भारत का भविष्य गढ़ने का पंडित नेहरू का सपना है "बाल दिवस"
भारत का भविष्य गढ़ने का पंडित नेहरू का सपना है "बाल दिवस"

(प्रवीण कक्कड़)

14 नवंबर को महान स्वतंत्रता सेनानी एवं भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन है। उनकी जयंती को हम सब बाल दिवस के रूप में मनाते हैं। ऐसे में कई बार मन में सवाल आता है कि हम और भी किसी रूप में पंडित नेहरू का जन्मदिन मना सकते थे, जैसे कि राष्ट्र निर्माता के रूप में, प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में, लोकतंत्र को मजबूत करने वाले व्यक्ति के रूप में। फिर क्यों उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में चुना गया।

इस बात को समझना है तो पंडित नेहरू के उन कार्यों पर निगाह डालनी पड़ेगी जो उन्होंने भारत का प्रधानमंत्री बनने के तुरंत बाद किये। उन्होंने सबसे ज्यादा ध्यान अगर किसी चीज पर दिया तो वह था भारत के भविष्य का निर्माण। वह भविष्य किसके लिए बना रहे थे? भारत की आने वाली नस्लों के लिए, भारत के बच्चों के लिए। भारत के बच्चे आगे चलकर एक सभ्य, सुसंस्कृत और सुशिक्षित नागरिक के तौर पर विकसित हो और एक खुशहाल मुल्क बनाएं  यही पंडित नेहरू का सपना और कार्यक्रम था।

उन्होंने पहला काम यह किया कि भारत का कोई बच्चा भूखा ना रहे। आजादी के समय भारत में बड़े पैमाने पर भुखमरी की स्थिति थी और देश खाद्यान्न के भारी संकट से जूझ रहा था। ज्यादा उपज बढ़ाने के लिए पंडित नेहरू ने बड़े बांध और सिंचाई पर पूरा ध्यान लगा दिया। पंडित नेहरू ने सन 1955 तक भारत में सिंचित जमीन का इतना नया रकबा जोड़ दिया था जितना कि उस समय अमेरिका में कुल सिंचित क्षेत्र था। अपने शासन के 17 वर्ष में वह भारत को खाने के सामान की आत्मनिर्भरता की दहलीज तक ले आए थे और बाकी का काम लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल में पूरा हुआ।

दूसरा महत्वपूर्ण काम उन्होंने बच्चों के लिए यह किया है कि देश में शिक्षा के विश्वस्तरीय संस्थानों की स्थापना की। यह संस्थान सरकारी पैसे से बनाए गए और यहां पढ़ाई लगभग मुफ्त रही, लेकिन संस्थानों के प्रबंधन में सरकार का हस्तक्षेप ना के बराबर रहा। असल में पंडित नेहरू चाहते थे की ज्ञानी और विद्वान लोग अपने अनुसार संस्थानों को चलाएं और वहां बेवजह बाबूशाही हावी ना हो। भारत के सभी प्रमुख आईआईटी, आईआईएम, ऐम्स आदि संस्थान के निर्माण करने का श्रेय सीधे-सीधे पंडित नेहरू को ही जाता है। हम सब देखते हैं कि आज आजादी के 75 वर्ष बाद भी वही संस्थान देश में सर्वश्रेष्ठ हैं जो पंडित नेहरू ने बनाए। इससे पता चलता है कि उन्होंने जो भी काम किया, बहुत ठोस ढंग से किया और भविष्य को निगाह में रखकर किया।

बच्चों के प्रति इसी लगाव के कारण उन्हें पूरा देश चाचा नेहरू कहता था। यह चाचा नेहरु का ही विजन था कि आप देखें तो जो भी संस्थान या अन्य चीजें उन्होंने बनाई उनमें बड़े-बड़े खेल के मैदान, कसरत करने के स्थान, टहलने के लिए खूब सारी जगह जरूर मिलेगी। पंडित जी को पता था कि बच्चे एक खुशहाल और खुले वातावरण में ही अपना संपूर्ण विकास कर सकते हैं चारदीवारी की बंदिशों में बुद्धि अपनी असीमित क्षमताओं का पूरा प्रदर्शन नहीं कर पाती।

