने मीडिया से चर्चा के दौरान तंज कसा कि गोरखपुर में जो आतंकवादी पकड़ा है उसके बारे में कांग्रेस का कोई ट्वीट सुना क्या? दिग्विजयिसिंह का, उनके दोस्त जाकिर नाइकजी का? जाकिर नाइक का जो पट्ठा गोरखपुर मंदिर में मिला, उसके बारे में कांग्रेसी नहीं बोलेंगे। लेकिन कालीचरण के मामले में जरूर बोलेंगे।
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(प्रवीण कक्कड़) चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो गईं हैं। घर-घर में माता की पूजा चल रही है। इसके साथ ही चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को भारतीय नव वर्ष भी शुरू हो गया है। शास्त्रोक्त तरीके से देखें तो भारत में वर्ष के लिए संवत शब्द बहुत पहले से प्रचलित है। हमारा यह नया वर्ष विक्रम संवत पर आधारित है। आजकल हम अपने इस्तेमाल के लिए जिस ग्रेगेरियन या सरल भाषा में कहें तो अंग्रेजी कलैंडर का प्रयोग करते हैं, उसकी तुलना में हमारा संवत्सर 57 साल पुराना है। यह सिर्फ हमारी प्राचीनता का द्योतक ही नहीं है, बल्कि यह भी बताता है कि खगोलीय गणनाओं, पृथ्वी की परिक्रमा, चंद्र और सूर्य की कलाओं और परिक्रमण की सटीक गणना भी हम बाकी संसार से बहुत पहले से न भी सही तो साथ-साथ जरूर कर रहे हैं। इतिहास के पन्ने पलटें तो पता चलता है कि विक्रम संवत सिर्फ एक कैलेंडर नहीं है, बल्कि इतिहास के माथे पर भारत की विजयश्री का तिलक भी है। भविष्यत पुराण के अनुसार महाराजा विक्रमादित्य परमार राजवंश के राजा गंधर्वसेन के पुत्र थे। उज्जैन के महाराजा विक्रमादित्य ने उज्जैन से शकों को पराजित कर विजयश्री प्राप्त की थी। इसी विजय के लिए विक्रमादित्य को शक शकारि विक्रमादित्य भी कहा जाता है। इस तरह यह कैलेंडर राष्ट्रीय अस्मिता और गौरव का भी प्रतीक है। आज के बच्चों को लग सकता है कि भले ही विक्रम कलैंडर कभी गौरव का विषय रहा हो, लेकिन अब तो हम इसका उपयोग करते नहीं हैं। उन्हें ऐसा नहीं सोचना चाहिए। हम अपने दफ्तर और स्कूल के कार्यक्रम तो ग्रेगेरियन कैलेंडर से तय करते हैं, लेकिन हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक तीज त्योहारों का निर्धारण तो आज भी भारतीय पंचांग से होता है। शादी ब्याह की शुभ वेला भी भारतीय कैलेंडर देखकर तय की जाती है। कृष्ण जन्माष्टमी, रामनवमी, वसंत पंचमी ये सारे त्योहार भारतीय पंचांग से ही तो तय होते हैं। कभी आपने सोचा कि जब ग्रेगेरियन भी पंचांग है और विक्रम संवत से भी पंचांग शुरू होता है तो फिर भारतीय पंचांग की तारीखें हर साल अंग्रेजी कैलेंडर से अलग क्यों हो जाती हैं। जैसे इस बार हमारा नव वर्ष 2 अप्रैल से शुरू हो रहा है, जबकि पिछले सालों में यह किसी और तारीख से शुरू हुआ था। इस साल की भांति हर साल वर्ष प्रतिपदा दो अप्रैल को ही क्यों नहीं आती। इसकी कथा भी बड़ी दिलचस्प और खगोल विज्ञान के रहस्य संजोए है। असल में अंग्रेजी कैलेंडर विशुद्ध रूप से सौर पंचांग है। यानी सूर्य की गति से उसका संबंध है। वहीं भारतीय पंचांग सौर और चंद्र दोनों की गतियों पर निर्भर है। हमारे यहां वर्ष की गणना सूर्य की गति से होती है, जबकि महीने और तारीखों की गणना चंद्रमा की कलाओं से होती