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मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार हर क्षेत्र में विकास के लिए निरंतर कार्यरत है, और महिलाओं के सशक्तिकरण को इसके केंद्र में रखा गया है। मोहन सरकार ने महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई योजनाओं को लागू किया है, जिनका उद्देश्य उन्हें आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाना है। इन योजनाओं में एक महत्वपूर्ण योजना है 'लाडली बहना योजना', जो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उनके जीवन स्तर को सुधारने के लिए शुरू की गई है।
लाडली बहना योजना: महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
लाडली बहना योजना को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सरकार ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में पेश किया है। इस योजना के तहत राज्य सरकार पात्र महिलाओं के खाते में हर महीने 1250 रुपये जमा करती है। यह राशि महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करती है, जिससे उनका जीवन स्तर बेहतर होता है और वे आत्मनिर्भर बनती हैं।
योजना के पात्रता मानदंड और लाभ
लाडली बहना योजना का लाभ उन महिलाओं को मिलता है जिनकी आयु 21 से 60 वर्ष के बीच हो और जिनके परिवार की वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से अधिक न हो। इसके अलावा, महिला या उसके परिवार का कोई सदस्य आयकर दाता नहीं होना चाहिए, और परिवार के किसी सदस्य को केंद्र या राज्य सरकार के किसी विभाग में नौकरी नहीं करनी चाहिए। यह योजना महिलाओं को वित्तीय सहायता के साथ-साथ समाज में सम्मान और आत्मनिर्भरता भी प्रदान करती है।
महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान
मोहन सरकार की महिला हितैषी योजनाओं के तहत, महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं, रोजगार और वित्तीय सहायता जैसी सभी जरूरी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। इन योजनाओं ने लाखों महिलाओं को आत्मनिर्भर बना दिया है और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है।
लाडली बहना योजना के माध्यम से, महिलाओं को शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर अवसर मिले हैं, जिससे उनकी भागीदारी इन क्षेत्रों में बढ़ी है। इसके अलावा, इस योजना से उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त हुई है, जिससे वे न केवल अपने परिवार की भलाई में योगदान कर रही हैं, बल्कि अपने जीवन को नई दिशा भी दे रही हैं।
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