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नोटिस पीरियड… ये शब्द कुछ लोगों के लिए सुखदायी होगा. पर इतनी ही पीड़ादायक भी है. पीड़ादायक तो क्या है मानसिक तनाव से कम नहीं है. नोटिस पीरियड कितने समय का होना चाहिए इसकी नियमावली कौन तय करेगा? क्या कंपनी अपने हिसाब से तय करे, या फिर लेबर कोर्ट कोई नियम लेकर आए? कहीं दो महीने का नोटिस पीरियड तो कहीं तीन महीने का. नोटिस पीरियड सर्व न करो तो तरह-तरह की धमकियां और दबाव बनाए जाते हैं. कंपनी केस करने की बात भी कहती है. क्या नोटिस पीरियड सर्व न करना एक बड़ा क्राईम है. दो से तीन महीने का नोटिस पीरियड करने का नियम किसने बनाया? सवाल इसलिए पूछ रहा हूं क्योंकि नोटिस पीरियड के दौरान सैलरी रोक दी जाती है. और आखिरी दिन के, कहीं 30 तो कहीं 45 दिन बाद सैलरी देने का प्रावधान है. अब मैं एचआर, उनके मैनेजमेंट और टॉप लेवल पर बैठे अधिकारियों से पूछना चाहता हूं कि दो महीने यानी 30 दिन + 45 दिन कुल मिलाकर 105 दिन तक किसी की तनख्वाह न देना कहां तक उचित है? कम से कम एक महीने की सेलरी तो दीजिए ताकि वो अपने खर्चे को नियमित कर आगे का काम कर सके. 105 दिन बिना रुपये के गुजारा कैसे किया जाए जनाब? चलो माना कि 2 महीने का 3 महीने तक का नोटिस पीरियड कर भी लिया जाए. पर जब आपको जरूरत होती है तो आप क्यों नहीं किसी कर्मचारी के लिए 2 महीने का इंतजार कर सकते हैं? तब तो सभी को एक हफ्ते के अंदर अंदर कर्मचारी ड्यूटी पर मिलना चाहिए. वर्ना तपाक से कह दिया जाता है कि अगर आप एक हफ्ते में ज्वाइन नहीं कर सकते तो हम दूसरे किसी को देख लेंगे. क्या यहां कर्मचारियों की कोई कीमत नहीं है? उसकी भावनाओं की जगह नहीं है? जब आप एक हफ्ते का इंतजार नहीं कर सकते तो अपनी कंपनी के कर्मचारियों पर दो महीने तीन महीने रुकने का दवाब क्यों बनाते हैं. जब ये सवाल मैंने कुछ सीनियर्स से पुछा तो उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए भी हो सकता है कि आपकी रिप्लेसमेंट को तलाशने में समय मिले. मैंने कहा चलिए ठीक है मेरी या किसी अन्य की रिप्लेसमेंट के लिए आपने 2 से 3 महीने का समय लिया. ये आपका मसला है. पर दो से तीन महीने तनख्वाह को रोक देना कहां तक उचित है? क्या दो महीने के नोटिस पीरियड में एक महीने की तनख्वाह नहीं देनी चाहिए?
जब नोटिस पीरियड के नियम कंपनी बनाती है तो इन बातों का ध्यान नहीं रखा जाता व्यक्ति विशेष को मानसिक रुप से क्या क्या झेलना पड़ रहा होगा. 3 महीने के नोटिस पीरियड में न तनख्वाह हाथ में है न ही नई नौकरी का पता. ये तो वही बात धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का. कमाल है नोटिस पीरियड करे तो न सैलरी मिलेगी नई नौकरी का अता-पता होगा. नोटिस पीरियड नहीं करे तो सैलरी भी रोक दी जाएगी. केस होने का डर अलग से, और अनुभव प्रमाण पत्र न मिलने के कारण नई कंपनी में भी तलवार लटकी रहेगी. क्या इन सवालों का कोई जवाब है. यदि हां तो कृपया मेरी सभी मानव संसाधन, बोले तो एचआर हेड से निवेदन है कि इसका कोई तोड़ निकालें. और कर्मचारियों के हितों का भी ध्यान रखें. कल को वही कर्मचारी आपकी कंपनी में दोबारा आए तो फ्रेशनेस के साथ आए. मन में HR के प्रति नकारात्मकता लेकर नहीं!
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