है। हमारे महीने के दो हिस्से होते हैं शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। पूर्णिमा से अमावस्या के बीच में एक पक्ष पूरा हो जाता है। इस तरह हमारे हर महीने में 30 दिन ही होते हैं। जबकि सूर्य की चाल से मिलान के लिए अंग्रेजी कलैंडर में एक महीने में 28 से 31 दिन तक रखे गए हैं। अंग्रेजी कैलेंडर ने साल में 365 दिन करने के लिए महीनों में दिनों की संख्या समायोजित की है। वहीं भारतीय कैलेंडर में साल को 365 दिन का बनाए रखने के लिए महीने में दिनों की संख्या घटाने बढ़ाने के बजाय साल में सीधा महीना ही बढ़ा लिया जाता है। कभी हिंदी पंचांग को गौर से देखिये तो पचा चलेगा कि कई बार उसमें एक ही महीना दो बार आ जाता है। खगोल में आपकी दिलचस्पी हो तो इसे आप ज्योतिषाचार्यों से समझ सकते हैं। इतने सारे इतिहास और विज्ञान के बाद एक बाद और कहना जरूरी है कि भले ही विक्रम संवत विजय का प्रतीक हो लेकिन असल में तो यह विशुद्ध रूप से भारत के खेतिहर समाज का नववर्ष है। चैत्र के महीने में गेंहू की फसल कटकर घर आ जाती है। एक तरह से देखा जाए तो किसान को उसकी साल भर की मेहनत का फल मिल जाता है। इस नवान्न से वह अपने जीवन को नए सिरे से सजाता संवारता है। तो जो अन्न जीवन का नया प्रस्थान बिंदु लेकर आता है, उसी समय नव वर्ष मनाने का सबसे अच्छा मौका होता है। इस नव वर्ष में आप भी अपने लिये नए लक्ष्य और नए आनंदों का वरण करें। भारतीय नव वर्ष की बहुत शुभकामनाएं
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दैनिक हिंदुस्तान, गोरखपुर के संपादकीय विभाग में तैनात कर्मचारी पिछले 2 वर्षों से साप्ताहिक अवकाश के लिए तरस रहे हैं. आपको बता दें कि पिछले दिनों संपादकीय में तानाशाही के कारण लगभग दर्जनभर कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ दी जिससे संपादकीय विभाग कर्मचारियों की कमी की समस्या से जूझने लगा। इस दौरान करोना लग गया और इसके कारण भर्तियां भी नहीं हो रही थी जिससे साप्ताहिक अवकाश बंद कर दिए गए। लेकिन वर्तमान में नियुक्तियां हो जाने के बाद भी कर्मचारियों को साप्ताहिक अवकाश नहीं मिल रहा है। इससे कर्मचारी अंदर ही अंदर आक्रोशित हैं लेकिन अभी तक सप्ताहिक अवकाश को लेकर कोई आदेश जारी नहीं किया गया। कर्मचारी भी कई बार साप्ताहिक अवकाश के लिए कह चुके लेकिन छुट्टी जारी न करने से वह तनाव में जी रहे हैं।
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विश्व दीपक- क्या आप जानते हैं? हमारे पड़ोसी देश, श्रीलंका में अखबार छपने बंद हो चुके हैं. अखबार छापने के लिए कागज का स्टॉक लगभग खतम हो चुका है। इधर भारत में केंद्र सरकार अख़बार और पत्र-पत्रिकाओं की बिक्री पर भी जीएसटी लगाने की तैयारी कर रही है. ये पहले लागू नहीं था. श्रीलंका में बहुत सारे लोगों को कई दिनों से दो जून का खाना नहीं मिल पा रहा। लोगों के पास रसोई गैस नहीं है. पेट्रोल भराने के लिए पैसे नहीं. जिनके पास पैसे हैं वो भरा नहीं पा रहे. कई लोग पेट्रोल भराने के लिए लाइन में खड़े-खड़े ही मर गए। उद्योग धंधे बंद होने लगे हैं. चारों तरफ छंटनी चल रही है. लोगों की नौकरियां जा रही हैं. स्कूल, कॉलेज