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बेंगलुरू । महर्षि वाल्मीकि जनजाति कल्याण बोर्ड घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने बुधवार सुबह बेंगलुरू और बेल्लारी में कई स्थानों पर छापेमारी की। यह छापेमारी कांग्रेस के सांसद, विधायकों और नेताओं से जुड़े ठिकानों पर की गई है।
ईडी ने बुधवार को कर्नाटक के बेल्लारी और बेंगलुरु में कर्नाटक आदिवासी कल्याण बोर्ड घोटाला से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं के मामले में कई स्थानों पर छापेमारी की। कांग्रेस सांसद और विधायकों के कार्यालयों साथ उनके घरों पर भी छापेमारी की गई है। ईडी की अलग-अलग टीमों ने बेल्लारी के सांसद ई. तुकाराम के संदूर आवास, बेल्लारी के विधायक नारा भारत रेड्डी के नेहरू कॉलोनी आवास, विधायक जे.एन. गणेश के होस्पेट आवास, विधायक डॉ. एनटी श्रीनिवास के कुडलिगी आवास और विधायक बी. नागेंद्र के करीबी गोवर्धन रेड्डी के आवास पर छापेमारी की है।
दरअसल, बी. नागेंद्र प्रदेश के पूर्व अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री हैं, जिन्हें ईडी ने 12 जुलाई 2024 को गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने 89.6 करोड़ रुपये की फंड हेराफेरी की अनुमति दी और इस घोटाले में मुख्य साजिशकर्ता की भूमिका निभाई। ईडी रेड की जांच के मुताबिक नागेंद्र ने 24 अन्य लोगों के साथ मिलकर महर्षि वाल्मीकि एसटी विकास निगम के खातों से फर्जी खातों में पैसे ट्रांसफर किए और फिर उन पैसों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में किया गया। पैसे आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के फर्जी खातों में भेजे गए थे।
हालांकि, राज्य सरकार द्वारा गठित स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने बी. नागेंद्र को क्लीन चिट दे दी थी और चार्जशीट में उनका कोई उल्लेख नहीं किया गया। लेकिन ईडी ने सीआईडी और सीबीआई की एफआईआर के आधार पर फिर से जांच शुरू की।
दरअसल, ईडी की रेड से इस घोटाले का खुलासा तब हुआ, जब आदिवासी कल्याण बोर्ड के लेखा अधिकारी पी. चंद्रशेखरन ने आत्महत्या कर ली। उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा था कि उन पर घोटाले को दबाने और गलत दस्तखत करने का दबाव बनाया जा रहा था। उन्होंने कांग्रेस सरकार के एक मंत्री को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया था।
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