हमारे लिए सटीक खबरें देना प्राथमिकता है न कि उन्हें सनसनीखेज बनाना: डॉ. ऐश्वर्या पंडित
(ITV Foundation

सूचना के इस युग में जहां हर ओर प्रतिस्पर्धी नैरेटिव्स और जानकारी का अंबार है, जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को आकार देने में मीडिया संगठनों की भूमिका पहले से कहीं ज्यादा अहम हो गई है। ऐसे दौर में ‘आईटीवी फाउंडेशन’ (ITV Foundation) की चेयरपर्सन डॉ. ऐश्वर्या पंडित शर्मा अपने गहन अकादमिक अनुभव और व्यावहारिक नेतृत्व शैली के माध्यम से इस मीडिया परिदृश्य को एक अनोखा दृष्टिकोण प्रदान करती हैं। समाचार4मीडिया के साथ पिछले दिनों एक खास बातचीत में डॉ. ऐश्वर्या पंडित शर्मा ने प्रामाणिक पत्रकारिता को बढ़ावा देने, व्युअर्स के साथ विश्वास बनाने और कम्युनिटी को सशक्त करने से जुड़े अपने दृष्टिकोण पर विस्तार से चर्चा की। प्रस्तुत हैं इस बातचीत के चुनिंदा अंश:

 

न्यूजरूम संचालित करने में आपके यहां कौन से प्रमुख तत्वों पर फोकस रहता है?

 

हमारी कार्यशैली पूरी तरह कंटेंट पर केंद्रित है। इसके अलावा, हम न्यूजरूम के भीतर मजबूत रिश्तों पर विश्वास करते हैं। न्यूजरूम में मैं व्यक्तिगत रूप से सभी के साथ संपर्क में रहने को प्राथमिकता देती हूं, चाहे वह PCR टीम हो, IT विभाग हो या संपादकीय टीम। मेरा मानना है कि हर किसी के लिए मेरी पहुंच और मेरी प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण है। कोई भी मुझसे संपर्क कर सकता है और मैं तुरंत समाधान देने की कोशिश करती हूं। हम हमेशा भरोसा बनाने और यह सुनिश्चित करने पर जोर देते हैं कि हर व्यक्ति की बात सुनी जाए।

 

इस भूमिका को संभालने से पहले अपने संपादकों के साथ मजबूत जुड़ाव मेरे लिए अमूल्य है। मैं उनके अनुभव और विशेषज्ञता को पहचानने और उसका सम्मान करने में विश्वास करती हूं। उन्होंने वर्षों की कड़ी मेहनत और अपने हुनर के दम पर अपनी जगह बनाई है। न्यूजरूम में हम एक सहयोगात्मक माहौल बनाने की कोशिश करते हैं, जहां फैसले सामूहिक रूप से किए जाते हैं। मेरा मानना है कि सभी के अनुभव और स्वाभाविक समझ को महत्व देना बेहद जरूरी है।

 

 

आप रेटिंग्स से अलग हटकर अपने न्यूज प्रोग्राम्स की सफलता को कैसे मापती हैं और ऑडियंस से गहरा व सार्थक जुड़ाव किस तरह सुनिश्चित करती हैं?

 

आज के दौर में मीडिया पर भरोसे में गिरावट देखी जा रही है, यह काफी निराशाजनक है। किसी भी न्यूज नेटवर्क के लिए यह जरूरी है कि वह भरोसा बनाए रखे। हम हमेशा बिना किसी फिल्टर के प्रामाणिक खबरें पेश करने की कोशिश करते हैं और यही हमारे काम में झलकता है। चाहे वह NewsX हो, Sunday Guardian हो या India News, हमारी प्रतिबद्धता गुणवत्ता और अलग अंदाज में कंटेंट पेश करने की है। हम रेटिंग्स की दौड़ में यकीन नहीं रखते। हमारे लिए ऑडियंस को सटीक खबरें देना प्राथमिकता है, न कि किसी मनमाने आंकड़े को हासिल करना।

 

फेक न्यूज और सनसनीखेज़ खबरों के दौर में तथ्यात्मक और निष्पक्ष पत्रकारिता को आप कैसे सुनिश्चित करती हैं?

 

 

हमने स्पष्ट गाइडलाइन बना रखी है कि किसी भी वायरल खबर को प्रसारित या प्रकाशित करने से पहले उसकी प्रामाणिकता की जांच की जाती है। हमारा मकसद सिर्फ तथ्य प्रस्तुत करना है न कि व्यूज या रेटिंग्स के लिए खबरों को सनसनीखेज बनाना। मेरा मानना है कि ऑडियंस को तथ्य प्रदान करने चाहिए ताकि वे खुद अपने निष्कर्ष निकाल सकें, न कि ‘ब्रेकिंग’ या ‘एक्सक्लूसिव’ जैसे टैग देकर खबरों को आगे बढ़ावा जाए।

 

परंपरागत मीडिया संस्थान टेक्नोलॉजी का उपयोग करके ऐसा प्रभावी और तथ्यात्मक कंटेंट कैसे दे सकते हैं, जो शोरशराबे वाली पत्रकारिता के बीच भी दर्शकों तक पहुंचे?

