दिल्ली हाई कोर्ट ने न्यूज एजेंसी ANI की शिकायत पर OpenAI को समन जारी किया है, जिसमें ANI ने आरोप लगाया है कि OpenAI ने ChatGPT को प्रशिक्षित करने के लिए उसकी सामग्री का उपयोग किया है, जो भारतीय कॉपीराइट कानूनों का उल्लंघन है। ANI का कहना है कि OpenAI ने उसके प्रकाशित समाचार लेखों का इस्तेमाल बिना अनुमति के किया, जो कि कानूनन अवैध है।
यह मामला सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट में पहली बार सुनवाई के लिए आया। कोर्ट ने OpenAI को ANI के आरोपों का विस्तृत जवाब देने का आदेश दिया, हालांकि, कोर्ट ने इस मामले में OpenAI के खिलाफ कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। ANI ने दावा किया कि ChatGPT ने उसके समाचार लेखों को शब्दशः (verbatim) इस्तेमाल किया, जिससे कॉपीराइट उल्लंघन हुआ है।
ANI का कहना है कि इसके समाचार लेख भारतीय कॉपीराइट कानून के तहत संरक्षित हैं और किसी भी बाहरी संस्थान को इन्हें बिना अनुमति के उपयोग करने का अधिकार नहीं है। ANI ने यह भी तर्क दिया कि सिर्फ इसलिए कि इसका कंटेंट सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है, इसका मतलब यह नहीं है कि कोई भी इसे कॉपी कर सकता है या अपने उपयोग के लिए इसे इस्तेमाल कर सकता है।
OpenAI की ओर से एक बयान में कहा गया कि वे अपने AI मॉडल को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा के आधार पर प्रशिक्षित करते हैं, जो "फेयर यूज" और अन्य कानूनी सिद्धांतों के तहत आता है। OpenAI के प्रवक्ता ने कहा, "हमारे द्वारा इस्तेमाल किए गए कानूनी आधार लंबे समय से मान्यता प्राप्त हैं और व्यापक रूप से स्वीकार किए गए हैं।"
ANI ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सामग्री का मतलब यह नहीं है कि कोई भी इसे अपनी इच्छानुसार इस्तेमाल कर सकता है। ANI का यह आरोप है कि OpenAI ने उसका कंटेंट बिना किसी अनुमति के अपने AI मॉडल में इस्तेमाल किया, जिससे उसकी मेहनत और बौद्धिक संपदा का उल्लंघन हुआ है।
यह मामला भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कॉपीराइट कानूनों के बीच बढ़ती जटिलताओं को उजागर करता है। जैसे-जैसे AI और मशीन लर्निंग तकनीकों का विस्तार हो रहा है, वैसे-वैसे इस तरह के कानूनी विवाद भी बढ़ सकते हैं। इस मामले से संबंधित और अपडेट्स सामने आने के बाद यह देखने योग्य होगा कि अदालत इस विवाद को किस दिशा में ले जाती है।
अब तक के फैसले के अनुसार, कोर्ट ने OpenAI को ANI के आरोपों पर विस्तृत प्रतिक्रिया देने का आदेश दिया है। हालांकि, इस मामले में कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया गया है, लेकिन यह मामला एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है कि कैसे वैश्विक तकनीकी कंपनियों और स्थानीय कानूनों के बीच विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।
By: Sumit Giri