हरियाली अमावस्या पर पितरों की शांति के साथ इस दिन पीपल और तुलसी पूजन का भी है महत्व
Along with peace of ancestors on Amavasya

प्रत्येक वर्ष श्रावण माह में पड़ने वाली अमावस्या तिथि को हरियाली अमावस्या या श्रावणी अमावस्या कहा जाता है. धार्मिक शास्त्रों में सावन माह की अमावस्या तिथि को विशेष तिथि के रूप में देखा जाता है.सावन माह की अमावस्या 04 अगस्त को हरियाली अमावस्या के रूप में मनाई जाएगी. ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार हरियाली अमावस्या पर सिद्धि योग और पुष्य नक्षत्र रहेंगे शास्त्रों में इस अमावस्या पर पूजा-पाठ, स्नान-दान करना उत्तम माना गया है. साथ ही पर्यावरण की दृष्टि से भी हरियाली अमावस्या का बहुत महत्व है. इस दिन अपने पूर्वजों की याद में पौधे लगाना शुभ रहता है वहीं हरियाली अमावस्या पर कुछ विशेष वृक्षों की पूजा करने से ग्रह दोष भी दूर होते हैं. सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है इस दिन पवित्र नदी में स्नान करके पितरों को पिंडदान, श्राद्ध कर्म करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके अलावा हरियाली अमावस्या पर्व जीवन में पर्यावरण के महत्व को भी बताता है इस दिन नए पौधे लगाए जाते हैं. मान्यता है कि श्रावणी अमावस्या के दिन वृक्षारोपण करने से जीवन के सारे कष्ट दोष दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि का आगमन होता है इसके अलावा ये तिथि किसानों के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन किसान अपने खेती में उपयोग होने वाले उपकरणों की पूजा करते हैं और ईश्वर से अच्छी फसल होने की कामना करते हैं. 

हरियाली अमावस्या शुभ मुहूर्त 2024

इस साल श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 4 अगस्त 2024 को है. ऐसे में इसी दिन हरियाली अमावस्या मनाई जाएगी हरियाली अमावस्या का प्रारंभ- 3 अगस्त को दोपहर 3:50 मिनट से अमावस्या का समापन- 4 अगस्त को शाम 4:42 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार 4 अगस्त को ही हरियाली अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा. इस साल सिद्धि योग और पुष्य नक्षत्र में हरियाली अमावस्या मनाई जाएगी 

हरियाली अमावस्या का महत्व 

सावन के महीने में कृष्ण पक्ष की शिवरात्रि के अगले दिन हरियाली अमावस्या होती है. इस दिन पेड़-पौधों की विशेष रूप से पूजा की जाती है. इस दिन पीपल और तुलसी के पौधे की पूजन का विशेष महत्व है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पीपल के पेड़ में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है. इस दिन पौधे लगाने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.

पितरों की शांति के लिए करें उपाय

हरियाली अमावस्या के दिन किसी योग्य ब्राह्मण को घर बुलाकर भोजन करवाएं. इस दिन किसी नदी किनारे श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करें. साथ ही गाय को चारा भी खिलाएं. हरियाली अमावस्या के दिन मछलियों के लिए नदी में आटे की गोलियां डालें. नदी में काले तिल प्रवाहित करें.

पीपल और तुलसी पूजन का महत्व

इस दिन वृक्ष पूजा की प्रथा अनुसार पीपल और तुलसी के पेड़ की पूजा की जाएगी. वृक्षों में देवताओं का वास माना जाता है. इस दिन पितृ तर्पण भी किया जाता है. इससे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है. 

शांति और समृद्धि

सावन माह में पड़ने वाली इस हरियाली अमावस्या पर विशेष तरह का भोजन भी बनाया जाता है, जो कि ब्राम्हणों को खिलाया जाता है खास बात यह है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा भी की पूजा की जाती है. हरियाली अमावस के दिन भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा की जाती है. मान्यता है कि श्रावण अमावस्या के दिन शिव भगवान की पूजा करने से घर में सुख और शांति के साथ समृद्धि भी आती है.

Dakhal News 26 July 2024

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