 

मीडिया का परिदृश्य लगातार बदल रहा है। हमें डिजिटल-फर्स्ट दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। इस दिशा में हाइपरलोकल कंटेंट पर ध्यान देना और तकनीक का इस्तेमाल करते हुए दक्षता और लागत-प्रभावशीलता बढ़ाना अहम है। आज के दौर में व्युअर्स के पास सूचनाओं की भरमार है, ऐसे में हमें ऐसा आकर्षक और तथ्यात्मक कंटेंट देना होगा जो उन्हें जोड़े रखे और बार-बार हमारे प्लेटफॉर्म पर वापस आने के लिए प्रेरित करे।

 

 

मेरी शैक्षिक पृष्ठभूमि, खासकर इतिहास के अध्ययन ने, मुझे गहन शोध और मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की अहमियत सिखाई है। यह दृष्टिकोण हमारी रिपोर्टिंग में विस्तार पर ध्यान केंद्रित करने की प्रेरणा देता है, जहां हमारे रिपोर्टर गहन शोध करते हैं, विस्तृत साक्षात्कार करते हैं और अपनी स्टोरीज में मानवीय दृष्टिकोण शामिल करते हैं।

 

आपके नए पॉडकास्ट ‘Historically Speaking’ में इतिहास से जुड़ी गलतफहमियों को दूर करने और इमरजेंसी जैसे अहम मुद्दों को सामने लाने की प्रेरणा कैसे मिली?

 

यह प्रेरणा कई कारणों से मिली। खासकर, इतिहास से जुड़ी गलत जानकारी और खराब स्रोतों से आई खबरों के प्रसार को देखकर मैंने महसूस किया कि प्रामाणिक और मूल कंटेंट की जरूरत है। ‘Historically Speaking’ का उद्देश्य उन ऐतिहासिक घटनाओं पर गहराई से चर्चा करना है, जिनकी प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है। हमने इमरजेंसी पर बात की क्योंकि यह भारतीय लोकतंत्र और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए एक अहम सबक है। जो रोगन जैसे लोकप्रिय पॉडकास्ट अपनी प्रामाणिकता के कारण सफल होते हैं। Historically Speaking’ इसी मॉडल का अनुसरण करता है, जहां विषयों, पुस्तकों और प्रत्यक्षदर्शियों के दृष्टिकोण को बिना किसी फिल्टर और पूरी मौलिकता के साथ प्रस्तुत किया जाता है। मैंने ऐतिहासिक घटनाओं, जैसे भारत में आपातकाल, पर गहराई से चर्चा के लिए एक ऐसा मंच प्रदान करने का प्रयास किया है, जो नई पीढ़ी को इन घटनाओं के महत्व और उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता एवं नागरिक अधिकारों पर पड़े प्रभाव को बेहतर ढंग से समझने में मदद करे।

 

 

इस पॉडकास्ट सीरीज को किस तरह की प्रतिक्रिया मिल रही है?

 

इस पर मिली-जुली प्रतिक्रिया मिल रही है। कुछ प्लेटफ़ॉर्म्स पर हमें तेजी से अच्छा रिस्पॉन्स मिला है, जबकि अन्य पर धीरे-धीरे ग्रोथ हो रही है। मैं ऑर्गेनिक ग्रोथ में यकीन रखती हूं। शुरुआत में हमने अलग-अलग विषयों पर प्रयोग किया क्योंकि सफलता का कोई तयशुदा फॉर्मूला नहीं है।हालांकि, हाल के विषयों को ऐतिहासिक संदर्भ में प्रस्तुत करने पर अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। जैसे, मेरी संजय बारू के साथ भारत की पावर एलीट पर चर्चा को काफी सराहा गया।

 

ITV फाउंडेशन की चेयरपर्सन के रूप में आप किन प्रमुख पहलों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं?

 

ITV फाउंडेशन हमारी सामाजिक जिम्मेदारी निभाने का जरिया है। हमने गोरखपुर, हरियाणा और पंजाब जैसे क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए हैं, जिनमें महिलाओं की सेहत और इंसेफेलाइटिस जैसे मुद्दों पर ध्यान दिया गया। हमने डेटॉल के साथ मिलकर इस ओर जागरूकता भी बढ़ाई। हमने ‘फेस्टिवल ऑफ आइडियाज’ का आयोजन किया, जिससे छोटे शहरों के नए लेखकों को अपनी कृतियों को प्रदर्शित करने और पब्लिशर्स से जुड़ने का मौका मिला।

 

‘We Women Want’ पहल के तहत आप महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कौन-कौन से मुद्दे उठाती हैं?

 

‘We Women Want’ के जरिए हम महिलाओं से जुड़े संवेदनशील मुद्दों जैसे बांझपन, तलाक, मानसिक स्वास्थ्य और विवाह में शोषण पर खुली चर्चा करते हैं। हम कानूनी मदद भी उपलब्ध कराते हैं, खासकर छोटे शहरों में जहां भरोसेमंद वकील मिलना मुश्किल होता है। इसके अलावा, महिलाओं के लिए वसीयत की अहमियत पर भी जोर दिया जाता है, ताकि वे अपने संपत्ति अधिकारों पर खुद निर्णय ले सकें।

 

शक्ति अवॉर्ड्स की अवधारणा क्या थी और इसे शुरू करने के पीछे क्या प्रेरणा रही?

 

शक्ति अवॉर्ड्स के पीछे की प्रेरणा मेरी सास शक्ति रानी शर्मा हैं और यह उन्हीं को समर्पित है, जो एक ऐसी महिला हैं, जिन्होंने अपने पूरे जीवन में तमाम भूमिकाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। वह एक कुशल गृहिणी, सफल व्यवसायी, अंबाला की मेयर रही हैं और वर्तमान में विधायक हैं। ये अवॉर्ड्स उन महिलाओं का सम्मान करते हैं और उन्हें नई पहचान देते हैं, जो तमाम भूमिकाएँ निभाती हैं और अद्वितीय बहु-कौशल क्षमता का प्रदर्शन करती हैं। ये विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा दिए गए विविध योगदानों को नई पहचान देते हैं।

Dakhal News 7 January 2025

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