गोवर्धन पूजा में श्रीकृष्ण के गिरधारी स्वरूप की हुआ पूजन
anuppur,   Giridhari form of Lord Krishna , Govardhan Puja

अनूपपुर । दीपावली के दूसरे दिन बुधवार को मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले सहित आसपास के नगरों और गांवों में गोवर्धन पूजा का पर्व श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर महिलाओं ने गोमाता का पूजन किया और मंदिरों में अन्नकूट उत्सव का आयोजन कर भगवान को भोग लगाकर प्रसाद का वितरण किया गया।


जिले भर में गोवर्धन पूजा का पर्व बड़ी श्रद्धा से मनाया गया। भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग लगा कर लोगो में वितरण किया गया। गौपालक घरों की महिलाओं ने सुबह से ही अपने घरों के सामने गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई। पारंपरिक विधि-विधान से इसकी पूजा-अर्चना की गई। महिलाओं ने पारंपरिक परिधान धारण कर गोवर्धन पर्वत के प्रतीक की पूजा की गई। वहीं अनूपपुर की रामजानकी मंदिर में विधि विधान से भ्रवान श्रीकृष्ण के गिरधारी स्वरूप का पूजन के बाद अन्नकूट प्रसादी के रूप में विभिन्न प्रकार के तैयार व्यंजनों वितरण किया गया। इस दौरान मंदिरों को विशेष रूप से सजाया गया था। इसके अलावा अमरकंटक, राजेन्द्रग्राम, कोतमा, जैतहरी, भालूमाड़ा, बिजुरी सहित पूरेक्षेत्र की मंदिरों में अन्नकूट प्रसाद का भोग लगाया गया।


पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन गाय और बछड़ों की पूजा का विधान है। गोवर्धन पूजा पर भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी है। मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव के प्रकोप से गोकुल वासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था। इससे सभी गोकुलवासियों की रक्षा हुई थी और इंद्रदेव का घमंड टूट गया थी। तभी से इस दिन को गोवर्धन के रूप में मनाने की परंपरा है।


भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित गोवर्धन पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और धन की वृद्धि होती है। गोवर्धन पूजा पर केवल एक सरल उपाय गौसेवा या गोवर्धन पर्वत की पूजा से आप अपने घर में स्थायी लक्ष्मी का वास कर सकते हैं और सुख-समृद्धि की वर्षा पा सकते हैं। इस दिन सबसे शुभ उपाय है गाय की सेवा, गुड़, चारा और रोटी खिलाएं, ऐसा करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और घर में धन-धान्य का स्थायी वास होता है। यदि घर में गाय न हो तो गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं उस पर फूल, दीपक, रोली, चावल और मिठाई अर्पित कर भगवान श्रीकृष्ण, इंद्रदेव और गौमाता का पूजन करें। मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से गोवर्धन पूजा करता है, उसके जीवन से दरिद्रता दूर होती है और घर में अन्न व संपत्ति की कभी कमी नहीं रहती। यह पूजा प्रकृति, गाय और गोवर्धन पर्वत के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है।


दिनभर मौनी उपवास रखकर जंगल में बिताया दिन, शाम को गौ माता की पूजा कर तोड़ा व्रत
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में दीपावली का पर्व एवं गौ माता की पूजा का विशेष महत्व है। ग्रामीण क्षेत्रों में दीपावली के बाद मौनी व्रत रखते हुए शाम को पूजा अर्चना की जाती है। इसके बाद तक गौवंशों की पूजा कर व्रत तोड़ा जाता है। दीपावली से एकादशी पर्व तक यादव परिवार के लोग गांव में घर-घर जाकर के देवारी नाच करते हैं, जिसके बदले में प्रत्येक घर से नाच गाने कर रहे व्यक्तियों को अनाज कार्यक्रम की समाप्ति पर दिया जाता है।


बछड़े के नीचे से निकल कर दूर करते हैं दोष
पुष्पराजगढ़ विकासखंड के ग्राम भेजरी निवासी अर्जुन सिंह ने बताया कि दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा पर गांव के सभी लोग उस स्थान जहां पर गांव की सभी गाय एकत्रित होती है वहां पर गाय के बछड़े के नीचे से तीन बार निकलते हुए अपने सभी रोग दोष से मुक्ति पाते हैं। ग्रामीण मनराज सिंह धुर्वे ने बताया कि मौनी उपवास रखकर दिनभर जंगलों में गाय को चराते हैं। शाम को घर पहुंचने पर पूजा अर्चना के बाद यह व्रत समाप्त होता है। ग्रामीण ने बताया कि 12 वर्ष तक मौनी उपवास ग्रामीण रखते हैं।

 

 

Dakhal News 22 October 2025

Comments

Be First To Comment....

Video
x
This website is using cookies. More info. Accept
All Rights Reserved © 2025 Dakhal News.