बंद होने लगे हैं। अस्पतालों ने इलाज करना बंद कर दिया है. बहुत जगहों पर ओपीडी बंद की जा रही है। कोलंबो में लाखों की जनता इकट्ठा है. राजपक्षे सरकार के खिलाफ जबर्दस्त प्रदर्शन हो रहे हैं. पूरा देश कर्ज में डूबा है. लाखों लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं. भारत आना चाह रहे हैं. मेरा मानना है कि भारत को खुशी-खुशी श्रीलंका के लोगों अपनाना चाहिए. उन्हें व्यवस्थित तरीके से कई राज्यों में भेजकर उनके रहने, खाने-पीने का इंतजाम करना चाहिए. भारत इतना कर सकता है. जब प्रधानमंत्री के लिए 8 हज़ार करोड़ का प्लेन खरीदा जा सकता है तो कम से कम 80 हज़ार श्रीलंकाई नगारिकों की जान भी बचाई जा सकती है. कोई बड़ी बात नहीं. भारत को बड़ा भाई बनकर यह फर्ज निभाना चाहिए. सवाल यह है कि श्रीलंका की यह हालत क्यों हुई? जाहिर है कई कारण हैं लेकिन दो अहम हैं जिनके बारे में जानना चाहिए – बहुत आसान शर्तों पर चीन का दिया हुआ कर्जा. कई सालों से श्रीलंका, चीन के डेट ट्रैप में हैं. चीनी साम्राज्यवाद की जकड़न से श्रीलंका टूटा. कई अफ्रीकी देश श्रीलंका की राह पर हैं. दूसरा कारण है रूसी तानाशाह पुतिन का यूक्रेन पर युद्ध थोपना. पुतिन द्वारा शुरू किए गए युद्ध की वजह से श्रीलंकाई संकट की प्रक्रिया तेज़ हो गई. जो अफरा-तफरी छह महीने में मचनी थी वह एक महीने में ही सतह पर आ गई. पुतिन सिर्फ रूस-यूक्रेन का ही नहीं संपूर्ण मनुष्यता का अपराधी है. याद रखिए अगर कच्चे तेल की कीमत 170-200 डॉलर प्रति बैरल तक गई तो समझिए कि हमारा आपका भी मिटना तय है. पड़ोसी देश श्रीलंका में अखबार छपने बंद हो चुके हैं क्यूंकि उनके पास कागज़ ही नहीं है. वहां परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं. प्रश्न पत्र छपने तक के लिए कागज़ नहीं. महंगा कागज़ खरीदने के लिए पैसे नहीं. इसके पीछे एक बड़ा कारण पुतिन द्वारा, यूक्रेन पर थोपा गया युद्ध है. ये सब आप जान चुके हैं. अब सुनिए भारत का हाल. केंद्र सरकार अख़बार और पत्र-पत्रिकाओं की बिक्री पर भी जीएसटी लगाने की तैयारी कर रही है.पहले लागू नहीं था जीएसटी का न्यूनतम क्राइटेरिया भी 5% से बढ़ाकर 8% किया जा सकता है भारत में भी कागज़ की किल्लत है. हालांकि स्थिति संकट जैसी नहीं लेकिन पहले से काफी महंगा हो चुका है कागज़ भारत का 40 फीसदी कागज़ कनाडा से आता है जो देश में बनता है, उसकी कीमत दो साल पहले तक 35 रुपए प्रति किलो थी. आज 75 रुपए प्रति किलो. यानि बस दो साल में दोगुना से ज्यादा कीमत बढ़ी विदेश से आयात होने वाला कागज पिछले साल यानी 2020 में 375 डॉलर प्रति टन था. आज 1000 डॉलर प्रति टन है7.भारत में बनने वाले कागज की एक तो क्वालिटी खराब होती है दूसरा लुगदी से बनता था. अब लुगदी वाली कंपनियां पैकेजिंग के लिए काम आने वाले बॉक्स आदि बनाने लगी हैं क्योंकि उसमे मुनाफा ज्यादा है फकीरचन्द की सरकार सब कुछ ऑनलाइन कर देने पर जो इतना जोर दे रही है, पेपरलेस होने की जो इतनी कवायद कर रही है — उसके पीछे यह एक बड़ा कारण है. समाज जितना पेपरलेस होगा, उतना ही माइंडलेस भी होगा. हां, एक फायदा हो सकता है. सरकार अब यह कहेगी कि कागज़ नहीं, मोबाइल दिखाओ.