जिस समय नेहरू जी देश के प्रधानमंत्री बने तब देश में उच्च शिक्षा की व्यवस्था तो बहुत कम थी ही साथ ही प्राथमिक शिक्षा भी ना के बराबर थी। नेहरू जी ने यह सुनिश्चित किया कि गांव-गांव में प्राथमिक विद्यालय खुल जाएं और बच्चे वहां तालीम हासिल कर सकें।

शिक्षा के माध्यम को लेकर भी बहुत ज्यादा सजग थे। आजादी के पहले उच्च शिक्षा का माध्यम तो सिर्फ अंग्रेजी था। वहीं स्कूली शिक्षा या तो अंग्रेजी में या फिर फारसी प्रभाव वाली उर्दू में दी जाती थी। नेहरू जी ने सिद्धांत स्थापित किया है कि किसी भी स्थिति में बच्चे को प्राथमिक शिक्षा उसकी मातृभाषा में ही दी जाए। उन्होंने तो यहां तक कहा कि अगर उत्तर भारत के बहुत से परिवार किसी दूसरी भाषा की प्रमुखता वाले महानगर में रहते हैं तो वहां भी इस बात की कोशिश होनी चाहिए कि हिंदी भाषी परिवारों के बच्चों के लिए हिंदी में शिक्षा का इंतजाम हो।

वह अंग्रेजी के शत्रु नहीं थे लेकिन मातृ भाषाओं में पढ़ाई के कट्टर समर्थक थे। अभी एक 2 साल पहले भारत की जो नई शिक्षा नीति आई है उसमें भी पंडित जवाहरलाल नेहरु कि इसी दृष्टि को आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया है।

पंडित नेहरू और बच्चों से उनके प्यार के बारे में बहुत सी बातें कही जा सकती हैं लेकिन यहां मैं पंडित नेहरू का वह भाषण याद दिलाना चाहता हूं जो उन्होंने आईआईटी खड़गपुर जो कि देश की पहली आईआईटी थी उसके पहले दीक्षांत समारोह के वक्तव्य में दिया था। नेहरू जी ने आईआईटी के पहले बैच के नौजवान इंजीनियरों से कहा था कि आप लोग यहां से पास होकर जा रहे हैं। इंजीनियर बन रहे हैं। जाहिर है? आप लोग एक सम्मानजनक जीवन जी पाएंगे। आपके सामने आर्थिक संकट नहीं होंगे। आप अच्छी घर गृहस्थी बनाएंगे और सुख से रहेंगे। लेकिन अगर आप समझते हैं कि यही करना इस आईआईटी में पढ़ने का मकसद है तो फिर आपका पढ़ना बेकार है। आप यहां से जाइये और नए हिंदुस्तान का निर्माण करिए। ऐसे भी बहुत से देश हैं जो भारत से भी ज्यादा पिछड़े हैं, हम चाहते हैं कि अपने देश के साथ ही उन पिछड़े देशों को आगे बढ़ाने में भी आप अपने हुनर का परिचय दें। फिर नेहरु जी ने अपने भाषण के अंत में कहा कि "आदमी बड़ा नहीं होता है, काम बड़ा होता है। छोटा आदमी भी बड़े काम से जुड़ जाता है तो उसके ऊपर बड़प्पन के कुछ छींटे पड़ जाते हैं। तो जाइए और आपने सामने जिंदगी में कोई बड़ा लक्ष्य रखिए और उसे पूरा करने में अपना जीवन समर्पित करिए।"

पंडित नेहरू कि यह वह सोच है जिसके कारण उनके जन्मदिवस को बाल दिवस के रूप में मनाते हैं। बच्चों को लाड़ दुलार और प्यार तो हर मां-बाप और चाचा कर सकता है, लेकिन बच्चों का भविष्य गढ़ना और उनके माध्यम से भारत माता का नाम ऊपर करने का सपना देखना पंडित नेहरू ही कर सकते हैं। इसीलिए वह देश के चाचा नेहरू हैं और उनका जन्म दिवस बाल दिवस।

Dakhal News 13 November 2022

Comments

Be First To Comment....

Video
x
This website is using cookies. More info. Accept
All Rights Reserved © 2024 Dakhal News.