Dakhal News
21 January 2025बांध के पानी ने मचाई तबाही
गांव के अधिकांश शौचालयों में तीन से चार फीट पानी भर गया है. ऐसे में लोगों को अपनी जान जोखिम में डालकर नाव और ट्यूब के सहारे भराव क्षेत्र के गहरे पानी को पार कर गांव के दूसरे छोर पर स्थित पहाड़ी पर खुले में शौच के लिए जाना पड़ रहा है. दरअसल, यह पूरा मामला विकासखंड टीकमगढ़ ग्राम पंचायत मौखरा के बिलैयाखेरा गांव का है, जो बान सुजारा बांध के डूब क्षेत्र में आता है।
करीब 300 की आबादी वाले इस गांव के लोगों को प्रशासन द्वारा जमीनों का मुआवजा तो दे दिया गया, लेकिन मकानों का मुआवजा आज तक नहीं मिला, जिस कारण यह लोग चाहते हुए भी गांव नहीं छोड़ पा रहे है, जबकि उन्हें यहां न तो शौच के लिए कोई खाली जमीन है और न ही शमशान घाट की व्यवस्था है.
गांव के किनारे बने अघिकांश शौचालयों में तीन से चार फीट पानी भरा हुआ है. ऐसे में यहां रह रहीं महिलाओं, बच्चों सहित बुजुर्गों को मजबूरन शौच के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर नाव और टयूब के सहारे बांध के भराव क्षेत्र के गहरे पानी को पार कर गांव के दूसरे छोर पर स्थित पहाड़ी पर जाना पड़ता है. यही नहीं किसी की मृत्यु होने पर उसके शव के अंतिम संस्कार के लिए उस पार ले जाना पड़ता है।
हर रोज सुबह सूरज निकलने के साथ ही ग्रामीणों के लिए एक चुनौती सामने खड़ी रहती है. यहां की महिलाएं बताती हैं उन्हें अपने बच्चों के साथ हर रोज मौत के डर से भरा सफर तय करना पड़ता है. महज शौच करने के लिए हमें गहरे पानी में नाव का सहारा लेकर गुजरना पड़ता है, जो काफी मुश्किलों से भरा हुआ सफर है।
नाव में बैठने के साथ ही बच्चे डर की वजह से रोने लगते हैं, लेकिन क्या करें इसके अलावा कोई दूसरा सहारा भी नहीं है. हर रोज की यही कहानी है. जब कभी हमारे रिश्तेदार गांव आते हैं या फिर हम उनके यहां जाते हैं तो इस बात की चर्चा होना आम बात हो गई है. इस चर्चा के साथ हमें हर रोज शर्मिंदा होना पड़ता है।
इस गांव में मुक्तिधाम भी नहीं है. अगर किसी का निधन हो जाता है तो उसके अंतिम संस्कार के लिए भी पूरा दिन लगता है, क्योंकि मृत शरीर को नाव के सहारे उस पार ले जाते हैं. लकड़ियों सहित ग्रामीणों को भी नाव और ट्यूब का सहारा लेना पड़ता है. उस दिन ग्रामीणों को एक साथ अलग-अलग दुखों के साथ रोना पड़ता है. पहला दुख तो कि उनका कोई सदस्य दुनिया छोड़ चला गया और दूसरा दुख का कारण यह है कि उन्हें इन हालातों में अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है।
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27 November 2022
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