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(प्रवीण कक्कड़) अगर आप अपनी जिंदगी को सुहाना बनाना चाहते हैं तो टूरिज्म का सहारा लीजिये। अधिकांश कामयाब लोगों के जीवन में एक चीज कॉमन है और वह हैं ट्रेवल यानी पर्यटन। हम सभी आज के दौर में एक रूटीन लाइफ जी रहे हैं। किसी को ऑफिस की चिंता है तो किसी को व्यापार की। ऐसे में हमारा दिमाग कुछ बातों में उलझ कर रह जाता है। पर्यटन हमारे दिमाग को खोलता है, हमें नई ऊर्जा देता है, स्ट्रेस से हमें दूर करता है और एक सामाजिक जीवन में हमें वापस लौटाता है। सही मायनों में टूरिज्म यानी पर्यटन आप की ग्रोथ करता है, आप में कॉन्फिडेंस का विकास होता है, आप में कम्युनिकेशन की कला विकसित होती है और आप अलग-अलग परिस्थितियों का मुकाबला करने के लिए खुद को तैयार कर पाते हैं। इसके साथ ही आपके लिए एक सुनहरी यादों का खजाना जुड़ जाता है जो जिंदगी भर के लिए एक अनमोल मेमोरी है। दुनिया में जो भी महान बना उसने सफर जरूर किया है। अगर त्रेता युग में श्रीराम की बात करें तो वह किसी एक वन में रहकर भी वनवास पूरा कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऋषियों के आश्रम जाकर आशीर्वाद और प्रेरणाएं लीं, वनवासियों की समस्या जानी, भेदभाव मिटाये और विकट परिस्थिति आने पर रावण का वध भी किया। इन्हीं अनुभव के आधार पर उन्होंने राम राज्य की स्थापना की। इसी तरह द्वापर युग में श्री कृष्ण ने भी भ्रमण किया, इसी दौरान उन्हें बेहतर विकल्प नजर आया और उन्होंने मथुरा से अपने राज्य को द्वारका में स्थापित किया। अब कलयुग में आदिगुरु शांकराचार्य हों या स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी हों या धीरूभाई अंबानी सभी ने खूब भ्रमण किया और अनुभव लिये, परिस्थितियों को समझा और उन्हें जीवन में उतारकार महान बने। अगर गहराई में समझा जाए तो हर महान व्यक्ति ने टूरिज्म से दोस्ती कर खुद को रि-डिस्कवर किया। अलग-अलग समाज, भाषा, खानपान, जलवायु, परंपरा और लोगों के रहन-सहन को जानकर इन्होंने खुद में जरूरी परिवर्तन किए और लोगों तक बेहतर ढंग से अपने संदेश को पहुंचा भी पाए। गर्मियों का मौसम सामने है और इसके साथ ही गर्मियों की छुट्टी की तैयारी होने लगी है। 2 साल कोरोनाकाल के कारण गर्मियों की छुट्टी बहुत संकट में गुजरी हैं। पिछला साल तो खासकर ऐसा रहा कि हर तरफ दुख और बीमारी का मंजर था। लॉकडाउन की पाबंदियां हमारे चारों तरफ कायम थी। लेकिन इस बार ईश्वर की कृपा से स्थितियां बेहतर हैं। ऐसे में गर्मियों की छुट्टी आते समय प्लानिंग का ध्यान करना बहुत जरूरी है। देश और प्रदेश में कुछ पर्यटन स्थल बहुत चर्चित हैं और ज्यादातर लोग उन्हीं जगहों का रुख कर लेते हैं। ऐसे में इन पर्यटन स्थलों पर बहुत ज्यादा भीड़ हो जाती है, और पर्यटन का जो आनंद लेने हम जाते हैं, वह पीछे छूट जाता है। इसलिए स्थान का चयन करने में सावधानी जरूर बरतनी चाहिए, क्योंकि 2 साल बाद घूमने फिरने का मौका मिला है तो हम इस तरह का इंतजाम करें कि घर के बूढ़े बुजुर्ग बच्चे और पूरा परिवार साथ मिलकर छुट्टियां मना सके। घर के बुजुर्ग सामान्य तौर पर इस तरह के सैर सपाटे में जाने से मना करते हैं, लेकिन यह तो उनके बच्चों और परिवार वालों की जिम्मेदारी है कि वे उन्हें मनाए समझाएं और पूरी सुरक्षा के साथ पर्यटन पर ले जाएं। पर्यटन को सिर्फ मौज मस्ती का