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मध्यप्रदेश का हर वर्ग पढ़ लिख कर प्रदेश और देश के विकास में योगदान दे सके...इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार कई योजनाए चला रही है..जिसमे मुख्यमंत्री नि:शक्त शिक्षा प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य दिव्यांग विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना है और उनके लिए शिक्षा तक पहुँच आसान बनाना है...मुख्यमंत्री मोहन यादव अपनी योजनाओ के जरिये प्रदेश के हर तबके के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं
मुख्यमंत्री नि:शक्त शिक्षा प्रोत्साहन योजना से दिव्यांग विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित किया जा रहा है...योजना के जरिये दिव्यांग विद्यार्थी जो दोनों पैरों से चलने में सक्षम नहीं हैं...उनकी पहुंच शैक्षणिक संस्थाओं तक सुगम बन रही है...दृष्टिबाधित एवं श्रवण बाधित विद्यार्थियों को अध्ययन हेतु सहायक उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं तो वहीं दिव्यांग विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा उपलब्ध कराकर उनको आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है...मुख्यमंत्री नि:शक्त शिक्षा प्रोत्साहन योजना से प्रदेश के दिव्यांगजनों को आगे के बढ़ने के अवसर मिले है तो साथ ही मुख्यमंत्री मोहन यादव के विजन से मजबूती भी
मुख्यमंत्री नि:शक्त शिक्षा प्रोत्साहन योजना का लाभ पाने के लिए कुछ ज़रूरी शर्ते है जिनका पूरा होना जरूरी है जैसे कि आवेदक मध्यप्रदेश का मूल निवासी हो...अस्थिबाधित श्रेणी के विद्यार्थी ने गत परीक्षा में 60 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किये हो एवं अन्य श्रेणी के निःशक्तजनों ने 50 प्रतिशत अंक प्राप्त कर शासकीय उच्चतर माध्यमिक स्कूल, महाविद्यालय अथवा पोलीटेक्निक हेतु नियमित विद्यार्थी के रूप में प्रवेश लिया हो... निःशक्त व्यक्ति समान अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी अधिनियम, 1995 के अंतर्गत निःशक्तता की श्रेणी में आते हो, अस्थिबाधित जो दोनों पैरों से चलने में असमर्थ, दृष्टिबाधित 40 प्रतिशत से अधिक, श्रवण बाधित 40 प्रतिशत से अधिक, मंदबुद्धि जिनको चिकित्सकों द्वारा प्रमाण-पत्र जारी किया गया हो...साथ ही ज़रूरी है कि दिव्यांग विद्यार्थी का नाम समग्र स्पर्श पोर्टल में अंकित होना चाहिये...प्रदेश के मुख्यमंत्री दिव्यांगजनों को वीर कहते है और बताते कि वीर ही चुनौतियों का सामना कर सकते है...मोहन सरकार हर सुख दुःख में प्रदेश की जनता के साथ खड़ी हुई है
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