Dakhal News
मुंबई के चेंबूर के एक कॉलेज में नकाब, हिजाब, स्टोल या कैप पर रोक के सर्कुलर पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (09 अगस्त) को रोक लगा दी है. अब इस मामले की अगली सुनवाई नवंबर के तीसरे सप्ताह में होगी. मुंबई के चेंबूर के एनजी आचार्य एंड डीके मराठे कॉलेज ने यह रोक लगाई थी, जिसे हाई कोर्ट ने यूनिफॉर्म कोड के आधार पर सही ठहराया था.सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाते हुए यह साफ किया कि कॉलेज में बुर्का पहनने की इजाजत नहीं दी जा सकती. जस्टिस संजीव खन्ना और संजय कुमार की बेंच ने कॉलेज की वकील से यह सवाल भी किया कि अगर वह धार्मिक पहचान के कॉलेज में प्रदर्शन के विरुद्ध है, तो क्या उसने तिलक या बिंदी लगाने पर भी रोक लगाई है? कॉलेज का कहना था कि उसके यहां 441 मुस्लिम लड़कियां पढ़ती हैं. उनमें से सिर्फ 3 कॉलेज में नकाब पहनने की जिद कर रही हैं.
कब और कैसे शुरू हुआ विवाद?
दरअसल, ये विवाद 1 मई को शुरू हुआ, जब चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी के एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज ने अपने आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप पर एक नोटिस जारी किया, जिसमें संकाय सदस्य और छात्र शामिल थे. नोटिस में एक ड्रेस कोड की रूपरेखा दी गई थी, जिसमें कॉलेज परिसर में हिजाब, नकाब, बुर्का, टोपी, बैज और स्टोल पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया था. याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि यह निर्देश बिना किसी कानूनी अधिकार के जारी किया गया था और इसलिए यह "कानून के अनुसार गलत, निरर्थक और अमान्य" है.
कॉलेज प्रशासन ने नहीं सुनी तो छात्र पहुंचे हाई कोर्ट
इसके बाद छात्रों ने शुरू में कॉलेज प्रबंधन और प्रिंसिपल से संपर्क किया और क्लास में अपनी पसंद, सम्मान और गोपनीयता के अधिकार का हवाला देते हुए हिजाब, नकाब और बुर्का पर प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया. जब उनके अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया गया तो उन्होंने मामले को मुंबई विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और उप-कुलपति के साथ-साथ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सामने उठाया और बिना किसी भेदभाव के शिक्षा प्रदान करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की. हालांकि, कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर छात्रों ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की. हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील अल्ताफ खान ने कुरान की आयतें पेश करके तर्क दिया कि हिजाब पहनना इस्लाम का एक जरूरी हिस्सा है. याचिका में कहा गया कि कॉलेज की कार्रवाई "मनमाना, अनुचित, कानून के विरुद्ध और विकृत" है.
कॉलेज प्रशासन ने क्या कहा?
कॉलेज प्रबंधन ने प्रतिबंध का बचाव करते हुए कहा कि यह एक समान ड्रेस कोड लागू करने और अनुशासन बनाए रखने का एक उपाय है. साथ ही मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभाव करने के किसी भी इरादे से इनकार किया. कॉलेज का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील अनिल अंतुरकर ने कहा कि ड्रेस कोड सभी धर्मों और जातियों के छात्रों पर लागू होता है. इसके बाद कोर्ट ने ये स्टे जारी रखा. फिर ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.
Dakhal News
|
All Rights Reserved © 2025 Dakhal News.
Created By:
Medha Innovation & Development |