माध्यम नहीं समझना चाहिए। असल में यह तो खुद को तरोताजा करने और पुरानी थकान को भुलाकर नई शक्ति का संग्रहण करने का बहाना होता है। नई ताकत के साथ जब हम वापस काम पर लौटते हैं तो दिमाग नए तरह से सोचने की स्थिति में आ जाता है। पश्चिमी देशों में छुट्टियों का इस तरह का सदुपयोग लंबे समय से किया जाता है। बल्कि यह उनकी संस्कृति का एक हिस्सा है। बच्चों के लिए तो इस बार दोहरी खुशी है, पहले तो कई दिनों बाद स्कूल खुले तो बच्चों ने दोस्तों के साथ मस्ती की और अब परीक्षा के बाद की छुट्टी शुरू हो गई हैं। अब बच्चे छुट्टियों का आनंद लेना चाहते हैं। हमारा मध्य प्रदेश तो इस समय देश में पर्यटन का सबसे बड़ा गढ़ है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पूर्वोत्तर, कश्मीर जैसे राज्यों में घूमने की बहुत अच्छी जगह हैं और उनका खूब प्रचार भी है। मध्यप्रदेश में बहुत ही सुंदर रमणीक जगह घूमने लायक हैं। हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम न केवल वहां घूमने जाएंगे बल्कि अपने अपने स्तर पर उनकी अच्छाइयों का खूब प्रचार प्रसार करें।
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(प्रवीण कक्कड़) आपने एक शब्द सुना होगा सकारात्मक सोच या पॉजीटिव थिंकिंग। छात्र हो या खिलाड़ी, नौकरीपेशा हो या व्यापारी हर कोई अपने जीवन में सकारात्मक सोच लाना चाहता है, दूसरी ओर कोच हो या शिक्षक हर कोई अपने अनुयायी को सकारात्मक सोच की घुट्टी पिलाना चाहता है लेकिन इस प्रक्रिया में हम थोड़ी सी गलती करते हैं। सकारात्मक सोच का अर्थ है अपने काम को सकारात्मक बनाना न की केवल नतीजों के सकारात्मक सपनों में खो जाना। हम अपने कर्म, लगन और व्यवहार को सकारात्मक करने की जगह केवल मन चाहे नतीजे के सकारात्मक सपने पर फोकस करने लगते हैं और सोचतें हैं कि यह हमारी पॉजीटिव थिंकिंग हैं। ऐसे में हमारे सफलता के प्रयास में कमी आ जाती है और हमारे सपनों का महल गिर जाता है, फिर हम टूटने लगते हैं। नकारात्मकता हम पर हावी हो जाती है। ऐसे में जरूरत है कि हम सकारात्मकता के वास्तविक अर्थ को समझें। सकारात्मक सोच यह है कि हम अपनी काबिलियत पर विश्वास करें, लगन से काम में जुटें और पूरी ऊर्जा से काम को पूरा करें। फिर नतीजे अपने आप सकारात्मक हो जाएंगे। जीवन में सकारात्मक सोच का होना बहुत जरूरी है। यह भी सच है कि सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति तेजी से आगे बढ़ते हैं व लक्ष्य को हासिल करते हैं लेकिन हमें समझना होगा कि सकारात्मक सोच है क्या… कुछ लोग कहते हैं जो मैं जीवन में जो पाना चाहता हूं वह मुझे मिल जाएगा, कुछ कहते हैं जैसा में सोच रहा हूं मेरे साथ वैसा ही होगा या कुछ कहते हैं मेरे साथ जीवन में कुछ बुरा हो ही नहीं सकता…अगर इस तरह के विचारों को आप सकारात्मक सोच मान रहे हैं तो मेरे अनुसार आप गलत हैं। केवल नतीजों के हसीन सपनों को लेकर खुशफहमी पाल लेना सकारात्मकता नहीं है। सकारात्मक सोच का सही अर्थ है अपने प्रयासों को लेकर सकारात्मक होना, ऊर्जावान होना और लगनशील होना। जीवन में आसपास के हालातों से असंतुष्ट नहीं होना और अपना 100 प्रतिशन देकर किसी काम में जोश व जूनून के साथ जुटे रहना भी सकारात्मक सोच है। आप सभी ने कभी न कभी क्रिकेट जरूर खेला होगा। जब हम किसी बॉल को मिस कर जाते हैं तो क्या मैदान छोड़कर चले जाते हैं, नहीं… हम