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आज देश दुनिया में ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का पर्व मनाया जा रहा है : ये वही दिन है : जब लगभग पंद्रह सौ साल पहले इस्लाम धर्म के पैगंबर, हजरत मोहम्मद साहब का जन्म मक्का की धरती पर हुआ था : इतिहास कहता है कि उस समय समाज अंधकार में डूबा हुआ था, बुराइयों और अन्याय का बोलबाला था : और तब इंसाफ, सच्चाई और बराबरी का पैगाम लेकर आए थे पैगंबर मोहम्मद : माना जाता है कि उनका जन्म ही इसलिए हुआ था : ताकि इंसानियत को सही राह दिखाई जा सके : ताकि लोग बुराई से दूर होकर नेक रास्ते पर चलें और पूरी दुनिया में मोहब्बत और इंसाफ कायम हो : रबी-उल-अव्वल महीने की बारहवीं तारीख को आने वाला यह दिन सिर्फ एक त्योहार नहीं : बल्कि एक आध्यात्मिक संदेश का प्रतीक है : ईद-ए-मिलाद-उन-नबी हमें याद दिलाती है कि इंसाफ और दया का रास्ता ही असली इंसानियत का रास्ता है : मोहम्मद साहब ने हमेशा यह सिखाया कि अमीरी-गरीबी, ऊँच-नीच या जात-पात के भेदभाव से ऊपर उठकर हर इंसान बराबर है : इस साल ईद-ए-मिलाद-उन-नबी और भी खास हो गई है : क्योंकि यह पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्म के पंद्रह सौ साल पूरे होने का अवसर भी है : यानी आज का दिन सिर्फ जश्न का दिन नहीं है : बल्कि उनके बताए गए रास्तों को याद करने और उन्हें अपनी जिंदगी में उतारने का दिन है : आज जब हर तरफ जुलूस निकल रहे हैं, मिलाद की महफ़िलें सज रही हैं, रोशनी से गलियां जगमगा रही हैं, तो इसका असली संदेश यही है कि मोहब्बत, दया और बराबरी की रोशनी हर दिल तक पहुँचे
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