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गुरुग्राम की पॉक्सो अदालत ने एबीपी न्यूज़ की वरिष्ठ पत्रकार और वाइस प्रेसिडेंट चित्रा त्रिपाठी की जमानत अर्जी को फिर से खारिज कर दिया है। अदालत के अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश, अश्विनी कुमार मेहता ने आदेश दिया कि चित्रा त्रिपाठी के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए।
यह मामला 11 नवंबर 2024 को तब सामने आया, जब अदालत ने चित्रा त्रिपाठी को सुनवाई में पेश होने का आदेश दिया था। उनके वकील ने पेशी से छूट की मांग करते हुए तर्क दिया कि चित्रा महाराष्ट्र चुनाव में अजीत पवार का इंटरव्यू कर रही थीं। अदालत ने यह तर्क अस्वीकार करते हुए उनकी जमानत रद्द कर दी और गिरफ्तारी वारंट जारी किया।
हालांकि अदालत का आदेश स्पष्ट था, लेकिन गुरुग्राम पुलिस अब तक चित्रा त्रिपाठी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। इसके विपरीत, वह विभिन्न मीडिया डिबेट्स में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं, जो पुलिस की निष्क्रियता और प्रभावशाली व्यक्तियों के प्रति कानून के रवैये पर सवाल उठाती है।
यह मामला सिर्फ कानूनी पहलुओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज और न्याय तंत्र की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़ा करता है। क्या कानून सभी के लिए समान है, या फिर प्रभावशाली लोगों के लिए अलग मापदंड अपनाए जाते हैं? चित्रा त्रिपाठी का यह मामला मीडिया की निष्पक्षता, न्याय व्यवस्था में समानता और प्रभावशाली व्यक्तियों के प्रति कानून के अलग रवैये पर गंभीर चर्चा को जन्म दे रहा है।
अब यह देखना होगा कि पुलिस कोर्ट के आदेश का पालन करती है या नहीं। इस मामले से जुड़े अन्य कानूनी पहलुओं पर भी निगाहें बनी हुई हैं। यह प्रकरण देशभर में कानून और मीडिया की स्वतंत्रता के महत्व पर गहरी बहस शुरू कर रहा है।
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