अगली बॉल का इंतजार करते हैं और उस पर शॉट लगाने के लिए फोकस होते हैं। ऐसे ही अगर किसी बॉल पर छक्का मार देते हैं तो क्या नाचते हुए मैदान से बाहर चले जाते हैं, नहीं ना, फिर अगली बॉल का इंतजार करते हैं और बेहतर शॉट लगाने की योजना बनाते हैं। जीवन के क्रिकेट में जब तक हम जीवित हैं तब तक हम कभी आऊट नहीं होते न ही कभी गेंद खत्म होती हैं, सफलता रूपी रन बनाने के लिए अवसर रूपी गेंद लगातार आती रहती हैं। जीवन में बस इस एप्रोच की जरूरत है कि कोई अवसर छूट गया तो उसका अफसोस न करें, न ही जीवन से हार मानें, बल्कि अगले अवसर पर फोकस करें। इसी तरह अगर कोई सफलता मिल गई तो उसकी आत्ममुग्धता में खोएं नहीं बल्कि अगली सफलता के लिए रास्ता तैयार करने में जुट जाएं… यही सकारात्मकता है। अगर आप छात्र हैं और आपने लक्ष्य बनाया कि मुझे 95 प्रतिशत अंक हासिल करना है लेकिन आप लक्ष्य से पिछड़ गए तो हतोत्साहित न हों क्योंकि जिंदगी की गेंदबाजी जारी है, अगली गेंद पर इससे बेहतर प्रदर्शन का अवसर खुला है। अगर आप नौकरी के लिए इंटरव्यू देने गए हैं तो यह मत सोचिए कि नौकरी मुझे मिलेगी या नहीं, बल्कि यह सोचिए कि इस संस्थान को आगे बढ़ाने के लिए मैं क्या-क्या कर सकता हूं। अपना 100 प्रतिशत कैसे दे सकता हूं। यह उत्साह आपके व्यवहार में नजर आएगा और नौकरी आपको जरूर मिलेगी। स्वयं को काबिल बनाने में सकारात्मक सोच रखिए, नतीजे खुद-ब-खुद ही सकारात्मक आ जाएंगे।
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बाराबंकी । रंगों के पर्व होली पर डीजे बजाने को लेकर हुए विवाद में पुलिस ने एक पत्रकार समेत तीन लोगों के ऊपर शांति भंग में चालान करके सलाखों के पीछे डाल दिया। पत्रकार के पक्ष की तमाम महिलाएं व पुरूष भी कोतवाली पंहुचे और पुलिस की तरफ से गई एकतरफ़ा कार्यवाई की निंदा करते हुए लोगों ने एक स्वर होकर कहा कि पुलिस ने बेवजह कार्यवाई की जो निंदनीय है। यदि शांतिभंग मे कार्यवाई करनी थी तो दोनो पक्षों के विरुद्ध करनी चाहिए थी। बताते चलें कि वर्षों तक अमर उजाला, दैनिक स्वतंत्र भारत में बतौर क्राईम रिपोर्टर काम कर चुके और अब एक न्यूज़ पोर्टल समाचार टुडे से वर्षों से जुड़े पत्रकार कपिल सिंह के घर शहर के पैसार इलाके में वर्षो से रंगारंग कार्यक्रम होता आया है. इस बार रंगारंग कार्यक्रम के लिये डीजे लगवाया गया था जिसमें पत्रकार कपिल सिंह इत्यादि डीजे की धुन पर नाच रहे थे. शुक्रवार की शाम किसी ने पीआरवी 112 को सूचना दी कि कुछ अराजक लोग शराब पीकर अश्लील गानों पर डांस कर रहे हैं. इसी सूचना पर पीआरवी 112 मौके पर पंहुची और पत्रकार कपिल सिंह को तत्काल हिरासत में लेकर कोतवाली नगर ले आई. यहां पर करीब एक घण्टे तक बाहर बिठाने के बाद कपिल सिंह व उनके साथ मौजूद दो अन्य युवकों को हवालात में भेज दिया. शुक्रवार देरशाम हुई इस कार्यवाई से जिले के पत्रकारों में रोष व्याप्त है. सभी पुलिस कार्रवाई पर सवालिया चिन्ह लगा रहे हैं कि ये कोई इतनी बड़ी बात तो नहीं थी कि पत्रकार को रात भर हवालात में रखा जाए. होली को रातभर हवालात में रहे पत्रकार की मनोदशा क्या हो गई होगी, ये विचारणीय है. पत्रकारों ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी समेत अन्य वरिष्ठ लोगों को कार्रवाई के लिए पत्र लिखने की तैयारी की है.
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