शिवराज के ' कदम ' और मोदी का ' दम '
bhopal, Shivraj

शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर अपनी जनता के बीच पाँव -पाँव वाले भैया के रूप में पहुंचेंगे। यही वे पाँव हैं जिसने कदम -कदम पर संघर्ष किया और अपने गांव जैत से भोपाल और दिल्ली तक का रास्ता बनाया । अब फिर दिल्ली से ये पांव अपने इलाके की तरफ बढ़ रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्पों और विजन को आखिरी आदमी तक पहुँचाने के लिए। कई लोगों को इसमें सियासत नजर आना लाजिमी है। शिवराज सिंह राजनेता हैं तो ऐसा होना भी आवशयक है। लेकिन उनकी मंशा अच्छी है।

शिवराज सिंह अपने लोकसभा क्षेत्र विदिशा से अपनी पदयात्रा आरम्भ कर रहे हैं। उनका गांव जैत भी इसी का हिस्सा है। जैत की चर्चा यहाँ इसलिए आवश्यक  है क्योंकि शिवराज को शिवराज सिंह चौहान बनाने वाली उनकी पहली लड़ाई यहीं से शुरू हुई थी। शिवराज सिंह मजदूरों को उनका हक़ दिलवाने के लिए अपने ही परिवार से भिड़ गए थे। तब इस लड़ाई के लिए सब को इकट्ठा करने के लिए वे पहली बार पांव -पांव चले। उसके बाद उनके पांव पांव चलने का सिलसिला थमा नहीं। उनकी हर पदयात्रा उनको स्थापित करने में मील का पत्थर साबित हुई और यही  पदयात्राएं उनकी पहचान बन गईं। शिवराज सिंह के विरोधी भी मानते हैं कि उनकी पदयात्राएं  उनके हक़ में बड़े परिणाम लाती हैं।

पदयात्राओं के पथिक शिवराज सिंह के राजनैतिक जीवन में संघर्ष का एक अलग ही पैरामीटर रहा है। जिसमें पदयात्रा को उन्होंने एक अमोघ अस्त्र की तरह प्रयोग किया है। वे छोटे नेता ,स्थानीय नेता ,विधायक ,सांसद ,प्रदेश अध्यक्ष , मुख्यमंत्री रहे हों। हर अवसर पर उन्होंने अपनी पदयात्रा की राजनीति को स्वयं और जनता के बीच एक सेतु के रूप में इस्तेमाल किया है। उनका अभियान खुद चलने के साथ जनता को अपना सह यात्री बनाना होता है। इन छोटे कदमों की यात्राओं से शिवराज बड़े निष्कर्ष निकालने के महारथी हैं।

मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री रहते उनकी एक पदयात्रा में मैने उनसे सवाल किया था। ये क्या सिर्फ राजनैतिक कदम हैं ? उनका जवाब था -नहीं ,ये समस्या से समाधान तक पहुँचने का मेरा तरीका है। ऐसी यात्राओं से जनता अपने नेता से जुड़ती है कुछ हम अपनी कहते हैं और उनकी सुनते हैं। इसका  मकसद दो तरफ़ा संवाद है।

इस बार शिवराज सिंह केंद्रीय मंत्री हैं। केंद्रीय मंत्री के रूप में यह उनकी पहली पदयात्रा है। जिसके लंबा चलने के आसार हैं। उनकी लोकसभा के बाद वे दूसरी लोकसभा क्षेत्रों में भी जायेंगे। इस बार मकसद मोदी की कार्ययोजना को जन जन तक पहुँचाना है। फिलहाल कोई बड़ा चुनाव भी नहीं हैं। इसलिए इसके पार्श्व में क्या है इसका आकलन करना थोड़ा जल्दी होगा। जैसे जैसे शिवराज सिंह का काफिला आगे बढ़ेगा। उनकी मंशा भी स्पष्ट होती जाएगी।

इसमें कोई दो राय नहीं कि मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह की छवि जननायक वाली और उनकी पहचान पांव -पांव वाले भैया और मामा के रूप में है। इस यात्रा को लेकर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से अभी तक अधिकृत रूप में कुछ भी सामने नहीं आया है। लेकिन एक सांसद और केंद्रीय मंत्री के रूप में यह उनका अधिकार है कि वे अपनी सरकार के सत्कर्मों ,प्रधानमंत्री मोदी के विजन और उनकी नीति और नियत को जन -जन तक पहुंचाएं।

Dakhal News 25 May 2025

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