कन्हर नदी तट पर छठ महापर्व की गूंज
balrampur,Echo of Chhath Mahaparva ,Kanhar River

बलरामपुर। छत्तीसगढ़ और झारखंड की सीमा पर बहने वाली जीवनदायिनी कन्हर नदी एक बार फिर लोक आस्था के सबसे बड़े पर्व छठ महापर्व की तैयारियों से सराबोर हो गई है। श्रद्धा, भक्ति और स्वच्छता के संगम से सरहदी क्षेत्र के घाटों पर उत्साह का वातावरण बन गया है।

 
छत्तीसगढ़ के बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के सरहदी इलाके में बहने वाली कन्हर नदी में इस वर्ष भी छठ महापर्व की धूम मचने लगी है। यह वही नदी है जो छत्तीसगढ़ और झारखंड की सीमाओं को जोड़ती है, और हर साल यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु एकत्र होकर सूर्य उपासना करते हैं। नदी किनारे बसे गांवों में इस पर्व को लेकर उल्लास और तैयारी दोनों चरम पर हैं।
 
नदी तट पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर घाट पर इस समय सफाई अभियान तेज हो गया है। ग्रामीण, महिलाएं और युवा मिलकर अपने-अपने घाटों की साफ-सफाई में जुटे हैं। झाड़ू के सहारे घाटों को चमकाया जा रहा है।
 
स्थानीय श्रद्धालुओं ने बताया क‍ि, छठ पर्व हमारी आस्था का प्रतीक है। हम अपने घर-परिवार की सुख-समृद्धि और समाज की खुशहाली के लिए सूर्य देव की पूजा करते हैं। कन्हर नदी का पानी पवित्र माना जाता है, इसलिए यहां हर साल भारी भीड़ उमड़ती है।
 
प्रशासन की ओर से भी घाटों पर सुरक्षा और स्वच्छता के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे, पर्व को लेकर पुलिस प्रशासन भी कमर कस ली है। बिजली व्यवस्था, प्रकाश व्यवस्था और एंबुलेंस की तैनाती को लेकर अधिकारी सक्रिय हैं।
 
दीपोत्सव गुजर जाने के बाद अब हर ओर भक्ति संगीत की गूंज सुनाई दे रही है। महिलाएं छठ गीतों की धुन पर थाल सजाने में जुटी हैं। सरहदी गांवों में यह पर्व न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक एकता और सामूहिकता का भी प्रतीक बन चुका है।
 
इस प्रकार कन्हर नदी तट पर छठ महापर्व के आगमन ने पूरे इलाके को आस्था और उल्लास के रंग में रंग दिया है। श्रद्धा, स्वच्छता और संस्कृति का यह संगम क्षेत्र की पहचान बनता जा रहा है।
Dakhal News 21 October 2025

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