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सरकार के विज्ञापन आवंटन को लेकर बात की जाए तो नरेंद्र मोदी सरकार का तीसरा कार्यकाल मोदी 2.0 से अलग होने वाला नहीं है।बजट दस्तावेजों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के लिए सूचना एवं प्रचार का बजट 1,089.23 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है। सूचना एवं प्रचार के लिए 38 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय भी आवंटित किया गया है। इन आवंटन को सामाजिक सेवाओं के तहत शामिल किया गया है।
इस वर्ष का आवंटन पिछले तीन वर्षों के आवंटन- 1,078.09 रुपये (संशोधित वित्त वर्ष 2023-24) और 1,001.15 करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 2022-23) की तुलना में थोड़ा अधिक है, लेकिन यह लगभग समान सीमा में है। यह भारत के कुल विज्ञापन राजस्व का लगभग एक प्रतिशत है, जो वित्त वर्ष 23 में लगभग एक लाख करोड़ रुपये था और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) के बजट का लगभग एक चौथाई है। अंतरिम बजट सत्र में की गई घोषणा के अनुसार, 2024-2025 में सूचना-प्रसारण मंत्रालय के लिए आवंटित राशि 4,342.55 करोड़ रुपये है। प्रसारण के लिए आवंटित की गई राशि को 3,071.52 करोड़ रुपये से घटाकर 2,959.94 करोड़ रुपये कर दिया गया है। प्रसारण का मुख्य रूप से मतलब प्रसार भारती व सरकारी टेलीविजन, ऑल इंडिया रेडियो, सामुदायिक रेडियो और डीटीएच जैसे संबंधित बुनियादी ढांचे से है। वित्त वर्ष की पहली तिमाही समाप्त हो चुकी है, जो कि काफी हद तक लोकसभा चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता के अंतर्गत रही। ऐसा माना जाता है कि प्रचार राशि का अधिकांश हिस्सा अगले नौ महीनों के लिए है।पिछले वर्षों में, प्रचार बजट का एक बड़ा हिस्सा प्रिंट और टेलीविजन विज्ञापनों पर खर्च किया गया था, जो कि लगभग 40 प्रतिशत था। बड़े मीडिया के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा सरकारी विज्ञापन से आता है। आर्थिक मंदी के समय, मीडिया कंपनियां राज्यों और केंद्र सरकारों द्वारा किए जाने वाले विज्ञापन खर्च पर और भी अधिक निर्भर हो जाती हैं।
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