Patrakar Priyanshi Chaturvedi
कराटे की दुनिया में आयरन गर्ल के नाम से पहचाने जाने वाली ग्वालियर की निहारिका ने अब साउथ एशियन चैंपियनशिप भी जीत ली है. श्रीलंका में आयोजित इस चैंपियनशिप में उन्होंने भारत के लिए सीनियर महिला वर्ग में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है. निहारिका ने साउथ एशियन कराटे चैंम्पियनशिप में खिताबी मुक़ाबले में श्रीलंका की कपिलारत्ना को 13- 5 से हराकर भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता. इसी चेम्पियनशिप के जूनियर बॉयज वर्ग में गवालियर के प्रियंक भदौरिया ने भी गोल्ड मेडल जीता है. इसी साल निहारिका ने कॉमनवेल्थ कराते चैंम्पियनशिप में भारत के लिए ब्रॉउन्ज़ मैडल जीता था।
भिंड जिले के छोटे से गांव की इंटरनेशनल कराते खिलाड़ी निहारिका ने एक बार फिर कमाल कर दिखाया है. भारतीय टीम की तरफ से निहारिका ने श्रीलंका में आयोजित साउथ एशियन चेम्पियनशिप में सीनियर महिला वर्ग में गोल्ड मेडल जीता है. निहारिका ने पहले मुकाबले में पाकिस्तान को शिकस्त दी, उसके बाद बंगलादेश और श्रीलंका को हराते हुए फाइनल में प्रवेश किया. फाइलन मुकाबले में निहारिका की भिड़ंत श्रीलंका की कपिला रत्ना से थी. खिताबी मुकाबले में निहारिका ने शुरू से बढ़त बनाई और आखिर में 13-5 से पटखनी देते हुए भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता. आपको बता दें कि निहारिका ने इसी साल इंग्लैंड के लंदन में आयोजित हुई कॉमनवेल्थ में कराते चेम्पियनशिप में भी भारत के लिए ब्रॉउन्ज़ मैडल जीता था।
साउथ एशियन कराते चैंम्पियनशिप में ग्वालियर के प्रियंक भदौरिया ने भी भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता है. प्रियंक ने जूनियर बॉयज वर्ग में भूटान, पाकिस्तान और श्रीलंका को हराते हुए फाइनल में प्रवेश किया था. खिताबी मुकाबले में प्रियंक ने श्रीलंका को 6- 2 से करारी शिकस्त देकर गोल्ड मेडल जीता. प्रियंक ने टर्की में आयोजित हुई अंतरराष्ट्रीय कराते चैंपियनशिप में भी भाग लिया था.12 वीं के छात्र प्रियंक बीते 6 साल से कराते की प्रैक्टिस कर रहे हैं, प्रियंक ने अपने 6 साल के करियर में अब तक 21 गोल्ड 2 सिल्वर और 3 ब्रोंज मेडल जीते हैं।
खुद की हिफाजत के मकसद से कराते सीखने वाली निहारिका साल 2011 से कराते चैंपियन हैं. 23 साल की निहारिका अपनी उम्र से 10 गुना मेडल जीत चुकी हैं. अब तक इंडोनेशिया, इजिप्ट, इंग्लैंड, टर्की सहित अन्य देशों में 10 इंटरनेशनल स्पर्धाओं में खेल चुकी हैं. निहारिका भारत के लिए 6 गोल्ड सहित 7 मेडल जीत चुकी है. इंटनेशनल लेवल तक पहुंचने के लिए कड़ी मशक्कत के साथ ही समाज के तानों उलाहनों का भी सामना करना पड़ा, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और आखिर में भारत के लिए 6 गोल्ड मेडल जीतकर अपनी काबिलियत साबित कर दी. जो लोग कल ताना देते थे वो आज अपनी बेटियों को निहारिका की तरह बनने की नसीहत देते हैं. निहारिका अब ग्वालियर की आयरन गर्ल के नाम से मशहूर हो गई हैं।
निहारिका के पिता रामवीर कौरव भिंड जिले में क्लिनिक चलाते हैं. मां मीनल कौरव सरकारी शिक्षक हैं. निहारिका अब तक बीए के साथ ही बी. पेड की डिग्री हासिल कर चुकी है. अभी वो देश के लिए मेडल जीतकर दुनियाभर में तिरंगे का मान बढ़ाना चाहती हैं, आगे वो बच्चों को तैयार कर भारत के लिए खेलने में मदद करेंगी।
निहारिका को इंटनेशनल करातेबाज़ बनने के लिए खेल के साथ ही सामाजिक परेशानियों का सामना भी करना पड़ा. दरअसल उनका परिवार भिंड जिले के एक छोटे से गांव का रहने वाला है, निहारिका के समाज में जवानी की दहलीज पर आते ही लड़कियों की शादी कर विदा कर दिया जाता है. जब निहारिका 20 साल की हो गई तो समाज के लोग निहारका के परिजनों ने उसकी शादी करने की बात कहते थे, जब वो चैंम्पियनशिप खेलने बाहर जाती थी तो परिवार को ताने दिए जाते थे. लेकिन जब निहारिका ने विदेशों में भारत के लिए खेलकर गोल्ड मेडल जीतना शुरू किए तो वही लोग तारीफ करते हैं, अपनी बेटियों को निहारिका की तरह बनने को कहते हैं।
रिपोर्ट-सुमित गिरी
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