गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरुओं को है समर्पित
The festival of Guru Purnima

हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का दिन बहुत खास होता है. पंचांग के अनुसार यह तिथि आषाढ़ पूर्णिमा होती है. मान्यता है कि इस दिन हिंदू धर्मग्रंथ महाभारत  के रचयिता महर्षि वेद व्यास का भी जन्म हुआ था. वेद व्यास जी ने चारों वेदों का ज्ञान भी दिया और पुराणों की रचना की. इसलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है इस वर्ष गुरु पूर्णिमा का पर्व रविवार, 21 जुलाई 2024 को मनाया जाएगा. वैसे तो गुरु की महिमा का वर्णन करना संभव नहीं है, क्योंकि गुरु सूर्य के प्रकाश के समान है और गुरु की महिमा का वर्णन करना सूर्य के समक्ष दीप दिखाने जैसा होगा. गुरु ही हमारे शिक्षा, ज्ञान और जीवन का आधार है. गुरु के बिना सफल जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है शास्त्रों में गुरु शब्द का अर्थ बताया गया है. गुरु दो अक्षरों से मिलकर बना है. 'गु' का अर्थ 'अंधकार' से है और 'रु' का अर्थ उसे हटाने वाले से. यानी अंधकार के अज्ञानता से हटाकर जो ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाए वही सच्चा गुरु हैसंत कबीर दास  भी अपने कई दोहे में गुरु की महिमा का बखान करते हैं. गुरुओं पर आधारित कबीर दास से ये दोहे खूब प्रचलित हैं. अपने दोहे में कबीर गुरु को ईश्वर और माता-पिता से भी श्रेष्ठ बताते हैं. गुरु पूर्णिमा पर जानते हैं गुरुओं पर आधारित संत कबीर दास के प्रसिद्ध दोहे 

 

सब धरती कागज करूँ, लिखनी सब बनराय

सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाय

 

अर्थ: सब पृथ्वी को कागज, सब जंगल को कलम और सातों समुद्रों को यदि स्याही बनाकर लिखा जाए तो गुरु के गुण नहीं लिखना संभव नहीं है.

 

गुरु पारस को अन्तरो, जानत हैं सब सन्त।

वह लोहा कंचन करे, ये करि लये महन्त॥

 

अर्थ: गुरु और पारस पत्थर में अन्तर है, ये बात सभी जानते हैं. पारस लोहे को सोना बनाता है. लेकिन गुरु अपने शिष्य को महान बना देता है.

Dakhal News 19 July 2024

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