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नस्लीय भेद का जहर आज भी इनके खून में
चंद्रयान-3 की सफलता के बाद से विदेशी मीडिया में भारत को लेकर लगातार चर्चा हो रही है। इसी बीच बीबीसी का चार साल पुराना एक वीडियो क्लिप भी सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा। यह चंद्रयान-2 के समय का है जिसे भारत ने 2019 में छोड़ा था। वीडियो में बीबीसी एंकर भारत में मौजूद अपने संवाददाता से पूछ रहा है कि भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी है, भीषण गरीबी है, 70 करोड़ लोगों पास टॉयलेट नहीं है, क्या ऐसे देश को मून मिशन पर इतना पैसा खर्च करना चाहिए। इस वीडियो के वायरल होने के बाद वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश मिश्रा ने ट्वीट कर अपनी राय व्यक्त की है।उन्होंने लिखा, इंग्लैंड के राजा के साम्राज्यवादी टीवी चैनल, बीबीसी के इस एंकर की भाषा अहंकार की है। भारत के मून मिशन और चंद्रयान की सफलता ने इनके नस्लीय अहंकार को कुचला है। इनका दर्द स्वाभाविक है। एंकर कहता है की भारत मून मिशन पर इतना पैसा क्यों खर्च कर रहा है। भारत तो गरीब देश है। दरअसल ये कुंठा किसी लुटेरे साम्राज्य की सोच का हिस्सा है।200 साल तक भारत की धन संपदा लूटकर इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था चलाने वाली सोच भिखमंगो की होती है। नैतिकता का झूठा लबादा ओढ़े इन अनैतिक लोगों ने भारत से कभी माफी नहीं मांगी, जो लूट पाट, हिंसा, युद्ध, कत्लेआम किया। इन एंकर महोदय के बाप दादा भी शायद भारत से लूट कर ले जाए गए पैसों से पले होंगे लेकिन नस्लीय भेद का जहर आज भी इनके खून, सोच और दिमाग में भरा है।बीबीसी को माफी मांगनी चाहिए। बता दे, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के मुताबिक चंद्रयान-3 को तैयार करने पर कुल 615 करोड़ रुपये का खर्च आया है। चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम, रोवर प्रज्ञान और प्रपल्शन मॉड्यूल को तैयार करने की कुल लागत 250 करोड़ रुपये है।
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