निधि कुलपति की सादगी और साड़ी दर्शकों को खूब भाती रही
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निधि कुलपति ने 1991 में टीवी पत्रकारिता की शुरुआत की थी। उस समय हम लोग कॉलेज में थे। 2003 में जब NDTV आईं तब टीवी की दुनिया अलग थी। उनके जैसे एंकरों के पढ़ने की शैली से टीवी जाना जाता था।

 

 

बाद में बहुत कुछ बदला लेकिन निधि, निधि ही रहीं। बहुत ही सुंदर सहयोगी रहीं।

 

सुंदरता की बात का यहाँ संबंध उनके सहयोग से है और सुंदर सहयोगी का मतलब यह कि उनके साथ व्यवहार में अहंकार का कभी अहसास नहीं हुआ। उन्हें देख कर हमेशा अच्छा लगा। मिल कर और पूछ कर भी। कभी टोका तो बुरा भी नहीं माना।

 

 

उन्होंने कभी जताया नहीं और कभी थोपा नहीं। मैं ये हूं कि जगह इसी तरह पेश आती रहीं जैसे मैं कुछ भी नहीं। लेकिन अपनी गरिमा का खूंटा इतनी मजबूती से गाड़े रखा कि बात करने का सलीका अपने आप आ जाता था।

 

हाँ उनके साथ हंसी मज़ाक भी चला और यह सवाल भी कि निधि आपके पास कितनी साड़ियाँ हैं! कभी जवाब नहीं मिला।

 

 

 

यह पोस्ट एक बेस्ट सहयोगी और सीनियर के लिए है। उनसे मिले स्नेह के लिए है। उन्हें दिए गए आदर के बदले मिली ख़ुशी के लिए है।

 

यह सब बातें लगती साधारण हैं मगर इन्हीं सबके कारण अच्छी यादें बनती हैं। हम सब इस दुनिया में किरायेदार हैं। सफलता असफलता मायने रखती हैं लेकिन यादों का मोल अलग होता है। उनके सहेज कर रखे जाने का बक्सा अलग होता है।

 

 

उसी बक्से का हिस्सा समझिए इस पोस्ट को। आज उन्होंने कहा कि NDTV में आख़िरी दिन है। शुभकामनाएँ।

 

सुशील मोहापात्रा-

 

 

 

13 दिसंबर 2024 की ये फोटो है। तब मैं एनडीटीवी से रिजाइन कर दिया था लेकिन ऑफिस में किसी को बताया नहीं था। लगा निधि जी के साथ ऑफिस के न्यूजरूम से एक आखिरी फोटो खींच लेते हैं।

 

23 साल के बाद निधि जी आज एनडीटीवी से रिटायर्ड हुईं। किसी चैनल में 58 की उम्र तक काम करना बड़ी बात है। निधि जी अपनी सरलता, सादगी और शालीनता के लिए जानी जाती है।

 

मेरे 17 साल की एनडीटीवी के करियर में कभी निधि जी को ड्रेस पहनकर एंकरिंग करते हुए नहीं देखा। निधि जी हमेशा साड़ी पहनकर एंकरिंग करती थी। ये तब संभव हो जब किसी के अंदर गजब की डेडीकेशन हो।

 

 

निधि जी जब भी न्यूज रूम में मिलती थी तो प्यार से मुस्कुराकर बोलती थी… सुशील।

 

एक बार निधि जी के साथ करमवीर के घर करनाल जा रहे थे। निधि जी बहुत सारा खाना बना के साथ ले गई थीं। थोड़ी देर के बाद निकालती, मुझे और सौरभ को खाने के लिए देती थीं। इसी व्यवहार के लिए निधि जी से सब प्यार करते थे।

 

 

Dakhal News 23 May 2025

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