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भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भोपाल और देश का हृदय प्रदेश केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह का हृदय से स्वागत करने के लिए तैयार है। उनके भोपाल प्रवास के दौरान हो रहे कार्यक्रमों की तैयारियाँ पूरी हो गई हैं।
मुख्यमंत्री चौहान ने गुरुवार को वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों से चर्चा के बाद शुक्रवार, 22 अप्रैल को जंबूरी मैदान में आयोजित वन समितियों के सम्मेलन की व्यवस्थाओं की समीक्षा कर रहे थे। इस सम्मेलन में वन समितियों और प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समितियों के सदस्य शामिल होंगे और वन समितियों के सदस्यों और नागरिकों को वर्चुअली जोड़ने के प्रबंध भी किये गये हैं।
जनजातीय भाई-बहनों की जिन्दगी बदलने के लिए तीन बड़ी सौगातें
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजातीय भाई-बहनों की जिन्दगी बदलने की तीन सौगातें केन्द्रीय मंत्री शाह के हाथों से उन्हें मिलेंगी। अब वन ग्रामों के निवासियों का जीवन आसान होगा। तेंदूपत्ता संग्रहण के बोनस की 67 करोड़ रुपये की राशि वितरण के साथ ही इमारती लकड़ी आदि से होने वाली आय जो पहले पूरी तरह सरकार के पास जाती थी, अब उसका पाँचवां हिस्सा अर्थात 20 फ़ीसदी राशि वन समितियों को देने की व्यवस्था की गई है। यह एक क्रांतिकारी कदम है। अब ग्राम सभाओं के माध्यम से प्राथमिकता तय कर इस राशि को खर्च किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि केन्द्रीय गृह मंत्री प्रदेश में काष्ठ और बाँस के लाभांश की 55 करोड़ रुपये की राशि के वितरण का कार्य प्रतीक स्वरूप कुछ हितग्राहियों को राशि प्रदान कर करेंगे। एक अन्य महत्पूर्ण सौगात वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में परिवर्तित करने की है। अब प्रदेश में राजस्व ग्राम की तरह ही वन ग्राम में रहने वालों को आवश्यक सुविधाएँ प्राप्त होंगी। इसके लिए प्रक्रिया प्रारंभ कर कार्य शुरू हो गया है। प्रदेश में वन ग्रामों में रहने वालों की जिन्दगी की कठिनाइयों को देखते हुए यह महत्वपूर्ण निर्णय है। वन ग्रामों में विकास के अनेक कार्यों को करना संभव नहीं हो पाता था। ऐसी तकनीकी और वैधानिक बाधाओं के लिए रास्ता निकाला गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गत 18 सितंबर को अमर शहीद रघुनाथ शाह, शंकर शाह के बलिदान दिवस पर जबलपुर में हुए कार्यक्रम में जनजातीय समुदाय के पक्ष में अनेक घोषणाएँ की गई थीं। राज्य सरकार गंभीरता से उन घोषणाओं के क्रियान्वयन का कार्य कर रही है। पेसा एक्ट मध्यप्रदेश में लागू हो रहा है। सामुदायिक वन प्रबंधन का अधिकार भी दिया जा रहा है। इस सिलसिले में देवारण्य योजना सहित आजीविका के अनेक कदम उठाए गए हैं। यह सब प्रदेश में जनजातीय वर्ग के लोगों की जिन्दगी बदलने का अभियान है।
उन्होंने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। ऐसे बलिदानी, जिनका इतिहास में जिक्र नहीं है, उनके इतिहास को खोजकर संजोने के लिए संग्रहालय का निर्माण कराया जा रहा है। देशभर में 9 स्थानों का चयन किया गया है, जिसमें 200 करोड़ की लागत से कार्य करवाए जा रहे हैं। इनमें मध्यप्रदेश का छिंदवाड़ा भी शामिल है। संग्रहालयों का कार्य प्रारंभ हो चुका है।
सामुदायिक वन प्रबंधन का अधिकार जनजातीय भाई-बहनों को मिलेगा। पेसा एक्ट चरणबद्ध तरीके से प्रदेश में लागू किया जायेगा। पेसा एक्ट ग्राम सभा को सामुदायिक संसाधनों की सुरक्षा और संरक्षण का अधिकार देता है। वन भी सामुदायिक संसाधन है। इस कारण पेसा एक्ट वनों की सुरक्षा और संरक्षण का भी अधिकार ग्राम सभा को देता है। इसे अमलीजामा पहनाने के लिये सामुदायिक वन प्रबन्धन समितियों के गठन की जिम्मेदारी ग्राम सभा को मिलेगी। अब सामुदायिक वन प्रबंधन समितियाँ वर्किंग प्लान के अनुसार हर साल का माइक्रो प्लान बनाएंगी और उसे ग्राम सभा से अनुमोदित कराएंगी। समितियाँ ही उस प्लान को क्रियान्वित करेंगी।
राशन आपके ग्राम : जनजातीय बहुल विकासखण्डों में 1 नवम्बर मध्यप्रदेश स्थापना दिवस से राशन आपके ग्राम व्यवस्था प्रारंभ होगी। प्रदेश के 89 जनजातीय बहुल विकासखण्डों में अब किसी भी जनजातीय भाई-बहन को राशन लेने के लिए दुकानों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
मछली पालन, मुर्गीपालन और बकरी पालन के लिए एकीकृत योजना में कार्य होगा। जनजातीय भाई-बहनों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिये मछली पालन, मुर्गीपालन और बकरी पालन में अपार संभावना है। इसके लिए एकीकृत योजना लागू होगी। जो उद्यमी बनना चाहे, उन्हें प्रशिक्षण, संसाधन विकास के लिए आर्थिक सहायता और बिक्री के लिए प्लेटफार्म उपलब्ध कराये जायेंगे।
जनजातीय शिक्षा में क्रान्ति: जनजातीय बच्चों और युवाओं को नई शिक्षा नीति का लाभ दिलाने में सरकार कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी। विज्ञान, तकनीकी और चिकित्सा क्षेत्र में जनजातीय वर्ग के विद्यार्थी अपना भविष्य बनायें, इसके लिए पाठ्यक्रम को भी आज की आवश्यकताओं के अनुरूप बनायेंगे। जनजातीय बेटा-बेटियों को फौज और पुलिस में चयन के लिये प्रशिक्षण की व्यवस्था भी प्रारंभ की जायेगी।
बैकलॉग के पदों की पूर्ति: प्रदेश में बैकलॉग पदों पर पूर्ति किये जाने को लेकर भी सरकार गंभीर है। एक वर्ष के भीतर जनजाति वर्ग के सभी रिक्त पद भर दिये जायेंगे।
जनजातीय क्षेत्रों में साहूकारी का धंधा करने वालों के लिए पंजीयन शुल्क में वृद्धि की गई है। यदि तय नियमों से कोई ज्यादा ब्याज लेगा, उस पर कार्यवाही की जायेगी। जनजातीय भाई-बहनों के कल्याण के लिये राज्य सरकार ने अनेक कल्याणकारी कार्य किये हैं।
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