भोपाल की 40 साल पुरानी समस्या का समाधान: जहरीले कचरे का वैज्ञानिक पद्धति से निष्पादन
भोपाल की 40 साल पुरानी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के जहरीले कचरे के निष्पादन के मुद्दे पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्पष्ट किया कि कचरे का निष्पादन सुप्रीम कोर्ट के आदेश और वैज्ञानिक मार्गदर्शन के तहत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया को लेकर उठ रही आशंकाएं निराधार हैं, और यह स्थिति पिछले 40 वर्षों से बनी हुई है।
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस और अन्य विरोधियों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में राजनीति नहीं करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि यूनियन कार्बाइड के 358 टन कचरे का निष्पादन वैज्ञानिक पद्धतियों के अनुसार पीथमपुर में हो रहा है। इस कचरे में 60 प्रतिशत मिट्टी और 40 प्रतिशत केमिकल अपशिष्ट (जिनमें नेफ्थाल और अन्य पदार्थ शामिल हैं) है।
सीएम ने बताया कि नेफ्थाल, कीटनाशक बनाने में सह-उत्पाद की भूमिका में रहता है और इसके प्रभाव को वैज्ञानिकों ने 25 वर्षों में समाप्त होने की बात कही है। चूंकि यह घटना 40 वर्ष पुरानी है, इसलिए इस कचरे से संबंधित जो आशंकाएं जताई जा रही हैं, वे अब स्वतः समाप्त हो चुकी हैं।