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गाय को ओढ़ाई 100 साड़ियां ,घर में माँ का दर्जा , मोहल्ले वालों की थी चाहती , 20 साल का नाता
भारत में गाय को माता का दर्जा दिया जाता है और उसको बखूबी निभाया भी जाता है शाजापुर में एक गाय की मौत के बाद ग्रामीणों ने गाय को सभी रस्मों को निभाते हुए अंतिम विदाई दी रानू नाम की गाय का गाँव वालों से बड़ा प्यार था मोहल्ले के सभी लोग रानू को दुलार करते और दलिया और चारा खिलाते रानू की अंतिम विदाई में सभी लोग काफी भावुक नजर आये।
शाजापुर के ग्राम भरड़ में भंवरसिंह खींची एक 15 साल की गाय को अपने घर लेकर आये जिसका नाम उन्होंने रानू रखा घर में रानू के आने से परिवार के दिन बदल गए घर में संपन्नता के साथ सुख समृद्धि आती गई घर में गाय को मां की तरह पूजने लगे बच्चे रानू के साथ दिनभर खेलते और दूध पीते मोहल्ले वाले भी गाय को दुलार करते और दलिया चारा खिलाते दूध देना बंद करने के बाद भी लोगों ने रानू गाय को अपने साथ रखा रानू की देखरेख में कोई कमी नहीं की हर साल दिवाली के बाद पड़वा पर मोहल्ले वाले रानू को शृंगारित कर पूजा करते थे बीमारी के चलते गाय रानू ने घर के मंदिर के बाहर प्राण त्याग दिए रानू की अंतिम यात्रा निकाली गई इस दौरान उनके दो बेटे, बेटियां और रिश्तेदार मौजूद रहे रानू की विदाई किसी सुहागिन महिला की अंतिम यात्रा की तरह की गई गाय के शव को स्नान करवाया कर पूजा की गई अक्षत-कुमकुम से शृंगारित किया गया करीब 100 नई साडिय़ां अर्पण की गई वहीं खींची के परिवार के साथ ही मोहल्ले के लोगों ने भी रानू को साड़ी सहित अन्य वस्त्र चढ़ाए इसके बाद नगर पालिका के वाहन में बैंड बाजे के साथ अंतिम यात्रा निकाली गई इस दौरान परिवार के साथ ही मोहल्ले के लोगों की आंखें भी नम थी पूरे रीति-रिवाज के साथ गाय के शव को दफनाया गया भंवर सिंह ने बताया कि रानू हमारे परिवार के लिए मां जैसी थी पूरे मोहल्ले की चहेती थी नाम लेते ही वह पीछे पीछे चल देती थी रानू की मौत से परिवार दुखी है उन्होंने कहा कि गाय नहीं हमारी मां का निधन हुआ है इसलिए परिवार के सदस्य की तरह अंतिम संस्कार किया गया।
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